अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता मामलों के अधिकारी ने बताया,अमेरिका मानवाधिकार के मुद्दों पर भारतीय अधिकारियों से नियमित वार्ता करता है और मानवाधिकार दायित्वों एवं प्रतिबद्धताओं को बरकरार रखने के लिए प्रोत्साहित करता है attacknews.in

वाशिंगटन, 13 मई । अमेरिका भारत को लोकतांत्रिक मूल्यों की भारत की पुरानी परंपरा एवं सहिष्णुता के इतिहास को ध्यान में रखते हुए भारतीय अधिकारियों से हर स्तर पर नियमित रूप से वार्ता करता है और उन्हें अल्पसंख्यकों के संरक्षण समेत मानवाधिकार दायित्वों एवं प्रतिबद्धताओं को बरकरार रखने के लिए प्रोत्साहित करता है। अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता मामलों के प्रभारी वरिष्ठ अधिकारी ने यह बात कही है।

अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन द्वारा 2020 अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता रिपोर्ट को बुधवार को प्रस्तुत किए जाने के दौरान, अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता कार्यालय के वरिष्ठ अधिकारी डैन नाडेल ने कहा कि अमेरिकी अधिकारी नागरिक संगठनों, स्थानीय धार्मिक समुदायों के साथ भी लगातार बैठक करते हैं ताकि उनके विचार एवं चुनौतियों और अवसरों को समझ सके।

रिपोर्ट में देश में कोविड-19 की पहली लहर के मद्देनजर पिछले साल तबलीगी जमात के सदस्यों को निशाना बनाए जाने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा दिए गए “एकता एवं भाईचारे” के संदेश पर भी गौर किया गया।

विदेश मंत्रालय ने कहा, “प्रधानमंत्री मोदी ने 19 अप्रैल को ट्वीट किया था, ‘कोविड-19 वार करने से पहले धर्म, नस्ल, रंग, जाति, समुदाय, भाषा या सीमाएं नहीं देखता है। हमारा व्यवहार एवं प्रतिक्रिया में एकता एवं भाईचारे को अहमियत दी जानी चाहिए।”

वार्षिक रिपोर्ट के भारतीय खंड में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत के 26 अप्रैल के राष्ट्र के नाम ऑनलाइन संबोधन का भी उल्लेख है जिसमें उन्होंने लोगों से कोविड-19 के खिलाफ जंग में किसी से भेदभाव नहीं करने की अपील की थी।

नाडेल ने कहा कि भारत सरकार को अमेरिका के कुल प्रोत्साहन की बात करें तो वह इन समुदायों को, इन बाहरी तत्वों को प्रत्यक्ष संवाद में शामिल करता है।

उन्होंने कहा, “क्योंकि जब कानून पारित किए जाते हैं, जब पहल की जाती हैं और इन समुदायों के साथ प्रभावी राय-विचार के साथ नहीं किया जाता, यह नि:सशक्तीकरण का भाव पैदा करता है कई बार विरक्ति का। और इससे निपटने का सबसे अच्छा तरीका है सरकारी एवं नागरिक संस्थाओं के बीच सीधा संवाद स्थापित करना।”

नाडेल ने कहा, “इसलिए भारत के संबंध में, मेरे विचार में सरकार के लिए भारतीय नागरिक संस्थाओं की कुछ चिंताओं से निपटने का सही में मौका है जो अधिक संवाद एवं अधिक वार्ता से संभव है।”

भारत इससे पहले यह कहकर अमेरिका धार्मिक स्वतंत्रता रिपोर्टों को खारिज करता रहा है कि वह विदेशी सरकार का उसके नागरिकों के संवैधानिक रूप से संरक्षित अधिकारों पर फैसला सुनाने का कोई अधिकार नहीं समझता है।

इससे पहले रिपोर्ट जारी करते हुए ब्लिंकेन ने कहा था कि पूरी दुनिया में यहूदियों के खिलाफ और कुछ हिस्सों में मुस्लिमों के खिलाफ भी नफरत बढ़ी है जो अमेरिका के साथ ही यूरोप के लिए गंभीर समस्या है।

उन्होंने कहा कि जहां भी यह हो रहा हो इसका पुरजोर विरोध किया जाना चाहिए और यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि सभी धर्म एवं पृष्ठभूमि के लोगों को बराबर सम्मान एवं गरिमा मिले।

रिपोर्ट का स्वागत करते हुए ‘फेडरेशन ऑफ इंडियन अमेरिकन क्रिश्चियन ऑर्गेनाइजेशन’ के अध्यक्ष कोशी जॉर्ज ने कहा कि कोरोना वायरस लॉकडाउन के दौरान भी इसाइयों और अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों का दमन जारी है।

उन्होंने कहा, “इन अहम मुद्दों पर प्रधानमंत्री मोदी की चुप्पी निराश करने वाली है।”

अमेरिका ने धार्मिक स्वतंत्रता के दमन के लिए चीन और अन्य देशों पर निशाना साधा;बाइडन प्रशासन ने अमेरिकी विदेश नीति में प्राथमिक ध्यान मानवाधिकारों की बहाली पर देने का रखा attacknews.in

वाशिंगटन, 13 मई (एपी) बाइडन प्रशासन ने अमेरिकी विदेश नीति में प्राथमिक ध्यान मानवाधिकारों की बहाली पर देने के लक्ष्य पर आगे बढ़ने के क्रम में धार्मिक स्वतंत्रता के दमन के लिए चीन और कई अन्य देशों पर बुधवार को निशाना साधा।

यह निंदा उसी तरह की है जो ट्रंप प्रशासन ने भी की थी जिसकी आलोचना अन्य अधिकारों से ज्यादा तवज्जो धार्मिक स्वतंत्रता को देने के लिए की जाती थी। यह कदम अमेरिकी स्थिति की फिर से पुष्टि करता है कि मुस्लिमों पर और पश्चिमी शिनजियांग में अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों पर चीन की कार्रवाई “नरसंहार’’ के दायरे में आती है।

हालांकि, एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि धार्मिक स्वतंत्रता, प्रशासन के व्यापक मानवाधिकार रणनीति का महज एक तत्व है।

विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने मंत्रालय की वार्षिक अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता रिपोर्ट का हवाला देकर चीन की अपने नागरिकों को स्वतंत्र रूप से उपासना करने की अनुमति न देने के लिए निंदा की। इसके अलावा उन्होंने पूर्व वरिष्ठ चीनी अधिकारी पर यात्रा प्रतिबंध लगा दिया है जिन पर अमेरिका ने फालुन गोंग धार्मिक पंथ के सदस्यों का दमन करने का आरोप लगाया है।

गाजा से इजरायल में दागे गए 1500 रॉकेट’;जवाब में इजरायली हवाई हमलों में फिलिस्तीनी मृतकों की संख्या 67 हुई attacknews.in

यरुशलम 13 मई । इजरायल ने कहा है कि तनाव बढ़ने के बाद से गाजा पट्टी की ओर से इजरायल में लगभग 1500 रॉकेट दागे गए हैं।

इजरायली सेना ने बुधवार को देर रात बयान जारी कर यह जानकारी दी। इजरायली सेना ने बताया कि गाजा पट्टी की ओर से इजरायल में लगभग 1500 रॉकेट दागे गए हैं। इन रॉकेटों में से सैकड़ों को इजरायली वायु रक्षा प्रणालियों ने हवा में ही नष्ट कर दिया।

इजरायली सेना ने कहा, ” गाजा पट्टी की ओर से इजरायली सीमा में अब तक लगभग 1500 रॉकेट दागे गए हैं, जिनमें से लगभग 300 असफल रहे तथा गाजा पट्टी में ही गिर गए। आयरन डोम सिस्टम ने सैकड़ों रॉकेटों को नष्ट कर दिया है।”

इजरायली हवाई हमलों में फिलिस्तीनी मृतकों की संख्या 67 हुई

गाजा, से खबर है कि, गाजा पट्टी पर इजरायल के हवाई हमलों में मरने वाले फिलिस्तीनियों की संख्या बढ़कर 67 हो गई है।

गाजा के स्वास्थ्य मंत्रालय ने गुरुवार को यह जानकारी दी। मंत्रालय ने दावा किया कि मृतकों में 17 बच्चे शामिल हैं। मंत्रालय के मुताबिक इजरायली हवाई हमले में 388 लोग घायल हुए हैं, जिनमें 115 बच्चे तथा 50 महिलाएं शामिल हैं।

उल्लेखनीय है कि इजरायल तथा हमास ने सोमवार रात से एक-दूसरे पर सैकड़ों रॉकेट दागे हैं।

गाज़ा के स्थानीय लोगों का सवाल, ‘हम कहां जाएं?’

गाज़ा सिटी में 50 वर्षीय उम्म माजिद अल रईस को अपनी और अपने चार बच्चों की इज़राइल के हवाई हमले से जान बचाने के लिए पड़ोस के घर में शरण लेनी पड़ी, क्योंकि इज़राइल के जंगी जहाजों ने उनकी रिहायशी इमारत को निशाना बनाया है।

इज़राइल और गाज़ा पट्टी के बीच 2014 की जंग के बाद से सबसे भीषण हिंसा में इस हफ्ते हताहतों की संख्या बढ़ गई है जबकि अल रईस और अन्य फलस्तीनियों का सवाल है, “ हम कहां जाएं?”

अल रईस ने पड़ोस के घर से फोन पर बताया, “ पूरा क्षेत्र एक छोटा सा हिस्सा है। यह एक जेल है। आप कहीं भी जाएं, आप निशाने पर हैं।”

उन्होंने पड़ोस के घर में अपने किशोर बेटे- बेटियों के साथ शरण ली है। उन्होंने कहा कि बिना चेतावनी के इज़राइल ने हवाई हमले किए।

गाज़ा में 20 लाख लोग रहते हैं और यहां पर हवाई हमलों को लेकर सायरन या सुरक्षित घर नहीं हैं। बीते सालों में हुए टकरावों में संयुक्त राष्ट्र के अस्थायी आश्रय स्थलों तक पर हमला हुआ है। पिछले दो सालों में, इज़राइल ने हवाई हमलों के जरिए तीन बड़ी इमारतों को ध्वस्त किया है जिनमें हमास के अहम दफ्तर थे। इज़राइल ने पहले चेतावनी के लिए गोलियां चलाईं ताकि इमारत में रहने वाले लोग भाग सकें।

लड़ाकू विमानों ने बिना चेतावनी के कई रिहायशी इमारतों को निशाना बनाया है। इज़राइल का आरोप है कि इन इमारतों में चरमपंथी रहते हैं। कुल मिलाकर सोमवार से गाज़ा में 16 बच्चों समेत 65 लोगों की मौत हो गई है। मरने वालों में चरमपंथी और आम नागरिक भी शामिल हैं। इनमें दो महिलाएं और बच्चे हैं जो इमारत पर हमले के दौरान मारे गए हैं।

एक महिला ने बताया कि इज़राइल के विमान ने बुधवार को एक दो मंजिला इमारत को निशाना बनाया जिसमें उनका चार वर्षीय पोता और गर्भवती बहू की मौत हो गई।

उम्म मोहम्मद अल तलबानी ने अस्पताल में बताया, “ उन्होंने बिना चेतावनी के बम दाग दिए। घर में बच्चों के अलावा कोई न था।”

इज़राइल की सरकार लंबे अरसे से आरोप लगाती रही है कि जवाबी हमलों के दौरान हमास आम नागरिकों को मानव कवच की तरह इस्तेमाल करता है और चरमपंथी अक्सर असैन्य इलाकों से रॉकेट दागते हैं और रिहायशी इमारतों में कमान केंद्र स्थापित करते हैं। फिर भी इज़राइल की हमास के साथ 2014 युद्ध में इमारतों को निशाना बनाने के लिए काफी आलोचना की गई थी।

गाज़ा के निवासियों ने पहले की जंगों को याद करते हुए कहा कि वे कहीं भी सुरक्षित नहीं हैं। वे इस संकरी क्षेत्र को नहीं छोड़ सकते हैं जो दुनिया के सबसे घनी आबादी वाले स्थानों में से एक है।

वर्ष 2007 में गाज़ा पर हमास के नियंत्रण के बाद से वह इज़राइल और मिस्र की नाकेबंदी का सामना कर रहा है।

हमास और अन्य चरमपंथी संगठनों ने तेल अवीव समेत इज़राइल के कई शहरों पर सैकड़ों रॉकेट दागे हैं जिनमें कम से कम सात लोगों की मौत हुई है।

इज़राइली हमले में मरने वालों की संख्या बढ़कर 65 हुई, सबसे भीषण लड़ाई हाल के हफ्तों में यरुशलम में फलस्तीनी प्रदर्शनकारियों और इज़राइली पुलिस के बीच संघर्ष की वजह से शुरू हुई attacknews.in

गाजा, 12 मई (स्पूतनिक) ।गाजा पट्टी पर इजरायल के हवाई हमलों में मरने वाले फिलिस्तीनियों की संख्या बढ़कर 65 हो गई है।

गाजा के स्वास्थ्य मंत्रालय के प्रवक्ता अशरफ अल-किदरा ने बुधवार को यह जानकारी दी।

गाज़ा के स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि गाज़ा में इज़राइल के हवाई हमले में मरने वालों की संख्या बढ़कर 65 हो गई है जिसमें 13 बच्चे और तीन महिलाएं शामिल हैं।

मंत्रालय ने कहा कि हमले में क्षेत्र के करीब 300 फलस्तीनी जख्मी हुए हैं। यह हमले सोमवार को शुरू हुए थे और फलस्तीन ने इज़राइल पर रॉकेट दागे थे।

वर्ष 2014 की गाज़ा जंग के बाद सबसे भीषण लड़ाई हाल के हफ्तों में यरुशलम में फलस्तीनी प्रदर्शनकारियों और इज़राइली पुलिस के बीच संघर्ष की वजह से शुरू हुई है। यह प्रदर्शन अल अक्सा मस्जिद परिसर पर केंद्रित थे जो यहूदियों और मुसलमानों, दोनों के लिए पवित्र है।

वेस्ट बैंक में इजरायली सेना के साथ संघर्ष में कम से कम 245 फिलिस्तीनी घायल हुए हैं।

रेड क्रिसेंट ने यह जानकारी दी है। रेड क्रिसेंट के अनुसार मंगलवार को हुए संघर्ष में कुछ लोग रबर की गोलियों से और आंसू गैस से प्रभावित हुए। पूर्वी यरुशलम क्षेत्र में कई दिनों से संघर्ष हो रहा है।

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग के मुताबिक इजारयल के साथ संघर्ष में सात से 10 मई के बीच 1,100 फिलिस्तीनी घायल हुए हैं, जिनमें से 915पूर्वी यरुशलम तथा 200 ज्यादा फिलिस्तीनी वेस्ट बैंक में घायल हुए हैं।

भारतीय वायु सेना और भारतीय नौसेना महत्वपूर्ण कोविड-19 चिकित्सा आपूर्ति उपलब्ध कराने के लिए चौबीसों घंटे काम में जुटी,विदेशों से सामाग्री लाकर राज्यों को सीधे आवंटित किया जा रहा है attacknews.in

नईदिल्ली 12 मई । भारतीय वायु सेना (आईएएफ) और भारतीय नौसेना (आईएन), देश में मौजूदा कोविड-19 स्थिति से निपटने के लिए नागरिक प्रशासन को ऑक्सीजन और अन्य चिकित्सा आपूर्ति उपलब्ध कराने के लिए चौबीसों घंटे काम में जुटी हुई हैं।

12 मई, 2021 के शुरुआती घंटों में, भारतीय वायुसेना के विमान ने देश के विभिन्न हिस्सों से 634 प्रयासों में 163 मीट्रिक टन क्षमता के अन्य उपकरणों के साथ 6,856 मीट्रिक टन (एमटी) क्षमता के 403 ऑक्सीजन कंटेनर्स को एयरलिफ्ट किया है।

वायु सेना द्वारा जिन शहरों में यह चिकित्सा सामान पहुंचाया गया है उनमें जामनगर, भोपाल, चंडीगढ़, पानागढ, इंदौर, रांची, आगरा, जोधपुर, बेगमपेट, भुबनेश्वर, पुणे, सूरत, रायपुर, उदयपुर, मुंबई, लखनऊ, नागपुर, ग्वालियर, विजयवाड़ा, बड़ौदा, दीमापुर और हिंडन शामिल हैं।

भारतीय वायुसेना के विमानों ने विभिन्न देशों के लिए 98 उड़ानें भरी हैं। इन उड़ानों वायु सेना द्वारा 793 मीट्रिक टन क्षमता के 95 कंटेनर और 204 मीट्रिक टन क्षमता के अन्य उपकरण लाए गए हैं। यह उपकरण सिंगापुर, दुबई, थाईलैंड, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया, बेल्जियम, इंडोनेशिया, नीदरलैंड, ब्रिटेन, इजरायल और फ्रांस से लाए गए हैं।

भारतीय नौसेना के सात जहाजों ने समुद्र सेतु-II’ अभियान के हिस्से के रूप में, विदेशों से विभिन्न राज्यों को सीधे आपूर्ति के लिए 13 कंटेनरों से 260 मीट्रिक टन तरल चिकित्सा ऑक्सीजन (एलएमओ) लेकर आया है। यह जहाज़ लगभग 160 एमटी कुल क्षमता के, आठ ऑक्सीजन कंटेनर, फारस की खाड़ी से और 2,600 ऑक्सीजन के भरे सिलेंडर और 3,150 ऑक्सीजन के खाली सिलेंडर, दक्षिण पूर्व एशिया से लेकर आए हैं। जबकि आईएनएस जलाश्व वर्तमान में ब्रुनेई में है, आईएनएस शार्दुल 12 मई 2021 को कुवैत में प्रवेश करने वाला है।

निम्नलिखित तालिका में भारतीय नौसेना के उन जहाजों का विवरण है जो स्वदेश वापस आए हैं: –

जहाज़ – चिकित्सा आपूर्ति – देश/बंदरगाह -आगमन

आईएएस तरकश ,27 मीट्रिक टन तरल चिकित्सा ऑक्सीजन से भरे 02 कंटेनर,230 ऑक्सीजन सिलेंडर, क़तर,12 मई, 2021 को मुंबई

आईएएस कोच्चि और आईएएस तबार:100 मीट्रिक टन तरल चिकित्सा ऑक्सीजन (एमएलओ)से भरे 05 कंटेनर,1200 ऑक्सीजन सिलेंडर कुवैत,11 मई, 2021 को न्यू मंगलौर बंदरगाह

आईएएस ऐरावत:क्रायोजेनिक ऑक्सीजन टैंक – 08, ऑक्सीजन सिलेंडर –3,898,अन्य महत्वपूर्ण कोविड-19 चिकित्सा सामान,सिंगापुर 10 मई, 2021 को विशाखापत्तनम

आईएएस त्रिकंड:40 मीट्रिक टन तरल चिकित्सा ऑक्सीजन(तरल चिकित्सा ऑक्सीजन क्रायोजेनिक कंटेनर्स),क़तर,10 मई, 2021 को मुंबई

आईएएस कोलकाता:ऑक्सीजन सिलेंडर – 400,27 मीट्रिक टन क्षमता के तरल चिकित्सा ऑक्सीजन के 02 कंटेनर्स,ऑक्सीजन कंसंट्रेटर्स – 47,क़तर और कुवैत,10 मई, 2021 को न्यू मंगलौर बंदरगाह

आईएएस तलवार:27 मीट्रिक टन क्षमता के 02 ऑक्सीजन कंटेनर्स,बहरीन,05 मई, 2021 को न्यू मंगलौर बंदरगाह

राज्यों / केन्द्र शासित प्रदेशों की क्षमता बढ़ाने के लिए 9,284 ऑक्सीजन कंसन्ट्रेटर; 7,033 ऑक्सीजन सिलेंडर; 19 ऑक्सीजन उत्पादन संयंत्र; 5,933 वेंटिलेटर / बाई – पैप; 3.44 लाख रेमडिसिविर की खुराकें दी / भेजी गईं

विश्व समुदाय सदभावना के तौर पर 27 अप्रैल 2021 से कोविड केप्रबंधन की चुनौतियों का सामना करने में भारत की सहायता करने के उद्देश्य सेअंतर्राष्ट्रीय दान और कोविड-19 राहत चिकित्सा सामग्रियोंएवं उपकरणों की सहायता के जरिए भारत की मदद कर रहा है।

देश में कोविड के संक्रमणमें आए अभूतपूर्व उछाल से लड़ने में भारत के प्रयासों को मजबूती देने के उद्देश्य सेविभिन्न देशों / संगठनों की ओर से मिलने वाली वैश्विक सहायता को शीघ्रता से वितरित करने के लिए भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालय / विभाग “संपूर्ण सरकार” के दृष्टिकोण के तहत एक सुगम और व्यवस्थित तंत्र के जरिएआपस में सहयोग कर रहे हैं।

27 अप्रैल 2021 से लेकर 11 मई 2021 तक कुल मिलाकर9,284 ऑक्सीजन कंसन्ट्रेटर; 7,033 ऑक्सीजन सिलेंडर; 19 ऑक्सीजन उत्पादन संयंत्र; 5,933 वेंटिलेटर / बाईपैप; 3.44 लाख रेमडिसिविर की खुराकें सड़क और हवाई मार्ग से पहुंचायी / भेजी गई हैं।

यूनाइटेड किंगडम, मिस्र, कुवैत और दक्षिण कोरिया से 11 मई 2021 को प्राप्त प्रमुख सामग्रियों में शामिल हैं:

• ऑक्सीजन कंसन्ट्रेटर: 30 + 50 = 80

• ऑक्सीजन सिलेंडर: 300 + 1290 = 1590

• वेंटिलेटर / बाईपैप / सीपैप: 20

केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने प्राप्तकर्ता राज्यों / केन्द्र शासित प्रदेशों को कारगर तत्काल आवंटन और सुव्यवस्थित वितरण की पूरी प्रक्रिया की नियमित व्यापक निगरानी के लिए एक समर्पित प्रकोष्ठ की स्थापना की है। अनुदान, सहायता और दान के रूप में विदेशों से आने वाली कोविड राहत सामग्री की प्राप्ति और आवंटन के समन्वय के लिए बनाई गई इस समर्पित समन्वय प्रकोष्ठ ने 26 अप्रैल 2021 से काम करना शुरू कर दिया है। स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा 2 मई, 2021 से एक मानक संचालन प्रक्रिया तैयार और कार्यान्वित की गई है।

विभिन्न राज्यों में वितरण के लिए कुवैत से आईएनएस कोच्चि के जरिए आई चिकित्सा राहत सामग्रियां, जिसमें 60 मीट्रिक टन लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन से लदे 3 आईएसओ टैंक, 800 ऑक्सीजन सिलेंडर और 2 उच्च-प्रवाह वाले ऑक्सीजन कंसन्ट्रेटर शामिल हैं, कल न्यू मैंगलोर बंदरगाह पर उतारी गईं।

विभिन्न राज्यों में आगे वितरण के लिए कुवैत से आईएनएस तबर के जरिए आई चिकित्सा राहत सामग्रियां, जिसमें 40 मीट्रिक टन लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन से लदे 2 आईएसओ ऑक्सीजन टैंक और 600 ऑक्सीजन सिलेंडर शामिल हैं, कल न्यू मैंगलोर बंदरगाह पर उतारी गईं।

संयुक्त राज्य अमेरिका से रेमडिसिविर की 78,595 खुराक कल रात मुंबई एयरपोर्ट पर उतरीं।विभिन्न राज्यों को इन खुराकों का वितरण किया जा रहा है। ।

अमेरिकी महामारी विशेषज्ञ डाॅ फाउची ने कोरोना के गंभीर संकट में फंसे भारत से यह सीखा है कि,”स्थिति को कभी भी कम नहीं आंके और स्थानीय जन स्वास्थ्य अवसंरचनाओं के निर्माण को जारी रखने की जरूरत है attacknews.in

वाशिंगटन, 12 मई । अमेरिका के शीर्ष संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉ एंथनी फाउची ने सांसदों से कहा कि भारत ने “गलत धारणा” बनाई कि वहां कोविड-19 वैश्विक महामारी का प्रकोप समाप्त हो गया है और समय से पहले देश को खोल दिया जिससे वह ऐसे “गंभीर संकट” में फंस गया है।

भारत कोरोना वायरस की अभूतपूर्व दूसरी लहर से बुरी तरह प्रभावित है और कई राज्यों में अस्पताल स्वास्थ्य कर्मियों, टीकों, ऑक्सीजन, दवाओं और बिस्तरों की कमी से जूझ रहे हैं।

फाउच ने कोविड-19 प्रतिक्रिया पर मंगलवार को सुनवाई के दौरान सीनेट की स्वास्थ्य, शिक्षा, श्रम एवं पेंशन समिति से कहा, “भारत अभी जिस गंभीर संकट में है उसकी वजह यह है कि वहां असल में मामले बढ़ रहे थे और उन्होंने गलत धारणा बनाई कि वहां यह समाप्त हो गया है और हुआ क्या, उन्होंने समय से पहले सब खोल दिया और अब ऐसा चरम वहां देखने को मिल रहा है जिससे हम सब अवगत है किं वह कितना विनाशकारी है।”

डॉ फाउची अमेरिका के ‘नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एलर्जी एंड इंफेक्शस डिजीजेज’ (एनआईएआईडी) के निदेशक हैं और राष्ट्रपति जो बाइडन के मुख्य चिकित्सा सलाहकार भी हैं।

सुनवाई की अध्यक्षता कर रही, सीनेटर पैटी मुर्रे ने कहा कि भारत में हाहाकार मचा रही कोविड-19 की लहर इस बात की दर्दनाक याद दिलाती है कि अमेरिकी यहां तब तक वैश्विक महामारी को समाप्त नहीं कर सकते जब तक कि यह सब जगह समाप्त न हो जाए।

उन्होंने कहा, “मुझे खुशी है कि बाइडन प्रशासन विश्व स्वास्थ्य संगठन में फिर से शामिल होकर वैश्विक लड़ाई का नेतृत्व कर रहा है और चार जुलाई तक छह करोड़ एस्ट्राजेनेका टीके दूसरे देशों को देने की प्रतिबद्धता जताकर वैश्विक टीकाकरण प्रयासों का वित्तपोषण कर रहा है।”

मुर्रे ने कहा, “भारत का प्रकोप इस वैश्विक महामारी तथा भविष्य के प्रकोपों के प्रति उचित प्रतिक्रिया देने के लिए अमेरिका में मजबूत सार्वजनिक स्वास्थ्य ढांचे की जरूरत को रेखांकित करता है।”

अमेरिका भारत के प्रकोप से क्या सीख सकता है इसपर फाउची ने कहा, “सबसे महत्त्वपूर्ण चीज यह है कि स्थिति को कभी भी कम नहीं आंके।”

उन्होंने कहा, “दूसरी चीज जन स्वास्थ्य के संबंध में तैयारी है, तैयारी जो भविष्य की महामारियों के लिए हमें करनी है कि हमें स्थानीय जन स्वास्थ्य अवसंरचनाओं के निर्माण को जारी रखने की जरूरत है।”

फाउची ने कहा कि एक और सबक जो हमें सीखने की जरूरत है कि यह वैश्विक महामारी है जिसे वैश्विक प्रतिक्रिया की जरूरत है।

एकबार फिर से यरूशलम पर फलस्तीन और इजराइल दोनों द्वारा दावा जताने से शुरू हुई हिंसा;हमास पर इजराइली हमले में गाजा चरमपंथियों समेत 24 की मौत attacknews.in

गाजा सिटी (गाजा पट्टी), 11 मई (एपी) इजराइल ने मंगलवार सुबह गाजा की ओर हवाई हमले किए और एक इमारत को निशाना बनाया जिसमें हमास के चरमपंथी रहते थे।

इन हमलों में सीमा पर स्थित दो सुरंगों को भी निशाना बनाया गया, जिन्हें चरमपंथियों ने खोदा था। वहीं हमास तथा अन्य हथियारबंद समूहों ने भी इजराइल की ओर अनेक रॉकेट दागे।

गाजा के स्वास्थ्य अधिकारियों ने बताया कि सोमवार शाम सीमापार लड़ाई शुरू हो गई थी जिसमें नौ बच्चों समेत 24 फलस्तीनी मारे गए। ज्यादातर की मौत हवाई हमलों के कारण हुई।

इजराइल की सेना ने कहा कि मृतकों में से 15 चरमपंथी थे। गाजा के चरमपंथियों ने 200 से अधिक रॉकेट इजराइल की ओर दागे, जिनके कारण इजराइल के छह आम नागरिक घायल हो गए।

इससे पहले सोमवार को फलस्तीनी लोगों और इजराइल के सुरक्षा बलों के बीच कई घंटों तक संघर्ष हुए थे। बीते 24 घंटों में यरूशलम और वेस्ट बैंक क्षेत्र में इजराइल के सुरक्षा बलों के साथ संघर्ष में 700 से अधिक फलस्तीनी घायल हो गए। इनमें से 500 को अस्पतालों में भर्ती करवाना पड़ा।

हिंसा का कारण यरूशलम पर फलस्तीन और इजराइल दोनों द्वारा दावा जताना है।

इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने सोमवार को चेतावनी दी थी कि यह लड़ाई कुछ समय तक जारी रह सकती है।

इजराइल की सेना के प्रवक्ता लेफ्टिनेंट कर्नल जोनाथन कॉनरिकस ने मंगलवार को संवाददाताओं को बताया कि सेना गाजा में लक्ष्यों को निशाना बनाने के शुरुआती चरण में है। इन लक्ष्यों को निशाना बनाने की योजना बहुत पहले बना ली गई थी।

यह तनाव और संघर्ष ऐसे समय हो रहा है जब इजराइल में राजनीतिक अस्थिरता के हालात हैं। नेतन्याहू अभी कार्यवाहक प्रधानमंत्री हैं।

गाजा पट्टी पर काबिज उग्रवादी समूह हमास ने रॉकेट हमले सोमवार शाम से शुरू किए थे। मंगलवार सुबह तक हमास और अन्य उग्रवादी इजराइल की ओर 200 से अधिक रॉकेट दाग चुके थे।

कॉनरिकस ने बताया कि इजराइल की सेना ने गाजा में 130 लक्ष्यों को निशाना बनाया जिसमें एक ऊंची इमारत भी शामिल हैं जिनमें हमास के चरमपंथी रहते थे।

पाकिस्तान ने दिया जवाब:कोरोना वायरस के भारतीय स्वरूप का नहीं आया है कोई मामला;उन खबरों को खारिज किया कि वायरस का भारतीय स्वरूप देश से थाईलैंड पहुंचा attacknews.in

इस्लामाबाद, 11 मई । पाकिस्तान में कोरोना वायरस के भारतीय स्वरूप का अब तक कोई मामला नहीं आया है। देश में कोरोना वायरस कार्य बल के एक वरिष्ठ प्रभारी मंत्री ने यह बात कही।

योजना मंत्री और राष्ट्रीय स्तर पर कोविड-19 से निपटने के लिए बनायी गयी केंद्रीकृत संस्था नेशनल कमांड एंड ऑपरेशन सेंटर (एनसीओसी) के प्रमुख असद उमर ने उन खबरों को भी सोमवार को खारिज किया कि वायरस का भारतीय स्वरूप देश से थाईलैंड पहुंचा है।

खबरों के अनुसार थाईलैंड से स्वास्थ्य अधिकारियों ने सोमवार को कोरोना वायरस के भारतीय स्वरूप के पहले मामले की पुष्टि की। यह वायरस एक थाई महिला और उसके चार साल के बेटे में पाया गया है। दोनों पाकिस्तान से लौटने के बाद पृथक-वास में हैं।

कोरोना वायरस की नयी लहर से जूझने के बीच थाईलैंड में यह मामला सामने आया है।

इन खबरों पर प्रतिक्रिया करते हुए उमर ने कहा कि यह संभव नहीं है कि पाकिस्तान से गये दो थाई नागरिक कोरोना वायरस के भारतीय स्वरूप से संक्रमित हुए हों, क्योंकि देश में अब तक इस स्वरूप का कोई मामला नहीं आया है।

डॉन अखबार ने उमर के हवाले से कहा कि ब्रिटेन, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका के स्वरूप के कुछ मामले देश में सामने आये हैं, लेकिन भारतीय स्वरूप का एक भी मामला सामने नहीं आया है।

वायरस के भारतीय स्वरूप का सबसे पहले पता पिछले साल अक्टूबर में महाराष्ट्र में चला था। वायरस का यह स्वरूप कम से कम 21 देशों में देखा गया है। इसका आधिकारिक नाम बी.1.617 है।

उमर ने कहा, ‘‘यह हो सकता है कि महिला थाईलैंड या कहीं और उस वायरस से संक्रमित हुई हो। पाकिस्तान में कहीं भी वायरस के भारतीय स्वरूप का मामला सामने नहीं आया है।

थाईलैंड ने कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए थाई नागरिकों को छोड़कर भारत से आने वाले किसी भी व्यक्ति के देश आने पर एक मई से प्रतिबंध लगा दिया है।

थाईलैंड के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता तानी संग्रात ने बताया कि वायरस के भारतीय स्वरूप को देश में फैलने से रोकने के लिए सोमवार को इस सूची में विस्तार देते हुए इसमें पाकिस्तान, नेपाल और बांग्लादेश से आने वाले नागरिकों को भी शामिल किया है।

अधिकारियों ने बताया कि इस बीच पाकिस्तान में पिछले 24 घंटे में कोरोना वायरस के संक्रमण से 113 मरीजों के मरने के साथ मंगलवार को मृतक संख्या बढ़कर से 19,106 हो गयी है।

उन्होंने बताया कि संक्रमण के 3,684 नए मामले आने से संक्रमितों की कुल संख्या बढ़कर 864,557 हो गयी है।

नेपाल में नई सरकार गठन के प्रयास तेज,के पी ओली सरकार गिरने के बाद राष्ट्रपति विद्यादेवी भंडारी ने नई सरकार को बहुमत साबित करने के लिए विभिन्न दलों को तीन दिन का वक्त दिया attacknews.in

काठमांडू, 11 मई । प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली की सरकार के विश्वास मत हासिल नहीं कर पाने के बाद नेपाल की राष्ट्रपति विद्यादेवी भंडारी ने नई सरकार बनाने की खातिर बहुमत साबित करने के लिए विभिन्न दलों को बृहस्पतिवार तक का वक्त दिया है।

राष्ट्रपति कार्यालय की ओर से सोमवार को जारी एक वक्तव्य में कहा गया कि नेपाल के संविधान के अनुच्छेद 76 (2) के तहत राष्ट्रपति ने बहुमत की सरकार का गठन करने के लिए विभिन्न दलों को आमंत्रित करने का फैसला लिया है।

हिमालयन टाइम्स की खबर के मुताबिक, भंडारी ने सियासी दलों को तीन दिन का वक्त दिया है और कहा है कि वे बृहस्पतिवार की रात नौ बजे तक अपना दावा पेश करें।

उल्लेखनीय है कि राष्ट्रपति विद्यादेवी भंडारी के निर्देश पर संसद के निचले सदन प्रतिनिधि सभा के आहूत विशेष सत्र में प्रधानमंत्री ओली की ओर से पेश विश्वास प्रस्ताव के समर्थन में केवल 93 मत मिले थे जबकि 124 सदस्यों ने इसके खिलाफ मत दिया। विश्वास प्रस्ताव के दौरान कुल 232 सदस्यों ने मतदान किया जिनमें से 15 सदस्य तटस्थ रहे।

ओली को 275 सदस्यीय प्रतिनिधि सभा में विश्वासमत जीतने के लिए 136 मतों की जरूरत थी क्योंकि चार सदस्य इस समय निलंबित हैं।

नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी केंद्र) के पुष्पकमल दहल की अगुवाई वाले गुट ने 69 वर्षीय ओली के नेतृत्व वाली सरकार से कुछ ही दिन पहले समर्थन वापस लिया था।

कोविड-19 संकट :भारत में थाईलैंड, कतर जैसे देशों से चिकित्सा आपूर्ति पहुंचना जारी,पहुंच रहे हैं आक्सीजन सांद्रक, आक्सीजन सिलिंडर attacknews.in

नयी दिल्ली, 9 मई । भारत के अनेक हिस्सों के कोविड-19 की दूसरी लहर से गंभीर रूप से प्रभावित होने के बीच थाईलैंड, कतर जैसे देशों से चिकित्सा आपूर्ति सहायता के रूप में आक्सीजन सांद्रक, आक्सीजन सिलिंडर आदि पहुंचने का सिलसिला जारी है ।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने ट्वीट कर बताया, ‘‘ विस्तारित पड़ोस में हमारा मूल्यवान नौवहन सहोगी । आसियान में हमारे सहयोगी थाईलैंड से 200 आक्सीजन सिलिंडर और 10 आक्सीजन सांद्रक मिलने की सराहना करते हैं । ’’

उन्होंने बताया कि थाईलैंड में भारतीय समुदाय के लोगों के मूल्यवान योगदान के रूप में 100 अन्य आक्सीजन सिलिंडर तथा 60 आक्सीजन सांद्रक मिला ।

बागची ने थाईलैंड से आए खेप के चित्र के साथ ट्वीट करते हुए कहा कि थाईलैंड से आक्सीजन सिलिंडर और आक्सीजन सांद्रक मिलने पर वहां के नरेश महा वजीरालोंगकर्ण तथा महारानी सुथिदा का विशेष आभार ।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कतर से भारतीय समुदाय के लोगों द्वारा चिकित्सा सामग्रियां भेजने पर भी धन्यवाद दिया ।

उन्होंने बताया कि आईएनएस तरकश द्वारा 42 लीटर और 50 लीटर क्षमता का 232 आक्सीजन सिलिंडर कतर से रवाना हुआ ।

इससे एक दिन पहले डेनमार्क, नीदरलैंड, पोलैंड जैसे देशों से चिकित्सा सहायता के रूप में आक्सीजन सांद्रक, वेंटीलेटर तथा अन्य चिकित्सा आपूर्ति भारत पहुंची थी ।

गौरतलब है कि भारत में एक दिन में कोविड-19 से रिकॉर्ड 4,187 मरीजों की मौत होने के बाद मृतक संख्या 2,38,270 पर पहुंच गई है जबकि 4,01,078 नये मामले सामने आने के बाद संक्रमण के कुल मामले बढ़कर 2,18,92,676 हो गए हैं।

भारत एवं यूरोपीय संघ द्वारा संतुलित मुक्त व्यापार एवं निवेश समझौतों पर बातचीत फिर से बहाल करने का निर्णय तथा दोनों पक्षों ने डब्ल्यूटीओ से जुड़े मुद्दों।के लिये अलग अलग बातचीत शुरू करने की इच्छा जाहिर की attacknews.in

नयी दिल्ली 08 मई । विश्वभर में कोविड महामारी के कारण आर्थिक दबाव के बीच भारत एवं यूरोपीय संघ ने एक संतुलित मुक्त व्यापार एवं निवेश समझौतों पर बातचीत फिर से बहाल करने का निर्णय लिया तथा दोनों पक्षों ने विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) से जुड़े मुद्दों, विनियामक सहयोग, बाजार में पहुंच, आपूर्ति श्रृंखला बनाये रखने के लिये अलग अलग बातचीत शुरू करने एवं विविध क्षेत्रों में आर्थिक सहयोग को प्रगाढ़ बनाने की इच्छा का इजहार किया।

यूरोपीय संघ के अध्यक्ष चार्ल्स मिशेल के निमंत्रण पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज देर शाम भारत यूरोपीय संघ शिखर बैठक में भाग लिया जिसमें यूरोपीय संघ के सभी 27 सदस्य देशों के नेता शामिल हुए।

यूरोपीय आयोग और यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष भी उपस्थित थे।

बैठक के दौरान नेताओं ने भारत-ईयू रणनीतिक साझीदारी को लोकतंत्र, मौलिक स्वतंत्रता, नियमों एवं बहुपक्षवाद के प्रति समान प्रतिबद्धता के आधार पर और मजबूत करने की इच्छा व्यक्त की।

इन नेताओं ने तीन मुख्य क्षेत्रों पर वैचारिक आदान प्रदान किया।पहला विदेश नीति एवं सुरक्षा, दूसरा कोविड-19, जलवायु एवं पर्यावरण तथा तीसरा व्यापार, कनेक्टिविटी एवं प्रौद्योगिकी।

उन्होंने कोविड महामारी से निपटने, अर्थव्यवस्था को उबारने, जलवायु परिवर्तन के खतरे से निपटने तथा बहुपक्षीय संस्थानों में सुधार के लिए घनिष्ठ सहयोग स्थापित करने पर बल दिया।

भारत ने कोविड की दूसरी लहर में यूरोपीय संघ के सदस्यों द्वारा त्वरित सहायता देने की सराहना की।

नेताओं ने एक समग्र मुक्त व्यापार एवं निवेश समझौतों के लिए बातचीत फिर से शुरू करने के निर्णय का स्वागत किया।

व्यापार तथा निवेश के समझौतों पर अलग अलग बात चलेगी ताकि दोनों पर जल्द ही अंतिम फैसला हो सके।

इससे दोनों पक्षों के बीच आर्थिक साझीदारी की पूर्ण क्षमता को दोहन हो सकेगा।

भारत एवं ईयू ने विश्व व्यापार संगठन के मुद्दों, नियामक प्रणालियों में सहयोग, बाजार में पहुंच संबंधी मुद्दों, आपूर्ति श्रृंखला के टिकाऊ होने तथा आर्थिक साझीदारी को अधिक गहन बनाने की इच्छा की घोषणा की।

भारत एवं ईयू ने एक महत्वाकांक्षी एवं समग्र कनेक्टिविटी साझीदारी की भी घोषणा की जिसके तहत डिजीटल, ऊर्जा, परिवहन एवं लोगों के बीच संपर्क को बढ़ाने पर ध्यान दिया जाएगा।

इस साझीदारी से कनेक्टिविटी परियोजनाओं के निजी एवं सरकारी क्षेत्र से वित्त पोषण काे बल मिलेगा।

इससे हिन्द प्रशांत क्षेत्र में अन्य देशों में कनेक्टिविटी की पहल को समर्थन देने के बारे में दोनों पक्षों के बीच सामंजस्य बनेगा।

भारत एवं ईयू ने डिजीटल एवं नयी प्रौद्योगिकी जैसे 5जी, क्वांटम एवं हाई परफॉर्मेंस कंप्यूटिंग पर द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ाने पर सहमति जतायी।

दोनों पक्षों ने आर्टिफीशियल इंटेलीजेंस एवं डिजीटल निवेश फोरम पर संयुक्त कार्यबल को तुरंत परिचालनात्मक करने पर बल दिया।

दोनाें पक्षों ने आतंकवाद से मुकाबले, साइबर सुरक्षा एवं समुद्री सुरक्षा जैसे क्षेत्रीय एवं वैश्विक मुद्दों पर भी बात हुई तथा उन्होंने माना कि हिन्द प्रशांत क्षेत्र में नियम आधारित एवं समावेशी व्यवस्था हो।

पाकिस्तान में हिंदू महिला सना रामचंद ने प्रतिष्ठित सेंट्रल सुपीरियर सर्विसेज परीक्षा पास की;पहली बार हिंदू महिला देश की प्रतिष्ठित सीएसएस परीक्षा पास करके विशिष्ट पाकिस्तान प्रशासनिक सेवा के लिये चयनित हुई attacknews.in

इस्लामाबाद, आठ मई । पाकिस्तान में पहली बार एक हिंदू महिला ने देश की प्रतिष्ठित सेंट्रल सुपीरियर सर्विसेज (सीएसएस) परीक्षा पास की है और विशिष्ट पाकिस्तान प्रशासनिक सेवा (पीएएस) के लिये चयनित हुई है।

पाकिस्तान के सर्वाधिक हिंदू आबादी वाले सिंध प्रांत के शिकारपुर जिले के ग्रामीण इलाके की रहने वालीं सना रामचंद एमबीबीएस डॉक्टर हैं।

वह सीएसएस की परीक्षा पास करने वाले 221 अभ्यर्थियों में शामिल हैं। 18,553 परीक्षार्थियों ने यह लिखित परीक्षा दी थी। विस्तृत चिकित्सा, मनोवैज्ञानिक और मौखिक परीक्षा के बाद अंतिम चयन किया गया।

मेधा सूची निर्धारित होने के बाद अंतिम चरण में समूह आवंटित किये गए।

परिणाम घोषित होने के बाद रामचंद ने ट्वीट किया, ‘वाहे गुरू जी का खालसा वाहे गुरू जी की फतेह’।

इसके साथ ही उन्होंने लिखा, ‘मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है अल्लाह के फजल से मैंने सीएसएस 2020 की परीक्षा पास कर ली है और पीएएस के लिए मेरा चयन हो गया है। इसका पूरा श्रेय मेरे माता-पिता को जाता है।’

हालिया सीएसएस परीक्षा में पास प्रतिशत दो से भी कम है जो कड़ी प्रतिस्पर्धा और के साथ ही इन परीक्षा का संचालन करने वाले संघीय लोक सेवा आयोग द्वारा लागू किये गए कड़े मानकों को भी दर्शाता है।

पीएएस शीर्ष श्रेणी है जिसके बाद अक्सर पाकिस्तान पुलिस सेवा और पाकिस्तान विदेश सेवा तथा अन्य आते हैं। पीएएस श्रेणी हासिल करने वालों को सहायक आयुक्त के तौर पर नियुक्त किया जाता है और बाद में प्रोन्नत होकर वे जिला आयुक्त बनते हैं जो जिलों का नियंत्रण करने वाला शक्तिशाली प्रशासक होता है।

बीबीसी उर्दू की खबर के अनुसार रामचंद पहली हिंदू महिला हैं, जिनका सीएसएस परीक्षा के बाद पीएएस के लिए चयन हुआ है।

अंतिम सूची में 79 महिलाएं शामिल हैं और उन्हें पीएएस समेत विभिन्न समूह आवंटित हुए हैं। परीक्षा में शीर्ष स्थान पाने वाली भी एक महिला, माहीन हसन, हैं जिन्हें पीएएस आवंटित किया गया है।

रामचंद ने सिंध प्रांत के चंदका मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस किया और सिविल अस्पताल कराची में हाउस जॉब पूरी की। फिलहाल वह सिंध इंस्टिट्यूट ऑफ यूरोलॉजी एंड ट्रांसपेरेंट से एफसीपीएस की पढ़ाई कर रही हैं और जल्द ही एक योग्य सर्जन बन जाएंगी।

कुछ राजनेताओं समेत सोशल मीडिया पर रामचंद को बहुत से लोगों ने इस उपलब्धि के लिये बधाई दी।

पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के वरिष्ठ नेता फरहतुल्लाह बाबर ने कहा, “बधाई डॉ. सना रामचंद। उन्होंने पाकिस्तान के हिंदू समुदाय को गौरवान्वित किया, पूरे देश को किया।”

अमेरिकी कंपनियां भारत को कोविड19 महामारी के प्रकोप का सामाना करने मे अधिकाधिक सहायता सामग्री भेजने में जुटी attacknews.in

वाशिंगटन, आठ मई ।अमेरिकी कंपनी जगत भारत को कोविड19 महामारी के प्रकोप का सामाना करने में मदद के लिए सहायता सामग्री बढ़ाने में लगा है।

कंपनियां यहां से वेंटिलेटर और अक्सीजन कंसेंटेटर आदि भोजने में जुटी हैं ताकि वहां तेजी से बढ़ रहे कोरोना संक्रमित गंभीर मरीजों की प्राण रक्षा में मदद हो सके। भारत में इस समय हर दिन चार लाख से अधिक लोग कोरोना वायरस से संक्रमित पाये जा रहे है। अस्पताल खाट और आक्सीजन सहायाता की कमी से जूझ रहे हैं।

थर्मो फिशर ने शनिवार को यूनाइटेड एयरलाइन की मदद से भारत के लिए आवश्यक सहायता सामग्री की एक खेप रवाना की। कंपनी ने कहा कि, ‘ हम विनम्रता के साथ कोविड19 का सामाना करने के भारत के अपने साथियों वहां के लोगों की यह सहायता करना चाहते हैं।’ कंपनी की ओर से भेजी गयी सामग्री में 46 लाख वायरल ट्रांसपोर्ट मीडियम ट्यूब भी हैं जो वयरल के नमूनों को सूखने से और सूक्षम जीवाणुओं के प्रदूषण से बचाती हैं।

भारत-अमेरिका रणनीतिक भागीदारी एवं मंच के अध्यक्ष मुकेश अघी ने इस मदद के लिए कंपनी के प्रति आभार जताया।

अमेरिकन एयरलाइन्स ने कहा कि वह रेडक्रास के साथ मिल कर पूरी दुनिया में कोविड19 से बचाव में लोगों की मदद कर रही है।

कंपनी एमवे ने अमेरिकी वाणिज्य मंडल के नेतृत्व में काम कर रहे एक न्यास को 5 लाख डालर का चंदा दिया है। इससे भारत को 1000 वेंटिलेटर और 25,0000 आक्सीजन कंसंट्रेटर मशीनें भेजी जाएंगी। कंपनी के मुख्य अधिशासी मिलिंद पंत ने कहा, ‘एमवे के वैश्वि परिवार का मन-मस्तिष्क इस समय भारत पर लगा है।’

डेविड एंड कैरॉल फेमिली फाउंडेशन ने भी ढाई लाख डालर की सहायता की घोषणा की है।

अमेरिका इंडिया फाउंडेशन ने कहा है कि उसे भारत में कोविड19 चिकित्सा सुविधाओं में सहायता के लिए चुब चैरिटेबल फाउंडेशन से 5 लाख रुपये की मदद मिली है। इससे अस्पतालों को 100 सुविधाओं से सुसज्जित पोर्टेबल खाट उपलब्ध कराए जाएंगे।

भारत में कोविड19 की दूसरी लहर में नित नए मरीजों की संख्या में वृद्धि को देखते हुए अमेरिका की सरकार, कंपनियां और यहां के लोग भारत के लिए राहत सामग्री भेजने में बराबर जुटे हैं।

अमेरिका की 45 से अधिक बड़ी कंपनियां और उनके मुख्य अधिशासी अधिकारी अमेरकी इस उद्येश्य से गठित एक कार्यबल में शामिल हैं। इसका गठन अमेरिकी वाणिज्य उद्योगमंडल और बिजनस राउंडटेबल नाम के कंपनी संघों ने अमेरिका-भारत व्यावसायिक परिषद और अमेरिका-भारत रणनीतिक एवं भागीदारी मंच ने किया है।

इस कार्यबल ने अब तक भारत को 25,000 आक्सीजन कंसंट्रेटर और 1000 वेटिलेटर भेजने की घोषणा की है। गूगल, डेलाइट , माइक्रोसाफ्ट, वालमार्ट , बोइंग और मास्टरकार्ड जैसे बड़े अमेरिकी व्यावसायिक प्रतिष्ठान भारत को कोविड सहायता भेजने में हाथ बंटा रहे हैं।

अमेरिका की सरकारी एजेंसी यूएसयेड अब तक भारत को छह विमानों में स्वास्थ्य सेवाओं में काम आने वाली सामग्री भेज चुकी है।

जो बाइडन सरकार ने अभी भारत को 10 करोड़ डालर की सहायता देने की घोषणा की है और उम्मीद है कि समीक्षा के बाद राष्ट्रपति इस राशि को और बढ़ा सकते हैं।

इस समय भारतीय मूल के अमरीकी भी भारत को सहायता भेजने में बढ़ चढ़ कर आगे आ रहे हैं।

दक्षिण अफ्रीका में 2020 में कोविड19 संकट के बावजूद वाहनों का सर्वाधिक आयात भारत से हुआ attacknews.in

जोहानीसबर्ग , आठ मई । दक्षिण अफ्रीका में 2020 में कोविड19 संकट के बावजूद सबसे अधिक वाहन आयात भारत से किया गया। यह जानकारी वाहन बाजार के बारे में एक ताजा रपट में सामने आयी है।

दक्षिण अफ्रीका के वाहन बाजार के एक मंच आटोमोटिव इंडस्ट्री एक्सपोर्ट काउंसिल की ताजा आटोमोटिव एक्सपोर्ट मैन्यूअल रपट में यह जानकारी दी गयी है। इसमें कहा गया है कि दुनिया के कई प्रतिष्ठित वाहन निर्माताओं ने भारत को प्रवेश श्रेणी और छोटे वाहनों के विनिर्माण के एक प्रमुख केंद्र के रूप में स्थापित कर दिया है।

भारत से दक्षिण अफ्रीका में मंगाए गए अधिकतर वाहन इसी श्रेणी के रहे। इस वर्ग में फाक्सवैगन की छोटी कार पोलो ही है जो 2020 में दक्षिण अफ्रीका में भी बनायी जा रही थी।

रपट के अनुसार भारत से दक्षिण अफ्रीका में 2020 के दौरान 87,953 वाहन मंगाए गए जो देश में आयातित कुल यात्री कारों और हल्के वाणिज्यक वाहनों का 43.2 प्रतिशत था।

पर देश में इस दौरान इस वर्ग में सबसे अधिक बिकने वाले 10 ब्रांडों में 9 स्थानीय रूप से विनिर्मित ब्रांडों के वाहन थे। यहां के लोग पिकअप को चलाना ज्यादा पसंद करते हैं। इसमें वाणिज्यिक और दूर सैर-सपाटे के लिए उपायोगी वाहन -दोनों प्रकार के वाहनों की सुविधा होती है।

महिंद्रा (साउथ अफ्रीका) के मुख्य अधिशासी राजेश गुप्ता ने कहा यह अच्छी खबर है। उन्होंने कहा , ‘ भारत और दक्षिण अफ्रीका के संबंध प्रगाढ़ रह हैं और बढ़ रहे हैं। न केवल दोनों देशों का आपसी व्यापार बढ़ रहा बल्कि दक्षिण अफ्रीका इस महाद्वीप के अन्य बाजारों भारतीय माल के लिए प्रवेशद्वार का काम कर रहा है।

महिंद्रा के पिक-अप वाहनों की गिनती यहां के स्थानीय बाजार में तीन साल से सबसे तेजी से बिकने वाले वाहनों में है।

भारत और ब्रिटेन के शिखर सम्मेलन में अगले 10 साल  2030 तक दोनों के बीच सहयोग के लिए एक महत्वाकांक्षी रोडमैप को मंजूरी;कोविशील्ड वैक्सीन  ब्रिटेन में विकसित हुई ,भारत में निर्माण के बाद विश्वभर में वितरण किया गया attacknews.in

भारत-ब्रिटेन आभासी (वर्चुअल) शिखर सम्मेलन एसटीआई सहयोग को मजबूती प्रदान करता है

नईदिल्ली 8 मई ।भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और ब्रिटेन (यूके) के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने ब्रिटेन और भारत के बीच एक नई और परिवर्तनकारी व्यापक रणनीतिक साझेदारी के लिए एक साझा दृष्टि पर सहमति व्यक्त की हैI साथ ही अगले 10 साल अर्थात 2030 तक सहयोग के लिए एक महत्वाकांक्षी भारत-ब्रिटेन (यूके) रोडमैप को अपनाया गया है।

भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और ब्रिटेन (यूके) के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन की 04 मई 2021 को आभासी (वर्चुअल) बैठक हुई थी

दोनों नेताओं ने 4 मई 2021 को आभासी (वर्चुअल) मुलाकात की और विज्ञान, शिक्षा, अनुसंधान और नवाचार में और अधिक साझेदारी के लिए अपनी साझा प्रतिबद्धता पर जोर दिया और आगामी मंत्रिस्तरीय विज्ञान और नवाचार परिषद (एसआईसी) के लिए आशा व्यक्त कीI

उन्होंने दूरसंचार / आईसीटी पर नए ब्रिटेन (यूके)-भारत समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए जाने और डिजिटल और प्रौद्योगिकी पर इरादे की संयुक्त घोषणा, तकनीक पर नए उच्च-स्तरीय संवाद की शुरुआत, कोविड-19 में नए संयुक्त त्वरित अनुसन्धान (रैपिड रिसर्च) निवेश की स्थापना, जूनोटिक रिसर्च को आगे बढाने के लिए एक नई साझेदारी, मौसम और जलवायु विज्ञान की अग्रिम समझ के लिए नए निवेश और ब्रिटेन (यूके) –भारत शिक्षा एवं अनुसन्धान नवाचार (यूके-इण्डिया एजुकेशन एंड रिसर्च इनिशिएटिव- यूकेआईईआरआई) को आगे भी जारी रखने के लिए एक नई साझेदारी का स्वागत किया।

उन्होंने मौजूदा ब्रिटेन (यूके)-भारत वैक्सीन (टीके) की साझेदारी को बढ़ाने और उसका कार्यक्षेत्र विस्तृत करने पर सहमति व्यक्त की जो ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय, एस्ट्राज़ेनेका और सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के बीच एक प्रभावी कोविड-19 वैक्सीन के लिए उस  सफल सहयोग को सामने लाती है जिसके द्वारा इस वैक्सीन को ब्रिटेन में विकसित करके उसका भारत में निर्माण (मेड इन इण्डिया) करने के बाद विश्वभर में वितरण किया गया हैI उन्होंने जोर देकर कहा  कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को इससे सबक लेना चाहिएI

दोनों नेताओं ने वैश्विक महामारियों से लड़ने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) और वैश्विक स्वास्थ्य सुरक्षा तन्त्र को सुधारने और सुदृढ़ बनाने के लिए मिलकर काम करने पर  भी सहमति जताई।

दोनों देशों के बीच एसटीआई सहयोग को और सुदृढ़ करने के कुछ प्रमुख बिंदु इस प्रकार हैं :

  1. भारत और यूके के बीच स्कूलों, विश्वविद्यालयों और अनुसंधान संस्थानों में एसटीईएमएम में महिलाओं की भूमिका को मजबूत करने के लिए सहयोग को बढ़ाना और संस्थागत सुधार के लिए लैंगिक पहल जैसी नवाचार (जीएटीआई) परियोजनाओं में एसटीईएम विषयों में महिलाओं की समान भागीदारी के लिए एक सक्षम वातावरण तैयार  करनाI

  2. भारत नवाचार प्रतियोगिता संवर्धन कार्यक्रम (आईआईसीईपी) जैसी पहलों के माध्यम से शिक्षक प्रशिक्षण, सलाह और वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने पर ध्यान केंद्रित करके स्कूल के छात्रों के बीच नवाचार को बढ़ावा देने के लिए उद्योग, शिक्षा और सरकार के बीच सहयोग का विकास करना।

  3. संयुक्त प्रक्रियाओं के माध्यम से उच्च गुणवत्ता, उच्च प्रभाव वाले अनुसंधान और नवाचार का समर्थन जारी रखने के लिए दोनों देशों के मौजूदा द्विपक्षीय अनुसंधान, विज्ञान और नवाचार के बुनियादी ढांचे और सरकारों के बीच आपसी सम्बन्धों का की स्थापना होI विश्व कल्याण के लिए साझा प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में आपसी पसंद और शक्ति के साझेदार के रूप में ब्रिटेन (यूके) और भारत को स्थापित करेंI स्वास्थ्य, चक्रीय अर्थव्यवस्था, जलवायु, स्वच्छ ऊर्जा, शहरी विकास और इंजीनियरिंग स्वस्थ वातावरण, अपशिष्ट-से-धन, विनिर्माण, साइबर भौतिक प्रणाली, अंतरिक्ष और संबंधित अनुसंधान शामिल हैं I

  4. बुनियादी अनुसंधान से लेकर अनुप्रयुक्त और अंतःविषय अनुसंधान के लिए और सरकारी विभागों में अनुकूलन  और व्यावसायीकरण के माध्यम  से प्रभाव को सर्वश्रेष्ठ बनाने, विशेषज्ञता और नेटवर्क का उपयोग करने और दोहराव को कम करने के लिए अनुसंधान और नवोन्मेषी गतिविधि की प्रक्रिया  में समग्र भागीदारी हो I

  5. प्रतिभा, उत्कृष्ट शोधकर्ताओं और प्रारंभिक कैरियर इनोवेटरों की एक संयुक्त व्यवस्था को प्रोत्साहित करने और संयुक्त केंद्रों की स्थापना करके छात्र और शोधकर्ताओं के आदान-प्रदान के नए अवसरों का पता लगाने के लिए शिक्षा, अनुसंधान और नवाचार पर मौजूदा, लंबे समय से चली आ रही द्विपक्षीय साझेदारी का लाभ उठाना और निर्माण करना और अत्याधुनिक सुविधाओं तक पहुंच को सुगम बनाना।

  6. कृत्रिम बुद्धिमत्ता नैतिकता सहित नियामक पहलुओं के बारे में ज्ञान और विशेषज्ञता को साझा करने की नीतियों के लिए वैज्ञानिक समर्थन पर एक साथ काम करें और अनुसंधान और नवाचार में संवाद को बढ़ावा दें। टेक समिट्स के माध्यम से आंकड़ों के समन्वयन की सोच (डेटा’ क्रॉस-कटिंग थीम) के तहत भविष्य के तकनीक के मानदंडों और शासन की चुनौतियों पर एक साथ काम करने के लिए टेक इनोवेटर्स, वैज्ञानिकों, उद्यमियों और नीति निर्माताओं को एक मंच पर  लाएं।

  7. नवाचारों का नेतृत्व करने, टिकाऊ विकास और रोजगार, और तकनीकी समाधान जो दोनों देशों को लाभान्वित करते हैं, के लिए के लिए फास्ट ट्रैक स्टार्ट-अप फंड जैसे कार्यक्रमों को आगे बढ़ाएं। प्रौद्योगिकी-सक्षम नवीन व्यवसायों की वृद्धि को सक्षम करने और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर स्टार्ट-अप और एमएसएमई की संख्या बढ़ाने और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जलवायु और पर्यावरण, चिकित्सा तकनीक उपकरणों, औद्योगिक जैव=प्रौद्योगिकी और कृषि के संबंध में साझेदारी बढ़ाने और 2030 तक वैश्विक लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करने वाले दीर्घकालिक स्थायी विकास के लिए साझेदारियों की सम्भावनाओं का पता लगाएं।