बिहार में कोरोना की दूसरी लहर को देखते हुए 15 मई तक लॉकडाउन लगाया attacknews.in

पटना 04 मई । बिहार में कोरोना महामारी की दूसरी लहर को देखते हुए बुधवार से 15 मई तक लॉकडाउन लगाने का निर्णय लिया गया है।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में आज क्राइसिस मैनेजमेंट ग्रुप (सीएमजी) की हुई बैठक में 05 मई से 15 मई तक राज्य में लॉकडाउन लगाने का निर्णय लिया गया । मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने खुद सोशल नेटवर्किंग साइट ट्विटर पर ट्वीट कर इसकी जानकारी दी ।

बिहार में सोमवार को कोविड-19 के 11407 नए मामले आने के साथ ही 82 और लोगों की मौत हो गयी थी।

बिहार गृह विभाग (विशेष शाखा) द्वारा जारी एक आदेश में कहा गया है कि चार मई को आपदा प्रबंधन समूह की बैठक में राज्य में कोरोना संक्रमण की वर्तमान स्थिति की समीक्षा की गयी । समीक्षा के क्रम में पाया गया कि राज्य में संक्रमण दर पिछले एक सप्ताह से निरंतर 10 प्रतिशत से अधिक बनी हुई है।

आदेश में कहा गया है, ‘‘अतः वर्तमान स्थिति के परिपेक्ष्य में स्थितियों पर व्यापक नियंत्रण के लिए पांच मई से 15 मई तक सभी स्कूल, कॉलेज, कोचिंग संस्थान, ट्रेनिंग एवं अन्य शैक्षणिक संस्थान बंद रहेंगे। इस अवधि में राज्य सरकार के विद्यालय एवं विश्वविद्यालय द्वारा किसी भी तरह की परीक्षाएँ भी नहीं ली जाएँगी।’’ आदेश में कहा गया है कि सभी धार्मिक स्थल आमजनों के लिए बंद रहेंगे । सभी प्रकार के सामाजिक, राजनीतिक, मनोरंजन, खेल-कूद, शैक्षणिक, सांस्कृतिक एवं धार्मिक आयोजन अथवा समारोह प्रतिबंधित होंगे ।

आदेश के मुताबिक, सार्वजनिक स्थलों पर किसी भी प्रकार के आयोजन (सरकारी एवं निजी) पर रोक रहेगी ।

आदेश में कहा गया है कि विवाह समारोह अधिकतम 50 व्यक्तियों की उपस्थिति के साथ आयोजित किए जा सकते हैं पर इनमें डीजे एवं बारात जुलूस की इजाजत नहीं होगी । विवाह की पूर्व सूचना स्थानीय थाने को कम से कम तीन दिन पूर्व देनी होगी।

आदेश में कहा गया है कि अंतिम संस्कार और श्राद्ध कार्यक्रम के लिए 20 व्यक्तियों की अधिसीमा रहेगी।

आदेश के अनुसार, सभी सिनेमा हॉल, शॉपिंग मॉल, क्लब, स्विमिंग पूल, स्टेडियम, जिम, पार्क एवं उद्यान पूरी तरह बंद रहेंगे ।

आदेश में कहा गया है कि रेस्त्रां एवं खाने की दुकानें बंद रहेंगी। इनका संचालन केवल होम डिलीवरी के लिए प्रातः 9 बजे से रात्रि 9 बजे तक अनुमान्य होगा। राष्ट्रीय राजमार्गों पर स्थित ढाबे टेक होम के आधार पर कार्यरत रह सकते हैं।

आदेश के अनुसार, आवश्यक सेवाओं यथा जिला प्रशासन, पुलिस, सिविल डिफेंस, विद्युत आपूर्त्ति, जलापूर्ति, स्वच्छता, फायर ब्रिगेड, स्वास्थ्य, आपदा प्रबंधन, दूरसंचार, डाक विभाग से संबंधित कार्यालय को छोडकर राज्य सरकार के सभी कार्यालय बंद रहेंगे । आदेश में कहा गया है कि न्यायिक प्रशासन के संबंध में उच्च न्यायालय के द्वारा लिया गया निर्णय लागू होगा।

आदेश में कहा गया है कि अस्पताल एवं अन्य संबंधित स्वास्थ्य प्रतिष्ठान (पशु स्वास्थ्य सहित) उनके निर्माण एवं वितरण इकाइयां- सरकारी एवं निजी, दवा दुकानें, मेडिकल लैब, नर्सिंग होम, एम्बुलेंस सेवाओं से संबंधित प्रतिष्ठान यथावत कार्य करेंगे ।

आदेश के अनुसार, ‘‘बैंकिंग, बीमा एवं एटीएम संचालन से संबंधित प्रतिष्ठान, औद्योगिक एवं विनिर्माण कार्य से संबंधित प्रतिष्ठान, सभी प्रकार के निर्माण कार्य, ई-कॉमर्स से जुड़ी सारी गतिविधियाँ, कृषि एवं इससे जुड़े कार्य , प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, टेलीकम्यूनिकेशन, इंटरनेट सेवाएं, ब्रॉडकास्टिंग एवं केबल सेवाओं से संबंधित गतिविधियाँ, पेट्रोल पम्प, एलपीजी, पेट्रोलियम आदि से संबंधित खुदरा एवं भण्डारण प्रतिष्ठान, आवश्यक खाद्य सामग्री तथा फल एवं सब्जी (ठेला पर घूम-घूम कर बिक्री सहित), मांस-मछली, दूध, जनवितरण प्रणाली की दुकानें (प्रातः 7 बजे से 11 बजे पूर्वाह्न तक) खुलेंगी, कोल्ड स्टोरेज एवं वेयर हाउसिंग सेवाएँ तथा निजी सुरक्षा सेवाओं को छोडकर सभी वाणिज्यिक एवं अन्य निजी प्रतिष्ठान बंद रहेंगे। अन्य सभी प्रतिष्ठान वर्क फ्रॉम होम के आधार पर कार्य कर सकते हैं।’’ आदेश में कहा गया है, ‘‘स्वास्थ्य से जुड़ी गतिविधियों में संलग्न वाहन एवं स्वास्थ्य प्रयोजनार्थ प्रयुक्त निजी वाहन, अनुमान्य कार्यों से संबंधित कार्यालयों के सरकारी वाहन, वैसे निजी वाहन जिन्हें जिला प्रशासन द्वारा किसी विशेष कार्य के लिए ई-पास निर्गत हैं, सभी प्रकार के मालवाहक वाहन, वैसे निजी वाहन जिनमें हवाई जहाज अथवा ट्रेन के यात्री यात्रा कर रहे हों और उनके पास टिकट हो, कर्त्तव्य पर जाने के लिए सरकारी सेवकों एवं अन्य आवश्यक अनुमान्य सेवाओं के निजी वाहन तथा अंतर्राज्यीय मार्गों पर अन्य राज्यों को जाने वाले निजी वाहनों को छोड़कर सार्वजनिक स्थानों एवं मार्गों पर अनावश्यक आवागमन (पैदल सहित) पूर्णतः प्रतिबंधित रहेगा।’’ आदेश के मुताबिक, पब्लिक ट्रासंपोर्ट में निर्धारित बैठने की क्षमता के 50 प्रतिशत के उपयोग की अनुमति रहेगी । केवल रेल, वायुयान अथवा अन्य लंबी दूरी यात्रा करने वालों तथा अनुमान्य सेवाओं से संबंधित व्यक्तियों को ही सार्वजनिक परिवहन के उपयोग की अनुमति होगी।

आदेश में कहा गया है, ‘‘सभी जिलाधिकारी अपने.अपने जिलान्तर्गत चिन्हित स्थानों पर सामुदायिक किचन स्थापित करेंगे । रोजगार के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में मनरेगा के अन्तर्गत तथा शहरी क्षेत्रों में शहरी रोजगार योजना के अन्तर्गत किये जाने वाले कार्य अनुमान्य होंगे।’’

आदेश के मुताबिक, ‘‘सभी राशन कार्ड धारकों को मई माह में राशन की प्राप्ति के लिए किसी राशि का भुगतान नहीं करना होगा। उक्त राशि का वहन राज्य सरकार द्वारा किया जाएगा।’’ आदेश में कहा गया है कि सभी जिला पदाधिकारी इस आदेश के अनुपालन के लिए दंप्रसं की धारा 144 के अन्तर्गत निषेधाज्ञा जारी करेंगे । इन आदेशों का उल्लंघन करते हुए पाए जाने पर संबंधित व्यक्ति के विरूद्ध आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 की धारा 51-60 एवं भादंवि की धारा 188 के प्रावधानों के अंतर्गत दण्डात्मक कार्रवाई की जाएगी।

केंद्र सरकार ने कोविशील्ड वैक्सीन खरीदी के लिए मई, जून और जुलाई महीनों का 11 करोड़ खुराकों का शत प्रतिशत अग्रिम भुगतान किया,वैक्सीन की 10 करोड़ खुराकों की आपूर्ति के पिछले आदेश के बाद से 03 मई तक 8.774 करोड़ खुराक प्राप्त attacknews.in

नईदिल्ली 4 मई । हाल की कुछ मीडिया रिपोर्टों में यह आरोप लगाया गया है कि केंद्र सरकार ने कोविड-19 टीकों की नई खरीद के लिए आदेश जारी नहीं किएI

इन रिपोर्टों के अनुसार इसके लिए पिछला आदेश दो वैक्सीन निर्माता कम्पनियों को मार्च 2021 में दिया गया था (जिसके द्वारा सीरम इंस्टीटयूट ऑफ़ इंडिया-एसआईआई को 10 करोड़ टीकों और भारत बायोटेक को 02 करोड़ टीकों की आपूर्ति के लिए कहा गया था) I

ये मीडिया रिपोर्टें पूरी तरह से गलत होने के साथ ही तथ्यों पर आधारित नहीं हैं I

यह स्पष्ट किया जाता है कि सीरम इंस्टीटयूट ऑफ़ इंडिया (एसआईआई) को इस वर्ष मई, जून और जुलाई महीनों में कोविशील्ड वैक्सीन की 11 करोड़ खुराकों के लिए शत प्रतिशत अग्रिम भुगतान के रूप में 1732.50 करोड़ रूपये (स्रोत पर कर कटौती के बाद 1699.50 करोड़ रूपये) इस वर्ष 28 अप्रैल 2021 को ही जारी कर दिए गए थे और कम्पनी को यह राशि उसी दिन अर्थात 28 अप्रैल 2021 को ही प्राप्त हो गई थीI कोविशील्ड वैक्सीन की 10 करोड़ खुराकों की आपूर्ति के लिए दिए गए पिछले आदेश के बाद से आज 03 मई 2021 तक कम्पनी से 8.774 करोड़ खुराक प्राप्त हो चुकी हैंI

अतः यह कहना कि भारत सरकार ने नए आदेश जारी नहीं किए, पूरी तरह से गलत है I

कल 02 मई 2021 तक भारत सरकार ने राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को वैक्सीन की 16.54 करोड़ और खुराक निशुल्क उपलब्ध करवाई हैंI जनता को टीका लगाए जाने के लिए राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के पास अभी भी 78 लाख से अधिक खुराक उपलब्ध हैंI आने वाले तीन दिनों में राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को इसके अतिरिक्त 56 लाख से अधिक खुराक और मिल जाएंगीI

उदारीकृत मूल्य निर्धारण एवं त्वरित राष्ट्रीय कोविड-19 टीकाकारण नीति (लिबरैलाइजड प्राइसिंग एंड एक्सीलिरेटेड कोविड-19 वैक्सीनेशन पालिसी) के अंतर्गत भारत सरकार हर माह केन्द्रीय औषधि प्रयोगशाला (सेंट्रल ड्रग्स लैबोरेटरी) से स्वीकृत टीकों के 50 प्रतिशत का अपना हिस्सा खरीदना जारी रखेगी और इसे राज्य सरकारों को पहले को तरह निशुल्क उपलब्ध कराती रहेगी।

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भारत सरकार ने राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को अब तक 16.54 करोड़ से अधिक कोविड-19 टीके की निशुल्क खुराक प्रदान की है

राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के पास अब भी 75 लाख से ज्यादा खुराक उपलब्ध है

इसके अलावा अगले तीन दिनों में राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को करीब 60 लाख खुराक प्रदान की जाएंगी

इधर भारत सरकार, राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के सहयोग के साथ “सरकार के सर्वांगीण” दृष्टिकोण के माध्यम से कोविड-19 महामारी के खिलाफ लड़ाई का नेतृत्व कर रही है। टेस्ट, ट्रैक, ट्रीट और कोविड उचित व्यवहार के साथ, टीकाकरण महामारी से लड़ने के लिए भारत सरकार की पांच सूत्री रणनीति का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है।

कोविड-19 टीकाकरण की तीसरे चरण की उदार और त्वरित चरण रणनीति एक मई, 2021 से लागू की गयी है। नए पात्र जनसंख्या समूहों के लिए पंजीकरण 28 अप्रैल से शुरू हो चुका है।

भारत सरकार ने अब तक राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को लगभग 16.54 करोड़ टीके की खुराक (16,54,93,410) प्रदान की हैं। इसमें से अपव्यय सहित कुल खपत 15,79,21,537 खुराक हैं (आज सुबह आठ बजे तक उपलब्ध आंकड़े के मुताबिक)।

अभी भी राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के पास कोविड टीके की 75 लाख से अधिक खुराक (75,71,873)उपलब्ध हैं।

इसके अलावा अगले तीन दिनों में राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को 59 लाख से अधिक (59,70,670) खुराक मिलेगी।

नरेन्द्र मोदी ने कोरोना महामारी की बढती चुनौती से निपटने चिकित्सा कर्मियों की उपलब्धता बढाने के लिए कई निर्णयों को मंजूरी दी:सौ दिन कोविड ड्यूटी करने वालों को सरकारी नौकरी में प्राथमिकता attacknews.in

नयी दिल्ली 03 मई । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कोरोना महामारी की दिनों दिन बढती चुनौती से निपटने के लिए चिकित्सा कर्मियों की उपलब्धता बढाने तथा उन्हें प्रोत्साहित करने के लिए आज कई महत्वपूर्ण निर्णयों को मंजूरी दी।

श्री मोदी ने सोमवार को एक बैठक में कोविड-19 महामारी से निपटने के लिए पर्याप्त मानव संसाधनों की बढ़ती आवश्यकता की समीक्षा की। बैठक में कई ऐसे निर्णयों को मंजूरी दी गयी जिससे कोविड ड्यूटी में चिकित्सा कर्मियों की उपलब्धता काफी हद तक बढ़ जाएगी।

एक बड़े निर्णय के तहत नीट-पीजी परीक्षा को कम से कम 4 माह टालने का निर्णय लिया गया और यह परीक्षा 31 अगस्त 2021 से पहले आयोजित नहीं की जाएगी। इसके अलावा, परीक्षा की घोषणा के बाद इसके आयोजन से पहले छात्रों को कम से कम एक माह का समय दिया जाएगा। इससे बड़ी संख्या में योग्य डॉक्टर कोविड ड्यूटी करने के लिए उपलब्‍ध हो जाएंगे। कोविड प्रबंधन में सेवाएं प्रदान करने वाले कर्मियों को कोविड ड्यूटी के न्यूनतम 100 दिन पूरे कर लेने पर आगामी नियमित सरकारी भर्तियों में प्राथमिकता दी जाएगी।

इसके अलावा इंटर्नशिप रोटेशन के हिस्से के तहत अब मेडिकल इंटर्न को अपने संकाय की देख-रेख में कोविड प्रबंधन ड्यूटी में लगाने की अनुमति देने का भी निर्णय लिया गया। एमबीबीएस के अंतिम वर्ष के छात्रों की सेवाओं का उपयोग संकाय द्वारा उनका उचित ओरियंटेशन के बाद लिया जा सकता है । इनका उपयोग छात्र संकाय की देख-रेख में कोविड के हल्‍के लक्षणों वाले मरीजों के टेली-परामर्श और निगरानी जैसी सेवाएं प्रदान करने में किया जा सकता है। इससे कोविड ड्यूटी में लगे मौजूदा डॉक्टरों पर काम का बोझ कम होगा और इसके साथ ही प्राथमिकता देने के प्रयासों को काफी बढ़ावा मिलेगा।

रेजिडेंट के रूप में अंतिम वर्ष के पीजी छात्रों की सेवाओं का उपयोग आगे भी तब तक किया जा सकता है जब तक कि पीजी छात्रों के नए बैच शामिल नहीं हो जाएंगे। बीएससी और जीएनएम योग्य नर्सों का उपयोग वरिष्ठ डॉक्टरों और नर्सों की देख-रेख में पूर्णकालिक कोविड नर्सिंग ड्यूटी में किया जा सकता है।

कोविड संबंधी काम में लगाए जाने वाले मेडिकल छात्रों तथा पेशेवरों को उपयुक्त रूप से टीका लगाया जाएगा। इस प्रकार कार्यरत होने वाले सभी स्वास्थ्य पेशेवरों को ‘कोविड-19 से लड़ने में जुटे स्वास्थ्य कर्मियों के लिए सरकार की बीमा योजना’ के तहत कवर किया जाएगा।

ऐसे सभी पेशेवर जो कोविड ड्यूटी के न्यूनतम 100 दिनों के लिए हामी भरते हैं और इसे सफलतापूर्वक पूरा कर लेते हैं, उन्हें केन्द्र सरकार की ओर से ‘प्रधानमंत्री का प्रतिष्ठित कोविड राष्ट्रीय सेवा सम्मान’ भी दिया जाएगा।

नरेन्द्र मोदी ने नाइट्रोजन संयंत्रों को ऑक्सीजन संयंत्रों में बदलने के काम की समीक्षा की,14 उद्योगों में काम प्रगति पर,37 नाइट्रोजन संयंत्रों पर शीघ्र।शुरू किया जाएगा कार्य attacknews.in

नयी दिल्ली 02 मई । सरकार कोरोना महामारी का प्रकोप बढने के कारण मेडिकल आक्सीजन की कमी को पूरा करने के लिए मौजूदा नाइट्रोजन संयंत्रों को ऑक्सीजन संयंत्रों में बदलने की व्यवहार्यता का पता लगा रही है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नाइट्रोजन संयंत्रों को ऑक्सीजन संयंत्रों में बदलने के काम में प्रगति की रविवार को यहां वीडियो कांफ्रेन्स के माध्यम से बैठक कर समीक्षा की।

बैठक में यह जानकारी दी गयी कि ऐसे विभिन्न संभावित उद्योगों की पहचान की गई है जिनमें मौजूदा नाइट्रोजन संयंत्रों को ऑक्सीजन के उत्पादन के लिए परिवर्तित किया जा सकता है।

मौजूदा प्रेशर स्विंग एड्सॉर्प्शन (पीएसए) नाइट्रोजन संयंत्रों को ऑक्सीजन के उत्पादन के लिए परिवर्तित करने की प्रक्रिया पर विस्तार से चर्चा की गई। नाइट्रोजन संयंत्रों में कार्बन मॉलिक्यूलर सीव (सीएमएस) का उपयोग किया जाता है जबकि ऑक्सीजन के उत्पादन के लिए ज़ियोलाइट मॉलीक्युलर सीव (ज़ेडएमएस) की आवश्यकता होती है। इसलिए, सीएमएस को ज़ेडएमएस के साथ बदलकर और कुछ अन्य परिवर्तनों जैसे ऑक्सीजन एनालाइज़र, कंट्रोल पैनल प्रणाली, प्रवाह वाल्व आदि के साथ मौजूदा नाइट्रोजन संयंत्रों में ऑक्सीजन के उत्पादन के लिए परिवर्तित किया जा सकता है।

उद्योगों के साथ विचार-विमर्श के बाद अब तक 14 उद्योगों की पहचान की गई है, जहां नाइट्रोजन संयंत्रों के रूपांतरण का काम प्रगति पर है। इसके अलावा, उद्योग संघों की मदद से 37 नाइट्रोजन संयंत्रों की इस कार्य के लिए पहचान की गई है।

ऑक्सीजन के उत्पादन के लिए संशोधित नाइट्रोजन संयंत्र को या तो पास के अस्पताल में स्थानांतरित किया जा सकता है, और अगर इस संयंत्र को स्थानांतरित करना संभव नहीं है, तो इसका उपयोग ऑक्सीजन के ऑन-साइट उत्पादन के लिए किया जा सकता है, जिसे विशेष पोत तथा सिलेंडर से अस्पताल में पहुंचायी जा सकती है।

बैठक में प्रधानमंत्री के प्रमुख सचिव, कैबिनेट सचिव, गृह सचिव, सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के सचिव और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया।

मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने देश के अलग-अलग हिस्सों में तेजी से ऑक्सीजन पहुंचाने के लिए विदेश से 24 टैंकर एयरलिफ्ट किए attacknews.in

 

नयी दिल्ली, 01 मई । उद्योगपति मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने देश के अलग-अलग हिस्सों में तेजी से ऑक्सीजन पहुंचाने के लिए विदेश से 24 टैंकर एयरलिफ्ट किए हैं ।

रिलायंस ने ऑक्सीजन की कड़ी को पुख्ता करने के लिए सऊदी अरब, जर्मनी, बेल्जियम, नीदरलैंड और थाईलैंड से 24 ऑक्सीजन टैंकर्स एयरलिफ्ट किए। देश में तरल ऑक्सीजन की कुल परिवहन क्षमता में इससे 500 टन का इजाफा हुआ है।

टैंकर्स एयरलिफ्ट करने में भारतीय वायुसेना का भी भरपूर सहयोग रहा। वहीं रिलायंस के पार्टनर्स सऊदी अरामको और बीपी ने ऑक्सीजन टैंकर्स की अधिग्रहण में मदद की। रिलायंस ने भारतीय वायुसेना और सहयोगी कंपनियों का आभार जताया है।

रिलायंस जामनगर तेल रिफाइनरी में प्रतिदिन 1000 टन से अधिक मेडिकल-ग्रेड ऑक्सीजन का उत्पादन कर रहा है। यह ऑक्सीजन कोविड-19 से बुरी तरह प्रभावित राज्यों को मुफ्त में दी जा रही है। यह कंपनी देश में करीब 11 प्रतिशत मेडिकल ग्रेड ऑक्सीजन का उत्पादन कर रही है ।

श्री अंबानी, रिलायंस के मिशन ऑक्सीजन की निगरानी खुद कर रहे हैं। उनके नेतृत्व में रिलायंस दोहरी रणनीति पर काम कर रहा है। रिलायंस की जामनगर स्थित रिफाइनरी के बहुत से प्रक्रिया में बदलाव कर ज्यादा से ज्यादा जीवनदायी ऑक्सीजन का निर्माण किया जा रहा है और लोडिंग और परिवहन क्षमताओं को बढ़ाया जा रहा है ।

रिलायंस की जामनगर रिफाइनरी में कच्चे तेल से डीजल, पेट्रोल, और जेट ईंधन जैसे उत्पाद बनाए जाते हैं, यहां मेडिकल-ग्रेड ऑक्सीजन का उत्पाद नहीं किया जाता था। लेकिन कोरोनोवायरस के मामलों में जिस तेजी से वृद्धि हुई है और ऑक्सीजन की मांग बढ़ी है, उसको देखते हुए रिलायंस ने अपने प्रोसेस में बदलाव कर मेडिकल-ग्रेड ऑक्सीजन का उत्पादन शुरू कर दिया।

देश में ऑक्सीजन की लोडिंग और आपूर्ति एक बड़ी बाधा बनकर उभरी है। रिलायंस के इंजीनियर ने इसका हल नाइट्रोजन टैंकर्स को ऑक्सीजन टैंकर्स में बदल कर खोज निकाला।

रिलायंस के चेयरमैन मुकेश अंबानी ने कहा “जब भारत कोविड-19 की दूसरी लहर के खिलाफ लड़ रहा है तब मेरे लिए और रिलायंस में हम सभी के लिए, जीवन बचाने से ज्यादा महत्वपूर्ण कुछ नहीं है।”

एक बयान में रिलायंस फाउंडेशन की चेयरपर्सन नीता अंबानी ने कहा, “हमारा देश अभूतपूर्व संकट से गुजर रहा है। रिलायंस फाउंडेशन में हम मदद की हर संभव कोशिश करेंगे।”

देश के पत्रकार संगठनों ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मांगा पत्रकारों के लिए कोरोना योद्धा का दर्जा, इलाज की समुचित व्यवस्था किए जाने की भी मांग की attacknews.in

नयी दिल्ली 01 मई । पत्रकारों के सबसे बड़े संगठन नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स (इंडिया) और एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मीडियाकर्मियों को कोरोना योद्धा का दर्जा देने तथा उनके त्वरित टीकाकरण किये जाने एवं उनके उपचार की समुचित व्यवस्था किये जाने की मांग की है।

एनयूजे-आई के अध्यक्ष रास बिहारी ने इस बारे में प्रधानमंत्री श्री मोदी को भेजे एक पत्र में कहा है कि मीडिया कर्मियों ने कोरोना महामारी के संदर्भ में जनजागरूकता अभियान में भी सबसे महत्वपूर्ण योगदान दिया है।काम के बीच देशभर में कोरोना से संक्रमित मीडियाकर्मियों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है।आर्थिक तौर पर कमजोर होने के कारण बड़ी संख्या में पत्रकार उचित इलाज नहीं करा पा रहे हैं।देश में कोरोना के कारण दो सौ से अधिक पत्रकारों की जानें जा चुकी हैं।

श्री रास बिहारी ने कहा कि पिछले एक वर्ष से जारी कोरोना महामारी के प्रकोप के दौरान डॉक्टर, पैरामेडिकल स्टाफ, पुलिस और प्रशासन और अन्य सरकारी विभागों के अधिकारियों और कर्मचारियों की तरह ही मीडियाकर्मी भी अपना कर्तव्य निभा रहे हैं।अखबार और चैनल जनता को महामारी से बचने के उपायों की जानकारी देने के साथ ही तमाम सूचनाएं उपलब्ध करा रहे हैं।कोरोना महामारी से देशवासियों को बचाने और उपचार के तरीके बताने में मीडिया एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।मीडियाकर्मी अपने दायित्व का निर्वाह करते हुए प्रशासनिक खामियों को सरकार और जनता के सामने लाते हैं ताकि समय रहते हुए सुधार किया जा सके।

श्री रास बिहारी ने कहा है कि कोरोना महामारी के कारण पिछले दो सप्ताह में देशभर में लगभग 200 पत्रकारों की जान जाने के समाचार मिले हैं।पिछले वर्ष बड़ी संख्या में पत्रकार कोरोना का शिकार बने थे।कई वरिष्ठ पत्रकारों की कोरोना के कारण मृत्यु हुई है।पत्रकारों के निधन के बाद उनके परिवार के सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है।कई परिवार भुखमरी के कगार पर हैं।

उन्होंने पत्र में लिखा है कि कोरोना काल में तमाम अखबारों और चैनलों से बड़ी संख्या में पत्रकारों को नौकरी से निकाला गया है।

एक जानकारी के अनुसार 50 हजार से ज्यादा मीडियाकर्मी इस दौरान बेरोजगार हुए हैं।बड़ी संख्या में मध्यम और लघु समाचार पत्र बंद हो रहे हैं।आर्थिक तौर पर कमजोर अखबारों और चैनलों के लिए भी केंद्र और राज्य सरकारों को आर्थिक सहयोग के लिए विचार करने की आवश्यकता है।

श्री रास बिहारी ने प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में लिखकर जानकारी दी है कि इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ जर्नलिस्ट्स से संबंद्ध नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स (इंडिया) की प्रांतीय इकाइयां अपने-अपने स्तर पर राज्यों में मीडियाकर्मियों को कोरोना योद्धा का दर्जा दिलाने के लिए अनुरोध कर रही हैं।

राजस्थान सरकार ने पत्रकारों को कोरोना योद्धा का दर्जा देते हुए 50 लाख की सहायता देने की घोषणा की है।कुछ अन्य सरकारों ने भी इस तरह की घोषणाएं की है।

उधर एडिटर गिल्ड ऑफ इंडिया की अध्यक्ष सीमा मुस्तफा और महासचिव संजय कपूर ने एक विज्ञप्ति में कहा कि एक अप्रैल के बाद से सौ से अधिक पत्रकारों का निधन हुआ है।इनमें ज्यादातर कोविड महामारी की स्थिति की रिपोर्टिंग करते हुए संक्रमण का शिकार हुए थे।

उन्होंने कहा कि वे इस बात से बेहद व्यथित हैं कि सरकार ने बीते महीनों में पत्रकारों के टीकाकरण के लिए कोई कदम नहीं उठाया।बहुत से पत्रकारों के पास बीमा की सुविधा तक नहीं है।कुछ राज्य सरकारों द्वारा महामारी की सही रिपोर्टिंग नहीं करने का भी उनपर दबाव है।

उन्होंने कहा कि पत्रकारों को फ्रंट लाइन वर्कर्स का दर्जा देकर उन्हें प्राथमिकता के आधार पर टीका लगवाया जाये तथा उनके उपचार की अच्छी व्यवस्था की जाये।

राज्य आपदा राहत कोष के लिए राज्यों को केंद्र सरकार से 8,873.6 करोड़ रुपये जारी,50 प्रतिशत का उपयोग कोविड-19 की रोकथाम संबंधी उपायों के लिए किया जा सकता है attacknews.in

नयी दिल्ली एक मई । वित्त मंत्रालय ने शनिवार को बतातया कि उसने राज्य आपदा राहत कोष (एसडीआरएफ) के लिए 8,873.6 करोड़ रुपये की पहली किश्त अग्रिम तौर पर जारी की है। मंत्रालय के अनुसार एसडीआरएफ राशि के 50 प्रतिशत तक का उपयोग राज्यों द्वारा कोविड-19 की रोकथाम संबंधी उपायों के लिए किया जा सकता है।

सामान्य तौर पर एसडीआरएफ की पहली किश्त जून में जारी की जाती है। वित्त आयोग की इस बारे में ऐसी ही सिफारिश है।

मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘व्यय विभाग ने गृह मंत्रालय की सिफारिश पर एक विशेष व्यवस्था के तहत सभी राज्यों को वर्ष 2021 के लिए राज्य आपदा राहत कोष (एसडीआरएफ) के केंद्रीय हिस्से की पहली किस्त को निर्धारित समय से पहले अग्रिम तौर पर जारी किए हैं। राज्यों को 8,873.6 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं।’’

बयान में कहा गया है , ‘ सामान्य तौर पर एसडीआरएफ की पहली किस्त वित्त आयोग की सिफारिशों के अनुसार जून में जारी की जाती है। सामान्य प्रक्रिया की छूट देते हुए न केवल एसडीआरएफ की पहली किश्त को अग्रिम तौर पर जारी किया गया है बल्कि पिछले वित्त वर्ष में राज्यों को प्रदान की गई राशि के लिए उपयोग प्रमाण पत्र की प्रतीक्षा किए बिना यह रकम जारी की गई है। ’’

मंत्रालय ने कहा है कि जारी की गई रकम के 50 प्रतिशत यानी 4,436.8 करोड़ रुपये तक का उपयोग राज्यों द्वारा कोविड-19 की रोकथाम संबंधी उपायों के लिए किया जा सकता है। इसमें अस्पतालों में ऑक्सीजन उत्पादन एवं भंडारण संयंत्रों की लागत, वेंटिलेटर, एयर प्यूरिफायर, एम्बुलेंस सेवाओं, कोविड-19 अस्पताल, कोविड केयर सेंटर, उपभोग सामग्री, थर्मल स्कैनर, व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण, जांच प्रयोगशाला, जांच किट, कंटेनमेंट जोन आदि की व्यवस्था शामिल हैं।

मंत्रिपरिषद की कई घंटों चली बैठक में नरेंद्र मोदी ने कोरोना महामारी को पिछले 100 वर्षों में सबसे बड़ा संकट करार देते हुए कहां,केंद्र-राज्य सरकारों की समूची मशीनरी एकजुट होकर इस संकट का मुकाबला कर रही attacknews.in

नयी दिल्ली 30 अप्रैल । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना महामारी को पिछले 100 वर्षों में सबसे बड़ा संकट करार देते हुए आज कहां कि केंद्र और राज्य सरकारों की समूची मशीनरी एकजुट होकर इस संकट का मुकाबला कर रही है।

श्री मोदी ने शुक्रवार को यहां मंत्रिपरिषद की कई घंटे तक चली बैठक में देशभर में कोरोना महामारी की दूसरी लहर के कारण उत्पन्न स्थिति की समीक्षा की।

बैठक में इस बात पर जोर दिया गया कि कोरोना महामारी के कारण पिछले 100 वर्षों में मानवता के सामने सबसे बड़ा संकट खड़ा हुआ है जो पूरी दुनिया के लिए एक चुनौती बन गया है।

श्री मोदी ने कहा कि केंद्र सरकार राज्यों और जनता के साथ मिलकर टीम इंडिया की तरह इस चुनौती का सामना कर रही है। समूची सरकारी मशीनरी एकजुट होकर तेजी से स्थिति से निपटने में लगी है। उन्होंने सभी मंत्रियों से कहा कि वह अपने क्षेत्र के लोगों के संपर्क में रहें , उनकी मदद करें तथा उनसे फीडबैक ले।

सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर तमिलनाडु सरकार ने काेरोना मरीजों के इलाज के लिए वेदांता को तूतीकोरिन प्लांट में ऑक्सीजन उत्पादन की मंजूरी दी attacknews.in

चेन्नई 30 अप्रैल । उच्चतम न्यायालय के निर्देश के अनुरूप तमिलनाडु सरकार ने शुक्रवार को काेरोना मरीजों के इलाज के लिए वेदांता उद्योग को तूतीकोरिन जिले में स्थित कॉपर स्मेल्टर प्लांट में ऑक्सीजन उत्पादन करने की मंजूरी प्रदान कर दी।

इस संबंध में जारी सरकारी आदेश (जीओ) के मुताबिक प्लांट को 31 जुलाई तक ऑक्सीजन उत्पादन के लिए अस्थाई तौर पर काम करने की मंजूरी प्रदान की गयी है।

इस जीओ के मुताबिक सरकार ने थूथुकुडी के जिलाधिकारी की अध्यक्षता में सात सदस्यीय निगरानी समिति का भी गठन किया है जो ऑक्सीजन प्लांट के पूरे कार्यकलाप की देखभाल भी करेगी। साथ ही शीर्ष अदालत के निर्देशों का कड़ाई से पालन करते हुए इसके संचालन पर भी नजर रखेगी।

इस समिति में जिलाधिकारी के अलावा जिले के पुलिस अधीक्षक, उप जिलाधिकारी, जिला प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पर्यावरण इंजीनियर, उप प्रमुख केमिस्ट तथा दो पर्यावरण विशेषज्ञ भी शामिल होंगे। शीर्ष अदालत के निर्देश पर इस समिति का गठन किया गया है।

ओडिशा से विभिन्न राज्यों को भेजी गयी 153 टैंकर में 2879.082 टन मेडिकल ऑक्सीजन attacknews.in

भुवनेश्वर, 30 अप्रैल। ओडिशा ने अब तक देश के कई जरूरतमंद राज्यों में पुलिस एस्कॉर्ट के साथ 2879.082 टन मेडिकल ऑक्सीजन ले जाने वाले 153 टैंकर/कंटेनर भेजे हैं।

ओडिशा पुलिस इन टैंकरों को राउरकेला, जाजपुर, ढेंकनाल और अंगुल जिलों से एस्कॉर्ट करके ले गयी है। सूत्रों ने बताया कि अंगुल से 21 टैंकरों में 342.82 टन, ढेंकनाल से 28 टैंकरों में 453.7 टन, जाजपुर से 43 टैंकरों में 895.66 टन तथा राउरकेला से 61 टैंकरों में 1186.902 टन ऑक्सीजन गैस भेजी गयी है

उत्तरप्रदेश में 1 मई से18 से 44 वर्ष तक के युवाओं का टीकाकरण,राजस्थान में नौ शहरों में 35-44 आयु वर्ग के लोगों को ही लगेगी वैक्सीन attacknews.in

लखनऊ/जयपुर 30 अप्रैल । उत्तर प्रदेश में 18 से 44 वर्ष तक के युवाओं का टीकाकरण पूर्व घोषित कार्यक्रम के अनुसार एक मई से शुरू होगा। इसकी शुरूआत सबसे ज्यादा संक्रमण वाले सात जिलों लखनऊ, कानपुर नगर, प्रयागराज, वाराणसी, गोरखपुर, मेरठ और बरेली से होगी।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने टीकाकरण को लेकर किसी भी प्रकार की लापरवाही नहीं बरतने के निर्देश दिए हैं, जिसके बाद विभाग ने टीके के लिए ग्लोबल टेंडर की कार्यवाही भी शुरू कर दी है।

राजस्थान में एक मई से नौ शहरों में 35-44 आयु वर्ग के लोगों को ही लगेगी वैक्सीन-शर्मा

इधर राजस्थान के चिकित्सा मंत्री डॉ. रघु शर्मा ने कहा है कि प्रदेश को तीन लाख कोरोना वैक्सीन डोज मिलने की संभावना के कारण एक मई से शुरु होने वाले 18 से 45 आयु वर्ग के लोगों के लिए टीकाकरण के तहत फिलहाल जहां संक्रमण अधिक हैं उन शहरों में 35 से 44 आयु वर्ग के लोगों को ही टीका लगाया जायेगा।

श्री शर्मा ने आज अपने बयान में कहा कि सीरम इंस्टीट्यूट आफ इंडिया से वैक्सीन की सप्लाई होनी है लेकिन कंपनी ने राजस्थान को केवल तीन लाख संभावित डोज देने की हामी भरी है। उन्होंने कहा कि हमें संभावित तीन लाख वैक्सीन की डोज मिलने जा रही हैं, उनका उपयोग प्रदेश के उन नौ शहरों में सर्वप्रथम किया जाएगा, जहां संक्रमण अधिक है। इन शहरों में भी केवल 35-44 आयुवर्ग के लोगों का ही वैक्सीनेशन होगा। इसके बाद जब वैक्सीन की सप्लाई नियमित होगी तब पूरे प्रदेश में तय 18-45 आयु वर्ग के लोगों का वैक्सीनेशन होगा।

देश में एक मई से 18 साल से अधिक उम्र के लोगों के लिए कोविड-19 टीकाकरण के तीसरे चरण के लिए 2.45 करोड़ से ज्यादा पंजीकरण attacknews.in

नयी दिल्ली, 30 अप्रैल। देश में एक मई से 18 साल से अधिक उम्र के लोगों के लिए कोविड-19 रोधी टीकाकरण के तीसरे चरण के पहले को-विन डिजिटल मंच पर 2.45 करोड़ से ज्यादा लोगों ने अपना पंजीकरण कराया है।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक 28 अप्रैल को 1.37 करोड़ लोगों ने पंजीकरण कराया जबकि 29 अप्रैल को 1.04 करोड़ से ज्यादा लोगों ने पंजीकरण कराया।

मंत्रालय ने कहा है कि देश में अब तक 15.22 करोड़ से अधिक लोगों को टीका लगाया गया है।

सुबह सात बजे तक अनंतिम रिपोर्ट के मुताबिक 22,43,097 सत्र में टीके की 15,22,45,179 खुराकें दी गयी।

इनमें 93,86,904 स्वास्थ्य कर्मी (एचसीडब्ल्यू) शामिल हैं जिन्होंने पहली खुराक ली है जबकि 61,91,118 स्वास्थ्य कर्मियों ने दूसरी खुराक ली है। वहीं अग्रिम मोर्चे के 1,24,19,965 कर्मियों को टीके की पहली खुराक दी जा चुकी है जबकि 67,07,862 कर्मियों को टीके की दूसरी खुराक दी गयी है।

देश में 60 वर्ष से अधिक आयु के 5,19,01,218 लोगों को पहली खुराक दी गई जबकि 1,04,41,359 लोगों को टीके की दूसरी खुराक दी जा चुकी है।

इसी तरह, 45 वर्ष से लेकर 60 वर्ष के आयु वर्ग के 5,17,78,842 लोगों को पहली खुराक दी गयी है जबकि इसी आयु वर्ग के 34,17,911 लोगों को दूसरी खुराक दी गयी है।

देश में कुल टीकाकरण में महाराष्ट्र, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, गुजरात, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, केरल, बिहार और आंध्र प्रदेश की भागीदारी 67.08 प्रतिशत है।

देश में 24 घंटे के भीतर 21 लाख से अधिक खुराकें दी गयी।

कोविड-19 टीकाकरण के 104वें दिन (29 अप्रैल) तक कुल टीके की 22,24,548 खुराकें दी गई। इनमें से 12,74,803 लाभार्थियों को पहली खुराक दी गयी जबकि 9,49,745 लाभार्थियों को दूसरी खुराक दी गयी।

देश के पूर्व एटर्नी जनरल सोली सोराबजी और युवा टीवी पत्रकार रोहित सरदाना का कोरोना विषाणु की चपेट में आने से निधन attacknews.in

नयी दिल्ली 30 अप्रैल । देश के पूर्व एटर्नी जनरल एवं जाने-माने कानूनविद सोली सोराबजी का शुक्रवार सुबह यहां कोरोना वायरस के संक्रमण से निधन हो गया। वह 91 वर्ष के थे।

उनके परिवार में पत्नी, दो बेटे और एक बेटी है।
पद्म विभूषण से सम्मानित श्री सोराबजी का जन्म 1930 में मुंबई (तब बम्बई) में हुआ था। उन्होंने 1953 में बाॅम्बे उच्च न्यायालय से अपने करियर की शुरुआत की। वर्ष 1971 में उन्हें उच्चतम न्यायालय द्वारा वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में नामित किया गया था। श्री सोराबजी 1989 से 1990 और फिर 1998 से 2004 तक देश के एटर्नी जनरल रहे थे।

मानवाधिकारों के ध्वजवाहक वकील के तौर पर मशहूर श्री सोराबजी को संयुक्त राष्ट्र द्वारा 1997 में नाइजीरिया के लिए विशेष प्रतिवेदक (रैपोर्टर) नियुक्त किया गया था, ताकि वहां की मानवाधिकारों की स्थिति पर रिपोर्ट मिल सके।

वह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा से जुड़े कई मामलों में शामिल रहे थे और उन्होंने प्रकाशनों पर सेंसरशिप आदेशों और प्रतिबंधों को हटाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और मानवाधिकारों की रक्षा के लिए मार्च 2002 में उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था, जो देश का दूसरा सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार है।

‘लोकतंत्र को मजबूत बनाने वाली विभूति के रूप में याद किये जाएंगे सोराबजी’

उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश एन वी रमन ने पूर्व एटर्नी जनरल और सुविख्यात कानूनविद सोली जहांगीर सोराबजी के निधन पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए कहा है कि मानवाधिकारों और मौलिक अधिकारों के हिमायती श्री सोराबजी लोकतंत्र के स्तम्भों को मजबूत करने वाली महान विभूति के रूप में याद किये जाते रहेंगे।

न्यायमूर्ति रमन ने शुक्रवार को जारी अपने शोक संदेश में कहा कि पूर्व एटर्नी जनरल सोली जहांगीर सोराबजी के निधन के बारे में जानकर उन्हें गहरा दुख हुआ है। न्यायिक जगत के साथ करीब 68 वर्ष के जुड़ाव में श्री सोराबजी ने मानवाधिकारों और मौलिक अधिकारों से संबंधित वैश्विक न्यायशास्त्र को समृद्ध करने में महती भूमिका निभायी है।

उन्होंने श्री सोराबजी को प्रेस की आजादी का अगुवा बताया और कहा, “उन्होंने (श्री सोराबजी) हाल तक नित्य प्रतिदिन जटिल कानूनी मुद्दों की बारीकियों पर प्रकाश डालने के लिए मीडिया को एक मंच के रूप में इस्तेमाल किया और लाखों लोगों को कानून का पाठ पढ़ाया, अन्यथा उन लोगों को न्यायिक जगत में होने वाले घटनाक्रमों के बारे में कुछ भी पता नहीं होता।”

मुख्य न्यायाधीश ने कहा, “जब से मैंने एक वकील के तौर पर प्रैक्टिस शुरू की, तब से ही उनकी कृतियों को पढ़कर, उनके व्याख्यानों को सुनकर तथा उनके दूरदर्शी नेतृत्व और परामर्श का अनुसरण करके व्यक्तिगत तौर पर बहुत कुछ हासिल किया है।”

न्यायमूर्ति रमन ने कहा कि मानवता और करुणा से ओत-प्रोत रुख ने उनके विधिक कार्यों को भी परिभाषित किया है। उन्हें लोकतंत्र के स्तम्भों को मजबूत बनाने वाली महान विभूति के तौर पर हमेशा याद किया जाता रहेगा। मैं दिवंगत आत्मा को विनम्र श्रद्धांजलि देता हूं। मैं व्यक्तिगत तौर पर और सुप्रीम कोर्ट की ओर से श्री सोली सोराबजी के परिजनों, दोस्तों एवं अनगिनत प्रशंसकों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त करता हूं।”

वरिष्ठ पत्रकार रोहित सरदाना का कोरोना से निधन

महशूर युवा टीवी पत्रकार रोहित सरदाना का शुक्रवार को कोरोना विषाणु की चपेट में आने से निधन हो गया।

सूत्रों के अनुसार करीब एक सप्ताह पहले कोरोना जांच की रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर श्री सरदाना राष्ट्रीय राजधानी के मेट्रो अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती हुए थे। आज दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया। श्री सरदाना के निधन से मीडिया जगत और उनके प्रशंसकों में शोक की लहर दौड़ गयी।

वरिष्ठ पत्रकार जी नेटवर्क के सुधीर चौधरी ने श्री सरदाना के निधन के बारे में ट्वीट करके जानकारी दी।

श्री सरदाना ने 24 अप्रैल को ट्वीट करके कोरोना विषाणु से संक्रमित होने की जानकारी दी थी। उन्होंने कहा था,“एक हफ़्ते पहले बुख़ार और अन्य लक्षणों को देखते हुए टेस्ट कराया था। आरटीपीसीआर टेस्ट निगेटिव आया लेकिन सीटी स्कैन से कोविड-19 से संक्रमित होने की पुष्टि हो गई थी। अभी हालत पहले से बेहतर है। आप सभी अपना और अपने परिजनों का ख़याल रखें।

यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने किया कोरोना को परास्त attacknews.in

लखनऊ, 30 अप्रैल । उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कोरोना संक्रमण से मुक्त हो गये हैं। उन्होने शुक्रवार को ट्वीट कर यह जानकारी साझा की।

श्री योगी ने ट्वीट किया “ आप सभी की शुभेच्छा और चिकित्सकों की देखरेख से अब मैं कोरोना निगेटिव हो गया हूँ। आप सभी के द्वारा मुझे दिए गए सहयोग व शुभकामनाओं के लिए धन्यवाद।”

गौरतलब है कि श्री योगी पिछली 14 अप्रैल को कोरोना संक्रमित पाये गये थे जबकि आज उनकी रिपोर्ट निगेटिव आ गयी है। संक्रमित होने के बावजूद वह अपने सरकारी आवास से वर्चुअल तरीके से अधिकारियों को कोरोना की रोकथाम के लिये दिशा निर्देश देने में लगे थे और पल पल की जानकारी हासिल कर रहे थे।

आईआईटी बॉम्बे ने नाइट्रोजन जनरेटर को ऑक्सीजन जनरेटर में बदल कर ऑक्सीजन की कमी को हल करने का रास्ता सुझाया,ऑक्सीजन संकट का एक सरल और त्वरित समाधान attacknews.in

नईदिल्ली 30 अप्रैल ।भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) बॉम्बे देश में कोविड-19 रोगियों के उपचार के लिए चिकित्सा ऑक्सीजन की कमी को दूर करने के वास्ते एक रचनात्मक और सरल समाधान लेकर आया है। इस पायलट प्रोजेक्ट का सफलतापूर्वक परीक्षण कर लिया गया है। यह एक सरल तकनीकी पर निर्भर करता है। इसमें पीएसए (घुमाव के दबाव से सोखना) नाइट्रोजन इकाई को पीएसए ऑक्सीजन यूनिट में बदल दिया जाता है।

आईआईटी बॉम्बे में किए गए प्रारंभिक परीक्षणों ने आशाजनक परिणाम दिये हैं। इसमें 3.5 एटीएम दबाव पर 93% – 96% शुद्धता की ऑक्सीजन का उत्पादन किया जा सकता है। यह ऑक्सीजन गैस मौजूदा अस्पतालों में कोविड से संबंधित जरूरतों को पूरा करने तथा भविष्य की कोविड-19 की विशिष्ट सुविधाओं के लिए ऑक्सीजन की निरंतर आपूर्ति करने में काम में ली जा सकती है।

नाइट्रोजन इकाई को ऑक्सीजन इकाई में कैसे बदला जा सकता है? सवाल के जाब में इस परियोजना का नेतृत्व करने वाले आईआईटी बॉम्बे के डीन (आरएंडडी), प्रो. मिलिंद अत्रे कहते हैं कि “यह मौजूदा नाइट्रोजन प्लांट सेट-अप को फाइन-ट्यूनिंग करके और आणविक चलनी को कार्बन से ज़ायोलाइट में बदलकर किया गया है”।

उन्होंने बताया कि ऐसे नाइट्रोजन संयंत्र, जो वायुमण्डल से कच्चे माल के रूप में वायु ग्रहण करते हैं, देश भर के विभिन्न औद्योगिक संयंत्रों में उपलब्ध हैं। इसलिए, उनमें से प्रत्येक को संभावित ऑक्सीजन जनरेटर में परिवर्तित किया जा सकता है। इस प्रकार हमें वर्तमान सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल से निबटने में मदद मिल सकती है।

यह पायलट प्रोजेक्ट पीएसए नाइट्रोजन और ऑक्सीजन प्लांट के उत्पादन से संबंध रखने वाले आईआईटी बॉम्बे, टाटा कंसल्टिंग इंजीनियर्स और स्पैन्टेक इंजीनियर्स, मुंबई के बीच एक साझा प्रयास है।

पीएसए नाइट्रोजन संयंत्र को ऑक्सीज़न संयंत्र में बदलने की इस अवधारणा की मान्यता के प्रमाण के लिए आईआईटी के प्रशीतन और क्रायोजेनिक्स प्रयोगशाला को चुना गया था। इस अध्ययन को तत्काल पूरा करने के लिए, एक ऐसा एसओपी (स्टेंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर) जो देश भर में लागू हो सके को अंतिम रूप देने के लिए आईआईटी बॉम्बे, टाटा कंसल्टिंग इंजीनियर्स और स्पैन्टेक इंजीनियर्स के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए।

आईआईटी बॉम्बे के रेफ्रिजरेशन और क्रायोजेनिक्स लैब के बुनियादी ढांचे का उपयोग करते हुए स्पांटेक इंजीनियर्स ने मूल्यांकन के लिए आईआईटी बॉम्बे में आवश्यक प्लांट घटकों को स्थापित किया। प्रयोग के लिए यह सेटअप तीन दिनों के भीतर विकसित कर लिया गया। इसके प्रारंभिक परीक्षणों ने ऊपर बताए अनुसार आशाजनक परिणाम दिखाए हैं।

प्रो. मिलिंद अत्रे ने श्री अमित शर्मा, प्रबंध निदेशक, टाटा कंसल्टिंग इंजीनियर्स; श्री राजेंद्र टहलियानी, प्रमोटर, स्पैन्टेक इंजीनियर्स और आईआईटी बॉम्बे के पूर्व छात्र (1970) के साथ श्री राज मोहन, एमडी, स्पैन्टेक इंजीनियर्स को इस परियोजना में उनके सहयोग और साझेदारी के लिए धन्यवाद दिया है।

अनेक बाधाओं के बीच सफल तरीके से समय पर परियोजना को सफल बनाने के लिए टीमों को बधाई देते हुए श्री अमित शर्मा ने कहा: “हम आईआईटी बॉम्बे और स्पैन्टेक इंजीनियर्स के साथ साझेदारी से प्रसन्न हैं कि हम बुनियादी ढांचे का उपयोग करते हुए मौजूदा संकट में आपातकालीन ऑक्सीजन उत्पादन के लिए एक अभिनव समाधान की दिशा में योगदान कर रहे हैं। उद्योग और शिक्षाविदों के बीच इस तरह की साझेदारी आत्मनिर्भर भारत के प्रति हमारी दृष्टि को तेज कर सकती है।

आईआईटी बॉम्बे के निदेशक प्रो. सुभाशीष चौधरी ने परियोजना में शामिल सभी पक्षों को बधाई दी और कहा कि हमारे देश के विकास और सफलता के लिए शिक्षा और उद्योग के बीच इस तरह की साझेदारी बेहद वांछनीय और आवश्यक है।