अमेरिका का खुलासा:लद्दाख में चीन के साथ सीमा पर संकट के दौरान उसने भारत को दी थी सूचना और उपलब्ध करवाए थे गर्म कपड़े और उपकरण attacknews.in

वाशिंगटन, 10 मार्च । चीन के साथ सीमा पर हालिया संकट के दौरान भारत की मदद करते हुए अमेरिका ने कुछ सूचना, बर्फीली ठंड से बचाने वाली पोशाक और कुछ अन्य उपकरण मुहैया किये थे। अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन के एक शीर्ष कमांडर ने अमेरिका के सांसदों को यह जानकारी दी।

अमेरिका के हिंद-प्रशांत कमान के कमांडर एडमिरल फिलिप्स डेविडसन ने मंगलवार को अमेरिकी संसद के उच्च सदन सीनेट की शक्तिशाली शस्त्र सेवाएं समिति से यह भी कहा कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन की हालिया गतिविधियों ने भारत को यह सोचने के लिए भी प्रेरित किया कि उसकी अपनी रक्षात्मक जरूरतों के लिए अन्य देशों के साथ क्या सहयोगी कोशिशें की जा सकती हैं। उनका मानना है कि भारत इस संदर्भ में ‘क्वाड’ में अपनी भूमिका मजबूत करेगा।

एडमिरल डेविडसन ने संसदीय सुनवाई के दौरान सांसदों से कहा, ‘‘भारत की नीति लंबे समय से रणनीतिक स्वायत्ता की रही है और जैसा कि आप जानते हैं कि वह गुटनिरपेक्षता की नीति का पक्षधर रहा है, लेकिन मुझे लगता है कि एलएसी पर हुई गतिविधियों ने निश्चित तौर पर उन्हें (भारत को) इस विषय पर विचार करने के लिए प्रेरित किया कि उसकी अपनी रक्षात्मक जरूरतों के लिए दूसरे माध्यम से क्या सहयोगी कोशिश की जा सकती है। ’’

उन्होंने कहा, ‘‘हमने उस संकट के दौरान भरत को कुछ सूचना, बर्फीले मौसम से बचाने वाली पोशाक , कुछ अन्य उपकरण, इस तरह की कुछ अन्य चीजें मुहैया की। साथ ही, पिछले कई वर्षों से हम अपने समुद्री सहयोग को प्रगाढ़ कर रहे हैं।’’

चीन ने पिछले साल मई में पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग झील जैसे विवादित इलाकों में 60,000 से अधिक सैनिक तैनात कर दिये थे। इस पर, भारत ने भी अपनी सेनाएं तैनात की और इस वजह से आठ महीने तक गतिरोध बना रहा।

कई दौर की लंबी वार्ता के बाद दोनों देशों ने पिछले महीने पैंगोंग झील इलाके से अपने सैनिकों को पीछे हटाया, जबकि पूर्वी लद्दाख में शेष इलाकों से सैनिकों को हटाने को लेकर वार्ता जारी है।

डेविडसन ने कहा, ‘‘ भारत गुटनिरपेक्षता के अपने रुख के प्रति प्रतिबद्ध बना रहेगा, लेकिन मुझे यह भी लगता है कि वे क्वाड के साथ अपने संबंध को गहरा करेंगे और मुझे लगता है कि यह हमारे लिए, आस्ट्रेलिया और जापान के लिए एक अहम रणनीतिक अवसर है।’’

उन्होंने क्वाड नेताओं के प्रथम शिखर सम्मेलन से पहले यह कहा। इस सम्मेलन में आस्ट्रेलिया, भारत, जापान और अमेरिका के शीर्ष नेता शामिल होंगे।

अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मोरिसन और जापान के प्रधानमंत्री योशीहीदे सुगा के साथ शुक्रवार को इसमें डिजिटल माध्यम से शामिल होंगे।

एडमिरल से अपने एक सवाल के जवाब पर सीनेटर अंगस किंग ने कहा, ‘‘यदि भारत इन देशों के साथ करीबी तौर पर जुड़ता है तो यह एक बड़ा भू-राजनीतिक घटनाक्रम होगा। ’’

किंग ने कहा, ‘‘भारत हमेशा से एक तटस्थ देश रहा है। क्या हम उनके साथ मजबूत गठजोड़ बना रहे हैं? आपने क्वाड का हिस्सा के तौर पर उसका उल्लेख किया है। क्या वे खुद को इस तरह के किसी गठजोड़ का सदस्य मानते हैं? ’

पाकिस्तान में 11 दलों के विपक्षी गठबंधन के बहिष्कार से लड़खड़ाती सरकार के प्रधानमंत्री इमरान खान ने नेशनल असेंबली में जीता विश्वासमत attacknews.in

इस्लामाबाद, छह मार्च । पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने शनिवार को विपक्षी दलों के बहिष्कार के आह्वान के बीच नेशनल असेंबली (संसद) में विश्वासमत जीत लिया। हाल में करीबी मुकाबले वाले सीनेट चुनाव में वित्त मंत्री की हार के बाद उनकी सरकार पर संकट आ गया था।

प्रधानमंत्री इमरान खान को संसद के 342 सदस्यीय निचले सदन में 178 वोट मिले और सामान्य बहुमत के लिए 172 वोट की जरूरत थी। राष्ट्रपति आरिफ अल्वी के निर्देश पर संसद का विशेष सत्र बुलाया गया था।

विपक्ष ने इसमें हिस्सा नहीं लिया क्योंकि 11 दलों के गठबंधन पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट (पीडीएम) ने मतविभाजन का बहिष्कार किया था।

पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट के उम्मीदवार और पूर्व प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी ने बुधवार को सत्तारूढ़ पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के उम्मीदवार अब्दुल हाफिज शेख को करीबी मुकाबले में सीनेट चुनाव में हरा दिया था। खान के लिए यह बड़ा झटका था जिन्होंने वित्त मंत्री अब्दुल हाफिज शेख के लिए निजी तौर पर प्रचार किया था।

वित्त मंत्री की हार के बाद विपक्षी दलों ने खान के इस्तीफे की मांग की थी।

विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने सदन में एक-सूत्री प्रस्ताव रखा।

प्रधानमंत्री ने शुक्रवार को अपने आवास पर सत्तारूढ़ गठबंधन के नेताओं से मुलाकात की थी। उनसे सरकार के पक्ष में मतदान करने को कहा गया था।

चीन का रक्षा बजट पहली बार 200 अरब डालर के पार पहुंचा 209 अरब डालर, भारत के मुकाबले तीन गुना से अधिक,अमेरिका के बाद रक्षा क्षेत्र पर सबसे ज्यादा खर्च करने वाला देश बना attacknews.in

बीजिंग, पांच मार्च । चीन का रक्षा बजट पहली बार 200 अरब डालर के पार पहुंच गया है। चीन ने शुक्रवार को वर्ष 2021 के लिये अपना रक्षा बजट 6.8 प्रतिशत बढ़ाकर 209 अरब डालर कर दिया। यह आंकड़ा भारत के रक्षा बजट के मुकाबले तीन गुणा से भी अधिक है।

चीन के प्रधानमंत्री ली क्विंग ने चीन की संसद ‘नेशनल पीपुल्स कांग्रेस’ के अधिवेशन के पहले दिन इस बजट की घोषणा की। यह लगातार छठा वर्ष है जब चीन के रक्षा बजट में एक अंकीय वृद्धि हुई है। चीन की संसद में 209 अरब डालर का रक्षा बजट ऐसे समय पेश किया गया है जब चीन और भारत के बीच लद्दाख क्षेत्र में तनाव चल रहा है और अमेरिका के साथ भी चीन का सैन्य तनाव जारी है।

चीन की सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने बजट की जानकारी देते हुये कहा कि इस साल (2021) का योजनाबद्ध रक्षा व्यय 1,350 अरब युआन (करीब 209 अरब अमेरिकी डालर) होगा। एजेंसी ने कहा कि यह लगातार छठा साल है जब रक्षा बजट में एक अंकीय वृद्धि की गई है।

एजेंसी ने कहा है कि चीन का रक्षा बजट अमेरिका के रक्षा बजट का एक चौथाई के करीब है। अमेरिका का रक्षा बजट 2021 के लिये 740.5 अरब डालर रखा गया है।

वहीं भारत के रक्षा बजट के मुकाबले चीन का बजट तीन गुणा से भी अधिक है। भारत का रक्षा बजट (पेंशन सहित) 65.7 अरब डालर के करीब है।

ग्लोबल टाइम्स के मुताबिक, इससे पिछले साल चीन का रक्षा बजट 196.44 अरब डलर रहा था।

प्रधानमंत्री ली ने रक्षा बजट के बारे में 35 पन्ने की 2020 की चीन की उपलब्धि और 2021 के लिये प्रस्तावित कार्यों की रिपोर्ट में पिछले साल यानी 2020 को चीन की सशस्त्र सेनाओं के लिये ‘‘बड़ी उपलब्धि’’ बताया। हालांकि, उन्होंने इसमें चीन के 60 हजार सशस्त्रों सैनिकों, जिन्हें वार्षिक अभ्यास के लिये तैयार किया गया था, उन्हें पूर्वी लद्दाख में पेंगांग जैसे विवादित इलाकों में भेजे जाने का कोई जिक्र नहीं किया। इसके बाद भारत को भी चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के मुकाबले अपने सैनिकों को वहां तैनात करना पड़ा। दोनों देशों की सेनाओं के बीच करीब आठ माह तक तनातनी बनी रही।

बातचीत के लंबे दौर के बाद पेंगांगा टीएसओ क्षेत्र से दोनों देशों की सेनायें पीछे हटी हैं और अन्य क्षेत्रों से सैनिकों की वापसी को लेकर बातचीत चल रही है।

पीएलए ने सशस्त्र सेनाओं में कुशल युवाओं को आकर्षित करने के लिये वेतन में 40 प्रतिशत बढ़ोतरी की भी घोषणा की है। चीन की कम्युनिस्ट पार्टी ने पिछले साल एक सम्मेलन में 2027 तक अमेरिका के बराबर की पूरी तरह से आधुनिक सेना बनाये जाने की योजना को अंतिम रूप दिया था। वर्ष 2027 चीन की सेना का शताब्दी वर्ष भी है।

अमेरिका के बाद रक्षा क्षेत्र पर चीन सबसे ज्यादा खर्च करने वाला देश है।

चीन ने 2021 के लिए छह प्रतिशत से अधिक आर्थिक वृद्धि का लक्ष्य तय किया

चीन ने 2021 के लिए छह प्रतिशत से अधिक आर्थिक वृद्धि का लक्ष्य तय किया है।

चीन के प्रधानमंत्री ली क्विंग ने देश की संसद ‘नेशनल पीपल्स कांग्रेस (एनपीसी) में शुक्रवार को यह घोषणा की।

चीन ने रक्षा बजट भी बढ़ाकर 209 अरब डॉलर कर दिया है, जो पिछले साल की तुलना में 6.8 प्रतिशत अधिक है।

रक्षा बजट में बढ़ोत्तरी पर एनपीसी के प्रवक्ता झांग यसुई ने यहां पत्रकारों से कहा कि चीन की कोशिश राष्ट्रीय रक्षा को मजबूत करने की है, किसी भी देश को निशाना बनाने या उसके लिए खतरा उत्पन्न करने की नहीं।

चीन की अर्थव्यवस्था 2020 में 2.3 प्रतिशत की दर से बढ़ी थी जो कि पिछले 45 साल में सबसे कम वार्षिक आर्थिक विकास दर थी। पिछले साल चीन की अर्थव्यवस्था पर कोरोना वायरस महामारी का प्रभाव पड़ा लेकिन यह जल्द ही इससे उबरने में सफल रही।

चीन को पछाड़ने के लिए भारत,ईरान और अफगानिस्तान द्वारा विकसित किया जाएगा “चाबहार” अंतरराष्ट्रीय उत्तर दक्षिण परिवहन गलियारा,12 देशों का मिलेगा सहयोग attacknews.in

जयशंकर ने आईएनएसटीसी गलियारे के मार्ग को चाबहार तक बढ़ाने पर सहमति की उम्मीद जतायी

नयी दिल्ली, चार मार्च । भारत ने बृहस्पतिवार को उम्मीद जतायी कि अंतरराष्ट्रीय उत्तर दक्षिण परिवहन गलियारा (आईएनएसटीसी) समन्वय परिषद की बैठक में सदस्य देश गलियारे के मार्ग का विस्तार कर इसमें चाबहार बंदरगाह को शामिल करने पर सहमत होंगे।

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने नौवहन भारत शिखर सम्मेलन से इतर आयोजित ‘चाबहार दिवस’ कार्यक्रम को संबोधित करते हुए यह बात कही ।

विदेश मंत्री ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय उत्तर दक्षिण परिवहन गलियारा (आईएनएसटीसी) एक महत्वपूर्ण व्यापार गलियारा परियोजना है जिसमें भारत के साथ 12 देश लोगों के फायदे के लिये आर्थिक गलियारा स्थापित करने के उद्देश्य से सहयोग कर रहे है।

उन्होंने कहा, ‘‘ मुझे उम्मीद है कि अंतरराष्ट्रीय उत्तर दक्षिण परिवहन गलियारा समन्वय परिषद की बैठक में सदस्य देश गलियारे के मार्ग का विस्तार कर इसमें चाबहार बंदरगाह को शामिल करने पर सहमत हो जायेंगे।

जयशंकर ने यह भी उम्मीद जतायी कि बैठक में इस परियोजना की सदस्यता के विस्तार पर भी सहमति बनेगी ।

उन्होंने कहा कि वे इस बहुस्तरीय गलियारा परियोजना में शामिल होने के लिये उज्बेकिस्तान और अफगानिस्तान द्वारा रूचि दिखाए जाने का भी स्वागत करते हैं ।

विदेश मंत्री ने कहा कि भारत सरकार क्षेत्रीय सम्पर्क के महत्व को समझती है और इसी के मद्देनजर चाबहार में बंदरगाह के विकास के लिये निवेश का महत्वपूर्ण निर्णय किया गया ।

उन्होंने कहा कि इस परियोजना पर पिछले काफी समय से चर्चा चल रही थी लेकिन साल 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ईरान यात्रा के दौरान अंतरराष्ट्रीय परिवहन एवं पारगमन गलियारा स्थापित करने के लिये भारत, ईरान और अफगानिस्तान के बीच त्रिपक्षीय समझौता हुआ।

जयशंकर ने कहा कि परिवहन एवं पारगमन गलियारे का मकसद पूरे क्षेत्र में वाणिज्य का निर्बाध प्रवाह सुनिश्चित करना और शुरूआत में अफगानिस्तान और बाद में मध्य एशिया के साथ सुरक्षित एवं भरोसेमंद कारोबार का मार्ग स्थापित करना है ।

विदेश मंत्री ने कहा कि आज भारत हमारे क्षेत्र में सम्पर्क को बेहतर बनाने के लिये सभी क्षेत्रीय पक्षकारों के साथ मिलकर काम करने की मजबूत प्रतिबद्धता प्रदर्शित करता है, साथ ही जमीन से घिरे मध्य एशिया के देशों को चाबहार के जरिये समुद्र तक निर्बाध पहुंच उपलब्ध करना चाहता है।

उन्होंने कहा कि चाबहार बंदरगाह न केवल वाणिज्यिक पारगमन के केंद्र के रूप में उभरा है बल्कि मानवीय सहायता प्रदान करने में सहायक रहा है, खास तौर पर कोविड-19 महामारी के समय में ।

विदेश मंत्री ने कहा कि यह बंदरगाह अफगानिस्तान के लोगों की समृद्धि, शांत एवं स्थिरता की हमारी साझी प्रतिबद्धता का हिस्सा है । भारत ने सितंबर 2020 में अफगानिस्तान को मानवीय खाद्य सहाता के तौर पर 75 हजार मीट्रिक टन गेहूं चाबहार बंदरगाह के जरिये पहुंचाया था ।

उन्होंने बताया कि इसके अलावा भारत ने जून 2020 में ईरान को टिड्डियों से मुकाबला करने के लिये 25 मीट्रिक टन कीटनाशक मालाथियान पहुंचाया था।

रूसी विपक्षी नेता एलेक्सी नवलनी को जहर देने के आरोप में अमेरिका ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के सात सहयोगियों पर लगाया प्रतिबंध attacknews.in

वाशिंगटन,तीन मार्च । अमेरिका ने रूस में विपक्ष के नेता एलेक्सी नवलनी को नर्व एजेंट देकर उनकी हत्या की कोशिश करने के बहुचर्चित मामले में रूस के सात अधिकारियों पर मंगलवार को प्रतिबंध लगाने की घोषणा की।

अमेरिका के जो बाइडन प्रशासन द्वारा रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के सहयोगियों पर प्रतिबंध लगाने का यह पहला मामला है।

व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव जेन साकी ने कहा कि अमेरिका के खुफिया विभाग के लोगों का यह आकलन है कि रूस की संघीय सुरक्षा सेवा ने विपक्ष के नेता को 20अगस्त 2020 को नर्व एजेंट दिया था।

उन्होंने कहा,‘‘ किसी भी तरह के रासायनिक हथियार का इस्तेमाल अंतरराष्ट्रीय कानूनी प्रतिबद्धताओं और सभ्य आचरण के नियमों का सीधा उल्लंघन है और हमारी आज की कार्रवाई कई श्रेणियों पर है,तथा सरकार की प्रतिक्रिया को दर्शाती है। हम रासायिक एवं जैविक हथियार अधिनियम को ईमानदारी के साथ लागू करने की दिशा में कांग्रेस के साथ मिल कर काम कर रहे हैं।’’

साकी ने कहा कि अमेरिका रूसी सरकार के सात वरिष्ठ अधिकारियों पर प्रतिबंध लगाए जाने की घोषणा करता है।

उन्होंने कहा ,‘‘ हम नवलनी को बिना किसी शर्त के तत्काल रिहा करने की हमारी मांग दोहराते हैं।’’

प्रतिनिधि सभा की स्पीकर नैंसी पेलोसी ने कहा कि इस प्रकार का कदम उठा कर राष्ट्रपति बाइडन क्रेमलिन को और पूरी दुनिया को यह कड़ा और स्पष्ट संदेश दे रहे हैं कि ‘‘ कानून के शासन पर हमले के मॉस्को के युग का अंत हो चुका है।’’

अमेरिका घरेलू आतंकवाद की चपेट में आया: एफबीआई प्रमुख ने देश में ‘घरेलू आतंकवाद’ बढ़ने के प्रति आगाह किया attacknews.in

वाशिंगटन,तीन मार्च (एपी) अमेरिका के संघीय जांच ब्यूरो(एफबीआई) के निदेशक क्रिस्टोफर रे ने जनवरी में अमेरिकी कैपिटल (संसद भवन) में हुई हिंसा को स्पष्ट तौर पर ‘‘घरेलू आतंकवाद’’ करार दिया और देश के भीतर ही तेजी से बढ़ रहे हिंसक अतिवाद के खतरे के प्रति भी आगाह किया।

रे ने छह जनवरी को हिंसा होने की आशंका संबंधी खुफिया रिपोर्ट पर अपनी एजेंसी द्वारा कार्रवाई किए जाने का पक्ष रखा। साथ ही उन दावों को सिरे से खारिज किया जिनमें रिपब्लिकन पार्टी के कुछ सांसदों ने कहा था कि पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के विरोधी गुटों ने उन दंगों की भूमिका तैयार की थी, जो हिंसक भीड़ के इमारत में घुसने के बाद शुरू हुए थे।

रे की सीनेट की न्यायिक समिति के समक्ष गवाही उन सिलसिलेवार गवाहियों में से एक है जो कैपिटल पर हमले के बाद कानून प्रवर्तन एजेंसी की कार्रवाई पर केन्द्रित है।

रे ने सांसदों से कहा,‘‘ छह जनवरी की घटना कोई अकेली घटना नहीं है। घरेलू आतंकवाद की समस्या देश में लंबे वक्त से चल रही है और इसके जल्द खत्म हाने के आसार नहीं हैं।’’

उन्होंने कहा,‘‘ एफबीआई में हम कई वर्षों से इस पर चेतावनी दे रहे हैं।’’

कैपिटल में हुई हिंसा ने यह स्पष्ट कर दिया है कि 11 सितंबर 2001 को हुए हमले के बाद कानून प्रवर्तन एजेंसी, जिसने अपने आप को अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी घटनाओं से निपटने के लिए फिर से तैयार किया , अब देश के अंदर श्वेत अमेरिकियों की हिंसा से निपटने की कोशिश में लगी है।

राष्ट्रपति जो बाइडन प्रशासन ने राष्ट्रीय खुफिया निदेशक को एफबीआई और आंतरिक सुरक्षा विभाग के साथ मिल कर खतरे का आकलन करने का कार्य दिया है।

रे ने कहा कि जब 2017 में वह निदेशक बने थे तो घरेलू आतंकवाद के 1,000 मामले जांच के लिए थे लेकिन इस वर्ष के अंत तक ये 1,400 हो गए और अब फिलहाल ऐसे मामलों की संख्या दो हजार के करीब है।

राष्ट्रपति जो बिडेन ने अमेरिका में कोरोना संक्रमण की खतरनाक स्थिति की चेतावनी जारी करते हुए नागरिकों को सचेत किया attacknews.in

वाशिंगटन, 28 फरवरी (स्पूतनिक) अमेरिका के राष्ट्रपति जो बिडेन ने कहा है कि जॉनसन एंड जॉनसन की एकल खुराक वाली कोरोना वायरस वैक्सीन को अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) की मंजूरी मिलना ‘रोमांचक खबर’ है, लेकिन अमेरिकी लोगों को महामारी से संबंधित सावधानियों में किसी किस्म की ढील नहीं देनी चाहिए क्योंकि इससे स्थिति अधिक गंभीर हो सकती है।

एफडीए ने शनिवार को घोषणा की कि उसने अमेरिका में 18 वर्ष और अधिक उम्र के व्यक्तियों पर आपातकालीन उपयोग के लिए जॉनसन एंड जॉनसन की जैनसेन कोविड-19 वैक्सीन को मंजूरी दे दी है।

श्री बिडेन ने इस वैक्सीन को मंजूरी मिलने के बाद एक बयान में कहा, “यह सभी अमेरिकियों के लिए रोमांचक खबर है और संकट को समाप्त करने के हमारे प्रयासों में उत्साहजनक प्रगति है लेकिन मैं यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि हम लड़ाई खत्म होने से अब भी काफी दूर हैं। भले ही आज की खबर का जश्न मनाएं लेकिन मैं सभी अमेरिकियों से आग्रह करता हूं – अपने हाथों को धोते रहें, सामाजिक दूरी बनाये रखे और मास्क पहनते रहें। जैसा कि मैंने पहले भी कई बार कहा है, नये वेरिएंट के फैलने के साथ स्थिति और बिगड़ने की आशंका है।”

जॉनसन एंड जॉनसन वैक्सीन अमेरिका में फाइजर / बायोएनटेक और मॉडर्ना कोविड -19 वैक्सीन के बाद अधिकृत होने वाली तीसरी वैक्सीन है। जॉनसन एंड जॉनसन ने कहा है कि वह जून के अंत तक अमेरिका को 10 करोड़ खुराक प्रदान करेगा। जुलाई के अंत तक फाइजर / बायोएनटेक और मॉडर्ना से 60 करोड़ खुराक मिलने की उम्मीद है।

इमरान खान ने फिर दिखाई नकली हेकड़ी;वह भारत के साथ समाधान निकालने के लिए तैयार तो हैं लेकिन भारत को कह रहे हैं कि,”शांति बनाकर हमसे पहल करें ” attacknews.in

नयी दिल्ली, 27 फरवरी । पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने शनिवार को भारत-पाक सीमा पर संघर्ष विराम की बहाली का स्वागत करते हुए कहा कि पाकिस्तान सभी बाकी मुद्दों का बातचीत के जरिए समाधान निकालने के लिए तैयार है लेकिन भारत को बातचीत आगे बढ़ाने के लिए सौहार्द्र पूर्ण वातावरण तैयार करना होगा।

श्री खान ने सीमा पार से गोलीबारी पर संघर्ष विराम की बहाली का स्वागत करते हुये ट्वीट कर कहा,“मैं नियंत्रण रेखा के पास संघर्ष विराम की बहाली का स्वागत करता हूँ। आगे की प्रगति के लिए भारत को सौहार्द्रपूर्ण वातावरण के साथ आगे आना होगा।”

श्री खान ने एक अन्य ट्वीट में कहा, “हम हमेशा शांति के पक्षधर रहे हैं और बातचीत के माध्यम से सभी मुद्दों को हल करने के लिए आगे बढ़ने के लिए तैयार हैं।”

भारत ने इस सप्ताह पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के विमान को श्रीलंका जाने के लिए देश के हवाई क्षेत्र से जाने की अनुमति दी थी। श्री खान का यह बयान सेना प्रमुख जनरल क़मर जावेद बाजवा द्वारा इस महीने की शुरुआत में कश्मीर मुद्दे को “शांतिपूर्ण’ ढंग से हल करने के आह्वान पर आया है।

श्री खान ने हालांकि अपनी पुरानी मांग को दोहराया कहा कि भारत को लंबे समय से चले आ रही हमारी मांग को पूरा करने के लिए आवश्यक कदम उठाने चाहिए और कश्मीरी लोगों को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के प्रस्तावों के अनुसार आत्मनिर्णय का अधिकार देना चाहिए।

नियंत्रण रेखा पर संघर्ष विराम का सख्ती से पालन करेंगे भारत और पाकिस्तान

इससे पहले 25 फरवरी को पाकिस्तान से लगती सीमा पर अचानक हुए एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में भारत और पाकिस्तान ने समूची नियंत्रण रेखा तथा उससे लगते सभी सेक्टरों में बुधवार रात से संघर्ष विराम तथा अन्य सभी समझौतों के पालन पर सहमति व्यक्त की है।

भारत के सैन्य संचालन महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल परमजीत सिंह और पाकिस्तान के सैन्य संचालन महानिदेशक मेजर जनरल नोमन जकारिया के बीच पहले से स्थापित संवाद तंत्र हॉटलाइन पर बातचीत के दौरान यह सहमति बनी। दोनों सैन्य अधिकारियों ने सौहार्दपूर्ण माहौल में नियंत्रण रेखा तथा सभी सेक्टरों में स्थिति की समीक्षा की।

भारत और पाकिस्तान ने नियंत्रण रेखा के साथ-साथ और उससे लगते सभी सेक्टरों में बुधवार रात से संघर्ष विराम और अन्य समझौतों का पालन करने पर सहमति व्यक्त की है ।

दोनों देशों के सैन्य संचालन महानिदेशकों के बीच हॉट लाइन पर बातचीत के दौरान यह सहमति बनी। दोनों सैन्य अधिकारियों ने सौहार्दपूर्ण माहौल में नियंत्रण रेखा तथा सभी सेक्टरों में स्थिति की समीक्षा की।

बातचीत के बाद जारी संयुक्त बयान में कहा गया है कि सीमा पर स्थायी रूप से शांति
बनाए रखने और एक दूसरे की चिंताओं को समझने के लिए संघर्ष विराम तथा अन्य समझौतों का पूरी तरह पालन किया जाएगा। दोनों पक्षों ने यह भी कहा कि कि उनके बीच हॉटलाइन व्यवस्था पहले की तरह जारी रहेगी और किसी भी तरह की गलतफहमी को फ्लैग मीटिंग के जरिये सुलझाया जाएगा।

गौरतलब है कि भारत और पाकिस्तान के बीच नियंत्रण रेखा पर 2003 से संघर्ष विराम लागू है लेकिन पाकिस्तान समय-समय पर इसका उल्लंघन करता रहा है।

भारत ने हाॅटलाइन पर चीन को सैनिकों की पूर्ण वापसी की योजना पर अमल के लिए टकराव वाले स्थानों से सैनिकों को हटाना जरूरी बताया attacknews.in

नयी दिल्ली/बीजिंग, 26 फरवरी । सरहद पर शांति और स्थिरता को द्विपक्षीय संबंधों में प्रगति के लिए जरूरी बताते हुए भारत ने चीन से कहा है कि सैनिकों की पूर्ण वापसी की योजना पर अमल को लेकर जरूरी है कि टकराव वाले सभी इलाकों से सैनिकों को हटाया जाए। दोनों देशों ने समय-समय पर अपने दृष्टिकोण साझा करने के लिए हॉटलाइन संपर्क तंत्र भी स्थापित करने पर सहमति जतायी है।

पिछले सप्ताह भारत और चीन की सेना ने पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी किनारों से सैनिकों और साजो-सामान को पीछे हटाने की प्रक्रिया संपन्न की।

विदेश मंत्री एस जयशंकर की उनके चीनी समकक्ष वांग यी के साथ बृहस्पतिवार को 75 मिनट तक टेलीफोन पर हुई बातचीत का विवरण जारी करते हुए विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को एक बयान में कहा कि चीन से कहा गया है कि दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों पर पिछले साल से गंभीर असर पड़ा है।

मंत्रालय ने कहा, ‘‘विदेश मंत्री ने कहा कि सीमा संबंधी प्रश्न को सुलझाने में समय लग सकता है लेकिन हिंसा होने, और शांति तथा सौहार्द बिगड़ने से संबंधों पर गंभीर असर पड़ेगा।’’

विदेश मंत्रालय ने कहा कि दोनों मंत्री लगातार संपर्क में रहने और एक हॉटलाइन स्थापित करने पर सहमत हुए।

दोनों नेताओं ने पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर हालात और भारत-चीन के बीच समग्र संबंधों को लेकर चर्चा की।

बीजिंग में चीनी विदेश मंत्रालय द्वारा देर रात जारी प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक वांग ने कहा कि चीन और भारत को आपसी भरोसे के सही मार्ग का कड़ाई से पालन करना चाहिए और दोनों पड़ोसी देशों के बीच सहयोग होना चाहिए।

स्टेट काउंसलर का भी पद संभाल रहे वांग ने कहा कि दोनों देशों को द्विपक्षीय संबंधों को बेहतर रखने के लिए सीमा मुद्दों को उचित तरीके से निपटाना चाहिए।

विदेश मंत्रालय के बयान के मुताबिक जयशंकर ने मॉस्को में सितंबर 2020 में अपनी बैठक का हवाला दिया जहां भारतीय पक्ष ने यथास्थिति को बदलने के चीनी पक्ष के एकतरफा प्रयास और उकसावे वाले बर्ताव पर चिंता प्रकट की थी।

जयशंकर ने कहा कि पिछले साल मॉस्को में बैठक के दौरान उनके बीच सहमति बनी थी कि सीमाई क्षेत्रों में तनाव की स्थिति दोनों देशों के हित में नहीं है और फैसला हुआ था कि दोनों पक्षों वार्ता जारी रखेंगे, सैनिकों को पीछे हटाएंगे और तनाव घटाने के लिए कदम उठाएंगे।

विदेश मंत्री ने कहा कि उसके बाद से दोनों देशों के बीच राजनयिक और सैन्य स्तर पर लगातार संपर्क कायम रहा। इससे प्रगति हुई और इस महीने पैंगोंग झील वाले इलाके में तैनात सैनिकों को पीछे हटाया गया।

पैंगोंग झील इलाके में सैनिकों को पीछे हटाने की प्रक्रिया संपन्न होने का उल्लेख करते हुए विदेश मंत्री ने जोर दिया कि दोनों पक्षों को पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर बाकी मुद्दों को भी सुलझाने के लिए कदम उठाने चाहिए।

सूत्रों के मुताबिक पिछले सप्ताह वरिष्ठ कमांडरों के बीच 10 वें दौर की वार्ता के दौरान क्षेत्र में तनाव कम करने के लिए भारत ने हॉट स्प्रिंग्स, गोगरा और देपसांग से सैनिकों को पीछे हटाने पर जोर दिया।

जयशंकर ने वांग से कहा कि गतिरोध वाले सभी स्थानों से सैनिकों को हटाने की प्रक्रिया पूरी होने के बाद दोनों पक्ष क्षेत्र से सैनिकों की पूर्ण वापसी और अमन-चैन बहाली की दिशा में काम कर सकते हैं।

विदेश मंत्रालय के बयान के मुताबिक वांग ने अब तक हुई प्रगति पर संतोष जताया और कहा कि सीमाई क्षेत्रों में शांति और सौहार्द बहाली की दिशा में यह महत्वपूर्ण कदम है।

वांग ने सीमाई क्षेत्रों में प्रबंधन और नियंत्रण भी बेहतर करने की जरूरत पर जोर दिया वहीं जयशंकर ने रेखांकित किया कि दोनों पक्ष द्विपक्षीय संबंधों की बेहतरी के लिए सीमाई क्षेत्रों में अमन-चैन बनाए रखने पर सहमत रहे हैं।

वांग ने कहा कि भारतीय पक्ष ने संबंधों के लिए ‘आपसी सम्मान, संवेदनशीलता और आपसी हितों’ को ध्यान में रखने का प्रस्ताव दिया।

चीनी विदेश मंत्रालय की विज्ञप्ति के मुताबिक वांग ने कहा कि सीमा पर विवाद एक हकीकत है और इस पर समुचित ध्यान दिए जाने और इसे गंभीरता से लेने की जरूरत है। हालांकि, सीमा विवाद भारत-चीन के समूचे रिश्तों को बयां नहीं करता है।

भारत और चीन की सेनाओं के बीच पांच मई को सीमा पर गतिरोध शुरू हुआ था। दोनों देशों के बीच पैंगोंग झील वाले इलाके में हिंसक झड़प हुई और इसके बाद दोनों देशों ने कई स्थानों पर साजो-सामान के साथ हजारों सैनिकों की तैनाती कर दी।

इसके बाद पिछले चार दशकों में सबसे बड़े टकराव में 15 जून को गलवान घाटी में झड़प में भारत के 20 सैन्यकर्मी शहीद हो गए। झड़प के आठ महीने बाद चीन ने स्वीकार किया कि झड़प में उसके चार सैन्यकर्मी मारे गए थे।

पूर्वी लद्दाख के और भी क्षेत्रों से पीछे हटेगी चीनी सेना:भारत-चीन की 10वें दौर की सैन्य वार्ता करीब 16 घंटों चली,हॉट स्प्रिंग्स,गोगरा,देप्सांग से सैनिकों की वापसी पर ध्यान केंद्रित किया गया attacknews.in

नयी दिल्ली, 21 फरवरी । पूर्वी लद्दाख से सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया को और विस्तार देने के लिये 10वें दौर की सैन्य वार्ता के दौरान भारत और चीन ने व्यापक चर्चा की। वार्ता करीब 16 घंटे चली। आधिकारिक सूत्रों ने रविवार को यह जानकारी दी।

उन्होंने कहा कि वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन की तरफ मोल्डो सीमा बिंदु पर कोर कमांडर स्तरीय वार्ता शनिवार सुबह करीब 10 बजे शुरू हुई और रविवार तड़के दो बजे खत्म हुई।

सूत्रों ने कहा कि वार्ता के दौरान पूर्वी लद्दाख के हॉट स्प्रिंग्स, गोगरा और देप्सांग जैसे गतिरोध वाले बिंदुओं से सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया गया।

वार्ता के बारे में हालांकि अब तक कोई आधिकारिक जानकारी नहीं दी गई है।

यह बातचीत दोनों सेनाओं के पैंगांग सो (झील) के उत्तरी व दक्षिणी किनारों के ऊंचाई वाले क्षेत्रों से सैनिकों व हथियारों की वापसी के पूरा होने के दो दिन बाद हुई।

माना जा रहा है कि भारत ने बातचीत के दौरान क्षेत्र में तनाव कम करने के लिये हॉट स्प्रिंग्स,गोगरा और देप्सांग जैसे इलाकों से वापसी प्रक्रिया को तेज करने पर जोर दिया।

सूत्रों ने शनिवार को कहा था कि बातचीत के दौरान व्यापक प्राथमिकता क्षेत्र में तनाव में कमी लाने की है। भारत इस बात पर जोर देता रहा है कि क्षेत्र में तनाव कम करने के लिये गतिरोध वाले सभी बिंदुओं से सैनिकों की वापसी जरूरी है।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 11 फरवरी को संसद में एक बयान में कहा था कि भारत और चीन के बीच पैंगोंग झील क्षेत्र से सैनिकों को चरणबद्ध, समन्वित व प्रमाणिक तरीके से हटाने का समझौता हो गया है।

उन्होंने कहा था कि समझौते के अनुरूप चीन अपनी सेना की टुकड़ियों को हटाकर पैंगांग झील के उत्तरी किनारे में फिंगर आठ क्षेत्र की पूर्व दिशा की ओर ले जाएगा। उन्होंने कहा था कि भारत अपनी सैन्य टुकड़ियों को फिंगर तीन के पास अपने स्थायी शिविर धन सिंह थापा पोस्ट पर रखेगा।

सिंह ने कहा था कि इसी तरह का कदम पैंगांग झील के दक्षिणी तट क्षेत्र में उठाया जाएगा।

सूत्रों ने कहा कि दोनों पक्षों के सैनिक समझौते के मुताबिक अपने ठिकानों पर वापसी की है।

सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया 10 फरवरी को शुरू हुई थी।

शनिवार को हुई वार्ता में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व लेफ्टिनेंट जनरल पीजीके मेनन कर रहे थे जो लेह स्थित 14वीं कोर के कमांडर हैं। वहीं, चीनी पक्ष का नेतृत्व मेजर जनरल लिउ लिन कर रहे थे जो चीनी सेना के दक्षिणी शिनजियांग सैन्य जिले के कमांडर हैं।

संसद में दिये अपने बयान में रक्षा मंत्री ने कहा था कि इस पर सहमति बनी है कि पैंगांग झील क्षेत्र में सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया पूरी होने के 48 घंटे के भीतर दोनों पक्षों के वरिष्ठ कमांडरों की अगली बैठक अन्य सभी मुद्दों के समाधान के लिए बुलाई जाएगी।

इसके कुछ दिन बाद रक्षा मंत्रालय ने कहा था कि देप्सांग, हॉट स्प्रिंग्स और गोगरा समेत अन्य लंबित “समस्याओं” को दोनों देशों के सैन्य कमांडरों के बीच आगामी वार्ता में उठाया जाएगा।

दोनों देशों के बीच पिछले साल पांच मई को पैंगांग झील क्षेत्र में हिंसक संघर्ष के बाद सैन्य गतिरोध शुरू हुआ था और फिर हर रोज बदलते घटनाक्रम में दोनों पक्षों ने भारी संख्या में सैनिकों तथा घातक अस्त्र-शस्त्रों की तैनाती कर दी थी। दोनों पक्षों की बीच हालांकि गतिरोध दूर करने के लिये इस दौरान सैन्य व कूटनीतिक बातचीत का दौर भी जारी रहा।

पिछले साल चीनी सेना ने फिंगर 4 और फिंगर 8 के इलाके केबीच कुछ बंकर और अन्य ढांचे बना लिये थे और भारतीय गश्ती दल को फिंगर 4 से आगे नहीं जाने दे रहे थे जिसका भारतीय सेना ने कड़ा प्रतिरोध किया था।

नौ दौर की सैन्य वार्ता में भारत ने विशेषकर पैंगांग झील के उत्तरी क्षेत्र में फिंगर 4 से फिंगर 8 तक के क्षेत्रों से चीनी सैनिकों की वापसी पर जोर दिया था। वहीं, चीन ने पैंगांग झील के दक्षिणी छोर पर सामरिक महत्व की चोटियों से भारतीय सैनिकों की वापसी पर जोर दे रहा था। गतिरोध के लगभग पांच महीने बाद भारतीय सैनिकों ने कार्रवाई करते हुए पैंगोंग झील के दक्षिणी छोर क्षेत्र में मुखपारी, रेचिल ला और मगर हिल क्षेत्रों में सामरिक महत्व की कई पर्वत चोटियों पर तैनाती कर दी थी।

महाभियोग में बरी होने के बाद भी।पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मुश्किलें बरकरार,अमेरिका अदालतों में दर्ज किए जा सकते हैं मुकदमें attacknews.in

वाशिंगटन, 15 फरवरी (एपी) अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भले ही दूसरे महाभियोग में बरी हो गए हों लेकिन उन्हें कैपिटल बिल्डिंग (संसद भवन) पर हमला मामले में अदालती मुकदमे का सामना करना पड़ सकता है।

ट्रंप अब साधारण नागरिक हो गए हैं, लिहाजा उनके पास कानूनी संरक्षण नहीं है जो राष्ट्रपति पद पर रहने के दौरान उन्हें मिला हुआ था। इस बदलाव से महाभियोग के दौरान ट्रंप के पक्ष में मतदान करने वाले रिपब्लिक पार्टी के सीनेटर भी वाकिफ हैं।

सीनेट में अल्पसंख्यक नेता केंटकी मिच मैककोनेल ने कहा कि ट्रंप अभी भी एक साधारण नागरिक के रूप में पद पर रहते हुए अपने हर काम के लिए उत्तरदायी हैं।

उन्होंने कहा कि ट्रंप को जवाबदेह ठहराने के लिए सीनेट के मुकदमे से अधिक अदालतें उपयुक्त स्थान हैं।

गौरतलब है कि छह जनवरी को कैपिटल बिल्डिंग पर ट्रंप के समर्थकों ने हमला कर दिया था जिसमें पांच लोगों की मौत हो गई थी। आरोप है कि ट्रंप ने अपने भाषण के जरिए समर्थकों को हिंसा के लिए भड़काया। इस मामले में ट्रंप को आने वाले महीनों में कानूनी कार्यवाही का सामना करना पड़ सकता है।

मगर दंगा भड़काने को लेकर ट्रंप को दोषी ठहराए जाने के आसार स्पष्ट नहीं हैं, क्योंकि अदालतों में ऐसे मामलों को लेकर मानक बहुत ऊंचे हैं। ट्रंप के खिलाफ पीड़ित भी मुकदमा कर सकते हैं हालांकि उनके पास कुछ संवैधानिक संरक्षण है, जैसे कि उन्होंने जो किया वह राष्ट्रपति का कर्तव्य निभाते हुए किया।

कानून के जानकारों का कहना है कि उचित आपराधिक जांच में समय लगता है।

लोयोला लॉ स्कूल में प्रोफेसर और पूर्व संघीय अभियोजक लूरी लेवेनसन ने कहा कि जांचकर्ता 200 लोगों को गिरफ्तार कर चुके हैं। वे सैकड़ों और लोगों की तलाश में हैं। ये सभी लोग गवाह भी हो सकते हैं, क्योंकि उनमें से कुछ लोगों ने कहा है कि उन्हें ट्रंप ने यह (हमला करने को) कहा।

उन्होंने कहा कि सबसे महत्वपूर्ण यह है कि जब दंगा हो रहा था तब ट्रंप क्या कर रहे थे। महाभियोग में इसका जवाब नहीं मिला। मगर संघीय जांचकर्ताओं के पास आपराधिक जांच में ‘ग्रैंड जूरी’ के जरिए समन करके सबूत हासिल करने के लिए अधिक शक्तियां हैं।

कोलंबिया जिले के अटॉर्नी जनरल कार्ल रैसीन ने कहा है कि जिला अभियोजक इस बात पर विचार कर रहे हैं कि हिंसा के लिए लोगों को भड़काने वाले बयान को अपराध ठहराने वाले स्थानीय कानून के तहत ट्रंप पर आरोप लगाए जाएं या नहीं।

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प महाभियोग आरोप से हुए बरी;अमेरिकी सीनेट आरोपों को नहीं कर सकी साबित,मतदान में महाभियोग के विरोध में पड़े वोट attacknews.in

वाशिंगटन, 14 फरवरी । अमेरिका की सीनेट ने पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प को छह जनवरी को कैपिटल हिल हिंसा के संबंध में ‘विद्रोह के लिए भड़काने’ के आरोप से बरी कर दिया गया है।

सीएनएन की रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका की सीनेट में पांच दिनों तक चले महाभियोग के मुकदमे के आखिर में हुए मतदान के बाद श्री ट्रंप को बरी कर दिया गया।

मतदान के दौरान श्री ट्रंप के पक्ष में 43 वोट पड़े, वहीं उनके विरोध में 57 सीनेटर्स ने मतदान किया।

श्री ट्रंप को दोषी ठहराये जाने के लिए सदन में दो तिहाई सदस्यों का समर्थन जरूरी था। दो तिहाई सदस्यों के समर्थन की कमी के कारण डेमोक्रेट्स द्वारा लगाया प्रस्ताव गिर गया।

श्री ट्रंप कार्यकाल में रहते हुए दो बार महाभियोग का सामना करने इकलौते अमेरिकी राष्ट्रपति हैं।

ट्रंप के वकीलों ने महाभियोग पर बहस में दी थीअतिम दलील :

इससे पहले अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ सीनेट में महाभियोग चलाये जाने के सीनेटरों के निर्णय के बाद उनके वकीलों ने अपना पक्ष रखते हुए इस मामले में अंतिम दलील दी और अब महाभियोग पारित करने के फैसला सीनेटरों के हाथ में था।

श्री ट्रंप के वकीलों शुक्रवार को अपना पक्ष रखने के लिए 16 घंटे दिए गए थे जिसमें से उन्होंने तीन घंटे तक अपना पक्ष रखा। उन्होंने इस दौरान श्री ट्रम्प के कैपिटल हिल पर छह जनवरी की घटना के बीच संबंध होने को साबित न कर पाने को लेकर प्रतिनिधि सभा के प्रबंधकों की कड़ी आलोचना भी की।

श्री ट्रंप के प्रमुख वकील ब्रूस कास्टर जूनियर ने कल अपना अंतिम पक्ष रखते हुए कहा, “प्रतिनिधि सभा के प्रबंधकों ने 14 से अधिक घंटे केवल यही दिखाने में निकाल दिए कि कैपिटल हिल पर हुई हिंसा कितनी भयावाह थी। उन्होंने एक भी बार यह नहीं बताया कि अमेरिका के 45वें राष्ट्रपति ट्रंप का इस घटने से क्या लेना देना था, जिसको लेकर यह बहस हुई है।”

अधिवक्ता कास्टर ने यह साबित करने की मांग भी की कि छह जनवरी में श्री ट्रंप के भाषण से कैपिटल में हिंसा नहीं हुई थी क्योंकि जब वह भाषण दे रहे थे, उसी दौरान वहां लोगाें में आक्रोश पनपा था न कि उनके भाषण देने के बाद। श्री ट्रंप ने तो समर्थकों से शांतिपूर्वक विरोध करने का आह्वान किया था। लेकिन पूर्व राष्ट्रपति के शब्दों को गलत दिखाने का प्रयास किया गया है।

श्री कास्टर ने सवाल करते हुए कहा, “तकरीबन सवा ग्यारह बजे सुरक्षा कैमरों की वीडियो में यह देखा जा सकता है कि भीड़ कैपिटल के पास फर्स्ट स्ट्रीट पर एकत्रित होना शुरू हो गई थी और यह घटना श्री ट्रंप के भाषण से 45 मिनट पहले की है। श्री ट्रंप के भाषण से पहले ही उपद्रवी कैपिटल हिल से केवल एक मील दूर एकत्रित होना शुरू हो गए थे। क्या आप लोगों ने प्रतिनिधि सभा के प्रबंधकों द्वारा प्रस्तुतीकरण के दौरान इन तथ्यों को नहीं देखा?”

गौरतलब है कि श्री ट्रंप के समर्थकों ने छह जनवरी को वाशिंगटन में कांग्रेस बिल्डिंग कैपिटल हिल पर हमला कर संपत्ति को नुकसान पहुंचाया था। यह हिंसक घटना उनके द्वारा व्हाइट हाउस के पास हजारों समर्थकों को संबोधित किये जाने के बाद हुई थ। प्रदर्शन के दौरान भड़की हिंसा में दो महिलाओं समेत पांच लोगों की मौत हो गयी थी जबकि पुलिस ने इस सिलसिले में कई लोगों को गिरफ्तार भी किया है।

अमेरिकी कैपिटल में हुए दंगों के मामले में महाभियोग का सामना कर रहे पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के वकीलों ने सीनेट में कहा कि रिपब्लिकन नेता पर लगे राजद्रोह भड़काने के आरोप ‘‘सरासर झूठे’’ attacknews.in

वाशिंगटन, 13 फरवरी । अमेरिकी कैपिटल (संसद भवन) में हुए दंगों के मामले में महाभियोग का सामना कर रहे देश के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के वकीलों ने सीनेट में कहा कि रिपब्लिकन नेता पर लगे राजद्रोह भड़काने के आरोप ‘‘सरासर झूठे’’ हैं और उनके खिलाफ महाभियोग की कार्यवाही ‘‘राजनीति से प्रेरित’’ है।

रिपब्लिकन नेता ट्रंप पर अमेरिकी कैपिटल में छह जनवरी को हुए दंगे भड़काने का आरोप है। इन दंगों में एक पुलिस अधिकारी समेत पांच लोगों की मौत हो गई थी।

सीनेट में सुनवाई के चौथे दिन ट्रंप के वकीलों ब्रूस कैस्टर, डेविड शोएन और माइकल वान डेर वीन ने पूर्व राष्ट्रपति के पक्ष में शुक्रवार को एक-एक करके दलीलें पेश कीं और कहा कि ट्रंप कानून-व्यवस्था के कड़े समर्थक हैं तथा उन्होंने कैपिटल में अराजकता नहीं भड़काई।

ट्रंप के वकीलों के पास अपनी दलीलें रखने के लिए कुल 16 घंटे का समय है। प्रतिनिधि सभा के प्रबंधकों का कहना है कि ट्रंप को दोषी ठहराया जाना चाहिए और उन्हें दंगे भड़काने के कारण भविष्य में चुनाव लड़ने से प्रतिबंधित किया जाए।

ट्रंप के वकीलों ने दावा किया कि उनके मुवक्किल के खिलाफ महाभियोग के दौरान लगाए गए आरोपों को साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं हैं।

कैस्टर ने कहा, ‘‘प्रतिनिधि सभा के प्रबंधकों ने महाभियोग के लिए जो आरोप पेश किए हैं, उन्हें सही साबित करने के लिए सबूतों का अभाव है।’’
उन्होंने कहा कि प्रतिनिधि सभा ने राजनीति से प्रेरित होकर यह महाभियोग चलाया है।

कैस्टर ने विभिन्न डेमोक्रेटिक नेताओं की वीडियो क्लिप दिखाते हुए कहा, ‘‘उनका लक्ष्य एक राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी को हटाना है, मतदाताओं की इच्छा के नाम पर अपना फैसला लागू करना करना है।’’
उन्होंने कहा कि इस महाभियोग की सुनवाई के दौरान सबसे अहम बात यह है कि 45वें राष्ट्रपति ने भीड़ को उकसाया या नहीं।

उन्होंने कहा कि डेमोक्रेटिक नेता इसे राजद्रोह कह रहे हैं, लेकिन ‘‘यह निश्चित ही राजद्रोह नहीं है।’’

कैस्टर ने कहा कि राजद्रोह तब होता है, जब देश की सत्ता हथियाने की कोशिश की जाती है, लेकिन इस मामले में स्पष्ट रूप से ऐसा कुछ नहीं है।

उन्होंने एफबीआई, न्याय मंत्रालय और कई पूर्व एवं मौजूदा अधिकारियों की रिपोर्ट के हवाले से कहा कि छह जनवरी के दंगे पूर्व नियोजित थे।

कैस्टर ने कहा, ‘‘(पूर्व) राष्ट्रपति का इन दंगों में कोई हाथ नहीं है। उन्होंने प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से हिंसा के इस्तेमाल या गैरकानूनी कदमों को प्रोत्साहित नहीं किया।’’

कैस्टर ने कहा कि राष्ट्रपति शुरुआत से ही इस बात को लेकर स्पष्ट रहे हैं कि कैपिटल पर हमला करने वालों को सजा दी जानी चाहिए।

उन्होंने आरोप लगाया कि प्रतिनिधि सभा के प्रबंधकों ने ट्रंप के वीडियो के साथ छेड़छाड़ की, जिसमें चुनिंदा रूप से उनके भाषण दिखाए गए।

ट्रंप के वकील वीन ने कहा, ‘‘ऐसा दावा करना एक बेहूदा एवं बड़ा झूठ है कि (पूर्व) राष्ट्रपति ने अराजकता या हिंसा भड़काई या उनकी ऐसा करने की इच्छा थी। कैपिटल में अराजकता के बाद ट्रंप ने पहले दो ट्वीट में कहा था कि ‘शांति बनाए रखें’ और ‘हिंसा नहीं करें क्योंकि हम कानून-व्यवस्था के पक्षधर हैं।’’

ट्रंप के वकीलों ने करीब चार घंटे अपनी दलीलें दीं। इसके बाद महाभियोग की सुनवाई के दौरान जूरी का काम कर रहे सीनेटरों ने दोनों पक्षों से सवाल किए। दोनों पक्षों की दलीलें पूरी होने के बाद 100 सदस्यीय सीनेट महाभियोग की सुनवाई पर मतदान करेगी। ट्रंप के खिलाफ महाभियोग पारित करने के लिए सीनेट के 67 मतों की आवश्यकता है।

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि डेमोक्रेटिक नेताओं के लिए इतने मत हासिल करना मुश्किल है, क्योंकि सीनेट में डेमोक्रेटिक पार्टी के 50 सदस्य हैं और उन्हें 17 रिपब्लिकन नेताओं के मतों की आवश्यकता है।

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के भ्रष्टाचार का खुलासा करने वाले विपक्षी नेता नवलनी के मुख्यालयों पर पुलिस ने देर रात मारा छापा attacknews.in

मॉस्को 12 फरवरी ।रूस की पुलिस ने विपक्ष के नेता एलेक्सी नवलनी के मुख्यालयों में देर रात छापा मारा। जर्मनी में इलाज कराने के बाद नवलनी 17 जनवरी को देश लौटेऔर रूस आते ही उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया जिसके बाद देश में जबरदस्त विरोध प्रदर्शन हुए। पुलिस की छापेमारी रात एक बजे तक चली।

फिलहाल यह पता नहीं चल पाया है कि पुलिस सबूत के तौर पर वहां से कुछ ले गयी या नहीं, लेकिन नवलनी के कर्मचारियों द्वारा सोशल मीडिया पर सार्वजनिक की गई तस्वीरों में वे एक कॉफी मग समेत कई सामान लिए दिखाई दे रहे हैं।इस तलाशी के कारणों के बारे में पुलिस ने कोई बयान नहीं दिया है।

राजनीतिक दमन और मानवाधिकारों के मुद्दों पर केंद्रित वेबसाइट ‘मीडियाजोना न्यूज’ ने नवलनी के कर्मचारियों के हवाले से बताया है कि पुलिस ने कहा है कि उन्हें कार्यालय में अश्लील सामग्री प्रकाशित किए जाने की एक रिपोर्ट मिली है।उनकी गिरफ्तारी के बाद जनवरी में दो सप्ताहांत जबरदस्त विरोध प्रदर्शन हुआ और करीब 10,000 लोगों को गिरफ्तार किया गया था ।

भारत के कड़े रुख से किसान आंदोलन पर टिप्पणी करने वाले कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन टूडो की अक्ल ठिकाने लगी,प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को फोन पर “अच्छी बातचीत ” की attacknews.in

ओटावा, 11 फरवरी । कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने कहा है कि उनकी भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ फोन पर ‘‘अच्छी बातचीत’’ हुई और इस दौरान दोनों नेताओं ने लोकतांत्रिक सिद्धांतों के लिए दोनों देशों की प्रतिबद्धता, हालिया प्रदर्शनों और बातचीत के जरिए मुद्दों के समाधान के महत्व पर चर्चा की।

ट्रूडो ने बुधवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को फोन किया था।

ट्रूडो ने ट्वीट किया, ‘‘प्रधानमंत्री नरेन्द्र के साथ कई मुद्दों पर मेरी अच्छी बातचीत हुई और हमने आगे भी सम्पर्क में रहने को लेकर सहमति जतायी।’’

कनाडा के प्रधानमंत्री कार्यालय ने एक बयान में भारत में जारी किसानों के प्रदर्शन के संदर्भ में कहा, ‘‘दोनों नेताओं ने लोकतांत्रिक सिद्धांतों के लिए कनाडा और भारत की प्रतिबद्धता, हालिया प्रदर्शनों और बातचीत के जरिए मुद्दों के समाधान के महत्व पर चर्चा की।’’

ट्रूडो ने दिसम्बर में कहा था कि कनाडा हमेशा शांतिपूर्ण प्रदर्शन का समर्थन करता रहेगा और साथ ही उन्होंने स्थिति को लेकर चिंता भी व्यक्त की थी।

भारत ने इसके बाद कनाडा के उच्चायुक्त नादिर पटेल को तलब किया था और उनसे कहा था कि प्रधानमंत्री ट्रूडो और उनके मंत्रिमंडल के अन्य सदस्यों द्वारा किसानों के प्रदर्शन को लेकर की गई टिप्पणी देश के आंतरिक मामलों में एक ‘‘अस्वीकार्य दखल’’ है और अगर यह जारी रहा, तो इसका द्विपक्षीय संबंधों पर ‘‘ गंभीर रूप से हानिकारक’’ प्रभाव पड़ेगा।

विदेश मंत्रालय ने पिछले सप्ताह भी एक बयान में इस बात पर जोर दिया कि भारत की संसद में पूरी बहस और चर्चा के बाद ये तीन नए कृषि कानून पारित किए गए। विदेशी हस्तियों तथा देशों को किसानों के प्रदर्शन पर टिप्पणी करने से पहले तथ्यों की जांच-परख करने की अपील की थी।

कृषि कानूनों को निरस्त करने, फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानूनी गारंटी देने तथा दो अन्य मुद्दों को लेकर हजारों किसान दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं पर डटे हुए हैं।

गत वर्ष सितम्बर में अमल में आए तीनों कानूनों को भारत सरकार ने कृषि क्षेत्र में बड़े सुधार के तौर पर पेश किया है। उसका कहना है कि इन कानूनों के आने से बिचौलिए की भूमिका खत्म हो जाएगी और किसान अपनी उपज देश में कहीं भी बेच सकेंगे।

दूसरी तरफ, प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों का कहना है कि इन कानूनों से एमएसपी का सुरक्षा कवच खत्म हो जाएगा और मंडियां भी खत्म हो जाएंगी तथा खेती बड़े कारपोरेट समूहों के हाथ में चली जाएगी।

फोन पर बातचीत के दौरान, ट्रूडो और मोदी ने अधिक टिकाऊ एवं लचीली वैश्विक अर्थव्यवस्था के पुनर्निर्माण के लिए सामूहिक रूप से काम करने की आवश्यकता को रेखांकित किया।

कनाडा के प्रधानमंत्री कार्यालय ने कहा, ‘‘दोनों नेताओं ने कोविड-19 से निपटने, अपनी जनता के स्वास्थ्य एवं उनकी सुरक्षा के लिए उठाए गए कदमों और नागरिकों को आर्थिक समर्थन देने के लिए अपने-अपने प्रयासों पर बात की।’’

बयान के अनुसार, ‘‘दोनों नेताओं ने टीके के उत्पादन और आपूर्ति को बढ़ावा देने में भारत के महत्वपूर्ण प्रयासों के बारे में बात की, जिससे दुनिया भर के देशों को बड़ी मदद मिली है।’’

दोनों नेताओं के बीच टीके को सभी तक पहुंचाने के लिए एकसाथ काम करने को लेकर भी सहमति बनी।

बयान के अनुसार, ‘‘दोनों नेता जी7, जी20 और अन्य अंतरराष्ट्रीय मंचों के लिए भी मिलकर काम करने को लेकर उत्साहित हैं।’’

इस बीच, नयी दिल्ली में भारत के विदेश मंत्रालय ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ट्रूडो को भारत-कनाडा के टीकाकरण प्रयासों में पूरा सहयोग करने का आश्वासन दिया है।

भारत के प्रधानमंत्री कार्यालय से जारी एक बयान के मुताबिक मोदी ने जस्टिन ट्रूडो को आश्वासन देते हुए कहा, ‘‘भारत ने जैसे कई अन्य देशों के लिए किया, ठीक उसी तरह कनाडा के टीकाकरण प्रयासों को सहयोग देने में अपना सर्वश्रेष्ठ करेगा।’’

वहीं, भारत के विदेश मंत्रालय के बयान के मुताबिक ट्रूडो ने कहा कि अगर विश्व कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में जीत हासिल करता है, तो उसमें भारत की अभूतपूर्व औषधीय क्षमता का महत्वपूर्ण योगदान होगा। भारत की इस क्षमता को विश्व के साथ साझा करने के लिए उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व की सराहना भी की।

मोदी ने इस सराहना के लिए ट्रूडो का शुक्रिया भी अदा किया।

बयान के अनुसार, दोनों नेताओं ने जलवायु परिवर्तन और कोरोना वायरस वैश्विक महामारी के आर्थिक दुष्प्रभावों सहित कई अन्य अहम मुद्दों पर करीबी साझेदारी जारी रखने पर सहमति जतायी।