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सरकार ने 114 साल बाद बदला रेलवे का प्रशासनिक ढांचा ,एकीकृत सेवा कैडर बना जिसे नाम दिया ” भारतीय रेल प्रबंधन सेवा ” attacknews.in

नयी दिल्ली, 24 दिसंबर । सरकार ने भारतीय रेलवे के 114 साल पुराने प्रशासनिक ढांचे में फेरबदल करते हुए आठ विभागीय सेवाओं को एकीकृत कर भारतीय रेल प्रबंधन सेवा (आईआरएमएस) का गठन कर दिया है तथा रेलवे बोर्ड के ढांचे का आकार आधा करने के साथ ही ज़ोनल महाप्रबंधकों को केन्द्र सरकार के सचिव के समकक्ष बना दिया है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आज यहां हुई केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में यह निर्णय लिया गया। रेल मंत्री पीयूष गोयल ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में मंत्रिमंडल के इस निर्णय की जानकारी देते हुए कहा कि रेलवे में इंजीनियरिंग, मैकेनिकल, इलैक्ट्रिकल्स, लेखा, भंडारण, कार्मिक, यातायात, सिगनल एवं टेलीकॉम सेवाओं को मिला कर एक सेवा भारतीय रेल प्रबंधन सेवा (आईआरएमएस) करने को आज मंजूरी दे दी गयी है। यह निर्णय आज से ही लागू हो गया है।

उन्होंने कहा कि रेलवे बोर्ड का पहली बार गठन 1905 में किया गया था। करीब 114 साल से रेलवे विभागीय गुटों में बंटी थी। आठों सेवाओं के अधिकारी पहले अपने अपने विभाग के प्रति ही ज़्यादा समर्पित रहते थे और बोर्ड के सदस्य बनने पर समग्र रेलवे की बजाय अपने अपने विभागों की चिंता करते थे। इस निर्णय से रेलवे में विभागीय गुटबाजी समाप्त होगी और रेलवे में निर्णय प्रक्रिया की गति तेज होगी तथा भारतीय रेलवे 21वीं सदी की नयी चुनौतियों का सामना करने में अधिक सक्षम होगी।

श्री गोयल ने बताया कि प्रकाश टंडन समिति (1994), राकेश मोहन समिति (2001), सैम पित्रोदा समिति (2012) और बिबेक देबराय समिति (2015) ने एक स्वर से रेलवे की शीर्ष प्रशासनिक श्रृंखला के लिए एक ही संयुक्त सेवा बनाने की सिफारिश की थी। इसके अलावा रेलवे के अधिकारियों के बीच गहन विचार मंथन की प्रक्रिया में भी इसके लिए सहमति बनने पर प्रधानमंत्री श्री मोदी ने यह साहसिक निर्णय लिया है जिसके दूरगामी परिणाम होंगे। रेलवे के अधिकारियों को पदोन्नति के बेहतर अवसर मिलेंगे और उनकी वरिष्ठता भी पूरी तरह से सुरक्षित रहेगी।

उन्होंने बताया कि रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष की भूमिका अब मुख्य कार्यकारी अधिकारी की होगी और उसमें चार सदस्य ही होंगे। सदस्य (आधारभूत ढांचा), सदस्य (ऑपेरशन्स एवं बिजनेस डेवेलपमेंट), सदस्य (रोलिंग स्टॉक) और सदस्य (वित्त) होंगे। रेलवे बोर्ड का अध्यक्ष मानव संसाधन प्रबंधन के लिए एक महानिदेशक के साथ काम करेगा। वर्तमान में रेलवे बोर्ड का अध्यक्ष बोर्ड के अन्य सदस्य के समकक्ष होता है। भारतीय रेलवे चिकित्सा सेवा को अब भारतीय रेलवे स्वास्थ्य सेवा कहा जाएगा।

उन्होंने बताया कि नये रेलवे बोर्ड में सदस्यों के तीन पद समाप्त कर दिये जाएंगे। बोर्ड में कुछ स्वतंत्र सदस्य भी होंगे जो गैर कार्यकारी प्रकृति के होंगे। ये प्रबंधन, वित्त या तकनीकी दक्षता के साथ दीर्घकालिक अनुभव वाले विशेषज्ञ होंगे और इनके बारे में समय समय पर निर्णय लिया जाएगा। रेलवे बोर्ड के बाकी सभी पद सभी प्रकार की सेवाओं के अधिकारियों के लिए खुल जाएंगे जिन पर उनकी योग्यता एवं क्षमता के आधार पर नियुक्ति होगी।

श्री गोयल ने बताया कि रेलवे बोर्ड में सचिव स्तर के दस पद होंगे जबकि महाप्रबंधक स्तर के 27 पदों की ग्रेड बढ़ाकर उन्हें शीर्ष ग्रेड में लाया जाएगा। सभी जोनल एवं उत्पादन इकाइयों के महाप्रबंधक अब केन्द्र सरकार के सचिव के समकक्ष हो जाएंगे। उन्होंने यह भी कहा कि मंडल रेल प्रबंधकों एवं महाप्रबंधकों की नियुक्ति में सेवाओं का कोटा भी समाप्त हो जाएगा। केवल योग्यता एवं क्षमता के आधार पर सक्षम लोगों को नियुक्ति मिलेगी।

उन्होंने कहा कि 2021 से होने वाली भर्ती परीक्षाओं में आईआरएमएस के कैडर में अधिकारियों की भर्ती की जाएगी। रेलवे में सभी प्रकार की विधाओं के लिए आवश्यक विशेषज्ञता के अधिकारियों की भर्ती सुनिश्चित करने के लिए कैबिनेट सचिव द्वारा गठित सचिवों के समूह की वैकल्पिक व्यवस्था विचार करेगी। एक सवाल पर उन्होंने स्पष्ट किया कि रेलवे बोर्ड का अध्यक्ष या सदस्य आईआरएमएस अधिकारी ही होगा, कोई आईएएस अधिकारी इन पदों पर नियुक्त नहीं किया जा सकता।

एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि इस समय रेलवे के तीन सदस्य एक माह के अंदर सेवानिवृत्त हो रहे हैं जिससे नयी व्यवस्था को बनाने में कोई असुविधा नहीं आएगी। यदि कोई अधिकारी बोर्ड से बाहर जाएगा तो उसके वेतनमान एवं वरिष्ठता आदि का पूरा ध्यान रखा जाएगा।

भारतीय रेलवे का रूपांतरकारी संगठनात्‍मक पुनर्गठन का ऐसा होगा स्वरूप –

रेलवे के समूह ‘ए’ की मौजूदा आठ सेवाओं का एक केन्द्रीीय सेवा ‘भारतीय रेलवे प्रबंधन सेवा (आईआरएमएस)’ में एकीकरण का रूप ऐसा रहेगा ।

• सेवाओं के एकीकरण से ‘नौकरशाही’ खत्म हो जाएगी, रेलवे के सुव्येवस्थित कामकाज को बढ़ावा मिलेगा, निर्णय लेने में तेजी आएगी, संगठन के लिए एक सुसंगत विजन सृजित होगा और तर्कसंगत निर्णय लेने को प्रोत्साहन मिलेगा।

• रेलवे बोर्ड का गठन अब से विभागीय तर्ज पर नहीं होगा और इसका स्थान एक छोटे आकार वाली संरचना लेगी जिसका गठन कार्यात्मक तर्ज पर होगा।

• रेलवे बोर्ड की अध्यीक्षता चेयरमैन रेलवे बोर्ड (सीआरबी) करेंगे, जो इसके मुख्य कार्यकारी अधिकारी होंगे, इसमें 4 सदस्योंल के अलावा कुछ स्वतंत्र सदस्य होंगे।

• रेलवे में सुधार के लिए गठित विभिन्नर समितियों ने सेवाओं के एकीकरण की सिफारिश की है।

• 7 एवं 8 दिसम्बर, 2019 को आयोजित दो दिवसीय ‘परिवर्तन संगोष्ठी ’ में रेल अधिकारियों की आम सहमति और व्यानपक समर्थन से यह सुधार किया गया है।

•निष्पेक्षता एवं पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए कैबिनेट द्वारा गठित की जाने वाली वैकल्पिक व्यरवस्थात की मंजूरी से डीओपीटी के साथ परामर्श कर सेवाओं के एकीकरण की रूपरेखा तय की जाएगी।

• केन्‍द्रीय मंत्रिमंडल ने भारतीय रेलवे के रूपांतरकारी संगठनात्मक पुनर्गठन को मंजूरी दी है। यह ऐतिहासिक सुधार भारतीय रेलवे को भारत की ‘विकास यात्रा’ का विकास इंजन बनाने संबंधी सरकार के विजन को साकार करने में काफी मददगार साबित होगा।

सुधारों में निम्‍नलिखित शामिल हैं:

रेलवे के समूह ‘ए’ की मौजूदा आठ सेवाओं का एक केन्‍द्रीय सेवा ‘भारतीय रेलवे प्रबंधन सेवा (आईआरएमएस)’ में एकीकरण
रेलवे बोर्ड का पुनर्गठन कार्यात्‍मक तर्ज पर होगा, जिसकी अध्‍यक्षता सीआरबी करेंगे। इसमें 4 सदस्‍यों के अलावा कुछ स्‍वतंत्र सदस्‍य होंगे।

मौजूदा सेवा ‘भारतीय रेलवे चिकित्‍सा सेवा (आईआरएमएस)’ का नाम बदलकर भारतीय रेलवे स्‍वास्‍थ्‍य सेवा (आईआरएचएस) रखा जाएगा।

रेलवे ने अगले 12 वर्षों के दौरान 50 लाख करोड़ रुपये के प्रस्‍तावित निवेश से आधुनिकीकरण के साथ-साथ यात्रियों को उच्‍च मानकों वाली सुरक्षा, गति एवं सेवाएं मुहैया कराने के लिए एक महत्‍वाकांक्षी कार्यक्रम बनाया है। इसके लिए तेज गति एवं व्‍यापक स्‍तर से युक्‍त एक एकीकृत एवं चुस्‍त-दुरुस्‍त संगठन की आवश्‍यकता है, ताकि वह इस जिम्‍मेदारी को पूरी एकाग्रता के साथ पूरा कर सके और इसके साथ ही वह विभिन्‍न चुनौतियों से निपटने में सक्षम हो सके। आज के ये सुधार दरअसल वर्तमान सरकार के अधीन पहले लागू किए जा चुके उन विभिन्‍न सुधारों की श्रृंखला के अंतर्गत आते हैं जिसमें रेल बजट का विलय केन्‍द्रीय बजट में करना, महाप्रबंधकों (जीएम) एवं क्षेत्रीय अधिकारियों (फील्‍ड ऑफिसर) को सशक्‍त बनाने के लिए उन्‍हें अधिकार सौंपना, प्रतिस्‍पर्धी ऑपरेटरों को रेलगाडि़यां चलाने की अनुमति देना इत्‍यादि शामिल हैं।

अगले स्‍तर की चुनौतियों से निपटने और विभिन्‍न मौजूदा कठिनाइयों को दूर करने के लिए यह कदम उठाने की आवश्‍यकता महसूस की जा रही थी। विश्‍व भर की रेल प्रणालियों, जिनका निगमीकरण हो चुका है, के विपरीत भारतीय रेलवे का प्रबंधन सीधे तौर पर सरकार द्वारा किया जाता है। इसे विभिन्‍न विभागों जैसे कि यातायात, सिविल, यांत्रिक, विद्युतीय, सिग्‍नल एवं दूरसंचार, स्‍टोर, कार्मिक, लेखा इत्‍यादि में संगठित किया जाता है। इन वि‍भागों को ऊपर से लेकर नीचे की ओर पृथक किया जाता है और इनकी अध्‍यक्षता रेलवे बोर्ड में सचिᷫव स्‍तर के अधिकारी (सदस्‍य) द्वारा की जाती है। विभाग का यह गठन ऊपर से लेकर नीचे की ओर जाते हुए रेलवे के जमीनी स्‍तर तक सुनिश्चिᷫत किया जाता है। सेवाओं के एकीकरण से यह ‘नौकरशाही’ खत्‍म हो जाएगी, रेलवे के सुव्यवस्थित कामकाज को बढ़ावा मिलेगा, निर्णय लेने में तेजी आएगी, संगठन के लिए एक सुसंगत विजन सृजित होगा और तर्कसंगत निर्णय लेने को प्रोत्साहन मिलेगा।

रेलवे में सुधार के लिए गठित विभिन्‍न समितियों ने सेवाओं के एकीकरण की सिफारिश की है जिनमें प्रकाश टंडन समिति (1994), राकेश मोहन समिति (2001), सैम पित्रोदा समिति (2012) और बिबेक देबरॉय समिति (2015) शामिल हैं।

7 एवं 8 दिसम्बर, 2019 को दिल्‍ली में आयोजित दो दिवसीय ‘परिवर्तन संगोष्ठी’ में रेल अधिकारियों की आम सहमति और व्यापक समर्थन से यह सुधार किया गया है। इस भावना की कद्र करने और रेल अधिकारियों के सुझावों को अहमियत दिए जाने को लेकर उनमें व्‍यापक भरोसा उत्‍पन्‍न करने के लिए रेलवे बोर्ड ने 8 दिसम्‍बर, 2019 को ही सम्‍मेलन के दौरान बोर्ड की असाधारण बैठक आयोजित की थी और उपर्युक्‍त सुधारों सहित अनेक सुधारों की अनुशंसा की थी।

अब आगामी भर्ती चक्र या प्रक्रिया से एक एकीकृत समूह ‘ए’ सेवा को सृजित करने का प्रस्‍ताव किया जाता है जो ‘भारतीय रेलवे प्रबंधन सेवा (आईआरएमएस) कहलाएगी।

अगले भर्ती वर्ष में भर्तियों में सुविधा के लिए डीओपीटी और यूपीएससी से परामर्श कर नई सेवा के सृजन का काम पूरा किया जाएगा। इससे रेलवे अपनी जरूरत के अनुसार अभियंताओं/गैर-अभियंताओं की भर्ती करने और इसके साथ ही करियर में उन्‍नति के लिए इन दोनों ही श्रेणियों को अवसरों में समानता की पेशकश करने में सक्षम हो जाएगी।

रेल मंत्रालय निष्पक्षता एवं पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए कैबिनेट द्वारा गठित की जाने वाली वैकल्पिक व्‍यवस्‍था की मंजूरी से डीओपीटी के साथ परामर्श कर सेवाओं के एकीकरण की रूपरेखा तय करेगा। यह प्रक्रिया एक साल के भीतर पूरी हो जाएगी।

भर्ती किए जाने वाले नए अधिकारी आवश्‍यकतानुसार अभियांत्रिकी एवं गैर-अभियांत्रिकी क्षेत्रों से आएंगे और उनके कौशल एवं विशेषज्ञता के अनुसार उनकी तैनाती की जाएगी, ताकि वे किसी एक क्षेत्र में विशेषज्ञता हासिल कर सकें, एक समग्र परिप्रेक्ष्‍य विकसित कर सकें और इसके साथ ही वरिष्‍ठ स्‍तरों पर सामान्‍य प्रबंधन जिम्‍मेदारियों का निर्वहन करने के लिए तैयार हो सकें। सामान्‍य प्रबंधन पदों के लिए चयन योग्‍यता आधारित प्रणाली के जरिए किया जाएगा।

रेलवे बोर्ड का गठन अब से विभागीय तर्ज पर नहीं होगा और इसका स्था‍न एक छोटे आकार वाली संरचना लेगी जिसका गठन कार्यात्मक तर्ज पर होगा। इसमें एक चेयरमैन होगा जो ‘मुख्‍य कार्यकारी अधिकारी’ के रूप में कार्य करेगा। इसके साथ ही 4 सदस्‍य होंगे जिन्‍हें अवसंरचना, परिचालन एवं व्‍यावसायिक विकास, रोलिंग स्‍टॉक एवं वित्तीय से जुड़े कार्यों की अलग-अलग जवाबदेही दी जाएगी। चेयरमैन दरअसल कैडर नियंत्रणकारी अधिकारी होगा जो मानव संसाधनों (एचआर) के लिए जवाबदेह होगा और जिसे एक डीजी (एचआर) आवश्‍यक सहायता प्रदान करेगा। शीर्ष स्‍तर के तीन पदों को रेलवे बोर्ड से खत्‍म (सरेंडर) कर दिया जाएगा और रेलवे बोर्ड के शेष पद सभी अधिकारियों के लिए खुले रहेंगे, चाहे वे किसी भी सेवा के अंतर्गत आते हों। बोर्ड में कुछ स्‍वतंत्र सदस्‍य (इनकी संख्‍या समय-समय पर सक्षम प्राधिकरण द्वारा तय की जाएगी) भी होंगे जो गहन ज्ञान वाले अत्‍यंत विशिष्‍ट प्रोफेशनल होंगे और जिन्‍हें उद्योग जगत, वित्त, अर्थशास्‍त्र एवं प्रबंधन क्षेत्रों में शीर्ष स्‍तरों पर काम करने सहित 30 वर्षों का व्‍यापक अनुभव होगा। स्‍वतंत्र सदस्‍य विशिष्‍ट रणनीतिक दिशा तय करने में रेलवे बोर्ड की मदद करेंगे। बोर्ड से मंजूरी मिलने के बाद पुनर्गठित बोर्ड काम करना शुरू कर देगा। इसके तहत यह सुनिश्चिᷫत किया जाएगा कि अधिकारियों को पुनर्गठित बोर्ड में शामिल किया जाए अथवा उनकी सेवानिवृत्ति तक समान वेतन एवं रैंक में समायोजित किया जाए।

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