FDI ने भारत में भरा धन का भण्डार:अप्रैल से दिसंबर के दौरान 67.54 अरब अमेरिकी डॉलर एफडीआई आया और वित्त वर्ष 2020-21 के 9 माह में इक्विटी प्रवाह 51.47 अरब अमेरिकी डॉलर 40 फीसदी बढ़ा attacknews.in

नईदिल्ली 4 मार्च ।भारत के आर्थिक विकास में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) एक अहम भूमिका रही है। यह बिना कर्ज लिए पूंजी जुटाने का एक महत्वपूर्ण स्रोत है। सरकार का प्रयास रहा है कि वह एक सक्षम और निवेशक अनुकूल एफडीआई नीति लागू करे। एफडीआई नीति को निवेशकों के लिए और अधिक अनुकूल बनाने और निवेश के रास्ते में आने वाली नीतिगत अड़चनों को दूर करने के लिए लगातार कदम उठाए जा रहे हैं।

पिछले साढ़े छह साल में इस दिशा में उठाए गए कदमों का परिणाम है कि देश में एफडीआई प्रवाह लगातार, रिकॉर्ड स्तर पर बढ़ता जा रहा है। एफडीआई क्षेत्र में लगातार उदारीकरण और सरलीकरण की नीति के तहत सरकार ने विभिन्न सेक्टर में एफडीआई से संबंधित सुधार किए हैं।

सरकार द्वारा एफडीआई नीति में सुधार, निवेश प्रक्रिया सरल  और बिजनेस करना आसान करने जैसे उठाए गए कदमों का ही परिणाम है कि देश में एफडीआई प्रवाह बढ़ गया है। प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में निम्नलिखित रुझानों से साफ है कि भारत, वैश्विक निवेशकों के लिए निवेश का एक प्रमुख स्थान बन गया है:

·         अप्रैल से दिसंबर, 2020 के दौरान, 67.54 अरब अमेरिकी डॉलर का एफडीआई देश में आया है। यह किसी वित्त वर्ष  के पहले 9 महीनों में आया सबसे अधिक एफडीआई है। वित्त वर्ष 2019-20 की इसी अवधि की तुलना में एफडीआई  22 फीसदी बढ़ा है। इस दौरान 55.14 अरब डॉलर का एफडीआई आया था।

·         वित्त वर्ष 2020-21 के पहले 9 महीनों के दौरान, इक्विटी के जरिए आने वाले एफडीआई में 40 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। जो कि इस अवधि में 51.47 अरब अमेरिकी डॉलर था। वित्त वर्ष 2019-20 की इसी अवधि में इक्विटी के जरिए 36.77 अरब अमेरिकी डॉलर एफडीआई आया था।

·         अकेले वित्त वर्ष 2020-21 की तीसरी तिमाही में 26.16 अरब अमेरिकी डॉलर का एफडीआई आया है। जो कि 2019-20 में आए एफडीआई 19.09 अरब अमेरिकी डॉलर की तुलना में 37 फीसदी ज्यादा है।

·         इसी तरह केवल दिसंबर 2020 में 9.22 अरब अमेरिकी डॉलर का एफडीआई आया है। जो कि दिसंबर 2019 के 7.46 अरब अमेरिकी डॉलर की तुलना में 24 फीसदी ज्यादा है।

 

बजट में कोई नया कर नहीं;आत्म-निर्भर मध्यप्रदेश के 4 स्तंभ भौतिक अधोसंरचना,शिक्षा एवं स्वास्थ्य,अर्थ-व्यवस्था एवं रोजगार,सुशासन के तहत 9 नए मिशन निर्माण, मिशन ग्रामोदय ,मिशन नगरोदय, मिशन निरामय,मिशन बोधि,मिशन अर्थ, मिशन दक्ष, मिशन स्वावलंबन मिशन जन-गण शुरू किए जाएंगे attacknews.in

गति पथ पर ले जाना वाला बजट

प्रमुख बिंदु:

आम जनता का बजट,आत्म-निर्भर मध्यप्रदेश के निर्माण के महत्वपूर्ण लक्ष्य को लेकर तैयार किया गया विशेष बजट

आत्म-निर्भर मध्यप्रदेश के निर्माण के लिए मिशन मोड में कार्य होगा जिसके लिए चारों क्षेत्रों सुशासन, भौतिक अधोसंरचना, शिक्षा एवं स्वास्थ्य, अर्थ-व्यवस्था एवं रोजगार के लिए 9 नए मिशन संचालित होंगे

बजट में नौ मेडिकल कॉलेज प्रारंभ करने का प्रावधान है

बजट में गत वर्ष की तुलना में पूंजीगत व्यय में 42 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि

नौ नए मिशन देंगे मध्यप्रदेश के विकास को गति

सर्वे भवन्तु सुखिनः के भाव को चरितार्थ करता मध्यप्रदेश का बजट

आत्म निर्भर मध्यप्रदेश पर आधारित है बजट

पूंजीगत व्यय में बीते वर्ष की तुलना में 42 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि

नागरिकों के जीवन को आसान बनाने के लिए किए गए अनेक प्रावधान

भोपाल 2 मार्च ।मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि मध्यप्रदेश का आज विधानसभा में प्रस्तुत बजट प्रदेश को प्रगति पथ पर ले जाएगा। मध्यप्रदेश तेज गति से आत्म-निर्भरता के मार्ग की तरफ बढ़ेगा। गत वर्ष की तुलना में नए वित्त वर्ष में पूँजीगत व्यय में 42 प्रतिशत की वृद्धि, आत्म-निर्भर मध्यप्रदेश के लिए नौ नए मिशन और नागरिकों के जीवन को आसान बनाने वाले बुनियादी क्षेत्रों में आवश्यक सुविधाओं के लिए पर्याप्त राशि का प्रावधान इस बजट की विशेषता है। यह बजट ‘सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे संतु निरामया’ के ध्येय वाक्य को क्रियान्वित करने का माध्यम है।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि आज पेश हुए मध्यप्रदेश के बजट को जन-आकांक्षाओं और अपेक्षाओं का प्रतीक मान सकते हैं। यह बजट सरकार के विजन और मिशन का प्रतिबिम्ब है। इससे कोरोना काल की विपरीत परिस्थितियों के बाद क्षतिग्रस्त हुई अर्थ-व्यवस्था को पुन: खड़ा कर आम लोगों का हित संवर्धन सुनिश्चित होगा।

आत्म-निर्भर मध्यप्रदेश बनाने का बजट

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के आत्म-निर्भर भारत के लक्ष्य को पूरा करने के लिये आत्म-निर्भर मध्यप्रदेश का संकल्प सितम्बर 2020 में लिया गया था। मध्यप्रदेश में आत्म-निर्भर मध्यप्रदेश के रोडमैप का निर्माण किया गया। जनता के सुझाव प्राप्त किए गए। अधोसंरचना, स्वास्थ्य एवं शिक्षा, अर्थ-व्यवस्था एवं रोजगार को आधार बनाया गया। इन प्राथमिकताओं के अनुसार दीर्घ अवधि की दृष्टि से बजट का निर्माण किया गया है।

मिशन मोड में कार्य करेंगे 9 नए मिशन

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि आत्म-निर्भर मध्यप्रदेश के चार प्रमुख स्तंभ हैं। इसके अंतर्गत 9 नए मिशन संचालित होंगे। भौतिक अधोसंरचना के तहत मिशन निर्माण, मिशन ग्रामोदय और मिशन नगरोदय प्रारंभ होंगे। शिक्षा एवं स्वास्थ्य के अंतर्गत मिशन निरामय और मिशन बोधि प्रारंभ होंगे। अर्थ-व्यवस्था एवं रोजगार के तहत मिशन अर्थ, मिशन दक्ष और मिशन स्वावलंबन शुरू किए जाएंगे। इसके अलावा आत्म-निर्भर मध्यप्रदेश के रोडमैप के एक महत्वपूर्ण स्तंभ सुशासन के तहत भी एक मिशन शुरू होगा, जिसका नाम मिशन जन-गण होगा। सरकार दिन-रात मिशन मोड में कार्य कर आत्म-निर्भर मध्यप्रदेश के निर्माण के लक्ष्यों को प्राप्त करेगी।

अधोसंरचना विकास, शिक्षा, स्वास्थ्य और कृषि के लिए बजट प्रावधान

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि अधोसंरचना विकास के लिए सिंचाई क्षेत्र के लिए 44 हजार 152 करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया है। शिक्षा और उससे जुड़े क्षेत्रों पर 40 हजार 958 करोड़ रूपये की राशि खर्च होगी। कृषि से संबंधित प्रावधान 35 हजार 353 करोड़ रूपये, स्वास्थ्य एवं संबंधित क्षेत्रों के लिए 15 हजार 622 करोड़ रूपये, गरीब कल्याण के लिए 11 हजार 950 करोड़ रूपये, बच्चों, विद्यार्थियों और युवाओं के लिए 11 हजार 136 करोड़ रूपये और महिलाओं के लिये 10 हजार 674 करोड़ रूपये की राशि का प्रावधान किया गया है।

बजट की बड़ी विशेषताएँ

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि मध्यप्रदेश के बजट में गत वर्ष से 22 प्रतिशत अधिक राशि है। वर्ष 2021-22 में मध्यप्रदेश का जीएसडीपी 10 लाख करोड़ रूपये के पार पहुँच सकता है, जो एक कीर्तिमान होगा। राजकोषीय घाटा, राज्य के सकल घरेलू उत्पाद का 4.5 प्रतिशत है। इसे अगले तीन वर्ष में और घटाकर 3 प्रतिशत तक लाने का लक्ष्य है। राजस्व घाटा राज्य के सकल घरेलू उत्पाद का 0.73 प्रतिशत है। इसे भी अगले 3 वर्ष में घाटे से आधिक्य में बदलने का लक्ष्य है। गत 11 माह में सरकार द्वारा उठाए गए सुधारात्मक कदमों के कारण भारत सरकार से 19 हजार 353 करोड़ रूपये के अतिरिक्त वित्तीय संसाधन प्राप्त हो रहे हैं। बजट में किसी प्रकार के नए कर प्रस्तावित नहीं है और न ही किसी भी कर की दर को बढ़ाया गया है।

बहनों और बेटियों के लिए सौगात है बजट

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि यह बजट बहनों और बेटियों के लिए सौगात लेकर आया है। हर ग्राम पंचायत में एक राशन की दुकान खुलेगी और एक तिहाई दुकानें महिलाएँ संचालित करेंगी। हर जिले में महिला पुलिस थाना प्रारंभ होगा। बजट में लाड़ली लक्ष्मी योजना के अंतर्गत 900 करोड़ रूपये से अधिक के प्रावधान सहित महिलाओं के लिए कुल 10 हजार करोड़ से अधिक की राशि का प्रावधान राज्य सरकार के महिला कल्याण के लक्ष्य का परिचायक है।

गरीब कल्याण और जन-कल्याण पर फोकस

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि गरीबों के कल्याण और आमजन के कल्याण के लिए बजट में समुचित प्रावधान हैं। संबल के अंतर्गत हितग्राही लाभान्वित होंगे। संबल में 600 करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया है। मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना में 3,200 करोड़ रूपये, मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना में 602 करोड़ रूपये, सीएम राइज स्कूल के लिए 1,500 करोड़ रूपये, अन्नपूर्णा योजना में 400 करोड़ रूपये, जल-जीवन मिशन के तहत घर-घर तक नल से जल पहुँचाने के कार्यों के लिए 5,762 करोड़ रूपये, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के लिए 3,035 करोड़ रूपये, लाड़ली लक्ष्मी योजना में 922 करोड़ रूपये, अटल कृषि ज्योति योजना में 4,592 करोड़ रूपये, नये मेडिकल कॉलेज की स्थापना के लिए 300 करोड़ रूपये, उच्च शिक्षा में सुधार के लिए 400 करोड़ रूपये, प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए 2,500 करोड़ रूपये, सड़क, पुल निर्माण के लिए 5,739 करोड़ रूपये, व्यवसायिक कौशल प्रशिक्षण के लिए 397 करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया है। महिला स्व-सहायता समूहों की सहायता और युवाओं को रोजगार के लिए संचालित कार्यक्रमों के लिए राशि का प्रावधान किया गया है। संभाग स्तर पर मॉडल आई.टी.आई. और ग्लोबल पार्क के लिए भी धनराशि का प्रावधान है।

किसान-कल्याण

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि कृषि अर्थ-व्यवस्था का आधार है। कृषकों को अल्पकालीन ऋण पर ब्याज अनुदान के लिए 1000 करोड़ रूपये का बजट प्रावधान किया गया है। नई मुख्यमंत्री कृषक फसल उपार्जन सहायता योजना प्रारंभ होगी। इसी तरह प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत 2,220 करोड़ रूपये की राशि बजट में रखी गई है।

शहरों को मिलेगा नया स्वरूप

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि बजट में स्मार्ट सिटी के अंतर्गत शहरों के विकास और सौन्दर्यीकरण पर 900 करोड़ रूपये की राशि खर्च की जाएगी। मेट्रो रेल सुविधा बढ़ाने के लिए 262 करोड़ रूपये की राशि खर्च होगी। आपदा प्रबंधन और राहत के लिए 1680 करोड़ रूपये का बजट प्रावधान किया गया है।

प्रत्येक कार्यकाल में बुनियादी क्षेत्रों को रखा केन्द्र में

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि राज्य सरकार ने बुनियादी क्षेत्रों के विकास को सदैव केन्द्र में रखा है। जहाँ उन्होंने प्रथम कार्यकाल में सड़क निर्माण को प्राथमिकता दी, वहीं द्वितीय कार्यकाल में सिंचाई क्षेत्र के विस्तार का कार्य प्रमुखता से किया गया। इसके पश्चात तृतीय कार्यकाल में विद्युत उत्पादन बढ़ाने और सुचारू बिजली प्रदाय पर ध्यान दिया गया। इस कार्यकाल में उन्होंने स्वास्थ्य, शिक्षा और पेयजल की सुविधाएँ तेजी से बढ़ाने का निश्चय किया है। इसके क्रियान्वयन की शुरूआत हो चुकी है। यह बजट आत्म-निर्भर मध्यप्रदेश की लक्ष्य प्राप्ति में सहयोगी होगा।

अन्य प्रमुख विशेषताएँ

ओंकारेश्वर में विश्व के सबसे बड़े फ्लोटिंग सोलर पावर प्लांट और 6 जिलों में नये सोलर पार्क के लिए बजट।

65 लाख हेक्टेयर की सिंचाई क्षमता बढ़ाने के लिए बजट।

पुलिस में चार हजार और शिक्षकों के लिए 24 हजार पदों पर भर्ती का निर्णय।

पाँच विकासखंडों में कक्षा 9 से 12वीं के विद्यार्थियों को स्कूल के लिए परिवहन व्यवस्था का पायलट प्रोजेक्ट।

चंबल प्रोग्रेस-वे और नर्मदा एक्सप्रेस-वे के निर्माण के लिए बजट।

प्रधामनंत्री ग्राम सड़क योजना और मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना में 6 हजार किलोमीटर से अधिक सड़कों के निर्माण का लक्ष्य।

शहरी क्षेत्रों के लिए भी जल-जीवन मिशन।

13 जिलों में 86 स्थानों पर वन धन केन्द्र का विकास।

3 विमुक्त विशेष पिछड़ी जनजातियों बैगा, सहरिया और भारिया की 38 आश्रम शालाओं में पायलट बेसिस पर प्री-प्रायमरी कक्षाओं का संचालन।

मुख्यमंत्री स्व-रोजगार ब्याज परिदान योजना प्रारंभ होगी।

इज ऑफ डूइंग बिजनेस के लिए ‘स्टार्ट योर बिजनेस इन थर्टी डेज’ पर तेजी से अमल प्रारंभ होगा।

50 बिस्तर का पुलिस चिकित्सालय बनेगा।

पन्ना में डायमंड म्यूजियम बनेगा।

छतरपुर जिले में जटाशंकर पर रोप-वे का निर्माण होगा।

भोपाल गैस पीड़ितों के लिए केन्द्रीय पेंशन योजना समाप्त हो जाने के फलस्वरूप मध्यप्रदेश सरकार अपने बजट से पेंशन की व्यवस्था करेगी।

प्रदेश में 9 नए मेडिकल कॉलेजों के लिए मंजूरी।

संबल योजना पुन: प्रारंभ की गई है।

छोटे और सीमांत किसानों को वर्ष में 10 हजार रूपए की राशि मिलेगी। प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना के साथ ही मुख्यमंत्री किसान-कल्याण योजना का लाभ भी प्राप्त होगा।

बजट – किस क्षेत्र में कितनी राशि

क्रं.              क्षेत्र                 बजट का हिस्सा (प्रतिशत)

1.अधोसंरचना विकास             20.35

2.        शिक्षा                          18.87

3.    कृषि एवं सम्बद्ध  क्षेत्र         16.29

4.   स्वास्थ्य एवं सम्बद्ध क्षेत्र         7.20

5.     गरीब कल्याण                    5.51

6.       महिला                            4.92

बजट में कोई नया कर नहीं : मुख्यमंत्री श्री चौहान
डिजीटल रूप में प्रस्तुत हुआ बजट:

मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि वर्ष 2021-22 के प्रदेश के बजट में किसी प्रकार के नये कर प्रस्तावित नहीं है और न ही किसी भी कर की दर को बढ़ाया गया है। पहली बार डिजिटल स्वरूप में प्रस्तुत हुए बजट के माध्यम से प्रयास यह है कि हम निरंतर सकारात्मक रहते हुए अपना श्रेष्ठ देते रहे। इसी क्रम में राज्यकोषीय घाटा राज्य के सकल घरेलू उत्पाद का 4.5 प्रतिशत है, इसे अगले तीन वर्ष में घटाकर 3 प्रतिशत करने का लक्ष्य रखा गया है।

मददगार रहा केन्द्रीय बजट का पहले आना

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन में केन्द्र सरकार का बजट पहले प्रस्तुत होने की परम्परा बनी है। इससे राज्य को अपना बजट अधिक व्यवहारिक रूप से बनाने में मदद मिली।

15वें वित्त आयोग ने बढ़ायी प्रदेश की हिस्सेदारी

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि 14वें वित्त आयोग में राज्यों में बँटने वाले केन्द्रीय करों में मध्यप्रदेश के लिए तय की गई 7.548 प्रतिशत की हिस्सेदारी को बढ़ाने के लिए मध्यप्रदेश द्वारा ज्ञापन सौंपा गया था। 15 वें वित्त आयोग द्वारा वर्ष 2020-21 से 2025-26 की अवधि के लिए प्रदेश की हिस्सेदारी बढ़ा कर 7.85 प्रतिशत निर्धारित की गई है। इस बढ़ोत्तरी से वर्ष 2021-22 में प्रदेश को केन्द्रीय करों से लगभग 2 हजार करोड़ अतिरिक्त राशि प्राप्त होना अनुमानित है। पिछले साल की तुलना में नये वित्तीय वर्ष में पूंजीगत व्यय में 42 प्रतिशत से भी अधिक की वृद्धि हुई है। बजट में सभी जन-हितैषी और विकासोन्मुखी योजनाओं की निरंतरता के लिए आवश्यक प्रावधान रखे गये हैं।

2021-22 का बजट जनता का बजट है : मुख्यमंत्री श्री चौहान

मिशन मोड में शिक्षा, स्वास्थ्य, अधोसंरचना और रोजगार के लिए होगा कार्य:

मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि वर्ष 2021-22 का प्रदेश का बजट जनता का बजट है। यह केवल आँकड़ों का दस्तावेज नहीं अपितु प्रदेश की जनता की आकांक्षाओं और जनता का प्रतीक है। यह जनता और सरकार के विजन और मिशन का प्रतिबिम्ब है। आत्म-निर्भर भारत के निर्माण के यज्ञ के मध्य लाये गये इस बजट को आत्म-निर्भर मध्यप्रदेश के निर्माण के लिए जनता के सुझाव प्राप्त कर तैयार किया गया है। यह जनता का जनता के द्वारा जनता के लिए निर्मित बजट है, जिसमें आत्म-निर्भर मध्यप्रदेश की तड़प साफ दिखाई देती है।

मिशन एप्रोच से होगी आत्म-निर्भर मध्यप्रदेश के लक्ष्य की प्राप्ति

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि सरकार आत्म-निर्भर मध्यप्रदेश के लक्ष्यों को प्राप्त करेंगी। इसके लिए सुशासन, भौतिक अधोसंरचना, शिक्षा, स्वास्थ्य, अर्थ-व्यवस्था और रोजगार के क्षेत्रों में मिशन एप्रोच अपनाकर गतिविधियों का क्रियान्वयन किया जाएगा।

मिशन को एक्शन में बदलेंगे

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि प्रत्येक मिशन को एक्शन में बदलने वाले कार्यक्रम लागू होंगे।

मिशन जनगण – बार-बार जमा नहीं कराने होंगे दस्तावेज

आम आदमी को नागरिक सुविधाएँ संवेदनशीलता, पारदर्शिता और सहजता से समय-सीमा में प्राप्त हो यही सुशासन है। इस लक्ष्य की पूर्ति के लिए मिशन जनगण का संचालन होगा। लोक सेवा गारंटी कानून में संशोधन कर मान्य अनुमोदन (डीम्ड एप्रूवल) का प्रावधान किया गया है। अब चयनित सेवाएँ प्राप्त करने संबंधी आवेदन यदि तय समय-सीमा में निराकृत न हो तो नागरिकों को पोर्टल से स्वत: ऐसी सेवा या प्रमाण-पत्र प्राप्त हो जाएंगे। इसी क्रम में एकत्व कार्यक्रम के अंतर्गत एकल नागरिक डाटाबेस तैयार किया जाएगा। इससे शासकीय सेवाओं के लिए नागरिकों को बार-बार दस्तावेज जमा कराने की आवश्यकता नहीं होगी। साथ ही परिचय कार्यक्रम के अंतर्गत समस्त नागरिक सेवाओं को एकीकृत कर एक ही पोर्टल के माध्यम से उपलब्ध कराया जाएगा।

प्रदेश में भौतिक अधोसंरचना के लिए मिशन निर्माण, मिशन ग्रामोदय और मिशन नगरोदय संचालित किये जाएगे।

मिशन निर्माण में बनेंगे महापथ

आत्म-निर्भर मध्यप्रदेश के लिए अधोसंरचना का तेज गति से विकास आवश्यक है। इससे रोजगार के नये अवसर निर्मित होंगे और संतुलित क्षेत्रीय विकास संभव होगा। इस वित्तीय वर्ष के बजट में 2 हजार 441 किलोमीटर के नवीन सड़क कार्य तथा 65 नवीन पुल सम्मिलित है, साथ ही अधिक यातायात वाले सभी रेलवे फाटकों पर रेलवे ओवर ब्रिज बनाने का लक्ष्य हैं। चंबल अंचल के विकास को गति देने के लिए अटल प्रोग्रेस-वे बनाये जाने की कार्रवाई शुरू की जा चुकी है। प्रदेश के पूर्वी और पश्चिमी क्षेत्रों को जोड़ने वाले नर्मदा एक्सप्रेस-वे के निर्माण का परियोजना प्रतिवेदन तैयार किया जा रहा है। इन महापथों के निर्माण से रोजगार और व्यवसाय के बेहतर अवसर स्थानीय रूप से मिलेंगे। लोक निर्माण के बजट में 475 करोड़ रूपये का इजाफा किया गया है।

मिशन ग्रामोदय

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि प्रदेश की लगभग 72 प्रतिशत जनसंख्या ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करती है। ग्रामीण क्षेत्रों में उच्च स्तर की अधोसंरचना उपलब्ध कराना तथा रोजगार के अवसर उत्पन्न कर ग्रामीण आमदनी को बढ़ाना सरकार की प्राथमिकता है। प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के अंतर्गत सामान्य क्षेत्र के 500 और आदिवासी क्षेत्र के 250 से अधिक आबादी की जो बसाहटें सड़क मार्ग से नहीं जुड़ी, उन्हें बारहमासी डामरीकृत सड़कों से जोड़ने का लक्ष्य है। आवास निर्माण, रोजगार सृजन और प्रशिक्षण के लिए भी महत्वाकाँक्षी योजनाएँ हैं।

मिशन नगरोदय

भोपाल और इंदौर में मेट्रो रेल परियोजना को गति देने के लिए 262 करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया है। हाउसिंग फॉर ऑल योजना के लिए 1 हजार 500 करोड़ रूपये, सीवरेज और जलप्रदाय कार्यों के लिए एक हजार करोड़ और स्मार्ट सिटी योजना के अंतर्गत चयनित शहरों के विकास के लिए 900 करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया है।

मिशन बोधि- 24 हजार से अधिक शिक्षकों की होगी भर्ती

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा है कि शासकीय शालाओं में गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए सी.एम. राइज स्कूल संचालित किये जाएंगे। इन स्कूलों में प्रयोगशालाओं, पुस्तकालय, कम्प्यूटर लैब और विद्यार्थियों के आवागमन के लिए बस सुविधा होगी। प्रदेश में 9 हजार 200 विद्यालय विकसित करने का लक्ष्य है। प्रथम चरण में 350 विद्यालयों का विकास किया जा रहा है, जिसके लिए वर्ष 2021-22 में एक हजार 500 करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया है। वर्ष 2021-22 में लगभग 24 हजार 200 पदों पर शिक्षकों की नवीन भर्ती की जाएगी।

मिशन निरामय

प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं और प्रबंधन की गुणवत्ता में निरंतर सुधार के लिए मिशन निरामय लागू किया जाएगा। स्वास्थ्य एवं सम्बद्ध क्षेत्र के लिए वर्ष 2021-22 में 15 हजार 622 करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया है। योग्य और विशेषज्ञ चिकित्सकों की उपलब्धता बढ़ाने के लिए एम.बी.बी.एस. सीटों को 2,035 से बढ़ाकर 3,250 किया जाएगा। शीघ्र ही 23 शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय कार्यशील होंगे। प्रदेश के उप स्वास्थ्य केन्द्रों तथा प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में विशेषज्ञ परामर्श के लिए टेली मेडिसिन सेवाएँ उपलब्ध करायी जा रही है।

मिशन अर्थ

प्रदेश के विकास में हर नागरिक भागीदार बने, रोजगार के नये अवसर सृजित हो और अर्थ-व्यवस्था तेजी से आगे बढ़े इसके लिए मिशन अर्थ के अंतर्गत कृषि, सहकारिता, उद्यानिकी, खाद्य-प्रसंस्करण, पशुपालन, मत्स्य- विकास, औद्योगिक नीति एवं निवेश प्रोत्साहन, पर्यटन तथा विमानन से जुड़ी गतिविधियों का सभंवित रूप से संचालन किया जाएगा। कृषि और संबंधित क्षेत्रों के कार्यों के लिए वर्ष 2021-22 में 35 हजार 353 करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया है। औद्योगिक निवेश को आकर्षित करने के लिए प्रोत्साहन राशि एक हजार 437 करोड़ रूपये की गई है।

मिशन दक्ष

स्थानीय अर्थ-व्यवस्था को संबंल देने और रोजगार के अतिरिक्त अवसर निर्मित करने के लिए तकनीकी शिक्षा और कौशल विकास के क्षेत्र में अंधोसरचनात्मक सुधार किया जाएगा। ग्लोबल स्किल पार्क, आईटीआई, पॉलीटेक्निक और इंजीनियरिंग कॉलेजों का उन्नयन प्रस्तावित है।

मध्यप्रदेश में 2021 22 के लिए 2 लाख 41 हजार करोड़ रुपयों के प्रावधान वाले बजट में “आत्मनिर्भरता” को बनाया गया प्रमुख आधार attacknews.in

भोपाल, 02 मार्च । मध्यप्रदेश विधानसभा में आज वित्त वर्ष 2021 22 के लिए पेश किए गए वार्षिक बजट से संबंधित प्रमुख आकड़े और विभिन्न विभागों के बजट प्रावधान संबंधी इस प्रकार हैं।

-वर्ष 2021-22 में वर्ष 2020-21 के पुनरीक्षित अनुमान की तुलना में राज्य के स्वयं के कर राजस्व में 22 प्रतिशत की वृद्धि

-मैग्निफिसेंट एमपी इन्वेस्टमेंट आकर्षण योजना हेतु 1237 करोड़। जिला /सिविल अस्पताल एवं औषधालय हेतु 1208 करोड़। चिकित्सा महाविद्यालय तथा संबद्ध चिकित्सालय हेतु 1172 करोड़। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वृद्धावस्था पेंशन हेतु 1144 करोड़। मध्यान्ह भोजन कार्यक्रम हेतु 1001 करोड़।

  • अटल मिशन फॉर रिजुवेनेशन एण्ड अर्बन ट्रान्सफॉरमेंशन हेतु 1000 करोड़। सहकारी बैंकों के माध्यम से कृषकों को अल्पकालीन ऋण पर ब्याज अनुदान हेतु 1000 करोड़। लाड़ली लक्ष्मी योजना हेतु 922 करोड़। स्मार्ट सिटी हेतु 900 करोड़। ग्रामीण समूह जल प्रदाय योजना हेतु 878 करोड़। 11वीं, 12वीं एवं महाविद्यालय छात्रवृत्ति हेतु 872 करोड़।

कोरोना संकट के बावजूद सभी वर्गों का ध्यान रखा गया बजट में – देवड़ा

मध्यप्रदेश के वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने आज कहा कि कोरोना जैसे अभूतपूर्व संकट के बावजूद राज्य सरकार के बजट में सभी वर्गों के हितों का ध्यान रखकर नए कराधान का प्रावधान नहीं किया गया है।

श्री देवड़ा ने विधानसभा में वित्त वर्ष 2021 22 के लिए दो लाख 41 हजार करोड़ रुपयों के प्रावधान वाले वार्षिक बजट को पेश करने के बाद विधानसभा भवन के सभागार में संवाददाताओं से चर्चा में यह बात कही। इस दौरान वित्त विभाग की ओर से पेश किए गए प्रस्तुतिकरण के जरिए बजट प्रावधानों के बारे में भी बताया गया।

श्री देवड़ा ने कहा कि कोरोना जैसे अभूतपूर्व संकट से सिर्फ हमारा राज्य ही नहीं, पूरा देश प्रभावित हुआ है और इस वजह से राजस्व प्राप्तियां तथा आर्थिक गतिविधियां प्रभावित हुयी हैं। इसके बावजूद आत्मनिर्भर भारत और इसी से प्रेरित आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश की परिकल्पना को मूर्त रूप देने के उद्देश्य से बजट में प्रावधान किए गए हैं। इसमें जहां सभी वर्गों के हितों का ध्यान रखा गया है, वहीं आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश के लिए ढांचागत सुविधाओं के विकास तथा शिक्षा, स्वास्थ्य और सुशासन पर ध्यान देते हुए उनके लिए बजट प्रावधान किए गए हैं।

बजट में 50 प्रतिशत से अधिक धनराशि तनख्वाह, पेंशन और इसी तरह के खर्च पर होने संबंधी सवालों के जवाब में वित्त मंत्री के साथ मौजूद वित्त विभाग के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि यह बात सच है, लेकिन जब हम शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में व्यय करते हैं तो चिकित्सकों, नर्सों और अन्य कर्मचारियों के साथ ही शिक्षकों आदि की तनख्वाह पर भी व्यय करना पड़ेंगे। यह हमारे राज्य में ही नहीं, देश और विदेशों में भी होता है। इसलिए इस व्यय को व्यर्थ नहीं माना जा सकता है। उन्होंने कहा कि विकासात्मक कार्यों में तनख्वाह प्रमुख खर्च है।

वित्त मंत्री की ओर से इस सवाल का जवाब तत्काल नहीं मिल पाया कि मध्यप्रदेश सरकार को पिछले एक दो वर्षों के दौरान केंद्र सरकार से कितनी धनराशि प्राप्त होना थी और कितनी राशि प्राप्त हुयी। अलबत्ता उनके साथ मौजूद अधिकारी ने यह बताया कि कोरोना संकट के कारण उपजी स्थितियों के चलते हाल ही में ‘जीएसटी कौंसिल’ की बैठक में तय किया गया था कि राज्य सरकार वित्तीय संस्थाओं से स्वयं ऋण राशि लें और उन्हें चुकाने की व्यवस्था करें।

वार्षिक बजट में ‘आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश’ पर सबसे अधिक जोर

विधानसभा में पेश किए गए वार्षिक बजट में ‘आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश’ पर सबसे अधिक जोर दिया गया है।

वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने अपने बजट भाषण की शुरूआत में कहा कि अर्जुन के लक्ष्य ‘चिड़िया की आंख’ की तरह राज्य सरकार का लक्ष्य ‘आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश’ है और इसी के अनुरूप बजट प्रावधान किए गए हैं। इसके तहत ढांचागत सुविधाओं के विकास और विस्तार पर सबसे अधिक जोर दिया गया है।

श्री देवड़ा ने ‘पेपरलेस बजट’ की अवधारणा के तहत बजट भाषण पढ़ा। कोरोना संकटकाल से उभरने के प्रयास भी बजट प्रावधान में दिखायी दिए। बजट का आकार दो लाख करोड़ रुपयों के पार है।

मध्यप्रदेश के बजट में दो लाख इकतालीस हजार करोड़ रुपयों से अधिक का प्रावधान

वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने आज विधानसभा में वित्त वर्ष 2021 22 के लिए 2,41,375 करोड़ रुपयों के प्रावधान वाला बजट पेश किया, जिसमें मुख्य रूप से ‘आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश’ की कल्पना को साकार करने के उद्देश्य से ढांचागत सुविधाओं के विकास और विस्तार के अलावा शिक्षा, स्वास्थ्य और सुशासन पर विशेष जोर दिया गया है।

श्री देवड़ा के एक घंटे से अधिक समय तक चले बजट भाषण में कोरोना के अभूतपूर्व संकट के कारण राजस्व प्राप्तियां कम होने और केंद्र सरकार से भी राज्य का पर्याप्त हिस्सा नहीं मिलने की झलक दिखायी दी। इसके बावजूद बजट में नए करों का प्रावधान या मौजूदा करों की दर बढ़ाने का प्रावधान नहीं किया गया है।

बजट पर सामान्य चर्चा 04 और 05 मार्च को

विधानसभा में आज पेश किए गए वित्त वर्ष 2021 22 के वार्षिक बजट पर सामान्य चर्चा 04 और 05 मार्च को होगी।

विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम ने वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा की ओर से बजट पेश किए जाने के बाद यह घोषणा की।

अध्यक्ष ने यह भी कहा कि सहमति के आधार पर वे सदन की कार्यवाही 04 मार्च की सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर रहे हैं। इसका आशय यह हुआ कि अब 03 मार्च को सदन की बैठक नहीं होगी।

इसके पहले वित्त मंत्री श्री देवड़ा ने अपना बजट भाषण लगभग 75 मिनट में पूरा पढ़ा। कोरोना जैसे अभूतपूर्व संकटकाल के बीच पेश किए गए बजट में महत्वपूर्ण बात यह है कि इस बार कोई नए कर का प्रस्ताव नहीं किया गया है। न ही किसी प्रकार के कर की दर बढ़ाने का प्रावधान किया गया है।

मध्यप्रदेश की वित्तीय स्थिति खराब; केंद्र सरकार ने करों में दी जाने वाली हिस्सेदारी को घटाया attacknews.in

भोपाल, 01 मार्च । केंद्र सरकार की ओर से वर्ष 2019-20 के पुनरीक्षित अनुमान में राज्यों को केंद्रीय करों में दी जाने वाली हिस्सेदारी को बहुत कम किया गया है, जिस वजह से राज्य की वित्तीय स्थिति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है।

वर्ष 2021-22 के लिए राज्य सरकार के वार्षिक बजट को विधानसभा में पेश किए जाने के एक दिन पहले आज यहां मध्यप्रदेश का आर्थिक सर्वेक्षण (2020 21) जारी किया गया, जिसमें यह टिप्पणी की गयी है।

सर्वेक्षण के मुताबिक राज्य के सकल घरेलु उत्पाद में 3़ 37 प्रतिशत की कमी हुयी है। इसके अलावा प्रति व्यक्ति शुद्ध आय में भी 6़ 12 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गयी है। राजस्व प्राप्तियां भी पिछले वर्ष की तुलना में 8़ 05 प्रतिशत कम है।

सर्वेक्षण के अनुसार वर्ष 2011 12 के स्थिर भावों पर मध्यप्रदेश के सकल घरेलु उत्पाद में वित्त वर्ष 2019 20 की तुलना में वर्ष 2020 21 (अग्रिम) में 3़ 37 प्रतिशत की कमी रही, जबकि वर्ष 2019 20 में वर्ष 2018 19 की तुलना में 9़ 63 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गयी थी।

आधार वर्ष 2011 12 के स्थिर भावों पर प्रदेश का सकल घरेलु उत्पाद 3,15,562 करोड़ रुपए था, जो वर्ष 2019 20 एवं 2020 21 में बढ़कर क्रमश: 5,80,406 करोड़ रुपए एवं 5,60,845 करोड़ रुपए हाे गया। इस तरह 2019 20 की तुलना में 2020 21 में कमी दर्ज की गयी।

सर्वेक्षण के अनुसार 2020 21 के अग्रिम अनुमानों के अनुसार राज्य के सकल घरेलु उत्पाद में वर्ष 2019 20 की तुलना में प्रचलित भावों पर 2़12 प्रतिशत तथा स्थिर भावों पर 3़ 37 प्रतिशत की कमी रही। वर्ष 2020 21 के दौरान विगत वर्ष से प्राथमिक क्षेत्र में 2़ 57 प्रतिशत की वृद्धि आकलित की गयी है। इसी प्रकार द्वितीयक एवं तृतीयक क्षेत्र में क्रमश: 3़ 90 प्रतिशत की और 8़ 94 प्रतिशत की कमी अनुमानित रही है।

भारत में नये सोशल मीडिया नियमों से मुश्किल में हैं फेसबुक को छोड़कर बाकी मीडिया कंपनियां जिनकी बढ़ जाएगी नियमों का पालन करने वाली लागत attacknews.in

नयी दिल्ली, 28 फरवरी ।नये सोशल मीडिया नियम इस क्षेत्र की कंपनियों के लिये अनुपालन की लागत बढ़ा सकते हैं। इससे फेसबुक जैसी बड़ी कंपनियों के साथ प्रतिस्पर्धा कर पाना छोटी कंपनियों के लिये मुश्किल हो सकता है। उद्योग जगत के विशेषज्ञों का ऐसा मानना है।

पिछले सप्ताह घोषित नये नियम सोशल मीडिया कंपनियों को दो वर्ग ‘सोशल मीडिया मध्यस्थ और महत्वपूर्ण सोशल मीडिया मध्यस्थ’ में बांटते हैं। महत्वपूर्ण सोशल मीडिया मध्यस्थ के लिये सरकार ने 50 लाख प्रयोगकर्ताओं की सीमा तय की है। इस श्रेणी में आने वाली कंपनियों को अतिरिक्त अनुपालन करना होगा।

फेसबुक जैसी बड़ी कंपनियों ने कहा कि वे अभी नियमों का अध्ययन कर रही हैं।

कई लोगों ने नये नियमों की सराहना की है। इनका कहना है कि नये नियम शिकायत निवारण, फर्जी समाचार और उपयोगकर्ताओं की ऑनलाइन सुरक्षा जैसी चिंताओं को दूर करते हैं। हालांकि अनुपालन की लागत में वृद्धि पर भी कई लोगों ने चिेता व्यक्त की है।

सॉफ्टवेयर फ्रीडम लॉ सेंटर (एसएफएलसी) की संस्थापक मिशी चौधरी ने कहा कि नियम अनुचित बोझ और अनुपालन बढ़ाने वाले हैं। ये इस क्षेत्र में प्रवेश को मुश्किल बना सकते हैं और हर किसी के लिसे अनुपालन की लागत बढ़ा सकते हैं।

भारत में व्हॉट्सएप के 53 करोड़, यूट्यूब के 44.8 करोड़, फेसबुक के 41 करोड़, इंस्टाग्राम के 21 करोड़ और ट्विटर के 1.75 करोड़ उपयोक्ता हैं।

टेलीग्राम और सिग्नल जैसी कंपनियां उपयोक्ताओं की संख्या के बारे में जानकारी नहीं देती हैं। हालांकि, गोपनीयता संबंधी विवाद उठने के बाद हालिया समय में इन कंपनियों का डाउनलोड ठीक-ठाक बढ़ा है।

टेलीग्राम ने नये नियमों के प्रभाव पर प्रश्नों का जवाब नहीं दिया।

टाइल्स कारोबारी समूह के तमिलनाडु,गुजरात और कोलकाता के ठिकानों पर आयकर छापा, 220 करोड़ की अघोषित संपति का खुलासा attacknews.in

नई दिल्ली 28 फरवरी । आयकर विभाग ने तमिलनाडु में एक प्रमुख टाइल्स कारोबारी समूह के यहां छापामारी कर 220 करोड़ रुपए की अघोषित संपति का खुलासा किया है और 8.30 करोड़ रुपए नकद भी जब्त किया है।

आयकर विभाग ने चेन्नई स्थित एक जाने-माने व्यावसायिक समूह के ठिकानों पर 26 फरवरी को छापे मारी की। समूह से जुड़े ग्यारह ठिकानों पर छापे मारे गए और नौ स्थानों पर सर्वेक्षण किए गए हैं जो तमिलनाडु, गुजरात और कोलकाता में स्थित हैं। यह व्यावसायिक समूह टाइल्स और सैनीटरी वेयर के उत्पादन और विपणन के व्यवसाय से सम्बंधित है और दक्षिण भारत में टाइल्स के व्यवसाय का अग्रणी समूह है।

वार्षिक जीएसटी रिटर्न भरने की अंतिम तिथि बढ़ी; पहले 28 फरवरी निर्धारित थी attacknews.in

नयी दिल्ली 28 फरवरी । सरकार ने वित्त वर्ष 2019-20 के लिए वार्षिक वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) रिटर्न दाखिल करने की अंतिम तिथि को बढ़ाकर 31 मार्च 2021 कर दिया है।

वित्त मंत्रालय ने रविवार को यहां बताया कि इस अवधि को पहले 28 फरवरी 2021 तक बढ़ाई गई थी, जिसे अब बढ़ाकर 31 मार्च कर दिया गया है। अब करदाता की ओर से जीएसटीआर-9 और जीएसटीआर-9सी कर दिया गया है।

रेलवे के निवेश में पांच गुना वृद्धि, ट्रेन हादसों में आई कमीः2014 से पहले जो सालाना निवेश औसतन 40 से 45 हजार करोड़ से बढ़कर वर्ष 2021-22 में 2.15 लाख करोड़ हुआ attacknews.in

शिमला, 27 फरवरी । केंद्रीय रेल मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि रेलवे के निवेश में पांच गुना वृद्धि हुई है तथा पिछले दो साल में ट्रेन हादसों में कमी आई है ।

शिमला के जुब्बडहट्टी एयरपोर्ट पर पत्रकारों से बातचीत में आज श्री गोयल ने कहा कि 2014 से पहले जो सालाना निवेश औसतन 40 से 45 हजार करोड़ होता था, वो वर्ष 2021-22 में बढ़कर दो लाख 15 हजार करोड़ हो गया है। निवेश में पांच गुणा की वृद्धि हुई है। हिमाचल का भी निवेश बढ़ा है।

उन्होंने कहा कि ऐसा पुराने रेल ट्रैक समय पर बदलने, मानवरहित फाटकों को खत्म करने और सिग्नल सिस्टम को सुधारने के चलते हुआ है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का इरादा पक्का है कि भारतीय रेल देश के विकास की गति को भी बढ़ाएगी और इससे प्रगति भी अच्छी होगी।

उन्होंने कहा कि श्री मोदी का बचपन रेलवे स्टेशनों पर गुजरा है, इसके चलते उनका रेलवे से लगाव है। वर्ष 2014 के बाद से ही यह प्राथमिकता रही है कि पुराने रेल ट्रैक को समय पर बदला जाए। इसके अलावा मानवरहित फाटकों को खत्म किया है व सिग्नल सिस्टम को सुधारा है।

ज्ञातव्य है कि देश में 2014-2015 में मानवरहित फाटकों पर विभिन्न घटनाओं में 130 लोगों की जान चली गई थी। 2015-16 में 58 लोगों और 2016-17 में 40 और 2017-2018 में 26 लोग, पहली अप्रैल 2018 से 15 दिसंबर 2018 तक 16 लोगों, इनमें 13 लोग कुशीनगर हादसे में मारे गए, जिनमें ज्यादातर बच्चे थे।

किसान आंदोलन के बारे में उन्होंने कहा कि किसान पीएम के साथ है। कृषि कानून देश हित में है और किसानों की आए बढ़ाने के लिए लाए गए हैं। पूरे देश ने इन्हें स्वीकार किया है। कुछ राजनीति हितों से जुड़े लोग छोटे किसानों को भड़का रहे है, जो निंदनीय है।

पांच राज्यों में हो रहे विधानसभा चुनाव को लेकर श्री गोयल ने कहा कि पिछली बार सात और इस बार चुनाव आठ चरणों में किए जायेंगें। कुछ राजनितिक दल इसको लेकर नाराज है। पश्चिमी बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से पूछना चाहिए कि वह दुखी क्यों है। सुरक्षा की दृष्टि से चुनाव आयोग ने यह फैसला किया है ताकि कोई गड़बडी न हो।

उन्होंने दावा किया कि पश्चिमी बंगाल में भाजपा की सरकार बनेगी। सुश्री बनर्जी से सभी दुखी है। 200 सीटों से अधिक जीत कर सरकार बनाएगी। पांडेचरी में भी भाजपा सरकार बनाएगी।

उन्होंने कहा कि वह हिमाचल में तीन दिनों के प्रवास पर आए है। इस बीच मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के साथ रेलवे और उसके विस्तार के इलावा उद्योगों पर भी चर्चा करेगें।

भारत में ग्रामीण हस्तकला उद्योग होगा पांच लाख करोड़ का:केंद्र सरकार ने लोगों को अधिक से अधिक रोजगार उपलब्ध कराने के लिए रखा लक्ष्य attacknews.in

नयी दिल्ली, 21 फरवरी । रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रविवार को कहा कि सरकार ने लोगों को अधिक से अधिक रोजगार उपलब्ध कराने के लिए ग्रामीण हस्तकला उद्योग का करोबार पांच लाख करोड़ रुपये करने का लक्ष्य रखा है।

श्री सिंह ने यहां जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में 26वें हुनर हाट का उद्घाटन करने के बाद आयोजित समारोह को सम्बोधित करते हुए कहा कि वर्तमान में ग्रामीण हस्तकला उद्योग का सालाना कारोबार 80 हजार करोड़ रुपये है जिसे अगले दो-तीन साल में बढ़ाकर पांच लाख करोड़ करने का लक्ष्य रखा गया है।

उन्होंने कहा कि कला, प्रतिभा और क्षमता सिर्फ अट्टालिकाओं में ही नहीं, बल्कि गांव और गलियों में भी होती है। दस्तकारों, शिल्पकारों और कलाकारों का देश की अर्थव्यवस्था में योगदान है। उन्होंने कहा कि ग्रामीण उद्योग को जितना प्रोत्साहन मिलना चाहिए था, उतना नहीं मिला। सरकार विकास में विश्वास करती है और इसके लिए सभी जरूरी कदम उठाये जा रहे हैं।

श्री सिंह ने कहा कि हस्तशिल्प को जो बाजार उपलब्ध कराया जाना चाहिए था, वह नहीं मिल सका है। इसकी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ब्रांडिंग की जानी चाहिए ताकि वस्तुओं को उचित कीमत मिल सके। उन्होंने कहा कि ग्रामीण कलाकारों ने कोरोना काल को अवसर में बदला है जो बेहद प्रशंसनीय है। उन्होंने हुनर हाट के सफल आयोजनों के लिए अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी की सराहना की ।

रक्षा मंत्री ने कहा कि हुनर हाट एक साझा मंच देता है और देश की सांस्कृतिक और समृद्ध विरासत को दिखाता है। यहां कलाओं की अद्भुत प्रदर्शनी है। उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भर भारत का लक्ष्य हासिल करने में हुनर हाट बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभायेगा।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतों के आने वाले समय में ओर भी गंभीर होने के दिए संकेत;साथ ही दामों की बढोतरी पर केन्द्र और राज्य सरकारों को बातचीत करने की सलाह दी attacknews.in

चेन्नई, 20 फरवरी । केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पेट्रोल तथा डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी को गंभीर मुद्दा करार देते हुए शनिवार को कहा कि उपभोक्ताओं को राहत दिलाने के लिए केंद्र तथा राज्य सरकारों को बात करनी चाहिए।

श्रीमती सीतारमण ने यहां पेट्रोल तथा डीजल की बढ़ रही कीमतों को लेकर कहा, “ यह एक गंभीर मुद्दा है और कीमतों में कमी के अलावा कोई भी जवाब लोगों को संतुष्ट नहीं कर सकता। उपभोक्ताओं के लिए खुदरा ईंधन मूल्य में कमी लाने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों को बात करनी चाहिए।

उन्होंने कहा कि पेट्रोलियम पदार्थों के निर्यातक देशों का संगठन (ओपेक) ने उत्पादन का जो अनुमान लगाया था, उसमें भी कमी आने की संभावना है, जिससे चिंता और बढ़ रही है। तेल के दाम पर सरकार का नियंत्रण नहीं है। इसे तकनीकी तौर पर मुक्त कर दिया गया है। तेल कंपनियां कच्चा तेल आयात करती हैं, रिफाइन करती हैं और बेचती हैं।

उल्लेखनीय है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल में नरमी के बावजूद घरेलू स्तर पर ईंधन की कीमतों में तेजी का रुख लगातार 12 वें दिन भी बना रहा और राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में पेट्रोल आज 39 पैसे बढ़कर 90.58 रुपए प्रति लीटर पर और डीजल 37 पैसे चढ़कर 80.97 रुपए प्रति लीटर पर पहुंच गया। देश के कई शहरों में पेट्रोल की कीमत 100 रुपये प्रति लीटर के पार पहुंच चुकी है।

ऐसे बढ़े पेट्रोल-डीजल के दाम:केंद्रीय और राज्य कर, खुदरा बिक्री मूल्य, पेट्रोल के लिए 60%-डीजल के लिए 54 प्रतिशत हिस्सा बनते हैं,देश में ईंधन पर सबसे अधिक वैट वसूलने वाले राज्य, राजस्थान में सबसे अधिक कीमतें,रसोई गैस के दाम 50 ₹ बढ़े attacknews.in

राजस्थान में पेट्रोल 99.87 रुपये पर, एलपीजी-एटीएफ कीमत में तेजी

नयी दिल्ली, 16 फरवरी । राजस्थान में पेट्रोल की कीमत मंगलवार को 99.87 रुपये प्रति लीटर हो गई, जो भारत में अब तक का उच्चतम स्तर है। पेट्रोल की कीमत में लगातार आठवें दिन बढ़ोतरी की वजह से यह दाम वृद्धि हुई है।

सरकारी स्वामित्व वाले ईंधन खुदरा विक्रेताओं के मूल्य अधिसूचना के अनुसार पेट्रोल की कीमत में 30 पैसे प्रति लीटर और डीजल में 35 पैसे की बढ़ोतरी की गई है।

इसके साथ ही तेल कंपनियों ने रसोई गैस (एलपीजी) की कीमत में 50 रुपये प्रति सिलेंडर और जेट ईंधन (एटीएफ) में 3.6 प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई।

राष्ट्रीय राजधानी में अब एलपीजी की कीमत 769 रुपये प्रति 14.2 किलोग्राम का सिलेंडर हो गई है।

पेट्रोल और डीजल की कीमतों में वृद्धि की वजह से खुदरा कीमतें बढ़ी हैं। इसका कारण स्थानीय बिक्री कर या मूल्यवर्धित कर (वैट) और माल भाड़ा अलग अलग राज्यों में भिन्न भिन्न होना है।

दिल्ली में अब पेट्रोल 89.29 रुपये प्रति लीटर और डीजल 79.70 रुपये में मिलेगा।

उच्च वैट लगाने वाले राज्यों में इन ईंधनों की दरें अधिक हैं।

मुंबई में, पेट्रोल की कीमत बढ़कर 95.75 रुपये प्रति लीटर और डीजल की कीमत 86.72 रुपये लीटर हो गई।

देश में ईंधन पर सबसे अधिक वैट वसूलने वाले राज्य, राजस्थान में पेट्रोल और डीजल की सबसे अधिक कीमतें हैं।

राज्य के श्रीगंगानगर शहर में, पेट्रोल की कीमत बढ़कर 99.87 रुपये और डीजल उछलकर 91.86 रुपये प्रति लीटर हो गया।

श्रीगंगानगर में ब्रांडेड पेट्रोल की कीमत 102.65 रुपये प्रति लीटर और इसी तरह के ग्रेड डीजल की कीमत 95.52 रुपये हो गई है।

दिल्ली में ब्रांडेड पेट्रोल की कीमत 92.12 रुपये प्रति लीटर और उसी ग्रेड के डीजल की कीमत 82.99 रुपये है।

तेल कंपनियों ने राष्ट्रीय राजधानी में विमानन टरबाइन ईंधन (एटीएफ) की कीमत 1,942.5 रुपये प्रति किलोलीटर या 3.6 प्रतिशत बढ़ाकर 55,737.91 रुपये प्रति किलोलीटर कर दी।

पेट्रोल और डीजल की कीमतें दैनिक आधार पर संशोधित की जाती हैं, एलपीजी और एटीएफ दरों को हर महीने एक और 16 तारीख को संशोधित किया जाता है।

लगातार आठ दिनों में, पेट्रोल के लिए कीमतों में 2.34 रुपये प्रति लीटर और डीजल में 2.57 रुपये की बढ़ोतरी हुई है।

कीमतों में लगातार बढ़ोतरी की कांग्रेस सहित विपक्षी दलों ने आलोचना की है, जिसने आम आदमी पर बोझ कम करने के लिए करों में तत्काल कटौती किये जाने की मांग की है।

तेल मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने पिछले सप्ताह संसद को बताया था कि सरकार उत्पाद शुल्क में कमी करने के बारे में विचार नहीं कर रही है ताकि रिकॉर्ड ऊंचाई पर जा पहुंची कीमतों को कम किया जा सके।

केंद्रीय और राज्य कर, खुदरा बिक्री मूल्य, पेट्रोल के लिए 60 प्रतिशत और डीजल के लिए 54 प्रतिशत हिस्सा बनते हैं।

केंद्र सरकार पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क पर 32.90 रुपये और डीजल पर 31.80 रुपये प्रति लीटर वसूलती है।

देश में उपभोक्ताओं का उत्पीड़न करने वाली टेलीमार्केटिंग कंपनियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के दिए निर्देश attacknews.in

नयी दिल्ली 15 फरवरी । केन्द्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी, संचार मंत्री रविशंकर प्रसाद ने दूरसंचार उपभोक्ताओं को उत्पीड़न से बचाने के लिए टेलीमार्केटिंग कंपनियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं।

श्री प्रसाद ने सोमवार को मोबाइल फोन पर अवांछित संदेशों,एसएमएस के जरिये बार-बार उत्पीड़न किये जाने, धोखाधड़ी वाले ऋण लेनदेन का वादा करने आदि से जुड़ी उपभोक्ताओं की बढ़ती चिंता और नाराजगी को दूर करने और डिजिटल लेनदेन को सुरक्षित और संरक्षित बनाने के उद्देश्य से आयोजित एक उच्च स्तरीय बैठक में यह निर्देश दिए।

संचार मंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे दूरसंचार उपभोक्ताओं के उत्पीड़न में शामिल व्यक्तियों और टेलीमार्केटिंग कंपनियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करें। उपभोक्ताओं के उत्पीड़न के तरीकों में अवांछित वाणिज्यिक संदेश या कॉल शामिल हैं। इसके अलावा, केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि दूरसंचार संसाधनों का उपयोग वित्तीय धोखाधड़ी करने और आम आदमी की मेहनत की कमाई को ठगने के लिए भी किया जा रहा है। इस तरह की गतिविधियों को तत्काल रोकने के लिए अधिकारियों को सख्त और ठोस कार्रवाई करने के लिए स्पष्ट निर्देश जारी किये गये।

अधिकारियों ने बताया कि यहां तक कि डू नॉट डिस्टर्ब (डीएनडी) सेवा में पंजीकृत ग्राहकों को भी पंजीकृत टेली-मार्केटर्स (आरटीएम) की ओरसे वाणिज्यिक संवाद मिलना जारी है और इसके अलावा गैर – पंजीकृत टेली-मार्केटर्स (यूटीएम) भी ग्राहकों को वाणिज्यिक संवाद भेज रहे हैं।

संचार मंत्री ने दूरसंचार विभाग के अधिकारियों को दूरसंचार सेवा प्रदाताओं (टीएसपी) और टेलीमार्केटिंग कंपनियों के साथ एक बैठक कर उन्हें इस मुद्दे की गंभीरता से अवगत कराने और इस संबंध में निर्धारित नियमों और प्रक्रियाओं के अनुपालन को सुनिश्चित करने का निर्देश दिया। नियमों और प्रक्रियाओं के अनुपालन में किसी भी उल्लंघन के मामले में, टेलीमार्केटिंग करने वालों के खिलाफ वित्तीय जुर्माना लगाने और उल्लंघन का दोहराव होने पर संसाधनों की सुविधा को काट दिये जाने का प्रस्ताव किया गया।

बैठक में यह निर्णय लिया गया कि अवांछित वाणिज्यिक संचार (यूसीसी) और दूरसंचार संसाधनों के दुरूपयोग के जरिये की जा रही वित्तीय धोखाधड़ी से कारगर तरीके से निपटने के लिए एक वेब / मोबाइल ऐप्लिकेशन और एसएमएस आधारित प्रणाली विकसित की जायेगी। इससे दूरसंचार उपभोक्ताओं को यूसीसीसे जुड़े मामलों से जुड़ी अपनी शिकायतें दर्ज कराने में मदद मिलेगी। मंत्री ने दूरसंचार संसाधनों के उपयोग के सहारे की जाने वाली धोखाधड़ी की गतिविधियों पर अंकुश लगाने के लिए जामताड़ा और मेवात के इलाकों में बढ़ती चिंताओं के कारण दूरसंचार सेवाओं के परिचालन (ऑपरेशन) को अवरुद्ध करने सहित विशेष रणनीति तैयार करने का भी निर्देश दिया।

अधिकारियों ने बताया कि यूसीसी और वित्तीय धोखाधड़ी से संबंधित शिकायतों के लिए, समय अत्यंत ही महत्वपूर्ण तत्व है और त्वरित समयबद्ध कार्रवाई से इस तरह के खतरों को कम करने में मदद मिलेगी। इसी के अनुरूप, डिजिटल इंटेलिजेंस यूनिट (डीआईयू)नाम की एक नोडल एजेंसी की स्थापना की जाएगी।

डीआईयू का मुख्य कार्य दूरसंचार संसाधनों से संबंधित किसी भी धोखाधड़ी की गतिविधि की जांच में विभिन्न एलईए, वित्तीय संस्थानों और दूरसंचार सेवा प्रदाताओं के साथ मिलकर काम करना होगा। लाइसेंस सेवा क्षेत्र स्तर पर, टेलीकॉम एनालिटिक्स फॉर फ्रॉड मैनेजमेंट एंड कंज्यूमर प्रोटेक्शन (टैफकॉप) सिस्टम भी विकसित किया जायेगा।

खाद्य पदार्थों की कीमतों में नरमी के बाद भी मैन्यूफैक्चरिंग वस्तुओं के महंगे होने से जनवरी में थोक मुद्रास्फीति बढ़कर 2.03 प्रतिशत हुई attacknews.in

नयी दिल्ली, 15 फरवरी । खाद्य पदार्थों की कीमतों में नरमी के बाद भी थोक मूल्य आधारित मुद्रास्फीति जनवरी 2021 में बढ़कर 2.03 प्रतिशत हो गयी। इसका मुख्य कारण विनिर्मित वस्तुओं के दाम में तेजी आना है। ताजे आंकड़ों में इसकी जानकारी मिली।

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, जनवरी में खाद्य पदार्थों की कीमतों में नरमी आयी। हालांकि विनिर्मित वस्तुओं के दाम बढ़ गये।

थोक (डब्ल्यूपीआई) मुद्रास्फीति इससे पहले दिसंबर 2020 में 1.22 प्रतिशत और जनवरी 2020 में 3.52 प्रतिशत थी।

आंकड़ों के अनुसार, खाद्य पदार्थों की थोक मुद्रास्फीति जनवरी 2021 में शून्य से 2.8 प्रतिशत नीचे रही। यह एक महीने पहले यानी दिसंबर 2020 में शून्य से 1.11 प्रतिशत नीचे थी।

इस दौरान सब्जियों की थोक मुद्रास्फीति शून्य से 20.82 प्रतिशत नीचे और ईंधन एवं बिजली की मुद्रास्फीति शून्य से 4.78 प्रतिशत नीचे रही। हालांकि आलू की थोक मुद्रास्फीति इस दौरान 22.04 प्रतिशत रही।

गैर-खाद्य श्रेणी में मुद्रास्फीति इस दौरान 4.16 प्रतिशत रही।

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने पांच फरवरी को मौद्रिक नीति घोषणा में ब्याज दरों को लगातार चौथी बैठक में अपरिवर्तित रखा। रिजर्व बैंक ने घोषणा करते हुए कहा था कि निकट-भविष्य में मुद्रास्फीति का परिदृश्य अनुकूल हुआ है।

असम सरकार ने पेट्रोल, डीजल और शराब पर उपकर हटाये,पांच रूपये प्रति लीटर सस्ते हुए attacknews.in

गुवाहाटी, 12 फरवरी । असम सरकार ने राज्य में कोविड-19 महामारी के चरम के दौरान पेट्रोल, डीजल और शराब पर लगाये गये अतिरिक्त उपकर हटाये जाने की शुक्रवार को घोषणा की।

वित्त मंत्री डॉ. हिमंत विश्व शर्मा ने राज्य विधानसभा में लेखानुदान पेश करने के दौरान यह घोषणा की और कहा, “अब महामारी बहुत हद तक कम हो गयी है, रोगियों की संख्या भी घट गयी है और कोविड-19 स्क्रीनिंग केंद्रों की आवश्यकता कम हो गयी है। ऐसे में राज्य मंत्रिमंडल ने कोविड काल में लगाये गये अतिरिक्त उपकर और करों को वापस लेने का फैसला किया है।”

उन्होंने कहा कि पेट्रोल और डीजल पर अतिरिक्त उपकर हटा लिया गया है तथा आज मध्यरात्रि से यह पांच रुपये प्रति लीटर सस्ते हो जाएंगे।

मध्यप्रदेश के रायसेन में फोरलेन सड़क निर्माण कंपनी ब्रजगोपाल कंट्रेक्शन के यहां आयकर विभाग की छापामारी;भारत भर मे कंपनी के सभी 25 से 30 ठिकानों पर एक साथ कार्यबाही attacknews.in

रायसेन 11 फरवरी ।मध्यप्रदेश के रायसेन जिले के बाड़ी के पारतलाई में आज आयकर विभाग की टीम ने एक कंस्ट्रक्शन कंपनी के कार्यालय पर छापा मारकर कई दस्तावेज बरामद किये हैं।

आयकर विभाग के जांच अधिकारी मनोहर लाल अहिरवार ने बताया कि आयकर विभाग की 15 से 20 सदस्यीय टीम ने बिनेका से बरेली तक सड़क बनाने बाली ब्रिज गोपाल कंस्ट्रक्शन कंपनी के ऑफिस पर छापामार कार्रवाई की। आयकर विभाग द्वारा कंपनी के सभी ठिकानों पर एक साथ कार्यवाही की है। अभी जांच जारी है।

रायसेन जिले में फोरलेन सड़क निर्माण कंपनी ब्रजगोपाल कंट्रेक्शन कंपनी पारतलाई के दफ्तर में आज सुबह 9:00 बजे आयकर विभाग की 20 सदस्यीय टीम द्वारा छापामार कार्रवाई की गई। भारत भर मे कंपनी के सभी 25 से 30 ठिकानों पर ठिकानों पर एक साथ कार्यबाही की गई है। इस कार्रवाई में अभी तक जांच जारी है।

अधिकारी महत्वपूर्ण दस्तावेज मिलने की बात कर रहे हैं। आयकर विभाग के अधिकारी सहित पुलिस पुलिस बल बड़ी संख्या में पारतलाई के ऑफिस में मौजूद है।

बता दें कि,ब्रजगोपाल कंस्ट्रक्शन कंपनी द्वारा नेशनल हाईवे 12 पर बिनेका से बरेली तक फोरलेन सड़क का निर्माण किया जा रहा है। जिसकी लागत करीब 600 करोड रुपए बताई जा रही है। अब विवादों में रहने वाली कंपनी आयकर विभाग के चंगुल में फंसती नजर आ रही है।

गौरतलब हैं कि ब्रजगोपाल कंट्रेक्शन कंपनी का काम बिनेका से लेकर बरेली तक हैं। जिसमें उसे पुल-पुलिया के साथ ही सीसी सड़क निर्माण करना हैं, लेकिन फोरलेन के मध्य पड़ने वाले रातापानी व सिंघोरी अभ्यारण्य में ठेकेदार को खनिज संपदा का खजाना मिल गया और पहाड़ काटने के साथ ही पेड़ो की कटाई तयशुदा भूमि से हटकर किया गया। उस खनिज संपदा को सड़क निर्माण के साथ ही खुले बाजार में बिक्रय किया गया। यह छापामार कार्यवाही उसके सभी ठिकानों पर एक साथ की गई है।