कुलभूषण जाधव के मामले में भारतीय राजनयिक इस्लामाबाद हाईकोर्ट को वकील नियुक्ति करने पर भारत का रुख बताना चाहते है attacknews.in

इस्लामाबाद, दो दिसंबर । पाकिस्तान में भारतीय उच्चायोग के वकील ने इस्लामाबाद उच्च न्यायालय को सूचित किया है कि उप राजदूत गौरव अहलूवालिया, मौत की सजा पाए कैदी कुलभूषण जाधव के लिए वकील नियुक्त करने के मामले में भारत का पक्ष रखना चाहते हैं। यह जानकारी बुधवार को मीडिया में प्रकाशित खबरों में दी गई।

डॉन अखबार के मुताबिक इस्लामाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश अतहर मिनल्लाह, न्यायमूर्ति आमेर फारूक और न्यायमूर्ति मियांगुल हसन औरंगजेब की वृहद पीठ के समक्ष मंगलवार को भारतीय उच्चायोग के वकील बैरिस्टर शाहनवाज नून ने कहा कि जाधव के लिए वकील नियुक्त करने के मामले पर विस्तार से चर्चा होनी चाहिए और अदालत के समक्ष अहलूवालिया भारत सरकार का पक्ष रखेंगे।

न्यायमूरर्ति मिनल्लाह ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के आदेश को लागू करने के लिए इस्लामाबाद उच्च न्यायालय भारत सरकार के जवाब का इंतजार कर रहा है क्योंकि ‘ निष्पक्ष सुनवाई सुनिश्चित करना हमारा कर्तव्य है।’’ उन्होंने कहा कि अगर राजनयिक अदालत के समक्ष पेश होना चाहते हैं तो इसका हमेशा स्वागत है।

अटॉर्नी जनरल खालिद जवाद खान ने अदालत को सलाह दी कि भारत के उप उच्चायुक्त आ सकते हैं लेकिन भारत को पहले मामले के लिए वकील की नियुक्ति करनी चाहिए।

खबर के मुताबिक नून ने अदालत को सूचित किया कि भारत को इस बात की भी चिंता है कि एक और भारतीय नागरिक इस्माइल जिसे जासूसी के आरोप में दोषी ठहराया गया था और उसकी सजा पूरी हो चुकी है इसके बावजूद हिरासत में लिया जा सकता है।

उल्लेखनीय है कि 53 वर्षीय इस्माइल सम्मा भारत-पाकिस्तान सीमा से 50 किलोमीटर दूर गुजरात के कच्छ जिले के नाना दिनारा गांव का रहने वाला है और अगस्त 2008 में लापता हो गया था । वह मवेशियों को चराते हुए गलती से पाकिस्तान की सीमा में दाखिल हो गया था।

इस्लाइल को पाकिस्तानी अधिकारियों ने गिरफ्तार किया था और अक्टूबर 2011 में उसे जासूसी का दोषी ठहराते हुए पांच साल कैद की सजा सुनाई गई थी।

खबर के मुताबिक नून ने उच्च न्यायालय को सूचित किया कि भारत के उप उच्चायुक्त ने जाधव के लिए वकील नियुक्त करने के मामले में भारत का रुख बताने की इच्छा जताई है।

उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान की संसदीय समिति ने अंतरराष्ट्रीय अदालत के निर्देशों के तहत जाधव की समीक्षा करने की अनुमति देने वाले सरकर के विधेयक को मंजूरी दी थी।

भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारी जाधव (51) को अप्रैल 2017 में पाकिस्तान की सैन्य अदालत ने जासूसी का दोषी ठहराते हुए मौत की सजा सनाई थी।

वर्ष 2017 में पाकिस्तान द्वारा जाधव तक राजनयिक पहुंच नहीं देने और उसे मौत की सजा के खिलाफ भारत ने अंतरराष्ट्रीय अदालत का रुख किया।

हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय अदालत ने जुलाई 2019 में दिए फैसले में कहा कि पाकिस्तान जाधव को सुनाई गई सजा की प्रभावी समीक्षा और पुनर्विचार करे, साथ ही बिना देरी भारत को जाधव तक राजनयिक पहुंच मुहैया कराए।

इस्माइल के मामले में अटॉर्नी जनरल खान ने अदालत को बताया कि मामला पहले ही गृह मंत्रालय के समक्ष विचाराधीन है ।उन्हें जवाब के लिए कुछ समय चाहिए।

उच्च न्यायालय की पीठ ने अटॉर्नी जनरल से जवाब तलब करते हुए मामले की सुनवाई 14 जनवरी तक के लिए टाल दी।

भारत में रूस की कोरोना वैक्सीन ‘स्पूतनिक वी’ की 10 करोड़ खुराक बनेगी attacknews.in

नयी दिल्ली 27 नवंबर । रूस में विकसित कोरोना वायरस कोविड-19 की वैक्सीन ‘स्पूतनिक वी’ की 10 करोड़ से अधिक खुराक भारत में तैयार की जायेगी और अगले साल जनवरी से इसका निर्माण शुरु किये जाने की संभावना है।

रूस डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट फंड (आरडीआईएफ) और हैदराबाद स्थित दवा कंपनी हेरेतो बायोफार्मा के बीच इस संबंध में करार हुआ है।

हेरोतो के निदेशक बी मुरली कृष्ण रेड्डी ने शुक्रवार को कहा ,“ हमें कोविड-19 के उपचार के लिए बहुप्रतीक्षित स्पूतनिक वी वैक्सीन के निर्माण के लिए आरडीआईएफ के साथ साझेदारी करने की खुशी है। हम वैक्सीन के भारत में जारी क्लीनिकल परीक्षण के परिणाम का इंतजार कर रहे हैं और हमारा मानना है कि स्थानीय स्तर पर वैक्सीन को तैयार करने से मरीजों तक इसकी पहुंच आसान होती है।”

गौरतलब है कि आरडीआईएफ ने रूस में स्पूतनिक वी वैक्सीन के तीसरे चरण के मानव परीक्षण के परिणाम 24 नवंबर को घोषित किया । यह परीक्षण 40,000 वॉलंटियर पर किया गया और वैक्सीन का परिणाम सकारात्मक रहा।

भारत में स्पूतनिक वी का दूसरे और तीसरे चरण का मानव परीक्षण किया जा रहा है। इसके अलावा वेनेजुएला, बेलारूस और संयुक्त अरब अमीरात में इस वैक्सीन के लिए तीसरे चरण का मानव परीक्षण हो रहा है।

इस माह अब तक दवा कंपनी फाइजर, मॉर्डना, एस्ट्राजेनेका और स्पूतनिक वी को विकसित करने वाला गैमलेय रिसर्च इंस्टीट्यूट अपनी-अपनी कोरोना वैक्सीन के तीसरे चरण की मानव परीक्षण की रिपोर्ट जारी कर चुका है।

भारत ने संयुक्त राष्ट्र में कहा कि पाकिस्तान, “संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित आतंकवादियों का सबसे बड़ा प्रश्रयदाता है” , उसे एबटाबाद याद रखना चाहिए जहां ओसामा बिन लादेन को छुपाया था attacknews.in

संयुक्त राष्ट्र, 25 नवंबर । भारत ने संयुक्त राष्ट्र में कहा कि पाकिस्तान, “संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित आतंकवादियों का सबसे बड़ा प्रश्रयदाता है” और उसे एबटाबाद याद रखना चाहिए जहां अल-कायदा का सरगना ओसामा बिन लादेन कई सालों तक छिपा रहा और अंततः मारा गया।

संरा महासचिव एंतोनियो गुतारेस को पाकिस्तान के राजनयिक द्वारा एक डोजियर सौंपा गया था जिसके जवाब में भारत ने कड़ी प्रतिक्रिया दी।

संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि राजदूत टी एस तिरुमूर्ति ने ट्वीट किया कि पाकिस्तान की ओर से दिया गया डोजियर “झूठ का पुलिंदा है और उसकी कोई विश्वसनीयता नहीं है।”

उन्होंने कहा, “फर्जी दस्तावेज देना और झूठा कथानक गढ़ना पाकिस्तान के लिए नयी बात नहीं है। वह संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित आतंकवादियों का सबसे बड़ा प्रश्रयदाता है। उसे एबटाबाद याद रखना चाहिए।”

संयुक्त राष्ट्र में इस्लामाबाद के राजनयिक मुनीर अकरम ने गुतारेस से भेंट कर उन्हें पाकिस्तान सरकार की ओर से एक डोजियर सौंपा था और आरोप लगाया था भारत उनके देश में आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा है।

तिरुमूर्ति ने अपने ट्वीट में पाकिस्तान के शहर एबटाबाद की याद दिलाई जहां बिन लादेन कई सालों तक छिपा रहा और मई 2011 में अमेरिकी नौसेना के सील कमांडों के दस्ते ने उसे मार गिराया था।

विदेश सचिव हर्ष वर्धन श्रृंगला ने सोमवार को अमेरिका, रूस, फ्रांस और जापान जैसे बड़े देशों के दूतों को पाकिस्तान स्थित जैश ए मोहम्मद आतंकी संगठन द्वारा जम्मू कश्मीर के नगरोटा में हमले की साजिश से अवगत कराया था।

भारतीय सुरक्षा बलों ने 19 नवंबर को आतंकवादियों की इस साजिश को नाकाम करते हुए मुठभेड़ में चार आतंकवादियों को मार गिराया था।

श्री तिरुमूर्ति ने कहा कि पाकिस्तान ने जो दस्तावेज पेश किये हैं वह झूठ का पुलिंदा है और उसने कोई पहली बार ऐसे आरोप नहीं लगाये हैं। सच तो यह है कि पाकिस्तान आतंकवादियों के पनपने और पोषित होने का विश्व का सबसे बड़ा गढ़ है। उसने जिन आतंकवादियों और आतंकवादी संगठनों को अपने यहां शरण दी है उसे संयुक्त राष्ट्र की ओर से पहले ही प्रतिबंधित कर दिया गया है।

श्री तिरुमूर्ति ने डेटन समझौते की रजत जयंती के अवसर पर यह बात कही।

14 दिसंबर 1995 को बोस्निया, सर्बिया और क्रोएशिया के नेताओं ने पेरिस में डेटन संधि पर दस्तखत कर साढ़े तीन साल से जारी बाल्कन युद्ध को समाप्त किया था।समझौते के तहत बोस्निया को एक राज्य बनाए रखा गया था लेकिन इसे दो हिस्से में बांट दिया गया था।
मुस्लिम और क्रोएशियाई आबादी वाला पहला हिस्सा देश के 51 फ़ीसदी भूभाग का प्रतिनिधित्व करता था जबकि सर्ब गणराज्य के पास बाक़ी का 49 फ़ीसदी भूभाग था। सर्बिया के नेता स्लोबोदोन मिलोसेविच, क्रोएशिया के फ़्रांजो तुजमैन और बोस्निया के इलिजा इजेत्बिगोविक ने यूरोपीय राज्याध्यक्षों और कई अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रमुखों की मौजूदगी में इस समझौते पर हस्ताक्षर किये थे।

चीन से सीमा पर तनाव के बीच भारत सरकार ने खतरनाक 43 और मोबाइल ऐप पर लगाया प्रतिबंध attacknews.in

नयी दिल्ली 24 नवंबर । चीन से सीमा पर तनाव के बीच सरकार ने 43 और मोबाइल ऐप पर रोक लगा दी है, जिनमें से अधिकतर चाइनीज हैं। सरकार की इस कार्रवाई को डिजिटल सर्जिकल स्ट्राइक भी कहा जा रहा है।

इन्हें (सभी 43 ऐप को) देश की संप्रभुता, अखंडता और सुरक्षा के लिए खतरा बताया गया है।

आईटी ऐक्ट की धारा 69ए के तहत यह कार्रवाई की गई है। सरकार की ओर से बताया गया है कि यह कार्रवाई इनपुट मिलने के बाद की गई है कि ये ऐप्स भारत की संप्रभुता, अखंडता, रक्षा, सुरक्षा और कानून व्यवस्था के खिलाफ गतिविधियों में लिप्त हैं।

सरकार ने जिन ऐप्स पर बैन लगाया है उनमें अली सप्लायर्स मोबाइल ऐप, अलीबाबा वर्कबेंच, अली एक्सप्रेस, अलीपे कैशियर, लालामूव इंडिया, ड्राइव विद लालामूव इंडिया, स्नैक वीडियो, कैमकार्ड-बिजनेस कार्ड रीडर, कैम कार्ड- बीसीआर वेस्टर्न, सौउल, चाइनजी सोशल, डेट इन एशिया, वी डेट, फ्री डेटिंग ऐप, एडोर ऐप, ट्रूली चाइनीज, ट्रूली एशियन, चाइना लव, डेट माय एज, एशियन डेट, फ्लर्ट विश, गायज ओनली डेटिंग, टूबिट, वी वर्क चाइना, फर्स्ट लव लाइव, रीला, कैशियर वॉलेट, मैंगो टीवी, एमजीटीवी, वी टीवी, वीटीवी लाइट, लकी लाइव, टाओबाओ लाइव, डिंग टॉक, आईडेंटिटी वी, आईसोलैंड 2, बॉक्स स्टार, हैपी फिश, जेलीपॉप मैच, मंचकिन मैच, कॉनक्विस्टा ऑनलाइन शामिल हैं।
आईटी मंत्रालय की ओर से बताया गया है कि इन मोबाइल ऐप्स पर बैन लगाने का फैसला गृह मंत्रालय के इंडियन साइबर क्राइम कोऑर्डिनेशन सेंटर की ओर से प्राप्त रिपोर्ट के आधार पर लिया गया है।

गौरतलब है कि इससे पहले सरकार ने 29 जून को 59 चीनी मोबाइल ऐप्स पर बैन लगाया था। इसके बाद दो सितंबर को 118 और ऐप्स पर पाबंदी लगा दी गई थी।
चीन से सीमा पर तनाव के बीच इस सरकार की इस कार्रवाई को डिजिटल सर्जिकल स्ट्राइक भी कहा जाता है।

कोरोना वायरस महामारी के खिलाफ दुनिया के शीर्ष ताकतवर नेताओं के एकजुट होकर लड़ने के आह्वान के साथ शुरू हुआ जी-20 शिखर सम्मेलन attacknews.in

दुबई, 22 नवंबर (एपी) कोरोना वायरस महामारी (कोविड-19) के खिलाफ दुनिया के शीर्ष ताकतवर नेताओं के एकजुट होकर लड़ने के आह्वान के साथ इस बार जी-20 शिखर सम्मेलन की शनिवार को शुरुआत हुई। यह सम्मेलन कोविड-19 के दौर में आभासी तरीके से हो रहा है।

इस महामारी के कारण दुनियाभर में अब तक 13.7 लाख से अधिक लोग मारे गये हैं। ऐसे में जी-20 देशों को इस शिखर सम्मेलन में यह अवसर भी मिला है कि वे इस तरह की महामारी से लड़ने में दुनिया को रास्ता दिखाने में अपनी उपयोगिता साबित करें। हालांकि, इस महामारी की चुनौतियों के चलते इस तरह के समूहों की अंदरूनी खामियां भी उभरकर सामने आयी हैं।

सऊदी अरब के सुल्तान किंग सलमान ने शिखर सम्मेलन के शुरुआती संबोधन में कहा, ‘‘इस शिखर सम्मेलन के दौरान हमारे समक्ष चुनौती के सामने खड़े होने की जिम्मेदारी है। हमारे सामने यह जिम्मेदारी भी है कि हम आशा व आश्वासन का संचार करें।’’

उल्लेखनीय है कि जी-20 देशों ने वायरस का टीका विकसित करने के लिये अरबों डॉलर का योगदान दिया है। ये देश अपने लिये टीके का कोटा सुनिश्चित करने पर ही ज्यादातर केंद्रित रहे हैं। ब्रिटेन, अमेरिका, फ्रांस और जर्मनी जैसे जी-20 देशों ने टीके की अरबों खुराक के लिये दवा कंपनियों के साथ सीधे बातचीत की है। इसका अर्थ हुआ कि अगले साल वैश्विक बाजार को टीके की जो खुराकें मिल पायेंगी, उनमें से अधिकांश हिस्सा पहले से ही आरक्षित है।

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस शिखर सम्मेलन में बताया कि अमेरिका ने इस महामारी की रोकथाम करने, अर्थव्यवस्था का पुनर्निर्माण करने और टीके के विकास की दिशा में किस तरह से काम किया है। हालांकि ट्रंप ने इस बारे में कोई बात नहीं कि इस महीने हुए राष्ट्रपति चुनाव में उनके प्रतिद्वंद्वी जो बाइडन विजेता बने हैं।

‘दी गार्जियन’ के पास उपलब्ध भाषण के अनुसार, ‘‘आप लोगों के साथ काम करना बड़े सम्मान की बात रही है। मैं फिर से आप लोगों के साथ लंबे समय तक काम करने को उत्सुक हैं।’’

साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट ने भी इसी तरह की खबर प्रकाशित की है।

संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंतोनियो गुतेरेस ने शिखर सम्मेलन के शुरू होने से एक दिन पहले कहा था कि टीके व इलाज आदि के विकास पर 10 अरब डॉलर खर्च किये जा चुके हैं, लेकिन टीके के व्यापक स्तर पर विनिर्माण, खरीद व दुनिया भर में वितरण के लिये अभी अतिरिक्त 28 अरब डॉलर की जरूरत होगी।

गुतेरेस ने दुनियाभर के देशों में कोविड-19 का टीका वितरित करने के लिये बनाये गये समूह कोवैक्स में अधिक से अधिक जी-20 देशों के शामिल होने की अपील भी की।

ट्रंप के नेतृत्व में अमेरिका ने इस समूह में शामिल होने से इनकार किया है।

कोरोना वायरस महामारी ने दुनिया भर में कहर बरपाया है। कई देशों की आर्थिक स्थिति बेहद जर्जर हो गयी है। इस महामारी से सर्वाधिक प्रभावित नौ देशों में सभी जी-20 समूह के ही हैं। अमेरिका जहां इससे सर्वाधिक प्रभावित है, वहीं उसके बाद भारत, ब्राजील, फ्रांस, रूस, स्पेन, ब्रिटेन, अर्जेंटीना और इटली जैसे जी-20 देशों का स्थान है। इस शिखर सम्मेलन में भाग ले रहे तीन जी-20 नेता ‘ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन, ब्राजील के राष्ट्रपति जेयर बोलसोनारो और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप’ इस महामारी की चपेट में आ चुके हैं।

इस बार शिखर सम्मेलन में सभी नेताओं का जुटान नहीं हो पाने के कारण पारंपरिक सामूहिक तस्वीर को डिजिटल तरीके से डिजायन किया गया है। सभी नेताओं की तस्वीरों को डिजिटल तरीके से सऊदी अरब की राजधानी रियाद के एक ऐतिहासिक स्थल की तस्वीर के ऊपर लगाया गया है। इस बार शिखर सम्मेलन की मेजबानी के लिये रियाद को चुना गया था

डोनाल्ड ट्रम्प ने अमेरिका ही नहीं पूरी दुनिया में कोरोना का संक्रमण भयावह होने के संकेत दिए,अमेरिका में 2.55 लाख से अधिक लोगों की मौत attacknews.in

वाशिंगटन 22 नवंबर ।अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा है कि कोरोना वायरस (कोविड-19) महामारी केवल अमेरिका में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में लगातार भयावह होती जा रही है।

श्री ट्रम्प ने शनिवार को ट्वीट कर कहा, “ फेक न्यूज (फर्जी खबरें) फैलाने वाले चैनल यह नहीं बता रहे हैं कि कोविड-19 का प्रकोप अमेरिका में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में लगातार बढ़ता ही जा रहा है। मैंने आज सुबह जी-20 समूह देशों की शिखर बैठक में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये हिस्सा लिया। बैठक में कोरोना महामारी पर प्रमुख रूप से चर्चा की गयी। हम अपनी वैक्सीन की मदद से जल्द ही कोरोना से निजात पा लेंगे।”

अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि कोरोना मरीजों का इलाज कर रहे डॉक्टर लगातार इस वायरस के बारे में जानकारी जुटा रहे हैं और इलाज के तौर-तरीकों के बेहतर होने से इसके कारण अब कम लोगों की मौतें हो रही हैं।

उन्होंने नवनिर्वाचित राष्ट्रपति जो बिडेन की आलोचना करते हुए एक अन्य ट्वीट में कहा, “जो बिडेन एच1एन1स्वाइन फ्लू को रोकने में पूरी तरह से नाकाम रहे थे। श्री बिडेन वैक्सीन के रिकाॅर्ड समय में बनाने की प्रक्रिया के मोर्चे पर भी विफल रहे थे। क्या यह बात सभी लोग नहीं जानते हैं।”

गौरतलब है कि अमेरिका के राष्ट्रपति स्वयं भी कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं। इस सप्ताह की शुरुआत में श्री ट्रम्प के बड़े बेटे भी कोरोना से संक्रमित हो गए हैं।

अमेरिका में यह महामारी विकराल रूप ले चुकी है और अब तक 1.20 करोड़ से अधिक लोग इससे संक्रमित हो चुके हैं। अमेरिका की जॉन हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के विज्ञान एवं इंजीनियरिंग केन्द्र (सीएसएसई) की ओर से जारी किए गए ताजा आंकड़ों के मुताबिक अमेरिका में कोरोना से मरने वालों की संख्या 2,55,804 पहुंच गयी है जबकि संक्रमितों की संख्या 1,20,85,389 हो गयी है।

अमेरिका में कोविड-19 से 2.55 लाख से अधिक लोगों की मौत

वैश्विक महामारी कोरोना वायरस (कोविड-19) से गंभीर रूप से जूझ रहे अमेरिका में इसके संक्रमण से अब तक 2.55 लाख से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है।

अमेरिका में यह महामारी विकराल रूप ले चुकी है और अब तक 1.20 करोड़ से अधिक लोग इससे संक्रमित हो चुके हैं।

अमेरिका की जॉन हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के विज्ञान एवं इंजीनियरिंग केन्द्र (सीएसएसई) की ओर से जारी किए गए ताजा आंकड़ों के मुताबिक अमेरिका में कोरोना से मरने वालों की संख्या 2,55,804 पहुंच गयी है जबकि संक्रमितों की संख्या 1,20,85,389 हो गयी है।

अमेरिका का न्यूयाॅर्क, न्यूजर्सी और कैलिफोर्निया प्रांत कोरोना से सबसे बुरी तरह प्रभावित है। अकेले न्यूयाॅर्क में कोरोना संक्रमण के कारण 34,287 लोगों की मौत हुई है। न्यूजर्सी में अब तक 16,746 लोगों की इस महामारी के कारण मौत हो चुकी है। कैलिफोर्निया में कोविड-19 से अब तक 18,670 लोगों की मौत हो चुकी है। टेक्सास में इसके कारण 20,903 लोग अब तक अपनी जान गंवा चुके हैं जबकि फ्लोरिडा में कोविड-19 से 17,930 लोगों की जान गई है। इसके अलावा मैसाचुसेट्स में 10,488 जबकि पेंसिल्वेनिया में कोरोना से 9,775 लोगों की मौत हुई है।

अमेरिका के निर्वाचित राष्ट्रपति बाइडेन ने डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा पराजय स्वीकार नहीं करने पर जाहिर किया अपना गुस्सा,”वह इतिहास में अमेरिका के सबसे गैर-जिम्मेदार राष्ट्रपतियों में से एक के रूप में पहचाने जाएंगे’’ attacknews.in

वाशिंगटन, 20 नवम्बर । अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में जीत दर्ज करने वाले डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार जो बाइडन ने कहा कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप चुनाव में हार स्वीकार ना करके अंतरराष्ट्रीय समुदाय को बेहद खराब संदेश भेज रहे हैं।

अमेरिका में तीन नवम्बर को हुए राष्ट्रपति चुनाव में अधिकतर प्रमुख मीडिया घराने जो बाइडन को विजेता घोषित कर चुके हैं। बाइडन के नाम पर कुछ सप्ताह बाद कई राज्य आधिकारिक मोहर लगाएंगे। हालांकि ट्रंप ने हार स्वीकार करने से मना कर दिया है और कई राज्यों में चुनावी परिणामों के खिलाफ मुकदमा भी दायर किया है।

विलमिंगटन में दोनों पक्षों के गवर्नरों के एक समूह के साथ बैठक में बाइडन ने कहा, ‘‘लोकतंत्र किस तरह काम करता है, इसको लेकर दुनिया के बाकी हिस्सों में बेहद खराब संदेश जा रहा है। मुझे नहीं पता कि उनका(ट्रंप) मकसद क्या है लेकिन मुझे लगता है कि यह बेहद गैर जिम्मेदाराना है।’’

उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा, ‘‘ अब राष्ट्रपति जो कर रहे हैं वह एक और घटना है जिससे वह इतिहास में अमेरिका के सबसे गैर-जिम्मेदार राष्ट्रपतियों में से एक के रूप में पहचाने जाएंगे।’’

बाइडन ने कहा, ‘‘हम यह स्पष्ट करना चाहेंगे कि हमने जीत हासिल की है… पर ऐसे इंसान के लिए यह समझना मुश्किल है। मुझे विश्वास है कि उन्हें पता है कि वह ना जीते हैं और ना जीतने वाले हैं। हम 20 जनवरी को सत्ता संभालेंगे।’’

इस बैठक के बाद बाइडन ने पत्रकारों के एक सवाल के जवाब में देश में कोविड-19 से निपटने के लिए राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन नहीं लगाए जाने की पुष्टि की।

उन्होंने कहा, ‘‘ राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन नहीं लगाया जा सकता, क्योंकि हर क्षेत्र, इलाका और समुदाय अलग है। इसलिए किसी भी स्थिति में राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन नहीं लगाया जा सकता। ’’

बाइडन ने कहा, ‘‘ मैं अर्थव्यवस्था पर नहीं, वायरस पर अंकुश लगाऊंगा।’’

मुंबई हमलों का मास्टरमाइंड और जमात उद दावा का सरगना हाफिज सईद को दो और मामलों में 10 साल की कैद,अमेरिका ने कर रखी है एक करोड़ डॉलर के इनाम की घोषणा attacknews.in

लाहौर, 19 नवंबर । पाकिस्तान की एक आतंकवाद रोधी अदालत ने मुंबई हमलों के मास्टरमाइंड एवं जमात उद दावा (जेयूडी) के सरगना हाफिज सईद को दो और मामलों में बृहस्पतिवार को 10 साल कैद की सजा सुनाई।

संयुक्त राष्ट्र ने सईद को आतंकवादी घोषित किया था और अमेरिका ने उसपर एक करोड़ डॉलर के इनाम की घोषणा कर रखी है। उसे आतंकी कृत्यों के लिए वित्तीय मदद उपलबध कराने के मामले में पिछले साल 17 जुलाई को गिरफ्तार किया गया था।

आतंकवाद रोधी अदालत ने आतंकी कृत्यों के लिए वित्तीय मदद उपलबध कराने के दो मामलों में उसे इस साल फरवरी में 11 साल कैद की सजा सुनाई थी।

वह लाहौर की उच्च सुरक्षा वाली कोट लखपत जेल में बंद है।

अदालत के एक अधिकारी ने पीटीआई से कहा, ‘‘लाहौर स्थित आतंकवाद रोधी अदालत ने बृहस्पतिवार को जमात उद दावा के सरगना सईद सहित इसके चार नेताओं को दो और मामलों में सजा सुनाई।’’

सईद और उसके दो साथियों-जफर इकबाल तथा याह्या मुजाहिद को 10-10 साल कैद की सजा सुनाई गई है, जबकि उसके साले अब्दुल रहमान मक्की को छह महीने कैद की सजा सुनाई गई है।

अधिकारी ने कहा, ‘‘आतंकवाद रोधी अदालत-1 के न्यायाधीश अरशद हुसैन भुट्टा ने आतंकवाद रोधी विभाग द्वारा दायर मुकदमा संख्या 16/19 और 25/19 में सुनवाई की जिसमें वकील नसीरुद्दीन नैयर और मोहम्मद इमरान फजल गुल की जिरह के दौरान गवाहों के बयानों के बाद फैसला सुनाया गया है।’’

आतंकवाद रोधी विभाग ने जेयूडी के नेताओं के खिलाफ कुल 41 मामले दर्ज किए हैं जिनमें से 24 मामलों में फैसला आ चुका है और शेष अन्य आतंकवाद रोधी अदालतों में लंबित हैं। अब तक चार मामलों में सईद के खिलाफ फैसला आया है।

जेयूडी वर्ष 2008 में मुंबई में हुए हमलों के लिए जिम्मेदार लश्कर ए तैयबा को संचालित करनेवाला प्रमुख संगठन है।

मुंबई हमलों में 166 लोग मारे गए थे जिनमें छह अमेरिकी नागरिक भी शामिल थे।

अमेरिका के वित्त विभाग ने सईद को विशेष रूप से वैश्विक आतंकवादी घोषित किया था। दिसंबर 2008 में उसे संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 1267 के तहत भी आतंकवादी घोषित किया गया था।

भारत में पारंपरिक दवाओं के लिए एक वैश्विक केंद्र की स्थापना करने की विश्व स्वास्थ्य संगठन की घोषणा ,नरेंद्र मोदी ने जताया विश्वास,” जिस तरह देश ‘दुनिया की फार्मेसी’ के तौर पर उभरा है, वैसे ही यह संस्थान वैश्विक स्वास्थ्य का केंद्र बनेगा attacknews.in

नयी दिल्ली, 13 नवंबर ।विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने शुक्रवार को घोषणा की कि वह भारत में पारंपरिक दवाओं के लिए एक वैश्विक केंद्र की स्थापना करेगा, जिस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विश्वास जताया कि जिस तरह देश ‘दुनिया की फार्मेसी’ के तौर पर उभरा है, वैसे ही डब्ल्यूएचओ का संस्थान वैश्विक स्वास्थ्य का केंद्र बनेगा।

पांचवें आयुर्वेद दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में एक वीडियो संदेश के माध्यम से डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक तेद्रोस अधानोम गेब्रेसस ने यह घोषणा की। इसी कार्यक्रम में प्रधानमंत्री ने जयपुर और जामनगर के दो आयुर्वेद संस्थानों को वीडियो कॉन्फ्रेंस से देश को समर्पित किया।

गुजरात के जामनगर स्थित आयुर्वेद अध्यापन एवं अनुसंधान संस्थान (आईटीआरए) और जयपुर का राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान (एनआईए) देश में आयुर्वेद के प्रमुख संस्थान हैं।

आयुष मंत्रालय के अनुसार आईटीआरए, जामनगर को संसद में कानून पारित करके राष्ट्रीय महत्व के संस्थान का दर्जा दिया गया है, वहीं जयपुर स्थित आयुर्वेद संस्थान को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने ‘डीम्ड टू बी यूनिवर्सिटी’ संस्थान का दर्जा दिया है।

गेब्रेसस ने एक वीडियो संदेश में कहा, ‘‘मुझे यह घोषणा करते हुए प्रसन्नता हो रही है कि हम भारत में डब्ल्यूएचओ का एक वैश्विक परंपरागत औषधि केंद्र खोलने के लिए सहमत हो गए हैं ताकि परंपरागत और पूरक दवाओं के अनुसंधान, प्रशिक्षण और जागरुकता को मजबूत किया जा सके।’’

उन्होंने कहा, ‘‘यह नया केंद्र डब्ल्यूएचओ की पारम्परिक चिकित्सा रणनीति 2014-2023 को क्रियान्वित करने के डब्ल्यूएचओ के प्रयासों में मदद करेगा। इस रणनीति का उद्देश्य स्वस्थ और सुरक्षित विश्व के लिए देशों को नीतियां बनाने और उसमें पारम्परिक चिकित्सा की भूमिका को मजबूती देना है।’’

डब्ल्यूएचओ प्रमुख ने कहा कि आयुर्वेद जैसी पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली एकीकृत जनकेंद्रित स्वास्थ्य सेवाओं और सुविधाओं में अहम भूमिका निभा सकती हैं, लेकिन इनकी ओर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया गया है।

गेब्रेसस ने आयुष्मान भारत के तहत सरकार की प्रतिबद्धता के लिए और स्वास्थ्य संबंधी उद्देश्यों की पूर्ति के लिहाज से पारंपरिक दवाओं के साक्ष्य आधारित संवर्द्धन के लिए मोदी की प्रशंसा की।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आयुर्वेद भारत की विरासत है जिसके विस्तार में पूरी मानवता की भलाई समाई हुई है और देश के परंपरागत ज्ञान से दूसरे देशों को समृद्ध होते देखकर प्रत्येक भारतीय प्रसन्न होगा।

उन्होंने कहा कि यह सम्मान की बात है कि डब्ल्यूएचओ ने पारम्परिक दवाइयों के वैश्विक केन्द्र की स्थापना के लिए भारत को चुना है।

उन्होंने कहा, ‘‘अब भारत से दुनिया के लिए इस दिशा में काम होगा। भारत को यह बड़ी जिम्मेदारी देने के लिए मैं डब्ल्यूएचओ और उसके महानिदेशक का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं।’’

मोदी ने कहा, ‘‘मुझे विश्वास है कि जिस तरह भारत दुनिया की फार्मेसी के रूप में उभरा है, उसी तरह पारंपरिक दवाओं का यह केंद्र वैश्विक स्वास्थ्य का केंद्र बनेगा।’’

मोदी ने कहा कि भारत के पास आरोग्य से जुड़ी कितनी बड़ी विरासत है लेकिन यह ज्ञान ज्यादातर किताबों में, शास्त्रों में और थोड़ा-बहुत दादी-नानी के नुस्खों तक सीमित रहा।

उन्होंने कहा, ‘‘इस ज्ञान को आधुनिक आवश्यकताओं के अनुसार विकसित किया जाना आवश्यक है।’’

प्रधानमंत्री ने कहा कि देश में अब हमारे पुरातन चिकित्सीय ज्ञान-विज्ञान को 21वीं सदी के आधुनिक विज्ञान से मिली जानकारी के साथ जोड़ा जा रहा है, नया अनुसंधान किया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि तीन साल पहले ही हमारे यहां अखिल भारतीय आयुर्वेदिक संस्थान की स्थापना की गई थी। उन्होंने कहा कि आज आयुर्वेद एक विकल्प नहीं बल्कि देश की स्वास्थ्य नीति का प्रमुख आधार है।

मोदी ने बताया कि लेह में राष्ट्रीय सोवा-रिगपा अनुसंधान संस्थान और सोवा-रिगपा से संबंधित अन्य अध्ययनों के विकास के लिए काम चल रहा है। उन्होंने कहा कि गुजरात और राजस्थान के दोनों संस्थान भी इसी विकास प्रक्रिया का विस्तार हैं।

दोनों संस्थानों को उन्नयन के लिए बधाई देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी अब और अधिक जिम्मेदारी है और उम्मीद है कि वे आयुर्वेद के लिए ऐसा पाठ्यक्रम तैयार करेंगे जो अंतरराष्ट्रीय मानकों को पूरा करते हों।

मोदी ने शिक्षा मंत्रालय और यूजीसी से आयुर्वेद भौतिकी और आयुर्वेद रसायनशास्त्र जैसे विषयों में नये मार्ग तलाशने को कहा।

प्रधानमंत्री ने स्टार्टअप और निजी क्षेत्र से भी वैश्विक प्रवृत्तियों तथा मांगों का अध्ययन करने और इस क्षेत्र में उनकी सहभागिता सुनिश्चित करने को कहा।

उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस के दौरान आयुर्वेद उत्पादों की मांग पूरी दुनिया में तेजी से बढ़ गई और पिछले साल की तुलना में इस साल सितंबर में आयुर्वेद दवाओं के निर्यात में करीब 45 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई।

प्रधानमंत्री ने कहा कि कोरोना से मुकाबले के लिए जब कोई प्रभावी तरीका नहीं था तो भारत के घर-घर में हल्दी, अदरक, काढ़ा जैसे रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले उपाय बहुत काम आये।

उन्होंने कहा, ‘‘यह दर्शाता है कि दुनिया में आयुर्वेदिक समाधान और भारतीय मसालों पर विश्वास बढ़ रहा है। अब तो कई देशों में हल्दी से जुड़े विशेष पेय पदार्थों का भी प्रचलन बढ़ रहा है। दुनिया के प्रतिष्ठित मेडिकल जर्नल भी आयुर्वेद में नई आशा और उम्मीद देख रहे हैं।’’

अमेरिका में आसानी से सत्ता हस्तांतरण नहीं करेंगे डोनाल्ड ट्रम्प,बढ़ रहा है सत्ता सौपने की प्रक्रिया शुरू करने के लिए जो बाइडेन की टीम के साथ सहयोग का दबाव attacknews.in

विलमिंगटन (अमेरिका), नौ नवंबर (एपी) अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर जनवरी में नए प्रशासन के कार्यकाल सम्भालने पर सत्ता का सहज हस्तांतरण सुनिश्चित करने के लिए देश के निर्वाचित राष्ट्रपति जो मबाइडेन की टीम के साथ सहयोग करने का दबाव बढ़ रहा है।

‘जनरल सर्विसेज एडमिनिस्ट्रेटन’ (जीएसए) पर बाइडेन को निर्वाचित राष्ट्रपति के रूप से औपचारिक रूप से मान्यता देने की जिम्मेदारी है। इसके बाद सत्ता हस्तांतरण की प्रक्रिया आरंभ होगी। एजेंसी की प्रशासक एमिली मर्फी ने अभी तक यह प्रक्रिया आरंभ नहीं की है और न ही यह बताया है कि वह कब ऐसा करेंगी। एमिली की नियुक्ति ट्रंप ने की थी।

इस मामले में स्पष्टता नहीं होने के कारण प्रश्न खड़े होने लगे हैं कि अभी तक हार स्वीकार न करने वाले और चुनाव में अनियमितताओं का आरोप लगाने वाले ट्रंप सरकार बनाने की डेमोक्रेटिक पार्टी की कोशिश बाधित कर सकते हैं।

बाइडेन के सत्ता हस्तांतरण सहयोगी जेन प्साकी ने रविवार को कहा, ‘‘अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा एवं उसके आर्थिक हित इस बात पर निर्भर करते हैं कि संघीय सरकार यह स्पष्ट और त्वरित संकेत दे कि वह अमेरिकी लोगों की इच्छा का सम्मान करेगी और सत्ता के शांतिपूर्ण एवं सहज हस्तांतरण में सहयोग करेगी।’’

व्हाइट हाउस में पिछले तीन कार्यकालों में शामिल रहे एक द्विदलीय समूह ने भी ट्रंप से ‘‘चुनाव के बाद सत्ता हस्तांतरण की प्रक्रिया तत्काल’’ आगे बढ़ाने की अपील की है।

‘सेंटर फॉर प्रेजिडेंशियल ट्रांजिशन’ सलाहकार बोर्ड ने एक बयान में कहा कि यह कड़ी मेहनत से लड़ा गया चुनाव था, लेकिन इतिहास ऐसे राष्ट्रपतियों के उदाहरण से भरा पड़ा है, जिन्होंने चुनाव परिणाम के बाद अपने उत्तराधिकारियों की गरिमा के साथ मदद की।

इस बयान पर पूर्व राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश के कार्यकाल में व्हाइट हाउस के चीफ ऑफ स्टाफ रहे जोश बोल्टन एवं स्वास्थ्य एवं मानव सेवा मंत्री रहे माइकल लिविट, पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन के कार्यकाल में व्हाइट हाउस में चीफ ऑफ स्टाफ रहे थॉमस ‘मैक’ मैक्लार्टी और पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा के कार्यकाल में मंत्री रहे पेन्नी प्रित्जकर ने हस्ताक्षर किए।

इस बीच, बाइडेन ने सरकार बनाने के लिए कदम उठाने शुरू कर दिए हैं और कोविड-19 से निपटने के लिए टीम तैयार करनी आरंभ कर दी है, लेकिन जीएसए की औपचारिक घोषणा से पहले यह प्रक्रिया पूरी तरह शुरू नहीं हो सकती।

कमला हैरिस के कहने फर चेन्नई में रहने वाली मौसी डाॅ सरला गोपालन ने वरसिद्धी विनयगर मंदिर में 108 नारियल फोड़े थे,दिल्ली से मामा गोपालन बालचंद्रन ने एक दिन पहले ही अपनी भांजी से अगली उपराष्ट्रपति बनने की बात कही थी attacknews.in

चेन्नई, आठ नवंबर । अमेरिका में उपराष्ट्रपति निर्वाचित हुईं कमला हैरिस की तमिलनाडु के चेन्नई में रहने वाली मौसी डॉ. सरला गोपालन ने कहा कि वह अपनी भांजी की जीत से गदगद हैं और अब उन्हें उनके शपथ ग्रहण समारोह में हिस्सा लेने की उम्मीद है।

वरिष्ठ चिकित्सक गोपालन ने रविवार को कहा कि वह शनिवार को हैरिस से बात नहीं कर पाईं, क्योंकि वह पूरा दिन जीत की घोषणा के इतंजार में थीं।

यहां स्वैच्छिक स्वास्थ्य सेवा में वरिष्ठ डॉक्टर ने कहा, “आप क्या सोचते हैं कि मुझे उनकी जीत को लेकर कैसा महसूस करना चाहिए, मैं बहुत खुश हूं।”

उन्होंने कहा, ” मैंने देर रात तक (जीत की) घोषणा का इंतजार किया… मैं थक गई थी तो रात में सोने चली गई।

उनसे पूछा गया कि क्या वह अमेरिका में अपनी भांजी के शपथ-ग्रहण समारोह में शिरकत करेंगी तो उन्होंने कहा, “उम्मीद तो है। ”

उनसे पूछा गया कि क्या वह बेसंत नगर में स्थित वरसिद्धि विनयगर मंदिर गईं थी और हैरिस के लिए प्रार्थना की थी, तो डॉ गोपालन ने कहा, “आमतौर पर जब भी मैं वरसिद्धि विनयगर मंदिर जाती हूं तो नारियल फोड़ती हूं।” उन्होंने कहा, ” लेकिन इस बार मैं कोविड-19 की वजह से मंदिर नहीं जा सकी।”

उन्होंने कहा कि उनकी प्रार्थनाएं हमेशा हैरिस के साथ हैं।

कुछ साल पहले हैरिस के आग्रह पर डॉ गोपालन ने वरसिद्धी विनयगर मंदिर में 108 नारियल फोड़े थे।

वहीं दिल्ली में हैरिस के मामा गोपालन बालचंद्रन ने शनिवार को बताया कि उन्होंने एक दिन पहले ही अपनी भांजी से कहा था कि वह जीतने जा रही हैं और अमेरिका की अगली उपराष्ट्रपति बनेंगी।

बालचंद्रन ने हैरिस को योद्धा करार देते हुए कहा कि वह बेहद ‘खुश और गर्व’ महसूस कर रहे हैं।

मतगणना को लेकर चिंता के सवाल पर बालचंद्रन ने कहा, ‘हम बाइडेन-हैरिस को जीतते देखना चाहते थे। मैंने कल (शुक्रवार को) ही कमला से कहा था कि वह जीतने जा रही हैं।’

हैरिस के माता-पिता प्रवासी हैं। उनके पिता डोनाल्ड हैरिस जमैका के अश्वेत व्यक्ति थे जबकि उनकी मां श्यामला गोपालन चेन्नई से थी। वह कैंसर पर शोध कर रही थीं और नागरिक अधिकार कार्यकर्ता थीं।

भारतीय मूल की 56 वर्षीय हैरिस अमेरिका की उपराष्ट्रपति बनने वाली पहली महिला होंगी। वह देश की पहली भारतीय मूल की, पहली अश्वेत और पहली अफ्रीकी-अमेरिकी महिला उपराष्ट्रपति होंगी

केरल की प्रियंका राधाकृष्णन : न्यूजीलैंड की लेबर पार्टी सरकार में मंत्री बनने वाली भारतीय मूल की पहली महिला attacknews.in

नयी दिल्ली, आठ नवंबर । दुनिया में इन दिनों भारतवंशियों के नाम की धूम है और इनमें भी महिलाओं ने अपना परचम बुलंद किया है। दुनिया के सबसे पुराने लोकतंत्र अमेरिका में जहां भारतीय मूल की कमला हैरिस उपराष्ट्रपति पद पर निर्वाचित हुई हैं, वहीं न्यूजीलैंड में प्रियंका राधाकृष्णन ने लेबर पार्टी की जेसिंडा आर्डन सरकार में जगह बनाकर एक नयी मिसाल कायम की है। ऐसा पहली बार हुआ है, जब न्यूजीलैंड की सरकार में किसी भारतीय ने जगह बनाई हो।

1979 में चेन्नई में जन्मी प्रियंका राधाकृष्णन केरल मूल के माता-पिता की संतान हैं। राजनीति का कौशल उन्हें अपने पुरखों से मिला। उनके परदादा डा. सी आर कृष्णा पिल्लई का नाम केरल में बहुत सम्मान से लिया जाता है। वामपंथ की राजनीति में अपना गहरा दखल रखने वाले डा. पिल्लई ने केरल राज्य की स्थापना में खास भूमिका निभाई थी।

प्रियंका का बचपन सिंगापुर में गुजरा और फिर वह न्यूजीलैंड चली गईं। उन्होंने वेलिंगडन की विक्टोरिया यूनिवर्सिटी से डेवलेपमेंटल स्टडीज में स्नातकोत्तर की पढ़ाई की। पढ़ाई के बाद उन्होंने ऑकलैंड में बसे भारतीय समुदाय के लोगों के बीच सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में काम किया और तकरीबन 27 साल की उम्र में 2006 में न्यूजीलैंड की लेबर पार्टी में शामिल हो गईं।

प्रियंका ने शुरू में पार्टी की आंतरिक विकास नीति प्रक्रिया पर काम किया और पार्टी के स्थानीय और क्षेत्रीय संगठन में सक्रिय रहीं। इस दौरान वह अपने कार्य से पार्टी नेतृत्व की नजरों में अपनी जगह बनाती रहीं। इसी का नतीजा था कि 2014 के चुनाव में उन्हें लेबर पार्टी की क्रमवार सूची में 23वां स्थान मिला। पार्टी के किसी नये सदस्य को इससे पहले कभी इस सूची में इतना ऊंचा स्थान नहीं मिला था।

हालांकि लेबर पार्टी के वोट में कमी आने के कारण प्रियंका उस वर्ष चुनाव नहीं लड़ सकीं।

प्रियंका के पार्टी की सूची में आगे बढ़ते रहने का सिलसिला लगातार चलता रहा और वह 2017 में इस सूची में 12वां स्थान हासिल करने में कामयाब रहीं। तीन साल के भीतर 23 से 12 पर पहुंचना अपने आप में बड़ी बात थी और वह भी तब जब वह संसद की सदस्य नही थीं।

पार्टी में अपने कदम मजबूती से जमा चुकीं प्रियंका को 27 जून 2019 को जातीय मामलों के लिए संसदीय निजी सचिव नियुक्त किया गया और सरकारी कामकाज में उन्हें पहली महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी गई। 2020 में प्रियंका ने मौंकीकी से चुनाव जीतकर संसद की तरफ कदम बढ़ाया और दो नवंबर को उन्हें कई विभागों का मंत्री बनाकर पार्टी के लिए उनके कामकाज और उनकी बेहतरीन नेतृत्व क्षमता को सम्मान दिया गया

भारत और चीन की सेनाओं ने आठवें दौर की सैन्य वार्ता को रचनात्मक करार दिया:दोनों देशों के नेताओं के बीच बनी महत्वपूर्ण सहमति को गंभीरता से लागू करने और यह सुनिश्चित करने पर रजामंदी हुई कि सीमा पर तैनात बल संयम बरतें एवं गलतफहमी से बचें attacknews.in

नयी दिल्ली, आठ नवंबर । भारतीय सेना ने रविवार को कहा कि चीनी सेना के साथ लद्दाख में गतिरोध को लेकर हुई आठवें दौर की सैन्य वार्ता रचनात्मक रही और इस दौरान गहराई से एवं स्पष्ट बातचीत हुई।

सेना ने अत्यधिक ऊंचाई वाले क्षेत्र से सैन्य बलों के पीछे हटने को लेकर ठोस सफलता मिलने के कोई संकेत नहीं होने के बीच यह बयान दिया।

भारत और चीन की सेनाओं ने एक संयुक्त बयान में कहा कि वार्ता के दौरान दोनों देशों के नेताओं के बीच बनी महत्वपूर्ण सहमति को गंभीरता से लागू करने और यह सुनिश्चित करने पर रजामंदी हुई कि सीमा पर तैनात बल संयम बरतें एवं गलतफहमी से बचें।

बीजिंग और नयी दिल्ली में जारी बयान में कहा गया कि दोनों पक्षों ने सैन्य एवं राजनयिक माध्यमों से वार्ता एवं संवाद बनाए रखने और पुराने मसलों के समाधान के लिए वार्ता को आगे बढ़ाने पर सहमति जताई।

भारतीय सेना और चीन की जनमुक्ति सेना (पीएलए) के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारतीय हिस्से में स्थित चुशुल में शुक्रवार को आठवें दौर की उच्च स्तरीय सैन्य वार्ता हुई थी। यह वार्ता करीब साढ़े 10 घंटे चली थी। वार्ता में दोनों देशों की सेनाओं ने जल्द ही पुन: मुलाकात करने पर सहमति जताई थी।

बयान में कहा गया है कि दोनों पक्षों के बीच भारत-चीन सीमा क्षेत्रों के पश्चिमी सेक्टर में नियंत्रण रेखा के पास से सेनाओं को पीछे हटाने को लेकर रचनात्मक, स्पष्ट और गहराई से बातचीत हुई।

इसमें कहा गया, ‘‘दोनों देशों के नेताओं के बीच बनी महत्वपूर्ण सर्वसम्मति को गंभीरता से लागू करने और यह सुनिश्चित करने पर सहमति बनी कि सीमा पर तैनात बल संयम बरतें और गलतफहमी से बचें।’’

बयान में कहा गया है, ‘‘दोनों पक्षों ने सैन्य एवं राजनयिक माध्यमों से वार्ता एवं संवाद बनाए रखने और पुराने मसलों के समाधान के लिए वार्ता को आगे बढ़ाने पर सहमति जताई, ताकि सीमावर्ती इलाकों में शांति कायम रहे।’’

सरकारी सूत्रों ने बताया कि भारतीय सेना ने वार्ता के दौरान पूर्वी लद्दाख में टकराव के सभी बिंदुओं से चीन द्वारा बलों की शीघ्र वापसी पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि विवाद का समाधान खोजने को लेकर अभी कोई सफलता नहीं मिली है।

पूर्वी लद्दाख के विभिन्न पहाड़ी इलाकों में करीब 50 हजार भारतीय सैनिक शून्य से भी नीचे तापमान में युद्ध की उच्चस्तरीय तैयारी के साथ तैनात हैं। दोनों पक्षों के बीच गतिरोध को खत्म करने के लिए हुई कई दौर की बातचीत का कोई ठोस नतीजा नहीं निकला है।

अधिकारियों के मुताबिक, चीन ने भी लगभग इतने ही सैनिक तैनात किए हैं।

दोनों पक्षों के बीच मई की शुरुआत में गतिरोध की स्थिति बनी थी।

प्रमुख रक्षा अध्यक्ष जनरल बिपिन रावत ने शुक्रवार को कहा था कि भारत एलएसी में कोई बदलाव स्वीकार नहीं करेगा और सीमा पर झड़पों, अतिक्रमण और बिना उकसावे की सामरिक सैन्य कार्रवाइयों के बड़े संघर्षों में बदलने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।

आठवें दौर की सैन्य बातचीत में भारतीय पक्ष का नेतृत्व लेह स्थित 14वीं कोर के नवनियुक्त कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल पीजीके मेनन ने किया था।

विदेश मंत्रालय में संयुक्त सचिव (पूर्वी एशिया) नवीन श्रीवास्तव भी भारतीय प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा थे।

सातवें दौर की बातचीत में दोनों पक्षों ने “यथाशीघ्र” सैनिकों की वापसी के परस्पर स्वीकार्य समाधान तक पहुंचने के लिये सैन्य एवं कूटनीतिक माध्यमों से बातचीत एवं संवाद कायम रखने पर सहमति व्यक्त की थी।

भारत का रुख शुरू से स्पष्ट है कि सैनिकों की वापसी और पहाड़ी क्षेत्र के गतिरोध वाले बिंदुओं पर तनाव कम करने की प्रक्रिया को आगे ले जाने का दायित्व चीन पर है।

छठे दौर की सैन्य बातचीत के बाद दोनों पक्षों ने सीमा पर और सैनिकों को नहीं भेजने, जमीनी स्थिति को बदलने की एकपक्षीय कोशिश से बचने और स्थिति को और अधिक गंभीर बनाने वाले किसी भी कदम या कार्रवाई से बचने समेत कई फैसलों की घोषणा की थी।

कमला हैरिस: अमेरिका में पहली भारतवंशी, अश्वेत और अफ्रीकी,अमेरिकी व यहूदी परंपरा से जुड़ी निर्वाचित उपराष्ट्रपति का विविध संस्कृतियों वाला जीवन का सफर attacknews.in

वाशिंगटन, आठ नवंबर । भारतवंशी कमला देवी हैरिस ने अमेरिका की निर्वाचित उपराष्ट्रपति बनकर इतिहास रच दिया है। वह अमेरिका में इस पद के लिए निर्वाचित होने वाली पहली महिला हैं। यही नहीं, हैरिस देश की पहली भारतवंशी, अश्वेत और अफ्रीकी अमेरिकी उपराष्ट्रपति होंगी।

राष्ट्रपति चुनाव के लिए डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर से उम्मीदवार रहे जो बाइडेन ने अगस्त में उपराष्ट्रपति पद की उम्मीदवार के रूप में हैरिस को चुना था। राष्ट्रपति पद के अपने सपनों को हैरिस ने चुनाव प्रचार हेतु वित्तीय संसाधनों के अभाव का हवाला देते हुए त्याग दिया था।

अपने पूर्व प्रतिद्वंद्वी बाइडेन की किसी समय हैरिस कटु आलोचक थीं। 56 वर्षीय हैरिस सीनेट के तीन एशियाई अमेरिकी सदस्यों में से एक हैं।

हैरिस ने कई मिसालें कायम की है। वह सान फ्रांसिस्को की डिस्ट्रिक्ट अटॉर्नी बनने वाली पहली महिला, पहली भारतवंशी और पहली अफ्रीकी अमेरिकी हैं।

ओबामा के कार्यकाल में वह ‘फीमेल ओबामा’ के नाम से लोकप्रिय थीं।

कैलिफोर्निया के ओकलैंड में 20 अक्टूबर 1964 को जन्मी कमला देवी हैरिस की मां श्यामला गोपालन 1960 में भारत के तमिलनाडु से यूसी बर्कले पहुंची थीं, जबकि उनके पिता डोनाल्ड जे हैरिस 1961 में ब्रिटिश जमैका से इकोनॉमिक्स में स्नातक की पढ़ाई करने यूसी बर्कले आए थे। यहीं अध्ययन के दौरान दोनों की मुलाकात हुई और मानव अधिकार आंदोलनों में भाग लेने के दौरान उन्होंने विवाह करने का फैसला कर लिया।

हाई स्कूल के बाद हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से पढ़ाई करने वाली कमला अभी सात ही बरस की थीं, जब उनके माता-पिता एक दूसरे से अलग हो गए। कमला और उनकी छोटी बहन माया अपनी मां के साथ रहीं और उन दोनों के जीवन पर मां का बहुत प्रभाव रहा।

हालांकि वह दौर अश्वेत लोगों के लिए सहज नहीं था। कमला और माया की परवरिश के दौरान उनकी मां ने दोनों को अपनी पृष्ठभूमि से जोड़े रखा और उन्हें अपनी साझा विरासत पर गर्व करना सिखाया। वह भारतीय संस्कृति से गहरे से जुड़ी रहीं।

कमला ने अपनी आत्मकथा ‘द ट्रुथ्स वी होल्ड’ में लिखा है कि उनकी मां को पता था कि वह दो अश्वेत बेटियों का पालन पोषण कर रही हैं और उन्हें सदा अश्वेत के तौर पर ही देखा जाएगा, लेकिन उन्होंने अपनी बेटियों को ऐसे संस्कार दिए कि कैंसर अनुसंधानकर्ता और मानवाधिकार कार्यकर्ता श्यामला और उनकी दोनों बेटियों को ‘ श्यामला एंड द गर्ल्स’ के नाम से जाना जाने लगा।

हार्वर्ड विश्वविद्यालय में अध्ययन के बाद हैरिस ने कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई की। वह 2003 में सान फ्रांसिस्को की शीर्ष अभियोजक बनीं। वह 2010 में कैलिफोर्निया की अटॉर्नी बनने वाली पहली महिला और पहली अश्वेत व्यक्ति थीं। हैरिस 2017 में कैलिफोर्निया से जूनियर अमेरिकी सीनेटर चुनी गईं।

कमला ने 2014 में जब अपने साथी वकील डगलस एम्पहॉफ से विवाह किया तो वह भारतीय, अफ्रीकी और अमेरिकी परंपरा के साथ साथ यहूदी परंपरा से भी जुड़ गईं।

हैरिस ने डेलावेयर के विलमिंग्टन में शनिवार रात को परिणामों की घोषणा के बाद देशवासियों को पहली बार संबोधित करते हुए कहा कि अब जब लोगों ने अगले चार साल के लिए जनादेश दिया है, तो अब असली काम शुरू होता है।

हैरिस ने कहा, ‘‘इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि आपने किसे वोट दिया, मैं ऐसी उप राष्ट्रपति बनने की कोशिश करूंगी जैसे जो बाइडेन पूर्व राष्ट्रपति (बराक) ओबामा के लिए थे- वफादार, सत्यनिष्ठ और तैयार, रोज सुबह आपके और आपके परिवारों के बारे में सोचते हुए । क्योंकि अब ही वास्तविक काम शुरू होना है। आपने अमेरिका के लिए नया दिन सुनिश्चित किया है।’’

आपने अमेरिका के लिए नया दिन सुनिश्चित किया: हैरिस

अमेरिका में उपराष्ट्रपति निर्वाचित कमला हैरिस ने अमेरिकियों से कहा कि उन्होंने जो बाइडेन को राष्ट्रपति के तौर पर निर्वाचित करके अमेरिका के लिए नया दिन सुनिश्चित किया है।

भारतीय मूल की कमला हैरिस(56) ने परिणामों की घोषणा के बाद देशवासियों को पहली बार संबोधित करते हुए कहा,‘‘ जनता के पास बेहतर भविष्य के निर्माण की ताकत है।’’

उन्होंने शनिवार को डेलावेयर के विलमिंग्टन में कहा,‘‘ आपने स्पष्ट संदेश दिया। आपने उम्मीद, एकता, शालीनता, विज्ञान और सत्य को चुना। आपने अमेरिका के लिए नया दिन सुनिश्चित किया।’’

हैरिस ने अपनी मां श्यामला गोपालन के बारे में कहा कि जब वह पहली बार अमेरिका आई थीं, तो उन्होंने इस पल के बारे में नहीं सोचा होगा। हैरिस ने कहा,‘‘ मैं उन्हें याद कर रही हूं।’

निर्वाचित राष्ट्रपति बाइडेन ने अमेरिका को एकजुट करने का संकल्प लेते हुए कहा:अब ‘‘अमेरिका में जख्मों को भरने का समय’ आ गया है;वह सोमवार को कोविड-19 संबंधी कार्यबल की घोषणा करेंगे attacknews.in

वाशिंगटन, आठ नवंबर । अमेरिका में राष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए हुए बेहद कड़े मुकाबले में ऐतिहासिक जीत हासिल करने के बाद डेमोक्रेटिक नेता जो बाइडेन ने देश को एकजुट करने का संकल्प लिया और कहा कि अब ‘‘अमेरिका में जख्मों को भरने का समय’ आ गया है।

बाइडेन और रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप के बीच राष्ट्रपति पद के लिए हुआ मुकाबला विभाजनकारी और कड़वाहट भरा रहा। इस चुनाव में अमेरिकियों ने रिकॉर्ड संख्या में मतदान किया और बाइडेन को जिताया।

बाइडेन (77) ने शनिवार रात जीत के बाद अपने भाषण में कहा, ‘‘मैं ऐसा राष्ट्रपति बनने का संकल्प लेता हूं, जो बांटने नहीं, बल्कि एकजुट करने की कोशिश करेगा, जो डेमोक्रेटिक राज्यों और रिपब्लिकन राज्यों में फर्क नहीं करेगा, बल्कि पूरे अमेरिका को एक नजर से देखेगा।’’

उन्होंने अपने समर्थकों का धन्यवाद करते हुए कहा कि उन्हें ‘‘अमेरिका के इतिहास में सबसे व्यापक एवं सबसे विविध गठजोड़’’ के मत मिले।

बाइडेन ने दर्शकों की तालियों की गड़गड़ाहट के बीच कहा, ‘‘आप लोगों ने मुझमें जो भरोसा दिखाया, मैं उसके लिए आपका आभारी हूं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘इस देश के लोगों ने बता दिया है कि उन्होंने स्पष्ट जीत दी है, उन्होंने लोगों के लिए स्पष्ट जीत दी है।’’

डेमोक्रेटिक नेता ने ट्रंप के मतदाताओं का भी दिल जीतने की कोशिश करते हुए कहा कि वह उनके लिए मतदान करने वाले लोगों के अलावा उन लोगों के राष्ट्रपति के तौर भी काम करेंगे, जिन्होंने उन्हें मत नहीं दिया।

उन्होंने कहा, ‘‘मैं आज रात आपको हुई निराशा को समझता हूं। मुझे भी एक-दो बार हार झेलनी पड़ी है, लेकिन अब, आइए एक दूसरे को एक मौका दें।’’

बाइडेन ने कहा, ‘‘यह अमेरिका में जख्मों को भरने का समय है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मैं अपने कार्यकाल में अमेरिका की आत्मा को पुन: जीवित करने, देश के मेरुदंड-मध्यम वर्ग को फिर मजबूत करने, दुनियाभर में अमेरिका का सम्मान बढ़ाने और देश के भीतर हमें एकजुट करने के लिए काम करूंगा।’’

बाइडेन ने कहा कि पूरी दुनिया अमेरिका को देख रही है।

उन्होंने कहा कि उनका मानना है कि अमेरिका दुनिया के लिए प्रकाशस्तम्भ है।

बाइडेन ने कहा, ‘‘और हम केवल हमारी ताकत के कारण ही नहीं, बल्कि अपनी मिसाल के कारण भी दुनिया का नेतृत्व करते हैं। मैंने हमेशा यह माना है कि हम अमेरिका को केवल एक शब्द में परिभाषित कर सकते हैं, वह है: संभावनाएं। अमेरिका में हर व्यक्ति को अपने सपनों और ईश्वर द्वारा दी गई क्षमता के अनुसार उड़ान भरने का अवसर दिया जाना चाहिए।’’

बाइडेन ने कहा कि वह कोविड-19 से निपटने के लिए हर संभव कोशिश करेंगे।

अमेरिका में इस वैश्विक महामारी के कारण 2,36,000 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है और 90 लाख से अधिक लोग संक्रमित हो चुके है।

उन्होंने घोषणा की कि निर्वाचित राष्ट्रपति के रूप में वह पहला काम वैज्ञानिक सलाहकारों एवं विशेषज्ञों को नामित करने का करेंगे, जो कोरोना वायरस से निपटने में मदद कर सकें।

बाइडेन ने कहा कि वह सोमवार को कोविड-19 संबंधी कार्यबल की घोषणा करेंगे।

राष्ट्रपति पद के चुनाव में वैश्विक महामारी बहस का मुख्य मुद्दा रही थी। बाइडेन ने महामारी से सही से नहीं निपट पाने को लेकर ट्रंप पर बार-बार निशाना साधा था।

बाइडेन ने कहा कि निर्वाचित उपराष्ट्रपति कमला हैरिस के साथ मिलकर काम करना उनके लिए सम्मान की बात होगी, जिन्होंने देश के राष्ट्रीय कार्यालय में चुनी गई पहली महिला एवं पहली प्रवासी बेटी बनकर इतिहास रचा।

उन्होंने कहा, ‘‘शानदार उपराष्ट्रपति कमला हैरिस के साथ मिलकर काम करना मेरे लिए सम्मान की बात होगी, जो इस देश के राष्ट्रीय कार्यालय में अभी तक चुनी गई पहली महिला, पहली अश्वेत महिला, दक्षिण एशियाई मूल की पहली महिला, प्रवासियों की पहली बेटी बनकर इतिहास रचेंगी।’’