तेल कंपनियों ने 18 दिनों बाद पेट्रोल के दाम मे 15 पैसे और डीजल के दामों में 18 पैसे प्रति लीटर की बढ़ोतरी की attacknews.in

नयी दिल्ली, चार मई । सार्वजनिक क्षेत्र की तेल विपणन कंपनियों ने करीब 18 दिनों बाद पेट्रोल के दाम में 15 पैसे प्रति लीटर और डीजल के दाम में 18 पैसे प्रति लीटर की बढ़ोतरी की।

तेल कंपनियों द्वारा जारी मूल्य अधिसूचना के अनुसार दिल्ली में पेट्रोल की कीमत अब 90.40 रुपये से बढ़कर 90.55 रुपये प्रति लीटर हो गई है, जबकि एक लीटर डीजल की कीमत 80.73 रुपये से बढ़कर 80.91 रुपये हो गई है।

स्थानीय करों (वैट) और परिवहन भाड़े के अनुसार देश के विभिन्न हिस्सों में पेट्रोल-डीजल की कीमत अलग-अलग होती है।

तेल कंपनियों ने 15 अप्रैल को कीमतों में मामूली कटौती के बाद समीक्षा रोक दी थी। गौरतलब है कि इस दौरान ही पश्चिम बंगाल सहित देश के पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव की प्रक्रिया चल रही थी।

मतदान खत्म होने से पहले ही तेल कंपनियों ने कीमतों में बढ़ोतरी के संकेत दे दिए थे, क्योंकि इस दौरान अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतें तेजी से बढ़ी थी। अमेरिका में मजबूत मांग के चलते कच्चे तेल की कीमत बढ़ी है।

टी रविशंकर बनाए गए रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर attacknews.in

मुंबई, दो मई । टी रविशंकर को भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) का डिप्टी गवर्नर बनाया गया है। वह केंद्रीय बैंक की अनुषंगी कंपनी इंडियन फाइनेंशियल टेक्नोलॉजी एंड एलाइड सर्विसेज के चेयरमैन थे।

रविशंकर आरबीआई के चार डिप्टी गवर्नर स्तर के अधिकारियों में एक होंगे। बीपी कानूनगो के दो अपैल को सेवानिवृत्त होने के बाद से डिप्टी गवर्नर का चौथा पद खाली था। कानूनगो एक साल सेवा विस्तार के बार सेवानिवृत्त हुए।

केंद्रीय मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति ने शनिवार को रविशंकर की नियुक्ति के प्रस्ताव को मंजूरी दी। वह कानूनगो के विभाग की जिम्मेदारी संभाल सकते हैं जो फिनटेक, सूचना प्रौद्योगिकी, भुगतान प्रणाली और लोखिम निगरानी के प्रभागों की जिम्मेदारी संभाल रहे थे।

उनकी नियुक्ति तीन वर्ष या उनकी सेवानिवृत्ति की तिथि में जो भी पहले होगा, तब तक के लिए की गयी है।

आरबीआई के अन्य तीन डिप्टी गवर्नर में माइकल डी पात्रा, मुकेश जैन और राजेश्चर राव शामिल हैं। रविशंकर सितंबर 1990 में आरबीआई में अनुसंधान अधिकारी के रूप में नियुक्त किए गए थे। उन्होंने बीएचयू से विज्ञान एवं सांख्यिकी में स्नात्कोत्तर स्तर की पढ़ाई की। वह इंस्टिट्यूट आफ इकोनामिक ग्रोथ से विकास योजना का डिप्लोमा पाठ्यक्रम भी किए हुए हैं।

वह पिछले साल इंडियन फाइनेंशियल टेक्नोलॉजी एंड एलाइड सर्विसेज के चेयरमैन बनाए गए थे। इससे पहले वह अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष और बांग्लादेश के केंद्रीय बैंक के साथ भी भारत सरकार की ओर से काम कर चुके हैं।

SBI चेयरमैन दिनेश कुमार खारा ने कहा कि, भारतीय स्टेट बैंक अर्थव्यवस्था की वृद्धि को समर्थन देने ब्याज दरों को जितना संभव होगा नरम और अनुकूल बनाये रखेगा attacknews.in

नयी दिल्ली, दो मई । भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) अर्थव्यवस्था की वृद्धि को समर्थन देने के लिये ब्याज दरों को जितना संभव होगा नरम और अनुकूल बनाये रखेगा। बैंक के चेयरमैन दिनेश कुमार खारा ने यह कहा।

कोविड- 19 महामारी की दूसरी लहर का बैंक की गैर- निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) पर पड़ने वाले असर के बारे में एसबीआई चेयरमैन ने कहा कि यह लॉकडाउन पूरे भारत में नहीं लगा है। ऐसे में हमें बैंकिंग क्षेत्र पर इसके पड़ने वाले असर की कुछ समय प्रतीक्षा करनी होगी उसका आकलन करना होगा।

उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति सहित कई चीजें हैं जिनका ब्याज दर पर असर होता है। ‘‘हमारा प्रयास आर्थिक वृद्धि के प्रयासों को समर्थन देना है। यह सुनिश्चित करने के लिये जितना संभव हो सकेगा हम ब्याज दरों को नरम बनाये रखने का प्रयास करेंगे।’’

खारा ने समाचार एजेंसी को दिये एक साक्षात्कार में पूछे गये सवाल पर कहा कि स्थानीय प्रतिबंधों के आधार पर बैंकों के एनपीए परिदृय को लेकर इस समय किसी भी तरह का आकलन किया जाना जल्दबाजी होगी। उन्होंने कहा, ‘‘अलग अलग राज्यों में लाकडाउन की स्थिति अलग है, ऐसे में हमें अर्थव्यवस्था और एनपीए की स्थिति को लेकर कोई भी टिप्पणी करने से पहले कुछ और समय तक देखना और प्रतीक्षा करनी चाहिये।’’

कोरोना वायरस महामारी की मौजूदा परिस्थितियों के बीच बैंक द्वारा किये जा रहे प्रयासों के बारे में खारा ने कहा कि बैंक ने देश के कुछ अधिक प्रभावित राज्यों में कोविड- 19 मरीजों के लिये गहन चिकित्सा सुविधा (आईसीयू) वाले अस्थाई अस्पताल बनाने का फैसला किया है।

बैंक ने इस काम के लिये 30 करोड़ रुपये की राशि रखी है और वह आपात स्तर पर चिकित्सा सुविधायें स्थापित करने को लेकर कुछ गैर- सरकारी संस्थानों (एनजीओ) और अस्पताल प्रबंधन के साथ संपर्क में है।

उन्होंने कहा कि बेंक सबसे ज्यादा प्रभावित राज्यों में कोविड- 19 मरीजों के इलाज के लिये एक हजार बिस्तरों की व्यवसथा करना चाहता है। इनमें 50 बिस्तरे आईसीयू सुविधा के साथ होंगे।

खारा ने कहा कि स्टेट बैंक आक्सीजन सिलेंडर तथा दूसरी सुविधायें उपलब्ध कराने के लिये भी अस्पतालों और एनजीओ के साथ गठबंधन कर रहा है। ‘‘हमने एक कार्ययोजना तैयार की हे। हमने 70 करोड़ रुपये की व्यवस्था की है जिसमें कोविड- 19 से जुड़े पहलों के लिये 17 सर्किलों में 21 करोड़ रुपये दिये जा रहे हैं।’’

उन्होंने कहा कि बैंक के कर्मचारियों और उनके परिवारों की सुरक्षा के लिये बैंक ने देशभर में कुछ अस्पतालों के साथ समझौता किया है ताकि बीमार पड़ने वाले बैंक के कर्मचारियों को प्राथमिकता के आधार पर इलाज की सुविधा मिल सके।

बेंक ने अपने कर्मचारियों और उनके आश्रितों के टीकाकरण का खर्च भी खुद उठाने का फैसला किया है। बैंक के कुल ढाई लाख कर्मचारियों में से अब तक 70 हजार कर्मचारियों का टीकाकरण हो चुका है।

विदेशी निवेशकों का भारतीय बाजारों में छह महीने से जारी खरीददारी का दौर अप्रैल में थमा:कोविड-19 की दूसरी लहर के बीच निवेशकों ने अप्रैल में ₹ 9,659 करोड़ निकाले attacknews.in

नयी दिल्ली, दो मई । विदेशी निवेशकों का भारतीय बाजारों में छह महीने से जारी खरीददारी का दौर अप्रैल में थम गया। विदेशी निवेशक अप्रैल माह में शुद्ध बिकवाल रहे और माह के दौरान उन्होंने भारतीय शेयर बाजारों से 9,659 करोड़ रुपए की निकासी की।

भारत में कोरोना वायरस की गंभीर लहर और उसके अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले प्रभाव को देखते हुये विदेशी निवेशकों ने अपना यह रुख बदला।

माईवेल्थग्रोथ.कॉम के सह संस्थापक हर्षद चेतनवाला के अनुसार विदेशी निवेशकों में कोविड-19 संकट का भय यदि बढ़ता है तो विदेशी निवेशकों के अपनी हिस्सेदारी बेचने का चलन जोर पकड़ सकता है और बाजार में थोड़ी और उथल-पुथल आ सकती है।

डिपॉजिटरी के पास मौजूद आंकड़े के मुताबिक पिछले महीने विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने भारतीय इक्विटी बाजार से 9,659 करोड़ रुपए की पूंजी निकाली। सितंबर, 2020 के बाद से पहली बार इस स्तर पर पूंजी की निकासी की गई। तब 7,782 करोड़ रुपए की निकासी की गई थी।

अप्रैल से पहले अक्तूबर, 2020 और मार्च, 2021 के बीच एफपीआई ने इक्विटी में 1.97 लाख करोड़ रुपए का निवेश किया था। इसमें इस साल के पहले तीन महीने में किया गया 55,741 करोड़ रुपए का निवेश शामिल है।

शेयर खान (बीएनपी पैरिबास) के कैपिटल मार्केट स्ट्रेटजी विभाग के प्रमुख, वरिष्ट उपाध्यक्ष, गौरव दुआ ने कहा, “उभरते बाजारों में विदेशी निवेश में सामान्य रूप से एक मंदी आयी है। खासतौर पर भारत में कोरोना विषाणु की दूसरी लहर और अर्थव्यवस्था पर उसके असर से विदेशी संस्थानों पर इक्विटी बेचने का दबाव है।” रिलायंस सिक्युरिटीज के स्ट्रेटजी प्रमुख बिनोद मोदी ने कहा कि एफपीआई की बिक्री थोड़े समय की प्रक्रिया है और इससे एक बड़ा जोखिम पैदा होने की आशंका नहीं है क्योंकि भारतीय इक्विटी की बुनियाद ठोस है।

उन्होंने यह भी कहा कि कोविड-19 मामलों में अच्छी खासी कमी आने पर आने वाले महीनों में इक्विटी में एफपीआई का प्रवाह वापस लौट सकता है।

इक्विटी के अलावा एफपीआई ने पिछले महीने कुल 118 करोड़ रुपए के रिण पत्रों की भी बिकवाली की।

इस साल अब तक एफपीआई ने शेयरों में 46,082 करोड़ रुपए का निवेश किया, लेकिन रिण पत्रों से कुल 15,616 करोड़ रुपए की राशि निकाली है।

भारत का विदेशी मुद्रा भंडार लगातार तीसरे सप्ताह बढ़ता हुआ 584 अरब डॉलर के पार पहुंचा attacknews.in

मुंबई 02 मई । देश का विदेशी मुद्रा भंडार लगातार तीसरे सप्ताह बढ़ता हुआ 584 अरब डॉलर के पार पहुंच गया है।

भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, 23 अप्रैल को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा का देश का भंडार 1.70 अरब डॉलर बढ़कर 584.11 अरब डॉलर पर रहा। इससे पहले 16 अप्रैल को समाप्त सप्ताह में यह 1.19 अरब डॉलर बढ़कर 582.41 अरब डॉलर हो गया था।

केंद्रीय बैंक ने बताया कि 23 अप्रैल को समाप्त सप्ताह के दौरान विदेशी मुद्रा भंडार का सबसे बड़ा घटक विदेशी मुद्रा परिसंपत्ति 1.06 अरब डॉलर चढ़कर 541.65 अरब डॉलर पर रहा। स्वर्ण भंडार भी 61.5 करोड़ डॉलर बढ़कर 35.97 अरब डॉलर पर पहुंच गया।
इस दौरान अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के पास आरक्षित निधि 1.8 करोड़ डॉलर बढ़कर 4.99 अरब डॉलर और विशेष आहरण अधिकार 70 लाख डॉलर की बढ़त के साथ 1.51 अरब डॉलर रहा।

अंतरराष्ट्रीय बाजार खुलने और खाद्य उत्पादों के मा़ंग आने से, अप्रैल 2021 में भारतीय निर्यात 197.03 प्रतिशत बढ़कर 30 अरब 21 करोड़ डालर दर्ज attacknews.in

नयी दिल्ली 02 मई । अंतरराष्ट्रीय बाजार खुलने और खाद्य उत्पादों के मा़ंग आने से, अप्रैल 2021 में भारतीय निर्यात 197.03 प्रतिशत बढ़कर 30 अरब 21 करोड़ डालर दर्ज किया गया है । अप्रैल 2020 में यह आंकड़ा 10 अरब 17 करोड़ डालर रहा था।

केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने रविवार को यहां जारी आंकड़ों में बताया कि 2021 में कुल आयात 165. 99 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 45 अरब 45 करोड़ डालर हो गया है। अप्रैल 2020 में कुल आयात 17 अरब 90 हजार डालर रहा था।

आंकड़ों के अनुसार अप्रैल 2021 में कुल व्यापार घाटा 15 अरब 24 करोड डालर रहा है।

आंकड़ों में बताया गया है कि अप्रैल 2021 में जिन पांच प्रमुख उत्पाद क्षेत्रों के निर्यात में वृद्धि हुई है उनमें रत्न और आभूषण (9158.63 प्रतिशत), जूट (1556.39 प्रतिशत), कालीन (1351.48 प्रतिशत), हस्तनिर्मित कालीन (1207.98 प्रतिशत) और चमड़ा (1168.96 प्रतिशत) शामिल हैं।

केवल तीन उत्पाद ऐसे हैं जिनके आयात में अप्रैल 2021 के दौरान गिरावट आयी है इनमें चांदी
(88.55 प्रतिशत), न्यूज़ प्रिंट (46.07 प्रतिशत) और दाल ( 42.46 प्रतिशत ) शामिल है।

भोपाल में सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के क्षेत्रीय कार्यालय को कोविड गाइड लाइन का पालन नहीं करने पर नोटिस जारी attacknews.in

भोपाल, 01 मई । मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में स्थित सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के क्षेत्रीय कार्यालय को कोविड गाइड लाइन के पालन नहीं करने पर कारण बताओं नोटिस जारी किया गया है।

आधिकारिक जानकारी के अनुसार जिला प्रशासन की टीम ने अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी दिलीप कुमार यादव के नेतृत्व में कल सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के अरेरा हिल्स स्थित जोनल एवं क्षेत्रीय कार्यालय की प्राप्त शिकायत के आधार पर निरीक्षण किया गया।

जांच में पाया गया कि 50 प्रतिशत से अधिक कर्मचारियों द्वारा कार्य किया जा रहा था, कर्मचारियों का रोस्टर प्लान नहीं बनाया गया था।

कार्यालय में बैठक व्यवस्था गाइडलाइन के नियमानुसार नहीं थी, जिस कारण क्षेत्रीय कार्यालय सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया को कोविड-19 के प्रावधानों का उल्लंघन करने पर कारण बताओ सूचना पत्र दिया गया है।

रिजर्व बैंक ने बैंकों और आवास ऋण देने वाली कंपनियों सहित गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के लिए सांविधिक लेखा परीक्षकों की नियुक्ति के दिशानिर्देश जारी किए attacknews.in

मुंबई, 27 अप्रैल । भारतीय रिजर्व बैंक ने मंगलवार को बैंकों और आवास ऋण देने वाली कंपनियों सहित गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) के लिए सांविधिक लेखा परीक्षकों की नियुक्ति के दिशानिर्देश जारी किए।

दिशानिर्देशों में कहा गया है कि वाणिज्यिक बैंकों (आरआरबी को छोड़कर), यूसीबी और एनबीएफसी (एचएफसी सहित) के लिए सांविधिक केंद्रीय लेखा परीक्षकों (एससीए) / सांविधिक लेखा परीक्षकों (एसए) की नियुक्ति के लिए दिशानिर्देश वित्त वर्ष 2021-22 और उसके बाद लागू होंगे।

हालांकि, जमाएं नहीं लेने वाली 1,000 करोड़ रुपये से कम की परिसंपत्ति वाली एनबीएफसी के पास मौजूदा प्रक्रिया को जारी रखने का विकल्प होगा।

शहरी सहकारी बैंकों को एससीए/ एस की नियुक्ति के लिए भारतीय रिजर्व बैंक से वार्षिक आधार पर स्वीकृति लेनी होगी।

चूंकि शहरी सहकारी बैंकों और गैस बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के लिए पहली बार इस व्यवस्था में लाया जा रहा है इस लिए उनको उचित सयम देने के लिए उन पर यह व्यवस्था अपनाने को 2021-22 के उत्तरार्ध से अपनाने की छूट होगी।

इंडियन बैंक एसोसिएशन ने बैंकों के काम करने का समय सुबह 10 से दोपहर 2 बजे तय करके घर बैठकर सभी काम करने का प्रस्ताव रखा attacknews.in

नईदिल्ली 23 अप्रैल ।बैंक डिपोजिट करने, कैश विड्रॉल, ट्रांसफर और सरकारी बिजनेस की चार अनिवार्य सेवाएं देते रहेंगे.लेकिन काम सिर्फ सुबह दस बजे से दोपहर दो बजे तक सीमित किया जा सकता है।

बैंकों में अब सिर्फ सुबह दस बजे से दोपहर दो बजे तक ही कामकाज हो सकता है।कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर से बचने के लिए इंडियन बैंक एसोसिएशन ने सलाह दी है कि बैंक अपने कामकाज के घंटे सुबह 10 बजे से दोपहर 2 बजे के बीच सीमित कर दे।

इंडियन बैंक एसोसिएशन ने 21 अप्रैल को राज्य स्तरीय बैंकिंग समिति (SLBC) के संयोजकों को लिखे पत्र में कहा, “हम इस समय चुनौतीपूर्ण दौर से गुजर रहे हैं, हर रोज कई राज्यों में संक्रमण के नए मामले सामने आ रहे हैं. ये आर्थिक गतिविधियों के लिए चिंताजनक स्थिति है. लेकिन बैंक कर्मचारियों और इसके ग्राहकों के स्वास्थ्य की चिंता करनी होगी।

अलग-अलग राज्यों में बैंकों को प्रोटोकॉल का पालन कर पड़ सकता है

एसोसिएशन ने 21 अप्रैल को स्पेशल मैनेजमेंट कमेटी की बैठक की थी. इसमें पिछले साल जारी किए गए एसओपी में बताए नियमों के अलावा बैंकों की ओर से उठाए जाने वाले कुछ अतिरिक्त कदमों के बारे में सलाह जारी करने का फैसला किया गया. पिछले साल के उलट, राज्य अब स्थानीय स्थिति के आधार पर कोविड-19 की चेन को तोड़ने के लिए अपने दिशानिर्देश जारी कर रहे हैं. बैंकों को अलग-अलग राज्यों और जिलों में विभिन्न कोविड प्रोटोकॉल का पालन करना पड़ सकता है।

अनिवार्य सेवाएं जारी रहेंगी

चिट्ठी मुताबिक बैंक डिपोजिट करने, कैश विड्रॉल, ट्रांसफर और सरकारी बिजनेस की चार अनिवार्य सेवाएं देते रहेंगे।हर राज्य और केंद्र शासित प्रदेश के एसएलबीसी अपने-अपने स्थानों पर स्थिति की समीक्षा करेंगे और मौजूदा सेवाओं के तहत प्रदान की जाने वाली अतिरिक्त सेवाओं के बारे में फैसला करेंगे।

कर्मचारियों को रोटेशनल आधार पर बुलाया जा सकता है या घर से काम करने की अनुमति दी जा सकती है. ये फैसला जॉब, कर्मचारियों की स्थिति और बैंक के आकार के आधार लिया जा सकता है।

आदर्श रूप से 50 फीसदी कर्मचारियों को ब्रांच में ड्यूटी पर बुलाया जा सकता है. पत्र में कहा गया कि डोरस्टेप बैंकिंग गतिविधियों को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।

पाकिस्तान के कपड़ा मंत्रालय ने देश के कपड़ा क्षेत्र में कच्चे माल की कमी को पूरा करने के लिए भारत से कपास के आयात पर प्रतिबंध हटाने की सिफारिश की attacknews.in

इस्लामाबाद, 30 मार्च । पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की अध्यक्षता में कपड़ा मंत्रालय ने देश के कपड़ा क्षेत्र में कच्चे माल की कमी को पूरा करने के लिए भारत से कपास के आयात पर प्रतिबंध हटाने की सिफारिश की है।

एक मीडिया रिपोर्ट में मंगलवार को यह जानकारी दी गई।

द डॉन न्यूज ने सरकारी सूत्रों के हवाले से कहा है कि कपड़ा उद्योग मंत्रालय ने भारत से कपास और सूती धागे के आयात पर प्रतिबंध हटाने के लिए कैबिनेट की आर्थिक समन्वय समिति (ईसीसी) से अनुमति मांगी है।

एक अधिकारी ने कहा कि हमने प्रतिबंध हटाने के लिए ईसीसी से एक सप्ताह से अधिक समय पहले लिखित अनुरोध किया था।

उन्होंने कहा, ‘‘समन्वय समिति के निर्णय को औपचारिक अनुमोदन के लिए संघीय मंत्रिमंडल के समक्ष रखा जाएगा। प्रधानमंत्री ने वाणिज्य एवं कपड़ा मंत्रालय के प्रभारी के रूप में इस आवेदन को इसीसी के समक्ष प्रस्तुत करने की मंजूरी दे दी है।’’

पाकिस्तान में कपास की कम पैदावार की वजह से भारत से कपास आयात का मार्ग प्रशस्त हुआ है।

कपास और यार्न की कमी के कारण, पाकिस्तान में उपयोगकर्ताओं को संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्राजील और उजबेकिस्तान से कपास का आयात करने के लिए मजबूर होना पड़ा था।

भारत से कपास का आयात बहुत सस्ता बैठेगा और यह तीन से चार दिनों के भीतर पाकिस्तान पहुंच जाएगा। बाकी देशों से कपास धागे का आयात करना न केवल महंगा है, बल्कि पाकिस्तान तक पहुंचने में एक से दो महीने का समय भी लगता है।

पंजाब स्टेट डीयर 100 मासिक लाटरी का पहला एक करोड़ का ईनाम बाघापुराना की रहने वाली कबाड़ी की पत्नी आशा रानी ने जीता attacknews.in

चंडीगढ़, 24 मार्च । पंजाब स्टेट डीयर 100 मासिक लाटरी का पहला एक करोड़ का ईनाम बाघापुराना की रहने वाली कबाड़ी का पत्नी आशा रानी ने जीता है।

इस मासिक लाटरी की विजेता आशा ने आज यहाँ पंजाब राज लाटरीज विभाग के अधिकारियों के पास टिकट और अन्य जरुरी दस्तावेज जमा करवा दिए हैं। पहला इनाम जीतने के बाद खुश आशा ने कहा कि उसने कभी सपने में भी यह नहीं सोचा था कि वह एक दिन करोड़पति बन जायेगी। उसके पति की बाघापुराना में कबाड़ की दुकान है और उसके दोनों बेटे दुकान में काम करते हैं।

आशा रानी ने कहा कि सबसे पहले वह इनामी राशि के साथ अपना नया घर बनाऐंगे क्योंकि उनका मौजूदा मकान उनके बड़े परिवार के लिए बहुत छोटा है और बाकी रकम का प्रयोग उनके पारिवारिक कारोबार के विस्तार के लिए किया जायेगा।

उन्होंने आगे कहा कि यह बड़ी इनामी राशि उनकी आर्थिक तंगीयां दूर करने में अहम साबित होगी।

पंजाब राज लाटरीज विभाग के प्रवक्ता ने बताया कि टिकट सी-74263 की विजेता आशा रानी ने आज दस्तावेज जमा करवा दिए हैं।

लाटरीज विभाग के अधिकारियों ने उस विजेता को भरोसा दिया कि जल्द ही इनामी राशि उनके खाते में डाल दी जायेगी।

रिजर्व बैंक ने जारी किए आंकड़े:कोरोना महामारी से लाखों लोग बेरोजगार,बड़ी संख्या में लोगों का वेतन घटा,परिवारों पर कर्ज बढ़कर जीडीपी के 37.1 प्रतिशत और बचत घटकर 10.4 प्रतिशत पर attacknews.in

मुंबई, 21 मार्च । कोरोना वायरस महामारी के एक साल के दौरान भारतीय परिवारों पर कर्ज का बोझ बढ़ा है। भारतीय रिजर्व बैंक के ताजा आंकड़ों के अनुसार चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में परिवारों पर कर्ज बढ़कर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 37.1 प्रतिशत पर पहुंच गया है। वहीं, इस दौरान परिवारों की बचत घटकर 10.4 प्रतिशत के निचले स्तर पर आ गई है।

महामारी की वजह से लाखों लोग बेरोजगार हुए हैं, जबकि बड़ी संख्या में लोगों का वेतन घटा है। इस वजह से लोगों को अधिक कर्ज लेना पड़ा है या फिर अपनी बचत से खर्चों को पूरा करना पड़ा है।

आंकड़ों के अनुसार दूसरी तिमाही में कुल ऋण बाजार में परिवारों की हिस्सेदारी सालाना आधार पर 1.30 प्रतिशत बढ़कर 51.5 प्रतिशत पर पहुंच गई।

रिजर्व बैंक के मार्च बुलेटिन के अनुसार महामारी की शुरुआत में लोगों का झुकाव बचत की ओर था। इस वजह से 2020-21 की पहली तिमाही में परिवारों की बचत जीडीपी के 21 प्रतिशत पर पहुंच गई थी, लेकिन दूसरी तिमाही में यह घटकर 10.4 प्रतिशत रह गई।

हालांकि, यह 2019-20 की दूसरी तिमाही के 9.8 प्रतिशत से अधिक है।

रिजर्व बैंक के अर्थशास्त्रियों का कहना है कि सामान्य रूप से जब अर्थव्यवस्था ठहरती है या उसमें गिरावट आती है, तो परिवारों की बचत बढ़ती है। वहीं जब अर्थव्यवस्था सुधरती है, तो बचत घटती है, क्योंकि लोगों का खर्च करने को लेकर भरोसा बढ़ता है। इस मामले में पहली तिमाही में परिवारों की बचत जीडीपी के 21 प्रतिशत पर पहुंच गई। उस समय सकल घरेलू उत्पाद में 23.9 प्रतिशत की गिरावट आई थी। उसके बाद दूसरी तिमाही में जीडीपी की गिरावट कम होकर 7.5 प्रतिशत रह गई। वहीं लोगों की बचत घटकर 10.4 प्रतिशत पर आ गई।

रिजर्व बैंक ने कहा कि कुछ इसी तरह का रुख 2008-09 में वैश्विक वित्तीय संकट के दौरान भी देखने को मिला था। उस समय परिवारों बचत जीडीपी के 1.70 प्रतिशत बढ़ी थी। बाद में अर्थव्यवस्था में सुधार के साथ बचत भी घटने लगी।

बुलेटिन में कहा गया है कि परिवारों का ऋण से जीडीपी अनुपात 2018-19 की पहली तिमाही से लगातार बढ़ रहा है। चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में परिवारों का कर्ज जीडीपी के 37.1 प्रतिशत पर पहुंच गया, जो पहली तिमाही में 35.4 प्रतिशत था। कुल ऋण बाजार में परिवारों का कर्ज का हिस्सा भी दूसरी तिमाही में 1.3 प्रतिशत बढ़कर 51.5 प्रतिशत पर पहुंच गया।

सस्ती हुई दवाएं:राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (NPPA) ने पेटेंट रहित मधुमेह रोधी दवाओं सहित 81 दवाओं के  मूल्य निर्धारित किए attacknews.in

नयी दिल्ली, 21 मार्च ।राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (एनपीपीए) ने पेटेंट रहित मधुमेह रोधी दवाओं सहित 81 दवाओं का मूल्य निर्धारित कर दिया है।

एनपीपीए ने वॉकहार्ट की ‘इंसुलिन ह्यूमन इंजेक्शन, 200 आईयू/एमएल’ और ‘70 प्रतिशत आइसोफेन इंसुलिन ह्यूमन सस्पेंशन प्लस 30 प्रतिशत इंसुलिन ह्यूमन इंजेक्शन 200 आईयू/एमएल’ का खुदरा मूल्य 106.65 रुपये प्रति एमएल (जीएसटी को छोड़कर) और मेसर्स टॉरंट फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड की ‘प्रासुग्रेल हाइड्रोक्लोराइड 10 एमजी (फिल्म कोटेड) प्लस एस्पिरिन 75 एमजी (एंट्रिक कोटेड) कैप्सूल’ की कीमत 20.16 रुपये प्रति कैप्सूल (जीएसटी को छोड़कर) तय कर दी है ।

ये नई कीमतें 17.03.2021 से लागू हो गई हैं। दोनों दवाएं क्रमशः 132.50 रुपये प्रति एमएल और 27.26 रुपये प्रति कैप्सूल की एमआरपी पर बिक रही थीं। इस मूल्य नियंत्रण के साथ, एनपीपीए ने जनता को उचित कीमत पर दवाओं की उपलब्धता का फिर से भरोसा दिलाया है।

एनपीपीए ने स्वदेशी स्तर पर शोध एवं विकास के माध्यम से विकसित नई दवा आपूर्ति व्यवस्था के क्रम में ‘औषध मूल्य नियंत्रण आदेश (डीपीसीओ), 2013 के पैरा 32 के अंतर्गत संबंधित कंपनियों को उक्त उल्लिखित फॉर्म्यूलेशंस के लिए’ पांच साल की अवधि के लिए कीमत तय करने की छूट दी थी। छूट की अवधि के दौरान मूल्य नियंत्रण लागू नहीं था।

एनपीपीए ने 10 मार्च को हुई बैठक में पेटेंट रहित मधुमेह रोधी दवा सहित मौजूद विनिर्माताओं द्वारा लॉन्च की जाने वाली 76 नई दवाओं की खुदरा कीमत भी निर्धारित कर दी है, जिससे मरीजों को पेटेंट समाप्त होने का लाभ पहुंचाने का रास्ता साफ हो गया है।

इसके अलावा, एनपीपीए ने एक संक्रमण रोधी फॉर्म्यूलेशन पोविडोन आयोडीन 7.5 प्रतिशत स्क्रब और थॉयराइड से संबंधित बीमारियों के उपचार में इस्तेमाल होने वाली लेवो-थायरॉक्सिन 37.5 एमजी टैबलेट नाम के दो अनुसूचित फॉर्म्यूलेशन का अधिकतम मूल्य तय कर दिया है, जिससे उनकी वर्तमान कीमत में खासी कमी आ गई है।

अनुसूचित फॉर्म्यूलेशन के वर्तमान अधिकतम मूल्य में संशोधन थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) पर आधारित है, जिसे प्राधिकरण द्वारा ही मंजूरी दी गई थी। संशोधित कीमतें अप्रैल, 2021 से लागू हो जाएंगी।

देश के सबसे बड़े ऋणदाता भारतीय स्टेट बैंक ( SBI)के कई डिजिटल माध्यमों पर लेनदेन में जबर्दस्त इजाफा, 67 प्रतिशत के उच्चस्तर पर पहुंचा attacknews.in

मुंबई, 19 मार्च । देश के सबसे बड़े ऋणदाता भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के कई डिजिटल माध्यमों पर लेनदेन में जबर्दस्त इजाफा हुआ है। एसबीआई के चेयरमैन दिनेश खारा ने शुक्रवार को कहा कि बैंक के विभिन्न मंचों पर डिजिटल लेनदेन बढ़कर 67 प्रतिशत हो गया है, जो महामारी से पहले 60 प्रतिशत था।

उन्होंने कहा कि महामारी के दौरान लॉकडाउन अंकुशों की वजह से ई-कॉमर्स गतिविधियां तेजी से बढ़ी हैं जिससे डिजिटल लेनदेन में भी बढ़ोतरी हुई है।

खारा ने कहा, ‘‘जब ई-कॉमर्स गतिविधियां बढ़ती हैं, तो डिजिटल माध्यमों की स्वीकार्यता बढ़ती है। यही वजह है कि हमारा डिजिटल लेनदेन अब 67 प्रतिशत के उच्चस्तर पर पहुंच गया है।’’

खारा ने  बातचीत में कहा, ‘‘मेरा मानना है कि यह काफी अच्छा आंकड़ा है। यह देखते हुए कि बैंक में हम डिजिटल रूप से जागरूक के अलावा उन उपभोक्ताओं को भी सेवाएं देते हैं, तो डिजिटल लेनदेन में इतने कुशल नहीं होते।’’

उन्होंने कहा कि रियल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट सिस्टम (आरटीजीएस) की चौबीसों घंटे उपलब्धता तथा नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर (एनईएफटी) की वजह से भी बैंक को डिजिटल लेनदेन बढ़ाने में मदद मिली है।

खारा ने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि ऊंचा डिजिटल लेनदने पारिस्थतिकी तंत्र की वजह से आया है। इसका एक हिस्सा बैंक के खुद के प्रयासों से हासिल हुआ है।’’

उन्होंने कहा कि बैंक के डिजिटल ऋण मंच योनो (यू ओनली लीड वन ऐप) ने भी चालू वित्त वर्ष के दौरान अच्छी वृद्धि दर्ज की है। अभी योनो के पंजीकृत प्रयोगकर्ताओं की संख्या 3.5 करोड़ है। खारा ने बताया कि बैंक मोबाइल ऐप के जरिये रोजाना 35,000 से 40,000 बचत खाते खोल रहा है।

सीईए की बैंकों को नसीहत, उच्च गुणवत्ता के कर्ज पर दें ध्यान, यारी’दोस्ती में न बांटे कर्ज और कर्जा देते हुए उच्च गुणवत्ता मानकों का रखें ध्यान ताकि देश की अर्थव्यवस्था 5 खरब डॉलर की बनाई जा सकें attacknews.in

नयी दिल्ली, नौ मार्च । मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) के वी सुब्रमणियन ने मंगलवार को वित्तीय संस्थानों को नसीहत देते हुये कहा कि वह यारी- दोस्ती में कर्ज बांटने से बचें और कर्ज देते हुये उच्च गुणवत्ता मानकों पर ध्यान दें ताकि देश को 5,000 अरब डालर की अर्थव्यवस्था बनाने में मदद मिल सके।

उन्होंने माना कि 1990 के शुरुआती वर्षों में भारतीय बैंकिंग क्षेत्र को कमजोर गुणवत्ता के कर्ज देने की समस्या से जूझना पड़ा। खासतौर से बड़ी राशि के कर्ज उच्च गुणवत्ता मानकों का पालन किये बिना दिये गये। ये कर्ज पूंजीवादी मित्रों को दिये गये जिससे कि बैंकिंग क्षेत्र में समस्या बढ़ गई।

वाणिज्य एवं उद्योग मंडल फिक्की द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुये उन्होंने कहा, ‘‘जब कभी वित्तीय क्षेत्र ऐसे किसी खास व्यक्ति को कर्ज देने का फैसला करता है जो कि कर्ज देने योग्य नहीं है लेकिन आपसे अधिक जुड़ा हुआ है, तो इसका सीधा सा मतलब है कि पूंजी उपलब्ध नहीं कराई जा रही। जब पूंजी अधिक पात्र कर्जदार को नहीं जाती है तो उस अवसर की एक लागत वहन करनी पड़ती है।’’

उन्होंने कहा कि वत्तीय क्षेत्र की यह ड्यूटी है कि अर्थव्यवस्था में पूंजी का उचित आवंटन हो।

यह देखने की बात है कि बैंकिंग क्षेत्र में फंसे कर्ज की समस्या की बड़ी वजह यह रही कि बैंकों ने अवसंरचना क्षेत्र को अधिक कर्ज दिया। इस क्षेत्र में कई बातों को लेकर समस्या खड़ी हो रही थी।

उन्होंने बैंकिंग क्षेत्र की बेहतरी की वकालत करते हुये कहा, ‘‘मेरा मानना है कि यह अब काफी महत्वपूर्ण है कि वित्तीय क्षेत्र ने उच्च गुणवत्ता मानकों पर कर्ज देने की जिम्मेदारी उठाई है। खासतौर से ढांचागत परियोजनाओं के मामले में वह इसका ध्यान रख रहा है और घनिष्ठ मित्रों को कर्ज देने से बच रहा है। मेरा मानना है कि वित्तीय क्षेत्र की बेहतरी का यही एकमात्र मंत्र है। ’’

सुब्रमणियन ने वित्तीय क्षेत्र में अच्छी गुणवत्ता का कर्ज दिये जाने को सुनिश्चित करने के वास्ते कार्पोरेट गवर्नेस को मजबूत बनाने का भी सुझाव दिया। इसके साथ ही उन्होंने उच्च गुणवत्ता के कर्ज वितरण को वरिष्ठ प्रबंधकों के प्रोत्साहन के साथ जोड़े जाने का भी सुझाव दिया।

सुब्रमणियन ने कहा कि विकास वित्तीय संस्थान ढांचागत परियोजनाओं के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं क्योंकि ऐसी परियोजनाओं के लिये खास तरह की विशेषज्ञता की जरूरत होती है।

सरकार ने बुनियादी सुविधाओं के क्षेत्र की परियोजनाओं को वित्तपोषण उपलबध कराने के लिये एक विकास वितत संस्थान स्थापित करने का प्रस्ताव किया है।

इस विकास वित्त संस्थान को राष्ट्रीय अवसंरचना एवं विकास वित्तपोषण बैंक का नाम दिया जा सकता है। यह बैंक अवसंरचना परियोजनाओं के लिये तैयार की गई पाइपलाइन को अमल में लाने की दिशा में पहल करेगा। इस राष्ट्रीय पाइपलाइन परियोजना के तहत 7,000 परियोजनाओं की पहचान की गई है जिसमें 2020- 25 तक 111 लाख करोड़ रुपये का निवेश होने का अनुमान है।

कार्यक्रम के दौरान दिवाला एवं रिण शोधन अक्षमता बोर्ड के चेयरमैन एम एस साहू ने कहा की दिवाला प्रक्रिया के तहत दर्ज 4,000 कंपनियों में से 2,000 की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है।

उनहोंने कहा कि खराब फंसी संपत्तियों का परिसमापन करने के बजाय उनके समाधान से अधिक मूल्य प्राप्त हो रहा है। कुछ कंपनियों के मामले में तो यह उनके परिसमापन मूल्य की तुलना में 300 प्रतिशत तक अधिक प्राप्त हुआ है।