बहुचर्चित चारा घोटाले मामले में सजायाफ्ता राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव बिहार के भाजपा विधायक से बातचीत का ऑडियो वायरल होने के बाद केली बंगले से रिम्स के पेइंग वार्ड में शिफ्ट attacknews.in

रांची, 26 नवंबर । बहुचर्चित चारा घोटाले मामले में सजायाफ्ता राष्ट्रीय जनता दल (राजद) सुप्रीमों लालू प्रसाद यादव के जेल में रहने के बावजूद बिहार विधानसभा के एक सदस्य से बातचीत का ऑडियो वायरल होने के बाद गुरुवार को श्री यादव को झारखंड के रांची स्थित आयुर्विज्ञान संस्थान (रिम्स) निदेशक के केली बंगले से वापस रिम्स के पेइंग वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया।

राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को आज अपराह्न बंगले से रिम्स के पेइंग वार्ड संख्या 11 में शिफ्ट किया गया। इस दौरान श्री यादव के चेहरे पर तनाव साफ तौर पर दिख रहा था। इससे पूर्व राजद अध्यक्ष और बिहार के एक विधायक से बातचीत का कथित वीडियो वायरल होने के बाद एक और जहां जेल महानिरीक्षक (आईजी) की ओर से रिपोर्ट मांगी गई है वहीं, दूसरी ओर सचिवालय में आज गृह सचिव के अध्यक्षता में हुई बैठक में इस पूरे प्रकरण पर चर्चा हुई और जिला प्रशासन से विस्तृत रिपोर्ट मांगी गई है।

इधर, ऑडियो वायरल होने के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के एक नेता की ओर से झारखंड उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका भी दायर की गयी है। उच्च न्यायालय के अधिवक्ता राजीव कुमार ने बताया कि याचिका में जेल मैनुअल की उच्च स्तरीय जांच और मामले में प्राथमिकी दर्ज कर कार्रवाई का आग्रह किया गया है। पूरे प्रकरण में जेल आईजी सभी प्रशासन जिला प्रशासन और अन्य को पार्टी बनाया गया है।

आई-मोनेटरी एडवाइजरी के करोड़ों रुपये घोटाले के मामले में गिरफ्तार कर्नाटक के पूर्व मंत्री रोशन बेग के घर पर सीबीआई का छापा attacknews.in

बेंगलुरु, 23 नवंबर । केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के अधिकारियों ने कर्नाटक के पूर्व मंत्री रोशन बेग को आई-मोनेटरी एडवाइजरी के करोड़ों रुपये घोटाले के मामले में गिरफ्तार करने के बाद सोमवार सुबह उनके घर पर छापेमारी की।श्री बेग को कल गिरफ्तार किया गया था।

सीबीआई के मुताबिक अदालत से सर्च वारंट लेकर सोमवार को 10 से अधिक अधिकारियों की एक टीम ने पूर्व मंत्री के घर पर छापेमारी की। इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स और दस्तावेजों का सत्यापन किया जा रहा है। मामले में छानबीन जारी है और परिवार के सदस्यों से भी पूछताछ की जा रही है। पुलिस हिरासत के लिये उन्हें कोर्ट में भी पेश किया गया है।

उल्लेखनीय है कि फिलहाल श्री बेग न्यायिक हिरासत में हैं और परप्पाना अग्रहारा सेंट्रल जेल के क्वारंटी सेल में बंद हैं।

पिछले साल जून में आई-मोनेटरी एडवाइजरी के करोड़ों रुपये घोटाले के मामले में उनका नाम सामने आया था। सीबीआई को मामला सौंपे जाने से पहले राज्य सरकार द्वारा गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) ने उनसे पूछताछ की थी।

गौरतलब है कि एक विशेष जांच अधिकारी ने हाल ही में घोटाले के पीड़ितों के दावों की पुष्टि करते हुये राजस्व विभाग को लिखे पत्र में कहा था कि श्री बेग आई-मोनेटरी एडवाइजरी के प्रमोटर हैं और यह एक व्यवसाय है।

जांच में आई-मोनेटरी एडवाइजरी के प्रमुख मोहम्मद मंसूर खान के साथ उनके संबंध का भी खुलासा हुआ था। इस मामले में जांच एजेंसी सरकारी अधिकारियों सहित कुछ आरोपियों के खिलाफ पहले ही चार्जशीट दायर कर चुकी है।

जेएनयू का पूर्व छात्र नेता उमर खालिद ने ही डोनाल्ड ट्रंप की यात्रा के दौरान दिल्ली दंगों की साजिश रची थी, ताकि भारत में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार का विश्व स्तर पर प्रचार हो :दिल्ली पुलिस ने दाखिल की चार्जशीट attacknews.in

नयी दिल्ली, 23 नवम्बर । दिल्ली पुलिस ने अदालत में दाखिल आरोपपत्र में कहा कि जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के पूर्व छात्र नेता उमर खालिद ने इस साल फरवरी में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की यात्रा के दौरान दिल्ली दंगों को हवा देने की साजिश रची थी, ताकि भारत में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार का विश्व स्तर पर प्रचार हो सके।

दिल्ली पुलिस ने फरवरी में उत्तर-पूर्व दिल्ली में साम्प्रदायिक हिंसा के पीछे कथित तौर पर बड़ी साजिश होने के मामले में खालिद और जेएनयू छात्र शरजील इमाम के खिलाफ दिल्ली की एक अदालत में पूरक आरोप पत्र दाखिल किया।

आरोपपत्र रविवार को दाखिल किया गया, जिसके अनुसार खालिद एक साजिश के तहत 23 फरवरी को दिल्ली से पटना गया और 27 फरवरी को वापस लौटा।

इसमें आरोप लगाया गया कि खालिद ने अन्य आरोपी लोगों के साथ चांद बाग में एक कार्यालय में बैठक भी की थी।

प्राथमिकी में पुलिस ने दावा किया कि साम्प्रदायिक हिंसा एक ‘‘सोची समझी साजिश’’ थी, जिसे खालिद और दो अन्य लोगों ने अंजाम दिया।

पुलिस ने आरोप लगाया कि खालिद ने कथित तौर पर दो अलग-अलग स्थानों पर भड़काऊ भाषण दिए थे और नागरिकों से अपील की थी कि वे ट्रंप की यात्रा के दौरान सड़कों पर उतरें और रास्ते जाम करें, ताकि भारत में अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचारों का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रचार-प्रसार किया जा सके।

पुलिस ने दावा किया कि इस साजिश में, कई घरों में आग्नेयास्त्र, पेट्रोल बम, एसिड की बोतलें और पत्थर एकत्र किए गए थे।

उसने आरोप लगाया कि सह-आरोपी मोहम्मद दानिश को दंगों में शामिल करने के लिए दो अलग-अलग स्थानों पर लोगों को एकत्रित करने की जिम्मेदारी दी गई थी।

उत्तर-पूर्वी दिल्ली में नागरिकता कानून में संशोधनों के समर्थकों और विरोधियों के बीच हिंसा के बाद 24 फरवरी को सांप्रदायिक झड़पें शुरू हुई थीं, जिसमें 53 लोगों की मौत हो गई और करीब 200 लोग घायल हो गए थे।

सूत्रों के अनुसार खालिद, इमाम और एक अन्य आरोपी फैजान खान के खिलाफ कठोर गैर-कानूनी गतिविधियां (निवारण) अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत दर्ज इस मामले में अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत के समक्ष आरोप पत्र दाखिल किया। उनपर, दंगे, गैर-कानूनी तरीके से एकत्रित होने, आपराधिक साजिश, हत्या, धर्म, भाषा, जाति इत्यादि के आधार पर शत्रुता को बढ़ावा देने और भारतीय दंड संहिता की अन्य धाराओं के तहत आरोप लगाए गए हैं।

इन अपराधों के तहत अधिकतम मृत्युदंड की सजा दी जा सकती है। 930 पन्नों का यह पूरक आरोपपत्र यूएपीए की धारा 13 (गैर-कानूनी गतिविधियां), 16 (आतंकवादी गतिविधि), 17 (आतंकवादी गतिविधि के लिये धन जुटाना) और 18 (षड़यंत्र) के तहत दायर किया गया है।

खालिद और इमाम फिलहाल इस मामले में न्यायिक हिरासत में हैं। खान को दिल्ली उच्च न्यायालय से जमानत मिल चुकी है।

मुख्य आरोप पत्र सितंबर में पिंजरा तोड़ की सदस्यों तथा जेएनयू की छात्राओं देवांगना कालिता और नताशा नरवाल, जामिया मिल्लिया इस्लामिया के छात्र आसिफ इकबाल तन्हा और छात्र कार्यकर्ता गुलफिशा फातिमा के खिलाफ दायर किया गया था।

अन्य आरोपी जिनका आरोप पत्र में नाम है उनमें कांग्रेस की पूर्व पार्षद इशरत जहां, जामिया समन्वय समिति के सदस्य सफूरा जरगर, मीरान हैदर और शिफाउर्रहमान, आम आदमी पार्टी के निलंबित पार्षद ताहिर हुसैन, कार्यकर्ता खालिद सैफी, शादाब अहमद, तसलीम अहमद, सलीम अहमद, सलीम मलिक, मोहम्मद सलीम खान और अतहर खान शामिल हैं।

CBI की रिपोर्ट में राजीव गांधी का हत्यारा नहीं मानने पर 7 आरोपियों की रिहाई के लिए तमिलनाडु में राजनीतिक दबाव तेज हुआ attacknews.in

चेन्नई 22 नवंबर ।पाटली मक्कल काची (पीएमके) पार्टी ने देश के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के हत्यारों में से एक एजी पेरारिवलन को लेकर केंद्रीय जांच ब्यूरों (सीबीआई) के इस रुख का स्वागत किया है जिसमें जांच एजेंसी ने कहा था कि उनका पूर्व प्रधानमंत्री की हत्या के लिए रची गई साजिश से कोई लेना देना नहीं था।

पीएमके ने इसके साथ ही तमिलनाडु के राज्यपाल पुरोहित से भी दोषियों की रिहाई को लेकर को जल्द से जल्द निर्णय लेने की अपील भी की है।

पीएमके के संस्थापक डॉ एस रामदॉस ने रविवार को कई सारे ट्वीट कर राज्य सरकार से दोषियों को रिहा करने की अपील करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट के सामने सीबीआई का यह कहना कि पेरारिवलन का मल्टी डिसिप्लिनरी मॉनिटरिंग एजेंसी (एमडीएमए) द्वारा पूर्व प्रधानमंत्री की हत्या के पीछे की ‘बड़ी साजिश’ में की गई जांच से कोई लेना-देना नहीं है, एकदम सही रुख था।

डॉ रामदॉस ने कहा,“अब जब सीबीआई ने स्वयं ही सूचित किया है कि एमडीएमए जांच और पेरारिवलन की रिहाई के बीच कोई संबंध नहीं है इसलिए राज्यपाल को बिना कारण के देरी का हवाला देते हुए सभी सात दोषियों की रिहाई पर एक त्वरित निर्णय लेने चाहिए।”

सुप्रीम कोर्ट में दाखिल 24 पन्नो के शपथ पत्र में सीबीआई ने कहा था कि पेरारिवलन की रिहाई का निर्णय अब पूरी तरह राज्य के राज्यपाल पुरोहित के हाथ में है। उन्होंने कहा कि सीबीआई ने कोर्ट में भी कहा है कि उनका इस मामले में कोई लेना देना नहीं है और यह निर्णय अब राज्यपाल के हाथ में है।

कॉमेडियन भारती सिंह की गिरफ्तारी के एक दिन बाद उनके पति हर्ष लिंबाचिया भी गिरफ्तार,दोनों ने गांजा खरीदना और सेवन करना स्वीकार किया attacknews.in

मुंबई, 22 नवंबर । स्वापक नियंत्रण ब्यूरो (एनसीबी) द्वारा हास्य कलाकार भारती सिंह की गिरफ्तारी के एक दिन बाद रविवार को उनके पति हर्ष लिंबाचिया को भी गिरफ्तार कर लिया गया।

अधिकारियों ने बताया कि भारती सिंह के उपगनरीय इलाके अंधेरी स्थित उनके घर से गांजा बरामद होने के बाद शनिवार को उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था।

एनसीबी के जोनल निदेशक समीर वानखेड़े ने बताया कि उनके पति को भी गिरफ्तार कर लिया गया है।

एक अन्य अधिकारी ने बताया कि सिंह और उनके पति पर गांजा सेवन का आरोप है।

उन्होंने बताया कि इस मामले में गिरफ्तार दो अन्य लोगों के साथ दंपति को चिकित्सकीय जांच के बाद यहां एक अदालत में पेश किया जाएगा।

उन्होंने बताया कि मादक पदार्थ संबंधी कानून के प्रावधानों के तहत आरोपी के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है।

जांच एजेंसी के एक अधिकारी ने पहले बताया था कि एक गुप्त सूचना के आधार पर शनिवार को एनसीबी ने मनोरंजन जगत में कथित नशीले पदार्थ के सेवन की जांच के सिलसिले में सिंह के घर और कार्यालय की तलाशी ली और तलाश के दौरान उनके घर से 86.5 ग्राम गांजा बरामद हुआ।

एनसीबी की एक विज्ञप्ति में पहले बताया गया था, ‘‘ भारती सिंह और उनके पति हर्ष लिंबाचिया ने गांजे का सेवन करना स्वीकार किया है।’’

ब्यूरो के एक अधिकारी ने कहा कि सिंह के घर से कथित तौर पर बरामद मात्रा कानून के तहत “छोटी मात्रा” है।

एक हजार ग्राम गांजे तक को छोटी मात्रा माना जाता है और इसके लिए छह महीने तक की जेल या 10,000 रुपये का जुर्माना या दोनों सजा हो सकती है। वाणिज्यिक मात्रा (20 किलोग्राम या इससे अधिक) होनेपर 20 साल तक की जेल हो सकती है। इसके बीच की मात्रा के लिए 10 साल की जेल की सजा हो सकती है।

अधिकारी ने बताया, ‘‘सिंह का नाम एक मादक पदार्थ तस्कर से पूछताछ के दौरान सामने आया था।”

भारती सिंह टीवी पर कई कॉमेडी और रियलिटी शो में दिखती रही हैं।

एनसीबी जून में अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद बॉलीवुड में मादक पदार्थों के कथित सेवन की जांच कर रही है।

मेनका गांधी द्वारा भ्रष्टाचार के मामले की क्लोजर रिपोर्ट के बाद जांच के आदेश के खिलाफ दायर याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने  सीबीआई से जवाब मांगा attacknews.in

नयी दिल्ली, 20 नवम्बर । दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को भाजपा सांसद मेनका गांधी की उस याचिका पर सीबीआई से जवाब मांगा जिसमें उन्होंने एक निचली अदालत के उनके और दो अन्य के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले में एजेंसी की क्लोजर रिपोर्ट को खारिज करने और मामले में आगे की जांच का निर्देश देने वाले फैसले को चुनौती दी है।

न्यायमूर्ति योगेश खन्ना ने सीबीआई को नोटिस जारी करते हुए गांधी की याचिका पर उसे अपना रुख पेश करने के लिए कहा। न्यायाधीश ने साथ ही विशेष अदालत के गत चार फरवरी के आदेश के उस हिस्से पर रोक लगा दी जिसमें जांच एजेंसी को मेनका गांधी के खिलाफ अभियोजन के लिए मंजूरी देने वाले प्राधिकार के सामने दस्तावेज पेश करने का निर्देश दिया गया है।

2006 में भाजपा नेता और दो अन्य व्यक्तियों के खिलाफ दर्ज भ्रष्टाचार मामले के अनुसार, उन्होंने फर्जी तरीके से एक ट्रस्ट को अनुदान के रूप में 50 लाख रुपये की मंजूरी दी थी।

विशेष सीबीआई अदालत ने कहा था कि प्रथम दृष्टया उसका मानना है कि यह एक लोक सेवक द्वारा आपराधिक साजिश और आपराधिक कदाचार है। अदालत ने जांच एजेंसी को मामले की आगे जांच करने का निर्देश दिया था।

सीबीआई ने 2008 में ही मामले में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की थी और विशेष अदालत ने तब इसे खारिज कर दिया था और आगे की जांच के आदेश दिए थे।

उच्च न्यायालय को सूचित किया गया कि इसके बाद, उसने फिर से एक क्लोजर रिपोर्ट दायर की जिसे इस साल फरवरी में विशेष अदालत ने खारिज कर दिया था।

इंदौर हाईकोर्ट के जमानत आदेश के बाद कम्प्यूटर बाबा 11 दिन बाद जेल से रिहा,आपराधिक प्रकरणों के बारे में पूछे जाने पर हाथ जोड़ते हुए कहा, “मैं कुछ नहीं कहना चाहता।” attacknews.in

इंदौर, 19 नवंबर । मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के एक आदेश के बाद कम्प्यूटर बाबा को यहां बृहस्पतिवार देर शाम केंद्रीय जेल से रिहा कर दिया गया।

54 वर्षीय विवादास्पद धार्मिक नेता को उनका कथित रूप से अवैध आश्रम ढहाए जाने के दौरान एहतियाती कार्रवाई के तहत 11 दिन पहले गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था।

चश्मदीदों ने बताया कि गेरुआ वस्त्र पहने कम्प्यूटर बाबा रिहाई के बाद शहर के केंद्रीय जेल से अकेले बाहर निकले। जेल परिसर में पहले से जमा उनके चंद समर्थकों ने फूलमाला पहनाकर उनका स्वागत किया।

इस दौरान कम्प्यूटर बाबा ने मीडिया के कैमरों के सामने एक पर्चा पढ़ते हुए कहा, “सबसे पहले मैं अपने वकीलों को धन्यवाद देना चाहता हूं..सबको धन्यवाद…भगवान ने सत्य की जीत दी है।”

मीडिया के अलग-अलग सवालों के जवाब देने से साफ इनकार करते हुए कम्प्यूटर बाबा पहले से तैयार चारपहिया गाड़ी में सवार हुए और चंद ही पलों के भीतर जेल परिसर से रवाना हो गए। उनके खिलाफ हाल ही में दर्ज आपराधिक प्रकरणों के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने हाथ जोड़ते हुए कहा, “मैं कुछ नहीं कहना चाहता।”

इससे पहले, उच्च न्यायालय की इंदौर पीठ ने प्रदेश सरकार को बृहस्पतिवार को ही निर्देशित किया कि अगर किसी मामले की जांच के संबंध में उसे कम्प्यूटर बाबा की आवश्यकता न हो, तो उन्हें जेल से फौरन रिहा किया जाए।

न्यायमूर्ति एससी शर्मा और न्यायमूर्ति शैलेंद्र शुक्ला ने कम्प्यूटर बाबा की ओर से पेश बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर इस आशय का निर्देश दिया। युगल पीठ ने कहा कि उसके आदेश की प्रति केंद्रीय जेल के अधीक्षक तक तुरंत पहुंचाई जाए।

याचिका पर सुनवाई के दौरान अतिरिक्त महाधिवक्ता पुष्यमित्र भार्गव ने अदालत को बताया कि कम्प्यूटर बाबा को दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 151 (संज्ञेय अपराध घटित होने से रोकने के लिए की जाने एहतियातन गिरफ्तारी) से जुड़े मामले में रिहा करने का आदेश पहले ही दिया जा चुका है।

अधिकारियों ने बताया कि इंदौर शहर से सटे जम्बूर्डी हप्सी गांव में सरकारी जमीन पर बने कम्प्यूटर बाबा के कथित रूप से अवैध आश्रम को ढहाए जाने के दौरान धार्मिक नेता को आठ नवंबर को सीआरपीसी की धारा 151 के तहत ही जेल भेजा गया था।

उन्होंने बताया कि इस कार्रवाई के बाद कम्प्यूटर बाबा के खिलाफ शहर के गांधी नगर पुलिस थाने में दो और एरोड्रम पुलिस थाने में एक प्राथमिकी दर्ज की गई। ये मामले अलग-अलग लोगों से गाली-गलौज और मारपीट करते हुए उन्हें हथियार दिखाकर धमकाए जाने के आरोपों से जुड़े हैं।

कम्प्यूटर बाबा के वकील विभोर खंडेलवाल ने बताया कि तीनों मामलों में निचली अदालत में उनके मुवक्किल की जमानत अर्जियां मंजूर हो चुकी हैं।

गौरतलब है कि कम्प्यूटर बाबा का असली नाम नामदेव दास त्यागी है। उन्हें प्रदेश की भाजपा और कांग्रेस की पिछली सरकारों ने अलग-अलग निकायों में शामिल करते हुए राज्य मंत्री के दर्जे से नवाजा था। ये निकाय नर्मदा, क्षिप्रा और मन्दाकिनी सरीखी नदियों की हिफाजत के साथ ही जल संरक्षण तथा स्वच्छता के विषयों पर जन जागरूकता फैलाने के लिए गठित किए गए थे।

गैंगस्टर विकास दुबे से सांठगांठ पर कानपुर के पूर्व वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अनंत देव को निलंबित attacknews.in

लखनऊ, 12 नवंबर। कानपुर के बिकरू कांड मामले में विशेष अनुसंधान दल (एसआईटी) की जांच रिपोर्ट में पुलिस और गैंगस्टर विकास दुबे के बीच सांठगांठ की बात सामने आने के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने कानपुर के पूर्व वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अनंत देव को बृहस्पतिवार को निलंबित कर दिया।

गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव अवनीश कुमार अवस्थी ने बताया कि अनंत देव को निलंबित कर दिया गया है। उनके खिलाफ यह कार्रवाई एसआईटी की रिपोर्ट के आधार पर की गई है।

इस सवाल पर कि क्या कुछ अन्य पुलिस अधिकारी भी निलंबित किए गए हैं, अवस्थी ने कहा कि अभी फिलहाल अनंत देव के ही खिलाफ कार्रवाई की गई है।

गौरतलब है कि गत दो-तीन जुलाई की दरम्यानी रात को कानपुर के चौबेपुर थाना क्षेत्र स्थित बिकरू गांव में माफिया सरगना विकास दुबे को गिरफ्तार करने गई पुलिस टीम पर ताबड़तोड़ गोलियां चलाई गई थीं। इस वारदात में आठ पुलिसकर्मियों की मौत हो गई थी।

मामले की जांच के लिए गठित एसआईटी ने पुलिस तथा गैंगस्टर विकास दुबे के बीच सांठगांठ की बात उजागर करते हुए आरोपी पुलिसकर्मियों तथा प्रशासनिक अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की थी।

गुना में दिल दहलाने वाली घटना:मजदूरी मांगने पर मालिक राधेश्याम ने 26 साल के नौकर विजय को घासलेट डालकर जिंदा जलाकर मार डाला attacknews.in

गुना 7 नवम्बर । मध्यप्रदेश में एक दर्दनाक घटना में मालिक ने अपने नौकर को मजदूरी मांगने पर जिंदा जलाकर मार डाला ।

दिल दहला देने वाले मामले में, विजय सहारिया नाम के एक बंधुआ मजदूर को उसके उत्पीड़क और प्रमुख नियोक्ता, राधेश्याम ने जलाकर मार डाला।।

यह घटना मध्य प्रदेश के गुना जिले में हुई और यह देश में बंधुआ मजदूरी और जातिवाद की व्यापक प्रकृति को दर्शाता है। बंधुआ मुक्ति मोर्चा (बॉन्डेड लेबर लिबरेशन फ्रंट) और नेशनल कैम्पेन फॉर बॉन्डेड लेबर (NCCEBL) द्वारा इस घटना को उजागर किया गया है ।

मध्य प्रदेश के गुना जिले के बमोरी तहसील के निवासी 26 वर्षीय श्री विजय सहारिया को उसके मालिक राधेश्याम ने पिछले 3 वर्षों से बंधुआ मजदूर के रूप में बंदी बना रखा था, जिन्होंने उसे अपने कृषि क्षेत्रों में काम करने के लिए लगा रखा था। 6 नवंबर 2020 को, विजय ने राधेश्याम से पूछा कि क्या वह घर जा सकता है, जिससे बाद में मना कर दिया गया।

विजय तब अपनी मजदूरी माँगने के लिए आगे बढ़ा, हालाँकि यह सुनकर राधेश्याम उग्र हो गया और उसने विजय पर मिट्टी का तेल डाल दिया। उसने विजय को तब जलाया जब वह जीवित था। विजय गंभीर रूप से झुलस गया, और 7 नवंबर 2020 को गुना के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया।

गुना के लिए बंधुआ मुक्ति मोर्चा के जिला समन्वयक, श्री नरेंद्र भदौरिया को, 7 नवंबर 2020 को विजय के परिवार द्वारा इस घटना की सूचना दी गई थी। उन्होंने तुरंत दिल्ली में बंधुआ मुक्ति मोर्चा के प्रधान कार्यालय के सदस्यों को सूचित किया, जो तुरंत घटना पर कार्रवाई के तत्काल आगे आयें ।

संगठन ने गुना के जिला मजिस्ट्रेट, गुना के पुलिस अधीक्षक, मध्य प्रदेश के मुख्य सचिव, भारत सरकार के सचिव, अन्य संबंधित कार्यालयों में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष को घटना की सूचना देकर निम्नलिखित मांगें की हैं-

विजय का जारी प्रमाण पत्र तुरंत जारी किया जाना चाहिए ताकि क्षतिपूर्ति मांगी जा सके।बंधुआ मजदूर के परिवार को दिशानिर्देश के अनुसार मुआवजा मिलना चाहिए।मृतक बंधुआ मजदूर के परिवार को 2016 के बंधुआ मजदूर के पुनर्वास के लिए केंद्रीय क्षेत्र योजना के अनुसार पुनर्वास प्रदान करना चाहिए।दोषी पक्षों के खिलाफ तुरंत एफआईआर दर्ज की जानी चाहिए, और उन्हें उनकी कार्रवाई के लिए सख्त सजा दी जानी चाहिए।विजय के परिवार को राधेश्याम के खेत पर किए गए श्रम की मजदूरी मिलनी चाहिए। इसकी गणना 1948 के न्यूनतम मजदूरी अधिनियम के अनुसार की जानी चाहिए।साथ ही गुना जिले में कितने बंधुआ मजदूर मौजूद हैं और किस हालत में हैं, यह समझने के लिए तुरंत एक सर्वेक्षण किया जाना चाहिए।

पिछले 3 वर्षों में, BMM और NCCEBL ने मध्य प्रदेश के गुना जिले से 400 से अधिक बंधुआ मजदूरों को बचाया है। इनमें से अधिकांश श्रमिकों को कृषि क्षेत्र में काम करने के लिए बंधन में रखा जाता है।

इन तथ्यों को प्रशासन के ध्यान में लाने के बावजूद, उनके अंत से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। इस संबंध में ग्वालियर हाईकोर्ट में भी केस दायर किया गया है। इस क्षेत्र से कुछ मजदूर जो बंधनों से बच जाते हैं, वे क्षेत्र में कुछ जातियों के प्रभुत्व के कारण फिर से बंधन के शिकार हो जाते हैं।

बंधुआ मुक्ति मोर्चा को उम्मीद है कि ग्वालियर उच्च न्यायालय इस घटना पर ध्यान देगा और उस पर कार्रवाई करेगा, ताकि न्याय की मांग की जा सके। संगठन यह भी बताना चाहेगा कि यदि विजय के परिवार को राहत और मुआवजा नहीं मिला, तो हम उनके हक़ के लिए संघर्ष करते रहेंगे, और उपलब्ध न्यायिक सहायता का उपयोग करने के साथ-साथ विरोध भी करेंगे।

दिल्ली दंगों में गिरफ्तार JNU का पूर्व छात्र नेता उमर खालिद के खिलाफ गैर कानूनी गतिविधि अधिनियम के तहत चलेगा मुकदमा attacknews.in

नयी दिल्ली 06 नवम्बर । गृह मंत्रालय ने इस वर्ष के शुरू में दिल्ली में हुए दंगों के सिलसिले में जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र नेता उमर खालिद के खिलाफ गैर कानूनी गतिविधि (निवारण) अधिनियम के तहत मुकदमा चलाये जाने की मंजूरी दे दी है।

दिल्ली पुलिस ने उमर खालिद को इन दंगों के सिलसिले में गिरफ्तार किया था।

गृह मंत्रालय के सूत्रों ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि कानून के अनुसार किसी भी व्यक्ति के खिलाफ गैर कानूनी गतिविधि अधिनियम के तहत मुकदमा चलाने के लिए गृह मंत्रालय से मंजूरी लेनी होती है। पुलिस ने इन दंगों के संबंध में 15 लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया है।

दिल्ली पुलिस के एक अधिकारी ने भी बताया कि खालिद के खिलाफ इस अधिनियम के तहत मुकदमा चलाने के लिए दिल्ली सरकार और गृह मंत्रालय दोनों से मंजूरी मिल चुकी है।

चारा घोटाला में सजायाफ्ता लालू यादव के नौ नवंबर को जेल से बाहर आने का दावा करने वाले उनके पुत्र मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार तेजस्वी को झटका, अभी और करना होगा इंतज़ार, अगली सुनवाई 27 नवंबर को attacknews.in

रांची, 06 नवंबर । चारा घोटाला मामले में सजायाफ्ता राष्ट्रीय जनता दल (राजद) अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव के नौ नवंबर को जेल से बाहर आने का दावा करने वाले उनके पुत्र और बिहार विधानसभा के चुनाव में महागठबंधन के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार तेजस्वी प्रसाद यादव एवं पार्टी को झारखंड उच्च न्यायालय में जमानत पर सुनवाई की तिथि आगे बढ़ाए जाने से राजद सुप्रीमो के जेल से बाहर आने के लिए अभी और इंतजार करना होगा।

न्यायमूर्ति अपरेश कुमार सिंह की अदालत में आज दुमका कोषागार से अवैध निकासी मामले में श्री लालू प्रसाद यादव की ओर से दाखिल जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने इस पर जवाब दाखिल करनेेे के लिए समय देने की मांग की। इसके लिए अदालत ने सीबीआई को 24 नवंबर तक का वक्त दे दिया । अदालत ने सुनवाई की अगली तिथि 27 नवंबर निर्धारित की है।

मामले में श्री यादव के अधिवक्ता देवर्षि मंडल ने कुछ दिन पूर्व दुमका कोषागार से अवैध निकासी के मामले में जमानत याचिका दाखिल की थी। याचिका में उन्होंने आग्रह किया कि श्री यादव ने इस मामले में आधी सजा काट ली है इसलिए इन्हें जमानत दे दी जाए। हालांकि जमानत पर सुनवाई को लेकर नौ नवंबर 2020 की तारीख तय थी, लेकिन राजद अध्यक्ष के अधिवक्ता ने छह नवंबर को ही इनसे जुड़े मामले में जमानत पर सुनवाई करने का आग्रह किया था, जिसे अदालत ने स्वीकार कर लिया था।

चारा घोटाला में सजायाफ्ता श्री यादव फिलहाल रांची के राजेन्द्र आयुर्विज्ञान संस्थान (रिम्स) स्थित केली बंगले में रह रहे हैं। कोरोना के बढ़ते संक्रमण के कारण रिम्स में इलाजरत राजद अध्यक्ष को केली बंगला में शिफ्ट किया गया था।

श्री यादव 23 दिसंबर 2017 से चारा घोटाला मामले में जेल में बंद हैं। दुमका, देवघर और चाईबासा कोषागार से अवैध निकासी मामले में सीबीआई की विशेष अदालत इन्हें सजा सुना चुकी है। वहीं, देवघर और चाईबासा मामले में उन्हें जमानत मिल चुकी है।

उल्लेलखनीय है कि सीबीआई की विशेष अदालत ने दुमका कोषागार से अवैध निकासी मामले में राजद सुप्रीमों श्री यादव को सात साल की सजा सुनाई है।

मुंबई पुलिस का कारनामा:खात्मा किए जा चुके केस को शिकायती जांच बनाकर ‘रिपब्लिक टीवी’ के प्रधान संपादक अर्नब गोस्वामी को इंटीरियर डिजाइनर की आत्महत्या मामले में किया गिरफ्तार attacknews.in

मुम्बई/नईदिल्ली, चार नवम्बर । ‘रिपब्लिक टीवी’ के प्रधान संपादक अर्नब गोस्वामी को 53 वर्षीय इंटीरियर डिजाइनर को कथित रूप से आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में बुधवार को गिरफ्तार कर लिया गया।

पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि अलीबाग पुलिस की एक टीम ने गोस्वामी को यहां उनके घर से गिरफ्तार किया।

गोस्वामी को पुलिस वैन में बैठाते हुए देखा गया।

इस दौरान गोस्वामी ने दावा किया कि पुलिस ने उनके घर पर उनके साथ बदसलूकी की।

अधिकारी ने बताया कि 2018 में एक आर्किटेक्ट और उनकी मां ने कथित तौर पर गोस्वामी के रिपब्लिक टीवी द्वारा उनके बकाया का भुगतान न किए जाने के कारण आत्महत्या कर ली थी।

इस वर्ष मई में महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने आर्किटेक्ट अन्वय नाइक की बेटी अदन्या नाइक की नई शिकायत के आधार पर फिर से जांच का आदेश दिये जाने की घोषणा की थी।

देशमुख ने बताया था कि अदन्या ने आरोप लगाया है कि अलीबाग पुलिस ने गोस्वामी के चैनल द्वारा बकाया भुगतान ना करने के मामले में जांच नहीं की। उसका दावा है कि इस कारण ही उसके पिता और दादी ने मई 2018 में आत्महत्या कर ली थी।

अर्नब गोस्वामी की गिरफ्तारी आपातकाल की याद दिलाती है: जावड़ेकर

रिपब्लिक टीवी के प्रधान संपादक अर्नब गोस्वामी की गिरफ्तारी पर प्रतिक्रिया देते हुए सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बुधवार को कहा कि यह महाराष्ट्र में “प्रेस की स्वतंत्रता पर हमला है” और इससे “आपातकाल के दिनों” की याद आती है।

एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि गोस्वामी को 53 वर्षीय एक इंटीरियर डिजाइनर को आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में बुधवार को गिरफ्तार किया गया।

जावड़ेकर ने ट्वीट किया, “महाराष्ट्र में प्रेस की स्वतंत्रता पर हमले की हम निंदा करते हैं। प्रेस के साथ पेश आने का यह तरीका नहीं है। इससे आपातकाल के दिनों की याद आती है जब प्रेस के साथ इस प्रकार का व्यवहार किया जाता था।”

अलीबाग पुलिस के एक दल ने मुंबई स्थित गोस्वामी के आवास से उन्हें गिरफ्तार किया।

गोस्वामी को पुलिस वैन में धकेले जाते हुए देखा गया और उन्होंने दावा किया कि पुलिस ने उनके साथ बदसलूकी की।

नड्डा, केंद्रीय मंत्रियों ने अर्नब गोस्वामी की गिरफ्तारी की आलोचना की

भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा और केंद्र सरकार के वरिष्ठ मंत्रियों ने बुधवार को रिपब्लिक टीवी के प्रधान संपादक अर्नब गोस्वामी की मुंबई पुलिस द्वारा की गई गिरफ्तारी की कटु आलोचना की।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इसे ‘‘सत्ता का खुल्लम-खुल्ला दुरुपयोग’’ करार दिया और कहा कि यह घटना आपातकाल की याद दिलाती है।

पुलिस ने 53 वर्षीय एक इंटीरियर डिजाइनर को कथित तौर पर आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में गोस्वामी को सुबह उनके मुंबई स्थित घर से गिरफ्तार किया।

शाह ने ट्वीट कर आरोप लगाया, ‘‘कांग्रेस और उसके सहयोगियों ने एक बार फिर लोकतंत्र को कलंकित किया है। रिपब्लिक टीवी और अर्नब गोस्वामी के खिलाफ सत्ता का खुल्लम-खुल्ला दुरुपयोग व्यक्तिगत आजादी और लोकतंत्र के खैथे खम्भे पर पर हमला है।’’

उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘यह घटना आपातकाल की याद दिलाता है। प्रेस की आजादी पर इस हमले का विरोध जरूर होना चाहिए और विरोध किया जाएगा।’’

नड्डा ने अर्नब गोस्वामी की गिरफ्तारी की निंदा करते हुए इसे कांग्रेस नेताओं सोनिया गांधी और राहुल गांधी निर्देशित ‘‘शर्मनाक कृत्य’’ करार दिया।

नड्डा ने ट्वीट कर कहा, ‘‘प्रत्येक व्यक्ति जो प्रेस की आजादी और अभिव्यक्ति की आजादी में विश्वास करता है वह महाराष्ट्र सरकार की दादागीरी और अर्नब गोस्वामी को प्रताड़ित करने से गुस्से में है। असहमत होने वालों की आवाज दबाने का यह सोनिया और राहुल गांधी निर्देशित कृत्य का एक और उदाहरण है। शर्मनाक!’’

महाराष्ट्र में शिवसेना, कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) की गठबंधन सरकार है जिसका नेतृत्व उद्धव ठाकरे कर रहे हैं।

नड्डा ने एक अन्य ट्वीट में कहा कि भारत ने आपातकाल के लिए पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को माफ नहीं किया, प्रेस की आजादी पर हमले के लिए पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को भी कभी माफ नहीं किया।

उन्होंने कहा, ‘‘और अब पत्रकारों के खिलाफ राज्य की सत्ता का इस्तेमाल किए जाने के लिए भारत, सोनिया और राहुल गांधी को फिर दंडित करेगा।’’

सूचना और प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर, कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद और विदेश मंत्री एस जयशंकर सहित कई केंद्रीय मंत्रियों ने भी ट्वीट कर अर्नब गोस्वामी की गिरफ्तारी के लिए महाराष्ट्र सरकार को आड़े हाथों लिया।

जयशंकर ने इसे ‘‘प्रेस की आजादी पर हमला’’ बताया और ट्वीट कर कहा, ‘‘जो इस आजादी पर विश्वास करते हैं उन्हें आवाज उठानी चाहिए…।’’

प्रसाद ने गोस्वामी की गिरफ्तारी को ‘गंभीर रूप से निंदनीय, अनुचित और चिंताजनक’ करार दिया।

उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र सरकार ‘प्रेस की आजादी का खुलेआम दमन’ कर रही है और ऐसे में भी कांग्रेस नेतृत्व चुप है।

प्रसाद ने ट्वीट किया, ‘‘वरिष्ठ पत्रकार अर्नब गोस्वामी की गिरफ्तारी गंभीर तौर पर निंदनीय, अनुचित और चिंताजनक है। हमने 1975 में बेरहम आपातकाल का विरोध करते हुए प्रेस की आजादी के लिए लड़ाई लड़ी थी।’’

उन्होंने कहा कि कांग्रेस नेता सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने ‘संस्थानों पर हमलों के मनगढंत आरोपों के जरिये मोदी सरकार पर हमले किये हैं’ लेकिन जब महाराष्ट्र में उनकी ही सरकार प्रेस की आजादी ‘का खुलकर दमन’ कर रही है तो वे पूरी तरह चुप हैं।

प्रसाद ने इसे ‘पाखंड’ का सटीक उदाहरण भी कहा।

उन्होंने कहा, ‘‘मतभेद हो सकते हैं, बहस हो सकती है और सवाल भी पूछे जा सकते हैं। लेकिन, क्योंकि वह सवाल पूछ रहे हैं इसलिए पुलिस के अधिकारों का दुरुपयोग करते हुए अर्नब गोस्वामी जैसे कद के पत्रकार की गिरफ्तारी की हम सभी को निंदा करनी चाहिए।’’

जावड़ेकर ने गोस्वामी की गिरफ्तारी पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि महाराष्ट्र में यह “प्रेस की स्वतंत्रता पर हमला है” और “आपातकाल के दिनों” की याद दिलाती है।

वरिष्ठ भाजपा नेता ने सिलसिलेवार ट्वीट कर कांग्रेस को भी आड़े हाथों लिया और आरोप लगाया कि कांग्रेस की मानसिकता “फासीवादी और आपातकाल वाली है।”

जावड़ेकर ने ट्वीट किया, “महाराष्ट्र में प्रेस की स्वतंत्रता पर हमले की हम निंदा करते हैं। प्रेस के साथ पेश आने का यह तरीका नहीं है। इससे आपातकाल के दिनों की याद आती है जब प्रेस के साथ इस प्रकार का व्यवहार किया जाता था।”

उन्होंने कहा, “सोनिया गांधी और राहुल गांधी के नेतृत्व में फासीवादी और आपातकाल की मानसिकता वाली कांग्रेस की हम निंदा करते हैं। महाराष्ट्र में यही हो रहा है।”

अलीबाग पुलिस के एक दल ने मुंबई स्थित गोस्वामी के आवास से उन्हें गिरफ्तार किया।

गोस्वामी ने दावा किया कि पुलिस ने उनके साथ बदसलूकी की। उन्हें पुलिस वैन में धकेले जाते हुए देखा गया।

पुलिस अधिकारी ने कहा कि 2018 में गोस्वामी के रिपब्लिक टीवी द्वारा कथित तौर पर बकाया राशि न दिए जाने पर एक आर्किटेक्ट और उनकी मां ने आत्महत्या कर ली थी।

कानून का पालन करती है महाराष्ट्र पुलिस: राउत

शिव सेना नेता संजय राउत ने रिपब्लिकन टीवी के एडिटर इन चीफ अर्नब गोस्वामी को बुधवार सुबह मुंबई में पुलिस हिरासत में लिये जाने का बचाव करते हुए कहा राज्य पुलिस कानून का पालन करती है।

पुलिस ने आज सुबह अर्नब गोस्वामी को हिरासत में लिया है।

श्री राउत ने अर्नब के हिरासत में लिये जाने पर कहा महाराष्ट्र पुलिस कानून का पालन करती है। पुलिस के पास यदि किसी के खिलाफ कोई सबूत है तो वह उस पर कार्रवाई कर सकती है।

उन्होंने कहा कि जब से राज्य में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में सरकार आई है किसी के खिलाफ कोई बदले की कार्रवाई नहीं की गई है।

सोना तस्करी में गिरफ्तार IAS अधिकारी शिवशंकर ने 2019 और 2020 के बीच 21 खेप सप्लाई।की तस्करी में सीधे शामिल रहे,हवाई अड्डे पर जांच के बिना मंजूरी के लिए हस्तक्षेप किया attacknews.in

कोच्चि, 30 अक्टूबर । सोने की तस्करी मामले में पैसों के लेन-देन की जांच कर रहे प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मुख्यमंत्री के पूर्व प्रधान सचिव एम शिवशंकर के खिलाफ कई आरोप लगाए हैं। शिवशंकर को इस बहुचर्चित मामले में बुधवार की रात गिरफ्तार किया गया था।

केंद्रीय एजेंसियां-एनआईए, सीमा शुल्क विभाग और ईडी, पांच जुलाई को तिरुवनंतपुरम अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर एक राजनयिक सामान से करीब 15 करोड़ रुपये मूल्य के सोने की जब्ती की अलग-अलग जांच कर रही हैं।

ईडी ने आरोप लगाया है कि शिवशंकर ने हवाई अड्डे पर सोने वाले राजनयिक सामान को सीमा शुल्क विभाग की जांच के बिना मंजूरी के लिए हस्तक्षेप किया था।

शिवशंकर को यहां की एक अदालत ने सात दिनों के लिए एजेंसी की हिरासत में भेज दिया है।

ईडी ने गिरफ्तारी आदेश में दावा किया है कि 15 अक्टूबर को दिए गए अपने बयान में शिवशंकर ने स्वीकार किया कि उन्होंने सोना तस्करी मामले में मुख्य आरोपी स्वप्ना सुरेश की इच्छानुसार एक वरिष्ठ सीमा शुल्क अधिकारी से बातचीत और अनुरोध किया था।

ईडी ने आदेश में कहा, ‘‘यह स्वप्ना सुरेश द्वारा किए गए अपराधों में आपकी सीधी संलिप्तता को स्पष्ट करता है।”

जांच एजेंसी ने कहा कि शिवशंकर और स्वप्ना के बीच व्हाट्सएप चैट से पता चलता है कि स्वप्ना ने कुछ काम के लिए शिवशंकर से हवाई अड्डा के टर्मिनल मैनेजर व अन्य अधिकारियों के साथ हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया था।

एजेंसी ने कहा कि यह लोक कार्यालय के दुरुपयोग और अन्य सरकारी विभागों के कामकाज में हस्तक्षेप करने के समान भी है।

एजेंसी ने कहा, ‘‘यह पाया गया है कि 2019 और 2020 के बीच 21 खेप भेजी गयी थीं और शिवशंकर के शामिल होने से अपराध में मदद मिली है।’’

एजेंसी ने बृहस्पतिवार को अधिकारी को 14 दिनों की हिरासत में देने का अनुरोध किया, जब उन्हें विशेष धनशोधन निवारण कानून (पीएमएलए) संबंधी अदालत में पेश किया गया।

इसने कहा कि पीएमएलए जांच में पता चला है कि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की तिरुवनंतपुरम सिटी शाखा में 30 नवंबर, 2018 को शिवशंकर के निर्देश पर स्वप्ना सुरेश और उनके चार्टर्ड एकाउंटेंट पी वेणुगोपाल के नाम से संयुक्त रूप से बैंक लॉकर किराए पर लिया गया था।

ईडी ने कहा कि वेणुगोपाल ने भी स्वीकार किया है कि शिवशंकर चाहते थे कि वह स्वप्ना सुरेश के वित्त का प्रबंधन करें। वेणुगोपाल ने इस संबंध में व्हाट्सएप संदेश पेश किए हैं।

अदालत ने अधिकारी को सात दिनों के लिए प्रवर्तन निदेशालय की हिरासत में भेजते हुए कहा कि इस दौरान आरोपी को किसी भी तरह से प्रताड़ित नहीं किया जाए। उन्हें अपने वकील से संपर्क करने की आजादी दी जाएगी और पूछताछ अगर तीन घंटे तक जारी रहती है तो बीच में एक घंटे का ब्रेक होगा।

अदालत ने यह भी निर्देश दिया है कि पूछताछ केवल सुबह नौ बजे से शाम छह बजे तक की जाएगी और शाम छह बजे के बाद कोई पूछताछ नहीं होगी।

अर्नाकुलम के प्रधान सत्र न्यायाधीश तौफिक ने मामले की सुनवाई के बाद शिवशंकर को 7 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजने का आदेश दिया। ईडी ने शिवशंकर को दो सप्ताह की हिरासत में भेजने का अनुरोध किया था।

शिवशंकर ने न्यायालय को बताया कि उन्हें हिरासत में प्रताड़ित किया जा रहा है और वह विभिन्न शारीरिक बीमारियों से पीड़ित हैं। इसके बाद अदालत ने ईडी अधिकारियों को शिवशंकर को उनके वकील से मुलाकात सुनिश्चित करने तथा तीन घंटों तक लगातार पूछताछ के बाद एक घंटे का विश्राम देने का भी निर्देश दिया।

रिपोर्टाें के मुताबिक तिरुवनंतपुरम के आयुर्वेदिक अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती शिवशंकर ने बुधवार को ईडी के हिरासत में लेने के बाद से कुछ भी नहीं खाया है। अधिकारियों के अनुरोध के बावजूद भी उन्होंने कुछ भी खाने से साफ इंकार कर दिया।

बुधवार की रात यहां के सरकारी अस्पताल में शिवशंकर की चिकित्सा जांच की गयी। जांच के दौरान डाक्टरों ने उनकी स्वास्थ्य की स्थिति पर संतोष व्यक्त किया।

हरियाणा का जबरिया लव जेहाद: उसने बार बार निकिता को यही कहा, ‘मुस्लिम बन जा हम निकाह कर लेंगे’ मगर लड़की ने उसकी बात नहीं सुनी तो गोली मार कर हत्या कर दी:एसआईटी ने जांच शुरू की attacknews.in

फरीदाबाद(हरियाणा), 28 अक्तूबर । निकिता तोमर हत्याकांड की जांच के लिए गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) बुधवार सुबह पीड़िता के घर पहुंची और उसने मामले की जांच शुरू कर दी है।

निकिता हत्याकांड को लेकर मंगलवार को वल्लभगढ़ में हुए प्रदर्शन के बाद हरियाणा की मनोहर लाल खट्टर नीत सरकार ने मामले की जांच के लिए एसआईटी गठित करने का आदेश दिया था।

इस बीच, केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं आधिकारिता राज्य मंत्री कृष्णपाल गुर्जर बुधवार को निकिता के परिजनों से मिलने सेक्टर-23 स्थित उनके घर पहुंचे। उन्होंने पत्रकारों से कहा, ‘‘ फरीदाबाद की बेटी निकिता की दिनदहाड़े हुई हत्या के मामले में पीडि़त परिवार को पूरा न्याय मिलेगा। ’’

उल्लेखनीय है कि अग्रवाल कॉलेज की छात्रा निकिता की बीते सोमवार एक युवक ने हत्या कर दी थी।

इसबीच, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने आरोपियों को जल्द से जल्द सजा दिलवाने की मांग को लेकर बुधवार को बल्लभगढ़ स्थित अग्रवाल कॉलेज के बाहर प्रदर्शन किया। वहीं, एनएसयूआई के कार्यकर्ताओं ने जिला उपायुक्त कार्यालय पर प्रदर्शन किया।

हमारा मजहब कबूल कर के मेरे बेटे की हो जाओ’: तौसीफ की अम्मी ने भी बनाया था निकिता पर धर्म परिवर्तन का दबाव-

हरियाणा के बल्लभगढ़ में कॉलेज से निकल रही छात्रा निकिता पर घात लगाए तौसीफ और रेहान ने हमला कर दिया था । सीसीटीवी फुटेज में साफ दिख रहा है कि दोनों आरोपितों ने पहले निकिता का अपहरण करने की कोशिश की। इसमें नाकाम रहने पर निकिता की कनपटी पर गोली मारने के बाद तौसीफ अपने साथी रेहान के साथ फरार हो गया।

पीड़िता के पिता का दावा है कि आरोपित तौसीफ ही नहीं बल्कि उसकी माँ भी उनकी बेटी निकिता पर धर्म परिवर्तन का दबाव बनाती रहती थी। यह सिलसिला बीते दो साल से चल रहा था।

छात्रा के पिता ने आरोपित तौसीफ की माँ पर आरोप लगाया है कि वह बार-बार फोन कर के उनकी बेटी पर दबाव डालती थी कि तुम हमारा मजहब कबूल कर लो। यह सिलसिला उस वक्त से चल रहा था जब 2018 में तौसीफ ने पहली बार निकिता का अपहरण किया था।

पीड़िता के पिता का कहना है कि पहली बार जब बच्ची का अपहरण हुआ था तो उसे छुड़ा लिया गया था। लेकिन उस हादसे के बाद से ही तौसीफ की माँ बार-बार निकिता को फोन कर कहती थी, “तुम हमारा मजहब कबूल कर लो। अब तुमसे कौन शादी करेगा। तुम्हारा अपहरण भी हो गया है और अब तुम्हारा क्या होगा। तुम हमारा मजहब कबूल कर मेरे बेटे की हो जाओ।”

26 अक्टूबर को हुए इस हत्याकांड के मामले में मुख्य आरोपित तौसीफ और उसके दोस्त रेहान को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। गिरफ्तार करने के बाद दोनों आरोपितों को कोर्ट में पेश किया गया है, जहाँ से उन्हें 2 दिन के पुलिस रिमांड में भेज दिया गया।

बताया जा रहा है कि पुलिस पूछताछ में आरोपित ने अपना गुनाह कबूल लिया है और हत्या के पीछे का मकसद भी बताया है।

तौसीफ ने कहा- किसी और से करने वाली थी शादी, इसलिए मारा

जानकारी के मुताबिक पुलिस गिरफ्त में आए तौसीक ने पूछताछ में बताया कि वो (निकिता) किसी और से शादी करने वाली थी, इसलिए उसने उसे मार दिया।

आरोपित ने पुलिस को यह भी बताया कि उसकी छात्रा से 24 से 25 अक्टूबर की रात लंबी बातचीत हुई थी। दोनों के बीच करीब 1000 सेकंड तक बात हुई थी।

तौसीफ ने पुलिस को यह भी बताया कि उसकी मेडिकल की पढ़ाई अधूरी रह गई थी, क्योंकि उसे गिरफ्तार कर लिया गया था।

तौसीफ ने पुलिस से पूछताछ में बताया है कि उसने अपनी गिरफ्तारी का बदला लिया है। उसने पुलिस को बताया, “मैं मेडिकल की पढ़ाई नहीं कर सका क्योंकि मैं गिरफ्तार हो गया था। इसलिए मैंने ये बदला लिया।”

दरअसल, तौसीफ 12वीं कक्षा तक निकिता के साथ पढ़ा था। वह उस पर दोस्ती के लिए दबाव डालता था। आरोपित ने साल 2018 में छात्रा का अपहरण भी किया था, लेकिन बाद में समझौता हो गया था। बदनामी से बचने के लिए निकिता के परिजन बात को ज्यादा आगे नहीं बढ़ाना चाहते थे। आरोपित तौसीफ के परिजन भी निकिता के घर आए और एक पंचायत में माफी के साथ यह तय हुआ कि आगे से ऐसी गलती दोबारा नहीं होगी। समझौता करने के बाद उन्होंने केस वापस ले लिया था।

परिवार की तरफ से यह भी बताया गया कि तौसीफ कुछ दिनों से निकिता पर शादी का दबाव बना रहा था। सोमवार शाम को वो परीक्षा देकर बाहर निकल रही थी तभी तौसीफ आया और जबरदस्ती गाड़ी में खींचने लगा। जब लड़की नहीं मानी तो उसने गोली मार दी।

गौरतलब है कि निकिता तोमर के घरवालों ने आरोप लगाया है कि निकिता पर तौसीफ धर्म परिवर्तन का दबाव बना रहा था। तीन साल पहले इस संबंध में पंचों के सामने फैसला भी हुआ, लेकिन अभी हाल में दोबारा तौसीफ ने लड़की के संपर्क में आने का प्रयास किया। उसने बार बार निकिता को यही कहा, ‘मुस्लिम बन जा हम निकाह कर लेंगे’ मगर जब लड़की ने उसकी बात नहीं सुनी तो उसकी गोली मार कर हत्या कर दी।

UAE से केरल भारतीय राजनयिक के सामान के साथ सोना तस्करी करने वाले निलंबित आईएएस अधिकारी एम. शिवशंकर को ईडी ने हिरासत में लिया attacknews.in

कोच्चि, 28 अक्टूबर । केरल उच्च न्यायालय ने सोने की तस्करी से जुड़े मामले में भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के निलंबित अधिकारी एम. शिवशंकर की अंतरिम जमानत याचिकाएं खारिज होने के बाद बुधवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने उन्हें हिरासत में ले लिया।

ईडी अधिकारियों की एक टीम ‘आयुर्वेद अस्पताल’ पहुंची और उन्हें हिरासत में ले लिया। केरल के मुख्यमंत्री के पूर्व प्रधान सचिव का वहां इलाज चल रहा था।

शिवशंकर को कार में एर्णाकुलम ले जाया गया।

इससे पहले, शिवशंकर की दो अंतरिम जमानत याचिकाओं को बुधवार को खारिज कर दिया गया था। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और सीमा शुल्क विभाग मामले की जांच कर रहा है।

उल्लेखनीय है कि सीमा शुल्क विभाग ने गत पांच जुलाई को 15 करोड़ रुपये मूल्य का 30 किलोग्राम सोना जब्त किया था।

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए), सीमा शुल्क विभाग और प्रवर्तन निदेशालय समेत केंद्रीय एजेंसियां इस मामले में अलग अलग जांच कर रही हैं।

एनआईए ने इस मामले में गैर कानूनी गतिविधि रोकथाम कानून के तहत सुरेश, सरित पीएस, संदीप नायर और फैजल फरीद सहित कई लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है।

सुरेश और सरित संयुक्त अरब अमीरात के वाणिज्य दूतावास के पूर्व कर्मचारी हैं।

मामला संयुक्त अरब अमीरात के तिरुवनंतपुरम स्थित वाणिज्य दूतावास के एक अधिकारी के नाम का इस्तेमाल कर राजनयिक सामान के जरिए सोने की तस्करी की कोशिश से जुड़ा है।