विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के अध्यक्ष जगदीश कुमार ने बुधवार को कहा कि चार वर्षीय स्नातक डिग्री वाले छात्र अब सीधे पीएचडी कर सकेंगे.
यूजीसी अध्यक्ष ने कहा है कि तीन साल के ग्रेजुएशन कोर्स को ‘4-वर्षीय कार्यक्रम’ के पूरी तरह से लागू होने तक बंद नहीं किया जाएगा. यूजीसी काफी समय से अंडर ग्रेजुएट प्रोग्राम के लिए नया करिकुलम और क्रेडिट फ्रेमवर्क तैयार करने में लगा हुआ था.
यूजीसी की ओर से जारी किया गया नया करिकुलम एनईपी 2020 पर आधारित है. इसके तहत नियमों में लचीलापन आएगा और छात्रों को भी पहले के मुकाबले अधिक सुविधाएं मिल पाएंगी. जिसके तहत अब चार साल का अंडर ग्रेजुएट करने के बाद छात्र पीएचडी कर सकेंगे. उन्हें मास्टर डिग्री प्रोग्राम में एडमिशन लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी.
क्या है नया करिकुलम:
यूजीसी की ओर से जारी किए गए नए करिकुलम और क्रेडिट फ्रेमवर्क में च्वाइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम (CBCS) को बदल दिया गया है. एक वर्ष या फिर दो सेमेस्टर की पढ़ाई पूरा करने वाले छात्रों को चुने गए फील्ड में सर्टिफिकेट मिलेगा. जबकि दो वर्ष या चार सेमेस्टर करने पर छात्रों को डिप्लोमा मिलेगा. वहीं, तीन वर्ष या 6 सेमेस्टर के बाद बैचलर डिग्री दी जाएगी.
इसके अलावा चार वर्ष या आठ सेमेस्टर पूरा करने पर छात्र को ऑनर्स की डिग्री दी जाएगी. चौथे साल के बाद जिन छात्रों ने पहले 6 सेमेस्टर में 75 प्रतिशत या इससे अधिक अंक पाए हैं, वे रिसर्च स्ट्रीम का चुनाव कर सकते हैं. ये शोध मेजर डिसिप्लिन में किया जा सकेगा.
विक्रम विश्वविद्यालय में आयोजित हुआ अंतरराष्ट्रीय भारतीय भाषा उत्सव;15 से अधिक भाषा और बोलियों के प्रयोक्ताओं ने रचनाओं की प्रस्तुति से दिया अन्य भाषाओं को सीखने का संदेश attacknews.in
कार्यक्रम में पन्द्रह से अधिक भाषा और बोलियों के प्रयोक्ताओं ने अपनी बोलियों के माध्यम से गीत एवं रचना पाठ करते हुए देश की अन्य भाषाओं को सीखने का संदेश दिया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलपति प्रो अखिलेश कुमार पांडेय ने की। मुख्य अतिथि ऑस्लो, नॉर्वे के वरिष्ठ साहित्यकार श्री सुरेश चंद्र शुक्ल शरद आलोक, कला संकायाध्यक्ष प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा, मराठीभाषी लेखक श्री अभय मराठे, प्रो गीता नायक, डॉ जगदीश चंद्र शर्मा ने अपने विचार व्यक्त किए।
संबोधित करते हुए कुलपति प्रो अखिलेश कुमार पांडेय ने कहा कि सभी देशवासियों का दायित्व है कि वे अन्य भाषाओं के प्रति निष्ठा रखने के साथ अपनी अपनी मातृभाषा को संरक्षित करने की कोशिश करें। देश में कहीं भी जाएं वहां की भाषा और संस्कृति को जानने और उसके प्रति अपनत्व का भाव रखें। प्रत्येक परिवार में बच्चों को अपनी बोली में बात करना सिखाना चाहिए।
कुलानुशासक प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा ने कहा कि भारत की विभिन्न भाषाओं के बीच आदान-प्रदान और समन्वय का सिलसिला सदियों से चल रहा है। सदियों पहले परमार काल में रोड कवि द्वारा रचे गए काव्य राउलवेल में विभिन्न भाषाओं की छटा देखने को मिलती है। मालवा में बसे विभिन्न भाषा भाषियों ने सदियों से भाषाई एकता का संदेश दिया है। नई नई भाषाओं को सीखने से परस्पर सद्भाव, सांस्कृतिक चेतना और समावेशी चिंतन का विकास संभव है। नई प्रौद्योगिकी का प्रयोग करते हुए भारतीय भाषा और बोलियों में निहित ज्ञान और मूल्यों के प्रसार की आवश्यकता है।
श्री सुरेशचंद्र शुक्ल शरद आलोक, ओस्लो, नॉर्वे ने ऑनलाइन व्याख्यान में कहा कि युवा पीढ़ी को विभिन्न भाषाओं के महत्व को जानने के साथ उनका समन्वय करने की आवश्यकता है। भाषाओं के ज्ञान से हम व्यक्तिगत रूप से समृद्ध बनते हैं। प्रत्येक भारतवासी दक्षिण भारत एवं अन्य प्रांतों की भाषाओं को सीखे। नॉर्वे में वर्तमान में त्रिभाषा फार्मूला प्रचलित है। नॉर्वेजियन और अंग्रेजी भाषा के साथ मातृभाषा भी सिखाई जाती हैं। प्रो गीता नायक ने कहा कि अनेक सदियों से भारतीय भाषाओं में एकता के सूत्र मिलते हैं। किसी भी भाषा को जानने और सीखने के लिए उसमें प्रयुक्त सरल शब्द और वाक्यों का ज्ञान प्राप्त करना चाहिए। सभी भारतीय अपनी अपनी भाषा के साथ किसी ने किसी एक बोली या भाषा को अवश्य सीखें।
डॉ जगदीश चंद्र शर्मा ने कहा कि महान कवि, स्वतंत्रता सेनानी और समाज सुधारक चिन्नास्वामी सुब्रमण्यम भारती के जयंती के अवसर पर भारतीय भाषा उत्सव का आयोजन देश के विभिन्न क्षेत्रों और भाषाओं के मध्य सेतु स्थापित करने में सहायक सिद्ध होगा।
भारतीय भाषा दिवस के मौके पर हुए इस आयोजन में देश की पन्द्रह से अधिक भाषाओं और बोलियों के प्रयोक्ताओं ने बहुभाषायी अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी एवं काव्य पाठ में अपनी भाषा का परिचय देते हुए उसमें कविता, लोक गीत आदि की सरस प्रस्तुति की।
सर्वप्रथम संस्कृत में मंगलाचरण एवं उसकी विशेषताओं को ज्योति शर्मा ने उद्घाटित किया। मराठी का प्रतिनिधित्व क्रांतिकारियों के जीवनी लेखक श्री अभय मराठे ने करते हुए कहा कि पुरातन काल से भारत की विभिन्न भाषाएं आपस में एक दूसरे को जोड़ती रही हैं। स्वाधीनता आंदोलन में भारत की विभिन्न भाषाओं और उन में अभिव्यक्त काव्य का महत्वपूर्ण योगदान रहा है।
श्री मराठे ने श्री विनायक दामोदर सावरकर की मराठी भाषा में निबद्ध राष्ट्रप्रेम की कविता सुनाई। उर्दू की विशेषता बताते हुए श्री मोहन तोमर ने कृष्णबिहारी नूर की रचना प्रस्तुत की। भिलाली एवं भीली भाषा का परिचय देते हुए ज्योति सोलंकी ने एक लोकगीत प्रस्तुत किया। मालवी गीतों की प्रस्तुति श्यामलाल चौधरी, जावरा ने की। राजस्थान के जगदीश कुमार, बाड़मेर ने मारवाड़ी भाषा और संस्कृति का परिचय देते हुए मायड़ भाषा को बोलने की महिमा बताई। सरिता फुलफगर ने निमाड़ी गणगौर गीत प्रस्तुत कर निमाड़ की संस्कृति का परिचय दिया। बुंदेली और उसकी उपबोली लोधान्ती का परिचय रणधीर आठिया, सागर ने दिया और लोकगीत सुनाए।
हरियाणवी भाषा का परिचय शिक्षा देवी, नई दिल्ली ने दिया। अवधी भाषा की विशेषताएं संदीप पांडेय और मनीषा शुक्ला ने प्रस्तुत की। श्रीमती अनिता पंवार ने निमाड़ी में रचित श्रीमती हेमलता उपाध्याय का गीत सुनाया। बारेली भाषा में प्रचलित नशा मुक्ति गीत की प्रस्तुति अनूप जमरे ने की। युगेश द्विवेदी, रीवा ने बघेली बोली का परिचय देते हुए उसमें रची व्यंग्यात्मक कविता प्रस्तुत की। मीणी भाषा का प्रतिनिधित्व कविता सुलानिया, भीली का प्रतिनिधित्व डॉ दयाराम नगेश, पंजाबी का प्रतिनिधित्व सपना अरोरा और गुजराती का प्रतिनिधित्व श्रुति देशपांडे ने किया। कार्यक्रम में अनेक प्राध्यापकों, साहित्यकारों और शोधार्थियों ने अलग अलग भाषा और बोलियों का प्रतिनिधित्व करते हुए भाषाई सौहार्द का संकल्प लिया।
कुलपति प्रो अखिलेश कुमार पांडेय ने उपस्थित जनों को अपनी भाषा और बोली के प्रयोग के साथ अन्य भाषा और बोलियों को सीखने की शपथ दिलाई।
प्रारंभ में वाग्देवी के चित्र पर पुष्पांजलि अतिथियों ने अर्पित की। कार्यक्रम में डॉ प्रतिष्ठा शर्मा, डॉ सुशील शर्मा सहित अनेक शिक्षक एवं शोधार्थी उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन डॉ जगदीश चंद्र शर्मा ने किया। आभार प्रदर्शन श्रीमती हीना तिवारी ने किया।
JNU के कुलपति प्रो एम जगदीश कुमार बने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) के चेयरमैन: पढ़िये जीवन परिचय attacknews.in
शुक्रवार को केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के उच्छ शिक्षा विभाग द्वारा जारी नोटिफिकेशन में कहा गया, ‘केंद्र सरकार जेएनयू के कुलपति जगदीश कुमार को यूजीसी के चेयरमैन के पद पर नियुक्त करती है।
उन्हें पे मैट्रिक्स लेवल-17 के तहत पांच वर्ष की अवधि तक या उनके 65 वर्ष की आयु पूरी कर लेने तक, जो भी पहले हो, तक नियुक्त किया जाता है।’
जगदीश कुमार को जनवरी 2016 में जेएनयू के कुलपति पद पर नियुक्त किया गया था। जगदीश कुमार को ऐसे समय में यूजीसी अध्यक्ष बनाया गया है जब देश भर के उच्च शैक्षणिक संस्थानों में नई शिक्षा नीति को लागू किया जाना है। ऐसे में यह नियुक्ति बेहद अहम मानी जा रही है।
जीवन परिचय:
ममीडाला जगदीश कुमार एक शिक्षाविद, प्रशासक और लेखक हैं, जो जनवरी 2021 से जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) के कार्यवाहक कुलपति हैं । वे IIT दिल्ली में इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग में प्रोफेसर हैं ।
एम जगदीश कुमार ने जनवरी 2016 में सुधीर कुमार सोपोरी से जेएनयू के वीसी के रूप में पदभार संभाला । वे 4 फरवरी 2022 को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष बने।
कुमार का जन्म तेलंगाना के नलगोंडा जिले के ममीडाला में हुआ था । उन्होंने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मद्रास से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में परास्नातक और पीएचडी की। इसके बाद कनाडा के वाटरलू विश्वविद्यालय में डॉक्टरेट के बाद शोध किया ।
वह नैनोसाइंस और नैनोटेक्नोलॉजी (नैनो-इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस, नैनोस्केल डिवाइस, डिवाइस डिजाइन और पावर सेमीकंडक्टर डिवाइस) के क्षेत्र में काम करता है। वह वर्तमान में इंस्टीट्यूशन ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड टेलीकम्युनिकेशन इंजीनियर्स , नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज, भारत में फेलो हैं और इंडियन नेशनल एकेडमी ऑफ इंजीनियरिंग सहित अन्य।
वह राष्ट्रीय विज्ञान संग्रहालय परिषद के शासी निकाय के अध्यक्ष हैं । उन्हें “आईएसए-वीएसआई टेक्नोमेंटर अवार्ड” प्राप्त हुआ है, पुरस्कार डॉ आर चिदंबरम ( भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार ) द्वारा प्रस्तुत किया जा रहा है।
उन्हें रामेश्वर नाथ कौल बमेज़ई , वीरेंद्र सिंह चौहान और रामकृष्ण रामास्वामी सहित चार अन्य लोगों में से जेएनयू के वीसी के रूप में चुना गया था ।
वीसी के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान, वह अक्सर अपनी घड़ी पर हो रहे कई विवादों जैसे कि 2016 के जेएनयू देशद्रोह विवाद , एक छात्र नजीब अहमद के लापता होने और 2020 के जेएनयू हमलों के लिए चर्चा में रहे हैं ।
आलोचकों का कहना है कि वह ” आरएसएस के एजेंडे को लागू कर रहे हैं “, यही वजह है कि उन्हें पहले स्थान पर वीसी बनाया गया है। जेएनयू छात्र संघों ने जनवरी 2020 में जेएनयू पर हुए हमलों के बाद उनके इस्तीफे की मांग की थी ।
विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन ने 55 प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और असिस्टेंट प्रोफेसर के पदों को सीधी भर्ती से भरने के लिए विज्ञापन जारी किया attacknews.in
विभिन्न विषयों की 27 अध्ययवशालाओं और विभागों में रिक्त पदों पर आवेदन करने की अंतिम तारीख 22 सितम्बर
उज्जैन 26 अगस्त । विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन ने विभिन्न विषयों की 27 अध्ययवशालाओं और विभागों में रिक्त प्रोफेसर,एसोसिएट प्रोफेसर और असिस्टेंट प्रोफेसर के 55 पदों को सीधी भर्ती के माध्यम से भरने के लिए विज्ञापन जारी कर दिया हैं ।
विश्वविद्यालय प्रशासन ने आवेदन जमा करने की अंतिम तारीख 22 सितम्बर 2021 निर्धारित की हैं –
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जारी विज्ञापन
माध्यमिक शिक्षा मंडल द्वारा सत्र-2020-21 में 12वीं की परीक्षा का परिणाम कक्षा 10वीं के सर्वश्रेष्ठ 5 विषयों के विषयवार अंको के आधार पर तैयार किया जाएगा attacknews.in
भोपाल, 29 जून । माध्यमिक शिक्षा मंडल ने सत्र-2020-21 में 12वीं की परीक्षा का परिणाम तैयार करने की विस्तृत कार्य योजना नियत कर ली है।
आधिकारिक जानकारी के अनुसार 12वीं की परीक्षा का परिणाम कक्षा 10वीं के सर्वश्रेष्ठ 5 विषयों के विषयवार अंको के आधार पर तैयार किया जाएगा।
इसके लिए 10वीं के विषयों का 12वीं के संकायवार विषयों से मैपिंग की गई है। नियमित और स्वाध्याय परीक्षा के किसी भी छात्र को फेल नहीं किया जाएगा। अतिरिक्त विषय या अतिरिक्त संकाय के छात्रों को उस विषय में दसवीं के साथ मुख्य संकाय के अनुसार मैप किए गए विषय अनुसार अंक प्रदान किए जाएंगे। श्रेणी सुधार छात्रों के अंक हाईस्कूल से मैप किए गए समूह के अंक के अनुसार ही दिए जाएंगे।
माध्यमिक शिक्षा मंडल द्वारा जारी आदेश अनुसार बेस्ट ऑफ फाइव पद्धति में हाईस्कूल के सबसे अधिक अंकों वाले विषयों के अतिरिक्त छठवां विषय 12वीं कक्षा के जिस विषय से मैप किया जाएगा, उस विषय में हाईस्कूल के तृतीय भाषा विषय के अंक प्रदान किए जाएंगे। उदाहरण के लिए किसी छात्र को हाईस्कूल में सामाजिक विज्ञान विषय के अंक बेस्ट ऑफ फाइव पद्धति के अंतर्गत बाहर होने के कारण उसके परिणाम में नहीं जोड़े गए हैं, तो ऐसे छात्र को 12वीं के परीक्षा परिणाम में सामाजिक विज्ञान विषय के अंकों के स्थान पर 1०वीं की तृतीय भाषा के अंक प्रदान किए जाएंगे।
इसी तरह प्रायोगिक परीक्षा के लिए निर्धारित मापदंड अनुसार कुल 1०० अंकों में से गणना उपरांत 12वीं की परीक्षा के प्रायोगिक भाग वाले विषयों में प्रायोगिक भाग में अंक, छात्र द्वारा 1०० में से अर्जित प्राप्त अंको के प्रतिशत अधिभार के आधार पर प्रदान किए जायेगे। उदाहरण के लिए यदि किसी छात्र को 7० प्रतिशत अंक प्राप्त होते हैं तो भौतिक शास्त्र के प्रायोगिक भाग में 3० अंकों का 7० प्रतिशत अंक अथार्त 21 अंक प्रदान किए जाएंगे और शेष 49 अंक सैद्धांतिक भाग में प्रदर्शित किए जायेगे।
यदि कोई छात्र अपने प्राप्तांक से असंतुष्ट रहता है तो कोविड-19 संकटकाल की समाप्ति उपरांत राज्य शासन की अनुमति से आयोजित होने वाली परीक्षा में भाग ले सकेगा। ऐसे छात्रों को परीक्षा परिणाम घोषित होने के 7 दिन के अंदर परीक्षा में सम्मिलित होने के लिए ऑनलाइन पंजीयन करना अनिवार्य होगा। इस वर्ष 12वीं की परीक्षा में सम्मिलित होने वाले सभी छात्रों को पूर्व वर्ष अनुसार अंक सूचियों में केवल श्रेणी अंकित की जाएगी। इस वर्ष 12वीं परीक्षा परिणाम की मेरिट लिस्ट जारी नहीं की जाएगी।
अन्य राज्य और अन्य बोर्ड से 1०वीं की परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले प्रत्येक छात्र को संबंधित अग्रेशन संस्था के माध्यम से 5 जुलाई 2०21 तक 1०वीं की अंकसूची अनुसार अंक भरना और अंकसूची अपलोड करना अनिवार्य होगा। यह प्रक्रिया 29 जुलाई 21 से एमपी ऑनलाइन के माध्यम से की जायेगी।
शिक्षा मंत्री ने निजी शिक्षा संस्थानों/विद्यालयों को फीस का भुगतान न करने पर छात्रों की ऑनलाइन कक्षाएं रोकने के खिलाफ चेतावनी दी attacknews.in
बेंगलुरु, 12 जून । कर्नाटक के प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षा मंत्री एस. सुरेश कुमार ने शनिवार को राज्य भर के निजी संस्थानों को फीस का भुगतान न करने पर छात्रों की ऑनलाइन कक्षाएं रोकने के खिलाफ चेतावनी दी।
श्री कुमार ने यहां एक बयान में कहा कि इस संबंध में उच्चतम न्यायालय का आदेश बिल्कुल स्पष्ट है। अगर छात्रों की ऑनलाइन कक्षाएं रोकने की कोई शिकायत मिलती है तो सरकार कानूनी कार्रवाई करेगी।अभिभावक उनके पास या संबंधित बीईओ के समक्ष शिकायत दर्ज करा सकते हैं। ऑनलाइन कक्षा बंद करने वाले ऐसे संस्थानों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि प्री-यूनिवर्सिटी शिक्षा विभाग ने प्री-यूनिवर्सिटी के पहले वर्ष में सभी छात्रों को परीक्षा रद्द कर दी है और यह स्पष्ट कर दिया है कि आने वाले वर्षों में वह इसका आकलन करने के लिए औपचारिक प्रक्रिया की तलाश करेंगे कि छात्र निरंतर सीखने का प्रयास कर रहे हैं या नहीं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे विभिन्न विभागों से उपलब्ध छात्रवृत्ति और आगे की कक्षाओं में नामांकन सहित विभिन्न लाभों का लाभ उठाने के साथ ही पढ़ाई पर भी ध्यान केंद्रित करें।
उन्होंने कहा कि विभाग के परिपत्र के मुताबिक पीयू के प्रथम वर्ष के छात्रों को परीक्षा देने के लिए कॉलेज में शारीरिक रूप से उपस्थित होना आवश्यक नहीं है। छात्र को व्हाट्सऐप, ईमेल और मेल के जरिये असाइनमेंट दिया जा सकता है। नमूना प्रश्न पत्र विभाग की वेबसाइट पर भी उपलब्ध है। प्रश्न पत्र के लिंक विभाग के डेटाबेस में नामांकित छात्रों के मोबाइल नंबर पर भी भेजे गये हैं।
घर पर असाइनमेंट के उत्तर तैयार करने के बाद, छात्र डाक, व्हाट्सऐप, ईमेल आदि किसी भी तरीके से उसे भेज सकते हैं। व्याख्याताओं को न्यूनतम अंक देने और उत्तर पत्र जमा करने वाले छात्रों को उचित मूल्यांकन प्रदान करने का निर्देश दिया गया है, जो बच्चों के भविष्य के लिए आवश्यक है।
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने कोरोना महामारी की वजह से स्कूली व्यवस्था से बाहर हो गए बच्चों को वापस जोड़ने के लिए प्रबंध पोर्टल की शुरुआत की attacknews.in
नयी दिल्ली, 11 जून । केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय स्कूल एजुकेशन एवं लिटरेसी विभाग ने कोरोना महामारी की वजह से स्कूली व्यवस्था से बाहर हो गए बच्चों को वापस जोड़ने के लिए शुक्रवार को यहाँ पर प्रबंध पोर्टल की शुरुआत की है।
केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने इस अवसर पर कहा, “यह पहल भारत सरकार की समग्र शिक्षा नीति के तहत है। इसके अलावा राइट टू एजुकेशन एवं नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भी हमने इस बात पर जोर दिया है कि स्कूली व्यवस्था से बाहर हो गए बच्चों को मुख्यधारा स्कूलों से जोड़ा जाए। प्रबंध पोर्टल के द्वारा हम ऐसे बच्चों का डाटा बेहतर तरीके से इकठ्ठा कर पाएंगे और बच्चों को स्कूली शिक्षा से जोड़ने में सफल होंगे। इसके अलावा हमनें पहली बार 2021-22 से 16 से 18 वर्ष के आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के बच्चों के लिए वित्तीय सहायता का प्रावधान भी किया है ताकि जो बच्चे इस उम्र में शिक्षा व्यवस्था से बाहर हो गए हैं उन्हें भी ओपन लर्निंग या डिस्टेंस लर्निंग के द्वारा अपनी शिक्षा पूरी करने का मौका मिल सके। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हम नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के विज़न को पूरा करने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं और यह सुनिश्चित करने का पूरा प्रयास करेंगे कि देश का कोई भी बच्चा शिक्षा व्यवस्था से बाहर ना हो।”
शिक्षा विभाग ने इसके लिए राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों को ऐसे बच्चों का डाटा एकत्रित करने के निर्देश दिए हैं ताकि इसकी ठीक तरह निगरानी की जा सके। इसके अलावा विभाग ने ऐसे बच्चों की शिक्षा में आए अंतराल को कम करने के लिए विशेष प्रशिक्षण की व्यवस्था के लिए वित्तीय सहायता का प्रावधान भी किया है। अभी तक यह वित्तीय सहायता छह से 14 वर्ष के बच्चों के लिए उपलब्ध करवाई जाती थी लेकिन 2021-22 से यह सहायता 16-18 वर्ष के आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के बच्चों के लिए भी उपलब्ध करवाई जाएगी ताकि वो ओपन या डिस्टेंस लर्निंग के द्वारा अपनी शिक्षा जारी रख सकें।
ब्लॉक रिसोर्स सेंटर के ब्लॉक रिसोर्स समन्वयक द्वारा बच्चों के आंकड़े ब्लॉक लेवल पर अपलोड किया जाएगा और फिर उस आंकड़े को जिला मजिस्ट्रेट/जिला कलेक्टर या जिला मजिस्ट्रेट द्वारा चिह्नित अधिकारी द्वारा सत्यापित करवाने के बाद प्रबंध पोर्टल पर अपलोड किया जाएगा।
डा दशरथ सिंह के पास तीन विषयों में पीएचडी के साथ है 68 डिग्री एवं डिप्लोमा;अधिक डिग्रियां हासिल करने पर इंटरनेशनल बुक में भी नाम दर्ज attacknews.in
झुंझुनू,10 जून।राजस्थान में झुंझुनू जिले के खिरोड़ गांव के डॉ. दशरथ सिंह शेखावत ने विभिन्न विषयों में 68 डिग्री एवं डिप्लोमा प्राप्त कर यह साबित कर दिखाया है कि शिक्षा एवं ज्ञान हासिल करने की कोई उम्र नहीं होती है।
डा दशरथ सिंह ने देश सेवा करने के साथ-साथ पढ़ाई करते हुये अपने जीवन में इतनी डिग्रियां हासिल कर ली है कि वे हर किसी के लिए प्रेरणादायक है।
डा. दशरथ सिंह शेखावत ने बताया कि उनका इतनी डिग्रियां हासिल करने का मकसद अधिक से अधिक ज्ञान प्राप्त करना हैं।
शिक्षा के प्रति उनकी शुरू से ही ललक रही हैं।अब तक वे विभिन्न विषयों में कुल 68 डिग्री व डिप्लोमा प्राप्त कर चुके हैं।
उनका डिग्री प्राप्त करने का सिलसिला सेना से रिटायर होने के बाद भी जारी हैं।
वर्तमान में भी वे अपनी मेहनत व पढ़ाई के बलबूते पर डिग्री हासिल करने में जुटे हुए हैं।
डा. दशरथसिंह शेखावत ने तीन विषयों में पीएचडी, अर्थशास्त्र, समाजशास्त्र, राजनीति शास्त्र, शिक्षा शास्त्र, विधि शास्त्र, योग शास्त्र, अंग्रेजी साहित्य, हिन्दी साहित्य, राजस्थानी साहित्य , पत्रकारिता, पुस्तकालय विज्ञान, मनोविज्ञान, लोक प्रशासन आदि विषयों में एमए, बीए, बीकाम, बीएजी, बीएड, एलएलबी, ऑल इंडिया बार ए गजाम, आर्मी कैडेट कॉलेज एगजाम, आर्म्डफोर्स मेडिकल कोर्स, आर्मी मैप रीडिंग, बेसिक फाउण्डेशन कोर्स, कौशल विकास, डिप्लोमा इन योगा, प्रमोशन फाउण्डेशन कोर्स, मैनेजमेंट एप्टीटयूट टेस्ट, डिप्लोमा इन नेचुरोपैथी, डिप्लोमा इन मेडिटेशन, डिप्लोमा इन टूरिजम, डिप्लोमा इन प्री टीचर एजुकेशन, पीजी इन साईबर क्राईम कानून, आईपीआर कानून, उपभोक्ता कानून, क्रिमिनल लॉ, पीजी इन तकनीकि सुरक्षा आदि में डिग्री, डिप्लोमा हासिल की है।
डिग्री-डिप्लोमा हासिल करने पर मोस्ट क्वालिफाइड सोल्जर ऑफ इंडिया, यूनिवर्सिटी डिग्री ऑफ दी वर्ल्ड, मोस्ट एजुकेशनली क्वालिफाइड पर्सन का रिकॉर्ड भी डा. दशरथ सिंह शेखावत के नाम है।
अधिक डिग्रियां हासिल करने पर इंटरनेशनल बुक में भी उनका नाम दर्ज है।
डॉ. दशरथ सिंह 1988 में ग्रेजुएशन करने के बाद सेना में सिपाही के पद पर भर्ती हुए।
16 वर्ष तक देश की सेवा करने के साथ साथ उन्होंने अपनी पढ़ाई भी जारी रखी।
उनके पिता पिता रघुवीर सिंह शेखावत ने भी इंडियन आर्मी में अपने देश के लिए 1965 एवं 1971 की लड़ाई लड़ी थी।
वर्तमान में डा. दशरथ सिंह शेखावत भारतीय सेना के लीगल एडवाइजर के पद पर कार्यरत है।
आईटीआई के सभी तथा नर्सिंग में अंतिम वर्ष छोड़ अन्य कक्षाओं के छात्रों को जनरल प्रमोशन देने का निर्णय attacknews.in
गांधीनगर, 08 जून । गुजरात सरकार ने आईटीआई के सभी तथा नर्सिंग के अंतिम वर्ष को छोड़ अन्य कक्षाओं के छात्रों को मास प्रमोशन देने का आज फ़ैसला किया है।
मुख्यमंत्री विजय रूपाणी की अध्यक्षता में आज हुई कोर कमेटी की बैठक में निर्णय किया गया कि राज्य के औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (आईटीआई) के विद्यार्थियों को इस वर्ष के लिए मास प्रमोशन दिया जाएगा।
यह भी निर्णय किया गया कि नर्सिंग के पाठ्यक्रम में अंतिम वर्ष (फाइनल) की परीक्षा ली जाएगी।
उसके सिवाय अन्य कक्षाओं के नर्सिंग के विद्यार्थियों को इस वर्ष के लिए मास प्रमोशन दिया जाएगा।
यह फ़ैसला कोरोना के वर्तमान हालात के मद्देनज़र लिया गया है।
बैठक में उप मुख्यमंत्री नितिन पटेल, शिक्षा मंत्री भूपेन्द्रसिंह चूड़ास्मा, ऊर्जा मंत्री सौरभ पटेल, मुख्य सचिव अनिल मुकीम और कई वरिष्ठ सचिव उपस्थित थे।
मध्यप्रदेश के निजी स्कूलों में निःशुल्क प्रवेश के लिये आवेदन 10 जून से प्रारंभ,अंतिम तिथि 30 जून तक, ऑनलाइन प्रवेश के लिये लाटरी 6 जुलाई को, विगत सत्र में पात्र रहे बच्चों को भी मिलेगा निःशुल्क प्रवेश का अवसर attacknews.in
कोरोना काल में अनाथ हुए बच्चों को ऑनलाइन लॉटरी में प्राथमिकता
भोपाल 8 जून ।शिक्षा का अधिकार कानून के तहत, सत्र 2021-22 में प्रायवेट स्कूलों की प्रथम कक्षा में निःशुल्क प्रवेश के लिये ऑनलाइन आवेदन 10 जून 2021 से किए जा सकेंगे। ऑनलाइन आवेदन की अंतिम तिथि 30 जून 2021 निर्धारित की गई है। इस संबंध में आर.टी.ई पोर्टल www.educationportal.mp.gov.in/Rte Portal पर ऑनलाइन आवेदन-पत्र का प्रारूप उपलब्ध कराया गया है।
पात्रतानुसार निजी विद्यालय में निःशुल्क प्रवेश के लिए आवेदकों का चयन, ऑनलाइन लॉटरी के माध्यम से 6 जुलाई 2021 को किया जायेगा। इस वर्ष की निःशुल्क प्रवेश प्रक्रिया में कोविड-19 से माता-पिता या अभिभावक की मृत्यु के कारण अनाथ हुए बच्चों को ऑनलाइन लॉटरी में प्राथमिकता दी जायेगी। संचालक, राज्य शिक्षा केन्द्र श्री धनराजू एस ने इस संबंध में समय-सारणी जारी करते हुए सभी ज़िला कलेक्टर्स एवं अन्य अधिकारियों को विस्तृत निर्देश दिये हैं। निर्देश और समय-सारणी आर.टी.ई पोर्टल पर भी उपलब्ध हैं।
समय-सारणी के अनुसार, वंचित समूह एवं कमजोर वर्ग के आवेदक अपना आवेदन ऑनलाइन प्रक्रिया के माध्यम से 10 से 30 जून 2021 तक जमा कर पंजीयन कर सकते हैं। फार्म के साथ पात्रता संबंधित कोई भी एक दस्तावेज अपलोड किया जाना होगा। ऑनलाइन आवेदन के बाद आवेदकों को इसी अवधि में दस्तावेजों का सत्यापन संबंधित संकुल केन्द्र वाले स्कूल में अधिकृत सत्यापनकर्ता अधिकारी से करवाना होगा। आवेदक ने आर.टी.ई. में निःशुल्क प्रवेश के लिये जिस केटेगरी या निवास क्षेत्र के माध्यम से प्रवेश चाहा है, उस केटेगरी और निवास प्रमाण का सत्यापन, संबंधित मूल प्रमाण-पत्र से किया जायेगा। लाटरी के पूर्व ही दस्तावेज सत्यापन हो जाने से आवेदकों को स्कूल आवंटित होने के बाद दस्तावेजों की त्रुटि या अभाव में, एडमिशन निरस्त होने की समस्या उत्पन्न नहीं होगी।
ऑनलाइन आवेदन करने में कोई समस्या या कठिनाई होने की स्थिति में संबधित विकासखंड के बीआरसी कार्यालय में संपर्क किया जा सकता है। एन.आई.सी. द्वारा 6 जुलाई 2021 को पारदर्शी तरीके से ऑनलाइन लॉटरी के माध्यम से छात्रों को निजी स्कूलों में सीट का आवंटन किया जायेगा। लॉटरी प्रक्रिया के बाद आवंटित सीट की जानकारी आवेदक को उसके पंजीकृत मोबाइल नंबर पर एसएमएस के माध्यम से दी जायेगी। ऑनलाइन लॉटरी की सूची आर.टी.ई. पोर्टल पर भी उपलब्ध रहेगी। साथ ही स्कूल आवंटन की जानकारी बीआरसीसी कार्यालय के सूचना पटल पर भी दर्शित की जायेगी।
किसी आवेदक को आवेदन प्रारुप प्राप्त करने अथवा जमा करने में कोई दिक्कत हो या उन स्कूलों की जानकारी चाहिए हों, जहाँ सीटें खाली हैं, तो आर.टी.ई. पोर्टल, जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय, सर्व शिक्षा अभियान के ज़िला परियोजना कार्यालय अथवा विकासखण्ड स्रोत केन्द्र कार्यालय में संपर्क किया जा सकता है।
नर्सरी, के.जी.-1 और के.जी-2 कक्षाओं में प्रवेश के लिये न्यूनतम आयु 3 से 5 वर्ष और कक्षा-1 मे प्रवेश के लिये न्यूनतम आयु 5 वर्ष से अधिकतम 7 वर्ष तक निर्धारित की गयी है। आयु के संबंध में मूल प्रति से मिलान न करने की स्थिति में अथवा मूल प्रति प्रस्तुत न करने की स्थिति में आवेदक को अपात्र माना जायेगा।
सत्र 2021-22 में प्रवेश के लिये आवेदक की आयु की गणना 16 जून 2021 की स्थिति में की जायेगी। आवेदक द्वारा जन्म प्रमाण-पत्र में अंकित तिथि ही ऑनलाइन आवेदन में दर्ज की जाये।
सत्र 2021-22 में नि:शुल्क प्रवेश के लिये समय-सारणी
क्र. गतिविधियाँ समय-सीमा
1.पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन एवं त्रुटि सुधार के लिये विकल्प
10 से 30 जून तक
2.ऑनलाइन आवेदन के बाद पोर्टल से पावती 2 प्रति में डाउनलोड कर मूल दस्तावेजों से निकट के सत्यापन केन्द्र (शासकीय जनशिक्षा केन्द्र) में सत्यापनकर्ता अधिकारियों से सत्यापन कराना।
सत्यापन अधिकारी द्वारा मूल दस्तावेजों से सत्यापन किया जायेगा एवं सत्यापन अधिकारी द्वारा मोबाइल एप के माध्यम से सत्यापन किया जायेगा। आवेदक का सत्यापन केन्द्र पर ही सत्यापन एप पर दर्ज किया जायेगा।
सत्यापन पंजीयन के बाद आवेदक के पंजीकृत मोबाइल नम्बर पर पात्र या अपात्र होने संबंधी एसएमएस भेजा जायेगा। सत्यापन के बाद यदि आवेदक को अपात्र किया गया है, तो एसएमएस में अपात्र किये जाने का कारण भी प्रदर्शित होगा।
14 जून से 1 जुलाई, 2021 तक
3.रेण्डम पद्धति से ऑनलाइन लॉटरी द्वारा स्कूल का आवंटन एवं चयनित आवेदकों को एसएमएस द्वारा सूचना
6 जुलाई, 2021
4.जिस बच्चे को ऑनलाइन लॉटरी के माध्यम से स्कूल आवंटन हुआ है, उसके द्वारा पोर्टल से आवंटन-पत्र डाउनलोड कर आवंटित स्कूल में प्रवेश के लिये उपस्थित होकर प्रवेश प्राप्त करना। प्रवेश लेते समय ही संबंधित अशासकीय स्कूल द्वारा मोबाइल एप के माध्यम से एडमिशन रिपोर्टिंग करने पर पोर्टल द्वारा आवेदक के पंजीकृत मोबाइल पर एसएमएस प्राप्त होना। एडमिशन लेने के 15 दिवस में बच्चे का आधार सत्यापन करना अनिवार्य है।
6 जुलाई से 16 जुलाई, 2021 तक
- द्वितीय चरण लॉटरी के लिये रिक्त सीटों को पोर्टल पर प्रदर्शित किया जाना।
19 जुलाई, 2021
6.द्वितीय चरण के लिये स्कूलों की च्वाइस को अपडेट किया जाना
19 जुलाई से 25 जुलाई, 2021
7.द्वितीय चरण से ऑनलाइन लॉटरी द्वारा स्कूल का आवंटन
28 जुलाई, 2021
8.जिस बच्चे को ऑनलाइन लॉटरी के माध्यम से स्कूल आवंटन हुआ है, उसके द्वारा पोर्टल से आवंटन-पत्र डाउनलोड कर आवंटित स्कूल में प्रवेश के लिये उपस्थित होकर प्रवेश प्राप्त करना। प्रवेश लेते समय ही संबंधित अशासकीय स्कूल द्वारा मोबाइल एप के माध्यम से एडमिशन रिपोर्टिंग दर्ज करना अनिवार्य है। संबंधित अशासकीय स्कूल द्वारा एडमिशन रिपोर्टिंग करने पर पोर्टल द्वारा आवेदक के पंजीकृत मोबाइल पर एसएमएस प्राप्त होना। एडमिशन लेने के 15 दिवस में बच्चे का आधार सत्यापन करना अनिवार्य है।
28 जुलाई से 7 अगस्त, 2021 तक
सत्र 2020-21 की रिक्त सीटों पर निःशुल्क प्रवेश के लिये जानकारी
कोविड-19 के कारण शिक्षा का अधिकार अधिनियम के प्रावधान के तहत सत्र 2020-21 के प्रवेश नही हो पाये थे, परन्तु आरटीई प्रावधान के तहत जो बच्चे आयु अनुरूप सत्र 2020-21 के लिये पात्र थे, उन पात्र बच्चों को इस योजना का लाभ हो सके, इसे ध्यान में रखते हुए जिन आवेदकों द्वारा सत्र 2020-21 के लिये आवेदन किये जायेंगे, उनकी आयु की गणना 16 जून 2020 की स्थिति से की जायेगी।
सत्र 2020-21 के लिए आवेदन करने की स्थिति में आवेदक/अभिभावक के लिये यह स्पष्ट किया गया है कि उक्त सत्र में बच्चे को आवटित कक्षा नोशनल (Notional) होगी। यानी प्रवेशित बच्चा, वास्तविक रूप से प्रवेश की अगली कक्षा में पढ़ेगा।
सत्र 2020-21 की कक्षाओं में प्रवेश हेतु समय सारणी
क्र. गतिविधियाँ समय-सीमा
1.पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन एवं त्रुटि सुधार के लिये विकल्प
7 से 20 जुलाई, 2021 तक
2.ऑनलाइन आवेदन के बाद पोर्टल से पावती 2 प्रति में डाउनलोड कर मूल दस्तावेजों से सत्यापन केन्द्रों में सत्यापनकर्ता अधिकारियों से सत्यापना करना।
सत्यापन अधिकारी द्वारा मूल दस्तावेजों से सत्यापन किया जायेगा और सत्यापन अधिकारी द्वारा मोबाइल एप के माध्यम से सत्यापन किया जायेगा। आवेदक का सत्यापन केन्द्र पर ही सत्यापन एप पर दर्ज किया जायेगा।
सत्यापन पंजीयन के बाद आवेदक के पंजीकृत मोबाइल नम्बर पर पात्र/अपात्र होने संबंधी एसएमएस भेजा जायेगा। सत्यापन के बाद यदि आवेदक को अपात्र किया गया है, तो एसएमएस में अपात्र किये जाने का कारण भी प्रदर्शित होगा।
8 से 21 जुलाई, 2021 तक
3.रेण्डम पद्धति से ऑनलाइन लॉटरी द्वारा स्कूल का आवंटन एवं चयनित आवेदकों को एसएमएस द्वारा सूचना
26 जुलाई, 2021
4.जिस बच्चे को ऑनलाइन लॉटरी के माध्यम से स्कूल आवंटन हुआ है, उसके द्वारा पोर्टल से आवंटन-पत्र डाउनलोड कर आवंटित स्कूल में प्रवेश के लिये उपस्थित होकर प्रवेश प्राप्त करना। प्रवेश लेते समय ही संबंधित अशासकीय स्कूल द्वारा मोबाइल एप के माध्यम से एडमिशन रिपोर्टिंग दर्ज करना अनिवार्य है। संबंधित अशासकीय स्कूल द्वारा एडमिशन रिपोर्टिंग करने पर पोर्टल द्वारा आवेदक के पंजीकृत मोबाइल पर एसएमएस प्राप्त होना। एडमिशन लेने के 15 दिवस में बच्चे का आधार सत्यापन करना अनिवार्य है।
26 जुलाई से 7 अगस्त, 2021 तक
माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप 7 नये पाठ्यक्रमों को शुरू किया attacknews.in
भोपाल, 07 जून । मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल स्थित माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय आगामी नए शैक्षणिक सत्र 2021-22 से नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने की पहल कर रहा है।
आज विश्वविद्यालय द्वारा अपने विभिन्न परिसरों के 29 पाठ्यक्रमों में प्रवेश की अधिसूचना जारी कर दी गई है, जिसके अनुसार 31 जुलाई तक ऑनलाइन आवेदन किए जा सकते हैं।
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. के.जी. सुरेश ने कहा है कि विश्वविद्यालय के नए सत्र 2021-22 में सात पाठ्यक्रमों को नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुसार तैयार किया गया है।
उन्होंने बताया कि आगामी शिक्षा सत्र से 3/4 वर्षीय सात ग्रेजुएट ऑनर्स पाठ्यक्रम नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप होंगे, जबकि फिल्म और ग्रामीण पत्रकारिता में दो नए पी.जी. डिप्लोमा भी शुरू किए गए हैं।
उन्होंने बताया कि इन पाठ्यक्रमों में विद्यार्थियों को मल्टीपल एग्जिट-एंट्री सिस्टम सहित अन्य प्रावधानों की सुविधा मिलेगी।
आगे हम नई शिक्षा नीति को पूर्ण रूप से लागू करेंगे।
विश्वविद्यालय द्वारा पत्रकारिता, जनसंचार, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, न्यू मीडिया, फिल्म प्रोडक्शन, विज्ञापन एवं जनसंपर्क, मीडिया मैनेजमेंट, कंप्यूटर साइंस एवं एप्लीकेशन तथा लाइब्रेरी एवं इंफॉर्मेशन साइंस से संबंधित डिप्लोमा, डिग्री एवं रिसर्च के 29 पाठ्यक्रमों के लिए भोपाल, रीवा तथा खंडवा परिसर में प्रवेश की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
उन्होंने बताया कि आगामी शिक्षा सत्र से विश्वविद्यालय अपने खंडवा परिसर में फिल्म अभिनेता किशोर कुमार की स्मृति में फिल्म पत्रकारिता तथा रीवा परिसर में ग्रामीण पत्रकारिता में एक वर्षीय पी.जी. डिप्लोमा भी शुरू कर रहा है।
सभी पाठ्यक्रमों की सीमित सीटों के लिए मेरिट आधार पर होने वाले प्रवेश के लिए ऑनलाइन आवेदन करने की अंतिम तिथि 31 जुलाई है, जबकि प्रथम चयन सूची 12 अगस्त को जारी की जाएगी।
विस्तृत जानकारी विश्वविद्यालय की वेबसाइट से प्राप्त की जा सकती है।
शिक्षा मंत्रालय द्वारा परफॉरमेंस ग्रेडिंग इंडेक्स (पीजीआई) 2019-20 का तीसरा संस्करण जारी, पंजाब, चंडीगढ़, तमिलनाडु, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह और केरल को ए ++ ग्रेड दिया गया attacknews.in
नयी दिल्ली, 06 जून । केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने शिक्षा मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ की मंजूरी के बाद आज यहां परफॉरमेंस ग्रेडिंग इंडेक्स (पीजीआई) 2019-20 का तीसरा संस्करण जारी किया जिसके तहत पंजाब, चंडीगढ़, तमिलनाडु, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह और केरल को ए ++ ग्रेड दिया गया।
शिक्षा मंत्रालय के अनुसार पीजीआई के तीसरे संस्करण में पंजाब, चंडीगढ़, तमिलनाडु, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह और केरल को ए ++ ग्रेड दिया गया है।
इसके अलावा अधिकांश राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों ने पिछले वर्षों की तुलना में में अपने ग्रेड में सुधार किया है. अंडमान-निकोबार द्वीप समूह, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, पुडुचेरी, पंजाब और तमिलनाडु ने पीजीआई स्कोर में 10 फ़ीसदी यानी 100 या अधिक अंकों का सुधार किया है।
अंडमान-निकोबार द्वीप समूह, लक्षद्वीप और पंजाब ने पहुँच (एक्सेस) के मामले में में 10% (8 अंक) या उससे अधिक का सुधार दिखाया है।
तेरह राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों ने इंफ्रास्ट्रक्चर एवं सुविधाओं के मामले में 10% (15 अंक) या उससे अधिक का सुधार दिखाया है वहीं अंडमान-निकोबार द्वीप समूह और ओडिशा ने 20% या उससे अधिक सुधार दिखाया है।
अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर और ओडिशा ने इक्विटी (समानता) की दिशा में 10 फ़ीसदी से अधिक सुधार दिखाया है। इसके अलावा 19 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों ने गवर्नेंस प्रोसेस के मामले में 10फ़ीसदी (36 अंक) या उससे अधिक का सुधार दिखाया है।
अंडमान-निकोबार द्वीप समूह, आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, पंजाब, राजस्थान और पश्चिम बंगाल ने तकरीबन 20फ़ीसदी (72 अंक या अधिक) सुधार दिखाया है।
यह इंडेक्स विभिन्न पहलों के द्वारा राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों को शिक्षा क्षेत्र में वांछित परिणाम प्राप्त करने के लिए प्रेरित करता है।सभी राज्य एवं केंद्रशासित प्रदेश शिक्षा के क्षेत्र में कमियों को पता कर के उनके ऊपर काम करने में भी मदद करता है।
पीजीआई की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्कूली शिक्षा में अभूतवपूर्व बदलाव लाने के विज़न के तहत हुई थी। इसमें 70 मापदंडों के एक सेट के तहत राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों को ग्रेड दिए जाते हैं।
पहली बार यह इंडेक्स 2019 में जारी किया गया था जिसके लिए 2017-18 में राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों द्वारा की गई पहल को ध्यान में रखा गया था।
तमिलनाडु राज्य ने भी रद्द की 12वीं बोर्ड की परीक्षा, अंक देने के लिए पैनल की घोषणा;सरकार बिना किसी परेशानी के छात्रों को उच्च शिक्षण संस्थानों में दाखिला दिलाएगी attacknews.in
चेन्नई, 06 जून । तमिलनाडु सरकार ने कोरोना वायरस (कोविड-19) के मद्देनजर राज्य बोर्ड की 12वीं की परीक्षा रद्द कर दी है तथा छात्रों को अंक देने के तौर-तरीकों पर विचार करने के लिए एक समिति का गठन करने की घोषणा की है।
राज्य सरकार ने यह कदम केंद्र सरकार द्वारा कोविड-19 के कारण केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) की 12वीं की परीक्षा रद्द करने के बाद उठाया है।
मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन ने एक आधिकारिक बयान में शनिवार को देर शाम कहा कि स्कूल शिक्षा मंत्री बिल महेश पोय्यामोझी द्वारा सर्वदलीय बैठक तथा शिक्षाविद, राजनेता, शिक्षक संघ, चिकित्सा पेशेवर,मनोचिकित्सक, छात्र और माता-पिता की राय के आधार पर रिपोर्ट पेश करने के बाद परीक्षा को रद्द करने का फैसला लिया गया है।
उन्होंने कहा कि यह फैसला छात्रों के हित में लिया गया है। सरकार राज्य बोर्ड पाठ्यक्रम के आधार पर बिना किसी परेशानी के छात्रों को उच्च शिक्षण संस्थानों में दाखिला दिलाएगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बोर्ड की परीक्षाएं रद्द हो जाने के बाद राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट) जैसी राष्ट्रीय स्तर की परीक्षाएं आयोजित करना उचित नहीं होगा। उन्होंने कहा कि अभी तक हालांकि इस संबंध (नीट परीक्षा) में घोषणा नहीं हुयी है।
उन्होंने (श्री स्टालिन) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को को पत्र लिख कर उच्च शिक्षा पाठ्यक्रमों में दाखिले के लिए आयोजित होने वाली प्रवेश परीक्षा को रद्द करने की मांग की है।
उन्होंने कहा है कि केंद्र पहले ही सीबीएसी 12वीं बोर्ड की परीक्षा को रद्द कर चुका है तथा कईं अन्य राज्यों ने भी बोर्ड की परीक्षाएं रद्द कर दी है।
मध्यप्रदेश में वैज्ञानिक पद्धति से होगा 12 वीं का आंतरिक मूल्यांकन;उच्च शिक्षा तथा तकनीकी शिक्षा की परीक्षाएं ओपन बुक पद्धति से होंगी,स्नातक अंतिम,स्नातकोत्तर चतुर्थ सेमेस्टर की परीक्षा जून में होंगी attacknews.in
भोपाल, 03 जून । मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि प्रदेश की 12वीं बोर्ड की परीक्षाएं नहीं होंगी, परन्तु जो विद्यार्थी चाहेंगे बाद में परीक्षा दे सकेंगे। आंतरिक मूल्यांकन का काम वैज्ञानिक पद्धति से होगा तथा शिक्षा मंत्रियों का समूह विषय विशेषज्ञों से चर्चा कर इसकी प्रक्रिया के संबंध में निर्णय लेगा।
श्री चौहान ने कहा कि उच्च शिक्षा विभाग एवं तकनीकी शिक्षा विभाग की परीक्षाएं गत वर्ष के अनुसार ही होंगी।
बैठक में उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव, मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस, प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा अनुपम राजन, प्रमुख सचिव तकनीकी शिक्षा आदि उपस्थित थे। बैठक में तकनीकी शिक्षा मंत्री श्रीमती यशोधरा राजे सिंधिया तथा स्कूल शिक्षा राज्य मंत्री इन्दर सिंह परमार वी.सी.से शामिल हुए।
उच्च शिक्षा की परीक्षाएं गत वर्ष अनुसार ओपन बुक पद्धति से होंगी। निर्धारित तिथि व समय पर विद्यार्थी को ऑनलाइन प्रश्न पत्र प्राप्त होगा, जिसका उत्तर वह घर बैठे ही उत्तर पुस्तिका में लिखकर नजदीकी संग्रहण केंद्र में जमा करा देगा। जिन विद्यार्थियों के घर पर इंटरनेट सुविधा नहीं होगी उन्हें नजदीकी शिक्षा संस्थान में परीक्षा देने की सुविधा दी जाएगी।
स्नातक तृतीय वर्ष एवं स्नातकोत्तर चतुर्थ सेमेस्टर की परीक्षा जून 2021 में होंगी तथा परिणाम जुलाई में आएगा। इसी प्रकार स्नातक प्रथम एवं द्वितीय वर्ष तथा स्नातकोत्तर द्वितीय सेमेस्टर की परीक्षाएं जुलाई में होंगी तथा परिणाम अगस्त तक आएगा। प्रदेश के 8 विश्वविद्यालयों में स्नातक कक्षाओं में कुल 14 लाख 88 हजार 958 तथा स्नातकोत्तर कक्षाओं में 3 लाख 08 हजार 117 परीक्षार्थी हैं।
तकनीकी शिक्षा विभाग की सभी परीक्षाएं ऑनलाइन होंगी तथा ओपन बुक पद्धति पर आधारित होंगी। परीक्षार्थी ऑनलाइन ही उत्तर लिखेंगे। समय 2 घंटे होगा। मूल्यांकन में 50 फीसदी पिछले सेमेस्टरों तक अर्जित सीजीपीए का अधिभार मान्य किया जाएगा। परीक्षाएं जून एवं जुलाई में होंगी तथा परिणाम 10 दिन में आ जाएंगे। प्रदेश में तकनीकी शिक्षा महाविद्यालयों में कुल 1 लाख 87 हजार 811 परीक्षार्थी हैं।
मप्र में भी नहीं होगी इस वर्ष बारहवीं बोर्ड की परीक्षा, यदि विद्यार्थी बेहतर परिणाम या सुधार के लिए परीक्षा देना चाहेगा, तो विकल्प रहेगा कोरोना संकट समाप्ति के बाद परीक्षा देने का attacknews.in
भोपाल, 02 जून । मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान आज कहा कि इस वर्ष कोरोना संकट के कारण राज्य माध्यमिक शिक्षा मंडल (एमपी बोर्ड) की ओर से कक्षा बारहवीं (बोर्ड) की परीक्षा आयोजित नहीं की जाएंगी।
श्री चौहान ने यहां एक संदेश के जरिए यह घोषणा करते हुए कहा कि कोरोना संकट के बीच बच्चों की जिंदगी हमारे लिए अनमोल है। कॅरियर की चिंता हम बाद में करते हैं। इस समय बच्चों समेत पूरा प्रदेश कोरोना संकट झेल रहा है। ऐसे में बच्चों पर परीक्षाओं का मानसिक बोझ डालना कतई उचित नहीं है। बारहवीं बोर्ड के रिजल्ट किस प्रकार आएंगे, यह तय करने के लिए मंत्रियों का एक समूह बना दिया है। यह समूह विशेषज्ञों से चर्चा करने के बाद आंतरिक मूल्यांकन या अन्य आधारों पर विचार करके रिजल्ट का तरीका तय करेगा।
श्री चौहान ने बताया कि हमने दसवीं (बोर्ड) की परीक्षा आयोजित नहीं करने का निर्णय पहले ही लिया है। उनका रिजल्ट आंतरिक मूल्यांकन पर आधार पर जारी करने का निर्णय हुआ है।
श्री चौहान ने साथ ही यह भी कहा कि यदि बारहवीं का काेई विद्यार्थी बेहतर परिणाम या परिणाम में सुधार के लिए परीक्षा देना चाहेगा, तो उसके लिए विकल्प खुला रहेगा। कोरोना संकट की समाप्ति के बाद वो बारहवीं की परीक्षा दे सकेगा।
विद्यार्थियों के जीवन की सुरक्षा महत्वपूर्ण-परमार
स्कूल शिक्षा और सामान्य प्रशासन राज्य मंत्री इन्दर सिंह परमार ने बताया कि कोरोना संक्रमण के मद्देनजर विद्यार्थियों के स्वास्थ्य और सुरक्षित भविष्य को ध्यान में रखते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 12वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षाओं को निरस्त करने का निर्णय लिया है।
श्री परमार ने कहा कि कोरोना की तीसरी लहर का प्रभाव विद्यार्थियों और 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों पर पड़ने की अधिक संभावना है, इसलिए यह निर्णय महत्वपूर्ण है।
उन्होंने कहा कि प्रदेश के किसी भी विद्यार्थी को घबराने की जरूरत नहीं है। बारहवीं कक्षा का रिजल्ट वैज्ञानिक पद्धति के द्वारा तैयार किया जाएगा। इसके बाद भी यदि कोई विद्यार्थी संतुष्ट नहीं होता है, तो उसके लिए परीक्षा का विकल्प भी रखा जाएगा।
उन्होंने सभी विद्यार्थियों और उनके अभिभावकों से कोरोना गाइडलाइन का पालन करने की अपील भी की। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी में अपने आप को सुरक्षित रखें। सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें और मास्क जरूर लगाएँ। यही हम सबकी जिम्मेदारी है। श्री परमार ने सभी विद्यार्थियों के सफल और सुरक्षित जीवन के लिए शुभकामनाएँ दी है