अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ महाभियोग की सुनवाई शुरू,राजद्रोह भड़काने का आरोप लगाया attacknews.in

वाशिंगटन, 11 फरवरी । अमेरिकी सीनेट ने बुधवार को देश के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ महाभियोग की सुनवाई शुरू की।

डेमोक्रेट के बहुमत वाली प्रतिनिधि सभा के महाभियोग प्रबंधकों ने ट्रंप के खिलाफ राजद्रोह भड़काने का आरोप लगाया।

डेमोक्रेटिक सांसद जैमी रस्किन की अगुवाई में प्रतिनिधि सभा के डेमोक्रेटिक पार्टी के सदस्यों ने ट्रंप पर छह जनवरी को अमेरिकी कैपिटल (संसद भवन) में हुआ दंगा भड़काने का आरोप लगाया गया। यह दंगा उस समय हुआ था, जब कैपिटल परिसर में दोनों सदनों के सांसद तीन नवम्बर को हुए राष्ट्रपति चुनाव के परिणाम को प्रमाणित करने के अपने संवैधानिक कर्तव्य का निर्वहन कर रहे थे।

चुनाव में डेमोक्रेटिक जो बाइडन ने ट्रंप को मात दी थी। बाइडन ने 20 जनवरी को अमेरिका के 46वें राष्ट्रपति के तौर पर कार्यभार संभाला था। प्रतिनिधि सभा ने 20 जनवरी से पहले उसी समय ट्रंप के खिलाफ महाभियोग की कार्यवाही शुरू कर दी थी, जब वह देश के राष्ट्रपति थे और अब उनके व्हाइट हाउस छोड़ने के तीन सप्ताह बाद सीनेट में उनके खिलाफ कार्यवाही शुरू की गई है।

अमेरिकी इतिहास में पहली बार किसी पूर्व राष्ट्रपति के खिलाफ महाभियोग की कार्यवाही शुरू की गई है। इसके अलावा दो बार महाभियोग की कार्यवाही का सामना करने वाले वह पहले राष्ट्रपति हैं।

सीनेट में सांसद जैमी रस्किन ने ट्रंप पर कैपिटल में दंगा करने के लिए एक विद्रोही भीड़ को उकसाने का आरोप लगाया। उनके कई डेमोक्रेटिक साथियों ने सीनेट में इसका समर्थन किया।

रस्किन ने कहा, ‘‘ सबूत बताएंगे कि पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप निर्दोष नहीं है। सबूत बताएंगे कि उन्होंने स्पष्ट तौर पर छह जनवरी को विद्रोह को भड़काया। सबूतों से पता चलेगा कि डोनाल्ड ट्रंप ने अपनी कमांडर- इन-चीन की भूमिका छोड़ खतरनाक विद्रोह को भड़काने वाले एक सरगना की भूमिका निभाई।’’

प्रतिनिधि सभा के प्रबंधकों के पास दलीलें रखने के लिए 16 घंटे का ही समय है। रस्किन बृहस्पतिवार को अपनी बाकी दलीलें पेश करेंगे। इसके बाद ट्रंप के वकील अपना पक्ष रखेंगे और उन्हें भी 16 घंटे ही मिलेंगे।

इस बीच, भारतीय-अमेरिकी सांसदों ने भी ट्रंप के खिलाफ महाभियोग का समर्थन किया।

भारतीय-अमेरिकी सांसद राजा कृष्णमूर्ति ने कहा, ‘‘ राष्ट्रपति ने पिछले महीने कैपिटल और हमारे लोकतांत्रिक संस्थानों पर हमला करने वाली भीड़ का भड़काया। आज उन्हें, सजा दिए जाने की आवश्यकता है क्योंकि उनकी वजह से उस दिन सभी सदन के सदस्यों और कर्मियों को अपनी जान बचाने के लिए भागना पड़ा था।’’

कृष्णमूर्ति ने प्रतिनिधि सभा में ट्रंप पर महाभियोग चलाने के पक्ष में मतदान किया था। साथ ही तीन अन्य भारतीय-अमेरिकी सांसदों एमी बेरा, रो खन्ना और प्रमिला जयपाल ने भी महाभियोग का समर्थन किया।

गौरतलब है कि ट्रंप ने राष्ट्रपति चुनाव में हार स्वीकार नहीं की थी और वह तीन नवम्बर को हुए चुनाव में धोखाधड़ी के दावे कर रहे थे। ट्रंप के इन दावों के बीच, कैपिटल बिल्डिंग (अमेरिकी संसद भवन) में उनके समर्थकों ने छह जनवरी को धावा बोला था और हिंसा की थी।

सुप्रीम कोर्ट और NGT द्वारा आर्थिक संयंत्रों के रोके गये कामों की समीक्षा कर रहा है नीति आयोग निर्णयों के ‘अनपेक्षित’ आर्थिक असर का अध्ययन;जयपुर के कट्स इंटरनेशनल को सौंपी जिम्मेदारी attacknews.in

नयी दिल्ली, 10 फरवरी । सरकार का थिंक टैंक नीति आयोग उच्चतम न्यायालय और राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के चुनिंदा निर्णयों के ‘‘अनपेक्षित’’ आर्थिक असर का अध्ययन कर रहा है और इस बात की समीक्षा भी की जा रही है कि आदेश के पीछे बताए गए उद्देश्य पूरे हुए या नहीं।

एक परियोजना दस्तावेज के अनुसार जयपुर स्थित कट्स इंटरनेशनल को गोवा में मोपा हवाई अड्डे के निर्माण पर रोक लगाने, गोवा में लौह अयस्क खनन को रोकने और तमिलनाडु में स्टरलाइट कॉपर के तूतीकोरिन संयंत्र को बंद करने के उच्चतम न्यायालय के फैसले का अध्ययन करने के लिए कहा गया है।

इस बारे में नीति आयोग के प्रवक्ता को भेजे गए ईमेल का कोई जवाब नहीं मिला, वहीं कट्स इंटरनेशनल के निदेशक अमोल कुलकर्णी ने इसकी पुष्टि की।

कट्स इंटरनेशनल की प्रोजेक्ट विवरण दस्तावेज के अनुसार, ‘‘यह अध्ययन प्रमुख न्यायिक/ अर्ध न्यायिक निर्णयों के अनपेक्षित आर्थिक परिणामों की जांच करेगा और न्यायिक निर्णय के उद्देश्य की समीक्षा करेगा।’’

दस्तावेज के अनुसार आर्थिक प्रभाव का अध्ययन करने के लिए पांच मामलों का चयन किया गया है, जिनमें से तीन का फैसला उच्चतम न्यायालय ने किया और अन्य दो का एनजीटी ने।

दस्तावेज में कहा गया कि न्यायिक फैसलों के दूरगामी आर्थिक प्रभाव होते हैं जो अक्सर निर्णय लेने के समय पर ध्यान नहीं दिए जाते हैं। हाल में भारतीय उच्चतम न्यायालय और राष्ट्रीय हरित अधिकरण के कुछ निर्णयों से संकेत मिलता है कि न्यायिक निर्णयों का आर्थिक प्रभाव के विश्लेषण को व्यापक स्वीकृति मिलनी शेष है।

दस्तावेज में कहा गया है कि इस अध्ययन का उद्देश्य न्यायपालिका के निर्णयों के आर्थिक प्रभावों को बेहतर संवेदनशीलता के साथ उजागर करना है, ताकि न्यायिक अधिकारियों को एक उपयोगी सामग्री मिल सके।

दस्तावेज में कहा गया है कि हाल के दिनों में कुछ ऐसे महत्वपूर्ण मामले हैं, जिनसे अर्थव्यवस्था को काफी नुकसान पहुंचा।

कुलकर्णी ने कहा कि नीति आयोग द्वारा वित्त पोषित इस परियोजना की लागत 24.8 लाख रुपये थी और अध्ययन फरवरी 2020 में शुरू होना था, हालांकि कोविड-19 लॉकडाउन के चलते इसमें देरी हुई।

भारत-चीन सीमा के हालात पर पैनी नजर रखे हुए है अमेरिका ने अपने पड़ोसियों को डराने-धमकाने के चीन के रवैए पर चिंता व्यक्त की attacknews.in

वाशिंगटन, 10 फरवरी । भारत-चीन सीमा के हालात पर अमेरिका पैनी नजर रखे हुए है और उसने अपने पड़ोसियों को डराने-धमकाने के चीन के रवैए पर चिंता व्यक्त की है।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राइस ने अपने दैनिक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘हम हालात पर पैनी नजर रखे हुए हैं। हम भारत एवं चीन की सरकारों के बीच जारी वार्ता से अवगत हैं और सीधी वार्ता और उन सीमा विवादों के शांतिपूर्ण समाधान का लगातार समर्थन कर रहे हैं।’’

भारत और चीन की सेनाओं के बीच पिछले साल मई की शुरुआत से पूर्वी लद्दाख में सीमा को लेकर गतिरोध चल रहा है।

पिछले महीने नौवें दौर की सैन्य बातचीत में भारत और चीन के बीच सेनाओं को जल्द से जल्द हटाने और पूर्वी लद्दाख में स्थिति को नियंत्रित करने के लिए निरंतर ‘‘प्रभावी प्रयास करने’’ पर सहमति बनी थी।

एक सवाल के जवाब में प्राइस ने कहा, ‘‘हम पड़ोसियों को डराने धमकाने के चीन के लगातार जारी रवैये से चिंतित हैं। हम हिंद-प्रशांत क्षेत्र के मामले में साझा समृद्धि, सुरक्षा और मूल्यों को आगे बढ़ाने के लिए अपने मित्रों और सहयोगियों के साथ खड़े रहेंगे।’’

डोनाल्ड ट्रम्प के खिलाफ महाभियोग की कार्रवाई शुरू करने का हुआ रास्ता साफ;महाभियोग की संवैधानिकता पर सीनेट की मुहर, छह रिपब्लिकन ने दिया डेमोक्रेट का साथ attacknews.in

वाशिंगटन, 10 फरवरी । अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ सीनेट में महाभियोग की कार्यवाही की संवैधानिकता पर हुए मतदान में छह रिपब्लिकन सदस्यों ने अपने डेमोक्रेटिक सहयोगियों का साथ दिया।

सीनेट ने ट्रंप के खिलाफ महाभियोग कार्यवाही की संवैधानिकता पर 44 के मुकाबले 56 वोट से मुहर लगा दी। इसके साथ ही अमेरिका के 45वें राष्ट्रपति पर महाभियोग की कार्यवाही शुरू करने का मार्ग प्रशस्त हो गया है।

महाभियोग के तहत उन पर राष्ट्रपति चुनाव के परिणाम को पलटने के लिए छह जनवरी को अमेरिकी कैपिटल (संसद भवन) में दंगा भड़काने का आरोप लगाया गया है।

दलीलें रखने की प्रक्रिया बुधवार से शुरू होगी और दोनों पक्षों को 16-16 घंटे दिए जाएंगे। इसके बाद 100 सदस्यीय सीनेट में ट्रंप के महाभियोग पर मतदान होगा। रिपब्लिकन और डेमोक्रेटिक, दोनों दलों के सदन में 50-50 सदस्य हैं। ट्रंप पर महाभियोग के लिए सीनेट को इस प्रस्ताव को 67 वोटों के साथ पारित करना होगा।

सीनेट में शुरू ट्रंप के खिलाफ महाभियोग की प्रक्रिया में मंगलवार को छह रिपब्लिकन सदस्यों ने डेमोक्रेटिक पार्टी का साथ दिया। अब आगे की प्रक्रिया के लिए कम से कम 11 और रिपब्लिकन सांसदों के वोट की जरूरत होगी।

रिपब्लिकन सांसदों सुसेन कोलिंस, लिसा मुरकोवस्की, मिट रोमनी, बेन सासे, बिल कासिडे और पैट टोमी ने डेमोक्रेट सांसदों के साथ मतदान किया। महाभियोग की कार्यवाही बुधवार दोपहर शुरू होगी।

इससे पहले राष्ट्रपति के खिलाफ महाभियोग की प्रक्रिया केवल तीन बार हुई जिसमें एंड्रयू जॉनसन, बिल क्लिंटन और फिर पिछले साल ट्रंप को बरी कर दिया गया। ट्रंप के खिलाफ दूसरी बार महाभियोग की सुनवाई हो रही है।

वहीं ट्रंप महाभियोग की सुनवाई के पहले दिन अपने अटॉर्नी के प्रदर्शन से नाराज हैं।

ट्रंप फ्लोरिडा के पाम बीच में ‘मार-आ-लागो’ क्लब से वाशिंगटन में हो रही सुनवाई का प्रसारण देख रहे हैं।

ट्रंप के सहयोगियों ने भी वकीलों पर अपना गुस्सा जाहिर किया। कुछ रिपब्लिकन सांसदों ने भी ट्रंप की टीम के प्रदर्शन पर नाराजगी जाहिर की।

ट्रंप पर महाभियोग की पहली कार्यवाही में उनके पक्ष में दलीलें रखने वाली अटॉर्नी एलन देरशोवित्ज ने कहा, ‘‘कोई बहस नहीं हुई, मुझे समझ नहीं आ रहा कि वे (वकील) क्या कर रहे हैं।’’

ट्रंप के पूर्व कारोबार सलाहकार पीटर नवारो भी पूर्व राष्ट्रपति से अपनी कानूनी टीम को हटाने और सुनवाई के पहले दूसरे वकील को पैरवी करने वाली टीम में रखने का सुझाव दिया।

हैकर समूह “रेड रैबिट टीम” ने जम्मू-कश्मीर में भारती एयरटेल के नेटवर्क का इस्तेमाल कर रहे सैन्यकर्मियों का ‘डेटा’ लीक किया attacknews.in

नयी दिल्ली, छह फरवरी। एक हैकर समूह ने जम्मू-कश्मीर में भारती एयरटेल के नेटवर्क का इस्तेमाल कर रहे सैन्यकर्मी का ‘डेटा’ कथित तौर पर लीक कर दिया है। हालांकि, कंपनी ने अपनी प्रणाली में किसी तरह की सेंध से इनकार किया है।

इस समूह का नाम रेड रैबिट टीम है। समूह ने कुछ भारतीय वेबसाइट को हैक कर डेटा को उन पोर्टल के वेब पेज पर डाला है।

हैकरों ने साइबर सुरक्षा शोधकर्ता राजशेखर राजहरिया के एक ट्वीट के जवाब में इन वेब पेज के कुछ लिंक साझा किए हैं और मीडिया संगठनों को इसे टैग किया है।

इस बारे भारतीय सेना को भेजे गए सवाल का जवाब नहीं मिला है। हालांकि, सेना के एक अधिकारी ने कहा, ‘‘हमें इस तरह की सूचना की कोई जानकारी नहीं है। लेकिन ऐसा लगता है कि कुछ निहित स्वार्थी तत्वों ने गलत मंशा से ऐसा किया है।’’

इस बारे में संपर्क करने पर भारती एयरटेल के प्रवक्ता ने अपने सर्वर में किसी तरह की सेंध से इनकार किया।

प्रवक्ता ने कहा, ‘‘हम इस बात की पुष्टि कर सकते हैं कि एयरटेल की प्रणाली में कोई सेंध नहीं लगी है, जैसा कि इस समूह ने दावा किया है। नियामकीय जरूरत के हिसाब से एयरटेल के बाहर के कई अंशधारकों की डेटा तक पहुंच होती है। हमने संबंधित अधिकारियों को इस मामले की जानकारी दे दी है। हमने उनसे इस मामले की जांच करने और उचित कार्रवाई करने को कहा है।’’

प्रवक्ता ने कहा कि यह समूह पिछले 15 माह से हमारी टीमों के संपर्क में है और लगातार विरोधाभासी दावे कर रहा है। समूह एक क्षेत्र से गलत डेटा पोस्ट कर रहा है।

हैकर द्वारा शेयर किए गए लिंक पर ग्राहकों के नाम, मोबाइल नंबर और पते के आधार पर पहुंचा जा सकता था। लेकिन कुछ समय बाद इसने काम करना बंद कर दिया।

रेड रैबिट टीम ने पीटीआई-भाषा को भेजे संदेश में दावा किया कि उसकी अखिल भारतीय स्तर पर भारती एयरटेल के डेटा तक पहुंच है और जल्द ही वह कुछ और डेटा लीक करेगा।

राजहरिया ने कहा कि हैकर भारती एयरटेल के अखिल भारतीय डेटा तक पहुंच के बारे में कोई विश्वसनीय प्रमाण देने में विफल रहे हैं।

WHO की विशेषज्ञ टीम में शामिल रूस के व्लादिमीर देवकोव को नहीं मिला चीन के वुहान शहर में कोरोनावायरस के उद्गम स्थल का कोई प्रमाण attacknews.in

बीजिंग 04 फरवरी (स्पूतनिक) विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की विशेषज्ञ टीम में शामिल रूस के व्लादिमीर डेडकोव ने कहा है कि वुहान के सीफुड बाजार में कोरोना के फैलने के सभी स्थितियां मौजूद है लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि वायरस का उदगम यहीं हुआ है।

वुहान का हुआनन बाजार कोरोना महामारी के फैलने के बाद एक जनवरी 2020 को बंद कर दिया गया था। इस बाजार में सब्जी के साथ समुद्री और अलग-अलग प्रकार का मांस बेचा जाता है। कोरोना से शुरू में संक्रमित होने वाले लोग भी इस बाजार में काम करते थे। वैज्ञानिक हालांकि अभी भी कोराेना वायरस के प्रसार में पाई गई भूमिका के बारे में एक स्पष्ट निष्कर्ष पर नहीं पहुंचे हैं।

शायद ही कोई कर सकता है कि डब्ल्यूआईवी से लीक की कल्पना: देवकोव

इधर चीन के दौरा पर आई विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की टीम में शामिल रूसी विशेषज्ञ व्लादिमीर देवकोव ने कहा है कि चीन के वुहान स्थित वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ विरोलॉजी में सभी चीजें अच्छी तरह से व्यवस्थित हैं तथा शायद ही कोई इस संस्थान से लीक की कल्पना कर सकता है।

उल्लेखनीय है कि दिसंबर 2019 में कोरोना वायरस (कोविड-19) का पहला मामला वुहान में ही सामने आया था और इस संक्रमण के फैलने की वजहों का पता लगाने के लिए डब्ल्यूएचओ की एक टीम 14 जनवरी से चीन के दौरे पर है।

श्री देवकोव ने कहा, “बेशक, हमारे मिशन के लिए इस केंद्र का दौरा करना, हमारे सहयोगियों से बात करना और यह देखना जरूरी था कि वहां सब कुछ कैसे व्यवस्थित है। यह सुव्यवस्थित है। मुझे नहीं पता कि किसने इसकी आलोचना की, प्रयोगशाला पूरी तरह से सुसज्जित है, मेरे लिए यह कल्पना करना कठिन है कि वहां से कुछ लीक हो सकता है।”

म्यामां में तख्तापलट के बाद लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित नेता आंग सान सू ची का अब तक कोई पता नहीं और सेना ने कई आरोप लगाकर15 फरवरी तक हिरासत की जानकारी attacknews.in

नेप्यीताॅ, 04 फरवरी । म्यांमार की लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित नेता आंग सान सू ची पर बुधवार को पुलिस ने कई आरोप लगाये और उन्हें 15 फरवरी तक हिरासत में ले लिया।

सुश्री सू ची पर आयात और निर्यात कानूनों को तोड़ने और गैरकानूनी ढंग से संचार उपकरण रखने का आरोप लगाया गया है। उनके घर से कथित तौर पर अवैध रूप से आयात किये गये वॉकी-टॉकी बरामद किये गये हैं।

सूत्रों के अनुसार सुश्री सू ची काे कहां ले जाया गया है, उसका अब तक पता नहीं चल सका है। कुछ रिपोर्टों में कहा गया है कि उन्हें नेप्यीतॉ स्थित उनके निवास स्थान पर रखा गया है।

सूत्रों ने बताया कि सुश्री सू ची के साथ राष्ट्रपति विन म्यिंट पर भी कोविड-19 महामारी के दौरान सभाओं पर प्रतिबंध लगाने के नियमों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया गया है और उन्हें दो सप्ताह के लिए हिरासत में भेज दिया गया है।

गौरतलब है कि एक फरवरी को सेना द्वारा तख्तापलट के बाद से न तो राष्ट्रपति और न ही सुश्री सू ची सामने आयी हैं।

सेना ने आठ नवंबर को हुए चुनाव में धांधली का आरोप लगाते हुए सत्ता को अपने हाथ में लेने के जनवरी माह में ही संकेत दे दिए थे। इस चुनाव में सुश्री सू ची की पार्टी नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी ने चुनाव जीता था। सेना ने सुश्री सू ची, श्री म्यिंट और देश की सत्ताधारी पार्टी के कुछ सदस्यों को तख्तापलट के दौरान हिरासत में लिया था।

पॉपसिंगर रिहाना, ग्रेटा और पोर्न स्टार मियां की एन्ट्री से विश्वभर में चर्चा का केंद्र बना राकेश टिकैत का किसान आंदोलन जब इन नई किसान नेताओं ने आंदोलनकारियों के प्रति समर्थन जताया attacknews.in

नयी दिल्ली 03 फरवरी । मशहूर पॉपसिंगर रिहाना और युवा जलवायु कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग ने तीन कृषि कानूनों को वापस लिये जाने की मांग को लेकर पिछले वर्ष 26 नवम्बर से दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलनरत किसानों के प्रति अपना समर्थन जताया है।

किसानों के आंदोलन वाले बहुत से स्थानों पर इंटरनेट सेवाएं बंद कर दिये जाने जैसे सरकार की कार्रवाई पर प्रकाश डालते एक समाचार आलेख की साझेदारी करते हुए रिहाना ने ट्वीट किया , “ हम इस बारे में बात क्यों नहीं कर रहे हैं।” उन्हाेंने अपने ट्वीट में किसान आंदोलन को हैशटैग भी किया।

रिहाना की इस टिप्पणी के बाद थनबर्ग भी किसान आंदोलन को समर्थन में सामने आ गयी । थनबर्ग ने अपने ट्वीट में कहा, “ हम भारत में किसान आंदोलन के प्रति एकजुट हैं।”

इस बीच किसान आंदोलन को लेकर रिहाना की टिप्पणी के बाद बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत ने इसके लिए उनकी यह कहते हुए आलोचना की कि प्रदर्शनकारी किसान नहीं है। कंगना ने ट्वीट कर कहा, “ कोई भी इसलिए बात नहीं कर रहा है क्योंकि ये किसान नहीं, आतंकवादी हैं। जो भारत को बांटना चाहते हैं ताकि चीन हमारे देश पर कब्जा कर ले और यूएसए जैसी चाइनीज कॉलोनी बना दे। शांति से बैठो बेवकूफ। हम तुम्हारे जैसे मूर्ख नहीं है जो अपने देश को बेच दें।”

उल्लेखनीय है कि दिल्ली में गणतंत्र दिवस की हिंसा के बाद सरकार ने ऐहतियात के तौर पर सिंघु, गाजीपुर और टिकरी सीमाओं पर किसान आंदोलन वाले इलाकों में शनिवार को इंटरनेट सेवाएं निलंबित कर दी थी और बाद में निलंबन अवधि मंगलवार तक बढ़ा दी गयी। हरियाणा सरकार ने भी कानून एवं व्यवस्था बनाए रखने के लिए राज्य के 17 जिलों में 31 जनवरी की शाम तक मोबाइल इंटरनेट सेवाएं निलंबित कर दी थी और बाद में इसकी अवधि तीन फरवरी तक बढ़ा दी गयी है।

मियां खलीफा भी मैदान में उतरी:

सोशल मीडिया पर मिया खलीफा (Mia Khalifa) खूब ट्रेंड कर रही है।मिया खलीफा ने हाल ही में किसान आंदोलन को लेकर ट्वीट किया है, यह ट्वीट सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है… मिया खलीफा ने किसान आंदोलन (Farmer’s Protest) को लेकर खुल्लम-खुल्ला ऐलान कर दिया है और किसानों के साथ अपना समर्थन दिया है।

मिया खलीफा (Mia Khalifa) का ट्वीट भी सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है. उन्होंने किसान आंदोलन (Farmer’s Protest) को लेकर ट्वीट किया है. उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा, ‘मानवाधिकार उ’ल्लंघ’नों पर ये चल क्या रहा है? उन्होंने नई दिल्ली के आसपास के इलाकों में इंटरनेट काट दिया है?

किसान आंदोलन को लेकर कई इलाकों में इंटरनेट बैन है, ऐसे में इसे लेकर हस्तियां ट्वीट कर रही हैं. अमेरिकी पॉप सिंगर रिहाना और सोशल एक्टिविस्ट ग्रेटा थर्नबर्ग (Greta Thunberg) ने ट्वीट किए थे. लेकिन अब मिया खलीफा (Mia Khalifa) ने भी भारतीय किसानों के साथ खड़े होने की बात कही है।
मंगलवार शाम रिहान्ना ने किसानों के धरना स्थलों पर सरकार द्वारा इंटरनेट बंद कर दिए जाने के बारे में ट्वीट कर कहा, “हम इसके बारे में बात क्यों नहीं कर रहे हैं”? उसके कुछ घंटों बाद जलवायु परिवर्तन के खिलाफ युवाओं का आंदोलन खड़ा करने वाली ऐक्टिविस्ट ग्रेटा थुनबेर्ग ने भी किसानों के प्रदर्शन को समर्थन देने के बारे में ट्वीट किया. फिर एक के बाद एक कई अंतर्राष्ट्रीय हस्तियों और संस्थानों ने किसानों के आंदोलन पर ट्वीट कर किसानों के अपना समर्थन व्यक्त किया ।

अंतरराष्ट्रीय हस्तियां किसान आंदोलन पर गैरजिम्मेदाराना टिप्पणी से बचें: सरकार

भारत ने अंतरराष्ट्रीय हस्तियों द्वारा भारत के किसान आंदोलन की लेकर की गयीं टिप्पणियों काे गैरजिम्मेदाराना करार दिया है और उन्हें सलाह दी है कि ऐसे आंदोलन भारत की लोकतांत्रिक राजनीति के संदर्भ में देखे जाने चाहिए और कोई भी टिप्पणी करने से पहले तथ्यों को अच्छे से समझना चाहिए।

विदेश मंत्रालय ने आज यहां एक बयान में कहा कि भारत की संसद ने कृषि क्षेत्र में सुधार लाने वाले वाले कानून बहस एवं परिचर्चा के बाद बनाये हैं। ये सुधार किसानों के लिए अधिक विकल्प और बाजार तक सीधी पहुंच सुनिश्चित करते हैं और इससे आर्थिक रूप से लाभकारी कृषि का भी मार्ग प्रशस्त होता है।

बयान में कहा कि भारत के कुछ हिस्सों में किसानों के एक छोटे से वर्ग को इन सुधारों पर कुछ आपत्तियां हैं। प्रदर्शनकारियों की भावनाओं का सम्मान करते हुए सरकार ने उनके प्रतिनिधियों के साथ कई बैठकें कीं। केेन्द्रीय मंत्री बातचीत में शामिल हैं और अब तक 11 दौर की बातचीत हो चुकी है। सरकार ने कानूनों को लंबित रखने का भी प्रस्ताव किया है और यह प्रस्ताव प्रधानमंत्री की ओर से आया है।

बयान के अनुसार इन सबके बावजूद यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि कुछ तुच्छ स्वार्थी समूह अपना एजेंडा आंदोलनकारियों पर थोपने और आंदोलन को विफल करने की कोशिश कर रहे हैं। यह चीज़ 26 जनवरी को देश के गणतंत्र दिवस को दिखायी दी। भारत के संविधान के लागू होने की वर्षगांठ पर देश की राजधानी में हिंसा एवं तोड़फोड़ की गयी। इन्हीं स्वार्थी समूहों में से कुछ भारत के विरुद्ध अंतरराष्ट्रीय समर्थन हासिल करने का प्रयास कर रहे हैं। इन्हीं तत्वों के उकसावे पर विश्व के कई हिस्सों में महात्मा गांधी की प्रतिमाओं को अपवित्र किया गया। यह भारत और विश्व के समस्त सभ्य समाज के लिए बहुत ही दुखद स्थिति है।

विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत के पुलिस बल ने बहुत ही संयम से इन प्रदर्शनों का सामना किया। पुलिस में काम करने वाले सैकड़ों पुरुषों एवं महिलाओं पर शारीरिक हमले किये गये और कुछ मामलों में उन्हें धारदार हथियारों से जख्मी किया गया। हम बताना चाहते हैं कि इन आंदोलनों एवं प्रदर्शनों को भारत की लोकतांत्रिक राजनीति एवं मूल्यों के संदर्भ में देखा जाना चाहिए तथा सरकार एवं संबंधित किसान समूह इस गतिरोध को सुलझाने का प्रयास कर रहे हैं।

हम अपील करते हैं कि ऐसे मामलों में टिप्पणी करने से पहले तथ्यों को जान लेना चाहिए और मुद्दे को अच्छी तरह से समझना चाहिए। सोशल मीडिया में सनसनीखेज टिप्पणियों से सार्वजनिक जीवन में ख्यातिप्राप्त हस्तियों को प्रभावित होना ना तो उचित है और ना ही जिम्मेदाराना।

पोर्न स्टार मियां खलीफा भी पहुंची किसान आंदोलन में और किसानों को अपना समर्थन देने का ऐलान किया attacknews.in

नईदिल्ली 3 फरवरी ।सोशल मीडिया पर मिया खलीफा (Mia Khalifa) खूब ट्रेंड कर रही है।मिया खलीफा ने हाल ही में किसान आंदोलन को लेकर ट्वीट किया है, यह ट्वीट सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है… मिया खलीफा ने किसान आंदोलन (Farmer’s Protest) को लेकर खुल्लम-खुल्ला ऐलान कर दिया है और किसानों के साथ अपना समर्थन दिया है।

मिया खलीफा (Mia Khalifa) का ट्वीट भी सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है. उन्होंने किसान आंदोलन (Farmer’s Protest) को लेकर ट्वीट किया है. उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा, ‘मानवाधिकार उ’ल्लंघ’नों पर ये चल क्या रहा है? उन्होंने नई दिल्ली के आसपास के इलाकों में इंटरनेट काट दिया है?

किसान आंदोलन को लेकर कई इलाकों में इंटरनेट बैन है, ऐसे में इसे लेकर हस्तियां ट्वीट कर रही हैं. अमेरिकी पॉप सिंगर रिहाना और सोशल एक्टिविस्ट ग्रेटा थर्नबर्ग (Greta Thunberg) ने ट्वीट किए थे. लेकिन अब मिया खलीफा (Mia Khalifa) ने भी भारतीय किसानों के साथ खड़े होने की बात कही है।

मंगलवार शाम रिहान्ना ने किसानों के धरना स्थलों पर सरकार द्वारा इंटरनेट बंद कर दिए जाने के बारे में ट्वीट कर कहा, “हम इसके बारे में बात क्यों नहीं कर रहे हैं”? उसके कुछ घंटों बाद जलवायु परिवर्तन के खिलाफ युवाओं का आंदोलन खड़ा करने वाली ऐक्टिविस्ट ग्रेटा थुनबेर्ग ने भी किसानों के प्रदर्शन को समर्थन देने के बारे में ट्वीट किया. फिर एक के बाद एक कई अंतर्राष्ट्रीय हस्तियों और संस्थानों ने किसानों के आंदोलन पर ट्वीट कर किसानों के अपना समर्थन व्यक्त किया।

इनमें अमेरिकी अभिनेता जॉन क्यूजैक, ब्रिटेन के सांसद तनमनजीत सिंह, ब्रिटेन की ही एक और सांसद क्लॉडिया वेब, अमेरिकी अधिवक्ता और उप-राष्ट्रपति कमला हैरिस की भांजी मीना हैरिस, कनाडा की यूट्यूबर लिली सिंह, यूगांडा की पर्यावरण ऐक्टिविस्ट वनेसा नकाते, अंतरराष्ट्र्रीय मानवाधिकार संस्था ह्यूमन राइट्स वॉच, अमेरिकी पर्यावरण ऐक्टिविस्ट जेमी मारगोलिन जैसी हस्तियां शामिल हैं।

संयुक्त किसान मोर्चा ने रिहान्ना को उनके समर्थन के लिए धन्यवाद दिया और यह उम्मीद जताई कि इससे उनके आंदोलन के बारे में आम लोगों में जानकारी फैलेगी।

इस बीच किसान आंदोलन पर संसद के दोनों सदनों में भी सरकार और विपक्ष के बीच गतिरोध छिड़ गया है. सरकार किसानों के प्रदर्शन पर संसद में 15 घंटों की चर्चा कराने को तैयार हो गई । चर्चा शुक्रवार को कराने का निर्णय लिया गया है लेकिन विपक्ष चर्चा तुरंत शुरू कराना चाह रहा है।

दूसरी तरफ दिल्ली की सीमाओं पर सरकार द्वारा लगाए गए तरह तरह के बैरिकेडों से किसान नाराज हैं. सवाल उठ रहे हैं कि इस तरह की घेराबंदी करके सरकार किसानों से बातचीत को कैसे आगे बढ़ाएगी. किसान यह भी मांग कर रहे हैं कि 26 जनवरी की घटनाओं के संबंध में हिरासत में लिए किसानों को भी रिहा किया जाए. उधर दिल्ली पुलिस ने पंजाबी अभिनेता और राजनीतिक कार्यकर्ता दीप सिद्धू को खोजने के प्रयास भी शुरू कर दिए हैं।

पुलिस ने सिद्धू के बारे में जानकारी देने के लिए एक लाख रुपयों के इनाम की घोषणा की है. किसान संगठनों का आरोप है कि सिद्धू ने कुछ किसानों को बरगला कर 26 जनवरी की अप्रिय घटनाओं को अंजाम दिया।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के दल ने चीन के वुहान अनुसंधान प्रयोगशाला का दौरा किया: वायरस की उत्पत्ति कहां से हुई और वह कहां से फैला, इस पर आंकड़े जुटाने और खोज के लिए पहुंचा है दल attacknews.in

वुहान, तीन फरवरी (एपी) विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के दल ने बुधवार को चीनी शहर वुहान में उस अनुसंधान केंद्र का दौरा किया जो कोरोना वायरस की उत्पत्ति को लेकर अटकलों का विषय बना हुआ है।

वायरस की उत्पत्ति कहां से हुई और वह कहां से फैला, इस पर आंकड़े जुटाने और खोज के लिए चीन पहुंचे डब्ल्यूएचओ के दल का वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी का दौरा उसके अभियान का मुख्य बिंदु है।

वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी चीन की शीर्ष विषाणु अनुसंधान प्रयोगशालाओं में से एक है। वर्ष 2003 में सिवियर एक्यूट रेस्पीरेटोरी सिंड्रोम (सार्स) महामारी के बाद चमगादड़ से फैलने वाले कोरोना वायरस पर अनुवांशिक सूचना के संग्रह के लिए इस संस्थान का निर्माण किया गया।

चीन ने वुहान से कोरोना वायरस के प्रसार की संभावना से न सिर्फ साफ इनकार किया है बल्कि उसका कहना है कि वायरस कहीं और से फैला या बाहर से आयातित प्रशीतित समुद्री उत्पादों के पैकेट से देश में आया है। चीन के इस तर्क को अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों एवं एजेंसियों ने बार-बार खारिज किया है।

संस्थान की उप निदेशक शी झेंगली एक विषाणु विशेषज्ञ हैं। वह 2003 में चीन में महामारी के रूप में फैले सार्स के उद्भव का पता लगाने वाले डब्ल्यूएचओ के दल का भी हिस्सा थीं। उन्होंने कई पत्रिकाओं में लेख लिखे हैं और अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन तथा अमेरिकी अधिकारियों के सिद्धांतों को खारिज करने का काम किया है कि वायरस का इस्तेमाल जैविक हथियार के रूप में किया गया या फिर संस्थान से यह ‘‘लीक’’ हुआ।

डब्ल्यूएचओ के दल में 10 देशों से विशेषज्ञ शामिल हैं। दल ने दो सप्ताह पृथक-वास में रहने के बाद अस्पतालों, अनुसंधान संस्थानों और मांस की बिक्री के लिए पारंपरिक बाजार का दौरा किया। कोरोना वायरस के कई शुरुआती मामलों से इस बाजार का संबंध है।

सऊदी अरब ने भारत और पाकिस्तान समेत 20 देशों से विदेशी नागरिकों के देश में आने पर लगाई रोक,देश में कोरोना की दूसरी लहर की चेतावनी जारी attacknews.in

रियाद 03 फरवरी । सऊदी अरब 20 देशों के नागरिकों के देश में आने पर रोक लगा दी है, जिनमें राजनयिक तथा स्वास्थ्यकर्मियों भी शामिल हैं।

सऊदी अरब ने यह कदम कोरोना वायरस (कोविड-19) की रोकथाम को लेकर उठाया है, जो आज से प्रभावी हो रहा है। सऊदी अरब के गृह मंत्रालय ने यह जानकारी दी है। सऊदी प्रेस एजेंसी ने अपनी रिपोर्ट में कहा, “सऊदी अरब के स्वास्थ्य अधिकारियों द्वारा निवारक और एहतियाती उपायों और कोविड -19 के प्रसार रोकने के लिए जा रहे अथक प्रयासों तहत गृह मंत्रालय ने देश में विदेशी नागरिकों के प्रवेश पर अस्थायी प्रतिबंध लगा दिया है। ”

गृह मंत्रालय ने बताया कि जिन देशों के नागरिकों के देश में आने पर रोक लगाई गई है, उनमें अर्जेंटीना, ब्राजील, मिस्र, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, आयरलैंड, इटली, जापान, लेबनान, पाकिस्तान, पुर्तगाल, दक्षिण अफ्रीका, स्वीडन, स्विट्जरलैंड, तुर्की, संयुक्त अरब अमीरात, ब्रिटेन तथा अमेरिका शामिल हैं।

सऊदी अरब के स्वास्थ्य मंत्रालय ने देश में कोरोना की दूसरी लहर की चेतावनी दी

सऊदी अरब के स्वास्थ्य मंत्री तौफिग अल रबिया ने चेतावनी देते हुए कहा कि देश में कोरोना वायरस संक्रमण की दूसरी लहर संभव है तथा लोगों को मौजूदा निवारक उपायों का पालन करने की आवश्यकता है।

श्री राबिया ने कहा, “हाल के सप्ताहों में हमने देश के ज्यादातर हिस्सों में कोरोना वायरस मामलों की संख्या में उल्लेखनीय और लगातार वृद्धि देखी गई है। जनवरी के पहले सप्ताह के आंकड़ों की तुलना में मामलों में दो सौ प्रतिशत वृद्धि देखी गई है इसका प्रमुख कारण सार्वजनिक सभाएँ हैं।”

उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर देश में कोविड-19 मामलों की संख्या में वृद्धि जारी रहती है, तो सऊदी अरब को एक ऐसी स्थिति से निपटना होगा जिसका कई देश सामना कर रहे है।

उन्होंने कहा कि अगर निवारक उपायों की अवहेलना जारी रही तो हमे कोरोना वायरस की दूसरी लहर का सामना करना होगा।

स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार सोमवार को देश कोरोना वायरस के 255 नए दर्ज किए हैं। एक महीने पहले दैनिक आंकड़ा 80 का था।

सऊदी अरब में कोरोना संक्रमण के 368,300 से अधिक मामले है। जबकि देश में छह हजार से अधिक कोरोना मरीजों की मौत हो चुकी है।

म्यामां ( बर्मा) की सेना ने आंग सान सू ची की नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी पार्टी की सरकार का तख्ता पलटा,सेना ने देश का नियंत्रण अपने हाथों में लिया attacknews.in

नेपीता, एक फरवरी (एपी) म्यामां में सेना ने एक साल के लिए देश का नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया है।

सेना के स्वामित्व वाले मयावाडी टीवी ने सोमवार सुबह इसकी घोषणा की।

खबरों में कहा गया कि स्टेट काउंसलर आंग सान सू ची को नजरबंजद कर लिया गया है और राजधानी में संचार के सभी माध्यम काट दिये गये हैं।

नेपीता में फोन एवं इंटरनेट सेवा बंद है और सू ची की नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी पार्टी से संपर्क नहीं हो पा रहा है।

अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और अन्य देशों ने इन खबरों पर चिंता व्यक्त की है और म्यामां की सेना से कानून के शासन का सम्मान करने का अनुरोध किया है।

अमेरिका में व्हाइट हाउस की प्रवक्ता जेन साकी ने एक बयान में कहा कि वह और अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन म्यामां के घटनाक्रमों से अवगत हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘म्यामां में लोकतांत्रिक तरीके से सत्ता के हस्तांतरण को नजरअंदाज कर सेना के तख्तापलट की खबर से अमेरिका चिंतित है। यहां तक कि स्टेट काउंसर आंग सान सू ची एवं अन्य अधिकारियों को भी गिरफ्तार कर लिया गया है।’’

बयान में कहा गया, ‘‘अमेरिका हालिया चुनाव के नतीजों को पलटने के प्रयास या लोकतांत्रिक तरीके से म्यामां में सत्ता के हस्तांतरण को रोकने के कदम का विरोध करता है। अगर इन कदमों को पलटा नहीं गया तो अमेरिका इसके लिये जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई करेगा।’’

ऑस्ट्रेलिया की विदेश मंत्री मारिसे पेने ने सू ची एवं हिरासत में बंद अन्य लोगों की रिहाई का आह्वान किया।

उन्होंने कहा, ‘‘हम नवंबर 2020 में हुए आम चुनाव के अनुरूप शांतिपूर्ण तरीके से देश की संसद नेशनल असेंबली के सत्र की शुरुआत का समर्थन करते हैं।’’

म्यामां के सांसद राजधानी नेपीता में संसद के पहले सत्र के लिए सोमवार को एकत्रित होने वाले थे। हालांकि सेना के हालिया बयानों से सैन्य तख्तापलट की आशंका दिख रही थी।

ऑनलाइन समाचार पोर्टल ‘म्यामां नाउ’ ने अज्ञात सूत्रों के हवाले से बताया कि सू ची और उनकी पार्टी के अध्यक्ष को सोमवार तड़के गिरफ्तार कर लिया गया। हालांकि पोर्टल पर कोई विस्तृत जानकारी नहीं दी गयी है। ‘म्यामां विजुअल टेलीविजन’ और ‘म्यामां वॉइस रेडियो’ ने सुबह करीब साढ़े छह बजे फेसबुक पर पोस्ट किया कि उनके कार्यक्रम नियमित प्रसारण के लिए उपलब्ध नहीं हैं।

सू ची की पार्टी ने संसद के निचले और ऊपरी सदन की कुल 476 सीटों में से 396 पर जीत दर्ज की थी जो बहुमत के आंकड़े 322 से कहीं अधिक था, लेकिन वर्ष 2008 में सेना द्वारा तैयार किए गए संविधान के तहत कुल सीटों में 25 प्रतिशत सीटें सेना को दी गयी हैं जो संवैधानिक बदलावों को रोकने के लिए काफी है। कई अहम मंत्री पदों को भी सैन्य नियुक्तियों के लिए सुरक्षित रखा गया है।

सू ची (75) देश की सबसे अधिक प्रभावशाली नेता हैं और सैन्य शासन के खिलाफ दशकों तक चले अहिंसक संघर्ष के बाद वह देश की नेता बनीं।

सेना ने चुनाव में धोखाधड़ी का आरोप लगाया, हालांकि वह इसके सबूत देने में नाकाम रही। देश के स्टेट यूनियन इलेक्शन कमीशन ने पिछले सप्ताह सेना के आरोपों को खारिज कर दिया था।

इन आरोपों से पिछले सप्ताह उस वक्त राजनीतिक तनाव पैदा हो गया, जब सेना के एक प्रवक्ता ने अपने साप्ताहिक संवाददाता सम्मेलन में एक पत्रकार के सवाल के जवाब में सैन्य तख्तापलट की आशंका से इनकार नहीं किया। मेजर जनरल जॉ मिन तुन ने कहा था कि सेना ‘‘संविधान के मुताबिक कानून का पालन करेगी।’’

कमांडर इन चीफ सीनियर जनरल मिन आंग लाइंग ने भी बुधवार को वरिष्ठ अधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि अगर कानूनों को सही तरीके से लागू नहीं किया गया तो संविधान को रद्द कर दिया जाएगा। इसके साथ ही देश के कई बड़े शहरों की सड़कों पर बख्तरबंद वाहनों की तैनाती से सैन्य तख्तापलट की आशंका बढ़ गयी।

हालांकि सेना ने शनिवार को तख्तापलट की धमकी देने की बात से इनकार किया और अज्ञात संगठनों एवं मीडिया पर उसके बारे में भ्रामक बातें फैलाने तथा जनरल की बातों को गलत तरीके से पेश करने का आरोप लगाया।

सेना ने रविवार को भी अपनी बात दोहराते हुए तख्तापलट की आशंका को खारिज किया और इस बार उसने विदेशी दूतावासों पर सेना के बारे में भ्रामक बातें फैलाने का आरोप लगाया।

सू ची की पार्टी ने म्यामां में लोगों से तख्तापलट का विरोध करने का आह्वान किया

म्यामां की स्टेट काउंसलर आंग सान सू ची के सियासी दल ने म्यामां के लोगों से सोमवार के ‘‘तख्तापलट’’ और ‘‘सैन्य तानाशाही’’ कायम करने के प्रयासों का विरोध करने का आह्वान किया।

नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी ने पार्टी प्रमुख सू ची के फेसबुक पेज पर एक बयान जारी कर कहा है कि सेना के कदम अन्यायपूर्ण हैं और मतदाताओं की इच्छा एवं संविधान के विपरीत हैं।

हालांकि यह पुष्टि करना अभी संभव नहीं है कि फेसबुक पेज पर यह संदेश किसने डाला है क्योंकि पार्टी के सदस्य फोन कॉल का जवाब नहीं दे रहे हैं।

म्यामां में सेना के टेलीविजन चैनल पर सोमवार को कहा गया कि सेना एक वर्ष के लिए देश का नियंत्रण अपने हाथों में ले रही है। कई अन्य खबरों में कहा गया है कि सू ची समेत देश के वरिष्ठ नेताओं को हिरासत में लिया गया है।

म्यामां में नेताओं को कैद से रिहा करे सेना, अन्यथा होगी कार्रवाई : अमेरिका

वाशिंगटन,से खबर है कि म्यामां में सेना के तख्तापलट करने और स्टेट काउंसलर आंग सान सू ची समेत देश के शीर्ष नेताओं को सोमवार को हिरासत लेने के कदम से चिंतित अमेरिका ने कहा है कि वह स्थिति पर करीब से नजर बनाये हुए है। साथ ही अमेरिका ने धमकी दी कि अगर देश में लोकतंत्र को बहाल करने के लिए सही कदम नहीं उठाये गये तो वह कार्रवाई करेगा।

मीडिया में आयी खबरों के अनुसार सेना के स्वामित्व वाले टेलीविजन चैनल ‘मायवाडी टीवी’ पर सोमवार सुबह यह घोषणा की गयी कि सेना ने एक साल के लिए देश का नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया है।

मीडिया में आयी खबरों में सत्तारूढ़ नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी (एनएलडी) के प्रवक्ता के हवाले से कहा गया कि सोमवार सुबह म्यामां की नेता सू ची और सत्तारूढ़ पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेताओं को हिरासत में ले लिया गया है।

व्हाइट की प्रेस सचिव जेन साकी ने कहा, ‘‘बर्मा की सेना ने देश में कायम हुए लोकतंत्र को कमतर करने के कदम उठाए हैं। इन खबरों से अमेरिका चिंतित है। यहां तक कि स्टेट काउंसर आंग सान सू ची एवं अन्य अधिकारियों को भी गिरफ्तार कर लिया गया है।’’

साकी ने कहा, ‘‘अमेरिका म्यामां के लोकतांत्रिक प्रतिष्ठानों के प्रति अपना मजबूत समर्थन जताता है और क्षेत्रीय सहयोगियों के साथ तालमेल से सेना और अन्य सभी पक्षों से लोकतांत्रिक मूल्यों तथा कानून के शासन को मानने तथा आज हिरासत में लिये गये लोगों को रिहा करने का अनुरोध करता है।’’

उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने राष्ट्रपति जो बाइडन को स्थिति से अवगत कराया है।

साकी ने कहा कि अमेरिका हालिया चुनाव के नतीजों को पलटने के प्रयास या म्यामां में लोकतांत्रिक तरीके से सत्ता के हस्तांतरण को रोकने के कदम का विरोध करता है।

उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर इन कदमों को वापस नहीं लिया गया तो अमेरिका इसके लिये जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई करेगा।

साकी ने कहा, ‘‘हमलोग स्थिति पर करीब से नजर रख रहे हैं और म्यामां के लोगों के साथ हैं जिन्होंने लोकतंत्र एवं शांति के लिए पहले ही काफी कुछ झेला है।’’

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने भी सू ची तथा अन्य नेताओं को सेना द्वारा हिरासत में लेने की कड़ी निंदा की तथा सत्ता सेना के हाथों में जाने पर चिंता जताई।

गुतारेस के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने कहा, ‘‘म्यामां में नई संसद का सत्र आरंभ होने से पहले स्टेट काउंसलर आंग सान सू ची, राष्ट्रपति यू विन मिंट तथा अन्य राजनीतिक नेताओं को हिरासत में लेने के कदम की महासचिव कड़ी निंदा करते हैं।’’

उन्होंने इसे म्यामां में लोकतांत्रिक सुधारों के लिए एक बड़ा झटका बताया।

अमेरिका के विदेश मंत्री टोनी ब्लिंकेन ने कहा कि म्यामां की सेना द्वारा स्टेट काउंसलर सू ची एवं अन्य अधिकारियों समेत सरकार के नेताओं को हिरासत में लिये जाने की घटना से अमेरिका बेहद चिंतित है।

ब्लिंकेन ने एक बयान में कहा, ‘‘हमने म्यामां की सेना से सभी सरकारी अधिकारियों और नेताओं को रिहा करने का आह्वान किया है और आठ नवंबर को लोकतांत्रिक प्रक्रिया के तहत हुए चुनावों में म्यामां की जनता के फैसले का सम्मान करने को कहा है। अमेरिका लोकतंत्र, स्वतंत्रता, शांति एवं विकास के आकांक्षी म्यामां के लोगों के साथ है। सेना को निश्चित रूप से इन कदमों को तुरंत पलटना चाहिए।’’

भारत ने म्यामां में तख्तापलट पर चिंता व्यक्त की, हालात पर निकटता से रख रहा है नजर

नयी दिल्ली,से खबर है कि , भारत ने म्यामां में सैन्य तख्तापलट और शीर्ष नेताओं को हिरासत में लिए जाने को लेकर सोमवार को ‘‘गहरी चिंता’’ व्यक्त करते हुए कहा कि उसने उस देश में सत्ता के लोकतांत्रिक तरीके से हस्तांतरण का हमेशा समर्थन किया है।

विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत म्यामां में हालात पर निकटता से नजर रख रहा है।

मंत्रालय ने म्यामां के घटनाक्रमों पर ‘‘गहरी चिंता’’ जताते हुए कहा ‘‘भारत म्यामां में लोकतांत्रिक तरीके से सत्ता के हस्तांतरण की प्रक्रिया का हमेशा समर्थक रहा है।’’

उसने एक बयान में कहा, ‘‘हमारा मानना है कि कानून के शासन और लोकतांत्रिक प्रक्रिया का पालन होना चाहिए। हम हालात पर निकटता से नजर रख रहे हैं।’’

उल्लेखनीय है कि म्यामां में सेना ने सोमवार को तख्तापलट किया और देश की शीर्ष नेता आंग सान सू ची को हिरासत में ले लिया।

मीडिया में आई खबरों के अनुसार, म्यामां सेना के स्वामित्व वाले मयावाडी टीवी ने सोमवार सुबह घोषणा की कि सेना ने एक साल के लिए देश का नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया है।

मीडिया में आयी खबरों में सत्तारूढ़ नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी (एनएलडी) के प्रवक्ता के हवाले से कहा गया कि सोमवार सुबह म्यामां की नेता सू ची और सत्तारूढ़ पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेताओं को हिरासत में ले लिया गया है।

रूसी सरकार नवलनी की रिहाई के लिए देशव्यापी विशाल प्रदर्शनों से परेशान:भ्रष्टाचार विरोधी मुहिम चलाने वाले ,राष्ट्रपति पुतिन के आलोचक नवलनी को 17 जनवरी को किया था गिरफ्तार attacknews.in

मॉस्को, 31 जनवरी (एपी) रूस में राष्ट्रव्यापी प्रदर्शन को जारी रखते हुए रविवार को हजारों लोग विपक्षी नेता एलेक्सी नवलनी की रिहाई की मांग करते हुए सड़कों पर उतरे। इस प्रदर्शन से क्रेमलिन परेशान है और पुलिस ने सैकड़ों लोगों को हिरासत में लिया है।

प्रशासन प्रदर्शन से निपटने की जी-तोड़ कोशिश कर रहा है। पिछले सप्ताहांत देशभर में हजारों लोगों ने प्रदर्शन किया था। पिछले कुछ साल में यह सबसे बड़ा एवं व्यापक प्रदर्शन है।

गिरफ्तारियों पर नजर रखनेवाले संगठन ओवीडी इन्फो के अनुसार पुलिस ने विभिन्न शहरों में अब तक 260 से अधिक लोगों को हिरासत में लिया है।

मॉस्को में कई अप्रत्याशित सुरक्षा कदम उठाए गए हैं और क्रेमलिन के पास सबवे स्टेशन बंद कर दिए गए हैं, बसों का मार्ग बदल दिया गया है। रेस्तराओं तथा स्टोर आदि को बंद रखने का आदेश दिया गया है।

भ्रष्टाचार विरोधी मुहिम चलाने वाले और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के आलोचक नवलनी को जर्मनी से लौटने पर 17 जनवरी को गिरफ्तार कर लिया गया था।

नवलनी ने खुद को नर्व एजेंट जहर दिए जाने के बाद जर्मनी में पांच महीने गुजारे थे। उन्होंने खुद पर हुए विष हमले के लिए क्रेमलिन को जिम्मेदार बताया था।

रूस के अधिकारी इन आरोपों का खंडन करते रहे हैं।

अमेरिका में महात्मा गांधी को मार-मारकर उखाड़ फेंका:6 फुट ऊंची -294 किलोग्राम वजनी प्रतिमा के घुटनों पर प्रहार किया गया,प्रतिमा का आधा चेहरा क्षतिग्रस्त और गायब attacknews.in

वाशिंगटन, 30 जनवरी । अमेरिका के कैलिफोर्निया राज्य में एक पार्क में लगी महात्मा गांधी की प्रतिमा के साथ अज्ञात बदमाशों ने तोड़फोड़ की और उसे उखाड़ दिया। इस घटना से देश भर में भारतीय अमेरिकी लोगों में रोष है और उन्होंने अधिकारियों से इसकी जांच नस्ली घृणा अपराध मामले के तौर पर करने की मांग की है।

स्थानीय समाचार पत्र ‘डेविस इंटरप्राइज’ की एक खबर में कहा गया है कि ऐसा प्रतीत होता है कि उत्तर कैलिफोर्निया के डेविस शहर के सेंट्रल पार्क में लगी महात्मा गांधी की छह फुट ऊंची और 294 किलोग्राम वजन वाली प्रतिमा के घुटनों पर प्रहार किया गया। प्रतिमा का आधा चेहरा क्षतिग्रस्त है और गायब है।

पुलिस ने बताया कि महात्मा गांधी की क्षतिग्रस्त प्रतिमा को सबसे पहले 27 जनवरी की सुबह पार्क के एक कर्मचारी ने देखा।

डेविस शहर परिषद सदस्य लुकास फ्रेरिक्स ने बताया कि प्रतिमा को हटाया जा रहा है और इसे सुरक्षित स्थान पर रखा जाएगा।

‘द सेक्रामेंटो बी’ ने अपनी खबर में कहा कि जांचकर्ता अभी पता नहीं लगा पाए हैं कि प्रतिमा को कब तोड़ा गया और इसके पीछे कारण क्या है।

समाचार पत्र ने अपनी खबर में डेविस पुलिस विभाग के उप प्रमुख पॉल डोरोशोव के हवाले से कहा, ‘‘हम इस मामले को बेहद गंभीरता से ले रहे हैं।’’

महात्मा गांधी की यह प्रतिमा भारत सरकार ने डेविस शहर को प्रदान की थी और गांधी विरोधी तथा भारत विरोधी संगठनों के विरोध प्रदर्शनों के बीच शहर परिषद ने चार वर्ष पूर्व इसे स्थापित किया था।

‘ऑर्गनाइजेशन फॉर माइनॉरिटीज इन इंडिया’ (ओएफएमआई) ने प्रतिमा की स्थापना का विरोध किया था। इसके बावजूद प्रतिमा की स्थापना का निर्णय किया गया था। इसके बाद से ही ओएफएमआई ने गांधी की प्रतिमा को हटाने का अभियान चलाया हुआ था।

भारतीय मूल के अमेरिकियों ने घटना पर आक्रोश व्यक्त किया है।

‘फ्रेंड्स ऑफ इंडिया सोसाइटी इंटरनेशनल’(एफआईएसआई) के गौरंग देसाई ने कहा, ‘‘ कई वर्षों से ओएफएमआई और खालिस्तानी अलगाववादियों जैसे भारत-विरोधी और हिंदू विरोधी कट्टरपंथी संगठनों द्वारा नफरत का माहौल बनाया जा रहा है।’’

अन्य संगठनों ने भी घटना की निंदा की है।

पाकिस्तानी पत्रकार द्वारा पूछे गए सवाल पर एकतरफा कह गए संयुक्त राष्ट्र महासचिव गुतारेस:”भारत और पाकिस्तान के बीच किसी तरह का सैन्य टकराव पूरी दुनिया के लिए विनाशकारी होगा” attacknews.in

संयुक्त राष्ट्र, 29 जनवरी । संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने कहा है कि यह ‘‘बहुत ही आवश्यक’’ है कि भारत और पाकिस्तान एक साथ आएं तथा अपनी समस्याओं पर गंभीरता से बात करें। गुतारेस ने कहा कि दोनों देशों के बीच किसी प्रकार का सैन्य टकराव उनके लिए तथा पूरी दुनिया के लिए ‘‘विनाशकारी’’ होगा।

संरा प्रमुख ने कहा, ‘‘मैंने जो वक्तव्य में कहा, दुर्भाग्य से वही बात मैं आज कह सकता हूं। मेरा मानना है कि तनाव कम होना, नियंत्रण रेखा पर तनाव कम होना बहुत ही आवश्यक है।’’

गुतारेस कश्मीर में बने हालात को लेकर भारत तथा पाकिस्तान के बीच उपजे तनाव के संबंध में पाकिस्तान के पत्रकार द्वारा पूछे गए सवाल का जवाब दे रहे थे।

पत्रकार ने गुतारस द्वारा अगस्त 2019 में दिए गए एक वक्तव्य का भी जिक्र किया जिसमें उन्होंने जम्मू-कश्मीर के हालात के संदर्भ में अधिकतम संयम बरतने की अपील की थी।

गुतारेस ने बृहस्पतिवार को संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘मेरा खयाल है कि यह बहुत ही आवश्यक है कि दोनों देश एक साथ आएं और अपनी समस्याओं पर गहराई से बात करें। मेरा खयाल है कि जिनका भी आपने जिक्र किया है उन सभी क्षेत्रों में मानवाधिकारों का पूरा सम्मान हो।’’

उन्होंने कहा, ‘‘अब चीजें सही दिशा में बढ़ रही हैं। हमारे कार्यालय हमेशा उपलब्ध हैं और हम कहना चाहते हैं कि ऐसी समस्याएं जिनका कोई सैन्य समाधान नहीं है उनके शांतिपूर्ण समाधान इनके माध्यम से निकाले जाएं। भारत और पाकिस्तान के संदर्भ में यह साफ है कि दोनों के बीच कोई भी सैन्य टकराव दोनों देशों तथा पूरी दुनिया के लिए विनाशकारी होगा।