मध्यप्रदेश के 5% से अधिक तथा 5% से कम संक्रमण जिलों के लिए अनलॉक की पृथक गाइड लाइन होगी,संक्रमण बढ़ा तो पुन: लागू होंगे प्रतिबंध attacknews.in

भोपाल, 29 मई ।मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि 01 जून से प्रदेश में अनलॉक की प्रक्रिया प्रारंभ हो रही है।

अनलॉक के संबंध में मंत्री समूहों द्वारा दी गई अनुशंसाओं को सभी क्राइसिस मैनेजमेंट समूहों को भिजवा दिया गया है। इनपर 30 मई को शाम तक सभी क्राइसिस मैनेजमेंट समूह चर्चा कर अनलॉक प्रक्रिया के संबंध में निर्णय लेकर 31 मई को जनसामान्य को अवगत करा देंगे।

श्री चौहान आज निवास से वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से प्रदेश में ‘अनलॉक’ के संबंध में प्रभारी मंत्रियों, प्रभारी अधिकारियों, कमिश्नर,आई.जी., कलेक्टर, पुलिस अधीक्षकों से चर्चा कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि प्रदेश के 5 फीसदी से अधिक संक्रमण वाले तथा 5 फीसदी से कम संक्रमण वाले जिलों के लिए अनलॉक की पृथक-पृथक गाइड लाइन होगी। प्रदेश के इंदौर, भोपाल, सागर तथा मुरैना जिलों में 5 फीसदी से अधिक संक्रमण है। यदि कही भी संक्रमण बढ़ता है तो प्रतिबंध पुन: लागू किए जाएं।

प्रदेश के सभी राष्ट्रीय उद्यान एक जून से खुलेंगे-शाह

मध्यप्रदेश के वन मंत्री डॉ. कुंवर विजय शाह ने कहा है कि कोरोना काल में प्रदेश के सभी बंद राष्ट्रीय उद्यान एक जून से 30 जून तक के लिये खोले जायेंगे।

श्री शाह ने बताया है कि कोरोना के चलते नेशनल पार्कों में जिन गाइडों,जिप्सी ड्राइवर आदि व्यक्तियों को रोजगार की दिक्कत महसूस की जा रही थी, उन्हें अब रोजगार मिलेगा। पर्यटन गतिविधियों को संचालित करने के दृष्टिगत भी यह निर्णय लिया गया।

शिवराज सिंह चौहान ने आरोप लगाया कि कांग्रेस और उसके नेता असत्य और भ्रम फैलाकर कोरोना से निपटने में व्यस्त राज्य सरकार को बदनाम करने का प्रयास कर रहे हैं attacknews.in

भोपाल, 29 मई । मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज आरोप लगाते हुए कहा कि कांग्रेस और उसके नेता असत्य और भ्रम फैलाकर कोरोना संकटकाल से निपटने में व्यस्त राज्य सरकार को बदनाम करने का प्रयास कर रही है।

श्री चौहान ने एक बयान में कहा कि वे और उनकी सरकार जनता के साथ मिलकर कोरोना नियंत्रण के प्रयासों में लगे हुए हैं। हमारी कोशिश है कि हम परिस्थितियों को जल्द से जल्द सामान्य बना दें। हम जनता के साथ मिलकर प्रयासों में लगे हैं। उन्होंने कहा कि लेकिन कांग्रेस झूठ बोलकर मध्यप्रदेश में आग लगाना चाहती है।

श्री चौहान ने कहा कि कांग्रेस के झूठ का स्तर तो देखिए। कल मैहर में प्रेस को संबोधित करते हुए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ अपने बयान में कह रहे हैं ‘अभी मैं रामचंद्र अग्रवाल जी से मिलकर आया हूं। उन्होंने मुझे बताया कि उनकी मृत्यु रेमडेसिविर इंजेक्शन से हुई है।’

श्री चौहान ने तंज कसते हुए कहा कि अब मृत्यु के बाद स्वर्गीय रामचंद्र अग्रवाल श्री कमलनाथ को बता रहे हैं कि उनकी मृत्यु नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन से हुई है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि कांग्रेस का स्तर कितने नीचे चला गया है।

उन्होंने कहा कि इस दल का प्रयास है कि एेन केन प्रकारेण प्रदेश में आग लगाओ और सरकार को बदनाम करो। ऐसी कांग्रेस से सावधान रहने और प्रदेश को बचाने की जरूरत है।

मध्यप्रदेश में रिकवरी रेट 95 प्रतिशत हुयी – शिवराज

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज कहा कि कोरोना की स्थिति में सुधार के बावजूद हम सबको अतिसतर्क रहना है।

श्री चौहान ने यहां अपने वीडियो संदेश में कहा कि राज्य में कल लगभग 76,000 टेस्ट किए गए, जिनमें से 1640 नए संक्रमित मिले। औसत संक्रमण दर (पॉजीटिविटी रेट) 2़ 1 प्रतिशत पर आ गयी है। इसी तरह स्वस्थ होने वालों की संख्या (रिकवरी रेट) बढ़कर 95 प्रतिशत हो गयी है।

श्री चौहान ने कहा कि इसके अलावा 4995 मरीज स्वस्थ हुए हैं। डिंडोरी जिले में एक भी नया प्रकरण नहीं आया है। उन्होंने इसके लिए वहां के प्रशासन की सराहना की। कुल 52 में से 23 जिलों में दस दस से कम प्रकरण दर्ज किए गए। मुरैना जिले में चिंता की बात है। वहां पर प्रकरण 48 से बढ़कर 75 हुए हैं। वहां के नागरिक कोरोना कर्फ्यू संबंधी गाइडलाइन का सख्ती से पालन करें।

श्री चौहान ने कहा कि इंदौर, भोपाल, रतलाम, सागर और अनूपपुर जिलों में सात दिनों की औसत संक्रमण दर 5 प्रतिशत के आसपास है। यहां पर भी चिंता करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि इन स्थितियों के बावजूद पूरे प्रदेश को अतिसतर्क रहना है और कोराेना वायरस के संक्रमण को फैलने से पूरी तरह रोकना है।

“नमक के पानी से गरारे” द्वारा कोरोना की जांच करने के लिए भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद की मंजूरी मिली,इस आरटी-पीसीआर विधि से 3 घंटे में मिलेगा परिणाम attacknews.in

नमक के पानी से गरारे, कोई स्वैब नहीं, सरल, तेज और सस्ता

तीन घंटे के भीतर परिणाम मिल जाएगा, ग्रामीण एवं जनजातीय क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है

नईदिल्ली 28 मई ।वैश्विक महामारी कोविड-19 का प्रकोप शुरू होने के बाद से ही भारत अपने यहाँ इसकी जांच (परीक्षण) के बुनियादी ढांचे और क्षमता को बढ़ाने के लिए कई कदम उठा रहा है।

वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) के तहत नागपुर स्थित राष्ट्रीय पर्यावरण अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान (एनईईआरआई) के वैज्ञानिकों ने इस कड़ी में एक और कीर्तिमान बना लिया है जिसके अंतर्गत जिसमें कोविड-19 के नमूनों के परीक्षण के लिए ‘नमक के पानी से गरारे (सलाइन गार्गल) आरटी-पीसीआर विधि’ ढूंढ ली गयी हैI

एक विधि से कई लाभ : सरल, तेज़, आरामदायक और किफायती:

नमक के पानी से गगारे (सेलाइन गार्गल) की इस विधि से कई प्रकार के लाभ एक साथ मिलते हैंI यह विधि सरल, तेज, लागत प्रभावी, रोगी के अनुकूल और आरामदायक है और इससे परिणाम भी जल्दी मिलते हैंI न्यूनतम बुनियादी ढांचा आवश्यकताओं को देखते हुए यह विधि ग्रामीण और जनजातीय क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है।

पत्र सूचना कार्यालय से बातचीत में राष्ट्रीय पर्यावरण अभियांत्रिकी अनुसन्धान संस्थान (एनईईआरआई) में पर्यावरण विषाणु विज्ञान प्रकोष्ठ के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. कृष्णा खैरनार ने कहा कि : “स्वैब संग्रह विधि के लिए समय की आवश्यकता होती है। इसके अलावा, चूंकि इस तकनीक में सम्भावित संक्रमितों जांच के दौरान कुछ असुविधा का सामना भी करना पढ़ सकता है जिससे वे कभी-कभी असहज भी हो सकते। साथ ही इस प्रकार से एकत्र किए गए नमूनों को एकत्रीकरण केंद्र और जांच केंद्र तक ले जाने में भी कुछ समय लगता है। वहीं दूसरी ओर, नमक के पानी से गरारे (सेलाइन गार्गल) की आरटी-पीसीआर विधि तत्काल, आरामदायक और रोगी के अनुकूल है। नमूना तुरंत ले लिया जाता है और तीन घंटे में ही परिणाम मिल जाएगा।”

रोगी स्वयं ही अपना नमूना एकत्र कर सकता है:

डॉ. खैरनार के अनुसार यह विधि गैर-आक्रामक और इतनी सरल है कि रोगी स्वयं नमूना एकत्र कर सकता है।

उन्होंने कहा कि, “नाक से और मुंह से नासोफेरींजल और ऑरोफरीन्जियल स्वैब एकत्र करने जैसी संग्रह विधियों के लिए तकनीकी विशेषज्ञता की आवश्यकता होती है और इनमें समय भी लगता है। इसके विपरीत, नमक के पानी से गरारे (सेलाइन गार्गल) की आरटी-पीसीआर विधि में नमक के पानी (सेलाइन वाटर) से भरी एक साधारण संग्रह ट्यूब का उपयोग किया जाता है। रोगी इस घोल से गरारे करता है और उसे ट्यूब के अंदर डाल देता है। संग्रह ट्यूब में यह नमूना प्रयोगशाला में ले जाया जाता है जहां इसे कमरे के तापमान पर एनईईआरआई द्वारा तैयार एक विशेष बफर घोल (सौल्युशन) में रखा जाता है। इस घोल को गर्म करने पर एक आरएनए टेम्प्लेट तैयार किया जाता है, जिसे आगे रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन पोलीमरेज़ चेन रिएक्शन (आरटी-पीसीआर) के लिए संसाधित किया जाता है। नमूना एकत्र करने और उसे संसाधित करने की यह विशेष विधि हमें आरएनए निष्कर्षण की दूसरी अन्य महंगी ढांचागत आवश्यकता के स्थान पर इसका प्रयोग करने के लिए सक्षम बनाती है। लोग इससे स्वयं का परीक्षण भी कर सकते हैं, क्योंकि इस विधि अपना नमूना (सैम्पल) खुद ही लिया जा सकता है।” यह विधि पर्यावरण के अनुकूल भी है, क्योंकि इसमें अपशिष्ट उत्पादन कम से कम होता है।

ग्रामीण और जनजातीय क्षेत्रों में परीक्षण के लिए वरदान:

वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि परीक्षण की यह अनूठी तकनीक ऐसे ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों के लिए विशेष रूप से लाभप्रद सिद्ध होगी जहां अभी तक बुनियादी ढांचे की आवश्यकताएं एक बाधा के रूप में सामने आ सकती हैं। इस गैर-तकनीक को भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) की मंजूरी मिल गई है। साथ ही एनईईआरआई से कहा गया है कि वह देश भर में इसके प्रयोग में मदद करने के लिए अन्य परीक्षण प्रयोगशालाओं को प्रशिक्षित आवश्यक प्रशिक्षण की व्यवस्था करेंI

नागपुर नगर निगम ने इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाने की अनुमति दे दी है, जिसके बाद एनईईआरआई में स्वीकृत परीक्षण प्रोटोकॉल के अनुसार परीक्षण शुरू हो गया है।

“पूरे भारत में लागू करने की आवश्यकता”

एनईईआरआई में पर्यावरणीय विषाणुविज्ञान प्रकोष्ठ (एनवायरनमेंटल वायरोलॉजी सेल) के वैज्ञानिकों, शोधकर्ताओं और लैब-तकनीशियनों ने विदर्भ क्षेत्र में बढ़ते कोविड-19 संक्रमणों के बीच इस रोगी-अनुकूल तकनीक को विकसित करने के लिए अनथक प्रयास किए हैं।

डॉ. खैरनार और उनकी टीम को उम्मीद है कि इस पद्धति को राष्ट्रीय स्तर पर लागू किया जाएगा, जिसके परिणामस्वरूप तेजी से और अधिक नागरिक-अनुकूल परीक्षण होंगे, और महामारी के खिलाफ हमारी लड़ाई को और मजबूती मिलेगी I

केनरा बैंक ने कोविड महामारी से लड़ाई के बीच तीन ऋण योजनाएं पेश कीं,जो स्वास्थ्य सेवा व्यवसाय और व्यक्तिगत ऋण से संबंधित हैं attacknews.in

 

नयी दिल्ली, 28 मई । सार्वजनिक क्षेत्र के केनरा बैंक ने शुक्रवार को महामारी के खिलाफ लड़ाई के बीच तीन ऋण योजनाओं की पेशकश की, जो स्वास्थ्य सेवा व्यवसाय और व्यक्तिगत ऋण से संबंधित हैं।

केनरा चिकित्सा स्वास्थ्य देखभाल ऋण सुविधा के तहत पंजीकृत अस्पतालों, नर्सिंग होम, डायग्नोस्टिक केंद्र और स्वास्थ्य अवसंरचना क्षेत्र की अन्य सभी इकाइयों को 10 लाख रुपये से लेकर 50 करोड़ रुपये तक के ऋण की पेशकश की जाएगी।

केनरा बैंक ने एक विज्ञापन में कहा कि रियायती ब्याज दर पर दिए जाने वाले ऋण की अवधि 10 साल होगी, जिसमें 18 महीने तक की अतिरिक्त मोहलत भी होगी।

केनरा जीवनरेखा स्वास्थ्य देखभाल कारोबारी ऋण सुविधा के तहत पंजीकृत अस्पतालों और नर्सिंग होम या अन्य केंद्रों को मेडिकल ऑक्सीजन, ऑक्सीजन सिलेंडर और ऑक्सीजन कंसंटेटर जैसे स्वास्थ्य उत्पादों के विनिर्माण और आपूर्ति के लिए रियायती ब्याज दर पर दो करोड़ रुपये तक का कर्ज दिया जाएगा।

केनरा बैंक ने कहा कि इस ऋण के लिए कोई प्रोसेसिंग फीस नहीं लगेगी।

इसके अलावा केनरा सुरक्षा व्यक्तिगत ऋण योजना के तहत कोविड-19 के इलाज के लिए ग्राहकों को तत्काल वित्तीय सहायता के रूप में 25,000 रुपये से पांच लाख रुपये तक का कर्ज दिया जाएगा।

केंद्र ने कोविड-19 के कारण जान गंवाने वाले पत्रकारों के 67 परिवारों को वित्तीय सहायता प्रदान करने को मंजूरी दी;मध्य प्रदेश के 11 पत्रकार भी सूची में शामिल  attacknews.in

 

प्रत्येक परिवार को सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की पत्रकार कल्याण योजना के तहत 5 लाख रुपये मिलेंगे

समिति ने आवेदनों की मंजूरी जल्‍द सुनिश्चित करने के लिए हर सप्ताह जेडब्ल्यूएस की बैठकें आयोजित करने का निर्णय लिया

नईदिल्ली 28 मई । सूचना और प्रसारण मंत्री  प्रकाश जावड़ेकर के मार्गदर्शन में सूचना और प्रसारण मंत्रालय एवं पत्र सूचना कार्यालय ने स्वत: संज्ञान लेते हुए वर्ष 2020 और वर्ष 2021 में महामारी के कारण अपनी जान गंवाने वाले पत्रकारों के विवरणों को संकलित व एकत्रित किया था और पत्रकार कल्याण योजना के तहत उनके परिवारों को सहायता प्रदान
माध्यम से पत्रकार कल्याण योजना (जेडब्ल्यूएस) के तहत सहायता पाने के लिए आवेदन कर सकते हैं,
करने के लिए एक विशेष अभियान शुरू किया।

केंद्र सरकार ने सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय में सचिव श्री अमित खरे की अध्यक्षता में पत्रकार कल्याण योजना समिति के एक प्रस्ताव को मंजूरी दे दी जिसके तहत कोविड-19 के कारण अपनी जान गंवाने वाले 26 पत्रकारों के परिवारों में से प्रत्येक परिवार को 5 लाख रुपये की वित्तीय राहत प्रदान की जाएगी। वित्त वर्ष 2020-21 में केंद्र सरकार ने कोविड के कारण अपनी जान गंवाने वाले पत्रकारों के 41 परिवारों को इस तरह की सहायता प्रदान की। इस तरह से पत्रकारों के कुल 67 परिवारों को वित्तीय सहायता प्रदान करने को मंजूरी दी गई है। समिति ने कोविड के कारण अपनी जान गंवाने वाले पत्रकारों के परिवारों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त की।

पत्र सूचना कार्यालय ने अत्‍यंत सक्रियतापूर्वक ऐसे कई पत्रकारों के परिवारों से संपर्क किया जिन्होंने कोविड-19 के कारण अपनी जान गंवा दी है और इसके साथ ही इस योजना एवं दावा संबंधी आवेदन दाखिल करने के बारे में इन परिवारों का मार्गदर्शन भी किया।

समिति ने हर सप्‍ताह जेडब्ल्यूएस की बैठकें आयोजित करने का भी निर्णय लिया, ताकि जेडब्ल्यूएस के तहत वित्तीय सहायता वाले आवेदनों को त्‍वरित मंजूरी दी जा सके।

समिति ने उन पत्रकारों के 11 परिवारों के आवेदनों पर भी विचार किया जिनका निधन कोविड-19 के अलावा अन्य कारणों से हुआ था।

जेडब्ल्यूएस की बैठक में श्री जयदीप भटनागर, प्रधान महानिदेशक, पीआईबी, श्री विक्रम सहाय, संयुक्त सचिव (आई एंड बी) सहित अन्य सदस्यों ने भी भाग लिया। समिति के पत्रकार प्रतिनिधि श्री संतोष ठाकुर, श्री अमित कुमार, सुश्री सरजना शर्मा, श्री उमेश्वर कुमार बैठक में उपस्थित थे।

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा पत्रकार कल्याण योजना के स्वीकृत किए गए कोविड और नॉन कोविड केसो में मध्य प्रदेश के 11 पत्रकारों अथवा उनके परिजनों के लिए भी आर्थिक सहायता स्वीकृत हुई है।

पत्रकार और उनके परिवार पीआईबी की वेबसाइट

के माध्यम से पत्रकार कल्याण योजना (जेडब्ल्यूएस) के तहत सहायता पाने के लिए आवेदन कर सकते हैं।

बजाज हेल्थकेयर ने कोविड-19 रोगियों में ब्लैक फंगस के इलाज में उपयोगी दवा पॉसाकोनाजोल पेश की attacknews.in

नयी दिल्ली, 28 मई । बजाज हेल्थकेयर ने शुक्रवार को कोविड-19 रोगियों में म्यूकोर्मिकोसिस (ब्लैक फंगस) के इलाज में उपयोगी दवा पॉसाकोनाजोल की पेशकश की है।

बाजार हेल्थकेयर ने शेयर बाजार को बताया कि कंपनी को खाद्य एवं दवा प्रशासक (एफडीए) गांधी नगर, गुजरात से म्यूकोर्मिकोसिस के इलाज के लिए पॉसाकोनाजोल के विनिर्माण और विपणन की अनुमति मिल गई है।

कंपनी ने बताया कि वह जून 2021 के पहले सप्ताह से अपना व्यावसायिक उत्पादन शुरू करेगी।

गंगा किनारे दफन मिले सैकड़ों शव पर अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी, कहा- ये परंपरा, हिंदुओं के अंतिम संस्कार पर सवाल निंदनीय attacknews.in

प्रयागराज, 28 मई ।अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि ने गंगा घाट के किनारे भू-समाधि किए गए शवों पर प्रश्नचिह्न लगाने और सरकार की आलोचना करने पर कड़ी नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि हिंदुओं के अंतिम संस्कार पर सवाल खड़ा करना निंदनीय है।

महंत नरेंद्र गिरि ने कहा कि हिंदुओं में पार्थिव शरीर को जलाने के साथ भू-समाधि देने और जल में प्रवाहित करने की परंपरा है और यह सृष्टि निर्माण काल से चली आ रही है। गंगा के घाट के पास पार्थिव शरीर हमेशा दफनाएं जाते रहे हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र में नरेंद्र मोदी और सूबे में योगी आदित्यनाथ की हिंदुत्ववादी सरकार सत्तारूढ़ है। इससे सनातन धर्म विरोधी ताकतें बौखला गई हैं।

परिषद अध्यक्ष ने कहा कि सनातन धर्म विरोधी ताकतें सरकार को बदनाम करने के लिए तरह-तरह का कुचक्र रचते रहते हैं। उसी के तहत अब पार्थिव शरीर को निशाना बनाने का घिनौना काम किया जा रहा है जिसे अखाड़ा परिषद स्वीकार नहीं करेगा। संत समाज इसके खिलाफ लोगों में जागरुकता फैलाएगा।

गिरि ने आपत्ति दर्ज करते हुए कहा कि कुछ लोग गंगा किनारे दफनाए गए शवों को कोरोना से जोड़कर देख रहे हैं। उनका कहना है कि कोरोना के कारण अधिक मृत्यु हुई है, जिससे दाह संस्कार करने के साथ-साथ उन्हें गंगा घाट के किनारे दफनाया भी गया है जबकि कोरोना से पहले भी पार्थिव शरीर दफनाएं जाते रहे हैं।

उन्होंने कहा कि यह कहना गलत है कि शव जलाने के लिए लकड़ी की कमी है। उन्होंने बताया कि पतित पावनी गंगा को प्रदूषण से बचाने के लिए घाट से दूर शवों को दफनाना चाहिए। उन्होंने बताया कि पहले मीड़िया नहीं था जिस कारण इतना हो हल्ला नहीं मचता था, आज मीडिया के कारण कोई भी समाचार लोगों तक तत्काल पहुंच जाता है।

मध्यप्रदेश में जॉब फेयर के लिये माई एम.पी. रोजगार पोर्टल पर मिलेगी सूचना attacknews.in

भोपाल, 28 मई । कोविंड 19 की स्थिति में योग्यताधारी आवेदकों के लिए माई एम पी रोजगार पोर्टल पर सूचना मिलेगी।

कोरोना के कारण जहाँ एक ओर नियोजक अपने पास उपलब्ध रिक्त स्थान की पूर्ति के लिए निर्धारित योग्यताधारी आवेदकों के चयन की प्रक्रिया नहीं कर पा रहे है। वहीं दूसरी ओर बेरोजगार आवेदकों को साक्षात्कार की सूचना प्राप्त नहीं हो पा रही है।

इस समस्या के समाधान के लिये रोजगार संचालनालय के माई एम.पी. रोजगार पोर्टल पर वर्चुअल प्लेटफार्म उपलब्ध करवाया गया है। जिसके माध्यम से आवेदक अपने घर से ही काउन्सिलिंग प्राप्त कर सकते हैं और ऑनलाइन साक्षात्कार भी दे सकते है।

शिवराज सिंह चौहान ने बताया:राज्य में 1 करोड़ वैक्सीन के डोज के लिए ग्लोबल टेण्ड आमंत्रित किये गये हैं इसके अलावा 5 करोड़ और डोज की व्यवस्था के प्रयास किए जा रहे हैं attacknews.in

सीहोर, 28 मई । मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने राज्य में कोरोना की दूसरी लहर काफी हद तक नियंत्रण में आने का जिक्र करते हुए आज फिर दोहराया कि इसे अब भी हल्के में नहीं लें। इससे सावधान रहेंगे, ताे कुछ नहीं होगा, लेकिन जरा सी भी लापरवाही नागरिकों के लिए बेहद खतरनाक साबित होगी।

श्री चौहान ने सीहाेर जिला मुख्यालय कोरोना संबंधी स्थिति की समीक्षा करते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा कि अब भी कोरोना की तीसरी लहर रोकना बड़ी चुनौती है। यह चुनौतीपूर्ण है, लेकिन असंभव नहीं है। यदि लोगों ने सावधान रहते हुए शासन प्रशासन की ओर से निर्धारित दिशानिर्देशों का पूर्ण पालन किया। बाहर निकलने पर मॉस्क लगाएं। दूरी बनाए रखें। सेनीटाइज करें और कोराेना को रोकने के लिए निर्धारित अन्य आचार संहिता का पूर्ण पालन करें। यदि किसी को जरा सी भी सर्दी, खांसी हुयी, तो वे तत्काल अस्पताल पहुंचकर जांच और इलाज प्रारंभ कराएं।

श्री चौहान ने प्रशासन को भी निर्देश दिए कि वे भी बीमार व्यक्तियों के बारे में तुरंत सजग रहकर उनकी जांच कराएं और उनके संक्रमित पाए जाने पर उन्हें कोविड केयर सेंटर में भर्ती कराएं। सरकार इस तरह के सेंटर बंद नहीं करेगी। इसके अलावा अधिक से अधिक टेस्टिंग भी जारी रखी जाए। वैक्सीनेशन का कार्य तेजी से जारी रहे। ये सब उपाय कर हम कोरोना को नियंत्रित रख सकते हैं।

उन्होंने दोहराया कि यदि इन सब नियमों का पालन नहीं किया गया, तो तीसरी लहर को रोकना संभव नहीं हो पाएगी और इसकी कीमत सबको चुकाना पड़ सकती है।

श्री चौहान ने कहा कि हम सबको राज्य में अभूतपूर्व तबाही मचाने वाली दूसरी लहर के प्रकोप से सबक लेना चाहिए। इसने अप्रैल और मई माह के दौरान कितनी तबाही मचायी। हमें ऑक्सीजन और दवा इत्यादि के लिए कितना परेशान होना पड़ा, यह किसी से छिपा नहीं है। इसके मद्देनजर हम सबको लगातार सतर्क रहकर कोरोना के साथ रहने की अादत डालना होगी। इसी स्थिति में बाजार बेहतर ढंग से संचालित किए जा सकते हैं।

श्री चौहान ने बार बार आम लोगों और प्रशासन से अनुरोध किया कि वे कोरोना की तीसरी लहर नहीं आने देने के लिए पूरा प्रयास करें। यह हम सबके, परिवार, समाज, गांव, कस्बे, शहर, प्रदेश और देश के हित में रहेगा। हम कोरोना कर्फ्यू बहुत लंबे समय तक नहीं लगा सकते हैं। इससे आर्थिक गतिविधियां रुकती हैं और गरीब तथा छोटे मोटे व्यवसाय करने वाले भी प्रभावित होेते हैं।

उन्होंने वैक्सीनेशन पर जोर देते हुए कहा कि राज्य में एक करोड़ वैक्सीन के डोज की व्यवस्था करने के लिए वैश्विक स्तर पर निविदाएं आमंत्रित की गयी हैं। इसके अलावा पांच करोड़ और डोज की व्यवस्था के लिए भी प्रयास किए जा रहे हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि यह आवश्यक नहीं है कि वैक्सीन लगने के बाद कोरोना नहीं होगा, लेकिन यदि वैक्सीन के बाद भी किसी को कोरोना होगा, उसे नुकसान अधिक नहीं होगा। उनका भाषण सोशल मीडिया के माध्यम से आम लोगों ने भी सुना।

मध्यप्रदेश की 22 हजार 813 ग्राम पंचायतों में से 20 हजार 565 ग्राम पंचायतें कोरोना मुक्त; शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि,प्रदेश में तीसरी लहर न आए ऐसे प्रयास किए जाएँ attacknews.in

भोपाल 27 मई ।मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि प्रदेश में इस तरह के प्रयास किए जाएँ कि कोरोना की तीसरी लहर आए ही नहीं। किल-कोरोना अभियान-4 में अधिक से अधिक टेस्ट किए जाएँ, कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग की जाए तथा माइक्रो कंटेनमेंट क्षेत्र बनाए जाएँ। एक-एक मरीज की पहचान कर उन्हें नि:शुल्क मेडिकल किट प्रदान करने का कार्य निरंतर जारी रहे।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि कोरोना नियंत्रण का मूलमंत्र है जनता की भागीदारी। गाँव, कस्बों और शहरों के क्राइसिस मैनेजमेंट समूह निरंतर सक्रिय रूप से कार्य करें। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि प्रदेश की 22 हजार 813 ग्राम पंचायतों में से 20 हजार 565 ग्राम पंचायतें कोरोना मुक्त हैं।

मुख्यमंत्री श्री चौहान मंत्रालय से वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से प्रदेश में कोरोना की स्थिति एवं व्यवस्थाओं की समीक्षा कर रहे थे। बैठक में स्वास्थ्य मंत्री श्री प्रभुराम चौधरी, मुख्य सचिव श्री इकबाल सिंह बैंस, अपर मुख्य सचिव श्री मोहम्मद सुलेमान उपस्थित थे।

तीसरी लहर के संबंध में अध्ययन करें

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने निर्देश दिए कि कोरोना की तीसरी लहर के संबंध में देश-दुनिया में अध्ययन करें। विशेषज्ञों के साथ चर्चा करें तथा उसके अनुसार पूरी तैयारी करें। स्वास्थ्य सेवाओं को निरंतर बेहतर बनाया जाए।

1977 नए प्रकरण

प्रदेश में 1977 नए प्रकरण आए हैं। प्रदेश की साप्ताहिक पॉजिटिविटी रेट 4% तथा आज की पॉजिटिविटी रेट 2.8% है। पिछले 24 घंटों में 6888 मरीज स्वस्थ हुए हैं तथा एक्टिव मरीजों की संख्या 38327 हो गई है।

दो जिलों में ही 100 से अधिक नए प्रकरण

प्रदेश के दो जिलों इंदौर एवं भोपाल में ही 100 से अधिक नए प्रकरण आए हैं। इंदौर में 533 एवं भोपाल में 409 नए प्रकरण आए हैं। इसके अलावा तीन जिलों जबलपुर(99), सागर (96) तथा ग्वालियर (51) में 50 से अधिक प्रकरण हैं।

46 जिलों में 5 प्रतिशत से कम पॉजिटिविटी दर

प्रदेश के 46 जिलों में 5% से कम पॉजिटिविटी दर है। छह जिलों में साप्ताहिक पॉजिटिविटी दर इंदौर (8.1%), भोपाल (7.7%), सागर (7%), रतलाम (6.1%), अनूपपुर (6.6%) तथा रीवा में (5.2%) है।

खरगोन जिले को बधाई

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने खरगोन जिले में कोरोना संक्रमण को प्रभावी रूप से नियंत्रित किए जाने के लिए खरगौन जिले की पूरी टीम को बधाई दी। यहाँ आज की पॉजिटिविटी दर 2.1% है और 25 नए प्रकरण आए हैं। नीमच में भी स्थिति बेहतर है। आज की पॉजिटिविटी दर 3.7% है और 19 नए प्रकरण आए हैं। बड़वानी जिले में भी कोरोना पर अच्छा नियंत्रण है। यहाँ की साप्ताहिक पॉजिटिविटी दर 0.7% और आज की पॉजिटिविटी दर 0.6% है। आठ नए प्रकरण हैं। धार जिले में भी संक्रमण नियंत्रित है, यहां की साप्ताहिक पॉजिटिविटी रेट 3.9% है।

2500 इंजेक्शन प्राप्त, 6100 का अलॉटमेंट

प्रदेश में ब्लैक फंगस के उपचार के लिये 6100 एम्फोटेरिसिन-बी इंजेक्शन का अलाटमेंट मिला है और 2500 इंजेक्शन प्राप्त हो चुके हैं। इंजेक्शन प्रदेश के प्रत्येक जिले को भिजवाए जा रहे हैं। इसी के साथ इसकी टैबलेटस भी प्राप्त हो रही हैं। प्रदेश में वर्तमान में इस रोग के 1061 मरीज हैं।

प्राणायाम फेफड़ों को मजबूत करता है

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि प्राणायाम से फेफड़े मजबूत होते हैं। स्वास्थ्य विभाग, आयुष विभाग के साथ मिलकर योग एवं प्राणायाम का प्रशिक्षण सभी इच्छुक व्यक्तियों को देने की व्यवस्था करे। वर्तमान में ‘योग से निरोग’ कार्यक्रम के अंतर्गत होम आइसोलेशन और कोविड केअर सेंटर्स आदि में योग का प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

गृह मंत्रालय ने राज्यों में कोरोना महामारी से निपटने के दिशा निर्देशों में कोई ढील नहीं देते हुए आगामी 30 जून तक सख्ती से लागू करने को कहा attacknews.in

नयी दिल्ली 27 मई ।केन्द्र सरकार ने राज्यों से कहा है कि वे कोरोना महामारी से निपटने में किसी तरह की ढील नहीं बरतें और पहले से जारी दिशा निर्देशों और उपायों को आगामी 30 जून तक सख्ती से लागू करें।

गृह मंत्रालय ने गुरूवार को जारी एक आदेश में कहा है कि कोरोना महामारी से निपटने के लिए उसके द्वारा गत 29 अप्रैल को और केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा गत 25 अप्रैल को जारी दिशा निर्देश देश भर में आगामी 30 जून तक लागू रहेंगे।

केन्द्रीय गृह सचिव ने राज्यों के मुख्य सचिवों से कहा है कि सख्त नियमों , दिशा निर्देशों तथा उपायों के चलते देश के दक्षिण और पूर्वोत्तर राज्यों में कुछ क्षेत्रों को छोड़कर देश भर में संक्रमण के मामलों में कमी का रूख है ।

उन्होंने कहा कि संक्रमण के मामलों में कमी का रूझान होने के बावजूद सक्रिय मामलों की संख्या अभी काफी ज्यादा है इसलिए कड़े दिशा निर्देशों और उपायों को लागू रखना महत्वपूर्ण है। राज्य और केन्द्र शासित प्रदेश स्थिति का आंकलन करने के बाद उचित समय पर और धीरे धीरे स्थानीय स्तर पर इनमें ढील देने के बारे में विचार कर सकते हैं।

उन्होंने कहा है कि इसे ध्यान में रखते हुए राज्य और केन्द्र शासित प्रदेश जिला प्रशासनों को जरूरी निर्देश दे सकती हैं।

उन्होंने कहा है कि राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों को महामारी से निपटने के लिए किये जाने वाले उपायों तथा इससे संबंधित दिशा निर्देशों के बारे में व्यापक रूप से प्रचार प्रसार करना चाहिए जिससे कि सभी लोगों को इनकी जानकारी मिल सके।

मध्यप्रदेश में गुरुवार को पाए गये 1977 कोरोना मरीज, 70 की मौत,अबतक संक्रमितों की संख्या 7,73,855 और मृतकों की संख्या 7828 हुई attacknews.in

भोपाल, 27 मई ।मध्यप्रदेश में हर दिन कोरोना संक्रमण की स्थिति में सुधार आ रहा है।राज्य की पॉजिटिविटी दर घटकर आज 2़ 8 प्रतिशत पर पहुंच गई है।

राहत की खबर है कि मध्यप्रदेश में कोरोना संक्रमण दर घटकर अब 2़ 8 पर पहुंच गयी है।

प्रदेश की 22813 ग्राम पंचायतों में से 20565 ग्राम पंचायतें कोरोना मुक्त हैं।

राज्य के स्वास्थ्य संचालनालय की ओर से जारी बुलेटिन के अनुसार राज्य में कोरोना संक्रमण के 69,606 जांच सैंपल रिपोर्ट में 1,977 लोग कोरोना संक्रमित पाये गये हैं।

जबकि 67,629 लोगों की रिपोर्ट नेगेटिव पाये गये और 1520 कोरोना टेस्ट रिजेक्ट हुए है।

आज पॉजीटिविटी रेट आज (संक्रमण दर) घटकर 2़ 8 प्रतिशत दर्ज की गयी।

पिछले 24 घंटों में 6888 मरीज स्वस्थ हुए हैं तथा एक्टिव मरीजों की संख्या 38327 हो गई है।

प्रदेश में अब तक 7,73,855 लोग संक्रमित हो चुके है।

राहत की खबर है कि इनमें से अब तक 7,27700 लोग ठीक होकर घर पहुंच गये है।

इस महामारी ने अब तक प्रदेश भर में 7828 लोगों की जान ले चुका है।

आज 70 लोगों की मौत कोरोना संक्रमण से हुई है।

राज्य के दो जिलों इंदौर एवं भोपाल में ही 100 से अधिक नए प्रकरण आए हैं।

इंदौर में 577 एवं भोपाल में 409 नए प्रकरण आए हैं।

इसके अलावा तीन जिलों जबलपुर(99), सागर (96) तथा ग्वालियर (51) शेष जिलों में 4 से लेकर 50 के बीच प्रकरण हैं।

प्रदेश के 46 जिलों में 5 प्रतिशत से कम पॉजिटिविटी है।

पूरे समाज को कोरोनावायरस के फैलाव से बचाने के लिये एनटीपीसी ने बढ़ाया मदद का हाथ और देशभर में मरीजों की जान बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई attacknews.in

 

नईदिल्ली 27 मई । बिजली मंत्रालय के अधीन सबसे बड़ी बिजली उत्पादक कंपनी एनटीपीसी ने कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान न सिर्फ देश में निर्बाध बिजली आपूर्ति सुनिश्चित की, बल्कि उसने कोविड-19 के फैलाव को रोकने के लिये पूरे समाज की तरफ मदद का हाथ बढ़ाया है। इस सिलसिले में कंपनी ने देश के विभिन्न हिस्सों में चिकित्सा बुनियादी ढांचे में इजाफा किया है।

एनटीपीसी ने पहल करके 600 से अधिक ऑक्सीन बेड और 1200 आईसोलेशन बेडों की व्यवस्था की है। उसने अपनी विभिन्न परियोजनाओं और आसपास के इलाके में सप्ताह भर में ही युद्धस्तर पर यह काम अंजाम दिया है। इसके कारण आम जनता सहित तमाम लोगों की प्राण रक्षा हो सकी है।

एनटीपीसी, राज्य और जिला प्रशासन के साथ नजदीकी तालमेल बनाकर काम कर रही है और उसने दूर-दराज के इलाकों में भी चिकित्सा बुनियादी ढांचों में इजाफा किया है

।कोविड-19 के मामलों में तेजी, खासतौर से दिल्ली और एनसीआर में, के मद्देनजर एनटीपीसी ने अकेले एनसीआर में 200 ऑक्सीजन बेडों और 140 आईसोलेशन बेडों की सुविधा के लिये प्रयास किया, जिसके कारण कोविड मरीजों को बड़ी राहत मिली है।

एनसीआर में यह सुविधा दादरी, नोएडा और बदरपुर में स्थापित की गई है। इन केंद्रों पर ऑक्सीजन सपोर्ट, कोविड टेस्टिंग, इनवेसिव और नॉन-इनवेसिव वेंटीलेटर, चौबीस घंटे नर्सिंग और चिकित्सा सहायता उपलब्ध है। इस सुविधा को 30 करोड़ रुपये की लागत से तैयार किया गया है।

एनटीपीसी ने 40 से अधिक डॉक्टरों, सैकड़ों पैरा-मेडिकल और सपोर्ट स्टाफ की व्यवस्था की है। इसके साथ सात ऐसी ऐंबुलेंस भी हैं, जो ऑक्सीजन से लैस हैं और 24 घंटे सेवा में उपलब्ध हैं।

एनटीपीसी ने ओडिशा के सुंदरगढ़ में 400 करोड़ रुपये की लागत से 500 बिस्तरों वाला एक सर्व सुविधा सम्पन्न अस्पताल बनाया है। यह अस्पताल रिकॉर्ड समय में बनाया गया और महामारी के मद्देनजर उसे कोविड अस्पताल में तब्दील कर दिया गया है। यह अस्पताल इलाके के लाखों लोगों की सेवा कर रहा है।

विभिन्न चिकित्सा उपकरणों के अलावा, इस अस्पताल में एनटीपीसी ने 20 वेंटीलेटर की सुविधा भी जोड़ दी है, जिससे असंख्य गंभीर मरीजों के उपचार में मदद मिल रही है।

इसके अलावा, गंभीर उपचार को देखते हुये एनटीपीसी अस्पताल को अतिरिक्त 40 वेंटीलेटर दे रहा है।

एनटीपीसीदार्लीपाली भी झारसुगुड़ा में 30 आईसीयू बिस्तरों की सुविधा शुरू करने में सहायता कर रहा है।

एनटीपीसी ने मध्यप्रदेश के खरगौन जिला अस्पताल में 250 ऑक्सीजन वाली बेडों, 20 एचडीयू और 10 आईसीयू बेडों की व्यवस्था की है। इसकी लागत 2.24 करोड़ रुपये आई है। यह सुविधा दूर-दराज के लोगों के लिये वरदान साबित हो रही है। इसके कारण कोविड-19 के कहर से बेशुमार लोगों की जिंदगी बची है।

झारखंड में एनटीपीसी, नॉर्थ करमपुरा, ने 53 लाख रुपये की वित्तीय सहायता दी है, जिससे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, टंडवा, जिला चतरा, झारखंड में ऑक्सीजन सप्लाई सिस्टम वाले 15 आईसीयू बेड तैयार होने हैं।

इसके अलावा हजारीबाग स्थित एनटीपीसी के पकड़ी बरवाडीह की खनन परियोजना ने रिम्स, रांची, आईटीकेईटीआई, रांची और हजारीबाग मेडिकल कॉलेज के लिये केंद्रीयकृत मेडिकल गैस पाइपलाइन प्रणाली बनाई है। इसकी लागत एक करोड़ रुपये है। इसके जरिये एक हजार से अधिक बेडों तक ऑक्सीजन पहुंचाया जा रहा है।

देश के दूर-दराज के इलाकों में मौजूद एनटीपीसी की कई परियोजनायें अपने आसपास चिकित्सा बुनियादी ढांचा तैयार करने में भरपूर योगदान कर रही हैं।

संकट के मौजूदा दौर में एनटीपीसी की विभिन्न परियोजनायों ने जिला प्रशासनों को 2000 से अधिक औद्योगिक सिलेंडर उपलब्ध कराये हैं, जिन्हें बदलकर मेडिकल ऑक्सीजन के सिलेंडरों के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है।

ऑक्सीजन की मांग में बढ़ोतरी को ध्यान में रखते हुये, एनटीपीसी देश भर में ऑक्सीजन बनाने के बुनियादी ढांचे के विकास में प्रमुख भूमिका निभा रहा है।

कोविड मरीजों की जान बचाने के लिये ऑक्सीजन बहुत अहम है। इसी खयाल से कंपनी ने दो दर्जन से अधिक ऑक्सीजन जेनेरेशन प्लांट स्थापित किये हैं। इनमें से कुछ संयंत्रों में ऑक्सीजन सिलेंडरों को भरने और रीफिल करने की भी सुविधा मौजूद है। इनमें से 09 पीएसए वर्ग के संयंत्रों और दो बॉटलिंग संयंत्रों को एनसीआर में लगाया जा रहा है। यह सुविधा चरणबद्ध तरीके से इसी महीने शुरू हो जायेगी।

छह सौ एलपीएम पीएसए वर्ग का एक संयंत्र, सीएचसी, छाबरा, जिला बारन, राजस्थान में लगाया जा रहा है, जिसकी लागत लगभग एक करोड़ रुपये है। इसके लिये खरीद ऑर्डर दिया जा चुका है।

एनटीपीसी की अन्य परियोजनाओं में रिहंद, ऊंचाहार, विंध्याचल (उत्तरप्रदेश), गदरवारा, खरगौन (मध्यप्रदेश) और ओडिशा के दार्लीपाली में जिला और स्थानीय स्तर पर ऑक्सीजन संयंत्र लगाये जा रहे हैं।

इन ऑक्सीजन जेनेरेशन संयंत्रों को लगाने के लिये एनटीपीसी ने 12 करोड़ रुपये से अधिक की रकम खर्च की है।

एनटीपीसी अपने आसपास के लोगों को न सिर्फ कोविड की जरूरी दवायें उपलब्ध करा रहा है, बल्कि लोगों को चिकित्सा सुविधा भी प्रदान कर रहा है।

अकेले एनटीपीसी विंध्याचल ने अपने आसपास के इलाकों के 250 से अधिक कोविड मरीजों का इलाज किया। यहां कंपनी के कर्मचारियों का भी उपचार किया गया। अपने सभी कार्यस्थलों में चिकित्सा बुनियादी ढांचे को मजबूत करने और उसे बढ़ाने के साथ-साथ एनटीपीसी ने कोविड-19 की दूसरी लहर के प्रति लोगों और समुदायों को जागरूक करने का भी बीड़ा उठाया है।

सिंगरौली के एसपी के सहयोग से कोविड के खिलाफ जन अभियान की शुरूआत की है। इसके तहत दो समर्पित एम्बुलेंस कार्यरत हैं, जो ऑडियो-विजुअल सुविधा से लैस हैं। इसे एनटीपीसी, विंध्याचल ने तैयार किया है। इस अभियान के तहत300 गांवों के पांच लाख लोगों तक पहुंच बनाई गई। इसके साथ ही एनटीपीसी के स्टेशनों ने सामुदायिक कल्याण के लिये पीपीई किट, मास्क, सेनीटाइजर, सूखा राशन और अन्य आवश्यक वस्तुओं का सार्वजनिक वितरण किया।एनटीपीसी परियोजनायें, सीआईएसएफ फायर विंग के साथ मिलकर सौ से अधिक गांवों-कस्बों में जन स्वच्छता कार्यक्रम चला रही हैं।

एनटीपीसी के लेडीज क्लब और एनटीपीसी कर्मचारी एनजीओ भी आगे आये हैं और इन्होंने इस संकटकाल में समाज की तरफ मदद का हाथ बढ़ाया है।

एनटीपीसी अपने सभी संयंत्रों के समस्त कर्मचारियों, उनके आश्रितों और अन्य हितधारकों के टीकाकरण के लिये भरपूर प्रयास कर रहा है।

अब तक, एनटीपीसी ने अपने सभी संयंत्रों में 70 हजार से अधिक लोगों को टीके लगाये हैं, जिनमें उसके कर्मचारी, उनके आश्रित और अन्य लोग भी शामिल हैं। विभिन्न स्थानों पर जन टीकाकरण कैम्प लगाये गये। इसके अलावा, एनटीपीसी का लक्ष्य है कि वह अपने कर्मचारियों, उनके परिजनों और सम्बंधित लोगों का शत प्रतिशत टीकाकरण कर दिया जाये। साथ ही आसपास के लोगों को भी टीके लगाने की योजना है।

एनटीपीसी दार्लीपाली, अपने आसपास के लोगों का टीकाकरण करने के लिये 10 हजार टीकों का बंदोबस्त कर रहा है।

एनटीपीसी लोक-दर्शन पर विश्वास करता है। लाभ से अधिक मनुष्य का महत्त्व है। इस गहरी संवेदना के साथ वह समाज का ऋण चुकाने के लिये प्रतिबद्ध है।

एनटीपीसी की बेहतरीन कोशिशों के कारण कोविड-19 के खिलाफ जंग में नई किरण नमूदार हुई है और वह संकट से उबरने में पूरे समाज की सहायता कर रहा है। चिकित्सा बुनियादी ढांचे के साथ-साथ ऑक्सीजन सम्बंधी संरचना भी एनटीपीसी बना रही है। इससे महामारी के दौरान तो मदद मिल ही रही है, बल्कि आने वाले समय में भी संकटों से निपटने में इससे बहुत सहायता मिलेगी।

केंद्र सरकार ने राज्यों को अबतक कोविड के 22 करोड़ से अधिक टीके प्रदान किए,अमेरिका के बाद भारत ऐसा दूसरा देश है, जिसने 20 करोड़ से अधिक टीका लगाने का रिकॉर्ड बनाया attacknews.in

राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के पास अब भी टीके की 1.84 करोड़ से अधिक खुराक उपलब्ध हैं

नईदिल्ली 27 मई । राष्ट्रव्यापी टीकाकरण अभियान के तहत भारत सरकार राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को नि:शुल्क कोविड टीके उपलब्ध कराकर उनकी मदद कर रही है।

भारत सरकार राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को टीकों की सीधी खरीद की सुविधा भी प्रदान कर रही है। जांच, बीमारी का पता लगाने, उपचार और कोविड उपयुक्त व्यवहार के साथ-साथ महामारी की रोकथाम और प्रबंधन के लिए टीकाकरण भारत सरकार की व्यापक रणनीति का एक अभिन्न स्तंभ है।

कोविड-19 टीकाकरण की तीसरे चरण की उदारीकृत और त्वरित रणनीति का कार्यान्वयन एक मई 2021 से शुरू हो गया है।

रणनीति के तहत, हर महीने केंद्रीय औषधि प्रयोगशाला (सीडीएल) द्वारा मंजूरी प्राप्त किसी भी निर्माता के टीकों की 50% खुराक भारत सरकार द्वारा खरीदी जाएगी। भारत सरकार ये खुराक राज्य सरकारों को पूरी तरह से नि:शुल्क उपलब्ध कराना जारी रखेगी जैसा कि पहले से किया जा रहा था।

भारत सरकार ने अब तक राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को कोविड टीके की 22 करोड़ से अधिक खुराक (22,16,11,940) मुफ्त श्रेणी और राज्यों द्वारा सीधी खरीद की श्रेणी के माध्यम से प्रदान की है। इसमें से कुल खपत (अपव्यय सहित) 20,17,59,768 खुराक (आज सुबह आठ बजे उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार) है।

राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के पास अब भी टीके की 1.84 करोड़ से ज्यादा (1,84,90,522) खुराक उपलब्ध हैं, जिन्हें दिया जाना बाकी है।

इसके अलावा 11 लाख (11,42,630) खुराक प्रक्रियारत हैं और अगले तीन दिनों के भीतर राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को दे दी जाएंगी।

कोविड-19 अपडेट:

सक्रिय मामलों में 24,19,907 की और गिरावट।

पिछले 24 घंटों में सक्रिय मामलों में 75,684 की कमी।

2.11 लाख मामलों के साथ नये मामलों में लगातार गिरावट कायम।

अब तक देशभर में 2,46,33,951 मरीज ठीक हुये। पिछले 24 घंटों के दौरान 2,83,135 मरीज ठीक हुये।

लगातार 14वें दिन रोज आने वाले नये मामलों की तुलना में ठीक होने वाले मरीजों की तादाद अधिक।

मरीजों के ठीक होने की दर बढ़कर 90.01 प्रतिशत।

इस समय साप्ताहिक पॉजीटिव दर 10.93 प्रतिशत है।

लगातार तीसरे दिन पॉजीटिविटी दर में कमी। रोजाना पॉजीटिविटी दर 9.79 प्रतिशत रही, जो 10 प्रतिशत से नीचे है।

राष्ट्रव्यापी टीकाकरण अभियान के तहत अब तक वैक्सीन की 20.27 करोड़ से अधिक खुराक दी गईं।

अमेरिका के बाद भारत ऐसा दूसरा देश है, जिसने 20 करोड़ वैक्सीन खुराक देने का कारनामा अंजाम दिया।

पिछले 24 घंटों में जांच क्षमता में जोरदार सुधार। इस दौरान 21.57 लाख जांचें की गईं।

वह झूठ का खुलासा जो फैलाया गया:भारत की टीकाकरण प्रक्रिया पर मिथक और तथ्य; ये मिथक ग़लत बयानों, आधे सच और खुलेआम बोले जा रहे झूठ के कारण फैल रहे हैं attacknews.in

नईदिल्ली 27 मई ।भारत के कोविड-19 टीकाकरण कार्यक्रम को लेकर कई तरह के मिथक फैलाए जा रहे हैं। ये मिथक ग़लत बयानों, आधे सच और खुलेआम बोले जा रहे झूठ के कारण फैल रहे हैं।

नीति आयोग में सदस्य (स्वास्थ्य) और कोविड-19 (एनईजीवीएसी) के लिए वैक्सीन प्रबंधन पर राष्ट्रीय विशेषज्ञ समूह के अध्यक्ष डॉ. विनोद पॉल ने इन सभी मिथकों से जुड़े झूठ को एक सिरे से ख़ारिज करते हुए इन सभी मुद्दों पर सही तथ्य की जानकारी दी हैं।

यह मिथक और इनके सही तथ्य इस प्रकार हैः

मिथक 1: केंद्र विदेशों से टीके खरीदने के लिए पर्याप्त प्रयास नहीं कर रहा है

तथ्य: केंद्र सरकार 2020 के मध्य से ही सभी प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय वैक्सीन निर्माताओं के साथ लगातार संपर्क बनाए हुए है। फाइजर, जेएंडजे और मॉडर्ना के साथ कई दौर का वार्तालाप हो चुका है। सरकार ने उन्हें भारत में उनके टीकों की आपूर्ति और/अथवा इन्हें बनाने के लिए सभी प्रकार की सहायता की पेशकश की है। हालांकि, ऐसा नहीं है कि उनके टीके निःशुल्क रूप से आपूर्ति के लिए उपलब्ध हैं। हमें यह समझने की जरूरत है कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर टीके खरीदना ‘ऑफ द शेल्फ’ वस्तु खरीदने के समान नहीं है। विश्व स्तर पर टीके सीमित आपूर्ति में हैं, और सीमित स्टॉक को आवंटित करने में कंपनियों की अपनी प्राथमिकताएं, योजनाएं और मजबूरियां हैं। वे अपने मूल देशों को भी प्राथमिकता देती हैं जैसे हमारे अपने वैक्सीन निर्माताओं ने हमारे लिए बिना किसी संकोच के किया है। फाइजर ने जैसे ही वैक्सीन की उपलब्धता का संकेत दिया, इसके बाद से ही केंद्र सरकार और कंपनी वैक्सीन के जल्द से जल्द आयात के लिए मिलकर कार्य कर रही हैं। भारत सरकार के प्रयासों के परिणामस्वरूप, स्पूतनिक वैक्सीन परीक्षणों में तेजी आई और समय पर अनुमोदन के साथ, रूस ने हमारी कंपनियों को टीके की दो किश्तें भेजते हुए निपुण तकनीक-हस्तांतरण पहले ही कर दी हैं और अब बहुत जल्द ही ये कंपनियां इसका निर्माण भी शुरू कर देंगी। हम सभी अंतर्राष्ट्रीय वैक्सीन निर्माताओं से भारत में आने और भारत और दुनिया के लिए वैक्सीन बनाने के अपने अनुरोध को दोहराते हैं।

मिथक 2: केंद्र ने विश्व स्तर पर उपलब्ध टीकों को मंजूरी नहीं दी है

तथ्य: केंद्र सरकार ने अप्रैल में ही भारत में यूएस एफडीए, ईएमए, यूके की एमएचआरए और जापान की पीएमडीए और डब्ल्यूएचओ की आपातकालीन उपयोग सूची द्वारा अनुमोदित टीकों को प्राप्त करने की प्रक्रिया को आसान बना दिया है। इन टीकों को पूर्व ब्रिजिंग परीक्षणों से गुजरने की आवश्यकता नहीं होगी। अन्य देशों में निर्मित बेहतर तरीके से परीक्षित और जाँचे गए टीकों के लिए परीक्षण आवश्यकता को पूरी तरह से समाप्त करने के लिए प्रावधान में अब और संशोधन किया गया है। औषधि नियंत्रक के पास अनुमोदन के लिए किसी विदेशी विनिर्माता का कोई आवेदन लंबित नहीं है।

मिथक 3: केंद्र टीकों के घरेलू उत्पादन में तेजी लाने के लिए पर्याप्त प्रयास नहीं कर रहा है

तथ्य: केंद्र सरकार 2020 की शुरुआत से ही अधिक कंपनियों को टीके का उत्पादन करने में सक्षम बनाने के लिए एक प्रभावी सूत्रधार की भूमिका निभा रही है। केवल 1 भारतीय कंपनी (भारत बायोटेक) है जिसके पास आईपी है। भारत सरकार ने सुनिश्चित किया है कि भारत बायोटेक के अपने संयंत्रों को बढ़ाने के अलावा 3 अन्य कंपनियां/संयंत्र कोवैक्सीन का उत्पादन शुरू करेंगी, जो अब 1 से बढ़कर 4 हो गई हैं। भारत बायोटेक द्वारा कोवैक्सीन का उत्पादन अक्टूबर तक 1 करोड़ प्रति माह से बढ़ाकर 10 करोड़ माह किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त, तीनों सार्वजनिक उपक्रमों का लक्ष्य दिसंबर तक 4.0 करोड़ खुराक तक उत्पादन करने का होगा। सरकार के निरंतर प्रोत्साहन से, सीरम इंस्टीट्यूट प्रति माह 6.5 करोड़ खुराक के कोविशील्ड उत्पादन को बढ़ाकर 11.0 करोड़ खुराक प्रति माह कर रहा है। भारत सरकार रूस के साथ साझेदारी में यह भी सुनिश्चित कर रही है कि स्पूतनिक का निर्माण डॉ. रेड्डी के समन्वय के साथ 6 कंपनियों द्वारा किया जाएगा। केन्द्र सरकार जायडस कैडिला, बायोई के साथ-साथ जेनोवा के अपने-अपने स्वदेशी टीकों के लिए कोविड सुरक्षा योजना के तहत उदार वित्त पोषण के साथ-साथ राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं में तकनीकी सहायता के प्रयासों का भी समर्थन कर रही है। भारत बायोटेक की एकल खुराक इंट्रानेसल वैक्सीन का विकास भी भारत सरकार के वित्त पोषण के साथ बेहतर रूप से आगे बढ़ रहा है, और यह दुनिया के लिए एक शानदार उपलब्धि हो सकती है। 2021 के अंत तक हमारे वैक्सीन उद्योग द्वारा 200 करोड़ से अधिक खुराक के उत्पादन का अनुमान ऐसे ही प्रयासों और निरंतर समर्थन एवं साझेदारी का परिणाम है। पारंपरिक के साथ-साथ अत्याधुनिक डीएनए और एमआरएनए प्लेटफार्मों में किए जा रहे इन प्रयासों के संबंध में न जान कितने देश इतनी बड़ी क्षमता के साथ निर्माण का सिर्फ सपना ही देख सकते हैं। भारत सरकार और वैक्सीन निर्माताओं ने दैनिक आधार पर निर्बाध जुड़ाव के साथ इस मिशन में एक टीम इंडिया के रूप में काम किया है।

मिथक 4: केंद्र को अनिवार्य लाइसेंसिंग लागू करनी चाहिए

तथ्य: अनिवार्य लाइसेंसिंग एक बहुत ही आकर्षक विकल्प नहीं है क्योंकि यह एक ऐसा ‘फॉर्मूला’ नहीं है जो अधिक मायने रखता हो, लेकिन सक्रिय भागीदारी, मानव संसाधनों का प्रशिक्षण, कच्चे माल की सोर्सिंग और जैव-सुरक्षा प्रयोगशालाओं के उच्चतम स्तर की आवश्यकता है। प्रौद्योगिकी हस्तांतरण एक कुंजी है और यह उस कंपनी के नियंत्रण में होता है जिसने अनुसंधान और विकास किया है। वास्तव में, हम अनिवार्य लाइसेंसिंग से एक कदम आगे बढ़ चुके हैं और कोवैक्सीन के उत्पादन को बढ़ाने के लिए भारत बायोटेक और 3 अन्य संस्थाओं के बीच सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित कर रहे हैं। स्पूतनिक के लिए भी इसी तरह की व्यवस्था का पालन किया जा रहा है। इस बारे में सोचें: मॉडर्ना ने अक्टूबर 2020 में कहा था कि वह अपनी वैक्सीन बनाने वाली किसी भी कंपनी पर मुकदमा नहीं करेगी, लेकिन फिर भी एक भी कंपनी ने ऐसा नहीं किया है, जिससे पता चलता है कि लाइसेंसिंग सबसे छोटी समस्या है। अगर वैक्सीन बनाना इतना आसान होता, तो विकसित देशों में भी वैक्सीन की खुराक की इतनी कमी क्यों होती?

मिथक 5: केंद्र ने राज्यों पर अपनी जिम्मेदारी को छोड़ दिया है

तथ्य: केंद्र सरकार वैक्सीन निर्माताओं को फंडिंग से लेकर उन्हें भारत में विदेशी टीके लाने के लिए उत्पादन में तेजी लाने हेतु शीघ्रता से मंजूरी देने से लेकर हर तरह के जरूरी कार्यों को अंजाम दे रही है। केंद्र द्वारा खरीदा गया टीका लोगों को निःशुल्क रूप से लगाने के लिए राज्यों को पूरी तरह से आपूर्ति की जाती है। यह सब राज्यों के संज्ञान में है। भारत सरकार ने केवल राज्यों को उनके ही स्पष्ट अनुरोध करने के बाद, स्वयं टीकों की खरीद का प्रयास करने में सक्षम बनाया है। राज्यों को देश में उत्पादन क्षमता और विदेशों से सीधे टीके खरीदनें में क्या कठिनाइयाँ आती हैं, इसके बारे में अच्छी तरह से पता था। वास्तव में, भारत सरकार ने जनवरी से अप्रैल तक संपूर्ण टीका कार्यक्रम चलाया और मई की स्थिति की तुलना में यह काफी बेहतर तरीके से प्रशासित था। लेकिन जिन राज्यों ने इन 3 महीनों में स्वास्थ्य कर्मियों और अग्रिम पंक्ति के कार्मिकों के टीककरण की दिशा में अच्छा कवरेज हासिल नहीं किया था, वे टीकाकरण की प्रक्रिया को खोलना चाहते थे और इसका अधिक विकेंद्रीकरण चाहते थे। स्वास्थ्य राज्य का विषय है और उदारीकृत टीका नीति राज्यों द्वारा उन्हें अधिक अधिकार देने के लिए किए जा रहे लगातार अनुरोधों का ही परिणाम थी। तथ्य यह है कि उनकी वैश्विक निविदाओं का कोई परिणाम नहीं निकला, और यह इस बात की भी पुष्टि करता है जिसे हम राज्यों को पहले दिन से बता रहे हैं: कि दुनिया में टीके की आपूर्ति कम मात्रा में हैं और उन्हें कम समय में खरीदना आसान नहीं है।

मिथक 6: केंद्र राज्यों को पर्याप्त वैक्सीन नहीं दे रहा है?

तथ्य: केंद्र राज्यों को तय दिशा-निर्देशों के अनुसार पारदर्शी तरीके से पर्याप्त टीके आवंटित कर रहा है। दरअसल, राज्यों को भी वैक्सीन की उपलब्धता के बारे में पहले से ही सूचित किया जा रहा है। निकट भविष्य में वैक्सीन की उपलब्धता बढ़ने वाली है और बहुत अधिक आपूर्ति संभव होगी। गैर-सरकारी माध्यम में, राज्यों को 25% खुराक मिल रही है और निजी अस्पतालों को 25% खुराक मिल रही है। हालाँकि, राज्यों द्वारा लोगों को इन 25% खुराकों को देने में ही हो रही मुश्किलों और समस्याओं को बहुत अधिक करके बताया जाता है। हमारे कुछ नेताओं का व्यवहार, जो टीके की आपूर्ति पर तथ्यों की पूरी जानकारी के बावजूद, प्रतिदिन टीवी पर दिखाई देते हैं और लोगों में दहशत पैदा करते हैं, बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। यह समय राजनीति करने का नहीं है। हम सभी को इस लड़ाई में एकजुट होने की जरूरत है।

मिथक 7: केंद्र बच्चों के टीकाकरण के लिए कोई कदम नहीं उठा रहा है

तथ्य: अभी तक दुनिया का कोई भी देश बच्चों को वैक्सीन नहीं दे रहा है। साथ ही, डब्ल्यूएचओ ने बच्चों का टीकाकरण करने की कोई सिफारिश नहीं की है। बच्चों में टीकों की सुरक्षा के बारे में अध्ययन किए गए हैं, और यह उत्साहजनक रहे हैं। भारत में भी जल्द ही बच्चों पर ट्रायल शुरू होने जा रहा है। हालांकि, बच्चों का टीकाकरण व्हाट्सएप ग्रुपों में फैलाई जा रही दहशत के आधार पर तय नहीं किया जाना चाहिए और क्योंकि कुछ राजनेता इस पर राजनीति करना चाहते हैं। परीक्षणों के आधार पर पर्याप्त डेटा उपलब्ध होने के बाद ही हमारे वैज्ञानिकों द्वारा यह निर्णय लिया जाना है।