मुंबई, 26 मई । सीबीआई ने बुधवार को बम्बई उच्च न्यायालय को बताया कि वह पुलिस तैनाती और तबादलों में कथित भ्रष्टाचार के बारे में वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी रश्मि शुक्ला द्वारा दर्ज करायी शिकायतों से संबंधित दस्तावेजों की मांग करते हुए महाराष्ट्र सरकार को भेजे पत्रों पर नौ जून तक कोई कार्रवाई नहीं करेगी।
सीबीआई की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस वी राजू ने न्यायमूर्ति एस जे कथावाला और न्यायमूर्ति एस पी तावड़े की अवकाशकालीन पीठ के समक्ष यह बात कही। यह पीठ राज्य सरकार की एक याचिका पर सुनवाई कर रही है।
सरकार ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ 21 अप्रैल को एजेंसी द्वारा दर्ज प्राथमिकी से दो पैराग्राफ रद्द करने और इनके संबंध में कोई जांच न करने का निर्देश देने का अनुरोध किया था।
सीबीआई ने पांच अप्रैल को उच्च न्यायालय के एक आदेश पर राकांपा नेता देशमुख के खिलाफ प्रारंभिक जांच करने के बाद प्राथमिकी दर्ज की थी।
राजू ने बुधवार को अवकाशकालीन पीठ से कहा कि राज्य सरकार की याचिका पर उसी पीठ को सुनवाई करनी चाहिए जिसने पांच अप्रैल का आदेश पारित किया था।
न्यायमूर्ति कथावाला ने कहा कि अगर मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति जी एस कुलकर्णी की पीठ इस मामले की सुनवाई करती है तो उन्हें कोई आपत्ति नहीं है लेकिन तब तक सीबीआई को जांच में राज्य सरकार से सूचना लेने के संबंध में ‘‘अपनी कार्रवाई रोकनी’’ चाहिए।
राजू ने कहा, ‘‘हम इस याचिका को दूसरी पीठ के समक्ष पेश किए जाने तक सीबीआई द्वारा महाराष्ट्र सरकार से मांगे दस्तावेजों को पेश करने के संबंध में कार्रवाई नहीं करेंगे। यह राज्य सरकार से मांगी जानकारियों तक ही सीमित होगा न कि पूरी जांच के संबंध में।’’
अदालत ने यह बयान स्वीकार कर लिया और उच्च न्यायालय के पंजीयक कार्यालय को याचिका को आठ जून को मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति जी एस कुलकर्णी की पीठ के समक्ष पेश करने का निर्देश दिया।