दिल्ली- एनसीआर के करोड़ों लोगों की वायु प्रदूषण से जिंदगी और मौत के सवाल पर राज्य सरकारों को सुप्रीम कोर्ट ने फटकारा attacknews.in

नयी दिल्ली, छह नवंबर ।उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को कहा कि खतरनाक स्तर का वायु प्रदूषण दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के करोड़ों लोगों के लिये जिंदगी-मौत का सवाल बन गया है। शीर्ष अदालत ने कहा कि वायु प्रदूषण पर अंकुश लगा पाने में विफल रहने के लिये प्राधिकारियों को ही जिम्मेदार ठहराना होगा।

न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने सवाल किया, ‘‘क्या आप लोगों को प्रदूषण की वजह से इसी तरह मरने देंगे। क्या आप देश को सौ साल पीछे जाने दे सकते हैं?’’

पीठ ने कहा, ‘‘हमें इसके लिये सरकार को जवाबदेह बनाना होगा।’’ पीठ ने सवाल किया, ‘‘सरकारी मशीनरी पराली जलाये जाने को रोक क्यों नहीं सकती?’’

न्यायाधीशों ने राज्य सरकारों को आड़े हाथ लेते हुये कहा कि यदि उन्हें लोगों की परवाह नहीं है तो उन्हें सत्ता में रहने का कोई अधिकार नहीं है।

पीठ ने कहा, ‘‘आप (राज्य) कल्याणकारी सरकार की अवधारणा भूल गये हैं। आप गरीब लोगों के बारे में चिंतित ही नहीं हैं। यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है।’’

शीर्ष अदालत ने यह भी सवाल किया कि क्या सरकार किसानों से पराली एकत्र करके उसे खरीद नहीं सकती?

दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में दम घोंटने वाले वायु प्रदूषण की गंभीर स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुये पीठ ने कहा, ‘‘हम पराली जलाने और प्रदूषण पर नियंत्रण के मामले में देश की लोकतांत्रिक सरकार से और अधिक अपेक्षा करते हैं। यह करोड़ों लोगों की जिंदगी और मौत से जुड़ा सवाल है। हमें इसके लिये सरकार को जवाबदेह बनाना होगा।

दम घोंटने वाले वायु प्रदूषण में किसानों द्वारा पराली जलाये जाने के योगदान के मद्देनजर शीर्ष अदालत ने सोमवार को पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और दिल्ली के मुख्य सचिवों को छह नवंबर को न्यायालय में पेश होने का निर्देश दिया था।

दिल्ली और इससे लगे इलाकों में वायु प्रदूषण की गंभीर स्थिति को देखते हुए न्यायालय ने मंगलवार को इसका स्वत: संज्ञान लेते हुए अलग से खुद एक नया मामला दर्ज किया। इस मामले में अन्य मामले के साथ ही बुधवार को सुनवाई हुयी।

इससे पहले, शीर्ष अदालत ने दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण की गंभीर स्थिति को ‘भयावह’ करार दिया था। साथ ही, क्षेत्र में निर्माण एवं तोड़-फोड़ की सभी गतिविधियों तथा कूड़ा-करकट जलाये जाने पर प्रतिबंध लगा दिया था।

न्यायालय ने कहा था कि ‘आपात स्थिति से बदतर हालात’ में लोगों को मरने के लिये नहीं छोड़ा जा सकता। न्यायालय ने यह भी कहा कि उसके आदेश के बावजूद निर्माण कार्य एवं तोड़फोड़ की गतिविधियां करने वालों पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया जाए।

पीठ ने कहा था कि इलाके में यदि कोई कूड़ा-करकट जलाते पाया गया तो उस पर 5,000 रुपये का जुर्माना लगाया जाए।

न्यायालय ने यह भी कहा था कि इस आदेश का किसी तरह का उल्लंघन होने पर स्थानीय प्रशासन और क्षेत्र के अधिकारी जिम्मेदार ठहराये जाएंगे।

पीठ ने कहा था कि वैज्ञानिक आंकड़ों से यह पता चलता है कि क्षेत्र में रहने वालों की आयु इसके चलते घट गई है।

न्यायालय ने सवाल उठाया था कि , ‘‘क्या इस वातावरण में हम जीवित रह सकते हैं? ‘‘दिल्ली का हर साल दम घुट रहा है और हम इस मामले में कुछ भी नहीं कर पा रहे हैं। सवाल यह है कि हर साल ऐसा हो रहा है। किसी भी सभ्य समाज में ऐसा नहीं हो सकता।’’ शीर्ष अदालत ने कहा था, ‘‘ ‘‘दिल्ली में रहने के लिये कोई भी जगह सुरक्षित नहीं है। यहां तक कि लोग अपने घरों में भी सुरक्षित नहीं है। यह भयावह है।’’

इंदिरा गांधी रायबरेली सीट हारने के बाद इस सीट को सुरक्षित नहीं मान रहीं थी लेकिन आज यह कांग्रेस पार्टी का गढ़ बनी हुई है attacknews.in

रायबरेली, 19 मार्च । कांग्रेस का गढ़ माने जाने वाले उत्तर प्रदेश के रायबरेली संसदीय क्षेत्र में पार्टी को पहला झटका यहां तब लगा था जब आपातकाल से खिन्न जनता ने 1977 के चुनाव में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को बाहर का रास्ता दिखा दिया था।

इस चुनाव में केवल यहीं नहीं पूरे उत्तर भारत में कांग्रेस का सफाया हो गया था और वह सत्ता से बाहर हो गयी थी हालांकि इसके ढाई वर्ष के बाद ही इंदिरा गांधी के नेतृत्व में पार्टी ने सत्ता में वापसी की।

आपातकाल के बाद 1977 में चुनाव हुए में इंदिरा गांधी काे रायबरेली में उन्हें जनता पार्टी के उम्मीदवार राजनारायण से शिकस्त का सामना करना पडा था। लगभग ढाई साल तक सत्ता से बाहर रहने के बाद वर्ष 1980 में जब मध्यावधि चुनाव हुए, ताे यह अटकले लगायी जाने लगी कि इंदिरा शायद रायबरेली से चुनाव ना लड़ें। खुद इंदिरा रायबरेली से अपनी जीत के प्रति आश्वस्त नहीं थी। इसके कई कारण थे जिनमें एक ताे वहां से पिछला चुनाव हार चुकी थीं, दूसरा कि उनके खिलाफ जनता पार्टी ने जबरदस्त याेजना बनायी थी। इस याेजना के तहत रायबरेली से जनता पार्टी ने अपनी दमदार नेता राजमाता विजयाराजे सिंधिया काे मैदान में उतारा था।

धुन की पक्की कांग्रेस नेत्री ने अपनी याेजना बनायी जिससे वह बगैर जोखिम लिये किसी भी कीमत पर संसद में पहुंचे। उन्होंने तय किया कि वह दाे सीटाें से चुनाव लड़ेंगी। एक रायबरेली और दूसरा आंध्रप्रदेश की मेडक सीट। रायबरेली की तुलना में मेडक सीट ज्यादा सुरक्षित थी। वर्ष 1977 में जब कांग्रेस काे हिंदी भाषी क्षेत्राें में करारी हार झेलनी पड़ी थी, तब दक्षिण ने ही कांग्रेस काे कुछ हद तक बचाया था। इसलिए उन्हाेंने मेडक सीट से भी चुनाव लड़ने का निर्णय लिया था।

जनता पार्टी के नेता किसी भी हाल में इंदिरा गांधी काे संसद में पहुंचने से राेकना चाहते थे। इसलिए जिन दाे सीटाें पर इंदिरा गांधी चुनाव लड़ रही थीं, उन दाेनाें सीटाें पर जनता पार्टी ने दमदार प्रत्याशी उतारा। रायबरेली में उनके सामने राजमाता सिंधिया थीं, ताे मेडक में इंदिरा गांधी के खिलाफ एस जयपाल रेड्डी चुनाव मैदान में उतरे। श्री रेड्डी जनता पार्टी सरकार में मंत्री थे और ताकतवर नेता माने जाते थे लेकिन उनका सामना इस बार इंदिरा गांधी से हाे रहा था। क्या इंदिरा काे हरा कर जयपाल रेड्डी राजनारायण की याद ताजा करेंगे, यही सवाल उठ रहे थे। इधर, जनता पार्टी की किचकिच का असर भी दिख रहा था। जनता का माेह जनता पार्टी से भंग हाे रहा था।

चुनाव में इंदिरा गांधी की लाेकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उन्हाेंने दाेनाें सीटाें पर भारी मताें से जीत दर्ज की। पारंपरिक सीट रायबरेली में उन्हाेंने राजमाता सिंधिया काे डेढ़ लाख से ज्यादा मताें से हराया।

यह चुनाव उन्होंने कांग्रेस (आइ) के बैनर तले चुनाव लड़ा था। उन्हें 2,23,903 मत मिले थे, जबकि राजमाता काे सिर्फ 50,249 मत मिले। आंध्र प्रदेश की सीट मेडक से भी इंदिरा गांधी दाे लाख से ज्यादा मताें से जीती थीं। श्रीमती गांधी काे 3,01,577 मत मिले थे, जबकि जनता पार्टी के नेता एस जयपाल रेड्डी काे सिर्फ 82,453 मतो से संतोष करना पडा था। बाद में इंदिरा गांधी ने रायबरेली सीट छोड़ दी थी।

इसके अलावा रायबरेली सीट पर कांग्रेस को दो बार हार का सामना करना पडा जब वर्ष 1996 और 1998 में भाजपा के अशोक कुमार सिंह ने यहां से जीत हासिल की। आजादी के बाद से अब तक यहां 19 बार हुये चुनावों में 16 मर्तबा कांग्रेस का परचम लहराया है। कांग्रेस की मौजूदा प्रत्याशी सोनिया गांधी 2004 से यहां से सांसद है।

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देश का नवीनतम संचार उपग्रह जीसैट- 31 का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण attacknews.in

देश का नवीनतम संचार उपग्रह जीसैट-31 का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण ,
बेंगलुरू, छह फरवरी । देश के नवीनतम संचार उपग्रह जीसैट-31 का बुधवार तड़के सफल प्रक्षेपण हुआ। यह प्रक्षेपण यूरोपीय प्रक्षेपण सेवा प्रदाता एरियनस्पेस के रॉकेट से फ्रेंच गुआना से किया गया।

दक्षिण अमेरिका के उत्तर पूर्वी तट पर फ्रांस के क्षेत्र में स्थित कोउरू के एरियन लॉन्च कॉम्प्लैक्स से भारतीय समयानुसार तड़के दो बजकर 31 मिनट पर उपग्रह का प्रक्षेपण किया गया। एरियन-5 यान ने करीब 42 मिनट की निर्बाध उड़ान के बाद जीसैट-31 को कक्षा में स्थापित कर दिया।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के निदेशक एस पांडियन ने प्रक्षेपण के तुरंत बाद कोउरू में कहा, ‘‘एरियन-5 रॉकेट से जीसैट-31 उपग्रह के सफल प्रक्षेपण से मैं बहुत खुश हं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘सफलतापूर्वक प्रक्षेपण और उपग्रह को सटीकता से कक्षा में स्थापित करने के लिए एरियनस्पेस को बधाई।’’

उन्होंने बताया कि जीसैट-31 केयू बैंड के साथ ‘‘उच्च क्षमता’’ का संचार उपग्रह है और यह उन उपग्रहों का स्थान लेगा जिनकी संचालन अवधि जल्द ही समाप्त हो रही है।

एरियनस्पेस के सीईओ स्टीफन इस्राइल ने ट्वीट किया, ‘‘सऊदी के भू स्थैतिक उपग्रह 1/हेलास सैट 4 और जीसैट-31 की उड़ान के साथ एरियनस्पेस की 2019 की अच्छी शुरुआत हुई। इनकी सफलता भू स्थैतिक प्रक्षेपण के क्षेत्र में हमारे नेतृत्व की स्थिति बताती है।’’

इसरो ने एक बयान में बताया कि करीब 2,536 किलोग्राम वजनी भारतीय उपग्रह कक्षा में मौजूद कुछ उपग्रहों को परिचालन संबंधी सेवाएं जारी रखने में मदद करेगा।

यह इसरो के पहले के इनसैट/जीसैट उपग्रह श्रृंखला का उन्नत रूप है। यह भारतीय मुख्य भूभाग और द्वीपों को संचार सेवाएं मुहैया कराएगा।

जीसैट-31 देश का 40वां संचार उपग्रह है। यह भूस्थैतिक कक्षा में केयू-बैंड ट्रांसपॉन्डर क्षमता को बढ़ाएगा।

इसकी अवधि करीब 15 साल है। इसका इस्तेमाल वीसैट नेटवर्क, टेलीविजन अपलिंक, डिजीटल उपग्रह समाचार संग्रह, डीटीएच-टेलीविजन सेवाओं, सेलुलर बैकहॉल कनेक्टिविटी और ऐसे कई उपकरणों में किया जाएगा।

यह व्यापक बैंड ट्रांसपॉन्डर की मदद से अरब सागर, बंगाल की खाड़ी और हिंद महासागर के बड़े हिस्से में संचार की सुविधाओं के लिए व्यापक बीम कवरेज उपलब्ध कराएगा।

एरियनस्पेस इसरो के लिए अन्य भू स्थैतिक उपग्रह जीसैट-30 का भी जल्द प्रक्षेपण करेगा।

पांडियन ने कहा, ‘‘जल्द ही हम जून, जुलाई में जीसैट-30 का प्रक्षेपण करने के लिए फिर से फ्रेंच गुआना आएंगे।’’