कर्मचारियों को अवकाश यात्रा रियायत (LTC) के एवज में नकद वाउचर देने ,विशेष उत्सव अग्रिम योजना और अतिरिक्त 37 हजार करोड़ रुपये के पूँजीगत व्यय करने की घोषणा attacknews.in

कर्मचारियों को एलटीसी के एवज में नकद वाउचर देगी सरकार, अर्थव्यवस्था में मांग को मिलेगा प्रोत्साहन

नयी दिल्ली, 12 अक्टूबर । अर्थव्यवस्था में मांग को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने इस साल अपने कर्मचारियों को अवकाश यात्रा रियायत (एलटीसी) के एवज में नकद वाउचर देने की घोषणा की है। इन वाउचर का इस्तेमाल सिर्फ ऐसे गैर-खाद्य सामान खरीदने के लिए किया जा सकता है जिनपर माल एवं सेवा कर (जीएसटी) लगता है।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को संवाददाता सम्मेलन में यह घोषणा की। उन्होंने कहा कि कर्मचारी उन वाउचर का इस्तेमाल ऐसे उत्पाद खरीदने के लिए कर सकते हैं जिन पर जीएसटी की दर 12 प्रतिशत या अधिक है।

प्रत्येक चार साल में सरकार अपने कर्मचारियों को उनकी पसंद के किसी गंतव्य की यात्रा के लिए एलटीसी देती है। इसके अलावा एक एलटीसी उन्हें उनके गृह राज्य की यात्रा के लिए दिया जाता है।

सीतारमण ने कहा कि कोविड-19 महामारी की वजह से कर्मचारियों के लिए इस साल यात्रा करना मुश्किल है। ऐसे में सरकार ने उन्हें नकद वाउचर देने का फैसला किया है। इसे 31 मार्च, 2021 तक खर्च करना होगा।

एलटीसी के लिए सरकार 5,675 करोड़ रुपये खर्च करेगी। वहीं केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों तथा बैंकों को 1,900 करोड़ रुपये खर्च करने पड़ेंगे।

वित्त मंत्री ने कहा कि इस कदम से 19,000 करोड़ रुपये की मांग पैदा होगी। यदि आधे राज्यों ने इस दिशानिर्देश का पालन किया तो 9,000 करोड़ रुपये की मांग और पैदा होगी।

उपभोक्ता और पूँजीगत व्यय बढ़ाकर अर्थव्यवस्था को गति देने की योजना:

कोरोना के कारण बुरी तरह से प्रभावित अर्थव्यवस्था को गति प्रदान करने और त्योहारी सीजन में उपभोक्ता माँग बढ़ाने पर जोर देते हुये केन्द्र सरकार ने सोमवार को केन्द्रीय कर्मचारियों के लिए अवकाश यात्रा छूट (एलटीसी) कैश वाउचर योजना, विशेष उत्सव अग्रिम योजना और अतिरिक्त 37 हजार करोड़ रुपये के पूँजीगत व्यय करने की घोषणा करते हुये कहा कि इन उपायों से करीब एक लाख करोड़ रुपये की माँग बढ़ने में मदद मिल सकेगी।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने यहाँ संवाददाताओं से चर्चा में ये घोषणायें की।

श्रीमती सीतारमण ने कहा कि कोरोना का अर्थव्यवस्था पर बहुत बुरा असर हुआ है। गरीब और कमजोर तबके को आत्मनिर्भर भारत पैकेज के तहत मदद दी गयी है और आपूर्ति से जुड़ी बाधायें समाप्त करने पर जोर दिया गया है। इसके बावजूद अब भी उपभोक्ता माँग कम बनी हुई है। इसको ध्यान में रखते हुये ऐसे पैकेज तैयार किये गये हैं जिससे न सिर्फ सकल घरेलू उत्पाद को बढ़ाने में मदद मिलेगी बल्कि इसका महँगाई पर भी असर नहीं होगा।

उन्होंने कहा कि केन्द्रीय कर्मचारियों के लिए एलटसी कैश वाउचर योजना शुरू की जा रही है जो 31 मार्च 2021 तक वैध रहेगी। इसके तहत वर्ष 2018-21 के चार वर्ष के ब्लॉक में दो बार गृह नगर जाने या एक-एक बार गृह नगर और देश के किसी एक अन्य स्थान पर जाने का लाभ उठाया जा सकता है। इसके लिए पात्रता और ग्रेड के अनुरूप हवाई या रेल किराया दिया जायेगा। इसके साथ ही 10 दिन का अवकाश नकदीकरण मिलेगा।

उन्होंने कहा कि काेरोना के कारण जो कर्मचारी 2018-21 के ब्लॉक के एलटीसी का उपयोग नहीं कर पाये हैं और यदि अब वे एलटीसी कैश वाउचर्स योजना का उपयोग करते हैं तो उनको पूरा अवकाश नकदीकरण मिलेगा। किराये का भुगतान पात्रता के अनुरूप तीन स्लैबों में बाँटा गया है और उसी के अनुरूप कर मुक्त यात्रा भत्ता मिलेगा। जो कर्मचारी इस योजना का उपयोग करेंगे उन्हें किराये की राशि का तीन गुना और अवकाश नकदीकरण का एक गुना व्यय करना होगा। यह व्यय 12 प्रतिशत या उससे अधिक जीएसटी कर वाले उत्पादों पर करना होगा और इस व्यय की जीएसटी रसीद भी जमा करानी होगी।

भारत में अब आरटीजीएस सुविधा दिसंबर से चौबीसों घंटे और सप्ताह के सभी दिन उपलब्ध कराने का रिजर्व बैंक ने लिया फैसला attacknews.in

मुंबई 09 अक्टूबर । बड़ी राशि के भुगतान की इलेक्ट्रॉनिक व्यवस्था ‘रियल टाइम ग्रास सेटलमेंट सिस्टम’ (आरटीजीएस) की सुविधा दिसंबर से सप्ताह के सभी दिन चौबीसों घंटे उपलब्ध होगी।

रिजर्व बैंक गवर्नर शक्तिकांता दास ने मौद्रिक नीति समिति की तीसरी द्विमासिक बैठक के बाद आज बताया कि छोटी राशि की ऑनलाइन भुगतान सुविधा ‘नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड्स ट्रांसफर’ (एनईएफटी) प्रणाली को पिछले साल दिसंबर से चौबीसों घंटे कर दिया गया है। यह प्रणाली निर्बाध रूप से काम कर रही है। इसे देखते हुये अब आरटीजीएस को भी चौबीसों घंटे करने का फैसला किया गया है।

उन्होंने कहा “यह तय किया गया है कि आरटीजीएस प्रणाली भी सभी दिन चौबीसों घंटे उपलब्ध कराई जायेगी। इसके साथ ही भारत उन चुनिंदा देशों में शामिल हो जायेगा जहाँ बड़ी राशि के लिए रियल टाइम भुगतान प्रणाली साल के सभी दिन चौबीसों घंटे उपलब्ध होगी। यह सुविधा दिसंबर 2020 से प्रभावी होगी।”

फिलहाल आरटीजीएस की सुविधा सुबह सात बजे से शाम छह बजे तक उपलब्ध है। रविवार और महीने के दूसरे तथा चौथे शनिवार को यह सुविधा बिल्कुल भी उपलब्ध नहीं होती है। आरटीजीएस के तहत कम से कम दो लाख रुपये ऑनलाइन ट्रांसफर किये जा सकते हैं जबकि इसके लिए कोई अधिकतम सीमा नहीं है। वहीं, एनईएफटी की सुविधा छोटी राशि के लिए है। हालाँकि रिजर्व बैंक ने इसके लिए कोई सीमा तय नहीं की है, लेकिन बैंकों को अधिकतम सीमा तय करने की छूट है।

त्योहारी सीजन में सस्ते ऋण की उम्मीद खत्म, रिजर्व बैंक ने नीतिगत दरें यथावत रखी,टीएलटीआरओ 2.0 की घोषणा, बैंकों को एक लाख करोड़ की तरलता उपलब्ध होगी,चालू वित्त वर्ष में रियल जीडीपी में 9.5 प्रतिशत की गिरावट का अनुमान attacknews.in

चालू वित्त वर्ष में रियल जीडीपी में 9.5 प्रतिशत की गिरावट का अनुमान,रेपो दर 4% और रिवर्स रेपो दर 3.35% और एमएसएफ 4.25% व बैंक दर 4.25% पर यथावत, चालू वित्त वर्ष की खुदरा महंगाई 6.8 प्रतिशत, रहने का अनुमान

मौद्रिक नीति की मुख्य बातें

मुंबई 09 अक्टूबर । रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति की शुक्रवार को संपन्न चालू वित्त वर्ष की तीसरी समीक्षा बैठक में लिये गये निर्णय की मुख्य बातें इस प्रकार है:

.. रेपो दर 4.00 प्रतिशत पर यथावत

.. रिवर्स रेपो दर 3.35 प्रतिशत पर यथावत

.. मार्जिनल स्टैंडिंग फैसेलिटी (एमएसएफ) 4.25 प्रतिशत पर यथावत

.. बैंक दर 4.25 प्रतिशत पर यथावत

..वर्ष 2021-22 की पहली तिमाही में रियल जीडीपी में 20.6 फीसदी की बढोतरी का अनुमान

..चालू वित्त वर्ष में रियल जीडीपी में 9.5 प्रतिशत की गिरावट का अनुमान

.. दूसरी तिमाही में यह 9.8 फीसदी नीचे रह सकता है

.. तीसरी तिमाही में रियल जीडीपी में 5.6 फीसदी की कमी आने का अनुमान

.. चालू वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही में रियल जीडीपी में 0.5 फीसदी की वृद्धि की उम्मीद

.. चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में खुदरा महंगाई 6.8 प्रतिशत, दूसरी छमाही में 5.4 से 4.5 प्रतिशत के बीच रहने का अनुमान

.. अगले वित्त वर्ष की पहली तिमाही में महंगाई के 4.3 प्रतिशत पर रहने की संभावना

.. टीएलटीआरओ 2.0 की घोषणा, बैंकों में एक लाख करोड़ की तरलता बढ़ाना लक्ष्य

त्योहारी सीजन में सस्ते ऋण की उम्मीद नहीं, रिजर्व बैंक ने नीतिगत दरें यथावत रखी:

कोरोना के कारण अर्थव्यवस्था में गिरावट और त्योहारी सीजन के मद्देनजर माँग बढ़ाने के लिए ब्याज दरों में कमी किये जाने की उम्मीद लगाये लोगों को शुक्रवार को उस समय निराशा हाथ लगी जब रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति ने निकट भविष्य में महँगाई की आशंका के मद्देनजर नीतिगत दरों को यथावत बनाये रखने का निर्णय लिया। इससे घर और कार की किस्तों में कमी की संभावना तत्काल समाप्त हो गयी है।

समिति के बयान में कहा गया है कि चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में खुदरा महँगाई दर 5.4 प्रतिशत तक रहने का अनुमान है। हालांकि समिति ने चालू वित्त वर्ष की शेष अवधि में एकोमोडेटिव रुख बनाये रखने का फैसला किया है जिससे आगे ब्याज दरों में कटौती किये जाने की उम्मीद है।

नीतिगत दरों को यथावत बनाये रखने के साथ ही टारगेटेड लॉन्‍ग टर्म रेपो ऑपेरशन (टीएलटीआरओ) 2.0 के माध्यम से 31 मार्च 2021 तक बैंकों को एक लाख करोड़ रुपये तक उपलब्ध कराने के निर्णय का शेयर बाजार ने जोरदार स्वागत किया जिससे बीएसई के 30 शेयरों वाले संवेदी सूचकांक सेंसेक्स में करीब 300 अंकों की तेजी दर्ज की गयी। इससे बैंकिंग और वित्त समूह में तेजी रही।

रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में समिति ने नीतिगत दरों को यथावत बनाये रखने का निर्णय लिया।

श्री दास ने कहा कि समिति ने सर्वसम्मति से रेपो दर को चार प्रतिशत, रिवर्स रेपो दर को 3.35 प्रतिशत, बैंक दर को 4.25 प्रतिशत और मार्जिनल स्टैंडिंग फैस्लीलिटी (एमएसएफ) को 4.25 प्रतिशत पर यथावत रखने का निर्णय लिया है।

मौद्रिक नीति समिति की यह तीसरी बैठक पहले 29 सितंबर से 01 अक्टूबर तक होनी थी लेकिन समिति के तीन बाहरी सदस्यों के रूप में नियुक्त डॉ़ चेतन घाटे, डॉ़ पम्मी दुआ और डॉ़ रवीन्द्र ढोलकिया का कार्यकाल 30 सितंबर को समाप्त हो रहा था जिसके कारण इनके स्थान पर नये सदस्यों की नियुक्ति तक बैठक टाल दी गई थी।

मुंबई के इंदिरा गाँधी इंस्टीट्यूट ऑफ डेवलपमेंट रिसर्च की प्रोफेसर डॉ़ असीमा गोयल, अहमदाबाद स्थित भारतीय प्रबंधन संस्थान के वित्त प्रोफेसर डाॅ़ जयंत आर. वर्मा और दिल्ली के नेशनल काउंसिल ऑफ अप्लाईड इकोनॉमी रिसर्च के अनुसंधान कार्यक्रम के वरिष्ठ सलाहकार डॉ़ शशांक भिडे की चार वर्षाें के लिए नियुक्ति के बाद समिति की तीन दिवसीय बैठक 07 अक्टूबर को शुरू हुई थी।

टीएलटीआरओ 2.0 की घोषणा, बैंकों को एक लाख करोड़ की तरलता

रिजर्व बैंक ने कोरोना के कारण अर्थव्यवस्था में आयी गिरावट से उबारने के उद्देश्य से टारगेटेड लॉन्‍ग टर्म रेपो ऑपेरशन (टीएलटीआरओ) 2.0 की घोषणा करते हुये शुक्रवार को कहा कि इसके तहत 31 मार्च 2021 तक तीन वर्ष के लिए बैंकों को एक लाख करोड़ रुपये उपलब्ध कराये जायेंगे।

इससे पहले रिजर्व बैंक ने टीएलटीआरओ 1.0 की घोषणा की थी और इसके तहत बड़ी सरकारी और निजी कंपनियों को वित्त उपलब्ध कराने के उपाय किये गये थे।

केन्द्रीय बैंक की माैद्रिक नीति समिति की तीन दिवसीय तीसरी बैठक के बाद गवर्नर शक्तिकांता दास ने अपने बयान में कहा कि तरलता बढ़ाने के मद्देनजर रिजर्व बैंक अब विशेष क्षेत्रों की गतिविधियों में सुधार पर ध्यान केन्द्रित करने जा रहा है।

उन्होंने कहा कि टीएलटीआरओ 2.0 शुरू करने का निर्णय लिया गया है जिसकी अवधि तीन वर्ष की होगी। नीतिगत रेपो दर पर आधारित कुल एक लाख कराेड़ रुपये इसके माध्यम से उपलब्ध करायें जायेंगे और यह स्कीम 31 मार्च 2021 तक जारी रहेगी। इसकी समीक्षा के बाद आवश्यकता अनुसार इस राशि और अवधि में बढोतरी करने का विकल्प भी है।

उन्होंने कहा कि इस स्कीम के तहत बैंकों द्वारा ली गयी तरलता का उपयोग कार्पोरेट बाँड, व्यावसायिक पत्रों और गैर परिवर्तनीय ऋण पत्रों के माध्यम से क्षेत्र विशेष के लिए किया जा सकता है। इसका उपयोग उन क्षेत्रों को बैंक ऋण देने में भी उपयोग किया जा सकता है।

श्री दास ने कहा कि इस स्कीम का उद्देश्य मांग बढ़ने पर बैंकों के पास पर्याप्त तरलता उपलब्ध कराना है। उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था को मदद देने में गैर बैंकिंग फाइनेंस सेक्टर की बड़ी भूमिका है। देश की अर्थव्यवस्था में विनिर्माण क्षेत्र को मदद देने में भी इसकी बड़ी भूमिका सामने आई है। छोटे एवं मझोले कारोबार को सुविधा उपलब्ध कराने के लिए रिजर्व बैंक ने नई पहल की है। इसके तहत समग्र खुदरा ऋण की सीमा में बढोतरी की गयी है। 50 करोड़ रुपये तक की वार्षिक आय या कारोबार के लिए पांच करोड़ रुपये की ऋण सीमा थी जिसे अब बढ़ाकर 7.5 करोड़ रुपये कर दिया गया है। इससे छोटे कारोबारियों के लिए पूंजी प्रवाह बढ़ने की उम्मीद है।

गवर्नर ने कहा कि अब तक व्यक्तिगत आवास ऋण के लिए ऋण और आवास की कीमत के अनुपात पर जोखिम वितरित है लेकिन आर्थिक गतिविधियों और रोजगार सृजन में रियल एस्टेट क्षेत्र की महत्ती भूमिका को देखते हुये जोखिम निर्धारण को तर्कसंगत बनाने का निर्णय लिया गया है। एकतीस मार्च 2022 तक के सभी नये आवास ऋण को सिर्फ ऋण और आवास की कीमत अनुपात से जोड़ा जायेगा जिससे रियल एस्टेट क्षेत्र में तेज बढोतरी होने का अनुमान है।

उन्होंने कहा कि निर्यात को बढ़ावा देने के लिए रिजर्व बैंक ने विदेशी खरीदारों से मोलभाव करने के लिए उन्हें अधिक सुविधा देने की घोषणा की है। सिस्टम आधारित ऑटोमेटिक कॉशन लिस्टिंग की मदद से इस तरह के जोखिम को कम करने की कोशिश की जाएगी।

पांच करोड़ तक के कारोबारियों को वर्ष में मात्र आठ जीएसटी रिटर्न भरने होंगे;GST परिषद की बैठक में लिये गये कई निर्णय के साथ वार्षिक कारोबार करने वालों को बड़ी राहत attacknews.in

नयी दिल्ली 05 अक्टूबर । वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद ने पांच कराेड़ रुपये तक के वार्षिक कारोबार करने वालों को बड़ी राहत देते हुये अगले वर्ष जनवरी से एक वर्ष में मात्र आठ जीएसटी रिटर्न भरने की व्यवस्था लागू करने का निर्णय लिया है।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में आज यहां हुयी जीएसटी परिषद की 42 वीं बैठक में कई निर्णय लिये गये।

श्रीमती सीतारमण ने बैठक के बाद संवाददाताओं को ये जानकारी देते हुये कहा कि अभी हर कारोबारी को हर महीने दो रिटर्न जीएसटीआर थ्री बी और जीएसटीआर 1 भरने पड़ते हैं। इस तरह से एक वर्ष में 24 रिटर्न हो जाता है। कारोबारियों के लिए इसे सरल बनाने के उद्देश्य से एक जनवरी 2021 से पांच करोड़ रुपये के वार्षिक कारोबार करने वालों को अब तिमाही आधार पर रिटर्न दाखिल करने की सुविधा दी जायेगी। इस तरह से हर तिमाही इस श्रेणी के कारोबारी को मात्र दो रिटर्न दाखिल करने की जरूरत होगी। कुल मिलाकर एक वर्ष में आठ ही रिटर्न भरने होंगे।

हालांकि उन्होंने कहा कि इस व्यवस्था से जीएसटी राजस्व में कोई कमी नहीं आये इसके लिए इस श्रेणी के कारोबारियों को एक तिमाही में दो महीने चालान से 35-35 प्रतिशत जीएसटी कर जमा करना पड़ेगा और तीसरे महीने में वास्तविक जीएसटी कर जमा कराना पड़ेगा।

उन्होंने कहा कि एक अप्रैल 2021 से वस्तुओं एवं सेवाओं के लिए संशोधित कोड जारी किये जायेंगे जिसमें सरकार को आठ अंकों के कोड जारी करने का अधिकार होगा।

उन्होंने कहा कि पांच करोड़ रुपये से कम के कारोबारियों को चार अंक का कोड और पांच करोड़ रुपये से अधिक के कारोबारियों को छह अंकों के कोड को उल्लेख करना होगा।

वित्त मंत्री ने कहा कि इनपुट टैक्स क्रेडिट में हो रही धोखाधड़ी को रोकने के उद्देश्य से एक जनवरी 2021 से अब रिफंड सिर्फ पैन और आधार से सत्यापित बैंक खातों में ही हस्तातंरित किये जायेंगे।