नयी दिल्ली 05 दिसंबर। सरकार और किसान संगठनों की शनिवार को हुई पांचवें दौर की बैठक में भी कोई ठोस निर्णय नहीं हो सका।
सरकार ने किसान संगठनों को नौ दिसंबर को अगले दौर की बातचीत का प्रस्ताव दिया है जिसे किसानों ने मान लिया है। बातचीत में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री पीयूष गोयल के अलावा चालीस किसान संगठनों के प्रतिनिधियों ने इस बैठक में हिस्सा लिया ।
किसान संगठनों ने आठ दिसंबर को भारत बंद का आह्वान किया है। किसान संगठन इस पर कायम हैं। बंद को कई ट्रेड यूनियन संगठनों और राजनीतिक दलों ने समर्थन दिया है ।कुछ किसान नेताओ ने कहा कि सरकार ने कुछ लचीला रुख अपनाया है लेकिन वे तीन कृषि कानूनों को वापस लिए जाने की मांग पर अडे हैं।
लगभग पांच घंटे तक चली बैठक के बाद श्री तोमर ने कहा कि सरकार किसानों के हितो की रक्षा को लेकर पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। एपीएम सी का विषय राज्यों से संबद्ध है और केंद्र सरकार इसे और मजबूत करना चाहती है।
उन्होंने कहा कि किसान नेता कुछ सुझाव देते तो समस्या का समाधान करना आसान हो जाता।
उन्होंने कहा कि छह साल के मोदी सरकार के कार्यकाल के दौरान कृषि के क्षेत्र में आमूलचूल परिवर्तन किए गए जिससे किसानों की आय बढ़ी।कृषि बजट बढ़ाया गया , कृषि उत्पादों का न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाया गया ,फसलों की खरीद बढ़ीऔर नई तकनीकों को अपनाया गया । किसान सम्मान निधि योजना के तहत किसानों को एक साल में 75 हजार करोड़ रुपए की आर्थिक सहायता दी गई है । कृषि आधारभूत संरचना कोष के तहत एक लाख करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है।
उन्होंने कहा कि किसान जबतक प्रसंस्करण से नहीं करेंगे तबतक उन्हें फसलों का अच्छा मूल्य नहीं मिलेगा ।
किसान नेता पाल कारण सिंह बराड़ ने कहा कि बैठक के दौरान सरकार ने जो दलील दी उसे खारिज कर दिया गया। किसानों ने जोर देकर कहा कि सरकार तीनों कानूनों को रद्द करें । सरकार ने तीनों कानूनों में संशोधन का प्रस्ताव दिया है।
बातचीत शुरू होने के पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आवास पर भी एक उच्च स्तरीय बैठक हुई समें श्री तोमर और श्री गोयल के अलावा गृह मंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी हिस्सा लिया। यह बैठक करीब दो घंटे तक चली।
सूत्रों के मुताबिक मंत्रियों ने किसान आंदोलन के कारण पैदा हुई स्थिति से प्रधानमंत्री को अवगत कराया। यह बैठक करीब डेढ़ घंटे तक चली। इस बैठक के बाद श्री मोदी और श्री शाह के बीच एक घंटे तक एक अन्य बैठक भी हुई।
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा है कि किसान संगठनों को आंदोलन का रास्ता छोड़ कर बातचीत से समस्या का समाधान करना चाहिए । उन्होंने कहा कि भारत बंद भी किया जाता है तो बातचीत से ही रास्ता निकल सकता है।
पिछले दस दिन से राष्ट्रीय राजधानी में चल रहे इस आंदोलन की सफलता को देखते हुए अन्य राज्यों में भी आन्दोलन शुरू हो गया है या राज्यों की ओर से किसानों का समर्थन किया गया है ।
बिहार में राष्ट्रीय जनता दल ने आज से धरना प्रदर्शन करने की घोषणा की है । भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी लेनिनवादी) ने भी किसानों की समस्याओं को लेकर आंदोलन करने का ऐलान किया है ।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने तृणमूल कांग्रेस की ओर से पार्टी के वरिष्ठ नेता डेरेक ओ ब्रायन को कल किसानों से मिलने भेजा था और वह करीब चार घंटे तक किसानों के साथ रहे। इस दौरान सुश्री बनर्जी ने टेलीफोन पर कई किसान नेताओं से बातचीत की और उन्हें हर तरह का समर्थन देने का आश्वासन दिया ।
दिल्ली की सीमा पर किसानों का जमावड़ा बढ़ता ही जा रहा है और वे राष्ट्रीय राजधानी के सभी रास्तों को बंद करने की धमकी भी दे रहे हैं ।
इस बीच हरियाणा ,पंजाब, उत्तर प्रदेश तथा कई अन्य राज्यों से आंदोलनकारी किसानों को खाने पीने की वस्तुओं की भरपूर मदद की जा रही है। इस आंदोलन को ट्रेड यूनियन संगठनों, ट्रांसपोर्ट यूनियनों तथा कुछ अन्य लोगों का भी समर्थन मिल रहा है।।