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केंद्रीय मंत्रिमंडल के कई निर्णय; 2019-2020 के लिए उत्पादकता से जुड़े बोनस और गैर उत्पादकता से जुड़े बोनस को मंजूरी दी,जम्मू कश्मीर पंचायती राज अधिनियम को मंजूरी attacknews.in

नईदिल्ली 21 अक्टूबर । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने साल 2019-2020 के लिए उत्पादकता से जुड़े बोनस भुगतान करने को अपनी मंजूरी प्रदान कर दी है। सरकार ने त्यौहारी सीजन में बाजार को गति देने के लिए 30 लाख 70 हजार गैर राजपत्रित केंद्रीय कर्मचारियों को 3737 करोड़ रुपए का बोनस की घोषणा की है।

इससे रेलवे, डाक, रक्षा, ईपीएफओ, ईएसआईसी, इत्यादि जैसे व्यवसायिक प्रतिष्ठानों के 16.97 लाख अराजपत्रित कर्मचारी लाभान्वित होंगे और वित्तीय भार 2,791 करोड़ रुपया होगा।

गैर-पीएलबी या एडहॉक बोनस अराजपत्रित केन्द्रीय कर्मचारियों को दिया जाएगा। इससे 13.70 लाख कर्मचारियों को लाभ मिलेगा और जिसका वित्तीय भार 946 करोड़ रुपया होगा।

बोनस की घोषणा से कुल 30.67 लाख कर्मचारियों को लाभ मिलेगा और कुल वित्तीय भार 3,737 करोड़ रुपया होगा।

पिछले साल अराजपत्रित कर्मचारियों को उनके प्रदर्शन के लिए बोनस का भुगतान आमतौर पर दुर्गा पूजा /दशहरा से पहले कर दिया जाता था। सरकार अपने अराजपत्रित कर्मचारियों के लिए उत्पादकता से जुड़े बोनस (पीएलबी) और एडहॉक बोनस के तत्काल भुगतान की घोषणा कर रही है।

बैठक के बाद सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावडेकर ने एक संवाददाता सम्मेलन में बताया कि उत्पादकता और गैर उत्पादकता आधारित यह बोनस वित्त वर्ष 2019 – 20 के लिए होगा और इसकी अदायगी विजयदशमी से पहले हो जाएगी। बोनस का भुगतान कर्मचारियों के बैंक खातों में किया जाएगा।

उन्होंने कहा कि उत्पादकता आधारित बोनस रेलवे, डाकतार, रक्षा उत्पाद, कर्मचारी भविष्य निधि संगठन और कर्मचारी राज्य बीमा निगम आदि के 16.97 लाख कर्मचारियों को इसका लाभ मिलेगा। इस पर 2791 करोड़ रुपए का व्यय आयेगा। गैर उत्पादकता बोनस केंद्र सरकार के 13.70 लाख कर्मचारियों को मिलेगा और इस पर 946 करोड़ रुपए का व्यय होगा। उन्होंने कहा कि यह पैसा मध्यम वर्ग के पास जाएगा और बाजार मे मांग में इजाफा होगा।

जम्मू कश्मीर पंचायती राज अधिनियम को मंत्रिमंडल की मंजूरी

केन्द्र सरकार ने जम्मू कश्मीर में लोकतंत्र को जमीनी स्तर पर स्थापित करने तथा सत्ता में लोगों की भागीदारी बढाने के उद्देश्य से जम्मू कश्मीर पंचायती राज अधिनियम 1989 लागू करने का निर्णय लिया है।

सूचना एवं प्रसारण मंत्री जावड़ेकर ने बताया कि मंत्रिमंडल ने जम्मू-कश्मीर पंचायती राज अधिनियम, 1989 को लागू करने का फैसला लिया है। इसके तहत वहाँ त्रिस्तरीय पंचायत व्यवस्था स्थापित हो पाएगी। इस फैसले से देश के अन्य हिस्सों की तरह जम्मू-कश्मीर में भी जमीनी स्तर पर लोकतंत्र के तीनों स्तरों को स्थापित करने में मदद मिलेगी।

उन्होंने कहा कि जब जम्मू कश्मीर में संविधान का अनुच्छेद 370 लागू था तो वहां तीन स्तरीय पंचायती राज प्रणाली लागू नहीं थी। इस अनुच्छेद को पिछले वर्ष समाप्त कर दिया गया था। इसके तहत राज्य को अनेक विशेष अधिकार मिले हुए थे।

श्री जावड़ेकर ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने संसद में जो वादे किये थे वे पूरे हो गये हैं। अब जम्मू कश्मीर के लोग गांव, ब्लाक तथा जिले के स्तर पर अपने प्रतिनिधि चुन सकेंगे। उन्होंने कहा कि स्थानीय निकायों के चुनावों की प्रक्रिया जल्द ही शुरू होगी।

भारत और नाइजीरिया के बीच शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए बाहरी अंतरिक्ष की खोज और इसके उपयोग में सहयोग पर हुए समझौता ज्ञापन को मंजूरी

केंद्रीय मंत्रिमंडल को शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए बाहरी अंतरिक्ष की खोज और इसके उपयोग में सहयोग पर भारत और नाइजीरिया के बीच हुए समझौता ज्ञापन (एमओयू) से अवगत कराया गया। एमओयू पर जून, 2020 में बेंगलुरु में भारत के भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) और अगस्त 13, 2020 को अबूजा में नाइजीरिया के राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुसंधान और विकास एजेंसी (एनएएसआरडीए) ने हस्ताक्षर किए हैं।

विवरण:

• यह समझौता ज्ञापन दोनों देशों को सहयोग के संभावित हित क्षेत्रों जैसे पृथ्वी की सुदूर संवेदन (रिमोट सेंसिंग); सैटलाइट संचार और सैटलाइट आधारित नेविगेशन; अंतरिक्ष विज्ञान एवं ग्रहों की खोज; अंतरिक्ष यान, लॉन्च व्हीकल, अंतरिक्ष प्रणालियों और जमीनी प्रणालियों का उपयोग; भू-स्थानिक उपकरण और तकनीक सहित अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के व्यावहारिक अनुप्रयोग; और सहयोग के अन्य क्षेत्रों को तय करने के लिए सक्षम बनाएगा।

• इस समझौता ज्ञापन के तहत एक संयुक्त कार्य दल का गठन किया जायेगा, जिसमें डीओएस / इसरो और नाइजीरिया के राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुसंधान और विकास एजेंसी (एनएएसआरडीए) के सदस्य शामिल होंगे। संयुक्त कार्य दल समय-सीमा और कार्यान्वयन के साधनों सहित कार्य योजना को अंतिम रूप देगा।

कार्यान्वयन रणनीति और लक्ष्य:

हस्ताक्षरित एमओयू के तहत एक संयुक्त कार्य दल का गठन किया जायेगा, जिसमें अंतरिक्ष विभाग (डीओएस) / इसरो और नाइजीरिया के राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुसंधान और विकास एजेंसी (एनएएसआरडीए) के सदस्य शामिल होंगे। संयुक्त कार्य दल समय-सीमा और कार्यान्वयन के साधनों सहित कार्य योजना को अंतिम रूप देगा।

प्रभाव:

हस्ताक्षरित एमओयू पृथ्वी की सुदूर संवेदन (रिमोट सेंसिंग); सैटलाइट संचार; सैटलाइट नेविगेशन; अंतरिक्ष विज्ञान और बाहरी अंतरिक्ष की खोज के क्षेत्र में नई अनुसंधान गतिविधियों और अनुप्रयोग संभावनाओं का पता लगाने के लिए प्रोत्साहन प्रदान करेगा।

व्यय:

हस्ताक्षरकर्ताओं का विचार है कि पारस्परिक रूप से तय किए गए कार्यक्रम सहयोग के आधार पर पूरे किए जाएंगे। इस तरह की गतिविधियों के लिए फंडिंग की व्यवस्था प्रति कार्य के आधार पर हस्ताक्षरकर्ताओं द्वारा पारस्परिक रूप से तय की जाएगी। इस समझौता ज्ञापन के तहत की जाने वाली संयुक्त गतिविधियों का वित्तपोषण, संबंधित हस्ताक्षरकर्ताओं के कानूनों और विनियमों के अनुसार किया जाएगा और यह इन उद्देश्यों के लिए आवंटित धन की उपलब्धता के अधीन होगा।

लाभार्थी:

इस समझौता ज्ञापन के माध्यम से नाइजीरिया सरकार के साथ सहयोग और मानवता के लाभ के लिए अंतरिक्ष प्रौद्योगिकियों के अनुप्रयोग के क्षेत्र में एक संयुक्त गतिविधि विकसित करने में सहायता मिलेगी। इस प्रकार, देश के सभी वर्गों और क्षेत्रों को लाभ मिलेगा।

पृष्ठभूमि:

भारत और नाइजीरिया लगभग एक दशक से औपचारिक अंतरिक्ष सहयोग करने के लिए प्रयासरत हैं। नाइजीरिया में भारतीय उच्चायोग की पहल के साथ, अंतरिक्ष सहयोग के लिए अंतर-सरकारी एमओयू का मसौदा एमईए के माध्यम से नाइजीरियाई अधिकारियों के साथ साझा किया गया था। राजनयिक माध्यमों से विचार-विमर्श के बाद, दोनों पक्षों ने समझौता ज्ञापन के एक व्यावहारिक मसौदा तैयार किया और आंतरिक अनुमोदन के लिए इसे आगे बढ़ाया। हालांकि एमओयू पर हस्ताक्षर करने की मंजूरी समय से मिल गई थी, लेकिन इस एमओयू पर हस्ताक्षर करने के लिए उचित अवसर नहीं मिल पाया था, क्योंकि 2019 के अंत और 2020 की शुरुआत में कोविड -19 महामारी के कारण कुछ यात्राओं को रद्द पड़ा था।

जम्मू एवं कश्मीर में वर्ष 2020-21 के लिए सेब की खरीद के लिए मार्केट इंटरवेंशन स्कीम के विस्तार को मंजूरी दी

मंत्रिमंडल ने पिछले सत्र यानी 2019-20 में जिस तरह से जम्मू कश्मीर में नियम और शर्तों का पालन किया गया था उसी तरह वर्तमान सत्र यानी 2020-21 में भी जम्मू एवं कश्मीर (जेएंडके) में सेब खरीद के लिए मार्केट इंटरवेंशन स्कीम के विस्तार को मंजूरी दे दी है।

सेब की खरीद केंद्रीय खरीद एजेंसी यानी राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ लिमिटेड (नैफेड) द्वारा राज्य नामित एजेंसी योजना और विपणन निदेशालय, बागवानी और जम्मू और कश्मीर बागवानी प्रसंस्करण और विपणन निगम (जेकेएचपीएमसी) के माध्यम से जम्मू एवं कश्मीर के सेब किसानों से सीधे की जाएगी और प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) के माध्यम से भुगतान किया जाएगा। इस योजना के तहत 12 लाख मीट्रिक टन सेब खरीदे जा सकते हैं।

सरकार ने नैफेड को इस अभियान के लिए 2,500 करोड़ रुपये की सरकारी गारंटी उपयोग करने की भी अनुमति दी है। इस अभियान में अगर कोई नुकसान होता है तो उसे 50:50 के आधार पर केंद्र सरकार और जम्मू एवं कश्मीर के केन्द्र शासित प्रदेश प्रशासन के बीच साझा किया जाएगा।

पिछले सत्र में गठित नामित मूल्य समिति को इस सीजन के लिए भी सेब के विभिन्न प्रकार और सेब के ग्रेड की कीमत निर्धारण के लिए जारी रखा जाएगा। जम्मू कश्मीर का केन्द्र शासित प्रशासन निर्दिष्ट मंडियों में मूलभूत सुविधाओं का प्रावधान सुनिश्चित करेगा।

खरीद प्रक्रिया के सुचारू और निरंतर कार्यान्वयन की निगरानी केंद्रीय स्तर पर कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में गठित निगरानी समिति द्वारा की जाएगी और केन्द्र शासित स्तर पर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में कार्यान्वयन और समन्वय समिति का गठन किया जाएगा।

भारत सरकार की यह घोषणा सेब उत्पादकों को एक प्रभावी विपणन मंच प्रदान करेगी और स्थानीय लोगों के लिए रोजगार सृजन की सुविधा मुहैया कराएगी। यह सेब के लिए पारिश्रमिक की कीमतें सुनिश्चित करेगा जिसके कारण जम्मू एवं कश्मीर में किसानों की समग्र आय में वृद्धि होगी।

मंत्रिमंडल ने आईसीएआई, भारत और सीपीए, पापुआ न्यू गिनी के बीच हुए एमओयू को स्वीकृति दी

मंत्रिमंडल ने पापुआ न्यू गिनी में क्षमता निर्माण और अकाउंटिंग, फाइनेंशियल तथा ऑडिट नॉलेज बेस को मजबूत बनाने के लिए इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंट्स ऑफ इंडिया (आईसीएआई) और सर्टिफाइड प्रैक्टिसिंग एकाउंटेंट्स, पापुआ न्यू गिनी (सीपीए पीएनजी) के बीच हुए समझौता ज्ञापन (एमओयू) को स्वीकृति प्रदान कर दी है।

क्रियान्यावयन रणनीति और लक्ष्य :

इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (आईसीएआई) और सर्टिफाइड प्रैक्टिसिंग एकाउंटेंट्स पापुआ न्यू गिनी निम्नलिखित क्षेत्रों में मिलकर काम करेंगे :-

  1. पीएनजी में तकनीकी कार्यक्रमों, सेमिनारों और सम्मेलनों का आयोजन और संचालन,
    
    1. कंपनी प्रशासन, तकनीक अनुसंधान और परामर्श, गुणवत्ता आश्वासन, फॉरेंसिंग एकाउंटिंग, कॉन्टिन्युइंग प्रोफेशनल डेवलपमेंट (सीपीडी) के क्षेत्रों और पारस्परिक भागीदारी वाले अन्य विषयों में संभावित सहयोग और भागीदारी कायम करना।
    2. भारत और पीएनजी में लेखा व्यवसाय से संबंधित उपलब्ध गैर प्रतिबंधित जानकारियों को साझा करना।

    3. विद्यार्थी और संकाय आदान-प्रदान कार्यक्रम शुरू करना।

    4. पीएनजी में लेखा, वित्त और ऑडिट के क्षेत्र में अल्पकालिक व्यावसायिक पाठ्यक्रमों की पेशकश करना।

    प्रमुख प्रभाव :

भारतीय चार्टर्ड एकाउंटेंट्स (सीए) स्थानीय कारोबारी समुदाय और वित्तीय रिपोर्टिंग के मामलों से जुड़े हितधारकों की सहायता कर रहे हैं तथा उन्हें खासी प्रतिष्ठा हासिल है। प्रस्तावित एमओयू से भरोसा और भी मजबूत होने का अनुमान है और इससे पापुआ न्यू गिनी में भारतीय चार्टर्ड एकाउंटेंट्स की सकारात्मक छवि तैयार होगी। आईसीएआई के पीएनजी चैप्टर सहित ऑस्ट्रेलेशिया-ओसीनिया क्षेत्र में सदस्यों की संख्या 3,000 से भी ज्यादा है। इस एमओयू के माध्यम से सीपीए, पीएनजी को मिलने वाली सहायता से क्षेत्र में मौजूद आईसीएआई के सदस्यों को फायदा होगा और आईसीएआई के सदस्यों को अतिरिक्त प्रोत्साहन मिलेगा।

पृष्ठभूमि

इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (आईसीएआई) भारत में चार्टर्ड एकाउंटेंट्स के व्यवसाय को विनियमित करने के लिए “द चार्टर्ड एकाउंटेंट्स अधिनियम, 1949” के अंतर्गत स्थापित की गई एक सांविधिक संस्था है। सर्टिफाइड प्रैक्टिसिंग एकाउंटेंट्स पापुआ न्यू गिनी (सीपीए पीएनजी), पापुआ न्यूगिनी में लेखा और ऑडिट मानकों के निर्धारण व लेखा व्यवसाय के हितों को प्रोत्साहन देने के लिए एकाउंटेंट्स अधिनियम, 1996 के अंतर्गत स्थापित प्रमुख लेखा व्यावसायिक संगठन है।

मंत्रिमंडल ने भारत के आईसीएआई और मलेशिया के एमआईसीपीए के बीच परस्‍पर मान्‍यता समझौते को मंजूरी दी

मंत्रिमंडल की बैठक में इंस्‍टीट्यूट ऑफ चार्टेर्ड एकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (आईसीएआई) और मलेशियन इं‍स्‍टीट्यूट ऑफ सर्टिफाइड पब्लिक एकाउंटेंट्स (एमआईसीपीए) के बीच परस्‍पर मान्‍यता समझौते को मंजूरी दी गई। इससे इन दोनों संस्‍थानों में से किसी भी एक के योग्‍य चार्टेर्ड एकाउंटेंट्स सदस्‍यों को अपनी मौजूदा एकाउंटेंसी योग्‍यता के समुचित अंकों के आधार पर दूसरे इं‍स्‍टीट्यूट में दाखिला लेने का मौका मिलेगा।

लागू करने की रणनीति और लक्ष्‍य:

आईसीएआई और एमआईसीपीए एक दूसरे की योग्‍यता को मान्‍यता देने के लिए परस्‍पर समझौता करेंगे। वे एक दूसरे के समुचित तौर पर योग्‍य सदस्‍यों को परीक्षा के विशिष्‍ट मॉड्यूल और तय आधार पर अपने यहां दाखिला देंगे। इस प्रस्‍तावित समझौता ज्ञापन में इन दोनों व्‍यावसायिक संस्‍थानों के उन चार्टेर्ड एकाउंटेंट सदस्‍यों को शामिल किया जाएगा, जिन्‍होंने शिक्षा, परीक्षा, नैतिक व्‍यवहार और व्‍यावहारिक अभ्‍यास समेत इन दोनों संस्‍थानों की सदस्‍यता अनिवार्यताओं को पूर्ण कर लिया है। आईसीएआई और एमआईसीपीए दोनों अपनी योग्‍यता/दाखिला अनिवार्यता, सतत पेशेवर विकास (कंटीन्‍यूइंग प्रोफेशनल डेवलपमेंट –सीपीडी) नीति, रियायतें और किसी भी अन्‍य प्रासंगिक मामले में हुए बदलावों की जानकारी देंगे।

प्रमुख प्रभाव:

आईसीएआई एशिया प्रशांत क्षेत्र में स्थित संस्‍थानों के साथ द्विपक्षीय सहयोग स्‍थापित करने की मंशा रखता है इसलिए वह एमआईसीपीए के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्‍ताक्षर करना चाहता है। इस वैश्विक माहौल में एकाउंटेंसी के पेशे के सामने मौजूद नई चुनौतियों का मुकाबला करने के अवसर का लाभ उठाकर ये दोनों एकाउंटेंसी संस्‍थान नेतृत्‍वकारी भूमिका निभा सकते हैं। इन दोनों नियामक संस्‍थानों के बीच औपचारिक समझौते से दोनों ओर के एकाउंटेंसी समुदाय के बीच बेहतर सामंजस्‍य और व्‍यापक स्‍वीकार्यता में वृद्धि होगी तथा अधिक व्‍यावसायिक अवसरों के विकास का रास्‍ता प्रशस्‍त होगा।

पृष्‍ठभूमि:

इंस्‍टीट्यूट ऑफ चार्टेर्ड एकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया एक वैधानिक निकाय है, जिसे ‘द चार्टेर्ड एकाउंटेंट्स एक्‍ट 1949’ के तहत स्‍थापित किया गया था। इसका कार्य भारत में चार्टेर्ड एकाउंटेंसी के व्‍यवसाय का नियमन करना है। मलेशियन इं‍स्‍टीट्यूट ऑफ सर्टिफाइड पब्लिक एकाउंटेंट्स कंपनी, मलेशिया के कंपनीज एक्‍ट 1965 के तहत काम करती है।

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