नयी दिल्ली, 04 जनवरी ।कृषि सुधार से संबंधित तीन कानूनों को वापस लेने और फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को कानूनी दर्जा देने की मांग को लेकर सोमवार को किसानों और सरकार के बीच आठवीं दौर की हुई वार्ता में कोई निर्णय नहीं हो सका।
लगभग तीन घंटे चली वार्ता के बाद कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने कहा कि किसानों के साथ बातचीत बहुत ही अच्छे माहौल में हुई है और उन्हें विश्वास है कि समस्या का समाधान जल्द ही हो जायेगा।
उन्हाेंने कहा कि सरकार ने किसानों के समग्र हित को ध्यान में रखकर कृषि सुधार कानूनों को बनाया है और इससे यदि उन्हें कोई परेशानी हो रही है तो सरकार उस चर्चा के लिए तैयार है।
श्री तोमर ने कहा कि किसान संगठन कृषि सुधार कानूनों को वापस लेने पर अड़े हुए हैं जबकि सरकार उन पर बिंदुवार चर्चा करना चाहती है।
उन्होंने कहा कि आठ जनवरी को होने वाली बैठक सार्थक होगी और वे समाधान तक पहुंचेगे। दोनों पक्षों के बीच सहमति के बाद वार्ता की अगली आठ जनवरी को तय की गयी है।
उन्होंने कहा कि सरकार किसानों का सम्मान करती है और उसके विकास के लिए हर संभव प्रयास कर रही है।
इससे पहले किसान नेता राकेश टिकैत ने संवाददाताओं को बताया कि सरकार कृषि सुधार कानूनों पर बिंदुवार चर्चा करना चाहती है और उसकी मंशा कानून में संशोधन की है जबकि किसान संगठन इन तीनों कानूनों को वापस किये जाने पर अडिग हैं। सरकार और किसानों के बीच अगली बैठक आठ जनवरी को होगी।
श्री टिकैत ने कहा कि कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर बार-बार तीनों कानूनों पर बिंदुवार चर्चा पर जोर देते हे जिसके कारण गतिरोध बना रहा। उन्होंने कहा कि तीनों कानूनों को वापस लिये जाने तक किसान संगठनों का आंदोलन जारी रहेगा।
किसान संगठन राष्ट्रीय राजधानी की सीमाओं पर पिछले 40 दिनों से धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं। पिछले दो दिनों से बारिश के बावजूद उनका आंदोलन जारी है।
पिछले दौर की हुई वार्ता में बिजली शुल्क पर दी जा रही सब्सिडी और पराली जलाने वाले किसानों पर कार्रवाई नहीं किये जाने के मुद्दे पर किसानों और सरकार के बीच सहमति बन गयी थी लेकिन कृषि सुधार कानूनों को वापस लेने और एमएसपी को कानूनी दर्जा दिये जाने पर गतिरोध बना रहा।
किसान प्रदर्शन: दिल्ली में कई मार्ग बंद
इधर केन्द्र के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ जारी प्रदर्शन के मद्देनजर दिल्ली को गाजियाबाद और नोएडा से जोड़ने वाले गाजीपुर और चिल्ला बॉर्डर सोमवार को बंद रहे ।
यातायात पुलिस ने लोगों से आनंद विहार, डीएनडी, भोपुरा और लोनी बॉर्डर से होकर दिल्ली आने का सुझाव दिया ।
विवादित कृषि कानूनों को वापस लेने एवं न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी को लेकर विभिन्न राज्यों के किसान दिल्ली से लगी सीमाओं पर पिछले 40 दिन से डटे हैं।
इन किसानों को रविवार सुबह काफी परेशनी का सामना भी करना पड़ा था, क्योंकि रातभर हुई बारिश के कारण उनके तंबूओं में पानी भर गया था और ठंड से बचने के लिए जिन लकड़ियों का इस्तेमाल वे आग जलाने के लिए कर रहे थे , वे भीग गईं और उनके कम्बल भी गीले हो गए थे। हालांकि किसानों ने कहा कि इससे उनकी हिम्मत नहीं टूटेगी और उनकी मांगे पूरी होने तक प्रदर्शन जारी रखेंगे।
किसान पिछले साल नवम्बर से दिल्ली की कई सीमाओं पर डटे हैं और यातायात पुलिस के अधिकारी लगातार ट्विटर पर लोगों को बंद एवं परिवर्तित मार्गों की जानकारी दे रहे हैं।
यातायात पुलिस ने सोमवार को सिलसिलेवार ट्वीट में बताया कि सिंघू, औचंदी, प्याऊ मनियारी, सबोली और मंगेश बॉर्डर बंद हैं।
उसने कहा, ‘‘ कृपया लामपुर, सफियाबाद, पल्ला और सिंघू स्कूल टोल टैक्स बार्डर से होकर जाएं। मुकरबा और जीटेके रोड पर भी यातायात परिवर्तित किया गया है। आउटर रिंग रोड, जीटीके रोड और एनएच-44 पर जाने से भी बचें।’’
उसने ट्वीट किया, ‘‘ चिल्ला और गाजीपुर बॉर्डर नोएडा तथा गाजीपुर से दिल्ली आने वाले लोगों के लिए बंद है। कृपया आनंद विहार, डीएनडी, अप्सरा, भोपुरा और लोनी बॉर्डर से होकर दिल्ली आएं।’’
उसने कहा कि टिकरी, ढांसा बॉर्डर पर यातायात पूरी तरह बंद है।
यातायात पुलिस ने कहा, ‘‘ झटीकरा बॉर्डर केवल हल्के वाहनों, दो-पहिया वाहनों और राहगीरों के लिए खुला है।’’
उसने कहा कि हरियाणा जाने के लिए झाड़ोदा (वन सिंगल कैरिजवे), दौराला, कापसहेड़ा, रजोकरी एनएच-8, बिजवासन/ बजघेड़ा, पालम विहार और डूंडाहेड़ा बॉर्डर खुले हैं।
इस साल सितम्बर में अमल में आए तीनों कानूनों को केन्द्र सरकार ने कृषि क्षेत्र में बड़े सुधार के तौर पर पेश किया है। उसका कहना है कि इन कानूनों के आने से बिचौलिए की भूमिका खत्म हो जाएगी और किसान अपनी उपज देश में कहीं भी बेच सकेंगे।
दूसरी तरफ, प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों का कहना है कि इन कानूनों से एमएसपी का सुरक्षा कवच खत्म हो जाएगा और मंडियां भी खत्म हो जाएंगी तथा खेती बड़े कारपोरेट समूहों के हाथ में चली जाएगी।
सरकार लगातार कह रही है कि एमएसपी और मंडी प्रणाली बनी रहेगी और उसने विपक्ष पर किसानों को गुमराह करने का आरोप भी लगाया है।