रोजगार प्रोत्साहन के लिये नई योजना की घोषणा, नये लोगों की भर्ती पर दी जायेगी पीएफ सहायता, कोविड-19 टीके पर शोध के लिए 900 करोड़ रुपये अनुदान,65,000 करोड़ रुपये की उर्वरक सब्सिडी का ऐलान attacknews.in

नयी दिल्ली, 12 नवंबर । वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बृहस्पतिवार को रोजगार प्रोत्साहन के लिये नई योजना की घोषणा की। इसके तहत नई नियुक्तियां करने वाले प्रतिष्ठानों को भविष्य निधि योगदान में सहायता प्रदान की जाएगी।

योजना के तहत उद्योगों को नई नियुक्तियों पर उनके कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) योगदान पर कर्मचारी के साथ साथ नियोक्ता के हिस्से का योगदान भी सरकार की तरफ से किया जायेगा।

सीतारमण ने कहा कि इसके तहत सेवानिवृत्ति कोष में कर्मचारियों का योगदान (वेतन का 12 प्रतिशत) और नियोक्ता का योगदान (वेतन का 12 प्रतिशत) यानी कुल वेतन का 24 प्रतिशत हिस्सा अगले दो साल के दौरान नई नियुक्तियां करने वाले प्रतिष्ठानों को दिया जाएगा।

आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना के तहत कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) में पंजीकृत प्रतिष्ठानों को नए कर्मचारियों की नियुक्ति पर यह सब्सिडी मिलेगी।

वित्त मंत्री ने बताया कि इस योजना के तहत 15,000 रुपये से कम मासिक वेतन पाने वाले नए कर्मचारी को ही शामिल किया जायेगा।

उन्होंने कहा कि कि इसमें 15,000 से कम वेतन पाने वाले ऐसे कर्मचारी भी शामिल होंगे, जिन्हें कोविड-19 महामारी के दौरान नौकरी से निकाल दिया गया था और वे एक अक्टूबर 2020 को या उसके बाद दोबारा जुड़े हैं।

योजना के दायरे में ईपीएफओ के पास पंजीकृत प्रतिष्ठान आएंगे। नये कर्मचारियों का आकलन सितंबर 2020 की स्थिति से किया जाएगा।

इस योजना का लाभ लेने के लिए अधिकतम 50 कर्मचारियों वाले प्रतिष्ठानों को कम से कम दो नई भर्तियां करनी होंगी, जबकि जिन प्रतिष्ठानों में 50 से अधिक कर्मचारी हैं, उन्हें कम से कम पांच नई नियुक्ति करनी होगी।

योजना 30 जून, 2021 तक परिचालन में रहेगी।

नई रोजगार सृजन योजना की घोषणा की

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को नई रोजगार सृजन योजना की घोषणा की, जिसके तहत नई भर्तियां करने वाले प्रतिष्ठानों को सब्सिडी दी जाएगी।

उन्होंने कहा कि सब्सिडी के तहत दो साल के लिए सेवानिवृत्ति निधि में कर्मचारियों के साथ ही नियोक्ताओं के योगदान को भी शामिल किया जाएगा।

उन्होंने कहा कि कर्मचारियों का योगदान (वेतन का 12 प्रतिशत) और नियोक्ता का योगदान (वेतन का 12 प्रतिशत), इस तरह कुल वेतन का 24 प्रतिशत हिस्सा अगले दो वर्षों के लिए नई भर्तियां करने वाले प्रतिष्ठानों को दिया जाएगा।

आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना के तहत कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) में पंजीकृत प्रतिष्ठानों को नए कर्मचारियों की भर्ती पर यह सब्सिडी मिलेगी।

वित्त मंत्री ने बताया कि इस योजना के तहत 15,000 रुपये से कम मासिक वेतन पाने वाले नए कर्मचारी को गिना जाएगा।

उन्होंने बताया कि इसमें 15,000 से कम वेतन पाने वाले ऐसे कर्मचारी भी शामिल होंगे, जिन्हें कोविड-19 महामारी के दौरान नौकरी से निकाल दिया गया था और वे एक अक्टूबर 2020 को या उसके बाद दोबारा जुड़े हैं।

इस योजना का लाभ लेने के लिए अधिकतम 50 कर्मचारियों वाले प्रतिष्ठानों को कम से कम दो नई कर्मचारियों को भर्ती करना होगा, जबकि जिन प्रतिष्ठानों में 50 से अधिक कर्मचारी हैं, उन्हें कम से कम पांच नई भर्ती करनी होगी।

आपात ऋण सहायता गारंटी योजना (ईसीएलजीएस) 31 मार्च, 2021 तक बढ़ाये जाने की घोषणा-

वित्त मंत्री ने आपात ऋण सहायता गारंटी योजना (ईसीएलजीएस) 31 मार्च, 2021 तक बढ़ाये जाने की भी घोषणा की। इस योजना के तहत लघु एवं मझोले उद्यमों को गारंटीशुदा और बिना किसी गिरवी के कर्ज उपलब्ध कराया जाता है।

सीतारमण ने दबाव वाले क्षेत्रों की मदद के लिये गारंटीशुदा ऋण योजना की भी घोषणा की।

योजना दबाव वाले 26 क्षेत्रों में कार्यरत इकाइयों के अलावा स्वास्थ्य क्षेत्र पर भी लागू होगी। इन दबाव वाले क्षेत्रों की पहचान के वी कामत समति ने की है। इसके तहत 29 फरवरी, 2020 तक 50 करोड़ रुपये से अधिक या 50 करोड़ रुपये तक के कर्ज वाली इकाइयां आएंगी।

वित्त मंत्री ने कहा कि 29 फरवरी, 2020 तक बकाये का 20 प्रतिशत तक कर्ज क्षेत्र की इकाइयों को दिया जाएगा।

अतिरिक्त कर्ज की अवधि पांच साल होगी। इसमें एक साल के लिये मूल राशि को लौटाने पर रोक शमिल है। योजना 31 मार्च, 2021 तक के लिये होगी।

कोविड-19 टीके पर शोध के लिए 900 करोड़ रुपये अनुदान की घोषणा –

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कोविड-19 के टीके पर शोध के लिए जैव प्रौद्योगिकी विभाग को 900 करोड़ रुपये अनुदान देने की घोषणा की।

उन्होंने कहा कि अनुदान के दायरे में टीके की वास्तविक लागत और वितरण का खर्च शामिल नहीं है। टीका उपलब्ध होने पर इसके लिए अलग से प्रावधान किया जाएगा।

सीतारमण ने कहा कि घरेलू रक्षा उपकरण, औद्योगिक प्रोत्साहन, अवसंरचना और हरित ऊर्जा के लिए पूंजीगत एवं औद्योगिक व्यय के लिए 10,200 करोड़ रुपये के अतिरिक्त बजटीय आवंटन का भी प्रावधान किया जाएगा।

65,000 करोड़ रुपये की उर्वरक सब्सिडी का ऐलान

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए गुरुवार को घोषित प्रोत्साहन पैकेज के तहत किसानों को 65,000 करोड़ रुपये की उर्वरक सब्सिडी देने की घोषणा की।

उन्होंने कहा कि किसानों को आगामी फसल सत्र के दौरान उर्वरकों की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने 65,000 करोड़ रुपये दिए जा रहे हैं।

उन्होंने कहा कि चालू वित्त वर्ष में प्रधानमंत्री गरीब कल्याण रोजगार योजना के लिए 10,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त प्रावधान किया गया है, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी।

सीतारमण ने आगे कहा कि कर्ज सहायता के जरिए निर्यात को बढ़ावा देने के लिए एक्जिम बैंक को 3,000 करोड़ रुपये दिए

शहरी आवास योजना के लिए 18,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त प्रावधान

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शहरी आवास योजना के लिए 18,000 करोड़ रुपये के अतिरिक्त प्रावधान की घोषणा की।

इस घोषणा से रियल एस्टेट परियोजनाओं को पूरा करने में मदद मिलेगी, जिससे अनेक क्षेत्रों में रोगजार मिलेगा और अर्थव्यवस्था में तेजी आएगी। उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के लिए बजट अनुमानों के अलावा अतिरिक्त बजटीय संसाधनों से 18,000 करोड़ रुपये दिए जाएंगे।

यह राशि इस साल दिए जा चुके 8,000 करोड़ रुपये से अतिरिक्त होगी।

उन्होंने कहा कि इस फैसले से 12 लाख मकानों का काम शुरू करने के साथ ही 18 लाख मकानों को पूरा करने में मदद मिलेगी।

वित्त मंत्री ने कहा कि इससे 78 लाख नए रोजगार के मौके पैदा होंगे और स्टील तथा सीमेंट की मांग भी बढ़ेगी।

भारतीय अर्थव्यवस्था में जोरदार ढंग से सुधार हो रहा है: सीतारमण

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को कहा कि एक लंबे और कड़े लॉकडाउन के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था की हालत में जोरदार सुधार देखने को मिल रहा है। उन्होंने अर्थव्यवस्था को मजबूती देने के लिए कुछ और प्रोत्साहनों की घोषणा करने के लिए आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि व्यापक आर्थिक संकेतक हालात में सुधार की ओर इशारा कर रहे हैं।

सीतारमण कहा कि देश मे कोविड-19 के सक्रिय मामले एक समय 10 लाख से अधिक थे, जबकि अब ये मामले घटकर 4.89 लाख रह गए हैं और मृत्यु दर घटकर 1.47 प्रतिशत पर आ गयी है।

अर्थव्यवस्था में सुधार का ब्यौरा देते हुए उन्होंने कहा कि कंपनियों के कारोबार की गति का संकेत देने वाला कंपोजिट परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई) अक्टूबर में बढ़कर 58.9 रहा, जो इससे पिछले महीने में 54.6 था।

उन्होंने कहा कि अक्टूबर के दौरान ऊर्जा खपत में 12 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) का संग्रह 10 प्रतिशत बढ़कर 1.05 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गया।

वित्त मंत्री ने कहा कि दैनिक रेलवे माल ढुलाई में औसतन 20 प्रतिशत की दर से वृद्धि हुई है।

उन्होंने आगे कहा कि बैंक ऋण में भी 5.1 प्रतिशत का सुधार हुआ है।

इसके अलावा अप्रैल-अगस्त में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 13 प्रतिशत बढ़कर 35.37 अरब अमरीकी डालर रहा।

भारतीय रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर के सकारात्मक दिशा में लौटने का अनुमान जताया है।

सीतारमण ने आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत घोषित पिछले प्रोत्साहनों की प्रगति का ब्यौरा देते हुए कहा कि एक सितंबर से 28 राज्य और केंद्र शासित प्रदेश ‘एक देश- एक राशन कार्ड’ योजना के तहत आ गए हैं। इसके तहत 68.6 करोड़ लाभार्थी शामिल हैं, जो इन 28 राज्यों या केंद्र शासित प्रदेशों में किसी भी पीडीएस दुकान से खाद्यान्न ले सकते हैं।

उन्होंने आगे बताया कि रेहड़ी दुकानदारों के लिए आत्मनिर्भर निधि के तहत 26.62 लाख ऋण आवेदन मिले, जिनमें से 13.78 लाख लोगों को कुल 1,373.33 करोड़ रुपये का ऋण स्वीकृत किया गया है।

वित्त मंत्री ने कहा कि किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) के माध्यम से 2.5 करोड़ किसानों को ऋण प्रोत्साहन मिला है।

इसी तरह प्रधानमंत्री मातृ संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) के तहत 21 राज्यों के 1,682.32 करोड़ रुपये के प्रस्तावों को मंजूरी दी गई।

व्हाट्सऐप ने भारत में भुगतान सेवा शुरू की,इसमें धन भेजना इतना आसान है, जितना कोई संदेश भेजना, नकद लेनदेन या बैंक जाए बिना परिवार के किसी सदस्य को धन भेज सकेंगे या सामान का मूल्य चुका सकेंगे attacknews.in

नयी दिल्ली, छह नवंबर । व्हाट्सऐप ने शुक्रवार को कहा कि उसने नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) से अनुमति पाने के बाद भारत में अपनी भुगतान सेवाओं की शुरुआत की है।

फेसबुक के स्वामित्व वाली कंपनी ने 2018 में भारत में अपनी यूपीआई आधारित भुगतान सेवा का परीक्षण शुरू किया था, जो उपयोगकर्ताओं को धनराशि भेजने और पाने के लिए मैसेजिंग प्लेटफॉर्म का उपयोग करने की अनुमति देती है।

यह परीक्षण करीब 10 लाख उपयोगकर्ताओं के बीच किया गया, क्योंकि इसके लिए नियामक मंजूरियों का इंतजार था।

एनपीसीआई ने गुरुवार को व्हाट्सऐप को देश में क्रमिक रूप से भुगतान सेवा शुरू करने की अनुमति दी, और शुरुआत में यूपीआई में पंजीकृत अधिकतम दो करोड़ उपयोगकर्ताओं को यह सेवा दी जाएगी।

व्हाट्सऐप ने एक ब्लॉगपोस्ट में कहा, ‘‘आज से, पूरे भारत में लोग व्हाट्सऐप के जरिए धन भेज पाएंगे। भुगतान के इस सुरक्षित तरीके में धन भेजना इतना ही आसान है, जितना कोई संदेश भेजना। लोग नकद लेनदेन या बैंक जाए बिना सुरक्षित रूप से परिवार के किसी सदस्य को धन भेज सकते हैं या सामान का मूल्य चुका सकते हैं।’’

इसमें लिखा गया है कि भुगतान सुविधा को यूपीआई का इस्तेमाल कर एनपीसीआई के साथ साझेदारी में तैयार किया गया है, जो एक तत्काल भुगतान प्रणाली है और 160 से अधिक समर्थित बैंकों के साथ लेनदेन को सक्षम बनाता है।

इस साल जून में व्हाट्सऐप ने ब्राजील में ‘व्हाट्सएप पे’ की शुरुआत की थी, जो इस तरह की पहली सेवा थी।

भारत में व्हाट्सऐप के 40 करोड़ से अधिक उपयोगकर्ता हैं और भारत उसका सबसे बड़ा बाजार है।

कंपनी को अपनी नई पेशकश के साथ पेटीएम, गूगल पे, वालमार्ट के स्वामित्व वाले फोनपे और अमेजन पे जैसे बड़े खिलाड़ियों से मुकाबला करना होगा।

भारत में मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों के उत्पादन में अक्टूबर, 2007 के 13 साल बाद सबसे तेज हुई वृद्धि attacknews.in

नयी दिल्ली, दो नवंबर । देश की विनिर्माण गतिविधियों में अक्टूबर में लगातार तीसरे महीने सुधार हुआ है। सोमवार को जारी एक मासिक सर्वे के अनुसार बिक्री में सुधार के बीच कंपनियों के उत्पादन में 13 साल की (अक्टूबर, 2007 के बाद) सबसे तेज वृद्धि हुई है।

आईएचएस मार्किट इंडिया का विनिर्माण खरीद प्रबंधक सूचकांक (पीएमआई) अक्टूबर में बढ़कर 58.9 पर पहुंच गया, जो सितंबर में 56.8 था। यह क्षेत्र की सेहत में पिछले एक दशक से अधिक का सबसे अच्छा सुधार है।

लगातार 32 माह तक वृद्धि दर्ज करने के बाद अप्रैल में इस सूचकांक में गिरावट आई थी। पीएमआई के 50 से ऊपर होने का मतलब गतिविधियों के विस्तार से और 50 से नीचे होने का मतलब संकुचन से होता है।

आईएचएस मार्किट की इकनॉमिक्स एसोसिएट निदेशक पोलीअन्ना डे लीमा ने कहा, ‘‘भारतीय विनिर्माताओं के पास नए ऑर्डर आ रहे हैं और उत्पादन में भी कोविड-19 की वजह से पैदा हुई अड़चनों के बाद सुधार हो रहे हैं। अक्टूबर के पीएमआई आंकड़ों में उल्लेखनीय विस्तार हुआ है।’’

लीमा ने कहा कि कंपनियों को इस बात का भरोसा है कि बिक्री में वृद्धि आगामी महीनों में भी टिकी रहेगी। इस बात का संकेत कंपनियों द्वारा विनिर्माण में काम आने वाले सामान की खरीद से पता चलता है।

विनिर्माताओं का कहना है कि कोविड-19 के अंकुशों में ढील, बेहतर बाजार परिस्थितियों तथा मांग में सुधार की वजह से उन्हें अक्टूबर में नए ऑर्डर मिले हैं।

सर्वे में कहा गया है कि ऑर्डरों में सुधार के बावजूद भारत में विनिर्माताओं ने अपने कर्मचारियों की संख्या में कटौती की है। कई मामलों में सामाजिक दूरी दिशानिर्देशों के अनुपालन के लिए ऐसा किया जा रहा है। यह लगातार सातवां महीना है जबकि रोजगार घटा है। लीमा ने कहा, ‘‘जो एक क्षेत्र अभी चिंता पैदा करता है, वह है रोजगार। कुछ कंपनियों को कर्मचारियों की नियुक्ति में दिक्कतें आ रही हैं, जबकि कुछ अन्य का कहना है कि महामारी के प्रसार पर अंकुश के उपायों की वजह से उन्हें अपने कर्मचारियों की संख्या घटानी पड़ रही है।’’

सर्वे के अनुसार, इस दौरान मुद्रास्फीतिक दबाव कुछ कम हुआ है। विनिर्माण के सामान के दामों में मामूली बढ़ोतरी हुई है, वहीं बिक्री मूल्य भी थोड़ा ही बढ़ा है।

लीमा ने कहा, ‘‘आगे के साल के लिए उत्पादन परिदृश्य में सुधार हुआ है। कंपनियों को उम्मीद है कि कोविड-19 के मामले घटने तथा अन्य कारोबार क्षेत्रों के खुलने से उत्पादन में अच्छी वृद्धि दर्ज होगी।

कोविड-19 से निपटने की भारत की रणनीति सही साबित हुई,अर्थव्यवस्था जल्द पटरी पर लौटेगी और मजबूत होकर उभरेगी; उद्योग मंडल फिक्की ने कहा attacknews.in

नयी दिल्ली, एक नवंबर । उद्योग मंडल फिक्की ने कहा है कि कोविड-19 से निपटने की भारत की रणनीति सही साबित हुई है और अर्थव्यवस्था जल्द पटरी पर लौटेगी और मजबूत होकर उभरेगी।

फिक्की की अध्यक्ष संगीता रेड्टी ने कहा कि अब कड़े कदम उठाने और वृद्धि के एजेंडा को आगे बढ़ाने का समय आ गया है।

रेड्टी ने कहा, ‘‘दुनियाभर की सरकारों में जीवन और आजीविका के संरक्षण के बीच संतुलन बैठाने को लेकर असमंजस रहा। भारत ने सख्त लॉकडाउन लगाया और स्वास्थ्य ढांचे को आगे बढ़ाते हुए मानव जीवन को बचाने पर ध्यान केंद्रित किया। इस रणनीति के सही नतीजे सामने आए हैं।

उन्होंने कहा कि बेहतर इलाज, चिकित्सा ढांचे के सृजन, पीपीई की आपूर्ति बढ़ाने पर ध्यान दिया गया। इससे हमारे यहां मृत्यु दर को नियंत्रित किया जा सका।

रेड्डी ने कहा, ‘‘अब आजीविका के मोर्चे पर साहसी कार्रवाई का समय है। हालिया मौद्रिक उपायों से यह सुनिश्चित हुआ है कि सरकार और नियामक अर्थव्यवस्था को उबारने के लिए हर प्रयास करेंगे। अब हमें वृद्धि के एजेंडा को तेजी से आगे बढ़ाना चाहिए।’’

उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था में सुधार के शुरुआती संकेत दिखने लगे हैं।

उन्होंने कहा कि सितंबर में विनिर्माण और सेवा पीएमआई सुधरकर क्रमश: 56.8 और 49.8 पर पहुंच गए हैं। इसके अलावा ई-वे बिल निकालने की संख्या भी बढ़ी है। प्रमुख जिंसों की माल ढुलाई में सुधार हुआ है, निर्यात में सकारात्मक वृद्धि दर्ज हुई है और सितंबर में माल एवं सेवा कर (जीएसटी) का संग्रह काफी हद तक कोविड-19 के पूर्व के स्तर पर पहुंच गया है।

फिक्की की अध्यक्ष ने कहा कि भारत की आर्थिक ताकत की बुनियाद और जुझारू क्षमता कायम है।

रेड्डी ने कहा, ‘‘सरकार की प्रगतिशील नीतियां, प्रमुख बुनियादी ढांचा विकास योजनाएं और बड़ा उपभोक्ता बाजार सभी वृद्धि की गुंजाइश का संकेत देते हैं।’’

इन्हें नहीं मिलेगा ब्याज-पर-ब्याज माफी योजना का लाभ :कृषि और संबद्ध गतिविधियों से संबंधित ऋण जिनमें फसल, ट्रैक्टर के ॠण ब्याज से माफ़ नहीं होंगे attacknews.in

नयी दिल्ली, 30 अक्टूबर । वित्त मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि कृषि और संबद्ध गतिविधियों से संबंधित ऋण के लिए चक्रवृद्धि ब्याज यानी ब्याज-पर-ब्याज माफी योजना का लाभ नहीं मिलेगा।

वित्त मंत्रालय ने बृहस्पतिवार को ‘चक्रवृद्धि और साधारण ब्याज के बीच के अंतर के भुगतान से संबंधित ‘अनुग्रह राहत भुगतान योजना’ पर अतिरिक्त एफएक्यू (बार-बार पूछे जाने वाले सवाल) जारी किया है। वित्त मंत्रालय ने कहा कि कर्जदारों को 29 फरवरी तक क्रेडिट कार्ड पर बकाये के लिए भी इस योजना का लाभ मिलेगा।

एफएक्यू में कहा गया है कि इस राहत के लिए बेंचमार्क दर अनुबंध की दर होगी, जिसका इस्तेमाल क्रेडिट कार्ड जारीकर्ता द्वारा ईएमआई ऋणों कें लिए किया जाता है।

वित्त मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि इस योजना के तहत कुल आठ क्षेत्र आते हैं। फसल और ट्रैक्टर ऋण कृषि और संबद्ध गतिविधियों के तहत आता है जो इस योजना में शामिल नहीं है।

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने सभी कर्जदाता संस्थानों से मंगलवार को कहा था कि वे दो करोड़ रुपये तक के कर्ज के लिये हाल ही में घोषित ब्याज पर ब्याज की माफी योजना को लागू करें।

इस योजना के तहत दो करोड़ रुपये तक के कर्ज पर ब्याज के ऊपर लगने वाला ब्याज एक मार्च, 2020 से छह महीने के लिये माफ किया जायेगा।

सरकार ने पिछले शुक्रवार को पात्र ऋण खातों के लिये चक्रवृद्धि ब्याज और साधारण ब्याज के बीच के अंतर के भुगतान को लेकर छह माह के लिए अनुग्रह या अनुदान की घोषणा की थी। सरकार ने सभी बैंकों को पांच नवंबर तक चक्रवृद्धि ब्याज व साधारण ब्याज के अंतर को कर्जदारों के खाते में जमा करने के लिये कहा था।

ब्याज पर ब्याज की माफी को लेकर रिजर्व बैंक ने की अधिसूचना जारी;केन्द्र सरकार ने सामान्य ब्याज और चक्रवृद्धि ब्याज के बीच अंतर के भुगतान के लिए 6 माह की अवधि के लिए स्कीम की घोषणा की है attacknews.in

मुंबई 27 अक्टूबर । लॉकडाउन के दौरान विभिन्न प्रकार के ऋण आदि पर किश्त चुकाने से दी गयी छूट के दौरान ब्याज पर ब्याज वसूलने से राहत देने के उच्चतम न्यायालय के आदेशानुसार रिजर्व बैंक ने ब्याज पर ब्याज माफ करने को लेकर आज अधिसूचना जारी कर दी।

केन्द्रीय बैंक ने सभी बैंकों और वित्तीय संस्थानाओं को निर्धारित समय में इसका पालन करने के निर्देश देते हुये कहा है कि केन्द्र सरकार ने सामान्य ब्याज और चक्रवृद्धि ब्याज के बीच अंतर के भुगतान के लिए स्कीम की घोषणा की है जो एक मार्च 2020 से लेकर 31 अगस्त 2020 तक छह महीने की अवधि के लिए है।

इस स्कीम के तहत सरकार सामान्य ब्याज और चक्रवृद्धि ब्याज के बीच अंतर आने वाली राशि का भुगतान करेगी।

केन्द्र सरकार ने इस महीने के प्रारंभ में उच्चतम न्यायालय में एक हलफनामा दिया था जिसमें ब्याज पर ब्याज को माफ करने की बात कही गयी थी।

भारत में अर्थव्यवस्था को उबारने के लिए सरकार देने जा रही है तीसरा प्रोत्साहन पैकेज:बुनियादी ढांचा क्षेत्र पर 37,000 करोड़ रुपये के अतिरिक्त खर्च के लिए संसद की मंजूरी लेगी attacknews.in

दिल्ली, 25 अक्टूबर । सरकार बुनियादी ढांचा विकास पर 37,000 करोड़ रुपये अतिरिक्त खर्च के लिए संसद से अनुपूरक मांगों की दूसरी सूची की मंजूरी के अंतर्गत मंजूरी लेगी।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इसी महीने सड़क, रक्षा, जलापूर्ति, शहरी विकास और घरेलू स्तर पर उत्पादित पूंजीगत उपकरणों की खरीद जैसे कार्यों पर पूंजीगत व्यय के लिए 25,000 करोड़ रुपये के अतिरिक्त बजट की घोषणा की है। इसके अलावा केंद्र ने राज्यों के बुनियादी ढांचा विकास के लिए 12,000 करोड़ रुपये के विशेष 50 साल के ब्याजमुक्त कर्ज की सुविधा दिए जाने की भी घोषणा की है।
सूत्रों ने बताया कि अतिरिक्त खर्च के लिए दूसरी अनुपूरक मांगों के तहत मंजूरी ली जाएगी।

त्योहारी सीजन के बीच सरकार द्वारा कोरोना वायरस महामारी से प्रभावित अर्थव्यवस्था को उबारने के लिए यह तीसरे प्रोत्साहन पैकेज का हिस्सा है। ये 37,000 करोड़ रुपये 2020-21 के लिए सरकार द्वारा बजट में घोषित 4.13 लाख करोड़ रुपये के योजना-गत व्यय के अतिरिक्त होंगे।

सरकार ने आत्मनिर्भर अभियान पैकेज के तहत विभिन्न योजनाओं पर अतिरिक्त खर्च के लिए पिछले महीने अनुपूरक मांगों की पहली सूचकी की मंजूरी ली थी। दूसरी अनुपूरक मांगों को आमतौर पर संसद के शीतकालीन सत्र में रखा जाता है।

सूत्रों ने बताया कि सरकार ने बुनियादी ढांचा क्षेत्र से जुड़े विभिन्न मंत्रालयों को आवश्वस्त किया है कि जरूरत होने पर वह अतिरिक्त पैसा भी मुहैया कराएगी। सरकार संशोधित अनुमान के स्तर के अलावा भी अतिरिक्त धन उपलब्ध कराने को तैयार है।

वित्त मंत्री ने सीतारमण हाल में कहा था कि बुनियादी ढांचे और संपत्ति सजृन पर खर्च की जाने वाली राशि का अर्थव्यवस्था पर व्यापक प्रभाव होता है। इससे न केवल मौजूदा अर्थव्यवस्था सुधरती है बल्कि भविष्य के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में भी सुधार होता है।

सीतारमण ने पिछले महीने कोयला एवं पेट्रोलियम तथा प्राकृतिक गैस के तहत आने वाले सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों से कहा था कि वे दिसंबर तक अपने 2020-21 के अपने पूंजीगत व्यय का 75 प्रतिशत खर्च करें।

भारत में कोरोना वायरस महामारी के कारण देश का लक्जरी या महंगी कारों का बाजार पांच से सात साल पीछे चला गया attacknews.in

नयी दिल्ली, 25 अक्टूबर । कोरोना वायरस महामारी की वजह से देश का लक्जरी या महंगी कारों का बाजार पांच से सात साल पीछे चला गया है। जर्मनी की वाहन क्षेत्र की कंपनी ऑडी के एक शीर्ष अधिकारी ने यह बात कही।

ऑडी इंडिया के प्रमुख बलबीर सिंह ढिल्लों ने कहा कि लक्जरी कार के बाजार को फिर से 2014-15 के स्तर पहुंचने के लिए दो से तीन साल लगेंगे।

उन्होंने कहा कि कोविड-19 की वजह से आई दिक्कतों के बाद अब स्थिति सुधर रही है। हालांकि, हमारी बिक्री में अगले साल ही निचले आधार प्रभाव पर वृद्धि देखने को मिलेगी।

ढिल्लों ने कहा, ‘‘हम सभी कह रहे हैं कि बिक्री बढ़ रही है और धारणा सकारात्मक हुई है। हम भी अगले साल वृद्धि दर्ज करेंगे। आधार प्रभाव काफी नीचे चला गया है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘2014-15 में हमने जितनी कारें बेची थीं, हम उस स्तर पर तत्काल अगले साल नहीं पहुंच पाएंगे। ऐसे में महामारी ने हमें पांच से सात साल पीछे कर दिया है।’’ 2014 में भारत में लक्जरी कारों की बिक्री 30,000 इकाई रही थी। 2015 में यह 31,000 इकाई रही थी।

यह पूछे जाने पर लक्जरी कार उद्योग की स्थिति कब तक सुधरेगी, ढिल्लों ने कहा कि निश्चित रूप से यह अगले साल नहीं होगा। हमें उस स्तर पर पहुंचने में दो से तीन साल लगेंगे।

भारत के लक्जरी कार बाजार की शीर्ष पांच कंपनियों में मर्सिडीज, बीएमडब्ल्यू, ऑडी, जेएलआर और वोल्वो शामिल हैं। इन कंपनियों की बिक्री 2019 में 35,500 इकाई रही थी। 2018 में इन कंपनियों की बिक्री 40,340 इकाई रही थी।

भारत में अर्थव्यवस्था को उबारने के लिए सरकार देने जा रही है तीसरा प्रोत्साहन पैकेज:बुनियादी ढांचा क्षेत्र पर 37,000 करोड़ रुपये के अतिरिक्त खर्च के लिए संसद की मंजूरी लेगी attacknews.in

नयी दिल्ली, 25 अक्टूबर । सरकार बुनियादी ढांचा विकास पर 37,000 करोड़ रुपये अतिरिक्त खर्च के लिए संसद से अनुपूरक मांगों की दूसरी सूची की मंजूरी के अंतर्गत मंजूरी लेगी।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इसी महीने सड़क, रक्षा, जलापूर्ति, शहरी विकास और घरेलू स्तर पर उत्पादित पूंजीगत उपकरणों की खरीद जैसे कार्यों पर पूंजीगत व्यय के लिए 25,000 करोड़ रुपये के अतिरिक्त बजट की घोषणा की है। इसके अलावा केंद्र ने राज्यों के बुनियादी ढांचा विकास के लिए 12,000 करोड़ रुपये के विशेष 50 साल के ब्याजमुक्त कर्ज की सुविधा दिए जाने की भी घोषणा की है।

सूत्रों ने बताया कि अतिरिक्त खर्च के लिए दूसरी अनुपूरक मांगों के तहत मंजूरी ली जाएगी।

त्योहारी सीजन के बीच सरकार द्वारा कोरोना वायरस महामारी से प्रभावित अर्थव्यवस्था को उबारने के लिए यह तीसरे प्रोत्साहन पैकेज का हिस्सा है। ये 37,000 करोड़ रुपये 2020-21 के लिए सरकार द्वारा बजट में घोषित 4.13 लाख करोड़ रुपये के योजना-गत व्यय के अतिरिक्त होंगे।

सरकार ने आत्मनिर्भर अभियान पैकेज के तहत विभिन्न योजनाओं पर अतिरिक्त खर्च के लिए पिछले महीने अनुपूरक मांगों की पहली सूचकी की मंजूरी ली थी। दूसरी अनुपूरक मांगों को आमतौर पर संसद के शीतकालीन सत्र में रखा जाता है।

सूत्रों ने बताया कि सरकार ने बुनियादी ढांचा क्षेत्र से जुड़े विभिन्न मंत्रालयों को आवश्वस्त किया है कि जरूरत होने पर वह अतिरिक्त पैसा भी मुहैया कराएगी। सरकार संशोधित अनुमान के स्तर के अलावा भी अतिरिक्त धन उपलब्ध कराने को तैयार है।

वित्त मंत्री ने सीतारमण हाल में कहा था कि बुनियादी ढांचे और संपत्ति सजृन पर खर्च की जाने वाली राशि का अर्थव्यवस्था पर व्यापक प्रभाव होता है। इससे न केवल मौजूदा अर्थव्यवस्था सुधरती है बल्कि भविष्य के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में भी सुधार होता है।

सीतारमण ने पिछले महीने कोयला एवं पेट्रोलियम तथा प्राकृतिक गैस के तहत आने वाले सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों से कहा था कि वे दिसंबर तक अपने 2020-21 के अपने पूंजीगत व्यय का 75 प्रतिशत खर्च करें।

केंद्र सरकार द्वारा कर्जदारों को दीवाली का तोहफा:दो करोड़ रुपये तक के कर्ज पर ब्याज-राहत,किस्त भुगतान से राहत नहीं चुनने वालों को भी दो करोड़ तक के कर्ज पर ब्याज लाभ attacknews.in

नयी दिल्ली, 24 अक्टूबर । केंद्र सरकार ने कर्जदारों को बड़ी राहत दी है। उन्हें एक तरह से दिवाली का उपहार तोहफा देते हुए उनके दो करोड़ रुपये तक के कर्ज पर ब्याज-राहत देने की शुक्रवार को देर रात घोषणा की। यह राहत इस सीमा के तहत आने वाले सभी कर्जदारों को मिलेगा, चाहे उन्होंने किस्त भुगतान से छह महीने की मोहलत (मोरेटोरियम) का विकल्प चुना हो या नहीं।

उच्चतम न्यायालय द्वारा ब्याज राहत लागू करने का निर्देश दिये जाने के बाद वित्त मंत्रालय के वित्तीय सेवा विभाग ने इस योजना को लागू करने संबंधी दिशानिर्देश जारी किए।

इस निर्णय से सरकारी खजाने पर 6,500 करोड़ रुपये का बोझ पड़ने का अनुमान है।

शीर्ष अदालत ने 14 अक्टूबर को केंद्र को निर्देश दिया था कि वह कोविड-19 महामारी और लॉकडाउन के मद्देनजर रिजर्व बैंक की किस्तों के भुगतान से छूट की योजना के तहत दो करोड़ रुपये तक के कर्ज पर ब्याज माफ करने के बारे में यथाशीघ्र निर्णय ले।

न्यायालय ने कहा था कि आम लोगों की दिवाली अब सरकार के हाथों में है।

मंत्रालय के दिशानिर्देशों के अनुसार विनिर्दिष्ट ऋण खातों पर एक मार्च से 31 अगस्त 2020 की अवधि के लिये ब्याज राहत का लाभ दिया जाएगा। इसमें कहा गया, ‘‘जिन कर्जदारों के ऋण खाते की मंजूर सीमा या कुल बकाया राशि 29 फरवरी तक दो करोड़ रुपये से अधिक नहीं थी, वे इस योजना के लाभ के पात्र होंगे।’’

दिशानिर्देश की शर्तों के अनुसार, 29 फरवरी तक इन खातों का मानक होना अनिवार्य है। मानक खाता उन खाताओं को कहा जाता है, जिन्हें गैर निष्पादित संपत्ति (एनपीए) नहीं घोषित किया गया हो।

इस योजना के तहत आवास ऋण, शिक्षा ऋण, क्रेडिट कार्ड का बकाया, वाहन ऋण, एमएसएमई ऋण, टिकाऊ उपभोक्ता उत्पाद ऋण और उपभोग ऋण लेने वाले कर्जदारों को लाभ मिलेगा।

योजना के तहत, कर्ज देने वाले संस्थानों को योजना की अवधि के लिये पात्र कर्जदारों के संबंधित खातों में संचयी ब्याज व साधारण ब्याज के अंतर की राशि जमा करनी होगी। योजना में कहा गया है कि कर्जदार ने रिजर्व बैंक के द्वारा 27 मार्च 2020 को घोषित किस्त भुगतान से छूट योजना का पूर्णत: या अंशत: लाभ ल्रने का विकल्प चुना हो यह नहीं, उसे ब्याज राहत का पात्र माना जायेगा।

कर्ज राहत योजना का लाभ उन कर्जधारकों को भी मिलेगा, जो नियमित किस्तों का भुगतान करते रहे।

कर्ज देने वाले संस्थान इस योजना में दी गयी छूट के तहत संबंधित कर्जधारक के खाते में अपनी ओर से धन जमा करने के बाद केंद्र सरकार से उसके बराबर की राशि पाने के लिये दावा करेंगे।

उच्चतम न्यायालय ने 14 अक्टूबर को मामले की सुनवाई करते हुए कहा था, वह इस बारे में चिंतित है कि कर्जदारों को ब्याज राहत का लाभ किस तरह से दिया जाये। उच्चतम न्यायालय ने तब कहा था कि केंद्र सरकार ने आम लोगों की बदहाल स्थिति का संज्ञान लेते हुए अच्छा निर्णय लिया है। हालांकि शीर्ष न्यायालय ने इस बात पर चिंता व्यक्त की थी कि अब तक इस संबंध में कोई आदेश नहीं जारी किया गया है।

न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अगुवाई वाली पीठ ने कहा था, ‘‘कुछ ठोस किये जाने की जरूरत है। जितना जल्दी संभव हो सके, दो करोड़ रुपये तक के कर्जदारों को ब्याज से राहत देने की योजना का क्रियान्वयन किया जाना चाहिये।’’

उच्चतम न्यायालय ने मामले की सुनवाई की अगली तारीख दो नवंबर तय करते हुए बैंकों तथा केंद्र सरकार का पक्ष रख रहे वकीलों से कहा था, ‘लोगों की दिवाली अब आपके हाथों में है।

रिजर्व बैंक की कोरोना महामारी के दोबारा फैलने पर भारत की अर्थव्यवस्था चौपट होने की आशंका,अभी महामारी के कारण उत्पादन का जो नुकसान हुआ है, उसकी भरपाई करने में कई साल लग सकते हैं attacknews.in

मुंबई, 23 अक्टूबर । भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा है कि कोविड-19 महामारी अगर दोबारा से फैलती है तो उससे अर्थव्यवस्था में जो सुधार की शुरुआत दिख रही है उस पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।

वहीं, डिप्टी गवर्नर माइकल देबव्रत पात्रा ने कहा कि कोरोना महामारी के कारण उत्पादन का जो नुकसान हुआ है, उसकी भरपाई करने में कई साल लग सकते हैं।

नवगठित मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की 7 से 9 अक्टूबर के बीच हुई बैठक में ये विचार व्यक्त किये गये थे। समिति में नवनियुक्त स्वतंत्र सदस्य शशांक भिडे ने कहा कि कोविड-19 महामारी से संबंधित अनिश्चितताओं का अगले दो से तीन तिमाहियों में वृद्धि दर और मुद्रास्फीति परिदृश्य पर प्रभाव बना रहेगा।

आरबीआई द्वारा मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक के जारी ब्योरे के अनुसार दास ने यह भी कहा कि नीतिगत दर में कटौती की गुंजाइश है, लेकिन इस दिशा में आगे कदम मुद्रास्फीति के मोर्चे पर उभरती स्थिति पर निर्भर करेगा जो फिलहाल केंद्रीय बैंक के संतोषजनक स्तर से ऊपर चल रही है।

उन्होंने कहा, ‘‘मेरा यह मानना है कि अगर मुद्रास्फीति हमारी उम्मीदों के अनुरूप रहती हैं, तो भविष्य में नीतिगत दर में कटौती की गुंजाइश होगी। इस गुंजाइश का उपयोग आर्थिक वृद्धि में सुधार को संबल देने के लिये सोच-समझकर करने की जरूरत है। ’’ रिजर्व बैंक के अनुसार सकल मुद्रास्फीति चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में नरम पड़ेगी। अगले वित्त वर्ष की पहली तिमाही में इसमें और कमी आने का अनुमान है।

मुद्रास्फीति जून 2020 से 6 प्रतिशत से ऊपर बनी हुई है। सरकार ने आरबीआई को महंगाई दर 2 प्रतिशत घट-बढ़ के साथ 4 प्रतिशत के स्तर पर रखने की जिम्मेदारी दी हुई है।

वृद्धि के बारे में दास ने कहा, ‘‘हालांकि, कुछ अनिश्चितताएं भी हैं, जो शुरूआती पुनरूद्धार के पहिये को रोक सकती हैं। उसमें मुख्य रूप से कोविड-19 के मामलों में फिर से बढ़ोतरी की आशंका है। घरेलू वित्तीय स्थिति में सुधार के बावजूद निजी निवेश गतिविधियां नरम रह सकती हैं। हालांकि, घरेलू वित्तीय स्थिति बेहतर हुई है।’’

चालू वित्त वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही में देश के जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) में 23.9 प्रतिशत की गिरावट आयी है। डिप्टी गवर्नर पात्रा ने कहा कि भारत इस साल की पहली तिमाही में तकनीकी रूप से मंदी की स्थिति में पहुंचा है। यह देश के इतिहास में पहली बार हुआ है।

उन्होंने कहा, ‘‘…अगर अनुमान सही बैठता है, जीडीपी में 2020-21 में कोविड- पूर्व स्तर के मुकाबले करीब 6 प्रतिशत की कमी आएगी और उत्पादन के स्तर पर जो नुकसान हुआ है, उसे पाप्त करने में कई वर्ष लग सकते हैं।’’

आरबीआई के कार्यकारी निदेशक मृदुल सागर ने नीतिगत दर को यथावत रखने के पक्ष में वोट करते हुए इस बात पर चिंता जतायी कि अगर मौजूदा नकारात्मक वास्तविक ब्याज दर और नीचे जाती है, इससे विकृतियां उत्पन्न हो सकती है जिससे सकल बचत, चालू खाता और मध्यम अवधि में वृद्धि पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।

उन्होंने कहा, ‘‘खुदरा मियादी जमा दर एक साल की अवधि के लिये 4.90 से 5.50 प्रतिशत के बीच है। जबकि सकल मुद्रास्फीति कुछ महीनों से इससे ऊपर है। भविष्य में मुद्रास्फीति नीचे आने की उम्मीद है और इससे नीतिगत दर में कमी की गुंजाइश होगी। ऐसे में फिलहाल नीतिगत दर को यथावत रखना युक्तिसंगत होगा।’’

एमपीसी के सभी सदस्य .. शक्तिकांत दास, माइकल देबव्रत पात्रा, मृदुल के सागर, शशांक भिडे, आशिमा गोयल जयंत आर वर्मा…ने नीतिगत दर यथावत रखने के पक्ष में मत दिये।

समिति ने मुद्रास्फीति को लक्ष्य के दायरे में लाने के के साथ आर्थिक वृद्धि को गति देने के लिये जबतक जरूरी हो, मौद्रिक नीति के मामले में उदार रुख रखने का भी समर्थन किया।

अक्टूबर 2020 की पहले पखवाड़े में जारी मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत दर रेपो को 4 प्रतिशत पर बरकरार रखा गया। इसके साथ ही अन्य दरों में भी कोई बदलाव नहीं किया गया।

तमिलनाडु और महाराष्ट्र सहित 21 राज्यों को जीएसटी क्षतिपूर्ति की भरपाई के लिए केंद्र सरकार से मिली 78452 करोड़ रुपये जुटाने की अनुमति attacknews.in

नयी दिल्ली 14 अक्टूबर । सरकार ने तमिलनाडु को भी जीएसटी क्षतिपूर्ति की भरपाई के लिए 9627 करोड़ रुपये बाजार से जुटाने की अनुमति दे दी है।

वित्त मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार महाराष्ट्र सहित 20 राज्यों को कल यह अनुमति दी गयी थी और अब तमिलनाडु के भी विकल्प एक का चयन करने की इच्छा व्यक्त करने पर उसे भी यह अनुमति दे दी गयी है। इस तरह से अब तक 21 राज्यों को 78452 करोड़ रुपये जुटाने की अनुमति दी जा चुकी है।

20 राज्यों को 688215 करोड़ रुपये जुटाने की अनुमति मिली

कल सरकार ने महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और उत्तर प्रदेश सहित 20 राज्यों को जीएसटी क्षतिपूर्ति की भरपाई के लिए बाजार से 68825 करोड़ रुपये जुटाने की अनुमति दे दी  थी ।

वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग ने इन राज्यों को 68825 करोड़ रुपये अतिरिक्त जुटाने की अनुमति दी है। इन राज्याें को सकल राज्य घरेलू उत्पाद का 0.50 प्रतिशत राशि जुटाने की अनुमति मिली है।

देश में जीएसटी लागू करने के कारण राज्यों के राजस्व को होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए जीएसटी उपकर लगाया था और इसकी भरपाई इसी से की जा रही है। कोरोना के कारण राजस्व संग्रह में कमी आने के कारण राज्यों को क्षतिपूर्ति राजस्व नहीं मिल पा रहा है। इसके मद्देनजर केन्द्र ने राज्यों को क्षतिपूर्ति राजस्व की भरपाई दो विकल्प दिये थे जिसमें से 20 राज्यों ने पहले विकल्प का चयन कर बाजार से राशि जुटाने की इच्छा जतायी। हालांकि अधिकांश कांग्रेस शासित या उसके समर्थन से चल रही राज्य सरकारों ने इस विकल्प का चयन नहीं किया और वे केन्द्र को धनराशि जुटाकर देने की मांग की।

जीएसटी परिषद की दो चरणों में संपन्न 42वीं बैठक में इस पर सहमति नहीं बन पायी लेकिन राज्य इस पर सहमत हुये हैं कि बाजार से जुटायी जाने वाली उधारी का भुगतान करने के लिए क्षतिपूर्ति उपकर लगाने की अवधि को जुलाई 2022 के आगे बढ़ाने पर सहमत हो गये हैं।

जिन राज्यों ने पहले विकल्प का चयन किया है उनमें आंध्र प्रदेश, अरूणाचल प्रदेश, असम , बिहार, गोवा, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नगालैंड, ओडिशा, सिक्किम, त्रिपुरा, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड शामिल है। आठ राज्यों ने अब तक किसी विकल्प का चयन नहीं किया है। महाराष्ट्र को छोड़कर विपक्षी दलों द्वारा शासित किसी राज्य ने इस विकल्प को नहीं चुना है।

केंद्र सरकार ने सभी मंत्रालयों, विभागों और सार्वजनिक क्षेत्र की इकाईयों के लिए बीएसएनएल, एमटीएनएल की सेवाओं के उपयोग को अनिवार्य किया attacknews.in

नयी दिल्ली, 14 अक्टूबर । केंद्र सरकार ने अपने सभी मंत्रालयों, सार्वजनिक विभागों और सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों के लिए सरकारी दूरसंचार कंपनियों भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) और महानगर संचार निगम लिमिटेड (एमटीएनएल) की सेवाओं के उपयोग को अनिवार्य कर दिया है।

दूरसंचार विभाग (डीओटी) द्वारा जारी एक ज्ञापन में कहा गया, ‘‘भारत सरकार ने अपने सभी मंत्रालयों/ विभागों, सीपीएसई, केंद्रीय स्वायत्त निकायों द्वारा बीएसएनएल और एमटीएनएल की सेवाओं के अनिवार्य रूप से इस्तेमाल की मंजूरी दी है।’’

इस ज्ञापन पर 12 अक्टूबर की तारीख अंकित है और इसे वित्त मंत्रालय से परामर्श के बाद केंद्र सरकार के सभी सचिवालयों और विभागों को जारी किया गया।

ज्ञापन में कहा गया कि बीएसएनएल और एमटीएनएल की दूरसंचार सेवाओं के इस्तेमाल को अनिवार्य करने का निर्णय मंत्रिमंडल ने लिया।

दूरसंचार विभाग ने सभी मंत्रालयों, विभागों, सीपीएसई और केंद्रीय स्वायत्त संगठनों से कहा है कि वे इंटरनेट, ब्रॉडबैंड, लैंडलाइन और लीज्ड लाइन जरूरतों के लिए बीएसएनएल या एमटीएनएल नेटवर्क का अनिवार्य रूप से उपयोग करें।

यह आदेश सरकारी दूरसंचार कंपनियों के घाटे को कम करने के लिए किया गया है, जो तेजी से अपने ग्राहक आधार को खो रहे हैं।

बीएसएनएल को 2019-20 में 15,500 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था, जबकि इस दौरान एमटीएनएल का घाटा 3,694 करोड़ रुपये रहा।

रिजर्व बैंक ने कोरोना वायरस महामारी के दौरान लागू की गई योजना में सिर्फ 1 मार्च तक के बिना चूक वाले मानक ॠण खातों के पुनर्गठन को मंजूरी दी attacknews.in

महामारी योजना के तहत सिर्फ एक मार्च तक के मानक ऋण खातों का पुनर्गठन हो सकता है: आरबीआई

मुंबई, 14 अक्टूबर । भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने स्पष्ट किया है कि ऐसे मानक ऋण खाते, जिनमें एक मार्च 2020 तक कोई चूक नहीं हुई थी, वे ही अगस्त में महामारी संबंधी समाधान मसौदे के तहत पुनर्गठन के पात्र हैं।

आरबीआई ने अपने छह अगस्त के परिपत्र पर यह स्पष्टीकरण मंगलवार देर रात कर्जदारों से साथ ही कर्जदाताओं को जारी किया।

केंद्रीय बैंक ने कहा कि ऐसे ऋण खाते जिनमें एक मार्च 2020 को 30 दिन से अधिक का बकाया था, वे कोविड-19 समाधान मसौदे के तहत पुनर्गठन के पात्र नहीं हैं।

ऐसा इसलिए है क्योंकि पुनर्गठन मसौदा सिर्फ योग्य कर्जदारों पर लागू है, जिन्हें एक मार्च 2020 को मानक के रूप में वर्गीकृत किया गया है।

केंद्रीय बैंक ने हालांकि कहा कि ऐसे खातों का सात जून, 2019 के विवेकपूर्ण मसौदे के तहत समाधान किया जा सकता है।

इसी तरह नियामक ने कहा कि परिचालन शुरू करने की तारीख के स्थगन (डीसीसीओ) से संबंधित परियोजना ऋणों को समाधान मसौदे के दायरे से बाहर रखा गया है और ऐसे सभी खाते सात फरवरी, 2020 और अन्य संबंधित निर्देशों के अनुसार प्रशासित होंगे।

साथ ही एक ही कर्जदार को कई ऋणदाताओं द्वारा ऋण देने के मामले में सभी उधार देने वाले संस्थानों को एक अंतर-साख समझौता करना होगा।

केंद्रीय बैंक ने 100 करोड़ रुपये और उससे अधिक के ऋण पर किसी क्रेडिट रेटिंग एजेंसी द्वारा स्वतंत्र क्रेडिट मूल्यांकन की जरूरत के बारे में कहा कि यदि एक से अधिक रेटिंग एजेंसी से रेटिंग ली जाती है, तो ऐसे में सभी की राय आरपी4 रेटिंग या उससे ऊपर होनी चाहिए।

स्पष्टीकरण में यह भी कहा गया कि 26 जून को प्रभावी सूक्ष्म, लघु और मझोले उद्यमों (एमएसएमई) की नई परिभाषा, समाधान के लिए उनकी पात्रता को प्रभावित नहीं करेगी। यह समाधान एक मार्च, 2020 तक मौजूद परिभाषा के आधार पर होगा।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की घोषणा: राज्यों को पूंजीगत परियोजनाओं के लिए 12,000 करोड़ रुपये का 50 साल की अवधि का ब्याज-मुक्त कर्ज देगी केन्द्र सरकार attacknews.in

नयी दिल्ली, 12 अक्टूबर । आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिये केन्द्र सरकार राज्यों को 12,000 करोड़ रुपये का ब्याज मुक्त कर्ज उपलब्ध करायेगी। कर्ज 50 साल की अवधि का होगा और यह पूंजीगत परियोजनाओं पर खर्च करने के लिये दिया जायेगा।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को अचानक बुलाये गये संवाददाता सम्मेलन में इस योजना की घोषणा करते हुये कहा कि 12,000 करोड़ रुपये की राशि में से 1,600 करोड़ रुपये पूर्वोत्तर राज्यों को और 900 करोड़ रुपये उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश को दिए जाएंगे।

उन्होंने बताया कि 7,500 करोड़ रुपये की राशि शेष राज्यों को दी जाएगी। वहीं 2,000 करोड़ रुपये उन राज्यों को दिए जाएंगे जिन्होंने पहले बताये गये सुधारों को पूरा कर लिया होगा।

सीतारमण ने योजना के बारे में जानकारी देते हुये कहा कि पूरी राशि नई या मौजूदा पूंजीगत परियोजनाओं पर खर्च की जा सकेगी। सीतारमण ने कहा कि राज्य ठेकेदारों और आपूर्तिकर्ताओं के लिए बिलों का निपटान भी इससे कर सकते हैं, लेकिन पूरी राशि का भुगतान 31 मार्च, 2021 से पहले करना होगा।

उन्होंने कहा कि यह कर्ज राज्यों की उधारी सीमा से अलग होगा। 50 साल बाद राज्यों को इसका भुगतान एक बार में करना होगा।

वित्त मंत्री ने केंद्र सरकार द्वारा 25,000 करोड़ रुपये के अतिरिक्त पूंजीगत व्यय की भी घोषणा की। उन्होंने कहा कि यह अतिरिक्त राशि सड़क, रक्षा ढांचे, जलापूर्ति और शहरी विकास पर खर्च की जाएगी। यह 4.13 लाख करोड़ रुपये के निर्धारित बजट के अतिरिक्त होगी।