नईदिल्ली 4 दिसम्बर ।केन्द्र ने बहुप्रतीक्षित नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 सहित छह महत्वपूर्ण विधेयकाें को आज मंजूरी दी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की यहां हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया।
सूचना प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने यहां संवाददाताओं को बताया कि बैठक में नागरिकता संशोधन विधेयक और अनुसूचित जाति जनजाति के आरक्षण को दस साल बढ़ाने संबंधी विधेयक को मंजूरी दी गयी है। इसके अलावा संस्कृत के तीन डीम्ड विश्वविद्यालयों को मिला कर एक केन्द्रीय विश्वविद्यालय स्थापित करने संबंधी विधेयक, निजी डाटा की सुरक्षा सुनिश्चित करने वाले विधेयक, वरिष्ठ नागरिकों की देखभाल, स्वास्थ्य आदि की चिंता करने वाला विधेयक और श्रमसुधार संंबंधित विधेयक तथा जम्मू कश्मीर आरक्षण विधेयक को वापस लेने को भी मंजूरी दी गयी। उन्होंने कहा कि निजी डाटा की सुरक्षा का विधेयक भारत की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए लाया गया है।
यह पूछे जाने पर कि नागरिकता विधेयक में क्या नये प्रावधान एवं संशोधन शामिल किये गये हैं, श्री जावड़ेकर ने कहा कि विधेयक को संसद में पेश करने के बाद ही इसके बारे में कुछ बताया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि इस विधेयक में सभी नागरिकों के हितों की रक्षा की गयी है और ऐसे प्रावधान किये गये हैं जिनका सभी लोग स्वागत करेंगे।
यह पूछे जाने पर कि इस विधेयक को संसद में कब पेश किया जाएगा, सूचना प्रसारण मंत्री ने कहा कि विधेयक को सदन में गुरुवार या शुक्रवार को पेश किया जा सकता है लेकिन इसका निर्णय संसद करेगी। यह कहे जाने पर कि इस विधेयक का असम में विरोध शुरू हो गया है, श्री जावड़ेकर ने कहा कि विधेयक को संसद में आने दीजिये। लोग इसके प्रावधान जानकर इसका स्वागत ही करेंगे।
पत्रकारों ने जब अन्य विधेयकों के बारे में पूछा तो उन्होंने यह कह कर उसके प्रावधानों को बताने से इन्कार किया कि संसद में पेश किये जाने के बाद ही जानकारी मिल पाएगी।
उन्होंने कहा कि आरक्षण को दस साल के लिए लागू किया जाता है और सामाजिक न्याय की दिशा में उसकी समीक्षा के बाद उसकी अवधि बढ़ायी जाती है। अब आरक्षण की अवधि को 2020 से 2030 तक के लिए बढ़ाया जा रहा है। इसके लिए मंत्रिमंडल ने स्वीकृति दे दी है।
उन्होंने बताया कि श्रम मामलों से जुड़े कुल 44 कानून थे और श्रम सुधारों के तहत जिन्हें मिला कर चार कर दिया गया था। इनमें से एक विधेयक को स्थायी समिति को भेजा गया है और एक पारित हो चुका है। एक विधेयक लंबित है और चाैथे को पेश किया जाना है। मजदूरों को न्याय दिलाने के लिए मोदी सरकार प्रतिबद्ध है।
नागरिकता संशोधन विधेयक को मंजूरी :
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को जिस नागरिकता संशोधन विधेयक को मंजूरी दी उसका कई विपक्षी दल विरोध कर रहे हैं ।
इस विधेयक में पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से शरणार्थी के तौर पर आए उन गैर मुसलमानों को नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान है जिन्हें धार्मिक उत्पीड़न का सामना करना पड़ा हो।
सूत्रों ने बताया कि 1955 के नागरिकता अधिनियम को संशोधन करने वाले इस विधेयक को संसद के शीतकालीन सत्र में पेश किया जा सकता है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इस आशय के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई ।
विपक्षी दल इस विधेयक को बांटने वाला एवं साम्प्रदायिक बता रहे हें । इसे भाजपा की विचारधारा से जुड़े महत्वपूर्ण आयाम का हिस्सा माना जा रहा है जिसमें शरणार्थी के तौर पर भारत में रहने वाले गैर मुसलमानों को नागरिकता देने का प्रस्ताव किया गया है । इनमें से ज्यादातर लोग हिन्दू हैं । इसके माध्यम से उन्हें उस स्थिति में संरक्षण प्राप्त होगा जब केंद्र सरकार देशव्यापी राष्ट्रीय नागरिक पंजी की योजना को आगे बढ़ायेगी ।
कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस सहित कुछ विपक्षी दलों ने इसकी तीखी आलोचना की है ।
नागरिकता (संशोधन) विधेयक पर विरोध जताते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने बुधवार को कहा कि इससे संविधान का मूलभूत सिद्धान्त कमतर होता है।
थरूर ने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि विधेयक असंवैधानिक है क्योंकि विधेयक में भारत के मूलभूत विचार का उल्लंघन किया गया है। वो लोग जो यह मानते हैं कि धर्म के आधार पर राष्ट्र का निर्धारण होना चाहिए…इसी विचार के आधार पर पाकिस्तान का गठन हुआ।’’
उन्होंने कहा कि हमने सदैव यह तर्क दिया है कि राष्ट्र का हमारा वह विचार है जो महात्मा गांधी, नेहरूजी, मौलाना आजाद, डा. आंबेडकर ने कहा कि धर्म से राष्ट्र का निर्धारण नहीं हो सकता।’’ यह विधेयक लोकसभा में पारित हो जायेगा क्योंकि निचले सदन में भाजपा को बड़ा बहुमत है । राज्यसभा में भी उसे कोई गंभीर अवरोध की संभावना नहीं है क्योंकि अतीत में उसे बीजद, टीआरएस, वाईएसआर कांग्रेस जैसे दलों का समर्थन मिला है ।
गृह मंत्री अमित शाह सहित भाजपा के शीर्ष नेताओं ने इस विषय पर राजनीतिक दलों एवं पूर्वोत्तर के नागरिक समूहों से व्यापक चर्चा की है और उनकी चिंताओं को दूर करने का प्रयास किया है ।
राज्यों को अवैध प्रवासियों की पहचान व कार्रवाई करने के लिए कहा गया : केंद्र
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने बुधवार को राज्यसभा में कहा कि अवैध प्रवासियों के मामलों में सरकार तत्पर है और कार्रवाई किए जाने के कारण ऐसे लोगों की संख्या में खासी कमी आयी है।
राय ने उच्च सदन में प्रश्नकाल के दौरान पूरक सवालों के जवाब में यह टिप्पणी की। उन्होंने बताया कि 2008-13 के बीच 29 लाख लोग यात्री के रूप में भारत में आए। वे इलाज के लिए, व्यापारी या पर्यटक के रूप में यहां आए। वहीं 2014 से 2017 के बीच ऐसे यात्रियों की संख्या बढ़कर 56 लाख हो गई। ऐेसे यात्रियों में से कई लोग वीजा की अवधि समाप्त होने के बाद भी यहीं रह गए। उन्होंने कहा कि केंद्र ने राज्यों को ऐसे मामलों में कार्रवाई के लिए अधिकृत किया है। उन्होंने बताया कि 2008 से 2013 के बीच अवैध प्रवासियों की संख्या 1.34 लाख थी जो 2014 से 2017 के बीच घटकर एक हजार रह गयी।
राय ने कहा कि अवैध प्रवासी देश में वैध यात्रा दस्तावेजों के बिना चोरी-छिपे और छल से प्रवेश कर जाते हैं। बांग्लादेशी नागरिकों सहित अवैध रूप से रहने वाले विदेशी लोगों का पता लगाना और उनका निर्वासन एक सतत प्रक्रिया है।
उन्होंने कहा कि गृह मंत्रालय ने राज्य सरकारों को निर्देश जारी किया है जिनमें उन्हें अवैध प्रवासियों की पहचान करने, उनकी बायोग्राफिक और बायोमीट्रिक संबंधित जानकारियां एकत्र करने, जाली भारतीय दस्तावेज रद्द करने और कानूनी प्रावधानों के अनुसार निर्वासन की कार्यवाही आदि के लिए विधि प्रवर्तन और खुफिया एजेंसियों को सूचना देने की सलाह दी गयी है।
उन्होंने कहा कि गलत ढंग से आधार कार्ड प्राप्त करने वाले अवैध प्रवासियों की जानकारियां उपयुक्त कानूनी कार्रवाई के लिए यूआईडीएआई के साथ साक्षा करने की भी सलाह दी गयी है।
राय ने कहा कि अवैध प्रवासियों द्वारा जालसाजीपूर्वक प्राप्त किसी पहचान संबंधी दस्तावेज जैसे वोटर कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, राशन कार्ड आदि निरस्त करने के लिए भी राज्यों से कहा गया है।
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने लोकसभा, विधानसभाओं में एससी/एसटी आरक्षण की मियाद बढ़ाई:
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने लोकसभा तथा राज्य विधानसभाओं में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षण की अवधि को और 10 साल के लिए बढ़ाने संबंधी प्रस्ताव को बुधवार को मंजूरी दे दी।
इन श्रेणियों के लिए लोकसभा और विधानसभाओं में आरक्षण की अवधि 25 जनवरी 2020 को समाप्त हो जाती।
सरकार आरक्षण की मियाद बढ़ाने के लिए इस सत्र में एक विधेयक लाएगी।
एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने बताया कि विधायिका में एससी और एसटी के लिए आरक्षण संवैधानिक संशोधनों के जरिए किया जाता है जबकि इन श्रेणियों के लिए नौकरियों में इस तरह का आरक्षण देने का फैसला संबंधित राज्य सरकारें करती हैं।
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारत निर्वाचन आयोग और मालदीव के चुनाव आयोग के बीच चुनाव प्रबंधन एवं प्रशासन के क्षेत्र में सहयोग के लिए एमओयू को मंजूरी दी:
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारत निर्वाचन आयोग और मालदीव के चुनाव आयोग के बीच चुनाव प्रबंधन एवं प्रशासन के क्षेत्र में सहयोग के लिए समझौता ज्ञापन (एमओयू) के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। इसमें चुनाव प्रक्रिया के संगठनात्मक और तकनीकी विकास के क्षेत्र में जानकारियों एवं अनुभव का आदान-प्रदान, सूचना साझा करने में सहयोग, संस्थागत मजबूती एवं क्षमता निर्माण, कर्मचारियों का प्रशिक्षण और नियमित आधार पर विचार-विमर्श आदि शामिल है।
प्रस्तावित एमओयू द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ावा देगा। इसका लक्ष्य मालदीव के चुनाव आयोग को तकनीकी सहायता/क्षमता निर्माण में सहायता देना, चुनाव प्रबंधन एवं प्रशासन के क्षेत्र में सहयोग पर ध्यान देना है।
मंत्रिमंडल ने रेलवे में जर्मनी के साथ अनुबंध को मंजूरी दी:
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल को रेल के क्षेत्र में रणनीतिक परियोजनाओं पर सहयोग से संबंधित भारत और जर्मनी के बीच संयुक्त आशय घोषणा (जेडीआई) की जानकारी दी गई। संयुक्त आशय घोषणा (जेडीआई) पर पिछले महीने हस्ताक्षर हुए थे।
लाभ:
जर्मनी फेडरल गणराज्य के आर्थिक मामलों तथा ऊर्जा मंत्रालय के साथ संयुक्त आशय घोषणा (जेडीआई) भारतीय रेल को रेलवे के क्षेत्र में नवीनतम विकास और ज्ञान को साझा करने का मंच उपलब्ध कराएगा। संयुक्त आशय घोषणा (जेडीआई) सूचनाओं के आदान-प्रदान, विशेषज्ञों की बैठक, सेमिनार तकनीकी दौरे तथा संयुक्त सहमति के सहयोगी परियोजनाओं के क्रियान्वयन की सुविधा प्रदान करेगा।
पृष्ठभूमि:
रेल मंत्रालय ने विभिन्न विदेशी सरकारों व नेशनल रेलवे साथ रेल क्षेत्र में प्रौद्योगिकी सहयोग के लिए समझौता ज्ञापनों/सहयोग ज्ञापनों/ प्रशासनिक व्यवस्थाओं/संयुक्त आशय घोषणा-पत्रों पर हस्ताक्षर किए हैं। सहयोग के इन क्षेत्रों में शामिल हैं- हाई स्पीड रेल, वर्तमान रेल मार्गों पर गति तेज करना, विश्वस्तरीय स्टेशनों का विकास, भारी वजन परिचालन, रेल अवसंरचना का आधुनिकीकरण आदि।
समझौता ज्ञापन/सहयोग ज्ञापन/प्रशासनिक व्यवस्था/संयुक्त आशय घोषणा-पत्र विशिष्ट प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में एवं जानकारी साझा करने के लिए तकनीकी विशेषज्ञों, रिपोर्टों व तकनीकी दस्तावेजों, प्रशिक्षण और सेमिनार/कार्याशाला के आदान-प्रदान की सुविधा प्रदान करता है।
प्रगति मैदान पर भू-मुद्रीकरण को मंजूरी, फाइव स्टार होटल का निर्माण होगा :
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने योजना को मंजूरी दी है और एसपीवी के पक्ष में 611 करोड़ रूपये के मूल्य पर 99 वर्ष के लीज होल्ड के तहत 3.7 एकड़ भूखंड को हस्तांतरित करने के लिए भारत व्यापार संवर्धन संगठन (आईटीपीओ) को अधिकृत किया गया है। फाइव स्टार होटल के विकास और संचालन के लिए भारतीय पर्यटन विकास निगम (आईटीडीसी) तथा भारतीय रेलवे खानपान और पर्यटन निगम (आईआरसीटीसी) एक विशिष्ट उद्देश्य कंपनी का गठन करेंगे।
अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शनी और सम्मेलन केंद्र (आईईसीसी) परियोजना के कार्यान्यवन का कार्य तेजी से चल रहा है और इसके वर्ष 2020-21 तक पूरे होने की संभावना है।
प्रगति मैदान पर होटल निर्माण कार्य जल्द समाप्त करने के लिए एसपीवी आवश्यक कदम उठाएगी, जिनमें शामिल हैं – लंबी अवधि की लीज के आधार पर होटल के निर्माण, संचालन और प्रबंधन के लिए पारदर्शी व प्रतिस्पर्धी निविदा प्रक्रिया के तहत तीसरा पक्ष विकासकर्ता व संचालनकर्ता का चयन।
भारत की अवसंरचना और पर्यटन को सर्वश्रेष्ठ मानकों और सेवाओं के अनुसार विकसित करने से संबंधित सरकार की दृष्टि के अनुरूप आईटीपीओ प्रगति मैदान का पुर्नविकास कर इसे विश्वस्तरीय आईईसीसी बनाने के लिए इस मेगा परियोजना का कार्यान्वयन कर रहा है। पूरे विश्व में होटल सुविधा किसी बैठक, पहल, सम्मेलन और प्रदर्शनी (एमआईसीई) का अभिन्न अंग होती है।
होटल सुविधा आईईसीसी परियोजना का अभिन्न हिस्सा है, जो भारत को वैश्विक बैठकों, पहलों, सम्मेलनों और प्रदर्शनियों (एमआईसीई) के हब के रूप में प्रोत्साहन प्रदान करेगा तथा रोजगार सृजन के साथ व्यापार व वाणिज्य को बढ़ावा देगा। होटल आईईसीसी परियोजना का मूल्य संवर्धन करेगा और भारतीय व्यापार व उद्योग को लाभ प्रदान करेगा।
इसके अलावा अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेले को प्रगति मैदान के इस रूपांतरण से लाभ मिलेगा जिसमें प्रतिवर्ष लाखों की संख्या में व्यापारी और आम लोग भाग लेते हैं। भाग लेने वाले व्यापारियों, उद्यमियों और लोगों को इन आधुनिक सुविधाओं से बहुत लाभ मिलेगा। व्यापार मेले में भाग लेने वाले लोगों की संख्या में वृद्धि होगी। लोगों को एक प्लेटफॉर्म मिलेगा जहां वे अपने व्यापार का विस्तार कर सकेंगे तथा भारतीय वस्तुओं और सेवाओं को बढ़ावा दे सकेंगे।
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारत बॉन्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड शुरू करने को मंजूरी दी:
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) ने भारत बॉन्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) बनाने और इसकी शुरुआत करने को मंजूरी दे दी है। इसे केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (सीपीएसयू), केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों (सीपीएसई), केंद्रीय सार्वजनिक वित्तीय संस्थानों (सीपीएफआई) और दूसरे सरकारी संगठनों के लिए पूंजी के अतिरिक्त स्रोत के तौर पर लाया गया है। भारत बॉन्ड ईटीएफ देश में पहले कार्पोरेट बॉन्ड ईटीएफ होगा।
भारत बॉन्ड ईटीएफ की विशेषताएं:
ईटीएफ सीपीएसई/सीपीएसयू/सीपीएफआई/दूसरे सरकारी संगठनों के बॉन्ड (शुरुआत में सभी एएए बॉन्ड ) के बॉन्डस की बास्केट होगा।
· विनिमय पर व्यापार योग्य।
· 1,000 रुपये की छोटी ईकाई।
· पारदर्शी एनएवी (दिनभर एनएवी का सामयिक लाइव)।
· पारदर्शी पोर्टफोलियो (वेबसाइट पर रोजाना प्रकाशन)।
· कम लागत (0.0005%)।
भारत बॉन्ड ईटीएफ का ढांचाः
· प्रत्येक ईटीएफ की एक निर्धारित परिपक्वता तिथि होगी।
· ईटीएफ जोखिम पुनरावृत्ति के आधार पर बुनियादी सूचकांक पर नजर रखेगा यानी क्रेडिट गुणवत्ता और सूचकांक की औसत परिपक्वता का मिलान करेगा।
· सीपीएसई, सीपीएसयू, सीपीएफआई अथवा दूसरे सरकारी संगठनों के बॉन्ड्स के ऐसे पोर्टफोलियो में निवेश करेगा, जो ईटीएफ की परिपक्वता अवधि से पहले अथवा उसी समय परिपक्व होंगे।
· अभी तक इसमें दो परिपक्वता श्रेणियां है – तीन एवं 10 वर्ष। प्रत्येक श्रेणी में उसी परिपक्वता श्रेणी का एक अलग सूचकांक होगा।
सूचकांक की कार्यप्रणालीः
· सूचकांक का निर्माण एक स्वतंत्र सूचकांक प्रदाता – राष्ट्रीय स्टॉक एक्सचेंज – द्वारा किया जाएगा
· विशिष्ट परिपक्वता वर्षों – 3 एवं 10 वर्ष को ट्रैक करने वाले विभिन्न सूचकांक।
निवेशकों को भारत बॉन्ड ईटीएफ का लाभः
· बॉन्ड ईटीएफ सुरक्षा (सीपीएसई और दूसरी सरकारी संस्थाओं द्वारा जारी किए गए खास बॉन्ड), नकदी (विनिमय पर व्यापार योग्य) और अनुमानित कर कुशल रिटर्न उपलब्ध कराएगा।
· यह खुदरा निवेशकों को कम राशि के बॉन्ड्स (1,000 रुपये तक) में पहुंच उपलब्ध कराएगा, जिससे बॉन्ड बाजारों में आसान और कम लागत वाली पहुंच मिल सके।
· यह खुदरा निवेशकों की भागीदारी को बढ़ाएगा, जो नकदी और पहुंच में बाधाओं के चलते बॉन्ड बाजारों में भागीदारी नहीं करते हैं।
· कूपन के तौर बॉन्ड की तुलना में मामूली कर की दरों पर बॉन्ड, कर दक्षता लाते हैं। बॉन्ड ईटीएफ सूचीकरण के लाभ के साथ होते हैं, यह निवेशकों को होने वाले पूंजीगत लाभ पर टैक्स में काफी कमी लाता है।
सीपीएसई के लिए भारत बॉन्ड ईटीएफ के लाभ
· बॉन्ड ईटीएफ सीपीएसई, सीपीएसयू, सीपीएफआई और दूसरे सरकारी संगठनों को अपनी कर्ज की जरूरतों को पूरा करने के लिए बैंकिंग वित्त व्यवस्था से अलग एक अतिरिक्त स्रोत उपलब्ध कराता है।
· यह खुदरा और एचएनआई भागीदारी के जरिये उनके निवेशकों का आधार बढ़ाता है, जिससे उनके बॉन्ड की मांग बढ़ सकती है। बॉन्ड की मांग बढ़ने के साथ इसके जारीकर्ता कम लागत पर उधार लेने में सक्षम हो सकते हैं, जिससे एक नियत समयावधि के लिए उधार लेने की उनकी लागत कम हो जाती है।
· विनिमय पर व्यापार से बॉन्ड ईटीएफ बुनियादी बॉन्ड्स के लिए बेहतर कीमत का पता लगाने में मदद करेगा।
· चूंकि सीपीएसई की उधार की जरूरतों का आकलन करने के लिए प्रत्येक वर्ष एक व्यापक ऋण कैलेंडर तैयार और अनुमोदित किया जाएगा, यह कम से कम इस निवेश की सीमा तक सीपीएसई में उधार अनुशासन को विकसित करेगा।
बॉन्ड बाजारों पर प्रभाव
· नियत लक्ष्य वाले परिपक्वता बॉन्ड ईटीएफ से समूचे कैंलेडर वर्ष में विभिन्न परिपक्वताओं के साथ एक मुनाफा श्रेणी और बॉन्ड ईटीएफ का सोपान बनने की उम्मीद है।
· ईटीएफ से भारत में नए बॉन्ड ईटीएफ को लेकर एक नया ईको-सिस्टम यानी पारिस्थितिकी तंत्र – मार्केट मेकर्स, सूचकांक प्रदाता एवं निवेशकों में जागरुकता – बनने की उम्मीद है।
· इससे भारत में बॉन्ड ईटीएफ का दायरा बढ़ने की संभावना है। इससे व्यापक स्तर पर प्रमुख उद्देश्यों – बॉन्ड बाजारों को मजबूत बनाने, खुदरा भागीदारी को बढ़ाने और उधार लेने की लागत को कम करने – को हासिल किया जा सकेगा।