ऋषिगंगा नदी के उपर झील मिली;आपदा लाने वाली इस नदी के उपरी क्षेत्र में झील बनने से त्रासदी ग्रस्त चमोली में भय का माहौल attacknews.in

देहरादून, 12 फरवरी । आपदा लाने वाली ऋषिगंगा नदी के उपरी क्षेत्र में एक झील बनने से त्रासदी ग्रस्त चमोली में भय का माहौल बन गया है।

उपग्रह से मिली तस्वीरों में ऋषिगंगा नदी के उपर झील के बनने की पुष्टि होने के बाद हालांकि, मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि इससे घबराने की जरूरत नहीं है बल्कि सावधान रहने की जरूरत है।

रावत ने कहा कि झील के बारे में पता चला है और हम उपग्रह की मदद से उसपर निगाह रखे हुए हैं। उन्होंने कहा कि यह झील 400 मीटर लंबी है लेकिन इसकी गहराई के बारे में अभी अनुमान नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘अभी तक झील की जो स्थिति है उसके बारे में सावधान रहने की जरूरत है। घबराने की जरूरत नहीं है।’’

उत्तराखंड के वैज्ञानिकों को ऋषिगंगा नदी के छह किलोमीटर उपर एक झील मिली है लेकिन अभी यह पता नहीं चल पाया है कि इससे निचले इलाकों की बसावट को कोई खतरा है या नहीं।

इस झील का पता लगाने वाले वाडिया इंस्टीटयूट आफ हिमालयन जियोलॉजी के निदेशक कलाचंद साई ने बताया कि संस्थान के वैज्ञानिकों के एक दल ने रविवार को आई आपदा के अगले दिन ऋषिगंगा के उपरी क्षेत्र के हवाई सर्वेंक्षण के दौरान वहां एक झील देखी।

उन्होंने कहा कि झील का निर्माण संभवत: हाल में हुए हिमस्खलन के कारण हुआ होगा।

साई ने बताया कि हमारे वैज्ञानिक झील के आकार, उसकी परिधि और उसमें मौजूद पानी की मात्रा का परीक्षण कर रहे हैं जिससे यह पता लगाया जा सके कि इससे खतरा कितना बड़ा और कितना तात्कालिक है।

उधर, चमोली की जिलाधिकारी स्वाति एस भदौरिया ने ‘भाषा’ को बताया कि झील के निरीक्षण के लिए भारतीय भूगर्भ सर्वेंक्षण की एक आठ—सदस्यीय टीम गठित की गयी है।

उन्होंने बताया कि वैज्ञानिकों का यह टीम ऋषिगंगा के उपरी क्षेत्र का निरीक्षण कर जिला प्रशासन को जल्द से जल्द अपनी रिपोर्ट देगी।

इस बीच, ऋषिगंगा के जलस्तर में उतार चढाव को देखते हुए चमोली जिला प्रशासन ने चेतावनी जारी कर दिया है और सूर्यास्त के बाद लोगों को नदी किनारे न जाने की सलाह दी है।

वैज्ञानिकों ने खोज निकाला उत्तराखंड के चमोली जिले के रैणी गांव में आई आपदा का कारण:भारी मात्रा में बर्फ पिघलने से हो गया इतना बड़ा हादसा attacknews.in

देहरादून 09 फरवरी । उत्तराखंड के चमोली जिले के रैणी गांव में आई आपदा को लेकर इसरो के वैज्ञानिकों ने अहम जानकारी देते हुए कहा है कि यह आपदा ग्लेशियर के टूटने से नहीं बल्कि भारी मात्रा में बर्फ पिघलने से आयी है। अभी तक माना जा रहा था कि ग्लेशियर टूटने से आपदा आई है। लेकिन अब सेटेलाइट से ली गई तस्वीरों से वैज्ञानिकों ने आपदा की असली वजह साफ की है।

वैज्ञानिकों ने बताया है कि क्षेत्र में ग्लेशियर नहीं टूटा बल्कि भारी मात्रा में बर्फ पिघलने से आपदा आई है।

बैठक में इसरो के वैज्ञानिकों ने सेटेलाइट से ली गई तस्वीरों से साफ किया कि यह आपदा ग्लेशियर टूटने से नहीं आई। तापमान बढ़ने से बर्फ पिघली और यह हादसा हो गया। तस्वीरों के माध्यम से प्रारंभिक रूप से ये ही जानकारी सामने आई है। अभी अध्ययन किया जा रहा है जिससे ज्यादा जानकारी सामने आ सके।

ग्लेशियर टूटने की घटना के बाद जोशीमठ के लिए रवाना हुए वैज्ञानिक

इससे पहले उत्तराखंड में ग्लेशियर का एक हिस्सा टूटने की घटना के बाद सोमवार को वैज्ञानिकों का एक दल देहरादून से जोशीमठ क्षेत्र पहुंचा।

डीआरडीओ के ‘बर्फ और हिमस्खलन अध्ययन प्रतिष्ठान (एसएएसई)’ के वैज्ञानिक रविवार रात को हवाई मार्ग से उत्तराखंड की राजधानी पहुंचे थे।

गृह मंत्रालय के प्रवक्ता ने सोमवार को कहा था कि , “डीआरडीओ-एसएएसई के वैज्ञानिकों का एक दल बीती रात देहरादून के लिए विमान से रवाना हुआ था। अब यह दल निरीक्षण करने और प्राथमिक जानकारी एकत्रित करने के लिए जोशीमठ इलाके के लिए निकल रहा है।”

रविवार को उत्तराखंड के चमोली जिले में नंदा देवी ग्लेशियर का एक भाग टूट गया था जिससे अलकनंदा नदी में बाढ़ की स्थिति पैदा हो गई थी।

इस घटना में पनबिजली परियोजनाओं को नुकसान हुआ ।

उत्तराखंड के पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने कहा था कि रैणी और तपोवन में दो पनबिजली परियोजनाओं में काम करने वाले 173 लोग लापता हैं, जिनमें से 27 के शव बरामद हुए हैं।

वैज्ञानिकों को पूर्वी हिमालय क्षेत्र में भूकंप के भूगर्भीय साक्ष्य मिले:

यह खोज पूर्वी हिमालय क्षेत्र में भूंकप की संभावना वाले क्षेत्रों की पहचान करने में मदद कर सकती है:

वैज्ञानिकों को असम और अरुणाचल प्रदेश की सीमा पर स्थित हिमबस्ती गाँव में भूकंप का पहला भूगर्भीय साक्ष्य मिला है। इतिहासकारों ने इसे इस क्षेत्र में बड़े विनाश का कारण बने सदिया भूकंप के रुप में दर्ज किया है। ऐतिहासिक दस्तावेजों के अनुसार 1667 ईस्वी में आए इस भूकंप ने सदिया शहर को पूरी तरह से तहस नहस कर दिया था।

यह खोज पूर्वी हिमालय क्षेत्र में भूंकप की संभावना वाले क्षेत्रों की पहचान करने और उसके अनुरुप यहां निर्माण गतिविधियों की योजना बनाने में मददगार हो सकती है।

ऐतिहासिक अभिलेखागारों में पूर्वी हिमालय क्षेत्र में अक्सर आने वाले ऐसे भूकंपों के बारे में भूवैज्ञानिक प्रमाण उपलब्ध नहीं होने की बात कही गई है। ऐसे में ये सवाल उठना स्वाभिक था कि लाखों की आबादी वाले ऐसे क्षेत्र में आते रहे भूकंपों के बारे में कोई जानकारी अभी तक क्यों नहीं जुटाई जा सकी या इन्हें नजरअंदाज किया गया।

भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी ) के तहत एक स्वायत्त अनुसंधान संस्थान वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान (डब्लूआईएचजी) के वैज्ञानिकों ने अरुणाचल प्रदेश के हिमबस्ती गाँव के उस क्षेत्र में उत्खनन किया जहाँ 1697 में सादिया भूकंप आने के ऐतिहासिक साक्ष्य मिले हैं। उत्खनन में प्राप्त इन साक्ष्यों का आधुनिक भूवैज्ञानिक तकनीकों के माध्यम से विश्लेषण किया गया।

अध्ययन में वैज्ञानिकों ने पाया कि इस क्षेत्र में जमीन के नीचे चट्टानें खिसकने से आए भूकंप के निशान नदियों और झरनों के पास सतह के उपर जमा भूगर्भीय पदार्थों के रूप में मौजूद हैं। इस बारे में और गहन अध्ययन के लिए वैज्ञानिकों ने यहां उत्खनन स्थल से इक्कीस रेडियोकार्बन नमूने इकठ्ठा किए।

उन्होंने सुबनसिरी नदी के डेल्टा क्षेत्र में गादर वाले स्थान पर बड़े बड़े वृक्षों की टहनियां (सदिया सुबनसिरी नदी के दक्षिण-पूर्व में लगभग 145 किमी दूर स्थित है) गाद में दबी पाईं जो यह बताता है कि भूकंप के बाद भी छह महीने तक आते रहे इसके हल्के झटकों की वजह से नदी में इतनी मिट्टी और मलबा जमा हो गया था कि उसकी सतह उपर उठ गई। यह शोध हाल ही में ‘साइंटिफिक रिपोर्ट’ पत्रिका में प्रकाशित हुई है।

लोहित नदी के दाहिने किनारे पर घने वनों से आच्छादित पूर्वी हिमालय क्षेत्र के घास से ढके मैदानी इलाके में मौजूद रहकर सादिया में सदियों पहले आए भूकंप का अध्ययन काफी मायने रखता है। इससे घनी आबादी वाले इस क्षेत्र में भूकंप के खतरे वाले इलाकों को पहचानने तथा आगे यहां आधारभूत संरचनाओं के निर्माण की योजनाएं बनाने में काफी मदद मिलेगी।

गंगा की सहायक नदियों की यात्रा:उत्तराखंड की सबसे बड़ी ग्लेशियर झील वसुधारा ताल से निकलने वाली धौली गंगा सर्पिले बहाव के कारण नंदादेवी नेशनल पार्क के बीच से होकर गुजरती है attacknews.in

नयी दिल्ली, 8 फरवरी । उत्तराखंड की संभवत: सबसे बड़ी ग्लेशियर झील वसुधारा ताल से निकलने वाली धौली गंगा अपने सर्पिले बहाव के कारण नंदादेवी नेशनल पार्क के बीच से होकर गुजरती है।

अपने सुन्दर मनोरम रास्ते और सफेद पानी में राफ्टिंग के लिए मशहूर यह नदी रविवार को उस वक्त लोगों कि लिए काल बन गई जब नंदा देवी ग्लेशियर का एक हिस्सा टूटकर उसमें गिरा और उससे विस्थापित पानी से नदी में अचानक बाढ़ आ गई।

धौली गंगा आगे चलकर अलकनंदा नदी में मिल जाती है। अलकनंदा पत्रिव गंगा नदी की उन सहायक नदियों में से एक है जो उसके मैदानी भाग में पहुंचने से पहले उसमें लीन हो जाती हैं। ये सहायक नदियां पांच राज्यों से गुजरने के दौरान एक दूसरे का रास्ता काटते हुए, सर्पिले बहाव और एक-दूसरे में मिलते हुए अपने रास्ते पर बढ़ती हैं।

उत्तराखंड में गंगा और उसकी सहायक नदियां ऋषिकेश, हरिद्वार, रुद्रप्रयाग और कर्णप्रयाग जैसे मनोरम पर्यटन स्थलों से होकर गुजरती हैं।

रविवार को नंदा देवी ग्लेशियर का एक हिस्सा टूटने के कारण अचानक हुए पानी के विस्थापन से धौली गंगा में बाढ़ आ गई और इससे ऋषि गंगा और अलकनंदा भी प्रभावित हुईं।

इसने लोगों को राज्य में 2013 में केदारनाथ में बादल फटने से अचानक आयी बाढ़ की भी याद दिला दी। त्रासदी में 5,000 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी और क्षेत्र का एक बड़ा हिस्सा पानी के तेज बहाव के साथ बह गया था।

धौली गंगा रेणी में ऋषि गंगा में मिलती है जहां आज की त्रासदी में पूरी पनबिजली परियोजना बह गई है और उसमें काम करने वाले 150 लोगों के मरने की आशंका जतायी जा रही है।

रेणी से नदी ‘वी टर्न’ लेती है और फिर से धौली गंगा के नाम से 30 किलोमीटर तक उत्तर की ओर बहती है। इस दौरान वह तपोवन से गुजरते हुए जोशीमठ के निकट विष्णुप्रयाग में अलकनंदा में विलीन हो जाती है।

यहां से दोनों नदियां एक होकर अलकनंदा बन जाती हैं और दक्षिण-पश्चिम में बहते हुए चमोली, मैथाणा, नंदप्रयाग, कर्णप्रयाग से गुजर कर अंत में रुद्रप्रयाग में उत्तर से आ रही मंदाकिनी में मिल जाती है।

मंदाकिनी से मिलने के बाद अलकनंदा श्रीनगर से गुजरते हुए केदारनाथ के पास देवप्रयाग में गंगा में मिलती है। यहां से अलकनंदा का रास्ता समाप्त हो जाता है और वह गंगा में विलीन होकर पूरे देश में अपनी यात्रा जारी रखती है। यहां से पहले दक्षिण और पश्चिम की ओर बहते हुए वह ऋषिकेश के रास्ते अंतत: हरिद्वार में सिंधू-गांगेय मैदान में उतरती है।

यहां से दक्षिण की ओर यात्रा जारी रखते हुए गंगा बिजनौर पहुंचती हैं और वहां से अपनी बहाव पूरब की ओर करते हुए कानपुर पहुंचती हैं।

इस दौरान हिमालय से निकलने वाली यमुना, रामगंगा और घाघरा नदियां भी गंगा में मिलती हैं।

धौली गंगा, अलकनंदा की महत्वपूर्ण सहायक नदियों में से एक है। अन्य नदियां हैं नंदकिनी, पिंढर, मंदाकिनी और भागीरथी।

हिमालय से निकलने वाली नदियां पर्यावरणीय रूप से संवेदनशील इलाकों से होकर गुजरती हैं। अन्य हिमालयी नदियों की तरह धौली गंगा पर भी बांध बने हुए हैं। इस नदी पर उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में 280मेगावाट की पनबिजली परियोजना लगी हुई है।

उत्तराखंड में आईं प्राकृतिक आपदाएं

उत्तराखंड में पिछले तीन दशक में आईं प्राकृतिक आपदाएं इस प्रकार हैं:

वर्ष 1991 उत्तरकाशी भूकंप: अविभाजित उत्तर प्रदेश में अक्टूबर 1991 में 6.8 तीव्रता का भूकंप आया। इस आपदा में कम से कम 768 लोगों की मौत हुई और हजारों घर तबाह हो गए।

वर्ष 1998 माल्पा भूस्खलन: पिथौरागढ़ जिले का छोटा सा गांव माल्पा भूस्खलन के चलते बर्बाद हुआ। इस हादसे में 55 कैलाश मानसरोवर श्रद्धालुओं समेत करीब 255 लोगों की मोत हुई। भूस्खलन से गिरे मलबे के चलते शारदा नदी बाधित हो गई थी।

वर्ष 1999 चमोली भूकंप: चमोली जिले में आए 6.8 तीव्रता के भूकंप ने 100 से अधिक लोगों की जान ले ली। पड़ोसी जिले रुद्रप्रयाग में भारी नुकसान हुआ था। भूकंप के चलते सड़कों एवं जमीन में दरारें आ गई थीं।

वर्ष 2013 उत्तर भारत बाढ़: जून में एक ही दिन में बादल फटने की कई घटनाओं के चलते भारी बाढ़ और भूस्खलन की घटनाएं हुईं थीं। राज्य सरकार के आंकलन के मुताबिक, माना जाता है कि 5,700 से अधिक लोग इस आपदा में जान गंवा बैठे थे। सड़कों एवं पुलों के ध्वस्त हो जाने के कारण चार धाम को जाने वाली घाटियों में तीन लाख से अधिक लोग फंस गए थे।

उत्तर भारत के मैदानी इलाकों में बारिश और पहाड़ी क्षेत्रों में बर्फबारी होने पर भीषण ठंड और ठिठुरन बढ़ी,कश्मीर लगातार दूसरे दिन भी देश के बाकी हिस्सों से कटा रहा attacknews.in

नयी दिल्ली, पांच जनवरी । उत्तर भारत के पहाड़ी क्षेत्रों में मंगलवार को बर्फबारी हुई और मैदानी इलाकों में बारिश हुई, जबकि बर्फ जमने से जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग और मुगल रोड बंद होने के कारण कश्मीर लगातार दूसरे दिन भी देश के बाकी हिस्सों से कटा रहा।

भारत मौसम विज्ञान विभाग ने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में मंगलवार को लगातार तीसरे दिन भी कुछ जगहों पर बारिश हुई और न्यूनतम सामान्य से छह डिग्री अधिक 13.2 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।

सफदरजंग वेधशाला ने बताया कि शाम साढ़े पांच बजे तक 1.3 मिलीमीटर बारिश हुई।

पालम, लोधी रोड और रिज क्षेत्र के मौसम केंद्रों ने इस दौरान क्रमश: 5.3 मिलीमीटर, 0.4 मिलीमीटर, 4.8 मिलीमीटर और 6.2 मिलीमीटर बारिश दर्ज की।

यहां बादल छाए रहने के कारण यां न्यूनतम तापमान बढ़कर 13.2 डिग्री सेल्सियस पहुंच गया जबकि अधिकतम तापमान 20.8 डिग्री सेल्सियस रहा।

दिल्ली में शुक्रवार को न्यूनतम तापमान 1.1 डिग्री सेल्सियस पहुंच गया था जो 15 साल में सबसे कम था। घना कोहरा छाए रहने के कारण दृश्यता ‘शून्य’ मीटर हो गयी थी।

शहर में रविवार को बादल गरजने के साथ भारी बारिश हुई। सफदरजंग वेधशाला ने शनिवार सुबह साढ़े आठ बजे और रविवार दिन में ढाई बजे के बीच 39.9 मिलीमीटर बारिश दर्ज की।

उत्तराखंड में मंगलवार को गढ़वाल और कुमांउ की उंची पहाड़ियों में ताजा बर्फबारी तथा निचले इलाकों में रूक-रूक कर लगातार हो रही बारिश से पूरे प्रदेश में भीषण ठंड और ठिठुरन बढ़ गई ।

गढ़वाल और कुमांउ के उंचाई वाले इलाकों जैसे केदारनाथ, बदरीनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री, मुनस्यारी आदि इलाकों में बर्फबारी होती रही जिससे वहां बर्फ की मोटी चादर बिछ गयी। देहरादून जैसे मैदानी इलाकों में भी रूक-रूक कर लगातार बारिश जारी है।

सोमवार देर रात से जारी बर्फबारी के कारण उत्तरकाशी जिले में गंगोत्री और यमुनोत्री धाम सहित हर्षिल घाटी के आठ गांव, बडकोट के गीठ पट्टी के दर्जनों गांव और मोरी के पर्वत क्षेत्र के गांव पूरी तरह बर्फ से ढक गए हैं।

बर्फबारी और बारिश से तापमान में भी काफी गिरावट दर्ज की गई है। यमुनोत्री में न्यूनतम तापमान शून्य से छह डिग्री नीचे तथा गंगोत्री में न्यूनतम तापमान एक डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया ।

हर्षिल, बडकोट और मोरी समेत उंचाई वाले इलाकों में जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया है। हालांकि, उत्तरकाशी के जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी देवेंद्र पटवाल ने बताया कि अभी सभी मुख्य मार्ग सुचारू हैं लेकिन सड़क से संबंधित विभागों को अलर्ट पर रखा गया है।

कश्मीर घाटी में बर्फबारी के कारण मंगलवार को लगातार दूसरे दिन भी जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग तथा मुगल रोड बंद रहा, जिससे कश्मीर का सड़क सम्पर्क देश के शेष हिस्सों से टूट गया है। इस राजमार्ग पर कई स्थानों पर करीब 4500 वाहन फंसे हैं।

यातायात नियंत्रण विभाग के एक अधिकारी ने कहा, ‘‘ जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग विभिन्न स्थानों, खासकर जवाहर सुरंग के आसपास बर्फ के इकट्ठा होने के कारण बंद है।’’

उन्होंने बताया कि बर्फ हटाने का काम जारी है और 260 किलोमीटर लंबे मार्ग पर फंसे वाहनों को निकालने की पूरी कोशिश की जा रही है।

वहीं, शोपियां-रजौरी के रास्ते जम्मू और श्रीनगर को जोड़ने वाली मुगल रोड, क्षेत्र में भारी बर्फबारी के कारण कई दिनों से बंद है।

अधिकारी ने बताया कि दक्षिण कश्मीर के कुलगाम जिले में सबसे अधिक बर्फबारी हुई, जहां कुछ स्थानों पर तीन से चार फुट तक बर्फ इकट्ठा हो गई है।

उन्होंने बताया कि अनंतनाग जिले में भी भारी बर्फबारी हुई।

श्रीनगर में पिछले तीन दिनों से मध्यम बर्फबारी हो रही है, लेकिन बर्फ हटाने के अभियान के जारी होने से वहां यातायात की आवाजाही सुचारू रूप से जारी है।

प्रशासन यह सुनिश्चित कर रहा है कि बर्फबारी से शहर और घाटी में अन्य स्थानों पर आवश्यक सेवाएं कम से कम प्रभावित हों।

सड़कों पर फिसलन होने की वजह से कई स्थानों पर जाम भी लगा।

अधिकारी ने बताया कि खराब दृश्यता के कारण श्रीनगर में लगातार दूसरे दिन विमान सेवाएं निलंबित रहीं।

उन्होंने बताया कि जम्मू-कश्मीर की ग्रीष्मकालीन राजधानी श्रीनगर में न्यूनतम तापमान शून्य से नीचे 0.8 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। गुलमर्ग में न्यूनतम तापमान शून्य से नीचे चार डिग्री सेल्सियस, पहलगाम में शून्य से नीचे 1.1 डिग्री सेल्सियस, काजीकुंड में शून्य से नीचे 0.2 डिग्री सेल्सियस, कुपवाड़ा जिले में शून्य से नीचे 0.7 डिग्री सेल्सियस, कोकरनाग में न्यूनतम तापमान शून्य से नीचे 1.0 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।

मौसम विज्ञान विभाग कार्यालय ने बताया कि अगले 24 घंटे में कुछ स्थानों, खासकर दक्षिण कश्मीर, गुलमर्ग, बनिहाल-रामबन, पुंछ, राजौरी, किश्तवाड़ और ज़ंस्कार, द्रास के अलावा केन्द्र शासित प्रदेश लद्दाख में ऊंचाई वाले इलाकों में मध्यम से भारी बर्फबारी का पूर्वानुमान है।

भारी बर्फबारी और कई जगह भूस्ख्लन होने के कारण जम्मू-श्रीनगर राष्टीय राजमार्ग बंद रहा। हालांकि बनिहाल और काजीगुंड के बीच मुख्य सड़क को एक ओर के यातयात के लिए खोले जाने के बाद यहां फंसे 250 से अधिक वाहनों को निकाला गया, जिनमें से अधिकतर यात्री वाहन थे।

जवाहर सुरंग के पास भारी बर्फबारी के बाद शनिवार रात को जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग को बंद कर दिया गया था, जिससे कश्मीर का सड़क सम्पर्क देश के शेष हिस्सों से टूट गया है। इससे यहां दोनों ओर 4500 से अधिक वाहन फंस गए थे।

अधिकारियों ने बताया कि जवाहर सुरंग के आसपास लगातार बर्फबारी, भूस्खलन, जमीन धंसने और चट्टानों के टूटकर गिरने की घटनाओं के कारण रविवार से ही मार्ग यातायात के लिए बंद है।

उन्होंने बताय कि सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) द्वारा सोमवार शाम तक मार्ग से काफी हद तक बर्फ हटाने के बाद जम्मू जा रहे 100 ट्रकों का वहां से निकाला गया था। सोमवार रात आठ बजे यातायात को दोबारा रोकने से पहले 250 से अधिक यात्री वाहनों और आवश्यक सामान ले जा रहे दर्जनों ट्रकों के कश्मीर घाटी जाने के लिए मार्ग साफ किया गया था।

जम्मू और अन्य मैदानी इलाकों में तेज बारिश हुई और ऊंचाई वाले इलाकों में लगातार तीसरे दिन रुक-रुक कर बर्फबारी हुई।

पंजाब एवं हरियाणा में न्यूनतम तापमान में बढ़ोतरी से लोगों को कड़ाके की ठंड से थोड़ी राहत मिली है। मंगलवार को दोनों प्रदेशों के कई हिस्सों में न्यूनतम तापमान सामान्य से अधिक दर्ज किया गया।

भारत मौसम विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि पंजाब एवं हरियाणा की संयुक्त राजधानी चंडीगढ़ में न्यूनतम तापमान 14 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया जो सामान्य से नौ डिग्री अधिक है।

पंजाब में अमृतसर, लुधियाना एवं पटियाला का न्यूनतम तापमान क्रमश: 13 डिग्री, 12.2 डिग्री तथा 15.1 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था।

इसके अलावा पठानकोट, आदमपुर, हलवारा, बठिंडा, फरीदकोट एवं गुरदासपुर का न्यूनतम तापमान क्रमश: 13.7 डिग्री, 12 डिग्री, 13.1 डिग्री, 13 डिग्री, 12.7 डिग्री एवं 10.5 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया है।

इसी तरह हरियाणा के अम्बाला, हिसार एवं करनाल का न्यूनतम तापमान क्रमश: 14.3 डिग्री, 12.8 डिग्री एवं 15.1 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया जो सामान्य से आठ डिग्री तक अधिक है।

प्रदेश के नारलौल, रोहतक भिवानी एवं सिरसा का न्यूनतम तापमान क्रमश: 12.5 डिग्री, 14 डिग्री, 8.8 डिग्री एवं 14.5 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया है।

पंजाब एवं हरियाणा के कुछ हिस्सों में पिछले 24 घंटे में बारिश भी दर्ज की गयी है।

पिछले 24 घंटे में पश्चिमी उप्र के अलग अलग स्थानों पर हल्की से मध्यम बारिश हुई जबकि पूर्वी इलाको में कहीं-कहीं गरज चमक के साथ बारिश हुई।

मौसम विभाग द्वारा मंगलवार को जारी एक बयान के अनुसार राज्य में सबसे कम न्यूनतम तापमान बांदा में छह डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।

विभाग का अनुमान है कि छह जनवरी को कही घना तो कही हल्का कोहरा छाया रहेगा । आम तौर पर मौसम शुष्क रहेगा।

विभाग की तरफ से दी गई जानकारी के मुताबिक पश्चिमी उत्तर प्रदेश में एक-दो स्थानों पर गरज चमक के साथ आकाशीय बिजली चमकने की भी संभावना है।

राजस्थान में पश्चिमी विक्षोभ की सक्रियता के चलते पिछले 24 घंटों के दौरान राज्य के कई जिलों में हल्की से मध्यम दर्जे की बारिश के साथ ओलावृष्टि हुई है।

जयपुर, अलवर, सीकर, झुंझुनूं सहित कई शहरों में मंगलवार सुबह भी हल्की बारिश हुई। मौसम विभाग के निदेशक राधेश्याम शर्मा ने बताया कि पिछले 24 घंटों के दौरान सर्वाधिक बारिश सीकर जिले के श्रीमाधोपुर में 50 मिलीमीटर, जयपुर के सांभर में 47 मिलीमीटर, अजमेर के पुष्कर में 45 मिलीमीटर, सीकर के नीमकाथाना में 44 मिलीमीटर, झुंझुनूं के पिलानी में 39.4 मिलीमीटर, जयपुर के कोटपूतली में 35 मिलीमीटर, सीकर तहसील में 31 मिलीमीटर और कई अन्य स्थानों पर 27 मिलीमीटर से लेकर आठ मिलीमीटर तक बारिश दर्ज की गई।

सीकर जिले के श्रीमाधोपुर क्षेत्र में सबसे अधिक 50 मिमी (2 इंच) बारिश हुई। राज्य के अधिकांश शहरों में न्यूनतम और अधिकतम तापमान में हालांकि वृद्धि दर्ज की गई है लेकिन तेज ठंड हवाओं के कारण सर्दी का असर बना हुआ है।

राज्य के एक मात्र पर्वतीय पर्यटक स्थल माउंट आबू में न्यूनतम तापमान 2.4 डिग्री सेल्सियस, पाली के ऐरनपुरा में न्यूनतम तापमान 8.6 डिग्री सेल्सियस, अलवर में 10.2 डिग्री, गंगानगर में 11.3 डिग्री, जैसलमेर में 12.2 डिग्री, फलौदी में 13 डिग्री, बीकानेर में 13.4 डिग्री, बाडमेर में 13.5 डिग्री, डबोक में 13.6 डिग्री और अन्य प्रमुख स्थनों पर 14.1 डिग्री से लेकर 15.7 डिग्री के बीच दर्ज किया गया।

वहीं अधिकतर स्थानों पर अधिकतम तापमान 18.5 डिग्री सेल्सियस से लेकर 26.1 डिग्री सेल्सियस के बीच दर्ज किया गया है। विभाग ने आगामी 24 घंटों के दौरान राज्य के कुछ स्थानों पर तेज हवाओं के साथ हल्की से मध्यम दर्जे की बारिश होने की संभावना जताई है।

चेन्नई और उसके उपनगरों में मंगलवार सुबह से भारी बारिश हो रही है जिसके कारण अधिकारियों को यहां चेंबरमबक्कम जलाशय से अतिरिक्त पानी छोड़ने का फैसला करना पड़ा, वहीं अदयार नदी के किनारे रहने वाले लोगों को सतर्क रहने को कहा गया है।

कई सप्ताह के अंतराल के बाद शहर में हो रही लगातार बारिश की वजह से कई सड़कों पर जल भराव की स्थिति उत्पन्न हो गयी तथा लोगों को अपने गंतव्य तक पहुंचने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।

चेन्नई स्थित मौसम कार्यालय ने राज्य के विल्लुपुरम, चेंगलपट्टू, चेन्नई, कांचीपुरम, कुड्डलूर, नागपट्टिनम और तिरुवन्नमलाई जिलों में एवं पुडुचेरी में मंगलवार को भारी बारिश (7 सेंटीमीटर से 11 सेंटीमीटर तक) की चेतावनी जारी की है।

अधिकारियों ने कहा कि चेन्नई की पानी की जरूरतें पूरा करने के प्रमुख स्रोत चेंबरमबक्कम से 500 क्यूसेक पानी अदयार नदी में छोड़ा जाएगा।

उत्तर भारत कड़ाके की सर्दी की गिरफ्त में,सर्द हवाओं से मध्यप्रदेश में रही ठिठुरन,कश्मीर में कड़ाके की सर्दी की 40 दिन की अवधि ‘चिल्लई कलां’ की शुरुआत attacknews.in

नयी दिल्ली, 21 दिसंबर ।उत्तर भारत के कई हिस्से शीत लहर की चपेट में हैं और कई स्थानों पर न्यूनतम तापमान पांच डिग्री सेल्सियस से नीचे दर्ज किया गया है। वहीं कश्मीर में सोमवार से कड़ाके की सर्दी की 40 दिन की अवधि ‘चिल्लई कलां’ की शुरुआत हो गई।

घाटी में 21 दिसंबर से 31 जनवरी तक यानी 40 दिन की अवधि को सर्दी के मौसम का सबसे ठंडा समय माना जाता है क्योंकि यहां इस दौरान तापमान में काफी गिरावट आती है, जल स्रोत जम जाते हैं और घाटी में तापमान जमाव बिंदू (शून्य) से भी नीचे होने की वजह से पानी आपूर्ति में भी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।

ताजा पश्चिमी विक्षोभ से हिमालय के ऊपरी हिस्सों के प्रभावित होने के चलते दिल्ली में न्यूनतम तापमान सोमवार को थोड़ी वृद्धि के साथ 5.5 डिग्री सेल्सियस पर पहुंच गया। वहीं हवा की गुणवत्ता ‘बेहद खराब’ श्रेणी में दर्ज की गई।

मौसम अधिकारियों ने बताया कि पश्चिमी विक्षोभ की वजह से जम्मू-कश्मीर, लद्दाख और हिमाचल प्रदेश के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में हल्की से मध्यम बर्फबारी होगी।

मध्यप्रदेश में कुछ स्थानों को छोड़ अधिकतर जगहों में सर्द हवाओं का प्रभाव रहा, जिसके चलते ठिठुरन बनी रही। हालाकि दिन में तेज धूप खिलने से इसमें थोड़ी राहत रही। इस बीच आज भी उमरिया प्रदेश का सबसे ठंड नगर रहा, जहां रात्रि का पारा तीन डिग्री पर बना रहा है।

मौसम विज्ञान केन्द्र भोपाल के वैज्ञानिकों के अनुसार पिछले चौबीस घंटों के दौरान प्रदेश में मौसम आमतौर पर शुष्क रहा। इस दौरान नरसिंहपुर, सिवनी, उज्जैन जिले शीतल दिन रहे, तो वहीं सिवनी, उमरिया, जबलपुर जिलों में शीतलहर चली, जिसके चलते वहां ठिठुरन बनी रही। अनेक स्थानों पर कल तरह आज भी ठंडक बनी रही। उमरिया में पारा तीन डिग्री सेल्सियस रिकार्ड हुआ, जो प्रदेश में सबसे कम रहा।

पंजाब और हरियाणा में भी शीत लहर चल रही है। पंजाब के आदमपुर में न्यूनतम तापमान 3.2 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया जबकि अमृतसर भी सर्दी की चपेट में है और वहां न्यूनतम तापमान 4.8 डिग्री सेल्सियस रहा।

हरियाणा भी ठंड की चपेट में है और अम्बाला में रात में तापमान 3.3 डिग्री सेल्सियस जबकि हिसार में 5.5 और नारनौल में 4.3 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।

कश्मीर में अधिकारियों ने बताया कि बादल छाए रहने की वजह से न्यूनतम तापमान में वृद्धि दर्ज की गई लेकिन फिर भी पारा जमाव बिंदू से नीचे रहा।

जम्मू-कश्मीर की ग्रीष्मकालीन राजधानी श्रीनगर में न्यूनतम तापमान शून्य से चार डिग्री सेल्सियस नीचे रहा, जो बीती रात के न्यूनतम तापमान शून्य से नीचे 6.2 डिग्री सेल्सियस से अधिक है। वहीं पहलगाम में तापमान शून्य से 4.6 डिग्री सेल्सियस नीचे दर्ज किया गया, जबकि गुलमर्ग में तापमान शून्य से 6.4 डिग्री सेल्सियस नीचे दर्ज किया गया।

उत्तर प्रदेश कड़ाके की ठंड की गिरफ्त में है और राज्य में दूरदराज के स्थानों पर शीतलहर चल रही है। सोनभद्र जिले में चुर्क राज्य का सबसे ठंडा स्थान रहा और यहां न्यूनतम तापमान 3.1 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।

मौसम अधिकारियों ने बताया कि राज्य में मौसम शुष्क है और पूर्वी उत्तर प्रदेश के कुछ स्थानों पर घना कोहरा छाया रहा और कुछ दूरदराज स्थानों पर कड़ाके की शीत लहर चल रही है।

राज्य के पेचनेही गांव में 62 वर्षीय एक बुजुर्ग की कथित तौर पर सर्दी की वजह से मौत हो गई। अस्पताल के अधिकारियों ने बताया कि प्राथमिक तौर पर ऐसा प्रतीत होता है कि व्यक्ति की मौत सर्दी से हुई है। हालांकि मौत की वास्तविक वजह का पता लगाने के लिए शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया है।

राजस्थान में न्यूनतम तापमान में बढ़ोतरी से लोगों को ठंड से थोड़ी राहत मिली है। हालांकि, राज्य के एकमात्र पर्वतीय स्थल माउंट आबू में रविवार रात तापमान शून्य से दो डिग्री सेल्सियस नीचे दर्ज किया गया।

मौसम विभाग के अनुसार राज्य के मैदानी भागों में न्यूनतम तापमान में थोड़ी बढ़ोतरी दर्ज की गयी है। भीलवाड़ा में सोमवार रात न्यूनतम तापमान 3.4 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। वहीं चुरू में 4.7 डिग्री, डबोक में 4.8 डिग्री, चित्तौड़गढ़ में पांच डिग्री, वनस्थली में छह डिग्री, पिलानी में 6.1 डिग्री, गंगानगर में 6.3 डिग्री और सीकर में 6.4 सेल्सियस डिग्री दर्ज किया गया।

हिमाचल प्रदेश में भी लोगों को कड़ाके की शीत लहर से थोड़ी राहत मिली है क्योंकि राज्य में पिछले 24 घंटे में न्यूनतम तापमान में दो से तीन डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी हुई है। लाहौल-स्पीति का प्रशासनिक केंद्र केलोंग राज्य का सबसे ठंडा स्थान रहा, यहां तापमान शून्य से 7.4 डिग्री सेल्सियस नीचे दर्ज किया गया।

भारत मौसम विज्ञान विभाग ने कहा किपूर्वी उत्तर प्रदेश, ओडिशा में गंभीर शीत लहर जबकि गुजरात के कच्छ क्षेत्र, तेलंगाना, पूर्वी मध्य प्रदेश, विदर्भ, छत्तीसगढ़, बिहार, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल के गंगा वाले क्षेत्र में शीत लहर चलने की संभावना है।

मध्यप्रदेश बारिश और पहाड़ों में हो रही बर्फबारी के कारण वहां से आ रही सर्द हवाओं के चलते कड़ाके की ठंड की चपेट में आया, अनेक स्थानों पर दिन के साथ रात के पारे में गिरावट,भोपाल रहा ‘कोल्डडे’ attacknews.in

भोपाल, 18 दिसंबर ।मध्यप्रदेश में पिछले दिनों हुयी बारिश और पहाड़ों में हो रही बर्फबारी के कारण वहां से आ रही सर्द हवाओं के चलते प्रदेश कठाड़े की ठंड की चपेट में हैं। राजधानी सहित अनेक स्थानों पर दिन के साथ रात के पारा में काफी गिरावट हुयी। भोपाल में आज ‘कोल्डडे’ की स्थिति रही।

मौसस विज्ञान केन्द्र भोपाल के वरिष्ठ वैज्ञानिक पी के साहा ने बताया कि पिछले दिनों प्रदेश भर में हुयी बारिश और जम्मू कश्मीर में लगातार हो रही बर्फबारी के कारण वहां से सर्द हवाएं प्रदेश में आ रही है। इसके चलते प्रदेश के अनेक स्थानों में कड़ाके की ठंड रही। प्रदेश के छह स्थानों पर न्यूनतम पारा तीन से पांच डिग्री के आसपास रहा। सबसे कम न्यूनतम तापमान दतिया में दर्ज किया गया, जहां पारा 3़ 1 डिग्री पर पहुंच गया।

मध्यप्रदेश के कई भागों में तापमान में गिरावट आने से कड़ाके की सर्दी पड़ रही है।

मौसम विभाग के भोपाल केन्द्र के वरिष्ठ मौसम वैज्ञानिक जी डी मिश्रा ने बताया कि विभाग के मध्यप्रदेश के 30 स्टेशनों में से छह में पारा पिछले 24 घंटे में (बृहस्पतिवार सुबह 0830 से शुक्रवार 0830 बजे तक) तीन से पांच डिग्री सेल्सियस तक दर्ज किया गया।

उन्होंने कहा कि बाकी बचे हुए विभाग के 23 स्टेशनों में इस अवधि के दौरान न्यूनतम तापमान तीन से 10 डिग्री सेल्सियस रहा।

मिश्रा ने बताया कि उत्तर भारत से मध्यप्रदेश की ओर ठंडी हवाएं आ रही हैं, जिससे प्रदेश में तापमान गिरा है।

उन्होंने कहा कि पूर्वी मध्यप्रदेश एवं बुंदेलखंड क्षेत्र में अत्यधिक ठंड पड़ रही है।

मिश्रा ने बताया कि ने राज्य में अभी कुछ और दिन तक सर्दी जारी रहने की संभावना है।

उन्होंने कहा कि प्रदेश में सबसे कम न्यूनतम तापमान तीन डिग्री सेल्सियस दतिया में दर्ज किया गया,जबकि भोपाल में न्यूनतम तापमान 7.4 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।

भारत में 17 से 30 दिसम्बर तक अलग-अलग राज्यों में शीतलहर से लेकर कड़ाके की ठंड,बारिश और हिमपात पड़ने का 2 सप्ताह का पूर्वानुमान चेतावनी के साथ जारी attacknews.in

मौसम की मौजूदा स्थिति और अगले दो सप्‍ताहों (17 से 30 दिसंबर, 2020) के लिए मौसम का पूर्वानुमान

पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और उत्तरी राजस्थान के कुछ स्‍थानों में अगले सप्‍ताह के पहले कुछ दिन शीत लहर से लेकर कड़ाके की ठंड पड़ेगी, इसके बाद इसमें गिरावट आने की संभावना

पहले सप्‍ताह की तुलना में दूसरे सप्ताह के दौरान न्यूनतम तापमान में मामूली बढ़ोतरी होगी

तमिलनाडु, पुदुचेरी और कराईकल में 18 और 19 दिसंबर को केरल और माहे में 18 दिसंबर तथा लक्षद्वीप में 19 और 20 दिसंबर, 2020 को कहीं-कहीं भारी से बहुत भारी वर्षा होने की संभावना

पश्चिमी हिमालयी क्षेत्र में 20 और 21 दिसंबर, 2020 को नये, कमजोर पश्चिमी विक्षोभ के कारण हल्की बारिश/हिमपात होने की संभावना

नईदिल्ली 18 दिसम्बर । भारतके मौसम विभाग (आईएमडी) के राष्ट्रीय मौसम पूर्वानुमान केंद्र के अनुसार पिछले सप्‍ताह और अगले दो सप्‍ताहों के दौरान मौसम की स्थिति इस प्रकार है:

पिछले सप्ताह की महत्वपूर्ण विशेषताएं (10 से 16 दिसंबर, 2020):

· दो पश्चिमी विक्षोभों और उनके तेजी से चक्रवाती परिचालनों से पश्चिमी हिमालयी क्षेत्र मेंपिछले सप्‍ताह के पहले कुछ दिनों में दूर-दूर तकबारिश/हिमपात/गरज (थन्‍डस्‍टोर्म) के साथ तेज बारिश हुई और इससे लगते उत्तर पश्चिम भारत के मैदानी इलाकों में कहीं-कहीं पर छिटपुट बारिश या गरज के साथ हल्‍की बारिश हुई।

· इस सप्‍ताह के दौरान व्यापक तरंगों ने अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में छिटपुट से लेकर तेज और दूर-दूर तक अच्‍छी बारिश और गरज के साथ बारिश हुई। इसके अलावा दक्षिण उपद्वीप और लक्षद्वीप द्वीप समूह में कहीं-कहीं छिटपुट तो कहीं-कहीं सामान्‍य बारिश और कहीं-कहीं गरज के साथ बारिश हुई।

· देश के मध्य भागों में हवा और गर्त के संयोग के कारणमध्य भारत में पिछले सप्ताह के दौरान लंबी अवधि औसत (एलपीए) की तुलना में 112 प्रतिशत अधिक वर्षा हुई।

अगले दो सप्ताहों के लिए मौसम पूर्वानुमान- पहले सप्‍ताह (17 से 23 दिसंबर, 2020) और दूसरे सप्‍ताह (24 से 30 दिसंबर, 2020) के दौरान मौसम प्रणालियां और सम्‍बद्ध अवक्षेपण (प्रिसिपिटैशन)तथा पहले सप्ताह (17 से 23 दिसंबर, 2020) के लिए बारिश

· पूर्वी लहर के कारण अगले तीन दिनों के दौरानतमिलनाडु, पुदुचेरी, कराईकल, केरल और माहे और लक्षद्वीप में छिटपुट से लेकर अच्‍छी व्यापक बारिश/गरज के साथ छींटे पड़ने की संभावना है। 17 दिसंबर को तमिलनाडु, पुदुचेरी और कराईकल में कहीं-कहीं भारी से बहुत भारी वर्षा होने तथा 18 और 19 दिसंबर को केरल और माहे में कहीं-कहीं पर भारी बारिश होने तथा 19 और 20 दिसंबर, 2020 को लक्षद्वीप में कहीं-कहीं भारी वर्षा हो सकती है।

· नये तेज पश्चिमी विक्षोभ से 20 और 21 दिसंबर, 2020 को पश्चिमी हिमालयी क्षेत्र में हल्की बारिश/हिमपात होने की संभावना है।

· इस सप्ताह के दौरान देश के शेष भागों में महत्वपूर्ण वर्षा होने की संभावना नहीं है(अनुलग्नक IV)।

· पहले सप्‍ताह के दौरान दक्षिण उपद्वीप में संचयी रूप से सामान्‍य से अधिक तथा पश्चिम हिमालयी क्षेत्र में सामान्‍य से कम बारिश होने/हिमपात होने की संभावना है (अनुलग्नक V)।

दूसरे सप्‍ताह (24 से 30 दिसंबर, 2020) के लिए बारिश

· सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ न होने,ताजी पूर्वी लहर के प्रभाव के कारण पश्चिमी हिमालयी क्षेत्र में सामान्य बारिश/ हिमपात होने की संभावना है। दक्षिणीउपद्वीप में सामान्य बारिश हो सकती है(अनुलग्नकV)।

पहले और दूसरे सप्‍ताह (17 से 30 दिसंबर, 2020) के दौरान तापमान/कोहरा :

· उत्‍तर-पश्चिम भारत के अधिकांश भागों में न्‍यूनतम तापमान दो डिग्री से छह डिग्री सेल्सियस रहेगा। यह तापमान जम्‍मू-कश्‍मीर, लद्दाख, गिलगित-बाल्टिस्तान और मुजफ्फराबाद, हिमाचल प्रदेश के अलग-अलग स्‍थानों में सामान्‍य से कम (-5 डिग्री सेल्सियस या उससे कम) रहेगा;जबकि पश्चिम राजस्‍थान, पश्चिमी उत्‍तर प्रदेश के कुछ स्‍थानों तथा पूर्वी राजस्‍थान, पूर्वी उत्‍तर प्रदेश, सौराष्‍ट्र और कच्‍छ, हरियाणा, चंडीगढ़ और दिल्‍ली के कुछ स्‍थानों पर तापमान सामान्‍य से कम (-3.1 डिग्री सेल्सियस से -5.0 डिग्री सेल्सियस) रहेगा। इसके अलावा पंजाब और उत्तराखंड के कुछ स्थानों पर तापमान सामान्य से कम (-1.6° सेल्सियससे -3.0 ° सेल्सियस) रहेगा।

· अगले 2 दिनों के दौरान उत्तर-पश्चिम भारत में न्यूनतम और अधिकतम तापमान में कोई महत्वपूर्ण परिवर्तन नहीं होगा और बाद के 3 दिनों के दौरान न्यूनतम तापमान में 2 से 3 डिग्री सेल्सियस और अधिकतम तापमान में 5 से 6 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी होगी। पूर्वी मध्य प्रदेश, विदर्भ और छत्तीसगढ़ में न्यूनतम तापमान में 3 से 5 डिग्री सेल्सियस तक की कमी तथा पहले सप्ताह के पहले कुछ दिनों के दौरान पूर्वी भारत में तापमान 4 से 6 डिग्री सेल्सियस तक गिर सकता है। अगले 2 दिनों के दौरान पश्चिमी भारत में न्‍यूनतम तापमान में 2 से 3 डिग्री सेल्सियस की गिरावट होगी।

· कुल मिलाकर उत्तर-पश्चिम, मध्य और पूर्वी भारत के अधिकांश स्‍थानों में सामान्य न्‍यूनतम तापमान 2 से 6 डिग्री सेल्सियस कम रहेगा और पहले सप्ताह के दौरान देश के शेष भागों में न्‍यूनतम तापमान सामान्य या सामान्य से थोड़ा अधिक रहेगा।

· पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और उत्तरी राजस्थान के कुछ भागों में पहले सप्ताह के पहले कुछ दिनों में शीत लहर से कड़ाकेकी ठंड की स्थिति रहेगी। इसके बाद शीतलहर में गिरावट आ सकती है।

· पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़ और दिल्ली, उत्तरी राजस्थान और उत्तर-पश्चिम उत्तर प्रदेश के कुछ भागों में अगले दो दिनों में कड़ाके की ठंड पड़ने की संभावना है, जिसमें बाद में गिरावट आ सकती है।

· पहले सप्‍ताह के मुकाबले दूसरे सप्ताह न्यूनतम तापमान में मामूली वृद्धि होगी। हालांकि, न्‍यूनतम तापमान उत्‍तर पश्चिम, मध्य और पूर्वी भारत के अधिकांश हिस्सों में न्यूनतम तापमान सामान्य से 2 से 4 डिग्री सेल्सियस कम रहेगा जबकि देश के शेष भागों में तापमान सामान्‍य से थोड़ा अधिक रहेगा (अनुलग्‍नकVI)।

चक्रवात:

· दक्षिण अंडमान सागर और इससे सटी दक्षिण-पूर्वी बंगाल की खाड़ी में दूसरे सप्ताह के पहले कुछ दिनों के दौरान चक्रवात आने की बहुत कम संभावना है।

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उत्तर भारत में शीतलहर चलने से ठंड बढ़ी

देश के उत्तरी क्षेत्र में गुरुवार को प्रचंड शीत लहर जारी रही जहां ठंड लगातार बढ़ रही है। दिल्ली में इस मौसम का सबसे कम अधिकतम तापमान दर्ज किया गया।

पहाड़ी क्षेत्र में हिमपात और शीत हवाओं के चलने से राजधानी दिल्ली में शुक्रवार सुबह न्यूनतम तापमान 3.8 डिग्री सेल्सियस तक लुढ़क गया जो कि सामान्य से तीन डिग्री सेल्सियस कम है।

शहर में सुबह करीब 08:30 बजे सापेक्ष आर्द्रता 83 प्रतिशत दर्ज की गई।

ठंड का यह आलम था कि बेघर लोग सड़क किनारे जगह -जगह अलाव सेंकते देखे गए।

भारतीय मौसम विभाग के अनुसार दिन में आसमान साफ रहने और अधिकतम तापमान 17 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहने का अनुमान है लेकिन शाम को इसमें गिरावट के आसार हैं।

इस बीच कड़ाके की ठंड के दौरान शहर की वायु गुणवत्ता सूचकांक करीब 1000 बजे 301 पर था जो कि ‘बहुत खराब’ श्रेणी का माना जाता है।

मौसम विभाग के अनुसार शनिवार को इस तरह का मौसम रहने के साथ न्यूनतम तापमान पांच डिग्री सेल्सियस के आसपास और अधिकतम तापमान 17 डिग्री सेल्सियस रहने के आसार है।

राष्ट्रीय राजधानी में बृहस्पतिवार ‘ठंडा दिन’ रहा जहां अधिकतम तापमान सामान्य से सात डिग्री नीचे 15.2 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया और यह इस मौसम का अब तक का सबसे कम तापमान है।

‘ठंडा दिन’ उसे कहते हैं जब न्यूनतम तापमान 10 डिग्री सेल्सियस से कम होता है और अधिकतम तापमान सामान्य से 4.4 डिग्री सेल्सियस कम होता है।

सफदरजंग वेधशाला में न्यूनतम तापमान 4.6 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया क्योंकि पश्चिमी हिमालय से उठीं बर्फीली हवाएं लगातार दिल्ली में चल रही हैं। आयानगर और रिज मौसम स्टेशनों में न्यूनतम तापमान क्रमश: 3.8 डिग्री सेल्सियस और 3.5 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।

भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के क्षेत्रीय पूर्वानुमान केन्द्र के प्रमुख कुलदीप श्रीवास्तव ने बताया कि पश्चिमी विक्षोभ के कारण पश्चिमी हिमालय में भारी बर्फबारी हुई और अब शीत लहर के मैदानी इलाकों की ओर बढ़ने की वजह से तापमान में गिरावट आ रही है।

आईएमडी मैदानी इलाकों के लिए शीत लहर की घोषणा तब करता है जब न्यूनतम तापमान 10 डिग्री सेल्सियस या इससे नीचे हो और लगातार दो दिन तक सामान्य से 4.5 डिग्री सेल्सियस कम हो।

उन्होंने कहा,‘‘दिल्ली जैसे छोटे इलाके के लिए शीतलहर की घोषण तब भी की जा सकती है जब उक्त स्थितियां एक दिन के लिए भी बन जाएं।’’

शहर की वायु गुणवत्ता ‘खराब’ श्रेणी में दर्ज की गई।

हिमाचल प्रदेश में केलांग, मनाली और कल्पा में पिछले 24 घंटों में तापमान शून्य से नीचे दर्ज किए जाने के साथ शीत लहर की स्थिति बनी रही।

मौसम विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि पहाड़ी राज्य में मौसम शुष्क बना हुआ है, लेकिन न्यूनतम तापमान में एक से दो डिग्री तक की कमी आई है।

मौसम विभाग के शिमला केंद्र के निदेशक मनमोहन सिंह ने कहा कि लाहौल-स्पीति का प्रशासनिक केंद्र केलांग शून्य से 8 डिग्री सेल्सियस कम तापमान के साथ राज्य का सबसे ठंडा स्थान बना रहा।

पंजाब और हरियाणा में शीतलहर का प्रकोप शुरु हो गया है और बृहस्पतिवार को पारा सामान्य से नीचे चला गया।

मौसम विभाग के अधिकारियों ने कहा कि दोनों राज्यों की संयुक्त राजधानी चंडीगढ़ में न्यूनतम तापमान 5.1 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।

हरियाणा में अंबाला, हिसार, करनाल, भिवानी, रोहतक और सिरसा में न्यूनतम तापमान क्रमश: 4.4 डिग्री, 4.2 डिग्री, 4.9 डिग्री, 4.8 डिग्री, 4.4 डिग्री और 4.8 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।

वहीं, पंजाब में अमृतसर में न्यूनतम तापमान 4.2 डिग्री जबकि लुधियाना में 5.5 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।

पटियाला में न्यूनतम तापमान 5.8, आदमपुर में 6.6 डिग्री, हलवाड़ा में छह डिग्री और बठिंडा में पांच डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।

मौसम विभाग के अधिकारियों के अनुसार करनाल, हिसार, अमृतसर, लुधियाना और पटियाला जैसे कुछ स्थानों पर सुबह कोहरे से दृश्यता कम हो गई।

उन्होंने कहा कि अगले दो दिनों के दौरान दोनों राज्यों के अधिकांश हिस्सों में ठंड ज्यादा पड़ेगी।

कश्मीर में न्यूनतम तापमान शून्य से और नीचे चला गया तथा आसमान साफ रहा।

मौसम विज्ञान विभाग के अधिकारियों ने कहा कि बीती रात, श्रीनगर में इस मौसम में अब तक की सबसे सर्द रात रही।

अधिकारियों ने कहा कि घाटी में रात के तापमान में गिरावट जारी रही और आसमान साफ रहा।

इसके साथ ही न्यूनतम तापमान सामान्य से कई डिग्री सेल्सियस नीचे दर्ज किया गया।

उन्होंने कहा कि श्रीनगर में तापमान शून्य से 6.4 डिग्री सेल्सियस कम रहा जो कि पिछली रात 4.8 डिग्री सेल्सियस था।

इस मौसम में न्यूनतम तापमान सामान्य से लगभग पांच डिग्री सेल्सियस कम दर्ज किया गया।

अधिकारियों ने कहा कि शहर में पिछली रात इस मौसम की सबसे ठंडी रात थी जिसके कारण कई जलाशय जम गए।

गुलमर्ग में तापमान शून्य से 11 डिग्री सेल्सियस कम दर्ज किया गया जो कि सामान्य से छह डिग्री कम था।

संघशासित प्रदेश में गुलमर्ग सबसे ठंडा स्थान रहा।

अधिकारियों ने कहा कि पहलगाम में तापमान शून्य से 8.9 डिग्री सेल्सियस कम रहा।

उन्होंने कहा कि काजीगुंड में तापमान शून्य से 4.9 डिग्री नीचे, कुपवाड़ा में शून्य से 5.8 डिग्री सेल्सियस कम और कोकेरनाग में शून्य से 4.8 डिग्री सेल्सियस कम दर्ज किया गया।

मौसम विभाग की ओर से कहा गया कि जम्मू कश्मीर में इस महीने के अंत तक बहुत अधिक बर्फबारी की उम्मीद नहीं है और 21-22 दिसंबर को कश्मीर के कुछ स्थानों पर हल्की बर्फबारी हो सकती है।

उत्तर प्रदेश के कुछ क्षेत्रों में हल्की बारिश हुई जबकि शेष स्थानों पर मौसम आमतौर पर शुष्क रहा।

मौसम विभाग ने बृहस्पतिवार को एक बयान में बताया कि उत्तर प्रदेश में सर्वाधिक 24.6 डिग्री सेल्सियस तापमान गोरखपुर में जबकि सबसे कम तापमान बरेली में 3.3 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।

विभाग ने मौसम शुष्क रहने और कुछ स्थानों पर कोहरा छाये रहने का अनुमान जताया है।

राजस्थान के पयर्टन स्थल माउंट आबू में पारा बुधवार रात एक बार फिर जमाव बिंदु से नीचे चला गया।

माउंट आबू में न्यूनतम तापमान शून्य से 1.0 डिग्री सेल्सियस नीचे दर्ज किया गया।

वहीं, बृहस्पतिवार सुबह राज्य के अनेक इलाकों में घना कोहरा छाया रहा और लोग सर्दी से बचने के लिए अलाव तापते नजर आए।

मौसम विभाग के अनुसार राज्य के एकमात्र पहाड़ी पर्यटन स्थल माउंट आबू में बुधवार रात न्यूनतम तापमान शून्य से 1.0 डिग्री सेल्सियस नीचे दर्ज किया गया।

सीकर में बुधवार रात न्यूनतम तापमान 0.5 डिग्री, चुरू में 2.2 डिग्री, पिलानी में 2.5 डिग्री, गंगानगर में 2.8 डिग्री, बीकानेर में 3.1 डिग्री, फलौदी एवं वनस्थली में 5.8 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।

राज्य के ज्यादातर हिस्सों में रात का तापमान नौ डिग्री सेल्सियस से कम बना हुआ है।

मौसम विभाग ने राज्य के कई हिस्सों में शीतलहर की चेतावनी की है।

विभाग के अनुसार, राज्य के गंगानगर, हनुमानगढ़, बीकानेर, चुरू, नागौर, सीकर, झुंझुनूं, अलवर एवं भरतपुर जिले में आगामी चौबीस घंटे में कहीं-कहीं शीतलहर चलने का पूर्वानुमान है।

माउंट आबू में न्यूनतम तापमान (-2.5) डिग्री से.

राजस्थान के पर्वतीय पर्यटन स्थल माउंट आबू में शुक्रवार को न्यूनतम तापमान माइनस (-2.5) डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया वही तापमान गिरने से बढ़ी सर्दी के चलते जनजीवन प्रभावित रहा।

सवेरे भीषण सर्दी ने लोगों को दिन चढने तक घरों में ही दुबके रहने को मजबूर कर दिया। शुक्रवार का दिन इस सीजन का सर्वाधिक ठंडा दिन रहा। दांत किटकिटा देने वाली सर्दी से लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा। अधिकतम तापमान 18 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।

उतर प्रदेश और राजस्थान में प्रवासी पक्षियों ने डेरा डाला: जैसलमेर में पहली बार देखा गया प्रवासी पक्षी डालमेशियन बर्ड्स;सहारनपुर की हैदरपुर नमभूमि पर प्रवासी पक्षियों ने डाला डेरा attacknews.in

जैसलमेर/सहारनपुर 17 दिसम्बर । राजस्थान में रेगिस्तानी इलाको में मानसून में जमकर बरसात होने के बाद बड़ी संख्या में सुदुर देशोें से प्रवासी पक्षियों की ऐसी प्रजातियां जैसलमेर में देखी जा रही हैं जो कि संभवतः पहली बार देखी गई हैं।

इससे वन्य जीव प्रेमियों में खुशी नजर आ रही हैं तथा उन्हें शोध के लिए नया विषय मिल रहा हैं। इसी कड़ी में इस बार डालमेशियन पेलकिन नामक बर्ड्स के साथ कई अन्य पहली बार देखे गए हैं जो कि यहां के पर्यावरण की दृष्टि से काफी बेहतर संकेत माना जा सकता हैं।

डालमेशियन पेलकिन नामक बर्ड्स भारत के पूर्वी एवं दक्षिणी भागो मे नजर आता हैं लेकिन इस बार पहली बार पश्चिमी राजस्थान के रेगिस्ताती इलाको में जलभराव वाले स्थानो पर देखा गया हैं। इससे पहले भी कई प्रकार की नई चिड़ियो की प्रजातियां जिसमें लेमविन, कई प्रकार के फाॅलकन, कुर्जा, गिद्द आदि प्रमुख हैं देखे जा रहे हैं।

हैदरपुर नमभूमि पर प्रवासी पक्षियों ने डाला डेरा

उत्तर प्रदेश में सहारनपुर मंडल की इकलौती हैदरपुर नमभूमि स्थल की छटा इन दिनों देखते ही बनती है। शीत ऋतु का आगमन होते ही प्रवासी पक्षियों का इस नमभूमि पर आगमन होना शुरू हो गया है। स्थानीय पक्षियों ने भी हैदरपुर नमभूमि और झील पर डेरा डाल लिया है।

करीब डेढ़ वर्ष पहले सहारनपुर के पूर्व कमिश्नर संजय कुमार और वन विभाग के हाल ही में सेवानिवृत्त हुए सहारनपुर के वन संरक्षक वीके जैन के प्रयासों से बिजनौर गंगा बैराज के पास एक बहुत बड़ी नमभूमि पर हैदरपुर वेटलैंड के नाम से स्थल की स्थापना की गई थी जहां हजारों-लाखों की तादाद में स्थानीय व प्रवासी पक्षी अपनी गतिविधियां संपन्न करते हैं और प्रजनन आदि की क्रियाओं में भी भाग लेते हैं। यह स्थल पक्षियों के लिए पूरी तरह से अनुकूल और सुरक्षित बनाने का प्रयास संजय कुमार द्वारा किया गया।

इस स्थल का केन्द्र सरकार में संयुक्त सचिव टी. उमा ने दौरा किया। उन्होंने काफी देर तक वहां कलरव करते हजारों सुंदर पक्षियों को निहारा। उनका कहना था कि हैदरपुर वेटलैंड रामसर साईट घोषित किए जाने की पात्रता रखती है और यह विश्व स्तरीय वेटलैंडों में शामिल किए जाने के सर्वथा उपयुक्त है।

उन्होंने पत्रकारों को बताया कि केन्द्र सरकार इस दिशा में गंभीर प्रयास करेगी। वन विभाग के एक अधिकारी सूरज ने बताया कि हैदरपुर नमभूमि स्थल वन्य जीव-जंतुओं और पक्षियों के लिए बहुत ही अनुकूल है। वन विभाग इस स्थल की पूरी तरह से देखरेख करता है। प्रशासन ने वहां पर शिकारियों और असामाजिक तत्वों के प्रवेश करने पर सख्ती से रोक लगाई हुई है। केंद्रीय संयुक्त सचिव टी. उमा और वन विभाग के अधिकारी सूरज ने बताया कि हैदरपुर नमभूमि स्थल पर गंगा में मौजूद डालफिन की मौजूदगी से पता चलता है कि इस स्थान पर गंगा का पानी शुद्ध और स्वच्छ है। डालफिन की विशेषता यह है कि वह शुद्ध और स्वच्छ पानी में ही पाई जाती है।

इस नमभूमि पर ग्रे लेग गूज,सुरखाब,कामन सेल डक आदि प्रजातियों के पक्षी बड़ी संख्या में वहां डेरा जमाए हुए हैं। केंद्रीय संयुक्त सचिव टी.उमा जो केरल कैडर की आईएफएस हैं, ने हैदरपुर वेटलैंड विकसित किए जाने के लिए आईएस अफसर संजय कुमार और वन विभाग के पूर्व संरक्षक वीके जैन के प्रयासों की सराहना की है।

मध्यप्रदेश के कई भागों में हुई हल्की बारिश, प्रदेश में बिगड़ा मौसम, कोहरे के बीच हुई हल्की बौछारें, मंगलवार- बुधवार भी रहेंगे बारिश भरे दिन attacknews.in

भोपाल, 14 दिसंबर । मध्यप्रदेश के कई भागों में हल्की बारिश का दौर सोमवार को चौथे दिन भी जारी रहा। प्रदेश में आज भी मौसम का मिजाज बिगड़ा रहा। राजधानी भोपाल सहित प्रदेश के अधिकांश स्थानों पर बारिश की हल्की बौछारें पड़ीं, तो वहीं कुछ स्थानों पर कोहरा भी देखा गया। भोपाल में सुबह से कोहरे की हल्की धुंध रही।

मौसम विज्ञान केन्द्र भोपाल के वरिष्ठ वैज्ञानिक पी के साहा ने बताया कि अरब सागर में बने चक्रवात के चलते वहां से नमी लगातर आ रही है, जिसके चलते प्रदेश में मौसम बिगडा हुआ है।

उन्होंने कहा राजधानी समेत प्रदेश भर में मौसम का हाल ऐसा ही बना हुआ है। इस बीच भोपाल सहित प्रदेश के कुछ स्थानों पर हल्की बौछारें पड़ी। वहीं उत्तर प्रदेश की सीमा से लगे क्षेत्रों में कोहरा भी देखा गया। भोपाल में भी कोहरा रहा, जिसके चलते यहां ‘विजिबिलिटी’ 600 मीटर तक रह गयी।

श्री साहा ने बताया कि अरब सागर में बनी चक्रवात की स्थिति के कारण पूरे मध्यप्रदेश में नमी बनी हुई है तथा पूर्वी एवं पश्चिमी मध्यप्रदेश में चौथे दिन भी हल्की बारिश हुई। हालांकि, रविवार के मुकाबले सोमवार को कम बारिश हुई है।

उन्होंने कहा कि भोपाल सहित मध्यप्रदेश के कुछ भागों में सोमवार को दिन भर कोहरा छाया रहा, जिससे दृश्यता कम हो गई।

साहा ने बताया कि प्रदेश की राजधानी भोपाल में सोमवार पांच बजे तक दृश्यता 600 मीटर से अधिक नहीं थी।

उन्होंने कहा कि सोमवार सुबह साढ़े आठ बजे से लेकर शाम साढ़े पांच बजे तक भोपाल में चार मिलीमीटर वर्षा दर्ज की गई।

साहा ने बताया कि मध्यप्रदेश में सर्वाधिक 12.4 मिलीमीटर वर्षा राजगढ़ जिले के खिलचीपुर में हुई।

मौसम विभाग के अनुसार मंगलवार सुबह साढ़े आठ बजे से लेकर बुधवार सुबह साढ़े आठ बजे तक 24 घंटे के दौरान प्रदेश के रीवा, शहडोल, जबलपुर, सागर, होशंगाबाद एवं भोपाल संभागों के जिलों में तथा बुरहानपुर, खंडवा, उज्जैन, देवास, शाजापुर, आगर मालवा एवं गुना जिलों में कहीं-कहीं पर वर्षा या गरज चमक के साथ बौछारें गिर सकती है, जबकि शेष स्थानों के जिलों में मौसम शुष्क रहने का पूर्वानुमान है।