शिवराज सिंह चौहान ने कोरोना की तीसरी लहर के संबंध में अधिकारियों को दिये निर्देश,कोरोना संक्रमित मरीजों के परिवहन के लिए पूरे प्रदेश के लिए एम्बुलेंस की स्वीकृति attacknews.in

भोपाल, 08 मई । मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने निकट भविष्य में कोरोना की कथित तीसरी लहर की आशंका के बीच राज्य के अधिकारियों को इस संबंध में आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिए।

श्री चौहान ने कोरोना संबंधी कोर ग्रुप की उच्च स्तरीय बैठक में आज यहां यह निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि तीसरी लहर की चुनौतियों से निपटने के संबंध में अभी से कार्य किए जाएं। उन्होंने विशेषज्ञों की एक समिति बनाने के भी निर्देश दिए, जो तीसरी लहर के संबंध में अध्ययन भी करेगी। उन्होंने कहा कि तीसरी लहर को लेकर राज्य में क्या आशंकाएं हैं और इससे निपटने के लिए क्या क्या तैयारियां और व्यवस्थाएं की जाना चाहिए, यह भी समिति बताएगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना के मद्देनजर राज्य की स्वास्थ्य अधोसंरचनाओं को और अधिक मजबूत बनाने की जरुरत है। राज्य में रेमडिसिविर इंजेक्शन के उत्पादन के भी प्रयास किए जाएं। ऑक्सीजन के संयंत्र भी लगाए जाएं, ताकि भविष्य की ऑक्सीजन की आवश्यकताओं को पूरा किया जा सके। उन्होंने कहा कि सरकार ने अनुदान देने का निर्णय लिया है और ऑक्सीजन संयंत्र की स्थापना के लिए निजी उद्यमियों को प्रेरित किया जाए।

ग्रामीण क्षेत्रों में कोविड केयर सेंटर बनाये जाएंगे-शिवराज

सीहोर से खबर है कि, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि कोरोना संक्रमण के बढ़ते हुए मामलों को देखते हुए ग्रामीण क्षेत्रो में कोविड केयर सेंटर बनाये जाएंगे, जहां मरीजों के लिये सभी व्यवस्थाएं होंगी।

श्री चौहान आज यहां जिले के बुधनी में एकलव्य आवासीय विद्यालय परिसर में 300 बेड का कोविड केयर सेंटर की समीक्षा के दौरान यह बात कही।

उन्होंने कहा कि इस अत्याधुनिक कोविड केयर सेंटर को 300 बेड्स के साथ शीघ्र शुरू किया जायेगा। उन्होंने कहा कि इस अस्थाई कोविड केयर अस्पताल के बनने से स्थानीय मरीजों को दूसरे शहर इलाज के लिए नहीं जाना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि रेपिड रिस्पोंस टीम द्वारा मरीजों को भर्ती करने की प्रक्रिया शीघ्र शुरू की जायेगी।

मध्यप्रदेश में दो लाख से अधिक कोरोना मरीजों तक पहुँची मेडिकल किट

इधर मध्यप्रदेश के नगरीय विकास एवं आवास मंत्री भूपेन्द्र सिंह ने बताया है कि अभी तक 52 जिलों में 2 लाख 44 हजार 57 मेडिकल किट वितरित की जा चुकी हैं।

श्री सिंह ने बताया है कि 18 अप्रैल से 7 मई के मध्य नगरीय क्षेत्रों में फ़ीवर क्लीनिक एवं होम डिलीवरी के माध्यम से 2 लाख 44 हजार 57 मेडिकल किट कोविड मरीज़ों को उपलब्ध कराई गई हैं।

उन्होंने जानकारी दी है कि 18 अप्रैल को 12 हजार 583, 19 अप्रैल को 16 हजार 914, 20 अप्रैल को 11 हजार 465, 21 अप्रैल को 10 हजार 327, 22 अप्रैल को 11 हजार 76, 23 अप्रैल को 11 हजार 17, 24 अप्रैल को 10 हजार 658, 25 अप्रैल को 9 हजार 497, 26 अप्रैल को 9 हजार 360, 27 अप्रैल को 9 हजार 705, 28 अप्रैल को 11 हजार 141, 29 अप्रैल को 9 हजार 347, 30 अप्रैल को 8 हजार 958, एक मई को 10 हजार 253 , 2मई को 9 हजार 112, 3 मई को 8 हजार 439, 4 मई को 9 हजार 301 , 5 मई को 8 हजार 455, 6 मई को 8 हजार 866 और 7 मई को 7 हजार 983 कोविड मरीजों को मेडिकल किट वितरित की गई हैं।

कोरोना संक्रमित मरीजों के परिवहन के लिए एम्बुलेंस की स्वीकृति:चौधरी

मध्यप्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. प्रभुराम चौधरी ने बताया कि कोविड संक्रमित मरीजों को अस्पताल ले जाने में किसी भी प्रकार की कठिनाई न हो इसके लिए 200 अतिरिक्त एम्बुलेंस वाहन किराये पर लेने की स्वीकृति दी गई है।

डॉ. चौधरी ने बताया कि पूर्व में एम्बुलेंस वाहन को कोविड केयर सेंटर पर रखे जाने के निर्देश दिये गये थे। उन्होंने बताया कि पूर्व में कोविड – 19 मरीजों के परिवहन के लिए प्रदेश के जिलों में 148 वाहन की स्वीकृति दी गई थी। इस प्रकार अब प्रदेश के जिलों में कोविड संक्रमित मरीजों के लिए 348 एम्बुलेंस वाहन से अस्पताल ले जाने के लिए उपलब्ध रहेंगे। इस संबंध में समस्त कलेक्टर एवं समस्त मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को निर्देश जारी कर दिये गये हैं।

कोरोना टीकाकरण ऑनलाइन बुकिंग पर कोविन सिस्टम ने एप्लीकेशन में “चार अंकों वाला सेक्योरिटी कोड” शुरू किया ,अब पुष्टिकरण के बाद ही लगाया जाएगा टीका attacknews.in

कोविड 19 टीकाकरण के तीसरे चरण का अपडेट

कोविन डिजिटल प्लेफार्म में एक नया सेक्योरिटी फीचर जोड़ा गया

ऑनलाइन अड़चनों को कमतर करने के लिये “4 डिजिट सेक्योरिटी कोड”

नई दिल्ली 8 मई । यह बात ध्यान में आई है कि कुछ नागरिकों ने कोविन पोर्टल के जरिये टीकाकरण के लिये बुकिंग/अपॉइंटमेंटतो लिया, लेकिन निर्धारित दिन टीका लगवाने नहीं जा पाये। ऐसा होने पर भी उन्हें एसएमएस मिल जाता है कि टीके की खुराक उन्हें दी जा चुकी है। जांच करने पर पता चला कि टीकाकरण करने वालों की गलती के कारण ऐसी गलत सूचना चली जाती है, जबकि व्यक्ति को टीका नहीं लगा होता, यानी टीकाकरण करने वाले गलती से ऐसा डाटा डाल देते हैं।

इस अड़चन को दूर करने और नागरिकों को असुविधा से बचाने के लिये, कोविन सिस्टम ने कोविन एप्लीकेशन में “चार अंकों वाला सेक्योरिटी कोड” शुरू करने का फैसला किया है, जो आठ मई, 2021 से शुरू हो जायेगा। अब पुष्टिकरण के बाद लाभार्थी को अगर टीकाकरण का पात्र पाया जाता है, तो टीका लगाने के पहले, टीका लगाने वाला व्यक्ति लाभार्थी से चार अंकों वाला सेक्योरिटी कोड पूछेगा। उसके बाद उस अंक को कोविन सिस्टम में सही तौर पर दर्ज कर दिया जायेगा।

यह नया फीचर केवल उन लोगों के लिये लागू होगा, जिन्होंने टीकाकरण के लिये ऑनलाइन बुकिंग करवा रखी होगी। सफलतापूर्वक बुकिंग कर लेने के बाद लाभार्थी को एसएमएस के जरिये चार अंकों वाला सेक्योरिटी कोड भेज दिया जायेगा। इस बाबत पावती को भी मोबाइल पर दिखाया जा सकता है।

इससे यह सुनिश्चित होगा कि जिन नागरिकों ने ऑनलाइन बुकिंग करवाई है, उनकी टीकाकरण स्थिति को सही-सही सिस्टम में दर्ज कर लिया जाये। उनके सेंटर का नाम, समय, तिथि, आदि सिस्टम में दर्ज हो जायेगा। यह सुविधा केवल उन्हीं सेंटरों पर मिलेगी, जहां के लिये बुकिंग करवाई गई है। इससे फर्जी लोगों को दूर रखने और कोविन की सुगमता के बेजा इस्तेमाल को रोका जा सकेगा।

नागरिकों के लिये सलाह –

सलाह दी जाती है कि सभी नागरिक अपनी अपॉइंटमेंट स्लिप और/या अपना पंजीकृत मोबाइल, जिस पर एसएमएस आया है, को अपने साथ रखें, ताकि टीकाकरण की प्रक्रिया को सही तौर पर दर्ज करने के लिये चार अंकों वाले सेक्योरिटी कोड की सहायता ली जा सके।

यह भी सलाह दी जाती है कि सेक्योरिटी कोड को टीका लगाने वाले या कोड की पुष्टिकरण करने वाले को टीका लगाने से पहले बता दिया जाये। यह डिजिटल प्रमाणपत्र बनाने के लिये जरूरी है, जो टीका लगने के बाद दिया जाता है।

नागरिकों को टीका लगाने वाले व्यक्ति को सेक्योरिटी कोड देना होगा, ताकि सेक्योरिटी कोड के साथ टीकाकरण की पूरी प्रक्रिया दर्ज की जा सके। इसके बाद ही डिजिटल प्रमाणपत्र मिलेगा।

सारी प्रक्रिया पूरी हो जाने के बाद नागरिकों को एसएमएस भेजा जायेगा। पुष्टिकरण का यह एसएमएस इस बात का प्रमाण है कि टीकाकरण की प्रक्रिया सफलतापूर्वक पूरी हो गई और डिजिटल प्रमाणपत्र बन गया है। अगर किसी को एसएमएस नहीं मिलता, तो उसे सम्बंधित टीकाकरण केंद्र से संपर्क करना चाहिये।

कोविड-19 संक्रमण का मुकाबला करने के लिए आयुष मंत्रालय ने पॉली हर्बल औषधि “आयुष-64” और काबासूरा कुडिनीर को संक्रमित रोगियों को वितरित करने का देशव्यापी अभियान शुरू किया attacknews.in

आयुष मंत्रालय का आयुष64 और काबासुरा कुडिनीर के राष्ट्रव्यापी वितरण का अभियान शुरू

कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर का मुकाबला करने के लिए मंत्रालय की नई पहल

मुख्य फोकस अस्पताल के बाहर के कोविड-19 रोगी

नईदिल्ली 8 मई । देश में कोविड-19 संक्रमण की दूसरी लहर का मजबूती से मुकाबला करने के लिए आयुष मंत्रालय ने आज से अपनी पॉली हर्बल औषधि आयुष-64 और काबासूरा कुडिनीर को कोविड-19 संक्रमित रोगियों (जो अस्पताल में भर्ती नहीं हैं) को वितरित करने के लिए एक देशव्यापी अभियान शुरू किया। इन दवाओं की उपयोगिता और प्रभावशीलता बहु-केंद्रीय क्लीनिकल परीक्षणों के माध्यम से साबित हो चुकी है।

श्री किरेन रिजिजू, युवा मामले और खेल राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और आयुष मंत्री (अतिरिक्त प्रभार) द्वारा शुरू किए गए इस अभियान द्वारा यह सुनिश्चित किया जायेगा कि दवाएँ पारदर्शी तरीके से ज़रूरतमंदों तक पहुँचे। अभियान में मुख्य सहयोगी के रूप में सेवा भारती संस्था साथ जुड़ी है।

कोविड के लक्षणविहीन, हल्के और मध्यम संक्रमण के इलाज में कारगर इन औषधियों के देशव्यापी वितरण की एक व्यापक रणनीति बनाई गई है जिसे चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा। इसके लिए आयुष मंत्रालय के तत्वावधान में काम करने वाले विभिन्न संस्थानों के व्यापक नेटवर्क का उपयोग किया जाएगा और यह सेवा भारती के देशव्यापी नेटवर्क द्वारा समर्थित होगा।

आयुष मंत्रालय द्वारा विभिन्न स्तरों पर किये जा रहे प्रयासों को कारगर बनाने के लिए तथा इस तरह की पहल के लिए रणनीति तैयार करने और विकसित करने के लिए वरिष्ठ विशेषज्ञों के एक समूह के साथ एक अंतःविषयक आयुष अनुसंधान और विकास कार्य बल पहले से ही काम कर रहा है। कोविड-19 के दुष्प्रभाव को घटाने और प्रबंधन में आयुष हस्तक्षेप की भूमिका का आकलन करने के लिए कई नैदानिक (क्लीनिकल), पर्यवेक्षणीय अध्ययन भी किए गए हैं। इसके अलावा, मंत्रालय ने ‘राष्ट्रीय नैदानिक प्रबंधन प्रोटोकॉल: आयुर्वेद और योग के एकीकरण’ के लिए एक अंतःविषयक समिति भी स्थापित की है जिसकी अध्यक्षता ICMR के पूर्व महानिदेशक डॉ. वी.एम. कटोच तथा विशेषज्ञों के समूह ने की है।

कोविड-19 के खिलाफ जारी इस जंग में आयुष मंत्रालय द्वारा की गई विभिन्न पहलों में आयुर्वेद और योग पर आधारित कोविड-19 के प्रबंधन के लिए राष्ट्रीय नैदानिक प्रबंधन प्रोटोकॉल भी शामिल है जिसका उद्देश्य आम जनता को इन प्रणालियों की ताकत का लाभ उठाने में मदद प्रदान करना है।

इसके अलावा, कोविड-19 की इस दूसरी लहर के उभार के दौरानमंत्रालय ने आयुर्वेद और यूनानी चिकित्सकों के लिए दिशानिर्देश जारी किए हैं और साथ ही कोविड-19 रोगियों के लिए होम आइसोलेशन के दौरान आयुर्वेद और यूनानी चिकित्सा पद्धति के अनुसार स्वयं की देखभाल के लिए निवारक उपाय साझा किये हैं। इसके अलावा, मंत्रालय ने कोविड-19 महामारी के दौरान एथिकल प्रैक्टिसेज पर आयुष चिकित्सकों के लिए सलाह-सहायिका भी जारी की है।

ज्ञात हो कि महामारी की दूसरी लहर के दौरान आयुष-64 और काबासुरा कुडिनीर कोविड-19 के हल्के एवं मध्यम संक्रमण के रोगियों के लिए आशा की किरण बनकर उभरे हैं। देश के प्रतिष्ठित शोध संस्थानों के वैज्ञानिकों ने पाया है कि आयुष-64, जो कि आयुष मंत्रालय के केंद्रीय आयुर्वेद अनुसंधान परिषद (सीसीआरएएस) द्वारा विकसित एक पॉली हर्बल दवा है, हल्के और मध्यम कोविड-19 संक्रमण के उपचार में मानक देखभाल के लिए सहायक के रूप में उपयोगी है।

उल्लेखनीय है कि आयुष-64 प्रारंभ में मलेरिया के लिए 1980 में विकसित की गई थी और अब इसे कोविड-19 के लिए पुनरुद्देशित किया गया है। आयुष मंत्रालय तथा वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान मंत्रालय (CSIR) के सहयोग ने हाल ही में कोविड-19 के हल्के एवं मध्यम संक्रमण के रोगियों में आयुष 64 की सुरक्षा और प्रभावकारिता का मूल्यांकन करने के लिए एक व्यापक बहु-केंद्र क्लीनिकल परीक्षण कार्य पूरा किया है। इसके अलावा सिद्ध पद्धति के औषधीय काढ़े काबासुरा कुडिनीरकोभी आयुष मंत्रालय के तहत कार्यरत केंद्रीय सिद्ध अनुसंधान परिषद (CCRS) ने कोविड-19 रोगियों में इसकी प्रभावकारिता का अध्ययन करने के लिए क्लिनिकल परीक्षणों द्वारा जांचा और तथा हल्के से मध्यम कोविड-19 संक्रमण के रोगियों के उपचार में उपयोगी पाया।

आयुष -64 और काबासुरा कुडिनीर के उत्साहवर्धक परिणामों के आधार पर लक्षणविहीन, हल्के से मध्यम COVID-19 संक्रमण में मानक देखभाल के लिए सहायक के रूप में, आयुष मंत्रालय इन औषधियों के वितरण के लिए इस राष्ट्रव्यापी अभियान का शुभारंभ कर रहा है ताकि होम आइसोलेशन में रह रहे कोविड-19 संक्रमण के मरीजों को इन औषधियों का सही लाभ मिल सके और उन्हें अस्पतालों के चक्कर लगाने की नौबत ही न आने पाए।

मध्यप्रदेश में 7 कंपनियों के रेमडेसिविर की सप्लाई निरंतर जारी;अब तक 2 लाख 51 हजार 734 रेमडेसिविर इंजेक्शन की उपलब्धता सुनिश्चित attacknews.in

भोपाल, 07 मई । मध्यप्रदेश सरकार द्वारा कोरोना मरीजों के उपचार की सभी व्यवस्थाएँ सुनिश्चित की जा रही है। प्रदेश में 7 कंपनियों के रेमडेसिविर इंजेक्शन की सप्लाई प्रदेश में हो रही है। अब तक 2 लाख 51 हजार 734 रेमडेसिविर इंजेक्शन की उपलब्धता सुनिश्चित की गई है। आज 7 मई को मेसर्स सन फॉर्मा द्वारा 960 यूनिट प्रायवेट को और मेसर्स हिट्रो द्वारा 5220 यूनिट प्रायवेट को रेमडेसिविर इंजेक्शन की पूरे मध्यप्रदेश में आपूर्ति की जा रही है।

कोविड-19 महामारी के नियंत्रण के लिये यथासंभव प्रयास किए जा रहे हैं। इसके अंतर्गत रेमडेसिविर की सुगम उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए शासन द्वारा हर संभव प्रयास किए गए हैं। रेमडेसिविर निर्माताओं को मध्यप्रदेश में इसकी सप्लाई बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं। सभी को जरूरत अनुसार उचित दाम पर रेमडेसिविर की सुगम उपलब्धता के साथ ही इसकी कालाबाजारी एवं अवैध विक्रय की रोकथाम के निर्देश प्रदेश के सभी औषधि निरीक्षकों को जारी किए गए हैं। औषधि निरीक्षकों द्वारा रेमडेसिविर इंजेक्शन की आपूर्ति एवं वितरण पर सतत निगरानी रखी जा रही है। अस्पतालों में भर्ती मरीजों को रेमडेसिविर इंजेक्शन की सुलभ उपलब्धता के उद्देश्य से इसका वितरण केवल अस्पताल एवं संस्थानों में हो, ऐसी व्यवस्था भी की गई है।

मध्यप्रदेश में कोरोना के मामले कम हुए,शुक्रवार को 11,708 नये मरीज आये सामने, 84 की मौत;अब तब 6,49,114 लोग संक्रमित और 6244 की मौत attacknews.in

भोपाल, 07 मई । मध्यप्रदेश में कोरोना संक्रमण के मामूली रुप से घटते मामलों के बीच आज राज्य भर में ग्यारह हजार से अधिक लोगों में संक्रमण के लक्षण मिले हैं।इस वैश्विक महामारी ने आज 84 लोगों की जान ले ली।

अन्य दिनों की तरह ही आज भी इंदौर में सबसे अधिक कोरोना संक्रमित मिले।

राज्य के स्वास्थ्य संचालनालय की ओर से जारी बुलेटिन के अनुसार आज प्रदेश भर में कोरोना संक्रमण के मामले में 65,262 लोगों की जांच की गई।

इनमें से 11,708 लोग कोरोना पॉजिटित मिले हैं।

राज्य भर में अब तब इस महामारी से 6,49,114 लोग संक्रमित हो चुके हैं।

हलाकि इनमें से 547447 लोग ठीक होकर घर पहुंच चुके है।

वर्तमान में सक्रिय मरीजों की संख्या 95423 है।

इन सभी सक्रिय मरीजों का उपचार प्रदेश भर के विभिन्न अस्पतालों में चल रहा है।

इस बीमारी से आज 4815 लोग निजात पाकर अपने घर रवाना हो गये है।

आज संक्रमण दर 17़ 9 प्रतिशत आंका गया।

राज्य में अब तक 6244 लोगों की मौत हो चुकी।

राज्य के इंदौर जिले में आज 1753 लोगों में संक्रमण के लक्षण मिले है।

वहीं राजधानी भोपाल जिले में 1576 लोग कोरोना संक्रमित पाये गये।इसके अलावा ग्वालियर जिले में 910, जबलपुर जिले में 795, उज्जैन जिले में 370, रतलाम जिले में 380, रीवा जिले में 309, धार व सागर में 231, सतना में 242, शिवपुरी में 298, नरसिंहपुर में 239, सीहोर में 206 लोग कोरोना संक्रमित पाये गये है।

राज्य के बाकी जिलों में भी 24 से 178 के बीच कोरोना मरीज मिले हैं।

नागरिक उड्डयन क्षेत्र से जुड़े लोगों को तेज और कुशल टीकाकरण करने के लिए दिशानिर्देश जारी;एयरपोर्ट ऑपरेटरों द्वारा मिलेगी टीकाकरण सुविधा attacknews.in

नईदिल्ली 7 मई ।नागरिक उड्डयन मंत्रालय (एमओसीए) ने विमानन समुदाय के लोगों का समय पर टीकाकरण सुनिश्चित करने के लिए टीकाकरण कार्यक्रम को तेजी, कुशलता और सुविधा के साथ करने के दिशानिर्देश जारी किए हैं। कोविड-19 के मामलों में आई तेजी को देखते हुए विमानन समुदाय ने लोगों की आवाजाही के लिए सेवाएं सुचारू रूप से निश्चित करने के लिए अथक परिश्रम किया है। और इसके साथ ही आवश्यक चिकित्सा सामग्रियांजैसे वैक्सीन, दवाइयां, ऑक्सीजन कॉन्सेंट्रेटर आदि का बिना किसी बाधा के परिवहन किया है।

ऐसे में नागरिक उड्डयन सचिव ने सभी राज्य सरकारों को पत्र लिखकर आग्रह किया है कि टीकाकरण कार्यक्रम के तहत उड्डयन और उससे संबंधित सेवाओं में शामिल व्यक्तियों को प्राथमिकता समूह में शामिल कर टीका लगाया जाय।

दिशानिर्देशों के अनुसार, नागरिक उड्डयन क्षेत्र से जुड़ी सभी कंपनियों को सलाह दी गई कि वे अपने कर्मचारियों को चल रहे टीकाकरण कार्यक्रम के तहत कवर करें। दिशानिर्देशों में आगे कहा गया है कि जिन संगठनों ने पहले से ही अपने कर्मचारियों को टीकाकरण के लिए सरकारी / निजी सेवा प्रदाताओं के साथ व्यवस्था की है, वे ऐसा करना जारी रख सकते हैं।

इसके अलावा, एयरपोर्ट ऑपरेटर्स द्वारा अपने संबंधित हवाई अड्डों पर एक टीकाकरण सुविधा स्थापित करने की सलाह दी गई है। जिससे कि विमानन या संबंधित सेवाओं (अनुबंध, आकस्मिक सहित) में शामिल कर्मियों को शीघ्र टीकाकरण की सुविधा मिल सके। दिशानिर्देश में यह भी कहा गया है किएयरपोर्ट ऑपरेटर्स कोतुरंत ऐसी राज्य सरकारों / निजी सेवा प्रदाताओं (अस्पतालों) से संपर्क करना चाहिए, जो हवाई अड्डों पर कोविड टीकाकरण केंद्र स्थापित करने के इच्छुक हैं।

दिशानिर्देशों में यह भी कहा गया है कि टीकाकरण काउंटरों की स्थापना, अलग से प्रतीक्षा क्षेत्र (टीकाकरण से पहले और उसके बाद) जैसी सुविधाओं की व्यवस्था एयरपोर्ट ऑपरेटर्स को करनी होगी। इस दौरान टीकाकरण के लिए आऩे वाले लोगों के कोविड प्रोटोकाल के तहत दी जाने वाली मूलभूत सुविधाओंजैसे (सहायता डेस्क, पेयजल, खुली हवा, पंखे, वॉशरूम, आदि) की व्यवस्था भी करनी होगी। प्रति खुराक टीके की लागत एयरपोर्ट ऑपरेटर्स और सेवा प्रदाता कंपनियां तय कर सकेंगी। ये सुविधाएं विमानन क्षेत्र से जुड़े सभी संबंधित पक्षों के लिए एक ही कीमत पर उपलब्ध होंगी। आगे कहा गया है कि हवाई अड्डों के इकोसिस्टम में काम करने वाली सभी एजेंसियां अपने कर्मचारियों का टीकाकरण कराने की व्यवस्था करें। इसके लिए ऑपरेटर / सेवा प्रदाता कंपनियां व्यक्तिगत स्तर पर टीकाकरण नहीं करेंगी। इसके अलावा, संबंधित कर्मचारियों के वैक्सीन खुराक का भुगतान करने के लिए सेवा प्रदाता ऑनलाइन भुगतान सिस्टम भी तैयार करें।

इसके अलावा छोटे हवाई अड्डों के लिए (जहां टीकाकरण के लिए कर्मचारियों की संख्या कम है और निजी कंपनियों को यह व्यवहारिक नहीं लगता है), एयरपोर्ट ऑपरेटर टीकाकरण कार्यक्रम का विस्तार करने के लिए जिला / स्थानीय प्रशासन से संपर्क कर सकते हैं। एयरपोर्ट ऑपरेटर द्वारा बनाई गई सुविधाएं पहले चरण में सभी नागरिक उड्डयन कर्मचारियों के लिए उपलब्ध होंगी और बाद में उसका परिवार के सदस्यों के लिए दायरा बढ़ाया जा सकता है।

दिशानिर्देशों में कहा गया है कि एटीसी कर्मचारी, एयरलाइंस के चालक दल (कॉकपिट और केबिन दोनों), जोखिम मिशन और यात्रियों के सीधे संपर्क में आने वाले कर्मचारियों को टीकाकरण करने में प्राथमिकता दी जानी चाहिए। सभी एयरपोर्ट ऑपरेटर्स को सलाह दी जाती है कि टीकाकरण कार्यक्रम के समन्वय के लिए एक नोडल अधिकारी (एक वैकल्पिक नोडल अधिकारी को भी तुरंत रखा जा सकता है) को नियुक्त करें।

दिशानिर्देशों में कहा गया है किएएआई चेयरमैन समन्वय, कार्य की समीक्षा, समस्याओं और चुनौतियों का समाधान करने के लिए मंत्रालय और डीजीसीए के साथ नियमित बैठकें करेंगे। यदि वैक्सीन की उपलब्धता का कोई मुद्दा हैतो मंत्रालय अबाध आपूर्ति के लिए उपयुक्त स्तर पर कदम उठाएगा।

आदेश में आगे उल्लेख किया गया है कि स्थानीय जरूरतों को देखते हुए सुझाए गए दिशानिर्देशों को प्रासंगिक और बेहतर बनाया जा सकता है।लेकिन इसके तहत गृह मंत्रालय और राज्य सरकारों द्वारा बनाए गए सभी सुरक्षा प्रोटोकॉल और निर्देश पालन करना जरूरी होगा।

मध्यप्रदेश में गुरुवार देर रात कोरोना संक्रमितों की संख्या 6,37,406 और मृतकों की संख्या 6160 हुई, 24 घंटे में 86 की मौत, 12 हजार से अधिक मिले संक्रमित attacknews.in

भोपाल, 06 मई । मध्यप्रदेश में आज 12 हजार से अधिक से लोग कोरोना संक्रमित मिले है।इस संक्रमित बीमारी ने आज 86 लोगों की जान ले ली।आज भी इंदौर में सबसे अधिक कोरोना संक्रमित मिले।

राज्य के स्वास्थ्य संचालनालय की ओर से जारी बुलेटिन के अनुसार आज प्रदेश भर में जांचे गये 68102 सैंपल रिपोर्ट में 12,421 लोग कोरोना पॉजिटित मिले हैं।

अब तक इस महामारी से राज्य भर में 6,37,406 लोग संक्रमित हो चुके हैं।हलाकि इनमें से 5,42,62 लोग ठीकर होकर घर पहुंच चुके है।

वर्तमान में सक्रिय मरीजों की संख्या 88814 है।इन सभी सक्रिय मरीजों का उपचार प्रदेश भर के विभिन्न अस्पतालों में चल रहा है।

इस बीमारी से आज 12,065 लोग निजात पाकर अपने घर रवाना हो गये है।

आज संक्रमण दर 18़ 2 प्रतिशत आंका गया।

राज्य में अब तक 6160 लोगों की मौत हो चुकी।

राज्य के इंदौर जिले में आज 1792 लोगों में संक्रमण के लक्षण मिले है।वहीं राजधानी भोपाल जिले में 1584 लोग कोरोना संक्रमित पाये गये।

इसके अलावा ग्वालियर जिले में 1020, जबलपुर जिले में 870, उज्जैन जिले में 410, रतलाम जिले में 385, रीवा जिले में 301, धार में 248, अनूपपुर जिले में 220, सतना में 226, शिवपुरी में 403 लोग कोरोना संक्रमित पाये गये है।

राज्य के बाकी जिलों में भी 28 से 200 के बीच कोरोना मरीज मिले हैं।

मध्यप्रदेश में कोरोना मरीजों के निःशुल्क इलाज़ के लिए नई योजना लागू की जा रही है;प्रदेश के गरीब एवं आम आदमी के साथ मध्यम वर्गीय व्यक्ति को भी निःशुल्क इलाज अनुबंधित निजी अस्पतालों में मिल सकेगा attacknews.in

भोपाल, 06 मई । मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि प्रदेश में कोरोना मरीजों के निःशुल्क इलाज़ के लिए नई योजना लागू की जा रही है। इसके अंतर्गत प्रदेश के गरीब एवं आम आदमी को जहां तक मध्यम वर्गीय व्यक्ति को भी कोरोना का निःशुल्क इलाज अनुबंधित निजी अस्पतालों में मिल सकेगा।

श्री चौहान आज निवास से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से कोरोना नियंत्रण कोर ग्रुप की बैठक ले रहे थे। बैठक में संबंधित मंत्री और अधिकारी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से उपस्थिति हुए। उन्होंने कहा कि योजना के क्रियान्वयन के लिए आयुष्मान भारत योजना पर निजी अस्पतालों को राज्य सरकार द्वारा विशेष पैकेज दिया जाएगा। सरकार निजी अस्पतालों को कोविड इलाज़ के लिए अनुबंधित करेगी।

श्री चौहान ने कहा कि योजना के अंतर्गत सीटी स्केन आदि जाँचें भी नि:शुल्क होंगी तथा दवाएँ, रेमडेसिविर इंजेक्शन, ऑक्सीजन आदि भी निःशुल्क मिलेंगे।
प्रदेश में अभी तक आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत 2 करोड़ 42 लाख कार्ड बनाए गए हैं, जिससे 88 प्रतिशत जनसंख्या कवर्ड हो रही है। इन सभी को शासन द्वारा अनुबंधित अस्पतालों में कोरोना का निःशुल्क इलाज़ मिल सकेगा। प्रदेश में वर्तमान में आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत 328 निजी चिकित्सालय संबद्ध हैं, जिनमें 23 हजार 946 बेड्स उपलब्ध हैं। सरकार द्वारा 5 मई को आयुष्मान भारत योजना अंतर्गत प्रदेश के 68 निजी चिकित्सालयों को अगले 3 महीने के लिये संबद्ध किया गया है।

प्रत्येक जिले के निजी अस्पतालों में नि:शुल्क इलाज मिल सके, इसके लिये कलेक्टर्स को अधिकार दिये गये हैं कि वे अपने जिले के निजी अस्पतालों को आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत अस्थाई रूप से संबद्ध कर सकेंगे। इससे इन सभी निजी अस्पतालों में, जहाँ वर्तमान में कोरोना का इलाज किया जा रहा है, आयुष्मान कार्ड धारियों को कोरोना का नि:शुल्क इलाज मिल सकेगा।

सरकार ने निर्णय लिया है कि आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत यदि परिवार के एक सदस्य के पास आयुष्मान कार्ड है, तो परिवार के अन्य सदस्यों को भी नि:शुल्क उपचार की सुविधा मिल सकेगी। कोविड इलाज के लिये अस्पताल में भर्ती होने पर कलेक्टर उसका आयुष्मान कार्ड बनवाने की व्यवस्था करेंगे।
निजी अस्पताल कोविड का इलाज इस योजना के अंतर्गत अच्छे तरीके से कर सकें, इसके लिये सरकार द्वारा आयुष्मान भारत पैकेज की दरों को 40 प्रतिशत बढ़ाया गया है। इन दरों में रूम रेंट, भोजन, जाँचें, परामर्श शुल्क, पैरामेडिकल शुल्क आदि सभी सम्मिलित हैं।

राज्य सरकार द्वारा योजना के अंतर्गत इलाज करवाने वाले प्रत्येक व्यक्ति को एडवांस डॉयग्नोस्टिक के लिये 5 हजार रुपये दिये जायेंगे। आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत 5 हजार रुपये प्रत्येक पात्र परिवार को दिये जाते हैं।

इस योजना के लागू हो जाने पर प्रदेश में आयुष्मान भारत योजना के हितग्राहियों को कोविड के इलाज के लिये निजी एवं शासकीय अस्पतालों में कुल 60 हजार 915 बिस्तर उपलब्ध हो सकेंगे। इनमें 37 हजार 159 बिस्तर शासकीय अस्पतालों में, 3 हजार 675 बिस्तर अनुबंधित अस्पतालों में तथा 20 हजार 81 बिस्तर आयुष्मान भारत के अंतर्गत अनुबंधित निजी अस्पतालों में मिल सकेंगे।

बैठक में श्री चौहान ने निर्देश दिए कि वैक्सीन की उपलब्धता अनुसार 18 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्तियों का वैक्सीनेशन निरंतर चलता रहे। इसके साथ ही 45 वर्ष से अधिक के व्यक्तियों का वैक्सीनेशन भी पूर्व अनुसार जारी रहे।

जिलेवार समीक्षा में पाया गया कि ज़िलों में अस्पतालों से कोरोना के मरीज़ बड़ी संख्या में स्वस्थ होकर डिस्चार्ज हो रहे हैं, जिससे बिस्तरों की उपलब्धता बढ़ी है। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने आई.सी.यू. बेड्स बढ़ाए जाने के निर्देश दिए।

अमेरिका में भारतीय मूल के डॉक्टरों का समूह भारत में जल्द ही पहुंचाएगा 5,000 वेंटिलेटर, कनाडा की सरकार से कर रहा है यह समूह बातचीत attacknews.in

वाशिंगटन, छह मई । अमेरिका में भारतीय मूल के डॉक्टरों के एक प्रभावशाली संगठन ने 5,000 वेंटिलेटर तुरंत भारत को मुहैया कराने के लिए कनाडा की सरकार के साथ बातचीत शुरू की है। कोविड-19 संक्रमण की तेज लहर के दौरान वेंटिलेटर की खरीदारी की गयी थी लेकिन इसका इस्तेमाल नहीं हो पाया था।

‘अमेरिकन एसोसिएशन ऑफ फिजिशियंस ऑफ इंडियन ऑरिजिन’ (आपी) के अध्यक्ष डॉ. सुधाकर जोन्नालगडा ने बताया, ‘‘हम कनाडा सरकार के साथ बातचीत कर रहे हैं। उनके पास करीब 5,000 वेंटिलेटर है।’’

जोन्नालगडा ने बताया, ‘‘ये वेंटिलेटर कनाडा के रेड क्रॉस के पास हैं। हमने कनाडा सरकार से रेड क्रॉस के जरिए कोविड-19 महामारी से जूझ रहे भारत को ये वेंटिलेटर मुहैया कराने का अनुरोध किया है।’’

जोन्नालगडा ने कहा कि संगठन के डॉक्टर इसके लिए काम कर रहे और उम्मीद है कि कनाडा सरकार स्वास्थ्य संकट से जूझ रहे भारत को इसे देने के लिए राजी हो जाएगी।

‘आपी’ की निर्वाचित अध्यक्ष डॉ. अनुपमा गोटिमुकुला ने बताया कि संगठन ने मामले पर बुधवार को कनाडा सरकार से बात की। उन्होंने कहा ‘आपी’ के डॉक्टर भारत सरकार के साथ एक मंच विकसित करने के लिए काम कर रहे हैं जिसके जरिए भारतीय-अमेरिकी डॉक्टर भारत के मरीजों को निशुल्क टेली-मेडिसीन सेवा मुहैया कराएंगे।

3 मई से 9 मई की अवधि के बीच सभी राज्यों को रेमेडेसिविर की 16.5 लाख इंजेक्शन शीशियाँ का आवंटन;केंद्रीय रसायन और उर्वरक मंत्री ने कोविड उपचार तथा अन्य आवश्यक दवाओं की उपलब्धता की समीक्षा की attacknews.in

नईदिल्ली 6 मई ।केंद्रीय रसायन और उर्वरक मंत्री श्री सदानंद गौड़ा ने कोविड बीमारी के इलाज के लिए दवाओं तथा अन्य आवश्यक दवाओं की उपलब्धता के बार में एक बैठक की अध्यक्षता की।

बैठक में सचिव (फार्मा) सुश्री एस अपर्णा, डॉ. वी. जी. सोमानी, डीसीजीआई, एनपीपीए की अध्यक्ष श्रीमती शुभ्रा सिंह, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के संयुक्त सचिव डॉ. मनदीप कुमार भंडारी, संयुक्त सचिव (फार्मा) श्री नवदीप रिनवा, एनपीपीए की सदस्य सचिव श्रीमती विनोद कोतवाल तथा अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

श्री गौड़ा ने बैठक में रेमेडेसिविर के सभी सात निर्माताओं को एक महीने पहले के 38 लाख शीशी उत्पादन को बढ़ाकर प्रति महीने 1.03 करोड़ शीशी करने के लिए उनके प्रयासों की सराहना की।

उन्होंने कहा कि बढ़ी हुई इस क्षमता से इंजेक्शन की घरेलू उपलब्धता में मजबूती आएगी। उन्होंने बताया कि 3 मई और 9 मई की अवधि के बीच सभी राज्यों को रेमेडेसिविर की 16.5 लाख शीशी का आवंटन किया गया है।

उन्होंने कहा कि 21 अप्रैल से कुल आवंटन 34.5 लाख शीशी किया गया है। उन्होंने कहा कि राज्यों को आवंटन एक गतिशील प्रक्रिया है और आने वाले सप्ताहों में सप्लाई बढ़ाने के प्रयास किए जाएंगे।

बैठक के दौरान अन्य आवश्यक दवाओं की उपलब्धता पर भी विचार-विमर्श किया गया। श्री गौड़ा ने अन्य आवश्यक दवाओं की उपलब्धता तथा कालाबाजारी तथा जमाखोरी की निरंतर निगरानी करने की आवश्यकता पर बल दिया।

डीसीजीआई डॉ. सोमानी ने बताया कि बाजार में विभिन्न दवाओं की उपलब्धता का पता लगाने के लिए एक सर्वेक्षण किया जा रहा है। प्रारंभिक जानकारी से पता लगा है कि वर्तमान में बाजार में पर्याप्त दवाएं उपलब्ध हैं और फार्मा विभाग, एनपीपीए तथा सीडीएससीओ दवाओं की उपलब्धता की निकट से निगरानी जारी रखेंगे।

कालाबाजारी और जमाखोरी के बारे में उन्होंने बताया कि राज्यों के औषधि नियंत्रकों को फील्ड निरीक्षण दल गठित करने के निर्देश दिए गए हैं। दवाओं की जमाखोरी और कालाबाजारी के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जा रही है।

उन्होंने बताया कि रेमेडेसिविर / टॉक्लीजुमाब/ फेवीपीराविर जैसी कोविड प्रबंधन की दवाओं की जमाखोरी/कालाबाजारी तथा अधिक मूल्य वसूली को रोकने के लिए अनेक कदम उठाए जा रहे हैं।

उन्होंने बताया कि पूरे भारत में एसडीसी, स्थानीय पुलिस ,एफडीए आदि के सहयोग से जमाखोरी/कालाबाजारी तथा अधिक मूल्य वसूली के लिए 1.5.2021 तक 78 कार्रवाइयां की गई हैं, गिरफ्तारियां की गई हैं और मामले दर्ज किए गए हैं। दवाइयां, वाहन, खाली शीशी (संभवतः जहरीली दवाएं बनाने के लिए) तथा नकदी की जब्ती की गई है। चंडीगढ़ में एक मामले में 3000 यूनिट रेमेडेसिविर की शीशियां जब्त की गईं।

श्री गौड़ा ने फार्मा कंपनियों और एनपीपीए, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय तथा सीडीएससीओ के अधिकारियों के समन्वित प्रयासों के लिए उनकी सराहना की और कम से कम समय में कोविड उपचार की दवाओं और अन्य आवश्यक दवाओं की उपलब्धता के लिए उनके घनिष्ठ सहयोग की सराहना की। उन्होंने कहा कि सरकार और निजी क्षेत्र के बीच इस तरह का घनिष्ठ सहयोग समय की जरूरत है।

इंदौर जिले के दो वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारियों ने त्यागपत्र दिए attacknews.in

इंदौर, 05 मई । मध्यप्रदेश के इंदौर जिले के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (सीएमएचओ) कार्यालय में जिला स्वास्थ्य अधिकारी के पद पर पदस्थ डॉक्टर पूर्णिमा गाडरिया और मानपुर के चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर आर एस तोमर ने अपना-अपना त्यागपत्र सौंप दिया है।

आधिकारिक जानकारी के अनुसार डॉ गाडरिया ने स्वास्थ्य आयुक्त, संचालनालय स्वास्थ्य सेवायें मध्यप्रदेश को अपना इस्तीफा अग्रेषित किया है। इसी तरह डॉक्टर आर एस तोमर ने सीएमएचओ इंदौर को अपना इस्तीफा सौंप दिया है।

डॉ गाडरिया द्वारा प्रेषित इस्तीफा में इस्तीफा के कारणों का जिक्र नहीं किया गया है। उन्होंने बेहद संक्षिप्त पत्र में 5 मई 2021 को शासकीय सेवा से त्यागपत्र देने का उल्लेख किया है। उधर डॉ. डागरिया ने त्यागपत्र की वजह बताते हुए संवाददाताओं से कहा कि वे जिला कलेक्टर के व्यव्हार से आहत है।

कनाडा सरकार ने 12-15 साल के बच्चों के लिए फाइजर वैक्सीन के इस्तेमाल को दी मंजूरी attacknews.in

ओटावा 05 मई (स्पूतनिक) कनाडा की सरकार ने 12 से 15 साल के बच्चों को कोरोना वायरस (कोविड-19) से सुरक्षा प्रदान करने के लिए फाइजर-बायोएनटेक की वैक्सीन के इस्तेमाल को मंजूर प्रदान की है।

कडाना की राष्ट्रीय स्वास्थ्य एजेंसी ने बुधवार को यह जानकारी दी। एजेंसी ने कहा, “आज, स्वास्थ्य विभाग ने 12 से 15 वर्ष की आयु के बच्चों में फाइजर-बायोटेक कोविड-19 वैक्सीन के उपयोग को अधिकृत किया है। इसके साथ ही यह कडान में बच्चों के इस्तेमाल के लिए मंजूर होने वाली पहली वैक्सीन बन गई है और कोविड-19 महामारी के खिलाफ लड़ाई में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।”

देश में अब तक कोरोना वैक्सीन के 16 करोड़ से अधिक लोगों को दिए गए डोज attacknews.in

नयी दिल्ली,05 मई। देश में अब तक 16 करोड़ से अधिक लोगों को कोरोना वैक्सीन डोज दिए जा चुके है और मंगलवार तक कोविड-19 वैक्सीन के कुल 16,04,18,105 डोज लोगों को दिए गए ।

स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के अनुसार देश में पहली डोज के रूप में वैक्सीन के 13 करोड़ (13,00,03,255) से अधिक डोज लोगों को दिए गए हैं, जबकि दूसरी डोज के रूप में वैक्सीन की 3 करोड़ (3,04,14,880) से अधिक डोज दी जा चुकी हैं।

मंत्रालय के मुताबिक 12 राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों में 18 से 44 आयु वर्ग के लोगों को कोविड-19 वैक्सीन की कुल 6,62,619 खुराक दी जा चुकी है। कोविड-19 वैक्सीन की कुल 16,04,18,105 डोज में 94,61,633 स्वास्थ्य कर्मी (एचसीडब्ल्यू) शामिल हैं, जिन्होंने वैक्सीन की पहली डोज ली है, जबकि 63,20,945 स्वास्थ्यकर्मियों ने वैक्सीन की दूसरी डोज ली है। वहीं 1,35,59,294 फ्रंट लाइन वर्कर्स को वैक्सीन की पहली डोज दी जा चुकी है जबकि 73,21,052 फ्रंट लाइन वर्कर्स को वैक्सीन की दूसरी डोज दी गई है। टीकाकरण कार्यक्रम के अनुसार 60 वर्ष से अधिक आयु के 5,29,43,090 लोगों को वैक्सीन की पहली डोज दी गई, जबकि इसी आयु वर्ग के 1,23,72,888 लोगों को वैक्सीन की दूसरी डोज दी जा चुकी है।

कोरोना मरीजों की सभी जांचें होंगी मुफ्त:मध्यप्रदेश में अब तक कुल 94 ऑक्सीजन प्लांट स्वीकृत, कई प्लांट चालू हुए;शिवराज सिंह चौहान ने बताया प्रदेश में कोरोना संक्रमण नियंत्रित हुआ attacknews.in

भोपाल, 05 मई । मध्यप्रदेश के हरदा और आसपास के मरीजों को अब उपचार के लिए इंदौर और भोपाल जैसे शहरों में उपचार के लिए नहीं जाना पड़ेगा।

किसान कल्याण तथा कृषि विकास मंत्री कमल पटेल ने यह बात जिला चिकित्सालय हरदा में सवा करोड़ रुपए की हाईटेक बायो एनालाइजर मशीन का वर्चुअली शुभारंभ करते हुए कही। उन्होंने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और स्वास्थ्य मंत्री डॉ. प्रभु राम चौधरी का इस मशीन की सौगात के साथ ही जिला चिकित्सालय को 50 नए ऑक्सीजन बेड की अनुमति प्रदान करने के लिए क्षेत्र की जनता की ओर से आभार भी व्यक्त किया

मध्यप्रदेश में अब तक कुल 94 ऑक्सीजन प्लांट स्वीकृत, कई प्लांट चालू हुए

इधर मध्यप्रदेश में अब तक कुल 94 ऑक्सीजन प्लांट स्वीकृत हुए हैं, जिनमें से कई ने कार्य करना प्रारंभ कर दिया है तथा शेष का कार्य शीघ्र पूर्ण कर लिया जाएगा। स्वीकृत ऑक्सीजन प्लांट में से 74 प्लांट प्रदेश के विभिन्न जिलों में तथा 20 प्लांट विभिन्न तहसीलों में लगाए जा रहे हैं।

स्वीकृत ऑक्सीजन प्लांट में से 8 प्लांट भारत सरकार द्वारा एयरोक्स एण्ड एब्स्टीम कंपनी के माध्यम से खंडवा, शिवपुरी, सिवनी, उज्जैन, जबलपुर, मंदसौर, रतलाम तथा मुरैना जिले में लगाए जा रहे हैं।

मुख्यमंत्री सहायता कोष से सीएसआईआर गैसकौन कंपनी के माध्यम से पाँच प्लांट भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, रीवा तथा शहडोल जिलों में लगाए जा रहे हैं।

राज्य सरकार द्वारा 23 प्लांट ऐरोक्स टेक कंपनी के माध्यम से सागर, सीहोर, विदिशा, गुना, सतना, रायसेन, बालाघाट, खरगोन, कटनी, बड़वानी, नरसिंहपुर, बैतूल, राजगढ़, भोपाल (काटजू), देवास, धार, मंडला, होशंगाबाद, पन्ना, दमोह, छतरपुर, सीधी तथा भिंड जिले में लगाए जा रहे हैं। राज्य सरकार द्वारा एब्स्टीम टेक कंपनी के माध्यम से 15 प्लांट उमरिया, शाजापुर, नीमच, झाबुआ, सिंगरौली, टीकमगढ़, अशोक नगर, बुरहानपुर, अनूपपुर, श्योपुर, डिंडोरी, अलीराजपुर, आगर, निवाड़ी तथा हरदा जिलों में लगाए जा रहे हैं।

सीएम रिलीफ फंड से 8 प्लांट डीआरडीओ ट्राइडेंट कंपनी के माध्यम से बालाघाट, छिंदवाड़ा, दतिया, जबलपुर, बड़वानी, शहडोल, सतना तथा भोपाल जिलों में लगाए जा रहे हैं। राज्य सरकार द्वारा 4 प्लांट निट्रोक्स कंपनी मालनपुर के माध्यम से नसरुल्लागंज (सीहोर), इटारसी, (होशंगाबाद), रहटी (सीहोर) तथा ब्यावरा (राजगढ़) में लगाए जा रहे हैं।

वैक्सीनेशन का सुरक्षा चक्र करेगा कोरोना से बचाव – शिवराज

इधर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि प्रदेश की जनता को कोरोना संक्रमण से बचाने के लिए उन्हें वैक्सीनेशन का सुरक्षा चक्र प्रदान किया जा रहा है।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने इसी अनुक्रम में बुधवार से 18 वर्ष से अधिक और 45 वर्ष तक आयु वर्ग के युवाओं के टीकाकरण के बाद उनके अनुभवों पर वर्चुअली चर्चा की। चर्चा में उन्होंने बताया कि प्रदेश में लगभग 5 करोड़ 16 लाख वैक्सीन डोज की जरूरत होगी। कल 25 हजार रेमडेसिविर इंजेक्शन भी मिले हैं, जिसका आवश्यकतानुसार वितरण कराया जा रहा है।

कोई व्यक्ति उपचार से वंचित नहीं हो-शिवराज

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि प्रदेश की चिकित्सालयीन सुविधाओं को विस्तारित कर मजबूत बनाने के कार्यों की निरंतरता जारी रहे। चिकित्सालयीन सुविधाओं का स्तर ऐसा हो कि कोई भी व्यक्ति उपचार सुविधा से वंचित नहीं हो।

श्री चौहान आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग द्वारा कोरोना कोर ग्रुप के साथ प्रदेश में कोरोना संक्रमण की रोकथाम के प्रयासों की समीक्षा कर रहे थे। उन्होंने कहा कि यह राहत की बात है कि प्रदेश में ऑक्सीजन बेड की उपलब्धता की स्थिति में सुधार हुआ है। संक्रमण नियंत्रण के प्रयासों की निरंतरता के साथ ही चिकित्सालयों में आई.सी.यू. बेड और वेंटिलेटर्स की उपलब्धता को बढ़ाने के प्रयास तीव्रता से जारी रहें। बताया गया कि भोपाल में 30 नये वेंटिलेटर उपलब्ध कराए गए हैं।

कोरोना संकट में बिना राशन के कोई भी गरीब नहीं रहेगा-शिवराज

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि कोविड संकटकाल में कोई भी गरीब बिना राशन के नहीं रहेगा। उन्होंने सहकारिता और खाद्य विभाग के अधिकारियों को निर्देशित किया है कि नियम शिथिल कर इस संबंध में व्यवस्थाएँ की जायें।

श्री चौहान आज वीडियो कॉन्फ्रेंस द्वारा मुख्यमंत्री निवास से सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अंतर्गत पात्र परिवारों को नि:शुल्क खाद्यान्न वितरण व्यवस्था की समीक्षा कर रहे थे। वीडियो कॉन्फ्रेंस में खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री बिसाहू लाल सिंह और सहकारिता, लोक सेवा प्रबंधन मंत्री अरविंद भदौरिया भी मौजूद थे।

जनता की जान बचाना हमारी प्राथमिकता-शिवराज

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि प्रदेश में कोरोना संक्रमण नियंत्रित हुआ है। हमें कुछ और दिन सख्ती करके संक्रमण की चेन को पूरी तरह तोड़ना है। लोगों की जान बचाना हमारी सबसे बड़ी प्राथमिकता है।

श्री चौहान आज निवास से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से प्रदेश में कोरोना की स्थिति एवं व्यवस्थाओं की समीक्षा कर रहे थे। उन्होंने कहा कि सभी जिलों में कोरोना का अच्छा से अच्छा इलाज सुनिश्चित करना है। आई.सी.यू. बेड्स की संख्या बढ़ाई जाये। शादियाँ आगे बढ़ाई जायें। अंतिम संस्कार में सीमित व्यक्ति शामिल हों। मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी जिलों में कोरोना के दौरान हर गरीब को निःशुल्क राशन की व्यवस्था सुनिश्चित की जाये। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में सभी जिलों से प्रभारी मंत्री, कोरोना के प्रभारी अधिकारी, कलेक्टर्स, पुलिस अधीक्षक आदि उपस्थित थे।

कोविड19 के लिए क्लिनिकल परीक्षण में सफल आयुर्वेदिक दवा “आयुष -64” के बारे में आयुष मंत्रालय ने प्रायः पूछे जाने वाले सवालों के जवाब दिये attacknews.in

कई जड़ी-बूटियों से बनी दवा आयुष – 64 को कोविड 19 के हल्के और कम गंभीर मामलों के उपचार के लिये क्लीनिकल परीक्षण में कारगर पाया गया

“आयुष-64” कोविड 19 के हल्के और कम गंभीर मामलों में कारगर

नयी दिल्ली,05 मई। कईं जड़ी-बूटियों को मिलाकर बनाई गई आयुष–64 दवा को कोविड 19 के उपचार के लिये भी उपयुक्त पाया गया है। इस दवा को मूलरूप से मलेरिया के उपचार के लिये 1980 में विकसित किया गया था।

आयुष मंत्रालय के तहत काम करने वाले केंद्रीय आयुर्वेदीय विज्ञान अनुसंधान परिषद (सीसीआरएएस) और वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) ने हाल में इस दवा का विस्तृत और गहन परीक्षण किया है। इसमें देश के अन्य अनुसंधान संगठनों और मेडिकल कॉलेजों का भी सहयोग लिया गया। देश के प्रतिष्ठित वैज्ञानिकों ने आयुष 64 का जो क्लीनिकल परीक्षण किया, उसमें पता लगा कि इस दवा में वाइरस के खिलाफ लड़ने, शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने और बुखार उतारने के गुण हैं। इसे लक्षण-रहित, हल्के और कम गंभीर कोविड 19 संक्रमण के उपचार के लिये भी कारगर पाया गया। परिणामस्वरूप, इस दवा को कोविड 19 के उपचार के लिये उपयुक्त मान लिया गया है।

कई जड़ी-बूटियों को मिलाकर बनाई गई आयुष–64 दवा को इस महामारी के समय में विशेषज्ञों ने उम्मीद की किरण बताया है। इस दवा को मूलरूप से मलेरिया के उपचार के लिये 1980 में विकसित किया गया था। अब उसे कोविड 19 के उपचार के लिये भी उपयुक्त पाया गया है।

केंद्रीय आयुर्वेदीय विज्ञान अनुसंधान परिषद (सीसीआरएएस) आयुष मंत्रालय के अधीन आयुर्वेद में शोध करने वाला एक अग्रणी संस्थान है। उसने वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) के सहयोग से हाल में इस दवा का विस्तृत और गहन परीक्षण किया है। इसमें देश के अन्य अनुसंधान संगठनों और मेडिकल कॉलेजों का भी सहयोग लिया गया। देश के प्रतिष्ठित वैज्ञानिकों ने आयुष 64 का जो क्लीनिकल परीक्षण किया, उसमें पता लगा कि इस दवा में वाइरस के खिलाफ लड़ने, शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने और बुखार उतारने के गुण हैं। इसे लक्षण-रहित, हल्के और कम गंभीर कोविड 19 संक्रमण के उपचार के लिये भी कारगर पाया गया। परिणामस्वरूप, इस दवा को कोविड 19 के उपचार के लिये उपयुक्त मान लिया गया है।

आयुष मंत्रालय ने क्लीनिकल परीक्षण के नतीजों की घोषणा 29 अप्रैल, 2021 को एक प्रेस-कांफ्रेंस में की थी। उसके बाद आम जनता और चिकित्सा कार्य से जुड़े लोगों में आयुष – 64 के प्रति दिलचस्पी बढ़ी है। इस विषय में कई जिज्ञासायें मिली हैं।

मंत्रालय ने अब प्रायः पूछे जाने वाले प्रश्नों के रूप में जवाब जारी किये हैं, जिन्हें नीचे दिया जा रहा हैः

आयुष क्या है?

आयुष एक आयुर्वेदिक नुस्खा है, जिसे केंद्रीय आयुर्वेदीय विज्ञान अनुसंधान परिषद ने विकसित किया है, जो आयुष मंत्रालय के अधीन आयुर्वेद अनुसंधान की प्रमुख संस्था है। मूल रूप से इसे 1980 में मलेरिया के उपचार के लिये विकसित किया गया था। अब इस दवा को कोविड 19 के उपचार के लिये भी उपयोगी माना गया है, क्योंकि इसमें वाइरस से लड़ने, शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने और बुखार उतारने के गुण हैं। आयुष 64 के वैज्ञानिक अध्ययन में पाया गया है कि इसके 36 घटकों में से 35 घटक ऐसे हैं, जो कोविड 19 के वाइरस के खिलाफ एक-जुट होकर उसका मुकाबला कर सकते हैं। इस नुस्खे में ऐसे भी घटक मौजूद हैं, जो फ्लू जैसी बीमारियों से भी लड़ सकते हैं।

देश भर में 64 क्लीनिकल परीक्षण हुये हैं। इन परीक्षणों से जो सबूत मिले हैं, उनसे साबित होता है कि लक्षण-रहित, हल्के और कम गंभीर कोविड 19 के इलाज में यह दवा बहुत कारगर है और इससे मरीज जल्द ठीक हो सकता है।

आयुष–64 कौन ले सकता है?

कोविड 19 के किसी भी स्तर का मरीज इसे ले सकता है। बहरहाल, वैज्ञानिक परीक्षणों से पता चला है कि यह दवा लक्षण-रहित, हल्के और कम गंभीर मालमों में ज्यादा कारगर है। इसके विपरीत नतीजे निकलने का कोई खतरा नहीं है। इसके अलावा जिन मरीजों को आपात चिकित्सकीय मदद या अस्पताल की जरूरत नहीं है, वे मरीज आयुष–64 ले सकते हैं। कोविड 10 के हल्के और कम गंभीर लक्षणों वाले जिन मरीजों में शुरूआत में बुखार, शरीर दर्द, नाक बंद होना, अस्वस्थ महसूस करना, नाक से पानी बहना, सिरदर्द, खांसी आदि शिकायतें होती हैं, वे दवा ले सकते हैं। साथ में, जिन मरीजों में कोई लक्षण नहीं होता, वे आरटी-पीसीआर जांच के सात दिन के अंदर आयुष–64 दवा ले सकते हैं। इससे बेहतर नतीजे मिलेंगे।

मैं आयुष–64 क्यों लूं?

रोग के निदान और गंभीरता के मद्देनजर आयुष–64 को बीमारी से उबरने में बहुत कारगर पाया गया है। इससे बीमारी से जल्दी ठीक हो सकते हैं। यह दवा आम सेहत, थकान, चिंता, तनाव, भूख न लगना, आरोग्य और नींद के लिये भी उपयोगी है।

क्या इसकी उपयोगिता कोविड 19 के संदर्भ में वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित है?

आयुष–64 कई जड़ी-बूटियों को मिलाकर बनाई गई दवा है। इसे हर चिकित्सकीय तकाजों के तहत बनाया गया है। आयुष मंत्रालय के अधीन आयुष अनुसंधान सम्बंधी केंद्रीय आयुर्वेदीय विज्ञान अनुसंधान परिषद द्वारा तय चिकित्सा मानकों के हवाले से इसकी गुणवत्ता और औषधीय गुणों का पूरा ध्यान रखा गया है।

वैज्ञानिक रूप से यह साबित हो चुका है कि यह लक्षण-रहित, हल्के और कम गंभीर कोविड 19 संक्रमण के उपचार में कारगर है। देश में इस दवा पर गहन क्लीनिकल परीक्षण किये गये हैं, जिसमें इसे उपयोगी पाया गया है।

मरीजों के लिये कोविड 19 की आदर्श खुराक क्या है?

लक्षण-रहित कोविड 19 के मामलों में इसकी खुराक के तहत खाना खाने के एक घंटे बाद 500 एमजी की दो गोली दो बार लेनी है। गर्म पानी के साथ दवा खानी है। चौदह दिनों तक गोलियां खानी हैं। हल्के और कम गंभीर मामलों में खुराक के तहत 500 एमजी की दो-दो गोलियां दिन में तीन बार लेनी हैं। गोलियां गर्म पानी के साथ खाना खाने के एक घंटे बाद लेनी हैं।

क्या आयुष-64 के साइड-इफेक्ट्स हैं?

कुछ मरीजों को पेचिश की शिकायत हो सकती है, जो अपने आप ठीक हो जायेगा। उसके लिये कोई दवा खाने की जरूरत नहीं है।

क्या आयुष-64 को बुखार उतारने वाली दवा के रूप में भी लिया जा सकता है?

इसे बुखार की दवा के रूप में लिया जा सकता है। इसके लिये 500 एमजी की दो गोली दिन में दो बार लेनी है। लेकिन बुखार की दवा के रूप में क्लीनिकल परीक्षण में इसके प्रभाव को नहीं जांचा गया था। अगर मरीज को कोविड 19 है, तो लक्षण दिखते ही इसे दिया जा सकता है। ऐसे मामलों में व्यक्ति की आरटी-पीसीआर या रैपिड एंटीजन जांच जरूरी है। मरीज को चिकित्सकीय देखरेख में रहना चाहिये।

क्या हल्के लक्षणों में सिर्फ आयुष-64 से काम चल जायेगा?

आयुर्वेदिक चिक्तिसक की देखरेख में हल्के लक्षणों वाले कोविड 19 के इलाज में आयुष-64 को अकेले लिया जा सकता है, बशर्ते कि आगे उचित इलाज की सुविधा मौजूद हो। बहरहाल, सलाह दी जाती है कि आयुष-64 को हल्के और कम गंभीर मामलों में चिकित्सकीय देखरेख के तहत लिया जाये, जब मरीज होम आईसोलेशन में हो। आयुष-64 को आयुष चिकित्सक की सलाह पर ही लिया जाये।

आयुष-64 को कितने दिनों तक लेना चाहिये?
आयुष-64 को कम से कम 14 दिनों तक लिया जा सकता है। बहरहाल, अगर जरूरत पड़े, तो योग्य आयुष चिकित्सक की सलाह पर उसे 12 हफ्तों तक भी लिया जा सकता है। क्लीनिकल परीक्षण में वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित हो चुका है कि इसे 12 हफ्तों तक लेना बिलकुल सुरक्षित है।

आयुष-64 को कैसे लिया जाये?

इसे गर्म पानी से ले सकते हैं। अच्छा होगा अगर खाना खाने के एक घंटे बाद लिया जाये।

जिन कोविड 19 मरीजों को अन्य बीमारियां (कोमॉर्बीटीज) भी हैं, क्या वे भी आयुष-64 ले सकते हैं?

जिन मरीजों को उच्च रक्तचाप, मधुमेह आदि अन्य बीमारियां हैं, वे भी लक्षण-रहित, हल्के और कम गंभीर कोविड मामलों में भी आयुष-64 ले सकते हैं। उन्हें सलाह दी जाती है कि वे इन बीमारियों की दवा बंद न करें।

टीकाकरण के बाद क्या आयुष-64 लेना सुरक्षित है?

हां। अगर व्यक्ति टीका लगवाने के बाद भी संक्रमित हो जाता है, तो वह आरटी-पीसीआर पॉजीटिव रहने पर आयुष चिकित्सक की सलाह से आयुष-64 ले सकता है। बहरहाल, वैज्ञानिक अध्ययन में इस विषय में कोई प्रमाण नहीं मिला है।

क्या गर्भवती और दुग्धपान कराने वाली माताओं के लिये यह सुरक्षित है?

वैज्ञानिक अध्ययन में ऐसा कोई प्रमाण नहीं मिला है कि आयुष-64 गर्भवती और दुग्धपान कराने वाली माताओं के लिये सुरक्षित है।

क्या आयुष-64 बाजार में उपलब्ध है?

यह बाजार में उपलब्ध है और आयुर्वेदिक फार्मेसी से इसे खरीदा जा सकता है। बहरहाल, यह सुनिश्चित कर लिया जाये कि इसे बिना चिकित्सक के पर्चे के न बेचा जाये और आयुर्वेदिक चिकित्सक की देखरेख में ही इसका इस्तेमाल किया जाये।

आयुष-64 लेने के बारे में किन मार्गदर्शनों का पालन किया जाना चाहिये?

आयुष-64 के इस्तेमाल के सम्बंध में किसी विशेष सावधानी की जरूरत नहीं है। बहरहाल, व्यक्ति को कोविड 19 के बारे में आयुष मंत्रालय और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के दिशा-निर्देशों का पालन करना चाहिये।