डा मोहन यादव ने महाविद्यालयीन परीक्षा समय-सीमा में कराने के दिए निर्देश, विश्वविद्यालयों के कुलसचिवों से परीक्षाओं के संचालन, परीक्षा परिणाम, प्रायोगिक परीक्षाएं, नवीन पाठ्यक्रमों आदि बिन्दुओं पर विस्तार से चर्चा की attacknews.in

उज्जैन 12 अप्रैल। उच्च शिक्षा मंत्री डॉ.मोहन यादव ने वीसी के माध्यम से उज्जैन के बृहस्पति भवन में प्रदेश के विश्वविद्यालयों के रजिस्ट्रारों से विश्वविद्यालयीन परीक्षाओं के संचालन, परीक्षा परिणाम, प्रायोगिक परीक्षाएं, नवीन पाठ्यक्रमों आदि बिन्दुओं पर विस्तार से चर्चा की।

इस अवसर पर वीसी में भोपाल से उच्च शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव उपस्थित थे। वीसी में उच्च शिक्षा मंत्री डॉ.मोहन यादव ने निर्देश दिये हैं कि महाविद्यालयीन परीक्षाएं समय-सीमा में कराया जाना सुनिश्चित करें। इस दौरान कोरोना महामारी के चलते सरकार की गाईड लाइन का अनिवार्य रूप से पालन किया जाये।

उच्च शिक्षा मंत्री डॉ.मोहन यादव ने निर्देश दिये कि महाविद्यालयों में एलएलबी फायनल की परीक्षाएं हो गई हैं तो उनके परीक्षा परिणाम समय पर घोषित किये जायें, ताकि उन्हें किसी प्रकार की कठिनाई न हो। परीक्षाओं की कापी विद्यार्थी स्वयं अपने नजदीकी महाविद्यालयों में जमा करवा सकते हैं। विद्यार्थियों को कोविड महामारी में किसी प्रकार की तकलीफ न उठानी पड़े, यह सुनिश्चित किया जाये। परीक्षाओं में सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क, पहनना, सरकार की गाईड लाइन का विशेष रूप से ध्यान देकर पालन किया जाना सुनिश्चित करें। उन्होंने निर्देश दिये कि परीक्षा सेन्टरों की संख्या बढ़ायें। छात्रों का नामांकन एक ही बार हो, यह भी सुनिश्चित किया जाये। बार-बार नामांकन की प्रक्रिया न हो, इसका अवश्य ध्यान दिया जाये।

वीसी में सत्र 2020-21 की विश्वविद्यालयीन परीक्षाओं के संचालन, स्नातकोत्तर प्रथम एवं तृतीय सेमिस्टर के परीक्षा परिणाम, सत्र 2020-21 की प्रायोगिक परीक्षाओं, विश्वविद्यालय, महाविद्यालय में नवीन पाठ्यक्रमों के संचालन तथा नवीन प्रवेशित विद्यार्थियों के नामांकन/युनिक आईडी/पात्रता के सम्बन्ध में विस्तार से चर्चा की गई। इसी प्रकार विश्वविद्यालय, महाविद्यालयों में नवीन पाठ्यक्रम के संचालन जैसे कृषि, वेटनरी, हार्टिकल्चर, मेडिकल कॉलेज एवं टूरिज्म, नर्सिंग एवं पैरामेडिकल कोर्सों के बारे में भी विस्तार से चर्चा कर प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा ने सम्बन्धित रजिस्ट्रारों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिये।

विश्वविद्यालय में 7 करोड़ के घोटालों ,अनियमितताओं की जांच के लिए एसीबी और एसओजी जांच के लिए सरकार से अनुशंसा attacknews.in

 

उदयपुर 01 अप्रेल । राजस्थान में मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो अमेरिका सिंह ने कतिपय छात्र नेताओं की मांग पर सात करोड़ के घोटालों एवं अनियमितताओं की जांच के लिए एसीबी और एसओजी जांच के लिए सरकार से अनुशंसा की है।

प्रो सिंह ने बताया कि स्पोर्ट्स बोर्ड में विभिन्न लोगों की भर्ती प्रक्रिया और वहां की गई वित्तीय अनियमितताओं की भी पड़ताल की जाएगी।

परीक्षा विभाग में पूर्व कुलपति के कार्यकाल में हुई मार्कशीट घोटाले की एसीबी और एसओजी जांच की सिफारिश पहले ही की जा चुकी है।

इस मामले में अन्य कई तत्वों की लिप्तता भी सामने आई है, उनकी भी जांच की जाएगी।

कुलपति प्रो सिंह ने कहा कि जांच में किसी भी प्रकार से दोषी पाए जाने पर सम्बंधित व्यक्ति के खिलाफ विधि सम्मत कार्रवाई की जाएगी।

उल्लेखनीय है कि छात्र नेता नियमित तौर पर सात करोड़ के घोटालों के जांच की मांग कर रहे थे।

इसी पर संज्ञान लेते हुए प्रो सिंह ने उनके कार्यकाल से पूर्व की विभिन्न अनियमितताओं, गलत तरीके से हुई भर्तियों एवम नियम विरुद्ध प्रमोशन की जांच करवाई जाएगी।

इसके साथ ही पीएचडी में नियमों के खिलाफ हुए प्रवेश का मामला भी जांचा जाएगा।

विवाद तब गहराया था जब VC ने डीन की राज्यपाल-सीएम गहलोत से की थी शिकायत:

यह मामला 22 सितम्बर 2020 को गहराया था जब कुलपति अमेरिका सिंह ने आनंद पालीवाल पर विश्वविद्यालय को साढ़े सात करोड़ का नुकासन पहुंचाने का आरोप लगाते हुए उन्हे सुधरने की हिदायत दे डाली।

दरअसल, मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय के नव नियुक्त कुलपति प्रो अमेरिका सिंह ने लॉ कॉलेज के डीन और एबीवीपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के पास से दो महत्वपूर्ण दायित्व को ले लिया।कुपलति ने डीन पालीवाल को विश्वविद्यालय के लीगल एडवाइजर के साथ क्रीड़ा परिषद के अध्यक्ष पद से हटा दिया।जिसके विरोध में एबीवीपी के छात्रों ने वीसी निवास के बाहर प्रदर्शन किया।

इसके बाद कुलपति सिंह ने आनंद पालीवाल पर विश्वविद्यालय को साढ़े सात करोड़ का नुकासन पहुंचाने का आरोप लगाते हुए उन्हे सुधरने की हिदायत दे डाली।

यही नहीं, कुलपति सिंह ने छात्रा के सहयोग से उन पर दबाव बनाने का आरोप भी मढ़ दिया।साथ ही कुलपति ने डीन आनंद पालीवाल के खिलाफ राज्यपाल कलराज मिश्र और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को शिकायती पत्र भी लिखा।

वहीं, अपने उपर लगे गंभीर आरोपों के बाद लॉ कॉलेज के डीन डॉ आनंद पालीवाल खुलकर मीडिया के सामने आए।प्रो पालीवाल ने वीसी को मार्यादित शब्दों का इस्तेमाल करने की नसीहत दे डाली।उन्होने कहा कि अगर वीसी उन पर लगे आरोपों को साबित कर दें तो वे सहर्ष अपने पद से इस्तीफा दे देगें और अगर वे इसे साबित नहीं कर सके तो खुद पद छोड़ दें।

पालीवाल ने कहा था कि उनके उपर जो आरोप लगाए जा रहे हैं वे बेबुनियाद है और वे खुद किसी भी स्तर की जांच के लिए तैयार हैं. यही नहीं, उन्होने इस पूरे षड़यंत्र के पीछे कला महाविद्यालय के दो प्रोफेसर्स के शामिल होने की आशंका जाहिर की और इसके लिए वे जल्द ही शिकायत भी दर्ज करवाएंगे।

बता दें कि यह को पहला मौका नहीं है जब विश्वविद्यालय के अंदर का विवाद बाहर आया है।पूर्व में भी इस तरह के विवाद विश्वविद्यालय के गेट से बाहर आए हैं. जिससे उदयपुर संभाग के सबसे बड़े और ए ग्रेड प्राप्त कर चुके विश्वविद्यालय की साख पर कलंक लगा है. साथ ही विश्वविद्यालय की शैक्षणिक गतिविधियों को भी प्रभावित किया है. ऐसे में देखना होगा कि इस बार यह विवाद कहां तक पहुंचता है।

एमपीपीएससी की ‘राज्य सेवा प्रारंभिक परीक्षा-2020’ स्थगित,आगामी 20 जून 2021 की तिथि प्रस्तावित attacknews.in

 

इंदौर, 31 मार्च । मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग (एमपीपीएसी) द्वारा आगामी ग्यारह अप्रैल को आयोजित ‘राज्य सेवा प्रारम्भिक परीक्षा-2020’ को कोरोना महामारी के फैलते संक्रमण के मद्देनजर स्थगित कर दिया गया है।

आयोग की सचिव वंदना वैद्य ने आज बताया कि अभ्यर्थियों के स्वास्थ्य एवं सुरक्षा के लिए समग्र परिस्थितियों का मूल्यांकन करते हुए परीक्षा को स्थगित करने का निर्णय लिया गया है। उन्होंने बताया कि ‘राज्य सेवा प्रारम्भिक परीक्षा-2020’ के भविष्य में आयोजन के लिए आगामी 20 जून 2021 की तिथि भी प्रस्तावित की गयी है।

मध्यप्रदेश माध्यमिक शिक्षा मंडल की दसवीं की परीक्षा 30 अप्रैल और 12वीं की 01 मई से होगी शुरू,पहली बार सुबह 8 से 11 बजे होगी परीक्षाएं attacknews.in

भोपाल, 28 मार्च । मध्यप्रदेश में माध्यमिक शिक्षा मंडल ने दसवीं और बारहवीं बोर्ड परीक्षा का टाइम टेबल जारी कर दिया है। दसवीं की परीक्षा 30 अप्रैल से शुरू होगी 12वीं की 01 मई से प्रारंभ होगी।

आधिकारिक जानकारी के अनुसार पहली बार बोर्ड परीक्षा सुबह 8 बजे से 11 बजे तक ली जाएगी। गर्मी के कारण इस बार यह परीक्षा 1 घंटे पहले शुरू होगी। परीक्षाकाल में शासन द्वारा यदि कोई सार्वजनिक अथवा स्थानीय अवकाश घोषित किया जाता है, तो भी परीक्षाएं यथावत कार्यक्रमानुसार सम्पन्न होगीं। नियमित परीक्षार्थियों की प्रायोगिक परीक्षाएं उनके विद्यालय एवं स्वाध्यायी छात्रों की प्रायोगिक परीक्षायें उन्हें आवंटित परीक्षा केन्द्र पर संचालित की जाएगी। आवश्यकता पड़ने पर प्रायोगिक परीक्षायें अवकाश के दिनों में भी आयोजित की जा सकेंगी

मध्यप्रदेश में स्नातक अंतिम वर्ष एवं स्नातकोत्तर चतुर्थ सेमेस्टर की परीक्षाएं परीक्षा केंद्रों पर और बाकी परीक्षाएं ओपन बुक पद्धति से मई माह में आयोजित होंगी attacknews.in

भोपाल 27 मार्च ।उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में हुई बैठक में निर्णय लिया गया है कि अप्रैल माह में आयोजित होने वाली सभी प्रकार की परीक्षाएँ अब मई माह में प्रारंभ होंगी। स्नातक अंतिम वर्ष एवं स्नातकोत्तर चतुर्थ सेमेस्टर की परीक्षाएं नियमित एवं स्वास्थायी परीक्षार्थियों की भौतिक रूप से परीक्षा केन्द्रों में उपस्थिति के साथ मई 2021 में आयोजित होंगी। मंत्री डॉ. यादव ने जनसम्पर्क संचालनालय के सभागार में पत्रकारों से चर्चा के दौरान यह जानकारी दी।

उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. यादव ने कहा कि स्नातक प्रथम एवं द्वितीय वर्ष तथा स्नातकोत्तर द्वितीय सेमेस्टर की परीक्षाएँ ओपन बुक पद्धति से जून 2021 में आयोजित की जाएंगी। इन परीक्षाओं में नियमित एवं स्वाध्यायी परीक्षार्थी अपने निवास में ही रहकर परीक्षा देंगे तथा निकट के निर्धारित संग्रहण केन्द्र में उत्तर पुस्तिकाएं जमा करेंगे।

उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. यादव ने कहा कि कोरोना के इस कठिन काल में मध्यप्रदेश पहला राज्य होगी जिसने परीक्षाओं का यह कार्यक्रम घोषित किया है। उन्होंने कहा कि स्नातक एवं स्नातकोत्तर के लगभग 18 लाख विद्यार्थी इन परीक्षाओं में सम्मिलित होंगे। ऑफलाइन परीक्षाएं कोरोना की गाइडलाइन को ध्यान में रखते हुए सम्पन्न कराई जायेंगी।

स्नातक अंतिम वर्ष के 4.30 लाख एवं स्नातकोत्तर चतुर्थ सेमेस्टर के 1.72 लाख परीक्षार्थी प्रदेश के 8 विश्वविद्यालयों द्वारा आयोजित परीक्षाओं में शामिल होंगे। स्नातक प्रथम वर्ष में 5.33 लाख एवं स्नातक द्वितीय वर्ष में 5.25 लाख, स्नातकोत्तर द्वितीय सेमेस्टर के 1.35 लाख परीक्षार्थी प्रदेश के 8 विश्वविद्यालयों द्वारा आयोजित परीक्षाओं में शामिल होंगे। वर्तमान में 8 शासकीय विश्वविद्यालयों में 665 परीक्षा केन्द्र के साथ आवश्यकतानुसार अतिरिक्त सहपरीक्षा केन्द्र बनाए जाने के लिये विश्वविद्यालयों को निर्देशित किया गया है। परीक्षा केन्द्रों में विद्यार्थी 50 प्रतिशत क्षमता के साथ बैठेंगे। गृह विभाग स्वास्थ्य विभाग मध्यप्रदेश शासन द्वारा कोविड-19 के संबंध में जारी निर्देशों का पालन करते हुए समस्त विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों को निर्देश जारी किये गये हैं।

मध्यप्रदेश में कक्षा 9 से 12वीं का मूल्यांकन वार्षिक परीक्षाओं तथा कक्षा 1 से 8 के परीक्षार्थी विद्यार्थियों का मूल्यांकन विद्यालयों में प्रतिभापर्व और प्रोजेक्ट आधारित वर्कशीट के आधार पर होगा attacknews.in

भोपाल, 24 मार्च । मध्य प्रदेश के विद्यालयों में इस वर्ष कक्षा 9 से 12वीं की वार्षिक परीक्षाएँ तथा कक्षा 1 से 8 के विद्यालयों में प्रतिभापर्व तथा प्रोजेक्ट आधारित वर्कशीट के आधार पर मूल्यांकन किया जायेगा। स्कूल शिक्षा विभाग ने यह स्पष्ट किया है कि इस वर्ष किसी भी कक्षा में जनरल प्रमोशन देने संबंधी कोई निर्देश नहीं दिये हैं, न ही इस प्रकार का कोई प्रस्ताव विचाराधीन है।

कोविड महामारी की परिस्थितियों में बच्चों पर मूल्यांकन संबंधी तनाव को कम करने एवं सहज वातावरण देने की दृष्टि से कोविड 19 संक्रमण के परिप्रेक्ष्य में प्रशासकीय अनुमोदन के आधार पर सत्र 2020-21 के लिये अर्द्धवार्षिक मूल्यांकन (प्रतिभा पर्व) एवं वार्षिक मूल्यांकन वर्कशीट/प्रोजेक्ट आधारित (होम बेस्ड एसाइनमेंट के रूप में) 18-25 फरवरी तथा 8-20 मार्च 2021 के दौरान किया गया। बच्चों ने घर पर रहकर इन वर्कशीट्स व प्रोजेक्ट को पूर्ण कर निर्धारित अवधि में कक्षा शिक्षक के पास जमा करवाया।

राज्य शिक्षा केन्द्र द्वारा 30 दिसम्बर 2020 को जारी निर्देशानुसार वर्कशीट मूल्यांकन उपरांत बच्चों की रिजल्टशीट तैयार कर 31 मार्च 2021 तक परीक्षा परिणाम की घोषणा कर कक्षोन्नति दी जायेगी। कक्षा 8 सफलतापूर्वक पूर्ण करने वाले बच्चों को विगत सत्र अनुसार प्रारंभिक शिक्षा पूर्णता प्रमाण भी जारी किये जायेंगे।

प्रदेश में 18 दिसम्बर 2020 से कक्षा 9वीं से 12वीं की सभी शालाएँ पूर्णकालिक रूप से संचालित की जा रही है। वर्तमान में भोपाल, इन्दौर एवं जबलपुर शहर की शालाओं को छोड़कर अन्य स्थानों पर शालाऐं संचालित है। कक्षा 9वीं एवं 11वीं की वार्षिक परीक्षाएँ 12 अप्रैल 2021 से शुरू हो रही है। इस के लिये विभाग द्वारा टाइम-टेबल जारी कर दिया गया है। कक्षा 10वीं एवं 12वीं की बोर्ड परीक्षाएँ भी 30 अप्रैल से शुरू हो रही हैं, जिसका टाइम-टेबल माध्यमिक शिक्षा मंडल द्वारा जारी किया जा चुका है। परीक्षाओं की तैयारी के लिये शालाओं में विद्यार्थियों की काउंसलिंग की जा रही है तथा उनकी सुविधा के लिये प्रश्न बैंक भी विमर्श पोर्टल पर उपलब्ध कराए गए हैं। ये प्रश्न बैंक, निर्धारित ब्लू प्रिंट के आधार पर तैयार किए गए हैं, ताकि विद्यार्थी नियमित रूप से अभ्यास कर वार्षिक परीक्षाओं में बेहतर परिणाम अर्जित कर सकें।

अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (AICTE) ने स्पष्ट किया:”हमने ऐसा कभी नहीं कहा कि इंजीनियरिंग में दाखिले के लिये गणित, भौतिकी, रसायन नहीं चाहिए,यह जरूरी विषय हैं” attacknews.in

नयी दिल्ली, 21 मार्च । अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) के अध्यक्ष अनिल सहस्त्रबुद्धे ने स्पष्ट किया कि इंजीनियरिंग में दाखिले के लिये गणित, भौतिकी और रसायन शास्त्र महत्वपूर्ण बने रहेंगे । उन्होंने यह भी कहा कि कम्प्यूटर साइंस, सूचना प्रौद्योगिकी, जैव प्रौद्योगिकी जैसे सहयोगी विषय लेने वाले छात्रों को इंजीनियरिंग में नामांकन की अनुमति देने के मकसद से दिशानिर्देशों में विकल्प दिया गया है।

अनिल सहस्त्रबुद्धे ने बताया, ‘‘ हमने ऐसा कभी नहीं कहा कि इंजीनियरिंग में दाखिले के लिये गणित, भौतिकी, रसायन नहीं चाहिए । यह जरूरी विषय हैं । ’’

उन्होंने कहा कि भौतिकी, गणित के बिना कोई भी इंजीनियरिंग की शिक्षा पूरी कर ही नहीं सकता।

एआईसीटीई के अध्यक्ष ने कहा कि इंजीनियरिंग में दाखिले के लिये गणित, भौतिकी और रसायन शास्त्र महत्वपूर्ण बने रहेंगे ।

सहस्त्रबुद्धे ने कहा कि नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप, छात्रों में बहु-विषयक दृष्टिकोण को विकसित करने की जरूरत महसूस की गई जिसकी वजह से इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में प्रवेश से संबंधित विषयों के बारे में स्थिति स्पष्ट करना जरूरी था।

उन्होंने कहा कि विस्तृत विचार-विमर्श के बाद परिषद ने अनुमोदन प्रक्रिया में कुछ बदलाव किए जो वास्तव में इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी के पाठ्यक्रमों में प्रवेश के इच्छुक छात्रों को उनकी पसंद के अनुरूप विकल्प प्रदान करते हैं।

गौरतलब है कि हाल ही में एआईसीटीई ने स्नातक स्तर पर इंजीनियरिंग संकाय में दाखिले के लिये प्रवेश स्तर के दिशानिर्देशों में बदलाव करते हुए 11वीं एवं 12वीं कक्षा में गणित एवं भौतिकी नहीं पढ़ने वाले छात्रों को नामांकन के लिये पात्र बताया था ।

हालांकि, इससे पहले इंजीनियरिंग में दाखिले के लिये छात्रों को हाई स्कूल के स्तर पर भौतिकी, गणित की पढ़ाई करना जरूरी था ।

अनिल सहस्त्रबुद्धे ने कहा कि ये बदलाव किसी राज्य या इंजीनीयरिंग कालेजों के लिये अनिवार्य नहीं हैं और न ही जेईई या सीईटी जैसी परीक्षाओं के संदर्भ में कोई बाध्यता हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘ पहले की तरह ही गणित, भौतिकी, रयायन शास्त्र विषय में जेईई, सीईटी जैसी प्रवेश परीक्षा जारी रहेगी । ’’

एआईसीटीई के अध्यक्ष ने कहा ‘‘ बहरहाल, नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति के बाद जब 10+2 की प्रणाली खत्म्र होगी, 5+3+3+4 का प्रारूप होगा और कला, विज्ञान तथा कामर्स संकाय वर्तमान स्वरूप में नहीं रहेंगे, तब छात्रों के बीच बहु-विषयक दृष्टिकोण विकसित करने की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए एक व्यवस्था के संदर्भ में यह बात कही गई है । ’’

उन्होंने कहा कि कम्प्यूटर साइंस, सूचना प्रौद्योगिकी, जैव प्रौद्योगिकी जैसे सहयोगी विषय लेने वाले छात्रों को इंजीनियरिंग में नामांकन की अनुमति देने के मकसद से दिशानिर्देशों में विकल्प दिया गया है।

दिशानिर्देशों को लेकर भ्रम के बारे में पूछे जाने पर सहस्त्रबुद्धे ने कहा कि अगर किसी छात्र का स्कूल के स्तर पर कोई कोर्स छूट गया है तब इसे पूरा करने के लिये कालेज पूरक कोर्स या ब्रिज कोर्स पेश कर सकते हैं ।

शिक्षक को अपनी ही नाबालिग छात्रा से प्रेम होने के बाद शादी नहीं हुई तो दोनों पहुंच गए आत्महत्या करने और पहाड़ी की ऊंचाई देखकर बदल गया छात्रा का मन, फिर पुलिस ने धर दबोचा attacknews.in

अजमेर 21 मार्च । राजस्थान में अजमेर की गंज थाना पुलिस ने एक ट्यूशन टीचर द्वारा अपनी नाबालिग शिष्या का अपहरण एवं दोनों के आत्महत्या करने के प्रयास के मामले में आरोपी के खिलाफ न्यायालय में आरोप पत्र पेश कर दिया हैं।

गंज थाना प्रभारी धर्मवीर सिंह के अनुसार गत 15 मार्च को फाईसागर निवासी ने कक्षा नौ की अपनी पंद्रह वर्षीय नाबालिग बेटी के शाम तक घर नहीं लौटने पर मामला दर्ज कराया था। बाद में पता चला कि उसी दिन से उसका ट्यूशन टीचर राहुल (29) भी फरार है। कड़ी मशक्कत के बाद पुलिस ने दोनों को बोराज पहाड़ी पर से दबोचने में सफलता प्राप्त की और दोनों के पास से सुसाइड नोट भी मिला जिसमें उन दोनों से पहाड़ी से कूदकर आत्महत्या करने की ठान रखी थी लेकिन पहाड़ी की ऊंचाई देखकर नाबालिग छात्रा का मन बदल गया जिससे आत्महत्या के प्रयास विफल हो गए।

शिक्षक को हुआ नाबालिग छात्रा से प्रेम, शादी नहीं हुई तो दोनों पहुंच गए आत्महत्या करने:

अजमेर के इस शिक्षक को अपनी ही नाबालिग छात्रा से प्रेम हो गया। जब दोनों की शादी नहीं हुई तो वह छात्रा को अगवा कर फरार हो गया।

शादी न होने के कारण उन दोनों ने सामूहिक जान देने का प्रयास किया हलांकि उसमें दोनों सफल नहीं हो पाए । पुलिस ने उन दोनों को पकड़ लिया है। छात्रा अपने पिता के घर है। शिक्षक को पुलिस ने हिरासत में ले लिया है।

आपको बता दें इस मामले की चारों तरफ चर्चा हो रही है। गंज थाना अंतर्गत 15 मार्च को हुए अपहरण के मामले में पुलिस को अहम कामयाबी मिली है।

बताया जा रहा है कि ट्यूशन टीचर ने नाबालिग छात्रा का अपहरण कर लिया था। लेकिन वो जल्द ही पुलिस के हत्थे चढ़ गया। अजमेर पुलिस ने ट्यूशन टीचर बोराज की पहाड़ियों से ढूंढ़ निकाला। 15 मार्च को गंज थाना अंतर्गत ट्यूशन टीचर द्वारा नाबालिग छात्रा का अपहरण कर ले जाने के मामले में पुलिस ने मामला दर्ज किया था।

ऐसा बताया गया की स्पेशल टीम की मदद से दो दिनों के अथक प्रयास व तकनीकी सहायता के आधार पर ट्यूशन टीचर और नाबालिग छात्रा को बरामद करने में कामयाबी प्राप्त कर ली।

सीओ दरगाह रघुवीर प्रसाद शर्मा ने बताया कि प्रारंभिक पूछताछ में दोनों ने खुदकुशी करने का प्लान बनाया था, लेकिन नाबालिग द्वारा पीछे हटने से यह प्लान कामयाब नहीं हो सका। इस बीच, ठीक समय पर पहुंची पुलिस ने बोराज की पहाड़ियों से दोनों को ढूंढ निकाला।

सोनीपत की अशोका यूनिवर्सिटी से एक के बाद एक इस्तीफे का विवाद गहराया:अब वित्त मंत्रालय में पूर्व में मुख्य आर्थिक सलाहकार रहे,अर्थशास्त्र विभाग में प्रोफेसर अरविंद सुब्रमण्यम ने इस्तीफा दिया attacknews.in

नयी दिल्ली, 18 मार्च । जाने माने अर्थशास्त्री अरविंद सुब्रमण्यम ने सोनीपत (हरियाणा) में अशोका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर के पद से इस्तीफा दे दिया है। राजनीतिक टिप्पणीकार प्रताप भानु मेहता के इस संस्थान से निकलने के दो दिन बाद ही उन्होंने यह कदम उठाया है।

विश्वविद्यालय के शिक्षकों और विद्यार्थियों ने इस मुद्दे पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की और इस्तीफे का विरोध किया है।

यूनिवर्सिटी के एक वरिष्ठ प्राध्यापक ने कहा, ‘‘डा. सुब्रमण्यम ने इस्तीफा दे दिया है।’’

खबर लिखे जाने तक विश्वविद्यालय की ओर से इस बारे में कोई टिप्पणी नहीं आई।

कुलपति मलविका सरकार ने विद्यार्थियों और शिक्षकों के साथ ऑनलाइन हुई टाउन हॉल बैठक में बताया कि मेहता से अपने फैसले पर पुनर्विचार करने को कहा गया था लेकिन उन्होंने ‘‘अकेला छोड़ने का अनुरोध किया।’’

वित्त मंत्रालय में पूर्व में मुख्य आर्थिक सलाहकार रहे सुब्रमण्यम ने जुलाई 2020 में इस संस्थान में अर्थशास्त्र विभाग में प्रोफेसर के तौर पर काम शुरू किया था।

सुब्रमण्यम ने अपने इस्तीफे में लिखा, ‘‘ऐसी प्रतिष्ठा एवं विद्वता के व्यक्ति (मेहता) जिसने अशोका के विचार को मूर्त रूप दिया, का इस्तीफा देना परेशाना करने वाला है। अशोका निजी दर्जा एवं निजी पूंजी होने के बावजूद अब शैक्षणिक अभिव्यक्ति एवं आजादी नहीं दे पा रहा है जो चिंताजनक है। कुल मिलाकर अशोक की दृष्टि के लिए लड़ने की विश्वविद्यालय की प्रतिबद्धता पर अब सवाल खड़ा हो गया है और मेरे लिए अशोका के हिस्से के तौर पर जुड़े रहना मुश्किल हो गया है।’’

सुब्रमण्यम को वित्त मंत्रालय में 16 अक्टूबर 2014 को मुख्य आर्थिक सलाहकार नियुक्त किया गया था और 2017 में उन्हें कार्य विस्तार भी दिया गया था। उनका कार्यकाल मई 2019 तक के लिए बढ़ाया गया था लेकिन उन्होंने अपने अध्यापन कार्य से फिर जुड़ने के लिए आर्थिक सलाहकार का पद छोड़ दिया था।

वहीं, संकाय सदस्यों ने पत्र में लिखा है कि मेहता के इस्तीफा देने से ‘अन्य सदस्यों के त्यागपत्र देने का गलत चलन’ शुरू हो गया है और यह ‘गंभीर चिंता का विषय’ है।

बयान में कहा गया है, ‘विश्वविद्यालय के प्रोफेसर मेहता की विदाई की आधिकारिक घोषणा से पहले मीडिया में खबरें चली थीं, जिनसे ऐसा प्रतीत होता है कि उनका इस्तीफा एक जन बुद्धिजीवी और सरकार का आचोलक होने का परिणाम है। हमें इस घटनाक्रम को लेकर बहुत दुख हुआ है।’’

विश्वविद्यालय की पूर्व छात्र परिषद ने भी अलग से बयान जारी कर मेहता के प्रति एकजुटता प्रकट की है, जिन्होंने दो साल पहले कुलपति के पद से और इस सप्ताह की शुरुआत में प्रोफेसर के ओहदे से इस्तीफा दे दिया था।

अशोका विश्वविद्यालय के शिक्षकों, विद्यार्थियों एवं पूर्व छात्रों ने राजनीतिक टिप्पणीकार प्रताप भानु मेहता के विश्वविद्यालय के प्रोफेसर पद से इस्तीफे पर गुस्से का इजहार किया है। उनका कहना है कि मेहता का इस्तीफा बुद्धिजीवी के तौर पर भूमिका और सरकार की आलोचना की वजह से प्रतीत होता है।

नरेन्द्र मोदी ने बताया:भारत में ज्ञान और अनुसंधान के लिए अंतरिक्ष, परमाणु ऊर्जा व कृषि जैसे कई क्षेत्रों में प्रतिभावान युवाओं के लिये खुल रहे हैं दरवाजे attacknews.in

नयी दिल्ली, तीन मार्च । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को कहा कि अंतरिक्ष, परमाणु ऊर्जा और कृषि जैसे कई क्षेत्रों में प्रतिभाशाली युवाओं के लिये दरवाजे खुल रहे हैं।

उन्होंने कहा कि ज्ञान और अनुसंधान को सीमित करना देश की संभावनाओं के साथ बड़ा अन्याय है।

प्रधानमंत्री शिक्षा क्षेत्र के लिये बजट प्रस्तावों के क्रियान्वयन पर एक वेबिनार को संबोधित कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति ने स्थानीय भाषा के उपयोग को प्रोत्साहित किया है। अब यह सभी भाषाविदों और हर भाषा के विशेषज्ञों की जिम्मेदारी है कि वे भारतीय भाषाओं में देश व दुनिया की सर्वोत्तम सामग्रियां उपलब्ध करायें। उन्होंने जोर देकर कहा कि प्रौद्योगिकी के इस युग में, यह निश्चित रूप से संभव है।

मोदी ने कहा कि शिक्षा, कौशल, अनुसंधान और नवाचार पर बजट में स्वास्थ्य के बाद सबसे अधिक ध्यान दिया गया है। उन्होंने कहा, ‘‘केंद्रीय बजट ने शिक्षा को रोजगार और उद्यमशीलता की क्षमता से जोड़ने के हमारे प्रयासों को व्यापक बनाया है। इन प्रयासों के परिणामस्वरूप, भारत आज वैज्ञानिक प्रकाशनों के मामले में शीर्ष तीन देशों में शामिल है।’’

प्रधानमंत्री ने कहा कि ज्ञान और अनुसंधान को सीमित करना देश की क्षमता के साथ एक बड़ा अन्याय है। उन्होंने कहा, ‘‘इसी दृष्टिकोण के साथ, हमारे प्रतिभाशाली युवाओं के लिये अंतरिक्ष, परमाणु ऊर्जा, डीआरडीओ, कृषि जैसे कई क्षेत्रों के दरवाजे खोले जा रहे हैं।’’

मोदी ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत का निर्माण करने के लिये देश के युवाओं में आत्मविश्वास महत्वपूर्ण है। यह आत्मविश्वास तभी आयेगा, जब युवाओं को अपनी शिक्षा और ज्ञान पर पूरा विश्वास होगा।

प्रश्नपत्र लीक होने के बाद सेना ने राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित भर्ती परीक्षा रद्द की,पुणे में तीन गिरफ्तार attacknews.in

नयी दिल्ली, 28 फरवरी । सेना ने प्रश्नपत्र लीक होने की जानकारी मिलने के बाद जनरल ड्यूटी कर्मियों के लिए राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित भर्ती परीक्षा को रद्द कर दिया। अधिकारियों ने रविवार को यह जानकारी दी।

उन्होंने बताया कि इस मामले में अब तक पुणे में तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है।

एक अधिकारी ने कहा, ‘ उचित उम्मीदवार के चयन के लिए भर्ती प्रक्रिया में किसी भी तरह के भ्रष्ट आचरण को लेकर सेना जरा भी कमी बर्दाश्त नहीं करती।’

अधिकारी ने कहा कि पुणे की स्थानीय पुलिस के साथ चलाए गए संयुक्त अभियान के दौरान शनिवार रात को सैनिकों (जनरल ड्यूटी) की भर्ती के लिए आयोजित होने वाली सामान्य प्रवेश परीक्षा का प्रश्नपत्र लीक होने का मामला सामने आया।

उन्होंने कहा कि इस मामले में आगे की जांच जारी है और भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता बरकरार रखने के मद्देनजर परीक्षा रद्द करने का निर्णय लिया गया।

प्रो रामराजेश मिश्र ने कुलपति रहते हुए विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन का वह कलंक मिटाया था जब इसके विद्यार्थियों को नौकरियों के लिए आवेदन नहीं करने का विज्ञापनों में लिखा रहता था;साथ ही विक्रम को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलवाई attacknews.in

उज्जैन 27 फरवरी । विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन में ऐसा भी दौर आया था जब पूरे देशभर में सरकारी और निजी संस्थानों द्वारा नौकरी के लिए निकाली जानें वाली विज्ञापनों की विज्ञप्तियों में, ” विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन के विद्यार्थी आवेदन नहीं करें”,लिखा रहता था और वर्ष 2004 से 2008 तक का ऐसा भी दौर आया जब विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन का नाम पूरे देश में गौरव के साथ लिखा गया और इस विश्वविद्यालय को विश्व के प्रथम गुरूकुल का स्थान दिलवाया कि,यही भगवान श्री कृष्ण ने आचार्य संदीपनी से 64 कलाओं में शिक्षा प्राप्त की थी।और इस गौरव को स्थापित करने में विश्वविद्यालय के 2004 में नियुक्त किए गए कुलपति प्रोफेसर रामराजेश मिश्र का नाम विश्वविद्यालय के इतिहास में गौरवशाली युग की शुरुआत करने के रूप मे दर्ज हैं ।

 

विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन की स्थापना के समय इसका कार्यक्षेत्र सम्पूर्ण मध्यप्रदेश,उत्तरप्रदेश,राजस्थान और दिल्ली तक फैला हुआ था,इस विश्वविद्यालय में अध्यापन करने वाले छात्रों की अनगिनत संख्या दर्ज हैं किन्तु इसे उस बुरे दौर से गुजरना पड़ा जब इसे चक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन के नाम से उच्चारित किया जाने लगा साथ ही इसकी उपाधियों को भी योग्यता के बाहर मान लिया गया।इसके अलावा वह दुर्दिन भी रहे कि,सम्पूर्ण परिसर जीर्ण-शीर्ण हो चला था,रखरखाव की हालत दयनीय हो गई थी,सुरक्षा के लिहाज से स्थिति भी अच्छी नहीं थी और तो और अपनी सम्मानजनक पहचान के लिए विश्वविद्यालय के पास कोई आधार नहीं था।

इसी बीच जुलाई 2004 में महामहिम राज्यपाल डा बलराम जाखड़ ने स्वनिर्णय लेकर ऊर्जावान और युवा प्रोफेसर रामराजेश मिश्र को कुलपति का दायित्व सौंपकर यह वचन भी लिया कि,जिस गौरव के साथ इस विश्वविद्यालय की स्थापना हुई है उससे आगे अब तुम्हें ले जांना है”,अंततोगत्वा प्रोफेसर रामराजेश मिश्र ने बहुत ही कम समय में वह कर दिखाया जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती धी और विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन का नाम देश ही नहीं विदेशों में भी सम्मान के साथ लिया जाने लगा ।

इस अप्रतिम गौरव को दिलवाने में प्रोफेसर रामराजेश मिश्र की यही मंशा थी कि,”यह मेरी मातृसंस्था हैं और इसका कर्ज जीवन की अंतिम सांस तक रहेगा,जिसे चुकाने के लिए मेरी अंतिम सांस भी इसे समर्पित है ।”

“ज्यों-की-त्यों धर दीन्हि चदरिया” इसी उक्ति को प्रो रामराजेश मिश्र ( Professor Ramrajesh Mishra) ने इस विश्वविद्यालय के लिए सार्थक किया हैं ।

उज्जैन में सम्राट विक्रमादित्य, भगवान श्री कृष्ण और महर्षि संदीपनी के नाम को अक्षुण्ण बनाए रखने के लिए और उच्च शिक्षा के क्षेत्र में शोध और अनुसंधान का कार्य सतत् जारी रखने के लिए पूर्व कुलपति और कवि तथा लेखक प्रो. राम राजेश मिश्र ने अथक परिश्रम किए ।

प्रो रामराजेश मिश्र ने ही विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह के आयोजन की टूटी हुई परंपरा को वापस जीवित किया था ।

मध्यप्रदेश के उज्जैन स्थित विक्रम विश्वविद्यालय ( #Vikram #University #Ujjain)मध्य प्रदेश में प्रसिद्ध शिक्षण महाविद्यालयों में से एक है।

इसकी स्थापना 1 मार्च, 1957 को हुई जब इसने अपना कार्य करना प्रारंभ किया , इस विश्वविद्यालय में सामाजिक मानवशास्त्र का अध्ययन सर्वप्रथम प्रारम्भ हुआ था।

विश्वविद्यालय का पुस्तकालय ‘महाराजा जीवाजी राव पुस्तकालय’ के नाम से जाना जाता है।

उज्जैन के प्राचीन शहर में स्थित ‘विक्रम विश्वविद्यालय’, विपुल शासक विक्रमादितय के नाम पर है।

1957 में स्थापित यह विश्वविद्यालय मध्य प्रदेश के सबसे प्रसिद्ध विश्वविद्यालयों में से एक माना जाता है।

इस विश्वविद्यालय का एक और महत्वपूर्ण भाग था विश्वविद्यालय की प्रेस , जो 1961 में स्थापित की गई थी। इसका परिसर उपग्रह से जुड़ा हुआ था और 500 से अधिक ऑनलाइन शोध पत्रिकाओं तक इसकी पहुँच थी।

विश्वविद्यालय के अलमा मेटर के रूप में कई प्रख्यात हस्तियाँ हैं। यहाँ के मेधावी छात्रों की सूची में कई वैज्ञानिक, शिक्षाविद और भारत के एक पूर्व न्यायाधीश हैं।

यह जानना काफ़ी दिलचस्प और आवश्यक भी होगा कि उज्जैन में दीक्षांत समारोह का इतिहास क्या था और विक्रम विश्वविद्यालय के विकास कार्यों में डॉ. मिश्र का क्या योगदान रहा ?

संक्षेप में कहें, तो 1956 में विवि की स्थापना हुई, जिसके लिए 23 हस्तियों ने आंदोलन चलाया। पंचाट बैठी और पं. जवाहरलाल नेहरू ने फ़ैसला सुनाया कि उज्जैन सांस्कृतिक राजधानी है, इसलिए उसे शिक्षा स्थल बनाया जाना चाहिए।

ग्वालियर रियासत के तत्कालीन महाराजा जीवाजी राव सिंधिया ने इसके लिए 300 एकड़ ज़मीन दी और कहा कि वे विश्वविद्यालय के विक्रम नामकरण से भी सहमत हैं। कमल विला के दो कमरों में विश्वविद्यालय प्रारंभ हो गया और पहले प्रशासक बने भाषा, संस्कृति, शिक्षा और साहित्य के विद्वान डॉ. बूलचंद।

प्रो. राम राजेश मिश्र का कुलपति पद का कार्यकाल वर्ष 2004 से 2008 तक है, जिसमें वे दो बार कुलपति रहे। इस दौरान विक्रम विश्वविद्यालय का काफ़ी अच्छा विकास हुआ। उन्होंने अध्ययन, अध्यापन, शोध और विस्तार कार्य पर ज़ोर दिया।

एक ऐसा भी दौर आया था जब विक्रम में 1975 से दीक्षांत समारोह बंद कर दिया गया था, जिसे, डॉ. मिश्र ने 2007 में पुनः प्रारम्भ किया।इसकी विशेषता यह थी कि यह वैदिक परंपराओं के साथ शुरू हुआ था, जैसा कि हमारे तैत्रीय उपनिषद में निर्देश किया गया है,इस नई परंपरा की शुरुआत की स्क्रिप्ट डॉ. मिश्र ने स्वयं तैयार की, जिसका सरकार ने अध्यादेश जारी किया और आज प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों में उसी परंपरा के अनुसार दीक्षांत समारोह आयोजित होता है।

इस दीक्षांत समारोह में भारत की पाँच बड़ी हस्तियों को मानद उपाधि से अलंकृत किया गया, जो सभी विक्रम से पढ़े हैं, ये हैं—न्यायमूर्ति श्री जीके लाहोटी, स्वामी अवधेशानंद जी, स्वामी गोकुलोत्सव महाराज, श्री उदय शंकर अवस्थी और श्री आलोक मेहता।

उज्जैन शैव परंपरा का स्थान है, इसलिए अवधेशानंद जी का नाम तय किया गया।उज्जैन श्रीकृष्ण भगवान की शिक्षा स्थली है, अतः गोकुलोत्सव जी महाराज का नाम सामने आया। जस्टिस लाहोटी सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रह चुके हैं। श्री अवस्थी कांडला उर्वरक के प्रसार के अग्रदूत हैं और श्री मेहता पत्रकारिता, साहित्य और शिक्षा में अग्रणी हैं।

17 विभागों के विश्वविद्यालय को प्रो. मिश्र ने 27 तक पहुंचाया, जिसमें वैदिक विज्ञान, लोक प्रशासन, माइक्रो-बायोलॉजी, समाज सेवा आदि प्रमुख हैं। इसी प्रकार कॉलेजों की संख्या 70 से 150 तक पहुँचाई। एकाधिक शोध संस्थान एवं अध्ययनशालाएँ स्थापित कीं, जिनमें वैदिक, फ़ार्मेसी और बायोकैमिस्ट्री की अध्ययनशालाएँ प्रमुख हैं।आपके ही कार्यकाल में युवासमारोह में विक्रम भारत के पश्चिम क्षेत्र का सिरमौर बना।इसी प्रकार पूर्व में वेस्ट ज़ोन की यहाँ पर दो खेलों की स्पर्धाएँ होती थीं, जिनमें चार खेल और बढ़ा दिए और इस तरह छह खेलों की स्पर्धाएँ होने लगीं।

विक्रम को पाण्डुलिपि के संग्रह के लिए देश का पाँचवाँ बड़ा रिसोर्स सेंटर बनाया गया । विश्वविद्यालय के अकादमिक और प्रशासनिक द्वार बनाए गए। महाराज विक्रमादित्य की प्रतिमा स्थापित की गई।पाँच एकड़ क्षेत्र में विक्रम सरोवर का निर्माण किया गया, जिससे पानी की आपूर्ति हो रही है और सिंचाई भी की जा रही है।बड़े आँवले के 11,000 पेड़ लगाए गए, जिससे क्विंटलों में आँवले की पैदावार हो रही है। इतना ही नहीं पूरे विश्वविद्यालय के चारों तरफ़ दीवार खड़ी की और उस पर मालवा के तीन हज़ार माँडने सजाए गए।यह कार्य शीर्ष चित्रकार प्रो. रामचंद्र भावसार के मार्गदर्शन में संपन्न हुआ।

प्रो. राम राजेश मिश्रा के कार्यकाल पर विस्तार से लिखा जाये , तो शोधपरक कई पुस्तकें प्रकाशित हो जाएगी ।

डॉ. मिश्र को उनके इसी शैक्षणिक नवाचार तथा शिक्षा में गुणवत्ता लाने के लिए यूनेस्को अवार्ड और इंदिरा गांधी अवार्ड से सम्मानित किया गया है। ऐसे वे देश के पहले कुलपति हैं। उन्होंने कॉमनवेल्थ देशों के विश्वविद्यालय संघ के सम्मेलन और संयुक्त राष्ट्र के ऐसे ही एक अन्य सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व किया था। वास्तव में यह हमारे लिए अत्यंत गौरव की बात है।कवि, आलोचक, मप्र के पूर्व संस्कृति सचिव और हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा के पूर्व कुलपति अशोक वाजपेयी ने जब प्रो. राम राजेश द्वारा सँवारे-सजाए और नए सिरे से बनाए गए विक्रम विश्वविद्यालय को ध्यान से देखा, तो कहा—“ कुलपति हो तो ऐसा ! बूढ़े और थके-हारे के बजाय युवा और स्पष्ट एवं नई दृष्टि रखने वालों को ही कुलपति बनाया जाना चाहिए।”

#Dr. Sushil Sharma

मध्यप्रदेश में 98वीं समन्वय.समिति की बैठक में राज्यपाल ने समस्त कुलपतियों को नई नियुक्तियों की प्रक्रिया को पूर्ण पारदर्शिता के साथ साक्षात्कारों की रिकार्डिग कराये जाने और विद्यार्थियों को मार्कशीट और प्रमाण-पत्र ऑनलाइन उपलब्ध कराने के निर्देश दिये attacknews.in

भोपाल, 21 फरवरी । मध्यप्रदेश की राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने कहा है कि कार्यों में पारदर्शिता, नीति नियम का अक्षरश: पालन सुनिश्चित किया जाए।

श्रीमती पटेल आज राजभवन में 98वीं विश्वविद्यालय समन्वय समिति की बैठक को संबोधित कर रही थीं। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयीन परीक्षा प्रक्रिया पूर्ण होते ही विद्यार्थियों मार्कशीट और प्रमाण-पत्र ऑनलाइन उपलब्ध कराएं, जिससे विद्यार्थियों को उच्च अध्ययन अथवा रोजगार संबंधी आवेदनों में किसी प्रकार की असुविधा का सामना नहीं करना पड़े। इस अवसर पर उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव, प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा अनुपम राजन, राज्यपाल के प्रमुख सचिव डी.पी. आहूजा भी मौजूद थे।

श्रीमती पटेल ने कहा कि दीक्षांत समारोह गरिमामय और भव्यता के साथ होना चाहिए। समारोह की समस्त गतिविधियों के लिये निश्चित प्रक्रिया निर्धारित कर आयोजित करने के निर्देश दिये। निर्माण कार्यों को पूरा करने के साथ ही एजेन्डा अनुसार समय-सीमा में पालन प्रतिवेदन उपलब्ध कराने के भी निर्देश दिये।

उन्होंने विद्यार्थियों के हितों के अनुसार व्यवस्थाएँ सुनिश्चित करने पर बल देते हुए कहा कि ऐसी व्यवस्था की जाये कि किसी एक स्थान पर फीस जमा कर देना विद्यार्थी के पाठ्यक्रम और संस्थान के विकल्पों के चयन में बाधक नहीं हो। इसके लिए प्रवेश के समय शुल्क केन्द्रिकृत बैंक खाते में जमा कराने संबंधी व्यवस्था का परीक्षण किया जाये।

श्रीमती पटेल ने कहा कि विश्वविद्यालयों को नई शिक्षा नीति के अनुरुप आत्म-निर्भर बनाने की पहल की जाये। उन्होंने उत्तरप्रदेश के चिकित्सा और तकनीकी विश्वविद्यालय के द्वारा किए गए आपसी समझौते का उल्लेख करते हुए कहा कि दोनों विश्वविद्यालय अपने-अपने संसाधनों के आधार पर उपकरणों के निर्माण, मरम्मत और संसाधनों के उपयोग आदि के कार्य एक-दूसरे से करा रहे हैं।

उन्होंने प्रदेश के विश्वविद्यालयों को कृषि एवं इंजीनियरिंग कॉलेजों के साथ आपसी समझौते पर कार्य करने के लिए कहा।

उन्होंने विश्वविद्यालयों के कार्यक्रमों में छात्रों की सहभागिता पर विशेष बल दिया। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों का यह दायित्व है कि विद्यार्थी को जिम्मेदार नागरिक बनाये। परिसर और बाहर के आयोजनों में विद्यार्थियों की सहभागिता सुनिश्चित की जाये। ऐसी गतिविधियों को वार्षिक कैलेंडर में स्पष्ट रुप से उल्लेखित करें।

राज्यपाल ने कहा कि कुलपति टीम बनाकर कार्य करें। अनुभवी अधीनस्थ लोगों का सहयोग लें और उन्हें दायित्व सौंपे कि छात्र प्रतिनिधियों के साथ निरंतर संवाद के कार्यक्रम हों।

उन्होंने कहा कि स्ववित्त पोषण योजना में नये पाठ्यक्रम रोजगारोन्मुखी होने चाहिए। पाठ्यक्रमों की स्वीकृति, संचालन, संकाय की नियुक्ति और वेतन आदि व्यवस्थाओं में एकरूपता बनाई जायें। उन्होंने नई नियुक्तियों की प्रक्रिया को पूर्ण पारदर्शिता के साथ और सभी साक्षात्कारों की रिकार्डिग भी कराये जाने के निर्देश दिये। उन्होंने विश्वविद्यालयों में अच्छे नवाचारों को निरंतर किये जाने पर जोर दिया।

उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि विश्वविद्यालय नई शिक्षा नीति को प्रभावी तरीके से लागू करने के लिए तालमेल के साथ कार्य करें। उपलब्ध संसाधनों का अधिकतम उपयोग कर नवाचार के साथ प्रयास करें, तभी वर्तमान समय की चुनौतियों का बेहतर ढंग से सामना कर सकेंगे।

उन्होंने कहा कि जरूरत विश्वविद्यालयों के बीच पारस्परिक समन्वय और सामंजस्य बनाकर एक दूसरे की मदद करने की है। प्रदेश की सकल पंजीयन दर को और अधिक बेहतर बनाने के लिए नियोजित तरीके से प्रयास करने होंगे। दूरस्थ शिक्षा केन्द्रों की स्थापना प्रदेश के महाविद्यालयों में की गई है, ऐसे प्रयास विश्वविद्यालयों द्वारा भी किए जाना चाहिए।

डॉ यादव ने कहा कि विश्वविद्यालय कृषि शिक्षा को विस्तारित करने की दिशा में सकारात्मक कदम उठाएँ। उन्होंने विश्वविद्यालय के वित्तीय स्रोतों को बढ़ाने के लिए नई सोच के साथ पीपीपी मॉडल की दिशा में भी प्रयास किए जाने की बात कही।

उच्च शिक्षा मंत्री ने अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय द्वारा वित्तीय स्रोतों में वृद्धि के लिए किए गए प्रयासों का उल्लेख करते हुए, आय के स्रोतों को विस्तारित करने की जरूरत बताई। उन्होंने विश्वविद्यालय की परीक्षा, फीस और विभिन्न व्यवस्थाओं में एकरूपता के लिए समन्वय बनाकर कार्य करने पर बल दिया।

बैठक में प्रदेश के समस्त शासकीय एवं निजी विश्वविद्यालयों के कुलपति एवं उच्च शिक्षा विभाग के अधिकारी शामिल हुए।

कोरोना काल में बंद मध्यप्रदेश के 1195 सीनियर,152 महाविद्यालयीन और विशिष्ट संस्थानों द्वारा संचालित 126 जनजातीय छात्रावासों को खोलने के निर्देश attacknews.in

भोपाल 15, फरवरी।मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने जनजातीय छात्रावास शीघ्र प्रारंभ करने के निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि कक्षा 10वीं तथा 12वीं की बोर्ड तथा महाविद्यालयीन परीक्षाओं को ध्यान में रखते हुए जनजातीय वर्ग के विद्यार्थियों को आवासीय सुविधा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से छात्रावासों का संचालन आरंभ किया जा रहा है। छात्रावासों में कोविड-19 से बचाव के लिए आवश्यक सावधानियों का पालन अनिवार्य होगा।

42 हजार विद्यार्थी होंगे लाभान्वित

इस निर्णय से विद्यालय स्तर के सामान्य छात्रावास और आवासीय विद्यालयों के कक्षा 10वीं एवं 12वीं के लगभग 34 हजार तथा महाविद्यालयीन स्तर के 8 हजार विद्यार्थी लाभान्वित होंगे। प्रदेश में 1195 सीनियर छात्रावास, 152 महाविद्यालयीन छात्रावास, 126 विशिष्ट संस्थाएँ जैसे आवासीय विद्यालय, कन्या शिक्षा परिसर, एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय तथा गुरूकुलम विद्यालय जनजातीय कार्य विभाग द्वारा संचालित हैं।

अभिभावकों की सहमति आवश्यक

कोविड-19 को ध्यान में रखते हुए छात्रावासों में साफ-सफाई, स्वच्छता तथा सोशल डिस्टेंसिंग सुनिश्चित करने के उद्देश्य से छात्रावासों में कक्षा 10वीं एवं 12वीं के विद्यार्थियों को ही रहने की अनुमति दी जाएगी। यह सुविधा 9वीं तथा 11वीं के विद्यार्थियों के लिये नहीं होगी। आश्रम, जूनियर छात्रावासों को अभी नहीं खोला जाएगा। छात्रावासों में रहने के लिए अभिभाविकों की सहमति आवश्यक होगी।

विद्यार्थियों के नियमित स्वास्थ्य परीक्षण की होगी व्यवस्था

प्रत्येक छात्रावास में पृथक से एक कोरिन्टाइन रूम बनाया जाएगा। छात्रावासों में कोविड-19 से बचाव के लिए लागू गाईड लाइन का पालन सुनिश्चित कराने के लिए छात्रावास अधीक्षकों का स्वास्थ्य विभाग के सहयोग से प्रशिक्षण कराया जाएगा। प्रत्येक छात्रावास निकटतम शासकीय स्वास्थ्य केन्द्र के साथ संबद्ध किया जाएगा। स्वास्थ्य केन्द्र के चिकित्सक का मोबाइल नम्बर छात्रावास के सूचना पटल पर लिखा जाएगा। छात्रावासों में नियमित स्वास्थ्य परीक्षण की व्यवस्था होगी।

नियमित निरीक्षण की होगी व्यवस्था

सभी संभागीय, जिला तथा विकासखंड स्तर के अधिकारियों और प्राचार्यों को छात्रावासों का नियमित रूप से निरीक्षण करने के निर्देश भी दिए गए हैं।

मध्यप्रदेश की माध्यमिक शिक्षा मंडल परीक्षाओं के मूल्यांकन पद्धति में नही होगा कोई परिवर्तन,प्रश्न-पत्र मुद्रण, ब्लूप्रिंट पद्धति को भी यथावत रखा गया attacknews.in

भोपाल, 15 फरवरी । माध्यमिक शिक्षा मंडल परीक्षा वर्ष 2020-21 के लिये पूर्व वर्षों के अनुसार ही प्रश्न-पत्र मुद्रण, ब्लूप्रिंट एवं मूल्यांकन पद्धति को यथावत रखते हुए परीक्षाएँ आयोजित करेगा।

आधिकारिक जानकारी के अनुसार कोविड संक्रमण के कारण लॉकडाउन होने से इस सत्र में शैक्षणिक व्यवस्था विपरीत रूप से प्रभावित हुई है। नियमित कक्षाओं में पूर्ण उपस्थिति न होने के कारण सभी विद्यार्थियों के परीक्षा परिणामों पर विपरीत प्रभाव पड़ सकता है। इसे ध्यान में रखते हुए स्कूल शिक्षा विभाग ने माध्यमिक शिक्षा मंडल द्वारा वर्ष 2021 की परीक्षाओं के प्रश्न-पत्रों में ऑनलाइन/सॉफ्ट कॉपी में प्रेषण, ब्लू प्रिंट और मूल्यांकन पद्धति को पिछले वर्ष की भांति ही रखने का निर्णय लिया है।