शिवराज सिंह चौहान ने की नरेन्द्र मोदी से मुलाकात: मध्यप्रदेश में आगामी तीन वर्षों में आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश 2023 के रोडमैप के बारे में विस्तार से बताया attacknews.in

भोपाल, 01 दिसंबर । मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से उनके निवास पर मुलाकात कर प्रदेश में चल रही प्रमुख योजनाओं की प्रगति के साथ विगत आठ माह में प्रदेश की उपलब्धियों के बारे में विस्तार से चर्चा की।

आधिकारिक जानकारी में यहां बताया गया कि लगभग सवा घंटे चली इस बैठक में मुख्यमंत्री ने केन्द्र द्वारा हाल ही में विभिन्न मदों में जारी की गई राशि के लिये प्रधानमंत्री श्री मोदी का धन्यवाद ज्ञापित किया। हाल ही में केन्द्र सरकार ने रबी 2020-21 में 22 लाख मीट्रिक टन यूरिया का आवंटन, बाढ़ संकट के दौरान 611 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता और कैम्पा निधि के अंतर्गत प्रदेश को 860 करोड़ रुपये राज्य सरकार को जारी किये हैं।

श्री चौहान ने मध्यप्रदेश में आगामी तीन वर्षों में आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश 2023 के रोडमैप के बारे में प्रधानमंत्री श्री मोदी को विस्तार से बताया।

उन्होंने कहा कि रोडमैप नीति आयोग के सक्रिय सहयोग एवं देश के प्रख्यात विशेषज्ञों, संयुक्त राष्ट्र की संस्थाओं के प्रतिनिधियों, शिक्षाविदों और प्रशासनिक अधिकारियों के साथ कई चरणों एवं स्तरों के गहन विचार-विमर्श एवं मंथन के उपरांत तैयार किया गया है। मुख्यमंत्री ने रोडमैप की प्रति प्रधानमंत्री को भेंट की।

मुख्यमंत्री ने बताया कि रोडमैप में आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश के सर्वांगीण एवं समावेशी विकास को समाहित किया गया है। इसमें अधोसंरचना, सुशासन, स्वास्थ्य, शिक्षा तथा अर्थव्यवस्था एवं रोजगार के लिए दीर्घकालीन, मध्यकालीन और अल्पकालीन लक्ष्य निर्धारित किये गये हैं।

श्री चौहान ने प्रधानमंत्री को कोविड काल में आर्थिक गतिविधियों में तेजी लाने और उपभोक्ता खपत को बढ़ाने में राज्य सरकार द्वारा किये गये प्रयासों से अवगत कराया। मुख्यमंत्री ने प्रदेश में कोविड की वर्तमान स्थिति और टीकाकरण से जुड़ी व्यापक तैयारियों के बारे में विस्तार से जानकारी दी।

उन्होंने बताया कि राज्य एवं जिला स्तर पर कोविड-19 के टीकाकरण के समन्वय के लिए समितियां गठित की गई हैं तथा राज्य में अनुभाग स्तर पर पर्यवेक्षण एवं समन्वय के लिए अनुविभागीय अधिकारियों की अध्यक्षता में समितियों का गठन किया जायेगा।

इसके अलावा मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को प्रदेश में संचालित विभिन्न जनकल्याणकारी योजनाओं प्रधानमंत्री स्ट्रीट वेंडर योजना, श्रम सिद्धि अभियान, मुख्यमंत्री ग्रामीण पथ विक्रेता योजना, स्व-सहायता समूहों का सशक्तिकरण, प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना, प्रधानमंत्री मातृ वन्दना योजना, कृषि अधोसंरचना निधि और कृषि उत्पादन योजना सहित अन्य योजनाओं की प्रगति से अवगत कराया।

भारत में कोरोना का टीका बहुत ही जल्द: शनिवार को टीका विकसित करने वाली कंपनियों का दौरा करने के बाद नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को तीन कम्पनियों की टीम के साथ ऑनलाइन बैठक की attacknews.in

नयी दिल्ली, 30 नवम्बर । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कोविड-19 के टीके को विकसित कर रही और उसका विनिर्माण कर रही तीन टीमों के साथ सोमवार को एक ऑनलाइन बैठक की ।

मोदी ने कंपनियों को सुझाव दिया कि वे लोगों को कोविड-19 टीके के प्रभावी होने समेत इससे जुड़े अन्य मामलों को सरल भाषा में सूचित करने के लिए अतिरिक्त प्रयास करें ।

मोदी ने कंपनियों से विनियामक प्रक्रिया पर सुझाव देने की बात कहते हुए, सम्बंधित विभागों को मुद्दे सुलझाने के लिए उनके साथ काम करने की भी सलाह दी।

प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने रविवार को एक ट्वीट में बताया था कि मोदी ‘जेनोवा बायोफार्मा’, ‘बायोलॉजिकल ई’ और ‘डॉ रेड्डीज’ की टीमों के साथ बैठक करेंगे।

पीएमओ ने कहा था, ” प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कोविड-19 का टीका विकसित करने में शामिल तीन टीमों से कल, 30 नवम्बर 2020 को वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए बातचीत करेंगे। जिन टीमों से वह बात करेंगे उनमें जेनोवा बायोफार्मा, बायोलॉजिकल ई और डॉ रेड्डीज शामिल हैं।”

मोदी ने शनिवार को अहमदाबाद, हैदराबाद और पुणे की यात्रा भी की थी। उन्होंने इन शहरों में कोरोना वायरस टीके के विकास और विनिर्माण प्रक्रिया की समीक्षा की थी।

शनिवार को सीरम इंस्टीट्यूट में कोरोना वैक्सीन प्रक्रिया का जायजा लिया था मोदी ने

शनिवार को देश भर में कोरोना की वैक्सीन के इंतजार के बीच प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वैक्सीन बना रही प्रयोगशालाओं में शामिल पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया का दौरा किया और वैज्ञानिकों से अब तक हुई प्रगति के बारे में जानकारी ली।

इससे पहले श्री मोदी वैक्सीन बना रही दो अन्य प्रयोगशालाओं में भी गये। वह सुबह अहमदाबाद स्थित जाइडस बायोटेक पार्क और दोपहर में हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक प्रयोगशाला पहुंचे।

सीरम संस्था ने कोरोना वैक्सीन पर प्रधानमंत्री से की थी चर्चा

ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी और फार्मा की दिग्गज कंपनी एस्ट्रा ज़ेनेका द्वारा बनाई जा रही कोरोना वैक्सीन के आपातकालीन उपयोग के लिए पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया दो सप्ताह के भीतर आवेदन दाखिल करेगा।

सीरम संस्था के प्रमुख अदर पूनावाला ने प्रधानमंत्री नरेंद्र के साथ शनिवार को चर्चा के बाद यह बात कही। उन्होंने यहां मीडियाकर्मियों से बातचीत में कहा, “हमें भारत सरकार से लिखित रूप में अब तक कुछ भी नहीं मिला है लेकिन संकेत है कि यह जुलाई 2021 तक तीस से चालीस करोड़ खुराक चाहिए होगी।”

मोदी ने किया था गुजरात में कोरोना टीका विकसित कर रहे प्रयोगशाला का दौरा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अहमदाबाद में निजी क्षेत्र की अग्रणी दवा निर्माता कम्पनी जाइडस के प्रयोगशाला का दौरा कर वहां कोरोना वाइरस के टीके के विकास की प्रगति का जायज़ा लिया था ।

कोरोना वाइरस के टीकों का विकास और बड़े पैमाने पर विनिर्माण की तैयारी कर रही तीन भारतीय प्रयोगशालों के अपने दौरे के क्रम में यहां पहुंचे श्री मोदी ने शहर के बाहर चांगोदर उपनगर में जाइडस बायोलाजिक्स बायोटेक पार्क स्थित प्रयोगशाला का दौरा किया था ।

कम्पनी के चेयरमैन पंकज पटेल और उनके पुत्र तथा प्रबंध निदेशक शरविल पटेल ने उनका स्वागत किया। श्री मोदी ने टीका विकास और इसकी बड़े पैमाने पर विनिर्माण प्रक्रिया के बारे में महत्वपूर्ण जानकारियां हासिल की।

उन्होंने विशेष पीपीई किट पहन कर प्रयोगशाला का दौरा किया और श्री पटेल तथा सम्बंधित वैज्ञानिकों से चर्चा भी की। बाद में उन्होंने ट्वीट कर जानकारी दी कि उन्होंने यह विकसित की जा रही डीएनए आधारित स्वदेशी टीके के बारे में और जानकारी हासिल की। उन्होंने इससे जुड़ी टीम को बधाई दी और कहा कि सरकार उनके सहयोग के लिए सक्रिय ढंग से काम कर रही है।

ज्ञातव्य है कि श्री मोदी ने इससे पहले हैदराबाद के भारत बायोटेक तथा पुणे स्थित दुनिया की सबसे बड़ी टीका निर्माता संस्था सीरम इंस्टीच्यूट ऑफ़ इंडिया का भी दौरा कर कोरोना टीके के विकास और विनिर्माण की तैयारियों का जायज़ा लिया था ।

मोदी ‘कोवैक्सीन’ पर वैज्ञानिकों से चर्चा करने पहुंचे थे

कोरोना वायरस (कोविड-19) के टीकों का विकास और बड़े पैमाने पर इसके उत्पादन की तैयारी कर रही तीन भारतीय प्रयोगशालाओं के अपने दौरे के क्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को दोपहर बाद अहमदाबाद से भारतीय वायुसेना के विशेष विमान से हैदराबाद के हकीमपेट में वायु सेना हवाई अड्डा पहुंचे थे ।

श्री मोदी यहां पहुंचने के तुरंत बाद सड़क मार्ग के जरिये शमीरपेट में स्थित जेनोमी घाटी स्थित भारत बायोटेक अंतरराष्ट्रीय लिमिटेड (बीबीआईएल) के लिए रवाना हो गए। बीबीआईएल कोरोना वायरस के टीके ‘कोवैक्सीन’ के विकास में जुटा हुआ है।

श्री मोदी ने बीबीआईएल के दौरे के दौरान वैज्ञानिकों एवं अन्य संबंधित लोगों से विस्तार से विचार-विमर्श किया तथा स्थिति की समीक्षा की थी।

इसके बाद श्री मोदी हकीमपेट वायु सेना हवाई अड्डा रवाना हो गये जहां से वह पुणे के लिए रवाना हुए । पुणे स्थित सिरम इंस्टीच्यूट ऑफ इंडिया का श्री मोदी ने दौरा किया।

श्री मोदी की वैज्ञानिकों के साथ चर्चा से उन्हें देश के आम लोगों के टीकाकरण करने के लिए किए जा रहे प्रयासों में तैयारियों, चुनौतियों और रोडमैप के बारे में जानकारी प्रमुखता से रही।

भारत बायोटेक इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के सहयोग से कोविड-19 की वैक्सीन ‘कोवैक्सीन’ विकसित कर रहा है। इस टीके के तीसरे चरण के क्लीनिकल परीक्षण की शुरुआत हाल ही में की गयी है।

इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज अहमदाबाद में निजी क्षेत्र की अग्रणी दवा निर्माता कम्पनी जाइडस के प्रयोगशाला का दौरा कर वहां कोरोना वाइरस के टीके के विकास की प्रगति का जायज़ा लिया। कोरोना वाइरस के टीकों का विकास और बड़े पैमाने पर विनिर्माण की तैयारी कर रही तीन भारतीय प्रयोगशालों के अपने दौरे के क्रम में यहां पहुंचे श्री मोदी ने शहर के बाहर चांगोदर उपनगर में जाइडस बायोलाजिक्स बायोटेक पार्क स्थित प्रयोगशाला का दौरा किया।

दिल्ली की सीमा पर डटे पंजाब के किसानों ने ठुकरायी केंद्र सरकार की बातचीत की अपील, एक दिसंबर से राज्यों में प्रदर्शन और दिल्ली को चारों ओर से घेरकर बंद करने का ऐलान attacknews.in

नयी दिल्ली ,29 दिसंबर. । नए कृषि कानूनों को लेकर दिल्ली की सीमा पर डटे किसान संगठनों ने सरकार की बातचीत की अपील ठुकरा दी है और एक दिसंबर से सभी राज्यों में विरोध प्रदर्शन करने की घोषणा की है।

विरोध कर रहे किसान संगठनों के संयुक्त मंच अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति ने आज यहां जारी एक बयान में कहा कि सरकार को उच्च स्तर पर किसानों से बातचीत करनी चाहिए।

समिति ने कहा कि किसानों ने एक दिसंबर से सभी राज्यों में भी विरोध प्रदर्शन करने का फैसला किया है। कल देर शाम केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने किसानों से बातचीत करने की अपील करते हुए कहा था कि तीन दिसंबर को केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर किसान संगठनों के साथ बैठक करेंगे।

बयान में कहा गया है कि किसान एकजुट हैं और एक सुर में केन्द्र सरकार से तीन किसान विरोधी, जनविरोधी कानूनों और तथा बिजली विधेयक 2020 की वापसी की मांग कर रहे हैं। किसान शांतिपूर्वक व संकल्पबद्ध रूप से दिल्ली पहुंचे हैं और अपनी मांग हासिल करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। पंजाब और हरियाणा से भारी संख्या कुसान में सिंघु और टिकरी बार्डर पर पहुंच रहे हैं। उत्तराखंड और उत्तरप्रदेश के किसानों की गोलबंदी भी सिंघु बार्डर पर हो रही है।

किसानों का आरोप है कि सरकार ने उनकी मांगों और सवालों पर कोई ध्यान नहीं दिया है। सरकार की कार्यप्रणाली ने अविश्वास और भरोसे की कमी पैदा की है। किसान संगठनों का कहना है कि अगर सरकार किसानों की मांगों को सम्बोधित करने पर गम्भीर है तो उसे शर्तें लगानी बंद कर देनी चाहिए ।

किसानों ने सरकार का प्रस्ताव खारिज किया

कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली की सीमाओं पर डटे किसान संगठनों ने सरकार के प्रस्ताव को खारिज किया और सर्वोच्च राजनीतिक स्तर पर वार्ता की मांग करते हुए आने वाले दिनों में दिल्ली की सभी पांचों सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन तेज करने की बात कही है।

किसान संगठनों ने बैठक के बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के उस प्रस्ताव भी आज ठुकरा दिया है, जिसमें उन्होंने बुराड़ी में मुहैया कराई गई जगह पर सभी किसानों के इकट्ठा होने के बाद बातचीत शुरू करने की बात कही थी। इतना ही नहीं किसान संगठनों ने यह भी फैसला किया है कि बुराड़ी पहुंचे किसान भी वापस सिंघु बॉर्डर लौटेंगे। किसानों ने कहा कि टिकरी बॉर्डर और सिंघु बॉर्डर तो सील कर दिया गया है। इसके अलावा आने वाले दिनों में हापुड़, आगरा और जयपुर रोड को भी सील किया जाएगा। पंजाब, हरियाणा और राजस्थान से आए हजारों किसान सिंघु और टीकरी बॉर्डर पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।

श्री शाह ने किसानों से धरने के लिए निर्धारित बुराड़ी स्थित संत निरंकारी मैदान में पहुंचने की अपील की थी। उन्होंने कहा था कि निर्धारित स्थल पर पहुंचने के अगले ही दिन वार्ता होगी वहीं, किसानों ने अमित शाह की इस शर्त को ठुकरा दिया है।

किसान नेताओं ने गृह मंत्रालय और खुफिया एजेंसियों के माध्यम से आंदोलनकारियों से वार्ता के प्रयास की निन्दा कर सर्वोच्च राजनीतिक स्तर पर वार्ता की मांग करते हुए कहा कि सरकार तीन किसान विरोधी, जनविरोधी कानूनों को तत्काल रद्द करे।

अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (एआईकेएससीसी) ने एक बयान जारी कर कहा कि किसान एकताबद्ध हैं और एक सुर में केन्द्र सरकार से तीन किसान विरोधी, जनविरोधी कानूनों, जो कारपोरेट के हित की सेवा करते हैं और जिन्हें बिना चर्चा किए पारित किया गया तथा बिजली विधेयक-2020 की वापसी की मांग कर रहे हैं। किसान शांतिपूर्वक और संकल्पबद्ध रूप से दिल्ली पहुंचे हैं और अपनी मांग हासिल करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। पंजाब और हरियाणा से किसान भारी संख्या में सिंघु और टिकरी बार्डर पर पहुंच रहे हैं। उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के किसानों की गोलबंदी भी सिंघु बार्डर पर हो रही है।

उन्होंने कहा कि देश के किसानों ने तय करके दिल्ली में भारी संख्या में विरोध जताया क्योंकि सरकार ने सितम्बर से जारी किये गये उनके ‘‘दिल्ली चलो’’ आह्नान के बाद हुए देशव्यापी विरोध कार्यक्रमों पर कोई ध्यान नहीं दिया।

उन्होंने स्थानीय स्तर पर देश भर में बहुत सारे विरोध आयोजित किये, जबकि दिल्ली के आसपास के किसान राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की ओर आगे बढ़ रहे हैं।

किसानों ने दिल्ली पहुंचने की बहुत विस्तारित तैयारी की हुई है पर उन्हें एक दमनकारी अमानवीय व असम्मानजनक हमलों का सामना करना पड़ा है, जिसमें सरकार ने उनके रास्ते में बहुत सारी बाधाएं डालीं, पानी की बौछारें की, आंसू गैस के गोले दागे, लाठीचार्ज किया और राजमार्ग खोद दिये। सरकार में पैदा हुए अविश्वास और भरोसे की कमी के लिए सरकार खुद भी जिम्मेदार है।

बयान में कहा गया है कि अब तीन काले कानून और बिजली विधेयक-2020 वापस लेने की मांग पर अपनी प्रतिक्रिया देने की जगह सरकार इस प्रयास में है कि बहस का मुद्दा यह बने कि किसान कहां रुकेंगे? पूरे शहर में पुलिस तैनात की गयी है जिससे विरोध कर रहे किसान और दिल्ली की जनता भी आतंक और संदेह के माहौल में आ गयी है। किसानों के रास्ते में लगाए गये बैरिकेड अब भी नहीं हटाए गये हैं।

उन्होंने कहा कि अगर सरकार किसानों की मांगों को सम्बोधित करने पर गम्भीर है तो उसे शर्तें लगाना बंद कर देना चाहिए। किसान अपनी मांगों पर बहुत स्पष्ट  हैं ।

किसान कूच : प्रदर्शनकारी अब भी दिल्ली के बॉर्डर पर जमे हुए हैं

इससे पहले केंद्र द्वारा लागू तीन कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली में विरोध प्रदर्शन करने आ रहे हजारों किसान एक और सर्द रात सड़क पर बिताने के साथ राष्ट्रीय राजधानी के सिंघू और टिकरी बॉर्डर पर अब भी जमे रहे । वहीं, किसान नेता सरकार द्वारा प्रस्तावित रणनीति पर मंथन करते रहे ।

किसानों के आंदोलन की वजह से कई सड़क और दिल्ली आने वाले रास्ते बंद हैं जबकि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने किसानों से बुराड़ी मैदान में आकर प्रदर्शन करने की अपील की और कहा कि वे जैसे ही निर्धारित स्थान पर जाएंगे, उसी समय केंद्र वार्ता को तैयार है।

शाह ने कहा किसानों के प्रतिनिधिमंडल को चर्चा के लिए तीन दिसंबर को आमंत्रित किया गया है। उन्होंने कहा कि कुछ किसान संगठनों ने तत्काल वार्ता करने की मांग की है और केंद्र बुराड़ी के मैदान में किसानों के स्थानांतरित होते ही वार्ता को तैयार है।

सिंघू बॉर्डर पर मौजूद बृज सिंह नामक किसान ने कहा, ‘‘भविष्य की रणनीति तय करने के लिए आज अहम बैठक होने वाली है। तब तक हम यहीं जमे रहेंगे बैठक के नतीजों के हिसाब से फैसला करेंगे। मांगें माने जाने तक हम प्रदर्शन खत्म नहीं करेंगे।’’

पंजाब के मुख्यमंत्री ने भी शाह के प्रस्ताव पर कहा कि किसानों से जितनी जल्दी बातचीत होगी, उतना ही वह कृषि समुदाय और दिश के हित में होगा।

आंदोलन में साथ खड़े हरियाणा और पंजाब के किसानों को हमारा पूर्ण समर्थन : हुड्डा

हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री एवं प्रतिपक्ष के नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के उस बयान पर हैरानी जताई है जिसमें उन्होंने आंदोलन में हरियाणा के किसान शामिल होने से इंकार किया है।

श्री हुड्डा ने आज यहां कहा कि तीन कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ हरियाणा के किसान कई महीने से आंदोलनरत हैं। वो बार-बार सरकार से इन क़ानूनों को वापस लेने या एमएसपी का क़ानून बनाने की गुहार लगा चुके हैं।मुख्यमंत्री को बताना चाहिए कि क्या वो आंदोलनकारी किसानों को हरियाणा वासी नहीं मानते। हरियाणा के किसान आंदोलन का हिस्सा नहीं है तो पिपली में सरकार ने किन लोगों पर लाठीचार्ज करवाया था। वो कौन लोग हैं जिन्हें हरियाणा पुलिस ने दिल्ली कूच से पहले हिरासत में लिया था। वो हज़ारों किसान कहां के रहने वाले हैं जिन पर हरियाणा सरकार ने मुक़दमे दर्ज किए हैं।

कुंडली बॉर्डर पर धरने पर बैठे किसानों ने दिखाए तीखे तेवर

हरियाणा में सोनीपत के कुंडली बॉर्डर पर अपनी मांगों को लेकर धरने पर बैठे हजारों किसानों के तेवर तीखे होते जा रहे हैं। किसान संगठनों ने रविवार को स्पष्ट कर दिया कि वह किसी वार्ता के लिए दिल्ली नहीं जाएंगे बल्कि केंद्र सरकार का प्रतिनिधि यहीं आकर उनसे बातचीत करें।

पारित तीन कृषि कानून के विरोध में कुंडली बॉर्डर पर चल रहा विभिन्न किसान संगठनों का धरना आज तीसरे दिन में प्रवेश कर गया। पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश से यहां पहुंचने का किसानों का सिलसिला बदस्तूर जारी रहा। रोजाना हजारों किसानों के धरना स्थल पर पहुंचने से इसका आकार विशाल होता जा रहा है।

आलम यह है कि जहां तक नजर जाती है वहां किसान ही किसान नजर आते हैं। हाईवे के बीचों बीच किसानों का धरना चलने के कारण ट्रैफिक पूरी तरह ठप्प हैं ।

नरेन्द्र मोदी की ” मन की बात “:संसद ने कृषि सुधारों को कानूनी स्वरूप काफी विचार-विमर्श के बाद दिया जिनसे किसानों को ‘‘नए अधिकार और नए अवसर’’ मिले attacknews.in

नयी दिल्ली, 29 नवंबर । केंद्र के नए कृषि कानूनों के विरोध में जारी किसान आंदोलन के बीच प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को कहा कि संसद ने कृषि सुधारों को कानूनी स्वरूप काफी विचार-विमर्श के बाद दिया जिनसे किसानों को ‘‘नए अधिकार और नए अवसर’’ मिले हैं।

मोदी ने अपने मासिक ‘मन की बात’ कार्यक्रम में कहा, ‘‘भारत में खेती और उससे जुड़ी चीजों के साथ नए आयाम जुड़ रहे हैं। बीते दिनों हुए कृषि सुधारों ने किसानों के लिए नई संभावनाओं के द्वार भी खोले हैं। किसानों की वर्षों से कुछ मांगें थीं और उन्हें पूरा करने के लिए हर राजनीतिक दल ने कभी न कभी वादा किया था, लेकिन वे कभी पूरी नहीं हुईं।’’

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘संसद ने काफी विचार-विमर्श के बाद कृषि सुधारों को कानूनी स्वरूप दिया। इन सुधारों से न सिर्फ किसानों के अनेक बंधन समाप्त हुए हैं, बल्कि उन्हें नए अधिकार और अवसर भी मिले हैं।’’

गौरतलब है कि संसद द्वारा मानसून सत्र में पारित तीन कृषि विधेयकों को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की मंजूरी के बाद कानूनों के रूप में लागू किया जा चुका है जिनका कांग्रेस समेत कई विपक्षी दल विरोध कर रहे हैं और अनेक किसान सड़कों पर उतर आए हैं।

‘मन की बात’ में मोदी ने देशवासियों को बताया कि 1913 के आसपास वाराणसी के एक मंदिर से चुराई गई देवी अन्नपूर्णा की प्राचीन प्रतिमा को कनाडा से भारत वापस लाया जा रहा है।

इसके साथ ही प्रधानमंत्री ने शिक्षण संस्थानों से नई, नवोन्मेषी पद्धतियां अपनाने और पूर्व छात्रों को जोड़ने के लिहाज से रचनात्मक मंच तैयार करने को कहा। उन्होंने पूर्व छात्रों का भी अपने संस्थानों के लिए कुछ करते रहने का आह्वान किया।

मोदी ने गुरु नानक जयंती के एक दिन पहले देशवासियों को गुरु पर्व की बधाई देते हुए कहा, ‘‘दुनियाभर में सिख समुदाय ने गुरु नानक देव जी की प्रेरणा से शुरू की गई लंगर की परंपरा को कोरोना वायरस महामारी के समय में जारी रखकर मानवता की सेवा की है।’’

उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष नवंबर में ही करतारपुर साहब कॉरिडोर का खुलना बहुत ही ऐतिहासिक रहा। मोदी ने कहा, ‘‘इस बात को मैं जीवनभर अपने हृदय में संजोकर रखूंगा।’’

प्रधानमंत्री ने इसके साथ ही संग्रहालयों और पुस्तकालयों का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘आज देश में कई संग्रहालय और पुस्तकालय अपने संग्रह को पूरी तरह से डिजिटल बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं।’’

उन्होंने कहा कि दिल्ली में राष्ट्रीय संग्रहालय में लगभग 10 डिजिटल दीर्घाएं शुरू करने का काम चल रहा है।

कांग्रेस पार्टी के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने पंजाब के किसानों के आंदोलन पर केंद्र को चेताया:स्थिति हाथ से निकलती जा रही है;उधर दिल्ली में किसानों को मिली प्रवेश की अनुमति, इससे पहले पुलिस ने किसानों को रोकने के लिए आंसू गैस के गोले दागे, पानी की बौछारें की attacknews.in

चंडीगढ़/नईदिल्ली , 27 नवंबर ।कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के ‘दिल्ली चलो’ मार्च को लेकर किसान और पुलिस के बीच हो रहे संघर्षों के बीच पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने शुक्रवार को केंद्र सरकार को संबंधित करते हुए कहा कि किसानों की आवाज को दबाया नहीं जा सकता और केंद्र स्थिति को सामान्य करने के लिए किसानों के साथ तुरंत बातचीत करे।

सिंह ने सवाल किया कि स्थिति जब नियंत्रण से बाहर हो रही है, तो केंद्र किसानों के साथ बातचीत करने के लिए तीन दिसंबर का इंतजार क्यों कर रहा है।

सिंह ने ट्वीट कर कहा,‘‘किसानों की आवाज दबायी नहीं जा सकती है। केंद्र को दिल्ली की सीमाओं पर तनावपूर्ण स्थिति को शांत करने के लिए किसान संघ के नेताओं के साथ तुरंत बातचीत शुरू करनी चाहिए। अब जब स्थिति हाथ से निकल रही है तो तीन दिसंबर तक इंतजार क्यों करें?”

वहीं दिल्ली पुलिस ने ‘दिल्ली चलो’ मार्च के तहत राष्ट्रीय राजधानी की ओर मार्च कर रहे किसानों को रोकने के लिए दिल्ली-हरियाणा सीमा पर कहीं आंसू गैस के गोले दागे, तो कहीं पानी की बौछारें कीं।

भारी संख्या में सुरक्षाबलों की तैनाती के बावजूद हरियाणा में पुलिस बैरिकेड तोड़ने के बाद पंजाब के किसानों के समूह शुक्रवार सुबह दिल्ली की दो सीमाओं के पास पहुंचने में कामयाब रहे ।

सिंह ने केंद्र से कहा कि वह राष्ट्र भावना दिखाएं और किसानों की सुनिश्चित न्यूनतम समर्थन मूल्य की मांग को स्वीकार करें ।

पंजाब के मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘केंद्र सरकार को सुनिश्चित एमएसपी के लिए किसानों की मांग को स्वीकार करने की जरूरत है, जो हर किसान का मूल अधिकार है। अगर वे मौखिक आश्वासन दे सकते हैं तो मैं यह नहीं समझ पा रहा हूं कि वे इसे कानूनी रुप से लागू क्यों नहीं कर सकते।”

सिंह ने उन लोगों पर भी निशाना साधा जिन्होंने आरोप लगाया था कि कांग्रेस किसानों को ‘अंधा’ बताकर भड़का रही है और कहा कि किसान ‘जीवन और आजीविका’ के लिए लड़ रहे हैं।

किसान नये कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि नये कानून से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की व्यवस्था समाप्त हो जाएगी।

केंद्र ने तीन दिसंबर को दिल्ली में एक और बातचीत के लिए पंजाब के कई कृषि निकायों को आमंत्रित किया है।

किसान प्रदर्शन: दिल्ली पुलिस ने किसानों को रोकने के लिए आंसू गैस के गोले दागे, पानी की बौछारें की

नयी दिल्ली से खबर है कि, केन्द्र के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ ‘दिल्ली चलो’ मार्च के तहत राष्ट्रीय राजधानी की ओर मार्च कर रहे किसानों को रोकने के लिए पुलिस ने दिल्ली-हरियाणा सीमा पर कहीं आंसू गैस के गोले दागे, तो कहीं पानी की बौछारें कीं।

दिल्ली पुलिस ने सिंघु बॉर्डर पहुंचे किसानों के एक समूह पर आंसू गैस के गोले दागे, जबकि टीकरी बॉर्डर पर सुरक्षा कर्मियों ने किसानों को राष्ट्रीय राजधानी में आने से रोकने के लिए उन पर पानी की बौछारें की।

सिंघु बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसानों को तितर-बितर करने के लिए सुरक्षा कर्मियों द्वारा आंसू गैस के गोलों का इस्तेमाल किए जाने के बाद वहां घना धुआं देखा गया।

वहीं टीकरी बॉर्डर पर किसानों की पुलिस से झड़प हो गई और उन्होंने अवरोधक के तौर पर लगाए ट्रक को जंजीरों (चैन) के जरिए ट्रैक्टर से बांध वहां से हटाने की कोशिश की।

पंजाब से दिल्ली आने के सीधे मार्ग सिंघु बॉर्डर पर किसानों को राष्ट्रीय राजधानी में दाखिल होने से रोकने के लिए कई तरह के अवरोधक लगाए गए हैं।

सीमावर्ती इलाकों में प्रदर्शनकारियों की गतिविधियों पर कड़ी नजर रखने के लिए सुरक्षा कर्मी ड्रोन का इस्तेमाल भी कर रहे हैं।

पुलिस के एक अधिकारी ने कहा, ‘‘ हम किसानों को प्रदर्शन करने से रोकने के लिए आंसू गैस के गोलों का इस्तेमाल कर रहे हैं। हम उन्हें यह भी बता रहे हैं कि कोविड-19 वैश्विक महामारी के मद्देनजर किसी प्रकार की रैली करने या धरना देने की अनुमति नहीं है।’’

अधिकारी ने कहा, ‘‘ उन्हें अनुमति नहीं दी गई और अगर उन्होंने फिर भी दिल्ली में दाखिल होने की कोशिश की तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।’’

सरकारी सूत्रों ने बताया कि मार्च के मद्देनजर दिल्ली पुलिस ने आप सरकार से शहर के नौ स्टेडियम को अस्थायी जेल बानाने की अनुमति भी मांगी।

दिल्ली के गृह मंत्री सत्येन्द्र जैन ने हालांकि पुलिस को स्टेडियम का इस्तेमाल अस्थायी जेलों के तौर पर करने की अनुमति देने से इनकार कर दिया है।

प्रदर्शन के कारण शहर के कई इलाकों में यातायात भी प्रभावित हुआ है।

राष्ट्रीय राजधानी सीमाओं से लगे कई स्थानों पर यातायात का मार्ग बदल दिया गया है। दिल्ली-गुड़गांव सीमा पर वाहनों की तलाशी भी बढ़ा दी गई है, जिससे वहां जाम लग गया है।

दिल्ली-गुड़गांव सीमा पर सीआईएसएफ के कर्मियों को भी तैनात किया गया है।

दिल्ली यातायात पुलिस ने ट्वीट कर लोगों से रिंग रोड, मुकरबा चौक, जीटीके रोड, एनएच- 44 और सिंघु बॉर्डर की बजाय दूसरे रास्तों से गुजरने की अपील की।

उसने कहा, ‘‘ अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति की रैली /मार्च/प्रदर्शन के मद्देनजर यातायात पुलिस मुकरबा चौक और जीटीके मार्ग से यातायात को परिवर्तित कर रही है।’’

दिल्ली यातायात पुलिस ने यह भी बताया कि टीकरी बॉर्डर पर भी स्थानीय पुलिस ने यातायात को पूरी तरह रोक दिया है।

तीस से अधिक किसान संगठनों का प्रतिनिधित्व करने वाले पंजाब के किसानों ने घोषणा की थी कि वे लालडू, शंभु, पटियाला-पिहोवा, पातरां-खनौरी, मूनक-टोहाना, रतिया-फतेहाबाद और तलवंडी-सिरसा मार्गों से दिल्ली की ओर रवाना होंगे। सभी सीमाओं पर तनाव कायम है।

‘दिल्ली चलो’ मार्च के लिए किसान अपनी ट्रैक्टर-ट्रॉलियों पर राशन और अन्य आवश्यक सामान के साथ एकत्रित हो गए हैं।

हरियाणा सरकार ने किसानों को प्रदर्शन के लिए एकत्रित होने से रोकने के लिए कई इलाकों में सीआरपीसी की धारा 144 भी लागू कर दी है।

किसान नये कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि नये कानून से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की व्यवस्था समाप्त हो जाएगी।

किसानों को दिल्ली में आने की अनुमति मिल चुकी है: पंजाब किसान संगठनों ने किया दावा

कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे पंजाब के किसानों के संगठनों ने शुक्रवार को दावा कि केन्द्र सरकार ने उन्हें दिल्ली में दाखिल होने और बुराड़ी मैदान में प्रदर्शन करने की मंजरी दे चुकी है।

क्रांतिकारी किसान यूनियन के अध्यक्ष दर्शन पाल ने कहा, ‘‘ हमें दिल्ली में दाखिल होने की अनुमति मिली हुई है।’’

उन्होंने बताया कि केन्द्रीय गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने उन्हें दिल्ली के बुराड़ी में एक स्थान पर प्रदर्शन करने की अनुमति दी थी।

नरेन्द्र मोदी ने पीठासीन अधिकारियों को संबोधन में कहा: सरकारी निर्णयों को मापने का एकमात्र आधार ‘राष्ट्रहित’ हो, राजनीति से देश का नुकसान attacknews.in

केवडिया (गुजरात), 26 नवंबर । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बृहस्पतिवार को कहा कि सरकारी निर्णयों को मापने का एकमात्र मापदंड ‘राष्ट्रहित’ होना चाहिए और इसमें जब राजनीति हावी हो जाती है तो इसका नुकसान देश को उठाना पड़ता है।

उन्होंने यहां स्थित सरदार सरोवर बांध से आज देश को मिल रहे लाभों की विस्तृत जानकारी देते हुए कहा कि इसका निर्माण कार्य ‘राजनीति’ की वजह से बरसों तक अटका रहा जिसका देश को बहुत नुकसान हुआ।

उन्होंने कहा कि ऐसा करने वालों को कोई पश्चाताप भी नहीं है।

मोदी यहां वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से पीठासीन अधिकारियों के 80वें अखिल भारतीय सम्मेलन के समापन सत्र को संबोधित कर रहे थे। दो दिन का यह सम्मेलन बुधवार को शुरू हुआ था जिसका उद्घाटन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने किया था।

मोदी ने अपने संबोधन में कहा, ‘‘हमारे हर निर्णय का आधार एक ही होना चाहिए। इसे एक ही तराजू पर तौला जाना चाहिए…एक ही मानदंड होना चाहिए और वह है राष्ट्रहित। जब निर्णयों में देशहित और लोकहित की बजाय राजनीति हावी होती है तो उसका नुकसान देश को उठाना पड़ता है। सरदार सरोवर बांध भी इसका बहुत बड़ा उदाहरण है।’’

पीठासीन अधिकारियों से मुखातिब प्रधानमंत्री ने कहा कि केवड़िया प्रवास के दौरान आप सभी ने सरदार सरोवर बांध की विशालता, भव्यता और उसकी शक्ति देखी होगी लेकिन इसका काम बरसों तक अटका रहा और फंसा रहा।

उन्होंने कहा कि आज इस बांध का लाभ गुजरात के साथ ही मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और राजस्थान के लोगों को हो रहा है। इस बांध से गुजरात की 18 लाख हेक्टेयर जमीन को, राजस्थान की 2.5 लाख हेक्टेयर जमीन को सिंचाई की सुविधा सुनिश्चित हुई है।

उन्होंने कहा कि गुजरात के नौ हजार से ज्यादा गांव, राजस्थान और गुजरात के अनेकों छोटे-बड़े शहरों को घरेलू पानी की आपूर्ति इसी सरदार सरोवर बांध की वजह से हो पा रही है।

मोदी ने कहा, ‘‘ये सब बरसों पहले भी हो सकता था। लेकिन बरसों तक जनता इनसे वंचित रही। जिन लोगों ने ऐसा किया, उन्हें कोई पश्चाताप भी नहीं है। इतना बड़ा राष्ट्रीय नुकसान हुआ, लेकिन जो इसके जिम्मेदार थे, उनके चेहरे पर कोई शिकन नहीं है। हमें देश को इस प्रवृत्ति से बाहर निकालना है।’’

प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर मुबई में आज ही के दिन हुए आतंकवादी हमले में मारे गए लोगों और पुलिस के जवानों को श्रद्धांजलि दी और कहा कि आज का भारत नई नीति-नई रीति के साथ आतंकवाद का मुकाबला कर रहा है।

उन्होंने कहा, ‘‘मैं आज मुंबई हमले जैसी साजिशों को नाकाम कर रहे, आतंक को एक छोटे से क्षेत्र में समेट देने वाले, भारत की रक्षा में प्रतिपल जुटे हमारे सुरक्षाबलों का भी वंदन करता हूं।’’

प्रधानमंत्री ने इस दौरान एक राष्ट्र, एक चुनाव को भारत की जरूरत बताया और पीठासीन अधिकारियों से इस पर मंथन करने का आग्रह किया।

उन्होंने समय के साथ कानूनों को प्रक्रिया को आसान बनाने पर जोर दिया और कहा कि कानूनों की भाषा इतनी आसान होनी चाहिए कि सामान्य से सामान्य व्यक्ति भी उसको समझ सके।

इस सम्मेलन में उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू, गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत और मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने भी भाग लिया। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने इस सम्मेलन की अध्यक्षता की।

पीठासीन अधिकारियों के अखिल भारतीय सम्मेलन का आरंभ 1921 में हुआ था और यह इसका शताब्दी वर्ष है।

केंद्र सरकार द्वारा कर्मचारियों को बीमा पॉलिसी खरीदने के लिए दी गई प्रीमियम पर एलटीसी नकद वाउचर योजना के तहत मिलेगी छूट attacknews.in

नयी दिल्ली, 26 नवंबर । केंद्र सरकार के कर्मचारी 12 अक्टूबर 2020 से 31 मार्च 2021 के बीच बीमा पॉलिसी खरीदने के लिए दी गई प्रीमियम को एलटीसी नकद वाउचर योजना के तहत भुना सकते हैं।

वित्त मंत्रालय के तहत आने वाले व्यय विभाग ने अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (एफएक्यू) का तीसरा सेट जारी करते हुए यह भी स्पष्ट किया कि कार जैसी वस्तुओं की खरीद पर इस योजना का फायदा लेने के लिए कर्मचारी मूल बिल के बजाए बिल की स्व-सत्यापित फोटोकॉपी जमा कर सकते हैं।

व्यय विभाग ने कहा कि मौजूदा बीमा पॉलिसियों का प्रीमियम भुगतान एलटीसी नकद वाउचर योजना के तहत नहीं किया जाएगा।

योजना के तहत लाभ पाने के लिए बिल या वाउचर 31 मार्च 2021 को या उससे पहले जमा करना होगा।

सरकार ने 12 अक्टूबर को एलटीसी नकद वाउचर योजना की घोषणा की थी, जिसका लाभ पाने के लिए कर्मचारियों को 12 प्रतिशत या उससे अधिक जीएसटी दर वाली वस्तुओं या सेवाओं की खरीद करनी जरूरी है। साथ ही ऐसी खरीद का भुगतान डिजिटल मोड, चेक या डिमांड ड्राफ्ट अथवा एनईएफटी या आरटीजीएस के जरिए किया जाना है।

अभी तक कर्मचारियों को अवकाश यात्रा छूट का लाभ सिर्फ यात्रा करने पर ही मिलता था।

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भारत के पीठासीन अधिकारियों को बताया, विचार-विमर्श को विवाद में परिणत नहीं होने देने के लिए लोकतांत्रिक व्‍यवस्‍था में बातचीत को सर्वश्रेष्‍ठ माध्‍यम attacknews.in

अहमदाबाद 26 नवम्बर । राष्‍ट्रपति ने पीठासीन अधिकारियों के 80वें अखिल भारतीय सम्‍मेलन का केवडिया में उद्घाटन किया
राष्‍ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद ने आज (25 नवम्‍बर, 2020) यहां गुजरात के केवडिया में पीठासीन अधिकारियों के 80वें अखिल भारतीय सम्‍मेलन का उद्घाटन करते हुए कहा कि लोकतांत्रिक व्‍यवस्‍था में बातचीत का माध्‍यम ही वह सर्वश्रेष्‍ठ माध्‍यम है जो विचार-विमर्श को विवाद में परिणत नहीं होने देता।

राष्‍ट्रपति ने कहा कि संसदीय लोकतंत्र में सत्तारूढ़ दल के साथ-साथ विपक्ष की भी बहुत महत्‍वपूर्ण भूमिका होती है इसलिए इन दोनों के बीच सामंजस्‍य, सहयोग और सार्थक विचार-विमर्श बहुत जरूरी है। पीठासीन अधिकारियों की यह जिम्‍मेदारी है कि वे सदन में जन प्रतिनिधियों को स्‍वस्‍थ बहस के लिए अनुकूल माहौल प्रदान करें और सभ्‍य व्‍यवहार तथा विचार-विमर्श को प्रोत्‍साहित करें।

राष्‍ट्रपति ने कहा कि निष्‍पक्षता और न्‍याय हमारी संसदीय लोकतांत्रिक व्‍यवस्‍था का आधार है। सदन में अध्‍यक्ष का आसन-गरिमा और कर्तव्‍य पालन का पर्याय है। इसके लिए पूरी ईमानदारी और न्‍याय की भावना होना जरूरी है। यह निष्‍पक्षता, न्‍यायपरायणता और सद्व्‍यवहार का भी प्रतीक है और पीठासीन अधिकारियों से यह आशा की जाती है कि वे अपने कर्तव्‍य पालन में इन आदर्शों का ध्‍यान रखेंगे। राष्‍ट्रपति ने कहा कि लोकतांत्रिक व्‍यवस्‍था लोगों के कल्‍याण के लिए सबसे प्रभावी व्‍यवस्‍था साबित हुई है। अत: संसद और विधानसभा का सदस्‍य होना बहुत गर्व की बात है।

उन्‍होंने कहा कि लोगों की बेहतरी और देश की प्रगति के लिए सदस्‍यों और पीठासीन अधिकारियों को एक-दूसरे की गरिमा का ध्‍यान रखना चाहिए। पीठासीन अधिकारी का पद एक सम्‍मानित पद है, संसद सदस्‍यों और विधानसभा के सदस्‍यों को खुद अपने लिए और संसदीय लोकतंत्र के लिए सम्‍मान अर्जित करना होता है।

राष्‍ट्रपति ने कहा कि संसद और विधानसभाएं हमारी संसदीय व्‍यवस्‍था के मुख्‍य अंग हैं। उन पर देशवासियों के बेहतर भविष्‍य के लिए काम करने की महत्‍वपूर्ण जिम्‍मेदारी होती है। पिछले कुछ दशकों में आम जनता की आकांक्षाओं, इच्‍छाओं और जागरूकता में वृद्धि हुई है इ‍सलिए संसद और विधानसभाओं की भूमिका और जिम्‍मेदारियों पर पहले से ज्‍यादा ध्‍यान दिया जाने लगा है। जन प्रतिनिधियों से यह उम्‍मीद की जाती है कि वे लोकतंत्र के सिद्धांतों के प्रति पूरी तरह ईमानदारी बरतें। लोकतांत्रिक संस्‍थाओं और जन प्रतिनिधियों के सामने सबसे बड़ी चुनौती जनता की आकांक्षाओं के अनुरूप आचरण करना है।

राष्‍ट्रपति ने इस बात पर प्रसन्‍नता जताई कि इस वर्ष के सम्‍मेलन का मुख्‍य विषय ‘कार्यकारिणी, विधायिका और न्‍यायपालिका के बीच सद्भावपूर्ण सामंजस्‍य – एक जीवंत लोकतंत्र के लिए अनिवार्य’ है। उन्‍होंने कहा कि राज्‍य के तीनों स्‍तम्‍भों – कार्यकारिणी, विधायिका और न्‍यायपालिका – पूरे सामंजस्‍य के साथ काम कर रहे हैं और इस परंपरा की जड़ें भारत में बहुत गहरी हैं। उन्‍होंने विश्‍वास जताया कि इस सम्‍मेलन के दौरान होने वाले विचार-विमर्श से प्राप्‍त निष्‍कर्षों को आत्‍मसात करने से हमारी लोकतांत्रिक व्‍यवस्‍था और मजबूत होगी।

राष्‍ट्रपति ने कहा कि लोकतांत्रिक व्‍यवस्‍था, जन कल्‍याण, खासतौर से समाज के गरीब, पिछड़े और वंचित तबकों के उत्‍थान और देश की प्रगति के श्रेष्‍ठ लक्ष्‍य से परिचालित होती है। उन्‍होंने विश्‍वास व्‍यक्‍त किया कि सरकार के तीनों मुख्‍य अंग इस लक्ष्‍य को प्राप्‍त करने के लिए साथ मिलकर काम करते रहेंगे।

केंद्र सरकार द्वारा मेसर्स एटीसी एशिया पैसिफिक पीटीई लिमिटेड द्वारा मेसर्स एटीसी टेलीकॉम इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड में 2480.92 करोड़ रुपये के प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) को मंजूरी attacknews.in

नईदिल्ली 25 नवम्बर । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने मेसर्स टाटा टेली सर्विसेज लिमिटेड (टीटीएसएल) और टाटा संस प्राइवेट लिमिटेड (टीएसपीएल) द्वारा पुट ऑप्शन के प्रयोग के परिणाम के रूप में मेसर्स एटीसी एशिया पैसिफिक पीटीई लिमिटेड द्वारा मेसर्स टेलीकॉम इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड में इक्विटी शेयर पूंजी (पूरी तरह से डाइल्यूट आधार पर) के 12.32 प्रतिशत के अधिग्रहण के लिए एफडीआई प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।

इससे 2480.92 करोड़ रुपये का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश होगा। इस मंजूरी के साथ, एटीसी टेलीकॉम इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड (एटीसी इंडिया) में मेसर्स एटीसी एशिया पैसिफिक पीटीई लिमिटेड (एटीसी सिंगापुर) का संचयी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश वित्तीय वर्ष 2018-19 से 2020-21 तक 5417.2 करोड़ रुपये होगा।

विवरण:

(i) मेसर्स एटीसी टेलीकॉम इन्फ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड दूरसंचार ऑपरेटरों को दूरसंचार अवसंरचना सेवाएं प्रदान करने के व्यवसाय में लगी हुई है।

(ii) कंपनी ने 86.36 प्रतिशत तक की एफडीआई मंजूरी दी है और इस मंजूरी के साथ यह बढ़कर 98.68 प्रतिशत (पूरी तरह से डाइल्यूट आधार पर) हो जाएगी।

(iii) वित्त वर्ष 2020-2021 के दौरान मेसर्स एटीसी एशिया पैसिफिक पीटीई लिमिटेड द्वारा मेसर्स एटीसी टेलीकॉम इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश 2480.92 करोड़ रुपये होगा और वित्त वर्ष 2018-19 में एफडीआई प्रस्तावों (प्रस्ताव संख्या 4854 और 4860) में दी गई मंजूरी को देखते हुए कुल मिलाकर 5417.2 करोड़ रुपये होगा।

प्रभाव:

भारत में विदेशी निवेश का प्रवाह आर्थिक विकास को बढ़ावा देगा, साथ ही साथ नवाचार को बढ़ावा देगा।

पृष्ठभूमि:

दूरसंचार सेवा क्षेत्र में 100 प्रतिशत तक की एफडीआई की अनुमति दी गई है, जिसमें स्वतः रूप से 49 प्रतिशत तक और 49 प्रतिशत से बाद का हिस्सा सरकारी माध्यम से होगा बशर्ते दूरसंचार विभाग (डीओटी) द्वारा समय-समय पर अधिसूचित लाइसेंस एवं सुरक्षा संबंधी शर्तों का अनुपालन लाइसेंसधारक और निवेशकों द्वारा किया जाए।

कंपनी दूरसंचार विभाग द्वारा दी गई विभिन्न स्वीकृतियों के अनुसार दूरसंचार ऑपरेटरों को पैसिव दूरसंचार अवसंरचना सेवाएं प्रदान करने के व्यवसाय में लगी हुई है।

सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना की भयावहता पर स्वतः संज्ञान लेते हुए गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए सभी राज्यों से स्थिति रिपोर्ट तलब की attacknews.in

नयी दिल्ली, 23 नवंबर । उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली सहित देश के विभिन्न राज्यों में कोरोना वायरस महामारी की भयावह होती स्थिति पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए सोमवार को सभी राज्यों से स्थिति रिपोर्ट तलब की।

न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति एम आर शाह की खंडपीठ ने कोरोना पर स्वत: संज्ञान वाले मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि देश भर से कोरोना के मामले ने तीव्र वृद्धि की खबर आ रही है। पिछले दो सप्ताह में दिल्ली में स्थिति भयावह हुई है।

न्यायालय ने कहा कि कोरोना मामले की भयावहता को देखते हुए सभी राज्यों को निर्देश दिया जाता है कि वे कोरोना संक्रमण एवं इसके लिए किए जा रहे उपायों से संबंधित ताजी स्थिति रिपोर्ट न्यायालय के समक्ष पेश करें।

सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति भूषण ने दिल्ली सरकार से पूछा कि वह स्थिति को कैसे संभाल रही है और कोरोना संक्रमित रोगियों का इलाज कैसे किया जा रहा है? क्या दिल्ली के अस्पतालों में मरीजों के लिए पर्याप्त बिस्तरों की व्यवस्था है?

इसके जवाब में दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि दिल्ली के सभी अस्पतालों में कोरोना मरीजों के लिए बिस्तर रिजर्व किए गए हैं। इसके बाद खंडपीठ ने दिल्ली सरकार से रोगियों के प्रबंधन को लेकर ताजी स्थिति रिपोर्ट पेश करने को कहा।

इस बीच केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इस बात को लेकर सहमति जताई कि दिल्ली सरकार को कोरोना मामले में और बहुत कुछ करना शेष है। उन्होंने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्री (अमित शाह) ने गत 13 नवंबर को इस सिलसिले में एक बैठक की थी और कई दिशा-निर्देश जारी किए थे।

न्यायालय ने इस मामले की सुनवाई शुक्रवार तक के लिए स्थगित करते हुए दिल्ली समेत सभी राज्यों को निर्देश दिया कि वे इस बीच कोरोना संक्रमण से संबंधित ताजी स्थिति रिपोर्ट उसके समक्ष पेश करें।

खंडपीठ ने कहा कि यदि राज्य सरकारें पूरी तरह से तैयार नहीं होती हैं तो दिसंबर में स्थिति बदतर हो सकती है।

कोरोना से संक्रमित कांग्रेस के वरिष्ठ नेता असम के पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई का निधन,रविवार को छह घंटे तक डाय​लिसिस हुआ था और यह दोबारा विषाक्त चीजों से भर गया attacknews.in

गुवाहाटी 23 नवंबर । असम के पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई का सोमवार को निधन हो गया। वह 86 वर्ष के थे और कोरोना से संक्रमित थे।

स्वास्थ्य मंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने पूर्व मुख्यमंत्री के निधन की खबर की पुष्टि की। श्री शर्मा ने कहा कि गुवाहाटी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल(जीएमसीएच) के चिकित्सकों ने आज शाम पांच बजकर 34 मिनट पर श्री गोगोई के निधन की जानकारी दी।

श्री गोगोई का जीएमसीएच के गहन चिकित्सा कक्ष में एक नवंबर से उपचार चल रहा था। वह 21 नवंबर से वेंटिलेटर पर थे।जीएमसीएच के विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के विशेषज्ञों के साथ सम्पर्क करके उनकी सेहत की निगरानी कर रही थी। श्री गोगोई अगस्त से तीन बार जीएमसीएच में भर्ती हो चुके थे।

राज्य के तीन बार मुख्यमंत्री रह चुके श्री गोगोई 25 अगस्त को कोरोना पॉजिटिव पाये गये थे। इसके बाद उन्हें जीएमसीएच में भर्ती कराया गया था। बीस दिनों तक उपचार चलने के बाद उन्हें घर भेज दिया गया था।

श्री गोगोई को ऑक्सीजन स्तर कम होने के कारण 24 सितंबर को फिर से अस्पताल में भर्ती कराया गया और अक्टूबर के आखिरी सप्ताह में उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गयी थी। पूर्व मुख्यमंत्री को एक बार फिर एक नवंबर को इसी अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां आज निधन हो गया।

सुबह बताया था कि, तरूण गोगोई वेंटिलेटर पर, हालत बेहद नाजुक

पूर्व मुख्यमंत्री तरूण गोगोई की स्वास्थ्य स्थिति सोमवार की सुबह और बिगड़ गयी । उनकी देख भाल कर रहे चिकित्सकों ने कहा है कि पूर्व मुख्यमंत्री की हालत ‘‘बेहद, बेहद नाजुक’’ है।

गौहाटी मेडिकल कॉलेज के अधीक्षक अभिजीत शर्मा ने बताया था कि 80 साल की उम्र पार कर चुके वरिष्ठ कांग्रेस नेता की देखभाल नौ चिकित्सकों की एक टीम कर रही है ।

उल्लेखनीय है कि 84 वर्षीय कांग्रेस नेता का इलाज गौहाटी मेडिकल कॉलेज (जीएमसीएच) में चल रहा था ।

उन्होंने संवाददाताओं को बताया, ‘ श्रीमान (गोगोई) की मौजूदा स्वास्थ्य स्थिति बेहद, बेहद नाजुक है और डॉक्टर बेहतर प्रयास कर रहे हैं ।’

गोगोई के बेटे के साथ जीएमसीएच में मौजूद असम के स्वास्थ्य मंत्री ​हेमंत विस्व सरमा ने कहा, ‘पूर्व मुख्यमंत्री की स्थिति बहुत नाजुक एवं ​चिंताजनक है। वह पूरी तरह जीवन रक्षक उपकरण पर हैं हालांकि, डॉक्टर प्रयास कर रहे हैं । अब उनकी स्थिति में सुधार के लिये ईश्वर का आशीर्वाद और लोगों की प्रार्थना आवश्यक है ।’ सरमा ने कहा कि गोगोई के अंगों ने काम करना बंद कर दिया है, दिमाग को कुछ संकेत मिल रहे हैं, आंखें चल रही हैं और पेसमेकर लगाये जाने के बाद उनका दिल काम कर रहा है और इसके अलावा कोई अंग काम नहीं कर रहा है।

मंत्री ने कहा कि गोगोई का रविवार को छह घंटे तक डाय​लिसिस हुआ था और यह दोबारा विषाक्त चीजों से भर गया है। ऐसी हालत नहीं है कि डायलिसिस दोबारा किया जाए।

मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने कहा था कि उन्होंने स्वास्थ्य विभाग को पूर्व मुख्यमंत्री को हरसंभव उपचार मुहैया कराने का निर्देश दिया । उन्होंने कहा, ‘मैं उनके जल्दी से ठीक होने की ईश्वर से प्रार्थना करता हूं ।’ गोगोई की देख भाल कर रहे डॉक्टरों की टीम अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के लगातार संपर्क में हैं । विभिन्न अंगों के काम करना बंद करने के बाद गोगोई को वेंटिलेटर पर रखा गया था ।

असम के तीन बार मुख्यमंत्री रह चुके 84 साल के गोगोई को दो नवंबर को जीएमसीएच में भर्ती कराया गया था । शनिवार को तबीयत बिगड़ने के बाद उन्हें शनिवार को वेंटिलेटर पर रखा गया था ।

गोगोई 25 अगस्त को कोरोना वायरस से संक्रमित पाये गये थे और इसके अगले दिन उन्हें जीएमसीएच में भर्ती कराया गया था । इसके बाद 25 अक्टूबर को उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गयी थी ।

नरेन्द्र मोदी ने कहा कि 16वीं लोकसभा का कार्यकाल देश की प्रगति के लिए ऐतिहासिक रहा ,अपने निर्णयों के कारण 17वीं लोकसभा का कार्यकाल अभी से इतिहास के पन्नों में दर्ज attacknews.in

नयी दिल्ली, 23 नवंबर । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को कहा कि 16वीं लोकसभा का कार्यकाल देश की प्रगति के लिए बहुत ही ऐतिहासिक रहा जबकि अपने निर्णयों के कारण 17वीं लोकसभा का कार्यकाल अभी से इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया है। उन्होंने उम्मीद जताई कि अगली लोकसभा भी देश को नए दशक में आगे ले जाने के लिए बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

प्रधानमंत्री मोदी ने ये बातें सांसदों के लिए राजधानी दिल्ली के डॉ बीडी मार्ग पर बनाए गए बहुमंजिला फ्लैटों का उद्घाटन करने के बाद अपने संबोधन में कही।

वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से आयोजित इस उद्घाटन समारोह में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, केंद्रीय शहरी आवास मंत्री हरदीप सिंह पुरी, संसदीय कार्यमंत्री प्रल्हाद पटेल और संसद की आवास समिति के अध्यक्ष सी आर पाटिल भी शामिल हुए।

मोदी ने कहा कि सामान्य तौर पर यह कहा जाता है कि युवाओं के लिए 16, 17, 18 साल की उम्र बहुत महत्वपूर्ण होती है और ठीक उसी प्रकार 16, 17, 18 की ये उम्र किसी युवा लोकतंत्र के लिए भी उतनी ही महत्वपूर्ण है।

उन्होंने कहा, ‘‘2019 के चुनाव के साथ ही हमने 16वीं लोकसभा का कार्यकाल पूरा किया है। यह समय देश की प्रगति के लिए, देश के विकास के लिए बहुत ही ऐतिहासिक रहा है। 2019 के बाद से 17 वीं लोकसभा का कार्यकाल शुरू हुआ है। इस दौरान भी देश ने जैसे निर्णय लिए हैं, जो कदम उठाए हैं, उनसे यह लोक सभा अभी से ही इतिहास में दर्ज हो गई है।’’

प्रधानमंत्री ने उम्मीद जताई कि 18 वीं लोकसभा भी देश को नए दशक में आगे ले जाने के लिए बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

उन्होंने कहा, ‘‘16वीं, 17वीं और 18वीं लोकसभा का कालखंड हमारे युवा देश के लिए बहुत अहम है। देश के लिए इस महत्वपूर्ण समय का हम सबको हिस्सा बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। हम सबकी जिम्मेदारी है जब इतिहास में लोकसभा के अलग-अलग कार्यकालों का अध्ययन किया जाए तो ये कार्यकाल देश की प्रगति के स्वर्णिम अध्याय के तौर पर याद किया जाएं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘देश के सामने इतना कुछ है जो हमें इस दौरान हासिल करना है। ’’

प्रधानमंत्री ने कहा कि 16वीं लोकसभा में 60 प्रतिशत ऐसे बिल रहे हैं जिन्हें पास करने के लिए औसतन दो से तीन घंटे तक की बहस हुई जबकि पिछली लोकसभा से ज्यादा बिल पास किए, लेकिन पहले से ज्यादा चर्चा की है।

उन्होंने कहा, ‘‘ये दिखाता है कि हमने उत्पाद पर भी फोकस किया है और प्रक्रिया को भी निखारा है।’’

प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में पिछले डेढ़ साल में सरकार की ओर से उठाए गए कमदों का जिक्र किया और कहा कि इस दौरान जहां जम्मू-कश्मीर को अनुच्छेद 370 से मुक्त कराया गया वहीं तीन तलाक जैसी प्रथा को समाप्त किया गया।

उन्होंने कहा, ‘‘सिर्फ बीते एक डेढ़ वर्ष की बात करें तो देश ने किसानों को बिचौलियों के चंगुल से आजाद कराने का काम किया है, ऐतिहासिक लेबर रिफॉर्म्स किये हैं, कामगारों के हितों को सुरक्षित किया है।’’

प्रधानमंत्री ने कहा कि दशकों से चली आ रही समस्याएं, टालने से नहीं, उनका समाधान खोजने से समाप्त होती हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘सिर्फ सांसदों के निवास ही नहीं, बल्कि यहां दिल्ली में ऐसे अनेकों प्रोजेक्ट्स थे, जो कई-कई बरसों से अधूरे थे।’’

इस कड़ी में उन्होंने अंबेडकर नेशनल मेमोरियल, केंद्रीय सूचना आयसोग की इमारत, वॉर मेमोरियल और पुलिस मेमोरियल का उल्लेख किया।

शिवराज सिंह चौहान ने मध्यप्रदेश के सभी कलेक्टर्स को कोरोना संक्रमण रोकने के लिए आमजन में जागृति लाकर और जनसहयोग से बचाव के सभी उपाय अपनाने की कार्रवाई के दिए निर्देश attacknews.in

भोपाल, 22 नवंबर । मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज कहा कि देश और प्रदेश में कोरोना वायरस का संक्रमण पिछले कुछ दिनों में बढ़ा है। कुछ शहरों में अधिक बढ़ा है। उन्होंने आमजन में जागृति लाकर और जनसहयोग से बचाव के सभी उपाय अपनाकर संक्रमण को रोकने के निर्देश दिए हैं।

आधिकारिक सूत्रों के अनुसार मुख्यमंत्री श्री चौहान द्वारा कोरोना संक्रमण की स्थिति की समीक्षा की गई। इस अवसर पर मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस और स्वास्थ्य आयुक्त डॉ. संजय गोयल और अधिकारीगण मौजूद थे।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि जिन जिलों में कोरोना संक्रमण की दर सामान्य से अधिक है वहां जिले के प्रभारी अधिकारी और जिला प्रशासन जनसहयोग लेकर बचाव के सभी उपाय सुनिश्चित करें। आमजन को स्वयं आगे आकर मास्क का उपयोग करने, सोशल डिस्टेसिंग का पालन करने, रात्रि में देर रात तक दुकान नहीं खोलने, भीड़ होने से रोकने और जनता कर्फ्यू लगाने जैसे उपाय लगाने के लिए प्रेरित किया जाए। जिला क्राइसिस मैनेजमेंट ग्रुप प्रभावी भूमिका निभाएं।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि आपदा प्रबंधन समिति की बैठकों के निर्णय राज्य शासन को मिल गये है। जिस पर विचार कर अनुमति दी जा रही है। कोरोना संक्रमण को समाप्त करने के लिए प्रयासों के अंतर्गत जिलास्तरीय आपदा मेनेजमेंट ग्रुप को प्रभावी और सशक्त बनाया जाए।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने निर्देश दिए कि कलेक्टर्स देखें कि कहीं भी बाजार और मोहल्लों को अनावश्यक रूप से बंद नहीं किया जाए। जहां जरूरी हो वहीं बंद रखने का निर्णय लिया जावे। जहां भी बंद रखा जावे वहां आवश्यक वस्तुओं फल, दूध, सब्जी आदि के परिवहन पर रोक नहीं लगाई जावे। यह कार्य निर्बाध होता रहे, लोगों को दिक्कत नहीं होना चाहिए।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने अधिक संक्रमण दर वाले जिलों के कलेक्टर्स से संक्रमण रोकने अपनाये गये उपायों की जानकारी ली।

कलेक्टर्स ने बताया कि त्यौहारों के कारण बाजारों में भीड़ बढ़ी थी। इसके कारण ही कोरोना के प्रकरण पुन: बढ़ने लगे हैं। प्रदेश में अलग-अलग जिलों में कोरोना संक्रमण बढ़ने की दर अलग-अलग है। परन्तु इन्दौर, भोपाल, विदिशा, रतलाम, ग्वालियर, शिवपुरी, दतिया, अशोकनगर तथा धार जिलों में यह दर अधिक है।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने इन जिलों में प्रशासन, जनप्रतिनिधियों और आम जनता से गंभीरतापूर्वक कोविड गाईड लाइन का पालन करने का संकल्प लेने और आवश्यक प्रतिबंध लगाने के लिये कहा है।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि कुछ जिलों में संक्रमण रोकने के लिए नवाचार किए हैं। उज्जैन कलेक्टर ने आमजन को मास्क के महत्व से अवगत करवाने के लिए रोको-टोको अभियान चलाया है जिससे संक्रमण के नियंत्रण में आसानी होगी। धार कलेक्टर ने भी उद्योगपतियों और व्यापारियों से स्वैच्छिक सहयोग प्राप्त किया है। जनता कर्फ्यू के नाम से रात्रिकालीन कर्फ्यू की व्यवस्था प्रशंसनीय है। जनता स्वयं जागरूक रहे तो प्रकरण नहीं बढ़ेंगे।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि प्रदेश में नए कोरोना प्रकरणों में 85 प्रतिशत शहरी क्षेत्र से और 15 प्रतिशत ग्रामीण क्षेत्र से आए हैं। शहरी क्षेत्रों में भीड़भाड़ अधिक रहती है। अत: शहरों में सुरक्षित दूरी बनाने की आवश्यकता अधिक है।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने युवाओं से अपील की कि युवा लापरवाही नहीं करें। कोरोना से बचाव के सभी उपायों को अपनाएं। क्योंकि कोविड के कुल रोगियों में युवाओं का प्रतिशत अधिक है। जबकि बुजुर्ग सावधानी बरत रहे हैं। इसलिए उनका प्रतिशत 10 है।

बैठक में बताया गया कि नये प्रकरणों में पुरुषों के 69 प्रतिशत तथा महिलाओं के 31 प्रतिशत प्रकरण आये है। महिलाएं कोविड की गाईड लाइन का अधिक सतर्कता के साथ पालन कर रही हैं। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने अपील की, प्रदेश के प्रत्येक नागरिक का जीवन और स्वास्थ्य अनमोल है। इसलिए जब तक दवा और वैक्सीन नहीं तब तक बचाव के उपाय अपनाना बहुत आवश्यक है। जरा भी लापरवाही और ढ़िलाई नहीं होने दी जाए। सभी नागरिक मास्क लगायें, आपस में दूरी बनाये रखें। भीड़भाड़ नहीं करें।

नरेन्द्र मोदी ने भारत की तकनीक को विश्व में अग्रणी बताते हुए कहा:अब भारत में तैयार तकनीक समाधानों को विश्व में पहुंचाने का समय आ गया attacknews.in

बेंगलुरु, 19 नवंबर । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बृहस्पतिवार को कहा कि भारत इस अनूठी स्थिति में है कि वह सूचना के इस युग में विश्‍व के देशों से आगे निकल सकता है और अब भारत में तैयार तकनीक समाधानों को विश्व में पहुंचाने का समय आ गया है।

मोदी ने वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से तीन दिवसीय प्रौद्योगिकी शिखर सम्‍मेलन ‘बेंगलुरु टेक समिट-2020’ का उद्घाटन करते हुए कहा कि केंद्र सरकार का ‘‘डिजिटल इंडिया’’ कार्यक्रम आज लोगों की जीवनशैली बन गया है, खासकर उन लोगों की, जो गरीब हैं, हाशिए पर हैं तथा वे जो सरकार में हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘एक देश के रूप में भारत इस अनूठी स्थिति में है कि वह सूचना के इस युग में विश्व के देशों से आगे निकल सकता है। भारत के पास सर्वश्रेष्‍ठ दिमाग और सबसे बड़ा बाजार है तथा भारत में तैयार तनकनीक समाधानों को विश्‍व में पहुंचा सकता है।’’

केंद्रीय योजनाओं को समाज के अंतिम व्यक्ति तक तेजी से पहुंचाने और पारदर्शिता को प्रोत्‍साहित करने में प्रौद्योगिकी से मिल रही मदद का उल्‍लेख करते हुए उन्‍होंने कहा कि सरकार की ओर से उठाए गए तकनीकी कदमों से कैसे प्रशासन के लाभ को समाज के अंतिम व्‍यक्ति तक पहुंचाने में मदद मिली है।

मोदी ने कहा, ‘‘पांच साल पहले हमने डिजिटल इंडिया की शुरुआत की थी। मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि इसे सरकार की किसी सामान्य पहल की तरह नहीं देखा जा रहा है। डिजिटल इंडिया जीवनशैली बन गया है, खासकर उन लोगों की जो गरीब और हाशिए पर हैं तथा वे जो सरकार में हैं।’’

प्रधानमंत्री ने कहा कि डिजिटल इंडिया की वजह से आज देश में मानव केंद्रित विकास हो रहा है। इतने बड़े स्तर पर इसके इस्तेमाल ने नागरिकों के जीवन में कई बदलाव किए हैं और इससे मिल रहे फायदे से हर कोई वाकिफ है।

उन्होंने कहा, ‘‘प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल से मानव गरिमा में वृद्धि हुई है। आज करोड़ों किसानों को सिर्फ एक क्लिक के जरिए आर्थिक मदद पहुंचती है। जब देश में लॉकडाउन चरम पर था, तब यह प्रौद्योगकी ही थी जिसने भारत के गरीबों को मदद सुनिश्चित की।’’

उन्‍होंने कहा कि चाहे विश्‍व का सबसे बड़ा स्‍वास्‍थ्‍य बीमा कार्यक्रम ‘आयुष्‍मान भारत’ हो या गरीबों तक बिजली पहुंचाना और उन्‍हें आवास दिलाना हो, इनके शीघ्र कार्यान्‍वयन के लिए तकनीकी समाधान निकालना उनकी सरकार की नीति है।

‘बेंगलुरु टेक समिट’ में ऑस्‍ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्‍कॉट मॉरिसन, स्विस कॉन्‍फेडरेशन के उपाध्‍यक्ष गाई पार‍मेलिन और कई अन्‍य गणमान्‍य हस्तियां भाग लेंगी।

इनके अलावा, इस कार्यक्रम में भारत तथा पूरे विश्‍व के अग्रणी विचारक, उद्योग जगत की अग्रिम पंक्ति के नायक, तकनीकी विशेषज्ञ, अनुसंधानकर्ता, नवोन्‍मेषक, निवेशक, नीति निर्माता तथा शिक्षा क्षेत्र की महत्‍वपूर्ण हस्तियां भी शामिल होंगी।

तीन दिनों के इस सम्मेलन का आयोजन कर्नाटक सरकार ने ‘कर्नाटक नवाचार एवं प्रौद्योगिकी सोसाइटी’ (केआईटीएस), कर्नाटक सरकार के इन्‍फॉर्मेशन टेक्‍नोलॉजी संबंधी विजन ग्रुप, बायोटेक्‍नोलॉजी एंड स्‍टार्टअप, सॉफ्टवेयर टेक्‍नोलॉजी पार्क ऑफ इंडिया (एसटीपीआई) और एम.एम. एक्टिव साइंस टेक कम्‍युनिकेशन्‍स के सहयोग से किया है।

इस वर्ष सम्‍मेलन का मुख्‍य विषय ‘नेक्‍स्‍ट इज नाओ’ है। इसके तहत कोविड-19 महामारी के बाद के विश्‍व में उभरती मुख्‍य चुनौतियां और ‘सूचना प्रौद्योगिकी एवं इलेक्‍ट्रॉनिक्‍स’ तथा बायोटेक्‍नोलॉजी के क्षेत्र में प्रमुख प्रौद्योगिकी और नवोन्‍मेषी तकनीकों के प्रभाव पर मुख्‍य रूप से चर्चा होगी।

बिहार के शिक्षा मंत्री मेवालाल चौधरी का इस्तीफा,कृषि विश्वविद्यालय में कुलपति रहते हुए नियुक्तियों में किया था घोटाला,2012 में 161 सहायक प्राध्यापक सह जूनियर साइंटिस्टों की नियुक्ति में बड़े पैमाने पर हुआ था फर्जीवाड़ा attacknews.in

पटना 19 नवम्बर ।बिहार के शिक्षा मंत्री मेवालाल चौधरी ने पद से इस्तीफे दे दिया है. उन्होंने आज ही अपना कार्यभार संभाला था. बिहार के राज्यपाल फागू चौहान ने मेवालाल चौदरी का इस्तीफा स्वीकार कर लिया है. मेवालाल पर कृषि विश्वविद्यालय में वीसी रहते हुए नियुक्ति में घोटाले का आरोप है. पूर्व आईपीएस अमिताभ दास का तो आरोप है कि मेवालाल की पत्नी पूर्व विधायक नीता चौधरी की पिछले साल हुई संदिग्ध मौत के तार नियुक्ति घोटाले से जुड़े हो सकते हैं । इस मामले की जांच के लिए अमिताभ दास ने डीजीपी को चिट्ठी लिखी है.

तेजस्वी यादव का हमला- एक इस्तीफे से बात नहीं बनेगी

मेवालाल के इस्तीफे के बाद विपक्ष एक बार फिर नीतीश सरकार पर हमलावर हो गया है।

मेवालाल चौधरी के इस्तीफे पर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने नीतीश सरकार पर हमला बोला है. तेजस्वी ने लिखा है कि सिर्फ एक इस्तीफे से बात नहीं बनेगी. तेजस्वी यादव ने लिखा, ”मा. मुख्यमंत्री जी, जनादेश के माध्यम से बिहार ने हमें एक आदेश दिया है कि आपकी भ्रष्ट नीति, नीयत और नियम के खिलाफ आपको आगाह करते रहें. महज एक इस्तीफे से बात नहीं बनेगी. अभी तो 19 लाख नौकरी,संविदा और समान काम-समान वेतन जैसे अनेकों जन सरोकार के मुद्दों पर मिलेंगे. जय बिहार,जय हिन्द.’

एक दूसरे ट्वीट में तेजस्वी ने लिखा, ”मैंने कहा था ना आप थक चुके है इसलिए आपकी सोचने-समझने की शक्ति क्षीण हो चुकी है. जानबूझकर भ्रष्टाचारी को मंत्री बनाया. थू-थू के बावजूद पदभार ग्रहण कराया. घंटे बाद इस्तीफ़े का नाटक रचाया. असली गुनाहगार आप है. आपने मंत्री क्यों बनाया??आपका दोहरापन और नौटंकी अब चलने नहीं दी जाएगी?”

क्या है पूरा मामला:

एक समाचार चैनल ने 4 साल पहले जनवरी 2016 में इस घोटाले का पर्दाफाश किया था . मेवालाल भागलपुर के जिस कृषि विश्वविद्यालय में कुलपति थे वहां 2012 में कृषि वैज्ञानिक, असिस्टेंट प्रोफेसर की भर्ती होनी थी, 2012 में 281 पदों के लिए विज्ञापन निकला, परीक्षा के बाद 166 लोगों की नियुक्ति हुई थी. इसके बाद घोटाले के आरोप लगे और खुलासा हुआ कि जिसे कम नंबर मिले उसे पास कर दिया गया और जिसे ज्यादा नंबर मिले उसे फेल कर दिया गया.

बता दें कि मेवालाल चौधरी नीतीश कुमार के करीबी माने जाते हैं. 2010 में जब उनको जब कृषि विश्वविद्यालय, सबौर का कुलपति बनाया गया तो उनकी पत्नी नीता चौधरी जेडीयू से विधायक बनीं थीं. सुशील मोदी ने जब सदन में यह मुद्दा उठाया तो नीतीश कुमार को मेवालाल चौधरी को पार्टी से निष्कासित करना पड़ा था. हालांकि, जेडीयू ने 2015 में फिर उन्हें टिकट दिया.

इस बार फिर से मुंगेर की तारापुर सीट से जीतकर वो विधायक बने हैं और अब शिक्षा मंत्री बना दिए गए. नई नीतीश सरकार में आज नेताओं ने मंत्री पद की शपथ ली है. इनमें से 7 नेता बीजेपी कोटे और 5 नेता जेडीयू कोटे से मंत्री बने हैं।

सूत्रों के मुताबिक नीतीश कुमार ने आज दोपहर मेवालाल चौधरी को अपने आवास पर तलब किया था. वहां मंत्री को कहा गया कि वे इस्तीफा सौंप दें. इसके बाद मेवालाल चौधरी ने त्यागपत्र दे दिया.

बीजेपी का दबाव

सियासी जानकारों के मुताबिक नीतीश कुमार ने ये कार्रवाई बीजेपी के दबाव में की है।

मेवालाल के खिलाफ दर्ज मामले की जानकारी नीतीश कुमार को पहले से थी. लेकिन इसके बावजूद उन्हें मंत्री बनाया गया. मेवालाल ने कल भी नीतीश कुमार से मुलाकात की थी. लेकिन उन्हें पद से हटाने पर कोई चर्चा नहीं हुई।

आज मेवालाल चौधरी ने शिक्षा मंत्री के दफ्तर में जाकर पदभार संभाल लिया. पदभार ग्रहण करने के बाद उन्होंने कहा कि आरोप लगाने से कुछ नहीं हो जाता. उनके खिलाफ मामला कोर्ट में लंबित है. कोर्ट से फैसला आयेगा तब उन्हें दागी कहा जा सकता है. लेकिन फिलहाल वे दागी नहीं है. मेवालाल चौधरी ने कहा कि जो कोई भी उनके खिलाफ जो आरोप लगा रहे हैं उन पर वे कानूनी कार्रवाई करेंगे. पदभार ग्रहण करते वक्त मेवालाल चौधरी के तेवर बुलंद थे. लेकिन कुछ घंटे बाद ही उन्हें इस्तीफा करना पड़ा।

बिहार के नये शिक्षा मंत्री बने मेवालाल चौधरी पर कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति रहते नौकरी में भारी घोटाला करने का आरोप है. उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज है। देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोबिंद ने बिहार का राज्यपाल रहते मेवालाल चौधरी के खिलाफ जांच करायी थी और उन पर लगे आरोपों को सच पाया था।ये जांच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर हुई थी।मेवालाल चौधरी पर सबौर कृषि विश्वविद्यालय के भवन निर्माण में भी घोटाले का आरोप है।

सबसे बड़ी बात ये है कि मेवालाल चौधरी के इस बड़े घोटाले के खिलाफ सत्तारूढ जेडीयू के नेताओं ने भी आवाज उठायी थी. विधान परिषद में जेडीयू विधान पार्षदों ने मेवालाल चौधरी के खिलाफ हंगामा ख़ड़ा कर दिया था. वहीं बाद में बीजेपी के नेता सुशील कुमार मोदी ने इसे जोर शोर से उठाया था।

सुशील कुमार मोदी सबूतों का पुलिंदा लेकर तत्कालीन राज्यपाल रामनाथ कोबिंद से मिले थे. इसके बाद जांच हुई और जांच में पाया गया कि मेवालाल चौधरी ने कृषि विश्वविद्यालय का कुलपति रहते बड़ा घोटाला किया. ये घोटाला 161 सहायक प्राध्यापकों की नियुक्ति में हुआ था।

जेडीयू ने भी पार्टी से कर दिया था निलंबित

हालांकि मेवालाल चौधरी सत्ताशीर्ष के बेहद करीबी थे. लिहाजा उनके खिलाफ कार्रवाई होने में बहुत देर हुई. बाद में 2017 में उनके खिलाफ निगरानी विभाग ने एफआईआर दर्ज की. तब तेजस्वी यादव के खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला गर्म था. मजबूरन जेडीयू को मेवालाल चौधरी के खिलाफ कार्रवाई करनी पड़ी. 2017 में मेवालाल चौधरी को जेडीयू ने पार्टी से निलंबित कर दिया था।

FIR दर्ज है, चार्जशीट दाखिल नहीं हुई:

मेवालाल चौधरी के खिलाफ पहले सबौर थाने में प्राथमिकी दर्ज हुई थी. सबौर थाने की प्राथमिकी संख्या 35/2017 में मेवालाल चौधरी नौकरी घोटाले के मुख्य अभियुक्त हैं. इसके बाद ये मामला निगरानी को ट्रांसफर कर दिया गया. निगरानी विभाग ने मेवालाल के खिलाफ केस संख्या-4/2017 दर्ज कर रखा है. केस को दर्ज हुए 3 साल से ज्यादा हो गये लेकिन आज तक मेवालाल के खिलाफ चार्जशीट दाखिल नहीं की गयी. कहा जाता है कि मेवालाल चौधरी का रसूख इतना बड़ा है कि उनके खिलाफ कार्रवाई की हिम्मत जुटा पाने में निगरानी विभाग विफल रही।

क्या है सबौर कृषि विश्वविद्यालय का नौकरी घोटाला

बिहार कृषि विश्वविद्यालय में वर्ष 2012 में हुई 161 सहायक प्राध्यापक सह जूनियर साइंटिस्टों की नियुक्ति में बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा सामने आया. यूनिवर्सिटी में योग्य अभ्यर्थियों के बजाय अयोग्य अभ्यर्थियों की नियुक्ति कर ली गई. इस घोटाले को बिहार का व्यापम घोटाला कहा गया. नियुक्ति प्रक्रिया में धांधली का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सका कि विवि प्रबंधन ने बगैर राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (नेट) पास किए डेढ़ दर्जन अभ्यथियों से अधिक को नौकरी दे दी.

दरअसल, बीएयू में साल2012 में प्राध्यापकों की नियुक्ति की गई थी, जब मेवालाल चौधरी कुलपति थे. बहाली में मेधा और नियमों को ताक पर रखकर नियुक्ति की गई.आरोप लगा कि जिनका एकेडमिक रिकार्ड बेहतर था, उन्हें पावर प्वाइंट प्रजेंटेशन एवं साक्षात्कार के लिए आवंटित 10-10 अंकों में 0.1 देकर अयोग्य करार दे दिया गया, जबकि जिन अभ्यर्थियों का एकेडमिक रिकार्ड कमजोर था उन्हें 20 में से 18 नंबर तक देकर अवैध रूप से नियुक्त कर लिया गया।

विवि प्रबंधन की इस मनमानी से आहत असफल अभ्यर्थियों ने आरटीआइ के माध्यम से नियुक्ति की मेधा सूची निकाली तो इसका खुलासा हुआ. इसके बाद उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से शिकायत कर न्याय की गुहार लगाई. पीएम मोदी ने मामले को गंभीरता लेते हुए इसकी रिपोर्ट तत्कालीन राज्यपाल सह कुलाधिपति रामनाथ कोविंद से मांगी थी. इसके बाद राज्यपाल ने बीएयू के कुलपति को इस मामले का रिपोर्ट जल्द सौंपने का निर्देश दिया था।