संसद में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का अभिभाषण: गणतंत्र दिवस पर तिरंगे का अपमान बहुत दुर्भाग्यपूर्ण, कृषि कानूनों पर मेरी सरकार सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का पूरा सम्मान करते हुए उसका पालन करेगी attacknews.in

नयी दिल्ली, 29 जनवरी । राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 26 जनवरी को प्रदर्शनकारी किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान लाल किले पर धार्मिक ध्वज फहराए जाने की घटना की पृष्ठभूमि में शुक्रवार को कहा कि गणतंत्र दिवस पर तिरंगे का अपमान बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है।

उन्होंने बजट सत्र के पहले दिन संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को संबोधित करते हुए यह भी कहा कि संविधान हमें अभिव्यक्ति की आजादी का अधिकार देता है, वही संविधान हमें सिखाता है कि कानून और नियम का भी उतनी ही गंभीरता से पालन करना चाहिए।

उल्लेखनीय है कि किसानों के आंदोलन के मुद्दे को लेकर कांग्रेस समेत करीब 20 पार्टियों ने राष्ट्रपति के अभिभाषण का बहिष्कार किया है।

कोविंद ने कहा, ‘‘व्यापक विमर्श के बाद संसद ने सात महीने पूर्व तीन महत्वपूर्ण कृषि सुधार, कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक, कृषि (सशक्तीकरण और संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा करार विधेयक, और आवश्यक वस्तु संशोधन विधेयक पारित किए हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘इन कृषि सुधारों का सबसे बड़ा लाभ भी 10 करोड़ से अधिक छोटे किसानों को तुरंत मिलना शुरू हुआ। छोटे किसानों को होने वाले इन लाभों को समझते हुए ही अनेक राजनीतिक दलों ने समय-समय पर इन सुधारों को अपना भरपूर समर्थन दिया था।’’

राष्ट्रपति ने इस बात पर जोर दिया, ‘‘वर्तमान में इन कानूनों के क्रियान्वयन देश की सर्वोच्च अदालत ने स्थगित किया हुआ है। मेरी सरकार उच्चतम न्यायालय के निर्णय का पूरा सम्मान करते हुए उसका पालन करेगी।’’

उन्होंने कहा, ‘‘पिछले दिनों तिरंगे और गणतंत्र दिवस जैसे पवित्र दिन का अपमान बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। जो संविधान हमें अभिव्यक्ति की आजादी का अधिकार देता है, वही संविधान हमें सिखाता है कि कानून और नियम का भी उतनी ही गंभीरता से पालन करना चाहिए।’’

कोविंद ने कहा, ‘‘ मेरी सरकार यह स्पष्ट करना चाहती है कि तीन नए कृषि कानून बनने से पहले, पुरानी व्यवस्थाओं के तहत जो अधिकार थे तथा जो सुविधाएं थीं, उनमें कहीं कोई कमी नहीं की गई है। बल्कि इन कृषि सुधारों के जरिए सरकार ने किसानों को नई सुविधाएं उपलब्ध कराने के साथ-साथ नए अधिकार भी दिए हैं।’’

उन्होंने यह भी बताया, ‘‘कृषि को और लाभकारी बनाने के लिए मेरी सरकार आधुनिक कृषि इंफ्रास्ट्रक्चर पर भी विशेष ध्यान दे रही है। इसके लिए एक लाख करोड़ रुपए के एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर फंड की शुरुआत की गई है।’’

भारत के राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविन्द का संसद के संयुक्त अधिवेशन में अभिभाषण

माननीय सदस्यगण,

  1. कोरोना वैश्विक महामारी के इस दौर में हो रहा संसद का यह संयुक्त सत्र बहुत महत्वपूर्ण है। नया वर्ष भी है, नया दशक भी है और इसी साल हम आजादी के 75वें वर्ष में भी प्रवेश करने वाले हैं। आज संसद के आप सभी सदस्य, हर भारतवासी के इस संदेश और इस विश्वास के साथ यहां उपस्थित हैं कि चुनौती कितनी ही बड़ी क्यों न हो, न हम रुकेंगे और न भारत रुकेगा।
  2. भारत जब-जब एकजुट हुआ है, तब-तब उसने असंभव से लगने वाले लक्ष्यों को प्राप्त किया है। ऐसी ही एकजुटता और पूज्य बापू की प्रेरणा ने, हमें सैकड़ों वर्षों की गुलामी से आजादी दिलाई थी। इसी भावना को अभिव्यक्त करते हुए, राष्ट्रप्रेम से ओतप्रोत कवि, असम केसरी, अंबिकागिरि रायचौधरी ने कहा था:

ओम तत्सत् भारत महत, एक चेतोनात, एक ध्यानोत,

एक साधोनात, एक आवेगोत, एक होइ ज़ा, एक होइ ज़ा।

अर्थात,

भारत की महानता परम सत्य है। एक ही चेतना में, एक ही ध्यान में, एक ही साधना में, एक ही आवेग में, एक हो जाओ, एक हो जाओ।

  1. आज हम भारतीयों की यही एकजुटता, यही साधना, देश को अनेक आपदाओं से बाहर निकालकर लाई है। एक तरफ कोरोना जैसी वैश्विक महामारी, दूसरी तरफ अनेक राज्यों में बाढ़, कभी अनेक राज्यों में भूकंप तो कभी बड़े-बड़े सायक्लोन, टिड्डी दल के हमले से लेकर बर्ड फ्लू तक, देशवासियों ने हर आपदा का डटकर सामना किया। इसी काल में सीमा पर भी अप्रत्याशित तनाव बढ़ा। इतनी आपदाओं से, इतने मोर्चों पर, देश एक साथ लड़ा और हर कसौटी पर खरा उतरा। इस दौरान हम सब, देशवासियों के अप्रतिम साहस, संयम, अनुशासन और सेवाभाव के भी साक्षी बने हैं।
  • महामारी के खिलाफ इस लड़ाई में हमने अनेक देशवासियों को असमय खोया भी है। हम सभी के प्रिय और मेरे पूर्ववर्ती राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का निधन भी कोरोना काल में हुआ। संसद के 6 सदस्य भी कोरोना की वजह से असमय हमें छोड़कर चले गए। मैं सभी के प्रति अपनी विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।

  • माननीय सदस्यगण,

    1. हमारे शास्त्रों में कहा गया है- “कृतम् मे दक्षिणे हस्ते, जयो मे सव्य आहितः” अर्थात, हमारे एक हाथ में कर्तव्य होता है तो दूसरे हाथ में सफलता होती है। कोरोना महामारी के इस समय में, जब दुनिया का प्रत्येक व्यक्ति, हर देश इससे प्रभावित हुआ, आज भारत एक नए सामर्थ्य के साथ दुनिया के सामने उभर कर आया है। मुझे संतोष है कि मेरी सरकार के समय पर लिए गए सटीक फैसलों से लाखों देशवासियों का जीवन बचा है। आज देश में कोरोना के नए मरीजों की संख्या भी तेज़ी से घट रही है और जो संक्रमण से ठीक हो चुके हैं उनकी संख्या भी बहुत अधिक है।

    माननीय सदस्यगण,

    1. जब हम बीते एक वर्ष को याद करते हैं तो हमें स्मरण होता है कि कैसे एक ओर नागरिकों के जीवन की रक्षा की चुनौती थी, तो दूसरी तरफ अर्थव्यवस्था की चिंता भी करनी थी। अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए रिकॉर्ड आर्थिक पैकेज की घोषणा के साथ ही मेरी सरकार ने इस बात का भी ध्यान रखा कि किसी गरीब को भूखा न रहना पड़े।
  • ‘प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना’ के माध्यम से 8 महीनों तक 80 करोड़ लोगों को 5 किलो प्रतिमाह अतिरिक्त अनाज निशुल्क सुनिश्चित किया गया। सरकार ने प्रवासी श्रमिकों, कामगारों और अपने घर से दूर रहने वाले लोगों की भी चिंता की। वन नेशन-वन राशन कार्ड की सुविधा देने के साथ ही सरकार ने उन्हें निशुल्क अनाज मुहैया कराया और उनके लिए श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चलवाईं।

  • महामारी के कारण शहरों से वापस आए प्रवासियों को उनके ही गांवों में काम देने के लिए मेरी सरकार ने छह राज्यों में गरीब कल्याण रोजगार अभियान भी चलाया। इस अभियान की वजह से 50 करोड़ Man-days के बराबर रोजगार पैदा हुआ। सरकार ने रेहड़ी-पटरी वालों और ठेला लगाने वाले भाइयों-बहनों के लिए विशेष स्वनिधि योजना भी शुरू की। इसके साथ ही करीब 31 हजार करोड़ रुपए गरीब महिलाओं के जनधन खातों में सीधे ट्रांसफर भी किए। इस दौरान देशभर में उज्ज्वला योजना की लाभार्थी गरीब महिलाओं को 14 करोड़ से अधिक मुफ्त गैस सिलेंडर भी मिले।

  • अपने सभी निर्णयों में मेरी सरकार ने संघीय ढांचे की सामूहिक शक्ति का अद्वितीय उदाहरण भी प्रस्तुत किया है। केंद्र और राज्य सरकारों के बीच इस समन्वय ने लोकतंत्र को मजबूत बनाया है और संविधान की प्रतिष्ठा को सशक्त किया है।

  • माननीय सदस्यगण,

    1. आचार्य चाणक्य ने कहा है-

    तृणम् लघु, तृणात् तूलम्, तूलादपि च याचकः ।
    वायुना किम् न नीतोऽसौ, मामयम् याचयिष्यति ॥

    याचना करने वाले को घास के तिनके और रुई से भी हल्का माना गया है। रुई और तिनके को उड़ा ले जाने वाली हवा भी याचक को इसलिए अपने साथ उड़ाकर नहीं ले जाती कि कहीं वह हवा से भी कुछ मांग ना ले। इस प्रकार,हर कोई याचक से बचता है।

    इसका अभिप्राय यह है कि यदि अपने महत्व को बढ़ाना है तो दूसरों पर निर्भरता को कम करते हुए आत्मनिर्भर बनना होगा।

    1. आजादी की लड़ाई के समय हमारे स्वतंत्रता सेनानी जिस सशक्त और स्वतंत्र भारत का सपना देख रहे थे, उस सपने को सच करने का आधार भी देश की आत्मनिर्भरता से ही जुड़ा था। कोरोना काल में बनी वैश्विक परिस्थितियों ने, जब हर देश की प्राथमिकता उसकी अपनी जरूरतें थीं, हमें ये याद दिलाया है कि आत्मनिर्भर भारत का निर्माण क्यों इतना महत्वपूर्ण है।
  • इस दौरान भारत ने बहुत ही कम समय में 2200 से अधिक प्रयोगशालाओं का नेटवर्क बनाकर, हजारों वेंटिलेटर्स का निर्माण करके, पीपीई किट से लेकर टेस्ट किट बनाने तक में आत्मनिर्भरता हासिल करके अपनी वैज्ञानिक क्षमता, अपनी तकनीकी दक्षता और अपने मजबूत स्टार्ट-अप इकोसिस्टम का भी परिचय दिया है। हमारे लिए यह और भी गर्व की बात है कि आज भारत दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान चला रहा है। इस प्रोग्राम की दोनों वैक्सीन भारत में ही निर्मित हैं। संकट के इस समय में भारत ने मानवता के प्रति अपने दायित्व का निर्वहन करते हुए अनेक देशों को कोरोना वैक्सीन की लाखों खुराक उपलब्ध कराई हैं। भारत के इस कार्य की विश्व भर में हो रही प्रशंसा, हमारी हजारों वर्ष पुरानी संस्कृति, सर्वे सन्तु निरामयाः की भावना के साथ जग-कल्याण की हमारी प्रार्थना, हमारे प्रयासों को और ऊर्जा दे रही है।

  • माननीय सदस्यगण,

    1. मेरी सरकार द्वारा स्वास्थ्य के क्षेत्र में पिछले 6 वर्षों में जो कार्य किए गए हैं, उनका बहुत बड़ा लाभ हमने इस कोरोना संकट के दौरान देखा है। इन वर्षों में इलाज से जुड़ी व्यवस्थाओं को आधुनिक बनाने के साथ ही बीमारी से बचाव पर भी उतना ही बल दिया गया है। राष्ट्रीय पोषण अभियान, फिट इंडिया अभियान, खेलो इंडिया अभियान, ऐसे अनेक कार्यक्रमों से स्वास्थ्य को लेकर देश में नई सतर्कता आई है। आयुर्वेद और योग को बढ़ावा देने के मेरी सरकार के प्रयासों का लाभ भी हमें देखने को मिला है।
  • मेरी सरकार के प्रयासों से, आज देश की स्वास्थ्य सेवाएं गरीबों को आसानी से उपलब्ध हो रही हैं तथा बीमारियों पर होने वाला उनका खर्च कम हो रहा है। आयुष्मान भारत -प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत देश में 1.5 करोड़ गरीबों को 5 लाख रुपए तक का मुफ्त इलाज मिला है। इससे इन गरीबों के 30 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा, खर्च होने से बचे हैं। आज देश के 24 हजार से ज्यादा अस्पतालों में से किसी में भी आयुष्मान योजना का लाभ लिया जा सकता है। इसी तरह प्रधानमंत्री भारतीय जन-औषधि योजना के तहत देश भर में बने 7 हजार केंद्रों से गरीबों को बहुत सस्ती दर पर दवाइयां मिल रही हैं। इन केंद्रों में रोजाना लाखों मरीज दवाई खरीद रहे हैं। कीमत कम होने की वजह से मरीजों को सालाना लगभग 3600 करोड़ रुपए की बचत हो रही है।

  • माननीय सदस्यगण,

    1. देश में स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार के लिए मेडिकल शिक्षा का विस्तार भी अत्यंत आवश्यक है। साल 2014 में देश में सिर्फ 387 मेडिकल कालेज थे, लेकिन आज देश में 562 मेडिकल कालेज हैं। बीते 6 वर्षों में अंडरग्रैजुएट और पोस्ट ग्रैजुएट चिकित्सा शिक्षा में 50 हजार से ज्यादा सीटों की वृद्धि हुई है। प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना के तहत सरकार ने 22 नए ‘एम्स’ को भी मंजूरी दी है।
  • राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग के साथ ही चार स्वायत्त बोर्ड का गठन कर केंद्र सरकार ने चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में ऐतिहासिक सुधारों की नींव रखी है। इन्हीं सुधारों के क्रम में दशकों पुरानी मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के स्थान पर नेशनल मेडिकल कमीशन की स्थापना की गई है।

  • माननीय सदस्यगण,

    1. आत्मनिर्भर भारत अभियान केवल भारत में निर्माण तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह भारत के हर नागरिक का जीवन स्तर ऊपर उठाने तथा देश का आत्मविश्वास बढ़ाने का भी अभियान है।
  • आत्मनिर्भर भारत का हमारा लक्ष्य आत्मनिर्भर कृषि से और सशक्त होगा। इसी सोच के साथ सरकार ने बीते 6 वर्षों में बीज से लेकर बाज़ार तक हर व्यवस्था में सकारात्मक परिवर्तन का प्रयास किया है, ताकि भारतीय कृषि आधुनिक भी बने और कृषि का विस्तार भी हो। इन्हीं प्रयासों के क्रम में मेरी सरकार ने स्वामीनाथन आयोग की सिफ़ारिशों को लागू करते हुए लागत से डेढ़ गुना MSP देने का फैसला भी किया था। मेरी सरकार आज न सिर्फ MSP पर रिकॉर्ड मात्रा में खरीद कर रही है बल्कि खरीद केंद्रों की संख्या को भी बढ़ा रही है।

  • आज कृषि के लिए उपलब्ध सिंचाई के साधनों में भी व्यापक सुधार आ रहा है। Per Drop More Crop के मंत्र पर चलते हुए सरकार पुरानी सिंचाई परियोजनाओं को पूरा करने के साथ ही सिंचाई के आधुनिक तरीके भी किसानों तक पहुंचा रही है। 2013-14 में जहां 42 लाख हेक्टेयर जमीन में ही माइक्रो-इरिगेशन की सुविधा थी, वहीं आज 56 लाख हेक्टेयर से ज्यादा अतिरिक्त जमीन को माइक्रो-इरिगेशन से जोड़ा जा चुका है।

  • मुझे खुशी है कि सरकार के इन प्रयासों को हमारे किसान अपने परिश्रम से और आगे बढ़ा रहे हैं। आज देश में खाद्यान्न उपलब्धता रिकॉर्ड स्तर पर है। वर्ष 2008-09 में जहां देश में 234 मिलियन टन खाद्यान्न की पैदावार हुई थी वहीं साल 2019-20 में देश की पैदावार बढ़कर 296 मिलियन टन तक पहुंच गयी है। इसी अवधि में सब्जी और फलों का उत्पादन भी 215 मिलियन टन से बढ़कर अब 320 मिलियन टन तक पहुंच गया है। मैं इसके लिए देश के किसानों का अभिनंदन करता हूँ।

  • माननीय सदस्यगण,

    1. समय की मांग है कि कृषि क्षेत्र में हमारे जो छोटे और सीमांत किसान हैं, जिनके पास सिर्फ एक या दो हेक्टेयर जमीन होती है, उन पर विशेष ध्यान दिया जाए। देश के सभी किसानों में से 80 प्रतिशत से ज्यादा ये छोटे किसान ही हैं और इनकी संख्या 10 करोड़ से ज्यादा है।
  • मेरी सरकार की प्राथमिकताओं में ये छोटे और सीमांत किसान भी हैं। ऐसे किसानों के छोटे-छोटे खर्च में सहयोग करने के लिए पीएम किसान सम्मान निधि के जरिए उनके खातों में लगभग एक लाख तेरह हजार करोड़ से अधिक रुपए सीधे ट्रांसफर किए जा चुके हैं। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का लाभ भी देश के छोटे किसानों को हुआ है। इस योजना के तहत पिछले 5 वर्षों में किसानों को 17 हजार करोड़ रुपए प्रीमियम के एवज में लगभग 90 हजार करोड़ रुपए की राशि, मुआवजे के तौर पर मिली है।

  • देश के छोटे किसानों को साथ जोड़कर 10 हजार किसान उत्पादक संगठनों यानि Farmer Producer Organisations को स्थापित करने का अभियान एक ऐसा ही प्रभावशाली कदम है। इससे इन छोटे किसानों को समृद्ध किसानों की तरह बेहतर तकनीक, ज्यादा ऋण, पोस्ट हार्वेस्टिंग प्रोसेसिंग एवं मार्केटिंग की सुविधाएं और प्राकृतिक आपदा के समय सुरक्षा मिलनी सुनिश्चित हुई है। इससे किसानों को अपनी फसल की ज्यादा कीमत और ज्यादा बचत का विकल्प भी मिला है।

  • माननीय सदस्यगण,

    1. व्यापक विमर्श के बाद संसद ने सात महीने पूर्व तीन महत्वपूर्ण कृषि सुधार, कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक, कृषि (सशक्‍तीकरण और संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा करार विधेयक, और आवश्यक वस्तु संशोधन विधेयक पारित किए हैं। इन कृषि सुधारों का सबसे बड़ा लाभ भी 10 करोड़ से अधिक छोटे किसानों को तुरंत मिलना शुरू हुआ। छोटे किसानों को होने वाले इन लाभों को समझते हुए ही अनेक राजनीतिक दलों ने समय-समय पर इन सुधारों को अपना भरपूर समर्थन दिया था। देश में अलग-अलग फोरम पर, देश के हर क्षेत्र में दो दशकों से जिन सुधारों की चर्चा चल रही थी और जो मांग हो रही थी, वह सदन में चर्चा के दौरान भी परिलक्षित हुई।
  • वर्तमान में इन कानूनों का अमलीकरण देश की सर्वोच्च अदालत ने स्थगित किया हुआ है। मेरी सरकार उच्चतम न्यायालय के निर्णय का पूरा सम्मान करते हुए उसका पालन करेगी।

  • लोकतंत्र और संविधान की मर्यादा को सर्वोपरि रखने वाली मेरी सरकार, इन कानूनों के संदर्भ में पैदा किए गए भ्रम को दूर करने का निरंतर प्रयास कर रही है। मेरी सरकार ने लोकतंत्र में अभिव्यक्ति की आजादी और शांतिपूर्ण आंदोलनों का हमेशा सम्मान किया है। लेकिन पिछले दिनों हुआ तिरंगे और गणतंत्र दिवस जैसे पवित्र दिन का अपमान बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। जो संविधान हमें अभिव्यक्ति की आजादी का अधिकार देता है, वही संविधान हमें सिखाता है कि कानून और नियम का भी उतनी ही गंभीरता से पालन करना चाहिए।

    1. मेरी सरकार यह स्पष्ट करना चाहती है कि तीन नए कृषि कानून बनने से पहले, पुरानी व्यवस्थाओं के तहत जो अधिकार थे तथा जो सुविधाएं थीं, उनमें कहीं कोई कमी नहीं की गई है। बल्कि इन कृषि सुधारों के जरिए सरकार ने किसानों को नई सुविधाएं उपलब्ध कराने के साथ-साथ नए अधिकार भी दिए हैं।

    माननीय सदस्यगण,

    1. कृषि को और लाभकारी बनाने के लिए मेरी सरकार आधुनिक कृषि इंफ्रास्ट्रक्चर पर भी विशेष ध्यान दे रही है। इसके लिए एक लाख करोड़ रुपए के एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर फंड की शुरुआत की गई है।
  • देश भर में शुरू की गईं किसान रेल, भारत के किसानों को नया बाजार उपलब्ध कराने में नया अध्याय लिख रही हैं। यह किसान रेल एक तरह से चलता फिरता कोल्ड स्टोरेज है। अब तक 100 से ज्यादा किसान रेलें चलाई जा चुकी हैं जिनके माध्यम से 38 हजार टन से ज्यादा अनाज और फल-सब्जियां, एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र तक किसानों द्वारा भेजी गई हैं।

  • माननीय सदस्यगण,

    1. किसानों की आय बढ़ाने के लिए मेरी सरकार ने पशुधन को आय के स्रोत के रूप में स्थापित करने पर भी विशेष जोर दिया है। इसी का परिणाम है कि देश का पशुधन पिछले 5 वर्षों में सालाना 8.2 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है। सरकार ने डेयरी क्षेत्र में बुनियादी ढांचे की स्थापना और निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए 15 हजार करोड़ रुपए के पशुपालन अवसंरचना विकास कोष की स्थापना भी की है।
  • मेरी सरकार ने पशुपालन और मत्स्यपालन को भी कृषि क्षेत्र की तरह ही किसान क्रेडिट कार्ड की सुविधा दी है। देश में प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के माध्यम से मछुआरों की आय को बढ़ाने के लिए भी काम हो रहा है। इस क्षेत्र में अगले पांच सालों में लगभग बीस हजार करोड़ रुपए का निवेश करने की योजना है।

  • किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए मेरी सरकार अन्नदाता को ऊर्जादाता बनाने का भी अभियान चला रही है। प्रधानमंत्री कुसुम योजना के तहत किसानों को 20 लाख सोलर पंप दिए जा रहे हैं। सरकार द्वारा गन्ने के सीरे, मक्का, धान इत्यादि से एथनॉल के उत्पादन को भी बढ़ावा दिया जा रहा है। पिछले 6 वर्षों में सरकार की सकारात्मक नीतियों के कारण एथनॉल का उत्पादन 38 करोड़ लीटर से बढ़कर 190 करोड़ लीटर हुआ है। यह उत्पादन, इस वर्ष, बढ़कर 320 करोड़ लीटर तक हो जाएगा, ऐसी उम्मीद है। एथनॉल, देश के किसानों की आय बढ़ाने का एक बड़ा जरिया बनकर उभर रहा है।

  • माननीय सदस्यगण,

    1. पूज्य बापू आत्मनिर्भर “आदर्श गांवों” के निर्माण की इच्छा रखते थे। इसी विचार को लेकर चल रही मेरी सरकार आज गांवों के बहुआयामी विकास के लिए लगातार काम कर रही है। गांव के लोगों का जीवन स्तर सुधरे, यह मेरी सरकार की प्राथमिकता है। इसका उत्तम उदाहरण 2014 से गरीब ग्रामीण परिवारों के लिए बनाए गए 2 करोड़ घर हैं। वर्ष 2022 तक हर गरीब को पक्की छत देने के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना की गति भी तेज की गई है।
  • मेरी सरकार द्वारा शुरू की गई स्वामित्व योजना से अब ग्रामीणों को उनकी संपत्ति पर कानूनी हक मिल रहा है। स्वामित्व के इस अधिकार से अब गांवों में भी संपत्तियों पर बैंक लोन लेना, हाउस लोन लेना आसान बनेगा और ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधियां तेज होंगी। इस योजना का भी विशेष लाभ गांवों के छोटे उद्यमियों और कुटीर उद्योग से जुड़े लोगों तथा छोटे किसानों को होगा।

  • माननीय सदस्यगण,

    1. बाबा साहेब आंबेडकर संविधान के मुख्य शिल्‍पी होने के साथ-साथ हमारे देश में वॉटर पॉलिसी को दिशा दिखाने वाले भी थे। 8 नवंबर, 1945 को कटक में एक कॉन्फ्रेंस के दौरान उन्होंने कहा था- Water is Wealth. Water being the wealth of the people and its distribution being uncertain, the correct approach is not to complain against nature but to conserve water.
  • बाबा साहेब की प्रेरणा को साथ लेकर, मेरी सरकार ‘जल जीवन मिशन’ की महत्वाकांक्षी योजना पर काम कर रही है। इसके तहत ‘हर घर जल’ पहुंचाने के साथ ही जल संरक्षण पर भी तेज गति से काम किया जा रहा है। मुझे यह बताते हुए हर्ष है कि इस अभियान के तहत अब तक 3 करोड़ परिवारों को पाइप वॉटर सप्लाई से जोड़ा जा चुका है। इस अभियान में अनुसूचित जातियों व जनजातियों के भाई-बहनों तथा वंचित वर्गों के अन्य लोगों को प्राथमिकता के आधार पर पानी का कनेक्शन दिया जा रहा है।

  • माननीय सदस्यगण,

    1. हमारे गांवों को 21वीं सदी की जरूरतों और इनफ्रास्ट्रक्चर से जोड़ने के लिए मेरी सरकार ने ग्रामीण सड़क नेटवर्क के विस्तार में भी सराहनीय काम किया है। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अंतर्गत देश के ग्रामीण क्षेत्रों में 6 लाख 42 हजार किलोमीटर सड़क का निर्माण पूरा कर लिया गया है। इस योजना के तीसरे चरण में ग्रामीण क्षेत्रों में बसावटों के साथ-साथ स्कूलों, बाज़ारों और अस्पतालों आदि से जोड़ने वाले 1 लाख 25 हजार किलोमीटर रास्तों को भी अपग्रेड किया जाएगा। गांवों में सड़कों के साथ ही इंटरनेट की कनेक्टिविटी भी उतनी ही अहम है। हर गांव तक बिजली पहुंचाने के बाद मेरी सरकार देश के 6 लाख से अधिक गांवों को ऑप्टिकल फाइबर से जोड़ने के लिए अभियान चला रही है।

    माननीय सदस्यगण,

    1. हमारी अर्थव्यवस्था की आधारभूत ताकत हमारे गांवों और छोटे शहरों में फैले हमारे लघु उद्योग, हमारे कुटीर उद्योग, MSMEs ही हैं। भारत को आत्मनिर्भर बनाने का बहुत बड़ा सामर्थ्य हमारे इन लघु उद्योगों के ही पास है। देश के कुल निर्यात में इनकी भागीदारी लगभग 50 प्रतिशत की है। आत्मनिर्भर भारत के मिशन में MSMEs की भूमिका को बढ़ाने के लिए भी अनेक कदम उठाए गए हैं।
  • MSMEs की परिभाषा में बदलाव हो, निवेश की सीमा बढ़ाना हो या फिर सरकारी खरीद में वरीयता, अब लघु और कुटीर उद्योगों को विकास के लिए ज़रूरी प्रोत्साहन मिला है। तीन लाख करोड़ रुपए की इमरजेंसी क्रेडिट गारंटी योजना, मुश्किल में फंसे MSMEs के लिए 20 हजार करोड़ की विशेष योजना और Fund of Funds जैसे प्रयासों ने लाखों लघु उद्यमियों को लाभ पहुंचाया है। GeM (जेम) पोर्टल से देश के दूर दराज वाले क्षेत्रों के MSMEs को सरकारी खरीद में पारदर्शिता के साथ-साथ अधिक भागीदारी भी मिल रही है।

  • मेरी सरकार की यह निरंतर कोशिश है कि उद्यमशीलता का लाभ देश के हर वर्ग को मिले। हुनर हाट और उस्ताद योजना के माध्यम से लाखों शिल्पकारों का कौशल विकास भी किया जा रहा है और उनको रोजगार के अवसर दिए जा रहे हैं। इन लाभार्थियों में आधे से अधिक महिला शिल्पकार हैं। e-haat के माध्यम से इन शिल्पकारों को पूरी दुनिया के खरीदारों से जोड़ा जा रहा है।

  • आत्मनिर्भर भारत में महिला उद्यमियों की विशेष भूमिका है। मेरी सरकार ने महिलाओं को स्वरोज़गार के नए अवसर देने के लिए कई कदम उठाए हैं। मुद्रा योजना के तहत अब तक 25 करोड़ से ज्यादा ऋण दिए जा चुके हैं, जिसमें से लगभग 70 प्रतिशत ऋण महिला उद्यमियों को मिले हैं।

  • दीनदयाल अंत्योदय योजना – राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के अंतर्गत देश में आज 7 करोड़ से अधिक महिला उद्यमी करीब 66 लाख स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी हुई हैं। बैंकों के माध्यम से इन महिला समूहों को पिछले 6 वर्षों में 3 लाख 40 हजार करोड़ रुपए का ऋण दिया गया है।

  • देश के ग्रामीण क्षेत्रों में कार्यरत महिलाओं के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए सरकार एक रुपए में ‘सुविधा’ सैनिटरी नैपकिन देने की योजना भी चला रही है। सरकार गर्भवती महिलाओं के मुफ्त चेक-अप की मुहिम एवं राष्ट्रीय पोषण अभियान चलाकर, उन्हें आर्थिक मदद देकर, गर्भवती माताओं एवं शिशुओं के स्वास्थ्य की रक्षा के लिए निरंतर प्रयत्नशील है। इसी का परिणाम है कि देश में मातृ मृत्यु दर 2014 में प्रति लाख 130 से कम होकर 113 तक आ गयी है। पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों की मृत्यु दर भी पहली बार घटकर 36 तक आ गई है, जो वैश्विक दर 39 से कम है।

  • महिलाओं की समान भागीदारी को आवश्यक मानने वाली मेरी सरकार नए-नए क्षेत्रों में बहनों-बेटियों के लिए नए अवसर बना रही है। भारतीय वायुसेना की फाइटर स्ट्रीम हो, मिलिट्री पुलिस में महिलाओं की नियुक्ति हो, या फिर अंडर ग्राउंड माइन्स में तथा ओपन कास्ट माइन्स में महिलाओं को रात्रि में कार्य करने की अनुमति, ये सभी निर्णय पहली बार मेरी सरकार ने ही लिए हैं। महिला सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए वन स्टॉप सेंटर, अपराधियों का राष्ट्रीय डेटाबेस, इमरजेंसी रिस्पॉन्स सपोर्ट सिस्टम और देश भर में फास्ट ट्रैक कोर्ट पर तेज़ी से काम किया गया है।

  • माननीय सदस्यगण,

    1. 21वीं सदी की वैश्विक आवश्यकताओं और चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए सरकार ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति की घोषणा की है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में पहली बार छात्रों को अपनी रुचि के हिसाब से विषय पढ़ने की आजादी दी गई है। किसी कोर्स के बीच में भी विषय और स्ट्रीम बदलने का विकल्प युवाओं को दिया गया है।
  • मेरी सरकार ने प्रधानमंत्री ई-विद्या के अंतर्गत, स्कूली शिक्षा के लिए दीक्षा ऑनलाइन पोर्टल को वन नेशन, वन डिजिटल प्लेटफॉर्म के रूप में विकसित किया है। विद्यार्थियों के हितों के लिए संवेदनशील मेरी सरकार ने जेईई और नीट परीक्षाओं का भी सफल आयोजन कर उनका एक साल व्यर्थ होने से बचाया है।

  • माननीय सदस्यगण,

    1. मेरी सरकार का मानना है कि सबसे ज्यादा वंचित वर्गों की सामाजिक और आर्थिक विकास की यात्रा, गुणवत्ता युक्त शिक्षा से आरंभ होती है। सरकार की विभिन्न छात्रवृत्ति योजनाओं का लाभ ऐसे ही 3 करोड़ 20 लाख से ज्यादा विद्यार्थियों को मिल रहा है। इनमें अनुसूचित जाति, पिछड़ा वर्ग, वनवासी एवं जनजातीय वर्ग और अल्पसंख्यक समुदाय के छात्र-छात्राएं शामिल हैं। सरकार का प्रयास है कि ज्यादा से ज्यादा पात्र और ज़रूरतमंद विद्यार्थियों को छात्रवृत्तियों का लाभ मिले। इसके साथ ही, अनुसूचित जाति के विद्यार्थियों को दी जाने वाली पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति में केंद्र सरकार के हिस्से को भी बढ़ाया जा रहा है। इसी प्रकार जनजातीय युवाओं की शिक्षा के लिए हर आदिवासी बहुल ब्लॉक तक एकलव्य आवासीय मॉडल स्कूल के विस्तार का काम किया जा रहा है। अब तक इस प्रकार के साढ़े पांच सौ से ज्यादा स्कूल स्वीकृत किए जा चुके हैं।
  • शिक्षा के साथ साथ नौकरी की प्रक्रियाएं आसान करने और व्यवस्थित करने पर भी मेरी सरकार का जोर है। ग्रुप सी और ग्रुप डी में इंटरव्यू समाप्त करने से युवाओं को बहुत लाभ हुआ है। सरकार ने नेशनल रिक्रूटमेंट एजेंसी का गठन करके नौजवानों को नियुक्ति के लिए कई अलग-अलग परीक्षाएं देने की परेशानी से मुक्त किया है।

  • माननीय सदस्यगण,

    1. मेरी सरकार ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास’ के मंत्र के साथ देश के हर क्षेत्र और हर वर्ग के विकास को प्राथमिकता दे रही है। दिव्यांगजनों की मुश्किलों को कम करने के लिए देशभर में हजारों इमारतों को, सार्वजनिक बसों और रेलवे को सुगम्‍य बनाया गया है। लगभग 700 वेबसाइटों को दिव्यांगजनों के अनुकूल तैयार किया गया है। इसी तरह ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को भी बेहतर सुविधाएं और समान अवसर देने के लिए Transgender Persons (Protection of Rights) Act लागू किया गया है। Denotified, Nomadic एवं semi-nomadic communities यानि विमुक्त, घुमंतू और अर्ध घुमंतू समुदायों के लिए भी विकास एवं कल्याण बोर्ड की स्थापना की गई है।
  • विकास की दौड़ में पीछे रह गए देश के 112 आकांक्षी जिलों में मेरी सरकार प्राथमिकता के आधार पर विकास योजनाओं को लागू कर रही है। इसका बहुत बड़ा लाभ आदिवासी भाई-बहनों को हो रहा है। आदिवासियों की आजीविका के प्रमुख साधन यानि वन-उपज की मार्केटिंग और वन-उपज आधारित छोटे उद्योगों की स्थापना का काम भी जारी है। ऐसी कोशिशों से लगभग 600 करोड़ रुपए की अतिरिक्त राशि जनजातीय परिवारों तक पहुंची है। सरकार द्वारा 46 वन-उपजों पर MSP, 90 प्रतिशत तक बढ़ाई गई है।

  • माननीय सदस्यगण,

    1. आधुनिक टेक्नोलॉजी का भारत में विकास और हर भारतीय की आधुनिक टेक्नोलॉजी तक आसान पहुंच, आत्मनिर्भर बनते भारत की अहम पहचान है।
  • दो गज की दूरी की अनिवार्यता के बीच, देश की संस्थाओं और नागरिकों ने डिजिटल इंडिया की ताकत से देश की रफ्तार को थमने नहीं दिया। पिछले वर्ष दिसंबर में UPI से 4 लाख करोड़ रुपए से भी अधिक का डिजिटल पेमेंट हुआ है। आज देश के 200 से ज्यादा बैंक UPI व्यवस्था से जुड़े हैं। इसी तरह, डिजिलॉकर का, 400 करोड़ से अधिक डिजिटल डॉक्युमेंट्स के लिए, पेपरलेस प्लेटफ़ार्म की तरह उपयोग किया जा रहा है। उमंग ऐप पर भी देश के करोड़ों नागरिक 2 हजार से ज्यादा सेवाओं का लाभ ले रहे हैं। देश में साढ़े 3 लाख से अधिक कॉमन सर्विस सेंटर ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को सरकारी सेवाओं से जोड़ रहे हैं। इसी क्रम में, Indian Stamp Act में संशोधन करके अब देश में e-stamp की व्यवस्था भी लागू कर दी गई है।

  • जनधन खातों, आधार और मोबाइल की त्रिशक्ति ने लोगों को उनका अधिकार सुनिश्चित किया है। इस JAM त्रिशक्ति की वजह से, एक लाख अस्सी हजार करोड़ रुपए गलत हाथों में जाने से बच रहे हैं।

  • मेरी सरकार द्वारा ‘राष्ट्रीय डिजिटल हेल्थ मिशन’ के जरिए चिकित्सा सेवाओं को डिजिटल बनाने की शुरुआत भी की गई है। इसके माध्यम से आने वाले समय में देश के नागरिक डिजिटल अपाइंटमेंट, डिजिटल रिपोर्ट के साथ साथ digital health record जैसी सुविधाओं का लाभ उठा सकेंगे।

  • हमारा अपना navigation satellite system – नाविक भी आज भारत का गौरव बढ़ा रहा है। इसका लाभ अब हजारों मछुआरे साथियों को मिल रहा है। हाल में नेशनल एटॉमिक क्लॉक और भारतीय निर्देशक द्रव्य प्रणाली के रूप में नए मानक भी राष्ट्र को समर्पित किए गए हैं। इन स्वदेशी समाधानों से भारत के प्रोडक्ट्स को अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप बनाने में मदद मिलेगी।

  • टेक्नॉलॉजी का यह अभियान देश की लोकतांत्रिक संस्थाओं को भी सशक्त कर रहा है। इस दिशा में राष्ट्रीय ‘ई-विधान ऐप’ के जरिए देश की सभी विधानसभाओं, विधानपरिषदों और संसद के दोनों सदनों का डिजिटलीकरण किया जा रहा है। राज्य विधानसभाओं में National e-Vidhan Application यानि ‘नेवा’ का कार्यान्वयन, विधायी और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं के संचालन में एक नए युग की शुरुआत करेगा।

  • माननीय सदस्यगण,

    1. हमारी संसद, लोकतन्त्र में देशवासियों की बढ़ती हुई भागीदारी और नए भारत की आकांक्षाओं की पूर्ति का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। पहले की सरकारों में तथा संसद के सदनों में यह बात उठती रही है कि संसद की यह इमारत, हमारी वर्तमान आवश्यकताओं को पूरा करने में अपर्याप्त सिद्ध हो रही है। संसद की नई इमारत को लेकर पहले की सरकारों ने भी प्रयास किए थे। यह सुखद संयोग है कि आजादी के 75वें वर्ष की तरफ बढ़ते हुए हमारे देश ने, संसद की नई इमारत का निर्माण शुरू कर दिया है। नए संसद भवन के बनने से अपने संसदीय दायित्वों को निभाने में हर सदस्य को अधिक सुविधा मिलेगी।

    माननीय सदस्यगण,

    1. देशवासियों ने जिस तेज़ी से तकनीक और बदलाव को आत्मसात किया है, वह इस बात का प्रमाण है कि आज हर भारतीय, देश को नई ऊंचाई पर पहुंचते हुए देखने के लिए कितना आतुर है। देशवासियों की आकांक्षाओं को ध्यान में रखते हुए मेरी सरकार तेज़ी से निर्णय ले रही है और अर्थव्यवस्था से जुड़े हर सेक्टर में ऐसे सुधार कर रही है जिनकी प्रतीक्षा वर्षों से थी।
  • फेसलेस टैक्स असेसमेंट और अपील की सुविधा देने के साथ ही मेरी सरकार ने देश में उद्यमशीलता को प्रोत्साहित करने के लिए कंपनी अधिनियम के अनेक प्रावधानों को गैर-आपराधिक बना दिया है। उद्योगों को ज़रूरी सुविधाएं मिल सकें इसके लिए औद्योगिक क्षेत्रों का, GIS तकनीक पर आधारित डेटाबेस तैयार किया गया है। इस डेटाबेस में देशभर की लगभग 5 लाख हेक्टेयर औद्योगिक भूमि से जुड़ी जानकारी उपलब्ध है।

  • मुझे खुशी है कि संसद के दोनों सदनों ने श्रमेव जयते की भावना पर चलते हुए श्रमिकों के जीवन में बदलाव लाने वाला निर्णय लिया है। 29 केंद्रीय श्रम कानूनों को कम करके 4 लेबर कोड बनाए हैं। इन श्रम सुधारों में राज्यों ने भी अगुवाई की है। इन सुधारों से श्रम कल्याण का दायरा बढ़ेगा, श्रमिकों को निश्चित समय पर मज़दूरी मिल पाएगी और रोज़गार के ज्यादा अवसर तैयार होंगे। नए लेबर कोड हमारी महिला श्रमिकों की अधिक और सम्मानजनक भागीदारी भी सुनिश्चित करते हैं।

  • उद्योगों के लिए, श्रम के साथ-साथ, आसान पूंजी भी बहुत आवश्यक है। इसके लिए देश के बैंकिंग सिस्टम को सशक्त किया जा रहा है। देश में बड़े और शक्तिशाली बैंकों के निर्माण के लिए छोटे बैंकों का आपस में विलय भी इसी दिशा में उठाया गया कदम है।

  • मैन्युफेक्चरिंग से जुड़े 10 सेक्टर्स के लिए पहली बार देश में लगभग डेढ़ लाख करोड़ रुपए की प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव स्कीम लागू की गई है। इसका लाभ इलेक्ट्रॉनिक्स सहित अनेक दूसरे सामान की मैन्युफेक्चरिंग में दिखने भी लगा है। देश और विदेश की अनेक बड़ी कंपनियों ने भारत में इन योजनाओं के तहत काम शुरु कर दिया है।

  • मेरी सरकार, भारत में बने सामान के उपयोग के लिए जन-भागीदारी को प्रोत्साहित कर रही है। आज वोकल फॉर लोकल देश में जन-आंदोलन का रूप ले चुका है। भारत में बने सामान के प्रति भावनात्मक लगाव के साथ ही गुणवत्ता में भी वे श्रेष्ठ हों, इस दिशा में काम किया जा रहा है।

  • देश में Ease of Doing Business में सुधार के लिए भी निरंतर कदम उठाए जा रहे हैं। इसके लिए राज्यों के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को प्रोत्साहित किया जा रहा है। यह बड़े हर्ष की बात है कि रैंकिंग में सुधार की गंभीरता को राज्य भी समझ रहे हैं और इसमें बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं।

  • कोरोना के इस काल में, प्रत्येक भारतीय का जीवन बचाने के प्रयासों के बीच अर्थव्यवस्था को जो हानि हुई थी, उससे भी अब देश उबरने लगा है। यह आज अनेक इंडिकेटर्स के माध्यम से स्पष्ट हो रहा है। इस मुश्किल समय में भी भारत दुनिया के निवेशकों के लिए आकर्षक स्थान बनकर उभरा है। अप्रैल से अगस्त, 2020 के बीच लगभग 36 अरब डॉलर का रिकॉर्ड प्रत्यक्ष विदेशी निवेश भारत में हुआ है।

  • माननीय सदस्यगण,

    1. मेरी सरकार मानती है कि देश में आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण, नए और आत्मनिर्भर भारत के लिए मजबूत नींव का काम करेगा। कोरोना काल में भी इंफ्रास्ट्रक्चर के अनेक बड़े प्रोजेक्ट्स पर तेज़ी से काम होना और उनका पूरा होना, हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। चेन्नई से पोर्ट ब्लेयर तक सबमरीन ऑप्टिकल फाइबर केबल हो, अटल टनल हो या फिर चार धाम सड़क परियोजना, हमारा देश विकास के कार्यों को आगे बढ़ाता रहा।
  • कुछ दिन पहले ही पूर्वी और पश्चिमी डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर के सेक्शंस, देश को समर्पित किए गए हैं। ये फ्रेट कॉरिडोर पूर्वी भारत में औद्योगीकरण को प्रोत्साहन देने के साथ ही रेल यात्रा में होने वाली अनावश्यक देरी को भी कम करेंगे।

  • देश के इंफ्रास्ट्रक्चर को आधुनिक रूप देने के लिए मेरी सरकार 110 लाख करोड़ रुपए से अधिक की National Infrastructure Pipeline पर भी काम कर रही है। साथ ही, भारतमाला परियोजना के पहले चरण में छह नए एक्सप्रेस-वे और 18 नए एक्सेस कंट्रोल्ड कॉरिडोर्स का निर्माण चल रहा है।

  • गुजरात के हजीरा और घोघा के बीच शुरू की गई रो-पैक्स फेरी सेवा हो या फिर केवड़िया और साबरमती रिवर फ्रंट के बीच सी-प्लेन सेवा, ये भारत में वॉटर ट्रांसपोर्ट को नया आयाम दे रहे हैं। दुनिया की सबसे ऊंची सरदार पटेल की प्रतिमा का गौरव अपने साथ रखने वाले केवड़िया से अब देश के अनेक शहरों से सीधे ट्रेनें भी चलने लगी हैं।

  • माननीय सदस्यगण,

    1. देश को Gas Based Economy बनाने के लिए गैस कनेक्‍टिविटी पर भी तेज गति से काम किया जा रहा है। कुछ दिनों पहले ही कोच्‍चि-मैंगलुरू गैस पाइपलाइन का लोकार्पण किया गया है। डोभी-दुर्गापुर गैस पाइपलाइन का निर्माण ‘ऊर्जा गंगा’ का प्रवाह बढ़ा रहा है। यह पाइपलाइन पश्‍चिम बंगाल तक जाएगी और पूर्वी भारत के विभिन्‍न उद्योगों, विशेषकर खाद कारखानों को, गैस उपलब्ध कराएगी। इसी तरह तमिलनाडु के खाद कारखाने और अन्‍य औद्योगिक इकाइयों को गैस पाइपलाइन से जोड़ने के लिए तूतीकोरीन-रामनाथपुरम् गैस पाइपलाइन पर तीव्र गति से कार्य चल रहा है।

    माननीय सदस्यगण,

    1. मेरी सरकार देश में शहरीकरण के विकास को एक अवसर के रूप में देखती है, इसलिए शहरी इंफ्रास्ट्रक्चर पर व्यापक निवेश किया जा रहा है। शहरों में गरीबों के लिए स्वीकृत एक करोड़ से अधिक घरों में से करीब 40 लाख का निर्माण पूरा हो चुका है। कुछ दिन पहले देश के 6 शहरों में आधुनिक टेक्नॉलॉजी आधारित घर बनाने का काम भी शुरु किया गया है। शहरों में काम करने वाले श्रमिकों को बेहतर आवास मिल सकें इसके लिए उचित किराए वाली योजना भी शुरु की गई है।
  • शहरों में कनेक्टिविटी से जुड़ा इंफ्रास्ट्रक्चर भी सरकार की प्राथमिकता है। आज देश के 27 शहरों में मेट्रो सेवा के विस्तार के लिए काम चल रहा है। कुछ दिन पहले ही दिल्ली मेट्रो के एक रूट पर ड्राइवरलेस मेट्रो का परिचालन भी किया गया। शहरों में Regional Rapid Transit Systems के निर्माण से भी पब्लिक ट्रांसपोर्ट को बेहतर बनाया जा रहा है। कॉमन मोबिलिटी कार्ड के देशभर में हो रहे विस्तार से देश के शहरों में यात्रा और आसान होगी।

  • माननीय सदस्यगण,

    1. मेरी सरकार पूर्वी भारत के संपूर्ण और संतुलित विकास के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। पूर्वोत्तर की भौगोलिक, सांस्कृतिक, भाषाई विशेषताओं और सामाजिक पहचान को सुरक्षित रखते हुए तेज़ विकास की नीति पर काम किया जा रहा है। ब्रह्मपुत्र नदी असम सहित उत्तर-पूर्वी राज्यों की ‘जीबोनधारा’ है। इसी जीवनधारा को आर्थिक गतिविधियों का आधार बनाकर विभिन्न राष्ट्रीय जलमार्गों के आरंभ के लिए काम हो रहा है। इसका लाभ पूर्वोत्तर के किसानों, युवाओं और उद्यमियों, सभी को होगा। ‘अर्थ ब्रह्मपुत्र’ प्रोग्राम से ‘इंटीग्रेटेड नेशनल वाटरवेज’ का विकास कर, ब्रह्मपुत्र और बराक नदी को विकास की धारा बनाने का प्रयास जारी है।
  •   मेरी सरकार ने पूर्वोत्तर में स्थाई शांति के लिए संवेदनशीलता और सहभागिता की जिस नीति के साथ काम किया उसका लाभ आज साफ दिख रहा है। आज पूर्वोत्तर में उग्रवाद समाप्ति की ओर है और हिंसा की घटनाओं में बड़ी कमी आई है। हिंसा के रास्ते पर भटके युवा अब विकास और राष्ट्र-निर्माण की मुख्यधारा में लौट रहे हैं।
    
  •   ब्रू शरणार्थियों के पुनर्वास को शांति और सौहार्द के साथ पूरा किया जा रहा है। इसी प्रकार ऐतिहासिक बोडो शांति समझौता भी हुआ है, जिसे सफलता-पूर्वक लागू किया गया है। समझौता होने के बाद इस बार बोडो टैरीटोरियल काउंसिल के चुनाव भी सफलता के साथ पूरे हुए हैं।
    
  • माननीय सदस्यगण,

    1.   मेरी सरकार देश की एकता और अखंडता को चुनौती देने वाली ताकतों से निपटने के लिए हर स्तर पर प्रयासरत है। एक तरफ जहां हिंसा प्रभावित क्षेत्रों में विकास को बढ़ावा दिया जा रहा है वहीं दूसरी तरफ हिंसा फैलाने वाली ताकतों पर कड़ाई बरती जा रही है। इसी का परिणाम है कि नक्सली हिंसा की घटनाओं में बड़ी कमी आई है और नक्सल प्रभावित क्षेत्र का दायरा सिमट रहा है।
      
    2.   मेरी सरकार की विकास नीति को जम्मू कश्मीर के लोगों ने भी भरपूर समर्थन दिया है। कुछ सप्ताह पहले ही, आजादी के बाद पहली बार, जम्मू कश्मीर में जिला परिषद के चुनाव सफलता के साथ संपन्न हुए हैं। बड़ी संख्या में मतदाताओं की भागीदारी ने दर्शाया है कि जम्मू कश्मीर नए लोकतांत्रिक भविष्य की तरफ तेज़ी से आगे बढ़ चला है। प्रदेश के लोगों को नए अधिकार मिलने से उनका सशक्तीकरण हुआ है। आयुष्मान भारत- सेहत योजना लागू होने के बाद जम्मू कश्मीर के हर परिवार को   5 लाख रुपए तक के मुफ्त इलाज का लाभ मिलना तय हुआ है। जम्मू में सेंट्रल एड्मिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल की एक बेंच भी स्थापित की गई है। केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद, कुछ महीने पहले लद्दाख स्वायत्त पर्वतीय विकास परिषद के चुनाव की प्रक्रिया भी सफलता-पूर्वक सम्पन्न हुई है। अब लद्दाख के लोग स्वयं, अपने प्रदेश के विकास से जुड़े निर्णय और तेज़ी से ले रहे हैं।
      

    माननीय सदस्यगण,

    1.   इस कोरोनाकाल में हम जब देश के भीतर आपदाओं से निपट रहे थे, तब हमारी सीमा पर भी देश के सामर्थ्य को चुनौती देने के प्रयास किए गए। LAC पर द्विपक्षीय सम्बन्धों और समझौतों को दरकिनार करते हुए शांति भंग करने की कोशिशें हुईं। लेकिन हमारे सुरक्षाबलों ने न केवल पूरी सजगता, शक्ति और हौसले के साथ इन षड्यंत्रों का मुंहतोड़ जवाब दिया, बल्कि सीमा पर यथास्थिति बदलने के सभी प्रयासों को भी नाकाम किया। हमारे जांबाजों ने जिस संयम, शौर्य और पराक्रम का परिचय दिया, उसकी जितनी भी सराहना की जाए, कम है। जून 2020 में हमारे 20 जवानों ने मातृभूमि की रक्षा के लिए गलवान घाटी में अपना सर्वोच्च बलिदान भी दिया। हर देशवासी इन शहीदों का कृतज्ञ है।
      
    2.   मेरी सरकार, देश के हितों की रक्षा के लिए पूरी तरह कटिबद्ध है और सतर्क भी है। LAC पर भारत की संप्रभुता की रक्षा के लिए अतिरिक्त सैन्यबलों की तैनाती भी की गई है।
      

    माननीय सदस्यगण,

    1.   हमारे स्वाधीनता संग्राम के दौरान देशभक्ति के अमर गीतों की रचना करने वाले मलयालम के श्रेष्ठ कवि वल्लथोल ने कहा है:
      
            भारतम् ऐन्ना पेरू केट्टाल अभिमाना पूरिदम् आगनम् अंतरंगम्। 
      
            अर्थात,
      

    जब भी आप भारत का नाम सुनें, आपका हृदय गर्व से भर जाना चाहिए।

    1. मेरी सरकार भविष्य के भारत की व्यापक भूमिका को देखते हुए अपनी सैन्य तैयारियों को सशक्त करने में जुटी है। आज अनेक आधुनिक साजो-सामान भारत की सैन्य क्षमता का हिस्सा बन रहे हैं। रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता पर भी सरकार का जोर है। कुछ दिन पहले ही सरकार ने HAL को 83 स्वदेशी लड़ाकू विमान तेजस के निर्माण का ऑर्डर दिया है। इस पर 48 हजार करोड़ रुपए खर्च होंगे। सरकार द्वारा Make in India को बढ़ावा देने के लिए रक्षा से जुड़े 100 से अधिक सामानों के आयात पर रोक लगा दी गई है। इसी तरह सुपरसोनिक टॉरपीडो, क्विक रिएक्शन मिसाइल, टैंक और स्वदेशी रायफलों सहित अनेक अत्याधुनिक हथियार देश में ही बन रहे हैं। आज भारत रक्षा सामान के निर्यात के क्षेत्र में भी तेज़ी से अपनी हिस्सेदारी बढ़ा रहा है।

    माननीय सदस्यगण,

    1. Indian National Space Promotion and Authorisation Centre – ‘IN-SPACe’ का गठन स्पेस सेक्टर में बड़े सुधारों को गति देगा। आज हमें गर्व है कि ISRO के वैज्ञानिक चंद्रयान-3, गगनयान, और Small Satellite Launch Vehicle जैसे महत्वपूर्ण अभियानों पर काम कर रहे हैं। परमाणु ऊर्जा में भी देश तेज़ी से आत्मनिर्भरता की तरफ बढ़ रहा है। कुछ महीने पहले काकरापार में देश के पहले स्वदेशी pressurized heavy water reactor का सफल परीक्षण किया गया है।

    माननीय सदस्यगण,

    1.   विकास के साथ ही पर्यावरण सुरक्षा भी मेरी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक है। इसी संकल्प को लेकर भारत GDP की Emissions Intensity को वर्ष 2005 की तुलना में 2030 तक 33 से 35 प्रतिशत तक कम करने के लक्ष्‍य पर काम कर रहा है। पेरिस समझौते को लागू करने में भारत दुनिया के अग्रणी देशों में शामिल है।
      
    2.   हाल ही में, कच्छ के रेगिस्तान में, दुनिया का सबसे बड़ा Hybrid Renewable Energy Park बनाने का काम शुरु हुआ है। पिछले 6 वर्षों में भारत की नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता में ढाई गुना वृद्धि हुई है, जबकि सौर उर्जा क्षमता 13 गुना बढ़ी है। आज देश में कुल ऊर्जा उत्पादन क्षमता का लगभग एक चौथाई हिस्सा नवीकरणीय स्रोतों पर आधारित है।
      

    माननीय सदस्यगण,

    1.   भारत अपनी वैश्विक जिम्मेदारियों को इस कोरोनाकाल में भी जिस गंभीरता से निभा रहा है उसे आज दुनिया देख रही है। ''वसुधैव कुटुम्बकम्'' की भावना को चरितार्थ करते हुए भारत ने देश की घरेलू जरूरतों को पूरा करने के साथ ही 150 से अधिक देशों को जरूरी दवाइयों की आपूर्ति की। भारत, वैश्विक स्तर पर वैक्सीन की उपलब्धता को सुनिश्चित करवाने के लिए प्रतिबद्ध है। यह देश का गौरव बढ़ाने वाली बात है कि वंदे भारत मिशन, जो दुनिया में इस प्रकार का सबसे बड़ा अभियान है, उसकी सराहना हो रही है। भारत ने दुनिया के सभी हिस्सों से लगभग 50 लाख भारतीयों को स्वदेश वापस लाने के साथ ही एक लाख से अधिक विदेशी नागरिकों को भी उनके अपने देशों तक पहुंचाया है।
      
    2.   कोविड-19 की बाधाओं के बावजूद, भारत ने सभी साथी देशों से अपने संपर्कों और सम्बन्धों को और मजबूत बनाया है। इस दौरान बड़ी संख्या में शिखर सम्मेलन, बहुपक्षीय कार्यक्रम और आधिकारिक बैठकों के जरिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को भारत ने आगे बढ़ाया है। भारत ने ऐतिहासिक वैश्विक समर्थन हासिल करके इस वर्ष आठवीं बार एक अस्थायी सदस्य के रूप में सुरक्षा परिषद में प्रवेश भी किया है। भारत ने 2021 के लिए ब्रिक्स में अध्यक्ष पद भी ग्रहण किया है।
      

    माननीय सदस्यगण,

    1. आज जब भारत दुनिया में अपनी नई पहचान के साथ आगे बढ़ने के लिए तत्पर है तो हमें भी उतने ही बड़े संकल्पों को सिद्ध करना होगा। 2021 का यह वर्ष हमारे लिए इसलिए भी अहम है। देश ने कुछ दिन पहले 23 जनवरी को नेताजी सुभाष चंद्र बोस के जन्म दिवस को ‘पराक्रम दिवस’ के रूप में मनाया है। यह वर्ष नेताजी की 125वीं जन्मजयंती का वर्ष भी है। नेताजी की जयंती को बड़े पैमाने पर मनाने के लिए मेरी सरकार ने एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया है। हम सबके पूज्य, गुरु तेगबहादुर का 400वां प्रकाशपर्व भी हम पूरी श्रद्धा के साथ मनाएंगे। इन समारोहों के साथ ही, देश की स्वतंत्रता के 75वें वर्ष के उपलक्ष्य में अमृत महोत्सव का शुभारंभ भी इसी वर्ष हो जाएगा।

    माननीय सदस्यगण,

    1. विगत वर्ष में, सामूहिकता की जिस शक्ति का हमने साक्षात्कार किया है, उसी शक्ति से हमें नए लक्ष्यों को प्राप्त करना है। पिछले कुछ वर्षों में देश ने अनेक ऐसे काम कर दिखाए हैं जिनको कभी बहुत कठिन माना जाता था।

    · आर्टिकल 370 के प्रावधानों के हटने के बाद जम्मू-कश्मीर के लोगों को नए अधिकार मिले हैं।

    · नागरिकता संशोधन कानून संसद द्वारा पास किया जा चुका है।

    · चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ के पद का लाभ देश को मिलना शुरू हो चुका है।

    · सशस्त्र सेनाओं में महिलाओं की भागीदारी बढ़ रही है।

    · उच्चतम न्यायालय के फैसले के उपरांत भव्य राम मंदिर का निर्माण शुरू हो चुका है।

    · Ease of Doing Business की रैंकिंग में भारत ने रिकॉर्ड सुधार किया है। अब Compliance से जुड़ी बाधाओं को दूर करने पर विशेष बल दिया जा रहा है।

    · वर्ल्ड टूरिज्म इंडेक्स की रैंकिंग में भारत 65वें से 34वीं रैंकिंग पर आ गया है।

    · जिस DBT को नजरअंदाज किया जा रहा था, उसी की मदद से पिछले 6 साल में 13 लाख करोड़ रुपए से अधिक धनराशि लाभार्थियों को ट्रांसफर की गई है।

    · कभी हमारे यहां सिर्फ 2 मोबाइल फैक्ट्रियां थीं। आज भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल निर्माता देश है।

    · आज मध्यम वर्ग के लाखों लोगों को Real Estate Regulation and Development Act के तहत Real Estate Regulatory Authority यानि रेरा का लाभ मिल रहा है।

    · इस दौरान सिर्फ नए कानून ही नहीं बने बल्कि 1500 से ज्यादा पुराने और अप्रासंगिक कानूनों को समाप्त किया जा चुका है।

    1. ऐसे अनेक निर्णय हैं, जो लगभग हर क्षेत्र में लिए गए हैं। मेरी सरकार ने दिखाया है कि नीयत साफ हो, इरादे बुलंद हों तो बदलाव लाया जा सकता है। इन वर्षों में मेरी सरकार ने जितने लोगों के जीवन को छुआ है, वह अभूतपूर्व है।

    · हर गरीब का घर रौशन हो, इसके लिए ढाई करोड़ से अधिक बिजली कनेक्शन निशुल्क दिए गए।

    · गरीब और मध्यम वर्ग का बिजली बिल कम हो, इसके लिए 36 करोड़ से ज्यादा सस्ते LED बल्ब वितरित किए गए।

    · दुर्घटना की स्थिति में गरीब परिवार को दर-दर न भटकना पड़े इसके लिए सिर्फ एक रुपए महीना के प्रीमियम पर 21 करोड़ से अधिक गरीबों को प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना से जोड़ा गया।

    · गरीब की मृत्यु के बाद उसके परिवार के पास एक संबल रहे, इसलिए सिर्फ 90 पैसा प्रतिदिन के प्रीमियम पर लगभग साढ़े 9 करोड़ लोगों को प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना से जोड़ा गया।

    · गरीब का शिशु किसी गंभीर बीमारी से ग्रसित न हो इसलिए मेरी सरकार ने न सिर्फ टीकों की संख्या बढ़ाई बल्कि टीकाकरण अभियान को देश के उन आदिवासी इलाकों में भी ले गई जो अब तक अछूते थे।

    · मिशन इंद्रधनुष के तहत साढ़े 3 करोड़ से अधिक बच्चों का टीकाकरण किया गया।

    · गरीब के हक का राशन कोई दूसरा न छीन ले, इसके लिए शत प्रतिशत राशन कार्ड को डिजिटल किया जा चुका है, 90 प्रतिशत राशन कार्डों को आधार से जोड़ा जा चुका है।

    · रसोई के धुएं से गरीब बहन-बेटी की सेहत न खराब हो, इसके लिए उज्‍ज्‍वला योजना के तहत 8 करोड़ से ज्यादा मुफ्त कनेक्शन दिए गए।

    · गरीब बहन-बेटी की गरिमा बढ़े, उनकी परेशानी कम हो, इसके लिए स्वच्छ भारत मिशन के तहत 10 करोड़ से ज्यादा शौचालय बनाए गए।

    · घर में काम करने वाले भाई-बहन, गाड़ी चलाने वाले, जूता सिलने वाले, कपड़ा प्रेस करने वाले, खेतिहर मजदूर, ऐसे गरीब साथियों को भी पेंशन मिले, इसके लिए प्रधानमंत्री श्रम योगी मान-धन योजना चलाई गई।

    · गरीब को बैंकिंग व्यवस्था का लाभ मिले, इसके लिए 41 करोड़ से अधिक गरीबों के जनधन खाते खोले गए। इनमें से आधे से अधिक खाते हमारी गरीब बहनों और बेटियों के हैं।

    माननीय सदस्यगण,

    1.   ये सिर्फ आंकड़े नहीं हैं। इनमें से हर आंकड़ा, अपने आप में एक जीवनगाथा है। इस संसद के अनेक सदस्यों ने अपने जीवन का बहुत लंबा समय इन्हीं परिस्थितियों में गुजारा है। हमारे जिस कार्य से गरीब भाई-बहनों की चिंता, उनका दुख और तकलीफ कम हो सके, उन्हें अधिक से अधिक मूलभूत सुविधाओं के साथ जोड़कर सशक्तिकरण और आत्मसम्मान के पथ पर आगे बढ़ाया जा सके, ऐसा प्रत्येक कार्य इस संसद में हमारी उपस्थिति को सार्थक बनाएगा।  
      
    2.   मुझे गर्व है कि मेरी सरकार पूरी निष्ठा और ईमानदार नीयत के साथ, पिछले 6 वर्षों से इस दिशा में निरंतर काम कर रही है, फैसले ले रही है तथा उन्हें लागू कर रही है।
      

    माननीय सदस्यगण,

    1. वीरता, अध्यात्म और प्रतिभाओं की भूमि पश्चिम बंगाल के सपूत, गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर के बड़े भाई ज्योतिरीन्द्रनाथ टैगोर ने देशप्रेम से भरे एक ओजस्वी गीत की रचना की थी। उन्होंने लिखा था:

    चॉल रे चॉल शॉबे, भारोत शन्तान,

    मातृभूमी कॉरे आह्वान,

    बीर-ओ दॉरपे, पौरुष गॉरबे,

    शाध रे शाध शॉबे, देशेर कल्यान।

    अर्थात

    मातृभूमि आह्वान कर रही है कि हे भारत की संतानो, सभी मिल-जुलकर चलते रहो। वीरता के स्वाभिमान तथा पौरुष के गर्व के साथ तुम सभी देश के कल्याण की निरंतर कामना करते रहो।

    आइए,

    हम सब मिलकर आगे बढ़ें, सभी देशवासी मिलकर आगे बढ़ें।

    अपना कर्तव्य निभाएं और राष्ट्र निर्माण में अपना योगदान दें,

    आइए, भारत को आत्मनिर्भर बनाएं।

    आप सभी को बहुत-बहुत शुभकामनाएं।

    जय हिंद !

    भारत के नए संसद भवन का निर्माण कार्य शुरू,सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास योजना के तहत साल 2022 में देश के 75वें स्वतंत्रता दिवस तक इसे तैयार किया जाएगा attacknews.in

    नयी दिल्ली, 15 जनवरी । नए संसद भवन का निर्माण कार्य शुक्रवार को शुरू हो गया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सरकार की महत्वाकांक्षी सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास योजना के तहत एक महीने से अधिक समय पहले इस परियोजना की आधारिशला रखी थी।

    नया संसद भवन त्रिकोणीय आकार का होगा। साल 2022 में देश के 75वें स्वतंत्रता दिवस तक इसके तैयार होने की उम्मीद है। सरकार साल 2022 का मानसून सत्र नए भवन में आहूत करना चाहती है।

    एक अधिकारी ने कहा, ‘नए संसद भवन का निर्माण कार्य शुरू हो गया है।’

    प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 10 दिसंबर को इस परियोजना की आधारशिला रखी थी। भवन का निर्माण टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड के तहत किया जा रहा है। इस परियोजना पर 971 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है।

    इस सप्ताह की शुरुआत में 14 सदस्यीय धरोहर समिति ने नए संसद भवन के निर्माण को मंजूरी दे दी थी। इसके अलावा उसने सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना को भी हरी झंडी दी थी।

    उच्चतम न्यायालय ने निर्माण कार्य शुरू करने से पहले केन्द्र को समिति तथा अन्य संबंधित प्राधिकरणों की मंजूरी लेने का आदेश दिया था।

    निर्माण कार्य पहले इसलिये शुरू नहीं हो सका था क्योंकि सरकार ने उच्चतम न्यायालय को आश्वासन दिया था कि जब तक न्यायालय मामले में लंबित याचिकाओं पर फैसला नहीं ले लेता, तब तक न तो निर्माण और न ही विध्वंस कार्य शुरू किया जाएगा।

    टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड ने कहा कि निर्माण कार्य शुरू होने में 35 दिन की देरी के बावजूद उसे विश्वास है कि तय समय पर इस परियोजना को पूरा कर लिया जाएगा।

    टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड के उपाध्यक्ष तथा वाणिज्यिक इकाई के प्रमुख संदीप नवलखे ने कहा, ‘हम कुशल कार्यबल तथा परियोजना का खाका तैयार कर पहले ही आगे बढ़ने के लिये तैयार थे।’

    नए भवन का निर्माण मौजूदा भवन के सामने किया जाएगा। पुराने संसद भवन का निर्माण 94 साल पहले लगभग 83 लाख रुपये में किया गया था। नए भवन के निर्माण के बाद पुराने भवन को संग्रहालय में तब्दील कर दिया जाएगा।

    नए संसद भवन में लोकसभा और राज्यसभा के कक्ष बड़े होंगे, जिसमें लोकसभा के लिये 888 जबकि राज्यसभा के लिये 384 सीटों की व्यवस्था होगी। संयुक्त सत्र बुलाने के लिये लोकसभा कक्ष में 1,272 सीटों की व्यवस्था होगी।

    संसद का बजट सत्र 29 जनवरी से,एक फरवरी को पेश किया जाएगा वित्‍त वर्ष 2021-22 का आम बजट attacknews.in

    नयी दिल्ली, 14 जनवरी । संसद का बजट सत्र 29 जनवरी से शुरू होगा । सत्र के दौरान एक फरवरी को संसद में वित्‍त वर्ष 2021-22 का आम बजट पेश किया जाएगा । लोकसभा सचिवालय ने यह जानकारी दी ।

    राजनीतिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीपीए) ने इस बारे में सिफारिश की थी ।

    लोकसभा सचिवालय के बयान के अनुसार, दो हिस्सों में चलने वाला बजट सत्र 8 अप्रैल तक चलेगा ।

    बजट सत्र पहला चरण 29 जनवरी से शुरू होगा और 15 फरवरी तक चलेगा जबकि दूसरा हिस्सा 8 मार्च से 8 अप्रैल तक चलेगा ।

    बयान के अनुसार, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद 29 जनवरी को पूर्वाह्न 11 बजे संसद के दोनों सदनों लोकसभा और राज्यसभा की संयुक्त बैठक को संबोधित करेंगे ।

    केंद्रीय बजट 1 फरवरी को पूर्वाह्न 11 बजे पेश किया जायेगा ।

    संसद की स्थायी समिति को विभिन्न मंत्रालयों/विभागों की अनुदान की मांगों पर विचार करना सुगम बनाने के लिये 15 फरवरी को सत्र का पहला चरण स्थगित कर दिया जायेगा और 8 मार्च से दूसरे चरण की बैठक शुरू होगी ।

    संसद के बजट सत्र के दौरान कोविड-19 से संबंधित सभी दिशानिर्देशों का पालन किया जाएगा ।

    उल्लेखनीय है कि कोरोना वायरस संक्रमण के चलते संसद का शीतकालीन सत्र नहीं बुलाया गया था । सरकार ने कहा था कि कोरोना के बढ़ते मामलों के कारण इस बार संसद के शीतकालीन सत्र का आयोजन नहीं होगा ।

    इस पर विपक्ष ने आरोप लगाया था कि सरकार किसानों के विरोध प्रदर्शन एवं अन्य मुद्दों पर चर्चा करने से भाग रही है ।

    संसद का शीत्र सत्र नहीं बुलाने और संसद की नयी इमारत के फैसले को लेकर केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश भिड़े attacknews.in

    नयी दिल्ली, 16 दिसंबर । सरकार के संसद का शीत्र सत्र नहीं बुलाने के फैसले को लेकर केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश के बीच बुधवार को सोशल मीडिया पर तीखी बहस हुई।

    विपक्षी नेता ने इस दौरान केंद्र पर “मूर्खतापूर्ण खेल” खेलने का आरोप लगाया तो वहीं शहरी विकास मंत्री ने कहा कि चुनावी हार की वजह से उपजी हताशा के कारण ऐसे “बेतुके” बयान दिये जा रहे हैं।

    ट्विटर पर दोनों के बीच बयानों का तीखा आदान-प्रदान तब शुरू हुआ जब रमेश ने सरकार के उस दावे पर आपत्ति जताई कि कोविड-19 महामारी के कारण संसद का शीत सत्र नहीं बुलाने का फैसला लिये जाने से पहले विपक्षी नेताओं से चर्चा की गई थी।

    रमेश ने एक ट्वीट में कहा, “15-12-2020 को सुबह 10 बजकर 49 मिनट पर राज्य सभा में नेता विपक्ष गुलाम नबी आजाद ने मुझे बताया: उन्होंने (जोशी ने) मुझ से बात नहीं की। चार मिनट बाद गुलाब नबी आजाद ने मुझसे कहा : उन्होंने (मोदी सरकार ने) हमसे परामर्श नहीं किया। इसलिये ये मूर्खतापूर्ण खेल बंद कीजिए श्रीमान जोशी।”

    कोरोना महामारी के कारण संसद का शीतकालीन सत्र इस बार नहीं कराए जाने के फैसले को लेकर मंगलवार को सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए कांग्रेस ने आरोप लगाया था कि “संसदीय लोकतंत्र को नष्ट करने का काम पूरा हो गया।” पार्टी ने पूछा था कि महामारी के बीच अगर चुनाव प्रचार हो सकता है तो सत्र क्यों नहीं आयोजित हो सकता।

    रमेश ने पुरी पर उनके उस दावे के लिये भी निशाना साधा कि दोनों सदनों ने अक्टूबर 2019 में संसद की नयी इमारत के लिये एक प्रस्ताव पारित किया था।

    राज्य सभा में कांग्रेस के मुख्य सचेतक ने एक अन्य ट्वीट में कहा, “यह पुरी का पूरा झूठ है। राज्य सभा में निश्चित रूप से कोई प्रस्ताव नहीं था। सभापति ने पांच अगस्त 2019 को इस पर विचार किया था। झूठ बोलने के वायरस ने मोदी मंत्रिमंडल को पूरी तरह संक्रमित कर दिया है।”

    पुरी के एक ट्वीट का जवाब देते हुए उन्होंने कहा, “यह सदन का प्रस्ताव नहीं है जैसा कि आपका दावा है। सदन में कोई प्रस्ताव नहीं है। झूठ बोलते रहिये।”

    मंत्री ने रमेश पर पलटवार करते हुए कहा, “इससे पहले कि आप पूरी तरह शर्मिंदा हों, मेरी आपको सलाह है कि माननीय अध्यक्ष ने जो कहा था उसे पढ़ लें। एक आधुनिक, सुसज्जित और भव्य संसद भवन की मांग और आवश्यक्ता काफी समय से व्यक्त की जाती रही है।” उन्होंने कहा, “आप एक नई संसद की आवश्यकता पर अनुभवजन्य साक्ष्य से इनकार करते हैं और ऐसा कर अपना और अपनी पार्टी का ही नुकसान कर रहे हैं। मैं आपके ट्वीट के लहजे या हाल में दिये गए अन्य बयानों पर कोई टिप्पणी नहीं करूंगा।”

    उन्होंने ट्वीट में कहा, “इसकी एक उदार व्याख्या ये है कि यह चुनावी उलटफेर के कारण उपजी आपकी हताशा की अभिव्यक्ति है। सौभाग्य से, गलत जानकारी के वायरस से तथ्यों को नहीं बदला जा सकता।”

    संसद की नयी इमारत को लेकर विपक्ष द्वारा आलोचना किये जाने की निंदा करते हुए पुरी ने पूछा था कि ये दल तब कहां थे जब दोनों सदनों द्वारा इस संबंध में अक्टूबर 2019 में प्रस्ताव पारित किया गया था।

    संसद का ऐतिहासिक मानसून सत्र समय से पहले समाप्त,दोनों सदनों को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करने की घोषणा के दौरान नरेन्द्र मोदी रहे उपस्थित attacknews.in

    नयी दिल्ली ,23 सितंबर । कोविड-19 महामारी की चुनौतियों के बीच आयोजित संसद का ऐतिहासिक मानसून सत्र आज तय समय से पहले समाप्त कर दिया गया।

    राज्यसभा में सभापति एम. वेंकैया नायडू ने सदन के 252वें सत्र और बाद में लोकसभा में अध्यक्ष ओम बिरला ने 17वीं लोकसभा के चौथे सत्र को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करने की घोषणा की।

    दोनों मौकों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं संबंधित सदनों में मौजूद थे। संसद का यह सत्र 14 सितंबर को शुरू हुआ था और 01 अक्टूबर तक होना तय किया गया था, लेकिन कोविड-19 के मद्देनजर इसे समय से पहले समाप्त करना पड़ा। इससे पहले इस साल बजट सत्र भी इसी कारण समय से पहले समाप्त करना पड़ा था।

    सत्र के दौरान दोनों सदनों की 10-10 बैठकें हुईं। इस दौरान कृषि क्षेत्र से जुड़े तीन महत्वपूर्ण विधेयक पारित किये गये जिस पर राज्यसभा में विपक्ष ने जबरदस्त हँगामा भी किया और बाद में दोनों सदनों में लगभग सभी प्रमुख विपक्षी दलों के बहिर्गमन के कारण उनकी अनुपस्थिति में ही कार्यवाही चली। इसके अलाव श्रम कानूनों से संबंधित तीन संहिताओं और वित्त वर्ष 2020-21 की अनुपूरक अनुदान माँगों और उनसे संबंधित विनियोग विधेयक को भी संसद की मंजूरी मिली। इसके अलावा पीएम केयर्स फंड को मान्यता देने और कोविड-19 के मद्देनजर कराधान अनुपालना में छूट संबंधी ‘कराधान एवं अन्य विधि (कतिपय उपबंधों का स्थिलिकरण और संशोधन) विधेयक पर भी संसद की मुहर लग गई।

    यह सत्र कई मायनों में ऐतिहासिक रहा। महामारी के मद्देनजर सामाजिक दूरी बनाये रखने के लिए सत्र के दौरान दोनों सदनों की बैठक अलग-अलग समय में आयोजित करनी पड़ी। संसद के इतिहास में पहली बार लोकसभा के सदस्य कार्यवाही के दौरान राज्यसभा कक्ष में और दोनों कक्षों की दर्शक दीर्घाओं में भी बैठे। इसी प्रकार राज्यसभा के सदस्य भी दोनों कक्षों में दर्शक दीर्घाओं में बैठे। यह भी पहली बार ही हुआ कि पूरे सत्र के दौरान प्रश्नकाल नहीं हुआ। दर्शकों को इस बार संसद की कार्यवाही देखने की अनुमति नहीं दी गई।5:00PM

    राज्यसभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित

    राज्यसभा के 252 वें सत्र की कार्यवाही कोरोना महामारी के कारण उत्पन्न असाधारण स्थिति के मद्देनजर बुधवार को निर्धारित अवधि से पहले ही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गयी।

    राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने मानसून सत्र की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित किये जाने से पहले अपने समापन वक्तव्य में कहा कि कोरोना महामारी के कारण उत्पन्न असाधारण हालातों को देखते हुए सदन की कार्यवाही निर्धारित तिथि आगामी एक अक्टूबर से पहले आज ही स्थगित की जा रही है। सत्र की शुरूआत गत 14 सितम्बर को विशेष सुरक्षा और स्वास्थ्य संबंधी एहतियाती कदमों के साथ शुरू हुई थी।

    श्री नायडू ने कहा कि निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार इस सत्र में सदन की 18 बैठकें होनी थी लेकिन केवल 10 बैठकें ही हो सकी हैं। उन्होंने सत्र के दौरान हुए कामकाज पर संतोष व्यक्त किया लेकिन इस दौरान सदन में विपक्ष के व्यवहार को लेकर चिंता भी व्यक्त की। उन्होंने उम्मीद जतायी कि भविष्य में इस तरह का अशोभनीय आचरण नहीं होगा।

    उन्होंने कहा कि इस दौरान 25 विधेयक पारित किये गये और छह पेश किये गये। शून्यकाल में 92 और विशेष उल्लेख के तहत 62 मुद्दे उठाये गये। इसके अलावा रक्षा मंत्री ने चीन सीमा पर स्थिति और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डा हर्षवर्धन ने कोरोना महामारी के संबंध में वक्तव्य दिये।

    सभापति ने कहा कि इतिहास में पहली बार सदन के सदस्य छह विभिन्न स्थानों पर बैठे। संसद के दोनों कक्ष और दीर्घायें इसके लिए इस्तेमाल की गयी। सदन ने पहली बार शनिवार और रविवार को भी काम किया। इस दौरान साप्ताहिक अवकाश और भोजनावकाश नहीं लिया गया। हालाकि इस सत्र में असाधारण परिस्थितयों मद्देनजर समय की कमी को देखते हुए इस बार प्रश्नकाल का संचालन नहीं किया गया।

    सदन में कामकाम का प्रतिशत 100.47 रहा। सदन का 10 दिन में 38 घंटे 30 मिनट का कामकाज निर्धारित था जबकि सदन ने 38 घंटे 41 मिनट काम किया।

    शोरशराबे में तीन घंटे 15मिनट का समय बरबाद हो गया जबकि सदस्यों ने तीन घंटे 26 मिनट अतिरिक्त कामकाज किया। पिछले तीन सत्रों में सदन की उत्पादकता सर्वाधिक रही।

    उन्होंने कहा कि दस बैठकों में 22 घंटे तीन मिनट का समय विधायी कार्यों में व्यतीत हुआ। सदन की कार्यवाही में कुल 198 सदस्यों ने हिस्सा लिया। सरकार ने 1567 अतारांकित प्रश्नों के उत्तर दिये। सदन के इतिहास में पहली बार उप सभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया गया। लेकिन इसके लिए 14 दिन का समय आवश्यक होता है। इसलिए नोटिस स्वीकार नहीं किया गया।

    श्री नायडू ने सत्र के दौरान सदन में हुए घटनाक्रम पर अफसोस व्यक्त करते हुए कहा कि इससे सदन की गरिमा को ठेस पहुंची है और ऐसी घटनाओं को टालने का प्रयास करने चाहिए। उन्हाेंने कहा कि सदन के संचालन के लिए नियमों का पालन आवश्यक है।
    सभापति ने कहा कि संसद की कार्यवाही का लंबे समय तक बहिष्कार ठीक नहीं है। इससे सदस्य अपनी बात कहने के लिए प्रभावी मंच से वंचित हो जाते हैं।

    लोकसभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित

    कोरोना महामारी से उत्पन्न असाधारण परिस्थितियों के मद्देनजर 17वीं लोकसभा के चौथे सत्र की कार्यवाही निर्धारित अवधि से पहले ही बुधवार को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गयी।

    लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में मानसून सत्र की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित किये जाने की घोषणा की। अपने समापन वक्तव्य में उन्होंने कहा कि बताया कि इस सत्र में सदन ने कार्य-उत्पादकता के नये कीर्तिमान स्थापित किये हैं। वैश्विक महामारी के बीच भी इस सत्र में कार्य-उत्पादकता 167 फीसदी रही जो अन्य सत्रों की तुलना से अधिक है।

    मानसून सत्र 14 सितंबर को आरंभ हुआ था। श्री बिरला ने कहा कि बिना किसी अवकाश के हुई 10 बैठकों में निर्धारित 37 घंटों की तुलना में 60 घंटे की कार्यवाही सम्पन्न हुई। इस सत्र में महत्वपूर्ण विधायी और अन्य महत्वपूर्ण कार्यों का निपटान किया गया। सत्र के दौरान 68 फीसदी विधायी कार्य किये गए और 32 फीसदी गैर-विधायी कार्य किये गए।

    वर्तमान परिस्थितियों के कारण इस बार सदन के साथ पूरे संसद परिसर में संक्रमण से सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए गए थे। देश के संसदीय इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि सदस्यों ने संसद के दोनों सदनों के कक्षों और दीर्घाओं में बैठकर सदन की कार्यवाही में हिस्सा लिया।

    श्रमिकों के कल्याण और उनके अधिकारों को मजबूत करने वाले तीन विधयेक लोकसभा से पारित,29 केंद्रीय श्रम कानूनों को 4 संहिताओं में समेटा attacknews.in

    नयी दिल्ली, 22 सितंबर । लोकसभा में विपक्षी दलों की गैरमौजूदगी में श्रमिकों के कल्याण और उनके अधिकारों को मजबूत करने वाले सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020, औद्योगिक संबंध संहिता, 2020 और उपजीविकाजन्य सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्यदशा संहिता, 2020 विधेयक आज ध्वनिमत से पारित किये गये।

    तीनों विधेयक पेश होने से पहले ही कांग्रेस, द्रविड मुन्नेत्र कषगम, तृणमूल कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, बहुजन समाज पार्टी तथा समाजवादी पार्टी सहित सभी विपक्षी दलों ने सरकार से किसान संबंधी विधेयक वापस लेने अथवा विधेयक में न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं हटाने की शर्त जोड़ने का लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से आग्रह किया लेकिन जब उनकी बात नहीं मानी गयी तो सभी विपक्षी दलों ने सरकार पर मनमानी करने का आरोप लगाते हुए सदन की कार्यवाही का बहिष्कार कर दिया था।

    केन्द्रीय श्रम रोजगार कल्याण राज्यमंत्री संतोष कुमार गंगवार ने कहा कि वे लोग आज के इस ऐतिहासिक दिन के साक्षी बन रहे हैं, जहां श्रमिकों को 73 साल बाद उनकी सामाजिक सुरक्षा, कल्याण और अधिकारों की रक्षा को सुनिश्चित करने का प्रावधान किया जा रहा है। श्रमिकों के हितों के लिए कानून बनाना इसलिए संभव हो पा रहा है क्योंकि देश में एक जवाबदेह प्रधानमंत्री हैं।

    उन्होंने कहा कि सरकार ने बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर के सपनों को साकार करते हुए श्रमिकों के लिए अनेक प्रभावी कदम उठाए हैं।

    श्रम कानूनों में बदलाव समय की जरूरत : गंगवार

    श्रम एवं रोजगार मंत्री संतोष कुमार गंगवार ने आज कहा कि श्रम कानूनों में बदलाव समय की जरूरत बन गया था और इससे जुड़े तीन विधेयक श्रम कल्याण की दिशा में मील का पत्थर साबित होंगे।

    सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020, औद्योगिक संबंध संहिता, 2020 और उपजीविकाजन्य सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्यदशा संहिता, 2020 को लोकसभा में विचार के लिए प्रस्तुत करते हुये श्री गंगवार ने कहा कि आजादी के बाद से काम करने के तरीके, माहौल, रोजगार के स्वरूप आदि में अप्रत्याशित बदलाव आ चुके हैं। लोगों ने कभी घर से काम करने के बारे में सोचा नहीं था। यह कल्पना भी नहीं की गई थी कि एक व्यक्ति एक से अधिक नियोक्ताओं के लिए भी काम कर सकता है। इन बदली परिस्थितियों को आधुनिक बदलावों और भविष्य को ध्यान में रखते हुये श्रम कानूनों को उसके अनुरूप बनाना जरूरी हो गया था। श्रम मंत्री ने उम्मीद जताई कि ये संहिताएं श्रमिक कल्याण की प्राप्ति के उद्देश्य में मील का पत्थर साबित होंगी।

    उन्होंने कहा कि 29 केंद्रीय श्रम कानूनों को चार संहिताओं में समेट रही है। इसमें पारिश्रमिक संबंधी संहिता को पहले ही संसद की मंजूरी मिल चुकी है। इन संहिताओं को श्रमिक संगठनों, कर्मचारी संघों, राज्य सरकारों और विशेषज्ञों के साथ विस्तृत विचार-विमर्श कर तैयार किया गया है। पिछले साल इन तीनों संहिताओं को लोकसभा में पेश किया गया था और बाद में संसद की स्थायी समिति के पास भेज दिया गया था। समिति की 233 अनुशंसाओं में से 76 प्रतिशत को स्वीकार करते हुये अब नये सिरे से तीनों संहिताओं को सदन के समक्ष लाया गया है। उन्होंने बताया कि इन संहिताओं से श्रमिकों के अधिकारों को मजबूत किया जा सकेगा और उद्योग चलाने के लिए अनुपालना आसान होगी।

    श्री गंगवार ने कहा कि इन संहिताओं के प्रभावी होने के बाद लाइसेंस प्रक्रिया पूरी तरह ऑनलाइन हो जायेगी। सभी श्रमिकों को नियुक्ति पत्र देना अनिवार्य होगा। प्रवासी श्रमिकों की परिभाषा को व्यापक बनाया जायेगा ताकि दूसरे राज्य में जाकर काम करने वाले सभी श्रमिक कल्याणकारी योजनाओं के पात्र बन सकें। नयी श्रेणी के श्रमिकों को भी सामाजिक सुरक्षा के दायरे में लाया जायेगा।

    आवश्यक वस्तुओं की सूची से अनाज,तिलहनों,खाद्य तेलों, प्याज और आलू होगें बाहर,आवश्यक वस्तु संशोधन विधेयक राज्यसभा में हुआ पारित attacknews.in

    नयी दिल्ली, 22 सितंबर ।संसद ने अनाज, तिलहनों, खाद्य तेलों, प्याज एवं आलू को आवश्यक वस्तुओं की सूची से बाहर करने के प्रावधान वाले एक विधेयक को मंगलवार को मंजूरी दे दी।

    राज्यसभा ने इससे संबंधित आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक को चर्चा के बाद ध्वनिमत से पारित कर दिया। लोकसभा इसे 15 सितंबर को ही पारित कर चुकी है। यह विधेयक कानून बनने के बाद इससे संबंधित अध्यादेश का स्थान लेगा।

    इस विधेयक का मकसद निजी निवेशकों की कुछ आशंकाओं को दूर करना है। व्यापारियों को अपने कारोबारी गतिविधियों में अत्यधिक नियामक हस्तक्षेप को लेकर चिंताएं बनी रहती हैं।

    सरकार पहले ही कह चुकी है कि उत्पादन, उत्पादों को जमा करने, आवागमन, वितरण एवं आपूर्ति की स्वतंत्रता से बड़े स्तर पर अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन मिलेगा तथा कृषि क्षेत्र में निजी एवं विदेशी प्रत्यक्ष निवेश आकर्षित होगा।

    विधेयक पर हुई संक्षिप्त चर्चा का जवाब देते हुए उपभोक्ता मामलों तथा खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण राज्य मंत्री रावसाहेब दानवे ने कहा कि कानून के जरिये स्टॉक की सीमा थोपने से कृषि क्षेत्र में निवेश में अड़चनें आ रही हैं।

    उन्होंने कहा कि साढ़े छह दशक पुराने इस कानून में स्टॉक रखने की सीमा राष्ट्रीय आपदा तथा सूखे की स्थिति में मूल्यों में भारी वृद्धि जैसे आपात हालात उत्पन्न होने पर ही लागू की जाएगी।

    विधेयक में प्रसंस्करणकर्ताओं और मूल्यवर्द्धन करने वाले पक्षों को स्टॉक सीमा से छूट दी गयी है।

    दानवे ने कहा कि इस कदम से कृषि क्षेत्र में निवेश बढ़ेगा तथा अधिक भंडारण क्षमता सृजित होने से फसलों की कटाई पश्चात होने वाले नुकसान को कम किया जा सकेगा।

    उन्होंने कहा, ‘‘यह संशोधन किसानों एवं उपभोक्ताओं दोनों के पक्ष में है।’’

    विधेयक पर हुई संक्षिप्त चर्चा में भाग लेते हुए भाजपा के गोपाल नारायण सिंह ने कहा कि इस विधेयक के कानून बनने के बाद कृषि क्षेत्र में पूंजी निवेश बढ़ेगा तथा कृषि उत्पादों का निर्यात बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि इन सब प्रावधानों से किसानों को लाभ मिलेगा।

    उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार ने किसानों के हितों और उनकी आय बढ़ाने के लिए कई कदम उठाये हैं। उन्होंने कहा कि इस विधेयक के प्रावधानों से किसानों की आय 2022 तक दोगुनी करने के लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद मिलेगी।

    अन्नाद्रमुक के एस आर सुब्रह्मण्यम ने कहा कि सरकार जो संशोधन लेकर आयी है उससे आवश्यक वस्तुओं के बढ़ते दामों पर लगाम लगाने में मदद मिलेगी।

    बीजद के अमर पटनायक ने सरकार ने आवश्यक वस्तु कानून में संशोधन के बावजूद सावर्जनिक वितरण प्रणाली के तहत सरकारी एजेंसियों द्वारा किसानों से उनके उत्पादों की खरीद को जारी रखा गया है। इससे न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को लेकर जो आशंकाएं व्यक्त की जा रही हैं, वे निर्मूल साबित हो गयीं।

    जद(यू) के रामचंद्र प्रसाद सिंह ने विधेयक का समर्थन करते हुए कहा कि इसके प्रावधान आज के कृषि क्षेत्र की जरूरतों को ध्यान में रखकर बनाये गये। उन्होंने कहा कि इससे भंडारण एवं कोल्ड स्टोरेज के निर्माण को प्रोत्साहन मिलेगा।

    तेलुगु देशम पार्टी के रवीन्द्रकुमार ने सरकार को इस मामले में सतर्क रवैया अपनाने की सलाह देते हुए कहा कि इस विधेयक के प्रावधान से कहीं बाजार हावी न हो जाए और ऐसे में किसानों को कम दाम मिलेंगे।

    टीएमसी (एम) के जी के वासन ने विधेयक का समर्थन करते हुए कहा कि आवश्यक वस्तुओं के भंडारण की अनुमति देने से इन वस्तुओं की कालाबाजारी की आशंका उत्पन्न हो सकती है।