109 साल की रामदुलैया, कोरोना वैक्सीन लगवाने वाली देश की सबसे बुर्जुग महिला ने एक नया कीर्तिमान अपने नाम किया:वैक्सीन लगवाने वाली देश की सबसे बुर्जुग महिला बनी attacknews.in

जालौन 18 मार्च। उत्तर प्रदेश में जनपद जालौन के वीरपुरा गांव की 109 साल की एक महिला ने गुरूवार को कोरोना वैक्सीन का टीका लगवाकर एक नया कीर्तिमान अपने नाम किया। वैक्सीन लगवाने वाली वह देश की सबसे बुर्जुग महिला बन गयी हैं।

अपर जिलाधिकारी जालौन प्रमिल कुमार ने बताया कि जालौन ब्लॉक के वीरपुरा गांव की रामदुलैया आज सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर कोरोना वैक्सीन का टीका लगवाने के बाद टीकाकरण कराने वाली देश की सबसे उम्रदराज महिला बन गयी है।

अभिलेखों के अनुसार उनकी उम्र 109 साल है हालांकि रामदुलैया के पुत्र मुलायम सिंह ने बताया कि उनकी मां की उम्र 115 साल है। उम्र चाहें 109 हो या 115 लेकिन बहुत से लोगों में जहां एक ओर वैक्सीन को लेकर एक डर है वहीं रामदुलैया ने इस उम्र में वैक्सीन लेकर न केवल रिकॉर्ड बनाया बल्कि अन्य लोगों को भी वैक्सीन लगवाने की प्रेरणास्रोत बनी।

सेना भर्ती घोटाले में सामने आया धनराशि इकठ्ठा करने वाली युवती का रिकॉर्ड: CBI के कुशीनगर पहुंचते ही अपने घर से हो गई लापता,परिवार से लगी कुछ जानकारी attacknews.in

कुशीनगर 17 मार्च । उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में सीबीआई की टीम जिस लड़की की तलाश में आई थी,उसके पीछे कारण रुपये का लेनदेन बताया जा रहा है।

विश्वस्त सूत्रों ने बुधवार को बताया कि दिल्ली में हुए सेना भर्ती घोटाले में शामिल आर्मी अफसर कुलदीप सिंह ने लड़की के खाते में नगद रुपए भेजे हैं। इसके साक्ष्य मिलने के बाद टीम अब लड़की की तलाश कर रही है जिससे कि उससे पूछताछ की जा सके। सोमवार की रात उसकी काफी तलाश की गयी मगर पता नहीं चल सका।

हरियाणा निवासी व गोरखपुर में तैनात आर्मी अफसर कुलदीप सिंह बीते दिनों दिल्ली में हुए सेना भर्ती घोटाले में नामजद है।घोटाले की जांच सीबीआई कर रही है।

कुलदीप के बैंक खातों की छानबीन के दौरान नगर के जगदीशपुरम कालोनी निवासी युवती के खाते में रुपये ट्रांसफर किए जाने की पुष्टि हुई है।जिसके बाद लखनऊ सीबीआई की पांच सदस्यीय टीम सीबीआई कोर्ट से सर्च वारंट प्राप्त कर युवती की तलाश में सोमवार की रात पडरौना आई थी।जांच के दौरान घर में युवती की मां व उसका भाई ही मौजूद मिले।

घर में टीम के हाथ एक आइफोन की रसीद लगी, जो कुलदीप सिंह के नाम थी।रसीद पर आइफोन की कीमत 56 हजार रुपये अंकित है।

पुलिस सूत्रों के अनुसार युवती के पिता भी सेना में थे और अब रिटायर हो चुके हैं।

भर्ती घोटाला सामने आने के बाद कुलदीप द्वारा युवती के खाते में 40 हजार रुपये भेजे जाने की बात सामने आई है।इसी आधार पर सीबीआई युवती की तलाश में उसके घर आई थी।

सूत्रों के अनुसार युवती की मां ने घोटाले में नामजद आर्मी अफसर कुलदीप सिंह व युवती के पिता से सिर्फ विभागीय संबंध होने तथा जरूरत पड़ने पर एक बार कुलदीप से आर्थिक मदद मांगने की बात बतायी।

उसने बताया कि रुपये भेजने के लिए युवती के पिता ने कुलदीप को बेटी का ही अकाउंट नंबर बता दिया था।

एसपी विनोद कुमार सिंह ने कहा कि सीबीआई टीम का यह ऑपरेशन बेहद गोपनीय था।

पुलिस की मदद मांगने पर उन्हें पुलिस बल उपलब्ध करा दिया गया।टीम सेना भर्ती घोटाले से जुड़ी जांच के लिए यहां आयी थी।

सचिन वाजे के षडयंत्रो का मास्टरमाइंड मुंबई पुलिस आयुक्त परम बीर सिंह को हटाया,होंगे नये पुलिस आयुक्त हेमंत नागराले attacknews.in

मुंबई 17 मार्च महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने बुधवार को बताया कि राज्य सरकार ने मुंबई पुलिस आयुक्त परम बीर सिंह के स्थान पर वर्तमान पुलिस महानिदेशक हेमंत नागराले को नियुक्त किया है।

वरिष्ठ राजपत्रित अधिकारी (आईपीएस) रजनीश शेठ को पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) की अतिरिक्त जिम्मेदारी सौंपी गयी है जबकि श्री परमबीर सिंह को होम गार्ड का प्रमुख बनाया जायेगा।

उद्योगपति मुकेश अंबानी के घर एंटीलिया के बाहर विस्फोटक से लदी कार मिलने की घटना के बाद महाराष्ट्र की सत्ताधारी पार्टी शिव सेना, कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के बीच पिछले दो सप्ताह से काफी रस्सा-कसी के बाद यह निर्णय लिया गया।

ठाणे के व्यवसायी मनसुख हिरेन की मौत और पुलिस अधिकारी सचिन वाजे की गिरफ्तारी तथा भारतीय जनता पार्टी के कड़े रूख के कारण ऐसी स्थिति बनी।

नरेन्द्र मोदी ने मुख्यमंत्रियों के साथ कोरोना प्रकोप को लेकर संवाद में कोरोना की दूसरी लहर को तुरंत रोकने को कहा : देश व्यापी ऑउटब्रेक की स्थिति बन सकती है हमें कोरोना की इस उभरती हुई “सेकंड पीक” को तुरंत रोकना ही होग attacknews.in

नयी दिल्ली 17 मार्च । देश के कुछ राज्यों में कोरोना महामारी के एक बार फिर नये सिरे से पैर पसारने को गंभीरता से लेते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज राज्य सरकारों से कहा कि संक्रमण की दूसरी लहर पर तेजी से निर्णायक कदम उठाकर तुरंत रोक लगाने की जरूरत है।

श्री मोदी ने बुधवार को राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों के साथ वीडियो कांफ्रेन्स के माध्यम से आयोजित संवाद के दौरान कहा , “ हमें कोरोना की इस उभरती हुई सेकंड पीक को तुरंत रोकना होगा। इसके लिए हमें त्वरित और निर्णायक कदम उठाने होंगे। ” बैठक में देश में कोरोना संक्रमण की ताजा स्थिति की समीक्षा की गयी।

कोरोना के खिलाफ अभियान में अब तक हासिल उपलब्धि को कायम रखने पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि अब लापरवाही की कोई गुंजाइश नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा , “ कोरोना की लड़ाई में हम आज जहां तक पहुंचे हैं, उससे आया आत्मविश्वास, लापरवाही में नहीं बदलना चाहिए। हमें जनता को पैनिक मोड में भी नहीं लाना है और परेशानी से मुक्ति भी दिलानी है। टेस्ट, ट्रैक और ट्रीट’ को लेकर भी हमें उतनी ही गंभीरता की जरूरत है जैसे कि हम पिछले एक साल से करते आ रहे हैं।”
कंटेनमेंट जोन में कोरोना वायरस के संक्रमण पर अंकुश लगाने के लिए कोरोना जांच को जरूरी तथा इसकी संख्या बढाने पर जोर देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, “ हर संक्रमित व्यक्ति के संपर्कों को कम से कम समय में ट्रैक करना और आरटीपीसीआर टेस्ट रेट 70 प्रतिशत से ऊपर रखना बहुत अहम है। हमें छोटे शहरों में टेस्टिंग को बढ़ाना होगा। हमें छोटे शहरों में रेफरल सिस्टम और एम्बुलेंस नेटवर्क के ऊपर विशेष ध्यान देना होगा। ”

उन्होंने कहा कि देश में टीकाकरण की गति लगातार बढ़ रही है। एक दिन में 30 लाख लोगों को टीका लगाने का आंकडा पार किया जा चुका है। साथ ही उन्होंने कहा , “ हमें वैक्सीन डोज के बर्बाद होने की समस्या को बहुत गंभीरता से लेना है। ”

गृह मंत्री अमित शाह ने उन जिलों का उल्लेख किया जहां वायरस के संक्रमण पर अंकुश लगाने के लिए विशेष ध्यान दिये जाने की जरूरत है। केन्द्रीय गृह सचिव ने भी कोरोना की ताजा स्थिति तथा टीकाकरण रणनीति के बारे में एक प्रस्तुति दी।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का संबोधन:

आप सभी का अनेक महत्वपूर्ण बिंदू उठाने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद।

कोरोना के खिलाफ, देश की लड़ाई को अब एक साल से ज्यादा हो रहा है। इस दौरान भारत के लोगों ने कोरोना का जिस तरह मुकाबला किया है, उसकी दुनिया में उदाहरण के रूप में चर्चा हो रही है, लोग उसको उदाहरण के रूप में प्रस्‍तुत करते हैं। आज भारत में 96 प्रतिशत से ज्यादा केसेस recover हो चुके हैं। Fatality rate में भी भारत दुनिया के उन देशों की लिस्ट में है, जहां ये रेट सबसे कम है।

देश और दुनिया में कोरोना की स्थिति को सामने रखते हुए जो presentation यहाँ दिया गया, उससे भी कई अहम पहलू हमारे सामने आए हैं। दुनिया के अधिकांश कोरोना प्रभावित देश ऐसे हैं, जिन्हें कोरोना की कई Waves का सामना करना पड़ा है। हमारे देश में भी कुछ राज्यों में Cases कम होने के बाद अचानक से वृद्धि होने लगी है। आप सभी इन पर ध्यान दे रहे हैं लेकिन फिर भी कुछ राज्‍यों का उल्‍लेख हुआ जैसे महाराष्‍ट्र है, पंजाब है; आप मुख्‍यमंत्रियों ने भी चिंता व्‍यक्‍त की है, सिर्फ मैं कह रहा हूं ऐसा नहीं है। और विशेष चिंता आप कर भी रहे हैं और करने की जरूरत भी है। हम ये भी देख रहे हैं कि महाराष्ट्र और एमपी में टेस्ट पॉजिटिविटी रेट बहुत ज्यादा है। और केसों की संख्‍या भी बढ़ रही है, बहुत आ रहे हैं।

इस बार कई ऐसे इलाकों, ऐसे जिलों में भी ये वृद्धि देखने को मिल रही है, जो अभी तक खुद को बचाए हुए थे। Safe Zone थे एक प्रकार से, अब वहां पर हमें कुछ चीजें नजर आ रही हैं। देश के सत्तर ज़िलों में तो पिछले कुछ हफ़्तों में यह वृद्धि 150 परसेंट से भी ज़्यादा है। अगर हम इस बढ़ती हुई महामारी को यहीं नहीं रोकेंगे तो देश व्यापी ऑउटब्रेक की स्थिति बन सकती है। हमें कोरोना की इस उभरती हुई “सेकंड पीक” को तुरंत रोकना ही होगा। और इसके लिए हमें Quick और Decisive कदम उठाने होंगे। कई जगह देखने को मिल रहा है कि मास्क को लेकर अब स्थानीय प्रशासन द्वारा भी उतनी गंभीरता नहीं दिखाई जा रही।

मेरा आग्रह है कि स्थानीय स्तर पर गवर्नेंस को लेकर जो भी दिक्कत हैं, उनकी पड़ताल, उनकी समीक्षा की जानी, और उन दिक्कतों को सुलझाया जाना ये मैं समझता हूं वर्तमान में बहुत आवश्यक है।

ये मंथन का विषय है कि आखिर कुछ क्षेत्रों में ही टेस्टिंग कम क्यों हो रही है? क्यों ऐसे ही क्षेत्रों में टीकाकरण भी कम हो रहा है? मैं समझता हूं कि ये Good Governance की परीक्षा का भी समय है। कोरोना की लड़ाई में हम आज जहां तक पहुंचे हैं, उसमें और उससे जो आत्मविश्वास आया है, ये आत्‍मविश्‍वास, हमारा confidence- over confidence भी नहीं होना चाहिए, हमारी ये सफलता लापरवाही में भी नहीं बदलनी चाहिए। हमें जनता को पैनिक मोड में भी नहीं लाना है। एक भय का साम्राज्‍य फैल जाए, ये भी स्थिति नहीं लानी है और कुछ सावधानियां बरत करके, कुछ initiative ले करके हमें जनता को परेशानी से मुक्ति भी दिलानी है।

अपने प्रयासों में हमें अपने पुराने अनुभवों को शामिल करके रणनीति बनानी होगी। हर राज्‍य के अपने-अपने प्रयोग हैं, अच्‍छे प्रयोग हैं, अच्‍छे initiative हैं, कई राज्‍य दूसरे राज्‍यों से नए-नए प्रयोग सीख भी रहे हैं। लेकिन अब एक साल में हमारी गवर्नमेंट मशीनरी इनको नीचे तक ऐसी परिस्थितियों में कैसे काम करना, करीब-करीब ट्रेनिंग हो चुकी है। अब हमें pro-active होना जरूरी है।

हमें जहां जरूरी हो…और ये मैं आग्रहपूर्वक कहता हूं…micro containment zone बनाने का विकल्प भी किसी भी हालत में ढिलास नहीं लानी चाहिए, इस पर बड़े आग्रह से काम करना चाहिए। ज़िलों में काम कर रही पैन्डेमिक रिस्पांस टीम्स को “कन्टेनमेंट और सर्विलांस SOPs” की re-orientation की आवश्यकता हो तो वो भी किया जाना चाहिए। फिर से एक बार चार घंटे, छह घंटे के लिए बैठ करके एक चर्चा हो, हर लेवल पर चर्चा हो। sensitise भी करेंगे, पुरानी चीजें याद करा देंगे और गति भी ला सकते हैं। और इसके साथ ही, ‘टेस्ट, ट्रैक और ट्रीट’ इसको लेकर भी हमें उतनी ही गंभीरता की जरूरत है जैसे कि हम पिछले एक साल से करते आ रहे हैं। हर संक्रमित व्यक्ति के contacts को कम से कम समय में ट्रैक करना और RT-PCR टेस्ट रेट 70 प्रतिशत से ऊपर रखना बहुत अहम है।

हम ये भी देख रहे हैं कि कई राज्यों में रेपिड एंटीजेन टेस्टिंग पर ही ज्यादा बल दिया जा रहा है। उसी भरोसे गाड़ी चल रही है। जैसे केरल है, ओडिशा है, छत्तीसगढ़ है और यूपी है। मुझे लगता है कि इसमें बहुत तेजी से बदलने की जरूरत है। इन सभी राज्‍यों में, मैं तो चाहता हूं देश के सभी राज्‍यों में हमें RT-PCR टेस्ट और बढ़ाने पर जोर देना होगा। एक बात जो बहुत ध्यान देने वाली है, वो ये कि इस बार हमारे टियर 2- टियर 3 शहर जो शुरू में प्रभावित नहीं हुए थे, उनके आस-पास के क्षेत्र प्रभावित ज़्यादा हो रहे हैं। देखिए इस लड़ाई में हम सफलतापूर्वक बच पाए हैं, उसका एक कारण था कि हम गांवों को इससे मुक्‍त रख पाए थे। लेकिन टियर 2-टियर 3 सिटी पहुंचा तो इसको गांव में जाने से देर नहीं लगेगी और गांवों को संभालना…हमारी व्‍यवस्‍थाएं बहुत कम पड़ जाएंगी। और इसलिए हमें छोटे शहरों में टेस्टिंग को बढ़ाना होगा।

हमें छोटे शहरों में “रेफरल सिस्टम” और “एम्बुलेंस नेटवर्क” के ऊपर विशेष ध्यान देना होगा। प्रेजेंटेशन में ये बात भी सामने रखी गई है कि अभी वायरस का spread dispersed manner में हो रहा है। इसकी बहुत बड़ी वजह ये भी है कि अब पूरा देश ट्रैवल के लिए खुल चुका है, विदेशों से आने वाले लोगों की संख्या भी बढ़ी है। इसलिए, आज हर एक केस के ट्रैवल की, उसके contacts के ट्रैवल की सूचना सभी राज्यों को आपस में भी साझा करना जरूरी हो गया है। आपस में जानकारी साझा करने के लिए किसी नए mechanism की जरूरत लगती है, तो उस पर भी विचार होना चाहिए। इसी तरह, विदेश से आने वाले यात्रियों और उनके contacts के surveillance के लिए SOP के पालन की ज़िम्मेदारी भी बढ़ गई है। अभी हमारे सामने कोरोना वायरस के mutants को भी पहचानने और उनके प्रभावों के आकलन का भी प्रश्न है। आपके राज्यों में आपको वायरस के variant का पता चलता रहे, इसके लिए भी जीनोम सैंपल भी टेस्टिंग के लिए भेजा जाना उतना ही अहम है।

साथियों,

वैक्सीन अभियान को लेकर कई साथियों ने अपनी बात रखी। निश्चित तौर पर इस लड़ाई में वैक्सीन अब एक साल के बाद हमारे हाथ में एक हथियार आया है, ये प्रभावी हथियार है। देश में वैक्सीनेशन की गति लगातार बढ़ रही है। हम एक दिन में 30 लाख लोगों को वैक्सीनेट करने के आंकड़े को भी एक बार तो पार कर चुके हैं। लेकिन इसके साथ ही हमें वैक्सीन doses waste होने की समस्या को बहुत गंभीरता से लेना चाहिए। तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में 10 प्रतिशत से ज्यादा वैक्सीन वेस्टेज है। यूपी में भी वैक्सीन वेस्टेज करीब-करीब वैसा ही है। वैक्सीन क्यों waste हो रही है इसकी भी राज्यों में समीक्षा होनी चाहिए और मैं मानता हूं हर रोज शाम को इसके मॉनिटरिंग की व्‍यवस्‍था रहनी चाहिए और हमारे सिस्‍टम को pro-active लोगों को contact करके एक साथ इतने लोग मौजूद रहें ताकि वैक्‍सीन wastage न जाए, इसकी व्‍यवस्‍था होनी चाहिए। क्‍योंकि एक प्रकार से जितना percentage wastage होता है, हम किसी के अधिकार को बर्बाद कर रहे हैं। हमें किसी के अधिकार को बर्बाद करने का हक नहीं है।

स्थानीय स्तर पर प्लानिंग और गवर्नेंस की जो भी कमियां हैं, उन्हें तुरंत सुधारा जाना चाहिए। वैक्सीन वेस्टेज जितनी रुकेगी, और मैं तो चाहूंगा राज्‍यों को तो जीरो वेस्‍टेज के टारगेट से काम शुरू करना चाहिए…हमारे यहां वेस्‍टेज नहीं होने देंगे। एक बार कोशिश करेंगे तो improvement जरूर होगा। उतने ही ज्यादा Health workers, frontline workers, और दूसरे eligible लोगों को वैक्सीन की दोनों डोज़ पहुंचाने के हमारे प्रयास सफल होंगे। मुझे विश्वास है कि हमारे इन सामूहिक प्रयासों और रणनीतियों का असर जल्द ही हमें दिखाई देगा और उसका परिणाम भी नजर आएगा।

अंत में मैं कुछ बिंदु फिर एक बार दोहराना चाहता हूँ, ताकि हम सभी इन विषयों पर ध्यान देते हुए आगे बढें। एक मंत्र जो हमें लगातार सबको कहना होगा- ‘’दवाई भी और कड़ाई भी।‘’ देखिए दवाई मतलब बीमारी चली गई है ऐसा नहीं। मान लीजिए किसी को जुकाम हुआ। उसने दवाई ले ली, तो इसका मतलब ये नहीं है कि उसको ठंडी जगह पर बिना सुरक्षा के ऊनी कपड़े पहने बिना वो चला जाए, बारिश में कहीं भीगने के लिए चला जाए। भई ठीक है, तुमने दवाई ली है लेकिन तुम्‍हें बाकी भी संभालना तो पड़ेगा ही पड़ेगा। ये हेल्थ का नियम है जी, ये कोई इस बीमारी के लिए नहीं है, ये हर बीमारी के लिए है जी। अगर हमें टायफायड हुआ है…दवाई हो गई सब हो गया फिर भी डॉक्‍टर कहते हैं कि इन-इन चीजों को नहीं खाना। ये वैसा ही है। और इसलिए मैं समझता हूं इतनी सामान्‍य बात लोगों को समझानी चाहिए। और इसलिए ‘’दवाई भी और कड़ाई भी,’’ इस विष्‍य में हम बार-बार लोगों को आग्रह करें।

दूसरा, जो विषय मैंने कहा- RT-PCR टेस्ट्स को स्केल अप करना बहुत आवश्यक है, ताकि नए cases की पहचान तुरंत हो सके। स्थानीय प्रशासन को माइक्रो कन्टेनमेंट zones बनाने की दिशा में हमें आग्रह करना चाहिए। वो वहीं पर काम तेजी से करें, हम बहुत तेजी से रोक पाएंगे ताकि संक्रमण का दायरा फ़ैलने से रोकने में वो मदद करेगा। वैक्सीन लगाने वाले केन्द्रों की संख्या बढ़ाने की आवश्यकता है, वो प्राइवेट हो, सरकारी हो, जैसा आपने मैप देखा होगा, वो आपके लिए भी राज्‍यवार भी बनाया। वो शुरू में जो ग्रीन डॉट वाला बताया था। और देखने से ही पता चलता है बहुत सारे इलाके हैं कि जहां light green लग रहा है, मतलब कि हमारे वैक्‍सीनेशन सेंटर उतने नहीं हैं या तो एक्टिव नहीं हैं। देखिए टेक्‍नोलॉजी हमारी बहुत मदद कर रही है। हम बहुत आसानी से day-to-day चीजों को organize कर सकते हैं। इसका हमें फायदा तो लेना है लेकिन उसके आधार पर हमें improvement करना है। हमारे जितने सेंटर्स pro-active होंगे, मिशन-मोड में काम करेंगे, वेस्‍टेज भी कम होगा, संख्‍या भी बढ़ेगी और एक विश्‍वास तुरंत बढ़ेगा। मैं चाहता हूं कि इसको बल दिया जाए।

साथ ही, एक बात हमें ध्‍यान रखनी होगी क्‍योंकि ये वैक्‍सीन का निरंतर प्रॉडक्‍शन हो रहा है और जितना जल्‍दी हम इससे बाहर निकलें हमें निकलना है। Otherwise ये एक साल, दो साल, तीन साल तक खिंचता चला जाएगा। एक मुद्दा है वैक्सीन की एक्सपायरी date. हमें ध्‍यान रखना चाहिए कि जो पहले आया है उसका पहले उपयोग हो; जो बाद में आया है उसका बाद में उपयोग हो। अगर जो बाद में आया हुआ हम पहले उपयोग कर लेंगे तो फिर एक्‍सपायरी डेट और वेस्‍टेज की स्थिति बन जाएगी। और इसलिए मुझे लगता है कि avoidable wastage से तो हमें बचना ही चाहिए। हमें पता होना चाहिए कि ये लॉट हमारे पास जो है इसकी एक्‍सपायरी डेट ये है, हम सबसे पहले इसका उपयोग कर लें। ये बहुत जरूरी है। और इन सभी बातों के साथ, इस संक्रमण के फैलाव को रोकने के लिए जो मूलभूत क़दम हैं, जैसा मैं कहता हूं ‘’दवाई भी और कड़ाई भी।‘’ मास्क पहनना है, दो गज की दूरी बनाए रखना है, साफ़-सफ़ाई का ध्यान रखना है, personal हाइजीन हो या सोशल हाइजीन, पूरी तरह उसको बल देना पड़ेगा। ऐसे कई कदम जो पिछले एक साल से हम करते आए हैं फिर से एक बार उनको बल देने की जरूरत है। फिर से एक बार आग्रह करने की जरूरत है, उसमें हमें कड़ाई करनी पड़े तो करनी चाहिए। जैसे हमारे कैप्‍टन साहब कह रहे थे कि हम कल से बड़ा कड़ाई करने का मूवमेंट चला रहे हैं, अच्‍छी बात है। मुझे लगता है कि हम सबको इस विषय में हिम्‍मत के साथ करना पड़ेगा।

मुझे विश्‍वास है कि इन विषयों पर लोगों की जागरूकता बनाए रखने में हमको सफलता मिलेगी। मैं फिर एक बार आपके सुझावों के लिए धन्‍यवाद करता हूं। और भी जो सुझाव हैं आप जरूर भेजिए। जो हॉस्पिटल के विषय में जो आज चर्चा निकली है, आप दो-चार घंटे में ही सारी जानकारी दे दीजिए ताकि मैं शाम को 7-8 बजे के आसपास मेरे डिपार्टमेंट के लोगों के साथ रिव्‍यू करके इसमें से अगर कोई bottleneck है तो उसको दूर करने के लिए कोई आवश्‍यक निर्णय करने होंगे तो हेल्‍थ मिनिस्‍ट्री तुरंत कर लेगी और मैं भी उस पर ध्‍यान दूंगा। लेकिन मैं कहता हूं कि हम अब तक जो लड़ाई जीतते आए हैं, हम सबका सहयोग है, एक-एक हमारे कोरोना वॉरियर का सहयोग है उसके कारण हुआ है, जनता-जनार्दन ने भी बहुत cooperate किया है जी। हमें जनता से जूझना नहीं पड़ा है। हम जो भी बात लेते गए जनता ने विश्‍वास किया है, जनता ने साथ दिया है और भारत विजयी हो रहा है 130 करोड़ देशवासियों की जागरूकता के कारण, 130 करोड़ देशवासियों के सहयोग के कारण, 130 करोड़ देशवासियों के co-operation के कारण। हम जितना जनता-जनार्दन को इस विषय पर फिर से जोड़ पाएं, फिर से विषय को बताएंगे, मुझे पक्‍का विश्‍वास है कि जो अभी बदलाव नजर आ रहा है हम उस बदलाव को फिर से एक बार रोक पाएंगे, फिर से हम नीचे की तरफ ले जाएंगे। ऐसा मेरा पक्‍का विश्‍वास है। आप सबने बहुत मेहनत की है, आपके पास इसकी expertise team बन चुकी है। थोड़ा daily एक बार-दो बार पूछना शुरू कर दीजिए, सप्‍ताह में एक-दो बार मीटिंग लेना शुरू कर दीजिए, चीजें अपने-आप गति पकड़ जाएंगी।

मैं फिर एक बार- बहुत शॉर्ट नोटिस में आप सबको आज की मीटिंग मैंने ऑर्गेनाइज की, लेकिन फिर भी आपने समय निकाला और बहुत विस्‍तार से अपनी सारी जानकारियां दी, मैं आपका बहुत-बहुत आभार व्‍यक्‍त करता हूं।

बहुत बहुत धन्यवाद जी!

कर्नाटक सरकार कोरोना से प्रभावित तीन जिलों पर ध्यान केन्द्रित करे-मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को कहा कि कर्नाटक सरकार राज्य में कोरोना वायरस (कोविड-19) महामारी की दूसरी लहर से बुरी तरह प्रभावित तीन जिलों बेंगलुरु शहर, कलाबुर्गी और बीदर में महामारी की रोकथाम के लिए ध्यान केंद्रित करे।

श्री मोदी ने विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंस में राज्य सरकार को परीक्षण बढ़ाने और टीकाकरण अभियान तेज करने के निर्देश दिए।

मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा ने इस दौरान बताया कि पिछले तीन दिनों में बेंगलुरु में 1.65 प्रतिशत की पॉजिटिव मामले सामने आए हैं।

उन्होंने कहा कि श्री मोदी द्वारा राज्य सरकार को दिए गए निर्देशों के अनुसार सभी स्थानों पर विशेष रूप से सार्वजनिक समारोहों में कोविड-19 नियमों को सख्ती से लागू किया जाएगा।

रेलवे का नहीं होगा निजीकरण;रेलवे के विकास के लिए सरकारी निवेश पर्याप्त नहीं है और निजी क्षेत्र के निवेश से विकास की गति तेज होगी attacknews.in

नयी दिल्ली, 17 मार्च । रेलवे के निजीकरण की विपक्ष की आशंकाओं को खारिज करते हुए रेल मंत्री पीयूष गोयल ने बुधवार को राज्यसभा में कहा कि रेलवे देश की संपत्ति है और उसका कभी निजीकरण नहीं होगा। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि रेलवे के विकास के लिए सरकारी निवेश पर्याप्त नहीं है और निजी क्षेत्र के निवेश से विकास की गति तेज होगी।

गोयल ने रेल मंत्रालय के कामकाज पर उच्च सदन में हुयी चर्चा का जवाब देते हुए यह टिप्पणी की।

इससे पहले चर्चा में कई विपक्षी सदस्यों ने आरोप लगाया था कि सरकार रेलवे के निजीकरण की दिशा में आगे बढ़ चुकी है और उसका पूरा जोर सरकारी संपत्तियों को बेचने पर है। कांग्रेस सदस्य नारण भाई जे राठवा ने आरोप लगाया कि सरकार रेलवे का निजीकरण करने पर तुली हुयी है और देश में पहली निजी क्षेत्र तेजस एक्सप्रेस की शुरुआत भी हो गयी। उन्होंने दावा किया कि 109 मार्गों पर यात्री ट्रेनें चलाने के लिए निजी क्षेत्र को आमंत्रित किया गया है।

आम आदमी पार्टी के संजय सिंह ने कहा कि सरकार कहती है कि रेलवे का निजीकरण नहीं किया जाएगा। फिर 109 प्रमुख मार्गों पर 150 नयी ट्रेनें निजी भागीदारी से चलाने का फैसला कैसे किया गया।

रेल मंत्री गोयल ने विपक्ष की आशंका को खारिज करते हुए कहा कि रेलवे का कोई निजीकरण नहीं किया जा रहा है और कोई ऐसा कर भी नहीं सकता। उन्होंने कहा कि निजी निवेश से सेवाएं बेहतर हो सकेंगी और नौकरियों के नए अवसर भी पैदा होंगे।

उन्होंने कहा कि देश में सड़कें बनती हैं और वे सड़कें देश की तथा सरकार की होती हैं लेकिन क्या उस पर केवल सरकारी गाड़ियां ही चलती हैं। उन्होंने कहा कि सड़कों पर सभी तरह के वाहन चलते हैं तभी प्रगति होती है।

गोयल ने कहा कि रेलवे में भी ऐसा हो सकता है और रेल पटरियों पर अच्छी ट्रेनों के चलने से लोगों की यात्रा सुखद होगी।

उन्होंने कहा कि देश में अभी तीन और माल ढुलाई गलियारों के निर्माण की जरूरत है। इसके लिए भारी निवेश की जरूरत होगी। ऐसे में निजी निवेश से परियोजनाओं के कार्यान्वयन में तेजी आएगी और अर्थव्यवस्था को भी बल मिलेगा।

इस क्रम में उन्होंने हबीबगंज रेलवे स्टेशन का जिक्र करते हुए कहा कि वहां निजी क्षेत्र ने 100 करोड़ रुपये का निवेश किया है और कंपनी ने यात्रियों को सुविधाएं देने पर जोर दिया है। उन्होंने कहा कि इसका अर्थ रेलवे स्टेशन को बेच नहीं दिया गया है।

गोयल ने कहा कि कोविड-19 महामारी के दौरान 64 लाख से अधिक प्रवासी श्रमिक को श्रमिक ट्रेनों के जरिये उनके घरों तक सुरक्षित पहुंचाया गया। उन्हें श्रमिक ट्रेनों में निशुल्क भोजन एवं पानी उपलब्ध कराया गया।

रेल मंत्री ने कहा कि महामारी के दौरान 43 मार्गों पर 4600 मार्गों पर श्रमिक ट्रेनें चलायी गयीं।

मंत्री ने कहा कि पिछले सात वर्षों में इस सरकार के तहत रेलवे के विस्तार की दिशा में अभूतपूर्व काम किये गए।

गोयल ने कहा कि पिछले साल सितंबर से इस साल फरवरी तक छह महीने में देश में रेलवे ने हर महीने जितनी माल ढुलाई की है, वह भारतीय रेल के इतिहास में सर्वाधिक है।

कांग्रेस नीत पूर्ववर्ती सरकारों पर निशाना साधते हुए गोयल ने कहा कि सस्ती लोकप्रियता के लिए घोषणाएं कर दी जाती थीं लेकिन उसके लिए जरूरी तैयारियां तक नहीं की जाती थीं। रेल मंत्री ने कहा कि घोषणाएं हो जाती थीं, लेकिन जमीन और मंजूरी नहीं होती थी।

उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल में एक परियोजना 1974-75 में घोषित हुयी थी जिसमें 110 किलोमीटर लंबी रेल लाइन बननी थी। लेकिन आज तक सिर्फ 42 किलोमीटर लाइन ही बन सकी और शेष हिस्से के लिए जमीन ही नहीं मिली।

उन्होंने सदन को बताया कि 2009-10 और 2010-11 में पश्चिम बंगाल के लिए कई रेल परियोजनाओं की घोषणा की गईं, लेकिन उन्हें पूरा करने के लिए राशि का आवंटन नहीं किया गया। अब उसके लिए रेलवे को जमीन नहीं मिल रही है।

गोयल ने कहा कि अगर राज्य सरकारें जमीन सहित अन्य क्षेत्रों में सहयोग करें तो रेल परियोजनाओं को समय पर पूरा किया जा सकता है।

गोयल ने मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना का उल्लेख करते हुए कहा कि महाराष्ट्र में जमीन सिर्फ 24 फीसदी उपलब्ध हुई। अगर महाराष्ट्र सरकार जमीन उपलब्ध करा दे तो यह काम जल्द पूरा कर लिया जाएगा।

उन्होंने कश्मीर में रेल मार्ग के निर्माण का उल्लेख करते हुए कहा कि बनिहाल-कटरा रेल मार्ग के अगले ढाई साल में पूरा हो जाने की संभावना है।

उन्होंने कहा कि 2004-09 के बीच रेलवे में हर वर्ष औसतन 25 हजार करोड़ का निवेश हुआ और 2009-14 के बीच हर वर्ष औसतन 45 हजार करोड़ का निवेश हुआ।

गोयल ने कहा कि सरकार ने कोविड के समय कई ऐसी परियोजनाओं को पूरा किया जो पूरी नहीं हो पा रहीं थीं और जिनके लिए रेल यातायात को बंद करना पड़ता था।

रेलवे में सुरक्षा को प्राथमिकता बताते हुए मंत्री ने कहा कि पिछले दो साल में रेलवे दुर्घटनाओं में एक भी यात्री की मृत्यु नहीं हुई।

कोरोना वायरस के कारण लॉकडाउन लगने के बाद देश में बंद की गयी रेल सेवाओं को बहाल किए जाने के संबंध में रेल मंत्री ने बताया कि देश में लगभग 80 प्रतिशत मेल व एक्सप्रेस सेवाएं शुरू हो चुकी हैं और करीब 90 प्रतिशत उपनगरीय ट्रेनें भी शुरू हो चुकी हैं।

उन्होंने किसानों की सहायता के लिये किसान रेल शुरू किये जाने का जिक्र करते हुए कहा कि अब तक 377 किसान ट्रेन चल चुकी हैं और सवा लाख टन कृषि उत्पादों की ढुलायी की गयी।

गोयल ने कहा कि हमारा संकल्प है कि भारतीय रेल का सफर हवाई जहाज से अच्छा हो और यात्री समय से अपने गंतव्य पर पहुंचें तथा उन्हें यात्रा में कम समय लगे।

अमिताभ बच्चन ने दूसरी आंख की सर्जरी कराई;कहा- “जीवन बदलने वाला अनुभव। अब आप वह देख सकते हैं जो पहले नहीं दिखाई देता था। निश्चित तौर पर दुनिया अद्भुत है’’ attacknews.in

मुंबई, 15 मार्च । महानायक अमिताभ बच्चन ने जानकारी दी है कि उनकी दूसरी आंख की सर्जरी सफल रही है और वह अब ठीक हो रहे हैं।

उनकी एक आंख की सर्जरी इस महीने के शुरु में हुई थी। 78 वर्षीय अभिनेता ने इस सर्जरी की जानकारी दी थी। उन्होंने बताया था कि सर्जरी के बाद ठीक होने की गति ‘धीमी और मुश्किल’ है। बच्चन ने उस समय दूसरी आंख की भी सर्जरी होने का संकेत दिया था।

अमिताभ बच्चन ने रविवार देर रात डॉक्टर हिमांशु मेहता को धन्यवाद दिया और कहा कि यह सर्जरी ‘जिंदगी बदलने वाला अनुभव’ है।

उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘ दूसरी सर्जरी भी सफल रही। अब ठीक हो रहा हूं। सब ठीक है। शानदार आधुनिक चिकित्सा प्रौद्योगिकी और डॉ हिमांशु मेहता के हाथों की कुशलता….। जीवन बदलने वाला अनुभव। अब आप वह देख सकते हैं जो पहले नहीं दिखाई देता था। निश्चित तौर पर दुनिया अद्भुत है।’’

अपने प्रशंसकों की ओर से मिल रही शुभकामनाओं के लिए उन्हें धन्यवाद देते हुए बच्चन ने कहा कि यह जानकर वह अभिभूत हैं कि लोग उनके स्वास्थ्य लाभ के लिए प्रार्थना कर रहे हैं।

रीवा में राकेश टिकैत ने ज्योतिरादित्य की ओर इशारा करते हुए कहा कि,विपक्ष के कुछ नेता भाग गये, दूसरी पार्टी में जा मिले और केन्द्र की पूर्ववर्ती कांग्रेस नीत संप्रग सरकार की तारीफ की attacknews.in

रीवा(मध्यप्रदेश)14 मार्च ।रीवा (मध्य प्रदेश), 14 मार्च (भाषा) भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के नेता राकेश सिंह टिकैत ने रविवार को भाजपा पर हमला करते हुए कहा कि केन्द्र सरकार को कोई राजनीतिक पार्टी नहीं, बल्कि व्यापारी चला रहे हैं।

टिकैत ने रीवा में किसान रैली को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘केन्द्र सरकार को राजनीतिक पार्टी नहीं चला रही है। इसे व्यापारी चला रहे हैं।’’ उन्होंने कहा कि भूख से फायदा उठाने का एक तरह का नया व्यापार आजकल दुनिया में चल रहा है।

टिकैत ने कहा, ‘‘महिलाएं तीज, त्योहार एवं शादियों में एक साल में 17 बार सोना पहनती है। लेकिन आदमी को भूख एक साल में 700 बार लगती है, दिन में दो बार लगेगी भूख।’’

उन्होंने केन्द्र सरकार पर तंज कसते हुए कहा, ‘‘इसलिए उन्होंने (केन्द्र सरकार ने) कहा कि भूख का कारोबार करो। भूख का कारोबार तब होगा, जब अनाज कब्जे में होगा और अनाज पर व्यापार होगा।’’

टिकैत ने कहा, ‘‘14 लाख मीट्रिक टन की विशाल क्षमता वाले गोदाम बनाये गये हैं। इतने बड़े-एड़े गोदाम बनाये गए हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ये गोदाम पहले बनाए गये और केन्द्र सरकार के नये कृषि कानून बाद में आए। इसका मतलब यह है कि यह केन्द्र सरकार किसी (राजनीतिक) पार्टी की नहीं है, बल्कि व्यापारियों की सरकार है। यह कारोबारियों के हाथों की कठपुतली है।’’

किसान नेता ने आगे कहा, ‘‘हमें इससे छुटकारे के लिए आंदोलन चलाना होगा।’’

उन्होंने कहा, ‘‘पुराने समय के भाजपा के बड़े नेताओं को भी चुप करा दिया गया है। वे कुछ नहीं बोल रहे हैं। हमें उन्हें भी मुक्त करने के लिए काम करना होगा।’’ टिकैत ने कहा, ‘‘तीन नए कृषि कानूनों से अकेले किसान ही मुसीबत में नहीं हैं। रेलवे को भी बेच दिया गया है। युवाओं को विद्रोह करना चाहिए था। लेकिन वे सोते रहे और देश बिक गया।’’

उन्होंने कहा, ‘‘विपक्ष कमजोर था। विरोध करने का काम तो विपक्ष का था। लेकिन उसका भी मनोबल गिर गया और उसे भी बोलने नहीं दिया गया। (ज्योतिरादित्य की ओर इशारा करते हुए) विपक्ष के कुछ नेता भाग गये और दूसरी पार्टी में जाकर शामिल हो गये। विपक्ष का एक नेता जवान एवं मजबूत था, उसे भी अपने में शामिल कर दिया।’’

टिकैत ने केन्द्र पूर्ववर्ती कांग्रेस नीत संप्रग सरकार की तारीफ की और कहा कि इसके कारण पिछले 14 वर्षों में देश में गेहूं की कमी नहीं हुई है।

उन्होंने नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, ‘‘ये लुटेरे देश में (सत्ता) आ गए हैं। हमें इन लुटेरों से लड़ना होगा। वह लुटेरों का आखिरी बादशाह साबित होगा। हम इस बादशाह को बदलने जा रहे हैं।’’ हालांकि, अपनी टिप्पणी में उन्होंने किसी का नाम नहीं लिया।

टिकैत ने कहा कि आने वाले दिनों में समाचारों को छापने एवं दिखाने के लिए भी एक सेंसर बोर्ड बना दिया जाएगा।

उन्होंने किसानों से कहा कि जब तक नए कृषि कानूनों को निरस्त नहीं किया जाता, तब तक किसान जिलाधिकारी कार्यालयों में बैठकर अपना गेहूं 1975 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से बेचेंगे। उन्होंने किसानों से कहा कि अपने घरों से बाहर आकर जिला स्तर पर विरोध प्रदर्शन करें।

टिकैत ने कहा, ‘‘किसानों का सम्मान और मजदूरों एवं युवाओं का भविष्य दांव पर है। हमें अपने देश को बचाना होगा।’’

उन्होंने कहा, ‘‘आंदोलन से हटना है तो माफी नामा भर देना। देश बंधन में है, गुजरात बंधन में है। इसे आजाद कराना है।’’ टिकैत ने कहा,‘‘आंदोलन करने पड़ेंगे। किसानों की आजादी की लड़ाई है।’’

किसान नेता राकेश टिकैत बोले:अब पूरे देश में वे जाएंगे और केंद्र सरकार द्वारा किसान, व्यापारी, नौकरीपेशा लोगों के साथ किए गए छल को उजागर करेंगे

इससे पहले प्रयागराज,में भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार ने किसानों के साथ धोखा किया है।

पश्चिम बंगाल से प्रयागराज पहुंचे श्री टिकैत ने झलवा स्थित किसान नेता संजय यादव के आवास पर रविवार को संवाददाताओं से कहा कि सरकार सब कुछ उद्योगपतियों को बेचने पर आमदा है। न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कोई कानून नहीं बनाया जा रहा है, जिससे यह साफ है कि यह सरकार किसान विरोधी है और उनके साथ विश्वासघात किया है।

उन्होंने कहा कि किसानों काे जागरुक करने और हर वर्ग का समर्थन लेने के लिए वह यात्रा पर निकले हैं। लगातार उनका कार्यक्रम चल रहा है। पूरे देश में वे जाएंगे और केंद्र सरकार द्वारा किसान, व्यापारी, नौकरीपेशा लोगों के साथ किए गए छल को उजागर करेंगे।

किसान नेता ने कहा कि एमएसपी लागू करने से किसान का चावल 1850 रुपये में बिकेगा, लेकिन सरकार इस चावल को 900 रुपये में ही लेना चाहती है। अब किसान अपना चावल सरकार को नहीं देगा। उन्होने कहा कि सरकार न बात सुनने को तैयार है और न बातचीत के लिए। ऐसे में दिल्ली को अभी भी चारों तरफ से घेर कर रखा गया है।

उन्होने कहा जब तक एमएसपी पर कानून नहीं बनेगा और तीन कृषि कानून को रद नहीं किया जाएगा तब तक आंदोलन जारी रहेगा

राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार की जबरदस्ती के कारण किसान बर्बाद हो जाएंगे। छोटे-छोटे व्यापारी खत्म हो जाएंगे। साप्ताहिक बाजारों का नामोनिशान नहीं रहेगा, जबकि इस कारोबार से देश भर के साढ़े चार करोड़ से अधिक लोग जुड़े हैं। बंगाल में हो रहे चुनाव के बारे में कहा कि इससे उनको कोई मतलब नहीं है, लेकिन वहां के किसानों को वह जागरुक करके आएं हैं।

उन्होने बताया कि वहां अब केन्द्र सरकार के नुमाइन्दे किसानों से चावल मांगेगी तो वहां के किसान एमएसपी के हिसाब से भुगतान की बात कहेंगे।

उन्‍होंने कहा कि यहां से वे मध्‍य प्रदेश जाएंगे। मध्य प्रदेश की दो रैलियों में शामिल होने के लिए वह बंगाल से यहा पहुंचे। 14 और 15 मार्च को उनका कार्यक्रम है। यहां से वह मध्य प्रदेश के रींवा में हाेने वाले कार्यक्रम में शिरकत करने के लिए दोपहर में चले गये। इसके बाद उड़ीसा, कर्नाटक, हरियाणा और उत्तराखंड जाकर किसानों को जागरुक करने का काम करेंगे।

उत्तरप्रदेश में देश का पहला अनुकरणीय उदाहरण बना: राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अपनी मंशा जाहिर की और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उसी मंच से उसे लागू करने के निर्देश अधिकारियों को दे दिए attacknews.in

देश के विकास के लिये वनवासी समुदाय का उत्थान जरूरी: कोविंद

सोनभद्र 14 मार्च । उत्तरप्रदेश में आज देश का पहला अनुकरणीय उदाहरण देखने को मिला जब राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अपनी मंशा जाहिर की और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उसी मंच से उसे लागू करने के निर्देश अधिकारियों को दे दिए ।

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने रविवार को कहा कि आदिवासी वनवासी समुदाय के विकास के बिना देश और समाज का विकास नहीं हो सकता।इसके तुरंत बाद राष्ट्रपति की मौजूदगी में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नक्सल प्रभावित सोनभद्र में आदिवासी बच्चों की उच्च शिक्षा की व्यवस्था करने के निर्देश अधिकारियों को दे दिये।

पूर्वांचल के तीन दिवसीय दौरे के दूसरे दिन श्री कोविंद ज़िले में बाभनी ब्लाक के कारिडाड़,चपकी स्थित सेवा समर्पण संस्थान द्वारा संचालित सेवा कुंज आश्रम में नवनिर्मित स्कूल , छात्रावास आदि का लोकार्पण करने पहुँचे थे।

उन्होने कहा “ जब भगवान राम ने रावण से युद्ध में विजय पायी थी उसमें वनवासियों का बहुत बड़ा सहयोग था उसी प्रकार यदि देश और समाज आगे बढाना है तो पहले वनवासी समाज को आगे ले जाना होगा।”

राष्ट्रपति ने कहा कि सोनभद्र चार प्रदेशों की सीमाओं से घिरा हुआ है, ऐसे स्थान पर स्कूल और हास्टल संचालित होने से उत्तर प्रदेश सहित अन्य प्रदेशों के सीमावर्ती इलाक़ों के वनवासी छात्रों को भी लाभ होगा। उन्होने कहा कि वनवासी क्षेत्र उनके लिए तीर्थस्थल जैसे हैं। यदि वनवासी प्रोत्साहित हों तो देश ही नहीं विदेशों में भी भारत का नाम रोशन करेंगे। पिछड़ा,दलित एवं आदिवासियों,वनवासियों का विकास ज़रूरी है।

उन्होंने एनटीपीसी द्वारा निर्माण कार्य कराए जाने पर उनकी सराहना की। उन्होंने मुख्यमंत्री एवं राज्यपाल से अनुरोध किया कि केंद्र सरकार से तालमेल बैठाकर वनवासियों को आगे बढ़ाने में योगदान करें।

राष्ट्रपति ने कहा कि भारत की आत्मा वनवासी आदिवासी क्षेत्रों में बसती है यदि कोई भी इस कल्चर से परिचित होना चाहता है तो उसे सोनभद्र जैसे ज़िलों में समय बिताना चाहिए। आदिवासी समाज के विकास के बिना समग्र विकास अधूरा है। केंद्र और राज्य की सरकारें इनके विकास के अनेक कार्यक्रम चला रहे हैं। वनवासी समाज की अनेक प्रतिभाओं ने देश में अच्छा कार्य किया। विलुप्त होती जा रही वनवासी कलाओं के विकास के लिए सेवा समर्पण संस्थान कार्य कर रहा है यह देखकर ख़ुशी हो रही है।

उन्होने कहा कि महापुरुषों की स्मृतियों और लोक कलाओं तथा गीतों के संरक्षण का कार्य भी किया जा रहा है। आशा करता हूँ कि वनवासी क्षेत्रों के विकास के लिए और कार्य भी प्रदेश सरकार द्वारा किया जाता रहेगा।

श्री कोविंद ने सेवा समर्पण संस्थान द्वारा संचालित उक्त सेवा कुंज आश्रम परिसर में निर्मित स्कूल ,छात्रावास और भोजनालय भवनों का लोकार्पण किया। उक्त निर्माण एन टी पी सी रिहंद द्वारा सी एस आर के तहत कराया गया था। एन टी पी सी द्वारा लगभग ग्यारह करोड़ रुपयों की लागत से 18 क्लासरूम और 24 कमरों के छात्रावास का निर्माण कराया गया है साथ हाई अन्य कमरों का भी निर्माण चल रहा है। इसके अतिरिक्त अबाध विद्युत आपूर्ति के लिए 40 किलोवाट का सोलर पावर भी स्थापित किया।

सभी कार्यक्रम में राष्ट्रपति के साथ भारत की प्रथम महिला सविता कोविंद , उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल , मुख्य मंत्री योगी आदित्य नाथ आदि मुख्य रूप से उपस्थित थे।

आदिवासी बच्चों की उच्च शिक्षा का इंतजाम करे सोनभद्र प्रशासन : योगी

वही राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की मौजूदगी में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नक्सल प्रभावित सोनभद्र में आदिवासी बच्चों की उच्च शिक्षा की व्यवस्था करने के निर्देश दिये।

श्री योगी ने रविवार को कहा कि स्थानीय कार्यक्रम में एक बच्ची उनसे मिली थी। उन्होंने उससे उसकी शिक्षा के विषय में पूछा तो उसने स्वयं को इंटरमीडिएट पास बताया लेकिन आगे की शिक्षा में असमर्थता जतायी तब उन्होंने ज़िलाधिकारी को उसकी शिक्षा की व्यवस्था करने के लिये कहा।

उन्होंने ज़िलाधिकारी को निर्देश दिया है कि पूरे जिले में जो भी इस प्रकार के वनवासी , आदिवासी समाज के बच्चे हैं उनका पता लगाकर जिले में अथवा दूसरे जिलों में उनके शिक्षा की व्यवस्था करें उनके रहने,खाने एवं शिक्षा की व्यवस्था राज्य सरकार द्वारा निःशुल्क की जाएगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पूरे विश्व में भारत नई भूमिका में है। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन द्वारा भी भारत द्वारा वैश्विक मंच पर कोविड की वैक्सीन दिए जाने की सराहना की गयी है। अमेरिकी राष्ट्रपति ने यह भी कहा है कि भारत आदिकाल से नेतृत्व करता रहा है और अब प्रधान मंत्री उस मार्ग को प्रशस्त कर रहे हैं। योगी ने कहाकि यह भारत की 135 करोड़ जनता का सम्मान है l भारत गाँव , गिराँव , आदिवासी एवं वनवासियों , पिछड़ों तथा अनुसूचितों का देश है।

श्री याेगी ने कहा कि उत्तर प्रदेश में सर्वाधिक वनवासी आदिवासी सोनभद्र में निवास करते हैं। सरकार यहाँ एक मेडिकल कालेज की स्थापना करने जा रही है। यह जिला जनवरी से लेकर मध्य जुलाई तक पेयजल संकट से जूझता है लेकिन अब जल जीवन मिशन के तहत सरकार द्वारा मिर्ज़ापुर और सोनभद्र में हर घर जल की व्यवस्था की जा रही है। इस वर्ष के अंत तक ज़्यादातर गाँवों में शुद्ध पेयजल हर घर को मिलने लगेगा साथ जो बच जाएँगे उनको भी अगले दो तीन सालों में मिलने लगेगा।

उन्होंने कहा कि बिजली आपूर्ति , रोज़गार,हर खेत को पानी देकर तथा आईटीआई ,पालिटेक्निक तथा इंजीनियरिंग कालेजों आदि द्वारा एवं अन्य माध्यमों से हर व्यक्ति के आय में कई गुना बढ़ोत्तरी की जा रही है।

कोविंद ने किये मां बिन्ध्यवासिनी के दर्शन

इसके बाद मिर्जापुर में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने रविवार को बिन्ध्य क्षेत्र की अधिष्ठात्री देवी मां बिन्ध्यवासिनी देवी के दर्शन कर पूजन किए।

श्री कोविंद ने सपत्नीक मां के श्रृंगार और यज्ञ कुंड में साकला डाल कर पूरे विधि-विधान से हवन-पूजन सम्पन्न किया। पूरे धार्मिक कार्यक्रमों को स्थानीय भाजपा विधायक एवं बिन्ध्याचल धाम के पुरोहित पंडा रत्नाकर मिश्र एवं उनके सहयोगी विद्वान पुरोहित पंडितों ने सम्पन्न कराया।

बिन्ध्याचल धाम में दर्शन पूजन करने वाले वह दूसरे राष्ट्रपति है। इससे पहले शंकर दयाल शर्मा उपराष्ट्रपति और राष्ट्रपति के रूप में यहां दर्शन पूजन किया था। पूरे धार्मिक अनुष्ठान के दौरान महामहिम एक सामान्य यजमान के रूप में दिखे। देवी के प्रति पूरी श्रद्धा का भाव उनके चेहरे पर स्पष्ट दिखाई पड़ रहा था। इस दौरान सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे।

राष्ट्रपति के बिन्ध्याचल मंदिर पहुंचने से पहले पूजन सामग्री की तैयारी कर ली गयी थी जिसमें माला फूल रोली रक्षा आदि के साथ हवन का साकला भी शामिल था। पंडित पुरोहित भी पूरे ड्रेस कोड में तैयार थे।

इससे पहले राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद सोनभद्र जिले के दौरे के बाद हैलीकाफ्टर से अष्टभुजा हैलिपैड पर उतरे जहाँ प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ स्थानीय सांसद अनुप्रिया पटेल सहित अन्य जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों ने उनका स्वागत किया। राष्ट्रपति के साथ उनकी धर्मपत्नी सविता वेन भी थी।

राष्ट्रपति के यहाँ आगमन की सूचना जिला प्रशासन को दो सप्ताह पहले मिल गया था। जिला प्रशासन ने पूरे मंदिर का रंग-रोगन करा कर नया लुक दे दिया था। रामनाथ कोविंद के मंदिर परिसर में पहुचने के बाद मंत्रोच्चार के बीच पंडितों ने धार्मिक कार्यक्रमों को पूरे विधि-विधान से पूर्ण कराया। मां का भव्य श्रृंगार राष्ट्रपति की ओर से किया गया था। उन्होंने मां की आरती कर परिक्रमा भी पूर्ण की। यज्ञ शाला के कुंड में साकला डालकर हवन पूर्ण किया।

इस दौरान उनकी धर्म पत्नी सविता वेन ने भारतीय परम्परा के अनुसार पूरे धार्मिक अनुष्ठान में साथ निभाया। इस दौरान मंत्रोच्चार से पूरा परिसर गुंजायमान हो रहा था। राष्ट्रपति ने हाथ में कलावा बधवा कर अपने पुरोहित को दक्षिणा भी दिया। प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ स्वयं एक गाईड की तरह हमेशा साथ साथ थे। महामहिम को बिन्ध्याचल में चल रहे कोरीडोर एवं योजनाओं से भी अवगत कराया गया।

राष्ट्रपति के यहाँ पहुंचने से पहले चप्पे-चप्पे पर सुरक्षा कर्मियों को तैनात किया गया था। आज सुबह दस बजे के बाद आम दर्शनार्थियों के मंदिर में प्रवेश पर पूर्ण रूप से रोक लगा दी गई थी। पूरा मंदिर सुरक्षा के जवानों के हवाले कर दिया गया था। दो दिन पहले से ही स्थानीय होटलों को भी बंद करा दिया गया था। पूरा प्रशासनिक अमला सुरक्षा व्यवस्था की देखभाल में लगा हुआ था। पूरे कार्यक्रम के दौरान पत्रकारों को दूर रखा गया था। बिन्ध्याचल के पुरोहित पंडों को भी मंदिर दूर रखा गया था। स्थानीय पंडा समाज के अध्यक्ष पंकज दूबे अपना विरोध दर्ज कराया।

तैयारियों के बाबजूद राष्ट्रपति प्रसिद्ध देवरहवा बाबा आश्रम नहीं गये। हालांकि जिला प्रशासन ने आश्रम में राष्ट्रपति के सम्भावित यात्रा के मद्देनजर मुकम्मल तैयारी कर रखी थी। आश्रम को पूरी तरह सजाया भी गया था।

राष्ट्रपति के पूरे कार्यक्रम में स्थानीय सभी भाजपा विधायक एवं धर्मादा मंत्री नीलकंठ तिवारी भी मौजूद थे। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्थानीय विधायकों और सांसदों से अलग से मुलाकात कर सभी की समस्या सुनी।

सपा शासनकाल उत्तरप्रदेश में सरकारी पदों पर होने वाली नियुक्तियां एक खानदान के सदस्यों के बीच बांटी गईं,महाभारत काल में काका-मामा-नाना जैसों ने भारत की प्रगति को अवरुद्ध किया, वैसे ही यह खानदान प्रदेश की उन्नति में बाधक बना रहा attacknews.in

सपा शासनकाल में चाचा-भतीजा के बीच बंटती थी नौकरियां: 

लखनऊ, 13 मार्च । उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने समाजवादी पार्टी (सपा) पर निशाना साधते हुये कहा कि 2012 से 2017 के बीच राज्य में सरकारी पदों पर होने वाली नियुक्तियां एक खानदान के सदस्यों के बीच बांटी जाती थीं।

लोकभवन में शनिवार को आयोजित बेसिक शिक्षा परिषद में नवचयनित 271 खंड शिक्षा अधिकारियों को नियुक्ति पत्र वितरण कार्यक्रम में श्री योगी ने सपा शासनकाल को भर्तियों में भ्रष्टाचार, परिवारवाद, जातिवाद और योग्यता की उपेक्षा का काल बताते हुये कहा कि एक नियुक्ति प्रक्रिया कोई चाचा देखता था तो दूसरी किसी भतीजे, मामा या नाना को आवंटित हो जाती थीं। जाति, धर्म और रुपयों की हैसियत ही नौकरी का पैमाना थी। युवा हताश और निराश था। यादव परिवार की तुलना महाभारत के पात्रों से करते हुए उन्होने कहा “ जैसे उस काल में काका-मामा-नाना जैसों ने भारत की प्रगति को अवरुद्ध किया, ठीक वैसे ही यह खानदान उत्तर प्रदेश की उन्नति में बाधक बना रहा। ”

उन्होंने कहा कि आज के उत्तर प्रदेश में केवल योग्यता और मेरिट ही सरकारी नौकरी का आधार है। कोई भी यह नहीं कह सकता कि उसने रुपये देकर या सिफारिश से नौकरी पाई है।

श्री योगी ने कहा कि 2017 से अब तक चार साल में चार लाख सरकारी पदों पर नियुक्तियां हुई हैं। यह 1950 से अब तक किसी भी लगातार चार साल में सर्वाधिक है। कई राज्यों में तो दशकों में इतनी नियुक्तियां नहीं हुई होंगी। अकेले 1.20 लाख नौकरियां केवल बेसिक शिक्षा परिषद में ही हुई हैं। इसी तरह पुलिस विभाग में 1.37 लाख पदों पर नियुक्तियां हुईं। पिछली सरकारों ने पीएसी की 54 कंपनियां बन्द कर दीं, जबकि सुदृढ़ कानून-व्यवस्था के लिए संकल्पित वर्तमान सरकार ने इनके साथ-साथ महिलाओं की भी 03 पीएसी कंपनियां स्थापित कीं।

बहाल हुई चयन आयोगों/भर्ती बोर्डों की गरिमा:

शुचितापूर्ण ढंग से नियुक्ति पाकर बेसिक शिक्षा परिषद में शामिल हुए नवनियुक्त खंड शिक्षा अधिकारियों को बधाई देते हुए मुख्यमंत्री ने चार वर्ष पूर्व तक प्रदेश के विभिन्न चयन आयोगों/भर्ती बोर्डों में भ्रष्टाचार का भी जिक्र किया। उन्होने कहा कि हर नियुक्ति जाति-मजहब देखकर होती थी। कई बार तो नौकरी देने के साथ-साथ यह लोग अपनी बेटियों-बहनों के लिए वर की तलाश भी कर लेते थे। इन आयोगों की छवि तार-तार हो गई थी।

वर्तमान सरकार ने स्पष्ट चेतावनी दी कि उन्हें अपने कार्य के लिए पूर्ण स्वतंत्रता होगी, लेकिन अगर अनियमितता की शिकायत मिली तो पूरे आयोग पर कार्रवाई होगी। इन प्रयासों का नतीजा है कि आज कोई भी यह नहीं कह सकता कि उसने जुगाड़ से नौकरी पाई है।

कार्यक्रम में सीएम ने युवाओं से पूरी चयन प्रक्रिया के दौरान कहीं भी घूस देने अथवा सिफारिश करने की जरूरत के बारे में भी जानकारी ली, लेकिन सभी युवाओं ने एक स्वर से इस तरह की जरूरत को नकार दिया।

नियुक्ति पत्र देते हुए श्री योगी ने खंड शिक्षाधिकारियों से कहा कि एक प्रतियोगी छात्र के रूप में उन्होंने शासन से जिस कार्यप्रणाली की अपेक्षा की थी, अब सिस्टम का हिस्सा होने के बाद स्वयं उसी अनुरूप कार्य करें। उन्होंने कहा कि नौकरी ईमानदारी से मिली है तो काम में भी ईमानदारी होनी चाहिए।

नवनियुक्त बीईओ को संबोधित करते हुए श्री योगी ने कहा कि टीमवर्क से बीते चार सालों में प्राथमिक शिक्षा का कायाकल्प हुआ है। आज प्रॉक्सी टीचर जैसी समस्या खत्म हो गई है। शिक्षकों का प्रशिक्षण हो रहा है। स्कूलों में इंफ्रास्ट्रक्चर विकास हुआ है, साढ़े पांच लाख नए बच्चे स्कूल आये हैं। शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार हुआ है। अब इन कार्यों को आगे बढ़ाने का काम बीईओ का है। उन्होंने कहा कि विकास खंड आपका कमांड एरिया है, वहां की हर शैक्षिक गतिविधि की जिम्मेदारी आप की है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि बीईओ अपने नवाचारों और अच्छे कार्यों की जानकारी उच्चाधिकारियों को भी दें। उन्होंने कहा कि बीईओ सतत निरीक्षण करते हुए बच्चों-अभिभावकों से सम्पर्क भी बनाएं। बच्चों के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा का भाव विकसित करें।

इससे पहले बेसिक शिक्षा मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ.सतीश द्विवेदी ने नवनियुक्त खण्ड शिक्षाधिकारियों का बेसिक शिक्षा परिषद परिवार में स्वागत करते हुए उन्हें उनकी महती भूमिका से अवगत कराया।

विभागीय मंत्री ने प्राथमिक शिक्षा के क्षेत्र में बीते चार साल की उपलब्धियों का श्रेय मुख्यमंत्री को दिया और कहा कि सीएम योगी युवाओं के सपनों में रंग भर रहे हैं उनके नेतृत्व में नए भारत का नया यूपी उभर कर आया है।

भारत में पुराने वाहनों का नवीनीकरण बंद:एक अप्रैल, 2020 से 15 साल पुराने सरकारी वाहनों के पंजीकरण का नवीनीकरण नहीं होगा’ attacknews.in

नयी दिल्ली, 13 मार्च ।सरकारी विभाग एक अप्रैल, 2022 से अपने 15 साल से अधिक पुराने वाहनों के पंजीकरण का नवीकरण नहीं करा पाएंगे। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने यह प्रस्ताव किया है। यदि इसे अंतिम रूप दे दिया जाता है, तो यह व्यवस्था लागू हो जाएगी।

मंत्रालय ने इस बारे में नियमों में संशोधन के लिए अधिसूचना जारी कर अंशधारकों से टिप्पणियां मांगी हैं।

अधिसूचना में कहा गया है कि एक बार इस प्रस्ताव को मंजूरी के बाद यह नियम सभी सरकारी वाहनों….केंद्र और राज्य सरकार, संघ शासित प्रदेश, सार्वजनिक उपक्रमों, नगर निकायों और स्वायत्त निकायों के लिए लागू होगा।

सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने ट्वीट किया, ‘‘एक अप्रैल, 2022 से सरकारी विभाग अपने 15 साल से अधिक पुराने वाहनों के पंजीकरण का नवीकरण नहीं करा पाएंगे। यह नियम केंद्र, राज्य, संघ शासित प्रदेश, सार्वजनिक उपक्रमों, नगर निकायों और स्वायत्त निकायों के लिए लागू होगा।’’

इससे पहले एक फरवरी को पेश आम बजट में सरकार ने वाहन कबाड़ नीति की घोषणा की है। इसके तहत निजी वाहनों का 20 साल बाद और वाणिज्यिक वाहनों का 15 साल पूरे होने पर फिटनेस परीक्षण कराना जरूरी है।

मंत्रालय ने नियमों के मसौदे पर अधिसूचना 12 मार्च को जारी की है। इस पर अंशधारकों से 30 दिन में टिप्पणियां, आपत्तियां और सुझाव आमंत्रित किए गए हैं।।

आजादी की 75वीं वर्षगांठ ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के साल भर राष्ट्रव्यापी आयोजन की शुरुआत करते हुए नरेन्द्र मोदी ने कहा कि;देश पिछले छह वर्षों में अज्ञात नायकों के इतिहास को संरक्षित करने के लिए सजग प्रयासरत हैं attacknews.in

अहमदाबाद 12 मार्च ।प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने अहमदाबाद के साबरमती आश्रम से ‘पदयात्रा’ (फ्रीडम मार्च) को झंडी दिखाई तथा ‘आजादी का अमृत महोत्सव’India@75 के पूर्वावलोकन कार्यकलापों का उद्घाटन किया। उन्होंने India@75 समारोहों के लिए अन्य विभिन्न सांस्कृतिक और डिजिटल पहलों को भी लांच किया।

इस अवसर पर गुजरात के राज्यपाल श्री आचार्य देवव्रत, केन्द्रीय राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री प्रहलाद सिंह पटेल तथा गुजरात के मुख्यमंत्री श्री विजय रूपाणी भी उपस्थित थे।

आजादी का अमृत महोत्सव भारत की स्वाधीनता की 75वीं वर्षगांठ मनाने के लिए भारत सरकार द्वारा आयोजित किए जाने वाले कार्यक्रमों की एक श्रृंखला है। यह महोत्सव जनभागीदारी की भावना में एक जन-उत्सव के रूप में मनाया जाएगा।

साबरमती आश्रम में जनसमूह को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने 15 अगस्त 2022 से 75 सप्ताह पूर्व “आजादी का अमृत महोत्सव” आरंभ किए जाने की चर्चा की जो 15 अगस्त 2023 तक चलेगा। उन्होंने महात्मा गांधी और महान व्यक्तित्वों को श्रद्धांजलि अर्पित की जिन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में अपने प्राणों की आहुति दी।

प्रधानमंत्री ने पांच स्तंभों अर्थात स्वतंत्रता संग्राम, 75 पर विचार, 75 पर उपलब्धियां, 75 पर कार्रवाइयां तथा 75 पर संकल्प को प्रेरणा मानते हुए सपनों और दायित्वों को बनाए रखने तथा आगे बढ़ने के मार्गदर्शी बल के रूप में दोहराया।

प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि आजादी अमृत महोत्सव का अर्थ स्वतंत्रता की ऊर्जा का अमृत है। इसका अर्थ हुआ स्वतंत्रता संग्राम के योद्धाओं की प्रेरणाओं का अमृत; नए विचारों और संकल्पों का अमृत और आत्मनिर्भरता का अमृत।

नमक के प्रतीक की चर्चा करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि केवल लागत के आधार पर नमक का मूल्य कभी भी नहीं आंका गया। भारतीयों के लिए नमक का अर्थ ईमानदारी, भरोसा, वफादारी, श्रम, समानता और आत्मनिर्भरता है।

उन्होंने कहा कि उस समय नमक भारत की आत्मनिर्भरता का एक प्रतीक था। ब्रिटिश सरकार ने भारत के मूल्यों के साथ-साथ इस आत्मनिर्भरता को भी क्षति पहुंचाई। भारत के लोगों को इंग्लैंड से आने वाले नमक पर निर्भर रहना पड़ता था।

उन्होंने कहा कि गांधी जी ने देश के इस पुराने दर्द को समझा, लोगों की धड़कन को समझा तथा उसे एक आंदोलन में तब्दील कर दिया।

प्रधानमंत्री ने 1857 में भारतीय स्वतंत्रता के प्रथम युद्ध, विदेश से महात्मा गांधी के लौटने, सत्याग्रह की शक्ति का राष्ट्र को स्मरण कराने, लोकमान्य तिलक द्वारा पूर्ण स्वतंत्रता का आह्वान, नेताजी सुभाष चंद्र बोस के नेतृत्व में आजाद हिंद फौज का दिल्ली मार्च तथा दिल्ली चलो के नारे जैसे स्वतंत्रता संग्राम के महत्वपूर्ण क्षणों को याद किया।

उन्होंने यह भी कहा कि स्वाधीनता आंदोलन के इस अलख को निरंतर जगाए रखने का काम प्रत्येक क्षेत्र में, प्रत्येक दिशा में देश के कोने-कोने में हमारे आचार्यों, संतों तथा शिक्षकों द्वारा किया गया था। उन्होंने कहा कि इस प्रकार भक्ति आंदोलन ने राष्ट्रव्यापी स्वाधीनता आंदोलन के लिए मंच तैयार किया। चैतन्य महाप्रभु, रामकृष्ण परमहंस, श्रीमंत शंकर देव ने एक राष्ट्रव्यापी स्वतंत्रता संग्राम की आधारशिला का निर्माण किया। इसी प्रकार, देश के सभी क्षेत्रों के संतों ने राष्ट्र की चेतना और स्वाधीनता संग्राम में योगदान दिया। देश भर के ऐसे कई दलित, आदिवासी, महिलाएं और युवक थे जिन्होंने अनगिनत कुर्बानियां दी हैं। उन्होंने तमिलनाडु के 32 वर्षीय कोडी कठा कुमारन जैसे अज्ञात नायकों की कुर्बानियों को याद किया जिसने ब्रिटिश सेना द्वारा सर में गोली लगने के बावजूद देश के झंडे को जमीन पर नहीं गिरने दिया। तमिलनाडु की वेलु नचियार पहली महारानी थी जिन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ लड़ाई लड़ीं।

प्रधानमंत्री ने टिप्पणी की कि हमारे देश के जनजातीय समाज ने विदेशी शासन को झुकाने के लिए निरंतर बहादुरी और हिम्मत के साथ लड़ाई लड़ी। झारखंड में, बिरसा मुंडा ने अंग्रेजों को चुनौती दी तथा मुर्मु बंधुओं ने संथाल आंदोलन का नेतृत्व किया। ओडिशा में, चकरा बिसोई ने अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ीं तथा लक्ष्मण नायक ने गांधीवादी सिद्धांतों के जरिए जागरूकता फैलाई। उन्होंने आंध प्रदेश में मन्याम विरुडु अलुरी सिराराम राजू, जिसने राम्पा आंदोलन का नेतृत्व किया तथा पसाल्था खुंगचेरा जिसने मिजोरम की पहाड़ियों में अंग्रेजों का सामना किया, जैसे अन्य अज्ञात जनजातीय नायकों का भी नाम लिया, जिन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ी। उन्होंने गोमधर कोन्वार, लक्षित बोरफुकन तथा सेरात सिंह जैसे असम तथा पूर्वोत्तर के अन्य स्वतंत्रता सेनानियों का भी उल्लेख किया जिन्होंने देश की आजादी में योगदान दिया है।

उन्होंने कहा कि देश हमेशा गुजरात के जम्बुघोडा में नायक जनजातीयों के बलिदान तथा मानगाध में सैंकड़ों आदिवासियों के नरसंहार को याद रखेगा।

प्रधानमंत्री ने कहा कि देश प्रत्येक राज्य तथा प्रत्येक क्षेत्र में इसके इतिहास को संरक्षित करने के लिए पिछले छह वर्षों से सजग प्रयास करता रहा है। दांडी यात्रा के साथ जुड़े स्थल का पुनरुत्थान दो वर्ष पहले किया गया। उस स्थान का भी पुनरुत्थान किया जा रहा है जहां देश की प्रथम स्वतंत्र सरकार के निर्माण के बाद नेताजी सुभाष ने अंडमान में तिरंगा फहराया था।

उन्होंने कहा कि बाबा साहेब के साथ जुड़े स्थानों को पंचतीर्थ के रूप में विकसित किया जा रहा है, जालियांवाला बाग में स्मारक तथा पैका आंदोलन के स्मारक का भी विकास किया जा रहा है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि हमने भारत तथा विदेश दोनों ही जगहों पर अपनी कड़ी मेहनत के साथ खुद को साबित किया है। हम अपने संस्थान और लोकतांत्रिक परंपराओं पर गर्व करते हैं।

उन्होंने कहा कि लोकतंत्र की जननी भारत अभी भी लोकतंत्र को सुदृढ़ बनाते हुए आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि भारत की उपलब्धियां समस्त मानवता को भरोसा दे रही है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत की विकास यात्रा आत्मनिर्भरता से भरी हुई है और यह पूरी दुनिया की विकास यात्रा को गति दे रही है।

प्रधानमंत्री ने युवाओं और विद्वानों से हमारे स्वाधीनता सेनानियों के इतिहास के दस्तावेजीकरण के द्वारा देश के प्रयासों को पूरा करने की जिम्मेदारी लेने का आग्रह किया। उन्होंने उनसे स्वतंत्रता आंदोलन की उपलब्धियों को विश्व के सामने प्रदर्शित करने का अनुरोध किया। उन्होंने कला, साहित्य, थियेटर की दुनिया, फिल्म उद्योग तथा डिजिटल मनोरंजन से जुड़े लोगों से उन अनूठी कहानियों, जो हमारे अतीत में बिखरी हुई हैं, की खोज करने और उनमें नया जीवन डालने का आग्रह किया।

प्रधानमंत्री ने करायी आजादी के अमृत महोत्सव की शुरुआत

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आजादी की 75वीं वर्षगांठ से सम्बंधित ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ कार्यक्रम के राष्ट्रव्यापी आयोजन की आज यहां शुरुआत की और ऐतिहासिक दांडी मार्च की स्मृति में अहमदाबाद से नवसारी के दांडी तक 386 किलोमीटर की पदयात्रा को रवाना किया।

श्री मोदी ने इससे पहले कार्यक्रम स्थल के निकट स्थित साबरमती आश्रम में महात्मा गांधी की प्रतिमा और इसके परिसर में उनके तत्कालीन आवास हृदय कुंज में उनके तैलचित्र पर पारम्परिक रूप से सूत की माला से माल्यार्पण किया।

उन्होंने आश्रम की आगंतुक पुस्तिका में लिखा कि आश्रम आकर वह धन्यता का अनुभव करते हैं, त्याग तपस्या की भावना जागती है और राष्ट्र निर्माण का संकल्प मज़बूत होता है।

महोत्सव के दौरान यहां मुख्य कार्यक्रम में कई तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी किया गया जिसमें देश भर के कलाकारों ने अलग अलग भाषाओं में मनमोहक प्रस्तुतियां भी दी।

आज़ादी के आंदोलन के दौरान इसका एक प्रमुख केंद्र रहे अहमदाबाद के साबरमती आश्रम से ही गांधी जी ने 12 मार्च 1930 को ब्रिटिश हूकूमत के नमक क़ानून को तोड़ने ले लिए दक्षिण गुजरात के दांडी तक की यात्रा की थी जो उसी साल छह अप्रैल को पूरी हुई थी।

आश्रम में आयोजित मुख्य कार्यक्रम के साथ ही स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े राज्य के 6 जिलों में विभिन्न 75 स्थलों पर भी कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है।

गुजरात में महात्मा गांधी जी की कर्मभूमि और स्वतंत्रता संग्राम का केंद्र रहे अहमदाबाद से प्रधानमंत्री ने अमृत महोत्सव की औपचारिक शुरुआत करायी।

इस अवसर राज्यपाल आचार्य देवव्रत, मुख्यमंत्री विजय रूपाणी, केंद्रीय पर्यटन एवं सांस्कृति राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) प्रहलाद सिंह पटेल, सांसद और गुजरात भाजपा अध्यक्ष सी.आर. पाटिल, आश्रम के न्यासी कार्तिकेय साराभाई, अमृत मोदी और डॉ. सुदर्शन आयंगर उपस्थित थे।

राजकोट, मांडवी (कच्छ), पोरबंदर, वडोदरा, बारडोली (सूरत) और दांडी (नवसारी) जैसे स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़े चिरस्मरणीय स्थलों पर देशभक्ति के कार्यक्रम आयोजित किए गए। इसके अलावा रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम, साइकिल-बाइक रैली, पदयात्रा, वृक्षारोपण और क्राफ्ट बाजार जैसे रचनात्मक कार्यक्रम भी आयोजित किए जा रहे हैं।

राजकोट में उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल अमृत महोत्सव में उपस्थित रहे। राजकोट में गांधी जी ने अपनी प्राथमिक शिक्षा ली थी। जूनागढ़ को नवाबी शासन से आजाद कराने के लिए बनाए गए आरजी हुकूमत ने राजकोट से ही आजाद जूनागढ़ फौज की भर्ती शुरू की थी।राजकोट का मौजूदा सर्किट हाउस तत्कालीन आरजी हुकूमत का मुख्यालय बना था। राजकोट वहां की राष्ट्रीय शाला में गांधी जी का ठहराव तथा ढेबरभाई, रसिकभाई परीख और मनुभाई पंचोली जैसे सेनानियों के संघर्ष और कस्तुरबा गांधी की जीवन स्मृतियों से भी जुड़ा है।

वडोदरा राष्ट्रीय चेतना के प्रेरक और तत्व चिंतक महर्षि अरविंद घोष की कर्मभूमि रही है। उन्होंने गुप्त रूप से क्रांतिकारियों और स्वतंत्रता आंदोलन को प्रेरणा दी थी, जिसके परिणामस्वरूप तत्कालीन वडोदरा राज में स्वतंत्रता आंदोलन की गतिविधियों को विस्तार मिला। वडोदरा के नवलखी मैदान में गुजरात विधानसभा के अध्यक्ष राजेन्द्र त्रिवेदी की अध्यक्षता में आजादी का अमृत महोत्सव मनाया गया।

नरेन्‍द्र मोदी ने स्‍वामी चिदभवानंद की ई-भगवत् गीता के लोकार्पण पर कहा कि ‘‘आत्मनिर्भर भारत’’ के मूल में सिर्फ अपने लिए धन-संपत्ति और मूल्य अर्जित करना नहीं ,बल्कि मानवता की वृहद सोच और विश्व की भलाई है attacknews.in

नयी दिल्ली, 11 मार्च । प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने बृहस्पतिवार को कहा कि ‘‘आत्मनिर्भर भारत’’ के मूल में सिर्फ अपने लिए धन-संपत्ति और मूल्य अर्जित करना नहीं ,बल्कि मानवता की वृहद सोच और विश्व की भलाई है।

डिजिटल माध्‍यम से स्‍वामी चिदभवानंद की ई-भगवत् गीता के लोकार्पण अवसर पर अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा कि कोरोना संक्रमण काल में भारत ने दुनिया को ना सिर्फ दवाइयां मुहैया कराई बल्कि अब वह टीके भी उपलब्ध करवा रहा है।

उन्होंने कहा, ‘‘आत्मनिर्भर भारत के मूल में सिर्फ अपने लिए धन-संपत्ति और मूल्य अर्जित करना नहीं है, बल्कि मानवता की सेवा है। हमारा मानना है कि आत्मनिर्भर भारत दुनिया की बेहतरी के लिए है।’’

प्रधानमंत्री ने कहा कि पूरी दुनिया कोविड-19 की चुनौती का सामना कर रही है और इसका सामाजिक और आर्थिक व्यवस्था पर भी दूरगामी प्रभाव पड़ा है। उन्होंने कहा कि ऐसी परिस्थिति में गीता के दिखाए रास्ते और अहम हो जाते हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘पिछले दिनों जब दुनिया को दवाइयों की जरूरत पड़ी तब भारत ने इसकी पहुंच सुनिश्चित करने के लिए हरसंभव प्रयास किया। हमारे वैज्ञानिकों ने कम से कम समय में टीके का इजाद किया और अब भारत दुनिया को टीके पहुंचा रहा है।’’

इसे आत्मनिर्भर भारत का बेहतर उदाहरण बताते हुए उन्होंने कहा कि 130 करोड़ भारतीयों ने देश को आत्मनिर्भर बनाने का संकल्प ले लिया है।

इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने कहा कि ई-बुक्स युवाओं में विशेष रूप से लोकप्रिय हो रही हैं और ई-भगवत् गीता अधिक से अधिक युवाओं को गीता के महान विचार से जोड़ेगा।

उन्होंने कहा, ‘‘गीता हमें सोचने पर मजबूर करती है। यह हमें सवाल करने के लिए प्रेरित करती है। यह हमें चर्चा के लिए प्रोत्साहित करती है।’’

युवाओं को गीता का अध्ययन करने का आह्वान करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि भगवत् गीता पूरी तरह व्यवहारिक ज्ञान पर आधारित है।

उन्होंने कहा, ‘‘गीता की शोभा उसकी गहराई, विविधता और लचीलेपन में है। आचार्य विनोबा भावे ने गीता को माता के रूप में वर्णित किया है। महात्मा गांधी, लोकमान्य तिलक, महाकवि सुब्रमण्यम भारती जैसे महान लोग गीता से प्रेरित थे।’’

इस समारोह का आयोजन स्वामी चिदभवानंद की भगवत् गीता की पांच लाख प्रतियों की बिक्री के अवसर पर किया गया था।

स्‍वामी चिदभवानंद तमिलनाडु के तिरूचिरापल्‍ली स्थित श्री रामकृष्‍ण तपोवन आश्रम के संस्‍थापक हैं।

उन्‍होंने साहित्‍य की विभ‍िन्‍न विधाओं में 186 पुस्‍तकें लिखी हैं। भगवत् गीता पर मीमांसा उनकी प्रमुख कृतियों में शामिल है।

तमिल भाषा में गीता पर उनकी टिप्पणी 1951 में और अंग्रेजी में 1965 में प्रकाशित हुई थी। इस पुस्‍तक का तेलुगू, उड़िया और जर्मन तथा जापानी भाषाओं में भी अनुवाद किया जा चुका है।

किसान आंदोलनकारियों के संयुक्त किसान मोर्चा ने किया 26 मार्च को भारत बंद का ऐलान attacknews.in

सोनीपत, 10 मार्च । तीन कृषि सुधार कानूनों को लेकर आंदोलनरत किसानों ने 26 मार्च को भारत बंद का ऐलान किया है। इस दिन रेल व सड़क दोनों मार्ग जाम किए जाएंगेे।

कुंडली बार्डर पर बुधवार को आयोजित संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक में यह फैसला लिया गया है। बैठक में हुए निर्णयों की जानकारी देते हुए संयुक्त किसान मोर्चा के सदस्य बूटा सिंह बुर्जगिल ने बताया कि पहले से ही मोर्चा ने 15 मार्च को ट्रेड यूनियन के साथ एंटी कार्पोरेट्स और निजीकरण के विरोध में प्रदर्शन और धरने का कार्यक्रम दे रखा है। इसमें डीजल और पेट्रोल व रसोई गैस की बढ़ती कीमतों को भी जोड़ा गया है।

किसान नेता प बंगाल में भाजपा के खिलाफ करेंगे प्रचार

नयी दिल्ली,से खबर है कि, विभिन्न किसान संगठनों के नेता 12 से 16 मार्च तक पश्चिम बंगाल में भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) के खिलाफ चुनाव प्रचार अभियान चलायेंगे।

अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के कार्यकारी दल के सदस्य एवं अखिल भारतीय किसान सभा के महासचिव अतुल कुमार अनजान ने बुधवार को बताया कि किसान नेता कोलकाता, नंदीग्राम, शहीद मीनार आदि में सभाएं करेंगे।

भारतीय बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण ने नये उत्पादों को “बीमा”पॉलिसी में शामिल करने के नियम बदले:नये उत्पादों को मंजूरी देने बीमा कंपनियों पर अब ‘इस्तेमाल करो और फाइल करो’ की प्रणाली लागू होगी attacknews.in

मुंबई, 10 मार्च । बीमा क्षेत्र नियामक इरडा बीमा क्षेत्र में नये उत्पादों को मंजूरी देने के मामले में ‘फाइल करो और इस्तेमाल करो’ से हटकर अब ‘इस्तेमाल करो और फाइल करो’ प्रणाली को अपनाने पर विचार कर रहा है। इसमें बीमा कंपनियां बिना मंजूरी के लिये बाजार में नये उत्पाद पेश कर सकेंगी। इसके चेयरमैन सुभाष सी. खुंटिया ने बुधवार को यह कहा।

भारतीय एक्चुअरीज संस्थान द्वारा आयोजित एक वचुअर्ल सम्मेलन को संबोधित करते हुये खुंटिया ने कहा, ‘‘हम उत्पादों को मंजूरी देने के मामले में ‘फाइल और इस्तेमाल करो’ प्रणाली से हटकर जहां तक संभव हो पहले ‘इस्तेमाल करो और फिर फाइल’ करो। कुछ वर्गों में हमने इस प्रणाली को शुरू कर दिया है और हम इस पर आगे बढ़ना चाहेंगे।’’

फाइल करो और इस्तेमाल करो प्रणाली के तहत किसी भी बीमा कंपनी को अपने नये उत्पाद को बाजार में पेश करने के लिये उस उत्पाद को लेकर भारतीय बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (इरडा) में आवेदन करना होता है। नियामकीय मंजूरी मिलने के बाद से वह उस उत्पाद को बाजार में बेच सकता है।

लेकिन नई प्रणाली इस्तेमाल करो और फाइल करो में बीमा कंपनियों को बिना नियामक की अनुमति के ही नये उत्पादों को बाजार में बेचने की अनुमति होगी।

उन्होंने कहा की एक्चुअरी यानी बीमा पॉलिसी का आकलन करने वाले बीमांककों की इस मामले में बड़ी जवाबदेही है। उन्हें बीमा पॉलिसी तैयार करते हुये एक तरफ पॉलिसी धारकों की सुरक्षा और दूसरी तरफ बीमा कंपनियों के परिचालन को ध्यान में रखना होता है और इसके बीच संतुलन बनाना होता है।

खुंटिया ने जोर देते हुये कहा कि बीमांककों को कोई भी नई पॉलिसी तैयार करते हुये जलवायु परिवर्तन और भविष्य की महामाारी जैसी अनिश्चितताओं और खतरों को भी ध्यान में रखना चाहिये। यह सब कुछ इस तरह होना चाहिये की जनता को उनकी जरूरत के समय व्यापक सुरक्षा उपलब्ध हो।

इरडा चेयरमैन ने कहा कि बीमांकक (एक्चुअरी) बीमा नियामक की आंख और कान हैं। यह बीमा कंपनियों की विभिन्न गतिविधियों के लिये नियुक्त बीमांककों के प्रमाणन पर निर्भर करता है। ‘‘नियुक्त किये गये विभिन्न बीमांककों की बड़ी भूमिका है, यदि वह अपना काम प्रभावी ढंग से करते हैं तो उसके बाद हमें नियामकीय देखरेख की ज्यादा जरूरत नहीं होती है। वह इस मामले में नियामक की मदद कर सकतीं हैं कि कि नियमनों का क्रियान्वयन उपयुक्त ढंग से हो।’’

इरडा चेयरमैन ने बीमांककों को सेवानिवृत्ति के क्षेत्र में बेहतर और नवोनमेषी उत्पाद तैयार करने को कहा। इस क्षेत्र में काफी मांग है। लोग अपने बुढ़ापे में वित्तीय सुरक्षा के लिये ऐसे उत्पादों को चाहते हैं।

उन्होंने कहा कि बीमांककों ने एक समिति प्रणाली के जरिये सेवानिवृति उत्पादों के मामले में एक मानक उत्पाद तैयार करने में नियामक की मदद की है।

उन्होंने यह भी कहा कि बीमा उद्योग को अपने आप को डिजिटल दुनिया के लिये तैयार करना चाहिये और सूचना प्रौद्योगिकी और सूचना प्रौद्योगिकी संबद्ध आधुनिक प्रौद्योगिकी को अपनाना चाहिये। उन्होंने कहा कि इस मामले में बीमांकक पेशेवरों को अग्रणी भूमिका निभानी चाहिये। उन्होंने कहा कि नियामक जोखिम आधारित सक्षमता की शुरुआत करने की प्रक्रिया में है जिसमें कि बीमांकक स्टाफ के लिये बड़ी भूमिका होगी।

खुंटिया ने यह भी कहा कि भारत के आकार को देखते हुये देश में बीमांककों की संख्या काफी नहीं है और यह संख्या काफी बढ़नी चाहिये। उन्होंने कहा कि 2019 में यह संख्या 439 थी जो कि 2020 में मामूली बढ़कर 458 तक पहुंची।पिछले साल हमारे पास 165 बीमांकक सहायक और 7,500 के करीब छात्र सदस्य थे।

नरेन्द्र मोदी ने कांग्रेस नेता डा कर्ण सिंह द्वारा संकलित श्रीमद्भगवत् गीता के प्रत्येक श्लोक की 20 से 21 व्याख्याओं के 11 खंडों के विमाेचन प्रधानमंत्री निवास पर करते हुए कहा कि;”गीता ने सिखायी कर्म, विचार की स्वतंत्रता, दिया लोकतंत्र का मंत्र” attacknews.in

नयी दिल्ली 09 मार्च । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने श्रीमद्भगवत् गीता को 130 करोड़ भारतीयों के लिए भगवान का संदेश बताते हुए कहा कि गीता में विचार एवं कर्म की स्वतंत्रता का संदेश ही देश के लोकतंत्र एवं संविधान का मूलमंत्र है लेकिन लोग इस संदेश को भूल कर संवैधानिक संस्थाओं पर चोट कर रहे हैं।

श्री मोदी ने यहां सात लाेक कल्याण मार्ग स्थित प्रधानमंत्री निवास पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डॉ. कर्ण सिंह द्वारा संकलित श्रीमद्भगवत् गीता के प्रत्येक श्लोक की 20 से 21 व्याख्याओं के 11 खंडों के विमाेचन के मौके पर यह बात कही। कार्यक्रम में डॉ कर्ण सिंह के अलावा जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा शामिल हुए। कार्यक्रम में सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया भी उपस्थित थे। इस ग्रंथ वृंद का प्रकाशन मोतीलाल बनारसीदास ने किया है। कार्यक्रम का संचालन डॉ कर्ण सिंह के पुत्र अजातशत्रु सिंह ने किया।

ग्रंथ के विमोचन के पश्चात समारोह को संबोधित करते हुए श्री मोदी ने कहा कि किसी एक ग्रंथ के हर श्लोक की अलग-अलग व्याख्याएं उनकी गहरायी का प्रतीक होने के साथ ही हमारी संस्कृति की वैचारिक सहिष्णुता एवं स्वतंत्रता का प्रतीक है। किसी के लिए गीता सांख्य शास्त्र है तो किसी के लिए योग सूत्र तो किसी के लिए कर्मपाठ और विश्वास का सूत्र है।

उन्होंने कहा कि गीता ने महाभारत से लेकर देश के स्वतंत्रता के संग्राम को भी प्रेरित किया। गांधी, सुभाष चंद्र बोस, बाल गंगाधर तिलक सबने गीता से प्रेरणा ली। गीता ने बताया है कि प्राणिमात्र में ईश्वर का वास है। यह ज्ञान एवं सोच की समृद्धि का स्रोत है। सभी हानि लाभ की इच्छा से मुक्ति के संदेश के साथ गीता साहस के साथ कहती है कि कोई भी कर्म से मुक्त नहीं हो सकता। कर्म कैसा हो और उसकी दिशा क्या हो, यह हमारी जिम्मेदारी है।

उन्होंने कहा, “हम सभी को गीता के इस पक्ष को देश के सामने रखने का प्रयास करना चाहिए। कैसे गीता ने हमारी आजादी की लड़ाई की लड़ाई को ऊर्जा दी। कैसे गीता ने देश को एकता के आध्यात्मिक सूत्र में बांधकर रखा। इन सभी पर हम शोध करें, लिखें और अपनी युवा पीढ़ी को इससे परिचित कराएं।”

प्रधानमंत्री ने कहा कि कर्म एवं विचार की स्वतंत्रता भारत के लाेकतंत्र की पहचान है। हमारा लोकतन्त्र हमें हमारे विचारों की आज़ादी देता है, काम की आज़ादी देता है, अपने जीवन के हर क्षेत्र में समान अधिकार देता है। हमें ये आज़ादी उन लोकतान्त्रिक संस्थाओं से मिलती है, जो हमारे संविधान की संरक्षक हैं। आज जब हम अधिकारों की बात करते हैं तो हमें लोकतांत्रिक कर्तव्यों का ध्यान रखना होता है। लेकिन लोग संवैधानिक ढांचे एवं विश्वास पर चोट कर कर रहे हैं, राजनीतिक हमले कर रहे हैं। इस प्रवृत्ति से देश को नुकसान पहुंचता है। हालांकि संतोष की बात यह है कि ऐसे लोग मुख्य धारा से दूर हैं।

उन्होंने कहा कि गीता के कर्मयोग को मान कर ही हम गांव, गरीब, शोषित, वंचित एवं जरूरतमंद की सेवा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि गीता तो एक ऐसा ग्रंथ है जो पूरे विश्व के लिए है, जीव मात्र के लिए है। दुनिया की कितनी ही भाषाओं में इसका अनुवाद किया गया, कितने ही देशों में इस पर शोध किया जा रहा है, विश्व के कितने ही विद्वानों ने इसका सानिध्य लिया है। गीता ने ही दुनिया को निस्वार्थ सेवा जैसे भारत के आदर्शों से परिचित कराया। नहीं तो भारत की निस्वार्थ सेवा, विश्व बंधुत्व की हमारी भावना बहुतों के लिए किसी आश्चर्य से कम नहीं होती।

उन्होंने कहा कि हमने जितनी ज्यादा प्रगति की, उतना ही मानव मात्र की प्रगति के लिए और प्रयास हम करते रहे। कोरोना महामारी के दौर में हमने इसी संस्कार का परिचय दिया। हमारे यही संस्कार और यही इतिहास आज आत्मनिर्भर भारत के संकल्प के रूप में एक बार फिर जागृत हो रहा है। आज भी जब दुनिया एक बार फिर से हर्बल और नेचुरल की बात कर रही है, आज जब अलग-अलग देशों में आयुर्वेद पर शोध हो रहे हैं तो भारत उसे प्रोत्साहित कर रहा है, मदद भी दे रहा है।
श्री मोदी ने कहा कि आज एक बार फिर भारत अपने सामर्थ्य को संवार रहा है ताकि वो पूरे विश्व की प्रगति को गति दे सके, मानवता की सेवा कर सके। हाल के महीनों में दुनिया ने भारत के जिस योगदान को देखा है, आत्मनिर्भर भारत में वही योगदान और अधिक व्यापक रूप में दुनिया के काम आयेगा।

प्रधानमंत्री ने डॉ कर्ण सिंह को उनके 90वें जन्मदिवस पर बधाई देते हुए कहा कि उनके परिवार में ज्ञान एवं संस्कृति की धारा अविरल बहती रही है। उन्होंने भारतीय दर्शन पर जिस प्रकार से अपना जीवन समर्पित किया है, उसका भारतीय शिक्षण जगत पर प्रभाव पड़ा है।

इससे पहले डाॅ. कर्ण सिंह ने अपने विद्वतापूर्ण संबोधन में कहा कि गीता की लोकप्रियता इसलिए है कि यह संघर्ष का शास्त्र है। इसमें गुरु के रूप में स्वयं विलक्षण भगवान श्रीकृष्ण हैं और यहां गुरू एवं शिष्य का संबंध अद्भुत है। मातृ-पितृ, बंधु एवं सखा के रूप में गुरू बन कर शिष्य अर्जुन काे मार्ग दिखाया है। यह ग्रंथ कर्मों की व्याख्या करता है। और कहता है कि व्यक्ति कर्म का समर्पण करने से पाप से मुक्त हो जाता है।