कृषि सुधार कानूनों के विरोध में किसान संगठनों का आन्दोलन दिल्ली की सीमाओं पर 20 वें दिन भी जारी, समर्थन में कांग्रेस ने भी प्रदर्शन किया attacknews.in

नयी दिल्ली ,15 दिसम्बर । कृषि सुधार कानूनों के विरोध में किसान संगठनों का आन्दोलन राष्ट्रीय राजधानी में 20 वें दिन भी जारी रहा ।

किसान संगठनों की ओर से दिल्ली की सीमाओं के निकट धरना प्रदर्शन जारी रहा । इस दौरान किसान संगठनों के नेताओं ने कहा कि सरकार को तीनों कृषि सुधार कानूनों को वापस ले लेना चाहिये और फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानूनी दर्जा देना चाहिये ।

कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने कहा है कि किसानों को आन्दोलन का रास्ता छोड़कर बातचीत से समसया का समाधान करना चाहिये । दिल्ली की सीमाओं पर करीब चालीस किसान संगठनों की ओर से लगातार धरना प्रदर्शन किया जा रहा है और वे लम्बे समय तक संघर्ष की बात कह रहे हैं ।

सरकार पर दवाब बढ़ाने के लिए किसानों की ओर से कल एक दिन का अनशन किया गया था । कुछ किसान संगठनों ने कृषि सुधार कानूनों का समर्थन भी किया है ।

भाजपा मुख्यालय के सामने कांग्रेस का प्रदर्शन

दिल्ली प्रदेश कांग्रेस ने किसानों के आंदोलन के समर्थन में मंगलवार को यहां भारतीय जनता पार्टी के मुख्यालय के समक्ष प्रदर्शन किया और कहा कि भाजपा सरकार को समझ लेना चाहिए कि जनता ने उसे पूंजीपतियों की मदद को नहीं बल्कि गरीबों की सहायता के लिए सत्ता सौंपी है।

दिल्ली प्रदेश कांग्रेस के नेता अनिल चौधरी ने प्रदर्शनकारियों को संबंधित करते हुए कहा “आज भाजपा मुख्यालय पर आने का उद्देश्य सोयी हुई मोदी सरकार को जगाने का है। भाजपा नींद से जागे और पूंजीपतियों की जगह किसानों का साथ दे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सत्ता देश की जनता ने सौंपी है, पूंजीपतियों ने नहीं।”

उन्होंने कहा कि 18-19 दिनों से दिल्ली की सीमाओं पर किसान अपने परिवारों, बच्चों से साथ डटे हैं। उनकी मांग क्या है पूरा देश सुन रहा है। देश का एक एक नागरिक उनकी आवाज सुन रहा है लेकिन अफसोस इस बात का है कि देश के प्रधानमंत्री उनकी बात नहीं सुन रहा है।

श्री चौधरी ने कहा ‘ किसान की आवाज उठाने से हमें कोई नहीं रोक सकता। किसान का बेटा हूँ, किसानों की लड़ाई हर कीमत पर लड़ूंगा। ये देश के अन्नदाताओं की आवाज है मोदी जी, इसको सुनिए। अन्नदाताओं की आवाज को अनसुना कर भी आप अन्नदाताओं की आवाज दबा नहीं पाएंगे।”

मोदी के आत्मनिर्भर भारत मिशन में पलीता लगाने की साजिश है किसान आंदोलन: सुखबीर मलेरना

इधर प्रगतिशील किसान मोर्चा के नेता सुखबीर मलेरना ने केंद्र सरकार के कृषि से जुड़े तीन कानूनों के विरोध में चल रहे आंदोलन को चीन की शह पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ‘आत्मनिर्भर भारत ‘ अभियान को विफल करने की साजिश करार दिया है।

श्री मलेरना ने मंगलवार को कहा कि तीनों कानूनों के विरोध में चलाए जा रहे किसान आंदोलन को कम्युनिस्टों ने पूरी तरह अपनी पकड़ में ले लिया है और इसका ठोस सबूत विवादित नेताओं की रिहाई जैसी मांग है जो कम्युनिस्ट एजेंडे का हिस्सा है। इसी एजेंडे के तहत कम्युनिस्ट आंदोलन को लंबा खींचना चाहते हैं।

हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर से मिलकर श्री मलेरना कम्युनिस्टों द्वारा आंदोलन हथियाने पर विरोध जता चुके हैं।

धमकियों भरा किसान आंदोलन:अन्ना हजारे ने दी अनशन करने की धमकी तो किसान नेता राकेश टिकैत ने दी पुलिस थानों में पशु बांधने की धमकी attacknews.in

नयी दिल्ली 15 दिसंबर । भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने पुलिस पर दिल्ली आ रहे किसानों को परेशान करने का आरोप लगाते हुए कहा है कि विवश होने पर किसान अपने पशुओं को थाने में बांध देंगे ।

श्री टिकैत ने बीस दिनों से जारी किसान आंदोलन के बीच कहा कि उत्तर प्रदेश से दिल्ली आ रहे किसानों को जगह जगह परेशान किया जा रहा है । उन्होंने दिल्ली मेरठ हाईवे जाम करने की भी धमकी दी है । जरूरत होने पर किसान दिल्ली को पूरी तरह से जाम कर देंगे ।

किसान नेता ने कहा है कि उनका आंदोलन गैर राजनीतिक है और सरकार को किसान संगठन से बातचीत कर समस्या का समाधान करना चाहिए । उन्होंने कहा कि कृषि सुधार कानून किसानों के खिलाफ है और न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानूनी दर्जा दिया जाना चाहिए ।

अन्ना हजारे ने दी अनशन करने की धमकी

इधर देश में चल रहे किसान आंदोलन के बीच जानेमाने सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने किसानों की समस्याओं को लेकर अनशन करने की धमकी दी है ।

श्री हजारे ने कृषि मंत्री को भेजे पत्र में कहा है कि पांच फरवरी 2019 को कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह तथा कई अन्य नेताओ के आग्रह पर अपना अनशन समाप्त कर दिया था । उन्हें लिखित आश्वासन दिया गया था जिसे अब तक पूरा नहीं किया गया है । अब वह कहीं भी और किस समय अनशन शुरू करेंगे सरकार को इसकी जानकारी दे दी जायगी ।

श्री हजारे ने कहा कि कृषि मूल्य आयोग को निर्वाचन आयोग जैसा संवैधानिक दर्जा देकर पूरी स्वायत्तता देना, स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश के अनुसार कृषि उपज का मूल्य सी2+50 निर्धारित करना, फल, सब्जी और दूध के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य लागू करना, किसानों को कर्जा मुक्त करने के बारे में उपाय करना, आयात-निर्यात नीति तय करना, आधुनिक तकनीकी कृषि औजार तथा पानी बचाने के लिए ड्रिप इरिगेशन, स्प्रिंकलर इरिगेशन जैसे साधनों पर 80 प्रतिशत अनुदान लागू करना इन सभी मांगो पर विचार कर सही निर्णय लेने के लिए एक उच्चाधिकार समिति तुरंत गठित करने का आश्वासन दिया गया था । समिति में केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री, नीति आयोग के सदस्य रमेशचंद, समेत अन्य अन्य सदस्य होंगे । यह समिति 30 अक्टूबर 2019 से पहले अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी ।

उन्होंने कहा कि इस कमेटी के रिपोर्ट के तहत केंद्र सरकार उपरोक्त मुद्दों पर उचित कार्रवाई करेगी इस प्रकार का लिखित आश्वासन पांच फरवरी 2019 को कृषिमंत्री राधामोहन सिंह और महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने रालेगणसिद्धी में आकर लिखित दिया था। इसका अभी तक पालन नहीं हुआ। इसलिए पांच फरवरी 2019 का रुका हुआ अनशन फिर से शुरू करने की सोच शुरू हो गई है। जल्द ही अनशन कहां और कब करना है, तिथि तय होने के बाद लिखकर आपको अवगत करूंगा।

गणतंत्र दिवस समारोह के मुख्य अतिथि होंगे ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जाॅनसन,भारत और ब्रिटेन के बीच संपर्क,व्यापार, प्रतिरक्षा,सुरक्षा,जलवायु और स्वास्थ्य विषयों पर द्विपक्षीय संबंधों की सहमति attacknews.in

नयी दिल्ली 15 दिसंबर । अगले वर्ष गणतंत्र दिवस समारोह में ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन मुख्य अतिथि के रूप से शामिल होंगे।

भारत की चार दिवसीय यात्रा पर आये ब्रिटेन के विदेश मंत्री डोमिनिक राब ने विदेश मंत्री सुब्रह्मण्यम जयशंकर के साथ यहां द्विपक्षीय बैठक में ये जानकारी दी।

बैठक में भारत एवं ब्रिटेन ने कोविड पश्चात के जगत में अपने द्विपक्षीय रणनीतिक साझीदारी को और ऊंचाई पर ले जाने के लिए पांच सूत्रीय एजेंडा तय किया और आतंकवाद एवं कट्टरवाद के विरुद्ध चिंताएं साझा कीं।

बैठक के बाद श्री डॉमिनिक राब ने संवाददाताओं को बताया कि ब्रिटिश प्रधानमंत्री श्री जॉनसन ने अगले वर्ष गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप से शामिल होने के भारत के अनुरोध को स्वीकार कर लिया है।

ब्रिटिश विदेश मंत्री ने कहा कि उनके प्रधानमंत्री श्री जानसन ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को अगले वर्ष होने वाले जी-7 के शिखर सम्मेलन में ब्रिटेन आने का निमंत्रण दिया है और श्री जानसन ने अगले साल 26 जनवरी को नयी दिल्ली में गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि बनने की सहमति दे दी है जो हमारे लिए एक बड़ा सम्मान है।

गणतंत्र दिवस के मुख्य समारोह में बतौर मुख्य अतिथि श्री जानसन के आने की स्वीकृति पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए डॉ जयशंकर ने कहा कि गणतंत्र दिवस परेड में श्री जानसन का आना हमारे द्विपक्षीय संबंधों में एक नये युग की शुरुआत का एक अहम संकेत होगा।

डॉ. जयशंकर ने कहा कि कोविड-19 महामारी के काल में किसी विदेश मंत्री की इस पहली द्विपक्षीय यात्रा में आज की बैठक में भारत एवं ब्रिटेन की रणनीतिक साझीदारी को नयी ऊंचाई पर ले जाने के बारे में चर्चा हुई।

उन्होंने कहा कि हमने पांच मुख्य विषयों – लोगों के बीच संपर्क बढ़ाने, कारोबार एवं समृद्धि, प्रतिरक्षा एवं सुरक्षा, जलवायु परिवर्तन एवं स्वास्थ्य पर ध्यान केन्द्रित किया है।

विदेश मंत्री ने कहा कि बैठक में इसके अलावा हमने अफगानिस्तान की स्थिति की समीक्षा की और हिन्द प्रशांत क्षेत्र की प्रासंगिकता और पश्चिम एशिया की गतिविधियों की समीक्षा की तथा आतंकवाद एवं मजहबी कट्टरवाद के कारण उत्पन्न चुनौतियों पर चिंताएं साझा कीं।

हिन्द प्रशांत क्षेत्र की अवधारणा को मिल रहे महत्व के बारे में एक सवाल पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि हिन्द प्रशांत क्षेत्र के बारे में भारत की अपनी अलग अवधारणा है। यह संतोष की बात है कि आज उसे मान्यता मिल रही है और उस विचार को समर्थन लगातार बढ़ रहा है।

श्री राब की यात्रा के महत्व के बारे में पूछे जाने पर डॉ. जयशंकर ने कहा कि ब्रिटिश विदेश मंत्री की यात्रा बहुत ही अहम वक्त पर हो रही है क्याेंकि हम कोविड पश्चात जगत में संभावनाएं ढूंढ़ रहे हैं जबकि ब्रिटेन के दृष्टिकोण से देखें तो वह भी ब्रेग्ज़िट पश्चात जगत में संभावनाएं तलाश रहा है। इसलिए यह द्विपक्षीय संवाद का सबसे उपयुक्त समय है।

श्री राब ने कहा कि हम भारत के साथ अपनी आर्थिक साझीदारी को विस्तृत एवं गहन बनाना चाहते हैं। हम भारत के साथ मजबूत रक्षा एवं सुरक्षा साझीदारी स्थापित करना चाहते हैं जो आतंकवाद, समुद्री सुरक्षा के मुद्दों को हल करने में मददगार होगी जिनमें पश्चिमी हिन्द महासागर में जलदस्युओं की समस्या शामिल है। उन्होंने कहा कि हम संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की वापसी का स्वागत करते हैं।

कृषि सुधार कानूनों के विरोध में किसान संगठनों के साथ विपक्षी दलों के नेताओं ने चल रहे आंदोलन के दौरान सरकार पर दबाव बढ़ाने के लिए भूख हड़ताल की attacknews.in

नयी दिल्ली, 14 दिसंबर । कृषि सुधार कानूनों के विरोध में सोमवार को किसान संगठनों ने आंदोलन तेज कर दिया तथा सरकार पर दबाव बढ़ाने के लिए भूख हड़ताल की।

किसान नेता सुबह आठ बजे से अनशन पर चले गए जो शाम पांच बजे तक जारी रहा । यह अनशन राजधानी के गाजीपुर , टीकरी ,सिंघु बार्डर तथा कई अन्य स्थानों पर किया गया । जिला मुख्यालयों में भी किसानों ने अनशन तथा धरना प्रदर्शन किया । किसान संगठन तीन कृषि सुधार कानूनों को रद्द करने पर अड़े हैं और फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानूनी दर्जा देने की मांग कर रहे हैं ।

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी उपवास किया । इस बीच हरियाणा के भारतीय जनता पार्टी के सांसदों और विधायकों ने आज कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर से मुलाकात की और सरकार की ओर कृषि सुधार कानूनों में संशोधन करने के प्रस्तावों के लिए उन्हें धन्यवाद दिया । उन्होंने फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य और मंडी व्यवस्था जारी रखने को लेकर सरकार की सराहना की ।

बाद में सांसद धरमबीर और सुनीता दुग्गल ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि हरियाणा ने केन्द्र सरकार से बागवानी के क्षेत्र में अधिक से अधिक राशि आवंटित करने की मांग की ताकि राष्ट्रीय राजधानी की फलों और सब्जियों की आपूर्ति की जा सके । कोल्ड स्टोरेज , कोल्ड चेन और प्रसंस्करण इकाइयों के लिए अधिक राशि जारी करने की मांग भी की गयी ।

अखिल भारतीय किसान समन्वय समिति के कुछ नेताओं ने कृषि मंत्री से मुलाकात की और कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य समाप्त किया जाना चाहिये और फसलों का मूल्य खुले बाजार में तय किया जाना चाहिये । इससे किसानों को प्रतिस्पर्धा के कारण अधिक मूल्य मिल सकेगा ।

शेतकारी संगठन के नेता दिनेश शर्मा ने कहा कि अनुबंध कृषि के तहत कम्पनियों और कृषक के बीच जमीन सम्बन्धी विवाद होने पर इसके निवारण के लिए न्यायाधिकरण का गठन किया जाना चाहिये जिसमें किसानों , कम्पनी और सरकार का प्रतिनिधि होना चाहिये तथा उसमें एक निश्चित समय सीमा में निर्णय करने का प्रावधान होना चाहिये ।

उन्होंने कहा कि सरकार ने जो तीन कृषि सुधार कानूनों को बनाया है वह अच्छे हैं लेकिन कुछ सुधार किया जा सकता है ।

श्री तोमर ने किसानों से आंदोलन समाप्त कर बातचीत से समस्या का समाधान करने की अपील की है । उन्होंने कहा कि उन्हें विश्वास है कि बातचीत से समस्या का समाधान निकलेगा । सरकार के दरवाजा किसानों से बातचीत के लिए खुले है और कृषि सुधार के जो कानून बनाये गये हैं वे केवल किसानों के हित में है ।

किसान संगठन पिछले 19 दिनों से राष्ट्रीय राजधानी की सीमाओं पर आंदोलन कर रहे हैं । सरकार ने दिल्ली की सीमा पर सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी है और दिल्ली की सभी सीमाओं पर बड़ी संख्या में सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया गया है ।

हरियाणा सीमा पर किसानों का जमावड़ा

अलवर से खबर है कि,केंद्र सरकार द्वारा लागू किए गए तीन कृषि कानूनों के विरोध में चल रहे किसान आंदोलन के समर्थन में राजस्थान-हरियाणा सीमा पर किसानों का जमावड़ा लगा हुआ हैं।

सीमा पर भारी पुलिस बल तैनात है। राजस्थान से हरियाणा जाने वाले किसानों एवं वाहनों को रोकने के लिए हरियाणा पुलिस ने मोर्चा संभाल रखा है। राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या आठ पर सैकड़ों की संख्या में किसान मौजूद हैं। राजस्थान से हरियाणा में किसी भी किसान को प्रवेश नहीं करने दिया जा रहा है।

भाकपा (माले) कार्यकर्ताओं ने किसानों के समर्थन में किया प्रदर्शन

उत्तराखंड में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) के कार्यकर्ताओं ने किसान संगठनों के राष्ट्रीय आह्वान पर सोमवार को रिलायंस जियो मोबाइल फोन और सिम कार्डों को आग के हवाले कर जोरदार प्रदर्शन किया।

नैनीताल जिले में बिन्दुखत्ता के कार रोड चौराहा पर पूर्वाह्न लगभग ग्यारह बजे एकत्रित हुए भाकपा(माले) कार्यकर्ताओं ने ‘अम्बानी-अडानी राज नहीं चलेगा’ के नारे लगाए और उघोगपति गौतम अडानी और मुकेश अंबानी की कम्पनियों के उत्पादों का बहिष्कार करने का भी फैसला लिया। भाकपा-माले कार्यकर्ताओं ने जियो माेबाइल फोन और उनकी सिम को आग के हवाले कर जोरदार प्रदर्शन किया।

मुलायम की सपा में अब नहीं बचा है कोई किसान : कठेरिया

कृषि कानून के विरोध में आंदोलनरत किसानों का समर्थन कर रही समाजवादी पार्टी (सपा) पर तंज कसते हुये पूर्व केंद्रीय मंत्री और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सांसद प्रो रामशंकर कठेरिया ने कहा कि मुलायम सिंह यादव वास्तव में धरतीपुत्र हैं लेकिन आज उनके साथ कोई किसान नहीं है।

प्रो कठेरिया ने सोमवार को इटावा में पत्रकारों से कहा कि किसान बिल के खिलाफ आंदोलनरत समाजवादी पार्टी के साथ अब कोई भी किसान नही है । कृषि कानून वास्तव में किसानों के लिए वरदान है लेकिन विपक्ष बिल को लेकर किसानों के बीच भ्रम का माहौल तैयार कर रहा है।

पंजाब कांग्रेस ने शंभू बॉर्डर पर दिया किसानों के हक में धरना

पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने कहा है कि जब केन्द्र सरकार नये कृषि कानून में खामियों की बात मान रही है तो फिर अविलंब इन कानूनों को रद्द कर पहले जैसी स्थिति बहाल करे ।

श्री जाखड़ आज शंभू बॉर्डर पर किसान संघर्ष के हक में दिए कांग्रेस के धरने को संबोधित कर रहे थे । उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार राज्यों के अधिकारों को पुनः बहाल करे तथा संविधान के अनुसार राज्यों के अधिकार क्षेत्र के विषयों पर राज्य सरकारों को ही कानून बनाने की अनुमति दे। देश के संघीय स्वरूप को बनाए रखने के लिए आवश्यक है कि संविधान की मूल भावना से छेड़छाड़ न की जाये ।

नये कृ़षि कानूनों के प्रावधानों में संशोधन को तैयार केंद्र : रेड्डी

हैदराबाद,से खबर है कि ,केंद्रीय गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने सोमवार को कहा कि केंद्र नये कृषि कानूनों के कुछ प्रावधानों में संशोधन के लिये तैयार है।

श्री रेड्डी ने यहां प्रदेश भाजपा कार्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुये किसान समुदाय से कृषि कानूनों में संशोधन का सुझाव देने और राजनेताओं के जाल में न फंसने की अपील की, क्योंकि कृषि कानून किसानों के लाभ के लिये ही बनाये गये हैं।

उन्होंने कहा, ‘ नये कृषि कानूनों के साथ, किसान अपनी उपज कहीं भी और देश के किसी भी स्थान पर पारिश्रमिक मूल्य पर बेच सकते हैं। उन्हें बाजार शुल्क और अन्य कमीशन का भुगतान करने की आवश्यकता नहीं है। पंजाब को छोड़कर देश के सभी किसानों ने नये कृषि कानूनों को स्वीकार किया है। केंद्र उनकी समस्याओं को भी हल करने के लिये तैयार है, क्योंकि वे भी देश के किसान हैं। जब केंद्र सरकार कृषि कानूनों के प्रावधानों में किसी भी संशोधन को स्वीकार करने के लिये तैयार है तो किसान यूनियनों द्वारा उन्हें निरस्त करने की मांग करना सही नहीं है। ‘

उन्होंने नये कृषि कानूनों के लाभों के बारे में बताते हुये कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) प्रणाली को मजबूत किया जायेगा। श्री रेड्डी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में कृषि क्षेत्र के लाभ के लिये भाजपा नेतृत्व वाली राजग सरकार द्वारा की गयी पहलों के बारे बताते हुये कहा कि केंद्र किसानों को कभी नुकसान नहीं पहुंचा सकता।

श्री रेड्डी ने कहा, ‘ किसानों की आय दोगुनी करने की दिशा में केंद्र ने किसान टीवी चैनल, किसान रेल गाड़ियों, किसान कार्ड, मृदा परीक्षण केंद्रों की स्थापना, फसल ऋण, फसल बीमा सहित कई पहलें की हैं। राजग सरकार ने बिजली कटौती को कम करने के लिये भी कदम उठाये हैं और उर्वरकों की कमी की समस्या को स्थायी रूप से हल किया है। हम तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के किसानों को किसान ब्रांड नाम के तहत रामागुंडम उर्वरक कारखाने से यूरिया प्रदान करने जा रहे हैं। हम किसानों को वन नेशन और वन ग्रिड कॉन्सेप्ट के साथ 24 घंटे बिजली दे रहे हैं। ‘

कुंडली बॉर्डर और सोनीपत में अनशन पर बैठे 72 किसान

सोनीपत, से खबर है कि, केन्द्र सरकार के पारित तीन कृषि कानूनों के विरोध में कुंडली बार्डर पर चल रहे धरने के 18वें दिन 72 किसानों ने एक दिन का अनशन किया। पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार किसान नेताओं के उपवास के अलावा जिला मुख्यालय पर भी किसानों ने एक दिन का धरना-प्रदर्शन किया।

आंदोलन को तेज करते हुए संयुक्त किसान मोर्चा के सदस्यों ने सोमवार को एक दिन का अनशन और जिला मुख्यालयों पर धरना-प्रदर्शन का निर्णय लिया था। कुंडली बार्डर पर हुए अनशन में भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढ़ूनी, बलवीर सिंह सेरसा सहित मोर्चा के सदस्य कुलवंत सिंह ठीकरीवाल, दीपेंद्र गिल, हरिकशन देव ठाकुर, लखविंद्र सिंह, चरणजीत सिंह, बलदेव सिंह, सुरेंद्र सिंह, रणधीर सिंह, सुखविंद्र सिंह, गुरप्रीत सिंह, जाेगेंद्र सिंह, बलदेव सिंह और आनंदपुर साहिब से आईं महिलाएं हरजिंद्र कौर, करतार कौर, बलविंद्र कौर, सुरेंद्र कौर सहित 22 लाेग सुबह करीब 10 बजे से सवा पांच बजे तक अनशन पर बैठे ।

किसानों का आंदोलन सोमवार से तेज होगा,सरकार पर दबाव बढ़ाने के लिए भूख हड़ताल भी करेंगे,सरकार किसान संगठनों के साथ 48 घंटे में अगले दौर की बातचीत शुरू करेगी attacknews.in

नयी दिल्ली 13 दिसंबर । कृषि सुधार कानूनों के विरोध में सोमवार को किसान संगठन आंदोलन तेज करेंगे तथा सरकार पर दबाव बढ़ाने के लिए भूख हड़ताल करेंगे।

किसान नेता सुबह आठ बजे से शाम पांच बजे तक भूख हड़ताल करेंगे। यह अनशन राजधानी के गाजीपुर, टीकरी, सिंघु सीमा तथा कुछ अन्य स्थानों पर किया जाएगा ।

किसान संगठन तीन कृषि सुधार कानूनों को रद्द करने पर अड़े हैं । शनिवार को किसान संगठनों ने आंदोलन तेज कर दिया जबकि हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने कई केंद्रीय मंत्रियों से मुलाकात कर बातचीत का दबाव बढ़ा दिया।

किसान संगठनों ने देश में अनेक स्थानों पर टोल प्लाजा पर प्रदर्शन करके कर वसूली को बाधित किया। किसानों के कई जत्थे अलग-अलग राज्यों से दिल्ली के लिए रवाना हो गए।

श्री चौटाला ने कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर तथा खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री पीयूष गोयल से मुलाकात के बाद कहा कि सरकार किसान संगठनों के साथ 48 घंटे में अगले दौर की बातचीत शुरू करेगी । सरकार ने किसान संगठनों को कृषि सुधार कानूनों में संशोधन का प्रस्ताव दिया था जिसे खारिज कर दिया गया था और आंदोलन तेज करने की धमकी दी गई थी।

श्री तोमर ने किसानों से आंदोलन समाप्त कर बातचीत से समस्या का समाधान करने की अपील की है। उन्होंने कहा कि उन्हें विश्वास है कि बातचीत से समस्या का समाधान निकलेगा। सरकार का दरवाजा किसानों से बातचीत के लिए खुला है ।

किसान संगठन पिछले 18 दिन से राष्ट्रीय राजधानी की सीमा पर आंदोलन कर रहे हैं। सरकार ने दिल्ली की सीमा पर सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी है। सीमा पर बड़ी संख्या में सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया गया है।

कृषि मंत्री तोमर ने अमित शाह से मुलाकात की

केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ जारी किसानों के प्रदर्शन के बीच केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और सोमप्रकाश ने रविवार को गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की। यह जानकारी अधिकारियों ने दी।

मंत्रियों के साथ पंजाब के भाजपा नेता भी थे।

तोमर, सोमप्रकाश और पीयूष गोयल ने प्रदर्शनकारी किसानों के साथ वार्ता में सरकार का नेतृत्व किया था।

एक अधिकारी ने बताया कि तोमर और सोमप्रकाश ने गृह मंत्री से मुलाकात की। यह अभी पता नहीं चल सका है कि बैठक में क्या बातचीत हुई।

पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश सहित विभिन्न क्षेत्रों के किसान केंद्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग करते हुए दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं

चिल्ला बॉर्डर पर सामान्य यातायात बहाल:

नोएडा (उप्र),से खबर है कि,प्रदर्शनकारी किसानों ने केंद्रीय मंत्रियों राजनाथ सिंह और नरेंद्र तोमर के साथ शनिवार देर रात मुलाकात के बाद चिल्ला के रास्ते नोएडा को दिल्ली से जोड़ने वाला मुख्य मार्ग रविवार को खाली कर दिया।

अधिकारियों ने बताया कि किसान चिल्ला बॉर्डर से हट गए, जिसके बाद इस मार्ग पर नोएडा एवं दिल्ली के बीच सामान्य यातायात बहाल हो गया। किसान एक दिसंबर से इस स्थान पर धरना प्रदर्शन कर रहे थे।

उन्होंने बताया कि दिल्ली और नोएडा को जोड़ने वाले डीएनडी और कालिंदी कुंज मार्ग पर भी यातायात सामान्य है।

हालांकि सीमा पर प्रदर्शन जारी रहा और भारतीय किसान यूनियन (भानु) के राष्ट्रीय अध्यक्ष ठाकुर भानु प्रताप सिंह समेत इसके कुछ समस्य सीमा पर मौजूद रहे।

बीकेयू (भानु) के एक पदाधिकारी ने बताया कि रक्षा मंत्री सिंह और कृषि मंत्री तोमर के साथ मुलाकात के बाद किसानों ने शनिवार आधी रात को मार्ग खाली कर दिया।

बीकेयू (भानु) के आईटी सेल के एक वरिष्ठ सदस्य सतीश तोमर ने ‘पीटीआई भाषा’ से फोन पर कहा, ‘‘राजनाथ जी ने हमारी मांगें सुनीं और बातचीत आगे ले जेने एवं समस्याओं का समाधान करने पर सहमति जताई। इसके बाद हमने सड़क खाली करने का फैसला किया, लेकिन इसका यह अर्थ नहीं है कि हमारा प्रदर्शन समाप्त हो गया है।’’

उन्होंने कहा कि प्रदर्शनकारी किसानों ने रविवार को चिल्ला बॉर्डर पर ‘हवन’ किया और आगे क्या करना है, इस संबंध में तस्वीर शाम तक साफ हो जाएगी।

चिल्ला बॉर्डर के निकट ‘दलित प्रेरणा स्थल’ पर बीकेयू (लोकशक्ति) के किसान भी नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं।

इस समूह के कुछ सदस्यों ने शनिवार को अपने सिर मुंडवाए थे और इससे पहले, कुछ लोग प्रदर्शन के दौरान अर्द्धनग्न हो गए थे।

ये प्रदर्शनकारी नोएडा सीमा पर एकत्र हुए हैं और पंजाब एवं हरियाणा के किसानों के आंदोलन में शामिल होने को लिए दिल्ली जाना चाहते हैं।

दिल्ली की सीमाओं पर हजारों किसान नए कृषि कानूनों के विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं।

किसान आंदोलन : पुलिस महानिदेशक ने किया झज्जर का दौरा

किसान आंदोलन के मद्देनजर हरियाणा के पुलिस निदेशक मनोज यादव ने आज झज्जर जिले का दौैरा किया और शांति एवं कानून व्यवस्था को सुचारू बनाए रखने के लिए किये गये प्रबंधों की समीक्षा की।

श्री यादव बहादुरगढ़ पहुंचे और अधिकारियों को आवश्यक दिशा निर्देश दिए। इस दौरान रोहतक रेंज के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक संदीप खिरवार, एसपी झज्जर राजेश दुग्गल, जिला उपायुक्त जितेंद्र कुमार व अन्य अधिकारी भी मौजूद रहे। श्री दुग्गल नेे इस दौैरान बताया कि किसान संगठनों के आंदोलन के मद्देनजर स्थानीय पुलिस प्रशासन सतर्क है और प्रत्येक गतिविधि पर कड़ी निगाह रखे हुए है। उन्होंने दिल्ली जाने वाले मार्गो तथा सुरक्षा प्रबन्धों के तहत लगाए गए नाकों, फोर्स की उपलब्धता तथा पुलिस व सिविल प्रशासन के अधिकारियों की जिला के विभिन्न स्थानों पर तैनाती बारे विस्तृत जानकारी दी।

किसानों को हरियाणा पुलिस ने सीमा पर रोका

केन्द्र सरकार द्वारा पारित कृषि बिलों को वापस लेने की मांग को लेकर देशभर मे आंदोलनरत किसान संगठनो का असर रविवार को राजस्थान हरियाणा सीमा पर भी दिखा।

महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट के नेतृत्व मे आंदोलनरत किसान हरियाणा सीमा पर ही डेरा डाले हुए हैं। आंदोलन की गति को बढाने पहुंचे राजनीति विशेषज्ञ एवं किसान संगठन समर्थित स्वराज इण्डिया प्रमुख योगेन्द्र यादव के साथ देशभर के विभिन्न किसान संगठन के पदाधिकारियों ने हरियाणा सीमा पर पहुंचते ही पुलिस प्रशासन ने हाइवे के दोनो और बैरिकट लगा हाइवे जाम कर दिया। वहीं जाम मे अटके वाहनों को डायवर्ट कर निकाला गया।

पंजाब सरकार ने अडानी पाॅवर के साथ कोई समझौता नहीं किया : कैप्टन अमरिंदर सिंह

पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने आज दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर किसानों के चल रहे आंदोलन को लेकर निजी स्वार्थों के लिए उनके खिलाफ दुष्प्रचार करने का आरोप लगाते हुए कहा कि उनकी सरकार ने अडानी पॉवर के साथ कोई समझौता नहीं किया है।

कैप्टन अमरिंदर सिंह ने यहां जारी बयान में आरोप लगाया कि श्री केजरीवाल सफेद झूठ व दुष्प्रचार के जरिये पंजाब में अपनी पार्टी के चुनावी एजंडे को आगे बढ़ाने की कोशिश के तहत यह कर रहे हैं।

गांव रायपुर के किसानों ने किया दिल्ली कूच

हरियाणा में सिरसा जिला के गांवों से दिल्ली सीमा पर किसान आंदोलन को समर्थन देने के लिए किसानों के जत्थे जाने का सिलसिला जारी है और आज इस कड़ी में नाथू सरी चौपटा खंड के गांव रायपुर से किसानों का जत्था ट्रैक्टर में खाने-पीने का सामान लेकर रवाना हुआ।
कूच करने वाले किसानों के जत्थे में शामिल अरविंद व कमलजीत बेनीवाल ने बताया कि उन्होंने (किसानों ने) रवाना होने से पहले शपथ ली कि जब तक सरकार तीनों कृषि कानून वापस नहीं लेगी तब तक वह गांव में नहीं लौटेंगे।

केजरीवाल ने की किसानों के समर्थन में उपवास रखने की अपील

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा है कि वह किसानों के समर्थन में सोमवार को एक दिन का उपवास करेंगे और आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं तथा देशवासियों से अपील है कि वे भी एक दिन का उपवास रखें।

श्री केजरीवाल यहां संवाददाताओं से कहा कि पिछले कुछ दिनों से भाजपा के मंत्री और नेता किसानों को देशद्रोही बताकर उनके आंदोलन को बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं। देश की रक्षा करने वाले हजारों पूर्व सैनिक भी किसानों के साथ बॉर्डर पर बैठे हैं, खिलाड़ी, सेलिब्रिटी और डाॅक्टर आदि भी समर्थन में हैं। भाजपा के मंत्री-नेता बताएं कि क्या ये सारे लोग देशद्रोही हैं? उन्होंने कहा कि अन्ना हजारे के साथ रामलीला मैदान में हुए आंदोलन के दौरान कांग्रेस की केंद्र सरकार ने भी उन्हें देश विरोधी बता कर बदनाम किया था, आज वही काम भाजपा सरकार कर रही है।

किसानों के समर्थन में केजरीवाल का उपवास मात्र नौटंकी: कांग्रेस

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के किसान आंदोलन के समर्थन में सोमवार को एक दिन का उपवास रखने की घोषणा पर प्रतिक्रिया करते हुए दिल्ली देहात किसान बचाओ मंच के अध्यक्ष और कांग्रेसी नेता डा़ नरेश कुमार ने कहा है कि उनका यह कदम मात्र एक नौटंकी है और जनता उनकी उनकी हर बात को बखूबी समझती है।

श्री कुमार ने कहा कि श्री केजरीवाल को उपवास पर बैठना चाहिए लेकिन उन्हें किसी म्यूजियम या नाटक मंडली में बैठना चाहिए क्योंकि अब उनके नाटक का पर्दाफ़ाश हो चुका है। दिल्ली की जनता जान चुकी है कि वह भारतीय जनता पार्टी और केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह के दाएं हाथ हैं।

कर्मचारी भविष्य निधि संगठन देश के करीब 6 करोड़ श्रमिकों/कर्मचारी अंशधारकों के खातों में दिसंबर अंत तक 2019-20 के लिए 8.5 प्रतिशत ब्याज डालेगा attacknews.in

नयी दिल्ली, 13 दिसंबर । कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) वित्त वर्ष 2019-20 के लिए करीब छह करोड़ अंशधारकों के कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) खातों में दिसंबर के अंत तक एकमुश्त 8.5 प्रतिशत का ब्याज डालेगा।

इससे पहले सितंबर में श्रम मंत्री संतोष गंगवार की अगुवाई में हुई न्यासियों की बैठक में ईपीएफओ ने ब्याज को 8.15 प्रतिशत और 0.35 प्रतिशत की दो किस्तों में डालने का फैसला किया था।

एक उच्चपदस्थ सूत्र ने पीटीआई-भाषा से कहा कि श्रम मंत्रालय ने वित्त मंत्रालय को 2019-20 के लिए ईपीएफ में एक बार में 8.5 प्रतिशत का ब्याज डालने का प्रस्ताव भेजा है। यह प्रस्ताव इसी महीने भेजा गया है।

सूत्र ने कहा कि इस प्रस्ताव पर वित्त मंत्रालय की मंजूरी कुछ दिन में मिलने की उम्मीद है। ऐसे में अंशधारकों के खातों में ब्याज इसी महीने डाला जाएगा।

सूत्र ने बताया कि इससे पहले वित्त मंत्रलय ने बीते वित्त वर्ष के लिए ब्याज पर कुछ स्पष्टीकरण मांगा था। वित्त मंत्रालय को यह स्पष्टीकरण दे दिया गया है।

श्रम मंत्री गंगवार की अगुवाई वाले ईपीएफओ के निर्णय लेने वाले शीर्ष निकाय केंद्रीय न्यासी बोर्ड (सीबीटी) की मार्च में हुई बैठक में 2019-20 के लिए ईपीएफ पर 8.5 प्रतिशत ब्याज दर को मंजूरी दी गई थी।

सीबीटी की मार्च में हुई बैठक में 8.5 प्रतिशत के ब्याज देने की प्रतिबद्धता को पूरा करने का फैसला किया गया था। लेकिन इसके साथ ही सीबीटी ने तय किया था कि 8.5 प्रतिशत के ब्याज को दो किस्तों…8.15 प्रतिशत और 0.35 प्रतिशत में अंशधारकों के खातों में डाला जाएगा।

कृषि सुधार कानूनों के विरोध में किसानों का आंदोलन तेज,देश में अनेक स्थानों पर टोल प्लाजा पर प्रदर्शन कर वसूली को बाधित किया, बातचीत का दबाव बढ़ा attacknews.in

नयी दिल्ली 12 दिसंबर । कृषि सुधार कानूनों के विरोध में शनिवार को किसान संगठनों ने आंदोलन तेज कर दिया जबकि हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने कई केंद्रीय मंत्रियों से मुलाकात कर बातचीत का दबाव बढ़ाने का प्रयास किया।

किसान संगठनों ने देश में अनेक स्थानों पर टोल प्लाजा पर प्रदर्शन कर वसूली को बाधित किया । किसानों के कई जत्थे अलग-अलग राज्यों से दिल्ली के लिए रवाना हो गए । पंजाब के वकीलों ने दिल्ली आकर किसानों की मांगों का समर्थन किया ।

नाजुक मोड़ पर पहुंच गया है किसान आंदोलन : शांता कुमार

शिमला,से खबर है कि,हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार ने कहा है कि दुर्भाग्य की बात है कि लंबी बातचीत, मंत्रियों और प्रधानमंत्री के आश्वासन के बाद भी किसान आंदोलन तेज होता जा रहा है। आंदोलन का अगला दौर नाजुक मोड़ पर पहुंच गया है।

उन्होंने सरकार और किसान नेताओं से आग्रह किया है कि बहुत अधिक सावधानी रखी जाए। पालमपुर से आज यहां जारी बयान में उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ गलत तत्व भी आंदोलन में शामिल हो गए हैं। कुछ संदिग्ध एनजीओ परोक्ष रूप से करोड़ों की सहायता कर रहे हैं। आंदोलन का नेतृत्व खेत में काम करने वाले किसान के हाथ में नहीं है। लगभग सभी नेता किन्हीं निहित स्वार्थों के कारण आंदोलन को हवा दे रहे हैं।

किसानों के आंदोलन तेज करने की घोषणा के मद्देनजर दिल्ली की सीमाओं पर सुरक्षा बंदोबस्त बढ़ाए गए

केंद्र के नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों द्वारा आंदोलन को और तेज करने तथा जयपुर-दिल्ली एवं दिल्ली-आगरा एक्सप्रेसवे को अवरुद्ध करने की घोषणा के मद्देनजर दिल्ली पुलिस ने शनिवार को शहर की सीमाओं पर सुरक्षा बंदोबस्त बढ़ा दिए हैं।

गौरतलब है कि कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग पर अड़े हजारों किसान बीते 16 दिन से दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं।

पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पर्याप्त सुरक्षा इंतजाम किए गए हैं जिनमें बहुस्तरीय अवरोधक लगाना और पुलिस बल को तैनात करना शामिल है। प्रदर्शन स्थलों पर यात्रियों को किसी तरह की परेशानी का सामना नहीं करना पड़े इस लिहाज से भी कुछ उपाय किए गए हैं।

उन्होंने बताया कि दिल्ली यातायात पुलिस ने महत्वपूर्ण सीमाओं पर अपने कर्मियों को तैनात किया है ताकि आने-जाने वाले लोगों को कोई परेशान नहीं हो। इसके अतिरिक्त ट्विटर के जरिए लोगों को खुले एवं बंद मार्गों की भी जानकारी दी जा रही है।

दरअसल किसान नेताओं ने नए कृषि कानूनों में संशोधन का सरकार का प्रस्ताव बुधवार को खारिज कर दिया था, इसके साथ ही जयपुर-दिल्ली तथा यमुना एक्सप्रेसवे को शनिवार को अवरुद्ध करके अपने आंदोलन को तेज करने की घोषणा की थी।

यातायात पुलिस ने शनिवार को यात्रियों को ट्वीट कर सिंघू, औचंदी, प्याऊ मनियारी और मंगेश सीमाओं के बंद होने की जानकारी दी। लोगों को लामपुर, सफियाबाद, साबोली और सिंघू स्कूल टोल टैक्स सीमाओं से आनेजाने की सलाह दी गई है।

यातायात पुलिस ने कहा कि मुकरबा और जीटीके रोड से मार्ग बदला गया है अत: लोगों को बाहरी रिंग रोड, जीटीके रोड और राष्ट्रीय राजमार्ग-44 पर जाने से बचना चाहिए।

इसमें यह भी कहा गया कि किसानों के प्रदर्शन के कारण नोएडा एवं गाजियाबाद से यातायात के लिए चिल्ला और गाजीपुर सीमाओं को बंद किया गया है अत: दिल्ली आने के लिए आनंद विहार, डीएनडी, अप्सरा एवं भोपरा सीमाओं का इस्तेमाल किया जा सकता है।

यातायात पुलिस ने ट्वीट करके बताया कि टिकरी और धानसा सीमाएं भी यातायात के लिए बंद हैं हालांकि झाटीकरा सीमा दो पहिया वाहनों एवं पैदल यात्रियों के लिए खुली है।

इसमें हरियाणा की ओर जाने वाले लोगों को झारोडा, दौराला, कापसहेड़ा, बडुसराय, रजोकरी एनएच-8, बिजवासन/बाजघेड़ा, पालम विमार और डूंडाहेड़ा सीमाओं से जाने को कहा गया है।

किसान नेताओं ने बृहस्पतिवार को यह घोषणा भी की थी कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गयीं तो देशभर में रेल मार्ग को अवरुद्ध कर दिया जाएगा और इसके लिए जल्द तारीख घोषित की जाएगी।

सरकार और किसानों के प्रतिनिधियों के बीच पांच चरण की वार्ता बेनतीजा रहने के बाद गत बुधवार प्रस्तावित छठे दौर की वार्ता निरस्त कर दी गई थी।

केंद्र सरकार द्वारा किसानों का डाटा बैंक जल्द होगा तैयार, मिलेगी घर बैठे नवीनतम जानकारी,किसानों और कृषि क्षेत्र को समृद्ध बनाने के लिए सरकार कर रही हैं चौतरफा प्रयास attacknews.in

नयी दिल्ली, 12 दिसंबर ।सरकार किसानों का डाटा बैंक जल्द तैयार करेगी जिससे मिट्टी की जांच , बाढ़ की चेतावनी , उपग्रह की तस्वीरें, जमीन का राजस्व रिकार्ड आदि की जानकारी घर बैठे मिलेगी ।

कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने शनिवार को कहा कि किसानों और कृषि क्षेत्र को समृद्ध बनाने के लिए केंद्र सरकार चौतरफा प्रयास कर रही है। इस दिशा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं, जिनका लाभ किसानों को मिलना प्रारंभ भी हो गया है। सरकार आधुनिक प्रौद्योगिकी के माध्यम से भी किसानों को फायदा पहुंचा रही है।

श्री तोमर ने यह बात ईलेट्स टेक्नोमीडिया द्वारा आयोजित तीन दिवसीय नॉलेज एक्सचेंज समिट के दसवें संस्करण का शुभारंभ करते हुए कही। उन्होंने कहा कि सरकार का उद्देश्य है कि किसानों की माली हालत सुधरे, कृषि क्षेत्र फायदे में आए और नई पीढ़ी खेती की ओर आकर्षित हो।

देश में कृषि सुधारों पर आयोजित इस समिट में श्री तोमर ने कहा कि कृषि और सम्बद्ध क्षेत्रों में बीते कुछ समय में कई नए आयाम जुड़े हैं। प्रधानमंत्री ने इस क्षेत्र को प्राथमिकता पर रखा है, गांव-गरीब-किसानों का राज्यों के साथ मिलकर विकास प्रमुख लक्ष्य है, जिसे पाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। हमारे गांव और कृषि क्षेत्र बरसों से इस देश की ताकत रहे हैं, जिन्हें और मजबूत करने पर सरकार पूरी तरह ध्यान दे रही है।

उन्होंने कहा कि इसी कड़ी में आत्मनिर्भर भारत अभियान के अंतर्गत एक लाख करोड़ रुपए के कृषि आधारभूत संरचना कोष की ऐतिहासिक शुरुआत हो चुकी है। इसका उपयोग गांवों में कृषि संरचना तैयार करने में किया जाएगा। इस कोष से कोल्ड स्टोरेज, वेयरहाउस, साइलो, ग्रेडिंग और पैकेजिंग यूनिट्स लगाने के लिए लोन दिया जाएगा।

श्री तोमर ने कहा कि खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों के विकास हेतु 10 हजार करोड़ रुपए के निवेश का प्रावधान किया गया है। जब गांव-गांव में आधारभूत संरचना होगी तो किसान उपज को कुछ समय रोककर बाद में उचित मूल्य पर बेचने में सक्षम होंगे। छोटी फूड प्रोसेसिंग यूनिट्स गांव-गांव खुलने से किसानों को लाभ मिलेगा, रोजगार के अवसर खुलेंगे और किसानों को अपनी फसल का वाजिब दाम मिलना प्रारंभ होगा। एक और महत्वपूर्ण स्कीम 10 हजार किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) बनाने की प्रारंभ की गई है, जिस पर केंद्र सरकार 6,850 करोड़ रुपए खर्च करेगी। इनके माध्यम से छोटे-मझौले किसानों, जिनकी निवेश की शक्ति कम होती है, रकबा छोटा होता है और वे महंगी फसलों के लिए निवेश करने में सक्षम नहीं होते है, उन्हें संगठित किया जाएगा । उनके खेती के खर्चों में कमी आएं, उन्हें आधुनिक तकनीकों का लाभ मिले, उनके लिए मार्केटिंग की सुविधा विकसित हो और इन सबसे उनकी आय बढ़े। नए एफपीओ को क्रांतिकारी कदम के रूप में माना जा रहा है।

केंद्रीय मंत्री ने बताया कि कृषि से सम्बद्ध सेक्टरों के लिए लगभग 50 हजार करोड़ रुपये के पैकेजों सहित अन्य उपाय भी किसानों एवं कृषि क्षेत्र की समृद्धि के लिए सरकार ने किए है, जिन पर अमल प्रारंभ हो चुका है। प्रधानमंत्री की दूरगामी सोच के अनुरूप, सरकार ने किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य दिलाने, किसानों की आय बढ़ाने एवं उनके जीवन स्तर में आमूलचूल बदलाव लाने के उद्देश्य से नए कृषि कानून बनाए हैं, जिनसे सिर्फ और सिर्फ किसानों के हितों का संरक्षण किया गया है। हमारा लक्ष्य है देश की जीडीपी में कृषि क्षेत्र का योगदान बढ़े, जिसने कोरोना संकट के दौरान भी अच्छा प्रदर्शन किया है। सरकार की सारी योजनाओं का लाभ इस दौरान किसानों को मिला है और समूचे कृषि क्षेत्र ने अपनी प्रासंगिकता को सिद्ध किया है।
श्री तोमर ने कहा कि वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के साथ ही युवाओं को खेती की ओर आकर्षित करने तथा रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए ठोस कदम उठाए जा रहे हैं। प्रधानमंत्री के नेतृत्व में कृषि एवं किसान कल्याण के लिए बीते छह साल से अधिक समय में जितने कार्य किए गए हैं, पहले कभी- किसी भी सरकार में इस प्रकार की पहल सफलतापूर्वक संपन्न नहीं हुई।

किसानों की माली हालत सुधारने के लिए सरकार द्वारा प्रारंभ की गई पीएम-किसान सम्मान निधि योजना में किसानों को हर वर्ष छह हजार रुपये की मदद सीधे उनके बैंक खाते में दी जाती है। अभी तक लगभग साढ़े 10 करोड़ किसानों को लगभग एक लाख करोड़ रुपए दिए जा चुके हैं। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना किसानों के लिए बड़ा सुरक्षा कवच है। इस स्कीम में बीते साढ़े तीन साल में किसानों ने करीब 17 हजार 738 करोड़ रुपए प्रीमियम भरी थी, जबकि उनके दावों के भुगतान के रूप में पांच गुना राशि यानी लगभग 87 हजार करोड़ रुपए किसानों को दिए गए हैं।

किसानों को कृषि कानूनों के फायदे बतायें उद्योग: पीयूष

इधर उद्योगों से किसानों को कृषि कानूनों के फायदे बताने का आह्वान करते हुए केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि उत्पादकता और गुणवत्ता सुनिश्चित करने से भारतीय उत्पाद वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धी बन सकते हैं।

श्री गोयल ने भारतीय उद्योग एवं वाणिज्य महासंघ – फिक्की की 93 वीं वार्षिक आम बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि केंद्र सरकार किसानों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है।

उन्होंने कहा कि उद्योगों , विशेषज्ञों और संबंधित संस्थानों को किसानों से बात करनी चाहिए। उन्हें कृषि कानूनों के लाभों के बारे में बताया जाना चाहिए। ये देशभर के किसानों के हित में हैं।

उन्होंने कहा कि बिना पुरानी कार्यप्रणाली को बदले व्यापार में नयी संभावनाएं नहीं तलाशी जा सकती है। इन कानूनों से किसानों के लिए उद्योग और व्यापार के नए रास्ते खोले गए हैं।इनसे कृषि और ग्रामीण क्षेत्र में निवेश होगा और किसान समृद्ध होंगे।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि वैश्विक बाजार में जगह बनाने के लिए भारतीय उद्योगों को उत्पादकता और गुणवत्ता पर ध्यान देना होगा। उन्होंने कहा कि सरकार स्टार्टअप पर विशेष रूप से ध्यान दे रही है। उनको वित्त और अन्य तरह का सहयोग दिया जा रहा है।

नरेन्द्र मोदी ने नये कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों को स्पष्ट संदेश दिया: कृषि क्षेत्र में किये गये सुधारों का किसानों को मिलेगा लाभ, सरकार किसानों के हित की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध attacknews.in

नयी दिल्ली, 12 दिसंबर । नये कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों को स्पष्ट संदेश देते हुये प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को कहा कि कृषि क्षेत्र में किये गये सुधारों से उन्हें नये बाजार उपलब्ध होंगे और उनकी आय बढ़ेगी।

उन्होंने कहा कि नये कृषि कानूनों के जरिये कृषि क्षेत्र में बाधाओं को हटाने का काम किया गया है। इससे क्षेत्र में नई प्रौद्योगिकी आयेगी और निवेश बढ़ेगा।

प्रधानमंत्री ने देश के प्रमुख उद्योग मंडल फिक्की की 93वीं सालाना आम बैठक का वीडियो कन्फ्रेंसिंग के जरिये उद्घाटन करते हुये यह बात कही। उन्होंने उद्योगपतियों को कृषि क्षेत्र में निवेश करने की अपील करते हुये कहा कि इस कृषि क्षेत्र में निजी क्षेत्र की ओर से जितना निवेश होना चाहिये था वहीं नहीं हुआ है।

उन्होंने कहा कि विभिन्न फसल और फल- सब्जियों को उगाने वाले कसानों को आधुनिक तकनीक का जितना समर्थन मिलेगा उतनी ही उनकी आय बढ़ेगी।

मोदी ने यह बात ऐसे समय कही है जब किसान संगठन तीन नये कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली की सीमाओं पर बैठे हैं और सरकार से इन कानूनों को वापस लिये जाने की मांग कर रहे हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि कृषि क्षेत्र में किये गये सुधारों से इस क्षेत्र में खड़ी दीवारों को हटाने का काम किया गया है। उन्होंने कहा, ‘‘कृषि क्षेत्र में जरूरी ढांचागत सुविधायें हों, खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र हो, बेहतर भंडारण सुविधाओं की बात हो इन सब के बीच दीवारें थीं उन्हें हटाया जा रहा है। बाधाएं हटने से किसानों को अपनी उपज बेचने के लिये नये बाजार मिलेंगे, आधुनिक कोल्ड स्टोरेज उपलब्ध होंगे, निवेश बढ़ेगा और उन्हें इस सब का लाभ मिलेगा।’’

प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार ने पिछले वर्षों के दौरान अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों के बीच खड़ी दीवारों को हटाने के लिये कई कदम उठाये हैं। बैंकों में जनधन खातों के जरिये नई शुरुआत की गई। बैंक खाते, आधार कार्ड और मोबाइल की त्रीनिती को जोड़कर बदलाव लाया गया। इसी के बल पर आज देश में दुनिया का सबसे बड़ा ‘‘प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी)’’ हो रह है जिससे सरकारी लाभ सीधे लाभार्थियों के बैंक खाते में पहुंच रहा है।

मोदी ने देश के उद्योगजगत को आत्मनिर्भर भारत अभियान में बढ़चढ़कर योगदान करने को कहा। उन्होंने कहा कि बिना निजी क्षेत्र के समर्थन के सुधारों को आगे नहीं बढ़ाया जा सकता है। उन्होंने उद्योग जगत से गांवों और छोटे शहरों की तरफ रुख करने का आह्वान करते हुये कहा कि 21वीं सदी गांव और छोटे शहरों से ही आगे बढ़ेगी। उन्होंने यह भी कहा कि भारत का कृषि क्षेत्र पहले से अधिक गतिशील और बेहतर हुआ है। उद्योगों को इसमें निवेश बढ़ाना चाहिये।

किसानों और ग्रामीणों को आश्वस्त करते हुये प्रधानमंत्री ने कहा कि उनके नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सरकार नीति और नीयत से पूरी तरह किसानों के हित में काम करने के लिये प्रतिबद्ध है।

प्रधानमंत्री ने वर्ष 2020 को बड़ी उठापटक वाला साल बताया। मोदी ने कोरोना वायरस संक्रमण फैलने को याद करते हुये कहा, ‘‘जितनी तेजी से हालत बिगड़े उतनी तेजी से सुधर भी रहे हैं। जनवरी- फरवरी में देश अज्ञात दुश्मन से लड़ रहा था। सब कैसे ठीक होगा देश दुनिया का हर मानव इसी चिंता में फंसा था। लेकिन दिसंबर आते आते स्थिति बदली नजर आ रही है। हमारे पास अब (इसका) जवाब भी है और (आगे के लिए) एक कार्ययोजना भी है।’’

विश्वास से भरे प्रधानमंत्री ने कहा कि आर्थिक सूचकांक हौसला और उत्साह बढ़ाने वाले नजर आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि संकट के समय देश ने जो सीखा है उसने भविष्य के संकल्पों को और दृढ़ किया है। ‘‘वैश्विक महामारी के दौरान एक सबक और इतिहास जुड़ा होता है। इसका श्रेय भारत के उद्यमी, युवाओं और किसानों को जाता है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘कोरोना वायरस महामारी के दौरान भारत ने अपने लोगों के जीवन को बचाने को सर्वोच्च प्राथमिकता दी। इस दौरान भारत की नीति और निर्णयों से पूरी दुनिया चकित हुई। ’’

भारतीय अर्थव्यवस्था के प्रति निवेशकों के भरोसे का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि ‘‘प्रत्य्रक्ष विदेशी निवेश (एफपीआई), विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (एफपीआई) सहित विदेशी निवेशकों का रिकार्ड निवेश भारत में हो रहा है।’’

केन्द्र की राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार के आत्मनिर्भर भारत अभियान का जिक्र करते हुये मोदी ने कहा कि यह अभियान हर क्षेत्र में कुशलता और क्षमता को बढ़ा रहा है। ‘‘इसके तहत प्रौद्योगिकी को नई ऊर्जा देने पर बल दिया गया और ‘‘शून्य खामी और शन्य प्रभाव’’ हमारा लक्ष्य होना चाहिये। ’’

उन्होंने कहा कि जिन क्षेत्रों में भारत अग्रणी बन सकता है उन क्षेत्रों का और बढ़ावा देने के लिये उत्पादन सं जुड़ी योजना शुरू की गई है। प्रधानमंत्री ने विभिन्न क्षेत्रों को खोले जाने की अपनी सरकार की नीति का जिक्र करते हुये कहा कि ‘‘जो जितना असुरक्षित होता है वह अपने आस पास के लोगों को अवसर देने से डरता है। लेकिन जनता के भारी समर्थन से बनी सरकार का अपना ही विश्वास होता है। सरकार जितनी निर्णायक होती है वह दूसरों के लिय उतने अवसर उपलब्ध कराती है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘निर्णायक आत्मविश्वास से भरी सरकार यह नहीं चाहती कि सारा नियंत्रण अपने पास ही रखे, पहले की सरकारों ने ऐसा ही किया। घड़ी, टेलीविजन से लेकर डबलरोटी और केक बनाने के काम भी खुद किया। इस सोच ने बड़ी दुर्गति की। लेकिन निर्णायक सरकार दूसरों को आगे बढ़ने के लिये प्रोतसाहित कर रही है।’’

भारत हर क्षेत्र में सुधारों को आगे बढ़ा रहा है। ‘‘भारत में कंपनी कर की दरें आज दुनिया में सबसे प्रतिस्पर्धी हैं। भारतदेश के उद्यमियों के समार्थ पर भरोसे के साथ आगे बढ़ रहा है। कोई भी क्षेत्र हो अवसरों की कमी नहीं है। ग्रामीण भारत की तस्वीर बदली है। ग्रामीण भारत बड़े बदलाव से गुजरा है।’’

फिक्की की अध्यक्ष संगीता रेड्डी ने इस अवसर पर प्रधानमंत्री का स्वागत करे हुये कहा कि देश को माजूदा समय में प्रतिस्पर्धी बने रहने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व में विभिन्न क्षेत्रों में सुधारों को आगे बढ़ाया गया और जीएसटी जैसे बड़े सुधार किये गये।

इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने ‘फिक्की वार्षिक एक्सपो 2020 की भी वीडियो कन्फ्रेंसि के जरिये आभासी तौर पर शुरुआत की।

नरेन्द्र मोदी ने अंतर्राष्ट्रीय भारती महोत्सव में सरकार द्वारा महिलाओं की गरिमा को महत्व देने का उल्लेख करते हुए कहा:यह नये भारत की नारी शक्ति का युग है attacknews.in

नयी दिल्ली, 11 दिसंबर । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि केंद्र सरकार ने महिलाओं की गरिमा को महत्व दिया है और उनके ही नेतृत्व में सशक्तीकरण को सुनिश्चित करने का काम कर रही है। उन्होंने कहा कि यह नये भारत की नारी शक्ति का युग है।

मोदी अंतर्राष्ट्रीय भारती महोत्सव को वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से संबोधित कर रहे थे। इस महोत्‍सव को महाकवि सुब्रमण्यम भारती के सम्मान में चेन्नई स्थित वानविल सांस्‍कृतिक केन्‍द्र द्वारा आयोजित किया गया था।

प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि महाकवि भारती की प्रगति की परिभाषा में महिलाओं की केंद्रीय भूमिका थी और उनकी सबसे महत्वपूर्ण दृष्टि स्वतंत्र और सशक्त महिलाओं की थी।

उन्होंने कहा, ‘‘सरकार इस दृष्टिकोण से प्रेरित है और महिलाओं के नेतृत्व वाले सशक्तिकरण को सुनिश्चित करने के लिए काम कर रही है। सरकार के कामकाज के हर क्षेत्र में महिलाओं की गरिमा को महत्व दिया गया है।’’

उन्होंने कहा कि आज जहां 15 करोड़ से अधिक महिला उद्यमी मुद्रा योजना जैसी योजनाओं से आत्मनिर्भर हैं वहीं स्थायी कमीशन के साथ महिलाएं सशस्त्र बलों का हिस्सा बन रही हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘आज सबसे गरीब महिलाएं जो सुरक्षित स्वच्छता की कमी की समस्याओं का सामना करती थीं, उन्हें 10 करोड़ से अधिक सुरक्षित और स्वच्छ शौचालयों से लाभान्वित किया गया है। ताकि उन्हें और परेशानियों का सामना न करना पड़े।’’

उन्होंने कहा, “यह नये भारत की नारी शक्ति का युग है। वे बाधाओं को तोड़ रही हैं और अपना प्रभाव स्थापित कर रही हैं। यह सुब्रमण्यम भारती को श्रद्धांजलि है।’’

महाकवि भारती को उनकी 138 वीं जयंती पर नमन करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी शिक्षाएं एकजुट रहने और प्रतिबद्ध रहने के लिए एक मजबूत अनुस्मारक हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘हर एक व्यक्ति विशेषकर गरीबों और हाशिए पर रहने वाले लोगों का सशक्तीकरण किया जाना चाहिये।’’

प्रधानमंत्री ने कहा कि सुब्रमण्यम भारती का वर्णन करना बहुत कठिन है क्योंकि उन्हें किसी एक पेशे या आयाम से नहीं जोड़ा जा सकता है।

उन्होंने कहा, ‘‘वे कवि, लेखक, संपादक, पत्रकार, समाज सुधारक, स्वतंत्रता सेनानी, मानवतावादी और बहुत कुछ थे।’’

मोदी ने वाराणसी के साथ महाकवि की निकटता को याद किया और कहा कि 39 साल के छोटे से जीवन में उन्होंने बहुत कुछ लिखा, बहुत कुछ किया और उत्कृष्टता प्राप्त की।

उन्होंने कहा कि उनका लेखन एक गौरवशाली भविष्य की ओर हमारा मार्गदर्शन करता है और आज का युवा उनसे बहुत कुछ सीख सकता है।

युवाओं में बिना किसी डर की भावना के नवाचार और उत्कृष्टता के प्रति रुझान का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत का स्टार्ट-अप क्षेत्र निडर युवाओं से भरा है जो मानवता को कुछ नया दे रहे हैं।

इस वर्ष का भारती पुरस्‍कार जानेमाने लेखक सीनी विश्‍वनाथन को दिया गया है।

उन्होंने भारती के संदेश को फैलाने में वनविल संस्कृति केंद्र के योगदान की प्रशंसा की और विश्वास व्यक्त किया कि इस महोत्सव में रचनात्मक विचार-विमर्श होगा जो भारत का एक नया भविष्य बनाने में मदद करेगा।

पश्चिम बंगाल में अत्यधिक परेशान करने वाली गतिविधियों को’ लेकर कानून-व्यवस्था पर राज्यपाल ने केंद्र को रिपोर्ट भेजी साथ ही ममता बनर्जी से कहा-आग से नहीं खेलें; केंद्र ने जे पीनड्डा के काफिले पर हमले के मामले में मुख्य सचिव, पुलिस प्रमुख को तलब किया attacknews.in

कोलकाता/नईदिल्ली , 11 दिसंबर । पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने शुक्रवार को कहा कि उन्होंने भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के काफिले पर हुए हिंसक हमले की पृष्ठभूमि में केंद्र सरकार को राज्य में ‘ अत्यधिक परेशान करने वाली गतिविधियों को’ लेकर रिपोर्ट भेज दी है।

कथित रूप से तृणमूल कांग्रेस कार्यकर्ताओं द्वारा किए गए हमले के लिए ममता बनर्जी सरकार की निंदा करते हुए धनखड़ ने कहा कि राज्य में स्थानीय और बाहरी का खतरनाक खेल चल रहा है।

उल्लेखनीय है कि नड्डा जब डायमंड हार्बर में एक जनसभा को संबोधित करने जा रहे थे तब उनके काफिले पर तृणमूल कांग्रेस के झंडे लिए प्रदर्शनकारियों ने पत्थरबाजी की थी जिसमें कई वाहनों को नुकसान हुआ था और कई भाजपा नेता एवं कार्यकर्ता घायल हो गए थे।

राजभवन में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में राज्यपाल ने कहा, ‘‘स्थिति की भयावहता को देखते हुए मैंने अपने संवैधानिक कर्तव्य के तहत बहुत ही परेशान करने वाली गतिविधियों की रिपोर्ट केंद्र को भेज दी है जो लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए ठीक नहीं है, वे कानून के राज के खिलाफ है, यह संवैधानिक मापदंडों के खात्मे का संकेत करता है।’’

उन्होंने कहा कि वह यहां रिपोर्ट की विषयवस्तु को साझा नहीं करना चाहते हैं।

राज्यपाल की टिप्पणी पर तृणमूल कांग्रेस ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए उन्हें भाजपा की जुबान बोलने वाला करार दिया।

तृणमूल कांग्रेस के सांसद कल्याण बनर्जी ने सवांददाताओं से कहा, ‘‘राज्यपाल ने रोजाना प्रेस से बात करने की आदत बना ली है। हम उनके बयान पर टिप्पणी नहीं करना चाहते हैं। हम सिर्फ इतना कहना चाहते हैं कि वह भाजपा की जुबान बोल रहे हैं।’’

संवाददाता सम्मेलन में ममता बनर्जी की आलोचना करते हुए धनखड़ ने कहा, ‘‘राज्यपाल अपनी शपथ का अनुपालन करेगा चाहे कुछ भी हो।’’

उन्होंने कहा कि यह शर्मनाक है कि यह घटना अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस के दिन हुयी।

राज्यपाल ने कहा, ‘‘जवाबदेही तय की जाएगी।’’ उन्होंने ममता बनर्जी से कहा कि वह आग से नहीं खेलें।

उन्होंने रेखांकित किया कि भारतीय नागरिक को बाहरी कहना संविधान पर पर हमला है। धनखड़ ने कहा, ‘‘ यह किसी के द्वारा स्वीकार करना खतरनाक होगा जो भारतीय संविधान और कानून के राज में विश्वास करता है।’’

उल्लेखनीय है कि तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी ने कई मौको पर कहा कि भाजपा आगामी विधानसभा चुनाव के लिए राज्य में बाहरी लोगों को ला रही है।

उन्होंने दावा किया कि था भाजपा बाहर से कथित गुंडों को लाकर पश्चिम बंगाल के गांवों में भेज रही है। ममता बनर्जी ने बृहस्पतिवार के यहां आयोजित किसान विरोध रैली में कहा कि वे उन्हें चुनौती दे और प्राथमिकी दर्ज कराएं।

राज्यपाल ने कहा, ‘‘अगर आप संविधान के रास्ते से विमुख होंगे तो मेरी जिम्मेदारी शुरू हो जाती है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘ हर बीतते दिन के साथ राज्य में कानून व्यवस्था खराब हो रही है। मुख्यमंत्री और प्रशासन को अगाह करने के बावजूद कुछ नहीं हो रहा है।’’

धनखड़ ने कहा कि मुख्यमंत्री का राजभवन के प्रति ‘‘गैर उत्तरदायी’’ रवैया इंगित करता है कि संविधान के अनुसार शासन नहीं चल रहा है।

उन्होंने रेखांकित किया कि कानून के राज से शासन की दूरी लोकतंत्र में स्वीकार्य नहीं है। धनखड़ ने कहा कि असंवैधानिक मापदंड खतरनाक स्तर पर पहुंच गए हैं और इससे मेरे लिए यह निष्कर्ष निकालना कठिन है कि राज्य में शासन संविधान के तहत चल रहा है।

भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के काफिले पर हमले को ‘दुर्भाग्यपूर्ण और लोकतंत्र पर धब्बा’’ करार देते हुए राज्यपाल ने कहा कि पश्चिम बंगाल में कानून व्यवस्था का उल्लंघन करने वालों को पुलिस और प्रशासन से संरक्षण प्राप्त है।

उन्होंने कहा, ‘‘ पश्चिम बंगाल में मौजूदा राजनीतिक परिदृश्य यह है कि किसी भी विपक्ष (विरोध) को बेरहमी से दबा दिया जाता है…कल मानवाधिकार को तिलांजलि दे दी गई।’’

नड्डा के काफिले पर हुए हमले पर ममता बनर्जी की टिप्पणी को बेहद दुर्भाग्यपूण करार देते हुए राज्यपाल ने कहा, ‘‘ मैंने माननीय मुख्यमंत्री के बयान को गंभीरता से लिया है। किस तरह से एक जिम्मेदार मुख्यमंत्री, कानून के राज …संविधान में विश्वास करने वाला, बंगाली संस्कृति पर भरोसा करने वाला ऐसा कह सकता है जैसा उन्होंने कहा।’’

धनखड़ ने कहा कि मुख्यमंत्री को नड्डा पर हुए हमले के संदर्भ में दिए अपने बयान और केंद्र में सत्तारूढ़ पार्टी के अध्यक्ष पर की गई टिप्पणी के लिए माफी मांगनी चाहिए।

ममता बनर्जी ने बृहस्पतिवार को भाजपा अध्यक्ष के काफिले पर हुए हमले को उनकी रैली में भीड़ नहीं जुटने पर ध्यान भटकाने के लिए किया गया नाटक करार दिया था और सवाल किया था कि क्या हमला दुष्प्रचार के लिए ‘पूर्वनियोजित’ था।

ममता बनर्जी ने बृहस्पतिवार को भाजपा अध्यक्ष के उपनाम का भी मखौल उड़ाया था।

धनखड़ ने कहा, ‘‘राज्यपाल डाकघर नहीं है… वह राजभवन में ही सीमित नहीं रह सकता जब मानवाधिकारों का उल्लंघन हो।’’

उन्होंने पूछा, ‘‘ क्या हम उस स्थिति में पहुंच गए है कि सत्तारूढ़ दल के साथ जुड़ाव एकमात्र हमारे अधिकारों की गारंटी है? अगर आप सत्तारूढ़ दल की ओर नहीं हैं तो क्या आपका कोई लोकतांत्रिक और मानव अधिकार नहीं है। क्या यह लोकतंत्र के मरणासन्न होने का संकेत नहीं करता ?’’

धनखड़ ने डायमंड हार्बर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से सदस्य और ममता बनर्जी के भांजे अभिषेक बनर्जी से ‘‘ लोकतंत्र के ताने-बाने’ को कमजोर नहीं करने की अपील की। उन्होंने कहा कि ‘‘मैं उम्मीद करता हूं कि उन्होंने वह नहीं कहा जो उन्होंने कहा।’’

तृणमूल कांग्रेस के युवा शाखा के अध्यक्ष ने नड्डा के काफिले पर हुए हमले को भाजपा के प्रति लोगों की नाराजगी करार दिया था।

राज्यपाल इस रुख पर कायम रहते हुए कि राज्य अराजकता की ओर जा रहा है कहा कि उन्होंने राज्य के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक को संदेश दिया है कि वे अपने अधीन पुलिस और प्रशासन को राजनीतिक रूप से तटस्थ रहने का निर्देश दें।

धनखड़ ने कहा कि हमला उनके द्वारा राज्य के दोनों शीर्ष अधिकारियों को नड्डा की रैली के दौरान कानून व्यवस्था की स्थिति बिगड़ने की आशंका जताने के बावजूद हुआ।

जब कल्याण बनर्जी से धनखड़ द्वारा पूर्व में ही आगाह करने के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि राज्यपाल के सूत्र भाजपा से हैं जिन्होंने यह स्थिति पैदा की।

धनखड़ ने कहा कि वह राजनीति के क्षेत्र में हिस्सेदार की तरह जुड़े कुछ नौकरशाहों को संदेश देना चाहते हैं कि ‘‘ वे सभी सरेआम, एक जनसेवक की तरह नहीं बल्कि राजनीतिक कार्यकर्ता की तरह काम कर रहे हैं।’’

राज्यपाल ने रेखांकित किया कि उनके पास इन अधिकारियों की जानकारी है जिसे वह मुख्यमंत्री से साझा करेंगे जब वह समय देंगी।

धनखड़ ने कहा, ‘‘ हर बीतते दिन के साथ राज्य में कानून व्यवस्था खराब हो रही है। मुख्यमंत्री और प्रशासन को अगाह करने के बावजूद कुछ नहीं हो रहा है।’’

उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री का राजभवन के प्रति ‘‘गैर उत्तरदायी’’ रवैया इंगित करता है कि संविधान के अनुसार शासन नहीं चल रहा है।

उन्होंने रेखांकित किया कि कानून के राज से शासन की दूरी लोकतंत्र में स्वीकार्य नहीं है।

धनखड़ ने कहा, ‘‘ पश्चिम बंगाल में मौजूदा राजनीतिक परिदृश्य यह है कि किसी भी विपक्ष (विरोध) को बेरहमी से दबा दिया जाता है…कल मानवाधिकार को तिलांजलि दे दी गई।’’

नड्डा के काफिले पर हमले का मामला : केंद्र ने प. बंगाल के मुख्य सचिव, पुलिस प्रमुख को तलब किया:

इधर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पश्चिम बंगाल में कानून व्यवस्था की स्थिति पर स्पष्टीकरण देने के लिए राज्य के मुख्य सचिव और पुलिस प्रमुख को 14 दिसंबर को तलब किया है। यह कदम भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा के काफिले पर हमले को लेकर राज्यपाल जगदीप धनखड़ की रिपोर्ट मिलने के बाद उठाया गया है।

अधिकारियों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।

कोलकाता में संवाददाता सम्मेलन में बंगाल में कानून व्यवस्था का उल्लंघन करनेवालों को पुलिस और प्रशासन का संरक्षण प्राप्त होने तथा विपक्ष के विरोध को दबा देने का आरोप लगानेवाले धनखड़ से नड्डा के काफिले पर हमले के बाद रिपोर्ट मांगी गई थी।

नड्डा के काफिले पर बृहस्पतिवार की सुबह तृणमूल कांग्रेस के कथित कार्यकर्ताओं ने तब हमला किया था जब वह भाजपा कार्यकर्ताओं की बैठक को संबोधित करने पश्चिम बंगाल के दक्षिण 24 परगना जिला स्थित डायमंड हार्बर जा रहे थे।

अधिकारियों ने कहा कि पश्चिम बंगाल के दोनों शीर्ष अधिकारियों-मुख्य सचिव अलापन बंद्योपाध्याय और पुलिस महानिदेशक वीरेंद्र से राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति पर स्पष्टीकरण देने को कहा जा सकता है तथा राजनीतिक हिंसा और अन्य अपराधों को रोकने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में पूछा जा सकता है।

केंद्रीय गृह मंत्रालय को अभी पश्चिम बंगाल में नड्डा के दौरे के दौरान ‘‘गंभीर सुरक्षा खामियों’’ पर ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली सरकार से रिपोर्ट नहीं मिली है।

अधिकारियों ने कहा कि बनर्जी के भतीजे अभिषेक के लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र डायमंड हार्बर में हिंसा के बाद राज्यपाल की रिपोर्ट में पश्चिम बंगाल में कानून व्यवस्था की स्थिति तथा राजनीतिक हिंसा और अन्य अपराधों पर राज्य सरकार की प्रतिक्रिया के बारे में विस्तृत विवरण दिया गया है।

नरेन्द्र मोदी ने भूमि पूजन कर किया नये संसद भवन का शिलान्यास;आत्मनिर्भर भारत के निर्माण का गवाह बनेगा यह भवन और स्वतंत्र भारत में बने इस भवन को देखकर आने वाली पीढ़ियाँ गर्व करेंगी attacknews.in

नयी दिल्ली, 10 दिसंबर । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बृहस्पतिवार को भूमि पूजन करने के साथ ही नये संसद भवन की आधारशिला रखी। चार मंजिला नये संसद भवन का निर्माण कार्य भारत की स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ तक पूरा कर लिए जाने की संभावना है।

वैदिक मंत्रोच्चार के बीच भूमि पूजन कार्यक्रम आरंभ हुआ और इसके संपन्न होने के बाद शुभ मुहुर्त में प्रधानमंत्री ने परम्परागत विधि विधान के साथ आधारशिला रखी।

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह सहित कई केंद्रीय मंत्री, बड़ी संख्या में सांसद और कई देशों के राजदूत इस ऐतिहासिक अवसर के गवाह बने।

नये संसद भवन का निर्माण 971 करोड रुपए की अनुमानित लागत से 64,500 वर्ग मीटर क्षेत्रफल में किए जाने का प्रस्ताव है।

ज्ञात हो कि नये संसद भवन के निर्माण का प्रस्ताव उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू एवं लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने क्रमशः राज्यसभा और लोक सभा में 5 अगस्त 2019 को किया था।

नये संसद भवन का डिजाइन अहमदाबाद के मैसर्स एचसीपी डिजाइन और मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड द्वारा तैयार किया गया है और इसका निर्माण टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड द्वारा किया जाएगा।

नये भवन को सभी आधुनिक दृश्य – श्रव्य संचार सुविधाओं और डाटा नेटवर्क प्रणालियों से सुसज्जित किया जाएगा। यह सुनिश्चित करने के लिए विशेष ध्यान दिया जा रहा है कि निर्माण कार्य के दौरान संसद के सत्रों के आयोजन में कम से कम व्यवधान हो और पर्यावरण संबंधी सभी सुरक्षा उपायों का पालन किया जाये।

लोकसभा सचिवालय के मुताबिक नए संसद भवन के लोकसभा कक्ष में 888 सदस्यों के बैठने की व्यवस्था होगी, जिसमें संयुक्त सत्र के दौरान 1224 सदस्यों के बैठने की व्यवस्था भी होगी। इसी प्रकार, राज्य सभा कक्ष में 384 सदस्यों के बैठने की व्यवस्था होगी।

नए संसद भवन में भारत की गौरवशाली विरासत को भी दर्शाया जाएगा। देश के कोने-कोने से आए दस्तकार और शिल्पकार अपनी कला और योगदान के माध्यम से इस भवन में सांस्कृतिक विविधता का समावेश करेंगे।

संसद भवन से सटी त्रिकोणीय आकार की नई इमारत सुरक्षा सुविधाओं से लैस होगी। नई लोकसभा मौजूदा आकार से तीन गुना बड़ी होगी और राज्‍यसभा के आकार में भी वृद्धि की गई है।

नया संसद भवन भारत के लोकतंत्र और भारतवासियों के गौरव का प्रतीक होगा जो न केवल देश के गौरवशाली इतिहास अपितु इसकी एकता और विविधता का भी परिचय देगा।

आत्मनिर्भर भारत के निर्माण का गवाह बनेगा नया संसद भवन : मोदी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश के नये संसद भवन की आधारशिला रखते हुए कहा कि यह आत्मनिर्भर भारत के निर्माण का साक्षी बनेगा और स्वतंत्र भारत में बने इस नये संसद भवन को देखकर आने वाली पीढ़ियाँ गर्व करेंगी।

श्री मोदी ने यहाँ संसद भवन परिसर के पार्किंग क्षेत्र में बनने वाले संसद के नये त्रिभुजाकार भवन के निर्माण के लिए भूमिपूजन के बाद समारोह को संबाेधित किया।

अपराह्न करीब एक बजे श्री मोदी के पहुँचने पर दक्षिण भारतीय पुरोहितों ने वैदिक रीति से भूमिपूजन कार्यक्रम संपन्न कराया। नवग्रहों, क्षेत्रपाल, गणपति, अनंतशेष, भूदेवी, कूर्म एवं वराह रूपी विष्णु का पूजन किया गया। तत्पश्चात श्री मोदी ने नवरत्न, नवधान्य, पंचधातु के कलश, चाँदी की ईंट के रूप में आधारशिला रखी। तदुपरांत वहाँ उपस्थित जैन, ईसाई, पारसी, बौद्ध, इस्लामिक आदि विविध पंथों के धर्माचार्यों ने अपने-अपने धर्म के अनुसार प्रार्थनाएँ कीं।

प्रधानमंत्री ने नये संसद भवन के शिलान्यास को भारत के लोकतांत्रिक इतिहास में मील के पत्थर बताते हुए कहा कि पुराने संसद भवन ने स्वतंत्रता के बाद देश को दिशा दी, तो नया भवन आत्मनिर्भर भारत के निर्माण का गवाह बनेगा। पुराने भवन में देश की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए काम हुआ, तो नये भवन में 21वीं सदी के भारत की आकांक्षाएं पूरी की जाएंगी। जैसे आज इंडिया गेट से आगे राष्ट्रीय समर स्मारक ने नयी पहचान बनाई है, वैसे ही संसद का नया भवन अपनी पहचान स्थापित करेगा। आने वाली पीढ़ियाँ नये संसद भवन को देखकर गर्व करेंगी कि यह स्वतंत्र भारत में बना है। आजादी के 75 वर्ष का स्मरण करके इसका निर्माण हुआ है।

उन्होंने कहा कि कोई मंदिर बनता है तो जब तक प्राण प्रतिष्ठा नहीं हो, तब तक वह एक भवन या इमारत मात्र ही होती है। उन्होंने कहा कि संसद के नये भवन की लोकतंत्र के नये मंदिर के रूप में प्राण प्रतिष्ठा संसद में चुनकर आने वाले प्रतिनिधि करेंगे जिसकी कोई विधि निश्चित नहीं है।

उन्होंने कहा “भारत की एकता-अखंडता को लेकर किए गए उनके प्रयास, इस मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा की ऊर्जा बनेंगे। जब एक-एक जनप्रतिनिधि, अपना ज्ञान, बुद्धि, शिक्षा, अपना अनुभव पूर्ण रूप से यहाँ निचोड़ देगा, उसका अभिषेक करेगा, तब इस नये संसद भवन की प्राण-प्रतिष्ठा होगी।”

केंद्र सरकार ने फिर दोहराया: वह किसान संगठनों के साथ किसी भी समय खुले मन से चर्चा के लिये तैयार, सरकार ने पहले ही इन संगठनों को कृषि सुधार कानून में संशोधनों का प्रस्ताव दे दिया है attacknews.in

नयी दिल्ली, 10 दिसंबर । सरकार ने आज फिर दोहराया कि वह किसान संगठनों के साथ कृषि सुधार कानूनों की खामियों पर चर्चा करने के लिये किसी भी समय खुले मन से तैयार है।

कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री पीयूष गोयल ने गुरुवार को एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि कृषि सुधार कानून में खामियों पर चर्चा के लिये सभी रास्ते खुले हुये हैं। सरकार ने किसान संगठनों को कानून में संशोधनों का प्रस्ताव दिया है।

किसान संगठनों ने सरकार के प्रस्ताव को अध्ययन के बाद खारिज कर दिया है और उन्होंने कृषि सुधार से संबंधित तीन कानूनों को निरस्त करने तथा फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानूनी दर्जा देने की मांग की है। इसके साथ ही किसान संगठनों ने अपने आंदोलन को तेज करने की भी घोषणा की है। किसान संगठनों और सरकार के बीच पांच दौर की वार्ता हो चुकी है और अब तक कोई समाधान नहीं निकल सका है।

दोनों मंत्रियों ने किसान संगठनों से आंदोलन समाप्त कर सरकार के साथ बातचीत करने का प्रस्ताव दोहराया। उन्होंने कहा कि किसान संगठनों और सरकार के बीच बातचीत चल ही रही थी कि इसी दौरान आंदोलन को तेज करने की घोषणा की गयी जो उचित नहीं है। बातचीत टूटने पर आंदोलन की घोषणा की जा सकती थी। उन्होंने कहा कि सरकार को विश्वास है कि बातचीत से रास्ता निकलेगा।

श्री तोमर ने कहा कि सरकार कृषि क्षेत्र के उत्थान और 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के लिये योजनाबद्ध ढंग से कार्य कर रही है। सरकार चाहती है कि किसानों की आर्थिक स्थिति बेहतर हो और इससे ग्रामीण क्षेत्र की अर्थव्यवस्था सुधरे। उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र में निजी पूंजी निवेश को बढ़ावा देने के उद्देश्य से सरकार तीन कृषि सुधार कानूनों को लाई थी, जिस पर लोकसभा और राज्यसभा में व्यापक चर्चा की गयी।

उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र में निजी पूंजी निवेश से न केवल नयी तकनीक आयेगी, बल्कि आधारभूत संरचनाओं का निर्माण होगा, जिसका लाभ अंतत: किसानों को मिलेगा। उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र के बजट को बढ़ा कर 1,34,000 करोड़ रुपये कर दिया गया है जो संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार के समय से छह गुना अधिक है। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना से किसानों को सालाना छह हजार रुपये की आर्थिक मदद दी जा रही है। इसके साथ ही किसानों के लिये पेंशन और कई अन्य सुविधाओं की घोषणा की गयी है।

कृषि मंत्री ने कहा कि किसानों के साथ चर्चा के दौरान जहां कहीं भी कानूनों में खामियां नजर आईं थी उस पर संशोधन के प्रस्ताव दिये गये थे। इसमें किसानों की तमाम शंकाओं का समाधान किया गया था इसके बावजूद सरकार किसानों के किसी भी मुद्दे पर एक बार फिर खुले मन से चर्चा के लिये तैयार है।

इस बीच दिल्ली की सीमा के निकट 15वें दिन किसान संगठनों का आंदोलन जारी रहा। ये किसान पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और कई अन्य राज्यों से आये हैं। किसान संगठन बार-बार कृषि सुधार कानूनों को निरस्त करने पर जोर दे रहे हैं।

चिल्ला बॉर्डर पर किसानों का प्रदर्शन लगातार 10वें दिन भी जारी:

इधर केंद्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों के विरोध में चिल्ला बॉर्डर पर किसानों का प्रदर्शन बृहस्पतिवार को 10वें दिन भी जारी रहा।

चिल्ला बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे भारतीय किसान यूनियन (भानु) के राष्ट्रीय अध्यक्ष ठाकुर भानु प्रताप सिंह ने बृहस्पतिवार को कहा कि जनता की परेशानी को देखते हुए बुधवार शाम को दिल्ली से नोएडा की तरफ आने वाले रास्ते को खुलवा दिया गया है।

सिंह ने कहा कि दोनों तरफ का रास्ता बंद होने से लोगों को परेशानी हो रही थी, इसलिए एक तरफ का रास्ता खोल दिया गया है और किसान अब आधे रास्ते में बैठकर धरना प्रदर्शन जारी रखेंगे।

उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील की कि वे किसानों से सीधी बात करें तथा किसान आयोग का गठन करें।

आत्‍मनिर्भर भारत पैकेज 3.0 के तहत कोविड रिकवरी फेज में औपचारिक क्षेत्र में रोजगार को बढ़ावा देने और नए रोजगार अवसरों को प्रोत्‍साहित किए जाने को मंजूरी attacknews.in

नयी दिल्ली ,09 दिसंबर । प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी की अध्‍यक्षता में केन्‍द्रीय मंत्रिमंडल ने आत्‍मनिर्भर भारत पैकेज 3.0 के तहत कोविड रिकवरी फेज में औपचारिक क्षेत्र में रोजगार को बढ़ावा देने और नए रोजगार अवसरों को प्रोत्‍साहित किए जाने को मंजूरी दी है।

मंत्रिमंडल ने मौजूदा वित्तीय वर्ष के लिए 1,584 करोड़ रुपये की धनराशि और पूरी योजना अवधि 2020-2023 के लिए 22,810 करोड़ रुपये के व्‍यय को अनुमति दी है।

संगठित क्षेत्र में रोजगार को प्रोत्साहन देने के लिए केंद्र सरकार ने 22 हजार 810 करोड़ रुपए की ‘आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना’ को मंजूरी दी है जिससे 15000 रुपए मासिक से कम वेतन पाने वाले कर्मचारियों को लाभ होगा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र माेदी की अध्यक्षता में बुधवार को यहां हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इस आशय के प्रस्ताव का अनुमोदन किया गया।

बैठक के बाद श्रम एवं रोजगार मंत्री संतोष कुमार गंगवार ने एक संवाददाता सम्मेलन में बताया कि आत्मनिर्भर भारत पैकेज – तीन के अंतर्गत शुरू की गयी आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना की अवधि दो वर्ष के लिए होगी। इस योजना में एक अक्टूबर 2020 से लेकर 30 जून 2021 तक रोजगार पाने वाले कर्मचारी शामिल होंगे। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के दौरान संगठित क्षेत्र में रोजगार पाने वाले कर्मचारी और देने वाले नियोक्ता इसका लाभ ले सकेंगे। योजना में कुल 22 हजार 810 करोड़ रुपए व्यय किये जाएगें। चालू वित्त वर्ष में 1584 करोड़ रुपए खर्च किये जाएगें। उन्होंने बताया कि इस योजना से तकरीबन 58.5 लाख कर्मचारियों को लाभ मिलेगा।

इस योजना की प्रमुख विशेषताएं इस प्रकार हैं:

i.        भारत सरकार 1 अक्‍टूबर, 2020 को या उसके बाद और 30 जून, 2021 तक शामिल सभी नए कर्मचारियों को दो वर्ष की अवधि के लिए सब्सिडी प्रदान करेगी।

ii. जिन रोजगार प्रदाता संगठनों में 1000 कर्मचारी हैं वहां केन्‍द्र सरकार दो वर्ष की अवधि के लिए 12 प्रतिशत कर्मचारी योगदान और 12 प्रतिशत नियोक्‍ता योगदान (दोनों) वेतन भत्तों का 24 प्रतिशत ईपीएफ में योगदान देगी।

iii. जिन रोजगार प्रदाता संगठनों में 1000 से अधिक कर्मचारी हैं वहां केन्‍द्र सरकार नए कर्मचारियों के संदर्भ में दो वर्ष की अवधि के लिए ईपीएफ में केवल 12 प्रतिशत कर्मचारी योगदान देगी।

iv. कोई कर्मचारी जिसका मासिक वेतन 15,000 रुपये से कम है और वह किसी ऐसे संस्‍थान में काम नहीं कर रहा था जो 1 अक्‍टूबर, 2020 से पहले कर्मचारी भविष्‍य निधि संगठन (ईपीएफओ) से पंजीकृत था और उसके पास इस अवधि से पहले यूनिवर्सल एकाउंट नंबर या ईपीएफ सदस्‍य खाता नंबर नहीं था, वह इस योजना के लिए पात्र होगा।

v. कोई भी ईपीएफ सदस्‍य जिसके पास यूनिवर्सल एकाउंट नंबर है और उसका मासिक वेतन 15,000 रुपये से कम है और यदि उसने कोविड महामारी के दौरान 01.03.2020 से 30.09.2020 की अवधि में अपनी नौकरी छोड़ दी और उसे ईपीएफ के दायरे में आने वाले किसी रोजगार प्रदाता संस्‍थान में 30.09.2020 तक रोजगार नहीं मिला है, वह भी इस योजना का लाभ लेने के लिए पात्र है।

vi. सदस्‍यों के आधार संख्‍या से जुड़े खाते में ईपीएफओ इलेक्‍ट्रॉनिक तरीके से इस योगदान का भुगतान करेगा।

vii. इस योजना के लिए ईपीएफओ एक सॉफ्टवेयर को विकसित करेगा और एक पारदर्शी एवं जवाबदेह प्रक्रिया भी अपनाई जाएगी।

viii. ईपीएफओ यह सुनिश्चित करने के लिए एक उपयुक्‍त तरीका अपनाएगा कि एबीआरवाई और ईपीएफओ द्वारा लागू की गई किसी अन्‍य योजना के लाभ आपस में परस्‍पर व्‍याप्‍त (ओवरलैपिंग) नहीं हुए हैं।

भारत में सार्वजनिक वाई -फाई नेटवर्क सेवा पीएम-वाणी की घोषणा:किसी भी तरह का लाइसेंस शुल्‍क वसूले बिना पब्लिक डेटा ऑफिस समूहों  द्वारा सेवा प्रदान करने को मंजूरी attacknews.in

नयी दिल्ली, 09 दिसंबर । प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी की अध्‍यक्षता में केन्‍द्रीय मंत्रिमंडल ने टेलीकॉम विभाग को देशभर में पब्लिक डेटा ऑफिस (पीडीओ) के जरिए सार्वजनिक रूप से वाई -फाई सेवा प्रदान करने का नेटवर्क तैयार करने के प्रस्‍ताव को मंजूरी दे दी है। ऐसी कंपनियों से वाई-फाई और ब्रॉडबैंड सेवाओं के लिए किसी तरह का लाइसेंस शुल्‍क नहीं लिया जाएगा।

इससे देशभर में सार्वजनिक वाई-फाई सेवाओं का बड़ा नेटवर्क तैयार करने में मदद मिलेगी जो लोगों के लिए रोजगार और आमदनी बढ़ाने का जरिया बनेगा ।

सरकार ने देश में डिजीटल क्रांति की दिशा में यह अगला कदम उठाते हुए देश भर में सार्वजनिक वाई-फाई सेवा उपलब्ध कराने के लिए पीएम-वाणी कार्यक्रम शुरू करने की घोषणा की है।

प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की बैठक में यह निर्णय लिया गया। इसके अलावा लक्षद्वीप समूह के 11 द्वीपों को 1072 करोड़ रुपये की लागत से समुद्री केबल के माध्यम से ऑप्टिकल फाइबर केबल (ओएफसी) से जोड़ने तथा अरुणाचल प्रदेश के सुदूरवर्ती इलाकों और असम के दो जिलों में 4जी सेवा शुरू करने का भी फैसला लिया गया।

संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने यहां संवाददाताओं को बताया कि देश भर में डिजीटल तंत्र को मजबूत करने के लिए सरकार प्रधानमंत्री वाई-फाई एक्सेस नेटवर्क इंटरफेस (पीएम-वानी) योजना शुरू करने जा रही है। इसके अंतर्गत देश में जगह-जगह पब्लिक डाटा ऑफिस (पीडीओ) स्थापित किये जाएंगे। कोई किराना की दुकान या पान की दुकान या फोटोकॉपी दुकान को पीडीओ बनाया जा सकता है। उसे ना कोई पंजीकरण कराना होगा, ना कोई शुल्क देना होगा और ना ही कोई लाइसेंस लेना होगी। इसके बाद पीडीओ एग्रीगेटर और ऐप डेवेलपर होंगे। उन्हें केन्द्र सरकार आवेदन के सात दिनों के भीतर ही ऑनलाइन पंजीकरण देगी।

श्री प्रसाद ने कहा कि देश में 120 करोड़ मोबाइल फोन हैं और 60 करोड़ स्मार्ट फोन हैं। पीएम वानी योजना से गांवाें में तेजगति वाली ब्रॉडबैंड वाई-फाई इंटरनेट सेवा सुलभ होगी। यह सेवा बाजार में प्रतिस्पर्द्धी मूल्यों पर उपलब्ध होगी।

उन्होंने बताया कि मंत्रिमंडल ने दूसरा निर्णय केरल के कोच्चि और लक्षद्वीप द्वीपों (केएलआई परियोजना) के बीच सबमरीन ऑप्टिकल फाइबर केबल कनेक्टिविटी योजना को मंजूरी देने का लिया। इस परियोजना में एक समर्पित सबमरीन ओएफसी के जरिए कोच्चि और लक्षद्वीप के 11 द्वीपों – कवरत्ती, कलपेनी, अगति, अमिनी, एंड्रोथ, मिनीकॉय, बंगाराम, बित्रा, चेटलाट, किल्‍तान और कदमत के बीच एक सीधा दूरसंचार लिंक उपलब्‍ध होगा।

श्री प्रसाद ने कहा कि परियोजना नागरिकों को उनके घर पर ही ई-सुशासन सेवाओं की डिलीवरी में महत्‍वपूर्ण भूमिका अदा करेगी। इसके अलावा, मत्‍स्‍य क्षेत्र की क्षमता विकास, नारियल आधारित उद्योगों, पर्यटन, दूरस्‍थ शिक्षा के जरिए शैक्षिक विकास और टेलीमेडिसिन सुविधाओं से स्‍वास्‍थ्‍य देखभाल क्षेत्र में काफी मदद मिलेगी। इस परियोजना से अनेक उद्यमों की स्‍थापना, ई-कॉमर्स गतिविधियों को बढ़ावा देने और शैक्षिक संस्‍थानों में ज्ञान साझा करने में पर्याप्‍त मदद मिलेगी। लक्षद्वीप के द्वीपों में लॉजिस्टिक सेवाओं के लिहाज से एक विशाल हब बनने की क्षमता है।

उन्होंने बताया कि अरुणाचल प्रदेश और असम के कार्बी आंगलॉन्ग और दीमा हासाओ जिलों में 4 जी सेवाओं के लिए 2374 नये टॉवर लगाये जाएंगे जिनमें 1683 टॉवर अरुणाचल प्रदेश और 691 टॉवर असम में लगाये जाएंगे। इस पर 2029 करोड़ रुपए की लागत आएगी और इस काम को दिसंबर 2022 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।

पीएम- वाणी की विशेषताएं

सार्वजनिक वाई -फाई नेटवर्क सेवा पीएम वाणी के नाम से जानी जाएगी। इसे सार्वजनिक टेलीकॉम सेवा
)वेबसाइट पर टेलीकॉम विभाग में ऑनलाइन पंजीकरण करा सकेंगे। इसके लिए उन्‍हें कोई शुल्‍क नहीं देना होगा। आवेदन करने के सात दिनों के भीतर पंजीकरण हो जाएगा

यह व्‍यवस्‍था कारोबार के लिए बहुत ही सहज और अनुकूल होगी खासकर ऐसे समय में जबकि कोविड महामारी के कारण इस समय तेज गति वाली ब्रॉडबैंड इंटरनेट सेवा की देशभर में बहुत सारे ग्राहकों को काफी जरुरत है। इसके जरिए सार्वजनिक वाई -फाई सेवा उपलब्‍ध कराई जा सकेगी।

इससे न केवल रोजगार के अवसर पैदा होंगे बल्कि छोटे और मझौले कारोबारियों के पास खर्च करने के लिए कुछ अधिक पैसा भी जमा हो सकेगा जिससे देश की जीडीपी में बढ़ोतरी में मदद मिलेगी।

सरकारी सेवा प्रदाताओं के जरिए सार्वजनिक रूप से ब्रॉडबैंड सेवाएं उपलब्‍ध कराने की व्‍यवस्‍था डिजिटल इंडिया की ओर बढ़ाया गया एक और कदम है। यह सेवा उपलब्‍ध कराने के लिए किसी तरह का लाइसेंस शुल्‍क नहीं लिये जाने से देशभर में बड़े स्‍तर पर इंटरनेट और ब्रॉडबैंड सेवाओं का लाभ आमलोगों को मिले सकेगा जिससे रोजगारऔर आमदनी के अवसर पैदा होंगे, कारोबारी सुगमता में इजाफा होगा और लोगों का जीवन स्‍तर बेहतर हो सकेगा।

प्रदाताओं के माध्‍यम से संचालित किया जाएगा जैसा कि यहां उल्लेख किया जा रहा है।

• पब्लिक डेटा आफिस (पीडीओ): यह केवल पीएम वाणी के तहत आने वाले वाई-फाई सेवा स्‍थलों को स्‍थापित करने, रखरखाव करने और संचालित करने का काम करेंगे और उपभोक्‍ताओं को ब्रॉडबैंड सेवा प्रदान करेंगे।

· पब्लिक डेटा आफिस (पीडीओ): यहपंजीकृत उपयोगकर्ताओं के प्रमाणीकरण और लेखा खातों के रखरखाव का काम करेंगे ।

· ऐप प्रदाता: यह पंजीकृत ग्राहकों के लिए मोबाइल ऐप विकसित करेंगे और वाई-फाई वाले हॉट स्‍पाट इलाकों में ये पीडीओ पीएम वाणी सेवा की उपलब्‍धता का पता लगाने के बाद उसके अनुरुप ऐप में इसकी जानकारी डालेंगे ताकि ग्राहक अपने मोबाइल पर इंटरनेट सेवा का उपयोग कर सकें।

· सेंट्रल रजिस्‍ट्री: यह ऐप सेवा प्रदाता पीडीओ और पीडीओएएस की जानकारी रखेगा । सेंट्रल रजिस्‍ट्री का रखरखाव शुरुआती स्‍तर पर टेलीकॉम विभाग द्वारा किया किया जाएगा।

उदे्श्‍य

पीडीओ और ऐप प्रदाताओं को इसके लिए अपना कोई पंजीकरण नहीं कराना होगा । ये लोग सरल संचार; (

)वेबसाइट पर टेलीकॉम विभाग में ऑनलाइन पंजीकरण करा सकेंगे। इसके लिए उन्‍हें कोई शुल्‍क नहीं देना होगा। आवेदन करने के सात दिनों के भीतर पंजीकरण हो जाएगा

यह व्‍यवस्‍था कारोबार के लिए बहुत ही सहज और अनुकूल होगी खासकर ऐसे समय में जबकि कोविड महामारी के कारण इस समय तेज गति वाली ब्रॉडबैंड इंटरनेट सेवा की देशभर में बहुत सारे ग्राहकों को काफी जरुरत है। इसके जरिए सार्वजनिक वाई -फाई सेवा उपलब्‍ध कराई जा सकेगी।

इससे न केवल रोजगार के अवसर पैदा होंगे बल्कि छोटे और मझौले कारोबारियों के पास खर्च करने के लिए कुछ अधिक पैसा भी जमा हो सकेगा जिससे देश की जीडीपी में बढ़ोतरी में मदद मिलेगी।

सरकारी सेवा प्रदाताओं के जरिए सार्वजनिक रूप से ब्रॉडबैंड सेवाएं उपलब्‍ध कराने की व्‍यवस्‍था डिजिटल इंडिया की ओर बढ़ाया गया एक और कदम है। यह सेवा उपलब्‍ध कराने के लिए किसी तरह का लाइसेंस शुल्‍क नहीं लिये जाने से देशभर में बड़े स्‍तर पर इंटरनेट और ब्रॉडबैंड सेवाओं का लाभ आमलोगों को मिले सकेगा जिससे रोजगारऔर आमदनी के अवसर पैदा होंगे, कारोबारी सुगमता में इजाफा होगा और लोगों का जीवन स्‍तर बेहतर हो सकेगा।