मानवाधिकारों के हनन का कलंकित देश बना पाकिस्तान में अघोषित मार्शल लॉ लागू ,अल्पसंख्यकों को दबाए जाने और अधिकारों से वंचित रखे जाने की नीति वर्षों से लागू, attacknews.in

वाशिंगटन, 13 अक्टूबर । पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को “सैन्य कठपुतली” करार देते हुए पूर्व और मौजूदा सांसदों समेत प्रमुख पाकिस्तानी असंतुष्टों ने देश में स्थायित्व न होने, असुरक्षा और पड़ोसियों के साथ चलने की अक्षमता के लिये शक्तिशाली सेना को आरोपी ठहराया।

पश्तून नेता और पूर्व सेनेटर अफरासियाब खटक ने ‘साउथ एशियन अगेंस्ट टेररिज्म एंड फॉर ह्यूमन राइट्स’ (एसएएटीएच) के पांचवें वार्षिक सम्मेलन में कहा, “पाकिस्तान में अघोषित मार्शल लॉ लागू है।”

एसएएटीएच लोकतंत्र समर्थक पाकिस्तानियों का एक समूह है जिसकी स्थापना अमेरिका में पाकिस्तान के पूर्व राजदूत हुसैन हक्कानी और अमेरिका स्थित स्तंभकार डॉ. मोहम्मद तकी ने की थी। एक बयान के मुताबिक पूर्व में एसएएटीएच के वार्षिक सम्मेलन लंदन और वाशिंगटन में हुए थे लेकिन इस बार सम्मेलन में प्रतिभागी डिजिटल तौर पर शामिल हुए।

इसमें कहा गया कि प्रतिभागियों ने प्रधानमंत्री खान को एक “सैन्य कठपुतली” करार दिया।

समूह के सदस्यों में नेता, पत्रकार, ब्लॉगर, सोशल मीडिया कार्यकर्ता और नागरिक संस्थाओं से जुड़े लोग शामिल हैं। इनमें से कई विभिन्न देशों में निर्वासन में रहने को मजबूर हैं।

बयान के मुताबिक पाकिस्तानी सुरक्षा सेवाओं ने पूर्व में एसएएटीएच की बैठकों को बाधित करने की कोशिश की और पाकिस्तान में रहने वाले उसके सदस्यों की विदेश यात्रा पर प्रतिबंध भी लगाया, लेकिन इस साल डिजिटल प्रारूप में होने वाली बैठक में देश में रह रहे कई प्रमुख असंतुष्ट चेहरों ने भी इसमें हिस्सा लिया।

पाकिस्तान से सम्मेलन को डिजिटल रूप से संबोधित करते हुए खटक ने कहा, “यह पाकिस्तान में सबसे खतरनाक मार्शल लॉ है क्योंकि इसने संवैधानिक संस्थानों को अभद्र और विकृत किया है।”

उन्होंने कहा, “मौजूदा सैन्य व्यवस्था देश के राजनीतिक संस्थानों को सीमित कर रही है और हालात यह हैं कि खुफिया एजेंसियां सांसदों को यह निर्देश दे रही हैं कि सत्र में कब शामिल होना है और कब मतदान नहीं करना है।”

हक्कानी ने कहा कि प्रधानमंत्री खान ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान को कमजोर करने का आरोप लगाते हुए हाल में उनपर और एसएएटीएच पर आरोप लगाया था।

उन्होंने कहा, “पाकिस्तान आतंकवाद को बढ़ावा देने और स्वतंत्रता को दबाने की अपनी नीतियों की वजह से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी जमीन खो रहा है, न कि मानवाधिकारों के लिये आवाज उठाने वाले कार्यकर्ताओं की वजह से।”

सम्मेलन में कई वक्ताओं ने पाकिस्तान में विभिन्न अल्पसंख्यकों को दबाए जाने और अधिकारों से वंचित रखे जाने का मुद्दा भी उठाया।

बंगलादेश में बलात्कार के दोषियों को अब.सीधे मौत की सजा,कैबिनेट ने प्रस्ताव को दी मंजूरी attacknews.in

ढाका ,12 अक्टूबर (शिन्हुआ) बंगलादेश में दुष्कर्म के दोषी पाए गए लोगों को मृत्यु दंड देने वाले प्रस्ताव को सरकार ने मंजूरी प्रदान कर दी है।

प्रधानमंत्री शेख हसीना की अध्यक्षता में सोमवार को हुई कैबिनेट की बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान की गयी। बंगलादेश के कानून मंत्री अनीसुल हक ने पत्रकारों को यह जानकारी दी।

श्री हक ने कहा कि प्रस्तावित कानून के तहत दुष्कर्म के दोषी पाए गए लोगों को मृत्युदंड देने का प्रावधान किया गया है।

अमेरिका राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प कोरोनावायरस संक्रमण के खतरे से बाहर हुए,व्हाइट हाउस पहुंचने के बाद पहली बार बाहर आकर संबोधित किया attacknews.in

वाशिंगटन, 11 अक्टूबर । व्हाइट हाउस के डॉक्टर डॉ. सीन कोनले ने रविवार को कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से अन्य लोगों में कोरोना वायरस (कोविड-19) संक्रमण फैलने का अब कोई खतरा नहीं है।

डॉ. कोनले की ओर से गुरुवार के बाद से श्री ट्रंप के स्वास्थ्य को लेकर पहली बार यह जानकारी दी गई।

उल्लेखनीय है कि श्री ट्रंप ने शनिवार को व्हाइट हाउस में बिना मास्क पहने समर्थकों के सामने भाषण दिया था। कोरोना वायरस से संक्रमित होने और स्वस्थ होने पर अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद किसी सार्वजनिक कार्यक्रम में यह उनकी पहली उपस्थिति थी।

इस बीच इस बात को लेकर चिंता जताई गई कि अभी भी श्री ट्रंप से दूसरों में कोरोना वायरस के संक्रमण फैलने का खतरा हो सकता है।

रिपोर्ट के अनुसार डॉक्टर के ज्ञापन में कहा गया कि राष्ट्रपति के हाल के जांच से पता चला है कि अब उनमें वायरस का कोई संक्रमण नहीं है।

व्हाइट हाउस पहुंचने के बाद ट्रंप पहली बार आये बाहर

वैश्विक महामारी कोरोना वायरस से संक्रमित अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप व्हाइट हाउस पहुंचने के कुछ दिन बाद शनिवार को पहली बार सार्वजनिक रूप से दिखाई दिए।

श्री ट्रंप कोरोना के उपचार के लिए अस्पताल में भर्ती थे और व्हाइट हाउस लौटने के बाद उन्होंने हाउस की ट्रूमैन बालकनी से अपने हजारों समर्थकों को संबोधित करते हुए कहा, “मैं बहुत अच्छा महसूस कर रहा हूं।”

श्री ट्रंप ने कोरोना से संक्रमित होने के बावजूद लगातार 18 मिनटों तक अपने समथकों को संबोधित किया। उन्होंने इस दौरान विपक्षी डेमोक्रेट्स पर हमला करते हुए कानून एवं व्यवस्था पर जोर दिया।

व्हाइट हाउस के प्रवक्ता ने श्री ट्रंप के आयोजन को लेकर कहा कि यह एक ‘आधिकारिक कार्यक्रम’ था न कि कोई चुनावी अभियान। इसके अलावा श्री ट्रंप कोरोना वायरस से संक्रमित होने के बाद सोमवार को फ्लोरिडा में पहली चुनावी रैली को सम्बोधित करेंगे।ट्रंप चुनाव अभियान ने बयान जारी कर यह जानकारी दी।

ट्रम्प अभियान ने कहा, “श्री ट्रंप फ्लोरिडा के सैनफोर्ड में सोमवार को आयोजित होने वाले ‘अमेरिका को फिर से महान बनाओ’ कार्यक्रम को संबोधित करेंगे।”

उल्लेखनीय है कि अमेरिकी राष्ट्रपति को कोरोना से संक्रमित हुए अबतक दस दिन हो चुके हैं और उनकी थेरेपी भी पूरी हो चुकी है तथा चिकित्सिकों ने उन्हें सार्वजनिक कार्यक्रमों को संबोधित करने की अनुमति दे दी है लेकिन वाइट हाउस ने श्री ट्रंप की कोरोना जांच जबतक नेगेटिव आने को लेकर कोई जानकारी नहीं दी।

डोनाल्ड ट्रम्प की चेतावनी: कोविड-19 को दुनियाभर में फैलाने की चीन को ‘‘बड़ी कीमत’’ चुकानी होगी ,कोरोना वायरस से संक्रमित होना मेरे लिए ‘‘अप्रत्यक्ष वरदान’’ रहा attacknews.in

वाशिंगटन, आठ अक्टूबर । अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने चीन को कड़ी चेतावनी देते हुए कहा कि कोरोना वायरस को दुनियाभर में फैलाने की उसे ‘‘बड़ी कीमत चुकानी’’ होगी।

कोरोना वायरस संक्रमण से उबरने के बाद सैन्य अस्पताल से व्हाइट हाउस लौटते ही ट्रम्प ने ओवल कार्यालय के बाहर ‘रोज़ गार्डन’ में बनाया एक वीडियो ट्विटर पर जारी किया जिसमें उन्होंने कोविड-19 के लिए एक बार फिर चीन को जिम्मेदार ठहराया।

ट्रम्प ने वीडियो संदेश में कहा, ‘‘ इसमें आपकी कोई गलती नहीं है। यह चीन की गलती है। चीन ने हमारे देश के साथ, दुनिया के साथ जो किया है, उसकी उसे बड़ी कीमत चुकानी होगी। यह चीन की गलती है, याद रखिए।’’

चीन के शहर वुहान में पिछले साल कोविड-19 का पहला मामला सामने आया था और अभी तक दुनिया में इससे 10,54,674 लोगों की मौत हो चुकी है और वायरस के 3,60,77,017 मामले सामने आ चुके हैं।

अमेरिका कोरोना वायरस सबसे अधिक प्रभावित हुआ है, जहां इसके 75,49,429 मामले सामने आए हैं और 2,11,793 लोगों की इससे मौत हुई है।

ट्रम्प और प्रथम महिला मेलानिया गत बृहस्पतिवार को कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए थे।

ट्रम्प को संक्रमित होने के बाद गत शुक्रवार को ‘वाल्टर रीड नेशनल मेडिकल सेंटर’ में भर्ती कराया गया था। उन्हें सोमवार को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई थी।

बीते कुछ महीनों में ट्रंप प्रशासन ने चीन के खिलाफ कई कदम उठाए हैं, उन्हीं में से एक है चीन के सत्तारूढ़ दल चाइनीज कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) के अधिकारियों पर वीजा पाबंदियां लगाना।

ट्रंप और विदेश मंत्री माइक पोम्पियो दुनियाभर में अपने समकक्षों को चीन के खिलाफ लामबंद करने के प्रयास कर रहे हैं।

कोरोना वायरस से संक्रमित होना मेरे लिए ‘‘अप्रत्यक्ष वरदान’’ रहा: ट्रम्प

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कोरोना वायरस संक्रमण को अपने लिए एक ‘‘अप्रत्यक्ष वरदान’’ बताते हुए बुधवार को देशवासियों से कहा कि वह सभी के लिए उसी दवाई का इंतजाम करेंगे, जिससे वह ठीक हुए हैं।

कोरोना वायरस से संक्रमित पाए जाने के बाद राष्ट्रपति ट्रम्प को इलाज के लिए सैन्य अस्पताल में भर्ती कराया गया था।

ट्रम्प ने एक वीडियो संदेश में कहा, ‘‘मैं चाहता हूं कि सभी को वही इलाज मिले, जो आपके राष्ट्रपति को मिला है क्योंकि मैं काफी बेहतर महसूस कर रहा हूं। मुझे लगता है कि यह भगवान का मुझे एक वरदान था। यह एक अप्रत्यक्ष वरदान था।’’

ओवल कार्यालय के बाहर रोज गार्डन में खड़े होकर, ट्रम्प ने अपने इलाज का श्रेय ‘रेगेनेरोन’ कंपनी की दवा को दिया।

ट्रम्प को संक्रमित होने के बाद गत शुक्रवार को ‘वाल्टर रीड नेशनल मेडिकल सेंटर’ में भर्ती कराया गया था। उन्हें सोमवार को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई थी।

ट्रम्प और प्रथम महिला मेलानिया गत बृहस्पतिवार को कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए थे।

राष्ट्रपति ने वीडियो में कहा, ‘‘मैं चाहता हूं कि आपको भी वही (दवाई) मिले, जो मुझे मिली और मैं उसे मुफ्त में उपलब्ध कराना चाहता हूं। हम इसे जल्द से जल्द अस्पताल में उपलब्ध कराएंगे।’’

अमेरिका में नवंबर में उपलब्ध हो जाएगा कोरोना वायरस का टीका attacknews.in

वाशिंगटन, 08 अक्टूबर (स्पूतनिक) अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा कि तीन नवंबर के चुनाव के बाद देश में कोरोना वायरस का टीका उपलब्ध होगा।

श्री ट्रंप ने बुधवार को पहले से रिकॉर्ड वीडियो संदेश में कहा, “ मुझे लगता है कि चुनाव से पहले हमारे पास टीका होना चाहिए, लेकिन स्पष्टत है कि राजनीति हो रही है और यह ठीक है, वे अपना खेल खेलना चाहते हैं।” उन्होंने कहा, “यह चुनाव के ठीक बाद होने जा रहा है।”

कोरोना वायरस से संक्रमित होना मेरे लिए ‘‘अप्रत्यक्ष वरदान’’ रहा: ट्रम्प

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कोरोना वायरस संक्रमण को अपने लिए एक ‘‘अप्रत्यक्ष वरदान’’ बताते हुए बुधवार को देशवासियों से कहा कि वह सभी के लिए उसी दवाई का इंतजाम करेंगे, जिससे वह ठीक हुए हैं।

कोरोना वायरस से संक्रमित पाए जाने के बाद राष्ट्रपति ट्रम्प को इलाज के लिए सैन्य अस्पताल में भर्ती कराया गया था।

ट्रम्प ने एक वीडियो संदेश में कहा, ‘‘मैं चाहता हूं कि सभी को वही इलाज मिले, जो आपके राष्ट्रपति को मिला है क्योंकि मैं काफी बेहतर महसूस कर रहा हूं। मुझे लगता है कि यह भगवान का मुझे एक वरदान था। यह एक अप्रत्यक्ष वरदान था।’’

ओवल कार्यालय के बाहर रोज गार्डन में खड़े होकर, ट्रम्प ने अपने इलाज का श्रेय ‘रेगेनेरोन’ कंपनी की दवा को दिया।

ट्रम्प को संक्रमित होने के बाद गत शुक्रवार को ‘वाल्टर रीड नेशनल मेडिकल सेंटर’ में भर्ती कराया गया था। उन्हें सोमवार को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई थी।

ट्रम्प और प्रथम महिला मेलानिया गत बृहस्पतिवार को कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए थे।

राष्ट्रपति ने वीडियो में कहा, ‘‘मैं चाहता हूं कि आपको भी वही (दवाई) मिले, जो मुझे मिली और मैं उसे मुफ्त में उपलब्ध कराना चाहता हूं। हम इसे जल्द से जल्द अस्पताल में उपलब्ध कराएंगे।’’

डोनाल्ड ट्रम्प ने रूस के हस्तक्षेप संबंधी सभी दस्तावेजों को सार्वजनिक किए जाने का दिया आदेश,नए दस्तावेजों के अनुसार डेमोक्रेटिक पार्टी कहने पर रूस ने दिया था 2016 के चुनाव में दखल attacknews.in

वाशिंगटन, सात अक्टूबर । अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने देश में 2016 में हुए राष्ट्रपति पद के चुनाव में रूस के कथित हस्तक्षेप संबंधी मामले को फर्जी बताते हुए इससे जुड़े सभी दस्तावेजों को ‘‘पूरी तरह सार्वजनिक’’ करने का आदेश दिया।

ट्रम्प ने मंगलवार रात को ट्वीट किया, ‘‘मैंने अमेरिकी इतिहास में सबसे बड़े एकमात्र राजनीतिक अपराध – रूसी हस्तक्षेप संबंधी फर्जी मामले से जुड़े सभी दस्तावेजों को पूरी तरह सार्वजनिक करने का पूरा अधिकार दिया है। इसी तरह हिलेरी क्लिंटन के ईमेल प्रकरण में किया गया। कोई संपादन नहीं।’’

इस घोषणा से कुछ ही घंटों पहले राष्ट्रीय खुफिया के निदेशक ने कुछ दस्तावेजों को सार्वजनिक किया था।

‘फॉक्स न्यूज’ ने कहा कि हस्तलिखित दस्तावेजों में खुलासा हुआ है कि पूर्व सीआईए निदेशक जॉन ब्रेनन ने पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा को जानकारी दी थी कि 2016 के राष्ट्रपति पद के चुनाव में डेमोक्रेटिक उम्मीदवार हिलेरी क्लिंटन ने ट्रम्प को रूस के साथ जोड़ने की कथित योजना बनाई थी, ताकि ‘‘उनके (हिलेरी के) निजी ईमेल सर्वर के इस्तेमाल से लोगों का ध्यान हटाया जा सके’’।

नए दस्तावेजों के अनुसार डेमोक्रेटिक पार्टी कहने पर रूस ने दिया था 2016 के चुनाव में दखल: ट्रंप

इससे पहले 26 सितंबर को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने आरोप लगाया था कि नए दस्तावेजों से खुलासा हुआ है कि रूस ने 2016 में राष्ट्रपति पद के लिये डेमोक्रेटिक पार्टी की उम्मीदवार हिलेरी क्लिंटन की तरफ से चुनाव में दखल दिया था।

साल 2016 के राष्ट्रपति चुनाव के दौरान रूस का कथित दखल राष्ट्रपति के तौर पर ट्रंप के कार्यकाल के शुरूआती तीन साल के दौरान विपक्षी डेमोक्रेटिक पार्टी के लिये सबसे बड़े मुद्दों में शामिल था। इसी मुद्दे पर ट्रंप के खिलाफ महाभियोग भी चलाया गया था, जो नाकाम हो गया था। डेमोक्रेटिक पार्टी ने आरोप लगाया था कि रूस ने राष्ट्रपति चुनाव में रिपल्बिकन पार्टी के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप के दखलअंदाजी की थी।

ट्रंप ने वर्जीनिया के न्यूपोर्ट में रिपब्लिकन पार्टी की चुनावी रैली को संबोधित करते हुए कहा कि मैंने चार साल तक ये आरोप झेले। मैं साफ कर दूं कि मैंने कभी ऐसा नहीं किया। ऐसा सोचा तक नहीं। चार साल तक मुझपर जो आरोप लगाए गए वे उलट साबित हुए। रूस ने उनके लिये चुनाव में दखल दिया था।

ट्रंप ने दावा किया, ‘नए दस्तावेजों में साबित हो चुका है कि रूस ने 2016 के चुनाव में हस्तक्षेप किया था। दुर्भाग्यपूर्ण बात है कि ऐसा हिलेरी क्लिंटन के कहने पर किया गया, न कि ट्रंप के कहने पर।’

राष्ट्रपति ने दावा किया, ‘हाल ही में जारी किये गए लिखित संदेशों से सब कुछ बिल्कुल साफ हो गया है। एफबीआई जानती थी कि डेमोक्रेटिक पार्टी ने मुझे, आपके प्रिय राष्ट्रपति को निशाना बनाने के लिये रूस से गलत जानकारी मांगी।

चीन ने भारत सहित अपने पड़ोसियों के प्रति और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अचानक ‘‘घोर आक्रमक’’ रुख अपनाया :तोक्यो में क्वाड मंत्रियों की बैठक के समापन के बाद कही गई बात attacknews.in

वाशिंगटन,सात अक्टूबर । अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा है कि चीन ने भारत सहित अपने पड़ोसियों के प्रति और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अचानक ‘‘घोर आक्रमक’’ रुख अपनाया है।

प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी ने तोक्यो में क्वाड मंत्रियों की बैठक के समापन के बाद यह बात कही, जिसमें नेताओं ने रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्र की शांति और स्थिरता सुनिश्चित करने में समन्वय का प्रण लिया।

क्वाड’ चार देशों का समूह है जिसमें अमेरिका और भारत के अलावा ऑस्ट्रेलिया व जापान भी शामिल हैं।

क्वाड देशों के विदेश मंत्रियों ने मंगलवार को तोक्यो में मुलाकात की। कोरोना वायरस संक्रमण के बाद यह पहली आमने सामने की बातचीत थी। यह बैठक हिंद-प्रशांत, दक्षिण चीन सागर और पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी)पर चीन के आक्रामक सैन्य रवैए की पृष्ठभूमि में हुई।

जापान के विदेश मंत्री तोशिमित्सु मोतेगी, भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर, अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ और ऑस्ट्रेलिया के विदेश मंत्री मॉरिस पायने ने मुक्त, खुले और नियम आधारित अंतरराष्ट्रीय प्रणाली को मजबूत करने की बात दोहराई।

पोम्पियों के साथ मौजूद एक वरिष्ठ अधिकारी ने संवाददताओं से कहा कि चीन की आक्रमकता चिंता का विषय है।

अधिकारी ने कहा,‘‘यह चिंता की बात है। मेरा मतलब है, यदि आप चीन और भारत के बीच हिमालय में संघर्ष को देखते हैं, तो अतीत में ऐसा हुआ है और स्थिति को नियंत्रण से बाहर जाने से रोकने के लिए ऐसे तरीके अपनाए गए जो न कहीं लिखे हैं और जो न कहीं कहे गए हैं। और फिर आप उसे देखिए जो यहां हाल ही में हुआ। यहां लोगों ने एक दूसरे से मारपीट करके उन्हें मौत के घाट उतार दिया।’’

जयशंकर ने ऑस्ट्रेलिया की विदेश मंत्री के साथ तोक्यो में की द्विपक्षीय बातचीत

भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ऑस्ट्रेलिया की विदेश मंत्री मॉरिस पायने के साथ बुधवार को तोक्यो में क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर द्विपक्षीय बातचीत की।

जयशंकर और पायने ‘क्वाड’ मंत्रियों की बैठक के लिए तोक्यो में हैं। ‘क्वाड’ चार देशों का समूह है जिसमें अमेरिका और भारत के अलावा ऑस्ट्रेलिया व जापान भी शामिल हैं। क्वाड के विदेश मंत्रियों की मंगलवार को बैठक हुई।

पायने के साथ अपनी मुलाकात के बाद जयशंकर ने ट्वीट किया कि दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों के बीच हुए ऑनलाइन शिखर सम्मेलन के बाद द्विपक्षीय संबंधों में प्रगति की समीक्षा की गई।

उन्होंने कहा,‘‘अच्छी मित्र एवं ऑस्ट्रेलिया की विदेश मंत्री मॉरिस पायने के साथ गर्मजोशी भरी मुलाकात। दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों के बीच ऑनलाइन शिखर सम्मेलन के बाद द्विपक्षीय संबंधों में प्रगति की समीक्षा की गई। वैश्विक मामलों और क्षेत्रीय मुद्दों पर सहयोग बढ़ाने पर चर्चा हुई। बहुपक्षीय मंचों पर और निकटता से काम करेंगे।’’ भारत और ऑस्ट्रेलिया के चीन के साथ बिगड़े संबंधों की पृष्ठभूमि में यह बैठक हुई है।

समझा जाता है कि जयशंकर और पायने ने अहम क्षेत्रीय सुरक्षा चुनौतियों पर बातचीत की है।

पिछले कुछ वर्षों में भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच रक्षा और सुरक्षा संबंध तेजी से बढ़े हैं और दोनों देशों ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में एक साथ काम करने का प्रण भी लिया है। यह क्षेत्र चीन की बढ़ती आक्रामकता का गवाह है।

गौरतलब है कि प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और उनके ऑस्ट्रेलियाई समकक्ष स्कॉट मॉरिसन के बीच चार जून को एक ऑनलाइन शिखर सम्मेलन में दोनों देशों ने अपने संबंधों को एक व्यापक रणनीतिक साझेदारी के स्तर पर पहुंचाते हुए एक अहम समझौते पर हस्ताक्षर किए थे।

संयुक्त राष्ट्र में 40 देशों द्वारा चीन की ओर से अल्पसंख्यकों पर किये जा रहे अत्याचारों को मानवाधिकार हनन का गंभीर मामला बताने पर पाकिस्तान ने चीन के समर्थन में इसे जायज बताया attacknews.in

संयुक्त राष्ट्र, सात अक्टूबर (एपी) चीन में अल्पसंख्यकों के साथ हो रहे सलूक की करीब 40 देशों ने आलोचना की और हांगकांग में उसके नए राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के मानवाधिकारों पर पड़ने वाले प्रभाव पर गंभीर चिंता व्यक्त की।

इन देशों में अधिकतर पश्चिमी देश हैं और इन्होंने खासकर शिनजियांग और तिब्बत में अल्संख्यक समुदाय के साथ किए जा रहे व्यवहार पर सवाल उठाए हैं।

अमेरिका, कई यूरोपीय देशों, जापान और अन्य ने चीन से संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख मिशेल बैचलेट सहित स्वतंत्र पर्यवेक्षकों के लिए शिनजियांग तक ‘‘स्वतंत्र पहुंच’’ की अनुमति देने का आह्वान किया और उइगुर तथा अन्य अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्यों को हिरासत में लेने पर रोक लगाने को भी कहा।

महासभा की मानवाधिकार समिति की एक बैठक में 39 देशों ने एक संयुक्त बयान में चीन से ‘‘हांगकांग में स्वायत्तता, अधिकार और स्वतंत्रता को बनाए रखने और हांगकांग की न्यायपालिका की स्वतंत्रता का सम्मान करने’’ का आग्रह किया।

इन देशों का यह बयान संयुक्त राष्ट्र में जर्मनी के राजदूत क्रिस्टोफ हेस्जेन ने पढ़ा। इसके तुरंत बाद पाकिस्तान ने 55 देशों की ओर से एक बयान पढ़ा, जिसमें चीन के मामलों में हस्तक्षेप करने का विरोध किया गया था।

उसने कहा कि क्षेत्र चीन का हिस्सा है और राष्ट्रीय सुरक्षा कानून हांगकांग पर चीन की “एक देश, दो प्रणाली” नीति सुनिश्चित करता है।

इसके बाद क्यूबा ने 45 देशों की ओर से एक बयान में चीन के आतंकवाद विरोधी और शिनजियांग में कट्टरपंथ को कम करने के लिए उठाए कदमों का समर्थन किया।

उसने कहा कि चीन द्वारा आतंकवाद और चरमपंथ के खतरों के जवाब में उठाए गए कदम प्रांत के सभी जातीय समूहों के मानवाधिकारों की सुरक्षा के कानून के दायरे में है।

प्रतिद्वंद्वी बयानों से चीन और पश्चिमी देशों के बीच मानवाधिकारों को लेकर तनाव बढ़ गया है।

ब्लैक होल से जुड़ी खोज के लिए तीन वैज्ञानिकों को भौतिकी का नोबेल पुरस्कार attacknews.in

स्टॉकहोम 06 अक्टूबर । इस वर्ष का भौतिकी का नोबेल पुरस्कार ब्लैक होल से जुड़े अनुसंधानों के लिए ब्रिटेन के रोजर पैनरोज, जर्मनी के राइनहार्ड गैन्जेल और अमेरिका की आंद्रे गेज को दिया जाएगा।

रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज के महासचिव प्रोफेसर जी के हैन्सन ने मंगलवार को इस पुरस्कार की घोषणा की।

सुश्री गेज भौतिकी में नोबेल पुरस्का प्राप्त करने वाली चौथी महिला हैं। वर्ष 1903 में मैरी क्यूरी ,1963 में मारिया गोयपर्ट और 2018 में डोना स्ट्रिकलैंड को इस पुरस्कार से नवाजा गया था।

श्री हैन्सन ने यहां जारी एक बयान में कहा कि वर्ष 2020 के भौतिकी के नोबेल पुरस्कार को तीन वैज्ञानिकों में बांटा गया है और तीनों वैज्ञानिकों की खोज अंतरिक्ष में मौजूद ब्लैक होल से जुड़ी है। पुरस्कार समाराेह का आयोजन 10 दिसम्बर को ऑन लाइन होगा।

ब्रिटेन के ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर पेनरोज ने यह पता लगाया है कि ब्लैक होल का गठन सापेक्षता के सामान्य सिद्धांत का एक मजबूत पूर्वानुमान है। श्री हैंन्सन ने कहा,“ब्रिटेन में पैदा हुए और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ाने वाले रोजर पैनरोज ने पता लगाया है कि ब्लैक होल के निर्माण को सापेक्षता के सिद्धांत पर समझा जा सकता है।उन्हें पुरस्कार राशि का आधा हिस्सा प्रदान किया जायेगा।”

जर्मनी के मैक्स प्लांक इंस्टीट्यूट फॉर एक्ट्रारेस्ट्रीयल फिजिक्स और अमेरिका के बेरकेले स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के राइनहार्ड गैन्जेल और लॉस एंजेलिस स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया की आंद्रे गेज को शेष पुरस्कार की राशि को
को संंयुक्त रूप से दिया जायेगा।इन दोनों वैज्ञानिकों ने आकाशगंगा के केंद्र में एक सुपरमैसिव कॉम्पैक्ट ऑब्जेक्ट को खोज निकाला है।पुरस्कार की राशि 864200 डॉलर है।

राइनहार्ड गेंजल जर्मनी में पैदा हुए और माक्स प्लांक इंस्टीट्यूट के निदेशक हैं। सुश्री गेज यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया, लॉस एंजेलिस में प्रोफेसर हैं।

अतिसूक्ष्म कणों से लेकर ब्रह्मांड के विशाल रहस्यों को सुलझाने के लिए भौतिकी का नोबेल पुरस्कार दिया जाता है। कनाडा में जन्में ब्रह्मांडविज्ञानी जेम्स पीबल्स और स्विस अंतरिक्षविज्ञानी मीषेल मेयर और डिडियर क्वेलोज को पिछले वर्ष यह पुरस्कार मिला। जेम्स पीबल्स को बिग बैंग के बाद शुरुआती समय पर काम करने के लिए यह पुरस्कार मिला तो मेयर और क्वेलोज को सौरमंडल के बाहर ग्रहों की खोज करने के लिए इससे सम्मानित किया गया।

विश्व स्वास्थ्य संगठन की आशंका:दुनिया की 10 प्रतिशत आबादी के कोरोना संक्रमण की चपेट आ जाएगी,अब भी बहुत बडी आबादी पर संक्रमित होने का खतरा attacknews.in

नयी दिल्ली, 05 अक्टूबर । विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक दुनिया की 10 प्रतिशत आबादी कोरोना वायरस कोविड-19 के संक्रमण की चपेट में आ चुकी है और अब भी बहुत बड़ी आबादी पर संक्रमित होने का खतरा मंडरा रहा है।

डब्ल्यूएचओ के अनुसार, लोगों के कोरोना वायरस कोविड-19 से संक्रमित होने के जो आंकड़े सामने आ रहे हैं, वे बस एक पहलू हैं क्योंकि इतने वृहद स्तर पर गिनती के सटीक होने की संभावना कम होती है।

अमेरिका की जॉन हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के विज्ञान एवं इंजीनियरिंग केन्द्र (सीएसएसई) की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार अब तक पूरी दुनिया में 3,50,78,236 लोग कोरोना संक्रमित हो चुके हैं तथा अब तक 10,36,104 कोरोना मरीजों की मौत हो चुकी है।

कोरोना के कारण बाधित हुईं मानसिक स्वास्थ्य सेवायें:

साथ ही डब्ल्यूएचओ ने कहा कि, कोरोना वायरस कोविड-19 के संक्रमण के तेजी से पैर पसारने के कारण पूरी दुनिया की स्वास्थ्य व्यवस्थायें चरमरा गयीं जिससे अन्य बीमारियों से ग्रसित मरीजों को इसका गहरा खामियाजा भुगतना पड़ा।

इस अफरातफरी भरे माहौल के बीच दुनियाभर के 93 प्रतिशत देशों में मानसिक स्वास्थ्य सेवायें बाधित हो गयीं जिससे मानसिक बीमारियों से ग्रस्त मरीजों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा।

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की हालत चिंताजनक:ऑक्सीजन का स्तर गिरने के बाद दी गयी डेक्सामेथासन जो गंभीर हालातों में मरीजों को दी जाती है attacknews.in

वाशिंगटन 05 अक्टूबर । कोरोना वायरस (कोविड-19) से संक्रमित अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प का इलाज कर रहे डॉक्टरों की टीम ने कहा है कि श्री ट्रम्प के रक्त में ऑक्सीजन का स्तर कम होने के बाद उन्हें ऑक्सीजन दी गयी।

डॉक्टरों के मुताबिक श्री ट्रम्प को डेक्सामेथासन दवाई भी दी गयी जिससे उनकी हालत में लगातार सुधार हो रहा है और वह जल्द ही पूर्ण रूप से स्वस्थ होकर व्हाइट हाउस लौटेंगे।

वाल्टर रीड नेशनल मिलिट्री मेडिकल सेंटर के डॉक्टरों की टीम ने संवाददाताओं को संबोधित करते हुए यह जानकारी दी।

कोरोना से संक्रमित पाए जाने के बाद श्री ट्रम्प इलाज के लिए शुक्रवार से इसी अस्पताल में भर्ती हैं।

अमेरिकी राष्ट्रपति का इलाज कर रहे डॉक्टर ब्रायन गैरीबाल्डी ने कहा, “ ऑक्सीजन का स्तर कम होने के बाद 74 वर्षीय राष्ट्रपति को शनिवार को डेक्सामेथासन दवा दी गयी। श्री ट्रम्प के रक्त में ऑक्सीजन का स्तर इस समय सामान्य है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक डेक्सामेथासन दवाई केवल कोरोना के उन मरीजों को दी जानी चाहिए जिनकी हालत गंभीर बनी हुई है।

डॉक्टरों के बयान के कुछ देर बाद राष्ट्रपति के चीफ ऑफ स्टाफ मार्क मीडॉ ने कहा, “ पिछले 24 घंटों के दौरान राष्ट्रपति के सभी स्वास्थ्य मानकों की हालत काफी चिंताजनक थी और अगले 48 घंटे उनके स्वास्थ्य की दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण होंगे। हम अभी स्पष्ट रूप से नहीं कह सकते कि वह कब तक ठीक हो पायेंगे।”

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने गुरुवार को ट्वीट करके स्वयं और पत्नी मेलानिया ट्रम्प के कोरोना से संक्रमित होने के बारे में जानकारी दी थी।

गौरतलब है कि श्री ट्रम्प ऐसे समय में कोरोना से संक्रमित हुए हैं जब राष्ट्रपति चुनाव में केवल एक माह का समय रह गया है।

अमेरिका में रहा है राष्ट्रपतियों के स्वास्थ्य को लेकर जनता को अंधेरे में रखने का लंबा इतिहास, डोनाल्ड ट्रम्प को लेकर भी उठने लगे हैं सवाल attacknews.in

वाशिंगटन, चार अक्टूबर (एपी) अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप कोरोना वायरस से संक्रमित हो चुके हैं और चुनावों से पहले उनकी सेहत को लेकर कई तरह की चिंताएं प्रकट की जा रही हैं। उनसे पहले भी हालांकि कई राष्ट्रपति अपने कार्यकाल के दौरान बीमार पड़े हैं लेकिन यहां गौर करने वाली कटु सच्चाई यह है कि कई राष्ट्रपतियों ने अपने स्वास्थ्य को लेकर देश की जनता को अंधेरे में रखा।

जहां कई राष्ट्रपतियों की बीमारियां मामूली थी तो कई की बेहद गंभीर और कभी-कभी तो ऐसा हुआ कि जनता को इस सच्चाई का पता लगने में दशकों बीत गए। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप कोरोना वायरस से संक्रमित हैं, पहले तो व्हाइट हाउस ने बताया कि उनमें संक्रमण के ‘आंशिक लक्षण’ हैं लेकिन शुक्रवार शाम तक वह वाल्टर रीड नेशनल मिलिटरी मेडिकल सेंटर में भर्ती हुए। ट्रंप के चिकित्सकों की एक टीम के संवाददाता सम्मेलन के बाद व्हाइट हाउस के चीफ ऑफ स्टाफ मार्क मीडोज ने शनिवार को कहा कि ट्रंप शुक्रवार को ‘बेहद चिंताजनक’ स्थिति से गुजरे हैं और अगला 48 घंटा उनके स्वास्थ्य के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण रहने जा रहा है।

बात करें महामारी की तो ट्रंप और वुडरो विल्सन दोनों का कार्यकाल इससे ग्रस्त रहा है। दोनों ने ही वायरस को कमतर करके देखा और इससे हजारों अमेरिकी लोगों की मौत हुई। दोनों ही राष्ट्रपति बीमार पड़े और दोनों को ही इस पर विचार करना पड़ा कि इसकी जानकारी जनता को कैसे दी जाए। विल्सन की बीमारी को व्हाइट हाउस ने गुप्त रखने की भी कोशिश की थी।

विल्सन प्रथम विश्वयुद्ध को समाप्त करने पर चर्चा करने के लिए पेरिस में थे, वह अप्रैल 1919 को बीमार पड़ गए। उनमें इतने गंभीर लक्षण अचानक से दिखने शुरू हो गए कि उनके निजी चिकित्सक कैरी ग्रैसन को लगा कि उन्हें जहर दिया गया है। रात भर विल्सन की देखरेख के बाद ग्रैसन ने एक पत्र वाशिंगटन भेजा जिसमें उन्होंने व्हाइट हाउस को बताया कि राष्ट्रपति बेहद बीमार हैं।

अब 100 साल आगे आते हैं। ट्रंप ने शुक्रवार को रात 12 बजकर 54 मिनट पर ट्वीट कर दुनिया को बताया कि वह और प्रथम महिला मेलानिया ट्रंप कोविड-19 की चपेट में आ गए हैं।

अमेरिका में कोरोना वायरस महामारी से 2,08,000 लोगों की मौत हो चुकी है और राष्ट्रपति ट्रंप यह कह चुके हैं कि उन्होंने वायरस को कमतर करके बताया कि क्योंकि वह नहीं चाहते थे कि लोगों में अफरातफरी मचे। लेकिन ऐसा करने के पीछे राजनीतिक वजह थी। तीन नवंबर को राष्ट्रपति चुनाव होने वाले हैं और वह नहीं चाहते थे कि अमेरिका की अर्थव्यवस्था चुनाव से पहले चरमरा जाए।

तुलेन विश्वविद्यालय के प्रोफेसर जॉन बेरी की कहना है, ‘ विल्सन प्रशासन ने भी अन्य वजह से महामारी को कमतर करके देखा था।’ बेरी की किताब ‘ग्रेट इंफ्लुएंजा’ में बताया गया है कि 1918-19 के बीच इस महामारी से विल्सन बीमार पड़े थे और अमेरिका के 6,75,000 लोगों की मौत हुई थी।

शिकागो विश्वविद्यालय के प्रोफेसर विलियम होवेल का कहना है कि वह यह देख रहे हैं कि ट्रंप के मामले में व्हाइट हाउस कितना पारदर्शी रहता है। अमेरिका का इतिहास ऐसी जानकारियों से भरा पड़ा है कि राष्ट्रपतियों ने कैसे आम लोगों को अपनी बीमारी और चिकित्सीय स्थितियों को लेकर अंधेरे में रखा था।

राष्ट्रपति ग्रोवर क्लीवलैंड को यह डर था कि अगर उनके खराब स्वास्थ्य के बारे में जनता को पता चलता है तो उन्हें कमजोर रूप में देखा जाएगा और इस वजह से उन्होंने अपनी बीमारी को गुप्त रखते हुए लॉन्ग आइलैंड साउंड में एक निजी जहाज में मुंह का ऑपरेशन कराया था, जिसमें कैंसर वाले हिस्से को हटाया गया था। 2000 में इस जख्म वाले हिस्से की प्रदर्शनी लगी थी।

राष्टपति लिंडन बी जॉनसन ने ऐसे ही गुप्त तरीके से 1967 में अपने हाथों के एक घाव को हटवाया था। युद्ध और मंदी के समय देश का नेतृत्व करनेवाले फ्रेंकलिन डी रूजवेल्ट को 1944 में उच्च रक्तचाप और हृदय संबंधी बीमारियों का पता चला था। उन्हें कम नमक वाले खाद्य पदार्थों पर रखा गया था और उन्हें धूम्रपान भी बंद करने को कहा गया। इसी बीच चुनाव भी आ रहा था तो रूजवेल्ट और व्हाइट हाउस ने कहा कि उनकी बीमारी उतनी गंभीर नहीं है। रूजवेल्ट चुनाव तो जीत गए लेकिन कुछ महीनों बाद दिल का दौरा पड़ने से 12 अप्रैल 1945 को उनका निधन हो गया।

इतिहासकार रॉबर्ट डेलेक का कहना है कि राष्ट्रपति जॉन एफ केनेडी भी दर्द और बीमारी का सामना कर रहे थे और दिन में कम से कम आठ गोलियां लेते थे। वहीं केनेडी लगातार अपनी बीमारी को छुपाए रख रहे थे।

राष्ट्रपति ड्वाइट डी आइजनहावर को 1955 में गंभीर रूप से दिल का दौरा पड़ा था। वह कोलोराडो में उस समय छुट्टिया मना रहे थे। वह छह सप्ताह अस्पताल में भर्ती रहे थे। ऐसे में उनके डॉक्टर ने उन्हें चुनाव नहीं लड़ने की सलाह के बदले कहा था कि अगर वह कार्यालय में बने रहते हैं तो इससे उनकी सेहत में सुधार होगा।

वहीं 1841 में विलियम हेनरी हैरिसन निमोनिया की वजह से बीमार पड़े। उनकी बीमारी गंभीर थी। लेकिन व्हाइट हाउस ने जनता को उनकी बीमारी के बारे में नहीं बताया। बीमार पड़ने के नौ दिन बाद उनकी मौत हो गई और उन्हें राष्ट्रपति पद की शपथ लिए हुए भी सिर्फ एक महीना बीता था।

भारत का विदेशी मुद्रा भंडार तीन अरब डॉलर घटा attacknews.in

मुंबई 02 अक्टूबर । देश का विदेशी मुद्रा भंडार 25 सितंबर को समाप्त सप्ताह में तीन अरब डॉलर घटकर 542.02 अरब डॉलर पर आ गया। इससे पहले 18 सितंबर को समाप्त सप्ताह में यह 3.38 अरब डॉलर की वृद्धि के साथ 545.04 अरब डॉलर के रिकॉर्ड स्तर पर रहा था।

रिजर्व बैंक द्वारा शुक्रवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, 25 सितंबर को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार का सबसे बड़ा घटक विदेशी मुद्रा परिसंपत्ति 1.52 अरब डॉलर घटकर 499.94 अबर डॉलर रह गया। स्वर्ण भंडार भी 1.44 अरब डॉलर की गिरावट के साथ 36 अरब डॉलर पर आ गया।

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष पास आरक्षित निधि 4.3 करोड़ डॉलर घटकर 4.61 अरब डॉलर पर और विशेष आहरण अधिकार एक करोड़ डॉलर घटकर 1.47 अरब डॉलर हो गया।

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और पत्नी मेलानिया के कोरोना संक्रमित होने से राष्ट्रपति चुनाव अभियान पर पड़ा असर attacknews.in

वाशिंगटन,02 अक्टूबर । अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनकी पत्नी मेलानिया ट्रंप कोरोना संक्रमित हो गए हैं।

श्री ट्रंप ने शुक्रवार को स्वयं ट्वीट कर इसकी जानकारी दी। राष्ट्रपति ट्रंप ने लिखा,” मैं और मेरी पत्नी मेलानिया ट्रंप कोरोना संक्रमित हो गए हैं। हमारे कोरोना वायरस नमूनों का परीक्षण पॉजिटिव आया है। हमनें अपना क्वारंटीन और वायरस से उबरने की प्रक्रिया तुरंत शुरू कर दी है। हम वायरस को मात देकर साथ में जीतेंगे।”

अमेरिका में अगले माह राष्ट्रपति चुनाव भी होने हैं। ऐसे में श्री ट्रंप और देश की पहली महिला का कोरोना संक्रमित होने से चुनाव अभियान पर भी असर पड़ सकता है।

विश्व में अमेरिका महामारी से सर्वाधिक प्रभावित हैं। यहां कोरोना संक्रमण के मामले और इससे मरने वालों की संख्या दुनिया भर के देशों में सबसे अधिक है।

इससे पहले श्री ट्रंप ने कहा था कि वह और उनकी पत्नी मेलानिया कोरोना वायरस परीक्षण की रिपोर्ट आने तक क्वारंटीन रहेंगे। श्री ट्रंप के वरिष्ठ सलाहकार होप हिक्स कोरोना संक्रमित पाए गए हैं। उनका इलाज चल रहा है।

श्री ट्रंप ने गुरुवार देर रात ट्वीट कर कहा, “होप हिक्स, जो कि बिना कोई छुट्टी लिये लगातार काम कर रहे थे, कोरोना संक्रमित पाये गए हैं। दुखद, मैं और प्रथम महिला कोरोना परीक्षण की रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं। इस दौरान हम क्वारंटीन में रहेंगे।”

अमेरिकी कांग्रेस की रिपोर्ट में चीन के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई करने के लिए 400 से ज्यादा की गई सिफारिशें, चीन के विश्व में बढ़ते प्रभाव को रोकने के दिए गए सुझाव attacknews.in

वाशिंगटन, एक अक्टूबर । अमेरिकी कांग्रेस की एक रिपोर्ट में चीन के खतरे का मुकाबला करने के लिए निर्णायक कार्रवाई का सुझाव देते हुए आरोप लगाया गया है कि चीन मानवाधिकार हनन में शामिल है और सैन्य तैनाती बढ़ा रहा है तथा उसने दूसरे देशों की संप्रभुता का उल्लंघन किया है।

चीन के बारे में यह अमेरिकी संसद की यह रिपोर्ट बुधवार को जारी की गयी। इसमें राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी चिंताओं, मानवाधिकारों का हनन, आपूर्ति श्रृंखला से जुड़ी परेशानियों, कोरोना वायरस महामारी से निपटने में त्रुटियों और विश्व पटल पर चीन के बढ़ते प्रभाव जैसे मुद्दों से निपटने के लिए 400 से ज्यादा नीतिगत सिफारिशें की गई हैं।

रिपोर्ट के अनुसार चीन “भारतीय सीमा पर भूमि पर कब्जा करने के लिए घातक झड़पों में शामिल है।”

रिपोर्ट में 5जी मोबाइल संचार और आपूर्ति श्रृंखला के मुद्दों का निदान करने के लिए ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन के प्रमुख लोकतंत्रों का डी -10 समूह (वर्तमान जी-7 सदस्यों के अलावा दक्षिण कोरिया, भारत और ऑस्ट्रेलिया) बनाने के प्रस्ताव का समर्थन किया गया है।

रिपोर्ट में चीन में सत्तारूढ़ चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) के दुष्टचार का जवाब देने के लिए सरकार की तरफ से आक्रामक सूचना अभियान चलाने को कहा गया है जो सीसीपी की “असत्य और दुष्ट” विचारधारा को कमतर करने के लिए सच और अमेरिकी मूल्यों का इस्तेमाल करे।

उसने कहा कि बीते एक वर्ष में सीसीपी ने एक अंतरराष्ट्रीय संधि तोड़ी है और हांगकांग को नागरिक स्वतंत्रताओं से वंचित किया है। उइघर और तिब्बती समेत जातीय अल्पसंख्यकों का दमन जारी है। चीन ने अपने सैन्य बल को बढ़ाया है, युद्ध के लिए उकसावे भरी कार्रवाई की हैं, समुद्र में दूसरे देशों की संप्रभुता का उल्लंघन किया है। भारतीय सीमा पर भूमि पर कब्जा करने के लिए घातक झड़पें की हैं और भूटान पर नए क्षेत्रीय दावे किए हैं।

रिपोर्ट में विदेश विभाग के जुलाई 2020 के बयान की तारीफ की गई है, जिसमें दक्षिण चीन सागर में चीन की क्षेत्रीय आक्रामकता को अवैध कहा गया है।

इसने कहा कि प्रशासन को चीन के अवैध कदाचार के खिलाफ इस तरह की कार्रवाई अन्य क्षेत्रों में भी करनी चाहिए थी, जिनमें सेनकाकू द्वीप के आसपास और भारतीय सीमा पर चीन की गतिविधियां शामिल हैं।

रिपोर्ट कहती है कि अमेरिका को अपनी अग्रिम मौजूदगी को बढ़ाना चाहिए और संयुक्त प्रशिक्षण और अभ्यास के माध्यम से सहयोगियों और साझेदार राष्ट्रों के साथ पारस्परिक व्यवहार में सुधार करना चाहिए। इसमें ऑस्ट्रेलिया, जापान, भारत और अन्य जैसे समान विचारधारा वाले देशों को एक साथ लाना और बहुपक्षीय अभ्यासों को नियमित करना शामिल है।

सदन की सशस्त्र सेवा समिति के रैकिंग सदस्य मैक थॉर्नबेरी ने कहा कि चीन अमेरिका के हितों और सुरक्षा के लिए एक अनूठे तरीके की चुनौती पेश करता है। चीन का मुकाबला करने के लिए सभी मंत्रालयों और एजेंसियों को साथ आना होगा। उन्होंने कहा, ‘‘हम सिर्फ सैन्य बल या हमारी कूटनीति पर निर्भर नहीं कर सकते हैं।’’