मध्यप्रदेश में 28 सीटों पर उपचुनाव को लेकर तस्वीर लगभग साफ,बहुजन समाज पार्टी की उपस्थिति कांग्रेस पार्टी के वोट बैंक में करेगी सेंधमारी attacknews.in

भोपाल, 07 अक्टूबर । मध्यप्रदेश में 28 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के लिए सत्तारूढ़ दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस की ओर से प्रत्याशी घोषित किए जाने के बाद मुकाबले को लेकर तस्वीर लगभग साफ हो गयी है।

भाजपा ने कल रात सभी 28 सीटों पर एकसाथ प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं। इनमें से 25 सीटों पर उन्हीं पूर्व विधायकों पर दाव खेला गया है, जो नवंबर दिसंबर 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर विजयी हुए थे, लेकिन इस वर्ष मार्च माह और उसके बाद के महीनों में विधायक पद से त्यागपत्र देकर कांग्रेस का साथ छोड़ दिया था और भाजपा में शामिल हो गए। शेष तीन सीटों जौरा, आगर और ब्यावरा में क्रमश: सूबेदार सिंह रजौधा, मनोज ऊंटवाल और नारायण सिंह पवार को प्रत्याशी घोषित किया गया है। इन तीनों सीटों पर तत्कालीन विधायकों के निधन के कारण उपचुनाव हो रहा है।

सत्ता में वापसी के लिए व्याकुल नजर आ रही कांग्रेस ने तीन सूचियों के माध्यम से 27 सीटों पर प्रत्याशी घोषित किए हैं। ब्यावरा सीट पर भी शीघ्र ही प्रत्याशी घोषित हो जाने की उम्मीद है। कांग्रेस ने 11 सितंबर को 15 प्रत्याशियों की सूची जारी की थी। इसके बाद 27 सितंबर को नौ प्रत्याशी घोषित किए गए और कल चार प्रत्याशियों की घोषणा की गयी, जिसमें से बदनावर सीट से प्रत्याशी को बदला गया। बदनावर में कांग्रेस ने पहले अभिषेक सिंह टिंकू बना को उम्मीदवार बनाया था, लेकिन कल उनके स्थान पर कमल पटेल पर दाव खेलने का निर्णय लिया गया। कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि ब्यावरा सीट पर भी प्रत्याशी शीघ्र घोषित कर दिया जाएगा।

आगामी तीन नवंबर को जिन 28 सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं, उनमें से वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव के नतीजों के अनुसार 27 पर कांग्रेस और मात्र आगर सीट पर भाजपा विजयी हुयी थी। आगर में भाजपा विधायक मनोहर ऊंटवाल के निधन के कारण उपचुनाव की नौबत आयी है।

भाजपा और कांग्रेस के अलावा बहुजन समाज पार्टी (बसपा) भी चुनाव मैदान में है और उसने दो सूची के जरिए लगभग डेढ़ दर्जन सीटाें पर अपने प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं। कुल 28 सीटों में से 16 सीटें ग्वालियर चंबल अंचल से हैं, जहां पर इसी वर्ष कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया का प्रभाव माना जाता है। श्री सिंधिया और उनके समर्थक राज्य के मंत्री इस बार भाजपा के प्रतिनिधि के तौर पर चुनाव मैदान में मतदाताओं से वोट मांगते हुए दिखायी दे रहे हैं।

राजनैतिक प्रेक्षकों का मानना है कि उपचुनाव में बसपा प्रत्याशियों की उपस्थिति चुनावी रण को रोचक बना रही है। ग्वालियर चंबल अंचल में बसपा की काफी पैठ मानी जाती है। साथ ही यह भी महत्वपूर्ण है कि बसपा कांग्रेस पार्टी के वोट बैंक में सेंध लगाने की भूमिका निभाएगी, अब देखना यह है कि बसपा कुछ सीटाें पर अपना परचम लहराकर उपस्थिति दर्ज कराने में कामयाब होगी या सिर्फ राजनैतिक दलों के वोट काटने का काम करेगी।

सभी 28 सीटों पर उपचुनाव के लिए अधिसूचना नौ अक्टूबर को जारी होने के साथ ही नामांकन पत्र दाखिले का कार्य शुरू हो जाएगा और यह कार्य 16 अक्टूबर तक जारी रहेगा। अगले दिन 17 अक्टूबर को नामजदगी के परचों की छानबीन की जाएगी और प्रत्याशी 19 अक्टूबर तक नाम वापस ले सकेंगे। इन सभी सीटों पर एकसाथ तीन नवंबर को मतदान होगा और 10 नवंबर को मतगणना के साथ नतीजे सामने आ जाएंगे।

मध्यप्रदेश की 230 सदस्यीय विधानसभा में वर्तमान में 202 विधायक हैं। इनमें भाजपा के 107, कांग्रेस के 88, बसपा के दो, समाजवादी पार्टी का एक और चार निर्दलीय शामिल हैं। इस तरह कुल 230 सदस्यीय विधानसभा में पूर्ण सदन की स्थिति में जादुयी आकड़ा यानी कि बहुमत साबित करने के लिए सदस्यों की न्यूनतम संख्या 116 है।

उपचुनाव के लिए चुनावी रण में उतरे दलों का चुनाव प्रचार अभियान पहले ही प्रारंभ हो चुका है। भाजपा की ओर से जहां मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, श्री सिंधिया, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और अन्य वरिष्ठ नेता लगातार दौरे कर रहे हैं, तो कांग्रेस की ओर से प्रदेश अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ही अपनी टीम के साथ नजर आ रहे हैं। श्री कमलनाथ बार बार दावा कर रहे हैं कि सभी 28 सीटों पर कांग्रेस विजयी होगी।

प्रबल प्रताप ने टिकिट नही मिलने पर कांग्रेस से इस्तीफा दिया

मध्यप्रदेश के मुरैना नगर पालिका के पूर्व उपाध्यक्ष और वरिष्ठ कांग्रेस नेता प्रबल प्रताप सिंह मावई ने मुरैना विधान सभा क्षेत्र से उप चुनाव में टिकिट नहीं देने से नाराज होकर कांग्रेस पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है।

विधान सभा के उप चुनाव में इस बार कांग्रेस ने मुरैना से उनके सगे चचेरे भाई और जिला कांग्रेस के अध्यक्ष राकेश मावई को अपना उम्मीदबार घोषित कर दिया। इसी से नाराज होकर उन्होंने पार्टी अध्यक्ष कमलनाथ को अपनी प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा भेज दिया है।

हाथरस की घटना को लेकर आंदोलित विपक्ष के नेता बंगाल, बिहार, राजस्थान में राजनीतिक पर्यटन पर कब जाएंगे,न्याय दिलाने के नाम पर दंगे भड़काना और वैमनस्य फैलाना उचित नहीं attacknews.in

नयी दिल्ली ,05 अक्टूबर । भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने हाथरस की घटना को लेकर आंदोलित विपक्ष के नेताओं को आड़े लेते हुए आज सवाल किया कि वे पश्चिम बंगाल में दिनदहाड़े थाने के सामने मारे गये भाजपा के कार्यकर्ता मनीष शुक्ला, बिहार में राष्ट्रीय जनता दल के पूर्व कार्यकर्ता शक्ति मलिक और राजस्थान के बारां जिले में बलात्कार की शिकार दो नाबालिग लड़कियोें के घर कब जाएंगे।

भाजपा के प्रवक्ता डॉ संबित पात्रा ने यहांं एक संवाददाता सम्मेलन में विपक्षी नेताओं पर चयनित राजनीति करने का आरोप लगाते हुए कहा कि इस देश में लोकतंत्र है। यदि कहीं किसी राजनीतिक दल को लगता है कि कोई अन्याय हुआ है तो वे वहां जाने और आवाज़ उठाने के लिए स्वतंत्र हैं लेकिन समुदायों एवं धर्माें में लड़ाई करने की इजाजत नहीं दी जा सकती है। न्याय दिलाने के नाम पर दंगे भड़काना और वैमनस्य फैलाना उचित नहीं है।

डॉ. पात्रा ने कहा कि एक जमाना था जब पश्चिम बंगाल बुद्धिजीवियों, संस्कार एवं संस्कृति का गढ़ माना जाता था लेकिन विगत कुछ समय से पहले वाममोर्चा और बाद में तृणमूल कांग्रेस ने बंगाल को राजनीतिक हत्याओं का गढ़ बना दिया है।

उन्होंने कहा, “04 अक्टूबर को जिस प्रकार 24 नार्थ परगना में भाजपा के पार्षद एवं स्थानीय नेता मनीष शुक्ला की हत्या हुई है वो अपने आप में बहुत ही निंदनीय और चिंता का विषय है। बंगाल में राजनीतिक हत्याएं एक ‘न्यू नॉर्मल’ हो गई हैं।”

उन्होंने कहा, “बंगाल में विगत 2 महीनों में बहुत हत्याएं हुई हैं। लगभग रोज एक कार्यकर्ता की हत्या की जा रही है। बंगाल में 115 कार्यकर्ताओं की हत्या हो चुकी है। मैं ममता जी से पूछना चाहता हूं क्या यही बंगाल का लोकतंत्र है?” उन्होंने कहा कि बैरकपुर के सांसद अर्जुन सिंह एवं स्वयं श्री शुक्ला ने वीडियो पर पुलिस से अपनी जान को खतरे की बात कही थी और इस बारे में पुलिस के आयुक्त और अतिरिक्त आयुक्त का नाम लिया जा रहा है। इससे भाजपा के महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने श्री शुक्ला की हत्या की केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) से जांच कराने की मांग की है जो बिल्कुल उचित है।

भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि बिहार में जिस प्रकार की राजद की राजनीति हम देख रहे हैं, उसे लेकर राजद को जवाब देना होगा। बिहार के जाने माने दलित युवा नेता शक्ति कुमार मलिक की हत्या कर दी गई। वह पहले राजद के अनुसूचित जाति मोर्चा के महासचिव थे, कुछ दिन पहले ही उन्हें पार्टी से निकाल दिया गया था। वह रानीगंज से निर्दलीय चुनाव लड़ने की तैयारी में थे। श्री मलिक की पत्नी ने आरोप लगाया कि राजद के बड़े नेता उगाही में पैसे मांग रहे थे, पर दलित नेता ने इनकार कर दिया था। उन्होंने श्री तेज प्रताप यादव एवं श्री तेजस्वी यादव का नाम लिया है। इसका जवाब कौन देगा।

उन्होंने कहा कि राजस्थान के बारां में कुछ दिनों पहले नाबालिग लड़कियों से बलात्कार की घटना सामने आयी थी। छत्तीसगढ़ के एक नेता ने कहा कि यह छोटी घटना है। कांग्रेस के नेताओं के लिए बलात्कार भी छोटा बड़ा होने लगा है।

उन्होंने कहा कि विपक्ष को जवाब देना चाहिए कि उनके नेताओं को राजनीतिक पर्यटन का शौक है तो वह श्री मनीष शुक्ला, श्री शक्ति मलिक और राजस्थान की लड़कियों के घर कब जाएंगे।

डॉ. पात्रा ने गुरुदेव रवीन्द्र नाथ टैगोर को उद्धृत करते हुए कहा कि बंगाल में जितने कार्यकर्ता मारे जाएंगे, भाजपा उतनी ही शक्तिशाली होती जाएगी और इस अत्याचार का लोकतांत्रिक ढंग से जवाब दिया जाएगा।

बिहार चुनाव:जदयू और राजद ने उम्मीदवारों को सिंबल बांटना शुरू किया,रघुवंश सिंह समर्थकों ने रामा सिंह के राजद में शामिल किए जाने के विरोध में हंगामा किया , चिराग ने कहा:जदयू को दिया गया वोट पलाय को करेगा मजबूर attacknews.in

पटना 05 अक्टूबर ।बिहार विधानसभा चुनाव के लिए राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन(राजग) में घटक दलों के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर भले ही अब तक औपचारिक घोषणा नहीं हुई है, लेकिन जनता दल यूनाइटेड(जदयू)ने अपने प्रत्याशियों को सिंबल देना शुरू कर दिया है ।

जदयू ने चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों के नामों की सूची को अंतिम रूप देने के बाद सोमवार को ऐसे सभी प्रत्याशियों को मुख्यमंत्री आवास बुलाया गया और उन्हें बारी-बारी से सिंबल देकर नामांकन के लिए तैयारी करने का निर्देश दिया गया । पार्टी की ओर से चुनाव लड़ने के लिए सिंबल मिलने के बाद मुख्यमंत्री आवास से बाहर आए नेताओं ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि इस बार राज्य में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में राजग की फिर से सरकार बनना तय है ।

विधानसभा चुनाव के लिए जिन उम्मीदवारों का नाम तय हो चुके हैं और सिंबल भी बांटा जा रहा है उनमें दिनारा से जय कुमार सिंह, जहानाबाद से कृष्णनंदन प्रसाद वर्मा, धोरैया से मनीष कुमार, करगहर से वशिष्ट सिंह, रफीगंज से अशोक कुमार सिंह, नबीनगर से वीरेंद्र कुमार सिंह, झाझा से दामोदर रावत, मोकामा से राजीव लोचन, चकाई से संजय प्रसाद, नवादा से कौशल यादव, बेलहर से मनोज यादव, मसौढ़ी से नूतन पासवान, शेरघाटी से विनोद यादव, अमरपुर से जयंत राज, कुर्था से सत्यदेव कुशवाहा, चकाई से संजय प्रसाद, सुल्तानगंज से ललित कुमार मंडल, जमालपुर से शैलेश कुमार, नोखा से नागेंद्र चंद्रवंशी, चेनारी से ललन पासवान, घोसी से राहुल कुमार, जगदीशपुर से कुसुमलता कुशवाहा, अगियांव से प्रभु राम, पालीगंज से जयवर्द्धन और बोधगया से कुमार सर्वजीत शामिल हैं।

राजद ने पहले चरण के चुनाव के लिए 20 उम्मीदवारों के नाम तय किए

बिहार विधानसभा चुनाव के प्रथम चरण की 71 सीट में से राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने अपने कोटे की 144 में से 20 सीट के उम्मीदवारों के नाम तय कर लेने के बाद आज उन्हें सिंबल भी दे दिए।

राजद ने प्रथम चरण के चुनाव के लिए तय किए गए प्रत्याशियों को सोमवार को पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के सरकारी आवास पर बुलाकर उन्हें पार्टी का सिंबल दिया। पार्टी ने राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के पुत्र सुधाकर को रामगढ़, राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव के बेहद करीबी और पूर्व मंत्री शिवानंद तिवारी के पुत्र राहुल तिवारी को शाहपुर विधानसभा क्षेत्र से दोबारा उम्मीदवार बनाया है। वहीं, नाबालिग लड़की से बलात्कार के आरोप में उम्रकैद की सजा काट रहे राजबल्लभ यादव की पत्नी विभा देवी को नवादा से उम्मीदवार बनाया है।

पार्टी ने पातेपुर से शिवचंद्र राम, बेला से सुरेंद्र यादव, बोधगया से सर्वजीत कुमार, मखदुमपुर से सूबेदार दास, जहानाबाद से सुदय यादव, नवीनगर से डब्लू सिंह, ओबरा से ऋषि सिंह, गोह से भीम सिंह, नोखा से अनीता देवी, जमुई से विजय प्रकाश, जगदीशपुर से रामविशुन लोहिया, बेलहर से रामदेव यादव, झाझा से राजेंद्र यादव, चकाई से सावित्री देवी, मधुबनी से समीर कुमार महासेठ, शेखपुरा से विजय सम्राट और मसौढ़ी से रेखा देवी काे प्रत्‍याशी बनाया है।

उल्लेखनीय है कि प्रथम चरण में राज्य के 71 विधानसभा क्षेत्रों कहलगांव, सुल्तानगंज, अमरपुर, धोरैया (सुरक्षित), बांका, कटोरिया (सु), बेलहर, तारापुर, मुंगेर, जमालपुर, सूर्यगढ़ा, लखीसराय, शेखपुरा, बरबीघा, मोकामा, बाढ़, मसौढ़ी (सु), पालीगंज, बिक्रम, संदेश, बरहरा, आरा, अगियांव (सु), तरारी, जगदीशपुर, शाहपुर, बरहमपुर, बक्सर, डुमरांव, राजपुर (सु), रामगढ़, मोहनिया (सु), भभुआ, चैनपुर, चेनारी (सु), सासाराम, करगहर, दिनारा, नोखा, डेहरी, काराकाट, अरवल, कुर्था, जहानाबाद, घोसी, मखदुमपुर (सु), गोह, ओबरा, नबीनगर, कुटुंबा (सु), औरंगाबाद, रफीगंज, गुरुआ, शेरघाटी, इमामगंज (सु), बाराचट्टी (सु), बोधगया, गया शहर, टिकारी, बेलागंज, अत्री, वजीरगंज, रजौली (सु), हिसुआ, नवादा, गोविंदपुर, वारसलीगंज, सिकंदरा (सु), जमुई, झाझा और चकाइ में चुनाव होना है। इस चरण के उम्मीदवार 08 अक्टूबर तक नामांकन पत्र दाखिल कर सकेंगे, जिसे ध्यान में रखते हुए जदयू ने प्रत्याशियों के नाम की औपचारिक घोषणा से पहले ही उन्हें सिंबल देना शुरू कर दिया है।

प्रथम चरण चुनाव के लिए दाखिल होने वाले नामांकन पत्रों की जांच 09 अक्टूबर को होगी और 12 अक्टूबर तक उम्मीदवार अपना नाम वापस ले सकेंगे। मतदान 28 अक्टूबर को होगा वहीं मतों की गिनती 10 नवंबर को की जाएगी और चुनाव की प्रक्रिया 12 नवंबर तक पूरी हो जायेगी। बिहार विधानसभा का वर्तमान कार्यकाल 29 नवंबर 2020 को समाप्त हो रहा है।

रघुवंश सिंह समर्थकों ने रामा सिंह के राजद में शामिल किए जाने के विरोध में हंगामा किया

पूर्व केंद्रीय मंत्री और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रहे स्व. डॉ. रघुवंश प्रसाद सिंह के समर्थकों ने वैशाली के पूर्व सांसद राम किशोर सिंह उर्फ रामा सिंह को राजद का उम्मीदवार बनाए जाने के विरोध में आज पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के आवास के सामने हंगामा किया।

श्री सिंह की रविवार को पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी और प्रतिपक्ष के नेता तेजस्वी प्रसाद यादव से हुई मुलाकात के बाद उनके राजद में शामिल होने और महनार से पार्टी का उम्मीदवार बनाए जाने की खबरें आने लगी, जिसके बाद सोमवार को स्व. रघुवंश प्रसाद सिंह के समर्थक श्रीमती राबड़ी देवी के 10, सर्कुलर रोड स्थित आवास के सामने एकत्र हुए और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह की गाड़ी को घेरकर हंगामा किया। स्व. सिंह के समर्थक रामा सिंह के खिलाफ नारे लगा रहे थे।

जदयू को दिया गया एक वोट भी बिहार से पलायन करने को करेगा मजबूर : चिराग

इधर बिहार विधानसभा चुनाव में जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के खिलाफ मोर्चा खोल चुकी लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान ने आज एक और प्रहार कर राज्य के लोगों को सचेत किया कि जदयू प्रत्याशियों को दिया गया एक भी वोट उनके बच्चों को पलायन करने पर मजबूर कर देगा।

श्री पासवान ने इस बार के विधानसभा चुनाव में जदयू के खिलाफ मैदान में उतरने के फैसले को लेकर बिहारवासियों के नाम लिखे खुले पत्र को सोमवार को ट्विटर पर साझा किया और कहा कि बिहार के विकास के लिए उनके इस पवित्र फैसले के बारे में भ्रम फैलाएंगे लेकिन उन्होंने अपने स्वार्थ की पूर्ति के लिए यह निर्णय नहीं लिया है। उन्होंने कहा कि बिहार में आने वाली सरकार भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व में लोजपा के साथ बनेगी । लोजपा के सभी विधायक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में काम करेंगे।

उन्होंने कहा कि पापा (रामविलास पासवान)- मम्मी और आप सभी के आशीर्वाद से अभी लंबा सफर तय करना है, अभी और अनुभव लेना है।

लोजपा अध्यक्ष ने कहा कि बिहार के इतिहास का यह निर्णायक क्षण है। बारह करोड़ बिहारवासियों के जीवन-मरण का प्रश्न है क्योंकि अब खोने के लिए और समय नहीं है। उन्होंने जदयू पर कड़ा प्रहार करते हुए कहा, “इस चुनाव में जदयू प्रत्याशियों को दिया गया एक भी वोट कल आपके बच्चों को पलायन करने पर मजबूर कर देगा। लोजपा की राह आसान नहीं है लेकिन हम लड़ेंगे और जीतेंगे भी।”

बिहार में NDA से अलग होकर चुनाव लड़ेगी रामविलास पासवान की जनशक्ति पार्टी,भाजपा के बुलावे पर वीआईपी अध्यक्ष मुकेश सहनी दिल्ली रवाना attacknews.in

नयी दिल्ली, 04 अक्टूबर । बिहार में अब राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) बिखर गया है और लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) ने नीतीश कुमार के नेतृत्व में विधान सभा चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया है तथा 143 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने का फैसला किया है।

लोजपा ने हालांकि स्पष्ट किया है कि भारतीय जनता पार्टी से उसका गठबंधन और तालमेल जारी रहेगा तथा चुनाव परिणाम के बाद राज्य में भाजपा-लोजपा की सरकार बनेगी।

पार्टी अध्यक्ष चिराग पासवान के नेतृत्व में संसदीय दल की रविवार को यहां हुई बैठक में इस बाबत निर्णय लिया गया। बैठक के बाद पार्टी के प्रधान महासचिव अब्दुल खालिक ने बताया कि राष्ट्रीय स्तर पर और लोकसभा चुनावों में भाजपा, लोजपा का मजबूत गठबंधन है।

राज्य स्तर पर और विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन में मौजूद जनता दल यू से वैचारिक मतभेदों के कारण बिहार में लोजपा ने गठबंधन से अलग चुनाव लड़ने का निर्णय किया है।

श्री खालिक के अनुसार, चुनाव परिणाम के उपरांत लोजपा के तमाम जीते हुए विधायक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विकास मार्ग पर चलेंगे और भाजपा-लोजपा सरकार बनाएगी।

लोजपा के एक सूत्र ने बताया कि पार्टी बिहार में 243 में से 143 सीटों सीटों पर चुनाव लड़ेगी और जद यू उम्मीदवारों के खिलाफ भी अपने उम्मीदवार खड़ा करेगी।

संसदीय दल की बैठक में कहा गया कि भाजपा -लोजपा की बनने वाली सरकार में श्री नीतीश कुमार की कोई भूमिका नहीं होगी और श्री चिराग पासवान के बिहार फर्स्ट बिहारी फर्स्ट विजन डाक्यूमेंट को राज्‍य में लागू किया जाएगा ।

पार्टी प्रवक्‍ता अशरफ अंसारी ने लोजपा और भाजपा में किसी तरह की कटुता से इनकार किया और कहा कि विधानसभा चुनाव परिणाम के बाद लोजपा के विधायक मणिपुर की तर्ज पर बिहार में भाजपा को समर्थन देकर उसके नेतृत्व में सरकार बनाएंगे।

उन्होंने कहा कि मणिपुर में भी भाजपा और लोजपा का चुनाव से पहले कोई गठबंधन नहीं था लेकिन चुनाव परिणाम के बाद दोनों पार्टियों ने मिलकर वहां सरकार बनाई ।

गौरतलब है कि लोजपा अध्यक्ष चिराग पासवान पिछले काफी समय से बिहार में मुख्यमंत्री के चेहरे के तौर पर श्री नीतीश कुमार के स्थान पर भाजपा के किसी नेता का नाम आगे करने की बात कहते आ रहे हैं। इसके साथ ही उन्होंने नीतीश सरकार की कार्यशैली को लेकर भी कई बार खुलकर आलोचना की, जिसके कारण सीट बंटवारे पर लोजपा के साथ जदयू ने बातचीत करने से भी इनकार कर दिया था।

इसके बाद सीट बंटवारे पर भाजपा नेताओं के साथ लोजपा अध्यक्ष चिराग पासवान की कई दौर की बातचीत हुई । बातचीत में भाजपा की ओर से 28 से 30 सीट लोजपा को दिए जाने का प्रस्ताव रखा गया लेकिन लोजपा 42 से कम सीट मिलने पर भाजपा को छोड़कर जदयू के खिलाफ 143 सीट पर उम्मीदवार खड़ा करने पर अड़ गई ।

इसी बीच नीतीश सरकार की महत्वाकांक्षी सात निश्चय योजना को भ्रष्टाचार का पिटारा बताए जाने के बाद ‘मोदी से बैर नहीं नीतीश तेरी खैर नहीं’ वाले वायरल पोस्टर ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सब्र की बांध को तोड़ दिया । श्री कुमार इस कदर नाराज हुए कि उन्होंने भाजपा नेताओं को साफ शब्दों में कह दिया कि अब वह राजग में लोजपा को बर्दाश्त नहीं करेंगे ।

श्री खालिक ने कहा कि बिहार में कई सीटों पर जद यू के साथ वैचारिक लड़ाई हो सकती है ताकि उन सीटों पर जनता निर्णय कर सके कि कौन सा प्रत्याशी बिहार के हित में बेहतर है।

भाजपा के बुलावे पर वीआईपी अध्यक्ष मुकेश सहनी दिल्ली रवाना

बिहार विधानसभा चुनाव में सम्मानजनक सीट नहीं मिलने से नाराज होकर महागठबंधन छोड़ चुकी विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के अध्यक्ष मुकेश सहनी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बुलावे पर आज दिल्ली रवाना हो गए।

वीआईपी सूत्रों ने यहां बताया कि भाजपा की ओर से पार्टी अध्यक्ष श्री सहनी को पहले भी बुलावा आया था लेकिन महागठबंधन के एक अनुशासित घटक दल होने के नाते इस पर ध्यान नहीं दिया गया। अब बदली हुई राजनीतिक परिस्थिति में फिर से भाजपा की ओर से बुलावा आने पर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री सहनी दिल्ली रवाना हो गए हैं।

जो महागठबंधन नहीं बचा पा रहे वह बिहार कैसे संभालेंगे : मुकेश सहनी

इससे पहले बिहार विधानसभा चुनाव में सम्मानजनक सीट नहीं मिलने से नाराज होकर महागठबंधन छोड़ चुकी विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के अध्यक्ष मुकेश सहनी ने आज राज्य की सभी 243 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने की घोषणा की और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) एवं प्रतिपक्ष के नेता तेजस्वी प्रसाद के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए हुए कहा कि जो महागठबंधन नहीं बचा पा रहे वह राज्य को कैसे संभालेंगे।

श्री सहनी ने रविवार को यहां संवाददाता सम्मेलन में राजद नेता श्री यादव की कथनी एवं करनी में अंतर को लेकर सवाल खड़े किए और कहा कि जब बात सीटों की हो चुकी थी तब उन्हें इसकी घोषणा करने में दिक्कत क्यों हुई जबकि दो दिन पहले उनके पास आई पार्टी (वामदल) की सीटों की घोषणा करने में उन्होंने देर नहीं की। उन्होंने श्री यादव की नेतृत्व क्षमता पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि जो महागठबंधन को नहीं बचा पा रहे वह राज्य को कैसे संभालेंगे इसलिए, वह भविष्य में कभी भी उनके साथ राजनीति नहीं करेंगे। हालांकि वह उनके बड़े भाई तेजप्रताप के बारे में विचार कर सकते हैं।

वीआईपी अध्यक्ष ने कहा कि पार्टी के सभी पदाधिकारियों के साथ विमर्श के बाद 243 सीटों पर चुनाव लड़ने का निर्णय लिया गया है तथा प्रथम सूची की घोषणा 05 अक्टूबर को जारी कर दी जाएगी।

उन्होंने कहा कि वीआईपी, राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव के विचारों से प्रभावित होकर महागठबंधन में शामिल हुई थी लेकिन अब राजद, लालू प्रसाद यादव की पार्टी नहीं रह गई है।

उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि तेजस्वी ने उन्हें लोकसभा चुनाव में भी धोखा दिया था। दरभंगा सीट पर बात हुई थी लेकिन एक साजिश के तहत उन्हें खगड़िया लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने पर मजबूर किया गया। विधानसभा उपचुनाव में भी उनके साथ छल किया गया।

सोनिया गांधी ने देश के किसानों को खून के आंसू रोने वाला बताया और कहा कि,किसानों के साथ नरेन्द्र मोदी कर रहे हैं नाइंसाफी attacknews.in

नयी दिल्ली 02 अक्टूबर । कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री को उनकी जयंती पर श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए कृषि कानूनों को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा और कहा कि उनकी सरकार किसी से सलाह मशविरा किए बिना तीन काले कानून लेकर आई है और कांग्रेस किसानों के साथ इन कानूनों के खिलाफ संघर्ष करती रहेगी।

श्रीमती गांधी ने शुक्रवार को यहां जारी एक वीडियो संदेश में कहा कि किसान ने अपनी मेहनत से कोरोना जैसी महामारी के दौर में देश की असाधारण सेवा की और उन्हीं की बदौलत इस संकट में देशवासियों को मुफ्त में अनाज उपलब्ध कराया जा सका है लेकिन किसान विरोधी और जन विरोधी मोदी सरकार ने कृषि विरोधी तीन कानून बनाकर देश के किसानों की साथ नाइंसाफी की है।

कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा “आज किसानों, मज़दूरों और मेहनतकशों के सबसे बड़े हमदर्द, महात्मा गांधी की जयंती है। गांधी जी कहते थे कि भारत की आत्मा भारत के गांव, खेत और खलिहान में बसती है। आज ‘जय जवान, जय किसान’ का नारा देने वाले हमारे पूर्व प्रधानमंत्री श्री लाल बहादुर शास्त्री जी की जयंती भी है।”
मोदी सरकार पर हमला करते हुए उन्होंने कहा कि इस सरकार की किसान विरोधी नीतियों के कारण आज देश का किसान और खेत मजदूर कृषि विरोधी तीनों काले कानूनों के खिलाफ सड़कों पर आंदोलन कर रहा है। अपना खून पसीना देकर देश के लिए अनाज उगाने वाले अन्नदाता किसान को मोदी सरकार खून के आंसू रुला रही है।

उन्होंने कहा, “कोरोना महामारी के दौरान हम सबने सरकार से मांग की थी कि हर जरूरतमंद देशवासी को मुफ़्त में अनाज मिलना चाहिए। तो क्या हमारे किसान भाइयों के बग़ैर ये संभव था कि हम करोड़ों लोगों के लिए दो वक्त के भोजन का प्रबंध कर सकते थे।”

उत्तरप्रदेश में राहुल गांधी लड़खड़ाएं और बाद में गिर पड़े,बहन प्रियंका गांधी वाड्रा के साथ हाथरस जाने से पुलिस ने रोका, दोनों ने उप्र में ‘जंगल राज’ होने का आरोप लगाया attacknews.in

लखनऊ/जेवर/नयी दिल्ली, एक अक्टूबर । कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा को पुलिस ने बृहस्पतिवार को सामूहिक बलात्कार की पीड़िता के परिवार से मुलाकात के लिए हाथरस जाने से रोक दिया जिसके बाद दोनों ने राज्य में जंगलराज होने एवं पुलिस द्वारा लाठियां चलाने का आरोप लगाते हुए कहा कि उन्हें ‘अहंकारी सरकार’ की लाठियां रोक नहीं सकतीं।

इस बीच, पार्टी ने कुछ तस्वीरें जारी कर दावा किया है कि उत्तर प्रदेश पुलिस ने राहुल गांधी को रोकने के लिए उनके साथ धक्का-मुक्की की जिस कारण वो जमीन पर गिर गए।

नोएडा में उत्तर प्रदेश के हाथरस में हैवानियत की शिकार लड़की के परिजनों से मिलने जा रहे कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा के पैदल मार्च को पुलिस ने यहां यमुना एक्सप्रेस वे पर विराम दे दिया। दोनो नेताओं को ग्रेटर नोएडा के एक गेस्ट हाउस में पुलिस निगरानी में रखा गया।

हाथरस में सामूहिक बलात्कार और हैवानियत की शिकार पीड़िता की मंगलवार को दिल्ली के सफदरगंज अस्पताल में मृत्यु हो गयी थी जिसके बाद हाथरस जिला प्रशासन ने परिजनो के विरोध के बावजूद उसका अंतिम संस्कार बुधवार बीच रात करीब ढाई बजे कर दिया था।

कांग्रेस ने घटना का कड़ा विरोध जताते हुये बुधवार को राज्यव्यापी प्रदर्शन किया था और श्रीमती वाड्रा ने फोन पर पीड़िता के परिजनों से बात की थी।

इसी कड़ी में गुरूवार को प्रियंका और राहुल काफिले के साथ हाथरस में पीड़िता के परिजनों से मिलने के लिये निकले लेकिन उनके काफिले को ग्रेटर नोएडा पुलिस ने रोक लिया, जिसके बाद वे पैदल ही हाथरस के लिये निकल गये।

पार्टी के मीडिया संयोजक ललन कुमार ने बताया कि प्रियंका और राहुल हाथरस कांड के पीड़ित परिवार से मुलाकात करने जा रहे थे कि पुलिस ने उनके काफिले को परी चौक इलाके में रोक लिया। यमुना एक्सप्रेस वे पर रोके जाने के बाद प्रियंका और राहुल पैदल ही हाथरस के लिये रवाना हो गये। अभी वे दो तीन किमी ही चले थे कि पुलिस ने उनका रास्ता फिर रोक लिया और वापस जाने को कहा।

श्री गांधी के आगे जाने पर अडिग रहने से पुलिस अधिकारियों के साथ उनकी नोकझोंक भी हुयी। इस बीच पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष लड़खड़ा कर गिर गये। उनके साथ चल रहे सुरक्षाकर्मियों ने उन्हे किसी तरह संभाला। बाद में पुलिस राहुल और प्रियंका को साथ लेकर चली गयी। दोनो नेताओं को ग्रेटर नोएडा के फार्मूला वन गेस्ट हाउस में रखा गया है।

श्रीमती वाड्रा ने ट्वीट किया “ हाथरस जाने से हमें रोका। राहुल जी के साथ हम सब पैदल निकले तो बारबार हमें रोका गया, बर्बर ढंग से लाठियाँ चलाईं। कई कार्यकर्ता घायल हैं। मगर हमारा इरादा पक्का है। एक अहंकारी सरकार की लाठियाँ हमें रोक नहीं सकतीं। काश यही लाठियाँ, यही पुलिस हाथरस की दलित बेटी की रक्षा में खड़ी होती।”

उन्होने पत्रकारों से कहा कि उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था ध्वस्त हो चुकी है । लड़कियों और महिलाओं पर अत्याचार हो रहा है लेकिन संवेदनहीन योगी सरकार आरोपियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर रही है।

इससे पहले श्रीमती वाड्रा ने पीड़िता के पिता के बयान से सबंधित वीडियो के साथ ट्वीट किया “ हाथरस की बेटी के पिता का बयान सुनिए। उन्हें जबरदस्ती ले जाया गया। सीएम से वीसी के नाम पर बस दबाव डाला गया। वो जांच की कार्रवाई से संतुष्ट नहीं हैं। अभी पूरे परिवार को नजरबंद रखा है। बात करने पर मना है। क्या धमकाकर उन्हें चुप कराना चाहती है सरकार। अन्याय पर अन्याय हो रहा है।”

उन्होने एक अन्य ट्वीट में कहा “हाथरस जैसी वीभत्स घटना बलरामपुर में घटी। लड़की का बलात्कार कर पैर और कमर तोड़ दी गई। आजमगढ़, बागपत, बुलंदशहर में बच्चियों से दरिंदगी हुई। यूपी में फैले जंगलराज की हद नहीं। मार्केटिंग, भाषणों से कानून व्यवस्था नहीं चलती। ये मुख्यमंत्री की जवाबदेही का वक्त है। जनता को जवाब चाहिए।”

कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक, दोनों नेताओं के काफिले को ग्रेटर नोएडा पुलिस ने रोक लिया। उसके बाद वे पैदल ही हाथरस के लिये निकल गये। कुछ देर पैदल चलने के बाद पुलिस ने उन्हें फिर रोक दिया।

कांग्रेस ने एक वीडियो जारी किया है जिसमें पार्टी के पूर्व अध्यक्ष पुलिस से यह पूछते नजर आ रहे हैं कि उन्हें किस धारा के तहत ‘गिरफ्तार किया जा रहा है।’

पुलिस द्वारा रोके जाने के बाद राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि प्रदेश में जंगलराज का यह आलम है कि शोक में डूबे एक परिवार से मिलना भी सरकार को डरा देता है।

उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, दुख की घड़ी में अपनों को अकेला नहीं छोड़ा जाता। उप्र में जंगलराज का ये आलम है कि शोक में डूबे एक परिवार से मिलना भी सरकार को डरा देता है। इतना मत डरो, मुख्यमंत्री महोदय!’’ प्रियंका ने आरोप लगाया कि उन्हें और राहुल गांधी को हाथरस जाने से रोकने के लिए पुलिस ने लाठियां चलाईं, लेकिन ‘अहंकारी सरकार’ की लाठियां उन्हें रोक नहीं सकतीं।

उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘हाथरस जाने से हमें रोका। राहुल जी के साथ हम सब पैदल निकले तो बार-बार हमें रोका गया, बर्बर ढंग से लाठियां चलाईं। कई कार्यकर्ता घायल हैं। मगर हमारा इरादा पक्का है। एक अहंकारी सरकार की लाठियां हमें रोक नहीं सकतीं। काश, यही लाठियां, यही पुलिस हाथरस की दलित बेटी की रक्षा में खड़ी होती।’’

इससे पहले उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘उत्तर प्रदेश में महिलाओं पर अत्याचार हो रहा है। बहन-बेटियां सुरक्षित नहीं हैं। उत्तर प्रदेश में जंगलराज है।’

उन्होंने कहा, ‘मुख्यमंत्री को जिम्मेदारी लेनी चाहिये और अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिये। उत्तर प्रदेश में बहनों को न्याय नहीं मिलता। यह कोई पहली बार नहीं है। आपको याद होगा कि पिछले साल भी इसी वक्त हम उन्नाव की बेटी की लड़ाई लड़ रहे थे।’

प्रियंका ने दावा किया कि जब तक सरकार को झकझोरा और जगाया नहीं जाएगा तब तक वह महिला सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कुछ नहीं करने वाली है।

कांग्रेस की उत्तर प्रदेश प्रभारी ने कहा कि यह घटना (हाथरस सामूहिक बलात्कार) बहुत अन्यायपूर्ण थी और उसके बाद सरकार ने शव के अंतिम संस्कार में जो किया वह तो और भी बड़ा अपमान था।

इससे पहले, उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के मीडिया संयोजक ललन कुमार ने बताया कि प्रियंका और राहुल हाथरस कांड के पीड़ित परिवार से मुलाकात करने जा रहे थे। रास्ते में ग्रेटर नोएडा पुलिस ने उनके काफिले को परी चौक इलाके में रोक लिया।

उन्होंने बताया कि यमुना एक्सप्रेस वे पर रोके जाने के बाद प्रियंका और राहुल पैदल ही हाथरस के लिये रवाना हो गये। जहां उन्हें रोका गया, वहां से हाथरस की दूरी 142 किलोमीटर है।

इस बीच, राज्य सरकार के प्रवक्ता कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने राहुल और प्रियंका पर निशाना साधते हुए कहा, ‘ये जो भाई-बहन दिल्ली से चले हैं, उन्हें राजस्थान जाना चाहिये था। जहां भी ऐसी घटना होती है, वह जघन्य अपराध होता है। राजस्थान में भी वारदात हुई थी, मगर कांग्रेस हाथरस की घटना पर गंदी राजनीति कर रही है।’

उधर, हाथरस जिलाधिकारी पी.के. लक्षकार ने बताया कि जिले में सीआरपीसी की धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा लागू कर दी गयी है जो आगामी 31 अक्टूबर तक प्रभावी रहेगी। जिले की सभी सीमाएं सील कर दी गयी हैं।

उन्होंने सभी से जिले में शांति व्यवस्था बनाए रखने की अपील की है।

गौरतलब है कि गत 14 सितंबर को हाथरस जिले के चंदपा थाना क्षेत्र स्थित एक गांव की रहने वाली 19 वर्षीय दलित लड़की से कथित तौर पर सामूहिक बलात्कार किया गया था। लड़की को रीढ़ की हड्डी में चोट और जीभ कटने की वजह से पहले अलीगढ़ के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया था। उसके बाद उसे दिल्ली स्थित सफदरजंग अस्पताल ले जाया गया था, जहां मंगलवार तड़के उसकी मौत हो गई थी।

इस घटना को लेकर देश भर में जगह-जगह प्रदर्शन किये गये। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसका संज्ञान लेते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को फोन कर इस मामले में कड़ी कार्रवाई करने को कहा था। राज्य सरकार ने इस मामले की जांच के लिये बुधवार को तीन सदस्यीय विशेष जांच दल गठित किया है। इसे सात दिन में रिपोर्ट देने को कहा गया है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का कांग्रेस पर जोरदार हमला: दूसरों के कंधों पर सवार होकर देशहित के हर काम का विरोध कर रही है attacknews.in

देहरादून, 29 सितंबर । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को कांग्रेस पर जोरदार हमला बोलते हुए कहा कि वह दूसरों के कंधों पर सवार होकर देशहित के हर काम का विरोध कर रही है।

प्रधानमंत्री मोदी ने हालांकि, कांग्रेस का सीधे तौर पर नाम नहीं लिया लेकिन कहा,‘‘हर बदलती हुई तारीख के साथ विरोध के लिए, विरोध करने वाले ये लोग देश और समाज के लिए अप्रासंगिक होते जा रहे हैं। इतनी छटपटाहट है, बेचैनी है, हताशा, निराशा, एक ऐसा दर्द है, जिसके एक परिवार की चार-चार पीढियां, जिन्होंने देश पर राज किया, वह आज दूसरे के कंधों पर सवार होकर देशहित के हर काम का विरोध कर रहे हैं।’’

इस संबंध में उन्होंने कहा कि देश में अनेक ऐसे छोटे-छोटे दल हैं जिन्हें कभी सत्ता में आने का मौका नहीं मिला और ज्यादातर समय विपक्ष में ही बिताया है, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने कभी देश का विरोध नहीं किया।

‘नमामि गंगे’ परियोजना के तहत उत्तराखंड में हरिद्वार, ऋषिकेश, मुनि की रेती और बद्रीनाथ में सीवरेज शोधन संयंत्र (एसटीपी) और गंगा संग्रहालय का नयी दिल्ली से डिजिटल माध्यम से लोकार्पण के बाद प्रधानमंत्री अपना संबोधन दे रहे थे।

इस दौरान उन्होंने कृषि विधेयक से लेकर राममंदिर तक कई मुद्दों पर विपक्ष के विरोध का जिक्र किया।

उन्होंने विपक्ष पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को लेकर किसानों में भ्रम फैलाने का आरोप भी लगाया और साफ किया कि देश में एमएसपी और किसानों को अपनी उपज कहीं भी बेचने की आजादी, दोनों रहेगी।

विपक्षी दलों का नाम लिए बिना प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘ वे एमएसपी पर किसानों में भ्रम फैला रहे हैं। देश में एमएसपी भी रहेगी और किसानों को अपनी उपज कहीं भी बेचने की आजादी भी रहेगी।’’

जीएसटी पर विपक्ष के विरोध पर मोदी ने कहा जीएसटी लागू होने के बाद देश में घरेलू सामान पर लगने वाला कर बहुत कम हो गया है और ज्यादातर घरेलू सामान जैसे रसोई की चीजों पर या तो कर ही नहीं है या पांच प्रतिशत से भी कम है।

उन्होंने कहा कि विपक्ष के लोग न किसान के साथ है, न नौजवान के साथ और न ही देश के वीर जवान के साथ। इस संबंध में उन्होंने ‘वन रैंक-वन पेंशन’ का जिक्र करते हुए कहा कि पूर्व सैनिकों को उनका अधिकार दिए जाने का भी विरोध किया गया।

उन्होने बताया कि केंद्र सरकार पूर्व सैनिकों को लगभग 11,000 करोड़ रुपये एरियर के रूप में दे चुकी है और उत्तराखंड में ही एक लाख से ज्यादा पूर्व सैनिकों को इस योजना का लाभ मिल चुका है।

प्रधानमंत्री ने आरोप लगाया कि इन लोगों ने वर्षों तक देश की सेनाओं खासतौर से वायुसेना को सशक्त करने के लिए कुछ नहीं किया और जब उनकी सरकार ने फ्रांस सरकार से राफेल विमानों के लिए समझौता किया तो उन्हें दिक्कत होने लगी। हांलांकि, उन्होंने कहा कि उन्हें खुशी है कि राफेल भारतीय वायु सेना की ताकत बढा रहा है और अंबाला से लेकर लेह तक उसकी गर्जना भारतीय जांबाजों का हौसला बढ़ी रही है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि चार साल पहले सर्जिकल स्ट्राइक में आतंकवादी अड्डे तबाह कर दिए गए, लेकिन ये लोग अपने जांबाजों की प्रशंसा करने की बजाए उनसे ही सबूत मांगने लगे।

उन्होंने कहा कि पिछले महीने अयोध्या में भव्य राममंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन किया गया तो जो लोग पहले उच्चतम न्यायालय में राम मंदिर का विरोध कर रहे थे, वह भूमि पूजन का भी विरोध करने लगे।

इस संबंध में उन्होंने संविधान दिवस, सरदार वल्लभ भाई पटेल की प्रतिमा और योग दिवस के संबंध में किए गए विरोधों का भी जिक्र किया।

उन्होंने कहा कि विरोध करते हुए ये लोग अपनी मंशा और नीयत साफ कर चुके हैं और देश के लिए होने वाले कामों का विरोध इनकी आदत बन गयी है।

मोदी ने कहा, ‘‘उनकी राजनीति का एकमात्र तरीका ही यही है। विरोध.. विरोध… विरोध।’’

हालांकि, प्रधानमंत्री ने विपक्ष की कथित स्वार्थनीति के बीच आत्मनिर्भर भारत के लिए देश के संसाधनों को बेहतर बनाने का सिलसिला देशहित में जारी रखने का संकल्प व्यक्त करते हुए कहा कि यह देश को गरीबी से मुक्ति करने के लिए है, देश को ताकतवर बनाने के लिए है और यह निरंतर जारी रहेगा।

देश में एमएसपी भी रहेगी और किसानों को कहीं भी फसल बेचने की आजादी भी,यह आजादी कुछ लोग बर्दाश्त नहीं कर पा रहे हैं, क्योंकि इनकी काली कमाई का एक और जरिया समाप्त हो गया attacknews.in

देहरादून, 29 सितंबर । विपक्ष पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को लेकर किसानों में भ्रम फैलाने का आरोप लगाते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को कहा कि देश में एमएसपी भी रहेगी और किसानों को कहीं भी अपनी फसल बेचने की आजादी भी रहेगी।

महत्त्वाकांक्षी परियोजना ‘नमामि गंगे’ के तहत उत्तराखंड में हरिद्वार, ऋषिकेश, मुनि की रेती और बदरीनाथ में सीवरेज शोधन संयंत्र (एसटीपी) और गंगा संग्रहालय का नई दिल्ली से डिजिटल लोकार्पण के बाद अपने संबोधन में प्रधानमंत्री मोदी ने कृषि विधेयकों को लेकर विपक्ष पर करारा हमला बोला। प्रधानमंत्री ने कहा कि बरसों तक ये लोग एमएसपी लागू करने की बात कहते रहे, लेकिन किया नहीं और जब उनकी सरकार ने ऐसा किया तो वे इसे लेकर किसानों में भ्रम फैला रहे हैं ।

विपक्षी दलों का नाम लिए बिना प्रधानमंत्री ने कहा, ‘ एमएसपी लागू करने का काम स्वामीनाथन आयोग की इच्छा के अनुसार हमारी सरकार ने किया । वे एमएसपी पर ही किसानों में भ्रम फैला रहे हैं । देश में एमएसपी भी रहेगी और किसानों को अपनी उपज कहीं भी बेचने की आजादी भी रहेगी ।’ उन्होंने कहा कि यह आजादी कुछ लोग बर्दाश्त नहीं कर पा रहे हैं, क्योंकि इनकी काली कमाई का एक और जरिया समाप्त हो गया है और इसलिए इन्हें परेशानी है ।

कृषि कानूनों पर केवल विरोध के लिए विरोध करने का विपक्ष पर आरोप लगाते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इनके माध्यम से देश के किसानों को अनेक बंधनों से मुक्त किया गया है और अब देश का किसान कहीं पर भी किसी को भी अपनी उपज बेच सकता है ।

मोदी ने कहा, ‘ आज जब केंद्र सरकार किसानों को उनके अधिकार दे रही है तो भी वे विरोध पर उतर आए हैं । ये लोग चाहते हैं कि देश का किसान खुले बाजार में अपनी उपज नहीं बेच सके । ये चाहते हैं कि किसानों की गाडियां जब्त होती रहें, उनसे वसूली होती रहे, उनसे कम कीमत पर अनाज खरीदकर बिचौलिए मुनाफा कमाते रहें ।’

विपक्ष हो गया है अप्रासंगिक ,विरोध सिर्फ ‘विरोध’ के लिए :मोदी

प्रधानमंत्री मोदी ने विपक्षी दलों विशेषकर कांग्रेस को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि ये लोग किसानों , नौजवानों और वीर जवानों के साथ नहीं हैं तथा सिर्फ विरोध के लिए ‘विरोध’ करने के कारण अप्रासंगिक होते जा रहे हैं ।

श्री मोदी ने कहा कि आज ये लोग फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर भी भ्रम फैला रहे हैं। देश में एमएसपी भी रहेगा और किसान को देश में कहीं भी फसल बेचने की आजादी भी रहेगी।लेकिन ये आजादी कुछ लोग बर्दाश्त नहीं कर पा रहे हैं । वर्षों तक एमएसपी लागू करने की बात की जाती रही लेकिन इसे लागू नहीं किया गया । उनकी सरकार ने स्वामीनाथन आयोग की इच्छा के अनुसार ही एमएसपी लागू किया है ।

उन्होंने कहा कि आज जब केंद्र सरकार किसानों को उनके अधिकार दे रही है तो उसका विरोध किया जा रहा है ।ये लोग चाहते हैं कि देश का किसान खुले बाजार में अपनी उपज नहीं बेच पाए।

उन्होंने कहा कि जिन उपकरणों की किसान पूजा करते है उसे आग लगाकर किसानों को अपमानित किया जा रहा हैं ।

प्रधानमंत्री ने सेना की चर्चा करते हुए कहा कि भारतीय वायुसेना के पास राफेल विमान आये और उसकी ताकत बढ़े इसका भी वे ‘लोग’ विरोध करते रहे। लेकिन खुशी है कि आज राफेल से भारतीय वायुसेना की ताकत बढ़ रही है । अंबाला से लेकर लेह तक उसकी गर्जना भारतीय जांबाजों का हौंसला बढ़ रही हैं । वायुसेना लंबे समय तक कहती रही कि उसे आधुनिक लड़ाकू विमान चाहिए लेकिन उनकी बात को अनसुना किया गया। केन्द्र ने सीधे फ्रांस सरकार से राफेल लड़ाकू विमान का समझौता कर लिया तो इन्हें फिर दिक्कत हुई ।

असम, तमिलनाडु ,केरल और पश्चिम बंगाल की सात सीटों के लिए उपचुनाव नहीं होंगे,ग्यारह राज्यों की 55 विधानसभा और एक लोकसभा सीटों पर उपचुनाव तीन नवंबर को attacknews.in

नयी दिल्ली 29 सितंबर । देश के 11 राज्यों की 55 विधानसभा सीटों के लिए उपचुनाव तीन नवम्बर को होंगे जबकि बिहार की एक लोकसभा सीट तथा मणिपुर की एक विधानसभा सीट के लिए उपचुनाव सात नवंबर को होंगे।

कोविड -19 को देखते हुए स्थानीय परिस्थितियों के मद्दे नजर असम, तमिलनाडु ,केरल और पश्चिम बंगाल की सात सीटों के लिए उपचुनाव नहीं होंगे।

चुनाव आयोग ने मंगलवार को यहां घोषणा की कि बिहार की बाल्मीकि नगर संसदीय सीट के लिए उपचुनाव सात नवंबर को होंगे।उसी दिन मणिपुर की एक विधानसीट के लिए भी चुनाव होगा। मध्य प्रदेश विधानसभा की 27, गुजरात की आठ , उत्तर प्रदेश की छह , झारखंड की दो, कर्नाटक ,ओडिशा तथा नागालैंड की दो -दो, मणिपुर की एक ,हरियाणा, तेलंगना और छत्तीसगढ़ की एक -एक सीटों के लिए उपचुनाव तीन नवम्बर को होगें।

आयोग के अनुसार 55 विधानसभा चुनाव के लिए अधिसूचना नौ अक्टूबर को जारी होगी जबकि मतदान तीन नवम्बर को होगा।

बिहार की संसदीय सीट के लिए मतदन सात नवम्बर को होगा। उसके लिए अधिसूचना 13 अक्टूबर को जारी होगी। जहां तीन नवम्बर को मतदान होगा वहां नामांकन की अंतिम तिथि 16 अक्टूबर है और नामांकन पत्रों की जांच 17 अक्टूबर को हाेगी तथा नाम वापस लेने की अंतिम तारीख 19 अक्टूबर है।

जहां सात नवम्बर को मतदान होगा उसके लिए अधिसूचना 13 अक्टूबर को जारी होगी।नामांकन की अंतिम तिथि 20 अक्टूबर है।नामांकन पत्रों की जांच 21अक्टूबर होगी तथा नाम वापस लेने की अंतिम तारीख 23 अक्टूबर है। मतगणना 10 नवम्बर को होगी।

बिहार में 32 वर्षों तक एकछत्र शासन करने वाली कांग्रेस पार्टी इस तरह सिमटते हुए राज्य में कमजोर होती गई और अब क्षेत्रीय दलों में ढूंढती है सहारा attacknews.in

पटना 28 सितंबर । बिहार में लगभग 32 वर्ष तक मजबूती के साथ सत्ता में रही कांग्रेस संपूर्ण क्रांति, क्षेत्रीय दलों का उभार, वामपंथ का प्रभाव और कथित खेमाबंदी के कारण धीरे-धीरे कमजोर होती चली गई।

आजादी के बाद बिहार में वर्ष 1952 में 276 सीटों के लिए हुए पहले विधानसभा चुनाव में 239 यानी 86.55 प्रतिशत सीटें हासिल करने वाली कांग्रेस महज 38 साल बाद 1990 में 324 सीटों के लिए हुए विधानसभा चुनाव में 71 यानी लगभग 22 प्रतिशत सीटों के आंकड़े पर ही सिमट कर रह गई। इतना ही नहीं, आने वाले वर्षों में इसके कमजोर पड़ते जनाधार को पूरे देश ने देखा।

1995 के चुनाव में तो इसकी सीट का गणित 29 सीट यानी लगभग नौ प्रतिशत सीट पर रुक गया। 2010 में 243 सीटों पर हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को महज चार सीटें यानी 1.65 प्रतिशत सीट ही मिल पाई।

दरअसल, कांग्रेस सरकार के भ्रष्टाचार के विरोध में वर्ष 1975 में लोकनायक जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में बिहार की धरती से शुरू हुई ‘संपूर्ण क्रांति’ को दबाने के लिए वर्ष 1977 में लागू राष्ट्रपति शासन में बिहार में सातवीं विधानसभा का चुनाव कराया गया। 318 सीटों पर हुए इस चुनाव में 214 सीटें जीतने वाली जनता पार्टी ने पहली बार कांग्रेस के वर्चस्व को चुनौती दी।

जनता पार्टी ने कांग्रेस के विजय रथ को महज 57 सीटों पर ही रोक दिया। इस चुनाव में निर्दलीय को 25 और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) को 21 सीटें मिली थीं।

ऐसा नहीं है कि इतने खराब प्रदर्शन के बाद कांग्रेस हमेशा के लिए धराशायी हो गई। पार्टी में विभाजन के बावजूद कांग्रेस के एक गुट कांग्रेस (आई) के बैनतर तले डॉ. जगन्नाथ मिश्रा के नेतृत्व में वह वर्ष 1980 के विधानसभा चुनाव में पूरी ताकत से फिर से उठ खड़ी हुई। 324 सीटों के लिए हुए इस चुनाव में कांग्रेस (आई) को 169 सीटें मिलीं जबकि जनता दल (एस) चरण ग्रुप को 42 और भाकपा को 23 सीटें मिलीं। कांग्रेस का कारवां यहीं नहीं रुका 1985 के चुनाव में उसने और बेहतर प्रदर्शन किया और 196 सीटों पर जीत दर्ज की वहीं लोक दल को 46 और आईएनडी को 29 सीटें मिलीं। लेकिन, इसके बाद के चुनावों में जो हुआ उसने कांग्रेस को पूरी तरह से कमजोर कर दिया और वह फिर उठ नहीं पाई।

अपनी महत्वाकांक्षाओं के लिए एक साल में भाजपा से दो सहयोगियों शिरोमणि अकाली दल और शिवसेना ने छोड़ा साथ attacknews.in

नयी दिल्ली, 27 सितंबर । शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) से अलग होने की घोषणा के साथ ही पिछले एक साल के भीतर केंद्र में सत्तारूढ़ भगवा दल का दो सबसे पुराने भरोसेमंद और वैचारिक प्रतिबद्धता वाले सहयोगियों का साथ छूट गया । हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पार्टी की राजनीतिक शक्ति पहले की अपेक्षा मजबूत हुयी है।

शिअद का राजग से अलग होने से मोदी सरकार पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा लेकिन सीमावर्ती राज्य पंजाब में भाजपा के लिए कुछ समय की परेशानियां पैदा हो सकती है। पंजाब में अकाली और भाजपा के बीच गठबंधन से दोनों दलों को राज्य के मतदाताओं के अलग-अलग धड़ों का समर्थन मिलता रहा है।

राजनीतिक प्रेक्षकों का मानना है भाजपा अकाली दल से नाराज उसके एक धड़े को साधने का प्रयास कर सकती है जो सुखबीर सिंह बादल से नाराज हैं। हालांकि केंद्र द्वारा पारित कृषि सुधार विधेयकों के खिलाफ हो रहे किसानों के प्रदर्शन और सभी राजनीतिक दलों की तरफ से उन्हें मिल रहे समर्थन ने भाजपा की मुश्किलें जरूर खड़ी कर दी है।

उल्लेखनीय है कि कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों के भारी विरोध के बावजूद हाल में आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक, 2020, कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक 2020 तथा कृषक (सशक्तीकरण और संरक्षण) कीमत आश्वासन एवं कृषि सेवा पर करार विधेयक, 2020 को संसद से पारित कर दिया गया था।

देशभर के कई हिस्सों खासकर पंजाब और हरियाणा के किसान तथा किसान संगठन इन विधेयकों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं।

इन्हीं विधेयकों के मुद्दे पर शिअद शनिवार को ढाई दशक पुराने इस गठबंधन से अलग हो गई।

शिव सेना नेता संजय राउत ने शिअद के राजग से अलग होने पर भाजपा पर निशाना साधा और कहा कि भगवा दल जिस गठबंधन का नेतृत्व कर रहा है उसे वह राजग कहना पसंद नहीं करेंगे क्योंकि उनकी पार्टी और अकाली दल इसके प्रमुख स्तंभों में थे।

उन्होंने कहा कि पिछले साल शिव सेना को राजग से अलग होने के लिए ‘‘मजबूर’’ किया गया। जाहिरा तौर पर उनका इशारा भाजपा द्वारा महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री पद की साझेदारी की शिव सेना की मांग को नकार देने की ओर था।

इसके बाद शिव सेना ने कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) से हाथ मिला लिया और उद्धव ठाकरे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने।

भाजपा ने शिअद के राजग से अलग होने को उसकी ‘‘राजनीतिक मजबूरी’’ बताया है जबकि शिव सेना का विपक्षी दलों के साथ जाने को उसने सत्ता की लालच में बनाया गया ‘‘बेमेल गठबंधन’’ करार दिया था।

इन दोनों दलों के गठबंधन से बाहर चले जाने के बाद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अगुवाई वाला जनता दल (यूनाइटेड) भाजपा का सबसे पुराना सहयोगी बन गया है। वर्ष 2013 से 2017 को छोड़कर कुमार भाजपा के साथ ही रहे हैं और वह बिहार में गठबंधन का चेहरा भी हैं।

भाजपा के एक नेता ने बताया कि दोनों दलों का राजग से जाना दुर्भाग्यपूर्ण है लेकिन इसके लिए भाजपा को दोषी नहीं ठहराया जा सकता।

उन्होंने कहा, ‘‘भाजपा ना तो मुख्यमंत्री का पद शिव सेना को दे सकती थी और ना ही कृषि सुधार के अपने एजेंडे से पीछे हट सकती थी।’’

मालूम हो कि लोकसभा चुनाव से पहले तेलुगु देशम पार्टी ने भी आंध्र प्रदेश को विशेष दर्जा के मुद्दे पर राजग का दामन छोड़ दिया था।

पुलिसगिरी से नेतागिरी में आखिर कदम रख ही दिया बिहार के पूर्व DGP गुप्तेश्वर पांडेय ने,जदयू में शामिल हुए,शनिवार को मुलाकात की और नीतीश ने रविवार को नेता बना दिया attacknews.in

पटना 27 सितंबर।बिहार के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) पद से ऐच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) लेने वाले श्री गुप्तेश्वर पांडेय ने आज जनता दल यूनाइटेड जदयू में शामिल हो गए ।

भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के वर्ष 1987 बैच के अधिकारी रहे श्री पांडेय को आज मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने सरकारी आवास पर जदयू की सदस्यता ग्रहण दिलाई । इस मौके पर जदयू के वरिष्ठ नेता विजय रिपीट विजय कुमार चौधरी भी मौजूद थे।

शनिवार को की थी बिहार के पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय ने नीतीश से मुलाकात

बिहार के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) पद से ऐच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) के बाद राजनीति की ओर कदम बढ़ा रहे श्री गुप्तेश्वर पांडेय ने शनिवार को जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात की थी ।

भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के वर्ष 1987 बैच के अधिकारी रहे श्री पांडेय ने जदयू प्रदेश कार्यालय में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात कर लौटने के बाद पत्रकारों से बातचीत में कहा था कि श्री कुमार के साथ उनकी यह एक शिष्टाचार मुलाकात थी। उनसे जब यह पूछा गया कि क्या वह जदयू में शामिल हो रहे हैं तब उन्होंने कहा कि अभी वह किसी भी दल में शामिल नहीं हो रहे हैं।

श्री पांडेय ने कहा था कि , “मैं मुख्यमंत्री श्री कुमार को धन्यवाद देने आया था। डीजीपी के पद पर रहते हुए उन्होंने मुझे खुलकर काम करने का मौका दिया, जिसके लिए मैं उन्हें धन्यवाद देता हूं।” उन्होंने कहा कि चुनाव लड़ने के बारे में कोई फैसला नहीं लिया है। मुख्यमंत्री से केवल औपचारिक मुलाकात करने आया था। श्री पांडेय जदयू कार्यालय में करीब 10 मिनट तक रहे। इस दौरान वहां पार्टी के कुछ अन्य वरीय नेता भी मौजूद थे।

गौरतलब है कि भारतीय पुलिस सेवा से ऐच्छिक सेवानिवृत्ति के श्री पांडेय के आवेदन को गृह विभाग ने राज्यपाल के आदेश से 22 सितंबर 2020 को मंजूर कर लिया था । इसके बाद से ही कयास लगाया जा रहा था कि श्री पांडेय अब राजनीति में अपनी नई पारी की शुरुआत करेंगे।

पुलिस महकमे में श्री पांडेय 33 साल सेवा दे चुके हैं। इस दौरान वह पुलिस अधीक्षक से लेकर पुलिस उप महानिरीक्षक, महानिरीक्षक,अपर पुलिस महानिदेशक और पुलिस महानिदेशक तक के सफर में 26 जिलों में काम कर चुके हैं।

श्री पांडेय को 31 जनवरी 2019 को बिहार का पुलिस महानिदेशक बनाया गया था और उनका कार्यकाल 28 फरवरी 2021 को पूरा होने वाला था लेकिन उससे पहले ही उन्होंने ऐच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली ।

इंदौर में मास्क नहीं पहनने का बोलकर विवाद को जन्म देने वाले गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने भोपाल पहुंचते ही खुद बीमारी से ग्रस्त होने का संबंध मास्क से दूरी बनाने का बता दिया attacknews.in

भोपाल/इंदौर , 23 सितंबर । मध्यप्रदेश के गृह मंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा ने मॉस्क लगाने को लेकर आज स्पष्ट करते हुए कहा कि वे स्वास्थ्य संबंधी समस्या (पॉलीपस) के कारण लंबे समय तक चेहरे पर मॉस्क नहीं लगा सकते हैं।

डॉ मिश्रा ने अपनी इंदौर की यात्रा के बाद यहां पहुंचने पर मॉस्क को लेकर स्थिति स्पष्ट की।

उन्होंने कहा कि वे मॉस्क कई बार लगाते हैं। अनेक कार्यक्रमों में भी मॉस्क लगाया है। लेकिन लंबे समय तक मॉस्क नहीं लगा सकते हैं, क्योंकि उन्हें ‘पॉलीपस’ है। इस वजह से घुटन जैसी स्थिति बनती है और सांस लेने में तकलीफ होती है। लेकिन आवश्यकता होने पर मॉस्क अवश्य लगाता हूं।

मैं मॉस्क नहीं पहनता – नरोत्तम

इससे पहले इंदौर, में मध्यप्रदेश के गृह मंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा ने आज कहा कि वे मॉस्क नहीं पहनते हैं।
डॉ मिश्रा यहां मुख्यमंत्री जन कल्याण (संबल) योजना में शिरकत करने के लिए रवींद्र नाट्य गृह आए थे।

इस दौरान उनके मॉस्क नहीं पहने होने को लेकर पत्रकारों ने सवाल किए। मंत्री ने कहा कि वे किसी कार्यक्रम में मॉस्क नहीं पहनते हैं। इसमें क्या होता है। इसका कारण पूछे जाने पर श्री मिश्रा ने कहा ‘नहीं, पहनता नहीं हूं मैं।’

श्री मिश्रा ने पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार पर भी हमला बोला और कहा कि कांग्रेस ने सरकार में रहते हुए जन कल्याण से जुड़ी संबल योजना को बंद कर दिया था। इस योजना को हमारी सरकार ने फिर से प्रारंभ किया है।

उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ का जिक्र करते हुए कहा कि वे बड़े उद्योगपति हैं और उन्हें गरीबों के दर्द का अहसास नहीं है।

गृह एवं संसदीय कार्य मंत्री ने पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार द्वारा किसानों की कर्जमाफी के संबंध में विधानसभा में सामने आयी जानकारी से जुड़े एक प्रश्न के उत्तर में कहा कि कर्जमाफ नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि महज दो हजार, चार हजार रुपये प्रति किसान माफ किये जाने को कर्ज माफी नहीं कहा जा सकता।

गृह मंत्री ने संबल योजना से संबंधित कार्यक्रम में शिरकत करने के अलावा नए पुलिस नियंत्रण कक्ष का लोकार्पण किया। इस अवसर पर जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) विधायक रमेश मेंदोला भी मौजूद थे।

लंबे समय तक नहीं लगा पाता हूं मॉस्क – नरोत्तम

भोपाल, 23 सितंबर । मध्यप्रदेश के गृह मंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा ने मॉस्क लगाने को लेकर आज स्पष्ट करते हुए कहा कि वे स्वास्थ्य संबंधी समस्या (पॉलीपस) के कारण लंबे समय तक चेहरे पर मॉस्क नहीं लगा सकते हैं।

डॉ मिश्रा ने अपनी इंदौर की यात्रा के बाद यहां पहुंचने पर मॉस्क को लेकर स्थिति स्पष्ट की।

उन्होंने कहा कि वे मॉस्क कई बार लगाते हैं। अनेक कार्यक्रमों में भी मॉस्क लगाया है। लेकिन लंबे समय तक मॉस्क नहीं लगा सकते हैं, क्योंकि उन्हें ‘पॉलीपस’ है। इस वजह से घुटन जैसी स्थिति बनती है और सांस लेने में तकलीफ होती है। लेकिन आवश्यकता होने पर मॉस्क अवश्य लगाता हूं।

राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने पश्चिम बंगाल को बताया ‘आतंक, अपराध और अवैध बम बनाने’ का पहले से ही सुरक्षित ठिकाना और किसान मुद्दे पर ममता सरकार को लिया आड़े हाथ attacknews.in

कोलकाता, 22 सितंबर । पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने सोमवार को पश्चिम बंगाल के पुलिस महानिदेशक के बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए एक बार फिर से दोहराया कि बंगाल पहले से ही ‘आतंक, अपराध और अवैध बम बनाने’ का सुरक्षित ठिकाना बना हुआ है।

श्री धनखड़ ने अपने ट्वीटर हैंडल पर कहा, “पश्चिम बंगाल डीजीपी का शुतुर्मुर्ग वाला रुख काफी व्यथित करने वाला है। राज्य पहले से ही आतंक, अपराध, अवैध बम बनाने का सुरक्षित ठिकाना है।”

उन्होंने कहा, “उम्मीद है कि ममता सरकार को मेरे लिखे पत्र के बाद ‘वास्तविकता का आभास’ होगा। बंगाल पुलिस मानव अधिकारों के लिए खतरा है और वह विपक्षी सांसदों, विधायकों और कार्यकर्ताओं पर जानलेवा हमलों को रोकने में नाकाम हुई है।”

श्री धनखड़ ने राज्य सरकार पर पुलिस की एकतरफा कार्रवाई पर आंख मूंदने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि सांप्रदायिक स्थिति में पुलिस एकतरफा व्यवहार करती है जोकि अस्वीकार्य है। उन्होंने कहा, “ सिस्टम पर राज्य के गैर आवंछित लोगों ने कब्जा कर लिया है। यह सत्ता में असंवैधानिक घुसपैठ है और यह एक तरह का अपराध है।”

गौरतलब है कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने अलकायदा मॉड्यूल को लेकर पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले से रविवार को छह आतंकवादियों को गिरफ्तारी किया है जिसके बाद राज्यपाल धनखड़ ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर निशाना साधा है।

किसान मुद्दे पर धनखड़ ने ममता सरकार को लिया आड़े हाथ

इसी तरह पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने ‘प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि ’ में भाग नहीं लेकर राज्य के 70 लाख किसानों को 8,400 करोड़ के फायदे से वंचित रखने के कारण मंगलवार को ममता सरकार पर निशाना साधते हुए उसे पत्र लिखा।

श्री धनखड़ ने अपने पत्र में लिखा, “राज्य सरकार की निष्क्रियता के कारण प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत 70 लाख से अधिक किसानों को खासकर इस तनाव भरे समय में लाभ से वंचित किया जाना उन्हें आहत कर रहा है। मेरी तरफ से ध्यान दिलाने के बाद भी किसानों की समस्याओं पर ध्यान नहीं दिया गया।”

श्री धनखड़ ने कहा, “यदि पश्चिम बंगाल सरकार ने 70 लाख से अधिक किसानों के लिए समय रहते उचित कदम उठाए होते तो उन्हें अब तक 8,400 करोड़ रुपये से अधिक का लाभ हो चुका होता। अबतक प्रत्येक किसानों के खाते में बिना किसी मध्यस्थ के प्रतिमाह 1200 रुपये पहुंच गये होते।”

उन्होंने कहा, “किसानों को उनके लाभ से वंचित किए जाने के पीछे कोई तर्क समझ नहीं आ रहा क्योंकि केंद्र सरकार ने किसानों को 100 प्रतिशत लाभ पहुंचाने का काम किया है। इसमें राज्य सरकार कोई वित्तीय बोझ नहीं उठाती है।”

लालू प्रसाद यादव के साले साधु यादव ने बिहार के चुनाव में खुद की पार्टी के साथ मैदान में उतरने की घोषणा करके भान्जे तेजस्वी और तेजप्रताप व जीजाजी को दे दी चुनौती attacknews.in

पटना 19 सितंबर ।बिहार में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) विधानमंडल दल की नेता राबड़ी देवी के भाई अनिरुद्ध प्रसाद उर्फ साधु यादव ने आगामी विधानसभा चुनाव में बैकुंठपुर से दाव आजमाने की घोषणा करते हुए कहा कि उनकी पार्टी गरीब जनता दल सेक्यूलर 40 सीटों पर उम्मीदवार उतारेगी ।

पूर्व सांसद श्री यादव ने शनिवार को यहां बताया कि इस बार वह गोपालगंज जिले के बैकुंठपुर से विधान सभा चुनाव लड़ेंगे। उन्होंने बताया कि उनकी पार्टी गरीब जनता दल सेक्यूलर बिहार की 243 में से 40 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी ।

श्री यादव ने पूर्व केंद्रीय मंत्री रघुवंश प्रसाद सिंह के निधन और उनके राजद छोड़ने के लिए विधायक एवं राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव के ज्येष्ठ पुत्र तेजप्रताप यादव के बयान को जिम्मेवार बताए जाने पर कहा कि श्री सिंह का राजद अध्यक्ष के बच्चों के साथ पितृवत स्नेह था। उन्होंने इन बच्चों को अपनी गोद मे खेलाया है। इसलिए वह तेजप्रताप के बयान से आहत नहीं थे।

पूर्व सांसद श्री यादव ने कहा कि उन्हें श्री सिंह के मार्गदर्शन में काम करने का लंबा अनुभव है। वह उन्हें काफी अच्छी तरह से जानते थे। उन्होंने कहा कि दरअसल श्री सिंह महनार से रामा सिंह की पत्नी को उम्मीदवार बनाए जाने को लेकर दुखी थे। उन्होंने हमेशा जिनका विरोध किया उसे राजद के द्वारा तरजीह दिया जाना उन्हें आहत कर गया।

उल्लेखनीय है कि श्री साधु यादव ने इससे पूर्व 2019 में महाराजगंज संसदीय क्षेत्र से बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की टिकट पर चुनाव लड़ा था लेकिन उन्हें शिकस्त का सामना करना पड़ा। वर्ष 2004 में श्री यादव ने राजद प्रत्याशी के रूप में गोपालगंज लोकसभा सीट को जीत हासिल की थी। लेकिन, 2009 में उन्हें राजद ने टिकट नहीं दिया, जिसके बाद उनके रिश्तों में खटास आ गई।