भारत में शुक्रवार देर रात कोरोना संक्रमितों की संख्या साढ़े 64 लाख के पार हुई और मृतकों की संख्या 1 लाख के पार हुई,रोगमुक्त होने वाले मरीजों की संख्या 54 लाख के करीब पहुंची attacknews.in

नयी दिल्ली 02 अक्टूबर । देश में कोरोना वायरस (कोविड-19) महामारी के मामलों में लगातार हो रही वृद्धि के कारण संक्रमितों की संख्या शुक्रवार देर रात 64 लाख को पार हो गई जबकि इसके संक्रमण से देश में एक लाख अधिक लोगों की मौत हो गई हैं।

विभिन्न राज्यों से प्राप्त रिपोर्ट के मुताबिक आज देर रात तक 81,496 नये मामले सामने आने से संक्रमितों की संख्या 64,54,789 हो गयी है और इस दौरान 568 और मरीजों की मौत होने से मृतकाें की संख्या एक लाख को पार कर करीब 1,00,148 पर पहुंच गयी है।

राहत की बात यह है कि देश में नये मामलों की तुलना में कोरोना वायरस से निजात पाने वालों की संख्या भी लगातार बढ़ रही है। इस दौरान 60,181 और लोगों के स्वस्थ होने से रोग मुक्त लोगों की संख्या 53,82,979 हो गयी है। देश में कोरोना वायरस के सक्रिय मामले आज 7253 कम होने के साथ 9,42,744 रह गये हैं।

महाराष्ट्र 2,59,006 सक्रिय मामलों के साथ शीर्ष पर है। कर्नाटक एक लाख से अधिक 1,10,412 मामलों के साथ दूसरे स्थान पर है जबकि इस बीच केरल 72,339 सक्रिय मामलों के साथ तीसरे स्थान पर आ गया है।

कोरोना महामारी से सबसे अधिक प्रभावित महाराष्ट्र में संक्रमण के 16,476 नये मामले सामने आने से संक्रमितों की संख्या शुक्रवार रात बढ़कर 14 लाख के पार 14,00,922 पहुंच गयी।

राज्य में पिछले 24 घंटों के दौरान नये मामलों की तुलना में स्वस्थ हुए लोगों की संख्या में मामूली कमी दर्ज की गयी लेकिन फिर भी सक्रिय मामलों में कमी आयी है। सक्रिय मामलों की संख्या 27 और घट कर 2,59,006 रह गयी।

इस दौरान 16,104 और मरीजों के स्वस्थ होने से संक्रमण से मुक्ति पाने वालों की संख्या 11,04,426 हो गयी है तथा 394 और मरीजों की मौत होने से मृतकों की संख्या 37,056 हो गयी है। राज्य में मरीजों के स्वस्थ होने की दर बढ़कर 78.83 फीसदी पहुंच गयी है वहीं मृत्यु दर महज 2.64 प्रतिशत है।

तमिलनाडु में 75 लाख आरटी-पीसीआर टेस्ट , 5.52 लाख से अधिक स्वस्थ

तमिलनाडु में एक दिन में कोरोना संक्रमण के करीब 85 हजार नमूनों की जांच के साथ अब तक रिकार्ड 75 लाख से अधिक आरटी-पीसीआर टेस्ट किये जा चुके हैं।

स्वास्थ्य विभाग की ओर से शुक्रवार की शाम को जारी बुलेटिन के मुताबिक पिछले 24 घंटों के दौरान 84,991 नमूनों की जांच की गयी और इस प्रकार अब तक 75,26,688 आरटी-पीसीआर जांच पूरे हो चुके हैं। इसी प्रकार राज्य में कोरोना को मात देने वालों की संख्या भी आज साढ़े पांच लाख से पार हो गयी। इसी अवधि में 5603 मरीज स्वस्थ हुए जिसे मिलाकर कोरोना मुक्त होने वालों की संख्या 5,52,938 हो गयी है।

बुलेटिन के मुताबिक 5595 नये मामलों के साथ संक्रमण का आंकड़ा 6,08,885 पर पहुंच गया जबकि 67 और संक्रमितों की मौत के बाद इस बीमारी से मरने वालों की संख्या 9653 हो गयी है। राज्य में अभी 46,294 सक्रिय मामले हैं।

राजधानी चेन्नई में आज कोरोना के 1278 नये मामले आये जबकि 14 और संक्रमितों की मौत हो गयी। यहां अब तक 1,70,025 लोग कोरोना की चपेट में आये हैं और 3241 लोग इस बीमारी से अपनी जाव गंवा चुके हैं।

चालू वित्त वर्ष में केंद्र सरकार का राजकोषीय घाटा तय अनुमान से बहुत अधिक GDP के 13 प्रतिशत पर पहुंच जाएगा; SBI ने जारी की रिपोर्ट attacknews.in

मुंबई, एक अक्टूबर । केंद्र सरकार का राजकोषीय घाटा चालू वित्त वर्ष में उसके तय अनुमान से कहीं आगे निकल सकता है। वर्ष के दौरान राज्यों तथा केंद्र का कुल राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 13 प्रतिशत को छू सकता है। एक रिपोर्ट में यह कहा गया है।

एसबीआई रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार, इस साल बाजार मूल्य पर आधारित जीडीपी के वित्त वर्ष 2018-19 के स्तर से नीचे रहने के अनुमान हैं।

रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘मौजदा रुझानों को देखते हुये हमें केंद्र और राज्यों के राजकोषीय घाटे के चालू रुझानों से इसके जीडीपी के 13 प्रतिशत तक पहुंचने का अनुमान लगा रहे हैं।’’

भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, राजकोषीय घाटा (व्यय और राजस्व के बीच का अंतर) अप्रैल से अगस्त के दौरान 8,70,347 करोड़ रुपये यानी बजट में अनुमानित वार्षिक लक्ष्य के 109.3 प्रतिशत पर पहुंच गया।

रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘इन आंकड़ों को देखते हुए कि राजकोषीय घाटा अगस्त तक पहले ही 8.7 लाख करोड़ रुपये यानी बजट अनुमान के 109.3 प्रतिशत पर पहुंच गया है, सरकार को 12 लाख करोड़ रुपये के नये उधारी लक्ष्य पर टिके रहने के लिये खर्च में बड़ी कटौती करने की आवश्यकता होगी, जो आर्थिक वृद्धि के लिये नकारात्मक होगा।’’

इस रिपोर्ट में केंद्र तथा राज्यों के लिये आंकड़े अलग-अलग करके नहीं बताये गये।

एसबीआई रिसर्च ने इससे पहले अनुमान व्यक्त किया था कि केंद्र का राजकोषीय घाटा सरकार के 3.8 प्रतिशत के अनुमान की तुलना में दोगुना से कुछ अधिक होकर 7.9 प्रतिशत पर पहुंच सकता है।

रिपोर्ट में कहा गया कि उधार लेने के कार्यक्रम पर टिके रहने से ऋण बाजार को खुशी मिलेगी, लेकिन सरकार की मौजूदा खस्ताहाल वित्तीय स्थिति को देखते हुए ऐसा कर पाना चुनौतीपूर्ण लग रहा है।

एसबीआई रिसर्च ने कहा, ‘‘आबकारी शुल्क में वृद्धि (जो कि अगस्त तक 32 प्रतिशत से अधिक बढ़ा है), कर व गैर कर राजस्व संग्रह में कमी तथा विनिवेश प्राप्तियों को ध्यान में रखते हुए केंद्र के राजकोषीय घाटे का चालू वित्त वर्ष में करीब सात लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है।’’

CBI ने अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत को लेकर किसी भी संभावना से इंकार नहीं किया,सभी पहलुओं पर पेशेवर तरीके से हो रही हैं जांच,एम्स की टीम ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट सौंपी attacknews.in

नयी दिल्ली 28 सितंबर । बॉलीवुड अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले की जांच कर रही केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने कहा है कि सुशांत की मौत से संबंधित सभी पहलुओं और पक्षों की जांच की जा रही है और किसी भी प्रकार की संभावना से अब तक इनकार नहीं किया गया है।

सीबीआई ने सोमवार रात को एक वक्तव्य जारी कर यह स्पष्ट किया। वक्तव्य के मुताबिक जांच एजेंसी सुशांत सिंह राजपूत की मौत से संबंधित सभी पहलुओं की पेशेवर तरीके से जांच कर रही और इस मामले में जांच अब भी जारी है।

सीबीआई ने वक्तव्य में कहा, “ केन्द्रीय जांच ब्यूरो श्री सुशांत सिंह राजपूत की हत्या से संबंधित सभी पहलुओं की पेशेवर तरीके से जांच कर रही और अब तक किसी भी पक्ष से इनकार नहीं किया गया है। इस मामले में जांच अब भी जारी है।”

दरअसल, मुंबई पुलिस के कथित रूप से सुशांत की मौत की गुत्थी सुलझाने में विफल रहने के बाद उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपी गयी है।

सुशांत के परिवार ने इस बात को लेकर नाराजगी व्यक्त की थी कि अभिनेता की मौत की सीबीआई जांच को किनारे कर दिया गया है और उसकी बजाए नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) बॉलीवुड में ड्रग्स मामले की जांच में जुट गयी है।

सीबीआई ने सुशांत के शव का पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टरों से भी मुलाकात कर पूछताछ की थी। इसके अलावा एम्स के विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम ने भी सुशांत के शव का पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टरों से चर्चा की थी। इस मामले में एम्स की टीम ने आज सीबीआई को रिपोर्ट सौंप दी है।

गौरतलब है कि बिहार के रहने वाले 34 वर्षीय अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत 14 जून को मुंबई में अपने घर में मृत पाए गए थे। उच्चतम न्यायालय के निर्देश पर इस मामले की जांच मुंबई पुलिस से सीबीआई को सौंप दी गयी थी।

सुशांत सिंह के पैसों का दुरुपयोग होने की बात सामने आने के बाद प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) भी इस मामले की जांच कर रहा है। सुशांत की मौत के मामले में मादक पदार्थों की भूमिका होने के बाद इस मामले में नया माेड़ आ गया है। इस मामले में एनसीबी अब तक आठ लोगों काे गिरफ्तार कर चुकी है। इस मामले में सबसे प्रमुख संदिग्ध रिया चक्रवर्ती के भाई शौविक तथा सुशांत के घर प्रबंधक सैमुअल मिरांडा को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है।

कैग की रिपोर्ट में खुलासा:GST कानून का उल्लंघन केंद्र सरकार ने ही कर दिया,जीएसटी के पहले दो साल में क्षतिपूर्ति राशि का हुआ ‘अन्यत्र’ इस्तेमाल attacknews.in

नयी दिल्ली, 28 सितंबर । केंद्र सरकार ने माल एवं सेवा कर (जीएसटी) व्यवस्था के कार्यान्वयन के पहले दो साल में जीएसटी मुआवजे की 47,272 करोड़ रुपये की राशि को गलत तरीके से रोककर कानून का उल्लंघन किया है। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट में यह खुलासा किया गया है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार ने जीएसटी मुआवजा उपकर का इस्तेमाल अन्य उद्देश्यों के लिए किया, जो जीएसटी क्षतिपूर्ति उपकर कानून का उल्लंघन है। इस राशि का इस्तेमाल राज्यों को होने वाले राजस्व नुकसान की भरपाई के लिए ही किया जाना था।

सरकारी खातों पर जारी अपनी ऑडिट रिपोर्ट में कैग ने कहा है कि इस राशि को सतत् जीएसटी क्षतिपूर्ति उपकर संग्रह कोष में डाला जाना था। वर्ष 2017 से जीएसटी लागू किए जाने के बाद राज्यों को होने वाले राजस्व नुकसान की भरपाई के लिये यह कोर्ष बनाया गया। रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार ने ऐसा नहीं किया, जो जीएसटी कानून का उल्लंघन है।

कैग ने कहा, ‘‘जीएसटी मुआवजा उपकर कानून, 2017 के तहत उपकर लगाने का प्रावधान है, जिससे राज्यों को जीएसटी के कार्यान्वयन से होने वाले राजस्व नुकसान की भरपाई की जाती है।’’

कानून और लेखा प्रक्रिया के तहत किसी वर्ष के दौरान उपकर के रूप में जुटाई गई राशि को जीएसटी मुआवजा उपकर कोष में जमा कराना होता है। यह लोक खाते का हिस्सा होता है।

कैग ने कहा कि 2017-18 में 62,612 करोड़ रुपये की राशि क्षतिपूर्ति उपकर के रूप में जुटाई गई। इसमें से 56,146 करोड़ रुपये की राशि ही उपकर कोष में स्थानांतरित की गई। इसी तरह 2018-19 में उपकर से 95,081 करोड़ रुपये की राशि जुटाई गई, जबकि 54,275 करोड़ रुपये की राशि ही क्षतिपूर्ति कोष में स्थानांतरित की गई।

रिपोर्ट में कहा गया है कि 2017-18 में क्षतिपूर्ति उपकर कोष में 6,466 करोड़ रुपये कम स्थानांतरित किए गए। इसके अलावा 2018-19 में 40,806 करोड़ रुपये की राशि कोष में जमा नहीं कराई गई।

कैग ने कहा है कि केंद्र ने इस राशि का इस्तेमाल ‘अन्य उद्देश्यों’ के लिए किया, जिससे साल के दौरान राजस्व प्राप्तियां बढ़ गईं, जबकि राजकोषीय घाटे को कम कर दिखाया गया। रिपोर्ट में कहा गया है कि उपकर की पूरी राशि को कोष में जमा नहीं कराना जीएसटी क्षतिपूर्ति कानून, 2017 का उल्लंघन है।

जीएसटी परिषद में चालू वित्त वर्ष के दौरान राज्यों की जीएसटी क्षतिपूर्ति का मुद्दा केंद्र और राज्यों के बीच विवाद का विषय बना हुआ है। जीएसटी में उत्पाद शुल्क और मूल्यवर्धित कर (वैट) सहित 17 विभिन्न केंद्रीय और राज्य कर समाहित किए गए हैं।

केंद्र का कहना है कि अर्थव्यवस्था में सुस्ती की वजह से क्षतिपूर्ति उपकर के रूप में अधिक राशि नहीं जुटाई जा सकी है। यह क्षतिपूर्ति उपकर विलासिता वाली और अहितकर वस्तुओं पर लगाया जाता है।

केंद्र ने राज्यों से राजस्व में कमी की भरपाई को पूरा करने के लिए कर्ज लेने को कहा है। कांग्रेस, वामदल, तृणमूल और आप शासित राज्यों ने इस कदम का विरोध करते हुए कहा है कि केंद्र को खुद कर्ज लेकर राज्यों को भुगतान करना चाहिए।

कैग के ये निष्कर्ष वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के पिछले सप्ताह संसद में दिए गए वक्तव्य के उलट हैं। वित्त मंत्री ने भारत के अटॉर्नी जनरल की राय के हवाले से कहा है कि राज्यों को राजस्व में कमी की भरपाई भारत के समेकित कोष (सीएफआई) से नहीं की जा सकती। अटॉर्नी जनरल ने कहा है कि कानून में इस तरह का कोई प्रावधान नहीं है।

ऑडिट रिपोर्ट में कहा गया है कि उपकर के संग्रहण और उसके जीएसटी मुआवजा उपकर में स्थानांतरण से संबंधित वक्तव्य 8, 9 और 13 की ऑडिट जांच से पता चलता है कि 2017-18 और 2018-19 में कुल 47,272 करोड़ रुपये की राशि क्षतिपूर्ति उपकर कोष में स्थानांतरित नहीं की गई। यह जीएसअी मुआवजा उपकर कानून, 2017 का उल्लंघन है।

कैग के मुताबिक वित्त मंत्रालय ने उसके आडिट टिप्पणियों को माना है और कहा कि फरवरी 2020 में कहा कि जिस राशि का संग्रहण किया गया है और लोक लेखा खाते में नहीं डाली गई उसे आगे के वर्ष में डाल दिया जायेगा। यह राशि भारत के संचित निधि कोष में बनी रही जहां इसका इस्तेमाल अन्य कार्यों के लिये हुआ। इससे केन्द्र की राजस्व प्राप्तियां बढ़ गई और राजकोषीय घाटा कम हुआ।

कैग ने इस मामले में वित्त मंत्रालय से तुरंत सुधारात्मक कदम उठाने कहा है। क्योंकि इसके बाद के वर्षों में संबंधित खाते में राशि का हस्तांतरण उस वर्ष के संसाधनों का विनियोजन करना होगा और इसके लिये संसद की अनुमति लेनी होगी।

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की मंजूरी के साथ कृषि सुधार अधिनियमों,आवश्यक वस्तु संशोधन अधिनियम और जम्मू-कश्मीर राजभाषा अधिनियम लागू attacknews.in

नयी दिल्ली, 27 सितम्बर । किसानों और विपक्षी दलों के विरोध प्रदर्शन के बीच राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कृषि सुधारों से संबंधित अधिनियमों को रविवार को मंजूरी दे दी।

विधि एवं न्याय मंत्रालय की ओर से यहां प्रकाशित गजट अधिसूचना में यह जानकारी दी गयी है।

राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के साथ ही कृषि सुधारों से संबंधित अधिनियम – ‘कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) अधिनियम 2020’ तथा ‘कृषक (सशक्तीकरण और संरक्षण) कीमत आश्वासन एवं कृषि सेवा करार अधिनियम 2020’ देश में लागू हो गये।

इन दोनों विधेयकों को लोकसभा में 17 सितम्बर को और राज्य सभा में 20 सितम्बर को पारित किया गया था। इसके बाद इन अधिनियमों को राष्ट्रपति की मोहर के लिए उनके पास भेजा गया था।

इन अधिनियमों में किसानों को मंडी से बाहर कहीं भी मनमानी कीमत पर अपनी फसलों की बिक्री की आजादी दी गयी है। इसके साथ ही अनुबंध कृषि का प्रावधान किया गया है। इससे अधिक मूल्य मिलने वाली फसलों की खेती बढ़ेगी और अत्याधुनिक कृषि तकनीक को बढ़ावा मिल सकेगा ।

राष्ट्रपति ने आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम 2020 तथा जम्मू कश्मीर राजभाषा अधिनियम को भी मंजूरी दे दी है।

” मन की बात ” नरेन्द्र मोदी ने कृषि सुधार विधेयकों से किसानों को मिली आजादी के बारे में बताते हुए कहा कि, गांव, किसान, देश का कृषि क्षेत्र जितना समृद्ध होगा ‘आत्मनिर्भर भारत’ की नींव भी उतनी मजबूत होगी attacknews.in

नयी दिल्ली, 27 सितंबर ।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को गांव, किसान और देश के कृषि क्षेत्र को ‘आत्मनिर्भर भारत’ का आधार बताते हुए कहा कि ये जितने मजबूत होंगे, ‘आत्मनिर्भर भारत’ की नींव भी उतनी ही मजबूत होगी।

आकाशवाणी पर मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ की 69वीं कड़ी में अपने विचार व्यक्त करते हुए मोदी ने कहा कि संसद से पारित कृषि सुधार विधेयकों के पारित होने के बाद देशभर के किसानों को अब उनकी इच्छा के अनुसार, जहां ज्यादा दाम मिले वहां बेचने की आजादी मिल गई है।

मोदी ने इस अवसर पर कई राज्यों के किसानों और कुछ किसान संगठनों के अनुभवों तथा उनकी सफल कहानियों को साझा करते हुए यह संदेश देने की कोशिश की कि कैसे उन्हें उनके उत्पादों के एपीएमसी (कृषि उत्पाद विपणन समितियां) कानून से बाहर होने का फायदा मिला और कैसे अब वे बिना बिचौलिए के सीधे बाजार में अपने उत्पादों को बेचकर मुनाफा कमा रहे हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि देशभर के किसान उन्हें चिट्ठियां भेजकर और कुछ किसान संगठनों ने निजी बातचीत में उन्हें बताया कि कैसे खेती में नए-नए आयाम जुड़ रहे हैं और बदलाव आ रहा है।

कोरोना वायरस संक्रमण के बीच देश में बंपर फसल उत्पादन का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि ऐसे कठिन दौर में भी कृषि क्षेत्र और देश के किसानों ने फिर से अपना दमखम दिखाया है।

उन्होंने कहा, ‘‘हमारे यहां कहा जाता है कि जो जमीन से जितना जुड़ा होता है, वह बड़े से बड़े तूफानों में भी उतना ही अधिक रहता है। कोरोना के इस कठिन समय में हमारा कृषि क्षेत्र, हमारा किसान इसका जीवंत उदाहरण है। संकट के इस काल में भी हमारे देश के कृषि क्षेत्र ने फिर अपना दमखम दिखाया है।’’

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘देश का कृषि क्षेत्र, हमारे किसान, हमारे गांव आत्मनिर्भर भारत का आधार हैं। ये मजबूत होंगे तो आत्मनिर्भर भारत की नींव मजबूत होगी।’’

मोदी ने हरियाणा, महाराष्ट्र और गुजरात के कुछ सफल किसानों तथा किसान समूहों का जिक्र करते हुए कहा कि बीते कुछ समय में कृषि क्षेत्र ने खुद को अनेक बंदिशों से आजाद किया है और अनेक मिथकों को तोड़ने का प्रयास किया है।

हरियाणा के सोनीपत जिले के किसान कंवर चौहान की कहानी बताते हुए मोदी ने कहा कि एक समय था जब उन्हें मंडी से बाहर अपने फल और सब्जियां बेचने में बहुत दिक्कत आती थी।

उन्होंने कहा कि वर्ष 2014 में फल और सब्जियों को जब एपीएमसी कानून से बाहर कर दिया गया, तो इसका उन्हें और अन्य किसानों को फायदा हुआ।

उन्होंने बताया कि चौहान ने साथी किसानों के साथ मिलकर एक किसान उत्पादक समूह की स्थापना की और ‘‘स्वीट कार्न’’ तथा ‘‘बेबी कार्न’’ की खेती आरंभ की।

उन्होंने कहा, ‘‘आज उनके उत्पाद दिल्ली की आजादपुर मंडी, बड़ी रिटेल चेन तथा पांच सितारा होटलों में सीधे आपूर्ति हो रहे हैं। आज ये किसान ढाई से तीन लाख रुपये प्रति एकड़ सालाना कमाई कर रहे हैं। इतना ही नहीं, इसी गांव के 60 से अधिक किसान नेट हाउस और पॉली हाउस बनाकर टमाटर, खीरा, शिमला मिर्च की अलग-अलग किस्मों का उत्पादन कर हर साल प्रति एकड़ 10 से 12 लाख रुपये तक की कमाई कर रहे हैं।’’

मोदी ने कहा कि इन किसानों के पास अपने फल-सब्जियों को कहीं पर भी और किसी को भी बेचने की ताकत है तथा ये ताकत ही उनकी इस प्रगति का आधार है।

उन्होंने कहा, ‘‘अब यही ताकत, देश के दूसरे किसानों को भी मिली है। फल-सब्जियों के लिए ही नहीं, अपने खेत में, वो जो पैदा कर रहे हैं – धान, गेहूं, सरसों, गन्ना जो उगा रहे हैं, उसको अपनी इच्छा के अनुसार जहां ज्यादा दाम मिले, वहीं पर, बेचने की अब उनको आज़ादी मिल गई है।’’

उल्लेखनीय है कि कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों के भारी विरोध के बावजूद हाल में कृषि विधेयक आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक, 2020, कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक 2020 तथा कृषक (सशक्तीकरण और संरक्षण) कीमत आश्वासन एवं कृषि सेवा पर करार विधेयक, 2020 को संसद से पारित कर दिया गया था।

कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विधेयक, 2020, राज्य सरकारों को मंडियों के बाहर की गयी कृषि उपज की बिक्री और खरीद पर कर लगाने से रोकता है और किसानों को अपनी उपज को लाभकारी मूल्य पर बेचने की स्वतंत्रता देता है।

वर्तमान में, किसानों को पूरे देश में फैले 6,900 एपीएमसी (कृषि उपज विपणन समितियों) मंडियों में अपनी कृषि उपज बेचने की अनुमति है। मंडियों के बाहर कृषि-उपज बेचने में किसानों के लिए प्रतिबंध हैं।

देशभर के कई हिस्सों खासकर पंजाब और हरियाणा के किसान तथा किसान संगठन इन विधेयकों को किसान विरोधी बताकर प्रदर्शन कर रहे हैं।

कांग्रेस ने तो कृषि संबंधी विधेयकों के खिलाफ शनिवार को सोशल मीडिया पर अभियान शुरू कर दिया और इसके पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने लोगों से किसानों पर कथित अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाने की अपील की।

कांग्रेस का कहना है कि एपीएमसी कानून आज किसानों के बड़े तबके के लिए एक सुरक्षा है। न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी), मूल्य निर्धारण का एक संकेत है जिसके आधार पर बाजार कीमतें तय करता है।

कांग्रेस का दावा है कि ये विधेयक एमएसपी के इस महत्व को खत्म कर देंगे और एपीएमसी कानून भी निष्प्रभावी हो जाएगा।

मोदी ने महाराष्ट्र में फल और सब्जियों को एपीएमसी कानून के दायरे से बाहर किए जाने से वहां के फल और सब्जी उत्पादक किसानों को हुए फायदे से और उनके जीवन में आए बदलाव की कहानी भी सुनाई। इसी प्रकार उन्होंने तमिलनाडु के थेनि जिले के किसानों के समूह और गुजरात में बनासकांठा के रामपुरा गांव के किसान इस्माइल भाई की कहानी सुनाई।

उन्होंने कहा, ‘‘इस्माइल भाई सीधे बड़ी-बड़ी कंपनियों को आलू बेचते हैं। बिचौलियों का नामो-निशान नहीं और परिणाम – अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। अब तो उन्होंने, अपने पिता का सारा कर्जा भी चुका दिया है और सबसे बड़ी बात जानते हैं! इस्माइल भाई, आज, अपने इलाके के सैकड़ों अन्य किसानों की भी मदद कर रहे हैं। उनकी भी ज़िंदगी बदल रहे हैं।’’

उल्लेखनीय है कि संसद से पारित कृषि संबंधित विधेयकों को किसान विरोधी बताते हुए भाजपा का सबसे पुराना सहयोगी शिरोमणि अकाली दल (शिअद) न सिर्फ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) से अलग हो गया है, बल्कि इसकी वरिष्ठ नेता हरसिमरत कौर ने कैबिनेट मंत्री के पद से इस्तीफा भी दे दिया था।

मोदी ने कहा कि आज की तारीख में खेती को जितना आधुनिक विकल्प मिलेगा, उतनी ही वो आगे बढ़ेगी, उसमें नए-नए तौर-तरीके आयेंगे, नए आयाम जुड़ेंगे।

वोडा-आइडिया को पछाड़ रिलायंस जियो बना ग्रामीण अंचल में भी नंबर वन,पूरे देश में 40 करोड़ उपभोक्ता जियो नेटवर्क का कर रहे हैं इस्तेमाल attacknews.in

नयी दिल्ली 24 सितंबर । मुकेश अंबानी की रिलायंस जियो ने शहरों के बाद अब गांवों में भी अपनी मजबूत पैठ बना ली है।

भारतीय.दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई ) के गुरुवार को जारी आंकड़ो के मुताबिक जून माह में रिलायंस जियो ने वोडा-आइडिया को पछाड़ कर ग्रामीण भारत में नंबर वन की पोजीशन हासिल कर ली है। ग्रामीण क्षेत्रों में जियो का उपभोक्ता आधार 16 करोड़ 63 लाख से अधिक जा पहुंचा है।

जून में रिलायंस जियो ने ग्रामीण क्षेत्रों में 24 लाख 45 हजार से अधिक ग्राहक अपने नेटवर्क से जोड़े। वहीं वोडा-आइडिया के समान अवधि में करीब 24 लाख और एयलटेल के 20 लाख 68 हजार ग्रामीण ग्राहक साथ छोड़ गये। जून के अंत में ग्रामीण भारत में वोडा-आइडिया के ग्राहक 16 करोड़ 60 लाख और एयरटेल के करीब 15 करोड़ 10 लाख रह गये।

यही नहीं कुल उपभोक्ताओं के मामले में भी जियो बाकी प्रतिद्वंदियों से खासा आगे नजर आता है। जून अंत तक 39 करोड़ 72 लाख से अधिक ग्राहक जियो नेटवर्क का इस्तेमाल कर रहे थे। मई माह के मुकाबले जून में रिलायंस जियो ने करीब 45 लाख नए ग्राहकों को जोड़ा। केवल रिलायंस जियो इस अवधि में नए उपभोक्ता जोड़ पाई, जबकि दूसरी कंपनियों ने बड़ी संख्या मात्रा में ग्राहकों को खोया।

वोडा आइडिया ने जून में सबसे अधिक 48.21 लाख ग्राहक गंवा दिए। 17.44 लाख उपभोक्ता खोकर सरकारी कंपनी बीएसएनएल दूसरे नंबर पर रही। तीसरे नंबर पर एयरटेल रही। समान अवधि यानी जून में 11 लाख 28 हजार से अधिक उपभोक्ताओं ने एयरटेल का नेटवर्क छोड़ दिया। कुल ग्राहक संख्या के मामले में रिलायंस जियो के बाद एयरटेल 31.66 करोड़ के साथ दूसरे और 30.51 करोड़ ग्राहकों के साथ वोडा-आइडिया तीसरे नंबर पर रही।

विशेषज्ञ दूरसंचार क्षेत्र में अभी और भी उठापटक की आशंका जता रहे हैं। रिलायंस जियो के पोस्टपेड प्लस प्लान, दिग्गज कंपनियों वोडा-आइडिया और एयरटेल के लिए चिंता का कारण बने हुए हैं। जियो के पोस्टपेड प्लान लॉन्च होते ही शेयर बाजार में प्रतिद्वंदी कंपनियों के शेयर मुंह के बल गिरे। संभावना है कि नए पोस्टपेड प्लान्स के दम पर रिलायंस जियो प्रीपेड के बाद अब पोस्टपेड सेगमेंट में भी सेंध लगाएगा।

रिलायंस के मालिक मुकेश अंबानी ने रिलायंस इंडस्ट्रीज की 43 वीं आम बैठक में अगले तीन वर्षों में जियो के ग्राहक पचास करोड करने का लक्ष्य रखा था। उनकी नजर 30 करोड 2जी ग्राहक में से अधिक से अधिक को अपने साथ जोड़ने की है।

भारत में बुधवार देर रात कोरोना संक्रमितों की संख्या 57 लाख के पार हुई और 90 हजार से अधिक लोगों की मौत,केन्द्रीय मंत्री सुरेश अंगड़ी की कोरोना संक्रमण से मौत attacknews.in

नयी दिल्ली 23 सितंबर । देश में कोरोना वायरस (कोविड-19) संक्रमण के मामलों में हाे रही लगातार वृद्धि के कारण संक्रमितों की संख्या अब 57 लाख से अधिक हो गयी है।

विभिन्न राज्यों से प्राप्त रिपोर्ट के मुताबिक बुधवार देर रात तक 84,702 नये मामले सामने आने से संक्रमितों की संख्या 57,28,183 हो गयी है। इस दौरान 894 और मरीजों की मौत होने से मृतकाें की संख्या 90 हजार से अधिक होकर 90,944 हो गयी है। राहत की बात यह है कि देश में कोरोना वायरस से निजात पाने वालों की संख्या भी लगातार बढ़ रही है।

इस दौरान 57,106 और लोगों के स्वस्थ होने से रोग मुक्त लोगों की संख्या 46,41,498 हो गयी है। देश में कोविड-19 के सक्रिय मामलों में आज 2,591 की वृद्धि के बाद सक्रिय मामलों की संख्या अब 9,70,968 पर पहुंच गई है।

महाराष्ट्र 2,73,477 सक्रिय मामलों के साथ शीर्ष पर है। उसके बाद कर्नाटक में 94,652 मामले और आंध्र प्रदेश में 70,357 सक्रिय मामले हैं। देश में सक्रिय मामलों की दर 17.02 प्रतिशत और रोग मुक्त होने वालों की दर 81.37 फीसदी है, जबकि मृत्यु दर 1.59 फीसदी है।

महामारी से सबसे अधिक प्रभावित महाराष्ट्र में संक्रमण के 21,029 नये मामले सामने आने से संक्रमितों की संख्या बुधवार रात बढ़कर 12,63,799 हो गयी। राज्य में सक्रिय मामलों की संख्या 1,067 और बढकर 2,73,477 हो गयी।इस दौरान 19,476 और मरीजों के स्वस्थ होने से संक्रमण से मुक्ति पाने वालों की संख्या 9,56,030 हो गयी है।इस अवधि में रिकॉर्ड 479 और मरीजों की मौत होने से मृतकों की संख्या 33,886 हो गयी है। पिछले सप्ताह शुक्रवार को सर्वाधिक 24,886 नये मामले सामने आये थे।राज्य में मरीजों के स्वस्थ होने की दर बढ़कर 75.64 फीसदी पहुंच गयी है वहीं मृत्यु दर 2.68 फीसदी है।

रेल राज्य मंत्री सुरेश अंगड़ी का कोरोना के कारण निधन

संसद के मानसून सत्र के पहले जांच में कोरोना विषाणु से संक्रमित पाये गये रेल राज्य मंत्री सुरेश चेन्नाबासप्पा अंगड़ी का आज रात यहां अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में निधन हो गया।

वह 65 वर्ष के थे। उनके परिवार में पत्नी और दो पुत्रियां हैं। उन्हें 11 सितंबर को कोरोना पॉजिटिव पाया गया था। उनका एम्स में उपचार चल रहा था। सूत्रों ने बताया कि उन्होंने रात करीब आठ बजे अंतिम श्वास ली।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और रेल मंत्री पीयूष गोयल ने श्री अंगड़ी के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है।

गुजरात में 1372 नए मामले, 15 मौतें, 1289 हुए स्वस्थ

गुजरात में पिछले 24 घंटे में कोरोना विषाणु यानी कोविड-19 संक्रमण से और 15 लोगों की मृत्यु हो गयी जिससे अब तक की कुल मौतों का आंकड़ा 3370 हो गया है तथा इसके 1372 नये मामले सामने आये जिससे संक्रमितों की कुल संख्या 127541 पर पहुंच गयी है।

पिछले 24 घंटे में 1289 और लोगों के ठीक होने से अस्पतालों से अब तक छुट्टी पाने वालों का आंकड़ा बढ़ कर 107701 हो चुका है।

हरियाणा में कोरोना के 1986 नये मामले, कुल संख्या 116856 हुई, 1233 मौतें

हरियाणा में कोरोना संक्रमण के मामलों में गत तीन दिनों से कुछ गिरावट आई है। राज्य में आज सायं तक कोरोना के 1986 नये मामले आने के बाद राज्य में इस महामारी से पीड़ितों की कुल संख्या 116856 हो गई है। वहीं इनमें से 1233 लोगों की मौत हो चुकी है और 96347 मरीज स्वस्थ हो चुके हैं। राज्य में कोरोना के सक्रिय मामले अब 19276 हैं।

राज्य के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के कोरोना की स्थिति को लेकर यहां जारी बुलेटिन में यह जानकारी दी गई। राज्य में काेरोना संक्रमण पॉजिटिव दर 6.67 प्रतिशत, रिकवरी दर 82.45 प्रतिशत जबकि मृत्यु दर 1.06 प्रतिशत है। राज्य के सभी 22 जिले कोरोना की चपेट में हैं तथा इनमें संक्रमण के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। फरीदाबाद और गुरूग्राम कोरोना मामलों की तालिका में सबसे ऊपर हैं। ग्रुरूग्राम और फरीदाबाद में काेरोना के कुल मामले क्रमश: 18814 और 18467 तक पहुंच गये हैं। इनमें से 15759 और 16692 ठीक हो चुके हैं।

कर्नाटक में कोरोना सक्रिय मामलों में वृद्धि जारी

वैश्विक महामारी कोविड-19 से गंभीर रूप से जूझ रहे कर्नाटक में 6,997 नये मामले सामने आने के बाद संक्रमितों की संख्या रविवार रात 5.40 लाख को पार कर गयी लेकिन चिंता की बात यह है कि सक्रिय मामले 1,499 बढकर 97 हजार के करीब पहुंच गये।
राज्य में पिछले 24 घंटों में 5,460 मरीज स्वस्थ हुए जिससे संक्रमण मुक्त होने वाले लोगों की संख्या बढ़कर 4.38 लाख के करीब पहुंच गयी है।

आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक राज्य में संक्रमितों की कुल संख्या 5,40,847 तथा संक्रमण से मुक्ति पाने वालों की संख्या 4,37,910 हो गयी है। इस दौरान 38 और मरीजों की मौत होने से मृतकों की संख्या 8,266 हो गयी है। स्वस्थ होने वाले मरीजाें की दर आज आंशिक रूप से बढकर 80.96 प्रतिशत हो गयी।

चिंता की बात यह है कि राज्य में सक्रिय मामलों में 1,499 की वृद्धि होकर इनकी संख्या 94,652 हो गयी है जो मंगलवार को 93153 थी।

महाराष्ट्र के बाद देश में कोरोना संक्रमण के सबसे अधिक सक्रिय मामले कर्नाटक में हैं। महाराष्ट्र में सक्रिय मामलों की संख्या 2.97 लाख से अधिक है। कोरोना मौत के मामले में कर्नाटक महाराष्ट्र और तमिलनाडु के बाद तीसरे स्थान पर है।

महाराष्ट्र में कोरोना सक्रिय मामले बढ़कर 2.73 लाख

देश में कोरोना महामारी से सबसे अधिक प्रभावित महाराष्ट्र में संक्रमण के 21,029 नये मामले सामने आने से संक्रमितों की संख्या बुधवार रात बढ़कर 12.63 लाख के पार पहुंच गयी लेकिन इस दौरान स्वस्थ लोगों की संख्या में कमी होने के कारण सक्रिय मामलों में भी वृद्धि शुरू हो चुकी है।

राज्य में पिछले 24 घंटों के दौरान नये मामलों की तुलना में स्वस्थ हुए लोगों की संख्या में फिर से कमी दर्ज की गयी जिससे सक्रिय मामलों में बढ़ोतरी हुयी है। सक्रिय मामलों की संख्या 1,067 और बढकर 2,73,477 हो गयी।

मध्यप्रदेश के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में हाथियों को मिला एक सप्ताह का अवकाश, करवा रहे हैं खूब खातिरदारी attacknews.in

उमरिया (मध्यप्रदेश), 23 सितंबर ।मध्यप्रदेश के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व (बीटीआर) में सोमवार से हाथी महोत्सव शुरु हुआ। एक सप्ताह तक चलने वाले इस महोत्सव में रिजर्व में तैनात 15 हाथियों को उनके नियमित कामकाज से अवकाश देकर उनका पसंदीदा भोजन खिलाया जायेगा और उनकी मालिश की जायेगी।

बीटीआर के क्षेत्र निदेशक विसेंट रहमान ने बुधवार को कहा कि हाथियों का अवकाश शिविर सोमवार से शुरु हुआ है। इसमें उन्हें अपने नियमित काम से छु्ट्टी दी गयी है।

उन्होंने कहा, ‘‘ये हाथी पूरे साल हमें गश्त, ट्रैकिंग और अन्य नित्य कार्यो में मदद करते हैं। अब सप्ताह भर चलने वाले हाथी महोत्सव के दौरान हम उनकी सेवा करेंगे। इस अवकाश के दौरान हाथियों को उनका पसंदीदा भोजन और मालिश दी जा रही है।’’

उन्होंने बताया कि कोविड-19 महामारी के मद्देनज़र इस महोत्सव में सार्वजनिक भागीदारी सीमित कर दी गयी है।

रहमान ने बताया कि हाथियों को गोद लेने की एक नई योजना भी शुरु की जा रही है। इसमें कोई भी व्यक्ति एक दिन या एक माह के लिये किसी हाथी को गोद ले सकता है। इस अवधि के लिये इच्छुक व्यक्ति को हाथी की दवाओं और भोजन का निश्चित खर्च उठाना होगा।

उन्होंने बताया कि बीटीआर इस योजना में भाग लेने वालों को एक डिजिटल प्रमाण पत्र प्रदान करेगा।

नरेन्द्र मोदी ने राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ चर्चा में कोरोना से निपटने के लिए प्रभावी जांच, उपचार, ट्रेसिंग और निगरानी को जरूरी बताया, साथ ही स्पष्ट संदेश की जागरूकता बढ़ाने को कहा attacknews.in

नयी दिल्ली 23 सितम्बर । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज कहा कि देश में कोरोना संक्रमण के मामलों में लगातार वृद्धि हो रही है और इससे निपटने के लिए प्रभावी जांच, ट्रेसिंग, उपचार, निगरानी और स्पष्ट संदेश के माध्यम से जागरूकता फैलाने पर फोकस बढ़ाना होगा।

प्रधानमंत्री ने साथ ही एक या दो दिन की स्थानीय पूर्णबंदी लगाने वाले राज्यों से इस बारे में फिर से विचार करने को कहा है और यह विश्लेषण करने को कहा है कि कहीं इससे उनके राज्य में आर्थिक गतिविधियां शुरू होने में दिक्कत तो नहीं आ रही है। उन्होंने मास्क के इस्तेमाल पर भी बहुत अधिक जोर दिया।

श्री मोदी ने देश में कोरोना संक्रमण के सबसे अधिक मामलों वाले सात राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों और स्वास्थ्य मंत्रियों के साथ आज वीडियो कांफ्रेन्स के माध्यम से चर्चा की। इन राज्यों में महाराष्ट्र, कर्नाटक, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश तथा पंजाब शामिल हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि इस चर्चा के दौरान अनेक ऐसी बातें सामने आई हैं, जिनसे आगे की रणनीति के लिए रास्ता और अधिक स्पष्ट होता है। उन्होंने कहा कि यह सही है कि भारत में संक्रमण के मामलों में लगातार वृद्धि हो रही है। लेकिन हर रोज 10 लाख से ज्यादा टेस्ट भी किये जा रहे हैं और ठीक होने वालों की संख्या भी तेज़ी से बढ़ रही है।

अनेक राज्यों में और राज्यों के भीतर स्थानीय स्तर पर भी श्रेष्ठ अनुभव सामने आ रहे हैं। इन अनुभवों को ज्यादा से ज्यादा प्रोत्साहित करना होगा।

उन्होंने कहा कि बीते महीनों में कोरोना के इलाज से जुड़ी जिन सुविधाओं का विकास हुआ है उससे कोरोना के मुकाबले में बहुत मदद मिली है। उन्होंने कहा , “ अब हमें एक तरफ जहां कोरोना से जुड़े इंफ्रास्ट्रक्चर को तो मजबूत करना ही है, जो हमारा हेल्थ से जुड़ा, ट्रैकिंग और ट्रेसिंग से जुड़ा नेटवर्क है, उनकी बेहतर ट्रेनिंग भी सुनिश्चित करनी है।”

भारत में मंगलवार देर रात कोरोना संक्रमितों की संख्या 56 लाख के पार हुई और मृतकों की संख्या 90 हजार 45.40 लाख मरीज हुए स्वस्थ attacknews.in

नयी दिल्ली, 22 सितंबर । देश में कोरोना वायरस (कोविड-19) संक्रमण के मामलोें में लगातार बढ़ोतरी से संक्रमितोें की संख्या अब 56 लाख से अधिक हो गयी है जबकि नये मामलों की तुलना में रोगमुक्त लोगों की संख्या में मामूली अंतर रहा।

विभिन्न राज्यों से प्राप्त रिपोर्ट के मुताबिक मंगलवार देर रात तक 88,602 नये मामले सामने आने से संक्रमितों की संख्या 56,48,722 हो गयी है। इस दौरान 534 और मरीजों की मौत होने से मृतकाें की संख्या 89,499 हो गयी है। राहत की बात यह है कि देश में कोरोना वायरस से निजात पाने वालों की संख्या भी लगातार बढ़ रही है। इस दौरान 41,805 और लोगों के स्वस्थ होने से रोग मुक्त लोगों की संख्या 54,248 हो गयी है। देश में इस समय कोविड-19 के सक्रिय मामले आज 9, 74, 446 है।

महाराष्ट्र 2,74, 623 सक्रिय मामलों के साथ शीर्ष पर है। उसके बाद कर्नाटक में 93,173 मामले और आंध्र प्रदेश में 71,465 सक्रिय मामले हैं। देश में सक्रिय मामलों की दर 17.54 प्रतिशत और रोग मुक्त होने वालों की दर 80.86 फीसदी है, जबकि मृत्यु दर 1.60 फीसदी है।

महामारी से सबसे गंभीर रूप से प्रभावित महाराष्ट्र में सक्रिय मामले 2,74,623 है। राज्य में संक्रमण से मुक्ति पाने वालों की संख्या 9,16,348 हो गयी है। राज्य में अब तक 33,015 लोगों की मौत हुयी है।

तमिलनाडु में कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा साढ़े पांच लाख से पार

तमिलनाडु में मंगलवार को कोरोना के पांच हजार से अधिक नये मामलों के साथ इसके संक्रमितों का आंकड़ा साढ़े पांच लाख को पार कर गया।

स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी बुलेटिन के मुताबिक आज कोरोना संक्रमण के 5337 नये मामले सामने आये जिसे मिलाकर संक्रमितों की कुल संख्या 5,52,674 हो गयी। इसके साथ ही 76 और लोगों की मौत के बाद इस बीमारी से मरने वालों की संख्या 8947 हो गयी।

बुलेटिन के मुताबिक पिछले 24 घंटो के दौरान 84, 730 नमूनों की आरटी-पीसीआर जांच की गयी। राज्य में अब तक 66,40,058 नमूनों की जांच की जा चुकी है। इसी अवधि में 5406 मरीज स्वस्थ भी हुए हैं जिसे मिलाकर अब तक 4,97,377 लोग कोरोना मुक्त हो चुके हैं।

तमिलनाडु में अभी सक्रिय मामलों की संख्या 46,350 है।

कोरोना वायरस से सर्वाधिक प्रभावित राजधानी चेन्नई में आज 989 नये मामले आए और अब तक 1,57,614 लोग इस बीमारी की चपेट में आ चुके हैं। इसके साथ ही 19 और संक्रमितों की मौत के साथ यहां 3091 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं।

पंजाब में कोरोना मामले एक लाख के पार

पंजाब में 1498 नये मामले आने के साथ कुल कोरोना पॉजिटिव मामलों की संख्या एक लाख के पार जाकर 101341 हो गई।

पंजाब सरकार के देर शाम यहां जारी मीडिया बुलेटिन के अनुसार प्रदेश में आज 1498 लोगों को कोरोना पॉजिटिव पाया गया। प्रदेश में आज 66 लोगों की कोरोना संक्रमण से मौत हुई है जिनमें जालंधर से 11, अमृतसर, लुधियाना व पटियाला से नौ-नौ, गुरदासपुर से छह, बठिंडा, फिरोजपुर व रोपड़ से तीन-तीन, मोगा व मोहाली से दो-दो और फरीदकोट, फतेहगढ़ साहिब, फजिल्का, कपूरथला, मानसा, मुक्तसर, पठानकोट, संगरूर व तरण तारण से एक-एक व्यक्ति शामिल है। इसके बाद प्रदेश में कोरोना महामारी फैलने से लेकर अब तक जान गंवाने वालों की संख्या बढ़कर 2926 हो गई है।

हरियाणा में कोरोना के 1795 नये मामले, कुल संख्या 114870 हुई, 1206 मौतें

हरियाणा में कोरोना संक्रमण के मामलों में गत दो दिनों से गिरावट का दौर जारी है। राज्य में आज सायं तक कोरोना के 1795 नये मामले आने के बाद राज्य में इस महामारी से पीड़ितों की कुल संख्या 113075 हो गई है। वहीं इनमें से 1206 लोगों की मौत हो चुकी है और 93776 मरीज स्वस्थ हो चुके हैं। राज्य में कोरोना के सक्रिय मामले अब 19888 हैं।

राज्य के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के कोरोना की स्थिति को लेकर यहां जारी बुलेटिन में यह जानकारी दी गई। राज्य में काेरोना संक्रमण पॉजिटिव दर 6.67 प्रतिशत, रिकवरी दर 81.64 प्रतिशत जबकि मृत्यु दर 1.05 प्रतिशत है। राज्य के सभी 22 जिले कोरोना की चपेट में हैं तथा इनमें संक्रमण के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। फरीदाबाद और गुरूग्राम कोरोना मामलों की तालिका में सबसे ऊपर हैं। ग्रुरूग्राम और फरीदाबाद में काेरोना के कुल मामले क्रमश: 18528 और 18205 तक पहुंच गये हैं। इनमें से 15600 और 16393 ठीक हो चुके हैं।

आंध्र में कोरोना के 7553 नये मामले , 51 लोगों की मौत

आंध्र प्रदेश में कोरोना वायरस का प्रकोप चरम पर है और मंगलवार को 7,738 नये मामले सामने आये जबकि 51 और संक्रमितों की मौत हो गयी।

स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक राज्य में कोरोना संक्रमितों की संख्या बढ़ कर 6,39,302 हो गयी है। इस दौरान 10,555 और मरीजों के स्वस्थ होने से कोरोना मुक्त होने वालों की संख्या 5,62,376 हो गयी। इसी अवधि में 51 और लोगों की मौत के बाद मृतकों का आंकड़ा 5461 पहुंच गया है।

राज्य में अभी 71,465 सक्रिय मामले हैं और इससे जुड़े लोगों को राज्य के विभिन्न अस्पतालों में उपचार चल रहा है।

कृषि विधेयकों के पारित होने के दौरान विपक्ष द्वारा लोकतंत्र के नाम पर किये गये हिंसक व्यवहार से दुखी राज्यसभा के उप सभापति हरिवंश, करेंगे 24 घंटे का उपवास attacknews.in

नयी दिल्ली, 22 सितंबर ।राज्यसभा के उप सभापति हरिवंश ने विपक्षी सदस्यों के आपत्तिजनक आचरण पर गहरी पीड़ा जताते हुए मंगलवार को घोषणा की कि वह 24 घंटे का उपवास करेंगे। इसके साथ ही उन्होंने उम्मीद जतायी कि इससे आपत्तिजनक आचरण करने वाले सदस्यों में “आत्म-शुद्धि” का भाव जागृत होगा।

हरिवंश ने राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू को लिखे पत्र में, कृषि संबंधी दो विधेयकों के पारित होने के दौरान रविवार को सदन में हुए हंगामे का जिक्र किया और कहा, ‘‘…सदस्यों द्वारा लोकतंत्र के नाम पर हिंसक व्यवहार किया गया। आसन पर बैठे व्यक्ति को भयभीत करने की कोशिश हुयी। उच्च सदन की हर मर्यादा और व्यवस्था की धज्जियां उड़ायी गयीं। ’’

उन्होंने कहा, ‘‘20 सितंबर को राज्यसभा में जो कुछ भी हुआ, उससे पिछले दो दिनों से गहरी आत्मपीड़ा, आत्मतनाव और मानसिक वेदना में हूं। पूरी रात सो नहीं पाया।’’

हरिवंश ने कहा कि 20 सितंबर को उच्च सदन में जो दृष्य उत्पन्न हुआ, उससे सदन और आसन की मर्यादा को अकल्पनीय क्षति हुयी है।

उन्होंने अपने पत्र में लिखा है, ‘‘मेरा यह उपवास इसी भावना से प्रेरित है। बिहार की धरती पर पैदा हुए राष्‍ट्रकवि दिनकर दो बार राज्‍यसभा के सदस्‍य रहे। कल 23 सितंबर को उनकी जन्‍मतिथि है। आज यानी 22 सितंबर की सुबह से कल 23 सितंबर की सुबह तक मैं 24 घंटे का उपवास कर रहा हूं।’’

उन्‍होंने कहा है कि ‘कामकाज प्रभावित ना हो, इसलिए मैं उपवास के दौरान भी राज्‍यसभा के कामकाज में नियमित और सामान्‍य रूप से भाग लूंगा।’

उल्लेखनीय है कि रविवार को सदन में हुए हंगामे को लेकर विपक्ष के आठ सदस्यों को मौजूदा सत्र के शेष समय के लिए निलंबित कर दिया गया था।

निलंबित किए गए सदस्यों में कांगेस के राजीव सातव, सैयद नजीर हुसैन और रिपुन बोरा, तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन और डोला सेन, माकपा के केके रागेश और इलामारम करीम व आप के संजय सिंह शामिल हैं।

धरने पर बैठे सांसदों को चाय पिलाने पर मोदी ने हरिवंश की सराहना की, उनके पत्र को प्रेरक बताया:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद परिसर में धरने पर बैठे उच्च सदन के आठ निलंबित सदस्यों को मंगलवार सुबह चाय पिलाने के लिए राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश की सराहना की और उनकी ओर से राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद तथा उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू को लिखे गए पत्र को ‘‘प्रेरक’’ करार देते हुए देशवासियों इसे ‘‘जरूर’’ पढ़ने का आग्रह किया।

मोदी ने सिलसिलेवार ट्वीट कर कहा कि उच्च सदन में विपक्षी सदस्यों द्वारा ‘‘अपमानित’’ किए जाने के बावजूद हरिवंश का चाय की पेशकश करना उनकी उदारता और महानता को दर्शाता है।

उन्होंने कहा, ‘‘बिहार की धरती ने सदियों पहले पूरे विश्व को लोकतंत्र की शिक्षा दी थी। आज उसी बिहार की धरती से प्रजातंत्र के प्रतिनिधि बने हरिवंश जी ने जो किया, वह प्रत्येक लोकतंत्र प्रेमी को प्रेरित और आनंदित करने वाला है।’’

प्रधानमंत्री ने कहा कि हर किसी ने देखा कि दो दिन पहले लोकतंत्र के मंदिर में उपसभापति हरिवंश को किस प्रकार ‘‘अपमानित’’ किया गया और उनपर ‘‘हमला’’ किया गया तथा फिर वही लोग उनके खिलाफ धरने पर भी बैठ गए।

मोदी ने कहा, ‘‘लेकिन आपको आनंद होगा कि आज हरिवंश जी ने उन्हीं लोगों को सवेरे-सवेरे अपने घर से चाय ले जाकर पिलाई। यह हरिवंश जी की उदारता और महानता को दर्शाता है। लोकतंत्र के लिए इससे खूबसूरत संदेश और क्या हो सकता है। मैं उन्हें इसके लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूं।’’

उल्लेखनीय है कि रविवार को उच्च सदन में कृषि संबंधी विधेयकों को पारित किए जाने के दौरान भारी हंगामा हुआ था। इस विरोध के बावजूद किसान उत्पादन व्यापार एवं वाणिज्य (प्रोत्साहन एवं सुविधा) विधेयक 2020 तथा किसान (सशक्तीकरण एवं संरक्षण) मूल्य आश्वासन का समझौता एवं कृषि सेवा विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया गया था।

अगले ही दिन ‘‘अमर्यादित व्यवहार’’ के कारण विपक्षी दलों के आठ सदस्यों को शेष सत्र के लिए निलंबित कर दिया गया, जिसके विरोध में सभी आठ निलंबित सदस्य संसद भवन परिसर में ही ‘‘अनिश्चितकालीन’’ धरने पर बैठ गए।

प्रदर्शन पर बैठे निलंबित सदस्यों के लिए उपसभापति हरिवंश अपने घर से चाय लेकर पहुंचे थे।

इसके साथ ही हरिवंश ने राष्ट्रपति कोविंद और राज्यसभा के उपसभापति नायडू को पत्र लिखकर विपक्षी सदस्यों के कथित आपत्तिजनक आचरण पर गहरी पीड़ा जताई और 24 घंटे का उपवास करने की घोषणा की।

शीर्ष संवैधानिक पदों पर बैठे दोनों नेताओं को लिखे पत्रों के लगभग एक से मजमून में हरिवंश ने उम्मीद जताई कि इससे ‘‘आपत्तिजनक आचरण करने वाले सदस्यों‘‘ में ‘‘आत्म-शुद्धि’’ का भाव जागृत होगा।

उन्होंने कहा, ‘‘20 सितंबर को राज्यसभा में जो कुछ भी हुआ, उससे पिछले दो दिनों से गहरी आत्म पीड़ा, आत्म तनाव और मानसिक वेदना में हूं। पूरी रात सो नहीं पाया।’’

हरिवंश ने कहा कि 20 सितंबर को उच्च सदन में जो दृश्य उत्पन्न हुआ, उससे सदन और आसन की मर्यादा को ‘‘अकल्पनीय क्षति’’ हुई है।

मोदी ने राष्ट्रपति को लिखे हरिवंश के पत्र की प्रति ट्विटर पर साझा करते हुए इसके हर शब्द को लोकतंत्र के प्रति आस्था को नया विश्वास देने वाला बताया और कहा कि इसमें सच्चाई के साथ-साथ संवेदनाए भी हैं और देशवासियों को इसे जरूर पढ़ना चाहिए।

उन्होंने कहा, ‘‘माननीय राष्ट्रपति जी को माननीय हरिवंश जी ने जो पत्र लिखा, उसे मैंने पढ़ा। पत्र के एक-एक शब्द ने लोकतंत्र के प्रति हमारी आस्था को नया विश्वास दिया है। यह पत्र प्रेरक भी है और प्रशंसनीय भी। इसमें सच्चाई भी है और संवेदनाएं भी। मेरा आग्रह है, सभी देशवासी इसे जरूर पढ़ें।’’

नरेन्द्र मोदी ने कृषि विधेयकों के पारित होने पर किसानों को बधाई देते हुए कॄषि क्षेत्रों में आमूल-चूल परिवर्तन के साथ करोडों किसानों को सशक्त करने वाला बताया attacknews.in

नयी दिल्ली 20 सितम्बर ।संसद में पारित कृषि क्षेत्र से संबंधित विधेयकों पर विपक्ष तथा किसानों के जबरदस्त विरोध के बीच प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज एक बार फिर कहा कि इससे कृषि क्षेत्र में आमूलचूल परिवर्तन आयेगा और करोड़ों किसान सशक्त बनेंगे।

कृषि क्षेत्र में सुधार से संबंधित दो विधेयकों को आज राज्यसभा की मंजूरी मिलने पर श्री मोदी ने किसानों को बधाई दी। अपने टि्वट संदेश में उन्होंने कहा , “ भारत के कृषि इतिहास में आज एक बड़ा दिन है। संसद में अहम विधेयकों के पारित होने पर मैं अपने परिश्रमी अन्नदाताओं को बधाई देता हूं। यह न केवल कृषि क्षेत्र में आमूलचूल परिवर्तन लाएगा, बल्कि इससे करोड़ों किसान सशक्त होंगे।”

एक अन्य टि्वट में उन्होंने कहा , “ हमारे कृषि क्षेत्र को आधुनिकतम तकनीक की तत्काल जरूरत है, क्योंकि इससे मेहनतकश किसानों को मदद मिलेगी। अब इन बिलों के पास होने से हमारे किसानों की पहुंच भविष्य की टेक्नोलॉजी तक आसान होगी। इससे न केवल उपज बढ़ेगी, बल्कि बेहतर परिणाम सामने आएंगे। यह एक स्वागत योग्य कदम है। दशकों तक हमारे किसान भाई-बहन कई प्रकार के बंधनों में जकड़े हुए थे और उन्हें बिचौलियों का सामना करना पड़ता था। संसद में पारित विधेयकों से अन्नदाताओं को इन सबसे आजादी मिली है। इससे किसानों की आय दोगुनी करने के प्रयासों को बल मिलेगा और उनकी समृद्धि सुनिश्चित होगी।”

किसानों को फसलों के एमएसपी को लेकर उठाये जा रहे सवालों को बेबुनियाद बताते हुए उन्होंने कहा कि यह पहले की तरह जारी रहेगा। उन्होंने कहा , “ मैं पहले भी कहा चुका हूं और एक बार फिर कहता हूं एमएसपी की व्यवस्था जारी रहेगी। सरकारी खरीद जारी रहेगी। हम यहां अपने किसानों की सेवा के लिए हैं। हम अन्नदाताओं की सहायता के लिए हरसंभव प्रयास करेंगे और उनकी आने वाली पीढ़ियों के लिए बेहतर जीवन सुनिश्चित करेंगे।”

उल्लेखनीय है कि राज्यसभा ने रविवार को विपक्ष के भारी हंगामें के बीच कृषि क्षेत्र के दो विधेयकों ‘कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक 2020’ तथा ‘कृषक (सशक्तिकरण और संरक्षण) कीमत आश्वासन एवं कृषि सेवा करार विधेयक 2020’ को ध्वनिमत से पारित कर दिया गया। लोकसभा इन दोनों विधेयकों को पहले ही पारित कर चुकी है।

किसानों को मंडी से बाहर कहीं भी मनमानी कीमत पर अपनी फसलों की बिक्री की मिली आजादी,विपक्ष के भारी हंगामें के बीच कृषि सुधारों के विधेयकों पर लगी संसद की मुहर attacknews.in

नयी दिल्ली, 20 सितंबर । राज्यसभा में रविवार को विपक्ष के भारी हंगामें के बीच कृषि सुधारों के दो विधेयकों ‘कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक 2020’ तथा ‘कृषक (सशक्तिकरण और संरक्षण) कीमत आश्वासन एवं कृषि सेवा करार विधेयक 2020’ को ध्वनिमत से पारित कर दिया गया और इसके साथ इन दोनों विधेयकों पर संसद की मुहर लग गयी।

लोकसभा इन्हें पहले ही पारित कर चुकी हैं। ये दोनोें विधेयक जून में जारी किये गये दो अध्यादेशों का स्थान लेंगे।

इन विधेयकों में किसानों को मंडी से बाहर कहीं भी मनमानी कीमत पर अपनी फसलों की बिक्री की आजादी दी गयी है। इसके साथ ही अनुबंध कृषि का प्रावधान किया गया है । इससे अधिक मूल्य मिलने वाली फसलों की खेती बढ़ेगी और अत्याधुनिक कृषि तकनीक को बढ़ावा मिल सकेगा ।

कृषि एवं किसान मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने चार घंटे की चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) प्रणाली को बंद नहीं किया जाएगा और इस संबंध में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी आश्वासन दिया है । इन विधेयकों से किसानों को अपनी उपज बेचने के दो विकल्प उपलब्ध होंगे। इन विधेयकों में किसानों को मंडी से बाहर कहीं भी मनमानी कीमत पर अपनी फसलों की बिक्री की आजादी दी गयी है। इससे अधिक मूल्य मिलने वाली फसलों की खेती बढ़ेगी और अत्याधुनिक कृषि तकनीक को बढ़ावा मिल सकेगा ।

उन्होंने कहा कि सरकार किसानों के जीवन में क्रांतिकारी बदलाव लाना चाहती है और उन्हें फसलों की बुआई के समय ही उसकी उचित कीमत का आश्वासन दिलाने का प्रयास कर रही है।

विधेयकों को पारित कराने की प्रक्रिया के दौरान सदन में विपक्ष ने भारी हंगामा जिसके सदन की कार्यवाही 15 मिनट के लिए स्थगित भी करनी पड़ी।

कृषि विधेयकों पर राज्यसभा में विपक्ष का हंगामा

विपक्ष ने उस समय हंगामा किया जब सरकार ने कृषि से संबंधित दो विधेयकों को पारित कराने पर जोर दिया। तृणमूल कांग्रेस सदस्यों के नेतृत्व में कुछ विपक्षी सदस्य आसन के बिल्कुल पास आ गए।

हंगामे के कारण बैठक को कुछ देर के लिए स्थगित कर दिया गया।

तृणमूल कांग्रेस, कांग्रेस और वाम सहित विभिन्न दलों के सदस्यों ने उस समय हंगामा किया जब उप-सभापति हरिवंश ने दोनों विधेयकों को प्रवर समिति में भेजे जाने के प्रस्ताव पर मतविभाजन की उनकी मांग पर गौर नहीं किया।

इससे पहले नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आज़ाद ने मांग की कि दोनों विधेयकों पर हुयी चर्चा का जवाब कल के लिए स्थगित कर दिया जाए क्योंकि रविवार को बैठक का निर्धारित समय समाप्त हो गया है।

एक बार के स्थगन के बाद बैठक पुन: शुरू होने पर सदन ने कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्द्धन और सरलीकरण) विधेयक-2020 और कृषक (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन समझौता और कृषि सेवा पर करार विधेयक-2020 को ध्वनिमत से मंजूरी दे दी। उस समय भी सदन में विपक्ष का हंगामा जारी था।

उप सभापति हरिवंश ने जब दोनों विधेयकों को चर्चा के बाद इन्हें पारित कराने की प्रकिया शुरू की तो आप आदमी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस, कांग्रेस, द्रविड मुनेत्र कषगम और वामदलों के सदस्यों ने इसका विरोध कड़ा विरोध किया और हंगामा करने लगे। हंगागें के दाैरान तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन ने आसन के समक्ष खड़े मार्शल के हाथ से कुछ दस्तावेज छीन लिये और उन्हें फाड़कर फेंक दिया। उत्तजेना में श्री ब्रायन ने आसन का माइक क्षतिग्रस्त कर दिया जिससे सदन में एक बजकर 14 मिनट पर सदन की ध्वनि प्रणाली (साउंड सिस्टम) खराब हो गयी। इसके बादजूद सदस्यों का हंगामा जारी रहने पर सदन की कार्यवाही 15 मिनट के लिए स्थगित कर दी गयी। इस दौरान सदन व्यवस्थित नहीं था और सदस्य सीटों से आगे आकर नारेबाजी कर रहे थे। विपक्ष इन दोनों विधेयकों को प्रवर समिति में भेजने की मांग कर रहा था।

दौबारा जब सदन की बैठक शुरू हुई तो विधेयक पारित कराने की प्रक्रिया फिर आरंभ की गयी तो विपक्ष दलों के सदस्यों का हंगामा जारी रहा और इस दौरान ध्वनिमत से विधेयक पारित कर दिये।

कांग्रेस के शक्तिसिंह गोहिल ने कहा कि ये विधेयक किसानों को नुकसान पहुंचाने वाले हैं। उन्होंने कहा कि किसानों को पता है कि इनके कानून बन जाने पर वे बर्बाद हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि सरकार इन विधेयकों को ऐतिहासिक बता रही है जबकि वास्तव में ये काले कानून हैं। उन्होंने विधेयकों पर व्यापक चर्चा कराने की मांग करते हुए इन्हें प्रवर समिति में भेजने की मांग की।

कांग्रेस के अहमद पटेल ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि यह सरकार ‘‘पैकेजिंग, मार्केटिंग और मीडिया को मैनेज’’ करने में माहिर है। उन्होंने कहा कि सरकार ने इन विधेयकों की चर्चा करते हुए कांग्रेस के चुनाव घोषणा पत्र का जिक्र किया। लेकिन सरकार ने चुनिंदा रूप से ही कांग्रेस के घोषणा पत्र का अध्ययन किया। उसने किसानों के लिए न्याय योजना सहित प्रस्तावित अन्य कार्यक्रमों पर गौर नहीं किया। उन्होंने आरोप लगाया कि इन विधेयकों के प्रावधानों से विदेशी निवेशकों को बढ़ावा मिलेगा।

शिरोमणि अकाली दल के नरेश गुजराल ने दोनों विधेयकों को पंजाब के किसानों के खिलाफ बताते हुए उन्हें प्रवर समिति में भेजने की मांग की। उन्होंने कहा कि सरकार को पंजाब के किसानों को कमजोर नहीं समझना चाहिए। सरकार को पंजाब और हरियाणा के किसानों के असंतोष पर गौर करना चाहिए तथा वहां जो चिंगारी बन रही है, उसे आग में नहीं बदलने देना चाहिए।

शिअद के ही एसएस ढींढसा ने भी सरकार से इस मुद्दे पर व्यापक चर्चा करने और दोनों विधेयकों को प्रवर समिति में भेजने की मांग की।

राकांपा के प्रफुल्ल पटेल ने कहा कि सरकार को इन विधेयकों को लाने के पहले विभिन्न पक्षों से बातचीत करनी चाहिए थी।

आप के संजय सिंह ने कहा कि दोनों विधेयक पूरी तरह से किसानों के खिलाफ हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार विभिन्न कानूनों के जरिए राज्यों के अधिकार अपने हाथ में लेना चाहती है।

पूर्व प्रधानमंत्री और जद (एस) नेता एचडी देवेगौड़ा ने कहा कि सरकार को बताना चाहिए कि जल्दबाजी में और कोविड-19 के दौरान अध्यादेश क्यों लाए गए। उन्होंने कहा कि किसानों की समस्याओं पर गौर करने के लिए एक स्थायी आयोग बनाया जाना चाहिए।

सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री रामदास अठावले ने दोनों विधेयकों को किसानों के हित में बताया और कहा कि इससे उन्हें बेहतर बाजार मिल सकेगा।

तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन ने दोनों विधेयकों को प्रवर समिति में भेजे जाने की मांग की। उन्होंने आरोप लगाया कि इन विधेयकों के संबंध में राज्यों से मशविरा नहीं किया गया।

जद (यू) के आरसीपी सिंह ने राम चंद्र प्रसाद सिंह ने विधेयकों का समर्थन करते हुए कहा कि लंबे समय बाद किसानों के लिए कोई नीति आयी है।

राजद सदस्य मनोज झा ने ‘ठेके पर खेती’ को लेकर सवाल उठाया और कहा ऐसी खेती में नकदी फसलों पर ही जोर दिया जाता है। उन्होंने किसानों की समस्याओं पर संपूर्णता से विचार करने की जरूरत पर बल दिया।

बसपा के सतीशचंद्र मिश्रा ने कहा कि किसान देश की रीढ़ की हड्डी हैं। उन्होंने कहा कि किसानों का मौजूदा आंदोलन इस आशंका के कारण हो रहा है कि एमएसपी बंद हो जाएगा। हालांकि सरकार ने कहा है कि यह खत्म नहीं किया जाएगा।

उन्होंने कहा कि इसे नियम या कानून में ही शामिल कर लेते तो इसके विरोध की नौबत ही नहीं आती।

शिवेसना के संजय राउत ने सवाल किया कि अगर ये विधेयक सुधार के लिए हैं तो पंजाब, हरियाणा के किसान सड़कों पर क्यों हैं ? उन्होंने कहा कि पूरे देश में इनका विरोध नहीं हो रहा है। इसका मतलब है कि कुछ भ्रम है ?

भारत-जर्मन शोध टीम द्वारा प्रस्तुत वैज्ञानिक तथ्य:भूकंपीय विस्फोट के बाद भारतीय मॉनसून का बेहतर तरीके से पूर्वानुमान लगाया जा सकता है attacknews.in

वायुमंडलीय क्षेत्र में भूकंपीय पदार्थ सूर्य की रोशनी को बाधित कर देते हैं और वायु परिसंचरण तथा वर्षा गतिशीलता को प्रभावित करते हैं: आर कृष्णन, आईआईटीएम पुणे

नईदिल्ली 19 सितम्बर ।बड़े भूकंपीय विस्फोट भारत के ऊपर मॉनसून-जो देश की कृषि की कुंजी है और इस प्रकार एक बिलियन लोगों को भोजन उपलब्ध कराता है-की भविष्यवाणी करने में सहायता कर सकते हैं।

यह बात एक भारत-जर्मन शोध टीम के निष्कर्ष के अनुसार सामने आई, अनियमित होने के कारण, भूकंपीय विस्फोट पूर्वानुमेयता में सुधार लाते हैं। जो विरोधाभासी प्रतीत होता है, वह वास्तव में दक्षिण एवं दक्षिण पूर्व एशिया के बड़े भागों के ऊपर मानसून तथा विस्फोट के बाद अल नीनो प्रभाव के बीच एक मजबूत समतुल्यता के कारण है।

मौसम संबंधी अवलोकनों, जलवायु के रिकार्डों, कंप्यूटर मॉडल सिमुलेशन तथा पृथ्वी के इतिहास के पिछली सहस्त्राबदियों से पेड़ के छल्लों, कोरल, गुफा जमाओं एवं आइस कोर जैसे पुरा जलवायु शिलालेख आंकड़ों की समतुल्यता से शोधकर्ताओं ने पाया कि मॉनसून का प्राकृतिक जलवायु पविर्तनशीलता के सबसे मजबूत तरीके, अल नीनो के साथ वर्णनात्मकता भारतीय उपमहाद्वीप में मौसमी बारिश की शक्ति के बारे में पूर्वानुमान लगाना आसान बना देता है।

पुणे स्थित भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान के आर कृष्णन ने कहा, ‘ छोटे कण और गैसें जिन्हें एक बड़ा विस्फोट वायु में डालता है, वे जलवायु में प्रवेश कर जाती हैं और वहां कई वर्षों तक बनी रहती हैं। वायुमंडलीय क्षेत्र में भूकंपीय पदार्थ कुछ सीमा तक सूर्य की रोशनी को धरती की सतह तक पहुंचने में बाधित कर देते हैं और निम्न सौर दबाव अगले वर्ष अल नीनो प्रभाव की संभाव्यता को बढ़ा देता है।

उन्होंने कहा कि, ‘ऐसा इसलिए है क्योंकि कम धूप का अर्थ है कम गरमी और इस प्रकार उत्तरी तथा दक्षिणी गोलार्ध के बीच तापमान अंतरों में बदलाव आ जाता है जो वातावरण के बड़े पैमाने पर वायु परिसंचरण तथा वर्षण गतिशीलता को प्रभावित करता है। उन्नत डाटा विश्लेषण से अब पता चला है कि बड़े भूकंपीय विस्फोटों से प्रशांत क्षेत्र के ऊपर और भारतीय मॉनसून सूखे पर गर्म अल नीनो प्रभाव की अनुरूपता -या, इसके बदले, प्रशांत क्षेत्र के ऊपर ठंडा ला नीना और भारतीय मॉनसून आधिक्य को बढ़ावा मिलने की अधिक संभावना है।’

भारतीय मॉनसून वर्षा की वर्ष दर वर्ष पविर्तनशीलता अल नीनो/दक्षिणी स्पंदन पर बहुत अधिक निर्भर करता है-जो उष्णकटिबंधीय प्रशांत महासागर में एक जलवायु घटना है जिसके स्पेनिश नाम का अर्थ ‘बच्चा’ है जो शिशु ईसा मसीह को उद्धृत करता है क्योंकि दक्षिण अमेरिका के निकट जल क्रिसमस के निकट बहुत अधिक गर्म रहता है।

जर्मनी पोट्सडैम जलवायु प्रभाव अनुसंधान संस्थान (पीआईके) के नौर्बर्ट मारवान ने कहा, ‘उष्णकटिबंधीय प्रशांत महासागर और भारतीय मॉनसून के बीच समतुल्यता में धीरे-धीरे परिवर्तन हो रहा है जिसके एक कारण में मानव निर्मित्त ग्लेाबल वार्मिंग है, जो मॉनसून के सटीक पूर्वानुमान को बदतर बना रहा है। वास्तव में, यह उस परिकल्पना की पुष्टि करता है जिसे 15 वर्ष पहले हमारे सहयोगियों मरॉन एवं कुर्थ्स ने आगे बढ़ाया था। अब ये निष्कर्ष मॉनसून के पूर्वानुमान के लिए एक नवीन, अतिरिक्त पथ का संकेत देते हैं जो भारत में कृषि संबंधी नियोजन के लिए महत्वपूर्ण हैं। ‘पीआईके के पिछले अनुसंधान से पहले ही बिना भूकंपीय विस्फोटों के वर्षों तक मानसून के पूर्वानुमान में उल्लेखनीय रूप से सुधार आ चुका है।’

ये निष्कर्ष जलवायु मॉडलों के आगे के विकास में भी सहायता कर सकते हैं और वास्तव में भू-अभियांत्रिकी प्रयोगों के क्षेत्रीय निहितार्थों के आकलन में भी मदद कर सकते हैं। मानव निर्मित्त ग्रीनहाउस गैसों से ग्लोबल वार्मिंग को कम करने के लिए, कुछ वैज्ञानिक सौर विकिरण प्रबंधन की कल्पना करते हैं-जो मूल रूप से उच्च वातावरण में धूल डालने के जरिये धूप के एक हिससे को बाधित कर सूरज की किरणों से पृथ्वी को गर्म होने से बचाना है, उसी प्रकार जैसे किसी भूकंपीय विस्फोट की प्राकृतिक घटना से होता है। बहरहाल, कृत्रिम रूप से सूरज की किरणों को बाधित करना वातावरण में कई प्रकार की क्रियाओं में खतरनाक तरीके से हस्तक्षेप करना हो सकता है। इसलिए, जारी तंत्र को समझना महत्वपूर्ण है।

ये निष्कर्ष ‘फिंगरप्रिंट ऑफ वोलकैनिक फोर्सिंग ऑन द एन्सो-इंडियन मॉनसून कपलिंग’ शीर्षक के तहत साइंस एडवांसेज में प्रकाशित किए गए हैं।

लेख यहां पढ़ें। (लेख: एम सिंह, आर कृष्णन, बी गोस्वामी, ए डी चैधरी, पी स्वप्ना, आर वेल्लोर, ए जी प्रजीश, एन संदीप, सी वेंकटरमणन, आर वी डोनर, एन मारवान, जे कुथ्र्स (2020) फिंगरप्रिंट ऑफ वोलकैनिक फोर्सिंग आन द एन्सो-इंडियन मॉनसून कपलिंग। साइंस एडवांसेज)।

अध्ययन के बारे में अधिक विवरण के लिए, संपर्क करें: डा. आर कृष्णन, कार्यकारी निदेशक सीसीसीआर-आईआईटीएम एवं शोधपत्र के लेखक,  krish@tropmet.res.in / 020-25904301