वाट्सअप ने शुरू की नई सेवा: भारत में दिसम्बर अंत तक एसबीआई जनरल के किफायती स्वास्थ्य बीमा को व्हाट्सऐप के जरिए खरीदा जा सकेगा attacknews.in

नयी दिल्ली, 16 दिसंबर । व्हाट्सऐप ने बुधवार को कहा कि वह भारत में अपने उपयोगकर्ताओं को वित्तीय सेवाओं तक व्यापक पहुंच उपलब्ध कराने के लिए इस साल के अंत तक अपने मंच से ‘‘किफायती स्केच-साइज’’ स्वास्थ्य बीमा खरीदने की पेशकश करेगी।

स्केच साइज बीमा योजनाओं में खास जरूरतों पर आधारित बीमा की पेशकश की जाती है, जिनमें प्रीमियम और बीमा कवर दोनों ही कम होते हैं।

फेसबुक के स्वामित्व वाली कंपनी ने कहा कि उसकी ‘भुगतान’ सुविधा अब बैंकिंग भागीदारों – भारतीय स्टेट बैंक, एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक और एक्सिस बैंक के समर्थन से देश भर में (वर्तमान में दो करोड़ उपयोगकर्ताओं तक) उपलब्ध है।

व्हाट्सऐप इंडिया के प्रमुख अभिजीत बोस ने फेसबुक के कार्यक्रम ‘फ्यूल ऑफ इंडिया 2020’ में कहा, ‘‘व्हाट्सऐप भारत में 40 करोड़ से अधिक सक्रिय उपयोगकर्ताओं के लिए प्रतिबद्ध है, यह हमारा सबसे बड़ा बाजार है। हमारी प्राथमिकता हमेशा लोगों को एक दूसरे से जुड़ने के लिए सबसे सरल, विश्वसनीय, निजी और सुरक्षित साधन मुहैया करना होगा। हालांकि, भारत में हम चार अन्य स्तंभों पर भी निर्माण कर रहे हैं।’’

उन्होंने कहा कि व्हाट्सऐप भारत के छोटे व्यवसायों के और अधिक डिजिटलीकरण में मदद करना चाहता है, ताकि उपभोक्ताओं के लिए अपने पसंदीदा व्यवसायों से जुड़ना और उन्हें खरीदना आसान हो सके। इसके लिए सभी क्षेत्रों में डिजिटल भुगतान का निर्माण करना है, खासकर भारत में बिना लाइसेंस वाले उपयोगकर्ताओं के लिए।

बोस ने कहा, ‘‘व्हाट्सएप लगातार कई योजनाओं पर काम कर रहा है ताकि यह सुनिश्चित करने में मदद मिल सके कि हर व्यक्ति अपने मोबाइल डिवाइस के जरिए सबसे बुनियादी वित्तीय सेवाओं और आजीविका संबंधी सेवाओं को पा सके। हमें उम्मीद है कि इस साल के अंत तक लोग व्हाट्सऐप के जरिए किफायती स्केच-साइज स्वास्थ्य बीमा खरीद सकेंगे।’’

उन्होंने कहा कि इसके अलावा एडु-टेक और एग्री-टेक जैसे अन्य क्षेत्रों में की जा रही पहल से अधिक डिजिटल अर्थव्यवस्था बनाने के सरकार के लक्ष्य को पाने में मदद मिलेगी।

एक बयान में व्हाट्सऐप ने कहा कि इस साल के अंत तक एसबीआई जनरल के किफायती स्वास्थ्य बीमा को व्हाट्सऐप के जरिए खरीदा जा सकेगा।

भारत में मंहगाई बढ़ी:थोक कीमतों पर आधारित मुद्रास्फीति नौ महीनों के उच्चतम स्तर पर,खाद्य वस्तुओं की महंगाई की रफ्तार में थोड़ी नरमी और मैन्यूफैक्चरिंग उत्पादन के सामान महंगे हुए attacknews.in

नयी दिल्ली, 14 दिसंबर ।विनिर्मित(मैन्यूफैक्चरिंग) उत्पादों के महंगा होने के चलते थोक कीमतों पर आधारित महंगाई (डब्ल्यूपीआई मुद्रास्फीति) नवंबर में 1.55 प्रतिशत बढ़कर नौ महीनों के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई।

हालांकि, इस दौरान खाद्य वस्तुओं की महंगाई दर में कुछ नरमी आई।

नवबंर में डब्ल्यूपीआई मुद्रास्फीति फरवरी के बाद से सबसे अधिक है, जब यह 2.26 प्रतिशत थी।

समीक्षाधीन अवधि में खाद्य वस्तुओं की कीमतों में बढ़ोतरी की रफ्तार कुछ कम हुई, हालांकि विनिर्मित वस्तुओं की कीमतें तेजी से बढ़ीं।

खानेपीने की वस्तुओं की थोक कीमत नवंबर में 3.94 प्रतिशत बढ़ी, जबकि इससे पिछले महीने यह आंकड़ा 6.37 प्रतिशत था। इस दौरान सब्जियों और आलू की कीमतों में तेजी जारी रही।

गैर-खाद्य वस्तुओं की महंगाई दर भी 8.43 प्रतिशत के उच्च स्तर पर बनी रही।

इस दौरान ईंधन और बिजली की महंगाई दर ऋणात्मक 9.87 प्रतिशत थी।

नवंबर में थोक मुद्रास्फीति की दर बढ़ी

बाजार में आवक सख्त रहने और मांग बढ़ने से नवंबर 2020 में थोक मुद्रस्फीति की दर 1.55 प्रतिशत पर दर्ज की गयी है जबकि इससे पिछले वर्ष के इसी माह में यह आंकड़ा 0.58 प्रतिशत था।

केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के सोमवार को यहां जारी आंकड़ों में बताया गया कि अक्टूबर 2020 में थोक मुद्रास्फीति की दर 1.48 प्रतिशत रही थी। चालू वित्त वर्ष में काेरोना महामारी के कारण खुदरा बाजार में मांग कम रही और अप्रैल से नवंबर 2020 तक अवधि में थोक मुद्रास्फीति की दर 0.28 प्रतिशत नकारात्मक रही है। हालांकि इससे पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि में यह आंकडा 1.40 प्रतिशत रहा था।

आंकड़ों के अनुसार नवंबर 2020 में खाद्य वस्तुओं की थोक मुद्रास्फीति की दर 4.27 प्रतिशत हो गयी है। अक्टूबर 2020 में यह 5.78 प्रतिशत थी। आलोच्य माह में प्राथमिक वस्तुओं की थोक मुद्रास्फीति की दर 2.72 प्रतिशत और विनिर्मित उत्पादों की दर 2.97 प्रतिशत दर्ज की गयी है। इसी माह में ईंधन एवं बिजली की दर 9.87 प्रतिशत नकारात्मक रही है।

नवम्‍बर, 2020 में भारत का थोक मूल्य सूचकांक

उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग के आर्थिक सलाहकार के कार्यालय ने नवम्‍बर, 2020 (अनंतिम) और सितंबर 2020 (अंतिम) के लिए थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) जारी किए हैं।

थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) के अनंतिम आंकड़े देश भर में चयनित विनिर्माण इकाइयों से प्राप्त आंकड़ों के साथ संकलित किए जाते हैं और हर महीने की 14 तारीख (या अगले कार्य दिवस) को जारी किए जाते हैं। 10 सप्ताह के बाद, सूचकांक को अंतिम रूप दिया गया और अंतिम आंकड़े जारी किए गए हैं।

मुद्रास्‍फीति

वार्षिक थोक मूल्‍य सूचकांक (डब्‍ल्‍यूपीआई) पर आधारित मुद्रास्‍फीति की वार्षिक दर नवम्‍बर, 2020 के दौरान (नवम्‍बर, 2019 की तुलना में) 1.55 प्रतिशत (अनंतिम) रही, जबकि इससे पिछले साल इसी महीने यह 0.58 प्रतिशत थी।

विभिन्‍न जिंस समूहों के सूचकांक में कुछ उतार-चढ़ाव इस प्रकार रहे :-

प्राथमिक वस्तुएं (भारांक 22.62 प्रतिशत)

इस प्रमुख समूह का सूचकांक अक्‍टूबर महीने के 152.4अंक (अंतिम) से -0.79प्रतिशत घटकर नवम्‍बर में 151.2अंक (अनंतिम) रहा। अक्‍टूबर, 2020 की तुलना में नवम्‍बर, 2020 में गैर-खाद्य उत्पादों की कीमतों में (6.17प्रतिशत) की बढ़ोतरी हुई। अक्‍टूबर, 2020 की तुलना में नवम्‍बर2020 के दौरान खनिजों (-13.19%), क्रूड पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस (-11.11 प्रतिशत) और खाद्य वस्‍तुओं (-0.82 प्रतिशत) की कीमतों में गिरावट दर्ज हुई ।

ईंधन और बिजली (भारित 13.15%)

इस प्रमुख समूह का सूचकांक अक्‍टूबर2020 के दौरान सूचकांक91.1 अंक (अंनतिम) था, जो (0.22प्रतिशत)बढ़कर नवम्‍बर2020 में 91.3 अंक (अनंतिम) हो गया। अक्‍टूबर, 2020 की तुलना में नवम्‍बर 2020 में खनिज तेलों (0.39 प्रतिशत) और कोयले (0.08प्रतिशत) की कीमतों में बढ़ोतरी हुई। बिजली के दामों में कोई बदलाव नहीं हुआ।

विनिर्मित उत्पाद (भारित 64.23%)

प्रमुख समूह के अक्‍टूबर2020 के दौरान सूचकांक 120.3प्रतिशतथा, जो नवम्‍बर 2020 में 0.83 प्रतिशत बढ़कर 121.3 (अंनतिम) हो गया। विनिर्मित उत्पादों के 22 एनआईसी दो-अंकीय समूहों में से, 18समूहों की कीमतों में अक्‍टूबर2020 की तुलना में नवम्‍बर 2020 के दौरान बढ़ोत्तरी देखी गई जिनमें खाद्य उत्पाद; तंबाकू उत्पाद; वस्त्र; परिधान; चमड़ा और उसके उत्‍पाद; लकड़ी और उसके उत्‍पाद; कागज और कागज उत्पाद; रसायन और रसायन उत्‍पाद, फार्मास्यूटिकल्स, औषधीय रसायन और वनस्पति उत्पाद; रबर और प्लास्टिक उत्पाद; बुनियादी धातु; अन्य गैर-धातु खनिज उत्पाद; फेब्रिकेटिडउत्‍पाद; मशीनरी और उपकरणों को छोड़कर, विद्युत उपकरण; मोटर वाहन, ट्रेलर और अर्ध-ट्रेलर; अन्य परिवहन उपकरण; अन्य विनिर्माण उपकरणआदि शामिल हैं। वहीं इस अवधि के दौरान जिन 3समूहों में गिरावट दर्ज की उनमें मशीनरी और उपकरण निर्माण; कंप्यूटर, इलेक्ट्रॉनिक और ऑप्टिकल उत्पाद, प्रिंटिंग आदि शामिल हैं। जबकि अक्‍टूबर की तुलना में नवम्‍बर 2020 के दौरान फर्नीचर की कीमतें अपरिवर्तित रहीं।

डब्ल्यूपीआई खाद्य सूचकांक (भारित 24.38%)

खाद्य सूचकांक, जिसमें प्राथमिक वस्‍तु समूह की ‘खाद्य वस्‍तुएं’ और निर्मित उत्पाद समूह के ‘खाद्य उत्पाद’ शामिल हैं, इनका यह सचूकांक जो अक्‍टूबर2020में159.3था नवम्‍बर 2020 में घटकर 158.9हो गया। उधर, डब्ल्यूपीआई खाद्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति की दर जो अक्‍टूबर में 5.78प्रतिशत थी घटकर नवम्‍बर 2020 में 4.27 % हो गई।

सितम्‍बर, 2020 के महीने के लिए अंतिम सूचकांक (आधार वर्ष: 2011-12 = 100)

सितम्‍बर, 2020 के लिए अंतिम थोक मूल्य सूचकांक और ‘सभी वस्तुओं’ के लिए मुद्रास्फीति की दर (आधार: 2011-12 = 100) अनंतिम आंकड़ा क्रमश: 122.9और 1.32 % रहे।

नोट: 1. नवम्‍बर, 2020 के लिए डब्ल्यूपीआई को 75.5 प्रतिशत की प्रतिक्रिया दर पर संकलित किया गया है, जबकि सितंबर, 2020 के लिए अंतिम आंकड़ा 92.5 प्रतिशत की भारितप्रतिक्रिया दर पर आधारित है। डब्ल्यूपीआईके ये अनंतिम आंकड़े डब्ल्यूपीआई की अंतिम संशोधन नीति के अनुसार संशोधित होंगे।

  1. मूल्य डेटा को राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआईसी) द्वारा संचालित वेब आधारित पोर्टल के माध्यम से देश भर में फैले चयनित संस्थागत स्रोतों और औद्योगिक प्रतिष्ठानों से एकत्र किया जाता है।

प्रेस रिलीज़ की अगली तारीख: दिसंबर 2020 के लिए 14/01/2021है।

भारत की वृहद आर्थिक स्थिति काफी अनिश्चित, 2020-21 में GDP में आएगी 10 प्रतिशत की गिरावट, अर्थव्यवस्था में सुस्ती नियंत्रण से बाहर attacknews.in

नयी दिल्ली, 13 दिसंबर । देश की वृहद आर्थिक स्थिति ‘काफी अनिश्चित’ है और चालू वित्त वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में करीब 10 प्रतिशत की गिरावट आ सकती है। पूर्व मुख्य सांख्यिकीविद प्रणव सेन ने यह राय जताई है।

सेन ने पीटीआई-भाषा से साक्षात्कार में कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा अर्थव्यवस्था का कुल वृहद प्रबंधन बहुत अच्छा नहीं है, लेकिन अर्थव्यवस्था में यह सुस्ती उनके नियंत्रण से बाहर है।

सेन ने कहा, ‘‘फिलहाल भारत की मौजूदा वृहद आर्थिक स्थिति काफी अनिश्चित है। मैं कहूंगा कि हमें बहुत-बहुत सतर्क रहना होगा। मुझे लगता है कि आसपास कुछ अधिक ‘आशावाद’ का माहौल है।’’

उन्होंने कहा कि चालू वित्त वर्ष यानी 2020-21 में भारत की अर्थव्यवस्था की वास्तविक वृद्धि दर नकारात्मक 10 प्रतिशत रहेगी।

सेन ने कहा कि तिमाही जीडीपी आंकड़े अब भी कुछ कॉरपोरेट खातों पर आधारित होते हैं। कॉरपोरेट क्षेत्र का प्रदर्शन गैर-कॉरपोरेट क्षेत्र की तुलना में अधिक खराब नहीं रहा है।

प्रसिद्ध अर्थशास्त्री ने कहा, ‘‘हमें पता है कि कंपनियों की तुलना में सूक्ष्म, लघु एवं मझोला उपक्रम (एमएसएमई) क्षेत्र अधिक प्रभावित हुआ है। ऐसे में राष्ट्रीय खातों से जो आंकड़े आ रहे है वे अर्थव्यवस्था की कुछ अधिक आशावादी तस्वीर दिखा रहे हैं।’’

सेन ने निवेशकों का भरोसा कायम करने पर भी जोर दिया।

उन्होंने कहा कि निवेशक वे नए लोग हैं जो नई उत्पादन क्षमता में अपना पैसा लगाते हैं। यह पूरी तरह नदारद है। उन्होंने कहा कि जब तक निवेश वापस नहीं लौटता अर्थव्यवस्था आगे नहीं बढ़ सकती है।

सेन ने कहा, ‘‘अभी जैसी स्थिति है, तो हमारी उत्पादन क्षमता 2019-20 की तुलना में अधिक ऊंची नहीं रहेगी। वास्तव में यह इससे कम रहेगी, क्योंकि कुछ क्षमता अब बंद हो चुकी है।’’

सेन सांख्यिकी पर स्थायी समिति (एससीईएस) के प्रमुख भी हैं। उन्होंने कहा कि समिति अभी तक अपनी रिपोर्ट को अंतिम रूप नहीं दे पाई है।

सितंबर तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था में उम्मीद से बेहतर सुधार दर्ज किया है। विनिर्माण क्षेत्र के बेहतर प्रदर्शन से सितंबर की दूसरी तिमाही में जीडीपी में गिरावट घटकर 7.5 प्रतिशत रह गई है। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था में 23.9 प्रतिशत की गिरावट आई थी।

रिजर्व बैंक के अनुसार, 2020-21 में भारतीय अर्थव्यवस्था में 7.5 प्रतिशत की गिरावट आने का अनुमान है।

देश की सबसे बड़ी कार कंपनी मारुति सुजुकी इंडिया अगले साल फिर से डीजल से चलने वाली मारुति कारों का निर्माण शुरू करने जा रही है attacknews.in

नयी दिल्ली, 13 दिसंबर । देश की सबसे बड़ी कार कंपनी मारुति सुजुकी इंडिया (एमएसआई) अगले साल फिर डीजल खंड में उतर सकती है। उद्योग के सूत्रों ने यह जानकारी देते कहा कि डीजल खंड से ग्राहकों की काफी अच्छी मांग आ रही है। विशेषरूप से एसयूवी और बहुउद्देश्यीय वाहन खंड (एमपीवी) खंड की मांग काफी अच्छी है, जिसके मद्देनजर मारुति फिर डीजल वाहन क्षेत्र में उतरने की योजना बना रही है।

इस साल अप्रैल से कड़े भारत चरण-छह (बीएस-6) उत्सर्जन मानक लागू होने के बाद वाहन क्षेत्र की प्रमुख कंपनी ने डीजल मॉडल बंद कर दिए थे।

सूत्रों ने बताया कि मारुति ने अपने मानेसर के पावरट्रेन संयंत्र का अद्यतन शुरू कर दिया है जिससे वह अगले साल के मध्य या त्योहारी सीजन से बीएस-6 डीजल इंजन पेश करना शुरू कर सके।

सूत्रों ने इस बात की पुष्टि की कि कंपनी एर्टिगा तथा विटारा ब्रेजा मॉडलों में बीएस-6 अनुकूल डीजल पावरट्रेन का प्रयोग कर घरेलू बाजार में इसकी शुरुआत कर सकती है।

हालांकि, मारुति ने डीजल खंड में फिर उतरने के लिए कोई विशेष वजह नहीं बताई है।

इस बारे में संपर्क करने पर मारुति के प्रवक्ता ने कहा, ‘‘हम भविष्य की प्रौद्योगिकियों के बारे में कोई संकेत नहीं दे सकते।’’

सूत्रों ने कहा कि कंपनी अपने मानेसर संयंत्र के मौजूदा सेट-अप को अपग्रेड करने की तैयारी कर रही है। पहले कंपनी ने इसी संयंत्र में ही विकसित 1,500 सीसी के बीएस-6 उत्सर्जन मानक के डीजल इंजन उतारे थे।

कंपनी ने कुछ समय के लिए इस पावरट्रेन का इस्तेमाल अपनी मध्यम आकार की सेडान सियाज और एर्टिगा में किया था। बाद में उसने डीजल खंड को बंद कर दिया था।

उस समय कंपनी के अन्य मॉडलों मसलन विटारा ब्रेजा, डिजायर, स्विफ्ट, एस-क्रॉस और बलेनो में फिएट का 1,300 सीसी का इंजन लगा था। फिलहाल कंपनी की बीएस-6 अनुकूल समूची मॉडल श्रृंखला में एक लीटर, 1.2 लीटर और 1.5 लीटर का पेट्रोल इंजन लगा है। कंपनी कुछ मॉडलों के सीएनजी संस्करणों की भी बिक्री करती है।

मारुति के चेयरमैन आर सी भार्गव ने 26 अप्रैल, 2019 को घोषणा की थी कि कंपनी एक अप्रैल, 2020 से अपने पोर्टफोलियो से डीजल कारों को हटा देगी।

केंद्र सरकार ने एमएसपी(न्यूनतम समर्थन मूल्य) पर अब तक 69,612 करोड़ रुपये में 368.7 लाख टन धान की खरीदारी की,पिछले साल की इसी अवधि के मुकाबले 22.5 प्रतिशत अधिक attacknews.in

नयी दिल्ली, 11 दिसंबर । मौजूदा खरीफ विपणन सत्र में अब तक न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर धान की खरीद पिछले साल की इसी अवधि के मुकाबले 22.5 प्रतिशत बढ़कर 368.7 लाख टन तक पहुंच गई है। यह खरीद 69,612 करोड़ रुपये में की गई।

शुक्रवार को जारी एक आधिकारिक वक्तव्य में कहा गया है कि अक्टूबर 2020 से शुरू हुये मौजूदा खरीफ विपणन सत्र 2020- 21 में सरकार लगातार नयूनतम समर्थन मूलय पर किसानों से खरीफ फसलों की खरीदारी कर रही है।

इसमें कहा गया है कि पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, तेलंगाना, उत्तराखंड, तमिल नाडु, चंडीगढ़, जम्मू कश्मीर, केरल, गुजरात, आंध्र प्रदेश, आडीशा, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और बिहार में 2020- 21 खरीफ सत्र की सरकारी खरीद लगातार सुनियोजित ढंग से चल रही है।

वक्तव्य में कहा गया है कि भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) और राज्यों की अन्य एजेंसियों ने 10 दिसंबर 2020 तक 368.7 लाख टन धान की खरीद कर ली है जबकि इसी अवधि तक पिछले साल 300.97 लाख टन धान की खरीद की गई थी।

इसमें कहा गया कि मौजूदा खरीफ विपणन सत्र के तहत एमएसपी पर चल रही खरीदारी से 39.92 लाख किसानों को फायदा हुआ है। यह खरीद कुल मिलाकर 69,611.81 करोड़ रुपये की हुई है।

वक्तव्य के मुताबिक धान की कुल 368.70 लाख टन की खरीद में से अकेले पंजाब में 202.77 लाख टन की खरीद की गई है। इस प्रकार खरीफ की धान खरीद में करीब 55 प्रतिशत खरीदारी पंजाब से हुई है।

रिजर्व बैंक ने लगातार तीसरी बार ब्याज दर यथावत 4 प्रतिशत रखी,दूसरी छमाही में अर्थव्यवस्था के वृद्धि के रास्ते पर लौटने की उम्मीद,दिसंबर तिमाही में 6.8 प्रतिशत खुदरा मुद्रास्फीति रहने का अनुमान attacknews.in

मुंबई, 4 दिसंबर । रिजर्व बैंक ने लगातार तीसरी बार मुख्य नीतिगत दर को शुक्रवार को यथावत रखा। इससे अंतरबैंकिंग मुद्रा बाजार में रुपया शुरुआती कारोबार में 16 पैसे मजबूत होकर 73.77 प्रति डॉलर पर पहुंच गया।

कारोबारियों ने कहा कि विदेशी निवेश की आवक, घरेलू शेयर बाजारों की सकारात्मक शुरुआत और विदेशी बाजारों में डॉलर की नरमी से रुपये को मदद मिली है।

रुपया मजबूती के साथ 73.81 प्रति डॉलर पर खुला और थोड़ी ही देर में 73.77 प्रति डॉलर पर पहुंच गया।

इससे पहले बृहस्पतिवार को रुपया 73.93 प्रति डॉलर पर बंद हुआ था।

रिजर्व बैंक ने मौद्रिक नीति समिति की बैठक के बाद शुक्रवार को रेपो दर को चार प्रतिशत पर बनाये रखने का निर्णय लिया। हालांकि, रिजर्व बैंक ने जरूरत पड़ने पर कटौती की गुंजाइश बनाये रखने के लिये मौद्रिक रुख को नरम रखा है।

इस बीच छह प्रमुख अंतरराष्ट्रीय मुद्राओं के बास्केट में डॉलर का सूचकांक 0.02 प्रतिशत गिरकर 90.69 पर रहा।

विदशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने खरीदारी का रुख जारी रखा और उन्होंने बृहस्पतिवार को शुद्ध आधार पर 3,637.42 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे।

इस बीच कच्चा तेल का अंतरराष्ट्रीय मानक ब्रेंट क्रूड का वायदा 1.93 फीसदी बढ़कर 49.65 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा था।

रिजर्व बैंक को दूसरी छमाही में अर्थव्यवस्था के वृद्धि के रास्ते पर लौटने की उम्मीद:

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने शुक्रवार को कहा कि उसे चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में अर्थव्यवस्था के वृद्धि की राह पर लौट आने का अनुमान है।

कोरोना वायरस महामारी के कारण अर्थव्यवस्था में पहली तिमाही में 23.9 प्रतिशत और दूसरी तिमाही में 7.5 प्रतिशत की गिरावट आयी है।

मौद्रिक नीति समिति की बैठक के बाद भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा, ‘‘दूसरी छमाही में कुछ सकारात्मक वृद्धि की उम्मीद है।’’

उन्होंने कहा कि पूरे वित्तीय वर्ष 2020- 21 के दौरान अर्थव्यवस्था में 7.5 प्रतिशत तक गिरावट रहने का अनुमान है। हालांकि, इससे पहले बैंक ने वर्ष के दौरान 9.5 प्रतिशत की गिरावट आने का अनुमान लगाया था।

रिजर्व बैंक ने अक्टूबर में जारी पूर्वानुमान में कहा था कि चालू वित्त वर्ष में देश की जीडीपी में 9.5 प्रतिशत की गिरावट आ सकती है।

दास ने कहा कि अर्थव्यवस्था तीसरी तिमाही में वृद्धि की राह पर लौट सकती है। उन्होंने कहा कि तीसरी तिमाही में 0.1 प्रतिशत और चौथी व अंतिम तिमाही में 0.7 प्रतिशत आर्थिक वृद्धि की उम्मीद है।

इस तरह चालू वितत वर्ष की दूसरी छमाही में वृद्धि दर के सकारात्मक रहने की उम्मीद है।

रिजर्व बैंक ने अक्टूबर के मौद्रिक नीति समीक्षा बयान में कहा था कि 2020-21 में वास्तविक जीडीपी में 9.5 प्रतिशत गिरावट रहने का अनुमान है। रिजर्व बैंक ने इस गिरावट के 9.8 प्रतिशत तक नीचे जाने की आशंका व्यक्त की थी। रिजर्व बैंक ने तब तीसरी तिमाही में 5.6 प्रतिशत गिरावट और चौथी तिमाही में 0.5 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान जाहिर किया था।

रिजर्व बैंक का अनुमान दिसंबर तिमाही में 6.8 प्रतिशत रह सकती खुदरा मुद्रास्फीति:

भारतीय रिजर्व बैंक ने कहा कि आने वाले महीनों में खुदरा मुद्रास्फीति के उसके संतोषजनक स्तर से ऊंची बने रहने का अनुमान है। केन्द्रीय बैंक के मुताबिक चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में खुदरा मुद्रास्फीति 6.8 प्रतिशत रह सकती है।

आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) का विचार है कि जल्द नष्ट होने वाली कृषि उपज की कीमतों से सर्दियों के महीनों में क्षणिक राहत को छोड़कर मुद्रास्फीति के तेज बने रहने की संभावना है।

हालांकि, खुदरा मुद्रास्फीति के 2020-21 की चौथी तिमाही में कम होकर 5.8 प्रतिशत रहने का अनुमान है।

आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने द्वैमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक के नतीजों की घोषणा करते हुए कहा कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुद्रास्फीति तेजी से बढ़कर सितंबर में 7.3 प्रतिशत और अक्टूबर में 7.6 प्रतिशत पर पहुंच गयी।

उनके अनुसार, कीमतों का दबाव बढ़ने से पिछले दो महीने के दौरान मुद्रास्फीति का परिदृश्य उम्मीद की तुलना में प्रतिकूल रहा है।

उन्होंने कहा, ‘‘खरीफ फसलों की भारी आवक से अनाज की कीमतों का नरम होना जारी रह सकता है और सर्दियों में सब्जियों की कीमत में भी नरमी आ सकती है, लेकिन अन्य खाद्य सामग्रियों के दाम अधिक बने रहने की आशंका है। इनका दबाव खुदरा मुद्रास्फीति पर बना रह सकता है।

दास ने कहा, ‘‘इन सभी कारकों को ध्यान में रखते हुए खुदरा मुद्रास्फीति के चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में 6.8 प्रतिशत, चौथी तिमाही में 5.8 प्रतिशत और 2021-22 की पहली छमाही में 5.2 से 4.6 प्रतिशत के दायरे में रहने का अनुमान है।’’

मौद्रिक नीति समिति ने मुद्रास्फीति दबाव के मद्देनजर नरम रुख के साथ रेपो दर को चार प्रतिशत पर बनाये रखा है।

दास ने कहा, ‘‘वित्तीय स्थिरता बने रहना और हर समय सुरक्षित रहना सुनिश्चित करते हुए हमारा सबसे प्रमुख्स उद्देश्य आर्थिक वृद्धि को सहारा देते रहना है।’’

रिजर्व बैंक ने वाणिज्यिक बैंकों और सहकारी बैंकों से मार्च 2020 में समाप्त हुए वित्त वर्ष का मुनाफा अपने पास रखने को कहते हुए लाभांश भुगतान करने से किया मना attacknews.in

मुंबई, चार दिसंबर । रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने कोरोना वायरस महामारी के कारण आये आर्थिक व्यवधान को देखते हुए वाणिज्यिक बैंकों और सहकारी बैंकों से शुक्रवार को कहा कि वे मार्च 2020 में समाप्त हुए वित्त वर्ष का मुनाफा अपने पास रखें। रिजर्व बैंक ने कहा कि बैंकों को 2019-20 के लिये लाभांश का भुगतान करने की जरूरत नहीं है।

केंद्रीय बैंक ने महामारी के चलते कायम दबाव तथा बढ़ी अनिश्चितता का हवाला देते हुए कहा कि ऐसे समय में अर्थव्यवस्था को सहारा देने और कोई हानि होने की स्थिति में उसे संभाल लेने के लिये बैंकों के द्वारा पूंजी को संरक्षित रखना जरूरी है।

रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि महामारी की प्रतिक्रिया में केंद्रीय बैंक ने कर्जदारों के बीच दिक्कतों का समाधान करने और वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करते हुए अर्थव्यवस्था में ऋण का प्रवाह बनाये रखने पर ध्यान दिया है।

उन्होंने कहा, ‘‘इस प्रयास को आगे बढ़ाते हुए तथा नये कर्ज वितरण की गुंजाइश बनाते हुए बैंकों को पूंजी संरक्षण में मदद करने के लिये एक समीक्षा के बाद यह निर्णय लिया गया है कि वाणिज्यक व सहकारी बैंक वित्त वर्ष 2019-20 के लिये लाभ अपने पास ही रखेंगे और वे किसी प्रकार का लाभांश नहीं देंगे।’’

इस बारे में दिशानिर्देश शीघ्र ही जारी किये जायेंगे।

रिजर्व बैंक ने अप्रैल में कहा था कि विनियमित वाणिज्यिक बैंक और सहकारी बैंक 31 मार्च 2020 को समाप्त हुए वित्त वर्ष के लिये अगले आदेश तक लाभ से किसी तरह के लाभांश का भुगतान नहीं करेंगे।

रिजर्व बैंक ने कहा कि बैंकों की तरह गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) के द्वारा लाभांश के वितरण के संबंध में फिलहाल कोई दिशानिर्देश नहीं है।

दास ने कहा, ‘‘वित्तीय प्रणाली में एनबीएफसी के बढ़ते महत्व तथा विभिन्न अन्य क्षेत्रों के साथ इसके अंतर्संबंध को देखते हुए एनबीएफसी के द्वारा लाभांश वितरण को लेकर दिशानिर्देश निर्धारित करने का निर्णय लिया गया है।

रिजर्व बैंक ने एचडीएफसी बैंक की आगामी डिजिटल गतिविधियों और नए क्रेडिट कार्ड जारी करने पर रोक लगाई attacknews.in

नयी दिल्ली, तीन दिसंबर । निजी क्षेत्र के एचडीएफसी बैंक ने गुरुवार को कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने उससे अपनी आगामी डिजिटल कारोबार गतिविधियों और नए क्रेडिट कार्ड जारी करने को अस्थायी रूप से रोकने के लिए कहा है।

केंद्रीय बैंक ने एचडीएफसी के डेटा सेंटर में पिछले महीने कामकाज प्रभावित होने के चलते यह आदेश दिया।

एचडीएफसी ने शेयर बाजार को बताया, ‘‘आरबीआई ने एचडीएफसी बैंक लिमिटेड को दो दिसंबर 2020 को एक आदेश जारी किया है, जो पिछले दो वर्षों में बैंक के इंटरनेट बैंकिंग/ मोबाइल बैंकिंग/ पेमेंट बैंकिंग में हुई परेशानियों के संबंध में है, जिसमें हाल में 21 नवंबर 2020 को प्राइमरी डेटा सेंटर में बिजली बंद हो जाने के चलते बैंक की इंटरनेट बैंकिंग और भुगतान प्रणाली का बंद होना शामिल हैं।’’

एचडीएफसी बैंक ने कहा कि आरबीआई ने आदेश में ‘‘बैंक को सलाह दी है कि वह अपने कार्यक्रम डिजिटल 2.0 और अन्य प्रस्तावित आईटी अनुप्रयोगों के तहत आगामी डिजिटल व्यापार विकास गतिविधियों और नए क्रेडिट कार्ड ग्राहकों की सोर्सिंग को रोक दे।’’

एचडीएफसी बैंक ने कहा कि इसके साथ ही बैंक के निदेशक मंडल से कहा गया है कि वे कमियों की जांच करें और जवाबदेही तय करें।

एचडीएफसी बैंक ने कहा कि पिछले दो वर्षों में उसने अपने आईटी सिस्टम को मजबूत करने के लिए कई उपाय किए हैं और शेष काम को तेजी से पूरा करेगी।

बैंक ने कहा है कि वह डिजिटल बैंकिंग चैनलों में हालिया परेशानियों को दूर करने के लिए ठोस कदम उठा रहा है और उम्मीद जताई की उसके मौजूदा क्रेडिट कार्ड, डिजिटल बैंकिंग चैनलों और मौजूदा परिचालन पर ताजा नियामकीय फैसले का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।

बैंक का मानना है कि इन उपायों से उसके समग्र व्यवसाय पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।

कोरोना काल में विदेशी निवेशकों ने नवंबर में भारतीय शेयर बाजारों में रिकॉर्ड 60,358 करोड़ रुपये निवेश किए attacknews.in

नयी दिल्ली, 29 नवंबर। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) नवंबर में लगातार दूसरे महीने भारतीय बाजारों में शुद्ध निवेशक बने रहे। एफपीआई ने नवंबर में भारतीय बाजारों में शुद्ध रूप से 62,951 करोड़ रुपये डाले हैं।

इस दौरान एफपीआई ने शेयर बाजारों में रिकॉर्ड निवेश किया है।

डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार एफपीआई ने नवंबर में शेयरों में शुद्ध रूप से 60,358 करोड़ रुपये का निवेश किया है। वहीं ऋण या बांड बाजार में उनका शुद्ध निवेश 2,593 करोड़ रुपये रहा है। इस तरह तीन से 27 नवंबर के दौरान एफपीआई ने भारतीय बाजारों में शुद्ध रूप से 62,951 करोड़ रुपये का निवेश किया है।

नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी लि. द्वारा जब से एफपीआई के आंकड़े उपलब्ध कराए जा रहे हैं, शेयर बाजारों में निवेश का यह उनका सबसे ऊंचा स्तर है।

ग्रो के सह-संस्थापक एवं मुख्य परिचालन अधिकारी (सीओओ) हर्ष जैन ने कहा कि वैश्विक निवेशक विकसित बाजारों की तुलना में उभरते बाजारों में निवेश को प्राथमिकता दे रहे हैं। इसकी वजह है कि उभरते बाजारों में उन्हें लाभ होने की अधिक संभावना है।

जैन ने कहा, ‘‘एफपीआई ने भारत में कुछ बड़ी कंपनियों में निवेश किया है। उनका ज्यादातर निवेश बैंकिंग क्षेत्र में आया है। ऐसे में उनका निवेश का प्रवाह कुछ शेयरों में केंद्रित है।’’

मॉर्निंगस्टार इंडिया के एसोसिएट निदेशक-प्रबंधक शोध हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘नवंबर में कुछ अनिश्चितताएं पीछे छूट गई हैं। इनमें से एक अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव को लेकर अनिश्चितता है।’’

श्रीवास्तव ने कहा कि विकसित बाजारों की तुलना में आकर्षक मूल्यांकन तथा डॉलर की कमजोरी की वजह से भी एफपीआई भारतीय बाजारों में निवेश कर रहे हैं।

भारत में चालू वित्त वर्ष के सात माह में देश का कुल वित्तीय घाटा बजट अनुमान के 127 प्रतिशत पर पहुंचा, अक्टूबर तक आय 7,08,300 करोड़ रुपये जबकि खर्च 16,61,454 करोड़ रुपये रहा attacknews.in

नयी दिल्ली 27 नवंबर । चालू वित्त वर्ष के पहले सात माह में देश का कुल वित्तीय घाटा बजट अनुमान के 127 प्रतिशत पर पहुंच गया। अक्टूबर तक सरकार की कुल आय 7,08,300 करोड़ रुपये रही जबकि कुल खर्च 16,61,454 करोड़ रुपये का रहा, जिससे देश का वित्तीय घाटा 9,53,154 करोड़ रुपये का रहा।

वित्त मंत्रालय द्वारा शुक्रवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक, अक्टूबर के अंत तक देश का वित्तीय घाटा पूरे वर्ष के बजट अनुमान की तुलना में करीब 127 प्रतिशत पर पहुंच गया यानी सरकार ने पूरे साल के लिए जितने वित्तीय घाटे का अनुमान लगाया था, उससे करीब 27 प्रतिशत अधिक घाटा अक्टूबर अंत तक ही हो गया है।

अक्टूबर में कोर उत्पादन 2.5 प्रतिशत गिरा

देश में प्रमुख आठ उद्योगों की उत्पादन दर (कोर उत्पादन) अक्टूबर, 2020 में 2.5 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गयी है।

सरकार ने शुक्रवार को यहां जारी आंकडों में बताया कि सितंबर 2020 में कोर उत्पादन में 0.1 प्रतिशत की कमी आयी थी। जबकि अक्टूबर 2019 में यह आंकडा 5.5 गिरावट में प्रतिशत था।

विदेशी मुद्रा भंडार लगातार आठवें सप्ताह बढ़ा

देश के विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार आठवें सप्ताह तेजी दर्ज की गयी और 20 नवंबर को समाप्त सप्ताह में यह ढाई अरब डॉलर अधिक बढ़कर 575 अरब डॉलर के पार पहुंच गया।

भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा शुक्रवार को जारी आंकड़ों के अनुसार एक सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 2.52 अरब डॉलर बढ़कर रिकॉर्ड 575.29 अरब डॉलर हो गया। विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार आठवें सप्ताह तेजी दर्ज की गयी है।

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने लक्ष्‍मी विलास बैंक को सिंगापुर के वित्तीय सेवा ग्रुप की डीबीएस बैंक इंडिया लिमिटेड में विलय की योजना को मंजूरी दी attacknews.in

नईदिल्ली 25 नवम्बर । प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी की अध्‍यक्षता में केन्‍द्रीय मंत्रिमंडल ने लक्ष्‍मी विलास बैंक लिमिटेड (एलवीबी) के डीबीएस बैंक इंडिया लिमिटेड (डीबीआईएल) में विलय की योजना को मंजूरी दे दी।

जमाकर्ताओं के हित की रक्षा और वित्तीय एवं बैंकिंग स्थिरता के हित में, बैंकिंग विनियमन कानून, 1949 के सेक्‍शन 45 के तहत आरबीआई के आवेदन पर विलय की यह योजना बनाई गई है।

इसके साथ ही भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने सरकार की सलाह से जमाकर्ताओं के हित की रक्षा के लिए 17.11.2020 को एलवीबी पर 30 दिन की अवधि के लिए मोरेटोरियम लगा दिया था और उसके निदेशक मंडल के ऊपर एक प्रशासक की नियुक्ति कर दी थी।

जनता और हितधारकों से सुझाव और आपत्तियां आमंत्रित करने के बाद, भारतीय रिजर्व बैंक ने विलय की यह योजना तैयार की और उसे सरकार की मंजूरी के लिए पेश किया था। यह कार्य मोरेटोरियम की अवधि के समाप्‍त होने से काफी पहले कर लिया गया ताकि लागू मोरेटोरियम के कारण अपने धन की निकासी नहीं कर पाने की जमाकर्ताओं की परेशानी को कम किया जा सके।

इस योजना के मंजूर हो जाने के बाद एलवीबी का एक उचित तिथि पर डीबीआईएल के साथ विलय हो जाएगा और तब जमाकर्ताओं पर अपना धन निकालने को लेकर किसी भी तरह की रोक नहीं रहेगी।

डीबीआईएल एक बैंकिंग कंपनी है जिसे आरबीआई का लाइसेंस प्राप्‍त है और जो पूर्ण स्वामित्व वाले सहायक मॉडल पर भारत में परिचालन करती है। डीबीआईएल की सुदृढ़ बैलेंस शीट (तुलन पत्र) है, उसके पास पर्याप्‍त पूंजी है और डीबीएस से सम्‍बद्ध होने के कारण वह अतिरिक्‍त लाभ की स्थिति में भी है।

डीबीएस एशिया का एक प्रमुख वित्तीय सेवा ग्रुप है जिसकी 18 बाजारों में उपस्थिति है और जिसका मुख्‍यालय सिंगापुर में है। वह सिंगापुर के शेयर बाजार में लिस्टि‍ड भी है। विलय के बाद भी डीबीआईएल का संयुक्‍त बैलेंस शीट सुदृढ़ रहेगा और इसकी शाखाओं की संख्‍या बढ़कर 600 हो जाएगी।

एलवीबी का तेजी से विलय और उसकी समस्‍या का समाधान, सरकार की स्‍वच्‍छ बैंकिंग व्‍यवस्‍था स्‍थापित करने की प्रतिबद्धता के अनुरूप है और यह जमाकर्ताओं और आम जनता के साथ-साथ वित्तीय प्रणाली के हित में भी है।

टेस्ला प्रमुख एलन मस्क बने दुनिया के दूसरे सबसे अमीर व्यक्ति,माइक्रोसॉफ्ट के संस्थापक बिल गेट्स को पछाड़ा attacknews.in

वाशिंगटन, 25 नवंबर । टेस्ला प्रमुख और अरबपति एलन मस्क माइक्रोसॉफ्ट के संस्थापक बिल गेट्स को पछाड़कर दुनिया के दूसरे सबसे अमीर व्यक्ति बन गए हैं।

टेस्ला के शेयरों में भारी उछाल आने के कारण एलन मस्क की कुल संपत्ति 7.2 अरब डॉलर बढ़कर 127.9 अरब डॉलर हो गई है।

एलन मस्क की संपत्ति में इस वर्ष करीब 110.3 अरब डॉलर का इजाफा हुआ है।

ब्लूमबर्ग बिलिनेयर इंडेक्स के अनुसार इस वर्ष जनवरी में दुनिया के अमीर व्यक्तियों की सूची में वह 35वें स्थान पर थे। लेकिन अब वह दूसरे नंबर पर आ गए हैं। उनकी कुल संपत्ति का लगभग तीन-चौथाई हिस्सा टेस्ला शेयरों से बना है।

बिल गेट्स 128 अरब डॉलर के साथ अब तीसरे नंबर पर हैं वहीं 105 अरब डॉलर के साथ बर्नार्ड अर्नाल्ड चौथे नंबर पर और 102 अरब डॉलर की संपत्ति के साथ फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग पांचवें नंबर पर हैं।
अमेजन के संस्थापक जेफ बेजोस अमीरों की सूची में शीर्ष पर काबिज हैं।

मारुति कंपनी ग्राहकों को मासिक शुल्क पर दे रही है कार: शुल्क पर नया वाहन देने के कार्यक्रम ‘सब्स्क्राइब’ का चार और शहरों में विस्तार किया attacknews.in

नयी दिल्ली, 24 नवंबर । देश की सबसे बड़ी कार कंपनी मारुति सुजुकी इंडिया ने अपने वाहन सब्स्क्रिप्शन कार्यक्रम ‘मारुति सुजुकी सब्स्क्राइब’ का विस्तार चार और शहरों में करने की घोषणा की है। कंपनी ने मंगलवार को कहा कि अब इस कार्यक्रम का विस्तार मुंबई, चेन्नई, अहमदाबाद और गांधीनगर शहरों में किया जा रहा है। कंपनी की योजना अगले तीन साल में देश के 60 शहरों में इस कार्यक्रम का विस्तार करने की है।

इससे पहले कंपनी ने ‘मारुति सुजुकी सब्स्क्राइब कार्यक्रम दिल्ली- एनसीआर, बेंगलुरु, हैदराबाद और पुणे में शुरू किया था।

कंपनी ने बयान में कहा कि इस कार्यक्रम का विस्तार चार और शहरों मुंबई (नवी मुंबई और ठाणे सहित), चेन्नई, अहमदाबाद और गांधीनगर में किया जा रहा है।

कंपनी ने कहा कि उसने इसके लिए ओरिक्स कॉरपोरेशन, जापान की अनुषंगी ओरिक्स ऑटो इन्फ्रास्ट्रक्चर सर्विसेज इंडिया के साथ गठजोड़ किया है।

कंपनी ने कहा कि इस कार्यक्रम के तहत ग्राहक वाहन का स्वामित्व हासिल किए बिना नई कार का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके लिए उन्हें मासिक शुल्क का भुगतान करना होगा। इस शुल्क में पूर्ण रखरखाव, बीमा और सड़क पर वाहन खराब होने पर सहायता आदि शामिल होगा।

मारुति सुजुकी के कार्यकारी निदेशक (विपणन एवं बिक्री) शशांक श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘इस कार्यक्रम को काफी अच्छी प्रतिक्रिया मिली है। इस परियोजना की पायलट शुरुआत के कुछ माह में ही ग्राहकों से 6,600 से अधिक पूछताछ आई हैं।

इस कार्यक्रम के तहत ग्राहक मारुति सुजुकी एरिना से स्विफ्ट डिजायर, विटारा ब्रेजा और एर्टिगा तथा नेक्सा से नई बलेरा, सियाज और एक्सएल6 लेने का विकल्प चुन सकते हैं। वाहन के मॉडल और शहर के हिसाब से सब्स्क्रिप्शन शुल्क भिन्न-भिन्न है। उदाहरण के लिए अहमदाबाद में स्विफ्ट एलएक्सआई मॉडल का मासिक शुल्क 14,665 रुपये से शुरू होता है

भारत की अर्थव्यवस्था में भारी गिरावट: मूडीज ने वित्त वर्ष 2020-21 के लिए GDP के अनुमानों को बढ़कर ऋणात्मक 10.6 प्रतिशत किया, इक्रा ने सितंबर तिमाही में 9.5 प्रतिशत गिरावट का संकेत दिया attacknews.in

नयी दिल्ली/मुंबई , 19 नवंबर । मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस ने गुरुवार को चालू वित्त वर्ष के लिए भारत के वृद्धि अनुमान को बढ़ाकर ऋणात्मक 10.6 प्रतिशत कर दिया, जबकि उसके पूर्व अनुमान के मुताबिक यह आंकड़ा ऋणात्मक 11.5 प्रतिशत था।

मूडीज ने कहा कि सरकार द्वारा घोषित ताजा प्रोत्साहनों में विनिर्माण और रोजगार सृजन पर खासतौर से ध्यान दिया गया है, और दीर्घावधि की वृद्धि पर फोकस है।

सरकार ने पिछले हफ्ते 2.7 लाख करोड़ रुपये के वित्तीय पैकेज की घोषणा की थी।

मूडीज ने कहा कि ताजा उपायों का मकसद भारत के विनिर्माण क्षेत्र की प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाना और रोजगार का सृजन करना है। इसके साथ ही बुनियादी ढांचे में निवेश, ऋण उपलब्धता और तनावग्रस्त क्षेत्रों की मदद पर भी ध्यान केंद्रित किया गया है।

इसमें आगे कहा कि इन उपायों का वृद्धि पूर्वानुमानों पर सकारात्मक असर पड़ा है।

मूडीड ने कहा, ‘‘हमने वित्त वर्ष 2020 (अप्रैल 2020-मार्च 2021) के लिए अपने वास्तविक, मुद्रास्फीति समायोजित जीडीपी पूर्वानुमान को संशोधित कर ऋणात्मक 11.5 प्रतिशत से घटाकर ऋणात्मक 10.6 प्रतिशत कर दिया है।’’

मूडीज के मुताबिक अगले वित्त वर्ष 2021-22 के लिए वृद्धि का अनुमान 10.8 प्रतिशत है, जबकि पहले इसके 10.6 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया गया था।

देश के जीडीपी में सितंबर तिमाही में 9.5 प्रतिशत की आ सकती है गिरावट: इक्रा

देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में चालू वित्त वर्ष 2020-21 की दूसरी तिमाही जुलाई-सितंबर में 9.5 प्रतिशत की गिरावट आ सकती है। यह पहली तिमाही अप्रैल-जून में 23.9 प्रतिशत प्रतिशत की गिरावट की तुलना में कम है। रेटिंग एजेंसी इक्रा ने बृहस्पतिवार को एक रिपोर्ट में यह कहा।

केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही के जीडीपी आंकड़े 27 नवंबर को जारी करेगा।

इक्रा के अनुसार सालाना आधार पर जीडीपी (2011-12 के स्थिर मूल्य पर) में 2020-21 की दूसरी तिमाही में गिरावट पहली तिमाही के मुकाबले घटकर 9.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है। पहली तिमाही में इसमें 23.9 प्रतिशत की गिरावट आयी थी। गिरावट में कमी का कारण कोविड-19 महामारी की रोकथाम के लिये लगाये गये ‘लॉकडाउन’ के प्रभाव से अर्थव्यवस्था का धीरे-धीरे पुनरूद्धार के रास्ते पर वापस आना है।

रेटिंग एजेंसी ने कहा कि स्थिर मूल्य पर सकल मूल्य वर्धन (जीवीए) में गिरावट 8.5 प्रतिशत अनुमानित है जबकि पहली तिमाही में इसमें 22.8 प्रतिशत की गिरावट आयी थी।

इक्रा की रिपार्ट के अनुसार जीवीए में गिरावट में कमी का कारण उद्योग, विनिर्माण और निर्माण तथा सेवा क्षेत्रों में पहली तिमाही के मुकाबले सुधार है।

चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में उद्योग में 9.3 प्रतिशत की गिरावट का अनुमान है जो पहली तिमाही मे 38.1 प्रतिशत थी। विनिर्माण और निर्माण क्षेत्रों के प्रदर्शन में सुधार से जीवीए में गिरावट कम हुई है। सेवा क्षेत्रों में 10.2 प्रतिशत गिरावट अनुमानित है जबकि पहली तिमाही में इसमें 20.6 प्रतिशत की गिरावट आयी थी।

इक्रा की प्रधान अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि विनिर्माण और निर्माण क्षेत्रों के अच्छे प्रदर्शन से चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में औद्योगिक जीवीए के प्रदर्शन में अपेक्षित सुधार होने की संभावना है।

विनिर्माण से जुड़े विभिन्न क्षेत्रों में सितंबर तिमाही में मांग और मात्रा में सुधार दर्ज किये गये। हालांकि प्रदर्शन असंतुलित रहे हैं।

नायर के अनुसार विनिर्माण जीवीए में गिरावट चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में करीब 10 प्रतिशत हने का अनुमान है जबकि पहली तिमाही में इसमें 39.3 प्रतिशत की गिरावट आयी थी।

उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि चालू वित्त वर्ष 2020-21 की दूसरी तिमाही में असंगठित क्षेत्र का प्रदर्शन अभी साफ नहीं है और यह संभव है कि जीडीपी आंकड़े में इस क्षेत्र के प्रदर्शन की स्थिति पूरी तरह से प्रतिबिंबित नहीं हो। इसका कारण आकलन के स्तर पर कमी का होना है।’’

इक्रा का अनुमान है कि निर्माण जीवीए में गिरावट कम होकर दूसरी तिमाही में 12 प्रतिशत रह सकती है जो पहली तिमाही में 50.3 प्रतिशत थी।

रिपोर्ट के अनुसर व्यापार, होटल, परिवहन, संचार और प्रसारण से जुड़ी सेवाओं से संबद्ध जीवीए में चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में करीब 25 प्रतिशत की गिरावट आ सकती है जबकि पहली तिमाही अप्रैल-जून में इसमें 47 प्रतिशत की गिरावट आयी थी।

रेटिंग एजेंसी ने यह भी कहा कि वित्त वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही में सरकारी खर्च में वृद्धि ने ‘लॉकडाउन’ तिमाही में जीडीपी में बड़ी गिरावट को थामा है।

नायर के अनुसार कृषि, वानिकी और मत्स्यन क्षेत्र में जीवीए वृद्धि दूसरी तिमाही में 3 प्रतिशत रह सकती है। इसका कारण खरीफ फसल का अच्छा होना है।

डोनाल्ड ट्रंप ने चीनी सेना के स्वामित्व है या नियंत्रण।वाली 31 चीनी कंपनियों में अमेरिकी निवेश को प्रतिबंधित किया attacknews.in

वाशिंगटन, 13 नवंबर । अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन की 31 कंपनियों में अमेरिकी निवेश को प्रतिबंधित करने वाले एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किया है, जिनके बारे में अमेरिकी प्रशासन का कहना है कि चीनी सेना के पास या तो उनका स्वामित्व है या वे उसके नियंत्रण में हैं।

ट्रंप ने इस कार्यकारी आदेश पर गुरुवार को हस्ताक्षर किए। इस आदेश के मुताबिक कम्युनिस्ट चीनी सेना की कंपनियों में किसी भी रूप में निवेश करने वाली प्रतिभूतियों की खरीद पर प्रतिबंध लगाया गया है।

ट्रंप ने अपने कार्यकारी आदेश में कहा कि चीन संसाधन हासिल करने के लिए अमेरिकी पूंजी का तेजी से दोहन कर रहा है और अपनी सेना, खुफिया सेवा, और अन्य सुरक्षा जरूरतों का विकास और आधुनिकीकरण कर रहा है तथा जिससे अमेरिकी सेना को सीधे चुनौती दी जा सकती है।

यह आदेश 31 चीनी कंपनियों पर लागू है, जिनके बारे में ट्रंप का कहना है कि इनसे चीन की सेना के विकास और आधुनिकीकरण में मदद मिल रही है और ये सीधे अमेरिकी सुरक्षा को खतरा है।

सीएनएन ने एक रिपोर्ट में बताया कि प्रतिबंधित कंपनियों में स्मार्टफोन निर्माता हुआवेई और वीडियो निगरानी उपकरण बनाने वाली कंपनी हिकविजन शामिल हैं।

इसके अलावा इस सूची में चाइना टेलीकॉम और चाइना मोबाइल भी हैं, जो न्यूयॉर्क शेयर बाजार में सूचीबद्ध हैं।

ट्रंप ने कहा कि ये कंपनियां अमेरिकी निवेशकों को प्रतिभूतियां बेचकर पूंजी जुटाती हैं और चीन ने अपने सैन्य विकास और आधुनिकीकरण के लिए अमेरिकी निवेशकों का शोषण किया।