भारतीय रेल के संस्थान रिसर्च डिजाइन एंड स्टेंडर्ड्स ऑरगेनाइजेशन को “एक राष्ट्र एक मानक” अभियान के तहत ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टेंडर्ड्स का पहला एसडीओ संस्थान घोषित किया गया attacknews.in

 

नईदिल्ली 1 जून । उपभोक्ता मामलों के विभाग के अंतर्गत आने वाले भारतीय रेल के संस्थान आरडीएसओ (रिसर्च डिजाइन एंड स्टेंडर्ड्स ऑरगेनाइजेशन) को “एक राष्ट्र एक मानक” अभियान के तहत बीआईए (ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टेंडर्ड्स) का पहला एसडीओ संस्थान घोषित किया गया है।

भारत सरकार के तहत आने वाले दो संस्थानों की यह अनूठी पहल देश के शेष सभी प्रमुख अनुसंधान एवं मानक विकास संस्थानों के लिए न सिर्फ एक आदर्श स्थापित करेगी बल्कि उन्हें विश्व स्तरीय मानकों को अपनाने के लिए भी प्रेरित करेगी।

यह ध्यान देने की बात है कि भारत सरकार की “एक राष्ट्र एक मानक” की परिकल्पना के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए राष्ट्रीय मानक संस्थान भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) ने एक योजना शुरू की है जिसके तहत किसी संस्थान को एसडीओ की मान्यता दी जाती है। इस योजना के जरिए बीआईएस का लक्ष्य, अपने विशिष्ट क्षेत्रों में मानकों के विकास के काम में लगे देश के विभिन्न संस्थानों में उपलब्ध मौजूदा क्षमताओं और विशिष्ट डोमेन में उपलब्ध सकल विशेषज्ञता को एकीकृत करना है और इस तरह देश में जारी सभी मानक विकास गतिविधियों को रूपांतरित कर “एक विषय पर एक राष्ट्रीय मानक” तैयार करना है।

रेल मंत्रालय का एकमात्र अनुसंधान एवं विकास संगठन आरडीएसओ, लखनऊ, देश के प्रमुख मानक तय करने वाले संस्थानों मे से एक है और यह भारतीय रेल के लिए मानक तय करने का काम करता है।

आरडीएसओ ने बीआईएस एसडीओ मान्यता योजना के तहत एक मानक विकास संगठन (एसडीओ) के रूप में मान्यता प्राप्त करने की पहल की। इस प्रक्रिया में, आरडीएसओ ने मानक निर्माण प्रक्रियाओं की समीक्षा की ताकि उन्हें मानकीकरण के सर्वोत्तम अभ्यासों के साथ पुन: संरेखित किया जा सके, इसे डब्ल्यूटीओ-टीबीटी “अच्छे अभ्यास संहिता” में एन्कोड किया गया और ब्यूरो (बीआईएस) द्वारा एसडीओ के रूप में मान्यता के लिए आवश्यक मानदंड के रूप में अनिवार्य किया गया।

बीआईएस ने आरडीएसओ की मानक निर्माण प्रक्रियाओं की समीक्षा के बाद 24 मई 2021 को आरडीएसओ को एसडीओ (मानक विकास संगठन) के रूप में मान्यता प्रदान की। इस मान्यता के साथ, आरडीएसओ बीआईएस एसडीओ मान्यता योजना के तहत मान्यता प्राप्त करने वाला देश का पहला मानक विकास संगठन बन गया है। ब्यूरो (बीआईएस) द्वारा अनुमोदित एसडीओ के रूप में आरडीएसओ की मान्यता का दायरा “भारत में रेल परिवहन क्षेत्र के लिए उत्पादों, प्रक्रियाओं और सेवाओं के लिए मानक विकास करना है। मान्यता 3 साल के लिए वैध है और वैधता अवधि पूरी होने के बाद नवीनीकरण की आवश्यकता होगी।

आरडीएसओ में मानक तैयार करने की प्रक्रिया अब आम सहमति आधारित निर्णय लेने पर अधिक केंद्रित होगी और शुरुआती चरणों से मानक बनाने की प्रक्रिया में यानी अवधारणा से लेकर मानकों को अंतिम रूप देने तक उद्योग, अकादमिक,  उपयोगकर्ता, मान्यता प्राप्त लैब, टेस्ट हाउस इत्यादि सहित सभी हितधारकों की व्यापक भागीदारी होगी।

बीआईएस एसडीओ मान्यता योजना के तहत भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा इस मान्यता से होने वाले कुछ प्रमुख लाभों में आईआर आपूर्ति श्रृंखला में उद्योग / विक्रेताओं / एमएसएमई / प्रौद्योगिकी डेवलपर्स की बड़ी भागीदारी, उद्योग / विक्रेताओं के बीच प्रतिस्पर्धा में कमी शामिल है।

इसके साथ ही लागत में और उत्पाद और सेवाओं की गुणवत्ता में क्वांटम सुधार, आईआर पर नवीनतम विकसित और उभरती प्रौद्योगिकियों का सहज समावेश, आयात पर निर्भरता कम करना, “मेक-इन-इंडिया” पर जोर, व्यवसाय की सुगमता में सुधार, मानक तय करने वाली अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला/वैश्विक व्यापार के साथ एकीकरण आदि है।

मानक बनाने की प्रक्रिया में पारदर्शिता, खुलेपन,  निष्पक्षता, प्रभावशीलता, सुसंगतता और विकास आयाम को बनाए रखने पर अधिक जोर देने के साथ मानकीकरण के स्थापित छह सिद्धांतों के अनुरूप नियमों और शर्तों का अनुपालन करने का दायित्व, समग्र आत्मविश्वास में सुधार करेगा और मानक तय करने वाले निकाय यानी आरडीएसओ में उद्योग और प्रौद्योगिकी डेवलपर्स का विश्वास और देश में रेलवे क्षेत्र के लिए मानक निर्माण में योगदान करने के लिए सभी हितधारकों को प्रेरित करेगा।

यह मानकीकरण गतिविधि के सामंजस्य में भी मदद करेगा जिससे राष्ट्रीय मानकों के निर्माण और कार्यान्वयन में सभी हितधारकों को अधिक भागीदारी का अवसर मिलेगा और देश में निर्मित उत्पाद की गुणवत्ता के लिए लंबे समय में एक ब्रांड इंडिया की पहचान बनेगी।

मानक बनाने की प्रक्रिया में सभी हितधारकों को शामिल करते हुए मानकों के विकास के लिए सहभागी दृष्टिकोण बहुत प्रारंभिक चरणों से मानकों के विकास और उनके जमीनी अनुकूलन या उपयोगकर्ता उपयोग के बीच के समय को कम करेगा। इस पहल से प्रौद्योगिकी के विकास और उसके नवाचार के स्तर से उसके वास्तव में कार्यरूप लेने के बीच का परिवर्तन तेज़ होगा।

कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने 562 नई उच्च उपज देने वाली कृषि फसलों अनाज, तिलहन,  दलहन, चारा, रेशेदार, गन्ना और संभावित फसलों की किस्में जारी की attacknews.in

केंद्रीय कृषि मंत्री ने नई कृषि प्रौद्योगिकियों एवं किस्मों का विमोचन किया

“कृतज्ञ”(KRITAGYA) कृषि हैकाथॉन के विजेताओं को पुरस्कृत भी किया

दलहन व तिलहन में आत्मनिर्भरता के लिए नई नीति आएंगी- श्री तोमर

प्रधानमंत्री श्री मोदी के कुशल नेतृत्व में हर देशवासी के मन में जज्बा पैदा हुआ है

नईदिल्ली 31 मई । केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा है कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के कुशल नेतृत्व में भारत सरकार की सफलता के 7वर्ष पूरे होने के साथ-साथ प्रधानमंत्री के दृढ़ संकल्प के परिणामस्वरूप भारत मजबूती के साथ आगे बढ़ रहा है।आमजन की भागीदारी देश के विकास में बढ़ रही है औ रहर व्यक्ति के मन में एक जज्बा उत्पन्न हुआ है कि उसे भी अपनी योग्यता, दक्षता,ऊर्जा से देश केलिए कोई ना कोई काम करना चाहिए।

श्री तोमर ने कहा कि हमारे देश में खाद्यान्न की प्रचुरता है, यह भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के अनुसंधान, किसानों के परिश्रम व सरकार कीकृषि हितैषी नीतियों का सद्परिणाम है। हमें दलहन, तिलहन व बागवानी फसलों के क्षेत्र में और काम करने की जरूरत है। दलहन व तिलहन में आत्मनिर्भरता के लिए नई नीति आएंगी। प्रधानमंत्री ने इस बात पर बल दिया है। उनका कहना है कि आयात पर हमारी निर्भरता कम हो तथा हम कृषि उत्पादों का निर्यात ज्यादा से ज्यादा बढ़ाएं। बीजों की नई किस्मों का इसमें विशेष योगदान होगा।

केंद्रीय मंत्री श्री तोमर ने यह बात सोमवार को आईसीएआर की उपलब्धियों, प्रकाशनों, नई कृषि प्रौद्योगिकियों एवं कृषि फसलों की नई किस्मों की लॉन्चिंग तथा “कृतज्ञ” (KRITAGYA) हैकाथॉन के विजेताओं को पुरस्कार वितरण के कार्यक्रम में कही।

“कृतज्ञ”में प्रतियोगियों ने कृषि व सम्बद्ध क्षेत्रों के लिए एक से बढ़कर एक उपयोगी संरचनाएं सृजित कर अपनी योग्यता व क्षमता को साबित किया है।

श्री तोमर ने आईसीएआर की तारीफ करते हुए कहा कि उसके वैज्ञानिक समग्रता से विचार कर रहे हैं कि जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों, वर्षा आधारित खेती वाले क्षेत्रों व अन्य प्रतिकूल परिस्थितियों से हमारे बीज सामना कर सकें तथा किसानों की आय बढ़ा सकें एवं उत्पादन व उत्पादकता को भी बढ़ाया जा सकें। फसल डायवर्सिफिकेशन का भी विषय विद्यमान है, सरकार इस दिशा में बहुत तेजी के साथ काम कर रही है। कृषि व सम्बद्धअधिकांश क्षेत्रों में दुनिया में भारत पहले या दूसरे नंबर पर है, गर्व है कि प्रधानमंत्री का चिंतन हमें इस ओर आगे बढ़ने के लिए तेजी से प्रवृत कर रहा है और किसान भी पूरी उत्सुकता सेकाम कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि “कृतज्ञ”।हैकाथॉन में जिस तरह से अच्छे से अच्छे आविष्कार पेश किए गए हैं, उसे देखते हुए विश्वासपूर्वक कहा जा सकता है कि हिंदुस्तान के नागरिकों में बड़ी से बड़ी परिस्थितियों का सामना करने व उनमें विजयी प्राप्त करने का सामर्थ्य है, यहीं भारत वर्ष की सबसे बड़ी पूंजी व ताकत है।कृषि का क्षेत्र अग्रणी भूमिका निभा सकें, इसमें आईसीएआर से संबंधित वैज्ञानिकगण, अनुसंधान केंद्र, वि.वि., छात्र, नई तकनीक, नए बीजों की किस्में ईजाद करने का निश्चित रूप से बहुत बड़ा महत्व है। इस दिशा में आईसीएआर जिम्मेदारी के साथ काम कर रहा है, यह प्रसन्नता व संतोष का विषय है। उन्होंने इसके लिए देशभर के संस्थानों की टीमों व केवीके की टीमों को बधाई व शुभकामाएं दी।

श्री तोमर ने कहा कि मुंह पका-खुर पका रोग (Foot-and-mouth disease, FMD) से देश के पशुओं को मुक्‍त कराने के लिए आईसीएआरसीरो-मॉनीटरिंग के माध्‍यम से महत्‍वपूर्ण सेवा कर रहा है। इसमें और तेजी लाने की आवश्‍यकता है। केवीके ने 5 करोड़ से ज्यादा किसानों तक अपनी पहुंच बनाई है, इसे भी बढ़ाने की जरूरत है। कृषि शिक्षा महत्वपूर्ण पहलू है, जिसके माध्यम से हमें कृषि क्षेत्र का समग्र विकास करना है।

केंद्रीय मंत्री ने आईसीएआर को अंतरराष्‍ट्रीय राजा भूमि बोल विश्‍व मृदा दिवस पुरस्‍कार-2020; विश्‍व बौद्धिक सम्‍पदा संगठन (डब्‍ल्‍यूआईपीओ), जेनेवा व संयुक्‍त राष्‍ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन द्वारा सम्‍मान व डिजीटल इंडिया पुरस्‍कार-2020 प्राप्‍त होने पर बधाई दी।

कार्यक्रम में कृषि राज्य मंत्री श्री परषोत्तम रूपाला, आईसीएआरके महानिदेशक डा. त्रिलोचन महापात्र, विशेष सचिव श्री संजय सिंह, उप-महानिदेशक (शिक्षा) डॉ. आर.सी. अग्रवाल ने भी संबोधित किया।

“कृतज्ञ” हैकाथॉन संबंधी जानकारी-

भारत की कृषि शिक्षा और आधुनिक बने व प्रतिभाओं को पूरा अवसर मिले, इसलिए राष्ट्रीय कृषि उच्चतर शिक्षा परियोजना (NAHEP) के तहत “कृतज्ञ” कृषि हैकाथॉन काआयोजन किया गया।

महिलाओं के अनुकूल उपकरणों पर विशेष जोर देने के साथ-साथ खेती में मशीनीकरण को बढ़ाने के लिए संभावित प्रौद्योगिकी समाधानों को बढावा देना इस आयोजन का उद्देश्य था।

विश्वविद्यालयों, तकनीकी व अन्य संस्थानों के छात्रों, संकायों और नवप्रवर्तकों/उद्यमियों/स्टार्टअप्स ने टीमों के रूप में इसमें भाग लिया।

इनमें से हरेक में चार प्रतिभागी थे। कुल 784 टीमों ने भाग लिया, जिनमें मुख्यतःआईआईटी, कृषि व अन्य वि.वि. एवंअनुसन्धान संस्थान शामिल थे। प्रस्तावों का मूल्यांकन विशेषज्ञों ने किया। 5 लाख रू. का प्रथम पुरस्कार गोवा वि.वि. टीम को मिला, जिसने नारियल/तेल ताड़ की कटाई के लिए ड्रोन बनाया।

3 लाख रू. का द्वितीय पुरस्कार ICAR-CIAI, भोपाल को प्राप्त हुआ, जिसने पौधों की बीमारियों का वास्तविक समय में पता लगाने, कीटनाशकों कासाइट-विशिष्ट अनुप्रयोग करने के लिए कंपन संकेत के प्रयोग का सुझाव दिया।

1 लाखरू. का तृतीय पुरस्कार दो टीमों को संयुक्त रूप से दिया गया ।इनमें बैंगलुरू की टीम ने बैटरी चलित पोर्टेबल कोकून हार्वेस्टर, जो एक हाथ से संचालित तंत्र है, बनाया।

वहीं, तमिलनाडु जयललिता फिशरीज यूनिवर्सिटी की टीम को यह पुरस्कार सेमी-ऑटोमैटिक कटर, जो सूखी मछली को काटते समय मछुआरे की मुश्किलों को कम करता है, बनाने के लिए मिला।

कृषि फसलों की नई किस्में व अन्य उपलब्धियां-

फसल विज्ञान प्रभाग ने वर्ष 2020-21 के दौरान एआईसीआरपी/एआईएनपी के माध्यम से 562 नई उच्च उपज देने वाली कृषि फसलों की किस्में (अनाज 223, तिलहन 89, दलहन 101, चारा फसलें 37, रेशेदार फसलें 90, गन्ना 14 और संभावित फसलें 8) जारी की हैं। विशेष गुणों वाली ये 12 किस्में है-जौ-1 (उच्च माल्ट गुणवत्ता), मक्का-3 (उच्च लाइसिन, ट्रिप्टोफोन एवं विटामिन ए, दानों में उच्च मिठास, उच्च फुलाव), सोयाबीन-2 (उच्च ओलीक अम्ल), चना-2 (सूखा सहनशील, उच्च प्रोटीन), दाल-3 (लवणता सहनशील), अरहर-1 (बारानी परिस्थितियों के लिए)

बागवानी प्रभाग द्वारा देश की विभिन्न कृषि जलवायुवीय दशाओं में अधिक उत्पादकता के माध्यम से किसानों की आय में अभिवृद्धि के लिए बागवानी फसलों की 89 प्रजातियों की पहचान की गई है।

ये मुख्य प्रजातियां तथा तकनीक है-संकर बैंगन ‘काशी मनोहर’, जिसमें प्रति पौधा 90-100 फल, प्रति फल भार 90 से 95 ग्राम, उत्पादकता 625-650 क्विंटल प्रति हेक्टेयर अंचल VII (मध्य प्रदेश एवं महाराष्ट्र ) में उगाने के लिए संस्तुत है। विट्ठल कोको संकर-6, जिसमें उत्पादकता: 2.5 से 3 किग्रा शुष्क बीज/वृक्ष; बीज में वसा : 50 to 55% काला फली सड़्न रोग एवं चाय मशक मत्कुण के प्रति सहनशील केरल में उगाने के लिए संस्तुत है। शिटाके खुम्ब की शीघ्र उत्पादन तकनीक का विकास किया गया है, जिसके लिए आईसीएआर ने पेटेंट लिया है। इस तकनीकी से 45-50 दिनों की अवधि में 110-130% की जैव क्षमता के साथ पैदावार ली जा सकती है।साधारणतः शिटाके खुम्ब की पैदावार की अवधि 90-120 दिन होती है।

पशु विज्ञान प्रभाग– राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र, हिसार द्वारा अश्व फ्लू के लिए मोनोक्लोनल एंटीबॉडी-आधारित एलिसा किट

गाय और भैंस के लिए गर्भावस्था निदान किट- केंद्रीय भैंस अनुसन्धान केंद्र, हिसार ने डेयरी पशुओं के यूरिन से गर्भ जांच करने के लिए प्रेग -डी नामक किट विकिसित की है, जिसमें यूरिन सैंपल से 30 मिनट में मात्रा 10रूपए में टेस्ट किया जा सकता है।

मत्सयकीय प्रभाग– रेड सीवीड से बाइओडिग्रेड्डबल पैकेजिंग फिल्म (बिओप्लास्टिक) बनाने की तकनीक बनाई है, जो बहुत ही कॉस्ट इफेक्टिव है।

अभियांत्रिकी प्रभाग– त्वरित संदर्भ के लिए कृषि उपकरणों पर किसानों के अनुकूल ई-बुक बनाई गई है, जिसमें हाल ही में निर्मित प्रौद्योगिकियों, जिनका व्यावसायीकरण किया जा चुका है, जिन्हें किसान बड़ी आसानी से इस ई-बुक द्वारा सर्च कर सकता है।

‘‘मन की बात’’: पिछले 7 सालों में भारत ने किसी के दबाव में आए बगैर अपने संकल्पों से कदम उठाया और देश के खिलाफ साजिश करने वालों को मुंहतोड़ जवाब दिया attacknews.in

सरकार की वर्षगांठ पर बोले मोदी, पिछले सात वर्षों देश ने राष्ट्रीय गौरव के कई क्षणों का अनुभव किया

नयी दिल्ली, 30 मई । केंद्र सरकार की सातवीं वर्षगांठ पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को राष्ट्रीय सुरक्षा और विकास से संबंधित विभिन्न पहलुओं पर उठाए गए कदमों का उल्लेख करते हुए दावा किया कि इस दौरान देश ने कितने ही राष्ट्रीय गौरव के क्षण महसूस किए।

आकाशवाणी के मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘‘मन की बात’’ की ताजा कड़ी में देशवासियों से संवाद करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले सात सालों में भारत ने किसी के दबाव में आए बगैर अपने संकल्पों से कदम उठाया और देश के खिलाफ साजिश करने वालों को मुंहतोड़ जवाब दिया।

उन्होंने कहा, ‘‘इन सात वर्षों में देश ‘सबका-साथ, सबका-विकास, सबका-विश्वास’ के मंत्र पर चला है। देश की सेवा में हर क्षण समर्पित भाव से हम सभी ने काम किया है।’’

मोदी ने कहा कि इन सात वर्षों में जो कुछ भी उपलब्धि रही है, वह देश और देशवासियों की रही है।

उन्होंने कहा, ‘‘कितने ही राष्ट्रीय गौरव के क्षण हमने इन वर्षों में साथ मिलकर अनुभव किए हैं। जब हम ये देखते हैं कि अब भारत दूसरे देशों की सोच और उनके दबाव में नहीं, अपने संकल्प से चलता है तो हम सबको गर्व होता है।’’

उन्होंने कहा कि अब भारत अपने खिलाफ साज़िश करने वालों को मुंहतोड़ ज़वाब देता है और इससे देश का आत्मविश्वास भी बढ़ता है।

उन्होंने कहा, ‘‘जब भारत राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर समझौता नहीं करता, जब हमारी सेनाओं की ताकत बढ़ती है तो हमें लगता है कि हां, हम सही रास्ते पर हैं।’’

पिछले सात सालों में बिजली, पानी, सड़क के अलावा बैंक खाते खोलने और आवास सहित विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि यह उनका सौभाग्य है कि उन्हें इन सात सालों में लोगों की करोड़ों खुशियों में शामिल होने का मौका मिला।

आयुष्मान भारत योजना का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘जब कोई गरीब मुफ्त इलाज से स्वस्थ होकर घर आता है तो उसे लगता है कि उसे नया जीवन मिला है। उसे भरोसा होता है कि देश उसके साथ है। ऐसे कितने ही परिवारों के आशीर्वचन, करोड़ों माताओं का आशीर्वाद लेकर हमारा देश मजबूती के साथ विकास की ओर अग्रसर है।’’

प्रधानमंत्री ने कहा कि इन्हीं सात सालों में भारत ने डिजिटल लेनदेन में दुनिया को नई दिशा दिखाने का काम किया है और आज किसी भी जगह आसानी से चुटकियों में पैसे भेजे जा सकते हैं।

उन्होंने कहा कि गत सात वर्षों में ही देश के अनेकों पुराने विवाद भी पूरी शांति और सौहार्द से सुलझाए गए हैं और इनकी वजह से पूर्वोतर से लेकर कश्मीर तक शांति और विकास का एक नया भरोसा जगा है।

उन्होंने कहा, ‘‘ये सब काम जो दशकों में भी नहीं हो सके, इन सात सालों में इसीलिए संभव हुआ क्योंकि इस दौरान हमने सरकार और जनता से ज्यादा एक देश के रूप में काम किया, एक टीम के रूप में काम किया।’’

कोरोना महामारी से देश की लड़ाई का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इन सात सालों में देश ने जहां कई सफलताएं हासिल की वहीं उसे कई कठिन परीक्षाओं के दौर से भी गुजरना पड़ा लेकिन इन सबके बावजूद देश मजबूत होकर निकला है।

उन्होंने कहा, ‘‘यह तो एक ऐसा संकट है, जिसने पूरी दुनिया को परेशान किया है। कितने ही लोगों ने अपनों को खोया है। बड़े-बड़े देश भी इसकी तबाही से बच नहीं सके हैं। इस वैश्विक-महामारी के बीच भारत, ‘सेवा और सहयोग’ के संकल्प के साथ आगे बढ़ रहा है।’’

ज्ञात हो कि 23 मई 2019 में लोकसभा चुनाव के नतीजे आए थे। भाजपा ने 303 सीटें जीतकर जनादेश हासिल किया और नरेंद्र मोदी ने 30 मई को लगातार दूसरी बार भारत के प्रधानमंत्री के रूप में पद और गोपनीयता की शपथ ली थी।

तमिलनाडु से आतंकी संगठन ISIS में शामिल मो इकबाल के खिलाफ NIA ने दाखिल की चार्जशीट;जनवरी में डॉक्टर दंपत्ति के  खिलाफ दाखिल किया था आरोपपत्र  attacknews.in

 

नयी दिल्ली 29 मई । राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने इस्लामिक स्टेट ऑफ सीरिया एंड इराक (आईएसआईएस) के एक सदस्य के खिलाफ चेन्नई एनआईए की विशेष अदालत में 28 मई को आरोप पत्र दाखिल किया है।

एनआईए ने शनिवार को यह जानकारी दी। उसने बताया कि आरोपी मोहम्मद इकबाल एन उर्फ ​​सेंथिल कुमार (31) तमिलनाडु के मदुरै में काजीमार स्ट्रीट का निवासी है। वह कट्टरपंथी संगठन हिज्ब-उत-तहरीर का सदस्य था और उस पर कानून की विभिन्न धाराओं के तहत आरोप पत्र दायर किया गया है।

आईएसआईएस में शामिल होने वाले डॉक्टर के खिलाफ एनआईए ने आरोपपत्र दाखिल किया

इससे पहले  12 जनवरी  को एनआईए ने मंगलवार को एक डॉक्टर के खिलाफ आरोपपत्र दायर किया जो अपनी विचारधारा का प्रसार करने और भारत में अवैध गतिविधियों को अंजाम देने के लिए कथित तौर पर इस्लामिक स्टेट आतंकवादी समूह में शामिल हो गया था। यह जानकारी एक अधिकारी ने दी।

बेंगलुरू के रहने वाले 28 वर्षीय अब्दुर रहमान के खिलाफ आरोपपत्र यहां एनआईए की विशेष अदालत में भारतीय दंड संहिता (भादंसं) और अवैध गतिविधियां (निवारण) अधिनियम (यूएपीए) के तहत दाखिल किया गया था ।

राष्ट्रीय जांच एजेंसी के एक प्रवक्ता ने कहा, ‘‘सह आरोपी जहांजैब सामी वानी एवं अन्य के साथ मिलकर प्रतिबंधित संगठन आईएसआईएस/इस्लामिक स्टेट खोरासान प्रांत (आईएसकेपी) की विचारधारा का प्रसार करने तथा भारत में विध्वंसक एवं देश विरोधी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए रहमान को आरोपित किया गया है।’’

इससे पहले दो सितंबर को श्रीनगर के वानी एवं हिना बशीर बेग, हैदराबाद के अब्दुल्ला बासित और पुणे के सादिया अनवर शेख तथा नबील सिद्दीक खत्री के खिलाफ भादंसं एवं यूएपीए की धाराओं के तहत आरोपपत्र दाखिल किया गया था।

अधिकारी ने बताया कि मामला वानी और उसकी पत्नी बेग की, मार्च 2020 में दिल्ली के जामिया नगर से गिरफ्तारी से जुड़ा हुआ है। सूचना मिली थी कि वे आईएसकेपी से जुड़े हुए हैं (जो आईएसआईएस का हिस्सा है) और देश में विध्वंसक तथा देश विरोधी गतिविधियों को अंजाम देने की योजना बना रहे हैं।

एनआईए ने जांच शुरू की और रहमान को अगस्त 2020 में बेंगलुरू से गिरफ्तार किया गया। रहमान बेंगलुरू मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस का छात्र था और उसी दौरान वह कट्टरपंथी बना। एनआईए के अधिकारी ने बताया कि वह ‘अनवर अवलाकी’ सहित कट्टरपंथी इस्लामिक उपदेशकों के ऑनलाइन व्याख्यान सुनता था।

मिजारेम में सूअरों से जुड़ी बीमारी ‘अफ्रीकन स्वाइन फीवर’ (एएसएफ) के कारण दहशत फैली, दो महीने के भीतर हजारों सूअरों को मारा गया attacknews.in

आइजोल, 29 मई । मिजारेम में सूअरों से जुड़ी बीमारी ‘अफ्रीकन स्वाइन फीवर’ (एएसएफ) की वजह से दहशत जारी है और इस कारण दो महीने के भीतर 4,650 सूअर मारे गए हैं।

पशु पालन एवं पशु चिकित्सा विभाग में मवेशी स्वास्थ्य मामलों के संयुक्त निदेशक डॉक्टर ललहमिंगथंगा ने कहा कि राज्य को एएसएफ की वजह से 18.60 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।

राज्य में इस बीमारी से 21 मार्च को सूअर की पहली मौत हुई थी और तब से यह बीमारी नौ जिलों में फैल चुकी है।

अधिकारी ने कहा कि शनिवार को इस बीमारी से 40 और सूअरों की मौत हो गई जिससे इस रोग से मारे गए सूअरों की कुल संख्या 4,650 हो गई है।

पुलवामा में शहीद सैन्यकर्मी मेजर विभूति शंकर धौंदियाल की पत्नी निकिता कौल सेना में शामिल : लेफ्टिनेंट जनरल ने उनके कंधे पर लगाए स्टार attacknews.in

जम्मू, 29 मई । पुलवामा में शहीद हुए अपने पति मेजर विभूति शंकर धौंदियाल के पदचिह्नों पर चलते हुए निकिता कौल शनिवार को सेना में शामिल हो गयीं। सेना की उत्तरी कमान के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल वाई के जोशी ने तमिलनाडु के चेन्नई में अधिकारियों की प्रशिक्षण अकादमी में उनके कंधों पर स्टार लगाए।

रक्षा मंत्रालय, उधमपुर के जन संपर्क अधिकारी (पीआरओ) ने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर इस समारोह का एक संक्षिप्त वीडियो साझा किया है।

पीआरओ उधमपुर ने ट्वीट किया, ‘‘पुलवामा में प्राण न्योछावर करने वाले मेजर विभूति शंकर धौंदियाल को मरणोपरांत शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया। उन्हें सर्वश्रेष्ठ श्रद्धांजलि देते हुए आज उनकी पत्नी निकिता कौल ने सेना की वर्दी पहन ली। यह उनके लिए गर्व का मौका होगा क्योंकि सैन्य कमांडर लेफ्टिनेंट वाई के जोशी ने उनके कंधे पर स्टार लगाए।’’

मेजर धौंदियाल जम्मू कश्मीर के पुलवामा में आतंकवादियों से लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हुए थे और राष्ट्र के लिए उनके बलिदान को लेकर उन्हें शौर्य चक्र (मरणोपरांत) से सम्मानित किया गया।

इस ट्वीट के बाद कई लोगों ने सेना और शहीद सैन्यकर्मी की पत्नी की सराहना की है।

स्वप्निल पांडे ने लिखा ‘‘आपको पता है यह इसलिए महत्वपूर्ण है कि सैनिक ना भी रहे लेकिन सेना उनके परिवारों को कभी अकेलापन का अहसास नहीं होने देती है। बहादुर अधिकारी से शादी करने वाली और अब खुद वर्दी पहनने वाली वीर नारी का साथ देना सेना के मूल्यों और इसके आचार संहिता को प्रदर्शित करता है।’’

कुछ और लोगों ने भी कौल की सराहना करते हुए लिखा, ‘‘दिवंगत अधिकारी को यह सर्वश्रेष्ठ श्रद्धांजलि है।’’

केंद्र सरकार मध्याह्न-भोजन के बदले सभी पात्र 11.8 करोड़ छात्रों को नगद सहायता राशि देंगी; देश भर के 11.20 लाख स्कूलों में पहली से आठवीं कक्षा के बच्चे होंगे लाभान्वित attacknews.in

नईदिल्ली 28 मई । केंद्रीय शिक्षा मंत्री श्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने एक विशेष कल्याण उपाय के तौर पर मध्याह्न-भोजन योजना सभी पात्र बच्चों के लिए खाना पकाने की लागत घटक के प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) के माध्यम से 11.8 करोड़ छात्रों (118 मिलियन छात्रों) को मौद्रिक सहायता प्रदान करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। इससे मध्याह्न भोजन कार्यक्रम को गति मिलेगी।

यह भारत सरकार की प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएम-जीकेएवाई) के तहत लगभग 80 करोड़ लाभार्थियों को प्रति व्यक्ति प्रति माह 5 किलोग्राम की दर से निःशुल्क खाद्यान्न वितरण की घोषणा के अतिरिक्त है।

यह निर्णय बच्चों के पोषण स्तर को सुरक्षित रखने में मदद करेगा और इस चुनौतीपूर्ण महामारी के समय में उनकी प्रतिरक्षा को बनाए रखने में मदद करेगा।

केंद्र सरकार इस उद्देश्य के लिए राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासन को लगभग 1200 करोड़ रुपये की अतिरिक्त धनराशि प्रदान करेगी। केंद्र सरकार के इस एक बार के विशेष कल्याणकारी उपाय से देश भर के 11.20 लाख सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में पहली से आठवीं कक्षा में पढ़ने वाले लगभग 11.8 करोड़ बच्चे लाभान्वित होंगे।

व्हाट्सऐप के आम उपयोगकर्ताओं को।भारत के नए नियमों से डरने की कोई जरूरत नहीं,इनका मूल उद्देश्य यह पता लगाना है कि।किसी संदेश को किसने शुरू किया attacknews.in

 

नयी दिल्ली, 27 मई । सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने गुरुवार को कहा कि व्हाट्सऐप उपयोगकर्ताओं को नए सोशल मीडिया नियमों से डरने की कोई जरूरत नहीं है और ये नियम इन मंचों के दुरुपयोग को रोकने के लिए तैयार किए गए हैं

उन्होंने आगे कहा कि नए नियमों के तहत उपयोगकर्ताओं के पास शिकायत निवारण के लिए एक मजबूत तंत्र होगा।

प्रसाद ने कहा कि सरकार सवाल पूछने के अधिकार सहित आलोचनाओं का स्वागत करती है।

प्रसाद ने माइक्रो-ब्लॉगिंग मंच कू पर पोस्ट किया, और साथ ही ट्वीट भी किया, ‘‘नए नियम किसी दुर्व्यवहार और दुरुपयोग की स्थिति में सोशल मीडिया के सामान्य उपयोगकर्ताओं सशक्त बनाते हैं।’’

उन्होंने कहा कि सरकार निजता के अधिकार को पूरी तरह से मानती है और उसका सम्मान करती है।

प्रसाद ने कहा, ‘‘व्हाट्सऐप के आम उपयोगकर्ताओं को नए नियमों से डरने की कोई जरूरत नहीं है। इनका मूल मकसद यह पता लगाना है कि नियमों में उल्लिखित विशिष्ट अपराधों को अंजाम देने वाले संदेश को किसने शुरू किया।’’

उन्होंने कहा कि नए आईटी नियमों के तहत सोशल मीडिया कंपनियों को एक भारत केंद्रित शिकायत निवारण अधिकारी, अनुपालन अधिकारी और नोडल अधिकारी की नियुक्ति करनी होगी, ताकि सोशल मीडिया के लाखों उपयोगकर्ताओं को उनकी शिकायत के निवारण के लिए एक मंच मिल सके।

सरकार ने नए डिजिटल नियमों का पूरी निष्ठा के साथ बचाव करते हुए बुधवार को कहा कि वह निजता के अधिकार का सम्मान करती है और व्हॉट्सऐप जैसे संदेश मंचों को नए आईटी नियमों के तहत चिन्हित संदेशों के मूल स्रोत की जानकारी देने को कहना निजता का उल्लंघन नहीं है। इसके साथ ही सरकार ने सोशल मीडिया कंपनियों से नये नियमों को लेकर अनुपालन रिपोर्ट मांगी है।

व्हॉट्सऐप ने सरकार के नए डिजिटल नियमों को दिल्ली उच्च न्यायालय में चुनौती दी है जिसके एक दिन बार सरकार की यह प्रतिक्रिया आई है। व्हॉट्सऐप का कहना है कि कूट संदेशों तक पहुंच उपलब्ध कराने से निजता का बचाव कवर टूट जायेगा।

नए नियमों की घोषणा 25 फरवरी को की गयी थी। इस नए नियम के तहत ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम और व्हाट्सऐप जैसे बड़े सोशल मीडिया मंचों (जिनके देश में 50 लाख से अधिक उपयोगकर्ता हैं) को अतिरिक्त उपाय करने की जरूरत होगी। इसमें मुख्य अनुपालन अधिकारी, नोडल अधिकारी और भारत स्थित शिकायत अधिकारी की नियुक्ति आदि शामिल हैं।

नियमों का पालन न करने पर इन सोशल मीडिया कंपनियों को अपने इंटरमीडिएरी दर्जे को खोना पड़ सकता है। यह स्थिति उन्हें किसी भी तीसरे पक्ष की जानकारी और उनके द्वारा ‘होस्ट’ किए गए डाटा के लिए देनदारियों से छूट और सुरक्षा प्रदान करती है। दूसरे शब्दों में इसका दर्जा समाप्त होने के बाद शिकायत होने पर उन पर कार्रवाई की जा सकती है।

CBI ने बम्बई हाईकोर्ट को बताया:पुलिस तैनाती और तबादलों में कथित भ्रष्टाचार के बारे में महाराष्ट्र सरकार से मांगी जानकारी पर नौ जून तक कार्रवाई नहीं करेंगे attacknews.in

मुंबई, 26 मई । सीबीआई ने बुधवार को बम्बई उच्च न्यायालय को बताया कि वह पुलिस तैनाती और तबादलों में कथित भ्रष्टाचार के बारे में वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी रश्मि शुक्ला द्वारा दर्ज करायी शिकायतों से संबंधित दस्तावेजों की मांग करते हुए महाराष्ट्र सरकार को भेजे पत्रों पर नौ जून तक कोई कार्रवाई नहीं करेगी।

सीबीआई की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस वी राजू ने न्यायमूर्ति एस जे कथावाला और न्यायमूर्ति एस पी तावड़े की अवकाशकालीन पीठ के समक्ष यह बात कही। यह पीठ राज्य सरकार की एक याचिका पर सुनवाई कर रही है।

सरकार ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ 21 अप्रैल को एजेंसी द्वारा दर्ज प्राथमिकी से दो पैराग्राफ रद्द करने और इनके संबंध में कोई जांच न करने का निर्देश देने का अनुरोध किया था।

सीबीआई ने पांच अप्रैल को उच्च न्यायालय के एक आदेश पर राकांपा नेता देशमुख के खिलाफ प्रारंभिक जांच करने के बाद प्राथमिकी दर्ज की थी।

राजू ने बुधवार को अवकाशकालीन पीठ से कहा कि राज्य सरकार की याचिका पर उसी पीठ को सुनवाई करनी चाहिए जिसने पांच अप्रैल का आदेश पारित किया था।

न्यायमूर्ति कथावाला ने कहा कि अगर मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति जी एस कुलकर्णी की पीठ इस मामले की सुनवाई करती है तो उन्हें कोई आपत्ति नहीं है लेकिन तब तक सीबीआई को जांच में राज्य सरकार से सूचना लेने के संबंध में ‘‘अपनी कार्रवाई रोकनी’’ चाहिए।

राजू ने कहा, ‘‘हम इस याचिका को दूसरी पीठ के समक्ष पेश किए जाने तक सीबीआई द्वारा महाराष्ट्र सरकार से मांगे दस्तावेजों को पेश करने के संबंध में कार्रवाई नहीं करेंगे। यह राज्य सरकार से मांगी जानकारियों तक ही सीमित होगा न कि पूरी जांच के संबंध में।’’

अदालत ने यह बयान स्वीकार कर लिया और उच्च न्यायालय के पंजीयक कार्यालय को याचिका को आठ जून को मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति जी एस कुलकर्णी की पीठ के समक्ष पेश करने का निर्देश दिया।

तमिलनाडु में मीडियाकर्मियों को 5,000 रुपये की विशेष प्रोत्साहन राशि देने की घोषणा:परिजनों को दी जाने वाली सहायता राशि पांच लाख रुपये से बढ़ाकर दस लाख रुपये की गयी attacknews.in

चेन्नई, 26 मई । तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने मीडियाकर्मियों को कोविड फ्रंटलाइन कार्यकर्ता घोषित करने के कुछ ही बाद बुधवार को राज्य के सभी मान्यता प्राप्त मीडियाकर्मियों के लिए 5,000 रुपये की विशेष प्रोत्साहन राशि की घोषणा की।

श्री स्टालिन ने यहां एक बयान में कहा कि पिछली अन्नाद्रमुक सरकार ने मीडिया के लोगों को विशेष सहायता के रूप में 3,000 रुपये का भुगतान किया था। अब इसे बढ़ाकर 5,000 रुपये कर दिया गया है।

उन्होंने यह भी घोषणा की कि एक सरकारी आदेश जारी कर कोरोना से मरने वाले मीडियाकर्मियों के परिजनों को दी जाने वाली सहायता राशि पांच लाख रुपये से बढ़ाकर दस लाख रुपये कर दी गयी है।

नगालैंड की सीमा से लगे असम के पश्चिम कार्बी आंगलोंग जिले में सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में दिमासा नेशनल लिबरेशन आर्मी के 8 उग्रवादी मारे गए attacknews.in

दीफू, 23 मई। नगालैंड की सीमा से लगे असम के पश्चिम कार्बी आंगलोंग जिले में सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में रविवार को दिमासा नेशनल लिबरेशन आर्मी (डीएनएलए) के आठ उग्रवादी मारे गए।

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने यह जानकारी दी।

इससे पहले, अधिकारी ने मुठभेड़ में छह उग्रवादियों के मारे जाने की जानकारी दी थी, क्योंकि तब तक अन्य दो उग्रवादियों के शव बरामद नहीं हुए थे।

अधिकारी ने बताया कि पश्चिम कार्बी आंगलोंग के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक प्रकाश सोनोवाल के नेतृत्व में पुलिस अधिकारियों और असम राइफल्स के जवानों की टीम ने एक खुफिया सूचना के आधार पर जिले में संयुक्त अभियान चलाया।

उन्होंने बताया कि इस दौरान मिचिबैलुंग इलाके में सुरक्षा बलों और उग्रवादियों के बीच हुई मुठभेड़ में प्रतिबंधित संगठन के आठ सदस्य मारे गए।

शुरुआत में छह उग्रवादियों के शव बरामद हुए थे और दो अन्य शव दूरस्थ इलाके में तलाश अभियान के दौरान बाद में मिले। ऐसा संदेह है कि ये शव संगठन के दो शीर्ष नेताओं के हैं।

उन्होंने बताया कि मारे गए उग्रवादियों के पास से चार एके-47 राइफल और गोला-बारूद बरामद किया गया है।

उन्होंने बताया कि दाउजीफांग इलाके में एक पुजारी की हत्या के बाद पिछले सप्ताह से जिले में तलाश अभियान जारी है। मुठभेड़ संबंधी विस्तृत जानकारी का इंतजार किया जा रहा है।

अमेरिका के प्रवासी भारतीय डाक्टरों ने भारत के ग्रामीण इलाकों में कोविड-19 को रोकने के लिए डिजिटल माध्यम से ‘प्रोजेक्ट मदद’ की शुरुआत की attacknews.in

न्यूयॉर्क, 23 मई (भारत)। कोरोना वायरस की महामारी की दूसरी लहर में भारत के ग्रामीण इलाकों के प्रभावित होने के चलते अमेरिका में प्रवासी भारतीय डॉक्टरों एवं पेशेवरों और भारत में चिकित्सा समुदाय के लोगों ने अनूठी पहल की है। इसमें डिजिटल माध्यम से ग्रामीण इलाके के स्वास्थ्य कर्मियों को कोविड-19 के इलाज संबंधी जानकारी दी जाएगी और वास्तविक समय में अस्पतालों में बिस्तर की स्थिति से अवगत कराया जाएगा। साथ ही टीके को लेकर भ्रांतियों को दूर करने की कोशिश की जाएगी।

‘प्रोजेक्ट मदद’ पहल का उद्देश्य स्थानीय स्वास्थ्य कर्मियों और पंजीकृत चिकित्सकों को ‘‘ उचित शिक्षा एवं प्रशिक्षण’ देना है जो ग्रामीण भारत में कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए जरूरी है।

प्रोजेक्ट मदद की टीम शुरुआत में तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के ग्रमीण इलाकों में कार्यरत पंजीकृत डॉक्टरों के साथ काम रही है और उम्मीद है कि इसका विस्तार अन्य इलाकों में ग्रामीण स्वस्थ्य कर्मियों को कोविड-19 के लक्षणों की पहचान, हल्के लक्षण वालों का घर में ही इलाज करने और टीकाकरण की सलाह, अधिक दवाएं खाने के खतरे और अन्य बेहतरीन उपायों के लिए प्रशिक्षित करने में किया जाएगा।

प्रोजेक्ट मदद का नेतृत्व कर रहे राजा कार्तिकेय ने ‘पीटीआई-भाषा’ को दिए साक्षात्कार में कहा, ‘‘ जब कोविड-19 संकट की शुरुआत हुई तो हमने पाया कि ग्रामीण भारत पर हमारा ध्यान बिल्कुल नहीं गया।’’

न्यूयॉर्क निवासी कार्तिकेय ने उदाहरण दिया कि तेलंगाना के करीमनगर में 70 से 80 प्रतिशत संक्रमित ग्रामीण इलाकों के हैं और यह चलन अन्य स्थानों पर भी देखने को मिल रहा है।

मिनियापोलीस में रह रहे प्रख्यात रेडियालॉजी विशेज्ञ डॉ.सुब्बराव इनामपुडी ने कहा, ‘‘हमारा उद्देश्य भारत की अधिकांश ग्रामीण आबादी पर ध्यान केंद्रित करना हैं। हमने गांवों में पंजीकृत डॉक्टरों से जोर देकर कहा कि 80 प्रतिशत संक्रमित आसानी से ठीक हो जाएंगे। हमें वास्तव में भय को दूर करना है और उनके भय को सतर्कता में बदलना है।’’

उन्होंने कहा कि टीम का मुख्य जोर ग्रामीण चिकित्सकों को कोविड-19 के हल्के लक्षण वाले मामलों को मध्यम या गंभीर बनने से रोकने के लिए प्रशिक्षित करना है और उन्हें बताना है कि ऐसी स्थिति होने पर वे क्या करें।

टूलकिट ट्वीट : सरकार ने ट्विटर से आपत्ति जताई: कोविड- 19 के मुद्दे को लेकर केंद्र पर निशाना साधने कांग्रेस के टूलकिट के साथ ‘ तोड़-मरोड़ कर पेश किए गए मीडिया की श्रेणी’ टैग चलाने पर जताई आपत्ति attacknews.in

नयी दिल्ली, 21 मई । सरकार ने कोविड- 19 के मुद्दे को लेकर केंद्र पर निशाना साधने के लिए कांग्रेस के कथित टूलकिट के साथ ‘ तोड़-मरोड़ कर पेश किए गए मीडिया की श्रेणी’ टैग चलाने पर ट्विटर से आपत्ति जताई है। सूत्रों ने यह जानकारी दी।

उन्होंने बताया कि सरकार ने ट्विटर से कहा कि वह ‘ तोड़-मरोड़ कर पेश किए गए मीडिया की श्रेणी’ टैग को हटाए क्योंकि मामला कानून प्रवर्तन एजेंसियों के समक्ष लंबित है।

सूत्रों के मुताबिक सरकार ने स्पष्ट तौर पर कहा कि है कि सोशल मीडिया मंच निर्णय नहीं दे सकता वह भी तब जब मामले की जांच जारी हो।

सरकार ने ट्विटर से जांच प्रक्रिया में हस्तक्षेप नहीं करने को कहा। साथ ही सरकार ने कंपनी से कहा कि सत्यता का पता जांच से चलेगा न कि माइक्रो ब्लॉगिंग साइट के माध्यम से।

सूत्रों के मुताबिक इलेक्ट्रॉनिक एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने कड़े शब्दों में ट्विटर की वैश्विक टीम को पत्र लिखा है और कुछ राजनेताओं के ट्वीट के साथ ‘ तोड़-मरोड़ कर पेश किए गए मीडिया की श्रेणी’ टैग पर आपत्ति दर्ज कराई है। ये ट्वीट कथित रूप से कोविड-19 महामारी के खिलाफ सरकार की कोशिशों को कमतर दिखाने, पटरी से उतारने और बदनाम करने के लिए बनाए टूलकिट के संदर्भ में किए गए थे।

ट्विटर के साथ किए गए संवाद में मंत्रालय ने कहा कि पहले ही स्थानीय कानून प्रवर्तन एजेंसी के समक्ष संबंधित पक्षकारों में से एक ने शिकायत दर्ज कराई है और टूलकिट की सच्चाई पर सवाल उठाया है एवं उसकी जांच की जा रही है।

सरकारी सूत्रों ने बताया कि स्थानीय कानून प्रवर्तन एजेंसी मामले की जांच कर रही है,ऐसे में ट्विटर ने एकतरफा तरीके से इस मामले में निष्कर्ष निकाल लिया और मनमाने तरीके से ‘ तोड़-मरोड़ कर पेश किए गए मीडिया की श्रेणी’ के साथ इसे टैग कर दिया।

सूत्रों ने मंत्रालय के हवाले से बताया कि ट्विटर द्वारा इस तरह की टैगिंग न्याय से पूर्व, पूर्वाग्रह और जानबूझकर स्थानीय कानून प्रवर्तन एजेंसी की जांच प्रभावित करने की कोशिश है।

मंत्रालय ने ट्विटर के इस कथित एकतरफा कदम को निष्पक्ष जांच प्रक्रिया को प्रभावित करने और अपनी सीमा का उल्लंघन करार दिया है। मंत्रालय ने कहा कि यह पूरी तरह से अवांछित था।

मंत्रालय ने अपने पत्र में आगे कहा कि ट्विटर ने एकतरफा तरीके से कुछ ट्वीट को ‘ तोड़-मरोड़ कर पेश किया हुआ’ दिखाया जबकि कानून प्रवर्तन एजेंसी द्वारा जांच लंबित है।

सूत्रों के मुताबिक पत्र में कहा गया कि ऐसे कदम से न केवल ट्विटर की उपयोगकर्ताओं द्वारा तटस्थ और निष्पक्ष तरीके से विचारों के आदान-प्रदान के मंच के तौर पर विश्वसनीयता कमजोर होती है बल्कि ट्विटर पर ‘बिचौलिया’ के तौर पर सवाल उठता है।

गौरतलब है कि यह पत्र ट्विटर द्वारा भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा के उस ट्वीट को ‘‘तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया’’ करार दिए जाने के बाद आया जिसमें उन्होंने कथित तौर पर आरोप लगाया था कि कांग्रेस ने मोदी सरकार को निशाना बनाने के लिए एक ‘टूलकिट’ तैयार किया था।

ट्विटर का कहना है कि ‘वह उस ट्वीट को ऐसा ‘लेबल’ दे सकता है जिससे संबद्ध मीडिया (वीडियो, ऑडियो और तस्वीरें) को छलपूर्वक तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया हो।

ग्रामीण भारत के लिए केंद्रीय मोटर वाहन नियमों में संशोधन:अब डीजल- पेट्रोल वाले ट्रैक्टर, पावर टिलर,निर्माण उपकरण वाहन CNG, BIO-CNG और LNG ईंधन इंजन में बदले जा सकेंगे attacknews.in

नयी दिल्ली, 21 मई ।सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने ग्रामीण भारत में स्वच्छ ईंधन को बढ़ावा देने के लिए केंद्रीय मोटर वाहन नियमों में संशोधन को अधिसूचित किया है।

इस संशोधन के बाद डीजल और पेट्रोल से चलने वाले कृषि ट्रैक्टर, पावर टिलर और निर्माण उपकरण वाहनों को सीएनजी, बायो-सीएनजी और एलएनजी ईंधन इंजन में बदला जा सकता है।

मंत्रालय ने ट्वीट किया, ‘‘मंत्रालय ने कृषि ट्रैक्टरों, पावर टिलर, निर्माण उपकरण वाहनों और हार्वेस्टर के इंजनों को सीएनजी, बायो-सीएनजी और एलएनजी ईंधन से बदलने के लिए केंद्रीय मोटर वाहन नियम, 1989 में एक संशोधन को अधिसूचित किया है।’’

सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने इस साल फरवरी में डीजल इंजन से सीएनजी में परिवर्तित भारत का पहला ट्रैक्टर पेश किया था और कहा था कि इससे न केवल ग्रामीण अर्थव्यवस्था में बदलाव होंगे, बल्कि बड़े संख्या में रोजगार के मौके भी तैयार होंगे।

दिल्ली के रसूखदार व्यवसायी नवनीत कालरा के ठिकानों पर ईडी द्वारा छापेमारी:ऑक्सीजन सांद्रकों की कथित जमाखोरी तथा कालाबाजारी में हुई हैं गिरफ्तारी attacknews.in

नयी दिल्ली, 21 मई । प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने ऑक्सीजन सांद्रकों की कथित जमाखोरी तथा कालाबाजारी के एक हालिया मामले में कारोबारी नवनीत कालरा के कई ठिकानों पर शुक्रवार को छापेमारी की।

अधिकारिक सूत्रों ने बताया कि धन शोधन निरोधक अधिनियम (पीएमएलए) की विभिन्न धाराओं के तहत विभिन्न ठिकानों पर छापेमारी की जा रही है।

उन्होंने बताया कि छापेमारी का मकसद मामले में सबूत एकत्रित करना है।

केन्द्रीय एजेंसी ने कालरा से संबंधित एक रेस्तरां और कुछ परिसरों पर दिल्ली पुलिस द्वारा पांच मई को की गई छापेमारी और वहां से पांच सौ से ज्यादा जीवन रक्षक उपकरण बरामद किये जाने के बाद दर्ज मामले पर संज्ञान लिया था।

एजेंसी ने कालरा और अन्य के खिलाफ धन शोधन निरोधक अधिनियम (पीएमएलए) की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है।

उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में कालरा के तीन रेस्तरां से 500 से अधिक ऑक्सीजन सांद्रक जब्त हुए थे। आरोप है कि इनकी कालाबाजारी करने के लिए इन्हें यहां रखा गया था।

ऑक्सीजन सांद्रक कोविड-19 मरीजों के इलाज में महत्वपूर्ण उपकरण माने जाते हैं और संक्रमण की दूसरी लहर में इनकी भारी मांग है।

कालरा ने सभी आरोपों को खारिज करते हुए दावा किया है इन सांद्रकों को बेचने के लिए रखा गया था।

स्थानीय अदालत ने बृहस्पतिवार को उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया था।