भारत में निवेशकों ने सोने पर लगाया भारी भरकम पैसा: स्वर्ण ईटीएफ में वर्ष 2019 का शुद्ध निवेश 14,174 करोड़ रुपये पर पहुंचा attacknews.in

नयी दिल्ली, 10 जनवरी । कोरोना वायरस महामारी के कारण छाई आर्थिक मंदी तथा अमेरिकी डॉलर में सुस्ती के चलते 2020 में सुरक्षित निवेश के तौर पर स्वर्ण आधारित एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) में निवेशकों का आकर्षण बढ़ने से गोल्ड- ईटीएफ में 6,657 करोड़ रुपये का भारी-भरकम शुद्ध निवेश किया गया।

इससे पहले साल 2019 में स्वर्ण ईटीएफ में महज 16 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश देखने को मिला था। हालांकि, 2019 में लगातार छह साल की शुद्ध निकासी के बाद इसमें शुद्ध खरीदारी हुई। इससे पहले वे वैश्विक सुस्ती तथा इक्विटी व डेट बाजारों में उथल-पुथल के चलते लगातार निकासी कर रहे थे।

एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया के आंकड़ों के अनुसार, दिसंबर 2020 के अंत तक स्वर्ण कोषों के प्रबंधनाधीन कुल संपत्ति साल भर पहले के 5,768 करोड़ रुपये की तुलना में दो गुना से अधिक बढ़कर 14,174 करोड़ रुपये पर पहुंच गयी।

पिछले साल यानी 2020 के दौरान सोना निवेशकों के लिये सुरक्षित निवेश तथा सबसे बेहतर प्रदर्शन करने वाले साधनों में से एक बनकर उभरा। इसी कारण निवेशकों ने 2020 में 14 स्वर्ण ईटीएफ में 6,657 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश किया।

पूरे 2020 के दौरान देखें तो मार्च और नवंबर महीने को छोड़ शेष सभी महीने के दौरान स्वर्ण ईटीएफ में शुद्ध निवेश देखा गया। शुद्ध निवेश से तात्पर्य ईटीएफ की बिक्री करने वालों के मुकाबले खरीदार अधिक रहे।

मॉर्निंगस्टार इंडिया के शोध प्रबंधक व सहायक निदेशक हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा कि कोरोना वायरस महामारी के चलते आयी आर्थिक मंदी, अमेरिका डॉलर में नरमी तथा अमेरिका-चीन के बीच तनाव जैसे कई कारकों के कारण निवेशक स्वर्ण इटीएफ की ओर आकर्षित हुए।

भारत का खजाना हुआ खाली:चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा GDP का 7.5 प्रतिशत या 14.5 लाख करोड़ रूपये रहेगा,वित्त मंत्री ने यह घाटा 7.96 लाख करोड़ रुपये या GDP का 3.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था attacknews.in

नयी दिल्ली, नौ जनवरी । देश का राजकोषीय घाटा चालू वित्त वर्ष 2020-21 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 7.5 प्रतिशत तक पहुंचने का अनुमान है। विशेषज्ञों ने यह राय जताई है। उनका कहना है कि कोविड-19 महामारी की वजह से राजस्व संग्रह घटने से राजकोषीय घाटा अनुमान से कहीं ऊपर रहेगा।

चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटे का बजट अनुमान 3.5 प्रतिशत रखा गया है। इस लिहाज से राजकोषीय घाटा बजट अनुमान से 100 प्रतिशत अधिक रहने की संभावना है।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2020-21 के आम बजट में राजकोषीय घाटा 7.96 लाख करोड़ रुपये या जीडीपी का 3.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था। इसी तरह वित्त मत्री ने बजट में सकल बाजार ऋण 7.80 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान रखा था।

कोविड-19 संकट के बीच धन की कमी से जूझ रही सरकार ने मई में चालू वित्त वर्ष के लिए बाजार ऋण कार्यक्रम को 50 प्रतिशत से अधिक बढ़ाकर 12 लाख करोड़ रुपये कर दिया था।

इक्रा की प्रमुख अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि मार्च में समाप्त हो रहे वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा 7.5 प्रतिशत पर पहुंचने का अनुमान है।

उन्होंने कहा, ‘‘हमारा अनुमान है कि राजकोषीय घाटा 14.5 लाख करोड़ रुपये या जीडीपी का 7.5 प्रतिशत रहेगा।’’

उन्होंने कहा कि मौजूदा मूल्य पर सकल घरेल उत्पाद 2020-21 में 194.82 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है। वहीं 31 मई, 2020 को वित्त वर्ष 2019-20 के लिए जारी जीडीपी का शुरुआती अनुमान 203.40 लाख करोड़ रुपये था।

ईवाई इंडिया के मुख्य नीति सलाहकार डी के श्रीवास्तव ने कहा कि केंद्र सरकार को इस साल पूर्व घोषित 12 लाख करोड़ रुपये से कहीं अधिक राजकोषीय घाटे का सामना करना पड़ सकता है।

केंद्र का राजकोषीय घाटा चालू वित्त वर्ष के पहले आठ माह (अप्रैल-नवंबर) के दौरान 10.7 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया है, जो पूरे साल के बजट अनुमान का 135 प्रतिशत है। कोविड-19 महामारी पर अंकुश के लिए लगाए गए लॉकडाउन की वजह से राजकोषीय घाटा जुलाई में ही बजट लक्ष्य को पार कर गया था।

नवंबर, 2020 के अंत तक सरकार की कुल प्राप्तियां 8,30,851 करोड़ रुपये थीं। यह 2020-21 के बजट अनुमान का 37 प्रतिशत हैं। इसमें 6,88,430 करोड़ रुपये का कर राजस्व, 1,24,280 करोड़ रुपये का गैर-कर राजस्व और 18,141 करोड़ रुपये की गैर-ऋण पूंजीगत प्राप्तियां शामिल हैं।

भारत में वित्त वर्ष 2020-21 में जीडीपी में 7.7 प्रतिशत की गिरावट का अनुमान,राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा राष्ट्रीय आय का पहला अग्रिम अनुमान जारी किया attacknews.in

नयी दिल्ली 07 जनवरी । कोविड-19 महामारी की अर्थव्यवस्था पर पड़ी मार के कारण वित्त वर्ष 2020-21 में देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 7.7 प्रतिशत की गिरावट का अनुमान है।

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) द्वारा गुरुवार को राष्ट्रीय आय का पहला अग्रिम अनुमान जारी किया गया। इसमें कहा गया है कि चालू वित्त वर्ष में जीडीपी 134.40 लाख करोड़ रुपये रहेगी। वित्त वर्ष में 2019-20 में यह आँकड़ा 145.66 लाख करोड़ रुपये रहा था। इस प्रकार जीडीपी में इस वर्ष 7.7 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की जायेगी। वित्त वर्ष 2019-20 में जीडीपी 4.2 प्रतिशत बढ़ी थी।

आठ प्रमुख आर्थिक क्षेत्रों में सिर्फ कृषि और बिजली, गैस, जलापूर्ति एवं अन्य यूटिलिटी सेवाओं में वृद्धि दर्ज की गई है। अन्य सभी क्षेत्र गिरावट में रहे हैं। व्यापार, होटल, परिवहन, संचार एवं प्रसारण से जुड़ी सेवा क्षेत्र में 21 प्रतिशत से अधिक की गिरावट रही।

एनएसओ की प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है “कोविड-19 महामारी का संक्रमण रोकने के लिए 25 मार्च 2020 से कुछ प्रतिबंध लगाये गये थे। धीरे-धीरे ये प्रतिबंध हटा लिये गये हैं, लेकिन आर्थिक गतिविधियों और आँकड़ों के संकलन पर इसका असर पड़ा है।”

इसमें कहा गया है कि चूँकि आँकड़ों का संकलन पूरी तरह नहीं हो पाया है, इसलिए बाद में इन आँकड़ों में बड़े बदलावों की संभावना है।

जम्मू-कश्मीर केआर्थिक विकास की शुरुआत: औद्योगिक विकास के लिए 28,400 करोड़ रुपये मंजूर, पहली बार कोई औद्योगिक प्रोत्साहन योजना ब्लॉक स्तर तक लागू होगी ,योजना की अवधि वर्ष 2037 तक attacknews.in

नयी दिल्ली 07 जनवरी । सरकार ने जम्मू-कश्मीर में औद्योगिक विकास के लिए 28,400 करोड़ रुपये की योजना को मंजूरी प्रदान की है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल की बुधवार को हुई बैठक में इस आशय के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान की गई है। यह प्रस्ताव उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग द्वारा तैयार किया गया था। इसके तहत केंद्र शासित प्रदेश के लिए नयी औद्योगिक विकास योजना बनायी गई है।

#सरकार ने जम्मू और कश्मीर के औद्योगिक विकास के लिए केंद्रीय क्षेत्र की योजना को मंजूरी दी

#पहली बार कोई औद्योगिक प्रोत्साहन योजना औद्योगिक विकास को ब्लॉक स्तर तक ले जा रही है

इस योजना की अवधि वर्ष 2037 तक है और इसकी कुल लागत28,400 करोड़ रुपये है

योजना न केवल निवेश को प्रोत्साहन देगी बल्कि 5 वर्षों के लिए 5 प्रतिशत की दर से जम्मू और कश्मीर में वर्तमान उद्योगों को कार्यशील पूंजी समर्थन प्रदान करके उन्हें विकसित भी करेगी

योजना का मुख्य उद्देश्य रोजगार सृजन करना है जिससे क्षेत्र का सामाजिक-आर्थिक विकास हो सके

योजना का उद्देश्य जम्मू और कश्मीर में मैन्युफैक्चरिंग के साथ-साथ सेवा क्षेत्र का विकास करना है

योजना में केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर की महत्वपूर्ण भूमिका की परिकल्पना की गई

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति ने कल जम्मू और कश्मीर के औद्योगिक विकास के लिए उद्योग तथा आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग के केंद्रीय क्षेत्र की योजना प्रस्ताव पर विचार किया और इसकी स्वीकृति दी। योजना 28,400 करोड़ रुपये के कुल परिव्यय के साथ वर्ष 2037 तक स्वीकृत की गई है।

भारत सरकार ने केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर में औद्योगिक विकास के लिए केंद्र क्षेत्र की योजना के रूप में जम्मू-कश्मीर के लिए नई औद्योगिक विकास योजना (जेएंडकेआईडीएस, 2021) तैयार की है। योजना का मुख्य उद्देश्य रोजगार सृजन करना है, जिससे क्षेत्र का सामाजिक-आर्थिक विकास हो सके। जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 के अंतर्गत 31 अक्टूबर 2019 से जम्मू और कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर के रूप में पुनर्गठित करने के ऐतिहासिक विकास पर विचार करते हुए वर्तमान योजना इस विजन के साथ लागू की जा रही है कि रोजगार सृजन, कौशल विकास और नए निवेश आकर्षित करके तथा वर्तमान उद्योगों को विकसित करके जम्मू और कश्मीर के उद्योग और सेवा क्षेत्र का विकास हो सके।

योजना के अंतर्गत निम्नलिखित प्रोत्साहन उपलब्ध होंगे :

1.     पूंजी निवेश प्रोत्साहन संयंत्र और मशीनरी (मैन्युफैक्चरिंग में) निवेश या भवन निर्माण अन्य सभी स्थायी भौतिक परिसंपत्तियों (सेवा क्षेत्र में) निवेश पर जोन-ए में 30 प्रतिशत तथा जोन-बी में 50 प्रतिशत की दर पर पूंजी निवेश प्रोत्साहन उपलब्ध है। 50 करोड़ रुपये तक निवेश करने वाली इकाइयां इस प्रोत्साहन का लाभ उठाने की पात्र होंगी। जोन-ए तथा जोन-बी में प्रोत्साहन की अधिकतम सीमा क्रमशः 5 करोड़ रुपये तथा 7.5 करोड़ रुपये है।

2.     पूंजी ब्याज सहायता:संयंत्र और मशीनरी (मैन्युफैक्चरिंग में)या भवन निर्माण तथा अन्य सभी स्थायी भौतिक परिसंपत्तियों (सेवा क्षेत्र में) निवेश के लिए 500 करोड़ रूपये तक की ऋण राशि पर अधिकतम 7 वर्षों के लिए 6 प्रतिशत वार्षित दर से पूंजी ब्याज सहायता।

3.     जीएसटी से जुड़ा प्रोत्साहन :10 वर्ष के लिएसंयंत्र और मशीनरी (मैन्युफैक्चरिंग में) या भवन निर्माण तथा अन्य सभी स्थायी भौतिक परिसंपत्तियों (सेवा क्षेत्र में) में वास्तविक निवेश के 300 प्रतिशत पात्र मूल्य तक प्रोत्साहन एक वित्तीय वर्ष में प्रोत्साहन राशि प्रोत्साहन की कुल पात्र राशि से एक दहाई से अधिक नहीं होगी।

4.     कार्यशील पूंजी ब्याज सहायता :सभी वर्तमान इकाइयों को अधिकतम 5 वर्षों के लिए 5 प्रतिशत वार्षिक दर से प्रोत्साहन की अधिकतम सीमा एक करोड़ रुपये है।

योजना की प्रमुख विशेषताएं :

1.     योजना छोटी और बड़ी दोनों तरह की इकाइयों के लिए आकर्षक बनायी गई है। संयंत्र और मशीनरी में 50 करोड़ रुपये तक निवेश करने वाली छोटी इकाइयों को 7.5 करोड़ रुपये तक पूंजी प्रोत्साहन मिलेगा और अधिकतम 7 वर्षों के लिए पूंजी ब्याज सहायता 6 प्रतिशत की दर से मिलेगी।

2.     योजना का उद्देश्य केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर में ब्लॉक स्तर तक औद्योगिक विकास को ले जाना है। यह भारत सरकार की पहली बार शुरू की गई कोई औद्योगिक प्रोत्साहन योजना है तथा संपूर्ण केंद्र शासित प्रदेश में स्थायी तथा संतुलित औद्योगिक विकास के लिए प्रयास है।

3.     जीएसटी से जुड़े प्रोत्साहन को शामिल करके योजना को व्यापार-सुगमता के अनुरूप सहज बनाया गया है। जीएसटी से जुड़ा प्रोत्साहन पारदर्शिता से समझौता किये बिना अनुपालन बोझ को कम करना सुनिश्चित करेगा।

4.     योजना के पंजीकरण और क्रियान्वयन में केंद्र शासित जम्मू और कश्मीर की बड़ी भूमिका निर्धारित की गई है। दावे स्वीकृत करने से पहले स्वतंत्र ऑडिट एजेंसी द्वारा उचित नियंत्रण और संतुलन की व्यवस्था की गई है।

5.     यह जीएसटी की अदायगी या वापसी नहीं है बल्कि केंद्र शासित जम्मू और कश्मीर के नुकसान की भरपाई के लिए सकल जीएसटी का इस्तेमाल औद्योगिक प्रोत्साहन की पात्रता निर्धारित करने में होता है।

6.     पहले की योजनाओं में अनेक प्रोत्साहनों की पेशकश की गई थी लेकिन उनका संपूर्ण वित्तीय प्रवाह नई योजना से काफी कम था।

प्रमुख प्रभाव तथा रोजगार सृजन क्षमता :

1.     योजना का उद्देश्य रोजगार सृजन, कौशल विकास,नए निवेश को आकर्षित करके तथा वर्तमान निवेशों को विकसित करके स्थायी विकास पर बल के साथ जम्मू और कश्मीर के वर्तमान औद्योगिक इकोसिस्टम में मौलिक परिवर्तन करना है, जिससे जम्मू और कश्मीर राष्ट्रीय स्तर पर देश के औद्योगिक रूप से विकसित राज्य/केंद्र शासित प्रदेश के साथ स्पर्धा करने में सक्षम हो सके।

2.     आशा है कि प्रस्तावित योजना से अप्रत्याशित निवेश आकर्षित होगा तथा लगभग 4.5 लाख व्यक्तियों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार प्राप्त होगा। इसके अतिरिक्त कार्यशील पूंजी ब्याज सहायता के कारण योजना लगभग 35,000 लोगों को अप्रत्यक्ष रूप से समर्थन देगी।

शामिल व्यय :

प्रस्तावित योजना का वित्तीय परिव्यय योजना अवधि 2020-21 से 2036-37 के लिए 28,400 करोड़ रुपये है। अभी तक विभिन्न स्पेशल पैकेज योजनाओं के अंतर्गत 1,123.84 करोड़ रुपये दिए गए हैं।

एयरटेल के ग्राहकों को बिना किसी बदलाव के ग्राहकों के लिये असीमित कॉलिंग का लाभ जारी रहेगा, इंटरकनेक्ट यूसेज चार्जेज के लिए कभी नहीं लिया शुल्क, बिना बदलाव के मिलता रहेगा लाभ attacknews.in

नयी दिल्ली, एक जनवरी । दूरसंचार सेवा प्रदाता कंपनी भारती एयरटेल ने शुक्रवार को कहा कि उसने अपने ग्राहकों से आईयूसी के लिए अलग से कोई शुल्क नहीं लिया है। कंपनी ने कहा कि वह बिना किसी बदलाव के ग्राहकों के लिये असीमित कॉलिंग का लाभ जारी रखेगी।

एयरटेल ने यह टिप्पणी रिलायंस जियो की उस घोषणा के एक दिन बाद की, जिसमें जियो ने कहा कि भारत में अन्य नेटवर्क पर उसके उपयोक्ताओं द्वारा कॉल शुक्रवार से मुफ्त हो जाएंगे, क्योंकि इंटरकनेक्ट यूसेज चार्जेज (आईयूसी) की व्यवस्था समाप्त हो रही है।

भारती एयरटेल के मुख्य परिचालन अधिकारी अजय पुरी ने कहा, ‘‘हम एयरटेल में अपने ग्राहकों को सबसे अच्छा अनुभव देने के लिये प्रतिबद्ध हैं। एयरटेल के मोबाइल ग्राहक पहले से ही हमारे प्रीपेड बंडलों और पोस्टपेड योजनाओं के साथ सभी नेटवर्क पर असीमित मुफ्त कॉल का आनंद ले रहे हैं। हम उन्हें हाई स्पीड डेटा की भी पेश कर रहे हैं।”

पुरी ने कहा कि एयरटेल ने अपने ग्राहकों से आईयूसी के लिये अलग से कभी कोई शुल्क नहीं लिया है और बिना किसी बदलाव के ग्राहकों के लिये असीमित कॉलिंग का लाभ जारी रहेगा।

देश का निर्यात दिसंबर में 0.8 प्रतिशत घटकर 26.89 अरब डॉलर रह गया,तीन महीनों से लगातार घाटा और व्यापार घाटा बढ़कर 15.71 अरब डॉलर रह गया attacknews.in

नयी दिल्ली, दो जनवरी । देश का निर्यात दिसंबर, 2020 में 0.8 प्रतिशत घटकर 26.89 अरब डॉलर रह गया। यह लगातार तीसरा महीना है जबकि निर्यात में गिरावट आई है। पेट्रोलियम, चमड़ा और समुद्री उत्पाद क्षेत्र के कमजोर प्रदर्शन से निर्यात का आंकड़ा नीचे आया है।

वाणिज्य मंत्रालय द्वारा शनिवार को जारी शुरुआती आंकड़ों के अनुसार दिसंबर में आयात 7.6 प्रतिशत बढ़कर 42.6 अरब डॉलर पर पहुंच गया। इससे व्यापार घाटा बढ़कर 15.71 अरब डॉलर हो गया।

दिसंबर, 2019 में देश का निर्यात 27.11 अरब डॉलर और आयात 39.5 अरब डॉलर रहा था। नवंबर, 2020 में निर्यात में 8.74 प्रतिशत की गिरावट आई थी।

चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-दिसंबर की अवधि में देश का वस्तुओं का निर्यात 15.8 प्रतिशत घटकर 200.55 अरब डॉलर रहा है। इससे पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में निर्यात का आंकड़ा 238.27 अरब डॉलर रहा था।

चालू वित्त वर्ष के पहले नौ माह में आयात 29.08 प्रतिशत की गिरावट के साथ 258.29 अरब डॉलर पर आ गया। इससे पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में आयात 364.18 अरब डॉलर रहा था।

मंत्रालय ने बयान में कहा, ‘‘दिसंबर, 2020 में भारत शुद्ध आयातक रहा। इस दौरान व्यापार घाटा 15.71 अरब डॉलर रहा। दिसंबर, 2019 में व्यापार घाटा 12.49 अरब डॉलर रहा था। इस तरह व्यापार घाटा 25.78 प्रतिशत बढ़ा है।’’

दिसंबर, 2020 में कच्चे तेल का आयात 10.37 प्रतिशत घटकर 9.61 अरब डॉलर रह गया। चालू वित्त वर्ष के पहले नौ माह अप्रैल-दिसंबर में तेल आयात 44.46 प्रतिशत घटकर 53.71 अरब डॉलर रहा है।

समीक्षाधीन महीने में खली का निर्यात 192.60 प्रतिशत, लौह अयस्क का 69.26 प्रतिशत, कालीन का 21.12 प्रतिशत, फार्मास्युटिकल्स का 17.44 प्रतिशत, मसालों का 17.06 प्रतिशत, इलेक्ट्रॉनिक्स सामान का 16.44 प्रतिशत, फलों और सब्जियों का 12.82 प्रतिशत और रसायन का 10.73 प्रतिशत बढ़ा है।

इसके अलावा सूची धागे/कपड़े, हथकरघा उत्पादों का निर्यात 10.09 प्रतिशत बढ़ा। चावल निर्यात में 8.60 प्रतिशत, मांस, डेयरी और पॉल्ट्री उत्पादों के निर्यात में 6.79 प्रतिशत, रत्न एवं आभूषणों के निर्यात में 6.75 प्रतिशत, चाय में 4.47 प्रतिशत तथा इंजीनियरिंग सामान के निर्यात में 0.12 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई।

वहीं दूसरी ओर पेट्रोलियम उत्पादों के निर्यात में 40.47 प्रतिशत, तिलहन में 31.80 प्रतिशत, चमड़ा और चमड़ा उत्पाद में 17.74 प्रतिशत, कॉफी में 16.39 प्रतिशत, सिलेसिलाए परिधान में 15.07 प्रतिशत, काजू में 12.04 प्रतिशत और तंबाकू में 4.95 प्रतिशत की गिरावट आई।

वहीं आयात की बात की जाए, तो दिसंबर, 2020 में दलहन आयात में 245.15 प्रतिशत की वृद्धि हुई। सोने का आयात 81.82 प्रतिशत, वनस्पति तेल का 43.50 प्रतिशत, रसायन का 23.30 प्रतिशत, इलेक्ट्रॉनिक्स सामान का 20.90 प्रतिशत, मशील टूल का 13.46 प्रतिशत, बहमूल्य रत्नों का 7.81 प्रतिशत तथा उर्वरक का आयात 1.42 प्रतिशत बढ़ा।

समीक्षाधीन महीने में चांदी, अखबारी कागज, परिवहन उपकरणों आदि के आयात में गिरावट आई।

भारत में GST वसूली ने रिकार्ड तोड़ा:दिसंबर-2020 में जीएसटी राजस्व का रिकॉर्ड संग्रह हुआ, जो जीएसटी लागू होने के बाद अब तक का सबसे अधिक राजस्व संग्रह attacknews.in

दिसंबर माह में 1,15,174 करोड़ रुपए के सकल जीएसटी राजस्व की वसूली हुई

दिसंबर 2020 में पिछले साल के इसी माह की तुलना में 12 प्रतिशत अधिक जीएसटी राजस्व की वसूली हुई

नईदिल्ली 1 जनवरी ।दिसंबर 2020 में 1,15,174 करोड़ रुपए के सकल जीएसटी राजस्व की वसूली हुई, जिसमें सीजीएसटी 21,365 करोड़ रुपए, एसजीएसटी 27,804 करोड़ रुपए, आईजीएसटी 57,426 करोड़ रुपए (वस्तुओं के आयात पर वसूली गई 27,050 करोड़ रुपए की राशि सहित), 8,579 करोड़ रुपए की उपकर राशि (वस्तुओं के आयात पर वसूल की गई 971 करोड़ रुपए की राशि सहित) शामिल है। 31 दिसंबर 2020 तक नवम्बर माह के लिए कुल 87 लाख जीएसटीआर-3बी रिटर्न दाखिल की गई।

सरकार ने नियमित निपटान के रूप में सीजीएसटी से 23,276 करोड़, एसजीएसटी से 17,681 करोड़ रुपए का निपटान किया। दिसंबर 2020 में नियमित निपटान के बाद केंद्र सरकार और राज्य सरकारों द्वारा अर्जित कुल राजस्व इस प्रकार है- सीजीएसटी के लिए 44,141 करोड़ रुपए और एसजीएसटी के लिए 45,485 करोड़ रुपए।

जीएसटी राजस्व में वसूली की वर्तमान प्रवृत्ति के अनुरूप दिसंबर 2020 में पिछले साल के इसी माह की तुलना में जीएसटी राजस्व 12 प्रतिशत अधिक रहा। पिछले साल दिसंबर माह की तुलना में इस माह के दौरान वस्तुओं के आयात से प्राप्त राजस्व 27 प्रतिशत अधिक रहा तथा घरेलू लेन-देन (सेवाओं के आयात सहित) से प्राप्त राजस्व आठ प्रतिशत ज्यादा रहा।

जीएसटी लागू होने के बाद से लेकर अब तक दिसंबर 2020 के दौरान जीएसटी राजस्व सर्वाधिक रहा और पहली बार इसने 1.15 लाख करोड़ के स्तर को पार किया। अब तक सबसे अधिक जीएसटी वसूली अप्रैल 2019 में 1,13,866 करोड़ रुपए की रही थी। अप्रैल में सामान्य रूप से अधिक राजस्व प्राप्त होता है क्योंकि वह अप्रैल की रिटर्न से संबंधित होता है और मार्च वित्तीय वर्ष का अंतिम मास होता है।

दिसंबर 2020 में पिछले मास के 104.963 करोड़ रुपए के राजस्व की तुलना में अधिक राजस्व प्राप्त हुआ है। पिछले 21 महीनों में मासिक राजस्व में यह सबसे अधिक बढ़ोत्तरी है। ऐसा महामारी के बाद त्वरित आर्थिक रिकवरी और जीएसटी की चोरी करने वालों और नकली बिल बनाने वालों के खिलाफ राष्ट्रव्यापी अभियान के साथ-साथ अभी हाल में शुरू किए गए व्यवस्थागत परिवर्तनों के कारण संभव हुआ है, जिसके कारण अनुपालन में सुधार को बढ़ावा मिला है।

अभी तक जीएसटी से 1.1 लाख करोड़ से अधिक राजस्व प्राप्त हुआ है जो जीएसटी की शुरुआत से तीन गुणा अधिक है। चालू वित्त वर्ष में यह लगातार तीसरा महीना है जब अर्थव्यवस्था में महामारी के बाद रिकवरी के संकेत मिले हैं और जीएसटी राजस्व एक लाख करोड़ रुपए से अधिक हुआ है। पिछली तिमाही में जीएसटी राजस्व में औसत बढ़ोत्तरी 7.3 प्रतिशत रही है जबकि दूसरी तिमाही के दौरान यह -8.2 प्रतिशत तथा पहली तिमाही में -41.0 प्रतिशत रही।

नये साल में बढ़े कमर्शियल गैस सिलेंडर के दाम; 16.50 रूपये से लेकर 22.50 रूपये तक की बढ़ोत्तरी attacknews.in

नयी दिल्ली,01 जनवरी ।तेल विपणन कंपनियों ने नव वर्ष के पहले दिन शुक्रवार को वाणिज्यिक गैस सिलिंडर उपभोक्ताओं को झटका देते हुए देश के चार बड़े महानगरों में 19 किलोग्राम सिलिंडर के दाम में 16.50 रुपए से लेकर 22.50 रुपये तक बढ़ोतरी की है। हालांकि रसोई गैस के गैर सब्सिडी वाले सिलिंडर के दामों में कोई वृद्धि नहीं की है।

तेल विपणन क्षेत्र की अग्रणी कंपनी इंडियन ऑयल के अनुसार आज से 19 किलोग्राम वाला वाणिज्यिक इस्तेमाल में आने वाला सिलिंडर दिल्ली में 17 रुपये बढ़कर 1332 रुपये से 1349 रुपये का हो गया है।

दिल्ली में 14.2 किलोग्राम वाला गैर-सब्सिडी रसोई गैस सिलिंडर की पहले की कीमत 694 रुपये ही है। कोलकाता में इसका दाम 720.50 रुपये, मुंबई में 694 रुपये और चेन्नई में 710 रुपये है।

गैर सब्सिडी वाले रसोई गैस सिलिंडर में 15 दिसंबर को 50 रुपये का इजाफा किया गया था।

वाणिज्यिक इस्तेमाल वाला 19 किलोग्राम का सिलिंडर कोलकाता में 22.50 रुपये बढ़कर 1387.50 से 1410 रुपये हो गया है। मुंबई में यह 17 रुपये महंगा होकर 1280.50 से 1297.50 रुपये हो गया है। चेन्नई में इसकी कीमत 16.50 रुपये बढ़ी है और यह 1446.50 रुपये से 1463.50 रुपये का हो गया है।

सरकार एक वर्ष में 14.2 किलोग्राम के 12 सिलिंडरों को सब्सिडी दर पर देती है। इससे अधिक लेने पर उपभोक्ता को बाजार मूल्य अदा करना होता है। गैस सिलिंडर की कीमत हर महीने बदलती है।

चार बड़े महानगरों में 19 किलोग्राम के सिलिंडर की नयी कीमत..रुपये में…
दिल्ली 1349.00
कोलकाता 1410.00
मुंबई 1297.50
चेन्नई 1463.50

गैर सब्सिडी वाले 14.2 किलोग्राम के गैस सिलिंडर का दाम चार बड़े महानगरों में…..रुपये में…
दिल्ली 694.00
कोलकाता 720.50
मुंबई 694.00
चेन्नई 710.00

केंद्र सरकार का चालू वित्त वर्ष में अप्रैल से नवंबर के दौरान आठ महीने में सरकार का वित्तीय घाटा कुल बजट अनुमान के 135 प्रतिशत के पार पहुंच attacknews.in

नयी दिल्ली 31 दिसंबर । चालू वित्त वर्ष में अप्रैल से नवंबर के दौरान आठ महीने में सरकार का वित्तीय घाटा कुल बजट अनुमान के 135 प्रतिशत के पार पहुंच गया। इस दौरान कुल कर राजस्व संग्रह 6.88 लाख करोड़ रुपये रहा जबकि इस दौरान कुल व्यय 19.06 लाख करोड़ रुपये रहा। इस तरह से सरकार को 10.75 लाख करोड़ रुपये का घाटा रहा है।

वित्त मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार इस अवधि में सरकार का कुल राजस्व 830851 करोड़ रुपये रहा जो राजस्व संग्रह के बजट अनुमान का 37 प्रतिशत है।

नवंबर तक कुल कर राजस्व संग्रह 688439 करोड़ रुपये रहा। इस दौरान गैर कर राजस्व संग्रह124280 करोड़ रुपये और गैर ऋण पूंजी प्राप्तियां 18141 करोड़ रुपये रहा। इसमें विनिवेश से 6179 करोड़ रुपये और ऋण वसूली से 11962 करोड़ रुपये शामिल है। इस दौरान केन्द्रीय राजस्व में राज्यों की हिस्सेदारी के तौर पर 334407 करोड़ रुपये हस्तातंरित भी किये गये।

संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में भारत बना सशक्त आर्थिक देश: भारतीय अर्थव्यवस्था दीर्घावधि में ‘सबसे अधिक लचीली’ साबित हो सकती है:,भले ही महामारी के बाद आर्थिक विकास दर कम हो जाए, लेकिन बड़े बाजार की मांग के चलते यहां निवेश आता रहेगा attacknews.in

संयुक्त राष्ट्र, 29 दिसंबर ।संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के मुताबिक कोविड-19 के प्रकोप के बाद दक्षिण और दक्षिण-पश्चिम एशिया के उप-भाग में भारतीय अर्थव्यवस्था ‘‘सबसे अधिक लचीली’’ साबित हो सकती है।

रिपोर्ट में साथ ही कहा गया कि कोविड-19 के बाद कम लेकिन सकारात्मक आर्थिक वृद्धि और बड़े बाजार के कारण भारत निवेशकों के लिए आकर्षक गंतव्य बना रहेगा।

एशिया और प्रशांत के लिए संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक आयोग (यूएनईएससीएपी) द्वारा जारी ‘एशिया और प्रशांत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के रुझान और परिदृश्य 2020/2021’ शीर्षक वाली रिपोर्ट में कहा गया है कि 2019 में दक्षिण और दक्षिण पश्चिम एशिया में एफडीआई प्रवाह की आवक दो प्रतिशत घटी है और यह 2018 के 67 अरब डॉलर के मुकाबले 2019 में 66 अरब डॉलर रही।

हालांकि, इस दौरान भारत में एफडीआई आवक सबसे अधिक रही, और इस उप-क्षेत्र में कुल एफडीआई में उसकी 77 प्रतिशत हिस्सेदारी रही। इस दौरान भारत में 51 अरब डॉलर बतौर एफडीआई आए, जो इससे पिछले साल के मुकाबले 20 प्रतिशत अधिक है।

पिछले सप्ताह जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि इनमें से अधिकांश प्रवाह सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) और निर्माण क्षेत्र के हिस्से आया।

आईसीटी क्षेत्र के बारे में रिपोर्ट में कहा गया कि बहुराष्ट्रीय उद्यम (एमईएन) सूचना प्रौद्योगिकी सेवाओं से संपन्न स्थानीय डिजिटल पारिस्थितिकी तंत्र में निवेश कर रहे हैं और खासतौर से ई-कॉमर्स में काफी अंतरराष्ट्रीय निवेश आया है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि दक्षिण और दक्षिण-पश्चिम एशिया से एफडीआई बहिर्गमन लगातार चौथे वर्ष बढ़ा और ये 2018 के 14.8 अरब अमरीकी डालर से बढ़कर 2019 में 15.1 अरब अमरीकी डालर हो गया।

रिपोर्ट में कहा गया कि लंबी अवधि में भारत की अर्थव्यवस्था सबसे अधिक लचीली साबित हो सकती है और भले ही महामारी के बाद आर्थिक विकास दर कम हो जाए, लेकिन बड़े बाजार की मांग के चलते यहां निवेश आता रहेगा।

रिपोर्ट में अनुमान जताया गया है कि 2025 तक आईटी और व्यवसाय प्रक्रिया प्रबंधन, डिजिटल संचार सेवाओं और इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण जैसे मुख्य डिजिटल क्षेत्र का आकार दोगुना हो सकता है।

Big Bazaar:फ्यूचर-रिलायंस सौदे में अब निगाहें सेबी पर,यदि फ्यूचर- रिलायंस रिटेल डील नहीं हुई तो इस सेक्टर में प्रत्यक्ष- अप्रत्यक्ष एक लाख से अधिक रोजगार छिन जाएंगे attacknews.in

नयी दिल्ली, 24 दिसंबर । देश में खुदरा कारोबार के फ्यूचर ग्रुप और रिलायंस इंडस्ट्रीज के बीच सौदे में अब सबकी निगाहें नियामक संस्था भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) पर लग गई हैं।

फ्यूचर ग्रुप की एक याचिका पर निर्णय देने के दौरान दिल्ली उच्च न्यायालय ने इस सौदे पर नियामक संस्था को आगे फैसला करने की हरी झंडी दे दी थी। फ्यूचर ग्रुप ने इस सौदे पर आपत्ति कर रहे एमेजॉन को नियामकों से बातचीत की अनुमति नहीं देने की गुहार लगाई थी हालांकि न्यायालय ने फ्यूचर की याचिका को खारिज कर दिया था।

भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) सौदे को पहले ही मंजूरी दे चुका है। अब गेंद सेबी के पाले में है। शेयर बाजारों के अलावा एनसीएलटी के साथ ही सेबी की मंजूरी मिलना, इस सौदे में अब काफी अहम है।

फ्यूचर कंपनी बोर्ड ने रिलायंस रिटेल को संपत्ति बेचने के 24,713 करोड़ रुपये के सौदे के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी जिसे 21 दिसंबर के फैसले में दिल्ली उच्च न्यायालय ने वैद्य करार दिया है। न्यायालय ने फ्यूचर रिटेल और रिलायंस रिटेल के सौदे को प्रथम दृष्टया कानूनी रूप से सही माना है।

कंपनी मामलों के विशेषज्ञों के मुताबिक सेबी को फैसला लेने के लिए तीन महत्वपूर्ण बातों पर गौर करना होता है। पहला सौदे का प्रस्ताव कानूनी है कि नहीं, दूसरा सीसीआई की मंजूरी और तीसरा शेयर बाजारों की अनुमति।

न्यायालय की सौदे के प्रस्ताव को हरी झंडी और सीसीआई की मंजूरी के बाद अब शेयर बाजारों को ही सौदे पर अपनी राय बतानी है। विशेषज्ञ उम्मीद कर रहे हैं कि अदालत के रूख के बाद बाम्बे शेयर बाजार (बीएसई)और नेशनल स्टाक एक्सचेंज (एनएसई) की राय फ्यूचर- रिलायंस सौदे के पक्ष में ही होगी।

सौदा पूरा नहीं होने की स्थिति में फ्यूचर दिवालिया प्रक्रिया में जा सकता है। इससे हजारों लोगों की रोजी रोटी खतरे में पड़ सकती है। फैसला लेते हुए सेबी को इस बात पर भी गौर करना होगा। जानकार मानते हैं कि यदि फ्यूचर- रिलायंस रिटेल डील नहीं हुई तो इस सेक्टर में प्रत्यक्ष- अप्रत्यक्ष एक लाख से अधिक रोजगार छिन जाएंगे।

शेयर बाजारों को न्यायालय के आदेश की जानकारी देते हुए किशोर बियानी के फ्यूचर ग्रुप ने कहा है, “अमेरिकी ई-कॉमर्स दिग्गज कंपनी एमेजॉन ने फ्यूचर रिटेल को नियंत्रित करने की कोशिशों में फेमा और एफडीआई के नियमों का खुल्लमखुल्ला उल्लंघन किया है। एमेजॉन ने विभिन्न समझौतों के तहत फ्यूचर पर नियंत्रण की गैरकानूनी कोशिश की है।

साथ ही फ्यूचर रिटेल और एमेजॉन के बीच कोई मध्यस्थता समझौता नहीं है। मध्यस्थता सिर्फ फ्यूचर कूपन लिमिटेड और एमेजॉन के बीच ही है। फ्यूचर ने बुधवार को अपनी फाइलिंग में कहा,” न्यायालय के निष्कर्षों के बाद कानूनी रूप से यह पता चलता है कि आपातकालीन मध्यस्थता की पूरी कार्यवाही और आदेश उसके अधिकार क्षेत्र से बाहर है।”

दिल्ली उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में नियामकों को फैसला लेने का निर्देश दिया है। जानकार उम्मीद कर रहें है कि अब यह प्रक्रिया अगले महीने पूरी हो सकती है।

जीएसटी की क्षतिपूर्ति में हुई कमी को पाटने के लिए बैक टू बैक लोन के तौर पर राज्यों को 6,000 करोड़ रुपये की 8वीं किस्त जारी,अब तक कुल 48,000 करोड़ रूपये की राशि जारी attacknews.in

नईदिल्ली 21 दिसम्बर । वित्त मंत्रालय ने जीएसटी की क्षतिपूर्ति में हुई कमी को पाटने के लिए राज्यों को 6000 करोड़ रुपये की 8वीं साप्ताहिक किस्त जारी की है। इसमें से कुल 5,516.60 करोड़ रुपये की राशि 23 राज्यों को जारी की गई है और 483.40 करोड़ रुपये की राशि विधानसभा वाले 3 केन्द्रशासित प्रदेशों (दिल्ली, जम्मू एवं कश्मीर और पुडुचेरी), जोकि जीएसटी काउंसिल के सदस्य हैं, को जारी की गई है। शेष 5 राज्यों – अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मिजोरम, नागालैंड और सिक्किम – में जीएसटी के लागू होने के कारण राजस्व में कोई कमी नहीं हुई है।

भारत सरकार ने जीएसटी के लागू होने के कारण राजस्व में पैदा हुई 1.10 लाख करोड़ रुपये की अनुमानित कमी को पूरा करने के लिए अक्टूबर, 2020 में एक विशेष उधार खिड़की की व्यवस्था की थी। भारत सरकार द्वारा राज्यों और केन्द्रशासित प्रदेशों की ओर से इस खिड़की के जरिए उधार ली जा रही है। ये उधारियां 8 चरणों में की गई हैं। अब तक उधार ली गई राशि क्रमशः 23 अक्टूबर, 2020, 2 नवंबर, 2020, 9 नवंबर, 2020, 23 नवंबर, 2020, 1 दिसंबर, 2020, 7 दिसंबर, 2020, 14 दिसंबर, 2020और 21 दिसम्बर, 2020 को राज्यों को जारी की गई हैं।

इस सप्ताह जारी की गई राशि, राज्यों को प्रदान की गई ऐसी निधि की 8वीं किस्त थी। इस सप्ताह यह राशि 4.1902 प्रतिशत की ब्याज दर पर उधार ली गई है। केन्द्र सरकार द्वारा अब तक 4.6986 प्रतिशत की औसत ब्याज दर पर विशेष उधार खिड़की के जरिए कुल 48,000 करोड़ रुपये की राशि उधार ली गई है।

जीएसटी के लागू होने के कारण राजस्व में हुई कमी को पूरा करने के लिए विशेष उधार खिड़की के जरिए धन प्रदान करने के अलावा, भारत सरकार ने जीएसटी की क्षतिपूर्ति में हुई कमी को पूरा करने के लिए विकल्प –1 का चुनाव करने वाले राज्यों को अतिरिक्त वित्तीय संसाधन जुटाने में मदद करने के उद्देश्य से राज्य सकल घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) के 0.50 प्रतिशत के बराबर की राशि अतिरिक्त उधार लेने की अनुमति भी दी है। सभी राज्यों ने विकल्प -1 के प्रति अपनी प्राथमिकता जतायी है। इस प्रावधान के तहत 28 राज्यों को 1,06,830 करोड़ रुपये (जीएसडीपी का 0.50 प्रतिशत) की संपूर्ण अतिरिक्त राशि उधार लेने की अनुमति दी गई है।

भारत का शेयर बाजार हुआ धड़ाम:निवेशकों के डूबे 6.59 लाख करोड़,ब्रिटेन में कोरोना वायरस के नये स्ट्रेन से शेयर बाजार में भूचाल attacknews.in

मुंबई 21 दिसंबर । ब्रिटेन में कोरोना वायरस के नये स्ट्रेन के पाये जाने से यूरोपीय बाजार में हुई बिकवाली के दबाव में सोमवार को घरेलू शेयर बाजारों में भूचाल आ गया जिससे सेंसेक्स और निफ्टी में तीन फीसदी की गिरावट रही। इससे निवेशकों को करीब 6.59 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।

बीएसई का 30 शेयरों वाला संवेदी सूचकांक सेंसेक्स 1,406.73 अंक फिसलकर 45,553.96 अंक पर और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी 432.15 अंक उतरकर 13,328.40 अंक पर रहा। दिग्गज कंपनियों में हुयी बिकवाली का असर छोटी और मझाैली कंपनियों पर भी दिखा जहाँ बीएसई का मिडकैप 736.20 अंक गिरकर 17,064.98 अंक पर और स्मॉलकैप 812.11 अंक उतरकर 16,956.99 अंक पर रहा।

बीएसई में शामिल सभी समूह गिरावट में रहे। धातु समूह में सबसे अधिक 6.05 प्रतिशत और आईटी में सबसे कम 1.69 प्रतिशत की गिरावट रही। बीएसई में कुल 3,192 कंपनियों में कारोबार हुआ जिसमें से 2,433 गिरावट में और 592 बढ़त में रहे जबकि 167 में कोई बदलाव नहीं हुआ।

चौतरफा बिकवाली से बीएसई का बाजार पूँजीकरण 1,85,38,636.70 करोड़ रुपये से 6,59,313.65 करोड़ रुपये घटकर 1,78,79,323.05 करोड़ रुपये पर आ गया। इस तरह से निवेशकों को 6.59 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हो गया।

वैश्विक स्तर पर भी यूरोपीय बाजारों में अधिक बिकवाली देखी गयी। ब्रिटेन का एफटीएसई 2.73 प्रतिशत, जर्मनी का डैक्स 3.51 प्रतिशत, जापान का निक्केई 0.18 प्रतिशत और हांगकांग का हैंगसेंग 0.72 प्रतिशत की गिरावट में रहा। चीन का शंघाई कंपोजिट 0.76 प्रतिशत की बढ़त में बंद हुआ।

इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक  ने किया अंतिम उपभोक्ता तक डिजिटल भुगतान हेतु “डाक पे ” सुविधा का शुभारंभ;देश के 1,55,000 डाकघर और 3,00,000 डाक कर्मियों द्वारा दी जायेगी सेवा attacknews.in

नईदिल्ली 21 दिसंबर। डाक विभाग (DoP) और इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक (IPPB) ने एक नए डिजिटल भुगतान ऐप “डाक पे” का अनावरण किया । देश के अंतिम कोने तक डिजिटल वित्तीय समावेशन को पहुंचाने के चल रहे प्रयासों के हिस्से के रूप में डाक पे को पुरे भारत में लॉन्च किया गया है।

डाक पे केवल एक डिजिटल भुगतान एप नहीं है बल्कि यह इंडिया पोस्ट और आईपीपीबी द्वारा डाक विभाग के पुरे भारत में फैले विशाल विश्वशनीय नेटवर्क के माध्यम से समाज के विभिन्न वर्गों की वित्तीय आवश्यकता जैसे प्रियजनो को पैसा भेजना (डोमेस्टिक मनी ट्रांसफर – DMT), QR कोड स्कैन कर सेवाओं का ऑनलाइन भुगतान करना( वर्चुअल डेबिट कार्ड और UPI की सहायता से ), बायो-मेट्रिक की सहायता से AePS और अन्तरबैंकिंग सुविधाओं को प्रदान करने के साथ साथ ग्राहकों के लिए यूटिलिटी बिल भुगतान की सुविधा उपलब्ध कराता है।

केंद्रीय संचार, इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी और कानून और न्याय मंत्री, श्री रविशंकर प्रसाद ने बताया की नेशनल लॉकडाउन के समय इंडिया पोस्ट ने विभिन्न डाक सेवाओं को डिजिटली और फिजिकली राष्ट्र तक पहुंचाया है। डाक पे के शुभारंभ से न केवल बैंकिंग सुविधाओं और डाक उत्पादों तक ऑनलाइन पहुंच उपलब्ध होगी बल्कि इन्हे डोर-स्टेप पर भी प्राप्त किया जा सकेगा । मेरा दृढ़ मानना है कि डाक विभाग के राष्ट्रव्यापी नेटवर्क के द्वारा ऑनलाइन भुगतान और सेवाओं की होम डिलीवरी से माननीय प्रधान मंत्री के आर्थिक समावेशी मिशन आत्मा निर्भर भारत की और यह एक बड़ी छलांग होगी।।

श्री प्रदीप कुमार बिसोई, सचिव और अध्यक्ष, आईपीपीबी बोर्ड ने बताया कि, डाक पे विश्वसनीय डाकिये की मदद से सहायक मोड में अथवा मोबाइल एप्प की मदद से सभी ग्राहकों को बैंकिंग और भुगतान उत्पादों का सरलीकृत समाधान उपलब्ध कराता है। डाक पे वास्तव में हर भारतीय की वित्तीय जरूरतों को पूरा करने के लिए भारतीय समाधान है।

”श्री जे वेंकटरामु, एमडी और सीईओ, इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक ने कहा- डाक पे का शुभारंभ आईपीपीबी (IPPB ) की यात्रा में एक ऐतिहासिक उपलब्धि है। ” हमारा आदर्श वाक्य है – प्रत्येक ग्राहक महत्वपूर्ण है, प्रत्येक लेनदेन महत्वपूर्ण है और प्रत्येक जमा मूल्यवान है।

इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक के बारे में-
इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक (IPPB) की स्थापना डाक विभाग के तहत की गई है| IPPB को माननीय प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा 1 सितंबर, 2018 को भारत सरकार के 100% इक्विटी स्वामित्व के साथ संचार मंत्रालय ने लॉन्च किया गया था। बैंक की स्थापना भारत में आम आदमी के लिए सबसे सुलभ, सस्ते और भरोसेमंद बैंक के उद्देश्य से की गई है।

IPPB का मुख्य उद्देश्य डाक विभाग की लास्ट माइल कनेक्टिविटी जिसमे 1,55,000 डाकघर (ग्रामीण क्षेत्रों में 1,35,000) और 3,00,000 डाक कर्मियों के माध्यम से जिन क्षेत्रों में बैंकिंग सुविधा उपलब्ध नहीं है की बाधाओं को दूर करना है।

IPPB की पहुंच और इसका ऑपरेटिंग मॉडल, भारत स्टैक के प्रमुख स्तंभों पर बनाया गया है CBS- एकीकृत स्मार्टफोन और बायोमेट्रिक डिवाइस से पेपर लेस बैंकिंग ग्राहक के दरवाजे (डोर स्टेप ) पर सरल और सुरक्षित तरीके से प्रदान कि जाती है। बैंकिंग आवश्यकताओं को धयान में रखते हुए IPPB 13 भाषाओ में सरल और सस्ता बैंकिंग समाधान प्रदान करता है।

इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक कम नकदी अर्थव्यवस्था के लिए एक भरपाई प्रदान करने और डिजिटल इंडिया मिशन में अपना योगदान देने लिए प्रतिबद्ध है। भारत तब समृद्ध होगा जब हर नागरिक के पास आर्थिक रूप से सुरक्षित और सशक्त बनने का समान अवसर होगा। हमारा सोचना है – हर ग्राहक महत्वपूर्ण है; प्रत्येक लेनदेन अर्थपूर्ण है, और प्रत्येक जमा मूल्यवान है।

एयर इंडिया के लिए टाटा समूह तथा अमेरिका का कोष इंटरअप्स इंक समेत कई इकाइयों ने प्रारंभिक बोलियां लगायी,इसके बाद भी निजीकरण इस साल पूरा होना मुश्किल attacknews.in

नयी दिल्ली, 20 दिसंबर ।एयर इंडिया के विनिवेश की प्रक्रिया अगले वित्त वर्ष तक खींच सकती है। एक अधिकारी ने कहा कि चालू वित्त वर्ष 2020-21 में अब तीन महीने से कुछ ही अधिक समय बचे हैं, ऐसे में विनिवेश प्रक्रिया के पूरा होने की संभावना बहुत कम है।

नमक से लेकर सॉफ्टवेयर बनाने वाला टाटा समूह तथा अमेरिका का कोष इंटरअप्स इंक समेत कई इकाइयों ने सरकारी एयरलाइन में हिस्सेदारी खरीदने को लेकर पिछले सप्ताह प्रारंभिक बोलियां लगायी। बोली जमा करने की समयसीमा 14 दिसंबर को समाप्त हुई।

एयर इंडिया के 200 से अधिक कर्मचारियों के समूह ने भी इंटरअप्स के साथ मिलकर रूचि पत्र (ईओआई) जमा किया है।

एक अधिकारी ने कहा, ‘‘सौदा परामर्शदाता छह जनवरी को पात्र बोलीदाताओं को सूचित करेंगे। उसके बाद बोलीदाताओं को एयर इंडिया की स्थिति के बारे में पूरी जानकारी से जुड़े आंकड़ें उपलब्ध कराये जाएंगे।’’

अधिकारी ने कहा, ‘‘शेयर खरीद समझौता बोलीदाताओं के साथ साझा किया जाएगा। उसके बाद वित्तीय बोलियां आमंत्रित की जाएंगी।’’

उसने कहा, ‘‘सौदा अगले वित्त वर्ष में पूरा होगा क्योंकि हमारा अनुमान है कि बोलीदाताओं को आंकड़ों (वर्चुअल डाटा रूम) तक पहुंच और वित्तीय बोली जमा करने से पहले कई सवाल होंगे।’’

सरकार एयर इंडिया में अपनी पूरी 100 प्रतिशत हिस्सेदारी बेच रही है। कंपनी 2007 में घरेलू एयरलाइन इंडियन एयरलाइंस के विलय के बाद से घाटे में है।

हिस्सेदारी बिक्री प्रक्रिया में कोविड-19 महामारी के कारण देरी हुई है और सरकार एयरलाइन के लिये प्रारंभिक बोली लगाने को लेकर समयसीमा पांच बार बढ़ा चुकी है।

सरकार 2017 से एयर इंडिया को बेचने का प्रयास कर रही है, लेकिन किसी ने कोई खास रूचि नहीं दिखायी। इसको देखते हुए सरकार ने इस बार सौदे से जुड़ी शर्तों को हल्का बनाया है। इसके तहत संभावित बोलीदाताओं को इस बारे में निर्णय करना है कि एयरलाइन का कितना कर्ज वे सौदे के तहत लेना चाहते हैं।

अबतक बोलीदाताओं को पूरे 60,074 करोड़ रुपये के कर्ज की जिम्मेदारी लेने की जरूरत थी।