शिवराज सिंह चौहान ने संकेत दिए कि काेरोना कफर्यू राज्य में ओर बढ़ाया जाएगा;कहा कि,राज्य में संक्रमण पॉजीटिविटी रेट घटी है, लेकिन अब भी ढिलायी नहीं की जा सकती attacknews.in

कोविड केयर सेंटर में पोस्ट कोविड केयर की भी व्यवस्था रहेगी- चौहान

भोपाल, 14 मई ।मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज कहा कि जिन कोरोना मरीजों को ठीक होने के बाद ‘पोस्ट कोविड केयर’ की आवश्यकता है, उनकी देखरेख कोविड केयर सेंटर में की जाए। इन सेंटर्स पर डॉक्टर की सलाह अनुसार ऐसे व्यक्तियों को आवश्यक उपचार उपलब्ध कराया जाएगा।

श्री चौहान ने कहा कि ब्लैक फंगस के बढ़ते मामलों को देखते हुए आवश्यक व्यवस्थाएं स्थापित की जा रही हैं। इस बीमारी के लिए उपयोगी दवा की कालाबाजारी और जमाखोरी को रोकने के लिए जिला प्रशासन सतर्क रहे।

कोरोना संक्रमण दर घटी, लेकिन ढिलायी बिल्कुल नहीं होगी – शिवराज

मध्यप्रदेश में कोरोना की दूसरी लहर की भयावह तस्वीर के बीच मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज कहा कि राज्य में कोरोना संक्रमण (पॉजीटिविटी रेट) की दर घटी है, लेकिन अब भी ढिलायी नहीं की जा सकती है। उन्होंने संकेत दिए कि काेरोना कफर्यू राज्य में और बढ़ाया जाएगा।

श्री चौहान ने राज्य की जनता के नाम विशेष संबोधन में यह बात कही। उन्होंने कहा कि कोरोना संक्रमण दर 24 प्रतिशत तक पहुंच गयी थी, जो अब घटकर 11़ 8 प्रतिशत पर आ गयी है। साप्ताहिक पॉजीटिविटी रेट 14़ 8 प्रतिशत हो गयी है। कोरोना के नए 8087 मामले सामने आए हैं। लेकिन अभी हमको ढिलायी बिल्कुल नहीं बरतना है, वरना पूरे किए गए पर पानी फिर जाएगा।

श्री चौहान ने वीडियो कांफ्रेंसिंग और सोशल मीडिया के जरिए मंत्रियों, सांसद, विधायकों, क्राइसिस मैनेजमेंट ग्रुप के सदस्यों, कोरोना के उपचार में लगे डॉक्टर्स, स्टाफ, शासकीय सेवकों तथा आमजन को संबोधित करते हुए कहा कि वे सबसे पहले कोरोना योद्धाओं को सलाम करते हैं, जिन्होंने जनता की सेवा में अपनी जान लगा दी। उन्होंने कहा कि हम सभी कोरोना योद्धाओं को सम्मानित करेंगे। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कोरोना बीमारी से दिवंगत हुए प्रत्येक व्यक्ति के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित की।

श्री चौहान ने कहा कि ऐसे बच्चे जिन्होंने कोरोना बीमारी में अपने माँ-बाप गवां दिए हैं, वे अनाथ नहीं होंगे। उनकी देखरेख मध्यप्रदेश सरकार करेगी। जब तक वे सक्षम नहीं हो जाते, उन्हें 5 हजार रूपए मासिक पेंशन दी जाएगी। उनकी नि:शुल्क शिक्षा की व्यवस्था की जाएगी तथा उन्हें नि:शुल्क राशन भी दिया जाएगा।

मध्यप्रदेश में शुक्रवार को कोरोना के 8087 नए मामले आये सामने, 88 की मृत्यु:अबतक संक्रमितों की संख्या हुई 7,16,708 और 6841 मरीजों की मौत attacknews.in

भोपाल, 14 मई । मध्यप्रदेश में आज कोरोना संक्रमण के 8087 नए मामले सामने आने के साथ 88 संक्रमितों की मृत्यु हो गयी।

राज्य के स्वास्थ्य संचालनालय की ओर से जारी विज्ञप्ति के अनुसार 68,351 सैंपल की जांच में 8087 सैंपल पॉजीटिव और 60,264 नेगेटिव रहे।

1366 सैंपल रिजेक्ट हुए और पॉजीटिविटी रेट (संक्रमण दर) 11़ 8 प्रतिशत रही।

कुल संक्रमितों में से सबसे अधिक नौ की मृत्यु इंदौर में और सात सात की मृत्यु भोपाल तथा ग्वालियर में हुयी।

जबलपुर में छह कोरोना संक्रमितों को बचाया नहीं जा सका।

राज्य में एक वर्ष से अधिक के कोरोना संकटकाल के दौरान अब तक कुल 6841 लोगों की जान जा चुकी है।

हालाकि राहत की बात है कि आज कुल 11671 व्यक्ति स्वस्थ घोषित किए गए और अब तक कुल 6,05,423 व्यक्ति कोरोना संक्रमण को मात दे चुके हैं।

वहीं कुल 7,16,708 व्यक्ति अब तक संक्रमित हुए हैं।

वर्तमान में सक्रिय मामले घटकर 1,04,444 पर आ गए हैं।

सबसे अधिक सक्रिय मामले इंदाैर जिले में 17,105 और भोपाल जिले में 14,962 हैं।

आज इंदौर में 1559, भोपाल में 1243, ग्वालियर में 597, जबलपुर में 565, उज्जैन में 270, रतलाम में 298, रीवा में 226, सागर में 220, खरगोन में 108, बैतूल में 136, धार में 112 और शिवपुरी में 107 नए प्रकरण दर्ज किए गए।

सबसे कम नए मामले आठ अलिराजपुर जिले में दर्ज हुए हैं।

इस जिले में वर्तमान में सक्रिय मामले 206 हैं।

भारत में पीएम केयर्स के अंतर्गत पिछले साल आपूर्ति किए गए वेंटिलेटर्स में से कुछ राज्यों ने वेंटिलेटर प्राप्त होने के बाद भी अभी तक इन्हें अस्पतालों में नहीं लगाया attacknews.in

प्रभावी कोविड प्रबंधन के लिए अस्पतालों के बुनियादी ढांचे को ‘मेड इन इंडिया’ वेंटिलेटर्स ने मज़बूत किया

दोष-रहित संचालन के लिए निर्माताओं द्वारा सभी प्रकार की तकनीकी सहायता प्रदान की जा रही है

नईदिल्ली 14 मई ।भारत सरकार पिछले वर्ष से, संपूर्ण सरकार के दृष्टिकोण के साथ अस्पतालों में कोविड रोगियों की देखभाल के प्रभावी प्रबंधन के लिए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रयासों का पूरी तरह से समर्थन कर रही है। मौजूदा अस्पतालों के बुनियादी ढांचे को बढ़ाने के लिए, केंद्र सरकार अप्रैल 2020 से वेंटिलेटर्स सहित आवश्यक चिकित्सा उपकरणों की खरीद कर रही है और इन्हें राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों/केंद्रीय अस्पतालों/ संस्थानों को प्रदान कर रही है।

कुछ मीडिया खबरों में कहा गया है कि पंजाब के फरीदकोट में जीजीएस मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल को जिन वेंटिलेटर्स की आपूर्ति (पीएम केयर्स द्वारा समर्थित) की गई है, वे तकनीकी खराबी के कारण अप्रयुक्त पड़े हुए हैं और बिक्री के बाद खराब होने पर निर्माताओं ने इनसे संबंधित समस्या का समाधान नहीं किया है। इस मामले पर पूरी जानकारी नहीं होने से ये खबरें निराधार लग रही हैं।

पिछले वर्ष महामारी की शुरुआत में देश भर के सरकारी अस्पतालों में वेंटिलेटर बहुत सीमित संख्या में उपलब्ध थे। इसके अलावा, देश में वेंटिलेटर का बहुत सीमित विनिर्माण हो रहा था जबकि विदेशों के अधिकांश आपूर्तिकर्ता भारत में बड़ी मात्रा में वेंटिलेटरों की आपूर्ति करने की स्थिति में नहीं थे। इसके पश्चात, देश की व्यापक अनुमानित मांग और इनके लिए मिलने वाले आर्डर को पूरा करने की स्थिति को देखते हुए स्थानीय निर्माताओं को “मेक इन इंडिया” वेंटिलेटर का उत्पादन करने के लिए प्रोत्साहित किया गया था। इनमें से कई निर्माता वेंटिलेटर निर्माण के क्षेत्र में पहली बार उतरे थे। वेंटिलेटर मॉडलों का निर्माण बेहद कठिन स्क्रीनिंग, तकनीकी प्रदर्शन और नैदानिक सत्यापन प्रक्रिया के साथ बहुत ही सीमित समय में किया गया और इनकी आपूर्ति इस क्षेत्र के प्रबुद्ध विशेषज्ञों के माध्यम और उनकी मंजूरी के बाद ही की गई थी।

कुछ राज्य ऐसे हैं जिन्हें वेंटिलेटर प्राप्त हुए हैं लेकिन अभी तक उन्होंने इन्हें अस्पतालों में नहीं लगाया है।

केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव ने 11 अप्रैल 2021 को ऐसे सात राज्यों को पत्र लिखा है, जहाँ अभी भी 50 से अधिक वेंटिलेटर पिछले 4-5 महीनों से अस्पतालों में लगाए नहीं गए हैं। इन राज्यों से अनुरोध किया गया है कि वे इन्हें शीघ्रता से अस्पतालों में लगाऐं ताकि वेंटिलेटरों को इष्टतम उपयोग में लाया जा सके।

पंजाब के फरीदकोट के जीजीएस मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में एजीवीए के 80 में से 71 वेंटिलेटर्स के संचालन में न होने या दोषपूर्ण होने की हाल ही की मीडिया रिपोर्ट के संदर्भ में यह स्पष्ट किया जाता है कि 88 वेंटीलेटर्स की आपूर्ति भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) और पांच की एजीवीए के द्वारा की गई हैं। इन वेंटिलेटर्स की सफलतापूर्वक स्थापना और इनके संचालित होने के बाद ही, अस्पताल के अधिकारियों द्वारा इनके लिए फाइनल स्वीकृति प्रमाण पत्र प्रदान किया गया था।

बीईएल ने बताया है कि जीजीएस मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (जीजीएसएमएमसीएच), फरीदकोट के अधिकांश वेंटिलेटर दोषपूर्ण नहीं हैं, जैसा कि मीडिया की कुछ खबरों में बताया जा रहा है। उनके इंजीनियरों ने पूर्व में प्राप्त शिकायतों को दूर करने के लिए विभिन्न मौकों पर उक्त मेडिकल कॉलेज का दौरा किया है और इनकी तत्काल आवश्यक मामूली मरम्मत भी की है। उन्होंने वहां के कर्मचारियों के सामने वेंटिलेटर के सही रूप से कार्य करने का स्थिति को बार-बार दिखाया भी हैं।

यह देखा गया कि केंद्रीय ऑक्सीजन गैस पाइपलाइनों में आवश्यक दबाव की अनुपलब्धता सहित जीजीएसएमसीएच में बुनियादी ढांचे के साथ कई अन्य समस्याएं हैं। इसके अलावा, अस्पताल के अधिकारियों द्वारा निर्धारित मानदंडों के अनुसार फ्लो सेंसर, बैक्टीरिया फिल्टर और एचएमई फिल्टर जैसे उपयोग किए जाने वाले उपकरणों को बदला नहीं जा रहा है या इन महत्वपूर्ण रूप से उपयोग किए जाने वाले उपकरणों के बिना ही वेंटिलेटर्स का उपयोग किया जा रहा है। सही गैस दबावों का रखरखाव (वायु दबाव और ऑक्सीजन दबाव के बीच अंतर 10 पीएसआई से अधिक नहीं हो सकता है) और इनके लिए उचित रूप से उपयोग किए जाने वाले उपकरणों का प्रयोग इनके सही रूप से संचालन के लिए आवश्यक है, इनके सही उपयोग के बिना सीवी 200 वेंटिलेटर की पूर्ण क्षमता की गारंटी नहीं है।

इसके अलावा, बीईएल इंजीनियरों ने गत12 मई, 2021 को फिर से जीजीएसएमसीएच का दौरा किया और केवल कुछ जरूरी उपयोग किए जाने वाले उपकरणों को बदलकर पांच वेंटिलेटर्स को फिर से संचालित कर दिया। जीजीएसएमसीएच के अधिकारियों के सामने इनके अधिकतम उपयोग के लिए इसका प्रदर्शन भी किया गया, जिससे यह स्पष्ट हो जाता है कि अगर वेंटिलेटर्स को ठीक से संचालित किया जाता है तो इनसे विश्वसनीय सेवाऐं प्राप्त करते हुए इनका अधिकतम उपयोग किया जा सकता है।

उपयोगकर्ता नियमावली में दिए गए निर्देशों के अलावा, बुनियादी सुविधाओं की आवश्यकताओं, उचित उपयोग और सीवी 200 वेंटिलेटर के रखरखाव के बारे में सभी वेंटिलेटर उपयोगकर्ताओं को विस्तृत निर्देश और दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं।

इस मामले में, पंजाब के कई अस्पतालों/मेडिकल कॉलेजों द्वारा इनका पालन नहीं किया जा रहा है। इसकी बजाय, वे बिना किसी आधार के वेंटिलेटर्स के काम न करने को एक अनावश्यक मुद्दा बना रहे हैं।

यह स्पष्ट किया जाता है कि बीईएल इस महामारी की स्थिति में वेंटिलेटर के संबंध में हर आवश्यकता को पूरा करने के लिए राज्य द्वारा आवश्यक सभी तकनीकी सहायता प्रदान करना जारी रखेगा।

इसके अलावा, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने 9 मई 2021 को राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को पत्र लिखते हुए उन्हें एक बार फिर से वेंटिलेटर विनिर्माणकर्ताओं के हेल्पलाइन नंबरों की जानकारी दी है, जो स्टिकर के रूप में वेंटिलेटर पर भी उपलब्ध हैं। इसके अलावा, वास्तविक समय में किसी भी तकनीकी मुद्दे के समाधान के लिए राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के संबंधित नोडल अधिकारियों, उपयोगकर्ता अस्पतालों के प्रतिनिधियों और निर्माताओं की तकनीकी टीमों के साथ बनाए गए राज्यवार व्हाट्सएप समूहों पर भी इसकी जानकारी फिर से प्रदान की गई है। इन विनिर्माताओं की समर्पित ई-मेल आईडी भी राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों के साथ साझा की गई हैं।

रूसी कोविड- 19 का टीका स्पुतनिक-वी का पहला टीका हैदराबाद में लगाया गया,दवा कंपनी डा रेड्डीज ने पहला टीका इस्तेमाल में लाया,अधिकतम कीमत ₹ 948 रहेगी attacknews.in

नयी दिल्ली, 14 मई । दवा कंपनी डा. रेड्डीज लैब ने शुक्रवार को कहा की सीमित शुरुआत के तौर पर कोविड- 19 का टीका स्पुतनिक-वी का पहला टीका हैदराबाद में लगाया गया।

कंपनी ने कहा कि रूस के टीके स्पुतनिक-वी की पहली खेप एक मई को भारत पहुंची। इस टीके को केन्द्रीय दवा प्रयोगशाला, कसौली से 13 मई 2021 को मंजूरी मिली। इस दवा की और खेप आने वाले महीनों में भारत पहुंचने वाली है। उसके बाद भारतीय विनिर्माता भागीदारों से भी इसकी आपूर्ति शुरू हो जायेगी।

आयातित स्पुतनिक-वी टीके की वर्तमान में कीमत इस पर पांच प्रतिशत जीएसटी सहित अधिकतम 948 रुपये प्रति टीका है। स्थानीय विनिर्माताओं से इसकी आपूर्ति शुरू होने पर इसका दाम कम होने की संभावना है।

तमिलनाडु में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर स्टरलाइट कॉपर ने मेडिकल ऑक्सीजन का उत्पादन शुरू किया, पहली खेप रवाना attacknews.in

चेन्नई, 13 मई। वेदांत लिमिटेड के स्वामित्व वाली स्टरलाइट कॉपर ने तमिलनाडु स्थित अपने संयंत्र में मेडिकल ऑक्सीजन का उत्पादन शुरू कर दिया है, और अधिकारियों ने बताया कि मेडिकल ऑक्सीजन की पहली खेप गुरुवार को रवाना कर दी गई।

तत्कालीन एआईएडीएमके सरकार ने 26 अप्रैल को एक बैठक में स्टरलाइट को अपने तूतीकोरिन संयंत्र में ऑक्सीजन निर्माण की इजाजत दी थी। कुछ दिन पहले वेदांता ने इस संबंध में उच्चतम न्यायालय का रुख कर ऑक्सीजन निर्माण की इच्छा जतायी थी।

राज्य सरकार ने मई 2018 में दक्षिणी जिले में स्टरलाइट के खिलाफ हिंसक विरोध प्रदर्शनों के दौरान पुलिस की गोलीबारी में 13 प्रदर्शनकारियों के मारे जाने के बाद संयंत्र बंद कर दिया था।

कंपनी ने गुरुवार को एक बयान में कहा, ‘‘हमारे एक ऑक्सीजन संयंत्र ने 12 मई से उत्पादन शुरू कर दिया है। 4.8 टन तरल ऑक्सीजन ले जाने वाला पहला टैंकर तिरुनेलवेली – तूतीकोरिन जा रहा है।’’

कंपनी ने बताया कि शुरुआत में प्रतिदिन दो टैंकर के जरिए ऑक्सीजन भेजी जाएगी और आगे चलकर उत्पादन बढ़ाया जाएगा।

स्टरलाइट ने कहा कि आपूर्ति की जा रही ऑक्जीसन 98.6 प्रतिशत शुद्ध है और इसके उपयोग के लिए जरूरी प्रमाणपत्र हासिल कर लिए गए हैं।

बयान में कहा गया, ‘‘हम विशेषज्ञों के साथ काम कर रहे हैं, ताकि हमारे संयंत्र में उत्पादित ऑक्सीजन को जरूरत के मुताबिक भारत के अन्य भागों में भेजी जाए और इस संबंध में अधिकृत नोडल एजेंसियों के साथ समन्वय किया जा सके।’’

स्टरलाइट कॉपर के सीईओ पंकज कुमार ने कहा, ‘‘मैं और मेरी टीम के सदस्य सम्मानित महसूस कर रहे हैं कि हमारे संयंत्र और हमारे प्रयासों से लोगों के जीवन को बचाने में मदद मिल रही है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हम इस संकट को कम करने के लिए अपने संयंत्र से ऑक्सीजन का लगातार उत्पादन सुनिश्चित करने के लिए हर संभव प्रयास करने का वादा करते हैं।’

रेमडेसिविर इंजेक्शन के बाद कोरोना इलाज “ब्लैक फंगस “में सफल दवा एम्फोटेरिसिन बी की अचानक आई कमी;केंद्र सरकार ने म्यूकोरमिकोसिस से लड़ने वाली इस दवा का उत्पादन बढ़ाया attacknews.in

नईदिल्ली 12 मई । कुछ राज्यों में अचानक से एम्फोटेरिसिन बी की मांग में वृद्धि देखी गई है। चिकित्सक कोविड-19 बीमारी के बाद होने वाली तकलीफ म्यूकोरमिकोसिससे पीड़ित रोगियों के इलाज के लिए यह दवा लेने की सलाह देते हैं। इसलिए भारत सरकार दवा के उत्पादन को बढ़ाने के लिए निर्माताओं से बातचीत कर रही है। इस दवा के अतिरिक्त आयात और घरेलू स्तर पर इसके उत्पादन में वृद्धि के साथ आपूर्ति की स्थिति में सुधार होने की उम्मीद है।

औषध विभाग ने निर्माताओं/आयातकों के साथ स्टॉक की स्थिति की समीक्षा करने के बाद, और एम्फोटेरिसिन बी की बढ़ती मांग को देखते हुए11 मई, 2021 को अपेक्षित आपूर्ति के आधार पर राज्यों/केंद्रशासित क्षेत्रों को यह दवा आवंटित की जो 10 मई से 31 मई, 2021 के बीच उपलब्ध करायी जाएगी। राज्यों से सरकारी और निजी अस्पतालों एवं स्वास्थ्य सेवा एजेंसियों के बीच आपूर्ति के समान वितरण के लिए एक व्यवस्था लागू करने का भी अनुरोध किया गया है। राज्यों से यह भी अनुरोध किया गया है कि वे इस आवंटन से दवा प्राप्त करने के लिए राज्य में निजी और सरकारी अस्पतालों के लिए ‘संपर्क बिंदु’ का प्रचार करें। इसके अलावा, राज्यों से अनुरोध किया गया है कि पहले से आपूर्ति किए जा चुके स्टॉक और साथ ही आवंटित किए गए स्टॉक का विवेकपूर्ण तरीके से इस्तेमाल किया जाए। राष्ट्रीय औषध मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (एनपीपीए) आपूर्ति व्यवस्था की निगरानी करेगा।

देश महामारी की गंभीर लहर का सामना कर रहा है और इसने देश के विभिन्न हिस्सों को प्रभावित किया है। भारत सरकार आवश्यक कोविड दवाओं की आपूर्ति बढ़ाने और उन्हें एक समान एवं पारदर्शी तरीके से राज्य सरकारों तथा केंद्रशासित प्रदेशों के लिए उपलब्ध कराने की खातिर लगातार काम कर रही है।

भारत को कोरोना मामले में बदनाम करने का अंतर्राष्ट्रीय षड्यंत्र सामने आया;WHO ने स्पष्ट किया कि,उसने चिंताजनक वैरिएंट के रूप में 44 देशों में  वर्गीकृत बी.1.617 के साथ “भारतीय वैरिएंट” शब्द नहीं जोड़ा attacknews.in

नईदिल्ली 12 मई । विभिन्न मीडिया में ऐसे समाचार आए हैं कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने बी.1.617 को एक वैश्विक चिंता वाले वैरिएंट के रूप में वर्गीकृत किया है। इनमें से कुछ रिपोर्ट में बी.1.617 वैरिएंट का उल्लेख कोरोना वायरस के “भारतीय वैरिएंट” के रूप में किया है।

ये मीडिया रिपोर्ट्स निराधार और बेबुनियाद हैं।

यह स्पष्ट किया जाता है कि डब्ल्यूएचओ ने अपने 32 पृष्ठ के दस्तावेज में कोरोना वायरस के बी.1.617 वैरिएंट के साथ “भारतीय वैरिएंट” शब्द नहीं जोड़ा है ।

इससे पहले यह सूचना सामने आई;

कोविड-19 का भारत में मिला स्वरूप 44 देशों में पाया गया;WHO ने बताया-पिछले साल सामने आया बी.1.617 स्वरूप 44 देशों में पाया गया,यह ‘स्वरूप चिंताजनक

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कहा कि भारत में पिछले साल पहली बार सामने आया कोरोना वायरस का बी.1.617 स्वरूप 44 देशों में पाया गया है और यह ‘स्वरूप चिंताजनक’ है।

संयुक्त राष्ट्र की यह संस्था आए दिन इसका आकलन करती है क्या सार्स सीओवी-2 के स्वरूपों में संक्रमण फैलाने और गंभीरता के लिहाज से बदलाव आए हैं या राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकारियों द्वारा लागू जन स्वास्थ्य और सामाजिक कदमों में बदलाव की आवश्यकता है।

डब्ल्यूएचओ ने मंगलवार को प्रकाशित साप्ताहिक महामारी विज्ञान विज्ञप्ति में बी.1.617 को चिंताजनक स्वरूप (वीओए) बताया।

चिंताजनक स्वरूप वे होते हैं जिन्हें वायरस के मूल रूप से कहीं अधिक खतरनाक माना जाता है। कोरोना वायरस का मूल स्वरूप पहली बार 2019 के अंतिम महीनों में चीन में देखा गया था।

किसी भी स्वरूप से पैदा होने वाले खतरे में संक्रमण फैलने की अधिक आशंका, ज्यादा घातकता और टीकों से अधिक प्रतिरोध होता है।

डब्ल्यूएचओ ने कहा कि बी.1.617 में संक्रमण फैलने की दर अधिक है।

उसने कहा, ‘‘प्रारंभिक सबूत से पता चला है कि इस स्वरूप में कोविड-19 के इलाज में इस्तेमाल मोनोक्लोनल एंटीबॉडी ‘बामलैनिविमैब’ की प्रभाव-क्षमता घट जाती है।’’

कोविड-19 का बी.1.617 स्वरूप सबसे पहले भारत में अक्टूबर 2020 में देखा गया। भारत में कोविड-19 के बढ़ते मामलों और मौतों ने इस स्वरूप की भूमिका को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं।

डब्ल्यूएचओं द्वारा भारत में स्थिति के हालिया आकलन में भारत में कोविड-19 के मामले फिर से बढ़ने और तेज होने में कई कारकों का योगदान होने की आशंका जताई गई है।

इनमें सार्स-सीओवी-2 स्वरूपों के संभावित रूप से संक्रमण फैलाने, धार्मिक और राजनीतिक कार्यक्रम, जन स्वास्थ्य एवं सामाजिक कदमों का पालन कम होना शामिल है।

ओडिशा में कोविड मरीज में “ब्लैक फंगस” पाये जाने का मामला सामने आया attacknews.in

भुवनेश्वर 11 मई । ओडिशा में एक कोरोना संक्रमित व्यक्ति में ‘म्यूकोरमाइकोसिस’(ब्लैक फंगस) पाये जाने का मामला सामने आया है।

राज्य के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग की ओर से जारी बयान में इसकी पुष्टि की गयी है।

इकहत्तर वर्षीय मधुमेह से पीड़ित व्यक्ति के गत 20 अप्रैल को कोरोना से संक्रमित होने की पुष्टि हुई थी , जिसके बाद से वह होम आइसोलेशन में था। आंखों में सूजन और नाक में कालापन नजर आने के पर शनिवार को उसे एसयूएम अल्टमेट मेडिकेयर में भर्ती कराया गया।

बयान में अस्पताल के कान,नाक एवं गला विभाग प्रमुख डॉ राधामाधव साहू के हवाले से कहा गया है कि मरीज के नाक का इंडोस्कोपी जांच में उसके नाक के भीतरी छोर पर कालापन जमा नजर आया है जो म्यूकोरमाइकोसिस का संकेत है।

विभाग के मुताबिक राज्य में म्यूकोरमाइकोसिस रोग का इलाज भी उपलब्ध है।

डॉ साहू ने कहा कि राज्य में इस तरह का यह पहला मामला है। मरीज के ‘केस हिस्ट्री’ की जानकारी लेने के बाद पजा चला कि उसने पुराने एयर-कूलर का उपयोग किया था जिसका पानी काफी समय से बदला नहीं गया था और इसी के बाद उसमें यह लक्षण नजर आया।

चिकित्सकों के मुताबिक डायबिटीज, कैंसर जैसे रोग से पहले से ग्रस्त होने के कारण भी व्यक्ति में ब्लैक फंगस का खतरा बढ़ जाता है और यह सामान्य तौर पर उन मरीजों में ज्यादा देखा जा रहा है, जो कोरोना से ठीक हुए हैं और जिन्हें पहले से किसी बीमारी से पीड़ित रहे।

केंद्र ने राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के साथ कोविड टीकाकरण की प्रगति की समीक्षा में दूसरी खुराक को प्राथमिकता देने; दूसरी खुराक के लिए न्यूनतम 70 प्रतिशत कोटा आवंटित करना तय किया attacknews.in

नईदिल्ली 11 मई ।केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव श्री राजेश भूषण और कोविड-19 से निपटने के लिए बनायी गयी प्रौद्योगिकी एवं डेटा प्रबंधन सशक्त समूह के अध्यक्ष तथा राष्ट्रीय कोविड-19 टीका प्रशासन विशेषज्ञ समूह के सदस्य डॉ. आर एस शर्मा ने आज एक वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों के स्वास्थ्य सचिवों और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के प्रबंध निदेशकों के साथ कोविड टीकाकरण की स्थिति की समीक्षा की।

वैश्विक स्तर पर इस तरह के सबसे बड़े अभ्यासों में से एक, देशव्यापी कोविड-19 टीकाकरण कार्यक्रम 16 जनवरी 2021 को शुरू किया गया था। बाद में इसका व्यापक रूप से विस्तार किया गया और राष्ट्रीय कोविड-19 टीकाकरण अभियान के लिए उदार मूल्य निर्धारण एवं त्वरित रणनीति के कार्यान्वयन के साथ 01मई, 2021 से अभियान में 18 वर्ष से अधिक उम्र के नागरिकों को शामिल किया गया।

राज्य विशिष्ट डेटा के साथ टीकाकरण अभियान के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालने वाली एक विस्तृत प्रस्तुति के बाद, केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव ने निम्नलिखित बिंदुओं पर प्रकाश डाला:

राज्य सुनिश्चित करेंगे कि पहली खुराक लेने वाले सभी लाभार्थियों को दूसरी खुराक के लिए प्राथमिकता दी जाए। दूसरी खुराक का इंतजार करे रहे बहुत सारे लाभार्थियों की जरूरत पर ध्यान देने की तत्काल आवश्यकता पर जोर दिया गया।

इस संबंध में, राज्य भारत सरकार के माध्यम से मिले टीकों में से कम से कम 70 प्रतिशत टीके दूसरी खुराक के लिए और बाकी 30 प्रतिशत पहली खुराक के लिए रख सकते हैं। यह हालांकि सांकेतिक है। राज्यों को इसे 100 प्रतिशत तक बढ़ाने की स्वतंत्रता है। कोविन पर राज्यवार संख्या राज्यों के नियोजन उद्देश्यों के लिए उनके साथ साझा की गई है।

राज्यों से टीके की दो खुराक के साथ पूर्ण टीकाकरण के महत्व को रेखांकित करने के लिए जागरुकता अभियान चलाने को कहा गया है।

केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव ने उन राज्यों का विवरण प्रस्तुत किया,जिन्होंने प्राथमिकता समूहों (जैसे कि 45+, एफएलडब्ल्यू और एचसीडब्ल्यू) एवं अन्य के उच्च कवरेज को सुनिश्चित किया है, और राज्यों से आग्रह किया कि वे सुनिश्चित करें कि प्राथमिकता वाले समूहों को टीका लगाया जाए।

भारत सरकार के माध्यम से प्रदान किए जा रहे कोविड टीकों के बारे में राज्यों को पहले से पारदर्शी तरीके से सूचित किया गया है। बेहतर और ज्यादा कारगर योजना निर्माण में राज्यों की मदद करने के लिए उन्हें अग्रिम रूप से आगामी पखवाड़े के लिए टीके के आवंटन के बारे में बता दिया गया है।

15-31 मई की अवधि के लिए अगला आवंटन उन्हें 14 मई को दिया जाएगा। यह बताया गया कि राज्य अपने टीकाकरण सत्रों की योजना बनाने के उद्देश्य से अगले 15 दिनों के लिए खुराक के आवंटन के बारे में जानकारी का उपयोग कर सकते हैं।

राज्यों से टीका अपव्यय को कम करने का भी आग्रह किया गया। हालांकि समग्र स्तरों में काफी कमी आई है, केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव ने कहा कि कई राज्य हैं जिन्हें अभी भी अपव्यय को कम करने की जरूरत है। टीकों के विवेकपूर्ण उपयोग को सुनिश्चित करने के लिए राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को टीको को लेकर पुन: प्रशिक्षण और पुन: व्यवस्था करने का सुझाव दिया गया था। राष्ट्रीय औसत से अधिक सभी अपव्यय को उसके बाद उस राज्य/केंद्रशासित प्रदेशों के बाद के आवंटन से समायोजित किया जाएगा।

इस संदर्भ में, यह भी बताया गया कि कुछ राज्य एक नकारात्मक अपव्यय की जानकारी देने में सक्षम हैं, क्योंकि अच्छी तरह से प्रशिक्षित स्वास्थ्य कार्यकर्ता प्रति शीशी से अधिकतम खुराक निकाल सकते हैं, जो आम तौर पर वैसे चिह्नित है।

राज्यों को ‘भारत सरकार के अलावा’ दूसरेमाध्यम से खरीद के बारे में भी बताया गया था जो कि टीकाकरण के तीसरे चरण की त्वरित रणनीति के तहत खोला गया है। राज्यों से निजी टीका निर्माताओं को लंबित भुगतान के मद्देनजर, राज्यों को दो या तीन वरिष्ठ अधिकारियों की राज्य स्तर पर एक समर्पित टीम का गठन करने की सलाह दी गई थी, ताकि वे दैनिक आधार पर टीका निर्माताओं के साथ समन्वय कर सकें और तेजी से राज्य सरकार की आपूर्ति को सुरक्षित कर सकें। साथ ही यह टीम निजी अस्पतालों के साथ समन्वय करके उन्हें टीके की खरीद की सुविधा प्रदान करती है, जिससे राज्य में समग्र टीकाकरण अभ्यास की गति बनी रहे।

टीकाकरण अभ्यास की बदलती जरूरतों को बेहतर ढंग से दर्शाने के लिए कोविन प्लेटफॉर्म में भी बदलाव किया जा रहा है। लक्ष्य समूहों का टीकाकरण पूरा करने की बेहतर योजना के लिए राज्य एक दूसरी खुराक देय रिपोर्ट डाउनलोड कर सकते हैं। जिला प्रतिरक्षण अधिकारी (डीआईओ) और कोविड टीकाकरण केंद्र (सीवीसी) प्रबंधक मांग के अनुसार सत्र क्षमता को बढ़ा सकते हैं (जिसकी सीमा 100 तय की गयी थी) और अपने आगामी सत्रों में लक्ष्य समूह की योजना भी बना कर सकते हैं। जरूरी फोटो प्रमाणपत्र न होने वाले लाभार्थी जैसे कि वृद्धाश्रमों में रहने वाले वरिष्ठ नागरिक, भी पंजीकृत हो सकते हैं। डीआईओऔर सीवीसी प्रबंधक टीका उपयोग रिपोर्ट (वीयूआर) डाउनलोड भी कर सकते हैं।

डॉ. शर्मा ने कहा कि कोविन प्लेटफॉर्म दूसरी खुराक के लिए स्लॉट हासिल करने के लिए जल्द ही लचीलापन और सुविधा प्रदान करेगा। कोविन संभव सीमा तक अनुकूलित किया जाएगा और एपीआई भी खोले जाएंगे। लोगों को सूचित करने के लिए आईईसी अभियान की आवश्यकता है कि वे दोनों खुराक लेने के लिए केवल एक मोबाइल नंबर का उपयोग करें ताकि उनके प्रमाणपत्र से पता चले कि उन्होंने दोनों खुराक ले ली है।

डॉ. शर्मा ने डेटा की सत्यता और प्रामाणिकता के जरूरी महत्व को दोहराया। उन्होंने राज्यों से यह भी आग्रह किया कि वे किसी को, कहीं भी और किसी भी समय टीकाकरण प्रदान करने के कोविन के मंत्र को बनाए रखने के लिए प्रतिबंधात्मक मानदंडों के उपयोग से बचें।

मध्यप्रदेश में घटा संक्रमण; सोमवार को सामने आए कोरोना के 9715 नए मामले, 81 लोगों की मौत; अब तक संक्रमितों की संख्या हुई 6, 81, 478,मृतकों का आंकड़ा 6501 attacknews.in

भोपाल, 10 मई । मध्यप्रदेश में आज कोरोना संक्रमण के नौ हजार से अधिक नये मामले सामने आये है।वहीं इस महामारी ने आज 81 लोगों की जान ले ली।

राज्य के स्वास्थ्य संचालनालय की ओर से जारी बुलेटिन के अनुसार आज राज्य भर में कोरोना संक्रमण के 61530 जांच रिपोर्ट में 9,715 लोग कोरोना पॉजिटिव मिले हैं।जांच सैंपल रिपोर्ट में 51,815 लोगों की रिपोर्ट नेगेटिव रहे तथा 261 सैंपल रिजेक्ट हुए है।

इस तरह पॉजीटिविटी रेट (संक्रमण दर) आज 16़ 9 प्रतिशत से घटकर 15़ 7 प्रतिशत दर्ज की गयी।

संक्रमण की इस बीमारी से राज्य भर में 7324 लोग स्वस्थ होकर घर रवाना हो गये।वहीं 1,11223 सक्रिय मरीजों का इलाज चल रहा है।

इस महामारी से राज्य भर में 6, 81, 478 लोग संक्रमित हुए है।हालाकि इनमें से अब 5,63754 लोग ठीक हो चुके है।

वहीं कोरोना संक्रमण से अब तक प्रदेश भर में 6501 लोगों की जान चली गयी है।

राज्य के 52 जिलों में से सबसे ज्यादा कोरोना मरीज आज भी इंदौर में मिले है।इंदौर जिले में आज 1627 लोग कोरोना संक्रमित पाये गये।वहीं प्रदेश की राजधानी भोपाल जिले में 1498 लोग कोरोना की चपेट में आये है।

इसके अलावा ग्वालियर में 695, जबलपुर में 540, उज्जैन में 281, रतलाम में 360, रीवा में 263, सागर में 155, खरगोन में 157, धार में 155, शिवपुरी जिले में 253 नये कोरोना मरीज मिले है।

बाकी अन्य जिलों में भी 18 से लेकर 180 के बीच कोरोना संक्रमित मिले है।

मध्यप्रदेश में कोरोना संक्रमण लगातार कम हो रहा-शिवराज

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि प्रदेश में कोरोना संक्रमण लगातार कम हो रहा है।

श्री चौहान ने आज निवास से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से कोरोना‍ नियंत्रण कोर ग्रुप के सदस्यों से चर्चा की तथा प्रदेश के जिलों में कोरोना की‍ स्थिति एवं व्यवस्थाओं की समीक्षा की। उन्होंने कहा कि आज कोरोना के प्रतिदिन नए प्रकरण 10 हजार के नीचे आ गए हैं। प्रदेश में आज के नए प्रकरण 9,715 है, कोरोना वृद्धि दर 1.8 फीसदी है तथा पॉजिटिविटी रेट 15.8 फीसदी हो गई है। साप्ताहिक वृद्धि दर में भी कमी आयी है, यह 17.8 फीसदी हो गई है। आज कोरोना के 7,324 मरीज स्वस्थ होकर घर गए हैं। कोरोना के एक्टिव मरीजों की संख्या 01 लाख 11 हजार 223 है।

मध्यप्रदेश में विकासखंड और ग्राम स्तर पर संकट प्रबंधन समूह गठित करने संबंधी आदेश जारी attacknews.in

भोपाल, 10 मई । मध्यप्रदेश में ग्रामीण और छोटे कस्बों में भी काेरोना की दूसरी लहर के जबर्दस्त प्रकोप के बीच आज राज्य सरकार ने इसकी राेकथाम के लिए विकासखंड और ग्राम स्तर पर तथा नगरीय क्षेत्रों में वार्ड स्तर पर क्राइसिस मैनेजमेंट ग्रुप (संकट प्रबंधन समूह) गठित करने के आदेश आज जारी कर दिए।

राज्य के गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ राजेश राजौरा की ओर से जारी आदेश सभी कलेक्टरों को भेज दिए गए हैं। आदेश में कहा गया है कि कोरोना महामारी पर प्रभावी नियंत्रण के लिए राज्य सरकार ने जिला स्तर जिला संकट प्रबंधन समूह का गठन पिछले वर्ष अप्रैल माह में ही आदेश जारी कर किए हैं। अब सरकार ने विकासखंड स्तर, ग्राम स्तर और नगरीय क्षेत्रों में वार्ड स्तरीय प्रबंधन समूह गठित करने का निर्णय लिया है और इसी तारतम्य में आज आदेश जारी किया गया है।

राज्यों/केन्द्रशासित प्रदेश के पास एक करोड़ से अधिक टीके उपलब्ध:अगले तीन दिनों में राज्यों को 9,24,910 टीके और दिये जायेंगे attacknews.in

नयी दिल्ली, 10 मई ।स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने सोमवार को कहा कि राज्यों और केन्द्रशासित प्रदेशों के पास एक करोड़ चार लाख 30 हजार 63 कोविड-19 टीके उपलब्ध हैं।

मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि इसके अलावा अगले तीन दिनों में राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को 9,24,910 टीके और दिये जायेंगे।

शिवराज सिंह चौहान और धर्मेंद्र प्रधान ने सागर में भारत ओमान रिफायनरी लिमिटेड के पास स्थापित किए जा रहे 1000 बिस्तर के ऑक्सीजन आधारित कोविड अस्पताल का किया निरीक्षण attacknews.in

सागर, 09 मई । मध्यप्रदेश के सागर जिले के आगासौद के पास भारत ओमान रिफायनरी लिमिटेड (बीओआरएल) के संयंत्र के पास स्थापित किए जा रहे 1000 बिस्तर के ऑक्सीजन पर आधारित अस्थायी कोविड अस्पताल का आज मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने निरीक्षण किया। इस अस्पताल में आगामी 25 मई से लगभग 200 बैड पर मरीजों का इलाज प्रारंभ हो सकेगा।

श्री चाैहान ने निर्माणाधीन अस्पताल का श्री प्रधान और अन्य अधिकारियों की मौजूदगी में निरीक्षण कर एक बैठक भी ली। इसमें श्री चौहान के अलावा श्री प्रधान ने संबंधित अधिकारियों को आवश्यक निर्देश दिए।

श्री चौहान ने कहा कि रिफायनरी में उपलब्ध ऑक्सीजन के कारण यहां पर एक हजार बैड का अस्थायी अस्पताल बनाया जा रहा है। इसमें सहयोग के लिए उन्होंने केंद्रीय मंत्री श्री प्रधान के प्रति धन्यवाद दिया।

श्री चौहान ने बताया कि आगामी 25 मई को अस्पताल पहले चरण में तैयार हो जाएगा और लगभग 200 बैड पर मरीजों का उपचार प्रारंभ हो जाएगा।

उन्होंने कहा कि यह प्रसन्नता की बात है कि यहां की ऑक्सीजन का टेस्ट हो गया है और मेडिकली उपयुक्त पायी गयी। उन्होंने बताया कि इस रिफायनरी में 91 – 91 मैट्रिक टन के दो ऑक्सीजन प्लांट हैं। यहां पर बॉटलिंग प्लांट की शुरूआत होने पर ऑक्सीजन काे सिलेंडर में भरकर दूसरे स्थानों पर भेजा जा सकेगा। पच्चीस मैट्रिक टन ऑक्सीजन सिलेंडर में भरकर पूरे संभाग में और आसपास जहां आवश्यकता है, वहां पहुंचायी जा सकेगी। इससे संबंधित प्रोजेक्ट को भी स्वीकृति दी जा रही है। उन्होंने कहा कि श्री प्रधान का राज्य में ऑक्सीजन की आपूर्ति से लेकर इलाज के सुविधाओं के विस्तार तक प्रत्येक मामले में सहयोग मिल रहा है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति भी आभार व्यक्त किया।

श्री चौहान ने बताया कि आने वाले समय में मध्यप्रदेश को ऑक्सीजन के उत्पादन के मामले में आत्मनिर्भर बनाया जाएगा। नब्बे से अधिक ऑक्सीजन प्लांट की स्थापना पर सरकार कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि कोविड से निपटने में ऑक्सीजन की उपलब्धत बहुत महत्वपूर्ण है।

आधिकारिक सूत्रों के अनुसार इस अस्थायी अस्पताल के निर्माण के बाद सागर, विदिशा, अशोकनगर और गुना समेत आसपास के जिलों के कोरोना मरीजों को यह इलाज के लिए काफी मददगार साबित होगा। प्रदेश का यह पहला ऑक्सीजन सप्लाई आधारित अस्पताल है। जहां पर पलंग तक ऑक्सीजन पाइपलाइन रहेगी। यह अस्पताल सर्वसुविधायुक्त बनाया जा रहा है।

केंद्रीय मंंत्री श्री प्रधान ने कहा कि अस्पताल निर्माण के लिए बड़े पैमाने पर निर्माण कार्य चल रहा है। बीना रिफाइनरी की इंडस्ट्रियल आक्सीजन को मेडीकल ऑक्सीजन में कन्वर्ट कर मरीज़ों के लिए उपयोग में लिया जाएगा। यह एक बड़ा प्रोजेक्ट है और आसपास के लोगों को काफी लाभ मिलेगा।

इस दौरान मुख्यमंत्री श्री चौहान ने अस्पताल से संबंधित विभिन्न कार्यों के लिए नियुक्त एजेंसी तथा कार्यों की बिंदुवार समीक्षा की। उन्होंने यहाँ ऑक्सीज़न प्लांट, ऑक्सीज़न टेस्टिंग, कंप्रेसर कक्ष के निर्माण, ऑक्सीजन सप्लाई की 800 मीटर लंबी पाइपलाइन, दुर्गापुर से कंप्रेसर की शिफ्टिंग, अतिरिक्त स्टैंडबाय कंप्रेशर का क्रय, बॉटलिंग प्लांट संबंधित कार्यों की अद्यतन स्थिति की जानकारी ली।

डीआरडीओ की कोविड रोधी दवा 2- डिऑक्सी-डी-ग्लूकोज (2-डीजी)को औषधि नियंत्रक की मंजूरी, DRDO ने यह दवा हैदराबाद स्थित डा रेड्डीज लेबोरेटरीज के साथ मिलकर विकसित की है attacknews.in

नयी दिल्ली 08 मई । कोरोना महामारी के बढते संकट के बीच इससे निपटने में मदद के लिए उम्मीद की एक और किरण दिखाई दी है।

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने हैदराबाद स्थित डा रेड्डीज लेबोरेटरीज के साथ मिलकर कोविड रोधी दवा 2- डिऑक्सी-डी-ग्लूकोज (2-डीजी) विकसित की है और औषधि नियंत्रक महानिदेशक ने इसके आपात इस्तेमाल की मंजूरी दे दी है।

डीआरडीओ की एक प्रयोगशाला आईएनएमएएस ने इसमें सहयोग किया है। नैदानिक परीक्षण परिणामों से पता चला है कि यह दवा अस्पताल में भर्ती रोगियों के तेजी से ठीक होने में मदद करता है एवं बाहर से ऑक्सीजन की निर्भरता को कम करता है। संभावना व्यक्त की जा रही है कि यह दवा कोविड-19 से पीड़ित लोगों के लिए काफी फायदेमंद होगी।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आह्वान पर डीआरडीओ ने कोविड रोधी दवा विकसित करने की पहल की। अप्रैल 2020 में महामारी की पहली लहर के दौरान आईएनएमएएस-डीआरडीओ के वैज्ञानिकों ने सेंटर फॉर सेलुलर एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी (सीसीएमबी),हैदराबाद की मदद से प्रयोगशाला परीक्षण किए और पाया कि यह दवा सार्स-सीओवी-2 वायरस के खिलाफ प्रभावी ढंग से काम करती है और वायरल को बढ़ने से रोकती है। इन परिणामों के आधार पर गत वर्ष मई में कोविड-19 रोगियों में 2-डीजी के दूसरे चरण के नैदानिक परीक्षण की अनुमति दी गयी।

डीआरडीओ ने अपने उद्योग सहयोगी डीआरएल हैदराबाद के साथ मिलकर कोविड-19 मरीजों में दवा की सुरक्षा और प्रभावकारिता का परीक्षण करने के लिए नैदानिक परीक्षण शुरू किए। मई से अक्टूबर 2020 के दौरान किए गए दूसरे चरण के परीक्षणों (डोज़ रेजिंग समेत) में दवा कोविड-19 रोगियों में सुरक्षित पाई गई और उनकी रिकवरी में महत्वपूर्ण सुधार दिखाया गया। दूसरे चरण का संचालन छह अस्पतालों में किया गया और देश भर के 11 अस्पतालों में दूसरे चरण बी (डोज रेजिंग) का क्लीनिकल ट्रायल किया गया। इसमें 110 मरीजों का ट्रायल किया गया।

सफल परिणामों के आधार पर गत नवंबर में तीसरे चरण के नैदानिक परीक्षणों की अनुमति दी गयी। दिल्ली,उत्तर प्रदेश,पश्चिम बंगाल, गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक और तमिलनाडु के 27 कोविड अस्पतालों में दिसंबर से मार्च के बीच 220 मरीजों पर तीसरे चरण का क्लीनिकल ट्रायल किया गया। तीसरे चरण के क्लीनिकल ट्रायल के विस्तृत आंकड़े डीसीजीआई को पेश किए गए। रोगियों के लक्षणों में काफी अधिक अनुपात में सुधार देखा गया और एसओसी की तुलना में तीसरे दिन तक रोगी पूरक ऑक्सीजन निर्भरता कम हो गयी जो ऑक्सीजन पर निर्भरता से शीघ्र राहत का संकेत है।

इसी तरह का रुझान 65 साल से अधिक उम्र के मरीजों में देखा गया । गत एक मई को इस दवा के आपातकालीन उपयोग की गंभीर कोविड-19 रोगियों में सहायक चिकित्सा के रूप में अनुमति प्रदान की गयी। ग्लूकोज का एक सामान्य अणु और एनालॉग होने के नाते इसे आसानी से उत्पादित किया जा सकता है और देश में अधिक मात्रा में उपलब्ध कराया जा सकता है।

यह दवा एक सैशे में पाउडर के रूप में आती है जिसे पानी में घोलकर लिया जाता है। यह वायरस संक्रमित कोशिकाओं में जमा होती है और वायरल संश्लेषण और ऊर्जा उत्पादन को रोककर वायरस के विकास को रोकती है। वायरस से संक्रमित कोशिकाओं में इसका चयनात्मक संचय इस दवा को बेजोड़ बनाता है।

कोविड-19 की दूसरी लहर में बड़ी संख्या में मरीज गंभीर ऑक्सीजन निर्भरता का सामना कर रहे हैं और उन्हें अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत है। संक्रमित कोशिकाओं में दवा के प्रभाव के तरीक़े के कारण इस दवा से बहुमूल्य जीवन बचाने की उम्मीद है।

मध्यप्रदेश में शनिवार को संक्रमितों की संख्या 6,60,712 और मृतकों की संख्या।6334 हुई,कोरोना के सक्रिय मरीजों की संख्या 1 लाख के पार, 90 की मौत attacknews.in

भोपाल, 08 मई । मध्यप्रदेश में आज कोरोना संक्रमण के सक्रिय मरीजों की संख्या एक लाख के पार हो गयी। इस महामारी के कारण आज 90 लोगों की मौत हो गयी।

राज्य में हालाकि कोरोना संक्रमण की दर हर दिन कम हो रहा है। आज संक्रमण की दर 17़ 4 प्रतिशत रहा।

राज्य के स्वास्थ्य संचालनालय की ओर से जारी बुलेटिन के अनुसार आज प्रदेश भर में कुल 66525 लोगों की सैंपल जांच की गई और इनमें से 11,598 लोग कोरोना संक्रमित मिले हैं।

आज पाये गये कोरोना संक्रमित मरीजों को मिलाकर अब तब इस बीमारी से 6,60,712 लोग संक्रमित हो चुके हैं।

राहत की खबर है कि इनमें से 551892 लोग कोरोना संक्रमण को मात देकर अपने घर पहुंच चुके है। राज्य के विभिन्न अस्पतालों में अभी भी 1,02486 लोगों का इलाज चल रहा है।

इस बीमारी से आज 4445 लोग निजात पाकर अपने घर रवाना हो गये है। आज संक्रमण दर 17़ 4 प्रतिशत आंका गया। राज्य में अब तक 6334 लोग जान गंवा चुके है।

राज्य के इंदौर जिले में अन्य दिनों की तरह ही आज भी सबसे अधिक कोरोना संक्रमित मिले है। यहां 1706 लोगों में संक्रमण के संक्रमण मिले है। वहीं राजधानी भोपाल जिले में 1561 लोगों में कोरोना संक्रमण पाये गये। इसके अलावा ग्वालियर जिले में 987, जबलपुर जिले में 825, उज्जैन जिले में 308, रतलाम जिले में 379, रीवा जिले में 313, दमोह में 220, सतना में 248, शिवपुरी में 252, नरसिंहपुर में 237, सीहोर में 204, अनूपपुर में 236, सीधी में 207 लोग कोरोना संक्रमित पाये गये है। राज्य के बाकी जिलों में भी 26 से 200 के बीच कोरोना मरीज मिले हैं।

मध्यप्रदेश में अब तक 18 से 44 वर्ष के आयु वर्ग के लगभग दस हजार नागरिकों को कोरोना वैक्सीन लगायी जा चुकी है। इसके अलावा 45 वर्ष से अधिक आयु के 62 लाख 61 हजार से अधिक नागरिकों को पहला डोज और सात लाख उन्पचास हजार से अधिक नागरिकों को दूसरा डोज भी दिया जा चुका है।

मध्यप्रदेश में कम हो रही कोरोना पॉजिटिविटी रेट: सारंग

चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास कैलाश सारंग ने प्रदेश में कोरोना संक्रमण से सुधरते हालातों पर बोलते हुए कहा कि यह संतोष भरी खबर है कि प्रदेश में पॉजिटिविटी रेट कम हो रहा है। लेकिन संक्रमण की चेन को पूरी तरह से तोड़ने के लिए कोरोना प्रोटोकॉल का ध्यान रखना होगा।

श्री सारंग ने कहा कि मुख्यमंत्री कोविड उपचार योजना लागू की गई है। इस योजना में आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों का निःशुल्क कोविड उपचार किया जायेगा। मुख्यमंत्री कोविड उपचार योजना की समीक्षा खुद मुख्यमंत्री कर रहे हैं।