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तमिलनाडु और महाराष्ट्र सहित 21 राज्यों को जीएसटी क्षतिपूर्ति की भरपाई के लिए केंद्र सरकार से मिली 78452 करोड़ रुपये जुटाने की अनुमति attacknews.in

नयी दिल्ली 14 अक्टूबर । सरकार ने तमिलनाडु को भी जीएसटी क्षतिपूर्ति की भरपाई के लिए 9627 करोड़ रुपये बाजार से जुटाने की अनुमति दे दी है।

वित्त मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार महाराष्ट्र सहित 20 राज्यों को कल यह अनुमति दी गयी थी और अब तमिलनाडु के भी विकल्प एक का चयन करने की इच्छा व्यक्त करने पर उसे भी यह अनुमति दे दी गयी है। इस तरह से अब तक 21 राज्यों को 78452 करोड़ रुपये जुटाने की अनुमति दी जा चुकी है।

20 राज्यों को 688215 करोड़ रुपये जुटाने की अनुमति मिली

कल सरकार ने महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और उत्तर प्रदेश सहित 20 राज्यों को जीएसटी क्षतिपूर्ति की भरपाई के लिए बाजार से 68825 करोड़ रुपये जुटाने की अनुमति दे दी  थी ।

वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग ने इन राज्यों को 68825 करोड़ रुपये अतिरिक्त जुटाने की अनुमति दी है। इन राज्याें को सकल राज्य घरेलू उत्पाद का 0.50 प्रतिशत राशि जुटाने की अनुमति मिली है।

देश में जीएसटी लागू करने के कारण राज्यों के राजस्व को होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए जीएसटी उपकर लगाया था और इसकी भरपाई इसी से की जा रही है। कोरोना के कारण राजस्व संग्रह में कमी आने के कारण राज्यों को क्षतिपूर्ति राजस्व नहीं मिल पा रहा है। इसके मद्देनजर केन्द्र ने राज्यों को क्षतिपूर्ति राजस्व की भरपाई दो विकल्प दिये थे जिसमें से 20 राज्यों ने पहले विकल्प का चयन कर बाजार से राशि जुटाने की इच्छा जतायी। हालांकि अधिकांश कांग्रेस शासित या उसके समर्थन से चल रही राज्य सरकारों ने इस विकल्प का चयन नहीं किया और वे केन्द्र को धनराशि जुटाकर देने की मांग की।

जीएसटी परिषद की दो चरणों में संपन्न 42वीं बैठक में इस पर सहमति नहीं बन पायी लेकिन राज्य इस पर सहमत हुये हैं कि बाजार से जुटायी जाने वाली उधारी का भुगतान करने के लिए क्षतिपूर्ति उपकर लगाने की अवधि को जुलाई 2022 के आगे बढ़ाने पर सहमत हो गये हैं।

जिन राज्यों ने पहले विकल्प का चयन किया है उनमें आंध्र प्रदेश, अरूणाचल प्रदेश, असम , बिहार, गोवा, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नगालैंड, ओडिशा, सिक्किम, त्रिपुरा, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड शामिल है। आठ राज्यों ने अब तक किसी विकल्प का चयन नहीं किया है। महाराष्ट्र को छोड़कर विपक्षी दलों द्वारा शासित किसी राज्य ने इस विकल्प को नहीं चुना है।

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