भारत ने कोविड-19 जैसी वैश्विक आपदाओं से दुनिया को बचाने वसुधैव कुटुम्बकम् के मंत्र के आधार पर कदम उठाने एवं अनेक दमनात्मक खतरों से मानवीय मूल्यों की रक्षा का आह्वान किया attacknews.in

नयी दिल्ली 13 जून । भारत ने कोविड-19 महामारी जैसी वैश्विक आपदाओं से दुनिया को बचाने के लिए वसुधैव कुटुम्बकम् के मंत्र के आधार पर एकजुट एवं सामूहिक रूप से कदम उठाने तथा अधिनायकवाद, आतंकवाद, हिंसक उग्रवाद, दुष्प्रचार एवं मिथ्या सूचनाओं तथा आर्थिक दमन के खतरों से मानवीय मूल्यों की रक्षा का आज आह्वान किया।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ब्रिटेन के कॉर्नवैल में आयोजित दो दिवसीय 47 वें जी-7 शिखर सम्मेलन में वीडिया लिंक के माध्यम से भाग लिया।

हाइब्रिड मॉड में आयोजित इस सम्मेलन की अध्यक्षता ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने की। सम्मेलन में अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन, फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल मैक्रों, जर्मनी की चांसलर एंगेला मर्केल, ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरीसन, दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सीरिल रामाफोसा और दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति मून जे इन शामिल हुए।

श्री जॉनसन ने टेलीफोन करके श्री मोदी से ब्रिटेन आने एवं सम्मेलन में भाग लेने की आग्रह किया था लेकिन प्रधानमंत्री ने देश में कोविड-19 महामारी की गंभीर स्थिति को देखते हुए व्यक्तिगत रूप से आने में असमर्थता व्यक्त की थी।

सम्मेलन में दूसरे दिन रविवार को खुले समाज एवं मुक्त अर्थव्यवस्था शीर्षक वाले सत्र में प्रधानमंत्री श्री मोदी प्रमुख वक्ता थे।

उन्होंने लोकतंत्र तथा विचार की स्वतंत्रता को लेकर भारत की सभ्यतागत प्रतिबद्धता को रेखांकित करते हुए कहा कि विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र होने के नाते भारत जी-7 एवं मेहमान देशों का स्वाभाविक साझीदार है जो अधिनायकवाद, आतंकवाद, हिंसक उग्रवाद, दुष्प्रचार एवं मिथ्या सूचनाओं तथा आर्थिक दमन के खतरों से अपने समान मूल्यों की रक्षा करने के लिए कृतसंकल्प है।

श्री मोदी ने भारत में सामाजिक समावेशन एवं सशक्तीकरण के लिए डिजीटल प्रौद्योगिकी के क्रांतिकारी प्रभाव जैसे आधार, प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण आदि के बारे में जानकारी दी और यह भी कहा कि खुले समाज में कुछ खतरे भी आसन्न हैं।

उन्होंने प्रौद्योगिकी संबंधी कंपनियों एवं सोशल मीडिया मंचों का आह्वान किया कि वे अपने उपभोक्ताओं को एक सुरक्षित साइबर वातावरण सुनिश्चित करें। प्रधानमंत्री के विचारों की अन्य नेताओं ने भूरि भूरि प्रशंसा की।

जलवायु परिवर्तन पर आयोजित सत्र में श्री मोदी ने सामूहिक कार्रवाई का आह्वान करते हुए कहा कि इस चुनौती से अलग अलग प्रयासों से नहीं निपटा जा सकता है। उन्होंने जलवायु परिवर्तन पर भारत की उपलब्धियों की चर्चा की और कहा कि जी-20 देशों में भारत एकमात्र देश है जो तापमान में दो डिग्री की कमी लाने संबंधी पेरिस सम्मेलन के लक्ष्यों को हासिल करने की दिशा में अग्रसर है।

उन्होंने जी-7 देशों के जलवायु कार्रवाई के महत्वाकांक्षी लक्ष्याें एवं नेट जीरो लक्ष्यों की घोषणा की सराहना की और कहा कि इस कार्रवाई में प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, वित्तपोषण एवं साझीदारी तथा जलवायु न्याय एवं जीवनशैली में बदलाव आदि सभी आयामों को जोड़ना होगा ताकि विकासशील देशों को प्रगति का मौका मिले।

उन्होंने जी-7 को जलवायु वित्तपोषण के लिए सौ अरब डॉलर प्रतिवर्ष देने के पुराने वादे को पूरा करने को भी कहा। श्री मोदी ने अंतरराष्ट्रीय सौर गठजोड़ तथा आपदा प्रतिरोधक अवसंरचना गठबंधन जैसे वैश्विक पहलों में भारत के नेतृत्व को भी रेखांकित किया।

सम्मेलन में पहले दिन शनिवार की शाम को श्री मोदी ने पहले सत्र में भाग लिया था जिसका शीर्षक “बिल्डिंग बैक स्ट्रॉन्गर -हैल्थ” था जो कोविड महामारी से वैश्विक अर्थव्यवस्था को उबारने तथा भविष्य में होने वाली महामारियों के विरुद्ध प्रतिरोधक क्षमता सशक्त करने पर केन्द्रित था।

इस सत्र में प्रधानमंत्री ने ‘एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य’ का नारा दिया जिसका जर्मनी की चांसलर एंगेला मर्केल ने समर्थन किया। श्री मोदी ने कोविड-19 जैसी महामारियों की भविष्य में रोकथाम के लिए लोकतांत्रिक एवं पारदर्शी समाजों को विशेष रूप से जिम्मेदार बताते हुए वैश्विक नेतृत्व एवं एकजुटता कायम करने का आह्वान किया।

प्रधानमंत्री ने महामारी से मुकाबले में भारत के पूरे समाज की भागीदारी तथा हर स्तर पर सरकार, उद्योग एवं नागरिक समाज के बीच गहन समन्वय के व्यवहार को रेखांकित किया।

उन्होंने संक्रमित लोगों के संपर्क में आने वालों की पहचान एवं टीकाकरण प्रबंधन के लिए डिजीटल माध्यम के उपयोेग की सफलता की जानकारी दी और कहा कि भारत इस बारे में अपने अनुभव एवं विशेषज्ञता को साझा करने का इच्छुक है।

प्रधानमंत्री ने वैश्विक स्वास्थ्य प्रशासन को सुदृढ़ करने के सामूहिक प्रयास का समर्थन करने के भारत की प्रतिबद्धता व्यक्त की तथा टीका के विनिर्माण के लिए बौद्धिक संपदा अधिकारों के व्यापारिक पहलुओं (ट्रिप्स) पर समझौते में रियायत देने के लिए विश्व व्यापार संगठन में भारत एवं दक्षिण अफ्रीका द्वारा पेश प्रस्ताव को जी-7 का समर्थन मांगा। ऑस्ट्रेलिया एवं अन्य देशों ने भी इसका मजबूती से समर्थन किया।

भारत ने इस बात पर भी जोर दिया कि टीका बनाने के लिए कच्चे माल की आपूर्ति श्रृंखला खुली रखी जाये जिससे भारत जैसे देशों में टीका उत्पादन बढ़ाया जा सके। इस बात काे भी व्यापक समर्थन मिला।

विदेश मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव (आर्थिक संबंध) पी हरीश ने जी-7 शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री श्री मोदी की भागीदारी एवं सम्मेलन के परिणामों की चर्चा करते हुए बताया कि भारत की भागीदारी से जी-7 के सदस्य देशों एवं मेहमान देशों के साथ हमारे संबंधों में गहनता आयी है एवं विस्तार हुआ है। इससे यह भी परिलक्षित हुआ है कि जी-7 में इस बात की समझ बनी है कि संसार की हमारे समय की सबसे बड़ी आपदा का समाधान भारत की भागीदारी एवं समर्थन के बिना संभव नहीं है।

श्री हरीश ने कहा कि वैश्विक नेताओं ने एक स्वतंत्र, मुक्त, समावेशी एवं नियम आधारित हिन्द प्रशांत क्षेत्र के प्रतिबद्धता व्यक्त की तथा इसके लिए क्षेत्रीय साझीदारों के साथ सहयोग का संकल्प दोहराया। उन्होंने खुले समाज के वक्तव्य में बहुपक्षीय प्रणाली में सुधार करके उसे खुलेपन, लोकतांत्रिक, पारदर्शी एवं समावेशी के सिद्धांत पर आधारित बनाने की बात कही।

उन्होंने कहा कि हम सभी प्रमुख वैश्विक मुद्दों जैसे स्वास्थ्य प्रशासन, टीके की सुलभता, जलवायु परिवर्तन पर कार्रवाई, आपूर्ति श्रृंखला में विविधता तथा आर्थिक प्रतिरोध क्षमता जैसे मुद्दों पर जी-7 एवं मेहमान साझीदारों के निकट संपर्क में रहेंगे।

नरेन्द्र मोदी ने दिया जी-7 शिखर सम्मेलन को ‘वन अर्थ-वन हेल्थ’ का मंत्र;कोविड संबंधी प्रौद्योगिकियों पर पेटेंट छूट के लिए डब्ल्यूटीओ में दिए गए प्रस्ताव के लिए समर्थन का भी आह्वान किया attacknews.in

नईदिल्ली 12 जून ।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को जी-7 शिखर सम्मेलन के एक सत्र को डिजिटल तरीके से संबोधित करते हुए कोरोना वायरस महामारी से प्रभावी तौर पर निपटने के लिए ‘एक धरती, एक स्वास्थ्य’ (वन अर्थ-वन हेल्थ) दृष्टिकोण को अपनाने का आह्वान किया।

भविष्य की महामारी को रोकने के लिए वैश्विक एकजुटता, नेतृत्व और तालमेल का आह्वान करते हुए मोदी ने चुनौती से निपटने के लिए लोकतांत्रिक और पारदर्शी समाजों की विशेष जिम्मेदारी पर जोर दिया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोविड संबंधी प्रौद्योगिकियों पर पेटेंट छूट के लिए भारत, दक्षिण अफ्रीका द्वारा डब्ल्यूटीओ में दिए गए प्रस्ताव के लिए जी-7 के समर्थन का भी आह्वान किया।

एक आधिकारिक बयान में कहा गया, ‘प्रधानमंत्री ने वैश्विक स्वास्थ्य शासन में सुधार को लेकर सामूहिक प्रयासों के लिए भारत के सहयोग की प्रतिबद्धता जतायी। उन्होंने कोविड संबंधी प्रौद्योगिकियों पर ट्रिप्स के लिए भारत और दक्षिण अफ्रीका द्वारा डब्ल्यूटीओ में दिए गए प्रस्ताव पर जी-7 के समर्थन का भी आह्वान किया।’

जी-7 से ट्रिप्स समझौते में छूट दिये जाने का आह्वान

भारत ने विश्व की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं वाले सात देशों के समूह जी-7 की बैठक में कोविड-19 महामारी के टीके के विनिर्माण के लिए ट्रिप्स समझौते रियायत दिये जाने तथा टीका बनाने के लिए आवश्यक कच्चे माल की आपूर्ति श्रृंखला को खुला रखने का आह्वान किया जिसे व्यापक समर्थन मिला।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को ब्रिटेन में आयोजित जी-7 शिखर सम्मेलन के पहले सा में वीडियो लिंक के माध्यम से भाग लिया जिसका शीषर्क ‘‘बिल्डिंग बैक स्ट्रॉन्गर -हैल्थ’’ था जो कोविड महामारी से वैश्विक अर्थव्यवस्था को उबारने तथा भविष्य में होने वाली महामारियों के विरुद्ध प्रतिरोधक क्षमता सशक्त करने पर केन्द्रित था।

श्री मोदी ने कोविड-19 जैसी महामारियों की भविष्य में रोकथाम के लिए लोकतांत्रिक एवं पारदर्शी समाजों को विशेष रूप से जिम्मेदार बताते हुए वैश्विक नेतृत्व एवं एकजुटता कायम करने का आह्वान किया।

सूत्रों ने बताया कि प्रधानमंत्री ने महामारी से मुकाबले में भारत के पूरे समाज की भागीदारी तथा हर स्तर पर सरकार, उद्योग एवं नागरिक समाज के बीच गहन समन्वय के व्यवहार को रेखांकित किया। उन्होंने संक्रमित लोगों के संपर्क में आने वालों की पहचान एवं टीकाकरण प्रबंधन के लिए डिजीटल माध्यम के उपयोग की सफलता की जानकारी दी और कहा कि भारत इस बारे में अपने अनुभव एवं विशेषज्ञता को साझा करने का इच्छुक है।

सूत्रों के अनुसार प्रधानमंत्री ने वैश्विक स्वास्थ्य प्रशासन को सुदृढ़ करने के सामूहिक प्रयास का समर्थन करने के भारत की प्रतिबद्धता व्यक्त की तथा टीका के विनिर्माण के लिए बौद्धिक संपदा अधिकारों के व्यापारिक पहलुओं (ट्रिप्स) पर समझौते में रियायत देने के लिए विश्व व्यापार संगठन में भारत एवं दक्षिण अफ्रीका द्वारा पेश प्रस्ताव को जी-7 का समर्थन मांगा। ऑस्ट्रेलिया एवं अन्य देशों ने भी इसका मजबूती से समर्थन किया। भारत ने इस बात पर भी जोर दिया कि टीका बनाने के लिए कच्चे माल की आपूर्ति श्रृंखला खुली रखी जाये जिससे भारत जैसे देशों में टीका उत्पादन बढ़ाया जा सके। इस बात को भी व्यापक समर्थन मिला।

श्री मोदी रविवार को दो सत्रों में भाग लेंगे। शिखर सम्मेलन का आयोजन हाइब्रिड मॉड में किया जा रहा है। सम्मेलन की अध्यक्षता ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन कर रहे हैं।

अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन, फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल मैक्रों, जर्मनी की चांसलर एंगेला मर्केल आदि प्रत्यक्ष रूप में शामिल हुए हैं।

मोदी का जी-7 से ट्रिप्स समझौते में छूट दिये जाने का आह्वान

भारत ने विश्व की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं वाले सात देशों के समूह जी-7 की बैठक में कोविड-19 महामारी के टीके के विनिर्माण के लिए ट्रिप्स समझौते रियायत दिये जाने तथा टीका बनाने के लिए आवश्यक कच्चे माल की आपूर्ति श्रृंखला को खुला रखने का आह्वान किया जिसे व्यापक समर्थन मिला।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पहले सत्र में वीडियो लिंक के माध्यम से भाग लिया जिसका शीर्षक “बिल्डिंग बैक स्ट्रॉन्गर -हैल्थ” था जो कोविड महामारी से वैश्विक अर्थव्यवस्था को उबारने तथा भविष्य में होने वाली महामारियों के विरुद्ध प्रतिरोधक क्षमता सशक्त करने पर केन्द्रित था।

नेपाल में बाबा रामदेव की ” कोरोनिल” पर बखेड़ा: स्वास्थ्य मंत्री को करोड़ों ₹ की कोरोनिल किट,और अन्य प्रतिरक्षा बूस्टर दवाएं सौंपे जाने के बाद सरकार ने बिक्री रोकी,प्रतिबंध नहीं लगाया attacknews.in

काठमांडू 9 जून ।कोरोनिल को कोरोना महामारी के बीच इम्यूनिटी बुस्टर आधारित आयुर्वेदिक दवा के बाजार में बेचे जाने को लेकर बाबा रामदेव का विवादों से नाता बन गया हैं।

पहले देश में इसका विरोध हुआ। अब देश से बाहर भी इस पर बवाल बढ़ता गया । नेपाल में पतंजलि की कोरोनिल के वितरण पर आयुर्वेद एवं वैकल्पिक चिकित्सा विभाग ने अघोषित बैन कर दिया गया है। हालांकि, नेपाल सरकार ने औपचारिक प्रतिबंध लगाने का आदेश जारी नहीं किया है। ये जानकारी स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से मंगलवार को दी गई है।

न्यूज एजेंसी आईएएनएस के मुताबिक पिछले गुरुवार को पतंजलि योगपीठ द्वारा निवर्तमान स्वास्थ्य मंत्री हृदयेश त्रिपाठी को करोड़ों रुपये की कोरोनिल किट, सैनिटाइज़र, मास्क और अन्य प्रतिरक्षा बूस्टर दवाएं सौंपे जाने के बाद नेपाल में विवाद खड़ा हो गया था। उसके बाद त्रिपाठी को स्वास्थ्य मंत्री के पद से हटा दिया गया। योगगुरु रामदेव ने पिछले साल 23 जून को आयुर्वेद आधारित कोरोनिल किट उस समय पेश की थी, जब भारत में कोविड-19 महामारी अपने चरम पर थी।

स्वास्थ्य मंत्रालय के प्रवक्ता डॉ. कृष्ण प्रसाद पौडयाल ने उन खबरों का खंडन किया है, जिनमें कहा गया था कि नेपाल सरकार ने देश में कोरोनिल पर प्रतिबंध लगा दिया है। उन्होंने कहा कि सरकार ने दवा के खिलाफ कोई औपचारिक प्रतिबंध आदेश जारी नहीं किया है। उन्होंने कहा है कि आम जनता को वितरित की जाने वाली किसी भी प्रकार की दवा को पहले स्वास्थ्य और जनसंख्या मंत्रालय के अंतर्गत औषधि प्रशासन विभाग में पंजीकृत होना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि कुछ समय पहले नेपाल के तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री हृदयेश त्रिपाठी को कोरोनिल का एक पैकेट उपहार में दिया गया था। उन्होंने कहा कि इसके अलावा मुझे इस मामले में कोई जानकारी नहीं है।

स्वास्थ्य मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि इस बात का कोई सबूत नहीं है कि कोरोनिल कोरोना बीमारी को ठीक कर सकती है। उन्होंने कहा कि नेपाल में कई आयुर्वेदिक दवाएं उपलब्ध हैं, जो लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा सकती हैं और कोरोना संक्रमण से निजात दिलाने में भी मदद कर सकती हैं। हालांकि, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अभी तक किसी भी ऐसी दवा को मंजूरी नहीं दी है जो कोरोना का इलाज कर सके।

चीन बना तानाशाह: थ्येन आनमन चौक के खूनी तांडव के इतिहास का नामो-निशान अपने देश से मिटाने के बाद हांगकांग में भी मिटाने की तैयारी attacknews.in

 

हांगकांग, चार जून (एपी) चीन ने बीजिंग के तियान आन मेन चौक पर लोकतंत्र समर्थक प्रदर्शनकारियों पर 1989 की खूनी कार्रवाई पर कोई भी चर्चा अपने मुख्य भूभाग पर नहीं होने दी और अब ऐसा ही कुछ वह हांगकांग में भी करने जा रहा है।

हांगकांग और पास में स्थित मकाऊ में वर्षों से चार जून 1989 को हुई घटनाओं की याद में कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं जब चीन की जनमुक्ति सेना ने छात्रों की अगुवाई में प्रदर्शनकारियों पर गोलियां चलाई थी जिसमें सैकड़ों लोग मारे गए थे।

पिछले साल से पहले तक हजारों लोग हांगकांग के विक्टोरिया पार्क में एकत्रित होकर पीड़ितों की याद में मोमबत्तियां जलाते और गाने गाते थे लेकिन प्राधिकारियों ने कोरोना वायरस महामारी का हवाला देते हुए लगातार दूसरे साल ऐसे किसी भी आयोजन के लिए इनकार कर दिया और शुक्रवार को इस घटना की बरसी वाले दिन इसके एक आयोजक को गिरफ्तार कर लिया गया।

इस कार्यक्रम के लिए बनाए गए एक अस्थायी संग्रहालय को इस हफ्ते अचानक बंद कर दिया गया।

हांगकांग के सुरक्षा मंत्री ने पिछले हफ्ते निवासियों को अवैध रूप से एकत्रित होने के खिलाफ आगाह किया था।

हांगकांग में 2019 के सरकार विरोधी प्रदर्शनों के बाद से चीन ने राष्ट्रीय सुरक्षा कानून लागू किया है जिसके तहत प्रदर्शनकारियों पर कड़ी कार्रवाई की जा सकती है। साथ ही प्राधिकारियों ने शहर के सभी मुखर और लोकतंत्र समर्थक शख्सियतों को गिरफ्तार कर लिया है। इनमें से ज्यादातर या तो जेल में बंद हैं या शहर छोड़कर चले गए हैं।

इस साल पाबंदियों के बावजूद हांगकांग में लोगों से शुक्रवार रात आठ बजे एक मोमबत्ती जलाने का आह्वान किया गया है चाहे वे कहीं भी हो। सोशल मीडिया पर की जा रही ऑनलाइन अपीलों में लोगों से शुक्रवार को काले कपड़े पहनने को भी कहा गया है

अमेरिका राष्ट्रपति बाइडन ने दुनियाभर के विभिन्न देशों को कोविड-19 टीकों की ढाई करोड़ खुराक भेजने की घोषणा की,भारत भी इसमें शामिल,जून तक 8 करोड़ टीके भेजने की कार्ययोजना attacknews.in

वाशिंगटन, चार जून । राष्ट्रपति जो बाइडन ने दुनियाभर के विभिन्न देशों को कोविड-19 टीकों की ढाई करोड़ खुराक भेजने के अपने प्रशासन के फैसले की घोषणा की है और भारत के राजदूत ने कहा कि अमेरिकी टीके पाने वाले प्रमुख देशों में उनका देश शामिल होगा।

बाइडन ने बुधवार को घोषणा की कि अमेरिका अपने कोविड-19 टीकों के भंडार में उपयोग में नहीं लाई गई ढाई करोड़ खुराक में से करीब 1.9 करोड़ यानी 75 प्रतिशत खुराक संयुक्त राष्ट्र समर्थित कोवैक्स कार्यक्रम के माध्यम से दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया तथा अफ्रीका के देशों को आवंटित करेगा।

यह कदम जून तक दुनियाभर में आठ करोड़ टीके भेजने की उनकी प्रशासन की कार्ययोजना का हिस्सा है।

व्हाइट हाउस के एक दस्तावेज के अनुसार अमेरिका करीब 1.9 करोड़ खुराक साझा करेगा।

इसके अनुसार करीब 70 लाख खुराक एशिया में भारत, नेपाल, बांग्लादेश, पाकिस्तान, श्रीलंका, अफगानिस्तान, मालदीव, मलेशिया, फिलीपीन, वियतनाम, इंडोनेशिया, थाइलैंड, लाओस, पापुआ न्यू गिनी, ताइवान और प्रशांत द्वीपीय क्षेत्रों के लिए दी जाएंगी।

अमेरिका में भारत के राजदूत तरनजीत सिंह संधू ने कहा, ‘‘भारत अमेरिकी टीकों को प्राप्त करने वाला प्रमुख देश है और उसे आज की घोषणा में पड़ोसी व साझेदार देशों को सीधी आपूर्ति एवं कोवैक्स पहल, दोनों ही श्रेणियों में शामिल किया गया है।’’

उप राष्ट्रपति कमला हैरिस ने बृहस्पतिवार को व्यक्तिगत रूप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फोन कर अपने प्रशासन के फैसले की जानकारी दी थी।

प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट किया, ‘‘वैश्विक स्तर पर टीका साझा करने के लिए अमेरिकी रणनीति के तहत भारत को टीके की आपूर्ति को लेकर दिए गए आश्वासन की मैं सराहना करता हूं।’’

इस दौरान प्रधानमंत्री ने अमेरिकी सरकार, कारोबारियों और प्रवासी भारतीयों से मिले सहयोग और एकजुटता के लिए कमला हैरिस का शुक्रिया अदा किया।

नयी दिल्ली में अधिकारियों ने कहा कि मोदी और हैरिस ने अमेरिका और भारत के बीच टीका उत्पादन समेत स्वास्थ्य क्षेत्र की आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करने के लिए चल रहे प्रयासों पर चर्चा की।

इस बातचीत के दौरान मोदी ने कहा कि वैश्विक स्तर पर स्वास्थ्य के क्षेत्र में स्थिति में सुधार के बाद वह भारत में कमला हैरिस के स्वागत को उत्सुक हैं।

संधू ने इस फोन वार्ता को टीकों, कोविड के बाद वैश्विक स्तर पर स्वास्थ्य स्थिति तथा आर्थिक सुधार पर ध्यान केंद्रित करते हुए की गई महत्वपूर्ण बातचीत करार दिया।

उन्होंने बाइडन प्रशासन के अन्य महत्वपूर्ण फैसलों की ओर इशारा करते हुए कहा, ‘‘रक्षा उत्पादन अधिनियम का प्राथमिकता दर्जा हटाने से टीका आपूर्ति श्रृंखला और मजबूत होगी तथा एस्ट्राजेनेका एवं नोवावैक्स समेत उत्पादकों को लाभ मिलेगा।’’

संधू ने कहा, ‘‘ये घटनाक्रम भारत और अमेरिका दोनों के नेतृत्व की वैश्विक मुद्दों पर साझेदारी में काम करने की दृढ़ प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं।’’

भारतीय राजदूत ने बृहस्पतिवार को सर्जन जनरल डॉ विवेक मूर्ति से भी विचार-विमर्श किया था।

उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘हमने वैश्विक महामारी की रोकथाम पर चर्चा की जिसमें टीकों तथा किफायती स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए प्रभावी साझेदारियों पर बातचीत शामिल है।’’

गौरतलब है कि भारत इस समय महामारी की दूसरी लहर से जूझ रहा है।

बुढ़ऊ होती चीन की आबादी पर देश की कम्युनिस्ट पार्टी सरकार ने बच्चों के जन्म पर लागू सीमा में और ढील देने का निर्णय लिया ताकि दंपत्ति तीन बच्चों को जन्म दे सके attacknews.in

बीजिंग, 31 मई (एपी) चीन ने सोमवार को परिवार नियोजन नीति में ढील देते हुए तीन संतान चाहने वाले दम्पतियों को प्रोत्साहित करने का फैसला किया है।

चीन की सरकारी मीडिया के अनुसार राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने पोलित ब्यूरो की एक बैठक में इस नीति को मंजूरी दी।

इससे पहले कम्युनिस्ट पार्टी उम्रदराज होती देश की आबादी के मद्देनजर बच्चों के जन्म पर लागू सीमा में और ढील देने पर विचार किया ताकि दंपती दो के बजाए तीन बच्चों को जन्म दे सके। सरकारी समाचार एजेंसी ने सोमवार को यह जानकारी दी।

इससे पहले सामने आए जनसंख्या संबंधी आंकड़ों से पता चला था कि बीते एक दशक में चीन में कामकाजी आयुवर्ग की आबादी में कमी आई है और 65 वर्ष से अधिक आयुवर्ग के लोगों की संख्या बढ़ी है जिसका असर समाज और अर्थव्यवस्था पर पड़ रहा है।

शिन्हुआ समाचार एजेंसी की ओर से बताया गया कि सत्तारूढ़ दल के पोलित ब्यूरो की सोमवार को हुई बैठक में तय हुआ कि ‘‘चीन बुजुर्ग होती आबादी से सक्रिय रूप से निबटने के लिए प्रमुख नीतियां और उपाय लाएगा।’’

रिपोर्ट में कहा गया कि पार्टी के नेताओं ने ‘‘कहा कि जन्म देने की आयु सीमा में ढील देनेए जिसके तहत दंपती तीन बच्चों को भी जन्म दे सकते हैं तथा इससे जुड़े अन्य कदम उठाने से चीन के आबादी संबंधी ढांचे को बेहतर बनाया जा सकता है।’’

दंपतियों के एक ही बच्चा पैदा करने की अनुमति संबंधी नियमों में 2015 में ढील दी गई थी और दो बच्चों को जन्म देने की इजाजत दी गई थी। इसके एक वर्ष बाद बच्चों की संख्या में बढ़ोतरी हुई लेकिन बाद में इसमें कमी देखी गई।

ब्रिटेन के खुफिया एजेंटों ने चीन के वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी से कोविड-19 वायरस की उत्पत्ति करके फैलाने को संभाव्य बताया attacknews.in

लंदन 30 मई (स्पूतनिक) ब्रिटेन के खुफिया एजेंटों ने चीन के वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी से कोविड-19 वायरस की उत्पत्ति को संभाव्य बताया है।

द संडे टाइम्स की रिपोर्ट में रविवार को इस आशय की जानकारी दी गयी है।

इससे पहले डेली मेल ने शनिवार को बताया कि ब्रिटेन के प्रोफेसर एंगस डाल्गलिश और नॉर्वे के वैज्ञानिक बिर्गर सोरेंसन ने एक अध्ययन किया था जिसमें दावा किया गया था कि कोविड-19 वायरस प्रयोगशाला से उत्पन्न हुआ था।

अध्ययन में कहा गया है कि चीनी वैज्ञानिकों ने वुहान प्रयोगशाला में कोविड-19 वायरस विकसित किया, जिसके बाद उन्होंने चमगादड़ से प्रसारित वायरस को प्राकृतिक दिखाने के लिए ‘जानबूझकर विनाश, डेटा को छिपाने या दूषित करने’ का प्रयास किया।

चीन ने हालांकि बार-बार इस तरह के आरोपों से इनकार किया है।

जनवरी में, अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों ने वुहान की यात्रा की, जहां उन्होंने कोविड-19 की उत्पत्ति के सुराग के लिए प्रयोगशाला, अस्पतालों और बाजारों की जांच की, जो वायरस कोविड-19 फैलने का कारण बनता है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के विशेषज्ञ मिशन ने तब एक रिपोर्ट तैयार की, जिसमें कहा गया था कि वुहान की एक प्रयोगशाला से नए कोरोना वायरस के लीक होने की संभावना बहुत कम है।

मार्च में जारी की गई रिपोर्ट में कहा गया है कि नए वायरस के सबसे अधिक संभावना एक मध्यस्थ जरिये के माध्यम से चमगादड़ों से मनुष्यों में फैलती है।

इस रिपोर्ट के प्रकाशन के बाद डब्ल्यूएचओ के प्रमुख टेड्रोस अदनोम घेब्रियेसस ने कहा कि चीन ने वुहान शहर की यात्रा के दौरान अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों के डेटा को रोक दिया था, जहां माना जाता है कि कोरोना वायरस नवंबर 2019 में प्रसारित होना शुरू हुआ था।

अमेरिका और 13 अन्य राष्ट्र ने संयुक्त रूप से डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट पर अपनी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि इसके आने में देर हो गई और इसमें पूरा डेटा और नमूने शामिल करने में विफल रहे।

इस हफ्ते की शुरुआत में, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने खुफिया समुदाय को नए कोरोना वायरस की उत्पत्ति की जांच करने के प्रयासों को दोगुना करने और 90 दिनों के भीतर अपने निष्कर्षों की रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया है।

30 मई : पहले हिन्दी साप्ताहिक पत्र का प्रकाशन: इसी दिन जुगलकिशोर शुक्ल ने दुनिया के पहले हिन्दी साप्ताहिक पत्र “उदन्त मार्तण्ड” का प्रकाशन कलकत्ता से शुरू किया था attacknews.in

नयी दिल्ली, 29 मई । 30 मई का दिन हिन्दी पत्रकारिता के इतिहास में सुनहरे शब्दों में लिखा गया है। इसी दिन जुगलकिशोर शुक्ल ने दुनिया के पहले हिन्दी साप्ताहिक पत्र “उदन्त मार्तण्ड” का प्रकाशन कलकत्ता :अब कोलकाता: से शुरू किया था।

देश दुनिया के इतिहास में 30 मई की तारीख पर दर्ज अन्य महत्वपूर्ण घटनाओं का सिलसिलेवार ब्योरा इस प्रकार है।

1606 : सिखों के पाँचवें गुरू अर्जन देव जी का निधन।

1826 : पहले हिंदी साप्ताहिक पत्र उदन्त मार्तण्ड का प्रकाशन।

1981 : बांग्लादेश के राष्ट्रपति जिया-उर-रहमान और उनके 8 सहयोगियों की हत्या, देश में आपातकाल लागू।

1987 : गोवा को राज्य का दर्जा मिला। गोवा भारत का 26 वाँ राज्य बना।

1996 : 6 वर्षीय बालक गेधुन चोकी नाइया को नया पंचेन लामा चुना गया।

1998 : पाकिस्तान ने एक और (छठा) परमाणु परीक्षण किया 1998 : अफ़ग़ानिस्तान में भीषण भूकम्प से 5000 लोगों के मरने की आशंका।

2003 : नेपाल के कार्यवाहक प्रधानमंत्री लोकेन्द्र बहादुर चंद ने इस्तीफ़ा दिया।

2004 : सऊदी अरब में बंधक संकट समाप्त, परन्तु दो भारतीयों सहित 22 की हत्या।

2007 : अंतर्राष्ट्रीय संयुक्त राष्ट्र शांति रक्षक दिवस पर 107 शांति रक्षक पुरस्कृत।

2008 : अफ़ग़ानिस्तान में एक ज़िले पर तालिबान ने क़ब्ज़ा किया।

2012 : विश्वनाथन आनंद पाँचवीं बार विश्व शतरंज चैंपियन बने।

2012 : लाइबेरिया के पूर्व राष्ट्रपति चार्ल्स टेलर को सियरा लिओन के गृह युद्ध में किए गए अपराधों और मानवता के खिलाफ किए गए अपराधों के लिए दोषी ठहराते हुए 50 वर्ष के कारावास की सजा सुनाई गई।

2020 : कोरोना वायरस से मरने वालों का आंकड़ा 5,000 के करीब पहुंचा। संक्रमितों की कुल संख्या 1.73 से पार। सरकार ने दो महीने से अधिक समय से लागू लॉकडाउन को एक जून से चरणबद्ध तरीके से हटाने की प्रक्रिया शुरू करने का ऐलान किया।

अमेरिका और भारत ने द्विपक्षीय संबंधों, कोविड-19 राहत प्रयासों, भारत-चीन सीमा स्थिति और अफगानिस्तान पर चर्चा करने के साथ इन क्षेत्रों में मिलकर काम करने का संकल्प लिया attacknews.in

वाशिंगटन, 29 मई ।अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा कि भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ उसकी बैठक सार्थक रही और इस दौरान उन्होंने द्विपक्षीय संबंधों, कोविड-19 राहत प्रयासों, भारत-चीन सीमा स्थिति और अफगानिस्तान पर चर्चा की तथा साझा चिंताओं के क्षेत्रों पर साथ मिलकर काम करने का प्रण किया।

जयशंकर अमेरिका की आधिकारिक यात्रा पर हैं। वह 20 जनवरी को जो बाइडन के अमेरिका का राष्ट्रपति बनने के बाद देश की यात्रा पर आए भारत के पहले मंत्री हैं। उन्होंने शुक्रवार को ब्लिंकन से मुलाकात की।

विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा, ‘‘ब्लिंकन ने विदेश मंत्रालय में जयशंकर का स्वागत किया और अमेरिका-भारत व्यापक वैश्विक रणनीतिक साझेदारी मजबूत करने की अमेरिकी प्रशासन की प्रतिबद्धता को दोहराया।’’

ब्लिंकन ने कहा, ‘‘डॉ. एस जयंशकर के साथ क्षेत्रीय सुरक्षा और अमेरिका के कोविड-19 राहत प्रयासों समेत आर्थिक प्राथमिकताओं, भारत-चीन सीमा स्थिति और अफगानिस्तान के लिए हमारे सहयोग पर आज रचनात्मक बातचीत की।’’

ब्लिंकन ने विदेश विभाग के फॉगी बॉटम मुख्यालय में जयशंकर के साथ मुलाकात के बाद ट्वीट किया, ‘‘मित्र के तौर पर हम साझा चिंताओं के इन क्षेत्रों में एक साथ मिलकर काम करते रहेंगे।

वहीं, जयशंकर ने ट्वीट किया कि उन्होंने क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों के साथ ही द्विपक्षीय सहयोग के विभिन्न आयामों पर ब्लिंकन के साथ ‘‘सार्थक चर्चा’’ की।

उन्होंने कहा, ‘‘हिंद-प्रशांत और क्वाड, अफगानिस्तान, म्यांमा, यूएनएससी मामलों और अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों पर भी बातचीत की।’’

जयशंकर ने कहा, ‘‘भारत-अमेरिका के बीच टीकों की साझेदारी पर भी चर्चा की जिसका मकसद टीकों की आपूर्ति सुनिश्चित करना है। इस वक्त अमेरिका द्वारा जताई मजबूत एकजुटता की सराहना करते हैं। आज की बातचीत ने हमारी रणनीतिक साझेदारी और सहयोग के हमारे एजेंडे को और मजबूत किया है।’’

भारतीय पत्रकारों के एक समूह के सवाल के जवाब में जयशंकर ने इसका जिक्र नहीं किया कि क्या खासतौर से चीन पर चर्चा की गई।

उन्होंने कहा, ‘‘हमने पूरे हिंद-प्रशांत क्षेत्र पर चर्चा की। हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा के मुद्दों पर चर्चा की गई।’’

गौरतलब है कि भारत, अमेरिका और दुनिया के कई अन्य देश चीन की बढ़ती सैन्य मौजूदगी की पृष्ठभूमि में हिंद-प्रशांत क्षेत्र को मुक्त और स्वतंत्र बनाने की जरूरत पर जोर दे रहे हैं। चीन की सेना की नजर भी सामरिक रूप से महत्वपूर्ण हिंद महासागर क्षेत्र पर है।

अमेरिका को भारत का रणनीतिक साझेदार बताते हुए जयशंकर ने कहा कि यह स्वाभाविक है कि दोनों देशों ने अपनी चुनौतियों पर चर्चा की।

उन्होंने कहा कि किसी भी बैठक में रूस से अरबों डॉलर की एस-400 मिसाइल प्रणाली खरीदने की भारत की योजना के मुद्दे पर चर्चा नहीं हुई।

दक्षिण और मध्य एशिया के लिए कार्यवाहक सहायक विदेश मंत्री डीन थॉम्पसन ने कहा कि भारत-चीन सीमा पर घटनाक्रमों पर ही चर्चा की गई।

उन्होंने कहा, ‘‘मैं इससे ज्यादा कुछ नहीं कहूंगा कि हम स्थिति पर करीबी नजर रख रहे हैं और उम्मीद करते हैं कि सब कुछ शांतिपूर्ण तरीके से हल हो जाएगा।’’

विदेश विभाग के अनुसार, दोनों नेताओं ने कोविड-19 राहत प्रयासों, ‘क्वाड’ के जरिए हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सहयोग मजबूत करने की कोशिशों और जलवायु परिवर्तन से निपटने की साझा प्रतिबद्धता तथा संयुक्त सुरक्षा परिषद समेत अन्य मंचों पर बहुपक्षीय सहयोग बढ़ाने समेत कई मुद्दों पर चर्चा की।

प्राइस ने कहा, ‘‘ब्लिंकन और जयशंकर ने क्षेत्रीय घटनाक्रमों, बर्मा में तख्तापलट और अफगानिस्तान के लिए सहयोग जारी रखने पर भी चर्चा की।’’ दोनों नेताओं ने साझा आर्थिक और क्षेत्रीय सुरक्षा प्राथमिकताओं पर सहयोग जारी रखने का भी संकल्प लिया।

इससे पहले थॉम्पसन ने पत्रकारों को बताया कि यह बैठक ‘‘साझेदारी और आगामी वर्षों में इसे मजबूत करने की हमारी प्रतिबद्धता को दिखाती है।’’

उन्होंने कहा, ‘ब्लिंकन और जयशंकर के बीच आज हुई बैठक महामारी शुरू होने के बाद से वाशिंगटन में पहली व्यक्तिगत मुलाकातों में से एक है। यह बैठक भारत के साथ हमारे संबंधों की गहराई को दिखाती है। भारत को हम क्षेत्र तथा दुनिया में सबसे महत्वपूर्ण साझेदारों में से एक के रूप में देखते हैं।’’

अमेरिका के राष्ट्रपति बाइडेन ने खोला रहस्य; चीन के राष्ट्रपति जिनपिंग काे भरोसा है कि अमेरिका पर 2035 तक स्वामित्व हासिल कर लेंगे attacknews.in

वाशिंगटन, 29 मई (स्पूतनिक) अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा है कि चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग को दृढ़ विश्वास है कि वह 2030-35 तक अमेरिका पर स्वामित्व प्राप्त कर लेंगे।

श्री बाइडन ने वर्जीनिया में शुक्रवार को एक सैन्य अड्डे पर एक भाषण के दौरान कहा, “ मैने श्री जिनपिंग के साथ दुनिया के किसी अन्य नेता के मुकाबले सर्वाधिक समय बिताया है।

सिर्फ एक दुभाषिये के रहते हुए उनके साथ 24 घंटे की निजी बैठकें की हैं।

चीन और यहां उनके साथ 17000 मील यात्रा की है।

उनका दृढ़ विश्वास है कि तानाशाही के त्वरित निर्णय लेने के कारण चीन 2030-35 से पहले अमेरिका पर स्वामित्व हासिल करने जा रहा है।

अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि दुनिया इस वक्त लोकतंत्र और तानाशाही के बीच के युद्ध का सामना कर रही है।

अंतरराष्ट्रीय कार्यक्षेत्र में संबंध और जटिल हो गये हैं।

देशों के बीच आम सहमति पर पहुंचना कठिन हो गया है।

अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलीवन और भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ‘‘ दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्रों के बीच मजबूत साझेदारी की समीक्षा बैठक की attacknews.in

वाशिंगटन, 28 मई । अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलीवन और भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ‘‘ दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्रों के बीच मजबूत साझेदारी की समीक्षा करने के लिए’’ बृहस्पतिवार को मुलाकात की।

जो बाइडन के अमेरिकी राष्ट्रपति पद का कार्यभार संभालने के बाद किसी भारतीय कैबिनेट मंत्री की अमेरिका की यह पहली यात्रा है।

वहीं, जयशंकर ने बैठक के बाद ट्वीट किया, ‘‘ एनएसए जेक सुलीवन से मिलकर प्रसन्नता हुई। हिंद-प्रशांत और अफगानिस्तान सहित कई मुद्दों पर व्यापक चर्चा हुई। कोविड से निपटने के लिए अमेरिका द्वारा दिखाई गई एकजुटता की सराहना की। टीके को लेकर भारत-अमेरिका की साझेदारी बड़ा बदलाव ला सकती है।’’

बैठक के बाद सुलीवन ने ट्वीट किया, ‘‘दोनों देशों के लोगों का एकदूसरे से सम्पर्क और हमारे मूल्य अमेरिका-भारत साझेदारी की नींव हैं और यह साझेदारी वैश्विक महामारी का खात्मा करने, जलवायु संबंधी मामले का नेतृत्व करने और स्वतंत्र एवं मुक्त हिंद-प्रशांत का समर्थन करने के लिए हमारी मदद करेगी।’’

अमेरिका सरकार और अमेरिकी जनता ने भारत को कोविड-19 संबंधी चुनौतियों से निपटने के लिए अभी तक 50 करोड़ डॉलर से अधिक की मदद की है।

सुलीवन ने ट्वीट किया, ‘‘ हम वैश्विक महामारी का खात्मा एकसाथ मिलकर करेंगे।’’

व्हाइट हाउस में राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की प्रवक्ता एमिली होर्न ने बताया कि बैठक के दौरान सुलीवन और जयशंकर ने हाल के हफ्तों में किए गए सहयोग का स्वागत किया, जिसके तहत अमेरिका की संघीय सरकार और राज्य सरकारों, अमेरिकी कम्पनियों और अमेरिकी नागरिकों ने भारत के लोगों को कोविड-19 संबंधी राहत पहुंचाने के लिए 50 करोड़ डॉलर से अधिक की मदद की।

उन्होंने कहा, ‘‘ दोनों ने क्षेत्रीय एवं वैश्विक मुद्दों पर बातचीत की और इस बात पर सहमत हुए अमेरिका और भारत को हिंद-प्रशांत क्षेत्र में साझा चुनौतियों से निपटने के लिए मिलकर काम करना जारी रखना चाहिए।’’

होर्न ने कहा, ‘‘ वे इस बात पर भी सहमत हुए कि लोगों का लोगों से सम्पर्क और साझा मूल्य अमेरिका-भारत की रणनीतिक साझेदारी की नींव है जो वैश्विक महामारी का खात्मा करने, स्वतंत्र एवं मुक्त हिंद-प्रशांत का समर्थन करने और जलवायु संबंधी चुनौतियों को वैश्विक नेतृत्व प्रदान करने में मदद कर रही है। ’’

भारत, अमेरिका और कई अन्य विश्व शक्तियां इस क्षेत्र में चीन के बढ़ते सैन्य युद्धाभ्यास और आक्रामकता की पृष्ठभूमि में एक स्वतंत्र, मुक्त और सम्पन्न हिंद-प्रशांत क्षेत्र को सुनिश्चित करने की आवश्यकता के बारे में बात कर रही हैं।

चीनी सेना बीजिंग के प्रभाव को बढ़ाने के लिए रणनीतिक महत्व के हिंद महासागर क्षेत्र पर भी सक्रिय रूप से नजर गड़ाए हुए है।

जयशंकर शुक्रवार को अमेरिकी समकक्ष टोनी ब्लिंकन और रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन से भी मुलाकात करेंगे।

यशंकर ने बृहस्पतिवार को कोविड-19 टीकों के बौद्धिक संपदा अधिकारों से संबंधित मसलों पर अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि (यूएसटीआर) कैथरीन ताई के सकारात्मक रुख और मजबूत आपूर्ति श्रृंखला के लिए उनके समर्थन का स्वागत किया।

बैठक के बाद एक ट्वीट में उन्होंने कहा, ‘‘आईपीआर मसलों पर सकारात्मक रुख और कुशल तथा मजबूत आपूर्ति श्रृंखलाओं के लिए उनके समर्थन का स्वागत किया।’’

ताई ने इस महीने की शुरुआत में विभिन्न हितधारकों के साथ परामर्श के बाद विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) में कोविड-19 टीकों के कुछ आईपी पहलुओं को खत्म करने के भारत और दक्षिण अफ्रीका के कदम को समर्थन देने की घोषणा की थी।

जयशंकर ने ट्वीट किया, ‘‘हमारी रणनीतिक साझेदारी के मूल में व्यापार, प्रौद्योगिकी और कारोबारी सहयोग है। कोविड महामारी के बाद आर्थिक सुधार के लिए इन्हें बढ़ाना महत्वपूर्ण है।’’

नेपाल के चीफ जस्टिस ने राष्ट्रपति द्वारा संसद के निचले सदन को भंग करने के खिलाफ दायर 30 याचिकाओं की सुनवाई के लिए किया संविधान पीठ का गठन attacknews.in

काठमांडू, 28 मई । नेपाल के प्रधान न्यायाधीश चोलेंद्र शमशेर राणा ने राष्ट्रपति द्वारा प्रतिनिधि सभा भंग करने के खिलाफ दायर 30 रिट याचिकाओं पर सुनवाई के लिए संविधान पीठ के गठन के लिए उच्चतम न्यायालय के चार न्यायाधीशों को चुना है। मीडिया में शुक्रवार को आई एक खबर में यह जानकारी दी गई।

संवैधानिक मामलों संबंधी विवाद को निपटाने के लिए पांच सदस्यीय संविधान पीठ का प्रावधान है।

प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की सलाह पर संसद के निचले सदन को भंग करने की राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी के 22 मई के फैसले के खिलाफ शीर्ष अदालत में करीब 30 याचिकाएं दर्ज की गई हैं।

काठमांडू पोस्ट की खबर के मुताबिक नव गठित पीठ में न्यायमूर्ति दीपक कुमार कार्की, आनंद मोहन भट्टाराई, तेज बहादुर केसी और बाम कुमार श्रेष्ठ के अलावा प्रधान न्यायाधीश शामिल होंगे।

उच्चतम न्यायालय के संचार विशेषज्ञ किशोर पोडेल ने अखबार को बताया, “प्रधान न्यायाधीश राणा ने वरिष्ठतम न्यायाधीशों को शामिल कर पीठ का गठन किया है।”

उच्चतम न्यायालय में प्रधान न्यायाधीश के अलावा वर्तमान में 13 वरिष्ठ न्यायाधीश हैं।

ऐसी 19 याचिकाओं पर शुरुआती सुनवाई प्रधान न्यायाधीश राणा नीत पीठ ने बृहस्पतिवार को की थी। एकल पीठ ने इसपर आगे की सुनवाई के लिए दायर रिट याचिकाओं को संविधान पीठ को भेज दिया है।

कुछ याचिकाकर्ताओं ने सदन भंग करने और राष्ट्रीय बजट प्रस्तुत करने के लिए सदन की बैठक बुलाए जाने के खिलाफ अंतरिम आदेश पारित करने की मांग की है। राणा ने इससे इनकार कर दिया।

संवैधानिक प्रावधान के मुताबिक, सरकार को 29 मई तक संघीय बजट प्रस्तुत करना ही होगा।

चूंकि कोई संसद है नहीं इसलिए सरकार अध्यादेश के जरिए बजट लाने की योजना बना रही है।

राष्ट्रपति भंडारी ने 275 सदस्यीय प्रतिनिधि सभा को पांच महीनों में दूसरी बार शनिवार को भंग कर दिया और प्रधानमंत्री ओली की सलाह पर 12 नवंबर और 19 नवंबर को मध्यावधि चुनाव कराने की घोषणा की है।

भारत ने कहा कि वह नेपाल में हाल के राजनीतिक घटनाक्रम को उस देश के आंतरिक मामलों के रूप में देखता है और उसकी प्रगति, शांति, स्थिरता और विकास की यात्रा में समर्थन देता रहेगा attacknews.in

 

नयी दिल्ली, 26 मई । भारत ने बुधवार को कहा कि वह नेपाल में हाल के राजनीतिक घटनाक्रम को उस देश के आंतरिक मामलों के रूप में देखता है और नेपाल को उसकी प्रगति, शांति, स्थिरता और विकास की यात्रा में समर्थन देता रहेगा।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने अपने बयान में कहा, ‘‘ हमने नेपाल में हाल के राजनीतिक घटनाक्रम को देखा है । हम इसे नेपाल के आंतरिक मामलों के रूप में देखते हैं जिससे उन्हें अपने घरेलू ढांचे और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं के तहत निपटना है। ’’

उन्होंने कहा कि एक पड़ोसी और मित्र के रूप में भारत, नेपाल और वहां के लोगों को उनकी प्रगति, शांति, स्थिरता और विकास की यात्रा में निर्वाध रूप से समर्थन देता रहेगा ।

उल्लेखनीय है कि नेपाल के विपक्षी गठबंधन ने राष्ट्रपति द्वारा प्रतिनिधि सभा को भंग करने के फैसले को ‘असंवैधानिक’ बताते हुए इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में रिट याचिका दाखिल की है। इससे पहले राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने प्रधानमंत्री के. पी. शर्मा ओली की सिफारिशों पर सदन को भंग कर दिया था। ओली की सरकार सदन में विश्वास मत में हारने के बाद अल्पमत में आ गई थी।

नेपाल के विपक्षी दलों के पूर्व सांसद रविवार और सोमवार को एकत्र हुए थे तथा उन्होंने प्रधानमंत्री पद के लिए शेर बहादुर देउबा के दावे के समर्थन में अपने हस्ताक्षर सौंपा था ।

राष्ट्रपति भंडारी ने प्रधानमंत्री ओली की सिफारिश पर शनिवार को पांच महीने में दूसरी बार 275 सदस्यीय सदन को भंग कर दिया था तथा 12 और 19 नवंबर को मध्यावधि चुनाव की घोषणा की थी।

पूर्ण चंद्र ग्रहण; बुधवार, 26 मई 2021; 5 ज्येष्ठ, शक संवत 1943;चंद्रग्रहण का आंशिक चरण भारत में दिखेगा attacknews.in

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के अनुसारः

(भारत में आंशिक प्रावस्था दृश्य)

नईदिल्ली 24 मई ।26 मई 2021 (5 ज्येष्ठ, शक संवत 1943) को पूर्ण चंद्र ग्रहण घटित होगा । भारत में चंद्रोदय के तत्काल बाद ग्रहण की आंशिक प्रावस्था का अंत अल्प अवधि के लिए भारत के उत्तर पूर्वी हिस्सों (सिक्किम को छोड़कर), पश्चिम बंगाल के कुछ हिस्सों, ओड़िशा के कुछ तटीय भागों तथा अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह से दिखाई देगा ।

यह ग्रहण दक्षिण अमरीका, उत्तर अमरीका, एशिया, ऑस्ट्रेलिया, अंटार्टिका, प्रशांत महासागर तथा हिंद महासागर के क्षेत्रों में दिखाई देगा ।

ग्रहण की आंशिक प्रावस्था का प्रारम्भ भा.मा.स. अनुसार घं.15 मि.15 पर होगा । ग्रहण की पूर्णावस्था भा.मा.स. अनुसार घं. 16 मि. 39 पर आरम्भ होगी । ग्रहण की पूर्णावस्था का अंत भा.मा.स. अनुसार घं. 16 मि. 58 पर होगा तथा इसकी आंशिक प्रावस्था का अंत भा.मा.स. अनुसार घं. 18 मि. 23 पर होगा ।

19 नवम्बर 2021 को घटित होने वाला अगला चंद्र ग्रहण भारत में दृश्य होगा । यह एक आंशिक चंद्र ग्रहण होगा जिसकी आंशिक प्रावस्था का अंत चंद्रोदय के तत्काल उपरांत अल्प अवधि के लिए अरुणांचल प्रदेश और असम के सुदूर उत्तर पूर्वी हिस्सों से दृश्य होगा ।

चंद्र ग्रहण पूर्णिमा को घटित होता है जब पृथ्वी सूर्य एवं चंद्रमा के बीच आ जाती है तथा ये तीनों एक सीधी रेखा में अवस्थित रहते हैं । पूर्ण चंद्र ग्रहण तब घटित होता है जब पूरा चंद्रमा पृथ्वी की प्रच्छाया से आवृत हो जाता है तथा आंशिक चंद्र ग्रहण तब घटित होता है जब चंद्रमा का एक हिस्सा ही पृथ्वी की प्रच्छाया से ढक पाता है।

चंद्रमा का पूर्ण ग्रहण 26 मई 2021 (5 ज्येष्ठ, 1943 शक संवत) को होगा। चन्द्रग्रहण का आंशिक चरण भारत में चंद्रोदय के तुरंत बाद कुछ समय के लिए भारत के पूर्वोत्तर भागों (सिक्किम को छोड़कर), पश्चिम बंगाल के कुछ हिस्सों, ओडिशा तथा अंडमान निकोबार द्वीपसमूह के कुछ तटीय भागों में दिखेगा।

ग्रहण दक्षिण अमेरिका, उत्तरी अमेरिका, एशिया, ऑस्ट्रेलिया, अंटार्कटिका, प्रशांत महासागर और हिंद महासागर को कवर करने वाले क्षेत्र में दिखाई देगा।

ग्रहण का आंशिक चरण भारतीय समय के अनुसार 15 बजकर 15 मिनट पर प्रारंभ होगा। कुल चरण भारतीय समय के अनुसार 16 बजकर 39 मिनट पर प्रारंभ होगा। कुल चरण भारतीय समय के अनुसार 16 बजकर 58 मिनट पर समाप्त होगा। आंशिक चरण 18 बजकर 23 मिनट पर समाप्त होगा।

अगला चंद्रग्रहण भारत में 19 नवंबर 2021 को दिखेगा। यह आंशिक चंद्रग्रहण होगा। आंशिक चंद्रग्रहण की समाप्ति को चंद्रोदय के कुछ समय बाद कुछ समय के लिए ही अरुणाचल प्रदेश और असम के चरम पूर्वोत्तर भागों में देखा जा सकेगा।

चंद्रग्रहण पूर्णिमा के दिन होता है जब पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच आ जाती है और जब तीनों – सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा- एक सीध में आ जाते हैं। पूर्ण चंद्रग्रहण तब होता है जब पूरा चंद्रमा पृथ्वी की छाया में आता है और आंशिक चंद्रग्रहण तब होता है जब चंद्रमा का केवल एक भाग पृथ्वी की छाया में आता है।

26 मई को भारत के कुछ स्थानों से दिखाई देने वाले ग्रहण के आंशिक चरण की अवधि

समय – चंद्रोदय समय (आईएसटी) -चंद्रोदय के बाद दिखाई देने वाले आंशिक चरण की समाप्ति की अवधि – बजे मिनट -मिनटों में

अगरतला – 18 06 -17

आयजोल – 17 59 -24

कोलकाता – 18 15 -08

चेरापूंजी -18 06 -17

कूच बिहार -18 18 -05

डायमंड हार्रबर-18 15 -08

दीघा -18 16 -07

गुवाहाटी -18 09 -14

इंफाल -17 56 -27

ईटानगर -18 02 -21

कोहिमा -17 57 -26

लुमडिंग -18 01 -22

मालदा -18 21 -02

उत्तर लखीमपुर-18 00 -23

पारादीप -18 18 -05

पासीघाट -17 57 -26

पोर्ट ब्लेयर -17 38 -45

पुरी -18 21 -02

शिलांग -18 06 -17

सिबसागर -17 58 -25

सिलचर -18 01 -22

फिलिस्तीन पर संकट बरकरार:मिस्त्र द्वारा कराए गए संघर्षविराम के बाद इजरायल के निशाने पर हमास कमांडर मोहम्मद देफ उर्फ अबु खालिद जिंदा बच निकला,गाजा सैन्य अभियानों का प्रभार अब भी उसके पास attacknews.in

हमास के अधिकारी ने कहा, “मिसाइलों की कोई कमी नहीं’’

बेरूत/वाशिंगटन , 21 मई (एपी) गाजा की लड़ाई धीरे-धीरे शांत होने और संघर्षविराम की उम्मीदें बढ़ने के साथ ही हमास के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बृहस्पतिवार को एक साक्षात्कार में कहा कि फलस्तीनी चरमपंथी समूह के पास ‘‘मिसाइलों की कोई कमी” नहीं है और अगर वह चाहे तो इजराइल पर कई महीनों तक मिसाइलें दागना जारी रख सकता है।

ओसामा हमदान ने हमास चरमपंथियों के साथ 11 दिन से जारी निर्मम युद्ध में संघर्षविराम की इजराइल की घोषणा से कुछ घंटे पहले यह बात कही।

बृहस्पतिवार देर रात की घोषणा में बताया गया कि मिस्र के एक प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया गया है।

हमदान ने कहा कि हमास का हाथ न आने वाला कमांडर मोहम्मद देफ, जिसकी इजराइल को दशकों से तलाश है, जिंदा है और गाजा सैन्य अभियानों का प्रभार अब भी उसके पास है।

देफ उर्फ अबु खालिद, गाजा में अब तक इजराइल का सबसे वांछित लक्ष्य रहा है। वह इजराइल के उसकी हत्या करने के कई प्रयासों में जीवित बच गया है और सार्वजनिक तौर पर बिरले ही कभी नजर आया है।

इजराइली मीडिया ने कहा कि मौजूदा इजराइल-हमास युद्ध के दौरान दो बार और उसे मारने के विफल प्रयास किए गए। एक दशक में यह चौथा मौका था।

हमदान ने कहा कि देफ अब भी हमास के सैन्य शाखा कासम ब्रिगेड एवं अन्य धड़ों के “अभियान का प्रमुख है और संयुक्त अभियानों को निर्देशित कर रहा है।”

अपने इस बयान के लिए अधिकारी ने कोई साक्ष्य नहीं उपलब्ध कराए।

साक्षात्कार में, हमदान ने कहा कि उनका समूह अगर चाहे तो महीनों तक इजराइल पर बमबारी जारी रख सकता है।

हालांकि उन्होंने संघर्षविराम में भी भरोसा जताया।

हमदान, हमास के शक्तिशाली निर्णायक राजनीतिक ब्यूरो के सदस्य हैं।

इजराइल और हमास के बीच संघर्षविराम पर बनी सहमति, राष्ट्रपति जो बाइडन ने की प्रशंसा

वाशिंगटन,से खबर है कि,इजराइल और फलस्तीन के चरमपंथी समूह हमास के बीच संघर्षविराम पर सहमति बनी, जिसके बाद 11 दिन तक चले निर्मम युद्ध पर विराम लग गया।

यह 11 दिन का संघर्ष 2014 के गाजा युद्ध के बाद से सबसे भीषण संघर्ष रहा है जिसमें 240 से अधिक लोगों की मौत हो गई, गाजा पट्टी में बड़े पैमाने पर बर्बादी हुई और इस अस्थिर क्षेत्र के कहीं अधिक अस्थिर होने का डर पैदा हो गया था।

यह संघर्षविराम, अमेरिका, मिस्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थों की तरफ से हिंसा को रोकने के लिए बनाए जा रहे दबाव के बाद शुक्रवार को प्रभावी हुआ।

इजराइली सुरक्षा कैबिनेट ने बृहस्पतिवार देर रात को संघर्षविराम को स्वीकार करने के पक्ष में वोट डाले जब दक्षिण इजराइल और गाजा दोनों उन्माद में थे।

प्रधानमंत्री बेंजमिन नेतन्याहू के कार्यालय से जारी एक बयान में कहा गया कि सुरक्षा कैबिनेट “परस्पर एवं बिना शर्त” शत्रुता समाप्त करने पर सर्वसम्मति से सहमत हुआ।

बयान में कहा गया, “नेताओं ने कहा है कि जमीनी हकीकत अभियान के भविष्य को निर्धारित करेगी।”

हालांकि, नेतन्याहू ने इजराइल के सुरक्षा बलों (आईडीएफ) को उस स्थिति के लिए तैयार रहने को कहा है अगर हमास मिस्र के संघर्षविराम प्रस्ताव को स्वीकार नहीं करता है।

संघर्षविराम के बाद गाजा पट्टी और वेस्ट बैंक में भी जश्न मनाते हुए प्रदर्शन किए गए।

सोशल मीडिया पर अपलोड किए गए कई वीडियो में आतिशबाजी, गाना-बजाना और लोग सड़कों पर परेड करते दिख रहे हैं।

इजराइल और हमास दोनों ने संघर्ष में अपनी-अपनी जीत का दावा किया है। संघर्ष में मारे गए करीब 240 लोगों में एक भारतीय देखभाल कर्ता भी शामिल है।

केरल के इदुक्की जिले की रहने वाली 30 वर्षीय सौम्या संतोष की गाजा से फलस्तीनियों चरमपंथियों द्वारा किए गए रॉकेट हमले में इजराइल के एशकेलोन में मौत हो गई थी।

मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल सीसी ने इजराइल और हमास के बीच मिस्र की मध्यस्थता से हुए संघर्षविराम की सफलता के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन का शुक्रिया किया।

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि फलस्तीनियों और इजराइलियों को सुरक्षित तरीके से जीवन जीने का समान रूप से अधिकार है और स्वतंत्रता, समृद्धि एवं लोकतंत्र के समान प्रावधानों को प्राप्त करने का भी हक है।

बाइडन ने बृहस्पतिवार को व्हाइट हाउस में कहा, “ मेरा मानना है कि फलस्तीनियों और इजराइलियों को समान रूप से सुरक्षित जीवन जीने का तथा स्वतंत्रता, समृद्धि एवं लोकतंत्र के समान उपायों को हासिल करने का अधिकार है। मेरा प्रशासन उस दिशा में हमारी शांत एवं अनवरत कूटनीति को जारी रखेगा। मेरा मानना है कि हमारे पास प्रगति करने के वास्तविक अवसर हैं और मैं इसपर काम करने के लिए प्रतिबद्ध हूं।”

बाइडन ने कहा कि अमेरिका संयुक्त राष्ट्र के साथ मिलकर गाजा के लोगों को त्वरित मानवीय सहायता उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध है।

यह संघर्ष 10 मई को शुरू हुआ था जब कई हफ्तों से पूर्वी यरूशलम में बढ़ते इजराइली-फलस्तीनी तनाव ने संघर्ष का रूप ले लिया था।

हमास ने मुस्लिमों और यहूदियों के इस पाक स्थल से इजराइल को पीछे हटने की चेतावनी देने के बाद रॉकेट दागने शुरू कर दिए थे जिसके बाद जवाबी हवाई हमले शुरू हो गए थे।

इजराइल के रक्षा मंत्री बेनी गांट्ज ने ट्विटर पर कहा कि गाजा के हमलों ने “अभूतपूर्व सैन्य लाभ” दिए हैं।

इजराइल ने गाजा में सैकड़ों हवाई एवं जमीनी हमले किए जबकि फलस्तीनी चरमपंथियों ने पिछले सोमवार से मध्य एवं दक्षिणी इजराइल में 4,000 से अधिक रॉकेट दागे।

हमास संचालित स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक इजराइली हवाई हमलों में 65 बच्चों समेत 232 फलस्तीनियों की मौत हो गई।

आईडीएफ और इजराइल की आपात सेवा के मुताबिक गाजा से फलस्तीनी चरमपंथी हमले में दो बच्चों समेत कम से कम 12 लोगों की मौत हो गई ।