कोरोना वायरस से संक्रमित हो चुके व्यक्ति को संक्रमण से बचाने वाले एंटीबॉडी ‘‘तेजी से घट रहे हैं’’, जिससे रोग प्रतिरोधक क्षमता बने रहने की उम्मीदें धूमिल attacknews.in

लंदन, 27 अक्टूबर । ब्रिटेन में अनुसंधानकर्ताओं ने पाया है कि कोरोना वायरस से संक्रमित हो चुके व्यक्ति को संक्रमण से बचाने वाले एंटीबॉडी ‘‘तेजी से घट रहे हैं’’, जिसके कारण कोविड-19 संक्रमण से लंबे समय तक रोग प्रतिरोधक क्षमता बने रहने की उम्मीदें धूमिल होती नजर आ रही हैं।

‘इम्पीरियल कॉलेज लंदन’ के एक अध्ययन के तहत इंग्लैंड में 3,65,000 से अधिक लोगों की जांच की गई। अध्ययन में पाया गया कि कोविड-19 के लिए जिम्मेदार कोरोना वायरस से रक्षा करने वाले एंटीबॉडी समय के साथ कम हो रहे हैं, जो संकेत देते हैं कि रोग प्रतिरोधक क्षमता केवल कुछ ही महीने बनी रह सकती है।

अध्ययन करने वाले अनुसंधानकर्ताओं में शामिल रहे प्रोफेसर वेंडी बार्कले ने कहा, ‘‘हर बार सर्दी के मौसम में लोगों को संक्रमित करने वाला कोरोना वायरस छह से 12 महीने बाद लोगों को फिर से संक्रमित कर सकता है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हमें आशंका है कि कोविड-19 संक्रमण के लिए जिम्मेदार वायरस से संक्रमित होने पर भी शरीर इसी तरह प्रतिक्रिया देता है।’’

‘इम्पीरियल कॉलेज लंदन’ में निदेशक पॉल इलियॉट ने कहा, ‘‘हमारे अध्ययन दर्शाते हैं कि समय के साथ उन लोगों की संख्या में कमी देखी गई है, जिनमें एंटीबॉडी हैं।’’

अध्ययन में कहा गया है कि एंडीबॉडी कम होने के मामले युवाओं की अपेक्षा 75 साल और इससे अधिक आयु के लोगों में अधिक पाए गए हैं।

वैज्ञानिकों का दावा: दुनियाभर में कोविड-19 से 15 प्रतिशत मौतों का संबंध वायु प्रदूषण से,पूर्वी एशिया में हुई मौतों के करीब 27 प्रतिशत का संबंध वायु प्रदूषण से attacknews.in

बर्लिन (जर्मनी), 27 अक्टूबर । वैज्ञानिकों ने एक नए अध्ययन में दावा किया है कि दुनियाभर में कोविड-19 से हुई करीब 15 प्रतिशत मौतों का संबंध लंबे समय तक वायु प्रदूषण वाले माहौल में रहने से है।

अध्ययनकर्ताओं ने पाया है कि यूरोप में कोविड-19 से हुई मौतों में करीब 19 प्रतिशत, उत्तरी अमेरिका में हुई मौतों में से 17 प्रतिशत और पूर्वी एशिया में हुई मौतों के करीब 27 प्रतिशत का संबंध वायु प्रदूषण से है। जर्मनी के मैक्स प्लांक रसायन विज्ञान संस्थान के शोधकर्ता भी इस अध्ययन में शामिल थे।

जर्नल ‘कार्डियोवस्कुलर’ में प्रकाशित अध्ययन में कोरोना वायरस से हुई मौतों के संबंध में विश्लेषण किया गया और दुनिया के विभिन्न देशों में वायु प्रदूषण से संबंध का पता लगाया गया ।

अध्ययन करने वाली टीम ने कहा कि कोविड-19 से जितनी मौत हुई और इसमें वायु प्रदूषण की वजह से आबादी पर बढ़े खतरों का विश्लेषण किया गया।

शोधकर्ताओं ने कहा कि निकाला गया अनुपात वायु प्रदूषण और कोविड-19 मृत्यु दर के बीच सीधे जुड़ाव को नहीं दिखाता है। हालांकि, वायु प्रदूषण के कारण बीमारी की गंभीरता बढ़ने और स्वास्थ्य संबंधी अन्य जोखिमों के बीच प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष संबंधों को देखा गया।

शोधकर्ताओं ने वायु प्रदूषण और कोविड-19 के संबंध में अमेरिका और चीन के पूर्व के अध्ययनों का इस्तेमाल किया । वर्ष 2003 में सार्स बीमारी से जुड़े आंकड़ों का भी इसमें इस्तेमाल किया गया।

अध्ययन करने वाली टीम ने हवा में पीएम 2.5 जैसे अति सूक्ष्म कणों की मौजूदगी वाले माहौल में ज्यादा समय तक रहने के संबंध में एक मॉडल का विश्लेषण किया।

महामारी के बारे में जून 2020 के तीसरे सप्ताह तक के आंकड़ों का इस्तेमाल किया गया और शोधकर्ताओं ने कहा कि महामारी खत्म होने के बाद इस बारे में व्यापक विश्लेषण करने की जरूरत होगी।

सैमसंग को एक छोटी टीवी कंपनी से वैश्विक ब्रांड बनाने वाले कंपनी के चेयरमैन ली कुन-ही का निधन,सैमसंग की मदद से दक्षिण कोरिया एशिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सका attacknews.in

सियोल, 25 अक्टूबर (एपी) सैमसंग इलेक्ट्रॉनिक्स के चेयरमैन ली कुन-ही का निधन हो गया है। वह 78 वर्ष के थे। ली लंबे समय से बीमार थे। उन्हें सैमसंग को एक छोटी टेलीविजन कंपनी से उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र की दिग्गज ब्रांड बनाने का श्रेय जाता है।

सैमसंग की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि ली का निधन रविवार को हुआ। उस समय उनके पुत्र ली जेई-योंग और परिवार के अन्य सदस्य उनके पास थे।

ली को मई, 2014 में दिल का दौरा पड़ने के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उसके बाद से वह अस्पताल में ही थे। उनकी अनुपस्थिति में उनके पुत्र योंग ने दक्षिण कोरिया की सबसे बड़ी कंपनी सैमसंग का कामकाज देखा।

कंपनी की ओर से जारी बयान में कहा गया है, ‘‘सैमसंग में हम सभी ली को भूल नहीं पाएंगे। हमने उनके साथ जो यात्रा साझा की है, उसके लिए हम उनके आभारी हैं।’’

ली कुन-ही ने अपने पिता से कंपनी का नियंत्रण अपने हाथ में लिया था। उनके 30 साल के नेतृत्व में सैमसंग इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी एक वैश्विक ब्रांड बनीं। साथ ही उनकी अगुवाई में सैमसंग सबसे बड़ा स्मार्टफोन, टीवी और मेमोरी चिप ब्रांड भी बनी। सैमसंग की मदद से दक्षिण कोरिया एशिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सका। सैमसंग समूह जहाज निर्माण, जीवन बीमा, निर्माण, होटल, मनोरंजन पार्क आदि क्षेत्रों में भी कार्यरत है।

फोर्ब्स के अनुसार जनवरी, 2017 में ली की संपत्तियां 16 अरब डॉलर थीं। उनका निधन ऐसे समय हुआ है जबकि सैमसंग को मुश्किलों से गुजरना पड़ रहा है। ली के अस्पताल में भर्ती होने के बाद सैमसंग के आकर्षक मोबाइल कारोबार को चीन और अन्य उभरते बाजारों की कंपनियों से कड़ी चुनौती मिलने लगी।

वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (एफएटीएफ) संगठन ने पाकिस्तान को अपनी तथाकथित ‘ग्रे’ सूची में बरकरार रखा,यह देश उसके 27 सुझावों में छह को पूरा करने में नाकाम रहा attacknews.in

धन शोधन गतिविधियों की निगरानी करने वाले वैश्विक संगठन ने कोविड फर्जीवाड़ा बढ़ने पर चिंता जताई

पेरिस, 23 अक्टूबर (एपी)वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (एफएटीएफ) संगठन ने पाकिस्तान को अपनी तथाकथित ‘ग्रे’ सूची में बरकरार रखा ।यह देश उसके 27 सुझावों में छह को पूरा करने में नाकाम रहा है

धन शोधन और आतंकवाद को धन मुहैया किये जाने संबंधी गतिविधियों की रोकथाम के लिये उनकी निगरानी करने वाले वैश्विक संगठन ने शुक्रवार को कहा कि कोरोना वायरस से जुड़ा फर्जीवाड़ा बढ़ रहे हैं।

वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (एफएटीएफ) ने कहा कि फर्जी मेडिकल आपूर्ति, वित्तीय प्रोत्साहन उपाय और ऑनलाइन घोटाले दुनिया भर में सरकारों को बुरी तरह से प्रभावित कर रहे हैं।

इसके अलावा, पेरिस स्थित संगठन ने पाकिस्तान को अपनी तथाकथित ‘ग्रे’ सूची में बरकरार रखा है।

संगठन ने कहा कि यह देश उसके 27 सुझावों में छह को पूरा करने में नाकाम रहा है और आतंकवाद को धन मुहैया किये जाने के खिलाफ खासतौर पर कहीं अधिक निर्णायक कार्रवाई की जरूरत है।

पाकिस्तान में राजधानी इस्लामाबाद और देश के आर्थिक केंद्र कराची सहित बड़े शहरों में कोरोना संक्रमण तेजी से फैलने से स्थिति हो रही हैं खराब attacknews.in

इस्लामाबाद, 22 अक्टूबर। पाकिस्तान में राजधानी इस्लामाबाद और देश के आर्थिक केंद्र कराची सहित बड़े शहरों में कोविड-19 से संबंधित स्थिति खराब हो रही है। अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि यदि लोग सरकारी दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करना जारी रखते हैं तो सेवाएं बंद करनी पड़ सकती हैं।

देश में पिछले 24 घंटे में कोरोना वायरस संक्रमण के 736 नए मामले सामने आए हैं जिससे महामारी के कुल मामलों की संख्या बृहस्पतिवार को बढ़कर 3,25,480 हो गई।

प्रधानमंत्री के विशेष सहायक (स्वास्थ्य मामले) फैसल सुल्तान ने बुधवार को कहा कि कराची, हैदराबाद, मुल्तान, इस्लामाबाद, मुजफ्फराबाद और मीरपुर में स्थिति खराब होती जा रही है।

उन्होंने कहा, ‘‘यदि लोग स्वास्थ्य प्रोटोकॉल का उल्लंघन करना जारी रखते हैं तो हमें वैसी ही स्थिति का सामना करना पड़ सकता है जो हमने इस साल जून में देखी थी। इस तरह की स्थिति उत्पन्न न हो, यह हम सबकी सामूहिक जिम्मेदारी है।’’

पाकिस्तान में 14 जून को महामारी का उच्च स्तर देखा गया था जब संक्रमण के 6825 मामले सामने आए थे।

सुल्तान ने कहा कि आगामी दो सप्ताह काफी महत्वपूर्ण होंगे।

पाकिस्तान की कोरोना वायरस नियंत्रण इकाई ‘नेशनल कमांड एंड ऑपरेशन सेंटर’ ने बुधवार को चेतावनी कि यदि लोग स्वास्थ्य दिशा-निर्देशों का उल्लंघन जारी रखते हैं तो सेवा सेक्टर को दोबारा बंद करने के सिवाय कोई विकल्प नहीं होगा।

इसके अनुसार यातायात क्षेत्र, बाजार, विवाह स्थल, रेस्तरां आदि वायरस के प्रसार वाले सर्वाधिक जोखिम वाले स्थान हैं।

राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा मंत्रालय ने कहा कि कोरोना वायरस से 10 और लोगों की मौत के बाद देश में संक्रमण से मरने वालों की संख्या बढ़कर 6,702 हो गई है। इसके अलावा 591 मरीजों की स्थिति गंभीर है। मंत्रालय के अनुसार 309136 लोग संक्रमण से उबर चुके हैं।

पाकिस्तान में सिंध में 1,42,641, पंजाब में 1,02,107, खैबर पख्तूनख्वा में 38,810, गिलगित बाल्टिस्तान में 4107 और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में 3,639 मामले सामने आए हैं।

भारत सरकार की ट्विटर को चेतावनी:भारत का गलत मानचित्र प्रस्तुत कर लेह की भौगोलिक स्थिति बताते हुए उसे पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना के जम्मू-कश्मीर का हिस्सा बता दिया attacknews.in

नयी दिल्ली, 22 अक्टूबर । भारत सरकार ने देश का गलत मानचित्र दिखाने को लेकर ट्विटर को सख्त चेतावनी दी है। सरकार ने कहा है कि देश की संप्रभुता और अखंडता का असम्मान करने का ट्विटर का हर प्रयास अस्वीकार्य है।

सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) मंत्रालय के सचिव अजय साहनी ने इस बारे में ट्विटर के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) जैक डोर्सी को कड़े शब्दों में एक पत्र लिखा है। साहनी ने कहा कि इस तरह का कोई भी प्रयास न सिर्फ ट्विटर की प्रतिष्ठा को कम करता है, बल्कि यह एक माध्यम होने के नाते ट्विटर की निष्पक्षता को भी संदिग्ध बनाता है।

मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि साहनी ने भारत का गलत मानचित्र दिखाने को लेकर सरकार की नाराजगी जताते हुए ट्विटर सीईओ को कड़े शब्दों में पत्र लिखा है।

उल्लेखनीय है कि ट्विटर ने लेह की भौगोलिक स्थिति बताते हुए उसे पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना के जम्मू-कश्मीर का हिस्सा बता दिया था।

साहनी ने अपने पत्र में ट्विटर को याद दिलाया है कि लेह केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख का मुख्यालय है। पत्र में कहा गया है कि लद्दाख और जम्मू-कश्मीर दोनों भारत के अभिन्न व अविभाज्य अंग हैं तथा भारत के संविधान से प्रशासित हैं।

सरकार ने ट्विटर को भारतीय नागरिकों की संवेदनशीलता का सम्मान करने को कहा है। सरकार ने यह भी साफ कहा है कि भारत की संप्रभुता व अखंडता का असम्मान करने का ट्विटर का कोई भी प्रयास (जैसा कि मानचित्र के मामले में किया गया है), पूरी तरह से गैरकानूनी और अस्वीकार्य है।

कोरोना महामारी का भयावह असर:पहले दुनिया का हर छठा बच्चा- करीब 35.6 करोड़- घोर गरीबी में जीवनयापन कर रहा था,यह स्थिति और खराब होने की आशंका attacknews.in

संयुक्त राष्ट्र, 21 अक्टूबर । कोविड-19 महामारी शुरू होने से पहले दुनिया का हर छठा बच्चा- करीब 35.6 करोड़- घोर गरीबी में जीवनयापन कर रहा था और यह स्थिति और खराब होने की आशंका है। यह आकलन विश्व बैंक और संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनीसेफ) की नवीनतम विश्लेषण रिपोर्ट में किया गया है।

‘ग्लोबल एस्टीमेट ऑफ चिल्ड्रेन इन मॉनिटरी पॉवर्टी : ऐन अपडेट’ नाम से जारी रिपोर्ट में रेखांकित किया गया है कि उप सहारा क्षेत्र जहां पर सीमित समाजिक सुरक्षा ढांचा है , वहां दो तिहाई बच्चे ऐसे परिवारों में रहते हैं जो रोजाना 1.90 डॉलर या इससे कम राशि पर जीवनयापन करते हैं, जो विश्व मानकों के तहत घोर या अत्याधिक गरीबी की श्रेणी में आता है। वहीं दक्षिण एशिया में घोर गरीबी में रहने वाले बच्चों का पांचवां हिस्सा (करीब 20 प्रतिशत) निवास करता है।

रिपोर्ट में किए गए विश्लेषण के मुताबिक वर्ष 2013 से 2017 के बीच घोर गरीबी में जीवनयापन करने वाले बच्चों की संख्या में 2.9 करोड़ की कमी आई। हालांकि, यूनीसेफ और विश्व बैंक समूह ने चेतावनी दी है कि हाल के वर्षों में की गई प्रगति की गति ‘मंद’है और असमान वितरण वाली अर्थव्यवस्था और महामारी की वजह से पड़ने वाले असर की वजह से खतरे में है।

यूनीसेफ के कार्यक्रम निदेशक संजय विजेसेकरा ने कहा, ‘‘हर छह में से एक बच्चा गंभीर गरीबी में जीवनयापन कर रहा है और हर छह बच्चों में से एक बच्चा जीने के लिए संघर्ष कर रहा है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘यह संख्या ही किसी को भी हिला सकती है और महामारी की वजह से जो वित्तीय संकट आया है उससे यह संख्या और विभिषीका और विकराल रूप ही लेगी। सरकारों को तुरंत बच्चों को इस संकट से उबारने की योजना बनाने की जरूरत है ताकि असंख्य बच्चों और उनके परिवारों को घोर गरीबी में जाने से रोका जा सके ।’’

विजेसेकरा ने कहा कि दुनिया की कुल आबादी में बच्चों की हिस्सेदारी एक तिहाई है लेकिन दुनिया में घोर गरीबी में जीवनयापन करने वालों में 50 प्रतिशत की हिस्सेदारी बच्चों की है। इसके साथ ही वयस्क के मुकाबले उनके घोर गरीबी में जाने की आशंका दोगुनी है।

रिपोर्ट के मुताबिक सबसे कम उम्र के बच्चे सबसे अधिक प्रभावित हैं और विकासशील देशों में पांच साल से कम उम्र के करीब 20 प्रतिशत बच्चे घोर गरीबी में जीवनयापन कर रहे हैं।

विश्व बैंक में वैश्विक गरीबी और समानता मामलों की निदेशक कैरोलिना सैनचेज परामो ने कहा, ‘‘यह तथ्य है कि छह में से एक बच्चा घोर गरीबी में रह रहा है और दुनिया में अत्याधिक गरीबों में बच्चों की संख्या 50 प्रतिशत है। कोविड-19 महामारी शुरू होने से पहले भी यह हमारे लिए गंभीर चिंता का विषय रहा है।’’

उल्लेखनीय है कि उप सहारा क्षेत्र को छोड़कर दुनिया के विभिन्न हिस्सों में वर्ष 2013 से 2017 के बीच बच्चों में अत्याधिक गरीबी में कमी देखने को मिली थी। उप सहारा क्षेत्र में घोर गरीबी में रहने वाले बच्चों की संख्या में 6.4 करोड़ की वृद्धि हुई और यह वर्ष 2013 के 17 करोड़ के मुकाबले वर्ष 2017 में 23.4 करोड़ हो गया।

अस्थिर और संघर्षरत देशों में घोर गरीबी में रहने वाले बच्चों की संख्या ज्यादा है जहां 40 प्रतिशत से अधिक बच्चे घोर गरीबी में जीवनयापन कर रहे हैं जबकि अन्य देशों में यह संख्या 15 प्रतिशत के करीब है।

बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन ने कहा:निजी क्षेत्र के मजबूत भागीदारों के दम पर कोविड-19 के टीके के एक बड़े हिस्से का विनिर्माण भारत में होने की संभावना attacknews.in

नयी दिल्ली, 21 अक्टूबर । निजी क्षेत्र के मजबूत भागीदारों के दम पर कोविड-19 के टीके के एक बड़े हिस्से का विनिर्माण भारत में होने की संभावना है। बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) मार्क सुजमैन ने यह टिप्पणी की है।

सुजमैन ने एक साक्षात्कार में कहा कि भारत उपलब्ध संसाधनों के साथ हर वह कदम उठा रहा है, जो वह कोरोना वायरस महामारी की रोकथाम के लिये उठा सकता है।

उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि भारत उपलब्ध संसाधनों के साथ अभी हर वह उपाय कर रहा है, जो किए जाने की जरूरत है। हम सभी उम्मीद कर रहे हैं कि अगले साल तक कुछ टीके तैयार हो जाने चाहिये। हमारी उम्मीद यह भी है कि मजबूत निजी साझेदारों के दम पर इन टीकों के बड़े हिस्से का विनिर्माण भारत में हो सकता है।’’

उन्होंने कोविड-19 टीकों के समान वैश्विक वितरण की आवश्यकता को रेखांकित किया।

उन्होंने कहा, ‘‘हम यह मानते हैं कि टीकों के समान वैश्विक वितरण की आवश्यकता है, इसलिये हम जो कुछ भी कर रहे हैं, वह यह सुनिश्चित करने के लिये है कि विकासशील देशों को अमीर देशों के साथ ही और समान मात्रा में टीके उपलब्ध हो सकें, क्योंकि यह एक वैश्विक महामारी के लिये आवश्यक है।’’

उन्होंने कहा कि बिल और मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन कोविड-19 का मुकाबला करने के लिये कई स्तरों पर काम कर रहा है।

सुजमैन ने कहा, ‘‘हम शोध व विकास के लिये समर्थन मुहैया करा रहे हैं। हम कोलिशन फोर एपिडेमिक प्रीपेयर्डनेस इनोवेशन (सीईपीआई) के साथ मिलकर काम कर रहे हैं, जो संभावित टीके में निवेश करने की दिशा में अग्रणी भागीदार है। हमने थेराप्यूटिक एक्सेलेरेटर विकसित किया है, जिसने कोविड-19 के खिलाफ प्रभावी हो सकने वाले उपचारों की खोज में मदद करने के लिये 12.5 करोड़ डॉलर की पूंजी जमा की है।’’

फाउंडेशन कोविड-19 के संक्रमण की जांच की दिशा में भी काफी काम कर रहा है। हम कोवैक्स नाम की उस बहुपक्षीय मुहिम का हिस्सा भी हैं, जिसमें भारत भी शामिल है और जिसे वृहद स्तर पर टीके के विकास व वितरण के लिये मिलकर बनाया गया है।

डब्ल्यू एच ओ की चेतावनी: कोरोना मामलों में आयी कमी लापरवाही बरतने से इस त्योहारी मौसम में स्थिति को गंभीर कर सकती है attacknews.in

नयी दिल्ली 19 अक्टूबर ।विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों को आगाह करते हुए आज कहा कि कोरोना वायरस ‘कोविड-19’ संक्रमण के नये मामलों में आयी कमी को देखकर लापरवाही बरतने से इस त्योहारी मौसम में स्थिति गंभीर हो सकती है।

डब्ल्यूएचओ की दक्षिण पूर्व एशियाई क्षेत्र की क्षेत्रीय निदेशक डॉ पूनम खेत्रपाल सिंह ने सोमवार को कहा कि इस क्षेत्र में हाल में कोरोना संक्रमण के ताजे मामलों में हल्की गिरावट आयी है लेकिन इससे निश्चिंत होने की जरूरत नहीं है। इस क्षेत्र में अब भी कोरोना संक्रमण के अधिक मामले हैं। कोरोना महामारी का कहर अब भी जारी है और इसके प्रसार को रोकने के लिए लगातार सावधानी भी जरूरी है।

उन्होंने कहा कि आगामी त्योहारी मौसम और सर्दी के मौसम में हमारे लापरवाही बरतने से कोरोना संक्रमण की स्थिति और गंभीर हो सकती है। संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए लगातार प्रयास आवश्यक है।

उन्होंने कहा,“ त्योहारी मौसम में हमें एक व्यक्ति के रूप में अपनी जिम्मेदारी उठानी चाहिए कि हम शारीरिक दूरी का पालन करेंगे तथा हाथों की स्वच्छता का ख्याल रखेंगे। हम मास्क पहनेंगे और छींकनें तथा खांसने के समय कोविड-19 अनुकूल व्यवहार का पालन करेंगे। लोगों को भीड़भाड़ वाली जगहों को नजरअंदाज करना चाहिए और जिस जगह पर हवा की आवाजाही ठीक न हो या वो जगह खुली न हो और ताजी हवा न आ पाये, वहां नहीं रहना चाहिए।”

डॉ खेत्रपाल ने कहा कि सदस्य देश कोरोना टेस्ट की क्षमता बढ़ाने का सम्मिलित प्रयास कर रहे हैं ताकि संक्रमित व्यक्तियों का पता जल्द चल पाये और उनके संपर्क में आये लोगों की समय पर ट्रैकिंग हो पाये तथा संक्रमित व्यक्ति का समुचित उपचार शुरु हो जाये। इसी जज्बे के साथ हमारा प्रयास बरकरार रखने की जरूरत है।

भारत अपनी ही एक कंपनी ONGC द्वारा ईरान में खोजे गए एक बड़े खनिज गैस क्षेत्र के विकास और गैस-निकासी की लंबे से समय से अटकी परियोजना से वंचित होने जा रहा है attacknews.in

नयी दिल्ली 18 अक्टूबर । भारत अपनी ही एक कंपनी द्वारा ईरान में खोजे गए एक बड़े खनिज गैस क्षेत्र के विकास और गैस-निकासी की लंबे से समय से अटकी परियोजना से वंचित होने जा रहा है। सूत्रों ने यह जानकारी दी।

सूत्रों के अनुसार ईरान ने फारस की खड़ी की फरजाद-बी परियोजना का काम अपनी घरेलू कंपनियों को देने का निर्णय किया है। ईरान इस समय सख्त अमेरिकी आर्थिक प्रतिबंधों से जूझ रहा है। ओएनजीसी विदेश लि. (ओवीएल) के नेतृत्व में भारतीय कंपनियों का एक समूह परियोजना पर अब तक 40 करोड़ डॉलर खर्च कर चुका है।

फरजाद-बी ब्लॉक में गैस के विशाल भंडार की खोज 2008 में भारतीय कंपनी ओएनजीसी विदेश लि (ओवीएल) ने की थी। ओवीएल सरकारी कंपनी तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम (ओएनजीसी) की अनुषंगी है। ओएनजीसी ने इसे विदेशी परियोजनाओं में निवेश करने के लिए बनाया है।

ओवीएल ने ईरान के इस गैस क्षेत्र के विकास पर 11 अरब डॉलर खर्च करने की योजना बनायी थी।

ओवीएल के प्रस्ताव पर ईरान वर्षों तक कोई निर्णय नहीं किया।

जानकार सूत्रों के अनुसार ईरान की नेशनल ईरानियन ऑयल कंपनी (एनआईओसी) ने इस साल फरवरी में कंपनी को बताया कि वह फरजाद-बी परियोजना का ठेका किसी ईरानी कंपनी को देना चाहती है।

उस फील्ड में 21,700 अरब घनफुट गैस का भंडार है। इसका 60 प्रतिशत निकाला जा सकता है। परियोजना से रोज 1.1 अरब घन फुट गैस प्राप्त की जा सकती है।

ओवीएल इस परियोजना के परिचालन में 40 प्रतिशत हिस्सेदारी की इच्छुक थी। उसके साथ इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी) और ऑयल इंडिया लि (ओआईएल) भी शामिल थीं। ये दोनों क्रमश: 40 और 20 प्रतिशत की हिस्सेदार थीं।

ओवीएल ने गैस खोज सेवा के लिए अंनुबंध 25 दिसंबर, 2002 को किया था।

ईरान की राष्ट्रीय कंपनी ने इस परियोजना को अगस्त, 2008 में वाणिज्यिक तौर पर व्यावहारिक घोषित किया। ओवीएल ने अप्रैल, 2011 में इस गैस फील्ड के विकास का प्रस्ताव ईरान सरकार द्वारा अधिकृत वहां की राष्ट्रीय कंपनी एनआईओसी के सामने रखा था।

इस पर नवंबर, 2012 तक बातचीत चलती रही। लेकिन अनुबंध तय नहीं हो सका था क्योंकि कठिन शर्तों के साथ-साथ ईरान पर अंतरराष्ट्रीय पाबंदियों के चलते भी प्रगति मुश्किल हो गयी थी।

अप्रैल, 2015 में ईरान के पेट्रोलियम अनुबंध के नए नियम के तहत बातचीत फिर शुरू हुई। अप्रैल, 2016 में परियोजना के विकास के विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से बात होने के बावजूद किसी निर्णय पर नहीं पहुंचा जा सका।

अमेरिका द्वारा ईरान पर नवंबर, 2018 में फिर आर्थिक पाबंदी लगाने से तकनीकी बातचीत पूरी नहीं की जा सकी।

भारतीय कंपनियों का समूह इस परियोजना पर अब तक 40 करोड़ डॉलर खर्च चुका है।

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का दावा ” जो लोग चेहरे पर मास्क पहनते हैं वे ‘‘हर समय ’’ कोरोना वायरस से संक्रमित रहते हैं” attacknews.in

वाशिंगटन, 16 अक्टूबर (एपी) राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि जो लोग चेहरे पर मास्क पहनते हैं वे ‘‘हर समय ’’ कोरोना वायरस से संक्रमित रहते हैं। हालांकि उनके इस दावे के पीछे कोई साक्ष्य नहीं है।

मियामी में बृहस्पतिवार को एनबीसी न्यूज के टाउन हॉल कार्यक्रम के दौरान ट्रंप ने यह दावा किया ।

राष्ट्रपति से 26 सितंबर को व्हाइट हाउस में बड़े पैमाने पर हुए एक कार्यक्रम के बारे में सवाल पूछा गया था जिसके बारे में माना जाता है कि वह संक्रमण का स्रोत रहा और उसमें शामिल होने वाले कई मेहमान कोविड-19 से पीड़ित हुए। कार्यक्रम में शामिल होने वाले ज्यादातर लोगों ने मास्क नहीं पहने थे।

संक्रमित होने वाले लोगों में खुद राष्ट्रपति ट्रंप और उनकी पत्नी मेलानिया शामिल हैं।

राष्ट्रपति स्वयं कभी-कभार ही मास्क पहनते हैं। ट्रंप ने कहा कि उन्हें मास्क से कोई दिक्कत नहीं हालांकि इसके बाद दावा किया कि ‘‘मास्क पहनने वाले लोग इससे (संक्रमण) हर वक्त पीड़ित रहते हैं।’’

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने भारत को लोगों की सुरक्षा, स्वास्थ्य पर प्रमुखता से ध्यान देने की प्राथमिकता बताई attacknews.in

वाशिंगटन 15 अक्टूबर । अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की प्रबंधन निदेशक किस्टलिना जार्जीवा ने कहा है कि भारत की प्राथमिकता सबसे कमजोर लोगों की सुरक्षा करने, अच्छी तरह से लक्षित सहायता देने और छोटे तथा मझोले उद्योगो की रक्षा करने की होनी चाहिए, ताकि वे एक देश के रूप में उनकी कोरोना वायरस महामारी के खिलाफ लड़ाई में हार न हो।

जार्जीवा ने आईएमएफ और विश्व बैंक की वार्षिक आम बैठक के दौरान बुधवार को यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि लोगों को बचाने और उनके स्वास्थ्य की देखभाल भारत की प्राथमिकता होनी चाहिए।

उन्होंने कहा, ‘‘क्या करने की आवश्यकता है? स्पष्ट है, सबसे कमजोर लोगों की सुरक्षा, अच्छी तरह से लक्ष्यित सहायता, छोटे और मझोले उद्योगों की रक्षा, ताकि उनकी हार न हो।’’

उन्होंने आगे कहा कि जब तक हमारे पास स्वास्थ्य संकट से निपटने का एक टिकाऊ रास्ता नहीं है, हमें कठिनाइयों, अनिश्चितता और असमान सुधार का सामना करना पड़ेगा।

कोविड-19 को एक मानवीय संकट बताते हुए उन्होंने कहा कि खासतौर से जिन देशों में मौत अधिक हुई हैं, वहां ये संकट अधिक गहरा है। उन्होंने आगे कहा कि इस महामारी से भारत में एक लाख लोगों से अधिक की मौत हुई है।

जार्जीवा ने कहा, ‘‘इसलिए लोगों को बचाने और उनकी सेहत पर ध्यान देने की प्राथमिकता होनी चाहिए।’’

उन्होंने कहा, ‘‘भारत ने अपनी क्षमता के अनुरूप उपाय किए हैं, दो प्रतिशत राजकोषीय उपाय और गारंटी के रूप में चार प्रतिशत राहत, लेकिन प्रत्यक्ष राजकोषीय उपाय नहीं किए गए।’’

उन्होंने कहा, ‘‘इससे मदद मिलती है, लेकिन जब आप विकसित अर्थव्यवस्थाओं की क्षमताओं को देखते हैं, या कुछ अन्य उभरते बाजारों के उपायों को देखते हैं, तो यह कुछ हद तक कम है। हम इस साल भारत में बेहद आश्चर्यजनक रूप से जीडीपी में दस प्रतिशत का संकुचन देख रहे हैं।’’

जार्जीवा ने कहा कि भारत की एक जीवंत अर्थव्यवस्था थी।

उन्होंने कहा कि अच्छे वक्त में देश अपनी बुनियाद को मजबूत करके बुरे वक्त का मुकाबला अधिक मजबूती से कर सकते हैं।

उन्होंने कहा कि इस संकट का सबसे महत्वपूर्ण सबक यह है कि अच्छे समय में मजबूत बुनियाद तैयार करनी है। ऐसे में जब बुरा वक्त आता है तो अधिक लचीलापन दिखाया जा सकता है।

विश्व बैंक ने कोविड-19 के चलते महामंदी के बाद सबसे गहरी मंदी से जूझ रही है दुनिया के कई विकासशील और सबसे गरीब देशों के लिए ‘‘भयावह घटना’’ बताया attacknews.in

वाशिंगटन, 15 अक्टूबर । विश्व बैंक के अध्यक्ष डेविड मालपास ने कहा है कि कोरोना वायरस महामारी के चलते दुनिया 1930 के दशक की महामंदी के बाद से सबसे गहरी मंदी से जूझ रही है और उन्होंने कोविड-19 महामारी को कई विकासशील और सबसे गरीब देशों के लिए ‘‘भयावह घटना’’ बताया।

उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि आर्थिक संकुचन की सीमा को देखते हुए कई देशों में ऋण संकट का खतरा बढ़ गया है।

उन्होंने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक की वार्षिक बैठक के मौके पर बुधवार को संवाददाताओं से कहा कि यहां बैठकों में इस मुद्दे पर बहुत अधिक ध्यान दिया गया है।

उन्होंने कहा, ‘‘मंदी बहुत गहरी है, महामंदी के बाद से सबसे बड़ी मंदी में एक है। और कई विकासशील देशों तथा सबसे गरीब देशों के लोगों के लिए ये वास्तव में अवसाद की एक भयावह घटना है।’’

उन्होंने कहा कि इस बैठक और कार्रवाई का केंद्र बिंदु इन देशों को राहत पहुंचाना है तथा विश्व बैंक इन देशों के लिए एक बड़ा वृद्धि कार्यक्रम तैयार कर रहा है।

एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि विश्व बैंक को लगता है कि इस समय ‘के’ आाकर का सुधार हो रहा है। ‘के’ आकार के सुधार का अर्थ मंदी के बाद दुनिया के विभिन्न हिस्सों में अगल-अगल दर से सुधार का होना है।

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में चीन और रूस ने सीटें जीतीं, सऊदी हारा,यदि मुकाबले में कोई होता तो चीन, क्यूबा तथा रूस भी हार जाते attacknews.in

संयुक्त राष्ट्र, 14 अक्टूबर (एपी) संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार परिषद में चीन, रूस और क्यूबा ने मंगलवार को सीटें जीत लीं, जबकि सऊदी अरब इसमें सफल नहीं हो सका। इन सभी देशों को मानवाधिकार पर अपने खराब रिकॉर्ड के चलते कार्यकर्ता समूहों के विरोध का सामना करना पड़ा था।

रूस और क्यूबा निर्विरोध जीते, वहीं चीन और सऊदी अरब प्रतिद्वंद्विता दौड़ में थे, जो मानवाधिकार परिषद में सीटों के लिए इकलौता मुकाबला था।

इस मुकाबले में 193 सदस्यीय संरा महासभा के गोपनीय मतदान में पाकिस्तान को 169 मत, उज्बेकिस्तान को 164, नेपाल को 150, चीन को 139 और सऊदी अरब को 90 मत मिले।

सऊदी अरब ने सुधार योजनाओं की घोषणा की थी, लेकिन ‘ह्यूमन राइट्स वॉच’ एवं अन्य संगठनों ने उसकी उम्मीदवारी का कड़ा विरोध किया और कहा कि पश्चिम एशिया का यह देश मानवाधिकार संरक्षकों, असंतुष्ट लोगों और महिला अधिकार कार्यकर्ताओं को लगातार निशाना बना रहा है तथा उसने पहले के उत्पीड़न के मामलों, मसलन वॉशिंगटन पोस्ट के साथ कार्यरत सऊदी अरब के आलोचक जमाल खशोगी की दो वर्ष पहले इस्तांबुल में सऊदी के वाणिज्य दूतावास में हुई हत्या के प्रति जरा भी जवाबदेही नहीं दिखाई।

खशोगी द्वारा स्थापित संगठन ‘डेमोक्रेसी फॉर द अरब वर्ल्ड नाऊ’ की लोकतंत्र संबंधी मामलों की कार्यकारी निदेशक सारा ली व्हिट्सन ने कहा कि सऊदी के वली अहद मोहम्मद बिन सलमान जनसंपर्कों पर भले ही लाखों डॉलर खर्च कर रहे हैं लेकिन अंतरराष्ट्रीय समुदाय उन पर भरोसा नहीं करता।

मानवाधिकार परिषद के नियमों के अनुसार इसकी सीटें क्षेत्रवार तरीके से आवंटित की जाती हैं जिससे क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व सुनिश्चित हो सके। इस 47 सदस्यीय परिषद में एशिया-प्रशांत क्षेत्र समूह में सीटों के लिए हुए मुकाबले को छोड़ दें तो बाकी के 15 सदस्यों के चुने जाने के बारे में फैसला पहले ही हो चुका था क्योंकि अन्य क्षेत्रीय समूहों में उम्मीदवार राष्ट्रों के समक्ष कोई चुनौती नहीं थी।

आइवरी कोस्ट, मलावी, गैबॉन और सेनेगल ने चार अफ्रीकी सीटें जीती। रूस और उक्रेन ने दो पूर्वी यूरोपीय सीटें जीती। लातिन अमेरिका और कैरिबियाई समूह में मेक्सिको, क्यूबा और बोलीविया ने तीन सीटें जीतीं। पश्चिमी यूरोप और अन्य समूहों में ब्रिटेन और फ्रांस ने दो सीटें जीतीं।

संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार संगठन के निदेशक लुइस चारबोनन्यू ने परिणामों की घोषणा के बाद कहा, ‘‘यदि मुकाबले में कोई होता तो चीन, क्यूबा तथा रूस भी हार जाते।’’

उन्होंने कहा, ‘‘सऊदी अरब की सीट जीत पाने में विफलता यह याद दिलाने का मौका है कि संयुक्त राष्ट्र के चुनावों में और अधिक प्रतिस्पर्धा की आवश्यकता है।’’

एशिया-प्रशांत समूह में सीट पाने वाले चार देशों में सबसे कम मत चीन को मिले।

विश्व बैंक ने 1 अरब लोगों के लिए कोरोना वायरस का टीका खरीदने, वितरित करने, जांच और उपचार में विकासशील देशों की मदद करने के लिए 12 अरब डॉलर की राशि को दी मंजूरी  attacknews.in

विश्व बैंक ने कोरोना वायरस के टीके, देखभाल के लिए 12 अरब डॉलर की राशि को दी मंजूरी

वाशिंगटन, 14 अक्टूबर (एपी) विश्व बैंक ने कोरोना वायरस का टीका खरीदने, वितरित करने, जांच और उपचार में विकासशील देशों की मदद करने के लिए 12 अरब डॉलर की राशि को मंजूरी दी है, ताकि एक अरब लोगों के टीकाकरण में मदद मिल सके।

बैंक ने मंगलवार रात एक बयान में कहा कि यह 12 अरब डॉलर की राशि कोविड-19 वैश्विक महामारी से निपटने में विकासशील देशों की मदद करने के लिए विश्व बैंक समूह के 160 अरब डॉलर के पैकेज का हिस्सा है।

विश्व बैंक ने कहा कि कोविड-19 आपात कार्रवाई कार्यक्रम 111 देशों में पहले ही पहुंच रहे हैं।

उसने कहा कि विकासशील देशों में नागरिकों को भी कोविड-19 के सुरक्षित एवं प्रभावी टीके तक पहुंच की आवश्यकता है।

विश्व बैंक के अध्यक्ष डेविड मालपास ने एक बयान में कहा, ‘‘हम कोविड-19 आपातकाल से निपटने के अपने दृष्टिकोण को विस्तार दे रहे हैं, ताकि विकासशील देशों तक टीकों की उचित और समान पहुंच सुनिश्चित हो सके।’’