अमेरिका के निर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडेन के कामकाज संभालने पर भारत- अमेरिका के बीच भागीदारी को और व्यापक बनाने का अवसर उपलब्ध करायेगा 2021 attacknews.in

वाशिंगटन, 27 दिसंबर ।भारत- अमेरिका व्यावसायिक परिषद (यूएसआईबीसी) की अध्यक्ष निशा देसाई बिस्वाल ने कहा है कि भारत और अमेरिका के बीच संबंध लगातार ‘‘मजबूत और जोशपूर्ण’’ बने हुये हैं और आने वाला नया साल 2021 इस भागीदारी को और व्यापक तथा गहरा बनाने का महत्वपूर्ण अवसर उपलब्ध करायेगा।

बिस्वाल ने उम्मीद जताई कि अमेरिका के निर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडेन के कामकाज संभालने पर भारत- अमेरिका लघु व्यापार समझौता उनके एजेंडा में सबसे शीर्ष पर होगा।

भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक मतभेदों को दूर करने के लिये एक समझौते पर बातचीत चल रही है। अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव होने के कारण पिछले महीनों के दौरान इसे अंतिम रूप नहीं दिया जा सका।

यूएसआईबीसी की अध्यक्ष बिस्वाल ने वर्षांत साक्षात्कार में कहा, ‘‘भारत और अमेरिका के बीच संबंध लगातार मजबूत और जोशपूर्ण हैं। अमेरिका के पिछले प्रशासन में भी यह स्थिति थी, मौजूदा प्रशासन में भी यही स्थिति है और मुझे पूरा विश्वास है कि अमेरिका में अगले महीने सत्ता संभालने वाले नये प्रशासन में भी यही स्थिति होगी।’’

उन्होंने याद करते हुये कहा कि भारत और अमेरिका के बीच 2020 की शुरुआत राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारत दौरे के साथ हुई थी।

विस्वाल ने कहा कि भारत और अमेरिका के बीच लघु व्यापार समझौता नहीं हो पाया इसके बावजूद दोनों देशों के बीच पूरे साल रणनीतिक भागीदारी जोशपूर्ण बनी रही। उन्होंने कहा चाहे रक्षा क्षेत्र के संबंध हों अथवा क्षेत्रीय और वैश्विक चुनौतियों को लेकर अमेरिका और भारत के बीच नजदीकी समन्वय की बात हो, दोनों देशों के रक्षा और विदेश मंत्रियों की तीसरी दो जमा दो बैठक हो द्विपक्षीय संबंध लगातार मजबूत हुये हैं। इसके अलावा भारत- प्रशांत क्षेत्र में भारत, अमेरिका, जापान और आस्ट्रेलिया (क्वाड समूह) को मजबूत बनाने पर भी रिश्तों में मजबूती आई है।

बिस्वाल ने कहा कि दुर्भाग्य से व्यापार के मोर्चे पर हम इस स्तर की प्रगति हासिल नहीं कर पाये। दोनों देशों को इस क्षेत्र में नये साल में यह देखने की आवश्यकता होगी … 2021 इस मामले में शायद दोनों देशों को भागीदारी को अधिक व्यापक बनाने का महत्वपूर्ण अवसर उपलब्ध करायेगा। इसमें अवसरों के कुछ अतिरिक्त क्षेत्र भी सामने आयेंगे।

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा के दूसरे कार्यकाल के दौरान बिस्वाल को विदेश मंत्रालय में दक्षिण और मध्य एशिया क्षेत्र का जिम्मा सौंपा गया था। तब उन्होंने भारत अमेरिका संबंधों को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उनका मानना है कि कोविड- 19 महामारी के दौरान यह देखा गया है कि दोनों देश न केवल अपने फायदे के लिये मिलकर काम कर सकते हैं बल्कि वैश्विक स्तर पर भी दोनों की भागीदारी महत्वपूर्ण रही है।

उन्होंने कहा कि बाइडेन प्रशासन के लिये जलवायु परिवर्तन प्रमुख मुद्दा होगा। भारत और अमेरिका के बीच सहयोग का यह नया क्षेत्र हो सकता है। बिस्वाल ने गौर करते हुये कहा कि भारत ने स्वच्छ ऊर्जा, सौर और नवीनीकरण ऊर्जा के क्षेत्र में काफी निवेश किया है।

बिस्वाल ने कहा कि 2020 काफी महत्वपूर्ण वर्ष रहा है। इसमें कई महत्वपूर्ण आर्थिक सुधारों को आगे बढ़ाया गया। लेकिन यह दुर्भाग्यपूर्ण रहा कि दोनों देशों के बीच व्यापार समझौता नहीं हो पाया जबकि इसके लिये काफी समय दिया गया और प्रयास भी किये गये। उन्होंने उम्मीद जताई कि जो बाइडेन के 20 जनवरी को अमेरिका के नये राष्ट्रपति के तौर पर सत्ता संभालने के बाद इस दिशा में जल्द से जल्द दोनों देश आगे बढ़ेंगे।

अमेरिका लगातार दूसरे वित्त वर्ष में भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार बना रहा। वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक 2019- 20 में अमेरिका और भारत के बीच 88.75 अरब डालर का द्विपक्षीय व्यापार हुआ। इससे पिछले वर्ष 2018- 19 में यह 87.96 अरब डालर रहा था।

अमेरिकी कांग्रेस ने 900 अरब के कोविड राहत विधेयक को मंजूरी दी,इसका इस्तेमाल कारोबारियों ,जरूरतमंद लोगों की मदद, टीकाअभियान और बेरोजगारों को सहायता में किया जाएगा attacknews.in

वाशिंगटन, 22 दिसंबर (एपी) अमेरिकी कांग्रेस ने 900 अरब के कोविड राहत विधेयक को मंजूरी दी है, जिससे कारोबारियों और आम लोगों की नकदी संबंधी जरूरत पूरी हो सकेगी और सभी तक वैक्सीन पहुंचाने में मदद मिलेगी।

विधेयक को अब राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मंजूरी के लिए भेजा गया है।

राहत विधेयक को सोमवार की दोपहर में सदन में रखा गया। सीनेट ने पैकेज को 92-6 के भारी बहुमत से मंजूरी दी, जबकि दूसरे सदन में इसके पक्ष में 359 वोट और विपक्ष में 53 वोट पड़े।

इस राहत पैकेज को लेकर लंबे समय से बहस चल रही थी। कोरोना वायरस महामारी के कारण प्रभावित हुए लोगों की मदद करने और अर्थव्यवस्था में गति देने के इरादे से नवनिर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडन इस समझौते को लागू करने के पक्ष में थे और उन्होंने अपनी पार्टी से इस संबंध में डेमोक्रेट के साथ सहमति बनाने की अपील की थी।

इस राशि का इस्तेमाल कोरोना वायरस महामारी के दौरान बुरी तरह प्रभावित हुए कारोबारियों एवं जरूरतमंद लोगों की मदद करने और टीका मुहैया कराने के अभियान में किया जाएगा। इस पैकेज के तहत बेरोजगारों को हर हफ्ते 300 डॉलर और जरूरतमंद लोगों को 600 डॉलर की सहायता प्रदान की जाएगी।

नए प्रावधानों के तहत सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाले थियेटर जैसे कारोबारों, स्कूलों और स्वास्थ्य सेवाओं की भी मदद की जाएगी।

इस विधेयक में 5,593 पन्ने हैं और इसे अमेरिका के इतिहास में अब तक का सबसे बड़ा विधेयक कहा जा रहा है

श्रीमद भगवदगीता पर आधारित मोक्ष का वृक्ष की विश्व की सबसे बड़ी 67 वर्ग मीटर की प्राकृतिक रंगों से पेंटिंग तैयार करने पर बलिया की नेहा सिंह का नाम गिनीज़ बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज attacknews.in

बलिया (उप्र) 20 दिसंबर । बलिया जिले के रसड़ा तहसील क्षेत्र के डेहरी गांव की रहने वाली नेहा सिंह ने श्रीमद भगवदगीता पर आधारित मोक्ष का वृक्ष पेंटिंग तैयार कर गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज कराया है ।

जिलाधिकारी श्रीहरि प्रताप शाही ने रविवार को बताया कि नेहा सिंह ने विश्व की सबसे बड़ी 67 वर्ग मीटर की पेंटिंग तैयार की है। उसने प्राकृतिक रंगों से यह पेंटिंग बनायी है। उन्होंने बताया कि नेहा सिंह ने श्रीमद् भगवदगीता पर मोक्ष का वृक्ष पेंटिंग तैयार की है, जिसपर उसका नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में अंकित किया गया है।

उन्होंने जानकारी दी कि नेहा काशी हिंदू विश्वविद्यालय में वैदिक विज्ञान में अध्ययनरत है । जिलाधिकारी ने आज नेहा के गांव में आयोजित एक समारोह में उसे सम्मानित किया तथा उसकी बेहतरीन कलाकृतियों को देखकर उसकी हौसलाअफजाई की।

नेहा सोलह लाख मोतियों से भारत का नक्शा और उंगलियों के निशान से हनुमान चालीसा भी लिख चुकी है । नेहा अब बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पर एक नया रिकॉर्ड बनाने की तैयारी में हैं।

नेपाल में संसद भंग, नये सिरे से चुनाव की घोषणा,प्रधानमंत्री ने मंत्रिमंडल की आपात बैठक में सिफारिश की,नेपाल को फिर से हिंदू राष्ट्र बनाने की मांग को लेकर देश के अलग-अलग हिस्सों में प्रदर्शन हुआ तेज attacknews.in

काठमांडू, 20 दिसंबर । नेपाल की राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी ने रविवार को प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली की सरकार की सिफारिशों पर संसद को भंग कर दिया।

राष्ट्रपति कार्यालय ने कहा, “माननीय प्रधानमंत्री की सिफारिश के अनुसार संघीय संसद की वर्तमान प्रतिनिधि सभा को भंग कर दिया गया है और चुनाव का पहला चरण शुक्रवार तीन अप्रैल को और दूसरा चरण सोमवार 11 अप्रैल को तय किया गया है।

इससे पहले प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने रविवार को अप्रत्याशित कठोर कदम उठाते हुए राष्ट्रपति बिद्यादेवी भंडारी से संसद भंग करने की सिफारिश करने का निर्णय लिया।

काठमांडू पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक आज सुबह ओली सरकार के मंत्रिमंडल की एक आपात बैठक में संघीय संसद को भंग करने की राष्ट्रपति से सिफारिश करने का फैसला किया गया।

ऊर्जा मंत्री बरशमैन पुन ने कहा, “आज की बैठक में कैबिनेट ने संसद को भंग करने की राष्ट्रपति से सिफारिश करने का फैसला किया।”

श्री ओली पर संवैधानिक परिषद अधिनियम से संबंधित एक अध्यादेश को वापस लेने का दबाव था, जिसे उन्होंने मंगलवार को जारी किया था और राष्ट्रपति ने अपनी मंजूरी भी दी थी।

प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली ने रविवार को हुई मंत्रिमंडल की आपात बैठक में संसद भंग करने की सिफारिश की है।

ओली ने सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के शीर्ष नेताओं और मंत्रियों के साथ शनिवार को सिलसिलेवार मुलाकातों के बाद मंत्रिमंडल की आपात बैठक बुलाई थी। यह खबर हिमालयन टाइम्स अखबार ने प्रकाशित की।

‘काठमांडू पोस्ट’ ने ऊर्जा मंत्री वर्षमान पून के हवाले से कहा, ‘आज मंत्रिमंडल ने राष्ट्रपति से संसद भंग करने की सिफारिश करने का फैसला किया है।’

ओली ने पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दल प्रचंड के साथ सत्ता संघर्ष के बीच यह कदम उठाया है।

नेपाल के प्रधानमंत्री ओली ने मौजूदा राजनीतिक मुद्दों पर चर्चा के लिए बुलायी थी सर्वदलीय बैठक:

काठमांडो, से खबर है कि आठ दिसंबर को सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) के भीतर गुटबाजी और बाहर राजशाही के समर्थकों से चुनौतियों का सामना कर रहे प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली ने मौजूदा राजनीतिक मुद्दों पर चर्चा करने के लिए मंगलवार को बैठक बुलायी थी। उन्होंने देश में कोविड-19 महामारी और संविधान विरोधी गतिविधियों से मुकाबले के लिए दलों से एकजुटता का आह्वान किया था ।

ओली के प्रेस सलाहकार सूर्य थापा ने बताया कि प्रधानमंत्री के आधिकारिक निवास बालुवाटार में दिन में ग्यारह बजे बैठक शुरू हुई थी । बैठक को संबोधित करते हुए ओली ने कोविड-19 महामारी और देश में बढ़ रही असंवैधानिक और हिंसक गतिविधियों के खिलाफ राजनीतिक दलों से एकजुटता दिखाने का आह्वान किया था ।

थापा ने सोशल मीडिया पर पोस्ट में कहा, ‘‘प्रधानमंत्री ने कोविड-19 से मुकाबला करने, लोकतांत्रिक उपलब्धियों की रक्षा करने और असंवैधानिक तथा हिंसक गतिविधियों के खिलाफ सभी दलों से एकजुटता दिखाने का आग्रह किया। ’’

एनसीपी, मुख्य विपक्षी नेपाली कांग्रेस, जनता समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी, राष्ट्रीय जन मोर्चा और नेपाल वर्कर्स एंड पीजेंट पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने इस बैठक में शिरकत की थी।

यह बैठक ऐसे समय में आयोजित की गयी थी जब राजशाही के समर्थन में कुछ संगठन राजधानी काठमांडू समेत देश के अलग-अलग भागों में रैलियां निकाल रहे हैं। ये संगठन देश में राजशाही और नेपाल को फिर से हिंदू राष्ट्र घोषित करने की मांग कर रहे हैं। पूर्व राजा ज्ञानेंद्र के समर्थन में और नेपाल को फिर से हिंदू राष्ट्र बनाने की मांग को लेकर देश के अलग-अलग हिस्सों में प्रदर्शन तेज हो गया है।

ओली को पार्टी के भीतर से भी दबाव का सामना करना पड़ रहा है और पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ के नेतृत्व वाले प्रतिद्वंद्वी खेमे ने उनके खिलाफ मोर्चा खोल रखा है।

अमेरिका में हुए राष्ट्रपति चुनाव के नतीजों को पलटने की मौजूदा राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की कोशिशों के समर्थन में हजारों लोगों ने वाशिंगटन में रैलियां कीं;ट्विटर ने ट्रम्प के अकाउंट पर लगाई रोक attacknews.in

वाशिंगटन, 13 दिसंबर (एपी) अमेरिका में हुए राष्ट्रपति चुनाव के नतीजों को पलटने की मौजूदा राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की कोशिशों के समर्थन में हजारों लोगों ने वाशिंगटन में रैलियां कीं। राष्ट्रपति चुनाव में डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार जो बाइडन ने जीत हासिल की है।

न्यूयॉर्क के वेस्ट प्वाइंट में थलसेना-नौसेना के बीच फुटबाल मैच देखने के लिए जा रहे ट्रंप का मरीन वन हेलीकॉप्टर एक रैली के ऊपर से गुजरा, जिसके देखकर उनके समर्थक उत्साहित हो गए।

इन रैलियां में ट्रंप के अधिकतर समर्थकों ने मास्क नहीं पहना था। ऐसा माना जा रहा है कि बाइडन को 46वें राष्ट्रपति के तौर पर औपचारिक रूप से निर्वाचित करने के लिए ‘इलेक्ट्रॉरल कॉलेज’ की बैठक से मात्र दो दिन पहले अपनी ताकत दिखाने के लिए ये रैलियां की जा रही हैं।

ट्रंप का कार्यकाल 20 जनवरी को समाप्त होगा, लेकिन उन्होंने हाल में हुए चुनाव में बाइडन से हार स्वीकार नहीं की है और चुनाव में ‘‘धोखाधड़ी के निराधार’’ आरोप लगाए हैं, जिन्हें विभिन्न अदालतों ने खारिज कर दिया है।

ट्रंप ने रैलियों को लेकर हैरानी जताते हुए शनिवार सुबह कहा, ‘‘वाह, धोखाधड़ी को रोकने के लिए वाशिंगटन (डी.सी.) में हजारों लोग एकत्र हो रहे हैं। मुझे इसकी जानकारी नहीं थी, लेकिन मैं उनसे मुलाकात करूंगा।

ट्विटर ने ट्रम्प के अकाउंट पर अस्थायी तौर पर लगाई रोक

ट्विटर ने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के अकाउंट पर अस्थायी तौर पर रोक लगा दी है।

अमेरिका की न्यूज वेबसाइट द हिल ने अपनी रिपोर्ट में यह जानकारी दी है। श्री ट्रम्प ने चुनावी धोखाधड़ी तथा हाल ही में टेक्सास मुकदमे के बार में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर सिलसिलेवार ट्वीट किया, जिसे पर ट्विटर रेड चिह्न शो कर दिया।

इसके साथ ही ट्विटर ने श्री ट्रम्प के चुनाव से संबंधित ट्वीट को रिट्वीट करने वाले यूजर्स पर भी रोक लगा दी है।

द हिल्स की रिपोर्ट के अनुसार श्री ट्रम्प के ट्वीट को पढ़ने या शेयर करने की कोशिश करने वाले यूजर्स को मैसेज लिखा आ रहा था कि ट्विटर के नियमों का उल्लंघन करने के कारण ऐसे ट्वीट को अन्य लोगों तक पहुंचने से रोकने की यह प्रक्रिया है।।

नासा द्वारा चंद्रमा पर इंसान को भेजने के अभियान के लिए एक भारतवंशी राजा जॉन वुरपुतूर चारी सहित 18 अंतरिक्षयात्रियों का चयन attacknews.in

वाशिंगटन, 11 दिसंबर । नासा ने चंद्रमा पर इंसान को भेजने के अपने अभियान के लिए एक भारतवंशी राजा जॉन वुरपुतूर चारी सहित 18 अंतरिक्षयात्रियों का चयन किया है।

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने अपने चंद्र अभियान के लिए बुधवार को 18 अंतरिक्षयात्रियों के नामों की घोषणा की। इनमें आधी संख्या महिलाओं की है। नासा इन्हें अपने ‘आर्टमिस’ चंद्र अभियान के लिए प्रशिक्षित करेगा।

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा कि नासा के इस अभियान के तहत 2024 में चांद की सतह पर पहली बार कोई महिला कदम रखेगी और इस दशक के अंत तक चंद्रमा पर इंसानों के रहने के लिए अनुकूल माहौल तैयार किया जाएगा।

चारी (43) ‘यूएस एयर फोर्स एकेडमी, एमआईटी’ और ‘यूएस नवल टेस्ट पायलट स्कूल’ से स्नातक हैं, और इस सूची में वह भारतीय मूल के एकमात्र अंतरिक्षयात्री हैं।

नासा ने उन्हें 2017 ‘एस्ट्रोनॉट कैंडिडेट क्लास’ के लिए चुना था। अगस्त 2017 में वह इसमें शामिल हुए थे और अपना शुरुआती प्रशिक्षण पूरा किया। अब वह अभियान के लिए पूरी तरह तैयार हैं।

फ्लोरिडा में नासा के ‘केनेडी स्पेस सेंटर’ में उप राष्ट्रपति माइक पेंस ने बुधवार को कहा, ‘‘ मेरे अमेरिकी साथियों मैं आपको भविष्य के वे नायक दे रहा हूं जो हमें ‘आर्टमिस जेनरेशन’ के जरिए चांद और उससे भी आगे ले जाएंगे।’’

पेंस ने राष्ट्रीय अंतरिक्ष परिषद की बैठक में इन अंतरिक्षयात्रियों के नामों की घोषणा करते हुए कहा, ‘‘यह सोचना रोमांचकारी है कि चांद की सतह पर उतरने वाला अगला इंसान और पहली महिला उनमें से होगी जिनके नाम हमने यहां पढ़े हैं….। ‘आर्टमिस जेनरेशन’ भविष्य के अभियान के नायकों का प्रतिनिधित्व करता है।’’

चीफ एस्ट्रोनॉट पैट फोरेस्टर ने कहा, ‘‘चांद की सतह पर चलना हमारे लिए किसी सपने के साकार होने जैसा होगा। अभियान में किसी भी तरह की भूमिका निभाना हमारे लिए गौरव की बात होगी।’’

‘आर्टमिस’ टीम में अलग-अलग पृष्ठभूमि, विशेषज्ञता और अनुभव वाले अंतरिक्ष यात्री शामिल हैं। समूह में अधिकतर सदस्यों की उम्र 30 से 35 या 40 से 45 के बीच है। सबसे अनुभवी सदस्य 55 साल के और सबसे युवा सदस्य 32 साल के हैं।

चुने गए अंतरिक्ष यात्री नासा को आगामी आर्टमिस मिशन में मदद करेंगे। एजेंसी अपने वाणिज्यिक सहयोगियों के साथ अगले साल इसकी शुरुआत करेगी। इसके तहत मानवों के उतरने के लिए लैंडिंग सिस्टम, प्रशिक्षण में मदद, हार्डवेयर संबंधी जरूरतों और प्रौद्योगिकी सहयोग पर काम होगा।

एशियाई विकास बैंक कोविड-19 की वैक्सीन खरीदने और आपूर्ति के लिए विकासशील सदस्य देशों को 9 अरब डॉलर की सहायता करेगा attacknews.in

नयी दिल्ली, 11 दिसंबर । एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने शुक्रवार को कहा कि उसने नौ अरब डॉलर की वैक्सीन पहल शुरू की है, जिसके तहत उसके विकासशील सदस्य देशों को कोविड-19 की वैक्सीन खरीदने और आपूर्ति के लिए मदद दी जाएगी।

एडीबी ने एक विज्ञप्ति में बताया कि उसने नौ अरब डॉलर की वैक्सीन पहल- एशिया प्रशांत वैक्सीन पहंच सुविधा (एपीवैक्स) शुरू की है, जिसके तहत उसके विकासशील सदस्यों को तेजी से और उचित मदद दी जाएगी, ताकि वे कोरोना वायरस (कोविड-19) की प्रभावी और सुरक्षित वैक्सीन खरीद सकें और उनका वितरण कर सकें।

एडीबी के अध्यक्ष मसत्सुगु असाकावा ने कहा, ‘‘एडीबी के विकासशील सदस्य अपने लोगों को जल्द से जल्द टीका देने के लिए तैयार हैं, ऐसे में उन्हें टीकाकरण के लिए वित्तपोषण के साथ ही उचित योजनाओं और ज्ञान की भी जरूरत होगी, ताकि टीकाकरण की प्रक्रिया को सुरक्षित रूप से कुशलता के साथ पूरा किया जा सके।’’

उन्होंने आगे कहा, ‘‘एपीवैक्स हमारे विकासशील सदस्यों को इन चुनौतियों से निपटने, महामारी को दूर करने और आर्थिक सुधार पर ध्यान केंद्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।’’

एडीबी ने कहा कि एशिया और प्रशांत में कोविड-19 संक्रमण के 1.43 करोड़ से अधिक मामले सामने आए हैं और दो लाख से अधिक लोगों की मौत हुई है।

इसके अलावा एडीबी सुरक्षित और प्रभावी वैक्सीन के वितरण और टीकाकरण के सामानों को सुरक्षित रखने के लिए 50 करोड़ डॉलर की वैक्सीन आयात सुविधा भी दे रहा है।

विज्ञप्ति में कहा गया कि एपीवैक्स एक व्यापक रूपरेखा और संसाधन मुहैया कराता है।

एडीबी ने कहा कि इस घटक का उपयोग विकासशील सदस्यों में वैक्सीन निर्माण क्षमता को विकसित के लिए भी किया जा सकता है।

अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडन-उप-राष्ट्रपति कमला हैरिस को टाइम पत्रिका ने अमेरिकी परिदृश्य को बदलने के लिए”‘2020 पर्सन ऑफ द ईयर” चुना; भारतीय-अमेरिकी राहुल दुबे ‘हीरोज ऑफ 2020’ की सूची में शामिल attacknews.in

न्यूयॉर्क, 11 दिसंबर । अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडन और उप-राष्ट्रपति कमला हैरिस को प्रतिष्ठित टाइम पत्रिका ने अमेरिकी परिदृश्य को बदलने के लिए ‘2020 पर्सन ऑफ द ईयर’ चुना है।

पत्रिका ने अपने वार्षिक प्रतिष्ठित सम्मान के लिए इन दोनों डेमोक्रेटिक नेताओं को चुना है। उसने अन्य अंतिम चरण के अन्य दावेदारों- अग्रिम मोर्चे पर काम करने वाले स्वास्थ्यकर्मियों और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एलर्जी एंड इंफेक्शियस डिजीज के निदेशक डॉ. एंथनी फौसी, मूवमेंट फॉर रेसियल जस्टिस और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के ऊपर इन दोनों को तरजीह दी।

पत्रिका ने बृहस्पतिवार को कहा, ‘‘अमेरिकी कहानी को बदलने के लिए, यह दिखाने के लिए कि सहानुभूति की ताकत विभाजन की उग्रता से अधिक है, एक पीड़ित दुनिया को ठीक करने की दृष्टि साझा करने के लिए जो बाइडन और कमला हैरिस को टाइम का 2020 पर्सन ऑफ द ईयर चुना गया है।’’

‘टाइम’ ने फौसी, स्वास्थ्य कर्मियों और मूवमेंट फॉर रेसियल जस्टिस के आयोजकों को ‘2020 गार्जियंस ऑफ द ईयर’ नामित किया हैं, जो लोकतंत्र के पवित्र आदर्शों की रक्षा के लिए खुद आगे डटे रहे।

कॉन्फ्रेंसिंग प्लेटफॉर्म जूम के सीईओ एरिक युआन को टाइम के ‘बिजनेसपर्सन ऑफ द ईयर’ के रूप में नामित किया गया है।

दक्षिण कोरियाई बॉय बैंड बीटीएस को ‘एंटरटेनर ऑफ द ईयर’ और अमेरिकी बास्केटबॉल खिलाड़ी लेब्रोन जेम्स को ‘एथलीट ऑफ द ईयर’ नामित किया गया।

टाइम ने कहा कि यह “उल्लेखनीय” है कि पिछले साल स्वीडिश जलवायु संरक्षण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग को पर्सन ऑफ द ईयर के रूप में नामित किया गया था जो यह सम्मान पाने वाली सबसे कम उम्र की शख्स थीं। इसके एक साल बाद, इस सम्मान के लिए 78 वर्षीय बाइडन को चुना गया, इस सम्मान के लिए चुने गए सबसे बुजुर्ग व्यक्तियों में से एक हैं।

टाइम ने कहा, “बाइडन खुद को नई पीढ़ी के नेताओं के लिए एक पुल बताते हैं। उन्होंने 56 वर्षीय कमला हैरिस को उप राष्ट्रपति की उम्मीदवार के रूप में चुनने में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। हैरिस उप राष्ट्रपति पद के लिए निर्वाचित होने वाली पहली महिला हैं, जो जमैका के रहने वाले पिता और एक भारतीय माँ की बेटी हैं।’’

टाइम ने कहा कि फ्रेंकलिन डेलानो रूजवेल्ट के बाद से हर निर्वाचित राष्ट्रपति को उनके कार्यकाल के किसी वर्ष में ‘पर्सन ऑफ द ईयर’ चुना जाता रहा है, उनमें से लगभग एक दर्जन को यह सम्मान राष्ट्रपति चुनाव वाले वर्ष में दिया गया है।

टाइम ने कहा, “यह पहली बार है जब हमने एक उपराष्ट्रपति को शामिल किया है। नस्लीय न्याय के लिए चले एक बहुत बड़े संघर्ष के बाद और इतिहास के सबसे महत्त्वपूर्ण चुनावों में से एक में जीत हासिल कर बाइडन-हैरिस की जोड़ी ने एक मजबूत संदेश दिया है।’’

भारतीय-अमेरिकी राहुल दुबे ‘हीरोज ऑफ 2020’ की सूची में शामिल

इसी तरह से अमेरिका में काले व्यक्ति जॉर्ज फ्लॉइड की हत्या के बाद नस्ली न्याय को लेकर प्रदर्शन कर रहे 70 से अधिक लोगों के लिए वाशिंगटन स्थित अपने घर के दरवाजे खोलने के लिए भारतीय अमेरिकी राहुल दुबे को टाइम पत्रिका की ‘ हीरोज ऑफ 2020’ में शामिल किया गया है और उनके कार्य की प्रशंसा की गई है।

पत्रिका के ‘हीरोज ऑफ 2020’ यानी 2020 के नायक की सूची में ऑस्ट्रेलिया में आग से जूझने वाले उस स्वयंसेवी व्यक्ति का नाम है जिसने अपने देश को सुरक्षित रखने के लिए अपना सर्वस्व दांव पर लगा दिया। इसके अलावा सिंगापुर में खाद्य पदार्थ बेचने वाले जैसन चुआ और हुंग झेन लोंग का भी नाम है, जिन्होंने कोविड-19 महामारी के दौरान किसी को भी भूखा रहने नहीं देना सुनिश्चित किया।

वहीं शिकागो के पास्टर रेशोर्ना फिट्जपैट्रिक और उनके पति बिशप डेरिक फिट्जपैट्रिक का भी नाम है जिन्होंने इस महामारी के काल में लोगों की मदद करने के लिए अपने चर्च का स्वरूप बदल दिया।

टाइम ने दुबे की प्रशंसा करते हुए उन्हें ‘ जरूरतमंद को आश्रय देने वाला बताया’ है। एक जून को वाशिंगटन डीसी की सड़कों पर लोग अफ्रीकी-अमेरिकी व्यक्ति फ्लॉइड की हत्या के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे और दुबे उस समय अपने घर पर थे, जो कि व्हाइट हाउस से ज्यादा दूर नहीं है। शाम सात बजे कर्फ्यू लगने के बाद उन्होंने पाया कि सड़क पर भीड़ है और ऐसा प्रतीत हो रहा था कि पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को पकड़ने के लिए अवरोधक लगा रखे हैं और सड़क पर जो बचे हैं उन पर पैपर स्प्रे कर रहे हैं। दुबे ने सोचा कि उन्हें कुछ करना चाहिए।

स्वास्थ्य क्षेत्र में काम करने वाले दुबे ने कहा, ‘‘ मैंने अपने घर का दरवाजा खोला और यह चिल्लाना शुरू कर दिया कि आप लोग यहां आ जाएं।’’ दुबे ने बताया कि उन्होंने करीब 70 प्रदर्शनकारियों को अपने घर में जगह दी ताकि वह रात में कर्फ्यू का उल्लंघन करने से बच सकें।

दुबे ने बजफीड न्यूज से कहा था कि ज्यादातर युवा प्रदर्शनकारियों के लिए अपने घर का दरवाजा खोलना उनके लिए कोई विकल्प वाली बात नहीं थी बल्कि उनकी आंखों के आगे जो हो रहा था, उसे देखते हुए उनके पास कोई विकल्प ही नहीं था। लोगों पर पैपर स्प्रे का छिड़काव किया गया था। उन्हें जमीन पर पटककर पीटा गया था ।

माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई बढ़ी:नई ऊंचाई 8,848.86 मीटर,1954 में किए गए मापन के अनुसार ऊंचाई 8,848 मीटर हैं,  नेपाल, चीन ने किया ऐलान attacknews.in

काठमांडू, आठ दिसंबर । नेपाल और चीन ने विश्व की सबसे ऊंची पर्वत चोटी माउंट एवरेस्ट की संशोधित ऊंचाई मंगलवार को संयुक्त रूप से जारी की जो 8848.86 मीटर बताई गई है।

नेपाल सरकार ने एवरेस्ट की सटीक ऊंचाई मापने का निर्णय किया था । एवरेस्ट की ऊंचाई को लेकर पिछले कुछ सालों से बहस हो रही थी और ऐसा माना जा रहा था कि वर्ष 2015 में आए विनाशकारी भूकंप के साथ ही कई अन्य कारणों से संभवत: चोटी की ऊंचाई में बदलाव आया है।

विदेश मंत्री प्रदीप ग्यावली ने कहा कि नेपाल ने एवरेस्ट की ऊंचाई 8848. 86 मीटर मापी है।

नई ऊंचाई, पिछली बार मापी गई ऊंचाई से 86 सेंटीमीटर अधिक है।

भारत सर्वेक्षण द्वारा 1954 में किए गए मापन के अनुसार माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई 8,848 मीटर है।

भारत ने तिब्बत में ब्रह्मपुत्र नदी पर बांध बनाकर नदी की धारा मोड़ने के रिपोर्टों पर चीन सरकार से समक्ष मुद्दा उठाकर कोई दुष्प्रभाव होने से पहले हिदायत दी attacknews.in

नयी दिल्ली 03 दिसंबर । भारत ने तिब्बत में ब्रह्मपुत्र नदी पर बांध बनाकर नदी की धारा मोड़ने के रिपोर्टों पर चीन सरकार से समक्ष अपनी चिंता व्यक्त की है और उससे अनुरोध किया है कि ऊंचाई वाले क्षेत्रों में ऐसी कोई गतिविधि नहीं की जाए जिससे निचले इलाकों के हितों पर कोई दुष्प्रभाव पड़े।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने आज यहां एक वर्चुअल संवाददाता सम्मेलन में इस बारे में सवालों के जवाब में कहा कि उन्होंने इस बारे में मीडिया रिपोर्टों को देखा है। सरकार सावधानी पूर्वक ब्रह्मपुत्र नदी पर सभी गतिविधियाें की निगरानी कर रही है। ऊंचाई से आने वाली नदियों के जल पर आश्रित होने के कारण सरकार चीन सरकार को अपने विचारों एवं चिंताओं से लगातार अवगत कराते आ रही है और अब भी उससे यह सुनिश्चित करने काअनुरोध किया है कि ऊंचाई वाले इलाकों में ऐसी गतिविधियां नहीं हों जो निचले इलाकों के हितों को नुकसान पहुंचाएं।

श्री श्रीवास्तव ने कहा कि चीनी पक्ष ने भारतीय पक्ष को कई बार यही कहा है कि वे नदी के बहते जल पर ही पनबिजली परियोजना बना रहे हैं जिसमें ब्रह्मपुत्र की जलधारा को कहीं से भी मोड़ने का कोई इरादा नहीं है। चीन के साथ 2006 में स्थापित विशेषज्ञ स्तर की संस्थागत व्यवस्था के अंतर्गत तथा राजनयिक वार्ताओं में सीमापार बहने वाली नदियों से जुड़े मुद्दों पर बातचीत होती है। हम सीमापार से बहने वाली नदियों के मुद्दे पर अपने हितों की रक्षा के लिए चीन के साथ लगातार संपर्क में हैं।

अमेरिकी आर्थिक एवं सुरक्षा समीक्षा आयोग की ताजा रिपोर्ट में भारत को चीन से खतरे के आकलन से जुड़े एक सवाल के जवाब में प्रवक्ता ने कहा कि भारत का पक्ष 15 जून को गलवान घाटी की घटना के बाद विदेश मंत्री एस जयशंकर और चीनी स्टेट काउंसलर एवं विदेश मंत्री वांग यी के बीच हुई बातचीत के बाद जारी प्रेस वक्तव्य में साफ कर दिया गया था। उन्हाेंने कहा कि मूल मुद्दा यह है कि दोनों पक्ष विभिन्न द्विपक्षीय समझौतों एवं प्रोटोकॉलों का समग्रता से और सख्ती से पालन करें जिनमें 1993 एवं 1996 में हस्ताक्षरित वास्तविक नियंत्रण रेखा पर शांति एवं स्थिरता बनाये रखने के करार शामिल हैं। इसके लिए आवश्यक है कि एलएसी पर सेना का जमावड़ा नहीं हो, प्रत्येक पक्ष एलएसी का संजीदगी से सम्मान करे और उसे प्रभावित करने के लिए एकतरफा कोई कदम नहीं उठाये।

भारत चीन एलएसी के मुद्दे से जुड़े एक और सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि दोनों पक्ष राजनयिक एवं सैन्य माध्यमों से सतत संपर्क बनाये हुए है ताकि एलएसी के टकराव वाले सभी बिन्दुओं पर पूर्ण रूप से सेनाएं सुगमता से एक दूसरे के सामने से हटा ली जायें तथा पूर्ण रूपेण शांति एवं स्थिरता बहाल हो जाए। दोनों पक्षों ने कोर कमांडर स्तर की एक और बैठक करने पर सहमति व्यक्त की है।

अमेरिका सीनेट ने विभिन्न देशों के लिए रोजगार आधारित आव्रजक वीजा की अधिकतम संख्या का निर्धारण समाप्त करके उसे परिवार आधारित वीजा बनाने का विधेयक किया पारित attacknews.in

वाशिंगटन, तीन दिसंबर ।अमेरिकी सीनेट ने सर्वसम्मति से एक विधेयक पारित किया है जो विभिन्न देशों के लिए रोजगार आधारित आव्रजक वीजा की अधिकतम संख्या का निर्धारण समाप्त करता है साथ ही उसे परिवार आधारित वीजा बनाता है।

यह विधेयक अमेरिका में कार्यरत सैंकडों भारतीय पेशेवरों को लाभान्वित करेगा जो वर्षों से ग्रीन कार्ड पाने का इंतजार कर रहे हैं।

‘फेयरनेस फॉर हाई स्किल्ड इमिग्रेन्ट्स एक्ट’ को बुधवार को सीनेट से मिली मंजूरी भारतीय आईटी पेशेवरों के लिए बड़ी राहत है जो एच-1बी वीजा पर अमेरिका आए थे और ग्रीन कार्ड अथवा स्थाई आवास के लिए दशकों से इंतजार कर रहे हैं।

विधेयक को 10 जुलाई 2019 को प्रतिनिधि सभा से मंजूरी मिल गई थी। विधेयक ने परिवार आधारित आव्रजन वीजा पर उस वर्ष मौजूद कुल वीजा के प्रति देश सात प्रतिशत की सीमा बढ़ा कर 15 प्रतिशत किया था। ऊटा राज्य से रिपब्लिक पार्टी के सीनेटर लाइक ली ने यह विधेयक पेश किया था।

वित्त वर्ष 2019 में भारतीय नागरिकों को 9,008 श्रेणी1 (ईबी1), 2908 श्रेणी 2(ईबी2), और 5,083 श्रेणी 3 (ईबी3) ग्रीन कार्ड प्राप्त हुए। (ईबी3) रोजगार-आधारित ग्रीन कार्ड की विभिन्न श्रेणियां हैं।

सीनेटर ली ने जुलाई में सीनेट को बताया था कि स्थायी निवास या ग्रीन कार्ड पाने के लिए किसी भारतीय नागरिक का बैकलॉग 195 वर्ष से अधिक है।

सीनेटर केविन क्रैमर ने कहा कि ‘फेयरनेस फॉर हाई-स्किल्ड इमिग्रेंट्स एक्ट’ अधिक योग्यता-आधारित प्रणाली बनाता है जो दक्ष आव्रजकों को समान अवसर प्रदान करता है। क्रैमर ने यह सुनिश्चित करने का काम किया कि विधेयक धोखाधड़ी और वीजा प्रणाली के दुरुपयोग को रोकने वाला हो।

भारत ने संयुक्त राष्ट्र को हिंदूओं, सिखों, बौद्धों के खिलाफ हिंसा पर आवाज उठाने में नाकाम बताकर पाकिस्तान को आंतकवाद को समर्थन देना बंद करने की नसीहत दी attacknews.in

संयुक्त राष्ट्र, तीन दिसंबर । भारत ने संयुक्त राष्ट्र से कहा है कि अगर पाकिस्तान भारत के धर्मों के प्रति ‘‘घृणा की अपनी मौजूदा संस्कृति’’ छोड़ दे और सीमापार आतंकवाद को समर्थन देना बंद कर दे तो दक्षिण एशिया और अन्यत्र भी शांति की सच्ची संस्कृति के लिए कोशिश की जा सकती है।

संयुक्त राष्ट्र महासभा में ‘‘शांति की संस्कृति’’ सत्र को संबोधित करते हुए संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन के प्रथम सचिव आशीष शर्मा ने कहा कि आज की दुनिया में असहिष्णुता, घृणा, हिंसा और आतंकवाद एक प्रकार से नियम बन गए हैं।

उन्होंने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि आतंकवाद हिंसा और असहिष्णुता का ही एक रूप है और सभी धर्मों और संस्कृतियों के विपरीत है।

शर्मा ने कहा,‘‘ अगर पाकिस्तान भारत के धर्मों के प्रति घृणा की वर्तमान संस्कृति छोड़ दे और हमारे लोगों के खिलाफ सीमापार आतंकवाद को समर्थन देना बंद कर दे तो दक्षिण एशिया और अन्यत्र भी हम शांति की सच्ची संस्कृति के लिए कोशिश कर सकते हैं।’’

उन्होंने पड़ोसी मुल्क में धार्मिक अल्पसंख्यकों पर अत्याचार की खबरों का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘तब तक हम पाकिस्तान के अल्पसंख्यकों पर धमकियों, नियंत्रण, जबरन धर्म परिवर्तन और हत्या के खामोश तमाशाई रहेंगे। यहां तक कि समान धर्मों के लोगों को भी बख्शा नहीं जा रहा है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हमें यह स्पष्ट होना चाहिए कि आतंकवाद को बढ़ावा देना अथवा उसकी अनदेखी करना जिसी राक्षस को पालने पोसने जैसा है जो एक दिन हमें ही खा जाएगा।’’

भारत ने संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों से ऐसी नकारात्मक ताकतों से अलग अलग लड़ने के बजाए मिल कर लड़ने का अनुरोध किया।

शर्मा ने कहा,‘‘ अलग-अलग विफल होने के बजाए, आइए हम साथ मिल कर शांति की संस्कृति विकसित करें।’’

यूएनजीसी हिंदूओं, सिखों, बौद्धों के खिलाफ हिंसा पर आवाज उठाने में नाकाम: भारत

भारत ने धर्मों के खिलाफ हिंसा की निंदा करने में संयुक्त राष्ट्र के चुनिंदा रूख की आलोचना करते हुए कहा कि संयुक्त राष्ट्र महासभा बौद्धों, हिंदुओं और सिखों के खिलाफ बढ़ती नफरत और हिंसा को पहचानने में नाकाम रही है।

भारत ने रेखांकित किया कि शांति की संस्कृति केवल ‘‘इब्राहीमी धर्मों’’ के लिए नहीं हो सकती।

संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन में प्रथम सचिव आशीष शर्मा ने ‘शांति की संस्कृति’ पर संयुक्त राष्ट्र महासभा के सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि आज की दुनिया में ‘‘चिंताजनक चलन’’ देखने को मिला है।

उन्होंने कहा कि भारत इस बात से पूरी तरह सहमत है कि यहूदी, इस्लाम और ईसाई विरोधी कृत्यों की निंदा करने की आवश्यकता है और देश भी इस प्रकार के कृत्यों की कड़ी निंदा करता है, लेकिन इस प्रकार के महत्वपूर्ण मामलों पर संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव केवल इन्हीं तीन इब्राहीमी धर्मों के बारे में बात करते हैं।

शर्मा ने कहा, ‘‘यह गरिमामयी संस्था हिंदू, सिख और बौद्ध धर्मों के अनुयायियों के खिलाफ बढ़ती नफरत एवं हिंसा को पहचानने में नाकाम रही है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘शांति की संस्कृति केवल इब्राहीमी धर्मों के लिए नहीं हो सकती और जब तक यह चुनिंदा रुख बरकरार है, दुनिया में शांति की संस्कृति वास्तव में फल-फूल नहीं सकती।’’

शर्मा ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र एक ऐसी संस्था है, जिसे धर्म के मामले में किसी का पक्ष नहीं लेना चाहिए।

उन्होंने कहा कि ‘‘यदि हम वास्तव में चुनिंदा रुख अपनाते हैं’’, तो दुनिया अमेरिकी राजनीतिक शास्त्री सैम्युल हटिंगटन के ‘सभ्यताओं का टकराव’ सिद्धांत को सही साबित कर देगी।

शर्मा ने संयुक्त राष्ट्र सभ्यता गठबंधन से अपील की कि वह चुनिंदा धर्मों के लिए नहीं, बल्कि सभी के लिए आवाज उठाए।

शर्मा ने अफगानिस्तान में कट्टरपंथियों द्वारा बामियान बुद्ध की प्रतिमा को तोड़े जाने, मार्च में युद्ध ग्रस्त देश में गुरुद्वारे पर बमबारी किए जाने, हिंदू एवं बौद्ध मंदिरों को नुकसान पहुंचाए जाने और कई देशों में इन अल्पसंख्यक धर्मों के लोगों के नस्ली सफाए का भी जिक्र किया।

उन्होंने 193-सदस्यीय महासभा में कहा कि बौद्ध, हिंदू और सिख धर्मों के खिलाफ हिंसा जैसे कृत्यों की निंदा होनी चाहिए।

शर्मा ने कहा, ‘‘लेकिन मौजूदा सदस्य देश इन धर्मों के लिए उस तरह से आवाज नहीं उठा रहे, जिस तरह पहले तीन ‘इब्राहीमी’ धर्मों के खिलाफ उठाई जाती है। यह चुनिंदा रुख क्यों?’’

उन्होंने संयुक्त राष्ट्र महासभा सत्र में बताया कि भारत केवल हिंदू धर्म, बौद्ध धर्म, जैन धर्म और सिख धर्म का ही जन्मस्थल नहीं है, बल्कि यह वह भूमि है, जहां इस्लाम, जैन, ईसाई और पारसी धर्मों की शिक्षाओं ने भी मजबूत जड़ें जमाई हैं और जहां इस्लाम की सूफी परंपरा फली-फूली है।

शर्मा ने कहा कि भारत केवल एक संस्कृति नहीं, बल्कि अपने आप में एक सभ्यता है।

करतारपुर साहिब गुरुद्वारा का प्रबंधन हस्तांतरित करना यूएनजीए प्रस्ताव का उल्लंघन: भारत

भारत ने पाकिस्तान द्वारा पवित्र करतारपुर साहिब गुरुद्वारे का प्रबंधन मनमाने तरीके से गैर सिख इकाई को हस्तांरित करने का विरोध करते हुए कहा कि इस्लामाबाद का यह कदम सिख धर्म, उसके संरक्षण और रक्षा के खिलाफ होने के साथ ही संयुक्त राष्ट्र महासभा के प्रस्ताव का उल्लंघन है।

नवंबर में पाकिस्तान ने करतारपुर साहिब गुरुद्वारा प्रबंधन का कामकाज पाकिस्तान सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी से लेकर ‘एवेक्वी ट्रस्ट प्रॉपर्टी बोर्ड’ के प्रशासनिक नियंत्रण में कर दिया था, जो कि गैर सिख इकाई है।

संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन के प्रथम सचिव आशीष शर्मा ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में बुधवार को कहा, ‘‘ पाकिस्तान पहले ही पिछले साल इस सभा द्वारा पारित ‘कल्चर ऑफ पीस’ के शुरुआती प्रस्तावों का उल्लंघन कर चुका है। पिछले महीने पाकिस्तान ने मनमाने तरीके सिखों से पवित्र तीर्थस्थल करतारपुर साहिब गुरुद्वारा का प्रबंधन सिख समुदाय से लेकर गैर सिख इकाई के नियंत्रण वाले प्रशासन को सौंप दिया।’’

शर्मा ने कहा कि यह कृत्य सिख धर्म, इसके संरक्षण और रक्षा के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि करतारपुर साहिब गुरुद्वारा का जिक्र दिसंबर 2019 के महासभा के प्रस्ताव में है और पाकिस्तान ने इस प्रस्ताव का उल्लंघन किया।

यूएनजीए ने ‘ शांति के लिए अंतरधार्मिक और अंतरसंस्कृति के प्रचार, समझ और सहयोग’ के प्रस्ताव को पिछले साल दिसंबर में अंगीकार किया था। इसमें करतापुर साहिब गलियारे को खोले जाने की पहल का स्वागत किया गया था।

भारत ने पिछले महीने पाकिस्तान के संबंधित फैसले को ‘बेहद निंदनीय’ करार देते हुए कहा था कि यह सिख समुदाय की धार्मिक भावनाओं के खिलाफ है।

इंटरपोल की चेतावनी: विश्वभर में अपराधी गिरोह कोविड-19 का नकली टीका बेच सकते हैं,सभी 194 सदस्य देशों को जारी किए गए ‘ऑरेंज नोटिस’ attacknews.in

नयी दिल्ली, तीन दिसंबर । इंटरपोल ने विश्व की कानून प्रवर्तन एजेंसियों को आगाह किया है कि संगठित अपराध के गिरोह, कोविड-19 के नकली टीके का प्रचार कर सकते हैं और उन्हें सीधे आमने-सामने या इंटरनेट के माध्यम से बेच सकते हैं।

इंटरपोल ने बुधवार को सभी 194 सदस्य देशों को जारी किए गए ‘ऑरेंज नोटिस’ में चेतावनी दी है कि कोविड-19 और फ्लू के नकली टीकों का उत्पादन, चोरी और अवैध प्रचार किया जा सकता है।

इंटपोल की ओर से जारी एक वक्तव्य में कहा गया, “इसमें नकली टीके के प्रचार, बिक्री और ऐसे टीके लगाने संबंधी अपराध भी शामिल हैं।”

सार्वजनिक सुरक्षा पर गंभीर खतरे वाले व्यक्ति, वस्तु या आयोजन की चेतावनी देने के लिए इंटरपोल ‘ऑरेंज नोटिस’ जारी करता है।

भारत में सीबीआई, इंटरपोल के साथ समन्वय कर काम करती है।

यह चेतावनी ऐसे समय आई है जब ब्रिटेन, पश्चिमी देशों में पहला देश बन गया है जिसने कोविड-19 के एक टीके को मंजूरी दी है।

इंटरपोल ने पुलिस संगठनों से “आपूर्ति श्रृंखला” सुरक्षित करने को कहा है।

इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय संगठन ने नकली उत्पाद बेचने वालीं अवैध वेबसाइट की पहचान करने को भी कहा है।

इंटरपोल के महासचिव जुरगेन स्टॉक ने एक वक्तव्य में कहा, “अपराधी गिरोह नकली वेबसाइट और फर्जी इलाज के दावों से लोगों को निशाना बना सकते हैं। इससे लोगों के स्वास्थ्य और उनके जीवन को खतरा हो सकता है।”

अधिकारी ने कहा, “यह आवश्यक है कि कानून व्यवस्था की एजेंसियां कोविड-19 के टीके से संबंधित आपराधिक कृत्यों के लिए तैयार रहें, इसलिए इंटरपोल ने यह चेतावनी जारी की है।

ब्रिटेन, फाइजर-बायोएनटेक के कोविड-19 टीके को मंजूरी देने वाला पहला देश बना,डॉ. रेड्डीज, आरडीआईएफ ने भारत में स्पूतनिक वी वैक्सीन के लिए नैदानिक परीक्षण शुरू किया attacknews.in

लंदन(ब्रिटेन)/हैदराबाद (भारत), दो दिसंबर । ब्रिटेन, दवा कंपनी फाइजर-बायोएनटेक के कोविड-19 टीके को मंजूरी देने वाला पहला देश बन गया है। इससे घातक कोरोना वायरस को काबू करने के लिए व्यापक पैमाने पर टीकाकरण की शुरुआत का मार्ग प्रशस्त हो गया है।

ब्रिटेन की दवा और स्वास्थ्य उत्पाद नियामक एजेंसी (एमएचआरए) ने बताया कि यह टीका उपयोग में लाने के लिए सुरक्षित है। दावा किया गया था कि यह टीका कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए 95 प्रतिशत तक असरदार रहा है।

प्रसिद्ध और प्रमुख अमेरिकी दवा कंपनी फाइजर और जर्मन कंपनी बायोएनटेक ने साथ मिलकर इस टीके को विकसित किया है। कंपनी ने हाल में दावा किया था कि परीक्षण के दौरान उसका टीका सभी उम्र, नस्ल के लोगों पर कारगर रहा।

ब्रिटेन सरकार ने एमएचआरए को कंपनी द्वारा मुहैया कराए गए आंकड़ों पर गौर कर यह देखने को कहा था कि क्या यह गुणवत्ता, सुरक्षा और असर के मामले में सभी मानकों पर खरा उतरता है।

ब्रिटेन को 2021 के अंत तक दवा की चार करोड़ खुराक मिलने की संभावना है। इतनी खुराक से देश की एक तिहाई आबादी का टीकाकरण हो सकता है।

ब्रिटेन के स्वास्थ्य मंत्री मैट हैंकॉक ने पिछले महीने कहा था कि नियामक से मंजूरी मिल जाने पर राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा (एनएचएस) टीकाकरण करने के लिए तैयार है। एनएचएस के पास टीकाकरण का व्यापक अनुभव है और उसके पास सारी व्यवस्थाएं भी हैं।

टीके का उत्पादन बायोएनटेक के जर्मनी स्थित केंद्रों के साथ ही फाइजर की बेल्जियम स्थित यूनिट में किया जाएगा।

डॉ. रेड्डीज, आरडीआईएफ ने भारत में स्पूतनिक वी वैक्सीन के लिए नैदानिक परीक्षण शुरू किया:

इधर भारत के हैदराबाद, से 01 दिसंबर से खबर है कि, स्वास्थ्य क्षेत्र के अग्रणी संस्थान डा़ रेड्डीज लैबोरेटरीज लिमिटेड और रूसी प्रत्यक्ष निवेश कोष (आरडीआईएफ) ने मंगलवार को घोषणा की कि केन्द्र सरकार की केंद्रीय औषधि प्रयोगशाला, कसौली से आवश्यक मंजूरी प्राप्त करने के बाद भारत में स्पूतनिक वी वैक्सीन के अनुकूल दौर दूसरे और तीसरे चरण का नैदानिक परीक्षण शुरू कर दिया है।

कंपनी की ओर से मंगलवार को जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया है कि यह एक बहुस्तरीय और यादृच्छिक नियंत्रित अध्ययन होगा, जिसमें सुरक्षा और प्रतिरक्षण अध्ययन शामिल तथा अन्य कारकों के संबंध में आंकड़े जुटाए जाएंगे।

इस नैदानिक परीक्षण में जेएसएस मेडिकल रिसर्च अनुसंधान भागीदार के रूप में शामिल हो रहा है। इसके अलावा डा़ रेड्डीज लेबोरेट्रीज ने सलाहकार समर्थन के लिए जैव प्रौद्योगिकी शोध सहायता परिषद(बिराक), जैव प्रौद्योगिकी विभाग के साथ भी गठजोड़ किया है और वह वह वैक्सीन के लिए संस्थान के चिकित्सकीय परीक्षण केन्द्रों का इस्तेमाल करेगा।

हाल ही में आरडीआईएफ ने चिकित्सकीय परीक्षण आंकडों के दूसरे अंतरिम विश्लेषण की घोषणा की है जिसमें कहा गया है वैक्सीन के पहले डोज के 28 दिनों बाद इसकी प्रभाविता क्षमता 91.4 प्रतिशत देखी गई है और पहले डोज के 42 दिन बाद यह क्षमता 95 प्रतिशत पाई गई है।

इस समय स्पूतनिक वी चिकित्सकीय परीक्षणों के तीसरे चरण में 40,000 स्वयंसेवक हिस्सा ले रहे हैं, जिनमें से 22,000 से अधिक को वैक्सीन का पहला डोज दिया जा चुका है और 19,000 से अधिक को वैक्सीन की टीके का पहला और दूसरा डोज दिया जा चुका है।

डॉ .रेड्डीज लैबोरेटरीज के सह-अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक जीवी प्रसाद ने कहा, “यह एक और महत्वपूर्ण कदम है क्योंकि हम भारत में वैक्सीन शुरू करने की प्रक्रिया को तेज करने के लिए सरकारी निकायों के साथ साथ कई संस्थाओं के साथ सहयोग जारी रख रहे हैं। हम आयात और स्वदेशी उत्पादन माडल को मिलाकर वैक्सीन को भारत में उपलब्ध कराने की दिशा में काम कर रहे हैं।

गौरतलब है कि सितंबर 2020 में, डॉ रेड्डीज और आरडीआईएफ ने स्पूतनिक वी वैक्सीन के नैदानिक परीक्षण और भारत में पहली 100 मिलियन डोज के वितरण के अधिकारों के लिए साझेदारी की थी।

अमेरिका में 13 से 19 दिसंबर 2019 में ही दस्तक दे चुका था कोरोना वायरस संक्रमण: शोध अध्ययन में हुआ खुलासा attacknews.in

वाशिंगटन, दो दिसंबर । अमेरिका में एक अध्ययन में खुलासा हुआ है कि देश में संभवत: पिछले साल 13 दिसंबर से 19 दिसंबर के बीच कोरोना वारयस संक्रमण दस्तक दे चुका था।

इस अध्ययन के तहत ‘अमेरिकन रेड क्रॉस’ द्वारा एकत्रित नियमित रक्तदान के नमूनों का आकलन किया गया है।

अमेरिका में कोविड-19 संक्रमण के पहले मामले की पुष्टि 19 जनवरी, 2020 को हुई थी।

अमेरिका में रोग नियंत्रण एवं रोकथाम केंद्र (सीडीसी) के श्रीधर वी वासवराजू और अन्य वैज्ञानिकों ने कहा कि 7,389 में से 106 नमूनों में कोरोना वायरस संक्रमण के खिलाफ प्रतिक्रियाशील एंडीबॉडी पाई गई हैं।

‘क्लिनिकल इन्फेक्शस डिजीजेज’ पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, विशेष रूप से 84 नमूनों में सार्स-सीओवी-2 वायरस के स्पाइक प्रोटीन को निष्क्रिय करने की गतिविधि पाई गई।

अनुसंधानकर्ताओं ने अध्ययन में लिखा, ‘‘इन एंटीबॉडी की मौजूदगी इस बात की ओर इशारा करती है कि सार्स-सीओवी-2 का संक्रमण अमेरिका के पश्चिमी हिस्सों में संभवत: पहले ही पहुंच गया था, जबकि इसका पता बाद में चला या फिर जनसंख्या के एक छोटे हिस्से में सार्स-सीओवी-2 के खिलाफ पहले से ही एंटीबॉडी थे।’’

अपनी इस शंका को दूर करने के लिए वैज्ञानिकों ने कोरोना वायरस की ‘एस1 सबयूनिट’ के संबंध में नमूनों की और अधिक विशिष्ट जांच की है।

वैज्ञानिकों ने कहा, ‘‘सार्स-सीओवी-2 का पता लगाने के लिए एस1 सबयूनिट पूरे स्पाइक प्रोटीन की तुलना में अधिक विशिष्ट एंटीजन है।’’