देश के 11 किसान संगठनों ने कृषि सुधार कानूनों को समर्थन दिया ,कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से भेंट कर सौंपा समर्थन पत्र attacknews.in

नयी दिल्ली, 28 दिसंबर । देश के 11 किसान संगठनों ने सोमवार को कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से भेंटकर नए कृषि सुधार कानूनों के प्रति अपना समर्थन और विश्वास व्यक्त किया।

संगठनों द्वारा सौंपे गए पत्रों में कहा गया है कि ये कृषि सुधार कानून किसानों एवं कृषि क्षेत्र की दशा-दिशा में आमूलचूल सकारात्मक परिवर्तन लाने वाले हैं और इन्हें सरकार किसी भी परिस्थिति में वापस न लें।

दो दशक तक चली प्रक्रिया के बाद आए कृषि सुधार कानून: तोमर

कृषि मंत्री तोमर ने कहा कि देश में कृषि के क्षेत्र में सुधार करके छोटे और मझौले किसानों की आय बढ़ाने और उन्हें सशक्त करने की आवश्यकता लंबे समय से महसूस की जा रही थी। लगभग दो दशक तक चली लंबी प्रक्रिया के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कृषि क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव किए हैं।

इन कृषि सुधारों से देश के छोटे और मझौले किसानों के जीवन में बड़े सकारात्मक बदलाव आएंगे और कृषि क्षेत्र में लाभ के अवसर निर्मित होंगे।

श्री तोमर ने यह बात कन्फेडरेशन ऑफ़ एनजीओस ऑफ़ रूरल इंडिया (सीएनआरआई) के राष्ट्रीय सम्मेलन के शुभारंभ अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में कही।

साल भर कोरोना का दंश झेलता रहा देश:एक तरफ जहां देश की अर्थव्यवस्था पर करारी चोट की वहीं दूसरी तरफ भारतीय राजनीति के कई बड़े क्षितिज नेता भी दुनिया को अलविदा कह गये attacknews.in

नयी दिल्ली, 27 दिसम्बर । इक्कीसवीं शताब्दी के दूसरे दशक के अंतिम वर्ष की शुरुआत से ही देश वैश्विक महामारी कोरोना वायरस (कोविड-19) से हलकान रहा । कोविड-19 ने एक तरफ जहां देश की अर्थव्यवस्था पर करारी चोट की वहीं दूसरी तरफ भारतीय राजनीति के कई बड़े क्षितिज नेता भी 2020 में दुनिया को अलविदा कह गये।

कोरोना की महामारी ने जिन प्रमुख राजनीतिक हस्तियों को अपने आगोश में लिया , उनमें पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी , कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल , असम के पूर्व मंत्री तरुण गोगोई और रेल राज्य मंत्री सुरेश अगंड़ी और कई सांसद -विधायक भी शामिल हैं।

देश के 13 वें राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी की जान कोरोना संक्रमण ने ली। राजनीतिक जीवन में कांग्रेस में रहते हुए अपनी बात बेबाकी से रखने वाले सभी के लोकप्रिय श्री मुखर्जी का 84 साल की आयु में 31 अगस्त को निधन हो गया था। श्री मुखर्जी की मस्तिष्क में खून का थक्का हटाने के लिये शल्यचिकित्सा हुई थी और वह कोरोना संक्रमित थे। शल्यचिकित्सा के बाद वह अचेत ही रहे और 31 अगस्त को दुनिया को अलविदा कह गये।

असम के पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई भी कोरोना वायरस को नहीं हरा सके। पूर्वोत्तर और कांग्रेस दिग्गज नेता और गोगोई की 84 साल की उम्र में 23 नवंबर को मृत्यु हो गई।

कांग्रेस के चाणक्य माने जाने वाले गुजरात से राज्यसभा सांसद अहमद पटेल की जान भी कोरोना ने ली। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के राजनीतिक सिपाह सलाहकार रहे अहमद पटेल का 71 वर्ष की आयु में 25 नवंबर को कोरोना से निधन हो गया। वह तीन बार लोकसभा और पांच बार राज्यसभा सांसद रहे।

नरेंद्र मोदी सरकार में रेल राज्यमंत्री सुरेश अंगड़ी की भी कोरोना वायरस से 65 साल की आयु में 23 सितंबर को एम्स में मृत्यु हो गयी।

बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव का दायां हाथ माने जाने वाले और बिना किसी लाग लपेट के अपनी बात बेबाक तरीके से रखने वाले समाजवादी नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री रघुवंश प्रसाद सिंह का 74 साल की आयु में 13 सितंबर को कोरोना से निधन हो गया। मृत्यु से चंद दिन पहले ही उन्होंने लालू यादव के राष्ट्रीय जनता दल से अपना नाता तोड़ लिया था। डाॅ. प्रसाद ने जे.पी आंदोलन से अपने राजनीतिक सफर की शुरूआत की थी। उन्हें ग्रामीण मजदूरों के लिये शुरु की लोकप्रिय रोजगार योजना ‘ मनरेगा ’ का जनक माना जाता है।

केंद्र और बिहार की राजनीति के दिग्गज नेता केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने भी 2020 में दुनिया को अलविदा कहा। बिहार विधानसभा से ऐन पहले जेपी आंदोलन की पौध और लोक जनशक्ति पार्टी के संस्थापक श्री पासवान का 74 वर्ष की आयु में आठ अक्टूबर को दिल की बीमारी से निधन हुआ। उनकी देश में दलित राजनीति और सामाजिक न्याय पुरोधा के रुप में पहचान थी। वह आपातकाल के बाद साल 1977 में हुए आम चुनाव में पहली बार सांसद बने और हाजीपुर संसदीय सीट से रिकॉर्ड मतों से जीत हासिल की थी।

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के संस्थापक सदस्यों में एक उत्तर प्रदेश में पार्टी की राजनीति के धुरी रहे मध्य प्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन का भी 21 जुलाई को 85 वर्ष की आयु में निधन हुआ। पूर्व प्रधानमंत्री दिवंगत अटल बिहारी वाजपेयी के करीबी लालजी टंडन ‘ बाबूजी ’ के नाम से लोकप्रिय थे।

सेना से भाजपा की राजनीति के धुरी बने बीजेपी के संस्थापक सदस्यों में एक पूर्व विदेश और रक्षा मंत्री जसवंत सिंह का भी लंबी बीमारी के बाद 82 साल की आयु में 27 सितंबर को निधन हो गया। भाजपा की राजनीति के धुरी रहे जसवंत सिंह के अंतिम कुछ वर्ष पार्टी के साथ कड़ुवाहट भरे रहे। एक समय हालांकि वह पार्टी के शीर्ष और सर्वमान्य नेताओं अटल बिहारी वाजपेयी और लाल कृष्ण आडवाणी के के साथ धुरंधर नेताओं में शुमार थे।

छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी और किसी वक्त कांग्रेस के दिग्गज नेता एवं पूर्व नौकरशाह अजीत जोगी ने भी 29 मई को दुनिया से विदाई ले ली।

समाजवादी पार्टी (सपा) के महासचिव और पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह के सबसे विश्वास पात्र राज्यसभा सांसद अमर सिंह ने लंबे समय से चली आ रही गुर्दे की बीमारी के बाद एक अगस्त को सिंगापुर में दुनिया से विदा ले ली। उनका नाम पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अगुवाई वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार को बचाने के लिए संसद में ‘ वोट फॉर नोट ’ मामले में खूब उछला था।

वर्ष की समाप्ति आते आते कांग्रेस के वयोवृद्ध नेता , कोषाध्यक्ष और मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मोतीलाल वोरा ने भी 93 वर्ष की आयु में 21 दिसंबर को अंतिम सांस ले ली। वह दो बार 1985 और 1989 में अविभािजत मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री रहे।

यही नहीं , चार सांसद आंध्र प्रदेश में तिरुपति से बल्ली दुर्गा प्रसाद, कर्नाटक से राज्यसभा सांसद अशोक तमिलनाडु के कन्याकुमारी से कांग्रेस सांसद एच वसंतकुमार भी दुनिया से चल बसे। पूर्व क्रिकेट खिलाड़ी और उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री चेतन चौहान भी कोरोना से जंग नहीं जीत पाये। इसके अलावा भी कई विधायकों को इस वैश्विक महामारी ने अपनी चपेट में ले लिया।

नरेन्द्र मोदी की ” मन की बात ” :नए साल में देशवासियों से आग्रह, भारत में बने उत्पादों के इस्तेमाल का लें संकल्प,हम कश्मीरी केसर को एक वैश्विक लोकप्रिय ब्रांड बनाना चाहते हैं attacknews.in

नयी दिल्ली, 27 दिसंबर। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को देशवासियों से अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में इस्तेमाल होने वाले विदेश में निर्मित वस्तुओं के विकल्प के रूप में मौजूद भारतीय उत्पादों को अपनाने की अपील की और कहा कि उन्हें देश के लिए इसे नव वर्ष के संकल्प के तौर पर लेना चाहिए।

आकाशवाणी के मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ के 72वें और इस साल के आखिरी संस्‍करण में अपने विचार साझा करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘‘आत्मनिर्भर भारत’’ अभियान के तहत ‘‘वोकल फॉर लोकल’’ के मंत्र को देश की जनता ने हाथों-हाथ लिया है।

इस अवसर पर उन्होंने निर्माताओं तथा उद्योग जगत से विश्वस्तरीय उत्पाद बनाना सुनिश्चित कर ‘आत्मनिर्भर भारत’ की दिशा में मजबूत कदम आगे बढ़ाने का भी आग्रह किया।

‘‘आत्मनिर्भर भारत’’ अभियान को लेकर नागरिकों के अनुभवों को साझा करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘वोकल फॉर लोकल आज घर-घर में गूंज रहा है। ऐसे में अब यह सुनिश्चित करने का समय है कि हमारे उत्पाद विश्वस्तरीय हों।’’

उन्होंने कहा कि लोग अब भारत में बने उत्पादों की मांग कर रहे हैं और यहां तक कि दुकानदार भी भारत में बने उत्पादों को बेचने पर जोर दे रहे हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘देशवासियों की सोच में कितना बड़ा परिवर्तन आ रहा है और वह भी एक साल के भीतर-भीतर। इस परिवर्तन को आंकना आसान नहीं है। अर्थशास्त्री भी इसे अपने पैमानों पर तौल नहीं सकते।’’

मोदी ने कहा कि हर नए साल में देशवासी कोई न कोई संकल्प लेते हैं और इस बार भारत में बने उत्पादों का इस्तेमाल करने का संकल्प लें।

उन्होंने कहा, ‘‘मैं देशवासियों से आग्रह करूंगा कि दिनभर इस्तेमाल होने वाली चीजों की आप एक सूची बनाएं। उन सभी चीजों की विवेचना करें और यह देखें कि अनजाने में कौन सी विदेश में बनी चीजों ने हमारे जीवन में प्रवेश कर लिया है तथा एक प्रकार से हमें बंदी बना दिया है। भारत में बने इनके विकल्पों का पता करें और यह भी तय करें कि आगे से भारत में बने, भारत के लोगों के पसीने से बने उत्पादों का हम इस्तेमाल करें।’’

प्रधानमंत्री ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत की दिशा में लोगों ने मजबूत कदम आगे बढ़ाया है और निर्माताओं तथा उद्योग जगत के लिए ‘‘जीरो इफेक्ट, जीरो डिफेक्ट’’ की सोच के साथ काम करने का उचित समय है।

उन्होंने कहा, ‘‘वोकल फॉर लोकल आज घर-घर में गूंज रहा है। ऐसे में अब, यह सुनिश्चित करने का समय है, कि, हमारे उत्पाद विश्वस्तरीय हों। जो भी विश्व में सर्वश्रेष्ठ है, वो हम भारत में बनाकर दिखाएं। इसके लिए हमारे उद्यमी साथियों को आगे आना है। स्टार्टअप को भी आगे आना है।’’

उन्होंने ‘‘वोकल फॉर लोकल’’ की भावना को बनाए रखने, बचाए रखने और बढ़ाते रहने का देशवासियों से आह्वान किया।

प्रधानमंत्री ने इस संदर्भ में कश्मीरी ‘केसर’ को मिले जीआई टैग (भौगोलिक संकेतक) का जिक्र किया और कहा कि इस नई पहचान के बाद केंद्र सरकार इसे वैश्विक स्तर पर लोकप्रिय ब्रांड बनाने की मंशा रखती है।

उन्होंने उम्मीद जताई कि अब कश्मीरी केसर का निर्यात बढ़ेगा तथा इससे ‘आत्मनिर्भर भारत’ बनाने के प्रयासों को और मजबूती मिलेगी।

मई महीने में कश्मीरी केसर को मिले जीआई टैग का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘कश्मीर का केसर बहुत विशिष्ट है और दूसरे देशों के केसर से बिलकुल अलग है। कश्मीर के केसर को जीआई टैग से एक अलग पहचान मिली है। इसके जरिए हम कश्मीरी केसर को एक वैश्विक लोकप्रिय ब्रांड बनाना चाहते हैं।’’

उन्होंने कहा कि केसर जम्मू और कश्मीर की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का प्रतिनिधित्व करता है और यह सदियों से कश्मीर से जुड़ा हुआ है जो मुख्य रूप से पुलवामा, बडगाम और किश्तवाड़ जैसी जगहों पर उगाया जाता है।

प्रधानमंत्री ने बताया कि कश्मीरी केसर को जीआई टैग की पहचान मिलने के बाद दुबई के एक सुपर मार्केट में इसे लांच किया गया।

उन्होंने कहा, ‘‘अब इसका निर्यात बढ़ने लगेगा। यह आत्मनिर्भर भारत बनाने के हमारे प्रयासों को और मजबूती देगा।’’

प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन के जरिए देशवासियों से कूड़ा-कचरा न फैलाने का संकल्प लेने का भी आग्रह किया और एक बार इस्तेमाल होने वाले प्लास्टिक से देश को मुक्त करने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई।

उन्होंने 2014 और 2018 के बीच तेंदुओं की संख्‍या में साठ प्रतिशत से अधिक की बढ़ोतरी पर प्रसन्‍नता व्‍यक्‍त की और इसे देश के लिए ‘‘बड़ी’’ उपलब्धि करार दिया।

उन्होंने हरियाणा के गुरुग्राम में रहने वाले प्रदीप सांगवान और कर्नाटक के युवा दंपती अनुदीप तथा मिनूषा द्वारा स्वच्छता की दिशा में किए जा रहे प्रयासों की सराहना करते हुए देशवासियों से उनकी तरह सफाई अभियान चलाने का अनुरोध किया।

मोदी ने कहा, ‘‘लेकिन उससे भी पहले हमें ये संकल्प भी लेना चाहिए कि हम कचरा फैलाएंगे ही नहीं। आखिर, स्वच्छ भारत अभियान का भी तो पहला संकल्प यही है।’’

मोदी ने कहा कि कोरोना महामारी की वजह से इस साल एक बार इस्तेमाल होने वाले प्लास्टिक के बारे में अधिक चर्चा नहीं हो पाई।

उन्होंने कहा, ‘‘हमें देश को एक बार इस्तेमाल होने वाले प्लास्टिक से मुक्त करना ही है। ये भी 2021 के संकल्पों में से एक है।’’

इस दौरान प्रधानमंत्री ने गुरु गोबिंद सिंह जी के दो साहिबजादों जोरावर सिंह और फतेहसिंह को श्रद्धांजलि अर्पित की, जिनको आज ही के दिन दीवार पर जिंदा चुनवा दिया गया था।

उन्‍होंने कहा, ‘‘श्री गुरु गोविंद सिंह जी के परिवार के लोगों के द्वारा दी गयी शहादत को बड़ी भावपूर्ण अवस्था में याद करते हैं। इस शहादत ने संपूर्ण मानवता को, देश को, नई सीख दी। इस शहादत ने, हमारी सभ्यता को सुरक्षित रखने का महान कार्य किया। हम सब इस शहादत के कर्जदार हैं। ।’’

विभिन्न माध्यमों से मिली लोगों की प्रतिक्रियाओं का उल्लेख करते हुए मोदी ने कहा कि इसमें सबसे बात ये है कि अधिकतर पत्रों में लोगों ने देश के सामर्थ्य और देशवासियों की सामूहिक शक्ति की भरपूर प्रशंसा की है।

उन्होंने कहा, ‘‘जब जनता कर्फ्यू जैसा अभिनव प्रयोग पूरे विश्व के लिए प्रेरणा बना, जब ताली-थाली बजाकर देश ने हमारे कोरोना वारियर्स का सम्मान किया था, एकजुटता दिखाई थी, उसे भी, कई लोगों ने याद किया है।’’

उन्‍होंने कहा कि कोरोना महामारी के प्रकोप के दौरान दुनिया को अनगिनत मुसीबतों से गुजरना पड़ा। उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन हमने इस संकट से एक सबक भी सीखा है और अपनी क्षमताओं का भरपूर विकास किया है।’’

मोदी ने कहा कि देशभर में कोरोना लॉकडाउन के दौरान शिक्षकों ने बच्‍चों को सिखाने के नए-नए तरीके इजाद किये और रचनात्‍मक तरीके से पाठ्य सामग्री तैयार की।

उन्‍होंने सभी शिक्षकों से आग्रह किया कि वे इस तरह से तैयार की गई पाठ्य सामग्री को शिक्षा मंत्रालय के दीक्षा पोर्टल पर अपलोड करें जिससे दूर-दराज के इलाकों में रहने वाले विद्यार्थियों को बड़ी मदद मिलेगी।

मन की बात 2.0’ की 19वीं कड़ी में प्रधानमंत्री के सम्बोधन का मूल पाठ

मेरे प्यारे देशवासियो, नमस्कार।

आज 27 दिसम्बर है। चार दिन बाद ही 2021 की शुरुआत होने जा रही है। आज की ‘मन की बात’ एक प्रकार से 2020 की आख़िरी ‘मन की बात’ है। अगली ‘मन की बात’ 2021 में प्रारम्भ होगी।

साथियो, मेरे सामने आपकी लिखी ढ़ेर सारी चिट्ठियाँ हैं। Mygov पर जो आप सुझाव भेजते हैं, वो भी मेरे सामने हैं। कितने ही लोगों ने फ़ोन करके अपनी बात बताई है। ज्यादातर संदेशों में, बीते हुए वर्ष के अनुभव, और, 2021 से जुड़े संकल्प हैं। कोल्हापुर से अंजलि जी ने लिखा है, किनए साल पर, हम, दूसरों को बधाई देते हैं, शुभकामनाएं देते हैं, तो इस बार हम एक नया काम करें। क्यों न हम, अपने देश को बधाई दें, देश को भी शुभकामनाएं दें। अंजलि जी, वाकई, बहुत ही अच्छा विचार है। हमारा देश, 2021 में, सफलताओं के नए शिखर छुएँ, दुनिया में भारत की पहचान और सशक्त हो, इसकी कामना से बड़ा और क्या हो सकता है।

साथियो, NamoApp पर मुम्बई के अभिषेक जी ने एक message पोस्ट किया है। उन्होंने लिखा है कि 2020 ने जो-जो दिखा दिया, जो-जो सिखा दिया, वो कभी सोचा ही नहीं था। कोरोना से जुड़ी तमाम बातें उन्होंने लिखी हैं। इन चिट्ठियों में, इन संदेशों में, मुझे, एक बात जो common नजर आ रही है, ख़ास नजर आ रही है, वो मैं आज आपसे share करना चाहूँगा। अधिकतर पत्रों में लोगों ने देश के सामर्थ्य, देशवासियों की सामूहिक शक्ति की भरपूर प्रशंसा की है। जब जनता कर्फ्यू जैसा अभिनव प्रयोग, पूरे विश्व के लिए प्रेरणा बना, जब, ताली-थाली बजाकर देश ने हमारे कोरोना वारियर्स का सम्मान किया था, एकजुटता दिखाई थी, उसे भी, कई लोगों ने याद किया है।

साथियो, देश के सामान्य से सामान्य मानवी ने इस बदलाव को महसूस किया है। मैंने, देश में आशा का एक अद्भुत प्रवाह भी देखा है। चुनौतियाँ खूब आईं। संकट भी अनेक आए। कोरोना के कारण दुनिया में supply chain को लेकर अनेक बाधाएं भी आईं, लेकिन, हमने हर संकट से नए सबक लिए। देश में नया सामर्थ्य भी पैदा हुआ। अगर शब्दों में कहना है, तो इस सामर्थ्य का नाम है ‘आत्मनिर्भरता’।

साथियो,

दिल्ली में रहने वाले अभिनव बैनर्जी ने अपना जो अनुभव मुझे लिखकर भेजा है वो भी बहुत दिलचस्प है। अभिनव जी को अपनी रिश्तेदारी में, बच्चों को gift देने के लिए कुछ खिलौने खरीदने थे इसलिए, वो, दिल्ली की झंडेवालान मार्किट गए थे। आप में से बहुत लोग जानते ही होंगे, ये मार्केट दिल्ली में साइकिल और खिलौनों के लिए जाना जाता है। पहले वहां महंगे खिलौनों का मतलब भी imported खिलौने होता था, और, सस्ते खिलौने भी बाहर से आते थे। लेकिन, अभिनव जी ने चिट्ठी में लिखा है,कि, अब वहां के कई दुकानदार,customers को, ये बोल-बोलकर toys बेच रहे हैं, कि अच्छे वाला toy है, क्योंकि ये भारत में बना है ‘Made in India’ है।Customers भी,India madetoys की ही माँग कर रहे हैं। यही तो है, ये एक सोच में कितना बड़ा परिवर्तन – यह तो जीता-जागता सबूत है। देशवासियों की सोच में कितना बड़ा परिवर्तन आ रहा है, और वो भी एक साल के भीतर-भीतर।इस परिवर्तन को आंकना आसान नहीं है। अर्थशास्त्री भी, इसे, अपने पैमानों पर तौल नहीं सकते।

साथियो,

मुझे विशाखापत्तनम से वेंकट मुरलीप्रसाद जी ने जो लिखा है, उसमें भी एक अलग ही तरह का idea है। वेंकट जी ने लिखा है, मैं, आपको, twenty, twenty one के लिए, दो हजार इक्कीस के लिए, अपना ABCattach कर रहा हूँ। मुझे कुछ समझ में नहीं आया, कि आखिर ABC से उनका क्या मतलब है। तब मैंने देखा कि वेंकट जी ने चिट्ठी के साथ एक चार्ट भी attach कर रखा है। मैंने वो चार्ट देखा, और फिर समझा कि ABCका उनका मतलब है – आत्मनिर्भरभारत चार्ट ABC। यह बहुत ही दिलचस्प है। वेंकट जी ने उन सभी चीजों की पूरी list बनायी है, जिन्हें वो प्रतिदिन इस्तेमाल करते हैं। इसमें electronics, stationery, self care items उसके अलावा और भी बहुत कुछ शामिल हैं।वेंकट जी ने कहा है, कि, हम जाने-अनजाने में, उन विदेशी products का इस्तेमाल कर रहे हैं, जिनके विकल्प भारत में आसानी से उपलब्ध हैं। अब उन्होंने कसम खाई है कि मैं उसी product का इस्तेमाल करूंगा, जिनमें हमारे देशवासियों की मेहनत और पसीना लगा हो।

साथियो, लेकिन, इसके साथ ही उन्होंने कुछ और भी ऐसा कहा है, जो मुझे काफी रोचक लगा है। उन्होंने लिखा है कि हम आत्मनिर्भर भारत का समर्थन कर रहे हैं, लेकिन हमारे manufacturers,उनके लिए भी, साफ़ सन्देश होना चाहिए, कि, वे products की quality से कोई समझौता न करें।बात तो सही है।Zero effect, zero defect की सोच के साथ काम करने का ये उचित समय है। मैं देश के manufacturers और industry leaders से आग्रह करता हूँ: देश के लोगों ने मजबूत कदम उठाया है, मजबूत कदम आगे बढ़ाया है। Vocal for local ये आज घर-घर में गूँज रहा है।ऐसे में, अब, यह सुनिश्चित करने का समय है, कि, हमारे products विश्वस्तरीय हों। जो भी Global best है, वो हम भारत में बनाकर दिखायें। इसके लिए हमारे उद्यमी साथियों को आगे आना है।Start-ups कोभी आगे आना है। एक बार फिर मैं वेंकट जी को उनके बेहतरीन प्रयास के लिए बधाई देता हूँ।

साथियो,

हमें इस भावना को बनाये रखना है, बचाए रखना है, और बढ़ाते ही रहना है। मैंने, पहले भी कहा है, और फिर मैं, देशवासियों से आग्रह करूंगा। आप भी एक सूची बनायें। दिन-भर हम जो चीजें काम में लेतेहै, उन सभी चीजों की विवेचना करें और ये देखें, कि अनजाने में कौन सी, विदेश में बनी चीजों ने हमारे जीवन में प्रवेश कर लिया है।एक प्रकार से, हमें, बन्दी बना दिया है।इनके, भारत में बने विकल्पों का पता करें, और, ये भी तय करें, कि आगे से भारत में बने, भारत के लोगों के मेहनत से पसीने से बने उत्पादों का हम इस्तेमाल करें। आप हर साल new year resolutions लेते हैं, इस बार एक resolution अपने देश के लिए भी जरुर लेना है।

मेरे प्यारे देशवासियो,

हमारे देश में आतताइयों से, अत्याचारियों से, देश की हजारों साल पुरानी संस्कृति, सभ्यता, हमारे रीति-रिवाज को बचाने के लिए, कितने बड़े बलिदान दिए गए हैं, आज उन्हें याद करने का भी दिन है। आज के ही दिन गुरु गोविंद जी के पुत्रों, साहिबजादे जोरावर सिंह और फतेह सिंह को दीवार में जिंदा चुनवा दिया गया था। अत्याचारी चाहते थे कि साहिबजादे अपनी आस्था छोड़ दें, महान गुरु परंपरा की सीख छोड़ दें। लेकिन, हमारे साहिबजादों ने इतनी कम उम्र में भी गजब का साहस दिखाया, इच्छाशक्ति दिखाई। दीवार में चुने जाते समय, पत्थर लगते रहे, दीवार ऊँची होती रही, मौत सामने मंडरा रही थी, लेकिन, फिर भी वो टस-से-मस नहीं हुए। आज ही के दिन गुरु गोविंद सिंह जी की माता जी – माता गुजरी ने भी शहादत दी थी। करीब एक सप्ताह पहले, श्री गुरु तेग बहादुर जी की भी शहादत का दिन था। मुझे, यहाँ दिल्ली में, गुरुद्वारा रकाबगंज जाकर, गुरु तेग बहादुर जी को श्रद्धा सुमन अर्पित करने का, मत्था टेकने का अवसर मिला। इसी महीने, श्री गुरु गोविंद सिंह जी से प्रेरित अनेक लोग जमीन पर सोते हैं। लोग, श्री गुरु गोविंद सिंह जी के परिवार के लोगों के द्वारा दी गयी शहादत को बड़ी भावपूर्ण अवस्था में याद करते हैं। इस शहादत ने संपूर्ण मानवता को, देश को, नई सीख दी। इस शहादत ने, हमारी सभ्यता को सुरक्षित रखने का महान कार्य किया। हम सब इस शहादत के कर्जदार हैं। एक बार फिर मैं, श्री गुरु तेग बहादुर जी, माता गुजरी जी, गुरु गोविंद सिंह जी, और, चारों साहिबजादों की शहादत को, नमन करता हूं। ऐसी ही, अनेकों शहादतों ने भारत के आज के स्वरूप को बचाए रखा है, बनाए रखा है।

मेरे प्यारे देशवासियो, अब मैं एक ऐसी बात बताने जा रहा हूँ, जिससे आपको आनंद भी आएगा और गर्व भी होगा। भारत में Leopards यानी तेंदुओं की संख्या में, 2014 से 2018 के बीच, 60 प्रतिशत से अधिक की बढ़ोतरी हुई है। 2014 में, देश में,leopards की संख्या लगभग 7,900 थी, वहीँ 2019 में, इनकी संख्या बढ़कर 12,852 हो गयी। ये वही leopards हैं जिनके बारे में Jim Corbett ने कहा था: “जिन लोगों ने leopards को प्रकृति में स्वछन्द रूप से घूमते नहीं देखा, वो उसकी खूबसूरती की कल्पना ही नहीं कर सकते। उसके रंगों की सुन्दरता और उसकी चाल की मोहकता का अंदाज नहीं लगा सकते।” देश के अधिकतर राज्यों में, विशेषकर मध्य भारत में, तेंदुओं की संख्या बढ़ी है। तेंदुए की सबसे अधिक आबादी वाले राज्यों में, मध्यप्रदेश, कर्नाटका और महाराष्ट्र सबसे ऊपर हैं। यह एक बड़ी उपलब्धि है। तेंदुए, पूरी दुनिया में वर्षों से खतरों का सामना करते आ रहे हैं, दुनियाभर में उनके habitat को नुकसान हुआ है। ऐसे समय में, भारत ने तेंदुए की आबादी में लगातार बढ़ोतरी कर पूरे विश्व को एक रास्ता दिखाया है।आपको इन बातों की भी जानकारी होगी कि पिछले कुछ सालों में, भारत में शेरों की आबादी बढ़ी है, बाघों की संख्या में भी वृद्धि हुई है, साथ ही, भारतीय वनक्षेत्र में भी इजाफा हुआ है। इसकी वजह ये है कि सरकार ही नहीं बल्कि बहुत से लोग, civil society, कई संस्थाएँ भी, हमारे पेड़-पौधों और वन्यजीवों के संरक्षण में जुटी हुई हैं।वे सब बधाई के पात्र हैं।

साथियो,

मैंने, तमिलनाडु के कोयंबटूर में एक ह्रदयस्पर्शी प्रयास के बारे में पढ़ा। आपने भी social media पर इसके visuals देखे होंगे। हम सबने इंसानों वाली wheelchair देखी है, लेकिन, कोयंबटूर की एक बेटी गायत्री ने, अपने पिताजी के साथ, एक पीड़ित dog के लिए wheelchair बना दी। ये संवेदनशीलता, प्रेरणा देने वाली है, और, ये तभी हो सकता है, जब व्यक्ति हर जीव के प्रति, दया और करुणा से भरा हुआ हो। दिल्ली NCR और देश के दूसरे शहरों में ठिठुरती ठण्ड के बीच बेघर पशुओं की देखभाल के लिए कई लोग, बहुत कुछ कर रहे हैं। वे उन पशुओं के खाने-पीने और उनके लिए स्वेटर और बिस्तर तक का इंतजाम करते हैं। कुछ लोग तो ऐसे हैं, जो रोजाना सैकड़ों की संख्या में ऐसे पशुओं के लिए भोजन का इंतजाम करते हैं।ऐसे प्रयास की सराहना होनी चाहिये। कुछ इसी प्रकार के नेक प्रयास, उत्तर प्रदेश के कौशाम्बी में भी किये जा रहे हैं।वहाँ जेल में बंद कैदी, गायों को ठण्ड से बचाने के लिए, पुराने और फटे कम्बलों से cover बना रहे हैं। इन कम्बलों को कौशाम्बी समेत दूसरे ज़िलों की जेलों से एकत्र किया जाता है, और, फिर उन्हें सिलकर गौ-शाला भेज दिया जाता है। कौशाम्बी जेल के कैदी हर सप्ताह अनेकों cover तैयार कर रहे हैं। आइये, दूसरों की देखभाल के लिए सेवा-भाव से भरे इस प्रकार के प्रयासों को प्रोत्साहित करें। यह वास्तव में एक ऐसा सत्कार्य है, जो समाज की संवेदनाओं को सशक्त करता है।

मेरे प्यारे देशवासियो,

अब जो पत्र मेरे सामने है, उसमें, दो बड़े फोटो हैं। ये फोटो एक मंदिर के हैं, और,before और after के हैं। इन फोटों के साथ जो पत्र है, उसमें युवाओं की एक ऐसी टीम के बारे में बताया गया है, जो खुद को युवा brigade कहती है। दरअसल, इस युवा brigade ने कर्नाटका में, श्रीरंगपट्न (Srirangapatna)के पास स्थित वीरभद्र स्वामी नाम के एक प्राचीन शिवमंदिर का कायाकल्प कर दिया। मंदिर में हर तरफ घास-फूस और झाड़ियाँ भरी हुई थीं, इतनी, कि, राहगीर भी नहीं बता सकते, कि, यहाँ एक मंदिर है। एक दिन, कुछ पर्यटकों ने इस भूले-बिसरे मंदिर का एक video social media पर post कर दिया। युवा brigade ने जब इस वीडियो को social media पर देखा तो उनसे रहा नहीं गया और फिर, इस टीम ने मिलजुल कर इसका जीर्णोद्धार करने का फैसला किया। उन्होंने मंदिर परिसर में उग आयी कंटीली झाड़ियाँ, घास और पौधों को हटाया। जहां मरम्मत और निर्माण की आवश्यकता थी, वो किया। उनके अच्छे काम को देखते हुए स्थानीय लोगों ने भी मदद के हाथ बढाए। किसी ने सीमेंट दिया तो किसी ने पेंट, ऐसी कई और चीजों के साथ लोगों ने अपना-अपना योगदान किया। ये सभी युवा कई अलग तरह के profession से जुड़े हुए हैं। ऐसे में इन्होंने weekends के दौरान समय निकाला और मंदिर के लिए कार्य किया।युवाओं ने मंदिर में दरवाजा लगवाने के साथ-साथ बिजली का connection भी लगवाया। इस प्रकार उन्होंने मंदिर के पुराने वैभव को फिर से स्थापित करने का काम किया।जुनून और दृढ़निश्चय ऐसी दो चीजें हैं जिनसे लोग हर लक्ष्य प्राप्त कर सकते हैं। जब मैं भारत के युवाओं को देखता हूँ तो खुद को आनंदित और आश्वस्त महसूस करता हूँ। आनंदित और आश्वस्त इसलिए, क्योंकि मेरे देश के युवाओं में ‘Can Do’ की Approach है और ‘Will Do’ की Spirit है। उनके लिए कोई भी चुनौती बड़ी नहीं है। कुछ भी उनकी पहुँच से दूर नहीं है। मैंने तमिलनाडु की एक टीचर के बारे में पढ़ा। उनका नाम Hemlata N.K है, जो विडुपुरम के एक स्कूल में दुनिया की सबसे पुरानी भाषा तमिल पढ़ाती हैं। कोविड 19 महामारी भी उनके अध्यापन के काम में आड़े नहीं आ पायी। हाँ ! उनके सामने चुनौतियाँ जरुर थीं, लेकिन, उन्होंने एक innovative रास्ता निकाला।उन्होंने,course के सभी53 (तरेपन) chapters को record किया, animated video तैयार किये और इन्हें एक pen drive में लेकर अपने students को बाँट दिए।इससे, उनके students को बहुत मदद मिली, वो chapters को visually भी समझ पाए। इसके साथ ही, वे, अपने students से टेलीफोन पर भी बात करती रहीं। इससे students के लिये पढ़ाई काफी रोचक हो गयी।देशभर में कोरोना के इस समय में, टीचर्स ने जो innovative तरीके अपनाये, जो course material creatively तैयार किया है, वो online पढ़ाई के इस दौर में अमूल्य है। मेरा सभी टीचर्स से आग्रह है कि वो इन course material को शिक्षा मंत्रालय के दीक्षा पोर्टल पर जरुर upload करें। इससे देश के दूर-दराज वाले इलाकों में रह रहे छात्र-छात्राओं को काफी लाभ होगा।

साथियो,

आइये अब बात करते हैं झारखण्ड की कोरवा जनजाति के हीरामन जी की। हीरामन जी, गढ़वा जिले के सिंजो गाँव में रहते हैं। आपको यह जानकार हैरानी होगी कि कोरवा जनजाति की आबादी महज़ 6,000 है, जो शहरों से दूर पहाड़ों और जंगलों में निवास करती है। अपने समुदाय की संस्कृति और पहचान को बचाने के लिए हीरामन जी ने एक बीड़ा उठाया है। उन्होंने 12 साल के अथक परिश्रम के बाद विलुप्त होती, कोरवा भाषा का शब्दकोष तैयार किया है। उन्होंने इस शब्दकोष में, घर-गृहस्थी में प्रयोग होने वाले शब्दों से लेकर दैनिक जीवन में इस्तेमाल होने वाले कोरवा भाषा के ढेर सारे शब्दों को अर्थ के साथ लिखा है। कोरवा समुदाय के लिए हीरामन जी ने जो कर दिखाया है, वह, देश के लिए एक मिसाल है।

मेरे प्यारे देशवासियो,

ऐसा कहते हैं कि अकबर के दरबार में एक प्रमुख सदस्य – अबुल फजल थे। उन्होंने एक बार कश्मीर की यात्रा के बाद कहा था कि कश्मीर में एक ऐसा नजारा है, जिसे देखकर चिड़चिड़े और गुस्सैल लोग भी खुशी से झूम उठेंगे। दरअसल, वे, कश्मीर में केसर के खेतों का उल्लेख कर थे। केसर, सदियों से कश्मीर से जुड़ा हुआ है। कश्मीरी केसर मुख्य रूप से पुलवामा, बडगाम और किश्तवाड़ जैसी जगहों पर उगाया जाता है। इसी साल मई में, कश्मीरी केसर को Geographical Indication Tag यानि GI Tag दिया गया। इसके जरिए, हम, कश्मीरी केसर को एक Globally Popular Brand बनाना चाहते हैं। कश्मीरी केसर वैश्विक स्तर पर एक ऐसे मसाले के रूप में प्रसिद्ध है, जिसके कई प्रकार के औषधीय गुण हैं। यह अत्यंत सुगन्धित होता है, इसका रंग गाढ़ा होता है और इसके धागे लंबे व मोटे होते हैं। जो इसकी Medicinal Value को बढ़ाते हैं। यह जम्मू और कश्मीर की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का प्रतिनिधित्व करता है। Quality की बात करें, तो, कश्मीर का केसर बहुत unique है और दूसरे देशों के केसर से बिलकुल अलग है। कश्मीर के केसर को GI Tag Recognition से एक अलग पहचान मिली है। आपको यह जानकर खुशी होगी कि कश्मीरी केसर को GI Tag का सर्टिफिकेट मिलने के बाद दुबई के एक सुपर मार्किट में इसे launch किया गया। अब इसका निर्यात बढ़ने लगेगा। यह आत्मनिर्भर भारत बनाने के हमारे प्रयासों को और मजबूती देगा। केसर के किसानों को इससे विशेष रूप से लाभ होगा। पुलवामा में त्राल के शार इलाके के रहने वाले अब्दुल मजीद वानी को ही देख लीजिए। वह अपने GI Tagged केसर को National Saffron Mission की मदद से पम्पोर के Trading Centre में E-Trading के जरिए बेच रहे हैं।इसके जैसे कई लोग कश्मीर में यह काम कर रहे है। अगली बार जब आप केसर को खरीदने का मन बनायें, तो कश्मीर का ही केसर खरीदने की सोचें। कश्मीरी लोगों की गर्मजोशी ऐसी है कि वहाँ के केसर का स्वाद ही अलग होता है|

मेरे प्यारे देशवासियों,

अभी दो दिन पहले ही गीता जयंती थी। गीता, हमें, हमारे जीवन के हर सन्दर्भ में प्रेरणा देती है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है, गीता इतनी अद्भुत ग्रन्थ क्यों है ? वो इसलिए क्योंकि ये स्वयं भगवन श्रीकृष्ण की ही वाणी है। लेकिन गीता की विशिष्टता ये भी है कि ये जानने की जिज्ञासा से शुरू होती है। प्रश्न से शुरू होती है।अर्जुन ने भगवान से प्रश्न किया, जिज्ञासा की, तभी तो गीता का ज्ञान संसार को मिला। गीता की ही तरह, हमारी संस्कृति में जितना भी ज्ञान है, सब, जिज्ञासा से ही शुरू होता है। वेदांत का तो पहला मंत्र ही है – ‘अथातो ब्रह्म जिज्ञासा’ अर्थात, आओ हम ब्रह्म की जिज्ञासा करें। इसीलिए तो हमारे यहाँ ब्रह्म के भी अन्वेषण की बात कही जाती है। जिज्ञासा की ताकत ही ऐसी है। जिज्ञासा आपको लगातार नए के लिए प्रेरित करती है। बचपन में हम इसीलिए तो सीखते हैं क्योंकि हमारे अन्दर जिज्ञासा होती है। यानी जब तक जिज्ञासा है, तब तक जीवन है। जब तक जिज्ञासा है, तब तक नया सीखने का क्रम जारी है। इसमें कोई उम्र, कोई परिस्थिति, मायने ही नहीं रखती। जिज्ञासा की ऐसी ही उर्जा का एक उदाहरण मुझे पता चला, तमिलनाडु के बुजुर्ग श्री टी श्रीनिवासाचार्य स्वामी जी के बारे में ! श्री टी श्रीनिवासाचार्य स्वामी जी 92 (बयानबे) साल के हैं Ninety Two Years| वो इस उम्र में भी computer पर अपनी किताब लिख रहे हैं, वो भी, खुद ही टाइप करके। आप सोच रहे होंगे कि किताब लिखना तो ठीक है लेकिन श्रीनिवासाचार्य जी के समय पर तो computer रहा ही नहीं होगा। फिर उन्होंने computer कब सीखा ? ये बात सही है कि उनके कॉलेज के समय में computer नहीं था। लेकिन, उनके मन में जिज्ञासा और आत्मविश्वास अभी भी उतना ही है जितना अपनी युवावस्था में था। दरअसल, श्रीनिवासाचार्य स्वामी जी संस्कृत और तमिल के विद्वान हैं। वो अब तक करीब 16 आध्यात्मिक ग्रन्थ भी लिख चुके हैं। लेकिन,Computer आने के बाद उन्हें जब लगा कि अब तो किताब लिखने और प्रिंट होने का तरीका बदल गया है, तो उन्होंने, 86 साल की उम्र में, eighty six की उम्र में, computer सीखा, अपने लिए जरुरी software सीखे। अब वो अपनी किताब पूरी कर रहे हैं।

साथियो, श्री टी श्रीनिवासाचार्य स्वामी जी का जीवन इस बात का प्रत्यक्ष प्रमाण है, कि, जीवन, तब तक उर्जा से भरा रहता है, जब तक जीवन में जिज्ञासा नहीं मरती है, सीखने की चाह नहीं मरती है। इसलिए, हमें कभी ये नहीं सोचना चाहिये कि हम पिछड़ गए, हम चूक गए। काश! हम भी ये सीख लेते ! हमें ये भी नहीं सोचना चाहिए कि हम नहीं सीख सकते, या आगे नहीं बढ़ सकते।

मेरे प्यारे देशवाशियो, अभी हम, जिज्ञासा से, कुछ नया सीखने और करने की बात कर रहे थे। नए साल पर नए संकल्पों की भी बात कर रहे थे। लेकिन, कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो लगातार कुछ-न-कुछ नया करते रहते हैं, नए-नए संकल्पों को सिद्ध करते रहते हैं। आपने भी अपने जीवन में महसूस किया होगा, जब हम समाज के लिए कुछ करते हैं तो बहुत कुछ करने की उर्जा समाज हमें खुद ही देता है। सामान्य सी लगने वाली प्रेरणाओं से बहुत बड़े काम भी हो जाते हैं। ऐसे ही एक युवा हैं श्रीमान प्रदीप सांगवान ! गुरुग्राम के प्रदीप सांगवान 2016 से Healing Himalayas नाम से अभियान चला रहे हैं। वो अपनी टीम और volunteers के साथ हिमालय के अलग-अलग इलाकों में जाते हैं, और जो प्लास्टिक कचरा टूरिस्ट वहाँ छोड़कर जाते हैं, वो साफ करते हैं। प्रदीप जी अब तक हिमालय की अलग-अलग टूरिस्ट locations से टनों प्लास्टिक साफ कर चुके हैं। इसी तरह, कर्नाटका के एक युवा दंपति हैं, अनुदीप और मिनूषा। अनुदीप और मिनूषा ने अभी पिछले महीने नवम्बर में ही शादी की है। शादी के बाद बहुत से युवा घूमने फिरने जाते हैं, लेकिन इन दोनों ने कुछ अलग किया। ये दोनों हमेशा देखते थे कि लोग अपने घर से बाहर घूमने तो जाते हैं, लेकिन, जहाँ जाते हैं वहीँ ढ़ेर सारा कूड़ा-कचरा छोड़ कर आ जाते हैं। कर्नाटका के सोमेश्वर beach पर भी यही स्थिति थी। अनुदीप और मिनूषा ने तय किया कि वो सोमेश्वर beach पर, लोग, जो कचरा छोड़कर गए हैं, उसे साफ करेंगे। दोनों पति पत्नी ने शादी के बाद अपना पहला संकल्प यही लिया। दोनों ने मिलकर समंदर तट का काफी कचरा साफ कर डाला। अनुदीप ने अपने इस संकल्प के बारे में सोशल मीडिया पर भी share किया। फिर क्या था, उनकी इतनी शानदार सोच से प्रभावित होकर ढ़ेर सारे युवा उनके साथ आकर जुड़ गए। आप जानकर हैरान रह जाएंगे। इन लोगों ने मिलकर सोमेश्वर beach से 800 किलो से ज्यादा कचरा साफ किया है।

<strong>साथियो</strong>, इन प्रयासों के बीच, हमें ये भी सोचना है कि ये कचरा इन beaches पर, इन पहाड़ों पर, पहुंचता कैसे है? आखिर, हम में से ही कोई लोग ये कचरा वहाँ छोड़कर आते हैं।हमें प्रदीप और अनुदीप-मिनूषा की तरह सफाई अभियान चलाना चाहिए। लेकिन, उससे भी पहले हमें ये संकल्प भी लेना चाहिए, कि हम, कचरा फैलाएंगे ही नहीं। आखिर, स्वच्छ भारत अभियान का भी तो पहला संकल्प यही है। हां, एक और बात मैं आपको याद दिलाना चाहता हूँ। कोरोना की वजह से इस साल इसकी चर्चा उतनी हो नहीं पाई है। हमें देश कोsingle use plasticसे मुक्त करना ही है। ये भी 2021 के संकल्पों में से एक है। आखिर में, मैं आपको, नए वर्ष के लिए बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं। आप खुद स्वस्थ रहिए, अपने परिवार को स्वस्थ रखिए। अगले वर्ष जनवरी में नए विषयों पर ‘मन की बात’ होगी।

बहुत-बहुत धन्यवाद। ।

पंजाब में किसान आंदोलन की आड़ मे शनिवार को जियो के 151 दूरसंचार टावरों को किया गया तहस-नहस,अब तक 1,338 टावरों को किया जा चुका है क्षतिग्रस्त attacknews.in

चंडीगढ़, 27 दिसंबर । ऐसा लगता है कि पंजाब में किसान आंदोलन की आड़ मे राजनीतिक फायदा-नुकसान की कहानी शुरू हो गई हैं क्योंकि 2021 में विधानसभा चुनाव होने हैं और इसमें मुख्यमंत्री अमरिन्दर सिंह के ऊपर कांग्रेस पार्टी को फिर से सत्ता में लाने की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है । यही कारण है कि किसानों से मोबाइल टावर जैसी दूरसंचार क्षेत्र की ढांचागत सुविधाओं को नुकसान नहीं पहुंचाने की उनकी अपील का गंभीर असर नहीं पड़ा है। उनके आग्रह के बावजूद एक रात में ही 150 से अधिक दूरसंचार टावरों को नुकसान पहुंचाया गया।

दूरसंचार टावरों को नुकसान पहुंचाने के पीछे यह कहानी कही जा रही है कि नये कृषि कानूनों से मुकेश अंबानी और गौतम अडाणी जैसे उद्योगपतियों को लाभ होगा। इस आधार पर पंजाब में विभिन्न स्थानों पर रिलायंस जियो के टावरों को नुकसान पहुंचाया गया है जिससे दूरसंचार संपर्क व्यवस्था पर असर पड़ा। हालांकि, यह अलग बात है कि अंबानी और अडाणी से जुड़ी कंपनियां किसानों से अनाज नहीं खरीदती हैं।

मामले से जुड़े दो सूत्रों ने कहा कि कल से अब तक 151 दूरसंचार टावरों को नुकसान पहुंचा है।

इससे अब तक कुल 1,338 दूरसंचार टावरों को नुकसान पहुंचाया जा चुका है।

एक सूत्र ने बताया कि पंजाब के विभिन्न स्थानों से दूरसंचार टावरों को नुकसान पहुंचाये जाने की सूचना है।

उसने बताया कि जिन दूरसंचार टावरों को नुकसान पहुंचाया गया है, उनमें से ज्यादातर जियो और दूरसंचार उद्योग के साझा बुनियादी ढांचा सुविधाओं से जुड़े हैं।

सूत्रों ने कहा कि हमलों का असर दूरसंचार सेवाओं पर पड़ा है और परिचालकों को पुलिस की तरफ से कार्रवाई नहीं होने के कारण सेवाओं को बहाल करने में समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।

पंजाब के मुख्यमंत्री ने शुक्रवार को प्रदर्शनकारी किसानों से इस प्रकार के कार्यों से आम लोगों को असुविधा नहीं पहुंचाने की अपील की। उन्होंने किसानों से कहा कि जिस संयम के साथ वे आंदोलन करते आयें हैं, उसे बरकरार रखें।

मुख्यमंत्री कार्यालय ने बयान में कहा था, ‘‘मुख्यमंत्री ने कोविड महामारी के बीच दूरसंचार संपर्क व्यवस्था को महत्वपूर्ण बताया और किसानों से आंदोलन के दौरान उसी तरह का अनुशासन और जिम्मेदारी दिखाने को कहा जिसे वह दिल्ली सीमा पर और पूर्व के विरोध-प्रदर्शन में दिखाते आये हैं।’’ किसानों के कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन को एक महीना पूरा हो गया है।

मुख्यमंत्री की यह अपील टावर एंड इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोवाडर्स एसोसिएशन (टीएआईपीए) के आग्रह पर आयी है। दूरसंचार बुनियादी ढांचा प्रदाताओं के इस पंजीकृत संघ ने राज्य सरकार से किसानों को अपनी न्याय की लड़ाई में किसी भी गैरकानूनी गतिविधि का सहारा नहीं लेने को लेकर अनुरोध करने का आग्रह किया था।

रेल आरक्षण की आधुनिक वेबसाइट का तोहफा देगी रेलवे:वर्ष 2021 की शुरुआत आईआरसीटीसी की नयी आधुनिक वेबसाइट के साथ होगी,गाड़ियों की गति बढ़ेगी और समयबद्धता भी सुधरेगी attacknews.in

नयी दिल्ली 26 दिसंबर । वर्ष 2020 में भारतीय रेलवे की सबसे बड़ी उपलब्धि कोविड-19 महामारी के काल में लॉकडाउन के दौरान देश में आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति को बनाये रखना और 63 लाख से अधिक श्रमिकाें को उनके गृहक्षेत्र में पहुंचाना रहा। वर्ष 2021 की शुरुआत आईआरसीटीसी की नयी एवं आधुनिक वेबसाइट के साथ होगी। गाड़ियों की गति बढ़ेगी और समयबद्धता भी सुधरेगी।

रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी विनोद कुमार यादव ने यहां एक वर्चुअल संवाददाता सम्मेलन में कहा कि वर्ष 2020 में रेलवे की सबसे बड़ी उपलब्धि कोविड काल में आवश्यक वस्तुओं की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करना रहा। रेलवे के समर्पित कर्मचारियों एवं अधिकारियों की निष्ठा एवं सेवा के कारण खाद्यान्नों, मेडिकल उपकरणों एवं दवाओं, तापविद्युत गृहों में कोयला, खाद आदि की आपूर्ति सुचारु रूप से जारी रही। रेलवे ने पार्सल ट्रेनों का परिचालन किया। यात्री गाड़ियों का दबाव नहीं होने के कारण मालगाड़ियों की औसत गति करीब दो गुनी हो गयी।

श्री यादव ने कहा कि दूसरा महत्वपूर्ण काम देशभर से करीब 63 लाख दस हजार श्रमिकों को विभिन्न राज्य सरकारों के सहयोग से 4621 श्रमिक स्पेशल ट्रेनों के जरिये उनके गंतव्य स्थानों तक पहुंचाना रहा। उन्होंने कहा कि रेलवे ने आपदा को अवसर में बदलते हुए इस दौरान संरक्षा के लंबित सभी कामों को अंजाम दिया और ढांचागत विकास के 350 आवश्यक कार्यों को त्वरित गति से पूरा किया और 1367 पुलों की मरम्मत की गयी जिससे संरक्षा एवं गति में सुधार हुआ। ट्रैक अनुरक्षण, सिगनल एवं दूरसंचार, ओवरहेड इलेक्ट्रिक वायर, कोच, लोकोमोटिव आदि सभी से संबंधित लंबित कमियों को दुरुस्त किया गया। जहां ब्लॉक लेने की जरूरत थी उन सभी कार्यों को पूरा किया गया।

उन्होंने कहा कि कोविड काल में रेलवे ने 5601 कोचों को कोविड केयर सेंटर में बदला और विभिन्न स्टेशनों पर तैनात किया गया जिससे हजारों कोविड रोगियों के उपचार में मदद मिली। रेलवे ने कोविड के सभी प्रोटोकॉल का पालन करते हुए लोगों को आवागमन की सुविधा प्रदान करने के लिए 1100 स्पेशल ट्रेनें, 618 फेस्टिवल ट्रेनें, मुंबई, कोलकाता एवं चेन्नई में 3936 उपनगरीय ट्रेनें, कोलकाता में 264 मेट्रो ट्रेनें और 138 पैसेंजर गाड़ियों का परिचालन किया।

कोविड काल में रेलवे पर पड़े आर्थिक प्रभाव का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि रेलवे मालवहन क्षेत्र में किये उपायों से अब तक गत वर्ष की तुलना में 97.5 प्रतिशत से अधिक के स्तर पर आ गयी है तथा संकेतों से साफ है कि वित्त वर्ष की समाप्ति पर लाभ की स्थिति में आ जाएगी। उसे यात्री राजस्व में नुकसान होगा। लेकिन यात्री गाड़ियों के नहीं चलने से एवं अन्य उपायों से व्यय में भी 12 हजार करोड़ रुपए से अधिक कटौती हुई है। इस प्रकार से रेलवे का परिचालन परिव्यय के मामले में प्रदर्शन अच्छा ही रहेगा।

मुंबई अहमदाबाद हाईस्पीड रेल परियोजना के बारे में एक सवाल के जवाब में श्री यादव ने कहा कि इस परियोजना के लिए गुजरात में 90 प्रतिशत और महाराष्ट्र में करीब 15 प्रतिशत भू अधिग्रहण हो चुका है। महाराष्ट्र सरकार ने रेलवे को आश्वासन दिया है कि अगले चार माह में 80 प्रतिशत से अधिक भू अधिग्रहीत कर ली जाएगी।

उन्होंने कहा कि रेलवे चाहती है कि पूरी परियोजना एक बार में ही बन जाये और उसे एक साथ खोला जाये लेकिन यदि महाराष्ट्र में भू अधिग्रहण की समस्या नहीं सुलझी तो उसे पहले चरण में गुजरात में वापी से साबरमती के बीच खोला जाएगा और बाद में बाकी हिस्से को पूरा किया जाएगा।

रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष ने नये साल की प्राथमिकताओं के बारे में पूछे जाने पर कहा कि रेलयात्रियों को टिकट बुकिंग आसान एवं सुविधायुक्त बनाने के लिए भारतीय रेलवे खानपान एवं पर्यटन निगम (आईआरसीटीसी) की वेबसाइट को आधुनिक एवं नया स्वरूप दिया गया है जिसे नववर्ष में रेल मंत्री पीयूष गोयल लोकार्पित करेंगे।

उन्होंने कहा कि रेलवे ने 2020 में मालगाड़ियों की औसत गति में सुधार किया है। प्रमुख शहरों को जोड़ने वाली गोल्डन काॅर्ड (जीसी)और गोल्डन क्वार्डिनल (जीक्यू) लाइनों पर गति अवरोधों को दूर करके गतिसीमा 160 किलोमीटर प्रतिघंटा की जा रही है। दिल्ली मुंबई और दिल्ली हावड़ा लाइनों की सेक्शनल गति 160 किलोमीटर प्रतिघंटा करने के लिए काम शुरू हो चुका है। अन्य जीसी एवं जीक्यू मार्गों पर गतिसीमा 130 किलोमीटर प्रतिघंटा करने का काम जुलाई 2021 में पूरा हो जाएगा। जबकि 2025-26 तक इन्हें सेमीहाईस्पीड रेलमार्ग में बदल दिया जाएगा।

श्री यादव ने कहा कि नये साल में जीरो बेस समय सारणी में गाड़ियों की गति बढ़ा कर यात्रा अवधि में कमी लायी जाएगी। मालगाड़ियों की औसत गति में अभी जो सुधार हुआ है, उसे बरकरार रखा जाएगा। उत्तर प्रदेश में कानपुर से खुर्जा के 351 किलोमीटर के सेक्शन और हरियाणा-राजस्थान में रेवाड़ी से मदार तक 306 किलोमीटर तक समर्पित मालवहन गलियारा (डीएफसी) खोला जा रहा है। मार्च तक खुर्जा से दादरी (46 किलोमीटर), मदार से पालनपुर (335 किलोमीटर) तथा सोननगर से दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन (137 किलोमीटर) के तीन खंड खोल दिये जाएंगे। इस प्रकार से 40 प्रतिशत डीएफसी यातायात के लिए खुल जाएगा।

नरेन्द्र मोदी ने जम्मू-कश्मीर में डीडीसी चुनावों में लोगों की बड़ी भागीदारी को ‘‘गौरव’’ का क्षण बताते हुए कहा:लोकतंत्र का ‘पाठ पढ़ाने’ वाले पुडुचेरी में कोर्ट के आदेश के बावजूद पंचायत चुनाव नहीं करा रहे attacknews.in

नयी दिल्ली, 26 दिसंबर । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को कहा कि जम्मू एवं कश्मीर में जिला विकास परिषद (डीडीसी) के चुनावों के शांतिपूर्ण व पारदर्शी ढंग से संपन्न होने और लोगों की बड़ी भागीदारी को भारत के लिए ‘‘गौरव’’ का क्षण बताया और कहा कि इन चुनावों ने एक नया अध्याय लिखा है और दिखाया कि देश में लोकतंत्र कितना मजबूत है।

मोदी ने जम्मू एवं कश्मीर के सभी निवासियों के लिए 5 लाख रुपये तक का स्वास्थ्य सुरक्षा कवच प्रदान करने वाले आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना सेहत का शुभारंभ किया।

इस अवसर पर अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी के उन आरोंपों का भी जवाब दिया जिसमें उन्होंने कहा था कि ‘‘भारत में कोई लोकतंत्र’’ नहीं है और यह ‘‘केवल कल्पना में’’ मौजूद है।
केंद्र शासित प्रदेश में पहली बार हुए डीडीसी चुनावों का जिक्र करते प्रधानमंत्री ने कहा कि इस चुनाव ने ‘‘एक नया अध्याय’’ लिखा है। उन्होंने कहा कि इतनी सर्दी और कोरोना के बावजूद, नौजवान, बुजुर्ग और महिला मतदाताओं ने मतदान में हिस्सा लिया।

उन्होंने कहा, ‘‘जम्मू कश्मीर के हर मतदाता के चेहरे पर मुझे विकास के लिए एक उम्मीद नजर आई, उमंग नजर आई। जम्मू कश्मीर के हर मतदाता की आंखों में मैंने अतीत को पीछे छोड़ते हुए, बेहतर भविष्य का विश्वास देखा।’’

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘इन चुनावों में जम्मू-कश्मीर के लोगों ने लोकतंत्र की जड़ों को और मजबूत किया है। जम्मू-कश्मीर में ये त्रिस्तरीय पंचायत व्यवस्था एक प्रकार से महात्मा गांधी का ग्राम स्वराज का सपना पूरा किया है। देश में जो पंचायती राज व्यवस्था है उसने आज जम्मू-कश्मीर की धरती पर पूर्णता को प्राप्त किया है। जम्मू-कश्मीर में इन चुनावों ने ये भी दिखाया कि हमारे देश में लोकतंत्र कितना मजबूत है।’’

उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार लगातार कोशिश कर रही है कि गांव के विकास में, गांव के लोगों की भूमिका सबसे ज्यादा रहे और इसके मद्देनजर योजना बनाने से लेकर अमल और देखरेख तक पंचायती राज से जुड़े संस्थानों को ज्यादा ताकत दी जा रही है।

उन्होंने कहा, ‘‘गरीब से जुड़ी जरूरतों को पूरा करने के लिए अब पंचायतों का दायित्व काफी बड़ा है। इसका लाभ जम्मू कश्मीर में भी दिख रहा है। जम्मू एवं कश्मीर के गांव-गांव में बिजली पहुंची, यहां के गांव खुले में शौच मुक्त हो चुके हैं।’’

जम्मू एवं कश्मीर के लोगों के विकास को सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक बताते हुए प्रधानमंत्री ने महिला सशक्तिकरण, युवाओं के लिए अवसर, दलितों-पीड़ितों-शोषितों-वंचितों के कल्याण और लोगों के संवैधानिक व बुनियादी अधिकारों के प्रति कटिबद्धता जताई।

लोकतंत्र का ‘पाठ पढ़ाने’ वाले पुडुचेरी में कोर्ट के आदेश के बावजूद पंचायत चुनाव नहीं करा रहे: मोदी

इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘लोकतंत्र का पाठ पढ़ाने’ के लिए शनिवार को कांग्रेस को आड़े हाथों लिया और उसे याद दिलाया कि उसके शासन वाले पुडुचेरी में उच्चतम न्यायालय के आदेश के बावजूद पंचायत और नगरपालिका के चुनाव नहीं हो रहे हैं।

प्रधानमंत्री ने यह बात कांग्रेस नेता राहुल गांधी के उन आरोपों के जवाब में कही, जिसमें उन्होंने कहा था कि ‘‘भारत में कोई लोकतंत्र’’ नहीं है और यह ‘‘केवल कल्पना में’’ मौजूद है।

जम्मू-कश्मीर में हाल ही में संपन्न हुए जिला विकास परिषद (डीडीसी) चुनावों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि जहां केंद्र सरकार ने केंद्र शासित प्रदेश बनने के एक साल के भीतर इन चुनावों को पारदर्शिता पूर्वक संपन्न कराकर दिखाया है कि देश में लोकतंत्र कितना मजबूत है, वहीं उच्चतम न्यायालय के आदेश के बावजूद कांग्रेस शासित पुडुचेरी में पंचायत और नगरपालिका के चुनाव नहीं कराए गए हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘दिल्ली में कुछ लोग सुबह-शाम, आए-दिन मोदी को कोसते रहते हैं। टोकते रहते हैं। अपशब्दों का प्रयोग करते रहते हैं और आए-दिन मुझे लोकतंत्र सिखाने के लिए रोज नए-नए पाठ पढ़ाते हैं। मैं उन लोगों को आज जरा याद दिलाना चाहता हूं। जम्मू -कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश बनने के 1 साल के भीतर पंचायती राज व्यवस्था को लागू करके दिखाया गया, लेकिन दूसरी और विडंबना देखिए पुडुचेरी में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद पंचायत और नगरपालिका के चुनाव नहीं हो रहे हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘जो मुझे रोज यहां लोकतंत्र के पाठ पढ़ाते हैं, उनकी पार्टी वहां राज कर रही है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘आप हैरान होंगे, सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में ये आदेश दिया था, लेकिन वहां जो सरकार है… जिसका लोकतंत्र पर रत्ती भर भरोसा नहीं है… इस मामले को लगातार टाल रही है।’’

प्रधानमंत्री ने कहा कि पुडुचेरी में दशकों के इंतजार के बाद साल 2006 में स्थानीय निकाय के चुनाव हुए थे और इसमें जीतने वालों का कार्यकाल 2011 में ही खत्म हो चुका है।

मोदी ने कहा, ‘‘कुछ राजनीतिक दलों की कथनी और करनी में कितना बड़ा फर्क है, लोकतंत्र के प्रति वो कितना गंभीर हैं, इस बात से ही पता चलता है। कितने साल हो गए, पुडुचेरी में पंचायत चुनाव नहीं होने दिए जा रहे हैं।’’

प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन के दौरान विपक्षी दलों को यह भी याद दिलाया कि जम्मू-कश्मीर में जमीनी स्तर पर लोकतंत्र को मजबूत करने के मकसद से पंचायत चुनाव कराने के मुद्दे पर पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के नेतृत्व वाले पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी और भाजपा की गठबंधन सरकार से उनकी पार्टी अलग हो गई थी।

उन्होंने कहा, ‘‘एक समय था जब हम लोग जम्मू एवं कश्मीर की सरकार का हिस्सा थे। हमारे उपमुख्यमंत्री थे… हमारे मंत्री थे… लेकिन हमने उस सत्ता सुख को छोड़ दिया था। सरकार से बाहर आ गए थे। हमारा मुद्दा यही था कि पंचायतों के चुनाव कराओ। जम्मू एवं कश्मीर के गांव-गांव के नागरिकों को उसका हक दो।’’

सरकार और प्रशासन के अधिकारियों को जम्मू-कश्मीर में शांतिपूर्ण और निष्पक्ष ढंग से चुनाव संपन्न कराने के लिए बधाई देते हुए मोदी ने कहा कि इस केंद्र शासित प्रदेश में नए दशक में, नए युग के नए नेतृत्व का आरंभ हुआ है और इसने देश में एक नया विश्वास पैदा किया है।

उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार लगातार कोशिश कर रही है कि गांव के विकास में, गांव के लोगों की भूमिका सबसे ज्यादा रहे और इसके मद्देनजर योजना बनाने से लेकर अमल और देखरेख तक पंचायती राज से जुड़े संस्थानों को ज्यादा ताकत दी जा रही

भारत में गुरुवार देर रात कोरोना संक्रमितों की संख्या 1.01 करोड़ से अधिक हुई,मृतकों की संख्या 1.47 लाख के पार हुई,सक्रिय मामले 2.81 लाख हुए attacknews.in

नयी दिल्ली 24 दिसंबर । देश में कोरोना वायरस (कोविड-19) महामारी के संक्रमण की चपेट में आने वालों की संख्या 1.01 करोड़ से अधिक हो गयी है तथा स्वस्थ होने वालों की संख्या अपेक्षाकृत कम रहने से सक्रिय मामले बढ़कर 2.81 लाख हो गये हैं।

विभिन्न राज्यों से गुरुवार देर रात तक प्राप्त रिपोर्टाें के मुताबिक पिछले 24 घंटे में 21,191 नये मामले सामने आये जिससे संक्रमण का कुल आंकड़ा 1,01,45,215 हो गया। इस दौरान 16,826 और मरीजों के स्वस्थ होने से कोरोनामुक्त होने वालों की संख्या 97,09,469 हो गयी है। देश में रिकवरी दर आंशिक रूप से घटकर 95.74 फीसदी पर आ गयी है।

देश में सक्रिय मामले बढ़कर 2,81,974 हो गये हैं और इस प्रकार सक्रिय मामलों की दर अब 2.78 फीसदी हो गयी है। इसी अवधि में 238 और मरीजों की मौत होने से मृतकों का आंकड़ा बढ़कर 1,47,029 हो गया है। मृत्यु दर अभी 1.45 फीसदी पर बनी हुई है।

कोरोना महामारी से सबसे गंभीर रूप से प्रभावित महाराष्ट्र में इस अवधि में संक्रमण के 3,543 नये मामले सामने आने से संक्रमितों की कुल संख्या बढ़कर 19,09,914 पहुंच गयी है। इस दौरान 3,122 और मरीजों के स्वस्थ होने के साथ ही इस वायरस से निजात पाने वालों की संख्या बढ़कर 18,04,822 हो गयी। इसी अवधि में संक्रमितों के मुकाबले ठीक होने वालों की संख्या कम होने से सक्रिय मामलों की संख्या बढ़कर 54,905 पहुंच गयी। राज्य में आज 89 और मरीजों की मौत होने से मृतकों का आंकड़ा 49,058 तक पहुंच गया।

केरल में कोरोना वायरस (कोविड-19) संक्रमण के सक्रिय मामलों में 352 की और वृद्धि होने से इनकी संख्या बढ़कर 63,155 हो गयी जो पूरे देश में सर्वाधिक है। राज्य में 5,177 नए मामले सामने आने से गुरुवार को संक्रमितों की कुल संख्या बढ़कर 7,26,688 पहुंच गयी और 4,808 लोगों के स्वस्थ हाेने से इस वायरस से निजात पाने वालों की कुल संख्या 6,60,445 हो गयी। इसी अवधि में 22 और लोगों की मौत होने से मृतकों की संख्या बढ़कर 2,914 हो गयी है।

राजधानी दिल्ली में इस दौरान कोरोना वायरस के नये संक्रमित मामलों की तुलना में स्वस्थ होने वालों की संख्या अधिक होने से सक्रिय मामलों में कमी का दौर जारी है तथा सक्रिय मामलों में 94 की और कमी आने से इनकी संख्या घटकर 7,909 रह गयी। राजधानी में स्वस्थ होने वाले लोगों की संख्या में वृद्धि होने से सक्रिय मामलों में कमी दर्ज की गयी है।

इस अवधि में फिर 1000 से अधिक 1,063 नये मामले सामने आने के बाद संक्रमितों की कुल संख्या 6,20,681 तक पहुंच गयी है जबकि 1,120 मरीजों के स्वस्थ होने से कोरोना मुक्त लोगों की संख्या बढ़कर 6,02,388 हो गयी। इसके साथ ही कोरोना रिकवरी दर 97.05 फीसदी तक पहुंच गयी है जो राष्ट्रीय औसत से अधिक है। इस दौरान 37 और मरीजों की मौत होने से मृतकों का आंकड़ा 10,384 पहुंच गया है। राजधानी में मृत्यु दर महज 1.67 फीसदी रह गयी है। मृतकों के मामले में पूरे देश में दिल्ली चौथे स्थान पर है।

आंध्र प्रदेश में कोरोना वायरस संक्रमण के नये मामलों की तुलना में स्वस्थ होने वालों की संख्या में आंशिक कमी आने से कुल सक्रिय मामले 3862 पर पहुंच गए। राज्य में इस दौरान कोरोना वायरस संक्रमण के 357 नये मामले सामने आये जिससे संक्रमितों की संख्या बढ़कर 8,80,075 तक पहुंच गयी तथा कोरोना से 355 और मरीजों के ठीक होने के बाद इस वायरस को मात देने वालों की कुल संख्या 8,69,124 हो गयी है। आंध्र में मरीजों के ठीक होने की औसत दर 98.8 फीसदी है जो राष्ट्रीय औसत से काफी अधिक है। राज्य में कोरोना संक्रमण से चार और मरीजों की मौत होने से मृतकों की संख्या 7,089 हो गयी है। राज्य में सक्रिय मरीजों का प्रतिशत 0.4 फीसदी और मृत्यु दर 0.8 फीसदी है।

पश्चिम बंगाल में कोरोना वायरस के 1,590 नये मामले सामने आने के बाद संक्रमितों की संख्या बढ़कर 5,43,214 हो गयी है तथा 2,054 और मरीजों के स्वस्थ होने से रोगमुक्त लोगों की संख्या बढ़कर 5,18,516 हो गयी है। नये मामलों की तुलना में स्वस्थ होने वालों की संख्या अधिक होने से सक्रिय मामले घटकर अब 15,193 रह गये हैं जबकि इस अवधि में 32 और मरीजों की मौत होने से मृतकों की संख्या बढ़कर 9,505 हो गयी है।

तमिलनाडु में कोरोना वायरस संक्रमितों की तुलना में स्वस्थ हाेने वालों की संख्या अधिक होने से सक्रिय मामलों में 97 की और कमी आने से इनकी संख्या घटकर 9,314 रह गयी। राज्य में उक्त अवधि के दाैरान 1,035 नए मामले सामने आने के बाद संक्रमितों की संख्या बढ़कर 8,11,115 तक पहुंच गयी तथा इस दौरान राज्य में 1,120 और मरीजों के स्वस्थ होने से संक्रमण से मुक्त होने वालों की संख्या बढ़कर 7,89,862 हो गयी जबकि 12 और मरीजों की मौत होने से मृतकों का आंकड़ा बढ़कर 12,036 हो गया।

कोरोना संक्रमण के मामले में भारत अमेरिका के बाद दूसरे स्थान पर है। अमेरिका में अब तक कोरोना संक्रमण के मामले में भारत अमेरिका के बाद दूसरे स्थान पर है।

केंद्र सरकार ने किसान यूनियनों को वार्ता के लिए फिर आमंत्रित किया, 40 किसान नेताओं को पत्र लिखा,स्पष्ट किया कि MSP से संबंधित किसी भी नयी मांग को एजेंडे में शामिल करना ‘‘तार्किक’’ नहीं होगा attacknews.in

नयी दिल्ली, 24 दिसंबर ।सरकार ने प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों को वार्ता के लिए बृहस्पतिवार को फिर आमंत्रित किया, लेकिन स्पष्ट किया कि न्यूनतम समर्थन मूल्य से संबंधित किसी भी नयी मांग को एजेंडे में शामिल करना ‘‘तार्किक’’ नहीं होगा क्योंकि यह नए कृषि कानूनों के दायरे से परे है।

कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के संयुक्त सचिव विवेक अग्रवाल ने 40 किसान नेताओं को लिखे तीन पन्नों के पत्र में कहा, ‘‘मैं आपसे फिर आग्रह करता हूं कि प्रदर्शन को समाप्त कराने के लिए सरकार सभी मुद्दों पर खुले मन से और अच्छे इरादे से चर्चा करती रही है तथा ऐसा करती रहेगी। कृपया (अगले दौर की वार्ता के लिए) तारीख और समय बताएं।’’

सरकार और किसान संगठनों के बीच पिछले पांच दौर की वार्ता का अब तक कोई नतीजा नहीं निकला है।

दिल्ली की सीमाओं पर लगभग एक महीने से प्रदर्शन कर रहे किसान तीनों नए कृषि कानूनों को वापस लिए जाने की मांग पर अड़े हैं।

अग्रवाल ने किसान यूनियनों के नेताओं से कहा कि वे उन अन्य मुद्दों का भी ब्योरा दें जिनपर वे चर्चा करना चाहते हैं। वार्ता मंत्री स्तर पर नयी दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में होगी।

न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के मुद्दे पर अग्रवाल ने कहा कि कृषि कानूनों का इससे कोई लेना-देना नहीं है और न ही इसका कृषि उत्पादों को तय दर पर खरीदने पर कोई असर पड़ेगा।

उन्होंने कहा कि यूनियनों को प्रत्येक चर्चा में यह बात कही जाती रही है और यह भी स्पष्ट किया गया है कि सरकार एमएसपी पर लिखित आश्वासन देने को तैयार है।

अग्रवाल ने कहा, ‘‘एमएसपी से संबंधित किसी भी नयी मांग को, जो कृषि कानूनों के दायरे से परे है, वार्ता में शामिल करना तार्किक नहीं है। जैसा कि पूर्व में सूचित किया जा चुका है, सरकार किसान यूनियनों द्वारा उठाए गए सभी मुद्दों पर चर्चा करने के लिए तैयार है।’’

उनका पत्र संयुक्त किसान मोर्चे के 23 दिसंबर के उस पत्र के जवाब में आया है जिसमें कहा गया है कि यदि सरकार संशोधन संबंधी खारिज किए जा चुके बेकार के प्रस्तावों को दोहराने की जगह लिखित में कोई ठोस प्रस्ताव लाती है तो किसान संगठन वार्ता के लिए तैयार हैं।

सरकार ने अपने नए पत्र में संकल्प व्यक्त किया है कि वह किसान यूनियनों द्वारा उठाए गए मुद्दों का ‘‘तार्किक समाधान’’ खोजने के लिए तैयार है।

अग्रवाल ने कहा कि सरकार के लिए वार्ता के सभी दरवाजे खोलकर रखना महत्वपूर्ण है। किसान संगठनों की बात सुनना सरकार का दायित्व है तथा किसान और सरकार इससे इनकार नहीं कर सकते।

उन्होंने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चे के तहत आने वाले किसान संगठनों से सरकार खुले मन से कई दौर की वार्ता कर चुकी है।

अग्रवाल ने आग्रह किया कि किसान संगठन अपनी सुविधा के हिसाब से अगले दौर की वार्ता के लिए तारीख और समय बताएं।

नए कृषि कानूनों के खिलाफ हजारों किसान लगभग एक महीने से दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं। इनमें ज्यादातर किसान पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश से हैं।

अग्रवाल ने अपने पत्र में दोहराया है कि सरकार प्रदर्शनकारी किसान संगठनों द्वारा उठाए गए सभी मुद्दों का ‘‘तार्किक रूप से समाधान’’ करने के लिए उत्सुक है।

उन्होंने कहा कि सरकार ने 20 दिसंबर के अपने पत्र में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया था कि वह किसान यूनियनों द्वारा मौखिक और लिखित रूप से उठाए गए सभी मुद्दों पर चर्चा करने को तैयार है।

अग्रवाल ने यह स्पष्ट करने के लिए किसान यूनियनों का धन्यवाद भी व्यक्त किया कि क्रांतिकारी किसान यूनियन पंजाब के प्रदेश अध्यक्ष दर्शन पाल ने 20 दिसंबर के सरकार के पत्र के जवाब में प्रदर्शनकारी सभी किसान संगठनों की ओर से पत्र लिखा था।

उन्होंने किसान नेताओं के नाम अपने पत्र में लिखा है, ‘‘आपने रेखांकित किया है कि सरकार ने आवश्यक वस्तु संशोधन कानून के संबंध में प्रस्ताव नहीं भेजा है। पूर्व के पत्र में यह स्पष्ट कर दिया गया था कि लिखित प्रस्ताव उन मुद्दों पर दिया जाएगा जिनपर तीन दिसंबर को चर्चा की गई थी। फिर भी, सरकार ने 20 दिसंबर के अपने पत्र में कहा कि वह अन्य उन मुद्दों पर भी चर्चा करने के लिए तैयार है जिन्हें किसान यूनियन उठाना चाहेंगी।

विद्युत संशोधन विधेयक और पराली जलाने से संबंधित कानून के संबंध में सरकार ने कहा कि तीन दिसंबर की चर्चा के आधार पर दिए गए मसौदा प्रस्ताव के अतिरिक्त यदि किसानों का कोई अन्य मुद्दा है तो सरकार चर्चा करने के लिए तैयार है।

भारत ने ब्रिटेन से आने वाली उड़ानों पर 31 दिसंबर तक प्रतिबंध लगाया attacknews.in

नयी दिल्ली 21 दिसंबर । सरकार ने ब्रिटेन से आने वाली सभी उड़ानों पर 23 दिसंबर से 31 दिसंबर तक के लिए प्रतिबंध लगा दिया है।

ब्रिटेन में कोविड-19 के नये स्ट्रेन के सामने आने के बाद यहाँ एक उच्च स्तरीय बैठक में यह फैसला लिया गया।

नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने बताया कि 31 दिसंबर की रात 11 बजकर 59 मिनट तक ब्रिटेन से या ब्रिटेन होकर आने वाली सभी उड़ानों पर प्रतिबंध रहेगा। यह प्रतिबंध 22 दिसंबर की रात 12 बजकर 01 मिनट से प्रभावी होगा।

जो उड़ानें ब्रिटेन से उड़ान भर चुकी हैं या देश से रवाना हो चुके जिन भारतीय विमानों को ब्रिटेन से या वहाँ के रास्ते वापस आना है उनके लिए 22 दिसंबर की रात 11 बजकर 59 मिनट तक देश में उतरने की अनुमति होगी।
इन विमानों में आने वाले सभी यात्रियों और क्रू की अनिवार्य रूप से हवाई अड्डे पर ही आरटी-पीसीआर जाँच की जायेगी।

मंत्रालय ने ट्वीट कर बताया, “सावधानी बरतते हुये 22 दिसंबर की रात 11 बजकर 59 मिनट तक ब्रिटेन से या ब्रिटेन होकर भारत पहुँचने वाली उड़ानों के सभी यात्रियों का अनिवार्य रूप से आरटी-पीसीआर टेस्ट किया जायेगा।”

उल्लेखनीय है कि ब्रिटेन में कोविड-19 का नया स्ट्रेन सामने आया है जिसका संक्रमण तेजी से फैल रहा है। यह पुराने स्ट्रेन से कहीं ज्यादा घातक और संक्रामक बताया जा रहा है।

RSS के पहले प्रचार प्रमुख एम जी वैद्य का निधन, उन चंद लोगों में शामिल रहे जो संघ के शुरुआती दिनों से लेकर इसके विस्तार के साक्षी बने, नौ दशकों तक संघ के सक्रिय स्वयंसेवक रहे attacknews.in

नागपुर, 19 दिसंबर । राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के वरिष्ठ विचारक और संगठन के पहले प्रवक्ता माधव गोविंद वैद्य का शनिवार दोपहर को नागपुर में निधन हो गया। वह 97 वर्ष के थे। उनका अंतिम संस्कार रविवार को होगा। वैद्य के परिवार ने यह जानकारी दी।

उनके पोते विष्णु वैद्य ने बताया कि अपराह्न 3:35 बजे एक निजी अस्पताल में उनका निधन हुआ।

विष्णु वैद्य ने बताया, ‘‘वह कोरोना वायरस से संक्रमित हो गए थे लेकिन बाद में ठीक हो गए थे। उनका स्वास्थ्य शुक्रवार को अचानक बिगड़ गया।”

संगठन की स्थापना होने के करीब दो दशक बाद वैद्य आरएसएस के स्वयंसेवक बने और करीब आठ दशक तक इससे जुड़े रहे।

शहर के आरएसएस समर्थित मराठी दैनिक ‘तरुण भारत’ के पूर्व मुख्य संपादक वैद्य नागपुर में मोरिस कॉलेज में पढ़ाई के दौरान ही 1943 में संघ के सदस्य बने।

तरुण भारत के एक पूर्व संपादक ने कहा कि वैद्य आरएसएस के पहले ‘प्रचार प्रमुख’ (प्रवक्ता) नियुक्त किए गए थे।

उन्होंने बताया कि वैद्य संघ के अखिल भारतीय बौद्धिक प्रमुख भी रहे।

इस वर्ष जनवरी में वैद्य ने महाराष्ट्र को चार हिस्सों में विभाजित करने की मांग उठाकर विवाद खड़ा कर दिया था और इस मांग को लेकर वह विभिन्न वर्गों के निशाने पर आ गए थे।

वर्धा जिले की तरोडा तहसील में जन्मे वैद्य एमए में स्वर्ण पदक विजेता थे। उन्होंने 1949 से 1966 तक नागपुर के हिस्लोप कॉलेज में अध्यापन भी किया और इस दौरान वह आरएसएस से भी जुड़े रहे।

वैद्य 1966 में तरुण भारत के संपादकीय विभाग का हिस्सा बने। वह 1978 से 1984 तक महाराष्ट्र विधान परिषद के नामित सदस्य भी रहे।

वैद्य ने कई किताबें लिखीं और वह करीब 25 वर्षों तक तरुण भारत में भी स्तंभ लिखते रहे।

वैद्य उन चंद लोगों में शुमार रहे जो आरएसएस के शुरुआती दिनों से लेकर इसके विस्तार के साक्षी बने।

वैद्य के परिवार में उनकी पत्नी सुनंदा, तीन बेटियां और आरएसएस के सह सरकार्यवाह मनमोहन वैद्य समेत पांच बेटे हैं।

वैद्य ने संघ संस्थापक केशव बलिराम हेडगेवार समेत अब तक रहे संघ के सभी छह सरसंघ चालकों को देखा है।

मनमोहन वैद्य ने ट्वीट किया, ‘ मेरे पिता एमजी वैद्य ने सक्रिय, सार्थक और प्रेरक जीवन के 97 वर्ष पूर्ण करने के बाद आज नागपुर में अपराह्न 3:35 बजे अंतिम सांस ली। वह वरिष्ठ पत्रकार और एक हिंदुत्व भाष्यकार थे। वह नौ दशकों तक संघ के सक्रिय स्वयंसेवक रहे।’

अपने शोक संदेश में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने वैद्य को बहुआयामी प्रतिभा का धनी और उत्कृष्ट पत्रकार करार दिया।

उन्होंने कहा कि संघ ने एक वरिष्ठ सहयोगी को खो दिया।

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि उन्हें उम्मीद थी कि वैद्य अपने 100 वर्ष पूरे करेंगे लेकिन भाग्य को कुछ और ही मंजूर था।

गडकरी ने ट्वीट किया, ‘ आरएसएस की विचारधारा को आकार देने में उन्होंने अहम योगदान दिया।’

गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने भी ट्वीट करके वैद्य के निधन पर शोक जताया

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने शनिवार को कहा कि एम जी वैद्य के निधन से संगठन ने एक वरिष्ठ संरक्षक खो दिया है।

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत और महासचिव भैयाजी जोशी ने आरएसएस के ट्विटर हैंडल पर एक संयुक्त बयान में कहा, ‘‘माधव गोविंद उर्फ बाबूरावजी वैद्य के निधन से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के हम सभी स्वयंसेवकों ने हमारे वरिष्ठ संरक्षकों में से एक को खो दिया है।’’

दोनों ने वैद्य को एक ऐसा व्यक्ति बताया जिन्हें संस्कृत का काफी ज्ञान था, जो एक शानदार पत्रकार, एक शानदार लेखक थे।

बयान में कहा गया, ‘‘उनका निजी, पारिवारिक और सामाजिक जीवन संघ के संस्कार का प्रतिबिंब था।’’

बयान में यह भी उल्लेख किया गया कि आरएसएस के पहले राष्ट्रीय प्रवक्ता वैद्य ने संगठन को विश्व के सामने एक बहुत ही सरल भाषा में प्रस्तुत किया।

एम जी वैद्य के पुत्र एवं आरएसएस के संयुक्त महासचिव मनमोहन वैद्य ने उन्हें ‘‘हिंदुत्व का एक उन्नायक’’ बताया जिन्होंने एक सक्रिय, सार्थक और प्रेरक जीवन जीया।

उन्होंने कहा, “जब वह आठ साल के थे, तब आरएसएस के स्वयंसेवक बन गए थे…वह 95 वर्ष की आयु तक संघ की शाखा में भाग लेते थे।’’

नरेन्द्र मोदी ने “एसोचैम” को संबोधन में कहा कृषि सुधारों का किसानों को मिलने लगा है लाभ,कोविड वैक्सीन आपूर्ति के मामले में भारत अपनी जरूरत को तो पूरा करने के साथ ही, दुनिया की भी मदद करेगा attacknews.in

नयी दिल्ली, 19 दिसंबर। नये कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का विरोध प्रदर्शन 24वें दिन में पहुंच जाने के बीच प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को कहा कि छह माह पहले कृषि क्षेत्र में जो सुधार किये गये उनका लाभ किसानों को मिलना शुरू हो गया है।

उन्होंने उद्योग जगत से ग्रामीण भारत के उत्पादों को विश्व बाजार में पहुंचाने का आह्वान करते हुये कहा कि ‘‘यदि गांवों में पैदा होने वाले जैविक, जड़ी बूटी और कृषि उत्पादों को बेहतर समर्थन मिले तो हमारी ग्रामीण अर्थव्यवस्था बुलंदियों पर पहुंच सकती है।’’

उद्योग मंडल एसोचैम के स्थापना सप्ताह कार्यक्रम को वीडियो कन्फ्रेंसिग के जरिये संबोधित करते हुये प्रधानमंत्री ने उद्योग जगत से आने वाले 27 साल के दौरान राष्ट्र निर्माण और आत्म निर्भर भारत के लक्ष्य को साकार करने के लिये पूरी क्षमता के साथ जुटने को कहा। उन्होंने कहा कि ‘‘आने वाले 27 साल के बाद 2047 में भारत की आजादी के 100 साल पूरे हो जायेंगे। ऐसे में हमें आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को जितनी जल्दी हो सके हासिल करके दिखाना है। इसके लिये उद्योग जगत को भी पूरी क्षमता, प्रतिबद्धता और साहस के साथ आगे बढ़ना है।’’

मोदी ने विनिर्माण से लेकर कृषि और श्रम क्षेत्र में सरकार द्वारा किये गये सुधारों का जिक्र करते हुये कहा कि दुनिया में भारत को लेकर जितनी सकारात्मकता आज है इतनी पहले कभी नहीं थी। उनकी सरकार ने आर्थिक क्षेत्र में जितने भी सुधार किये हैं उसके बाद दुनिया के निवेशकों की धारणा बदली है। ‘‘यही वजह है कि पहले जहां भारत के बारे में कहा जाता था कि ‘‘व्हाई इंडिया (भारत में निवेश क्यों किया जाए)’’ वहीं अब कहा जाता है कि ‘‘व्हाई नॉट इंडिया (भारत में क्यों नहीं निवेश किया जाए)।’’

मोदी ने कहा कि भारत के बारे में पूरी दुनिया की सोच बदली है।

उन्होंने कहा, ‘‘कृषि क्षेत्र में छह माह पहले जो सुधार किये गये थे उनका लाभ किसानों को मिलने लगा है।’’ हालांकि, इस विषय में उन्होंने आगे कुछ नहीं कहा।

उल्लेखनीय है कि पंजाब, हरियाणा जैसे राज्यों से सैकड़ों किसान सरकार के तीन कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली की सीमाओं पर डटे हैं। वह इन कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं। उनका मानना है कि ये कानून किसानों को उद्योगपतियों का मोहताज बना देंगे। सरकार उनसे न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीदारी करना बंद कर देगी। इसके विपरीत सरकार का कहना है कि इन कानूनों से किसानों को अपने उत्पाद कहीं भी बेचने की आजादी दी गई है। खेती के काम में निजी निवेश बढ़ेगा और किसानों की आय बढ़ेगी।

मोदी ने उद्योग जगत का हर मोर्चे पर साथ मिलकर काम करने के लिये आह्वान करते हुये कहा, ‘‘आप जितनी पारदर्शिता, सहायता और बेहतरी अपने लिये सरकार से चाहते हैं उतनी ही आपको अपने संस्थानों में अपने स्तर पर महिलाओं, युवाओं और छोटे उद्योगों को मदद करनी चाहिये।’’

उन्होंने उद्योगों से कहा कि शोध एवं विकास (आर एण्ड डी) में भी निवेश बढ़ाने की आवश्यकता है। अमेरिका में आर एण्ड डी में 70 प्रतिशत तक निवेश निजी क्षेत्र द्वारा किया जाता है जबकि हमारे यहां इस क्षेत्र में बड़ा निवेश सार्वजनिक क्षेत्र द्वारा किया जाता है। उन्होंने निजी क्षेत्र से रक्षा, कृषि, निर्माण और अंतरिक्ष सहित तमाम क्षेत्रों में शोध एवं विकास कार्यों में निवेश बढ़ाने का आह्वान किया।

उन्होंने कहा कि सरकार नीतियां बना सकती है प्रोत्साहन के उपाय कर सकती है लेकिन इस सबको सफलता में बदलने का काम देश के उद्योग जगत को करना है।

उन्होंने एसोचैम से कहा कि आने वाले 27 साल आपके लिये काफी महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने कहा, ‘‘एसोचैम की स्थापना के बाद 27 साल गुलामी के समय बीते हैं, लेकिन अगले 27 साल आपके लिये बहुत महत्वपूर्ण हैं। इसके बाद 2047 में देश की आजादी के 100 साल पूरे होने वाले है। इस दौरान आपके पैरों में बेड़ियां नहीं होंगी बल्कि आसमान छूने की पूरी आजादी होगी। आपको आत्मनिर्भर भारत का लक्ष्य हासिल करने के लिये पूरी ताकत लगानी है। नई प्रौद्योगिकी हासिल करनी है, इसमें चुनौतियां भी होंगी लेकिन नई सफलता भी मिलेगी।’’

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत ने कोराना वायरस महामारी के दौर में फार्म (कृषि) से लेकर फार्मा (दावा उद्योग) तक में मजबूती से काम किया और दुनिया को भी मदद पहुंचाई। उन्होंने कहा कि कोविड वैक्सीन आपूर्ति के मामले में भी भारत अपनी जरूरत को तो पूरा करेगा ही, दुनिया की भी मदद करेगा।

मोदी ने उद्योग जगत को दुनिया में भू-राजनीतिक घटनाक्रमों के प्रति हमेशा सतर्क रहने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि ऐसी घटनाओं में तत्काल कदम उठाने की जरूरत होती है। इसके लिए विदेश मंत्रालय, वाणिज्य एवं एद्योग मंत्रालय और अन्य संबंधित विभागों के साथ मिल कर एक कारगर तंत्र बनाया जा सकता है। उद्योग इस बारे में सरकार को जरूरी सुझाव दे सकता है।

इस कार्यक्रम का आयोजन एसोचैम की स्थापना के 100 साल पूरे होने के मौके पर किया गया था। इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने टाटा समूह को एसोचैम एंटरप्राइज आफ दी सेंटेनरी अवार्ड से सम्मानित किया। टाटा सूमूह के मानद चेयरमैन रतन टाटा ने वीडियो लिंक के जरिए यह सम्मान ग्रहण किया।

एसोचैम के अध्यक्ष निरंजन हीरानंदानी ने कोरोना काल के दौरान भारत द्वारा की गई पहल को सराहा और इसके लिये प्रधानमंत्री का धन्यवाद किया।

कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने किसानों की समस्याओं का जल्द ही सकारात्मक समाधान निकलने की बात कही,किसान संगठनों से उनकी मांगों को लेकर चर्चा जारी attacknews.in

नयी दिल्ली, 18 दिसंबर । कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा है कि किसान संगठनों से उनकी मांगों को लेकर चर्चा जारी है और जल्द ही मामले का सकारात्मक समाधान निकलेगा।

कृषि मंत्री के समक्ष मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, उत्तरप्रदेश, गुजरात, हरियाणा के कृषक उत्पादक संगठन ( एफपीओ ) के प्रतिनिधियों ने गुरुवार को अपने अनुभव रखे।

उन्होंने बताया कि नए कृषि सुधार कानून आने के बाद किसानों को उपज बेचने के लिए मुक्त बाजार मिलने से मुनाफा तो बढ़ा ही है, तीन दिन के भीतर भुगतान मिलने से भी राहत मिली है।

प्रगतिशील किसानों ने कहा कि नयी व्यवस्था में मल्टीलेयर टैक्स सिस्टम खत्म हो जाने से उन्हें आर्थिक रूप से बड़ा लाभ हो रहा है ।

कृषि मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने तथा उनके जीवन स्तर मे सुधार लाने के लिए दृढ संकल्पित हैं। वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री ने कार्यभार संभालते ही इस दिशा में कार्य शुरू कर दिया था। विगत साढ़े छह साल में कई महत्वपूर्ण कार्य किए गए हैं, पिछले दिनों लाए गए कृषि सुधार कानून भी इसी कड़ी में एक महत्वपूर्ण कदम है।

श्री तोमर ने बताया कि देश में 80 फीसदी छोटे किसान हैं, जो महंगी फसलों की खेती नहीं कर पाते है। उनकी उपज की मात्रा कम होने से उन्हें उसके बेहतर दाम भी नहीं मिल पाते, इसीलिए एफपीओ के माध्यम से छोटे कृषकों को तीन सौ के समूह में जोड़कर उन्हें लाभ पहुंचाने का काम किया जा रहा है। प्रधानमंत्री ने 10 हजार नए एफपीओ बनाने का ऐलान किया है। सरकार इन एफपीओ पर 6,850 करोड़ रूपए खर्च करने जा रही है।

पूरे देश में नए कृषि सुधारों का समर्थन हो रहा है।
देशभर से किसान फोन पर संपर्क कर रहे हैं और दिल्ली आकर समर्थन दे रहे हैं लेकिन दूसरी ओर किसानों को भ्रम में डालकर राजनीति करने का भी काम किया जा रहा है। किसान संगठनों से उनकी मांगों को लेकर चर्चा जारी है और जल्द ही मामले का सकारात्मक समाधान निकलेगा।

अयोध्या में राम मंदिर के लिये देशभर में घर घर जाकर जनसहयोग का अभियान मकर संक्रांति से शुरू होकर माघ पूर्णिमा तक चलेगा attacknews.in

लखनऊ 18 दिसम्बर । अयोध्या में मर्यादा पुरूषोत्तम की जन्मस्थली पर भव्य राम मंदिर के निर्माण के लिये मकर संक्रांति से देश भर में घर घर जाकर सहयोग मांगने का काज शुरू किया जायेगा।

श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महामंत्री चंपत राय ने शुक्रवार को यहां पत्रकारों को बताया कि समाज के सहयोग से श्रीराम जन्मभूमि मंदिर का निर्माण साकार होगा। धर्म,मर्यादा,चरित्र और संस्कार के स्वरूप में श्रीराम के मंदिर से जुड़ने का अभियान मकर संक्रांति से प्रारम्भ होगा जो माघ पूर्णिमा तक चलेगा। घर घर जाकर सहयोग मांगने के इस कार्य के पीछे निहितार्थ है कि प्रभु श्री राम के काज से हर एक व्यक्ति को जुड़ने का सौभाग्य प्राप्त हो।

नरेन्द्र मोदी ने मध्यप्रदेश के किसान महासम्मेलन में एक बार फिर किसानों से आह्वान किया कि, वे भ्रम फैलाने वालों से सतर्क रहें,यदि किसानों को कोई आशंका है तो सरकार बातचीत के लिए तैयार attacknews.in

रायसेन, 18 दिसंबर । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के आसपास पिछले कुछ समय से जारी किसान आंदोलन के बीच आज देश के किसानों से आह्वान किया कि वे भ्रम फैलाने वालों से सतर्क रहें और यदि उन्हें किसी प्रकार की आशंका है, तो सरकार उनसे उस मुद्दे पर बातचीत के लिए सदैव तैयार है।

श्री मोदी ने वीडियाे कांफ्रेंसिंग के जरिए मध्यप्रदेश के लाखों किसानों से किसान महासम्मेलन के जरिए संवाद किया। किसान महासम्मेलन राज्य के रायसेन जिला मुख्यालय पर आयोजित किया गया। महासम्मेलन में श्री मोदी के अलावा मुख्यमंत्री का भाषण भी वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए पूरे प्रदेश में सुनाया गया।

श्री मोदी ने लगभग 50 मिनट के भाषण में नए कानूनों के प्रावधानों के बारे में तथ्यों के साथ विस्तार से बताया और कहा कि तीनों कानून लगभग छह सात माह पहले लागू हो गए हैं और ये पूरी तरह किसानों तथा कृषि क्षेत्र में बेहतरी को लेकर हैं। लेकिन इनको लेकर राजनैतिक दल असत्य बोलकर भ्रम फैलाने की राजनीति कर रहे हैं।

श्री मोदी ने कहा कि देश के लगभग सभी किसानों ने केंद्र सरकार के नए कृषि सुधारों को अपनाया है। ये किसान भ्रम फैलाने वालों को नकार रहे हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि इसके बावजूद वे फिर से किसानों से अनुरोध कर रहे हैं कि यदि उन्हें किसी भी मुद्दे पर भ्रम है तो सरकार उनसे चर्चा के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि किसानों की चिंता का निराकरण करना सरकार की प्राथमिकता है। किसानों के हित भी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है।

श्री मोदी ने कहा कि दरअसल नए कृषि कानून लागू होने के बाद न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) नहीं मिलने, मंडियों के बंद होने और किसानों की जमीन के मालिकाना हक को लेकर भ्रम फैलाने के प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि ऐसा न कभी हुआ है और न ही होगा। इसलिए किसान भ्रम फैलाने वालों को पहचानें और उनसे सतर्क रहें। उन्होंने दोहराया कि इसके बावजूद कोई आशंका है तो सरकार हाथ जोड़कर किसानों से चर्चा के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि जो लोग वर्तमान में भ्रम फैलाकर अपनी राजनैतिक जमीन तैयार कर रहे हैं, उन्होंने किसानों के साथ हमेशा धोखा दिया है और अपने हितों काे साधा है।

श्री मोदी ने कहा कि आज उन्होंने किसान महासम्मेलन के माध्यम से देश के समक्ष सच्चायी रखी है और वे आगामी 25 दिसंबर को एक बार फिर पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती पर देश के किसानों के सामने अपनी बात रखेंगे। उस दिन किसान सम्मान निधि की धनराशि किसानों के खातों में भी पहुंचायी जाएगी।

उन्होंने अपने भाषण के अंत में किसान महासम्मेलन आयोजित करने के लिए मध्यप्रदेश सरकार के प्रति आभार व्यक्त किया।

किसानों को भ्रमित करने वालों ने स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट दबाए रखी थी – मोदी

प्रधानमंत्री मोदी ने आज किसी का नाम लिए बगैर कहा कि आंदोलन के नाम पर विपक्षी दल किसानों को भ्रमित और बरगलाने का कार्य कर अपनी ‘राजनैतिक जमीन’ तैयार करने का कार्य कर रहे हैं और किसानों को ऐसे लोगों से सतर्क व सावधान रहना चाहिए।

श्री मोदी ने अपने लगभग 50 मिनट के भाषण में साफ तौर पर कहा कि तीनों नए कृषि कानूनों को लागू हुए छह सात माह हो गए हैं। इस दौरान न तो मंडियां बंद हुयीं। न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर उपज की खरीदी भी बंद नहीं हुयी और न ही किसानों की जमीन को लेकर कोई संकट पैदा हुआ। उन्होंने कहा कि ये कार्य भविष्य में भी बंद नहीं होंगे, लेकिन विपक्षी दल इन मुद्दों को लेकर भ्रम फैला रहे हैं।

श्री मोदी ने कहा कि आज वे ऐसे लोगों का कच्चा चिट्ठा खोलना चाहते हैं। ऐसे लोग कृषि क्षेत्र में सुधार संबंधी स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट को लगभग आठ वर्षों तक दबाए बैठे रहे। हमारी सरकार ने स्वामीनाथन आयाेग की रिपोर्ट को निकाला और कृषि क्षेत्र में सुधार संबंधी प्रावधानों को लागू किया। इसी क्रम में कृषि क्षेत्र से जुड़े तीन नए कानून देश में लागू किए गए हैं। उन्होंने कहा कि वास्तव में ये कानून देश में आज से 25-30 वर्ष पहले लागू हो जाने चाहिए थे।

श्री मोदी ने कहा कि जाे सुधार उनकी सरकार ने लागू किए हैं, वे सब विपक्षी दल अपने घोषणापत्रों और भाषणों में दर्ज कराते आ रहे थे, लेकिन कदम किसी ने नहीं उठाए, क्योंकि उनकी नीयत ठीक नहीं थी। लेकिन हमारी सरकार ने इन सुधारों को लागू कर दिया। उन्होंने कहा कि दरअसल विपक्षी दलों को नए सुधारों से तकलीफ नहीं है। उन्हें इस बात की तकलीफ है कि यह कार्य ‘मोदी’ ने क्यों कर दिया।

प्रधानमंत्री ने किसानों की बेहतरी को सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता निरुपित करते हुए कहा कि हमने देश के किसानों की उन मांगों को भी पूरा किया है, जिन पर वर्षों से सिर्फ और सिर्फ मंथन चल रहा था। हमारे यहां के विकासवादी सोच वाले किसान भी कृषि सुधारों की मांग करते आए हैं। श्री मोदी ने दावा करते हुए कहा कि सभी दलों के घोषणापत्र और और चिट्ठियां देखी जाएं, तो जो आज कृषि सुधार लागू हुए हैं, वे उनसे अलग नहीं है।

श्री मोदी ने कहा कि वे किसानों को समृद्ध, खुशहाल और आधुनिक देखना चाहते हैं। लेकिन विपक्षी दल अब अचानक भ्रम के जरिए अपनी राजनीतिक जमीन तैयार करने में जुटे हैं। वे किसानों के कंधों पर बंदूक रख रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार और हमारे मंत्री बार बार पूछ रहे है कि किस प्रावधान से दिक्कत है, तो इनके पास कोई जवाब नहीं होता है।

‘किसानों की जमीन चली जाएगी’ का डर दिखाकर ये लोग अपनी राजनैतिक जमीन खोज रहे हैं। किसानों को यह भी जरुर ध्यान देना चाहिए कि ऐसे लोगों ने उस समय क्या किया जब वे सरकार में थे।

प्रधानमंत्री ने कहा कि ये लोग वही हैं, जिन्होंने किसानों की कर्जमाफी के नाम पर किसानों और देश प्रदेश को गुमराह किया। इन लोगों ने मध्यप्रदेश में चुनाव के पहले कहा था कि दस दिन के भीतर किसानों का कर्जमाफ कर दिया जाएगा। सत्ता में आने पर तरह तरह के बहाने बनाए गए। राजस्थान के किसान भी कर्जमाफी का इंतजार करते हैं। इतना बड़ा धोखा करने वालों को किसानों के हितों की बात करते देखते हैं, तो आश्चर्य होता है।

उन्होंने कहा कि किसान कर्जमाफी को लेकर इनकी ओर से जितना दावा किया जाता है, उतना पैसा किसानों तक पहुंचता नहीं है और किसान कर्जमाफ के चक्कर में बैंक नोटिस और गिरफ्तारी वारंट का सामना करने के लिए मजबूर हो जाते हैं। किसान कर्जमाफी का लाभ सिर्फ ऐसे लोगों के करीबियों और नाते रिश्तेदारों को मिलता था। कुछ बड़े किसानों का कर्ज माफ कर दिया गया और राजनैतिक रोटियां सेंक ली गयीं। फिर गरीब किसान को कौन पूछता है। देश अब ऐसे लोगों को जान गया है।

श्री मोदी ने केंद्र सरकार की किसानों के प्रति नीयत को गंगा और नर्मदा की तरह पवित्र निरुपित करते हुए अनेक आकड़े भी पेश किए। उन्होंने कहा कि ये लोग 50 हजार करोड़ रुपए दस साल में एक बार देते हैं और हम लोग किसानों को प्रति वर्ष 75 हजार करोड़ रुपए पहुंचा रहे हैं। इन लोगाें के जमाने में किसानों को यूरिया खाद के लिए जूझना पड़ता था। हमारी सरकार ने इसका भी समाधान निकाला और अब देश में यूरिया की किल्लत नहीं है। यूरिया के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने के लिए देश में अनेक स्थानों पर फर्टिलाइजर कारखाने स्थापित किए जा रहे हैं। यूरिया की कालाबाजारी रोकी गयी।

प्रधानमंत्री ने कहा कि इनके कार्यकाल में देश में 100 से अधिक बड़े सिंचाई प्रोजेक्ट वर्षों तक पूरे नहीं हुए। इस वजह से समय और पैसे की जमकर बर्बादी हुयी। हमारी सरकार ने इन योजनाओं को मिशन के रूप में पूरा किया, जिससे सिंचाई सुविधाएं बढ़ीं। अब मछली उत्पादन पर भी जोर दिया जा रहा है। किसानों से जुड़ी अन्य योजनाओं पर कार्य जारी है।

श्री मोदी ने दोहराते हुए कहा कि यदि सरकार को एमएसपी हटानी होती, तो वह स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू क्यों करती। कोरोना संकटकाल में भी देश में नए कानून लागू होने के बाद एमएसपी से उपज की खरीद मंडियों में ही हुयी।एमएसपी और मंडियां भविष्य में भी बंद नहीं होंगी।

उन्होंने कहा कि गेंहू की एमएसपी उनके समय में 1400 रुपए प्रति क्विंटल थी, जो हमारे समय में 1975 हो गयी है। धान की एमएसपी 1310 से 1870 हुयी है। इसी तरह उन्होंने अन्य उपजों की एमएसपी के आंकड़े बताते हुए कहा कि ये सबूत है कि हमारी सरकार समय समय पर एमएसपी बढ़ाने को तवज्जो देती है। उन्होंने आंकड़े बताते हुए कहा कि इसी तरह एमएसपी पर पहले की तुलना में अनाज भी ज्यादा खरीदा गया है।

उन्होंने कहा कि इसी तरह ‘फार्मिंग एग्रीमेंट’ को लेकर भी भ्रम फैलाया जा रहा है। देश में वर्षों से फार्मिंग एग्रीमेंट की व्यवस्था चल रही है। कई राज्यों में यह चल रहा है। मौजूदा सरकार ने फार्मिंग एग्रीमेंट में भी किसानों के हितों का ध्यान रखा है। उन्होंने राज्य सरकार को सुझाव भी दिया कि वे इन कानूनों से जुड़े प्रावधान सरल भाषा में तैयार कराएं और किसानों के बीच पहुंचाएं।

नरेंद्र मोदी देश के सबसे बड़े किसान हितैषी – शिवराज

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कृषि और किसानों से संबंधित तीनों नए केंद्रीय कानूनों को पूरी तरह किसानों के हित में बताते हुए आज कहा कि देश में वर्तमान में सबसे बड़े किसान हितैषी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही हैं।

श्री चौहान ने रायसेना जिला मुख्यालय पर किसान महासम्मेलन को संबोधित किया। ये भाषण वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से पूरे प्रदेश में जगह जगह दिखाया गया और इसे कुछ देर बाद श्री मोदी ने भी वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से संबोधित किया।

श्री चौहान ने कहा कि श्री मोदी किसानों की आय को दोगुना करने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। उन्होंने महत्वाकांक्षी फसल बीमा योजना लागू की। श्री मोदी ने ही किसान कल्याण निधि के तहत देश के प्रत्येक किसान को छह हजार रुपए प्रति वर्ष देने संबंधी योजना लागू की। अन्य कदम भी किसानों के हित में लगातार उठा रहे हैं।

श्री चौहान ने दूसरी ओर इन कानूनों का विरोध कर रहे लोगों को भी जमकर आड़े हाथों लिया और कहा कि वास्तव में कांग्रेस और देश तोड़ने वाले लोग किसानों को गुमराह कर रहे हैं। वे किसानों को भड़काने की कोशिश कर रहे हैं। आंदोलन में ऐसे लोग प्रवेश कर गए हैं, जिनका कृषि से काेई संबंध नहीं है। उन्होंने तीनों कानूनाें को लागू करने की आवश्यकता जताते हुए कहा कि राज्य के पूरे किसान श्री मोदी के साथ हैं।

नरेन्द्र मोदी ने कहा:दिल्ली के आसपास किसानों को भ्रमित करने की बड़ी साज़िश,उन्हें डराया जा रहा है कि, किसानों की जमीन पर कब्जा कर लिया जाएगा, सरकार शंका समाधान के लिए 24 घंटे तैयार attacknews.in

कच्छ (गुजरात), 15 दिसंबर । तीन कृषि कानूनों के खिलाफ राजधानी दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर जारी किसानों के आंदोलन के बीच प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को कहा कि किसानों का कल्याण उनकी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में रहा है और उनकी शंकाओं के समस्याओं के समाधान के लिए चौबीसों घंटे तैयार है।

यहां कई विकास परियोजनाओं का शिलान्यास करने के बाद प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन के दौरान विपक्षी दलों पर भी निशाना साधा और उन पर किसानों को भ्रमित करने की साजिश रचने का आरोप लगाया।

मोदी ने कहा, ‘‘आज कल दिल्ली के आसपास किसानों को भ्रमित करने की बड़ी साजिश चल रही है। उन्हें डराया जा रहा है कि कृषि सुधारों के बाद किसानों की जमीन पर कब्जा कर लिया जाएगा।’’

उन्होंने कहा कि हाल में हुए कृषि सुधारों की मांग वर्षो से की जा रही थी और अनेक किसान संगठन भी यह मांग करते थे कि किसानों को अनाज को कहीं पर भी बेचने का विकल्प दिया जाए।

उन्होंने कहा, ‘‘आज जो लोग विपक्ष में बैठकर किसानों को भ्रमित कर रहे हैं, वह भी अपनी सरकार के समय इन कृषि सुधारों के समर्थन में थे। लेकिन अपनी सरकार के रहते वे निर्णय नहीं ले पाए। किसानों को झूठे दिलासे देते रहे।’’

मोदी ने कहा कि आज देश ने जब यह ‘‘ऐतिहासिक कदम’’ उठा लिया तो विपक्षी किसानों को भ्रमित करने में जुट गए हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘मैं अपने किसान भाइयों बहनों को बार-बार दोहराता हूं। उनकी हर शंका के समाधान के लिए सरकार 24 घंटे तैयार है। किसानों का हित पहले दिन से हमारी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक रहा है। खेती में किसानों का खर्च कम हो, उनकी आय बढ़े और मुश्किलें कम हों, इसके लिए हमने निरंतर काम किया है।’’

उन्होंने हाल के दिनों में आए चुनाव नतीजों की ओर इशारा करते हुए कहा कि सरकार की ‘‘ईमानदार नीयत’’ और ईमानदार प्रयास को करीब-करीब पूरे देश ने आशीर्वाद दिए हैं।

उन्होंने उम्मीद जताई और कहा, ‘‘किसानों के आशीर्वाद की ताकत से… जो भ्रम फैलाने वाले लोग हैं, जो राजनीति करने पर तुले हुए लोग हैं, जो किसानों के कंधे पर बंदूक फोड़ रहे हैं… देश के सारे जागरूक किसान उनको भी परास्त करके रहेंगे।’’

प्रधानमंत्री मोदी ने आज दावा किया कि उनकी सरकार को देश भर के किसानों का आशीर्वाद प्राप्त है और इसकी ताक़त किसानों की आड़ में राजनीति करने वालों तथा उनके कंधों पर रख कर बंदूक़ चलाने वालों को परास्त कर देगी।

श्री मोदी ने कहा कि आजकल दिल्ली के आसपास किसानों को भ्रमित करने की बड़ी साज़िश चल रही है। उनको ऐसा डराया जा रहा है कि उनकी जमीनों पर क़ब्ज़ा कर लिया जाएगा।

कृषि सुधारों की मांग वर्षों से किसान संगठनो की ओर से उठती रहती थी ताकि किसानों को उनकी उपज मनचाही जगह पर बेचने की छूट हो। अब के विपक्षी दल जब सत्ता में थे तो उनकी सरकारें ऐसा नहीं कर सकीं पर जब आज की सरकार ने ऐतिहासिक कृषि क़ानून बना दिए तो वे किसानो को भ्रमित कर रहे हैं।

श्री मोदी ने सवालिया लहजे में कहा कि दुग्ध उत्पादकों को जैसे उनके दूध को बेचने की आज़ादी है वैसी अनाज और डाल आदि पैदा करने वाले किसानो को क्यों नहीं होनी चाहिए। क्या दुग्ध उत्पादकों से दूध ख़रीदने वाली डेयरी उनके पशु छीन लेती है।

प्रधानमंत्री ने दावा किया कि उनकी सरकार किसानो की हर शंका के समाधान के लिए 24 घंटे तैयार है। उन्होंने कहा, ‘मैं किसान भाई बहनो से फिर एक बार कह रहा हूं कि उनकी सरकार का पहली प्राथमिकता पहले दिन से ही यह रही है कि किसानों की आय बढ़े, खेती पर उनकी लागत कम हो और उनकी मुश्किलें दूर हों। उनकी सरकार ने इस दिशा में निरंतर काम किया है।

श्री मोदी ने कहा, ‘ हमारी सरकार को देश भर के किसानों ने आशीर्वाद दिया है और यह ताक़त राजनीति करने वालों और किसानो के कंधे पर बंदूक़ फोड़ने वालों को परास्त कर कर देगी।