भोपाल, 17 फरवरी । केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओपन स्कूलिंग (एनआईओएस) की ओर से आयोजित सेकेंड्री और सीनियर सेकेंड्री परीक्षाओं में जालसाजी के मामले में भोपाल स्थित विशेष अदालत के समक्ष आठ आरोपियों के खिलाफ अनुपूरक चालान पेश किया है।
सीबीआई की ओर से आज मुहैया करायी गयी जानकारी के अनुसार यह परीक्षा अप्रैल 2017 में आयोजित की गयी थी और जुलाई 2018 में सीबीआई की ओर से प्रकरण दर्ज किया गया था। जांच के बाद दो आरोपियों के खिलाफ मई 2019 में चालान (आरोपपत्र) पहले ही दाखिल किया जा चुका है।
नेशनल इस्टीट्यूट ओपन स्कूलिंग (एनआईओएस) में अप्रैल 2017 में आयोजित माध्यमिक और वरिष्ठ माध्यमिक परीक्षाओं के दौरान गड़बड़ घोटाले में सीबीआई ने कुल 8 आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र मध्य प्रदेश के भोपाल जिले की विशेष अदालत के सामने दायर कर दिया है. इस मामले में आरोप है कि जिन परीक्षार्थियों को पास दिखाया गया था वह परीक्षा में शामिल ही नहीं हुए थे.
सीबीआई प्रवक्ता आरसी जोशी के मुताबिक, आरोपपत्र में जिन आरोपियों के नाम शामिल किए गए हैं उनमें आशीष मेसी, मनोज कुमार बोरा, राजेश कुमार, संदीप कुमार, धनीराम, भास्कर मेथी, राहुल कुमार और अनीश कुमार यादव के नाम शामिल हैं।
सीबीआई प्रवक्ता के मुताबिक, मामला नेशनल इस्टीट्यूट ओपन स्कूलिंग (एनआईओएस) की अप्रैल 2017 में में हुई परीक्षा में धांधली से जुड़ा हुआ है. इस मामले में आरोप लगा था कि मध्य प्रदेश के सीहोर रतलाम और उमरिया जैसे तीन परीक्षा केंद्रों पर उक्त यूनिवर्सिटी द्वारा आयोजित 10वीं और 12वीं की परीक्षाओं में बड़ी संख्या में ऐसे छात्र शामिल नहीं हुए थे जिन्हें यूनिवर्सिटी द्वारा पास दिखाया गया था।
यह भी आरोप लगाया गया था कि आरोपियों ने छात्रों के परीक्षा केंद्रों उत्तर पुस्तिका आदि की उपस्थिति सीट में जालसाजी और हेराफेरी की. आरोपियों द्वारा कथित रूप से अनुपस्थित विद्यार्थियों की अनुपयोगी उत्तर पुस्तिकाओं का इस्तेमाल किया गया. इस मामले में काफी हो-हल्ला मचने के बाद सीबीआई ने 23 जुलाई 2018 को जांच के लिए मामला दर्ज कर लिया।
जांच के बाद सीबीआई ने इस मामले में अपना पहला आरोपपत्र दो मुख्य आरोपियों के खिलाफ 13 मई 2019 को कोर्ट के सामने दाखिल किया था. सीबीआई प्रवक्ता के मुताबिक, पहला आरोपपत्र दायर होने के बाद भी सीबीआई की जांच इस मामले में जारी रही और अब इस मामले में आठ और आरोपियों को सीबीआई की जांच में दोषी पाया गया. लिहाजा इन सभी के खिलाफ अब सीबीआई की विशेष अदालत के सामने आरोप पत्र दायर किया गया है मामले की जांच अभी भी जारी है।
ध्यान रहे कि सरकारी परीक्षा क्षेत्रों में भी गड़बड़ घोटाले के कई मामले लगातार सामने आते रहे हैं. इनमें मध्य प्रदेश में व्यापम घोटाला, उत्तर प्रदेश में हुआ यूपी पीएससी घोटाला आदि के नाम मुख्य रूप से शामिल हैं।
NIOS स्कैम: सीबीआई ने 26 ठिकानों पर की थी छापेमारी, मिले थे कई अहम सुराग:
28 नवम्बर 2018 की रिपोर्ट के अनुसार नेशनल इंस्टीटयूट ऑफ ओपन स्कूलिंग यानि NIOS घोटाले की जांच कर रही केंद्रीय जांच ब्यूरो ने बीते दो दिनों 25 और 26 नवम्बर में 6 राज्यों मध्य प्रदेश, हरियाणा, ओडिशा, नई दिल्ली, असम और सिक्किम के साथ ही साथ एनआईओएस के एक अधिकारी के परिसर व अध्ययन केंद्रों सहित कुल 26 जगहों पर सर्च ऑपरेशन चलाया।
सर्च ऑपरेशन में सीबीआई को हार्ड डिस्क, कंप्यूटर, उत्तर पत्र (Answer Sheet), फीस भुगतान और परीक्षा हॉल की सीट योजना बरामद की थी।
सीबीआई ने एनआईओएस के एक अज्ञात अधिकारी के खिलाफ एचआरडी मंत्रालय के आदेश पर बीते 23 जुलाई को मुकदमा दर्ज किया था।
आपको बता दें कि नेशनल इंस्टीटयूट ऑफ ओपन स्कूलिंग यानि एनआईओएस की दसवीं और बारहवीं की परीक्षा में ऐसे 2000 हजार से ज्यादा छात्र पास कर दिए गए जो परीक्षा में बैठे ही नहीं थे। जांच में यह भी पता चला है कि इस हेराफेरी में एनआईओएस के कुछ अधिकारी, छात्र और प्राइवेट लोग भी शामिल हैं।
बताया गया कि एक बड़ी रकम गुवाहाटी स्थित एनआईओएस के एक कमर्चारी के खाते में भेजी गई थी। यह रकम दिल्ली स्थित एक व्यक्ति के खाते से भेजी गई।
गौरतलब है कि शैक्षणिक सत्र 2016-17 में हजारों की संख्या में बिना पेपर दिए छात्र पास हुए थे। यह सब कोचिंग सेंटर और एनआईओएस के संलिप्त अधिकारियों की मिलीभगत से चल रहा था। ये वही कोचिंग सेंटर हैं जिनके गली-मोहल्ले में 9वीं पास सीधे 10वीं और 11वीं फेल 12वीं कक्षा पास करें का इश्तहार जगह-जगह चिपके रहते हैं। ये कोचिंग सेंटर ही पैसों के दम पर बिना परीक्षा दिए ही छात्रों को पास कराने का ठेका उठाते हैं और ओपन स्कूल के अधिकारियों की मदद से उन्हें पास करा देते हैं।