कांग्रेस तथा वाम दलों सहित 12 दलों के समर्थन से कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन के छह माह पूरे होने पर किसानों ने काला दिवस मनाया; वाहनों-घरों पर लहराया काला झंडा attacknews.in

 

नयी दिल्ली 26 मई । तीन केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन के छह महीना पूरा होने के मौके पर देशभर में किसानों ने बुधवार को काला दिवस के तौर पर मनाया।

संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर देश के विभिन्न हिस्सों में किसानों ने अपने वाहनों तथा घरों पर काले झंडे लगाकर केंद्रीय कृषि कानूूनों का विरोध किया। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की सीमा पर प्रदर्शनकारी किसानों ने सरकार के विरोध में पुतला दहन किया। इस दौरान प्रदर्शनकारी किसानों ने केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी की।

भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार को कृषि कानून वापस लेने होंगे। आज देशभर में लोग सरकार के खिलाफ काला झंडा हाथों में लेकर खड़े हुए हैं।

उन्होंने कहा कि जब तक किसानों की मांगे नहीं मानी जाएगी, तब तक किसान दिल्ली की सीमाओं पर बैठे रहेंगे।

किसान के आंदोलन को आज कांग्रेस तथा वाम दलों सहित 12 राजनीतिक दलों ने समर्थन दिया था।

अखिल भारतीय किसान सभा के राष्ट्रीय महासचिव अतुल कुमार अनजान ने बताया कि अपराह्न तीन बजे तब की सूचनाओं के आधार पर 23 राज्यों में लगभग दो लाख से अधिक गांव में किसानों ने अपने घरों पर काले झंडे लगाकर मोदी सरकार की नीतियों का विरोध किया।

कई स्थानों पर केंद्र सरकार के पुतले तथा विभिन्न गांव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पुतले भी जलाए गए। कुछ राज्यों में पुलिस के साथ झड़पे भी हुईं।

मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, पश्चिम बंगाल, बिहार, कर्नाटक, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश तथा तमिलनाडु में राज्य सरकारों ने सुरक्षा के विशेष इंतजाम किए थे। कई शहरों में प्रदर्शनकारी किसानों और पुलिस के बीच केंद्र सरकार की अर्थी को लेकर छीना झपटी भी हुईं और इस दौरान कुछ लोगों को चोटें भी आई हैं।

उल्लेखनीय है कि तीन केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर किसानों के धरने का आज छह महीना पूरा हो गया। साथ ही आज मोदी सरकार के भी सात साल पूरे हो गए। इसलिए किसानों ने आज काला दिवस मनाकर केंद्र सरकार की नीतियों का विरोध किया।

किसानों ने बॉर्डर पर प्रदर्शन करते हुए मनाया काला दिवस

इधर  हरियाणा में सोनीपत के कुंडली बॉर्डर पर किसान आंदोलन के छह महीने पूरे होने पर किसानों ने बुधवार को काला दिवस मनाया।

कुंडली बॉर्डर धरनास्थल पर कई जगह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पुतला फूंका। संयुक्त किसान मोर्चा के सदस्यों बलबीर सिंह राजेवाल, दर्शन पाल, गुरनाम सिंह चढूनी, जगजीत सिंह दल्लेवाल, जोगिंदर सिंह उगराहां, युद्धवीर सिंह, योगेंद्र यादव, अभिमन्यु कोहाड़ के अनुसार कुंडली बॉर्डर के मुख्य मंच पर बुधवार को सबसे पहले बुद्ध पूर्णिमा मनाई गई और महात्मा बुद्ध की प्रतिमा पर माल्यापर्ण किया गया। इसके बाद किसानों ने अपने वाहनों तथा ट्रैक्टर-ट्रालियों पर काले झंडे लगाए और केंद्र सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया।

राकेश टिकैत ने कहा:कृषि कानून जब तक वापस नहीं लिये जाते, किसानों का आंदोलन जारी रहेगा और जून 2024 तक आंदोलन की योजना बना ली attacknews.in

हिसार(हरियाणा)/आदमपुर (पंजाब), 24 मई । किसान नेता राकेश टिकैत ने आज कहा कि केंद्रीय कृषि कानून जब तक वापस नहीं लिये जाते, किसानों का आंदोलन जारी रहेगा और जून 2024 तक यानी अगले तीन साल तक के आंदोलन की योजना बना ली गई है।

श्री टिकैत यहां 16 मई को मुख्यमंत्री के कार्यक्रम में किसानों पर हुए लाठीचार्ज व मुकदमे दर्ज किये जाने के खिलाफ किसानों के प्रदर्शन में आये थे। उन्होंने कहा कि हिसार के प्रशासन ने झूठे मुकदमे दर्ज किये और उन्हें वापस लेने के फैसले को भी नहीं माना, इसलिए हिसार को भी आज से आंदोलन का एक केंद्र बना दिया गया है।

शिअद कार्यकर्ता 26 मई को अपने घरों पर काला झंडा फहराएं: बादल

इधर शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने तीन कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों के साथ एकजुटता व्यक्त करते हुए पार्टी कार्यकर्ताओं से अपील की है कि वह 26 मई को अपने घरों पर काले झंडे फहराएं।

श्री बादल यहां राज्य में शिरोमणि समिति द्वारा कालरा गांव के गुरु नानक संगत अस्पताल में शुरू किए गए ऑक्सीजन सांद्रता के साथ 25 बेड की सुविधा वाले आठवें कोविड देखभाल केंद्र का उद्घाटन करने आए थे।

उन्होंने तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग करते हुए उन किसानों के साथ एकजुटता व्यक्त की जो पिछले छह महीनों से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। शिअद अध्यक्ष ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से किसानों की सभी शिकायतों के समाधान के लिए तुरंत बात करने का अनुरोध करते हुए कहा कि लोकतंत्र में अहंकार की कोई गुंजाइश नहीं है और केवल तानाशाहों ने लोगों के प्रति अड़ियल रवैया अपनाया ।

नरेन्द्र मोदी ने पीएम-किसान योजना के तहत वित्तीय लाभ की 8वीं किस्त जारी की:एक बटन दबाकर 9.5 करोड़ से अधिक लाभार्थी किसान परिवारों के खातों में 20,000 करोड़ रुपए से अधिक की राशि हस्तांतरित attacknews.in

नयी दिल्ली, 14 मई । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री किसान सम्‍मान निधि योजना (पीएम-किसान) के तहत वित्‍तीय लाभ की आठवीं किस्‍त जारी की। उन्होंने एक बटन दबाकर 9.5 करोड़ से अधिक लाभार्थी किसान परिवारों के खातों में 20,000 करोड़ रुपए से अधिक की राशि हस्तांतरित की।

वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से आयोजित इस कार्यक्रम में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, कुछ राज्यों के मुख्यमंत्री और कई सांसद भी उपस्थित थे।

इस कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री ने किसान लाभार्थियों से बातचीत भी की।

प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत पात्र लाभार्थी किसान परिवारों को 6000 रुपये प्रति वर्ष का वित्तीय लाभ प्रदान किया जाता है, जो चार-चार महीने की अवधि में 2000 रुपये की तीन समान किस्तों में दिया जाता है।

यह रकम सीधे लाभार्थियों के बैंक खातों में डाली जाती है। आज से पहले, इस योजना के तहत अब तक किसान परिवारों को 1.15 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा की सम्मान राशि हस्तांतरित की जा चुकी है।

मुरैना में सरसों की बंपर पैदावार के बाद भी तेल की कीमत लगभग दोगुनी,शुद्ध सरसों तेल की कीमत आसमान पर attacknews.in

मुरैना, 08 मई । सरसों (पीला सोना) की खेती के लिए प्रसिद्ध मध्यप्रदेश के मुरैना जिले में सरसों की पैदावार इस वर्ष पिछले वर्ष की तुलना में पच्चीस फीसदी अधिक होने के बाद भी शुद्ध सरसों तेल की कीमत आसमान पर है।

चंबल संभाग का मुरैना जिला सरसों की पैदावार के लिये देश-विदेश में अपनी अलग ही पहचान के लिये जाना जाता है।

लेकिन कोरोना महामारी के चलते इस बार इसके तेल की कीमत दोगुने कीमत पर है।

इसके तेल की मांग देश के कई राज्यों के साथ-साथ विदेशों में भी रहती है।

इसलिये पिछले वर्ष कोरोना महामारी के दौरान इसके तेल की कीमत 80 से लेकर 85 रुपये प्रति किलोग्राम पर थी।

वहीं इस वर्ष इसकी कीमत बढ़कर 185 रुपये प्रति किलोग्राम पर है।

जानकारी के अनुसार तेल की कीमतें बढ़ने के पीछे का कारण यह है कि इस बार किसानों ने अपनी सरसों व्यापारियों को न बेचते हुए घर में ही स्टॉक कर रखी है, जिससे वे कोरोना महामारी जैसी आपदा में आगे चलकर इसे ऊंचे भाव पर बेच सकें।

इसी कारण इसके तेल के भाव आसमान पर जा पहुंचे हैं।

एक तेल मिल संचालक ने यहां बताया कि किसान अपनी सरसों को बेचने बाजार नहीं ला रहे हैं।

फिर भी कुछ तेल व्यवसाइयों द्वारा मिलावटी तेल को शुद्ध सरसों के तेल के नाम पर उपभोक्ताओं को ऊंचे भाव पर खुले तौर पर बेचा जा रहा है।

चालू रबी मार्केंटिंग सीजन में सरकारी एजेंसियों ने पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में लगभग 70 प्रतिशत अधिक गेहूं की खरीद की;पहली बार मिशन “एक राष्ट्र, एक एमएसपी, एक डीबीटी” ने पूर्ण रूप लिया attacknews.in

केंद्रीय पूल में 02.05.2021 तक लगभग 292.52 एलएमटी गेहूं की खरीद की गई

चालू रबी मार्केंटिंग सीजन में खरीद कार्य से लगभग 28.80 लाख गेहूं उत्पादक किसान लाभान्वित

पंजाब के किसान अब गेहूं बिक्री के एवज में बिना विलम्ब सीधे अपने खातों में भुगतान प्राप्त करे हैं; 17,495 करोड़ रुपए पंजाब के किसानों के खातों में पहले ही सीधे भेजे जा चुके हैं

रबी मार्केटिंग सीजन 2021-22 के दौरान एमएसपी कार्रवाई जोरों पर

नईदिल्ली 4 मई । चालू रबी मार्केंटिंग सीजन (आरएमएस) 2021-22 में भारत सरकार वर्तमान मूल्य समर्थन योजना के अनुसार न्यूनतम समर्थन मूल्य पर रबी फसलों की खरीद कर रही है। चालू आरएमएस खरीद कार्रवाई से लगभग 28.80 लाख गेहूं उत्पादक किसान पहले ही लाभ प्राप्त कर चुके हैं।

चालू आरएमएस 2021-22 के दौरान लगभग 17,495 करोड़ रुपए पंजाब के किसानों के खातों में भेजे जा चुके हैं। यह पहला मौका है कि पंजाब के किसान गेहूं बिक्री के एवज में सीधे अपने खातों में भुगतान राशि प्राप्त कर रहे हैं।

गेहूं खरीद का कार्य पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, चंडीगढ़, मध्य प्रदेश, राजस्थान तथा अन्य राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में तेजी से चल रहा है। 02 मई, 2021 तक 292.52 एलएमटी से अधिक की खरीद की गई है। यह पिछले वर्ष की समान अवधि के 171.53 एलएमटी से लगभग 70 प्रतिशत अधिक खरीद है।

02 मई 2021 तक कुल 292.52 एलएमटी गेहूं खरीद में से पंजाब का योगदान 114.76 एलएमटी (39.23 प्रतिशत), हरियाणा 80.55 एलएमटी (27.53 प्रतिशत) तथा मध्य प्रदेश का योगदान 73.76 एलएमटी (25. 21 प्रतिशत) रहा है।

30, अप्रैल 2021 तक की गई खरीद के लिए पंजाब में लगभग 17,495 करोड़ रुपए और हरियाणा में लगभग 9628.24 करोड़ रुपए सीधे किसानों के खातों में भेजे गए हैं।

इस वर्ष सार्वजनिक खरीद के इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ा गया है, जब हरियाणा और पंजाब ने एमएसपी के अप्रत्क्ष भुगतान से अलग हट कर भारत सरकार के निर्देश के अनुसार सभी खरीद एजेंसियों द्वारा प्रत्यक्ष आन लाइन अंतरण को चुना है। पंजाब और हरियाणा के किसान पहली बार इस लाभ का आनंद ले रहे हैं क्योंकि पहली बार किसान गेहूं बिक्री के एवज में “एक राष्ट्र, एक एमएसपी, एक डीबीटी” के अंतर्गत बिना विलंब प्रत्यक्ष लाभ प्राप्त कर रहे हैं।

जगह-जगह घूम रहे किसान आंदोलन के नेता राकेश टिकैत ने दिया राजनीतिक संदेश “एक आंख दिल्ली पर तो दूसरी खेत पर” attacknews.in

बागपत 27 फरवरी। भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि किसान को दिल्ली की गद्दी और अपने खेत दोनों पर अपनी निगाह रखनी होगी। दिल्ली से किसान की निगाह हटी तो अगले 30 साल में किसान के पास जमीन नहीं बचेगी।

बामनौली गांव में शनिवार को सम्राट सलक्षपाल तोमर की जयंती के मौके पर श्री टिकैत ने राष्ट्र वन्दना चौक पर शहीदों की प्रतिमाओं पर माल्यार्पण किया। इसके बाद टिकैत ने कहा कि यह किसान के हक की लड़ाई है। किसान अगर इस बार कमजोर पड़ा तो 30 साल बाद उसके पास जमीन नहीं बचेगी। किसान की जमीन पर किसी और का कब्जा होगा। एमएसपी पर कानून अनिवार्य है। इसके बाद ही किसान बर्बाद होने से बचेगा अन्यथा किसान आज बर्बादी के मुहाने पर है। किसान को फसलों के दाम नहीं मिल रहे है। किसान गन्ने की फसल को मिलों में डाल देता है, लेकिन उसका भुगतान समय पर नहीं मिलता।

किसान आंदोलन अब हर वर्ग की लड़ाई अब हर वर्ग की लड़ाई बन चुका है-टिकैत

श्रीगंगानगर,से खबर है कि,किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा है कि तीन महीने से चल रहा किसान आंदोलन अब किसानों की लड़ाई नहीं है बल्कि यह अब हर वर्ग की लड़ाई बन गई है।

श्री टिकैत आज श्री गंगानगर जिले के पदमपुर कस्बे में संयुक्त किसान मोर्चा की महापंचायत में उमड़ आए हजारों किसानों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ शुरू हुआ यह संघर्ष अब हर वर्ग के लोगों का संघर्ष है बन गया है।