नयी दिल्ली 01 दिसंबर । किसान संगठनों ने कृषि समस्याओं के समाधान के लिए एक समिति बनाने के सरकार के प्रस्ताव को मंगलवार को ठुकरा दिया और आंदोलन जारी रखने का संकल्प व्यक्त किया ।
करीब साढे तीन घंटे चली बैठक के बाद कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बताया कि सरकार और किसान संगठनों के बीच अच्छी बातचीत हुई और गुरुवार को भी बातचीत जारी रहेगी। उन्होंने बताया कि सरकार ने किसानों की समस्याओं के समाधान के लिए एक समिति बनाने का सुझाव दिया था लेकिन इस पर आम सहमति नहीं बन पाई ।
बैठक में खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री पीयूष गोयल तथा वाणिज्य राज्य मंत्री सोम प्रकाश तथा 35 किसान नेताओं ने हिस्सा लिया । बैठक अपराह्न तीन बजे विज्ञान भवन में शुरू हुई थी ।
किसानों के प्रतिनिधियों ने बताया कि सरकार शांति चाहती है तो किसानों की समस्याओं का समाधान करे। किसान अपना आंदोलन जारी रखेंगे ।
इस बीच महाराष्ट्र तथा कई अन्य राज्यों के किसान प्रतिनिधियों ने राष्ट्रीय राजधानी में आकर आंदोलन के प्रति अपनी एकजुटता व्यक्त की ।
किसान संगठनों की सरकार के साथ वार्ता शुरू
इससे पहले कृषि कानून के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे किसान संगठन के 32 सदस्यों की सरकार के साथ उच्च स्तरीय बातचीत शुरू हुई ।
इससे पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पंजाब के किसान नेताओं से बात की और श्री योगेंद्र यादव को इस बैठक में शामिल नहीं करने का आग्रह किया। इस पर किसान संगठनों ने वार्ता का बहिष्कार करने का फैसला किया लेकिन श्री यादव को जब इसकी जानकारी मिली तो उन्होंने स्वयं बैठक में शामिल होने इनकार कर दिया।
बैठक में शामिल होने से पहले संयुक्त किसान मोर्चा की तरफ से कहा गया था कि उनकी सरकार के साथ बातचीत तभी संभव हो पायेगा जब उनके साथ सर्वश्री योगेंद्र यादव, हन्नान मोल्ला, शिव कुमार कक्काजी तथा गुरनाम सिंह चादुनी को बैठक में शामिल होने की अनुमति दी जाएगी।
श्री यादव ने कहा कि बातचीत महत्वपूर्ण है इसलिए उनकी वजह से वार्ता को रोकना सही नहीं है। उन्होंने किसानों नेताओं से कहा कि बिना उनके बारे में सोचे अपना निर्णय लें।
पुलिस की सुरक्षा में दो बसों में किसान नेताओं को बैठक स्थल पर लाया गया।
‘दिल्ली चलो’ प्रदर्शन: किसान संगठन ने केन्द्र का बातचीत का प्रस्ताव स्वीकार किया:
इससे पहले नए कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमा पर प्रदर्शन कर रहे किसानों ने केन्द्र का वार्ता का प्रस्ताव स्वीकार करने का फैसला किया ।
कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने सोमवार को कोविड-19 और ठंड का हवाला देते हुए किसान संगठनों के नेताओं को तीन दिसम्बर की बजाय मंगलवार को ही बातचीत के लिए बुलाया था।
किसान नेता बलजीत सिंह महल ने कहा, ‘‘ हमारी बैठक में, हमने केन्द्र का आज दोपहर तीन बजे बातचीत करने का प्रस्ताव स्वीकार करने का फैसला किया है। प्रदर्शन कर रहे किसानों के प्रतिनिधि केन्द्रीय मंत्रियों से मुलाकात करेंगे।’’
केन्द्र के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ हजारों किसान दिल्ली से लगे सीमा बिंदुओं पर मंगलवार को लगातार छठे दिन डटे रहे। किसानों को आशंका है कि इन कानूनों के कारण न्यूनतम समर्थन मूल्य समाप्त हो जाएगा।
तोमर ने सोमवार को कहा था, ‘‘ कोविड-19 और ठंड के मद्देनजर, हमने किसान संगठनों के नेताओं को पूर्वनिर्धारित तीन दिसम्बर की बैठक से पहले चर्चा के लिए आमंत्रित किया है।’’
उन्होंने बताया कि अब यह बैठक एक दिसम्बर को राष्ट्रीय राजधानी स्थित विज्ञान भवन में अपराह्न तीन बजे बुलायी गयी है।
उन्होंने बताया कि 13 नवम्बर को हुई बैठक में शामिल सभी किसान नेताओं को इस बार भी आमंत्रित किया गया है।
किसानों ने सोमवार को कहा था कि वे ‘‘निर्णायक लड़ाई’’ के लिए दिल्ली आए हैं और साथ ही उन्होंने प्रधानमंत्री से उनकी ‘‘मन की बात’’ सुनने की अपील की थी।
उन्होंने कहा कि उनकी मांगें पूरी होने तक वे अपना आंदोलन जारी रखेंगे।
‘दिल्ली चलो’ प्रदर्शन: केन्द्र के बातचीत के प्रस्ताव पर चर्चा के लिए किसान संगठनों ने बुलाई बैठक
नए कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमा पर प्रदर्शन कर रहे किसानों ने केन्द्र के वार्ता के प्रस्ताव पर चर्चा करने के लिए मंगलवार को एक बैठक बुलाई ।
किसान नेता बलजीत सिंह महल ने कहा, ‘‘ केन्द्र का प्रस्ताव स्वीकार करें या नहीं, इस पर चर्चा के लिए हम आज एक बैठक कर रहे हैं।’’
केन्द्र के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ हजारों किसान दिल्ली से लगे सीमा बिंदुओं पर मंगलवार को लगातार छठे दिन डटे हैं। किसानों को आशंका है कि इन कानूनों के कारण न्यूनतम समर्थन मूल्य समाप्त हो जाएगा।
किसानों के साथ मंत्रियों की उच्च स्तरीय समिति बातचीत में शामिल हैं । इस बैठक में उन सभी संगठनों को निमंत्रण दिया गया, जिन्हें पिछली बैठक में बुलाया गया था।
कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने कहा था कि सरकार किसानों से बातचीत कर समस्या का समाधान करना चाहती है। किसानों की समस्याओं को लेकर मोदी सरकार पूरी प्रतिबद्धता से खड़ी है। पिछले छह साल के दौरान कृषि और किसानों की आय बढ़ाने के लिए ऐतिहासिक कार्य हुए हैं। नए कृषि कानूनों को लेकर किसानों में भ्रम हुआ है। पहले भी किसानों के साथ दो दौर की वार्ता हुई है।
कृषि सचिव ने 14 अक्टूबर को बातचीत की थी जबकि 13 नवंबर को कृषि मंत्री तथा खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री ने किसान प्रतिनिधियों के साथ बातचीत की थी।
दरअसल, कृषि सुधार कानूनों के विरोध में किसान संगठन राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली पहुंच गए हैं और पिछले कई दिनों से कई प्रमुख सड़कों को जाम किए हुए हैं।
गृह मंत्री अमित शाह ने पहले किसान नेताओं को सड़क जाम समाप्त कर बुराड़ी मैदान में आकर लोकतांत्रिक तरीके से आंदोलन करने का प्रस्ताव दिया था और कहा था कि इस व्यवस्था के लागू होने पर अगले ही दिन किसानों के साथ बातचीत की जाएगी।
किसान संगठनों ने सरकार के सशर्त बातचीत के प्रस्ताव को कल ठुकरा दिया था और लंबे समय तक आंदोलन चलाने का संकेत दिया था। आंदोलन की अगुआई पंजाब के किसान कर रहे हैं जबकि अन्य राज्यों के प्रतिनिधि भी इसमें शामिल हो गए ।