भारत देगा संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना कोष में 1,50,000 अमेरिकी डॉलर का अनुदान attacknews.in

संयुक्त राष्ट्र, 27 जनवरी । भारत ने इस वर्ष संयुक्त राष्ट्र की ‘शांति स्थापना कोष’ (पीस बिल्डिंग फंड) की गतिविधियों में 1,50,000 डॉलर का अनुदान देने का वादा किया और कहा कि 2021 अंतरराष्ट्रीय समुदाय को विशेषकर कोविड महामारी के परिप्रेक्ष्य में शांति स्थापना की प्रकिया पर और ज्यादा ध्यान केंद्रित करने का अवसर प्रदान करता है।

संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि राजदूत टी एस तिरुमूर्ति ने कहा, “हम शांति स्थापना की प्रकिया में शामिल रहने के प्रति प्रतिबद्ध हैं और मैं आपको इसका आश्वासन देना चाहता हूं। हम शांति स्थापना कोष की गतिविधियों को समर्थन देते हैं और इसके लिए भारत त्र 1,50,000 अमेरिकी डॉलर देने का आज वादा करता है।”

संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना कोष के मंगलवार को डिजिटल माध्यम से आयोजित एक उच्च स्तरीय सम्मेलन में उन्होंने कहा कि भारत को विश्वास है कि वर्ष 2021, अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए शांति स्थापना को बड़े परिप्रेक्ष्य में देखने का अवसर लेकर आया है तथा हम इस पर विशेषकर कोविड महामारी के परिप्रेक्ष्य में और ध्यान दे सकते हैं।

तिरुमूर्ति ने कहा कि हाल ही में संपन्न हुई संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना संरचना समीक्षा 2020 ऐसा ढांचा प्रदान करती है जिससे मिलकर शांति स्थापना को मजबूत किया जा सकता है।

अमेरिकी सेना में समलैंगिकों की वापसी: राष्ट्रपति जो बाइडेन हटाने पर हस्ताक्षर करेंगे डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों को attacknews.in

वाशिंगटन, 25 जनवरी (एपी) अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन एक नए कार्यकारी आदेश के जरिए अमेरिकी सेना में समलैंगिकों के शामिल होने पर लगे प्रतिबंध को हटा सकते हैं।

मामले से अवगत एक व्यक्ति ने ‘एपी’ को यह जानकारी दी।

पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने कार्यकाल के प्रथम वर्ष में ही समलैंगिकों के सेना में शामिल होने पर प्रतिबंध लगा दिया था। बाइडन के कार्यभार संभालने के बाद से ही उनके पेंटागन की इस नीति में बदलाव करने की संभावनाएं बनी थीं।

मामले से अवगत एक व्यक्ति ने ‘एपी’ को बताया कि व्हाइट हाउस सोमवार को इस संबंध में घोषणा कर सकता है।

सेवानिवृत्त जनरल लॉयड ऑस्टिन ने अमेरिका के रक्षा मंत्री पद के लिए अपने नाम की पुष्टि के लिए सीनेट के समक्ष पिछले सप्ताह हुई सुनवाई के दौरान इस कदम का समर्थन किया था।

ऑस्टिन ने कहा था, ‘‘ मैं इस प्रतिबंध को हटाने की राष्ट्रपति की योजना का समर्थन करता हूं।’’

उन्होंने कहा था, ‘‘ अगर आप सेवा करने के लिए योग्य हैं और मानकों को बनाए रख सकते हैं, तो आपको सेवाएं देने का अधिकार होना चाहिए।’’

8 फरवरी से डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ महाभियोग की सुनवाई से पहले ‘नेशनल गार्ड’ के हजारों सैनिकों को वाशिंगटन में ही तैनात रहने देने का फैसला,सांसदों को मिल रही है धमकी attacknews.in

वाशिंगटन, 25 जनवरी (एपी) संघीय सुरक्षा एजेंसियों के अधिकारी अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ महाभियोग की कार्यवाही शुरू करने से पहले कांग्रेस के सदस्यों को जान से मारने या अमेरिकी संसद के बाहर उन पर हमला करने की धमकियों की जांच कर रहे हैं।

अमेरिका के एक अधिकारी ने ‘एपी’ को बताया कि धमकियों, यूएस कैपिटल (संसद परिसर) पर दोबारा हथियारबंद प्रदर्शनकारियों के हमले की चिंता के बीच कैपिटल पुलिस और अन्य संघीय सुरक्षा एजेंसियों ने ट्रंप के खिलाफ सुनवाई से पहले ‘नेशनल गार्ड’ के हजारों सैनिकों को वाशिंगटन में ही तैनात रहने देने का फैसला किया है।

ट्रंप समर्थकों के छह जनवरी को अमेरिकी संसद पर किए हमले के बाद अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन के शपथ ग्रहण करने से पहले ‘नेशनल गार्ड’ के हजारों सैनिकों को यहां तैनात किया गया था।

शपथ समारोह तो शांतिपूर्ण तरीकों से सम्पन्न हो गया था, लेकिन ट्रंप के खिलाफ महाभियोग की कार्यवाही से पहले सांसदों को मिल रही धमकी ने अब चिंता बढ़ा दी है।

नाम उजागर ना करने की शर्त पर मामले से अवगत अधिकारी ने बताया कि बाइडन के शपथ समारोह से पहले जांचकर्ताओं को ऐसी ही धमकियां मिली थीं, लेकिन अब सुरक्षा एजेंसियों के अधिकारी इस बात का पता लगा रहे हैं कि यह कितनी विश्वसनीय हैं।

अधिकारी ने बताया कि इनमें से अधिकतर ऑनलाइन ‘चैट ग्रुप’ पर जारी किए गए इन संदेशों में सुनवाई के लिए कैपिटल परिसर आत-जाते समय सांसदों पर हमला करने की साजिश रचने की बाते हैं।

ट्रंप के खिलाफ महाभियोग की कार्यवाही आठ फरवरी से शुरू की जाएगी। अमेरिका के किसी भी पूर्व राष्ट्रपति के खिलाफ पहली बार महाभियोग की कार्यवाही की जाएगी।

गौरतलब है कि ट्रंप ने राष्ट्रपति चुनाव में हार स्वीकार नहीं की थी और वह तीन नवम्बर को हुए चुनाव में धोखाधड़ी के दावे कर रहे थे। उनके इन दावों के बीच ही, कैपिटल बिल्डिंग (अमेरिकी संसद भवन) में ट्रंप के समर्थकों ने धावा बोला था और हिंसा की थी, जिसमें कैपिटल पुलिस के एक अधिकारी तथा चार अन्य लोगों की मौत हो गई थी। इसके बाद ही ट्रंप के खिलाफ महाभियोग की कार्यवाही चलाने का संसद ने फैसला किया।

पूर्वी लद्दाख में टकराव वाले सभी स्थानों से सैनिकों को हटाने की प्रक्रिया पर भारत और चीन की सेनाओं के बीच नौंवे दौर की हुई बातचीत attacknews.in

नयी दिल्ली,24 जनवरी । करीब ढाई महीने के अंतराल के बाद भारत और चीन की सेनाओं ने रविवार को कोर कमांडर स्तर की नौवें दौर की वार्ता की। इसका उद्देश्य पूर्वी लद्दाख में टकराव वाले सभी स्थानों से सैनिकों को हटाने की प्रक्रिया पर आगे बढ़ना है। सूत्रों ने यह जानकारी दी।

उन्होंने बताया कि उच्च स्तरीय सैन्य वार्ता पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के चीन की ओर स्थित मोल्दो सीमावर्ती क्षेत्र में पूर्वाह्न दस बजे शुरु हुई थी।

इससे पहले, छह नवंबर को हुई आठवें दौर की वार्ता में दोनों पक्षों ने टकराव वाले खास स्थानों से सैनिकों को पीछे हटाने पर व्यापक चर्चा की थी।

वार्ता में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व लेह स्थित 14 वीं कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल पीजीके मेनन कर रहे हैं।

भारत लगातार यह कहता आ रहा है कि पर्वतीय क्षेत्र में टकराव वाले सभी स्थानों से सैनिकों को वापस बुलाने की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने और तनाव को कम करने की जिम्मेदारी चीन की है।

कोर कमांडर स्तर की सातवें दौर की वार्ता 12 अक्टूबर को हुई थी, जिसमें चीन ने पेगोंग झील के दक्षिणी तट के आसपास सामरिक महत्व के अत्यधिक ऊंचे स्थानों से भारतीय सैनिकों को हटाने पर जोर दिया था। लेकिन भारत ने टकराव वाले सभी स्थानों से सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया एक ही समय पर शुरू करने की बात कही थी।

पूर्वी लद्दाख में विभिन्न पवर्तीय क्षेत्रों में भारतीय थल सेना के कम से कम 50,000 जवान युद्ध की तैयारियों के साथ अभी तैनात हैं। दरअसल, गतिरोध के हल के लिए दोनों देशों के बीच कई दौर की वार्ता में कोई ठोस नतीजा हाथ नहीं लगा है।

अधिकारियों के अनुसार चीन ने भी इतनी ही संख्या में अपने सैनिकों को तैनात किया है।

पिछले महीने, भारत और चीन ने भारत-चीन सीमा मामलों पर ‘परामर्श एवं समन्वय के लिए कार्यकारी तंत्र’ (डब्ल्यूएमसीसी) ढांचा के तहत एक और दौर की राजनयिक वार्ता की थी, लेकिन इस वार्ता में कोई ठोस नतीजा नहीं निकला था।

छठें दौर की सैन्य वार्ता के बाद दोनों पक्षों ने अग्रिम मोर्चों पर और सैनिक नहीं भेजने, जमीनी स्थिति में बदलाव करने के एकतरफा प्रयास नहीं करने तथा विषयों को और अधिक जटिल बनाने वाली किसी भी गतिविधि से दूर रहने सहित कई फैसलों की घोषणा की थी।

कोरोना वायरस जहां से निकला आज चीन के उसी शहर में दुनिया को वायरस से जूझता छोड़ पटरी पर लौटता “वुहान” attacknews.in

वुहान, 23 जनवरी (एपी) एक साल पहले चीन के शहर वुहान में तड़के दो बजे लोगों के स्मार्टफोन पर एक संदेश भेजा गया था जिसमें 76 दिनों तक चलने वाले पहले कोरोना वायरस लॉकडाउन की घोषणा की गई थी।

कोरोना वायरस संक्रमण का मामला सबसे पहले मध्य चीन के इसी शहर में सामने आया था। शनिवार की सुबह यांग्त्सी नदी के किनारे स्थित पार्क में कोहरे के बीच यहां के निवासी जॉगिंग करते और ‘ताई ची’ का अभ्यास करते नजर आए।

दुनिया भर में जहां विषाणु के और संक्रामक स्वरूपों को लेकर अब भी अफरा-तफरी व अव्यवस्था की स्थिति है, करीब एक करोड़ 10 लाख की आबादी वाले इस शहर में जन-जीवन काफी हद तक पटरी पर लौट आया है।

अव्यवस्था और कुछ स्थानों पर सीमित आपूर्ति के कारण कोविड-19 के खिलाफ टीकाकरण के प्रयास लोगों में खीझ का कारण भी बन रहे हैं। दुनियाभर में इस महामारी से 20 लाख से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है।

वुहान में सड़कों पर गाड़ियों की गहमागहमी कम है लेकिन पृथकवास के लिये एक साल पहले जगह-जगह पर खड़े किये गए बैरियर अब यहां नजर नहीं आते । एक साल पहले सख्त पृथकवास नियमों के कारण लोगों की आवाजाही बंद हो गई थी, लोग अपने घरों, आवासीय परिसरों तक सिमट गए थे लेकिन अब लोगों के आने जाने पर रोक नहीं है।

चीन में कोविड-19 से हुई 4635 मौतों में से अधिकतर मामले वुहान से थे। यह आंकड़ा महीनों तक स्थिर रहा था। आठ अप्रैल को शहर से लॉकडाउन हटने के बाद यहां महामारी पर काफी हद तक अंकुश रहा। एक सवाल पहले की तरह ही अब भी कायम है कि वायरस की उत्पत्ति कहां हुई? क्या वुहान और चीन के अधिकारियों ने दुनिया को इस महामारी के बारे में आगाह करने के लिये पर्याप्त और पारदर्शी तरीके से समय पर कदम उठाए जिससे दुनिया को इसके खिलाफ तैयारी का मौका मिल पाता? दुनिया भर में 9.8 करोड़ लोग इस महामारी से पीड़ित हुए।

चीन ने शनिवार को संक्रमण के 107 नए मामलों की घोषणा की जिससे यहां अब तक संक्रमितों की कुल संख्या बढ़कर 88,911 हो गई। नए मामलों में से सबसे ज्यादा 56 संक्रमित हीलोंगजियांग प्रांत में सामने आए। बड़े पैमाने पर जांच अभियान के दौरान बीजिंग और शंघाई में तीन नए मामले मिले। यहां नए मामलों के सामने आने के बाद अस्पतालों और घरों के आसपास सख्त लॉकडाउन लागू किया गया था।

अधिकारियों को अगले महीने चीनी नववर्ष की छुट्टियों के दौरान संक्रमण के नए मामलों में बढ़ोतरी की आशंका है। इसलिये लोगों से यात्रा न करने और जहां तक संभव हो भीड़ वाली जगहों पर न जाने को कहा जा रहा है। स्कूलों की छुट्टियां एक हफ्ते पहले ही कर दी गई और कई में ऑनलाइन पढ़ाई कराई जा रही है। घरों में और सार्वजनिक परिवहन के दौरान भी मास्क पहने लोग ही नजर आते हैं। लोगों की आवाजाही पर नजर रखने के लिये मोबाइल फोन ऐप की मदद ली जा रही है और यह साबित करने के लिये भी लोग इनका इस्तेमाल कर रहे हैं कि वह उन इलाकों में नहीं गए जहां संक्रमण के प्रसार की आशंका है।

कई महीनों की खींचतान व मशक्कत के बाद आखिरकार चीन ने पिछले हफ्ते विश्व स्वास्थ्य संगठन के विशेषज्ञों को वुहान का दौरा करने की इजाजत दी और ये विशेषज्ञ फिलहाल दो हफ्ते के पृथकवास में हैं।

विश्वभर में भारत की सराहना:अनेक देशों को कोविड-19 के टीके भेजकर मदद करने वाले भारत की प्रशंसा करते हुए अमेरिका उसे ‘‘सच्चा मित्र’’ बताया attacknews.in

वाशिंगटन, 23 जनवरी । अनेक देशों को कोविड-19 के टीके भेंट करने वाले भारत की प्रशंसा करते हुए अमेरिका उसे ‘‘सच्चा मित्र’’ बताया और कहा कि वह वैश्विक समुदाय की मदद करने के लिए अपने दवा क्षेत्र का उपयोग कर रहा है।

भारत बीते कुछ दिन में अपने यहां बने कोविड-19 टीकों की खेप भूटान, मालदीव, नेपाल, बांग्लादेश, म्यामां, मॉरीशस और सेशेल्स को मदद के रूप में भेज चुका है। सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, ब्राजील और मोरक्को को ये टीके व्यावसायिक आपूर्ति के रूप में भेजे जा रहे हैं।

अमेरिका के विदेश विभाग के दक्षिण एवं मध्य एशिया ब्यूरो की ओर से शुक्रवार को ट्वीट किया गया, ‘‘वैश्विक स्वास्थ्य क्षेत्र में भारत की भूमिका की सराहना करते हैं जिसने दक्षिण एशिया में कोविड-19 की लाखों खुराकें दीं। भारत ने टीकों की नि:शुल्क खेप भेजने की शुरुआत मालदीव, भूटान, बांग्लादेश और नेपाल से की तथा अन्य देशों की भी इसी प्रकार मदद की जाएगी।’’

इसमें कहा गया, ‘‘भारत एक सच्चा मित्र है जो अपने दवा क्षेत्र का उपयोग वैश्विक समुदाय की मदद करने में कर रहा है।’’

भारत को ‘‘दुनिया की फार्मेसी’’ कहा जाता है और विश्व भर में बनने वाले टीकों में से 60 फीसदी यहां बनते हैं।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि कोरोना वायरस संकट से लड़ाई के लिए तथा पूरी मानवता की भलाई के लिए भारत की टीका उत्पादन एवं विरतण क्षमता का उपयोग किया जाएगा।

सदन की विदेशी मामलों की समिति के अध्यक्ष ग्रेगरी मीक्स ने भी महामारी से लड़ाई में पड़ोसी देशों की मदद करने पर भारत की सराहना की।

उन्होंने कहा, ‘‘अपने पड़ोसी देशों को कोविड-19 के टीके नि:शुल्क प्रदान करने के भारत के प्रयासों की मैं सराहना करता हूं। महामारी जैसी वैश्विक चुनौतियों के लिए क्षेत्रीय तथा वैश्विक समाधान जरूरी होते हैं।’’
इस स्वास्थ्य संकट के दौरान वैश्विक समुदाय को मिले भारत के समर्थन की अमेरिका के मीडिया ने भी प्रशंसा की।

वाशिंगटन पोस्ट की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत कोरोना वायरस टीके की लाखों खुराकें कूटनीति के तहत दे रहा है।

इसमें कहा गया, ‘‘भारत की सरकार ने बांग्लादेश, नेपाल, भूटान और मालदीव को टीके की 32 लाख से अधिक नि:शुल्क खुराकें भेजी हैं। मॉरिशस, म्यामां और सेशेल्स को दान के रूप भेजी जानी है। इस सूची में अगली बारी श्रीलंका तथा अफगानिस्तान की है।’’

अमेरिका में भारत के राजदूत तरनजीत सिंह संधू ने कोरोना वायरस महामारी से लड़ाई में वैश्विक समुदाय की मदद के लिए भारत के प्रयासों की सराहना करने पर विदेश विभाग का आभार जताया।

उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को उद्धृत करते हुए शुक्रवार को ट्वीट किया, ‘‘वैश्विक समुदाय की स्वास्थ्य देखभाल संबंधी जरूरतों को पूरा करने में लंबे समय से भरोसेमंद साझेदार बनकर भारत बहुत गौरवान्वित महसूस कर रहा है।’’

79 वर्षीय जो बाइडेन ने परिवार की 127 साल पुरानी जिस बाइबिल पर हाथ रखकर उपराष्ट्रपति पद की शपथ ली थी उसी पर हाथ रखकर अमेरिका के 46 वें राष्ट्रपति पद की शपथ ली attacknews.in

वाशिंगटन, 20 जनवरी । जो बाइडन ने बुधवार को अमेरिका के 46 वें राष्ट्रपति और कमला हैरिस ने पहली महिला उपराष्ट्रपति के तौर पर शपथ ली।

शपथ ग्रहण समारोह के लिए कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गयी है। पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के समर्थकों को रोकने के लिए कैपिटल बिल्डिंग (संसद भवन) के आसपास हजारों सुरक्षाकर्मी तैनात किए गए हैं।

डेमोक्रेटिक नेता बाइडन (78) को प्रधान न्यायाधीश जॉन रॉबर्ट्स ने कैपिटल बिल्डिंग के ‘वेस्ट फ्रंट’ में पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलायी।

इस बार समारोह में कम लोगों को आमंत्रित किया गया है और नेशनल गार्ड के 25,000 से अधिक जवान सुरक्षा में तैनात हैं।

डोनाल्ड ट्रंप, बाइडन के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल नहीं हुए और अंतिम बार राष्ट्रपति के तौर पर व्हाइट हाउस से विदा लेते हुए विमान से फ्लोरिडा स्थित अपने स्थायी आवास ‘मार-आ-लागो एस्टेट’ के लिए रवाना हो गए। निवर्तमान उपराष्ट्रपति माइक पेंस समारोह में शामिल हुए हैं।

अमेरिका इतिहास में सबसे उम्रदराज राष्ट्रपति बाइडन ने अपने परिवार की 127 साल पुरानी बाइबिल पर हाथ रखकर पद और गोपनीयता की शपथ ली। इसी बाइबिल पर हाथ रखकर उन्होंने उपराष्ट्रपति पद की शपथ ली थी।

बाइडन के शपथ लेने से पहले भारतीय मूल की कमला हैरिस ने ऐतिहासिक शपथ ग्रहण समारोह के दौरान अमेरिका की पहली महिला उपराष्ट्रपति के रूप में शपथ ली। हैरिस अमेरिका की 49वीं उपराष्ट्रपति हैं।

भारत के चेन्नई निवासी प्रवासी भारतीय की बेटी हैरिस (56) ने अमेरिका की पहली महिला उपराष्ट्रपति बनकर इतिहास रच दिया है। वह इस पद पर पहुंचने वाली पहली अश्वेत एवं पहली एशियाई अमेरिकी भी हैं।

उनके पति 56 वर्षीय डगलस एमहोफ इसके साथ ही अमेरिका के पहले ‘सेकेंड जेंटलमैन’, अमेरिकी उपराष्ट्रपति के पहले पुरुष जीवनसाथी बन गए हैं।

उच्चतम न्यायालय की न्यायाधीश न्यायमूर्ति सोनिया सोटोमेयर ने हैरिस को शपथ दिलाई।

समारोह में पूर्व राष्ट्रपति-बराक ओबामा, जॉर्ज डब्ल्यू बुश और बिल क्लिंटन भी शामिल हुए। पूर्व प्रथम महिला-मिशेल ओबामा, लौरा बुश और हिलेरी क्लिंटन भी मौजूद थीं।

कमला देवी हैरिस ने अमेरिका की पहली महिला उपराष्ट्रपति के रूप में दो बाइबलों पर हाथ रखकर शपथ ली,एक बाइबल पारिवारिक मित्र रेजिना शेल्टोन और दूसरी अफ्रीकी अमेरिकी न्यायाधीश थुर्गुड मार्शल से संबंधित थी attacknews.in

वाशिंगटन, 20 जनवरी । भारतीय मूल की कमला देवी हैरिस ने ऐतिहासिक शपथ ग्रहण समारोह के दौरान बुधवार को अमेरिका की पहली महिला उपराष्ट्रपति के रूप में शपथ ली।

हैरिस (56) अमेरिका की 49वीं उपराष्ट्रपति हैं। वह राष्ट्रपति जो बाइडन (78) के साथ काम करेंगी।

कमला देवी हैरिस ने 61 वर्षीय माइक पेंस की जगह ली है, जबकि बाइडन ने डोनाल्ड ट्रंप की जगह ली है।

चेन्नई निवासी प्रवासी भारतीय की बेटी हैरिस ने अमेरिका की पहली महिला उपराष्ट्रपति बनकर इतिहास रच दिया है। वह इस पद पर पहुंचने वाली पहली अश्वेत एवं पहली एशियाई अमेरिकी भी हैं।

इस नाते उनके पति डगलस एमहॉफ (56) अमेरिका के इतिहास में ‘सेकेंड जेंटलमैन’ का खिताब पाने वाले पहले पुरूष हैं।

उच्चतम न्यायालय की न्यायाधीश न्यायमूर्ति सोनिया सोटोमेयर ने हैरिस को शपथ दिलाई।

हैरिस ने दो बाइबलों पर हाथ रखकर शपथ ली। इनमें से एक बाइबल पारिवारिक मित्र रेजिना शेल्टोन और दूसरी बाइबल उच्चतम न्यायालय के देश के पहले अफ्रीकी अमेरिकी न्यायाधीश थुर्गुड मार्शल से संबंधित थी।

हैरिस भारतीय मां और जमैका से ताल्लुक रखने वाले अफ्रीकी-अमेरिकी पिता की पुत्री हैं। वह 1964 में कैलिफोर्निया के ऑकलैंड में जन्मी थीं।

उनकी मां श्यामला गोपालन हैरिस चेन्नई से थीं। वह ब्रेस्ट कैंसर से जुड़ीं अनुसंधानकर्ता थीं जिनका निधन 2009 में कैंसर की वजह से हुआ था। हैरिस के पिता डोनाल्ड अर्थशास्त्र के जमैकियन-अमेरिकी प्रोफेसर हैं।

नवंबर में अपनी जीत के बाद ऐतिहासिक भाषण में हैरिस ने अपनी दिवंगत मां, जो नागरिक अधिकार कार्यकर्ता भी थीं, को याद करते हुए कहा था कि उन्होंने उनके राजनीतिक करियर में इस बड़े दिन के लिए उन्हें तैयार किया था।

उन्होंने यह भी कहा था कि वह उपराष्ट्रपति पद पर सत्तासीन होने वाली पहली महिला हो सकती हैं, लेकिन वह अंतिम नहीं होंगी।

हैरिस ने कई मिसालें कायम की हैं। वह सेन फ्रांसिस्को की डिस्ट्रिक्ट अटॉर्नी बनने वाली पहली महिला, पहली भारतवंशी और पहली अफ्रीकी अमेरिकी हैं।

राष्ट्रपति चुनाव के लिए डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर से उम्मीदवार रहे जो बाइडन ने अगस्त में उपराष्ट्रपति पद की उम्मीदवार के रूप में हैरिस को चुना था।

अपने पूर्व प्रतिद्वंद्वी बाइडन की किसी समय हैरिस कटु आलोचक रही हैं । 56 वर्षीय हैरिस सीनेट के तीन एशियाई अमेरिकी सदस्यों में से एक हैं।

पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के कार्यकाल में वह ‘फीमेल ओबामा’ के नाम से लोकप्रिय थीं।

कमला देवी हैरिस की मां श्यामला गोपालन 1960 में भारत के तमिलनाडु से यूसी बर्कले पहुंची थीं, जबकि उनके पिता डोनाल्ड जे हैरिस 1961 में ब्रिटिश जमैका से इकोनॉमिक्स में स्नातक की पढ़ाई करने यूसी बर्कले आए थे। यहीं अध्ययन के दौरान दोनों की मुलाकात हुई और मानव अधिकार आंदोलनों में भाग लेने के दौरान उन्होंने विवाह करने का फैसला कर लिया।

हाईस्कूल के बाद हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से पढ़ाई करने वाली कमला अभी सात ही बरस की थीं, जब उनके माता-पिता एक दूसरे से अलग हो गए। कमला और उनकी छोटी बहन माया अपनी मां के साथ रहीं और उन दोनों के जीवन पर मां का बहुत प्रभाव रहा।

हालांकि वह दौर अश्वेत लोगों के लिए सहज नहीं था। कमला और माया की परवरिश के दौरान उनकी मां ने दोनों को अपनी पृष्ठभूमि से जोड़े रखा और उन्हें अपनी साझा विरासत पर गर्व करना सिखाया। वह भारतीय संस्कृति से गहराई से जुड़ी रहीं। वह भारत में अपने नाना नानी के परिवार से मिलने अक्सर आती रहीं।

बाइडन-हैरिस की प्रचार वेबसाइट पर इस संबंध में कमला ने अपनी आत्मकथा ‘द ट्रुथ्स वी होल्ड’ में लिखा है कि उनकी मां को पता था कि वह दो अश्वेत बेटियों का पालन पोषण कर रही हैं और उन्हें सदा अश्वेत के तौर पर ही देखा जाएगा, लेकिन उन्होंने अपनी बेटियों को ऐसे संस्कार दिए कि कैंसर अनुसंधानकर्ता और मानवाधिकार कार्यकर्ता श्यामला और उनकी दोनों बेटियों को ‘ श्यामला एंड द गर्ल्स’ के नाम से जाना जाने लगा।

होवार्ड विश्वविद्यालय में अध्ययन के बाद हैरिस ने कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई की। 2003 में वह सेन फ्रांसिस्को की शीर्ष अभियोजक बनीं। 2010 में वह कैलिफोर्निया की अटॉर्नी बनने वाली पहली महिला और पहली अश्वेत व्यक्ति थीं। 2017 में हैरिस कैलिफोर्निया से जूनियर अमेरिकी सीनेटर चुनी गईं।

कमला ने 2014 में जब अपने साथी वकील डगलस एमहॉफ से विवाह किया तो वह भारतीय, अफ्रीकी और अमेरिकी परंपरा के साथ साथ यहूदी परंपरा से भी जुड़ गईं।

जो बिडेन के शपथग्रहण में मंडराया खतरा: वाशिंगटन में 21 हजार नेशनल गार्ड तैनात, संसद भवन us capital के बाहर Lockdown लगाया,सभी मेट्रो स्टेशन बंद किए गए attacknews.in

वाशिंगटन 19 जनवरी (स्पूतनिक) अमेरिका के निर्वाचित राष्ट्रपति जो बिडेन ( #joe biden ) के शपथ ग्रहण समारोह ( #oath ceremony)की सुरक्षा के लिए वाशिंगटन में 21 हजार नेशनल गार्ड्स को तैनात किया गया है।

सीएनएन प्रसारणकर्ता की सोमवार की रिपोर्ट के अनुसार इस समय वाशिंगटन में 21 हजार नेशनल गार्ड सैनिकों तैनात है।

अमेरिकी संसद भवन में अज्ञात खतरे के बाद लॉकडाउन

अमेरिकी संसद भवन (यूएस कैपिटल) पर निवर्तमान राष्ट्रपति डोनाल्ड समर्थकों की ओर से किये गये हिंसक हमले के करीब दो सप्ताह के बाद अज्ञात खतरे के कारण सोमवार को लॉकडाउन लागू कर दिया गया।

एनबीसी न्यूज ने बताया कि अमेरिकी कैपिटल स्टाफ को ‘बाहरी सुरक्षा खतरे’ के कारण घर के अंदर रहने और बाहर निकलने पर ‘सुरक्षा कवर’ के साथ निकलने के लिए एक संदेश भेजा गया है।

बिडेन के शपथग्रहण के मद्देनजर अमेरिकी प्रांतो में हाई अलर्ट

शपथग्रहण समारोह के दौरान निवर्तमान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के समर्थकों द्वारा हिंसा की आशंका के मद्देनजर सभी 50 प्रांतो में हाईअलर्ट किया गया है।

जो बिडेन बुधवार 20 जनवरी को राष्ट्रपति पद की शपथ लेंगे।

अमेरिका की राजधानी वाशिंगटन डीसी में गत सप्ताह की तरह हिंसा न हो, इसके लिए राष्ट्रीय गार्ड के जवानों को तैनात किया गया है।

संघीय खुफिया ब्यूरो (एफबीआई) ने चेतावनी जारी की है कि ट्रम्प समर्थक श्री बिडेन के शपथग्रहण समारोह में बाधा डालने के लिए सभी प्रांतो में सशस्त्र प्रदर्शन कर सकते हैं।

बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार वाशिंगटन डीसी में सुरक्षाकर्मियों ने शुक्रवार को हथियार के साथ एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया है।

कैपिटल पुलिस ने शनिवार को पुष्टि की कि वर्जीनिया निवासी एक व्यक्ति को अवैध हथियार के साथ गिरफ्तार किया गया है। उसके पास से एक पिस्तौल तथा कम से कम 509 गोलियां बरामद की गयी हैं।

वाशिंगटन पोस्ट की खबर के अनुसार हालांकि गिरफ्तार व्यक्ति को बाद में छोड़ दिया गया।

ट्रंप ने फिर से शांति बनाए रखने की अपील की

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने समर्थकों से अपील की है कि वे किसी भी हिंसा का सहारा न लें और शांति बनाए रखें।

श्री ट्रंप ने अपने बयान में कहा कि 20 जनवरी को सत्ता का हस्तांतरण होना है। उन्होंने सभी अमेरिकियों से आह्वान किया है कि देश में तनाव के माहौल के बजाय शांति बनाए रखें। उन्होंने प्रदर्शनों की रिपोर्ट मिलने पर कहा, “ मेरा सभी से आग्रह है कि किसी भी प्रकार की कोई हिंसा और कोई बर्बरता नहीं होनी चाहिए। सभी को शांति बनाए रखना जरूरी है।”

राष्ट्रपति ने कहा, “ इसके समर्थन में मैं नहीं हूं और न ही अमेरिका इसका समर्थन करता हूं। मैं सभी अमेरिकियों से तनाव को कम करने और देश में शांति बनाए रखने में मदद करने की अपील करता हूं।”

खुफिया रिपोर्टों में बताया गया है कि ट्रंप के समर्थक हिंसा का कारण बन सकते हैं और जब निवर्तमान राष्ट्रपति से नव निर्वाचित राष्ट्रपति जो बिडेन के सत्ता हस्तांतरण के दिन ट्रंप समर्थक हिंसा कर सकते हैं। आगामी 20 जनवरी को समारोह के दौरान शांति बनाए रखने के लिए वाशिंगटन और व्हाइट हाउस में लगभग 20,000 नेशनल गार्ड तैनात किए गए हैं । सुरक्षा अधिकारियों ने समारोह के दौरान संघीय और राज्य संपत्ति पर हमले होने की चेतावनी दी है। नव निर्वाचित राष्ट्रपति बिडेन को भी इन आशंकाओं और सुरक्षा के बारे में जानकारी दी गई है।

पिछले तीन दिनों के दौरान यह दूसरी बार है जब राष्ट्रपति ट्रंप ने अपने समर्थकों से शांति बनाए रखने का आह्वान किया । इससे पहले 12 जनवरी को उन्होंने अपने समर्थकों को संबोधित करते हुए कहा था कि वह हिंसा नहीं चाहते। जहां तक उनका तात्पर्य है कि हम चाहते हैं कि देश में किसी तरह की कोई हिंसा न हो। हिंसा समाधान नहीं है और हम यह बिल्कुल नहीं चाहते हैं।

बिडेन के शपथ ग्रहण समारोह से पहले वाशिंगटन के 13 मेट्रो स्टेशन बंद

वाशिंगटन के मेट्रो अधिकारियों ने निर्वाचित राष्ट्रपति जोसेफ बिडेन के शपथग्रहण समारोह से 13 मेट्रो स्टेशनों को बंद करने का निर्णय लिया ।

यातायात प्रशासन ने यहां जारी एक बयान में कहा कि 15 जनवरी से 21 जनवरी तक 13 मेट्रो स्टेशन बंद कर दिए गए और ट्रेनें सेवाएं विशेष तयशुदा समय के अनुसार जारी रहेंगी। इसके अलावा 26 बस मार्गों के आसपास के सुरक्षा घेरे का विस्तार किया गया है ।

उल्लेखनीय है कि छह जनवरी को अमेरिकी संसद कैपिटल हिल पर चुनाव परिणामों से नाराज श्री ट्रंप के समर्थकों के हमले में कम से कम पांच लोगों की मौत हो गई थी।

विश्व के हरेक देशों में भारतीयों का बजा डंका:करीब 1.8 करोड़ आबादी के साथ भारतीय दुनिया का।बना सबसे बड़ा प्रवासी समूह;सभी महाद्वीपों एवं क्षेत्रों – खाड़ी से लेकर अमेरिका तक, ऑस्ट्रेलिया से लेकर ब्रिटेन तक- में फैले attacknews.in

संयुक्त राष्ट्र, 16 जनवरी । प्रवासी भारतीयों की संख्या विश्व में सबसे अधिक हैं जो दुनिया के अलग-अलग देशों में रह रहे हैं और ये ‘सबसे अधिक विविधता और जीवतंता’ वाले समुदायों में से एक है।

संयुक्त राष्ट्र ने बताया कि वर्ष 2020 में करीब 1.8 करोड़ भारतीय अपने वतन से दूर दुनिया के अलग-अलग देशों में रहते हैं और इस मामले में यह विश्व का सबसे बड़ा प्रवासी समूह है।

विश्व निकाय ने बताया कि सबसे अधिक संख्या में प्रवासी भारतीय संयुक्त अरब अमीरात, अमेरिका और सऊदी अरब में रहते हैं।

संयुक्त राष्ट्र के आर्थिक एवं सामाजिक मामलों के विभाग (डीईएसए) में जनसंख्या प्रभाग में जनसंख्या मामलों की अधिकारी क्लेर मेनोजी ने शुक्रवार को  एक साक्षात्कार में कहा, ‘‘ दुनिया में भारत की सबसे अधिक परा देशीय आबादी है। भारत के करीब 1.8 करोड़ लोग दुनिया के अलग-अलग देशों में रहते हैं। सबसे रोचक बात यह है कि भारतीय प्रवासी आबादी का वितरण पूरी दुनिया में है।’’

मेनोजी ने कहा कि कुछ परादेशीय आबादी वास्तव में एक देश या क्षेत्र तक केंद्रित है जबकि भारतीय प्रवासी सभी महाद्वीपों एवं क्षेत्रों – खाड़ी से लेकर अमेरिका तक, ऑस्ट्रेलिया से लेकर ब्रिटेन तक- में फैली हुई है।

उन्होंने कहा, ‘‘यह दुनिया की सबसे विविधता युक्त एवं गतिशील’’ समुदाय है।’’

संयुक्त राष्ट्र डीईएसए के जनसंख्या प्रभाग द्वारा शुक्रवार को जारी ‘ अंतरराष्ट्रीय प्रवास-2020 रिपोर्ट के मुताबिक 1.8 करोड़ भारतीय अपने जन्मस्थान से दूर दूसरे देशों में रहते हैं।

भारत के अलावा अन्य देश जिनकी बड़ी आबादी विदेश में रहती है, उनमें मैक्सिको और रूस हैं। इन दोनों देशों की 1.1-1.1 करोड़ आबादी विदेश में रहती है। वहीं, एक करोड़ चीनी और 80 लाख सीरियाई भी दूसरे देशों रहते हैं।

विदेशों में रहने वाले भारतीयों में सबसे अधिक 35 लाख संयुक्त अरब अमीरात में रहते हैं जबकि 27 लाख भारतीय अमेरिका में और 25 लाख सऊदी अरब में रहते हैं।

इनके अलावा ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, कुवैत, ओमान, पाकिस्तान, कतर और ब्रिटेन में भी भारतीय प्रवासियों की बड़ी संख्या है।

रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2000 से 2020 के बीच दुनिया के हर देश एवं क्षेत्र में विदेश से आनेवाले प्रवासियों की संख्या में वृद्धि हुई और इसका सबसे अधिक लाभ भारत को हुआ जिसकी विदेश में रहने वाली आबादी की संख्या में एक करोड़ की वृद्धि हुई। इसके बाद सीरिया, वेनेजुएला, चीन और फिलीपीन का स्थान आता है।

संयुक्त राष्ट्र निकाय के जनसंख्या प्रभाग के निदेशक जॉन विलमोथ ने कहा कि भारत से प्रवास की मुख्य वजह रोजगार और पारिवारिक कारण रहे और जबरन प्रवास का प्रतिशत (करीब 10 प्रतिशत) कम रहा।

अमेरिका प्रवासियों का अब भी सबसे पसंदीदा स्थल बना हुआ है और वर्ष 2020 में कुल 5.1 करोड़ अंतरराष्ट्रीय प्रवासी अमेरिका में थे जो विश्व में कुल अंतरराष्ट्रीय प्रवासियों का 18 प्रतिशत है।

1.6 करोड़ प्रवासियों के साथ जर्मनी दूसरे स्थान पर रहा जबकि सऊदी अरब, रूस और ब्रिटेन क्रमश: 1.3 करोड़, 1.2 करोड़, 90 लाख अंतरराष्ट्रीय प्रवासियों के साथ तीसरे, चौथे, पांचवे स्थान पर रहे।

रिपोर्ट में कहा गया कि अंतरिम आकलन के मुताबिक कोविड-19 महामारी की वजह से वर्ष 2020 के मध्य में अंतरराष्ट्रीय प्रवासियों की संख्या की वृद्धि में करीब 20 लाख की कमी आई जो मध्य 2019 के अनुमान के मुताबिक 27 प्रतिशत कम है।

एंतोनियो गुतारेस ने संयुक्त राष्ट्र महासचिव के पद का  अगला कार्यकाल भी लेने की जताई इच्छा,संयुक्त राष्ट्र महासभा तथा सुरक्षा परिषद अगला महासचिव चुनने  की दिशा में 31 जनवरी को बढ़ाएंगें पहला कदम attacknews.in

संयुक्त राष्ट्र, 16 जनवरी (एपी) संयुक्त राष्ट्र महासभा तथा सुरक्षा परिषद को इस वैश्विक संगठन का अगला प्रमुख चुनने की दिशा में इस महीने के अंत में पहला कदम उठाए उठाए जाने की उम्मीद है।

महासभा के अध्यक्ष वोल्कान बोजकिर ने शुक्रवार को कहा कि वह और संयुक्त राष्ट्र में ट्यूनीशिया के राजदूत एवं सुरक्षा परिषद के मौजूदा प्रमुख तारिक लादेब 31 जनवरी से पहले संयुक्त राष्ट्र के 193 सदस्य देशों को पत्र भेजकर कहा सकते हैं कि अगर मौजूदा महासचिव एंतोनियो गुतारेस के खिलाफ उनका कोई उम्मीदवार है तो वे पेश करें।

संयुक्त राष्ट्र के मौजूदा महासचिव एवं पुर्तगाल के प्रधानमंत्री रह चुके गुतारेस का पांच वर्ष का कार्यकाल 31 दिसंबर को खत्म हो रहा है । उन्होंने सोमवार को बोजकिर तथा लादेब को पत्र लिखकर कहा था कि वह दूसरे कार्यकाल के लिये तैयार हैं ।

महासभा ने अक्टूबर 2016 में हुए चुनाव में गुतारेस को संयुक्त राष्ट्र का अगला महासचिव चुना था। एक जनवरी 2017 को उनका पांच वर्ष का कार्यकाल शुरू हुआ था। गुतारेस ने बान की मून की जगह ली थी।

महासभा 15 सदस्यीय सुरक्षा परिषद की अनुशंसा पर महासचिव का चुनाव करती है। सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्यों के पास ‘वीटो’ शक्ति होती है। इसलिये उनका समर्थन बेहद महत्वपूर्ण है। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन पहले ही गुतारेस का समर्थन कर चुके हैं, लेकिन ‘वीटो’ शक्ति प्राप्त अन्य देशों अमेरिका, रूस, चीन और फ्रांस ने इस पर अभी तक कुछ नहीं कहा है।

अमेरिका के निर्वाचित राष्ट्रपति बाइडन ने अपने कार्यकाल के पहले 100 दिनों में 10 करोड़ अमेरिकियों को टीका लगाने की योजना की घोषणा की attacknews.in

वाशिंगटन, 16 जनवरी । अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडन ( joe Biden) ने कोरोना वायरस महामारी से निपटने के लिए अपने कार्यकाल के पहले 100 दिनों में 10 करोड़ अमेरिकियों को कोविड-19 के टीके लगाने की महत्त्वाकांक्षी येाजना की घोषणा की है।

बाइडन 20 जनवरी को अमेरिका के राष्ट्रपति के रूप में कार्यभार संभालने वाले हैं। उससे पहले, उन्होंने शुक्रवार को अपनी टीम के साथ स्वास्थ्य संकट के समाधान के लिए एक बैठक की।

जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के ‘कोरोना वायरस ट्रैकर’ के अनुसार, अमेरिका में अब तक 2,35,23,000 से अधिक लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हुए हैं और 3,91,955 लोगों की मौत हो चुकी है। अमेरिका दुनिया में इस बीमारी से सबसे अधिक प्रभावित देश है।

अपने चुनाव अभियान के दौरान, बाइडन ने कोविड-19 महामारी को बड़ा मुद्दा बनाया था और मतदाताओं से इससे निपटने और इससे उत्पन्न आर्थिक संकट को दूर करने का वादा किया था।

बाइडन ने विलमिंगटन में संवाददाताओं से कहा, ‘‘अमेरिका में अब तक टीकाकरण अभी तक पूरी तरह विफल रहा है और आज की बैठक में हमने पांच चीजों पर चर्चा की। इन पांच चीजों के जरिए हम स्थिति को बदलने का प्रयास करेंगे, इन पांच चीजों से हम निराशा को आशा में बदलेंगे। ये पांच चीजें हमारे कार्यकाल के पहले 100 दिनों में 10 करोड़ टीके लगाने के हमारे लक्ष्य को पूरा करने में मदद करेंगी।’’

उन्होंने कहा, “मुझे पूरा विश्वास है कि हम इसे पूरा कर सकते हैं, और यह साहस और दृढ़ विश्वास के साथ आगे बढ़ने के लिए बड़े लक्ष्य निर्धारित करने का समय है क्योंकि राष्ट्र का स्वास्थ्य सचमुच दांव पर है। सबसे पहले, हम अधिक प्राथमिकता वाले समूहों के लिए टीकाकरण शुरू करने के उद्देश्य से सभी राज्यों के साथ मिलकर तुरंत काम करेंगे।’’ बाइडन ने कहा कि इस नए प्रयास में पूरे राष्ट्र को एकजुट किया जाएगा और टीकाकरण, जांच और महामारी से निपटने के अन्य उपायों के लिए संघीय कोष से अरबों डालर खर्च किए जाएंगे।

उन्होंने शुक्रवार को कहा, “आप लोगों से मेरा वादा है: हम इस अभियान से इस महामारी को काबू में करेंगे।’’

उन्होंने कहा कि इसके लिए संसद को अधिक धन खर्च करने की मंजूरी देनी होगी।

उन्होंने लोगों से मास्क पहनने, भीड़भाड़ से बचने और अक्सर अपने हाथों को धोते रहने जैसे बुनियादी सावधानियों का पालन करने की भी अपील की।

बाइडन ने कहा, ‘‘यह राजनीतिक मुद्दा नहीं है। यह जीवन बचाने के बारे में है। मुझे पता है कि यह एक पक्षपातपूर्ण मुद्दा बन गया है, लेकिन यह मूर्खतापूर्ण है और मूर्खतापूर्ण चीजें हो रही है ।’’ बाइडन ने महामारी से निपटने और अस्थिर अर्थव्यवस्था को तात्कालिक सहायता प्रदान करने के लिए 1.9 ट्रिलियन डॉलर के “अमेरिकन रेस्क्यू प्लान” की घोषणा करने के एक दिन बाद यह बात कही।

इस योजना में 400 बिलियन डॉलर कोरोना वायरस के प्रसार को नियंत्रित करने के उद्देश्य से खर्च किया जाएगा। इस योजना के तहत पूरे अमेरिका में बड़े पैमाने पर टीकाकरण अभियान चलाने और महामारी से निपटने संबंधी कई अन्य उपाए किए जाने

‘‘दवाई भी, कड़ाई भी’’ का मंत्र देकर नरेन्द्र मोदी ने कोविड-19 के विश्‍व के सबसे बड़े टीकाकरण अभियान की शुरुआत करके अफवाहों से बचने की सलाह दी attacknews.in

नयी दिल्ली, 16 जनवरी। प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने शनिवार को कोविड-19 के खिलाफ भारत में विश्‍व के सबसे बड़े टीकाकरण अभियान की शुरुआत की और देश को पुन: आश्वस्त किया कि वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों ने भारत में बने टीकों के प्रभावों से संतुष्‍ट होने के बाद ही इनके उपयोग की अनुमति दी है। उन्होंने लोगों से कहा कि वे अफवाहों और टीके के बारे में भ्रामक प्रचार से गुमराह न हों।

अभियान की शुरुआत से पहले राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा कि यही टीके अब भारत को कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में ‘‘निर्णायक जीत’’ दिलाएंगे। प्रधानमंत्री ने जनता से आग्रह किया कि जिस तरह धैर्य के साथ उन्होंने कोरोना वायरस का मुकाबला किया, वैसा ही धैर्य अब टीकाकरण के समय भी दिखाना है।

उन्होंने टीका लेने के बाद भी लोगों से कोरोना संबंधी सभी दिशा-निर्देशों का पालन करने का आग्रह किया और ‘‘दवाई भी, कड़ाई भी’’ का मंत्र दिया।

अपने संबोधन के बाद प्रधानमंत्री ने ‘‘सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया’’ के मंत्रोच्चार के बीच रिमोट कंट्रोल से अभियान की शुरुआत की और कहा कि इतिहास में इस प्रकार का और इतने बड़े स्तर का टीकाकरण अभियान पहले कभी नहीं चलाया गया है।

उन्होंने कहा कि टीके की दो खुराक लेनी बहुत जरूरी है और इन दोनों के बीच लगभग एक महीने का अंतर होना चाहिए।

वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से आयोजित कार्यक्रम में प्रधानमंत्री के साथ भारत के सभी राज्‍यों और केन्‍द्रशासित प्रदेशों के 3006 टीकाकरण केन्‍द्र आपस में जुड़े।

ज्ञात हो कि पहले चरण के लिए सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में इसके कुल 3006 टीकाकरण केंद्र बनाए गए हैं। पहले दिन, तीन लाख से ज्यादा स्वास्थ्यकर्मियों को कोविड-19 के टीके की खुराक दी जाएगी।

मोदी ने कोविड-19 के खिलाफ भारत के टीकाकरण अभियान को विश्व का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान बताया और कहा कि यह भारत की सामर्थ्य को दर्शाता है।

उन्होंने कहा, ‘‘इतने बड़े स्तर का टीकाकरण अभियान पहले कभी नहीं चलाया गया। यह अभियान इतना बड़ा है, इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि दुनिया के लगभग 100 देशों की आबादी तीन करोड़ से कम है और भारत पहले ही चरण में 3 करोड़ लोगों का टीकाकरण कर रहा है।’’

उन्होंने कहा कि दूसरे चरण में 30 करोड़ लोगों का टीकाकरण किए जाने का लक्ष्य है, जबकि दुनिया में महज भारत, अमेरिका और चीन ही ऐसे देश हैं जिनकी आबादी 30 करोड़ से अधिक है।

प्रधानमंत्री ने पिछले कई महीनों से कोरोना वायरस का टीका बनाने में जुटे वैज्ञानिकों की सराहना करते हुए कहा कि इतने कम समय में देश में दो टीके तैयार करना गर्व की बात है।

उन्होंने कहा, ‘‘भारत का टीकाकरण अभियान इतना बड़ा है, यह भारत की सामर्थ्य को दर्शाता है। हमारे वैज्ञानिक विशेषज्ञ जब मेड इन इंडिया वैक्सीन की सुरक्षा को लेकर आश्वस्त हुए, तभी उन्होंने इसके उपयोग की अनुमति दी।’’

उन्होंने कहा कि भारतीय टीकों को अपनी गुणवत्‍ता के कारण वैश्विक विश्‍वसनीयता प्राप्‍त है तथा देशवासियों को, टीकाकरण को लेकर अफवाहों से बचना चाहिए।

मोदी ने कहा कि भारत के टीके विदेशों की तुलना में बहुत सस्ते हैं और उनका उपयोग भी उतना ही आसान है।

उन्होंने कहा, ‘‘विदेश में तो कुछ टीके ऐसे हैं जिसकी एक खुराक की कीमत 5000 रुपये तक है और उन्हें शून्य से 70 डिग्री कम तापमान में रखा जाता है। भारत की वैक्सीन ऐसी तकनीक पर बनाई गई है जो भारत की परिस्थितियों के अनुरूप हैं।’’

अपने संबोधन के दौरान प्रधानमंत्री उस वक्त भावुक हो गए जब उन्होंने कोरोना संक्रमण काल में लोगों को हुई तकलीफों, स्वास्थ्य कर्मियों व अग्रिम मोर्चे पर तैनात कर्मियों के बलिदानों और अपने प्रियजनों की अंतिम विदाई तक में शामिल ना हो पाने के उनके दर्द का जिक्र किया।

मोदी ने कहा कि सामान्य तौर पर बीमारी में पूरा परिवार बीमार व्‍यक्‍ति की देखभाल के लिए जुट जाता है लेकिन इस बीमारी ने तो बीमार को ही अकेला कर दिया।

उन्होंने कहा, ‘‘अनेकों जगहों पर छोटे-छोटे बीमार बच्चों को मां से दूर रहना पड़ा। मां परेशान रहती थी… मां रोती थी… लेकिन चाहकर भी कुछ कर नहीं पाती थी… बच्चे को अपनी गोद में नहीं ले पाती थी।’’

प्रधानमंत्री ने कहा कि कहीं बुजुर्ग पिता, अस्पताल में अकेले अपनी बीमारी से संघर्ष करने को मजबूर थे और संतान चाहकर भी उसके पास नहीं जा पाती थी।

उन्होंने कहा, ‘‘जो हमें छोड़कर चले गए, उनको परंपरा के मुताबिक वो विदाई भी नहीं मिल सकी जिसके वो हकदार थे। जितना हम उस समय के बारे में सोचते हैं, मन सिहर जाता है, उदास हो जाता है।’’

यह कहते-कहते प्रधानमंत्री भावुक हो गए।

उन्होंने रूंधे गले से कहा कि निराशा के उस वातावरण में चिकित्सक, स्वास्थ्य कर्मी, अग्रिम मोर्चे पर तैनात अन्य कर्मी और एंबुलेंस ड्राइवरों ने आशा का भी संचार किया और लोगों की जान बचाने के लिए अपने प्राणों को संकट में डाला।

मोदी ने कहा, ‘‘उन्होंने मानवता के प्रति अपने दायित्व को प्राथमिकता दी। इनमें से अधिकतर तो, तब अपने बच्चों, अपने परिवार से दूर रहे और कई-कई दिन तक घर नहीं गए। सैंकड़ों साथी ऐसे भी हैं जो कभी घर वापस लौट ही नहीं पाए, उन्होंने एक-एक जीवन को बचाने के लिए अपना जीवन आहूत कर दिया।’’

उन्होंने कहा ‘‘इसलिए आज कोरोना वायरस का पहला टीका स्वास्थ्य सेवा से जुड़े लोगों को लगाकर समाज अपना ऋण चुका रहा है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘ये टीका उन सभी साथियों के प्रति कृतज्ञ राष्ट्र की आदरांजलि भी है।’’

सरकार के मुताबिक, सबसे पहले एक करोड़ स्वास्थ्यकर्मियों, अग्रिम मोर्चे पर काम करने वाले करीब दो करोड़ कर्मियों और फिर 50 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को टीके की खुराक दी जाएगी। बाद के चरण में गंभीर रूप से बीमार 50 साल से कम उम्र के लोगों का टीकाकरण होगा।

स्वास्थ्यकर्मियों और अग्रिम मोर्चे पर तैनात कर्मियों पर टीकाकरण का खर्च सरकार वहन करेगी।

कोरोना वायरस के खिलाफ भारत की लड़ाई का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा कि भारत ने जिस प्रकार कोविड-19 महामारी का मुकाबला किया, उसका लोहा आज पूरी दुनिया मान रही है।

उन्होंने कहा कि इस महामारी से देश की लड़ाई आत्मविश्वास और आत्मनिर्भरता की रही और इस मुश्किल दौर में भी हर भारतीय में आत्मविश्वास को कमजोर न पड़ने देने का संकल्प दिखा।

मोदी ने कहा कि ऐसे समय में जब कुछ देशों ने अपने नागरिकों को चीन में बढ़ते कोरोना संकट के बीच छोड़ दिया था, तब भारत चीन में फंसे हर भारतीय को वापस लेकर आया।

उन्होंने कहा, ‘‘सिर्फ भारत के ही नहीं, हम कई दूसरे देशों के नागरिकों को भी वहां से वापस निकालकर लाए।’’

प्रधानमंत्री ने देशवासियों को बताया कि कैसे एक देश में जब भारतीयों की कोविड जांच के लिए उपकरण कम पड़ गए तो भारत ने पूरी लैब भेज दी थी ताकि वहां से भारत आ रहे लोगों को जांच की दिक्कत ना हो।

उन्होंने कहा, ‘‘भारत ने इस महामारी से जिस प्रकार से मुकाबला किया उसका लोहा आज पूरी दुनिया मान रही है। केंद्र और राज्य सरकारें, स्थानीय निकाय, हर सरकारी संस्थान, सामाजिक संस्थाएं, कैसे एकजुट होकर बेहतर काम कर सकते हैं, ये उदाहरण भी भारत ने दुनिया के सामने रखा।’’

उन्होंने कहा कि भारत ने 24 घंटे सतर्क रहते हुए हर घटनाक्रम पर नजर रखी और ‘‘सही समय पर सही फैसले लिए।’’

मोदी ने कहा कि भारत दुनिया के उन पहले देशों में से था जिसने अपने हवाईअड्डों पर यात्रियों की स्क्रीनिंग शुरू कर दी थी।

उन्होंने कहा, ‘‘जनता कर्फ्यू, कोरोना के विरुद्ध हमारे समाज के संयम और अनुशासन का भी परीक्षण था, जिसमें हर देशवासी सफल हुआ। जनता कर्फ्यू ने देश को मनोवैज्ञानिक रूप से लॉकडाउन के लिए तैयार किया। हमने ताली-थाली और दीए जलाकर, देश के आत्मविश्वास को ऊंचा रखा।’’

प्रधानमंत्री ने कहा कि आज जब भारत ने टीके बना लिए हैं, दुनिया भारत की तरफ दुनिया आशा और उम्मीद की नज़रों से देख रही है।

उन्होंने कहा कि देश में टीकाकरण अभियान जैसे-जैसे आगे बढ़ेगा, दुनिया के अनेक देशों को भारत के अनुभवों का लाभ मिलेगा।

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘भारत के टीके, हमारी उत्पादन क्षमता, पूरी मानवता के हित में काम आए, ये हमारी प्रतिबद्धता है।’’

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने तीनों कृषि कानूनों को भारत में कृषि सुधारों को आगे बढ़ाने की दिशा में उठाया गया कदम बताया attacknews.in

वाशिंगटन, 15 जनवरी । अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) का मानना है कि ‘तीनों हालिया कानून’ भारत में कृषि सुधारों को आगे बढ़ाने की दिशा में उठाया गया महत्वपूर्ण कदम है। हालांकि आईएमएफ ने यह भी जोड़ा कि नयी व्यवस्था को अपनाने की प्रक्रिया के दौरान प्रतिकूल प्रभाव झेलने वाले लोगों के बचाव के लिये सामाजिक सुरक्षा का प्रबंध जरूरी है।

आईएमएफ के एक संचार निदेशक (प्रवक्ता) गेरी राइस ने यहां कहा कि नये कानून बिचौलियों की भूमिका को कम करेंगे और दक्षता बढ़ायेंगे।

उन्होंने बृहस्पतिवार को वाशिंगटन में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘हमारा मानना है कि इन तीनों कानूनों में भारत में कृषि सुधारों को आगे बढ़ाये जाने का प्रतिनिधित्व करने की क्षमता है।’’

राइस ने कहा, ‘‘ये कानून किसानों को खरीदारों से प्रत्यक्ष संबंध बनाने का मौका देंगे। इससे बिचौलियों की भूमिका कम होगी, दक्षता बढ़ेगी, जो किसानों को अपनी उपजी की बेहतर कीमत हासिल करने में मदद करेगा और अंतत: ग्रामीण क्षेत्र की वृद्धि को बल देगा।’’

उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया में जिन लोगों की नौकरियां जायेंगी, उनके लिये कुछ ऐसी व्यवस्था की जानी चाहिये कि वे रोजगार बाजार में समायोजित हो सकें।’’

राइस ने कहा कि निश्चित रूप से, इन सुधारों के लाभ प्रभावशीलता और उनके कार्यान्वयन के समय पर निर्भर होंगे। इसलिये सुधार के साथ इन मुद्दों पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है।

उल्लेखनीय है कि हाल ही में पारित इन तीनों कानूनों के विरोध में हजारों किसान दिल्ली की सीमाओं पर पिछले कई सप्ताह से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। किसानों का आरोप है कि ये कानून न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की व्यवस्था समाप्त कर देंगे और किसानों को कॉरपोरेट खेती की ओर धकेल देंगे। हालांकि सरकार इन कानूनों को बड़े कृषि सुधारों के तौर पर पेश कर रही है।

पाकिस्तान के इशारों पर ब्रिटेन में उगला भारत के खिलाफ़ जहर: ब्रिटेन की संसद में कश्मीर पर चर्चा में ‘झूठे दावों’ की भारत ने की निंदा attacknews.in

लंदन, 14 जनवरी।।लंदन में संसद भवन परिसर में कश्मीर के मुद्दे पर चर्चा में कुछ सांसदों के भाग लेने पर निराशा प्रकट करते हुए भारत ने कहा कि यह चर्चा ‘एक तीसरे देश’ (पाकिस्तान) द्वारा किये गये झूठे दावों और अपुष्ट आरोपों पर आधारित थी।

हाउस ऑफ कॉमन्स के वेस्टमिंस्टर हॉल में बुधवार की शाम कुछ ब्रिटिश सांसदों द्वारा आयोजित चर्चा का शीर्षक ‘कश्मीर में राजनीतिक परिस्थिति’ था। लंदन में भारतीय उच्चायोग ने इस तरह के शब्दों के इस्तेमाल पर भी आपत्ति जताते हुए इन्हें अपने आप में समस्या वाला बताया।

उच्चायोग ने एक बयान में कहा, ‘‘शीर्षक में ‘कश्मीर’ शब्द के इस्तेमाल के संदर्भ में : केंद्रशासित प्रदेश जम्मू कश्मीर, जो भारत का अभिन्न अंग है और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (जब पूर्ववर्ती कश्मीर राज्य को कानूनी तरीके से अक्टूबर 1947 में भारत में शामिल किया गया था, तो इस हिस्से को पाकिस्तान ने जबरन और अवैध तरीके से कब्जा लिया था) के बीच अंतर समझने की जरूरत है।’’

उसने कहा, ‘‘इस बात पर भी संज्ञान लिया गया कि जमीनी रूप से दिखने वाले तथ्यों और अद्यतन जानकारी के आधार पर सार्वजनिक रूप से उपलब्ध पर्याप्त प्रामाणिक जानकारी होने के बावजूद, भारत के केंद्रशासित प्रदेश जम्मू कश्मीर के संदर्भ में, मौजूदा जमीनी हकीकत की अनदेखी की गयी और एक तीसरे देश द्वारा किये जाने वाले झूठे दावों को प्रदर्शित किया गया जिनमें ‘नरसंहार’ और ‘हिंसा’ तथा ‘प्रताड़ना’ जैसे अपुष्ट आरोप थे।’’

ब्रिटेन की सरकार की ओर से चर्चा का जवाब देते हुए विदेश, राष्ट्रमंडल और विकास कार्यालय (एफडीसीओ) के मंत्री निगेल एडम्स ने यह आधिकारिक रुख दोहराया था कि ब्रिटेन को भारत-पाकिस्तान के द्विपक्षीय मामले में कोई मध्यस्थ भूमिका नहीं निभानी। हालांकि उन्होंने कहा कि नियंत्रण रेखा (एलओसी) के दोनों ओर मानवाधिकार संबंधी चिंताएं हैं।

एशिया के लिए मंत्री की जिम्मेदारी होने के नाते से एडम्स ने कहा, ‘‘सरकार की (कश्मीर पर) नीति स्थिर है और इसमें कोई बदलाव नहीं है। हम लगातार यह मानते आये हैं कि हालात का दीर्घकालिक राजनीतिक समाधान भारत और पाकिस्तान को तलाशना है जिसमें कश्मीरी जनता की आकांक्षाओं का ध्यान रखा जाए, जैसा कि शिमला समझौते में उल्लेखित है।’’

लेबर पार्टी की सारा ओवेन द्वारा आयोजित चर्चा में ब्रिटेन के विभिन्न राजनीतिक दलों के सांसदों ने भाग लिया जिनमें से अधिकतर के निर्वाचन क्षेत्रों में कश्मीरी मूल के लोगों की अच्छी आबादी है।

उन्होंने कथित मानवाधिकार उल्लंघन पर चिंता जताई और ब्रिटेन की सरकार से क्षेत्र तक सुगम पहुंच के लिए अनुरोध किया ताकि भविष्य में जम्मू कश्मीर और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) से सीधी रिपोर्ट ब्रिटिश संसद में पेश की जा सके।

लंदन में भारतीय उच्चायोग ने इस बात को रेखांकित किया कि पिछले साल से एक स्मार्ट वाई-फाई परियोजना से क्षेत्र में हाईस्पीड इंटरनेट एक्सेस संभव हुआ है और आतंकी हमलों की धमकियों, चुनौतीपूर्ण मौसम संबंधी हालात और कोविड-19 महामारी के बावजूद यहां पिछले महीने डीडीसी के ऐतिहासिक चुनाव संपन्न हुए।

भारतीय उच्चायोग ने अपने बयान में कहा, ‘‘जम्मू कश्मीर, अगस्त 2019 में प्रशासनिक पुनर्गठन के बाद से, सुशासन और त्वरित विकास के पथ पर बढ़ रहा है। जम्मू कश्मीर में भारत सरकार द्वारा उठाये गये सभी प्रशासनिक कदम पूरी तरह से भारत का आंतरिक विषय हैं।’’

बयान में कहा गया कि किसी विदेशी संसद के अंदर हुई आंतरिक चर्चा में ‘अनावश्यक रुचि’ लेने की भारत की नीति नहीं है, लेकिन भारतीय उच्चायोग भारत के बारे में सभी को प्रामाणिक जानकारी उपलब्ध कराके और ‘गलत धारणाएं तथा गलत सूचनाएं’ दूर करके सभी संबंधित पक्षों के साथ संवाद रखता है जिनमें ब्रिटेन की सरकार और सांसद शामिल हैं।