भारत में सीरम इंस्टीट्यूट अब 10 करोड़ की जगह कोरोना वैक्सीन की 20 करोड़ खुराक बनायेगा attacknews.in

नयी दिल्ली 29 सितंबर ।पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) ने मंगलवार को कहा कि वह भारत तथा दुनिया के अन्य निम्न तथा मध्यम आयवर्ग वाले देशों के लिए कोरोना वैक्सीन की 10 करोड़ की जगह 20 करोड़ खुराक तैयार करेगा।

एसआईआई ने मंगलवार को कहा कि अगले साल तक कोरोना वैक्सीन की 20 करोड़ डोज बनाने के लिए उसे बिल एंड मेलिंडा गेट्स फांउडेशन तथा गावी वैक्सीन एलाएंस से 30 करोड़ डॉलर का फंड प्राप्त हुआ है। एसआईआई को पहले 15 करोड़ डॉलर का फंड दिया गया, जिसे अब बढ़ाकर 30 करोड़ कर दिया गया है।

बिल एंड मेलिंडा गेट्स फांउडेशन तथा गावी वैक्क्सीन एलाएंस के साथ किये गये समझौते के तहत एसआईआई द्वारा बनायी गयी कोरोना वैक्सीन की कीमत तीन डॉलर प्रति वैक्सीन से अधिक नहीं की जा सकती है।

चीन द्वारा LAC की मनमानी व्याख्या थोपने का कड़ा विरोध करते हुए भारत ने चीन की तथाकथित परिभाषा को नकारा attacknews.in

नयी दिल्ली 29 सितंबर ।भारत ने आज कहा कि उसने 1959 में चीन द्वारा एकतरफा ढंग से परिभाषित तथाकथित वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) को कभी भी स्वीकार नहीं किया है। इसलिए चीन सभी द्विपक्षीय समझौतों एवं सहमतियों का पालन करे तथा एलएसी की अपनी मनमानी व्याख्या भारत पर जबरन थोपने की कोशिश नहीं करे।

एक अंग्रेजी दैनिक की रिपोर्ट में चीनी विदेश मंत्रालय द्वारा पहली बार वास्तविक नियंत्रण रेखा पर उसका पक्ष साफ किये जाने के बाद भारत ने यह प्रतिक्रिया व्यक्त की है।

अखबार की एक रिपोर्ट के अनुसार चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा है कि वह सात नवंबर 1959 को चीनी प्रधानमंत्री चाऊ एनलाई द्वारा प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को लिखे पत्र में प्रस्तावित एलएसी का पालन करता है।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने यहां कहा कि हमने 29 सितंबर के समाचार पत्र में इस बारे में रिपोर्ट को देखा है। भारत ने 1959 में एकतरफा ढंग से परिभाषित तथाकथित एलएसी को कभी स्वीकार नहीं किया और भारत का यह रुख चीन सहित सभी को अच्छी तरह से पता है।

श्री श्रीवास्तव ने कहा कि चीन के दावे से अलग 1993 के शांति एवं स्थिरता बनाये रखने संबंधी समझौते, 1996 के सैन्य स्तर पर परस्पर विश्वास बहाली उपायों संबंधी करार, 2005 के विश्वास बहाली के उपायों के क्रियान्वयन के प्रोटोकॉल, 2005 के भारत चीन सीमा प्रश्न के समाधान के लिए दिशानिर्देशक सिद्धांतों एवं राजनीतिक मानदंडों पर समझौते में भारत एवं चीन ने एलएसी के स्पष्टीकरण एवं पुष्टि तथा एलएसी के निर्धारण को लेकर एक समान समझ कायम करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की है।

प्रवक्ता ने कहा कि वास्तव में दोनों पक्ष वर्ष 2003 तक एलएसी को स्पष्ट करने एवं उसकी पुष्टि करने की प्रक्रिया को क्रियान्वित कर रहे थे लेकिन उसके बाद चीनी पक्ष द्वारा इसके लिए इच्छा नहीं दिखाये जाने के कारण यह प्रक्रिया नहीं बढ़ पायी।

उन्होंने कहा कि चीनी पक्ष द्वारा अब यह कहा जाना कि केवल एक ही एलएसी है, पुराने समझौतों में चीन द्वारा व्यक्त प्रतिबद्धताओं के विपरीत है।

प्रवक्ता ने कहा कि हमने पहले भी स्पष्ट किया है कि भारतीय पक्ष ने एलएसी का हमेशा सम्मान किया और पालन किया है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने संसद में हाल ही में कहा कि यह चीनी पक्ष है जो पश्चिमी सेक्टर के विभिन्न हिस्सों में एलएसी का अतिक्रमण करने का प्रयास करता है और उसने एकतरफा ढंग से यथास्थिति में बदलाव करने की कोशिश की है।

उन्होंने कहा कि बीते कुछ महीनों में चीन ने बार बार कहा है कि सीमा क्षेत्र में वर्तमान स्थिति का समाधान दोनों देशों के बीच हस्ताक्षरित समझौतों के अनुसार होना चाहिए। विगत दस सितंबर को विदेश मंत्री एस जयशंकर और चीनी विदेश मंत्री वांग यी के बीच सहमति में चीनी पक्ष ने सभी समझौतों के अनुपालन को लेकर प्रतिबद्धता व्यक्त की थी।

श्री श्रीवास्तव ने कहा कि इसलिए हम अपेक्षा करते हैं कि चीनी पक्ष सभी समझौतों एवं सहमतियों का गंभीरता से एवं पूर्ण निष्ठा से समग्रता में पालन करे तथा एलएसी की एकतरफा एवं मनमानी व्याख्या को लागू करने से बचे।

70 साल में पाकिस्तान की बड़ी उपलब्धियां: आतंकवाद, अवैध परमाणु सौदा,39 साल पहले अपने लोगों को ही मारकर दक्षिण एशिया में नरसंहार,ईशनिंदा कानूनों का दुरुपयोग,जबरन धर्म परिवर्तन कराकर हिंदुओं, इसाइयों, सिखों और अन्य लोगों समेत अल्पसंख्यकों को व्यवस्थित तरीके से समाप्त करना attacknews.in

संयुक्त राष्ट्र/ न्यूयार्क, 28 सितम्बर । भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में ‘‘लगातार शेखी बघारने’’ और ‘‘जहर उगलने’’ के लिए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की निंदा करते हुए कहा था कि पाकिस्तान के पास पिछले सात दशक में ‘‘बड़ी उपलब्धियों के तौर’’ पर दिखाने के लिए केवल आतंकवाद, अल्पसंख्यक जातीय समूहों का सफाया करना, बहुसंख्यकों की कट्टरता और अवैध परमाणु सौदा है।

संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन के पहले सचिव मिजितो विनितो ने जवाब देने के अधिकार का इस्तेमाल करते हुए कहा था कि , ‘‘ पाकिस्तान के नेता ने हिंसा और घृणा को भड़काने वालों को प्रतिबंधित करने की मांग की, लेकिन जैसे-जैसे वह आगे बात करते गए, हम यह सोचने पर मजबूर हो गए कि क्या वह अपनी बात कर रहे हैं?’’

इमरान खान ने महासभा में उच्च स्तरीय चर्चा के दौरान अपने वीडियो में जम्मू-कश्मीर समेत भारत के आंतरिक मामलों की बात की थी, जिसके बाद भारत ने ‘‘जवाब देने के अपने अधिकार’’ का इस्तेमाल किया।

जब खान ने भारत पर हमेशा की तरह ‘‘आरोप लगाने वाला भाषण’’ देना शुरू किया, तो संयुक्त राष्ट्र महासभा के सभाकक्ष में भारत की सीट पर बैठे विनितो बर्हिगमन कर गए।

युवा भारतीय राजनयिक ने कहा, ‘‘उस व्यक्ति ने सभागार में लगातार शेखी बघारी, जिसके पास स्वयं कुछ दिखाने को नहीं है, जिसके पास बताने लायक कोई उपलब्धि नहीं है और दुनिया को देने के लिए कोई तर्कसंगत सुझाव नहीं है। इसके बजाए, हमने उसे झूठ, गलत सूचना फैलाते, युद्ध भड़काते और द्वेष फैलाते देखा।’’

विनितो ने एक देश के रूप में पाकिस्तान के इतिहास की निंदा करते हुए कहा, ‘‘इस देश के पास पिछले 70 साल में जो बड़ी उपलब्धियां दिखाने लायक है, वह आतंकवाद, अल्पसंख्यक जातीय समूहों का सफाया करना, बहुसंख्यकों की कट्टरता और अवैध परमाणु सौदे हैं।’’

उन्होंने कहा कि पाकिस्तान एक ऐसा देश है, जो संयुक्त राष्ट्र द्वारा गैरकानूनी करार दिए गए आतंकवादियों की बड़ी संख्या को आश्रय देता है। उन्होंने आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के संस्थापक हाफिज सईद और जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर का जिक्र करते हुए यह बात की।

विनितो ने कहा, ‘‘यह वही देश है, जो खूंखार और सूचीबद्ध आतंकवादियों को सरकारी कोष से पेंशन देता हैं। जिस नेता को आज हमने सुना, वह वही हैं, जिन्होंने आतंकवादी ओसामा बिन लादेन को जुलाई में पाकिस्तानी संसद में ‘‘शहीद’’ कहा था।’’

उन्होंने कहा कि यही वह पाकिस्तान है जिसने 39 साल पहले अपने लोगों को ही मारकर दक्षिण एशिया में नरसंहार किया था और यही वह देश है, जिसमें ‘‘इतनी भी शर्म नहीं’’ है कि वह इतने वर्ष बाद भी अपनी भयावहता के लिए ईमानदारी से माफी मांगे।

भारत ने ‘जवाब देने अपने अधिकार’ का इस्तेमाल करते हुए कहा कि ‘‘आज जहर उगलने वाले’’ खान ने अमेरिका में 2019 में सबके सामने स्वीकार किया था कि उनके देश में अब भी 30,000 से 40,000 आतंकवादी हैं, जिन्हें पाकिस्तान ने प्रशिक्षण दिया था और जिन्होंने अफगानिस्तान एवं भारत के जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम दिया।

विनितो ने कहा, ‘‘यही वह देश है जिसने ईशनिंदा कानूनों के दुरुपयोग एवं जबरन धर्म परिवर्तन कराकर हिंदुओं, इसाइयों, सिखों और अन्य लोगों समेत अल्पसंख्यकों को व्यवस्थित तरीके से समाप्त कर दिया।’’

उन्होंने कहा, ‘‘यह ऐसा देश है, जो इस्लाम का हिमायती होने का दावा करता है, लेकिन उसने केवल इसलिए अपने साथी मुसलमानों की हत्या को बढ़ावा दिया, क्योंकि वे किसी अन्य समुदाय या पाकिस्तान में किसी अन्य क्षेत्र से संबंध रखते हैं।’’

भारत ने जोर देकर कहा कि जम्मू-कश्मीर उसका ‘‘अभिन्न अंग है, जिसे अलग नहीं किया जा सकता’’ और केंद्रशासित प्रदेश में लाए गए कानून और विधेयक उसका आंतरिक मामला है।

उन्होंने कहा, ‘‘कश्मीर में एकमात्र विवाद कश्मीर के उस हिस्से में है, जिस पर पाकिस्तान का अवैध कब्जा है। हम पाकिस्तान से अपील करते हैं कि वह अपने अवैध कब्जे वाले इलाकों को खाली करे।’’

भारत ने कहा कि पाकिस्तान के सामान्य देश बनने का एकमात्र जरिया यह है कि वह आतंकवाद को वित्तीय सहयोग देना बंद करे और अपना ध्यान उन समस्याओं पर केंद्रित करे, जो उसके नागरिक झेल रहे हैं तथा अपने ‘कुटिल’ एजेंडे के लिए संयुक्त राष्ट्र मंचों का दुरुपयोग करना बंद करे।

पीओके खाली करे पाकिस्तान , भारत ने दी चेतावनी

भारत ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर(पीओके) को एकमात्र शेष विवाद करार देते हुए तल्ख भरे स्वर में पड़ोसी देश से कहा कि वह पीओके को पूरी तरह से खाली करें तथा एक सामान्य देश बनने के लिए आतंकवाद को नैतिक, वित्तीय और अन्य तरह से समर्थन देना बंद करे।

भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के 75वें सत्र में अपने संबोधन के दौरान पाकिस्तान को यह हिदायत दी।

संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थाई मिशन के फर्स्ट सेक्रेटरी मिजितो विनितो ने भारत के बयान को उद्धृत करते हुए कहा कि पाकिस्तान को केंद्र शासित जम्मू-कश्मीर के उन सभी क्षेत्रों को खाली कर देना चाहिए , जहां उसने अवैध रूप से कब्जा कर रखा है।

उन्होंने कहा, “ कश्मीर में अब एकमात्र शेष विवाद वहां के उस हिस्से से जुड़ा है , जो अभी पाकिस्तान के कब्जे में है। हम पाकिस्तान से उन सभी क्षेत्रों को खाली करने की अपेक्षा करते हैं, जो अवैध रूप से उसके कब्जे में हैं।”

बयान में इस तथ्य की पुष्टि की गई कि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर भारत का एक अभिन्न और अलग न किये जा सकने वाला हिस्सा है और वहां लागू कानून भारत का आंतरिक मामला है।

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने शुक्रवार को अपने संबोधन के दौरान कश्मीर को लेकर भारत विरोधी बयान दिया जिसका भारत ने कड़ा प्रतिवाद किया ।

उन्होंने यह भी कहा था कि भारत को पांच अगस्त 2019 को कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने वाले फैसले को रद्द करना होगा।

संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टी एस तिरुमूर्ति ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के संबोधन के तुरंत बाद ट्वीट किया और इसे एक नया राजनयिक तिकड़म बताते हुए उनके भाषण को शातिराना झूठ, व्यक्तिगत आक्षेप और युद्ध के लिए भड़काने वाला करार दिया।

भारत के क्षेत्र में पाकिस्तान कराने जा रहा है विधानसभा चुनाव; खुद को इस्लामी गणतंत्र बताकर कर दी 15 नवम्बर को आम चुनाव की घोषणा attacknews.in

इस्लामाबाद, 24 सितंबर ।भारत द्वारा कड़ी आपत्ति दर्ज कराए जाने के बावजूद पाकिस्तान ने गिलगित बाल्तिस्तान की विधानसभा के लिए 15 नवंबर को चुनाव कराने की घोषणा की है।

रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण इस क्षेत्र में इससे पहले चुनाव स्थगित कर दिया गया था।

राष्ट्रपति डॉ आरिफ अल्वी ने बुधवार को इस संबंध में एक अधिसूचना जारी की।

वक्तव्य में कहा गया, “पाकिस्तान इस्लामी गणतंत्र के राष्ट्रपति घोषणा करते हैं कि चुनाव अधिनियम 2017 की धारा 57 (1) के तहत रविवार, 15 नवंबर 2020 को गिलगित बाल्तिस्तान विधानसभा में आम चुनाव कराए जाएंगे।”

भारत ने पाकिस्तान से कहा है कि गिलगित बाल्तिस्तान समेत जम्मू कश्मीर और लद्दाख संघ शासित प्रदेश के संपूर्ण भूभाग का भारत में पूर्ण रूप से वैधानिक और स्थायी विलय हुआ था इसलिए यह देश का अभिन्न अंग है।

भारत ने कहा कि पाकिस्तान की सरकार या उसकी न्यायपालिका का उन क्षेत्रों पर कोई अधिकार नहीं है जिनपर अवैध रूप से कब्जा किया गया था।

गिलगित बाल्तिस्तान में 18 अगस्त को चुनाव होने थे लेकिन चुनाव आयोग ने कोरोना वायरस संक्रमण को देखते हुए 11 जुलाई को चुनाव की प्रक्रिया टाल दी थी।

चुनाव की नई तारीखों का ऐलान गिलगित बाल्तिस्तान को पूर्ण प्रांत का दर्जा दिए जाने की खबरों के बीच लिया गया है।

इस मुद्दे पर विपक्षी दलों और पाकिस्तान सेना के प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा के बीच 16 सितंबर को हुई बैठक में चर्चा की गई थी

डोनाल्ड ट्रम्प ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में कोरोना महामारी पर चीन को जवाबदेह ठहराया ; चीन ने ट्रम्प के आरोपों को राजनीति से प्रेरित बताया attacknews.in

संयुक्त राष्ट्र/बीजिंग 23 सितंबर ।अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सयुक्त राष्ट्र महासभा में मंगलवार को अपने संबोधन में चीन पर बड़ा प्रहार करते हुए कहा कि वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के प्रकोप को लेकर चीन को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए।

श्री ट्रंप ने कहा, “कोरोना महामारी की शुरुआत में चीन ने केवल घरेलू यात्रा पर रोक लगाई जबकि पूरे विश्व को संक्रमित करने के लिए अंतराष्ट्रीय उड़ानों का संचालन जारी रखा। सयुक्त राष्ट्र को इस मामले में चीन को निश्चित तौर पर जवाबदेह ठहराना चाहिए।”

श्री ट्रंप के इस कड़े बयान का जवाब देते हुए चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा कि चीन का किसी भी देश के साथ कोल्ड या हॉट वार लड़ने का कोई इरादा नहीं है।

उन्होंने कहा, “देशों को एकपक्षीय और संरक्षणवाद के लिए नहीं कहना चाहिए और वैश्विक औद्योगिक तथा आपूर्ति श्रृंखलाओं के स्थिर और सुचारू संचालन को सुनिश्चित करने के लिए काम करना चाहिए।”

उल्लेखनीय है कि कोरोना महामारी की शुरुआत से अमेरिका और चीन के बीच रिश्तों ने बड़ी तेजी से करवट ली है और श्री ट्रंप ने लगातार कोरोना महामारी को लेकर चीन पर प्रमुखता से हमला किया हैं। कोरोना से विश्वभर में अब तक 3,12,45,797 लोग संक्रमित हुए हैं और 9,63,693 लोगों की मौत हुई है।

वही वैश्विक महाशक्ति माने जाने वाले अमेरिका में कोरोना से संक्रमित होने वालों की संख्या 68,56,884 पर पहुंच गयी है और अब तक 1,99,865 लोगों की जान जा चुकी है। अमेरिका पूरे विश्व में कोरोना से सबसे अधिक प्रभावित होने वाला देश हैं।

चीन ने कोरोना फैलाने के ट्रम्प के नये आरोपों का किया विरोध

उधर चीन ने विश्वभर में कोविड -19 संक्रमण फैलाने के अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के नये आरोपों का जोरदार विरोध करते हुए कहा है कि यह बेबुनियाद और राजनीति से प्रेरित है।

चीन के विदेश मंत्रालय ने बुधवार को एक बयान जारी करके कहा ,“ यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि अमेरिकी पक्ष ने कोरोना को लेकर देश पर आधारहीन आरोप लगाये हैं। उसने हमारे खिलाफ भ्रांतियां फैलाने और हमें कमतर आंकने के लिए संयुक्त राष्ट्र काे मंच की तरह इस्तेमाल किया है। उसका यह कदम राजनीति से प्रेरित है। हम उसके आरोपों का जाेरदार रूप से खंडन करते हैं।”

रूस साल के अंत तक कोरोना वैक्सीन की 3 मिलियन खुराक कर देगा तैयार,रूसी कंपनियों की फरवरी 21 तक अधिकतम टीका बनाने की योजना attacknews.in

मास्को 22 सितंबर । रूसी कंपनियों की फरवरी 2021 तक वैश्विक महामारी कोविड-19 के खिलाफ जंग के लिए टीके के निर्माण की अधिकतम क्षमता तक पहुंचने की योजना है।

रूसी उद्योग और व्यापार मंत्री डेनिस मंटुरोव ने रूसी अखबार से बातचीत में मंगलवार को यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि,’ हम उम्मीद करते हैं कि अक्टूबर में 500,000 वैक्सीन खुराक तैयार होगी, साल के अंत तक – 2 से 3 मिलियन खुराक। हम अगले साल के फरवरी तक अधिकतम क्षमता तक पहुंचने की योजना बना रहे हैं।”

रूस का दावा, कोरोना टीके का नहीं दिखा कोई दुष्प्रभाव

इधर रूस ने दावा किया है वैश्विक महामारी कोविड-19 के खिलाफ विकसित उसके टीके को पंजीयन से पहले के ट्रायल में करीब 2500 वालंटियर को लगाया गया था और उसका किसी प्रकार का दुष्प्रभाव नहीं देखा गया।
रुस ने कहा है कि तीसरे चरण के क्लीनिकल ट्रायल में करीब 40 हजार लोग शामिल हैं।

पाकिस्तान में हर साल 1000 हिन्दू सिख लड़कियों का होता है जबरन धर्मान्तरण,अमेरिका की अंतरराष्ट्रीय परिषद की रिपोर्ट ने तथ्यों को सार्वजनिक किया attacknews.in

इस्लामाबाद/नयी दिल्ली, 22 सितंबर । पाकिस्तान में हिन्दू एवं सिखों पर मजहब के आधार पर अत्याचार अनवरत जारी है और हर साल एक हजार से अधिक महिलाओं का अपहरण करके उन्हें जबरन धर्म परिवर्तन करने के लिए मजबूर किया जा रहा है।

अमेरिका की अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता परिषद की वर्ष 2020 की रिपोर्ट में यह तथ्य रेखांकित किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान में धार्मिक अल्पसंख्यक समुदायों की नाबालिग लड़कियों पर अत्याचार एवं हिंसा लगातार जारी है। हिन्दू, सिख एवं ईसाई समुदाय की युवतियों को अगवा करके बल पूर्वक इस्लाम में उनका धर्म परिवर्तन कराया जाता है। हर साल करीब एक हजार युवतियों को इस तरह इस्लाम में लाया जा रहा है।

इस रिपोर्ट में कहा गया है कि स्थानीय पुलिस अक्सर इन मामलों की समुचित तहकीकात नहीं करती है। हाल के कुछ माह के दौरान सिख समुदाय में ऐसे 55 से अधिक मामले सामने आये हैं। बीते महीनों में सिख ग्रंथियों के परिवारों की नाबालिग लड़कियों को अगवा किया गया और जबरन इस्लाम कुबूलने को मजबूर किया गया। इनमें गत वर्ष ननकाना साहिब गुरुद्वारे के ग्रंथी की पुत्री जगजीत कौर का मामला पता चला था जबकि हाल ही में गुरुद्वारा पंजा साहिब के ग्रंथी की बेटी बुलबुल कौर को भी अगवा किया गया है।

पाकिस्तान में सिख समुदाय में इन घटनाओं से गहरा आक्रोश व्याप्त है और उन्होंने नाबालिग लड़कियों के अपहरण एवं बलपूर्वक धर्मान्तरण की बढ़ती घटनाओं के विरोध में प्रदर्शन किया और पैदल मार्च किया है, पर पाकिस्तान सरकार की ओर से अब तक कोई संतोष जनक कदम नहीं उठाये गये हैं।

भारत और चीन के बीच टकराव बिन्दुओं पर नहीं बनी बात,एक बार फिर बैठक की बनी सहमति,सैन्य वार्ता का छठा दौर 14 घंटे चला, लद्दाख में तनाव कम करने पर किया ध्यान केंद्रित attacknews.in

नयी दिल्ली, 22 सितंबर । भारत और चीन के बीच 14 घंटे चली छठे दौर की सैन्य वार्ता के दौरान पूर्वी लद्दाख में अत्यधिक ऊंचाई पर स्थित टकराव बिंदुओं के पास तनाव कम करने के तरीकों पर ध्यान केंद्रित किया गया।इस दौरान भारत और चीन ने अग्रिम मोर्चों पर सैनिकों की संख्या नहीं बढाने , जमीनी हालात में बदलाव न करने तथा सीमा पर शांति एवं स्थिरता कायम करने वाले कदम उठाने पर सहमति व्यक्त की है।

दोनों देशों के बीच पूर्वी लद्दाख में पिछले चार महीने से भी अधिक समय से जारी सैन्य गतिरोध को समाप्त करने तथा स्थिति को सामान्य बनाने के तौर तरीकों पर चर्चा के लिए आज चीन के सीमा क्षेत्र चुशूल मोल्डो में कोर कमांडरों के बीच छठे दौर की बातचीत में यह सहमति बनी।

मास्को में दोनों देशों के रक्षा मंत्रियों और फिर विदेश मंत्रियों के बीच हुई बैठक के बाद हुई इस बातचीत में दोनों पक्षों ने उनके राजनीतिक नेतृत्व के बीच बनी सहमति को जमीन पर लागू करने की हामी भरी।

बैठक के बाद जारी संयुक्त वक्तव्य में कहा गया है कि दोनों पक्ष जमीनी स्तर पर संवाद प्रक्रिया को मजबूत बनाने , गलतफहमी से बचने , अग्रिम मोर्चों पर और सैनिक न भेजने , जमीन पर एकतरफा स्थिति बदलने की कोशिश न करने पर भी राजी हुए । उनका कहना है कि दोनों पक्ष ऐसा कोई कदम नहीं उठायेंगे जिससे स्थिति जटिल बने।

दोनों पक्षों के बीच यह भी सहमति बनी कि सैन्य कमांडरों की सातवें दौर की बैठक जल्द ही होगी और दोनों देश सीमा पर शांति तथा स्थिरता बनाये रखने के लिए मिलकर कदम उठायेगी और समस्याओं के समाधान के लिए व्यवहारिक कदम उठायेंगे।

इस घटनाक्रम की जानकारी रखने वाले सैन्य अधिकारियों ने मंगलवार को यह जानकारी दी।

उन्होंने कहा कि इस मैराथन वार्ता का परिणाम सोमवार को तत्काल पता नहीं चला है, लेकिन ऐसा समझा जाता है कि दोनों पक्षों ने वार्ता आगे बढ़ाने के लिए फिर से बैठक करने पर सहमति जताई है।

सरकारी सूत्रों ने बताया कि वार्ता के दौरान भारतीय पक्षों ने सभी टकराव बिंदुओं से चीनी बलों को शीघ्र एवं पूरी तरह हटाए जाने पर जोर दिया। भारत ने इस बात पर भी जोर दिया कि तनाव कम करने के लिए पहले कदम चीन को उठाना है।

एक सूत्र ने कहा, ‘‘तनाव कम करने पर ध्यान केंद्रित किया गया।’’

दोनों देशों के प्रतिनिधिमंडलों ने सीमा पर मई की शुरुआत से जारी टकराव को खत्म करने के लिए भारत एवं चीन के बीच 10 सितंबर को हुए पांचसूत्री द्विपक्षीय समझौते के क्रियान्वयन पर विस्तार से विचार-विमर्श किया।

ऐसा समझा जाता है कि भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने 10 सितंबर को मास्को में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक के इतर विदेश मंत्री एस जयशंकर तथा उनके चीनी समकक्ष वांग यी के बीच हुए समझौते को निश्चित समय-सीमा में लागू करने पर जोर दिया।

सूत्रों ने बताया कि वार्ता का एजेंडा पांच सूत्री समझौते के क्रियान्वयन की निश्चित समयसीमा तय करना था।

समझौते का लक्ष्य तनावपूर्ण गतिरोध को खत्म करना है, जिसके तहत सैनिकों को शीघ्र वापस बुलाना, तनाव बढ़ाने वाली कार्रवाइयों से बचना, सीमा प्रबंधन संबंधी सभी समझौतों और प्रोटोकॉल का पालन करना तथा वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर शांति बहाली के लिए कदम उठाना जैसे उपाय शामिल हैं।

सूत्रों ने बताया कि कोर कमांडर स्तर की छठे दौर की यह वार्ता पूर्वी लद्दाख में भारत के चुशूल सेक्टर में एलएसी के पार मोल्डो में चीनी क्षेत्र में सुबह करीब नौ बजे शुरू हुई और रात 11 बजे समाप्त हुई।

उन्होंने बताया कि दोनों पक्षों ने इस बात का भी जिक्र किया कि लद्दाख क्षेत्र में अक्टूबर से ठंड पड़नी शुरू होती है और उसके बाद तापमान शून्य से भी 25 डिग्री सेल्सियस नीचे चला जाता है और ऑक्सीजन की कमी हो जाती है।

भारतीय प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई भारतीय सेना की लेह स्थित 14 कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह ने की। सैन्य वार्ता के लिए भारतीय प्रतिनिधिमंडल में पहली बार विदेश मंत्रालय के किसी वरिष्ठ अधिकारी को शामिल किया गया।

विदेश मंत्रालय में संयुक्त सचिव नवीन श्रीवास्तव इस प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा थे। वह सीमा विषयक परामर्श एवं समन्वय कार्य प्रणाली (डब्ल्यूएमसीसी) की रूपरेखा के तहत चीन के साथ सीमा विवाद को लेकर राजनयिक वार्ता में शामिल रहे हैं।

भारतीय प्रतिनिधिमंडल में लेफ्टिनेंट जनरल पी जी के मेनन भी शामिल थे, जो अगले महीने 14वीं कोर कमांडर के तौर पर सिंह का स्थान ले सकते हैं।

इससे पहले, कोर कमांडर स्तर की वार्ता के पांच दौर में भारत ने चीनी सैनिकों की यथाशीघ्र वापसी तथा पूर्वी लद्दाख के सभी क्षेत्रों में अप्रैल से पहले वाली स्थिति की बहाली पर जोर दिया था।

पांचवें दौर की कोर कमांडर स्तर की वार्ता दो अगस्त को करीब 11 घंटे चली थी। उससे पहले चौथा दौर की वार्ता 14 जुलाई को करीब 15 घंटे चली थी।

सूत्रों ने बताया कि भारतीय सेना ने पूर्वी लद्दाख और अत्यधिक ऊंचाई वाले अन्य संवेदनशील स्थानों पर कड़ाके की सर्दियों में सभी अग्रिम इलाकों पर बलों एवं हथियारों की तैनाती का मौजूदा स्तर बरकरार रखने के लिए व्यापक प्रबंध किए हैं।

उन्होंने बताया कि पैंगोंग झील के दक्षिणी तथा उत्तरी तट पर तथा अन्य टकराव वाले बिंदुओं पर स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है।

चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने बीते तीन हफ्तों में पैंगोंग झील के दक्षिणी और उत्तरी तट पर भारतीय सैनिकों को “धमकाने” की कम से कम तीन बार कोशिश की है। यहां तक कि वास्तविक नियंत्रण रेखा पर 45 साल में पहली बार हवा में गोलियां चलाई गई हैं।

पूर्वी लद्दाख में स्थिति तब बिगड़ी, जब चीन ने 29-30 अगस्त की रात को पैंगोंग झील के दक्षिणी तट पर भारतीय क्षेत्र पर कब्जा करने की विफल कोशिश की।

सात सितंबर को पैंगोग झील के दक्षिणी तट पर रेजांग-ला रिजलाइन के मुखपारी में चीनी सैनिकों ने भारतीय ठिकाने के निकट जाने का विफल प्रयास किया और हवा में गोलियां चलायीं ।

भारत ने पैंगोंग झील के दक्षिणी तट पर कई पर्वत चोटियों पर तैनाती की और किसी भी चीनी गतिविधि को नाकाम करने के लिये क्षेत्र में फिंगर 2 तथा फिंगर 3 इलाकों में अपनी मौजूदगी मजबूत की है।

नरेन्द्र मोदी ने सयुक्त राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा: व्यापक सुधारों के अभाव में संयुक्त राष्ट्र पर ‘‘भरोसे की कमी का संकट’’ मंडरा रहा attacknews.in

संयुक्त राष्ट्र, 22 सितम्बर । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि व्यापक सुधारों के अभाव में संयुक्त राष्ट्र पर ‘‘भरोसे की कमी का संकट’’ मंडरा रहा है। उन्होंने बहुपक्षीय व्यवस्था में सुधार की आवश्यकता खच्चर जोर दिया जो मौजूदा वास्तविकताओं को दर्शाए, सभी पक्षकारों की बात रखे, समकालीन चुनौतियों का समाधान दे और मानव कल्याण पर केंद्रित हो।

संयुक्त राष्ट्र की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर बुलाई गई महासभा की उच्च स्तरीय बैठक में सोमवार को अपने वीडियो संदेश में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने यह कहा।

मोदी ने कहा, ‘‘ हम पुराने हो चुके स्वरूप के साथ आज की चुनौतियों का सामना नहीं कर सकते। व्यापक सुधारों के अभाव में संयुक्त राष्ट्र पर भरोसे की कमी का संकट मंडरा रहा है।’’

संयुक्त राष्ट्र के गठन के 75वर्ष पूरे होने के मौके पर, 193-सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र महासभा ने एक अग्रगामी राजनीतिक संकल्प को अपनाया, जिसमें आतंकवाद से निपटने के लिए तंत्र को मजबूत करने, बहुपक्षवाद में सुधार करने, समावेशी विकास और कोविड-19 महामारी जैसी चुनौतियों से निपटने की बेहतर तैयारी का आह्वान किया गया।

मोदी ने कहा कि इस संकल्प में सुयंक्त राष्ट्र में सुधार की आवश्यकता को भी रेखांकित किया गया है। उन्होंने कहा, ‘‘आज परस्पर जुड़े हुए विश्व में, बहुपक्षीय व्यवस्था में सुधार की आवश्यकता है, जो मौजूदा वास्तविकताओं को दर्शाए, सभी पक्षकारों की बात रखे, समकालीन चुनौतियों का समाधान दे और मानव कल्याण पर ध्यान दे।’’

उन्होंने कहा कि भारत इस दिशा में अन्य देशों के साथ मिलकर काम करने का इच्छुक है।

संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टी. एस तिरुमूर्ति ने संयुक्त राष्ट्र महासभा हॉल में प्रधानमंत्री मोदी के पहले से रिकॉर्ड भाषण की प्रस्तावना दी।

टिकटाॅक वीडियो एप्प की चीन की कंपनी बाइटडांस को अमेरिकी कंपनी ऑरेकल द्वारा खरीदने की मंजूरी, अमेरिका में होगी मुख्यालय की स्थापना attacknews.in

वाशिंगटन 20 सितंबर (स्पूतनिक) अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिकी सॉफ्टवेयर कंपनी ओरेकल को चीन की वीडियो शेयरिंग एप कंपनी बाइटडांस को खरीदने की मंजूरी दे दी है।

श्री ट्रंप ने रविवार को पत्रकारों को बताया कि वालमार्ट भी इस समझौते में हिस्सा लेगा। वह टेक्सॉस प्रांत में नई कंपनी के निर्माण को देखेगा। अमेरिका टिकटॉक का संचालन करेगा।

उन्होंने कहा यह भी कहा कि इस समझौते में एक शिक्षा कार्यक्रम के लिए पांच अरब डालर का दान शामिल होगा।

शुक्रवार को बाइटडांस ने कोलंबिया की जिला अदालत में ट्रंप प्रशासन के टिकटॉक को अमेरिका में अवरूद्ध करने को चुनौती देते हुए एक अभियोग दर्ज कराया गया था।

ओरेकल-टिकटॉक सौदे पर विचार, राष्ट्रीय सुरक्षा पर नहीं होगा कोई समझौता: ट्रंप

इससे पहले 17 सितंबर को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा था कि वह चीनी स्वामित्व वाले वीडियो-शेयरिंग ऐप टिकटॉक के लिए अमेरिकी कंपनी ओरेकल की कथित बोली पर गौर कर रहे हैं, लेकिन वह सौदे को मंजूरी देने से पहले यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि राष्ट्रीय सुरक्षा से कोई समझौता न हो।

पिछले महीने ट्रंप ने टिकटॉक और वीचैट पर प्रतिबंध लगाने के लिए एक कार्यकारी आदेश पर दस्तखत किए थे, जिसके तहत यदि दोनों चीनी कंपनियां अपना स्वामित्व किसी अमेरिकी कंपनी को देकर प्रतिबंध से बच सकती हैं।

शुरुआत में टिकटॉक के साथ बातचीत में माइक्रोसॉफ्ट शामिल था, हालांकि अब ओरेकल ने इस संबंध में बाइटडांस के साथ समझौता किया है।

इसबीच बाइटडांस ने टिकटॉक का वैश्विक मुख्यालय अमेरिका में स्थापित करने का निर्णय किया है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के इस पर रोक लगाने के आदेश से बचने के लिए कंपनी ने यह रास्ता निकाला है।

ट्रंप ने यहां व्हाइट हाइस में संवाददाताओं से कहा कि सौदे को मंजूरी देने से पहले वह यह सुनिश्चित करना चाहेंगे कि राष्ट्रीय सुरक्षा से कोई समझौता न हो और इस कारोबारी सौदे का एक बड़ा हिस्सा अमेरिकी राजकोष को मिले।

चीन के सरकारी सीजीटीएन टीवी ने बुधवार को एक रपट में कहा था कि बाइटडांस की अमेरिकी अधिकारियों के सामने पेश योजना के मुताबिक टिकटॉक अमेरिका में मुख्यालय वाली नयी कंपनी में बहुलांश हिस्सेदार बनी रहेगी। वहीं प्रौद्योगिकी कंपनी ओरेकल इसमें अल्पांश हिस्सेदार होगी।

रपट में कहा गया है कि कंपनी में वालमार्ट अन्य अल्पांश हिस्सेदार होगी। वैश्विक खुदरा कंपनी वालमार्ट ने माइक्रोसॉफ्ट के साथ मिलकर टिकटॉक में हिस्सेदारी खरीदने की पेशकश की थी।

इस घटनाक्रम की जानकारी रखने वाले व्यक्तियों ने कहा कि योजना की विस्तृत रुपरेखा में बदलाव भी हो सकता है।

भारत ने भी राष्ट्रीय सुरक्षा और संप्रभुता के लिए खतरा बताते हुये टिकटॉक समेत कई चीनी ऐप पर रोक लगाई है।

चीन द्वारा विश्व की तबाही का सच सामने आया: कोराेना विषाणु वुहान की प्रयोगशाला में बनाया गया था, इस कार्य में लगे चीनी वैज्ञानिक का खुलासा attacknews.in

नयी दिल्ली, 14 सितंबर । एक चीनी वैज्ञानिक ने कहा है कि विश्व में तबाही मचाने वाला कोरोना विषाणु चीन की वुहान स्थित प्रयोगशाला में बनाया गया था और उनके पास इस बात को साबित करने के सभी प्रमाण हैं।

चीन छोड़कर बाहर रह रही विषाणु विज्ञानी डाॅ ली-मेंग यान इस तरह का खुलासा करने वाली दूसरी वैज्ञानिक है कि कोरोना विषाणु को वुहान की प्रयोगशाला में वैज्ञानिकों ने ही बनाया था। उन्हाेंने कहा कि उनके पास इस बात को साबित करने के प्रमाण हैं कि यह विषाणु मानव निर्मित हैं। उनसे पहले फ्रांस की नोबेल पुरस्कार विजेता वैज्ञानिक ल्यूक मोंटाग्नियर ने भी अप्रैल में दावा किया था कि कोरोना विषाणु को चीनी वैज्ञानिकों ने वुहान की प्रयोगशाला में बनाया था।

चीन की वीरोलॉजिस्ट डॉ. ली मेंग यान का दावा है कि नोवल कोरोना वायरस वुहान में एक सरकार नियंत्रित लैबोरेटरी में बनाया गया था और उसके पास यह साबित करने के लिए पर्याप्त वैज्ञानिक सबूत हैं.।

कोरोना वायरस महामारी से निपटने के लिए चीनी सरकार के खिलाफ व्हिसलब्लोअर बनने वाले वीरोलॉजिस्ट ली मेंग यान को पिछले साल दिसंबर में चीन से निकलने वाले कोरोना-जैसे मामलों का एक समूह बनने का काम सौंपा गया था।

हांगकांग में काम करने वाली इस शीर्ष वैज्ञानिक का दावा है कि उन्होंने अपनी जांच के दौरान एक कवर-अप ऑपरेशन की खोज की और कहा कि चीनी सरकार को सार्वजनिक रूप से स्वीकार करने से पहले ही वायरस के प्रसार के बारे में पता था।

हांगकांग स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ से वायरोलॉजी और इम्यूनोलॉजी में विशेषज्ञता प्राप्त डॉ. ली-मेंग को कथित रूप से सुरक्षा चिंताओं के कारण संयुक्त राज्य भागने के लिए मजबूर किया गया था. 11 सितंबर को, उसने एक गुप्त स्थान से ब्रिटिश टॉक शो ‘लूज़ वीमेन’ पर एक इंटरव्यू दिया और कोरोनो वायरस बीमारी पर अपने शोध के बारे में बात की।

विरोलॉजिस्ट मेंग ने कहा कि भले ही आपके पास जीव विज्ञान का ज्ञान न हो या आप इसे नहीं पढ़ते हैं, लेकिन फिर भी आप इसके आकार से इस वायरस की उत्पत्ति की पहचान कर लेंगे. उन्होंने चीन सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि धमकी के बाद मैं हांगकांग छोड़कर अमेरिका चली गई लेकिन मेरी सारी निजी जानकारी सरकारी डेटाबेस से मिटा दी गई और मेरे साथियों से मेरे बारे में अफवाह फैलाने के लिए कहा गया।

उन्होंने कहा कि सरकार मुझे झूठा साबित करने के लिए तरह -तरह के हथकंडे अपना रही है और हत्या करवाने की कोशिश कर रही है।

उन्होंने कहा कि मैं अपने लक्ष्य से पीछे हटने वाली नहीं हूं. लि-मेंग का कहना है कि वह कोरोना वायरस का अध्ययन करने वाली पहले कुछ वैज्ञानिकों में से एक थीं. दिसंबर 2019 के अंत में उनका दावा था कि उन्हें विश्वविद्यालय में उनके पर्यवेक्षक द्वारा एसएआरएस जैसे मामलों के एक विषम समूह को देखने के लिए कहा गया था जो कि चीन में उत्पन्न हुआ है।

लि-मेंग यान ने कहा है कि उनके पास कोरोना वायरस को मानव निर्मित साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत हैं जिसे वह जल्द पेश करेंगी।

यान ने चीन सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि इस वायरस को लेकर चीन बहुत कुछ छुपा रहा है और मैं दावे के साथ कह सकती हूं कि यह चीन द्वारा मानव निर्मित वायरस है. मेरे पास इसके सबूत हैं और मैं ये साबित कर दूंगी।

वायरस विज्ञानी लि-मेंग यान ने कहा कि कोरोना वायरस वुहान के मीट मार्केट से नहीं आया, क्योंकि यह मीट मार्केट एक स्मोक स्क्रीन है, जबकि यह वायरस प्रकृति की देन नहीं है. उन्होंने इस वायरस के मीट मार्केट से न आने वाले सवाल के जवाब में कहा कि यह खतरनाक वायरस वुहान के लैब से आया है और यह मानव निर्मित है।

मुसलमानों के खिलाफ नॉर्डिक देशों में तेजी से फैल रही है नफरत की आग,एक के बाद एक कुरान जलाने की घटनाएं आई सामने attacknews.in

स्टाॅकहोम 13 सितम्बर । स्वीडन और नॉर्वे जैसे नॉर्डिक देशों में एक के बाद एक मुस्लिम-विरोधी भावनाएं भड़काने और कुरान जलाने की घटनाएं सामने आई हैं. मुसलमानों की धार्मिक पुस्तक कुरान का अपमान कर धुर दक्षिणपंथी आखिर दंगे क्यों भड़का रहे हैं,इसे लेकर अलग रूप में विकसित हो रहे कट्टरपंथी विचार इसे आग में घी डालने का काम कर रहे हैं ।

स्वीडन के दक्षिणी शहर मालमो में बीते हफ्ते विरोध प्रदर्शन करने इकट्ठा हुए 300 से भी अधिक धुर-दक्षिणपंथी कार्यकर्ताओं ने कुरान को आग लगा दी, जिसके बाद वहां दंगे भड़क उठे. पुलिस ने बताया कि इससे नाराज लोगों ने शहर में जगह जगह संपत्ति को आग लगाई और पुलिस और बचाव दल के लोगों पर हमला किया. इसमें कुछ पुलिसकर्मी घायल हुए और दंगा फैलाने के आरोप में 15 लोगों की गिरफ्तारी भी हुई जिन्हें बाद में छोड़ दिया गया।

मालमो स्वीडन का तीसरा सबसे बड़ा शहर है जिसके 320,000 निवासियों में से करीब 40 फीसदी विदेशी मूल के हैं. प्रवासी-बहुल शहर मालमो के निवासी शाहेद ने स्थानीय समाचार एजेंसी से बातचीत में कहा, “यह सही नहीं हुआ… लेकिन ऐसी नौबत ही नहीं आती अगर उन लोगों ने कुरान नहीं जलाई होती.”

पुलिस का मानना है कि मुस्लिम प्रवासी बहुल इलाके में मुसलमानों की सबसे पवित्र किताब कुरान को जलाकर उसका अपमान करने और उन्हें भड़काने की जानबूझ कर कोशिश की गई. स्थानीय समाचारपत्रों में छपी खबरों में बताया गया कि धुर दक्षिणपंथियों ने इसीलिए मालमो में कुरान को जलाने की योजना बनाई थी. घटना के बाद पुलिस ने ऐसे तीन लोगों को गिरफ्तार भी किया जिन पर जानबूझ कर एक समुदाय विशेष के खिलाफ घृणा फैलाने का संदेह था।

एक विवादित नेता से जुड़े हैं तार

शुक्रवार को मुसलमानों की नमाज के दिन ही एक अन्य पड़ोसी नॉर्डिक देश डेनमार्क में आप्रवासी-विरोधी पार्टी ‘स्ट्रीम कुर्स’ के एक नेता रासमुस पालुदान स्वीडन के इस शहर में आकर भाषण देने वाले थे. हालांकि अशांति फैलने की आशंका को देखते हुए प्रशासन ने पालुदान पर अगले दो साल तक स्वीडन में कहीं भी प्रवेश करने पर प्रतिबंध लगा दिया. पुलिस ने बाद में इस नेता को मालमो के पास से ही गिरफ्तार किया. पुलिस के प्रवक्ता ने कहा कि उन्हें संदेह था कि वह “स्वीडन में कानून को तोड़ने जा रहे हैं और उनकी हरकत से समाज को खतरा हो सकता है.”

यूट्यूब और फेसबुक जैसे सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर काफी सक्रिय इस नेता और वकील पर लगे इस प्रतिबंध को लेकर उनके समर्थक काफी नाराज हुए. पालुदान ने फेसबुक पर लिखा था, “वापस लौटा दिया गया और दो साल के लिए स्वीडन से बैन कर दिया गया. जबकि बलात्कारियों और हत्यारों का हमेशा स्वागत है!”

शनिवार को भी स्वीडन की नॉर्वे से लगी सीमा पर एक समूह ने मुसलमान-विरोधी प्रदर्शन किए. इस प्रदर्शन के दौरान भी एक महिला ने कुरान का अपमान किया.

घृणा फैलाने की कार्रवाई पर प्रतिक्रिया

इस घटना की कड़ी निंदा करते हुए संयुक्त राष्ट्र के एलायंस ऑफ सिविलाइजेशंस के प्रमुख की ओर से उनकी प्रवक्ता ने बयान दिया कि “वह दक्षिण चरमपंथियों द्वारा कुरान को जलाने की साफ तौर पर निंदा करते हैं और यह घृणित और पूरी तरह अस्वीकार्य है.”

संस्था के प्रमुख मिगेल मोरातिनोस की ओर से प्रवक्ता निहाल साद ने कहा कि वे सभी धर्म के नेताओं का आह्वान करते हैं कि वे धर्म के आधार पर हिंसा ना करें और समझे कि “ऐसी घटिया हरकतें नफरत फैलाने वाले और कट्टरपंथी समूह करते हैं जिससे समाज की बुनावट को उधेड़ा जा सके.” यूएन की यह संस्था धर्मों और संस्कृतियों के बीच बातचीत और समझ को बढ़ाने के प्रयास करती है।

धार्मिक समुदायों से जुड़ी स्वीडन की एजेंसी देश में मुसलमानों की संख्या चार लाख से ऊपर बताती है. लेकिन साथ ही साथ बीते सालों में स्वीडन में दक्षिणपंथी भी काफी मजबूत हुए हैं. नॉर्डिक देशों से ऐसी हिंसा के तार 15 साल पहले की घटना से जुड़े दिखते हैं, जब सितंबर 2005 में डेनमार्क के एक अखबार ने मुसलमानों के पैगंबर मोहम्मद साहब के विवादित कार्टून छापे थे. इसकी पूरे विश्व से प्रतिक्रिया देखने को मिली थी और उन पर आतंकी हमला कराए जाने तक की धमकियां मिली थीं. उसके बाद से इस डेनिश अखबार ने फिर कभी ऐसे कार्टून प्रकाशित नहीं किए।

सुरक्षा कारणों के मद्देनजर, डेनमार्क के इस अखबार ‘जीलैंड्स-पोस्टेन’ ने 2015 में शार्ली एब्दो के कार्टून छापने से भी इनकार कर दिया था. 2015 में फ्रांस की पत्रिका शार्ली एब्दो के पेरिस दफ्तर पर आतंकी हमला हुआ था, जिसमें पैगंबर मोहम्मद का कार्टून बनाने वाले कार्टूनिस्ट और दूसरे कर्मचारियों की हत्या कर दी गई.

शिया और सुन्नी मुसलमान आपस में क्यों झगड़ते हैं? शुरू से गहराये मतभेद आज भी कायम है और सत्ता संघर्ष की चुनौती के रूप मे खड़े है attacknews.in

नईदिल्ली 13 सितम्बर । सम्पूर्ण विश्व में शिया और सुन्नी मुसलमानों के विवाद सर्वविदित है और यह विवाद केवल धर्म की सत्ता को लेकर चुनौती देते हुए शुरू हुआ और आज वर्गों में बंट गया । जानिए संक्षिप्त में इसकी जानकारी:

विवाद की शुरुआत

इस विवाद की शुरुआत 632 ईसवी में पैगंबर मोहम्मद की मृत्यु के बाद हुई. उन्होंने अपना उत्तराधिकारी नियुक्त किए बिना की दुनिया को अलविदा कह दिया था. इसलिए सवाल खड़ा हुआ कि तेजी से फैलते धर्म का नेतृत्व कौन करेगा।

उत्तराधिकार पर झगड़ा

कुछ लोगों का ख्याल था कि नेता आम राय से चुना जाए जबकि दूसरे चाहते थे कि पैगंबर के किसी वंशज को ही खलीफा बनाया जाए. खलीफा का पद पैगंबर मोहम्मद के ससुर और विश्वासपात्र रहे अबु बकर को मिला जबकि कुछ लोग उनके चचेरे भाई और दामाद अली को नेतृत्व सौंपने के हक में थे।

मतभेद गहराए

अबु बकर और उनके दो उत्तराधिकारियों की मौत के बाद अली को खलीफा बनाया गया था. लेकिन तब तक दोनों धड़ों में मतभेद बहुत गहरा चुके थे. लेकिन फिर कुफा की मस्जिद में अली को जहर से बुझी तलवार से कत्ल कर दिया गया. यह जगह मौजूदा इराक में है।

सत्ता संघर्ष

अली की मौत के बाद उनके बेटे हसन खलीफा बने. लेकिन जल्द ही उन्होंने विरोधी धड़े के नेता माविया के लिए खलीफा का पद छोड़ दिया. सत्ता संघर्ष में हसन के भाई हुसैन और उनके बहुत से रिश्तेदारों को 680 में इराक के करबला में कत्ल कर दिया गया था।

मातम

हुसैन की शहादत उनके अनुयायी का मुख्य सिद्धांत बन गई. हर साल मोहर्रम के महीने में शिया लोग मातमी जुलूस निकालते हैं और उस घटना पर शोक जताते हैं. जुलूस में शामिल लोग अपने आपको कष्ट देते हुए और विलाप करते हुए सड़कों से गुजरते हैं।

कब खत्म हुई खिलाफत

सुन्नी मानते हैं कि अली से पहले पद संभालने वाले तीनों खलीफा सही और पैगंबर की सुन्नाह यानी परंपरा के सच्चे अनुयायी थे. अब्दुलमेजीद द्वितीय आखिरी खलीफा थे. पहले विश्व युद्ध के बाद ऑटोमान साम्राज्य के पतन के साथ ही खिलाफत भी समाप्त हो गई।

कैसे पड़े नाम

सुन्नाह यानी परंपरा को मानने वाले सुन्नी कहलाए जबकि शियाओं को उनका नाम “शियान अली” से मिला, जिसका अर्थ होता अली के अनुयायी. इस तरह दोनों की धड़ों का मूल एक ही है. लेकिन पैगंबर मोहम्मद के उत्तराधिकार और विरासत पर उनके रास्ते जुदा हो गए।

कितने शिया और कितने सुन्नी

दुनिया में अब 1.5 अरब से ज्यादा मुसलमान हैं. इनमें 85 से 90 फीसदी संख्या सुन्नी हैं जबकि 10 प्रतिशत शिया हैं. संख्या से हिसाब से देखा जाए तो दुनिया भर में सवा अरब से ज्यादा सुन्नी हैं, वहीं शियाओं की तादाद 15 से 20 करोड़ मानी जाती है।

भेदभाव, शोषण, शिकायतें

सऊदी अरब, मिस्र और जॉर्डन समेत दुनिया के एक बड़े हिस्से में सुन्नी मुसलमान रहते हैं. वहीं ईरान, इराक, बहरीन, अजरबैजान और यमन में शिया बहुसंख्यक हैं. सुन्नी शासन वाले देशों में शिया अकसर भेदभाव और शोषण की शिकायत करते हैं।

प्रतिद्वंद्वी

ईरान 1979 की इस्लामी क्रांति के बाद एक अहम शिया ताकत के तौर पर उभरा है जिसे सुन्नी सरकारें और खास कर खाड़ी देशों की सरकारें अपने लिए चुनौती समझती हैं. मध्य पूर्व में ईरान और सऊदी अरब को एक दूसरे का प्रतिद्वंद्वी माना जाता है।

सियात की धुरी

मध्य पूर्व के देशों के बीच अकसर शिया सुन्नी विवाद सियासत की धुरी होता है. ईरान जहां शिया विद्रोहियों और शासकों का समर्थन करता है, वहीं सऊदी अरब सुन्नी धड़े के साथ मजबूत से खड़ा रहता है. ईरान और यमन के संकट इसकी एक मिसाल हैं।

टकराव

ईरान के साथ जब पश्चिमी देशों ने परमाणु समझौते पर डील की तो सऊदी अरब उसका बड़ा आलोचक था. ईरान और सऊदी अरब आए दिन एक दूसरे पर बयान दागते रहते हैं. कूटनीतिक तनाव के बीच सऊदी अरब ने 2016 में ईरानी लोगों को अपने यहां हज पर भी नहीं आने दिया था।

एस्ट्राजेनेका ने ब्रिटेन में दोबारा शुरु किया कोरोना वैक्सीन का मानव परीक्षण,भारत में जानवरों पर “कोवैक्सीन” का परीक्षण सफल,रूस ने अपने देश के विभिन्न क्षेत्रों में भेजी ‘स्पूतनिक-5’ की पहली खेप attacknews.in

नयी दिल्ली, 13 सितंबर । ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के साथ मिलकर कोरोना वैक्सीन के निर्माण में जुटी दवा कंपनी एस्ट्राजेनेका ने वैक्सीन का दूसरे तथा तीसरे चरण का मानव परीक्षण एक सप्ताह के अंतराल के बाद ब्रिटेन में दोबारा शुरु कर दिया है।

ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने रविवार को बताया कि परीक्षण के दौरान करीब 18,000 व्यक्तियों को कोरोना वैक्सीन दी गयी। इस तरह के वृहद स्तर के परीक्षण में कुछ वालंटियर के अस्वस्थ होने की संभावना रहती है और प्रत्येक वालंटियर के स्वास्थ्य का सावधानी पूर्वक मूल्यांकन आवश्यक होता है ताकि वैक्सीन के सुरक्षा संबंधी पहलू का आकलन हो सके।

अगर लोगों को भरोसा नहीं तो मैं खुद कोरोना वैक्सीन का पहला डोज लेने काे तैयार: हर्षवर्धन

इधर केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ़ हर्षवर्धन ने आज कहा कि अगले साल मार्च तक कोरोना वैक्सीन तैयार हो सकती है और अगर लोगों को इसके सुरक्षा पहलू को लेकर आशंका है, तो वह खुशी-खुशी खुद वैक्सीन का पहला डोज लेने को तैयार हैं।

डॉ़ हर्षवर्धन ने ‘संडे संवाद’ के नाम से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर एक नया कार्यक्रम शुरु किया है, जहां वह लोगों के सवालों का जवाब देते हैं।

इस कार्यक्रम की शुरुआत गत रविवार को होनी थी लेकिन उनकी माताजी के निधन के कारण यह संवाद आज से शुरु हुआ। उन्होंने इस कार्यक्रम के दौरान कोरोना वायरस कोविड-19 के प्रबंधन और कोरोना वैक्सीन से संबंधित कईं सवालों के जवाब दिये।

भारत में जानवरों पर कोरोना वैक्सीन “कोवैक्सीन” का परीक्षण सफल

उधर भारत बायोटेक ने अपनी कोरोना वैक्सीन ‘कोवैक्सीन’ का बंदरों पर किये गये परीक्षण को सफल बताते हुए कहा है कि इससे बंदरों के शरीर में वायरस के खिलाफ एंडीबॉडीज बनी हैं।

भारत बायोटेक ने बताया है कि उसे मकाउ प्रजाति के 20 बंदरों पर कोवैक्सीन का परीक्षण किया था। बंदरों को चार अलग-अलग समूह में विभाजित करके एक समूह को प्लेसिबो और तीन समूह को अगल-अलग तरह की तीन वैक्सीन दी गयीं।

वैक्सीन का पहला डोज देने के 14वें दिन दूसरा डोज दिया गया। दूसरा डोज देने के 14 दिन बाद सभी बंदर कोरोना वायरस कोविड-19 से एक्सपोज हुए। जिन बंदरों को वैक्सीन दी गयी उनमें निमोनिया के लक्षण नहीं पाये गये जबकि प्लेसिबो दिये जाने वाले समूह के बंदरों में निमोनिया के लक्षण पाये गये।

रूस ने देश के विभिन्न क्षेत्रों में भेजी कोरोना वैक्सीन की पहली खेप

रूस ने कोरोना वायरस (कोविड-19) के खिलाफ तैयार की गयी वैक्सीन की पहली खेप को देश के विभिन्न क्षेत्रों में वितरण के लिए भेज दिया है।

रूस के स्वास्थ्य मंत्रालय ने शुक्रवार को एक वक्तव्य जारी कर यह जानकारी दी। वक्तव्य के मुताबिक रूस के राष्ट्रीय महामारी अनुसंधान केन्द्र गैमेलिया की ओर से स्पूतनिक-5 नाम से विकसित वैक्सीन को रूस के विभिन्न क्षेत्रों में भेज दिया गया है। इससे देश में वैक्सीन की आपूर्ति सुनिश्चित होगी। पहले उन लोगों को वैक्सीन लगाई जायेगी जिन्हें कोरोना से सर्वाधिक खतरा है।

दरअसल, रूस 11 अगस्त को कोविड-19 की वैक्सीन को मंजूरी देने वाला दुनिया का पहला देश बन गया था। यह वैक्सीन अगले साल एक जनवरी से आम लोगों के लिए उपलब्ध होगी। रूस के गैमेलिया रिसर्च इंस्टीट्यूट और रक्षा मंत्रालय द्वारा संयुक्त रूप से विकसित ‘स्पूतनिक-5’ के नाम से जानी जाने वाली कोरोना वैक्सीन सबसे पहले कोरोना संक्रमितों के इलाज में जुटे स्वास्थ्य कर्मियों को दी जायेगी। इस वैक्सीन का उत्पादन संयुक्त रूप से रूसी प्रत्यक्ष निवेश कोष (आरडीआईएफ) द्वारा किया जा रहा है।

भारत और अमेरिका ने संयुक्त बयान देकर पाकिस्तान को आतंकवादी गतिविधियों पर तत्काल लगाम।लगाने और आतंकवादियो पर तुरंत कार्रवाई करने को कहा attacknews.in

नई दिल्ली, 11 सितंबर ।भारत और अमेरिका ने पाकिस्तान से आतंकवादी गतिविधियों को लेकर तत्काल, निरंतर और अपरिवर्तनीय कार्रवाई करने का आह्वान किया है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि आतंकवादी हमलों के लिए पाकिस्तानी क्षेत्र का उपयोग नहीं किया जाए।

आतंकवाद के मुद्दे पर अमेरिका-भारत संयुक्त कार्यदल की 17 वीं बैठक और आधिकारिक स्तरीय संवाद के तीसरे सत्र में 9-10 सितंबर को वर्चुअल बैठक में दोनों पक्षों ने सभी रूपों में आतंकवाद की कड़ी निंदा की। इस बैठक के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व भारत की ओर विदेश मंत्रालय में आतंकवाद निरोधक संयुक्त कार्यबल प्रकोष्ठ के संयुक्त सचिव महावीर सिंघवी जबकि अमेरिका की ओर विदेश विभाग के संयोजक नाथन ए सेल्स ने किया। दोनो पक्षों ने सभी रूपों में सीमा पार आतंकवाद की कड़ी निंदा की।

2008 के मुंबई और 2016 के पठानकोट हमलों के अपराधियों को न्याय दिलाने के लिए दोनों देशों ने अल-कायदा, इस्लामिक स्टेट, लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और हिज्बुल मुजाहिदीन सहित सभी आतंकवादी नेटवर्क के खिलाफ ठोस कार्रवाई की आवश्यकता को रेखांकित किया।

दोनों देशों की ओर से जारी संयुक्त बयान में कहा गया है कि बैठक में संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा जाहिर किए गए खतरे की आशंकाओं पर विचारों का आदान-प्रदान किया गया।

भारत और अमेरिका के अधिकारियों ने दुनिया की सबसे अधिक प्रभाव वाली आतंकवाद-विरोधी चुनौतियों का समाधान करने के अपने प्रयासों पर प्रकाश डाला। इसमें आतंकवादी संगठनों के वित्तपोषण और संचालन, इंटरनेट के कट्टरपंथीकरण और आतंकवादी उपयोग,आतंकवादियों के सीमा पार आंदोलन, और अभियोजन पक्ष का मुकाबला करना शामिल है।

दोनों पक्षों ने आपसी कानूनी , प्रत्यर्पण सहायता, और द्विपक्षीय कानून प्रवर्तन प्रशिक्षण तथा सहयोग पर भी चर्चा की।

अमेरिका ने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत के लोगों और सरकार के प्रति अपना समर्थन भी दोहराया।