सूचना और जनसम्पर्क विभाग के 4 जिला अधिकारियों को पदावनत करके बनाया गया चपरासी और चौकीदार attacknews.in

लखनऊ 10 जनवरी । उत्तर प्रदेश के सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के चार अपर जिला सूचना अधिकारियों को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के एक आदेश के बाद उनके मूल पदों पर वापस भेज दिया गया है। यह सभी 2014 में पदोन्नति पाकर अपर जिला सूचनाधिकारी बने थे।

आधिकारिक सूत्रों ने रविवार को बताया कि क्षेत्रीय प्रचार संगठन के तहत जिला सूचना कार्यालय बरेली में चपरासी के रूप में सेवारत नरसि‍ंंह, फीरोजाबाद में चौकीदार के पद पर तैनात दयाशंकर, मथुरा के सिनेमा ऑपरेटर कम प्रचार सहायक विनोद कुमार शर्मा और भदोही में सिनेमा ऑपरेटर कम प्रचार सहायक के रूप में सेवारत अनिल कुमार सि‍ंंह को उन्हीं के दफ्तर में 2014 में सेवा अवधि के आधार पर अपर जिला सूचना अधिकारी बना दिया गया था।

उत्तर प्रदेश के सूचना एवं जनसंपर्क विभाग में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी से प्रमोशन पाकर अपर जिला सूचना अधिकारी बने चार कर्मचारियों को इलाहाबाद हाई कोर्ट से तगड़ा झटका लगा है।

पहले की समाजवादी पार्टी सरकार में नियमों के विपरीत जाकर दिए गए इस प्रमोशन को गलत मानते हुए हाई कोर्ट ने चारों कर्मचारियों को अपने मूल पद पर लौटने का आदेश दिया है,इनमें से तीन कर्मचारियों को चपरासी तो एक को चौकीदार के पद पर तैनाती लेने के निर्देश जारी किए गए हैं।

जानकारी के मुताबिक, नियम विरुद्ध इन पदोन्नति को इलाहाबाद हाई कोर्ट में चुनौती दी गई थी।कोर्ट के आदेश पर यूपी सरकार ने फिर से चारों अधिकारियों को चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के अपने मूल पद पर लौटने के आदेश जारी कर दिए। पदावनत किए गए कर्मचारी मथुरा, बरेली, फिरोजाबाद और भदोही में तैनात हैं।

उत्तर प्रदेश श्रमजीवी पत्रकार यूनियन ने इन पर प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया में वाद दायर कर दिया था।इसे संज्ञान में लेकर प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया ने उत्तर प्रदेश के सूचना निदेशक और मथुरा डीएम सहित 6 लोगों को नोटिस जारी कर हाल ही में जवाब तलब किया था।

जिला सूचना कार्यालय में तैनात जिन चार अपर जिला सूचना अधिकारियों को पदावनत किया गया है. उनमें बरेली के नरसिंह को चपरासी, फिरोजाबाद के दयाशंकर को चौकीदार, मथुरा के विनोद कुमार शर्मा को सिनेमा ऑपरेटर कम प्रचार सहायक (चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी) और भदोही (संत कबीर नगर) के अनिल कुमार सिंह को सिनेमा ऑपरेटर कम प्रचार सहायक (चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी) बना दिया गया ,अभी तक यह इन जिलों में अपर जिला सूचना अधिकारी के पद पर तैनात थे। इनको वर्ष 2014 में पदोन्नति मिली थी. शिकायत के बाद जांच में यह नियम विरुद्ध मानी गई।

रेलवे के काउंटरों से लॉकडाउन के दौरान यात्रा के लिए बुक कराये गये टिकट रद्द कराने और रिफंड पाने के लिए समय सीमा बढ़ाकर यात्रा की तारीख से नौ महीने कर दी गई attacknews.in

दिल्ली-मुंबई के रेल सफर में अब कम समय लगेगा

नयी दिल्ली 07 जनवरी । दिल्ली-मुंबई राजधानी स्पेशल के समय में बदलाव किया गया है जिससे अब लोग कम समय में राष्ट्रीय राजधानी से देश की आर्थिक राजधानी का सफर तय कर सकेंगे।

मध्य रेलवे ने गुरुवार को बताया कि सफर के समय में कमी के साथ ही ग्वालियर में इसका अतिरिक्त हॉल्ट दिया गया है। दिल्ली के निजामुद्दीन से शाम 4.55 बजे रवाना होकर यह ट्रेन अगले दिन सुबह 11.15 बजे मुंबई के सीएसएमटी स्टेशन पहुँचेगी। पहले इसके मुंबई पहुँचने का समय 11.50 बजे था। इस प्रकार दिल्ली से मुंबई जाने वाले यात्रियों के 35 मिनट बचेंगे।

लॉकडाउन के दौरान रद्द ट्रेनों के रिफंड मिलने की अवधि बढ़ी

रेलवे के काउंटरों से लॉकडाउन के दौरान यात्रा के लिए बुक कराये गये टिकट रद्द कराने और रिफंड पाने के लिए समय सीमा बढ़ाकर यात्रा की तारीख से नौ महीने कर दी गई है।

रेलवे ने गुरुवार को बताया कि लॉकडाउन के दौरान यात्रा के लिए जिन यात्रियों ने नियमित ट्रेनों के टिकट बुक कराये थे, लेकिन ट्रेन रद्द कर दी गई उनके रिफंड नौ महीने तक लिये जा सकेंगे। इनकी यात्रा की तारीख 21 मार्च से 31 जुलाई 2020 के बीच होनी चाहिये। पहले रेलवे ने इसके लिए समय सीमा बढ़ाकर छह महीने की थी। जिन यात्रियों ने 139 पर फोन करके या आईआरसीटीसी की वेबसाइट के माध्यम से काउंटर टिकट रद्द कराये हैं वे भी यात्रा की तारीख से नौ महीने तक टिकट सरेंडर करा सकते हैं।

रेलवे ने स्पष्ट किया है कि छह महीने के पहले दिये गये समय के बाद भी जोनल क्लेम कार्यालयों में टिकट जमा कराये हैं उन्हें भी पूरा रिफंड दिया जायेगा।

जापान में भारतीयों के लिए नौकरियों के दरवाजे खुले: केंद्रीय मंत्रिमंडल ने जापान के साथ कुशल कामगारों से जुड़े समझौते पर हस्ताक्षर को मंजूरी दी attacknews.in

नयी दिल्ली, छह जनवरी ।सरकार ने बुधवार को भारत और जापान के बीच कुशल कामगारों के क्षेत्र में सहयोग को संस्थागत रूप देने से जुड़े समझौते पर हस्ताक्षर को मंजूरी दे दी। इसके तहत अनिवार्य कौशल प्राप्त और जापानी भाषा की परीक्षा पास करने वाले कुशल भारतीय कामगारों को जापान में निर्धारित क्षेत्रों में काम करने का मौका मिलेगा।

आधिकारिक बयान के अनुसार प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी की अध्‍यक्षता में हुई केन्‍द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में भारत सरकार और जापान सरकार के बीच निर्दिष्‍ट कुशल कामगार से संबंधित सहयोग से जुड़े एक समझौता ज्ञापन पर हस्‍ताक्षर की स्वीकृति दे दी गई।

बयान के अनुसार, ‘‘ मौजूदा समझौता ज्ञापन भारत और जापान के बीच भागीदारी और सहयोग को लेकर एक संस्‍थागत व्यवस्था की स्‍थापना करेगा। इसके तहत जापान में 14 निर्दिष्‍ट क्षेत्रों में काम करने के लिए ऐसे कुशल भारतीय कामगारों को भेजा जाएगा जिन्‍होंने अनिवार्य कुशलता योग्‍यता प्राप्‍त कर ली है और जापानी भाषा की परीक्षा पास कर ली है।’’

इन भारतीय कामगारों को जापान सरकार की ओर से ‘निर्दिष्‍ट कुशल कामगार’ नाम की एक नई सामाजिक स्थिति (न्‍यू स्‍टेटस ऑफ रेजिडेंस) प्रदान की जाएगी।

बयान के अनुसार सहयोग समझौता ज्ञापन (एमओसी) के अंतर्गत एक संयुक्‍त कार्य बल का गठन किया जाएगा जो इस एमओसी का अनुपालन सुनिश्चित करेगा।

इस समझौते से नर्सिंग देखभाल, इमारतों की सफाई, सामग्री प्रसंस्‍करण उद्योग, औद्योगिक मशीनरी विनिर्माण उद्योग, इलेक्ट्रिक एवं इलेक्‍ट्रॉनिक सूचना संबंधित उद्योग, निर्माण, पोत निर्माण एवं पोत से संबद्ध उद्योग, वाहनों का रखरखाव, विमानन जैसे 14 क्षेत्रों में कुशल भारतीय कामगारों के लिए जापान में रोजगार के अवसर सृजित होंगे।

देश में इथेनॉल का उत्‍पादन बढ़ाने के लिए अनाजों, गन्‍ना, चुकन्‍दर आदि से निकालने की क्षमता बढ़ाने के लिए संशोधित योजना को मंजूरी;सरकार ने 2022 तक पेट्रोल में 10 प्रतिशत और 2030 तक 20 प्रतिशत इथेनॉल का मिश्रण करने का लक्ष्‍य रखा attacknews.in

नयी दिल्ली 30 दिसंबर । सरकार ने देश में पहली पीढ़ी (1 जी) के इथेनॉल का उत्‍पादन बढ़ाने के लिए अनाजों (चावल, गेंहू, जौ, मक्‍का और जवार), गन्‍ना, चुकन्‍दर आदि से इथेनॉल निकालने की क्षमता बढ़ाने के लिए एक संशोधित योजना को मंजूरी दे दी है।

प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी की अध्‍यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति की आज हुयी बैठक में इस आशय के प्रस्ताव को मंजूरी दी गयी। मिश्रण स्‍तर में वृद्धि से आयातित जैव ईंधन पर निर्भरता कम होगी और वायु प्रदूषण भी कम होगा। भट्टियों की क्षमता में वृद्धि/नयी भट्टियां लगाने से ग्रामीण इलाकों में नए रोजगार अवसरों का सृजन होगा और इस तरह आत्‍मनिर्भर भारत के लक्ष्‍य को प्राप्‍त किया जा सकेगा।

आधिकारिक जानकारी के अनुसार 2010-11 के चीनी सत्र से गन्‍ने की बेहतर किस्‍मों के आने के बाद देश में चीनी का अतिरिक्‍त उत्‍पादन हुआ है और उम्‍मीद है कि आने वाले वर्षों में भी यह रूख जारी रहेगा। सामान्‍य चीनी सत्र (अक्टूबर से सितम्‍बर) में करीब 320 लाख टन चीनी का उत्‍पादन होता है, जबकि घरेलू खपत करीब 260 लाख टन है। सामान्‍य चीनी सत्र में 60 लाख टन के इस अतिरिक्‍त उत्‍पादन से चीनी मिलों को अपनी कीमत तय करने में दबाव का सामना करना पड़ता है। 60 लाख मीट्रिक टन का यह अतिरिक्‍त भंडार बिक नहीं पाता और इस तरह चीनी मिलों का 19 हजार करोड़ रुपये की राशि फंस जाती है और उनकी पूंजी तरलता की स्थिति को प्रभावित करती है। परिणामस्‍वरूप वे गन्‍ना किसानों को उनके उत्‍पाद की बकाया राशि का भुगतान नहीं कर पाती। चीनी के इस अतिरिक्‍त भंडार से निपटने के लिए चीनी मिलें चीनी का निर्यात करती हैं और इसके लिए उन्‍हें सरकार से वित्‍तीय सहायता मिलती है, लेकिन विश्‍व व्‍यापार संगठन की व्‍यवस्‍था के अनुरूप भारत, विकासशील देश होने के कारण सिर्फ 2023 तक ही चीनी के निर्यात के लिए वित्‍तीय सहायता दे सकता है।

अत: इस अतिरिक्‍त गन्‍ने और चीनी का इथेनॉल के उत्‍पादन के लिए उपयोग करना ही चीनी के अतिरिक्‍त भंडार से निपटने का सही रास्‍ता है। अतिरिक्‍त चीनी के इस उपयोग से मिलों द्वारा भुगतान किए जाने वाले चीनी के घरेलू मिल-मूल्‍य में स्थिरता आएगी और चीनी मिलों को इसके भंडारण की समस्‍या से निजात मिलेगी। इससे उनके पूंजी प्रवाह में सुधार होगा और उन्‍हें किसानों को उनके बकाया मूल्‍य का भुगतान करने में सुविधा होगी। इसके साथ ही इससे चीनी मिलों को आने वाले सालों में अपना कामकाज चलाने में भी मदद मिलेगी।

मंत्रिमंडल ने देश में पहली पीढ़ी (1 जी) के इथेनॉल का उत्‍पादन बढ़ाने के लिए अनाजों (चावल, गेंहू, जौ, मक्‍का और जवार), गन्‍ना, चुकन्‍दर आदि से आसवन के जरिए इथेनॉल निकालने की क्षमता बढ़ाने के लिए एक संशोधित योजना को मंजूरी दी

2010-11 के चीनी सत्र से गन्‍ने की बेहतर किस्‍मों के आने के बाद देश में चीनी का अतिरिक्‍त उत्‍पादन हुआ है (2016-17 के चीनी सत्र में सूखे के कारण हुए कम उत्‍पादन को छोड़कर) और उम्‍मीद है कि आने वाले वर्षों में भी यह रूख जारी रहेगा। सामान्‍य चीनी सत्र (अक्टूबर से सितम्‍बर) में करीब 320 लाख मीट्रिक टन चीनी का उत्‍पादन होता है, जबकि हमारी घरेलू खपत करीब 260 लाख मीट्रिक टन है। सामान्‍य चीनी सत्र में 60 लाख मीट्रिक टन के इस अतिरिक्‍त उत्‍पादन से चीनी मिलों को अपनी कीमत तय करने में दबाव का सामना करना पड़ता है। 60 लाख मीट्रिक टन का यह अतिरिक्‍त भंडार बिक नहीं पाता और इस तरह चीनी मिलों का 19 हजार करोड़ रुपये की राशि फंस जाती है और उनकी पूंजी तरलता की स्थिति को प्रभावित करती है

परिणामस्‍वरूप वे गन्‍ना किसानों को उनके उत्‍पाद की बकाया राशि का भुगतान नहीं कर पाती। चीनी के इस अतिरिक्‍त भंडार से निपटने के लिए चीनी मिलें चीनी का निर्यात करती हैं और इसके लिए उन्‍हें सरकार से वित्‍तीय सहायता मिलती है, लेकिन विश्‍व व्‍यापार संगठन की व्‍यवस्‍था के अनुरूप भारत, विकासशील देश होने के कारण सिर्फ 2023 तक ही चीनी के निर्यात के लिए वित्‍तीय सहायता दे सकता है।

अत: इस अतिरिक्‍त गन्‍ने और चीनी का इथेनॉल के उत्‍पादन के लिए उपयोग करना ही चीनी के अतिरिक्‍त भंडार से निपटने का सही रास्‍ता है। अतिरिक्‍त चीनी के इस उपयोग से मिलों द्वारा भुगतान किए जाने वाले चीनी के घरेलू मिल-मूल्‍य में स्थिरता आएगी और चीनी मिलों को इसके भंडारण की समस्‍या से निजात मिलेगी। इससे उनके पूंजी प्रवाह में सुधार होगा और उन्‍हें किसानों को उनके बकाया मूल्‍य का भुगतान करने में सुविधा होगी। इसके साथ ही इससे चीनी मिलों को आने वाले सालों में अपना कामकाज चलाने में भी मदद मिलेगी।

□ सरकार ने 2022 तक पेट्रोल में 10 प्रतिशत और 2030 तक 20 प्रतिशत इथेनॉल का मिश्रण करने का लक्ष्‍य रखा है। चीनी क्षेत्र की सहायता के लिए और गन्‍ना किसानों के हित में सरकार ने बी-हैवी गन्‍ना शीरा, गन्‍ने के रस, शीरा और चीनी से इथेनॉल का उत्‍पादन करने की अनुमति दी है।

इसके अलावा, उसने इथेनॉल सत्र के दौरान सी-हैवी गुड़ शीरा और बी-हैवी गुड़ शीरा तथा गन्‍ने के रस/चीनी/शीरा से निकाले जाने वाले इथेनॉल के लिए लाभकारी मिल-मूल्‍य भी तय किया है। इथेनॉल आपूर्ति वर्ष 2020-21 के लिए सरकार ने अब विभिन्‍न अनाजों से निकाले जाने वाले इथेनॉल के मिल-मूल्‍य को भी बढ़ाया है।

□ ईंधन स्‍तर के इथेनॉल के उत्‍पादन को बढ़ाने के लिए सरकार भट्टियों को भी भारतीय खाद्य निगम में उपलब्‍ध मक्‍का और चावल से इथेनॉल का उत्‍पादन करने के लिए प्रोत्‍साहित कर रही है। सरकार ने मक्‍का और चावल से निकाले जाने वाले इथेनॉल का लाभकारी मूल्‍य भी तय किया है।

□ सरकार पेट्रोल में इथेनॉल के 20 प्रतिशत मिश्रण के लक्ष्‍य को भी घटाकर कम करने की योजना बना रही है। हालांकि देश में इस समय चीनी के अतिरिक्‍त भंडार से इथेनॉल निकालने और उसकी आपूर्ति तेल विपणन कंपनियों को करने की पर्याप्‍त क्षमता नहीं है, जबकि भारत सरकार ने तेल विपणन कंपनियों को पेट्रोल में इथेनॉल का मिश्रण करने का तय लक्ष्‍य दिया हुआ है।

इसके अलावा, पेट्रोल और इथेनॉल के मिश्रण के लक्ष्‍य को सिर्फ गन्‍ने और चीनी से इथेनॉल का उत्‍पादन कर प्राप्‍त नहीं‍ किया जा सकता तथा पहली पीढ़ी (1जी) के इथेनॉल का उत्‍पादन अन्‍य खाद्य वस्‍तुओं जैसे अनाज, चुकन्‍दर आदि से भी किए जाने की आवश्‍यकता होगी, जिसकी पर्याप्‍त क्षमता फिलहाल देश में नहीं है। अत: देश में पहली पीढ़ी के इथेनॉल का उत्‍पादन करने के लिए अनाजों (चावल, गेंहू, जौ, मक्‍का और ज्‍वार) गन्‍ने और चुकन्‍दर आदि से इथेनॉल निकालने की क्षमता को बढ़ाने की बहुत जरूरत है।

प्रधानमंत्री मोदी की अध्‍यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति ने निम्‍नलिखित बिन्‍दुओं को मंजूरी दी :-

निम्‍न श्रेणियों को इथेनॉल उत्‍पादन क्षमता बढ़ाने के लिए आर्थिक सहायता उपलब्‍ध कराने की एक संशोधित योजना लाई जाए :-

इथेनॉल उत्‍पादन के लिए अनाज आधारित भट्टियों की स्‍थापना करना/मौजूदा अनाज आधारित भट्टियों का विस्‍तार करना, लेकिन इस योजना के लाभ केवल उन्‍हीं भट्टियों को मिलेंगे, जो अनाजों की सूखी पिसाई की प्रक्रिया (‍dry milling process) का इस्‍तेमाल करेंगी।

इथेनॉल उत्‍पादन के लिए गुड़ शीरा आधारित नयी भट्टियों की स्थापना/मौजूदा भट्टियों का विस्‍तार (चाहे वे चीनी मिलों से संबद्ध हो या उनसे अलग हो) और चाहे केन्‍द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा शून्‍य तरल डिस्‍चार्ज (जेडएलडी) को हासिल करने के लिए स्‍वीकृत कोई भी अन्‍य तरीका कायम करना हो।

इथेनॉल उत्‍पादन के लिए अनाज और शीरा दोनों का दोहरा इस्‍तेमाल करने वाली नयी भट्टियां स्‍थापित करना और पहले से संचालित भट्टियों का विस्‍तार करना।

मौजूदा गुड़ शीरा आधारित भट्टियों (चाहे चीनी मिलों से संबद्ध हो या पृथक हो) को दोहरे इस्‍तेमाल (गुड़ शीरा और अनाज/कोई भी अन्‍य खाद्यान्‍न) में बदलना और अनाज आधारित भट्टियों को भी दोहरे इस्‍तेमाल वाली भट्टियों में बदलना।

चुकन्‍दर, ज्‍वार और अनाज आदि जैसे अन्‍य खाद्यान्‍न से इथेनॉल निकालने के लिए नयी भट्टियां स्‍थापित करना/मौजूदा भट्टियों का विस्‍तार करना।

मौजूदा भट्टियों में संशोधित स्प्रिट को इथेनॉल में बदलने के लिए मॉलिक्‍यूलर सीव डीहाईड्रेशन (एमएसडीएच) कॉलम स्‍थापित करना।

सरकार परियोजना प्रस्‍तावकों द्वारा बैंकों से लिए जाने वाले ऋण के ब्‍याज का पांच साल तक वहन करेगी, जिसमें एक साल की मॉरिटोरियम अवधि भी शामिल होगी। यह राशि प्रतिवर्ष 6 प्रतिशत की दर से या बैंक द्वारा लिए जाने वाले ब्‍याज की दर का 50 प्रतिशत या जो भी कम हो, होगी।

यह लाभ सिर्फ उन्‍हीं भट्टियों को मिलेगा, जो अपनी बढ़ी हुई क्षमता के कम से कम 75 प्रतिशत उत्‍पादित इथेनॉल की आपूर्ति पेट्रोल में मिश्रण के लिए तेल विपणन कंपनियों को करेंगी।

इस प्रस्‍तावित कदम से विविध प्रकार के अनाजों से पहली पीढ़ी के इथेनॉल के उत्‍पादन में वृद्धि होगी, पेट्रोल में इथेनॉल के मिश्रण के लक्ष्‍य को प्राप्‍त किया जा सकेगा और इथेनॉल को ऐसे ईंधन के तौर पर प्रोत्‍साहित किया जा सकेगा, जो स्‍वदेश में उत्‍पादित, गैर-प्रदूषणकारी और अक्षय होगा तथा जिससे पर्यावरण और इको-सिस्‍टम में सुधार होगा। इसके परिणामस्‍वरूप देश के तेल आयात व्‍यय की बचत की जा सकेगी। यह किसानों को उनके बकाये का समय पर भुगतान भी सुनिश्चित करेगा।

2030 तक पेट्रोल में इथेनॉल के 20 प्रतिशत मिश्रण के लक्ष्‍य को प्राप्‍त करने के लिए और रसायन एवं अन्‍य क्षेत्रों की जरूरतों को पूरा करने के लिए 1,400 करोड़ लीटर एल्‍कोहल/इथेनॉल की जरूरत होगी। इसमें से 1,000 करोड़ लीटर की जरूरत 20 प्रतिशत मिश्रण के लक्ष्‍य को हासिल करने के लिए और 400 करोड़ लीटर की जरूरत रसायन एवं अन्‍य क्षेत्रों की जरूरतों को पूरा करने के लिए होगी। 1,400 करोड़ लीटर की कुल जरूरत में से 700 करोड़ लीटर की आपूर्ति चीनी उद्योग और 700 करोड़ लीटर की आपूर्ति अनाज आधारित भट्टियों को करनी होगी।

चीनी उद्योग द्वारा 700 करोड़ लीटर इथेनॉल का उत्‍पादन करने के लिए करीब 60 लाख मीट्रिक टन अतिरिक्‍त चीनी को इथेनॉल उत्‍पादन के लिए इस्‍तेमाल किया जाएगा, जिससे अतिरिक्‍त चीनी भंडार की समस्‍या का समाधान होगा, अतिरिक्‍त चीनी के भंडारण की समस्‍या से चीनी उद्योग को निजात मिलेगी और चीनी मिलों की राजस्‍व वसूली बढ़ेगी। इससे वे गन्‍ना किसानों को उनके बकाये का समय पर भुगतान कर सकेंगी। करीब पांच करोड़ गन्‍ना किसान और उनके परिवार तथा चीनी मिलों और अन्‍य सहायक गतिविधियों में काम करने वाले 5 लाख कामगारों को इस कदम से लाभ होगा।

खाद्यान्‍न से 700 करोड़ लीटर इथेनॉल/एल्‍कोहल का उत्‍पादन करने के लिए करीब 175 लाख मीट्रिक टन अनाज का इस्‍तेमाल किया जाएगा। अतिरिक्‍त अनाज के इस उपयोग से अंतत: किसानों को लाभ होगा, क्‍योंकि उन्‍हें अपने उत्‍पाद का बेहतर मूल्‍य और निश्चित खरीदार मिलेंगे। इस तरह देश के करोड़ों किसानों की आय में भी वृद्धि होगी।

गन्‍ना और इथेनॉल का उत्‍पादन मुख्‍य रूप से तीन राज्‍यों – उत्‍तर प्रदेश, महाराष्‍ट्र और कर्नाटक में होता है। इन तीन राज्‍यों से इथेनॉल को दूरदराज के अन्‍य राज्‍यों में ले जाने पर भारी परिवहन खर्च आता है। देशभर में नयी अनाज आधारित भट्टियां स्‍थापित करने से देश के अलग-अलग भागों में इथेनॉल का वितरण संभव हो सकेगा और इससे इसके परिवहन पर आने वाला भारी खर्च भी बचाया जा सकेगा। इस तरह न सिर्फ पेट्रोल में इथेनॉल के मिश्रण के लक्ष्‍य को प्राप्‍त करने में होने वाले विलंब से बचा जा सकेगा, बल्कि इससे देशभर के किसानों का भी लाभ होगा।

इथेनॉल निकालने की क्षमता और मिश्रण स्‍तर बढ़ाने में पिछले 6 साल में सरकार द्वारा हासिल की गईं उपलब्धियां :-

सरकार ने मोटर वाहन ईंधन में इथेनॉल का 2022 तक 10 प्रतिशत और 2030 तक 20 प्रतिशत मिश्रण करने का लक्ष्‍य तय किया है। वर्ष 2014 तक गुड़ शीरा आधारित भट्टियों की इथेनॉल निकालने की क्षमता 200 करोड़ लीटर से कम थी। पिछले 6 साल में गुड़ शीरा आधारित भट्टियों की यह क्षमता बढ़कर दोगुनी हो गई और इस समय यह 426 करोड़ लीटर हो गई है। मिश्रण लक्ष्‍यों के बारे में हम पाते है कि सरकार देश में 2024 तक इथेनॉल निकालने की क्षमता को बढ़ाकर दोगुना करने के लिए संगठित प्रयास कर रही है।

इथेनॉल आपूर्ति वर्ष 2013-14 में तेल विपणन कंपनियों को इथेनॉल की आपूर्ति 40 करोड़ लीटर से कम थी और मिश्रण स्‍तर सिर्फ 1.53 प्रतिशत था। हालांकि केन्‍द्र सरकार के संगठित प्रयासों के चलते ईंधन स्‍तर के इथेनॉल का उत्‍पादन और तेल विपणन कंपनियों को इसकी आपूर्ति पिछले 6 साल में चार गुना बढ़ी है। इथेनॉल आपूर्ति वर्ष 2018-19 में हमने ऐतिहासिक तौर पर करीब 189 करोड़ लीटर के उच्‍च आंकड़े और 5 प्रतिशत मिश्रण के स्‍तर को हासिल कर लिया है।

हालांकि महाराष्‍ट्र और कर्नाटक के कुछ क्षेत्रों में सूखे के कारण चीनी और गुड शीरा का उत्‍पादन 2019-20 के स्‍तर में कुछ कम रहा और इस वजह से भट्टियों ने करीब 172.50 करोड़ लीटर इथेनॉल की तेल विपणन कंपनियों को आपूर्ति की। इस तरह 2019-20 में 5 प्रतिशत मिश्रण के स्‍तर को हासिल किया गया। उम्‍मीद की जाती है कि मौजूदा इथेनॉल आपूर्ति वर्ष 2020-21 में तेल विपणन कंपनियों को करीब 325 करोड़ लीटर इथेनॉल की सप्‍लाई की जा सकेगी और 8.5 प्रतिशत के मिश्रण स्‍तर को हासिल किया जा सकेगा। संभव है कि हम 2022 तक 10 प्रतिशत मिश्रण के स्‍तर को हासिल कर लें।

मिश्रण स्‍तर में वृद्धि से आयातित जैव ईंधन पर निर्भरता कम होगी और वायु प्रदूषण भी कम होगा। भट्टियों की क्षमता में वृद्धि/नयी भट्टियां लगाने से ग्रामीण इलाकों में नए रोजगार अवसरों का सृजन होगा और इस तरह आत्‍मनिर्भर भारत के लक्ष्‍य को प्राप्‍त किया जा सकेगा।

ब्रिटेन से आने वाली उड़ानों पर प्रतिबंध 31 दिसम्बर के बाद भी जारी रखने पर लगेगी मुहर,एयर इंडिया को पिछले साल 3,600 करोड़ रुपये का हुआ नुकसान attacknews.in

नयी दिल्ली 29 दिसंबर । नागरिक उड्डयन मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने मंगलवार को कहा कि ब्रिटेन से आने वाली उड़ानों पर प्रतिबंध 31 दिसंबर के बाद भी जारी रहने की संभावना है।

ब्रिटेन में कोविड-19 वायरस के एक नये स्ट्रेन का संक्रमण तेजी से फैलने की जानकारी के बाद सरकार ने ब्रिटेन से या वहाँ से होकर आने वाली उड़ानों के 22 दिसंबर की आधी रात से भारत में उतरने पर प्रतिबंध लगा दिया था। यह प्रतिबंध 31 दिसंबर की आधी रात तक के लिए लगाया गया था।

श्री पुरी ने यहाँ एक संवाददाता सम्मेलन में बताया कि प्रतिबंध आगे बढ़ाने या नहीं बढ़ाने पर अभी विचार चल रहा है। इस पर फैसला कोविड-19 से निपटने के लिए बने मंत्रियों के समूह को करना है जिसमें वह भी शामिल हैं। उन्होंने कहा “मुझे लगता है कि अस्थायी प्रतिबंध कुछ समय के लिए बढ़ाया जायेगा।”

कोविड-काल में 24 देशों के साथ द्विपक्षीय समझौतों के तहत उड़ानें शुरू की गई थीं। ब्रिटेन और भारत के बीच सप्ताह में 60 से अधिक उड़ानों का परिचालन किया जा रहा था।

केंद्रीय मंत्री ने बताया कि 25 नवंबर को या उसके बाद जितने यात्री ब्रिटेन से सीधे या ब्रिटेन होकर किसी भी रास्ते से देश में आये हैं उनकी पहचान का काम लगभग पूरा किया जा चुका है। कुछ यात्रियों के लापता होने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने उम्मीद जताई कि जल्द ही उन यात्रियों तक भी संबंधित प्रशासन पहुँच जायेगा।

एयर इंडिया को पिछले साल 3,600 करोड़ रुपये का नुकसान

सरकारी विमान सेवा कंपनी एयर इंडिया को पिछले वित्त वर्ष में 3,600 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा।

नागरिक उड्डयन मंत्री हरदीप सिंह पुरी की मौजूदगी में एयर इंडिया के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक राजीव बंसल ने मंगलवार को यह जानकारी दी।

यहाँ संवाददाता सम्मेलन के दौरान एक प्रश्न के उत्तर में श्री बंसल ने कहा “एयर इंडिया और उसकी पाँच उपांगी कंपनियों के वित्त वर्ष 2019-20 के वित्तीय लेखाजोखा को अंतिम रूप दिया जा चुका है। पिछले साल 3,600 करोड़ रुपये का नकद नुकसान हुआ। यह उससे एक साल पहले की तुलना में कम में कम है।

वाहन दस्तावेज वैधता 31 मार्च तक बढ़ी; इसमें वे सभी वाहन दस्‍तावेज शामिल होंगे जिनकी वैधता गत एक फरवरी को खत्म हो चुकी है या आगामी 31 मार्च तक समाप्‍त हो जाएगी attacknews.in

नयी दिल्ली, 27 दिसंबर । सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने कोविड-19 का प्रसार रोकने के मद्देनजर वाहन संबंधी दस्‍तावेजों की वैधता 31 मार्च तक बढ़ा दी है।

मंत्रालय ने आज इस संबंध में राज्‍यों तथा केन्‍द्र शासित प्रदेशों को परामर्श जारी करते हुए कहा कि सड़क परिवहन एवंराजमार्ग मंत्रालय ने इससे पूर्व मोटर वाहन अधिनियम, 1988 तथा केन्‍द्रीय मोटर वाहन नियमों, 1989 से संबंधित दस्‍तावेजों की वैधता के विस्‍तार के संबंध में 30 मार्च, 2020, 9 जून, 2020 तथा 24 अगस्‍त, 2020 को परामर्श जारी किया था।

सुझाव दिया गया था कि फिटनेस, परमिट (सभी प्रकारों के), लाइसेंस, पंजीकरण या किसी और दस्‍तावेजों की प्रमाणिकता 31 मार्च तक वैध समझी जाए।

इसमें वे सभी वाहन दस्‍तावेज शामिल होंगे जिनकी वैधता गत एक फरवरी को खत्म हो चुकी है या आगामी 31 मार्च तक समाप्‍त हो जाएगी।

5 विधायक और 60 कर्मचारी कोरोना संक्रमित होने से मध्यप्रदेश विधानसभा का शीतकालीन सत्र स्थगित,लाए जाने वाले महत्वपूर्ण विधेयकों के लिए अध्यादेश लाया जाएगा attacknews.in

भोपाल, 27 दिसंबर। मध्यप्रदेश विधानसभा का सोमवार से प्रस्तावित तीन दिवसीय शीतकालीन सत्र कोरोना के कारण सर्वदलीय बैठक में विचार विमर्श के बाद स्थगित कर दिया गया।

देर शाम सामयिक अध्यक्ष रामेश्वर शर्मा के सभापतित्व में हुयी सर्वदलीय बैठक में लिए गए निर्णय के आधार पर सत्र स्थगित किया गया है। बैठक में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चाैहान, संसदीय कार्य मंत्री नरोत्तम मिश्रा और नेता प्रतिपक्ष कमलनाथ भी मौजूद थे।

विधानसभा के कम से कम 60 अधिकारी कर्मचारी और कम से कम पांच विधायक सत्र के मद्देनजर करायी गयी कोरोना संबंधी जांच में संक्रमित पाए गए हैं। कोरोना संक्रमण के मद्देनजर सत्र स्थगित किया गया है।

बैठक के बाद संसदीय कार्य मंत्री श्री मिश्रा ने मीडिया से कहा कि सबसे चर्चा के बाद सामयिक अध्यक्ष ने सत्र स्थगित करने का निर्णय लिया गया है।

उन्होंने कहा कि सत्र के दौरान जो महत्वपूर्ण विधेयक आने वाले थे, उनके संबंध में अध्यादेश लाए जाएंगे।

एक अन्य सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि अब अगला सत्र ‘बजट सत्र’ ही होने की संभावना है।

नेता प्रतिपक्ष कमलनाथ ने मीडिया से कहा कि विधायकों की ओर से प्राप्त सवालों के जवाब के संबंध में उन्होंने सुझाव दिया है कि विधायकों की समितियां बना दी जाएं और उनके समक्ष मंत्रियों की तरफ से संबंधित विधायकों के सवालों के जवाब आना चाहिए।

उन्होंने कहा कि विपक्ष की आवाज नहीं दबना चाहिए। साथ ही उन्होंने कहा कि कोविड पर नियंत्रण भी हमारी प्राथमिकता है।

विधानसभा के अधिकारियों कर्मचारियों और विधायकों की ऐहतियातन कोरोना संबंधी जांच के दौरान कम से कम 60 अधिकारी कर्मचारी और पांच विधायकों की रिपोर्ट कोरोना पॉजीटिव पायी गयी है।

शिवराज ने कराया कोरोना टेस्ट, रिपोर्ट नेगेटिव

इससे पहले की रिपोर्ट में मध्यप्रदेश विधानसभा के सोमवार से प्रारंभ होने वाले शीतकालीन सत्र के एक दिन पहले आज यहां मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान नेे कोरोना टेस्ट करवाया और उनकी रिपोर्ट नेगेटिव आयी।

मुख्यमंत्री कार्यालय के आधिकारिक ट्वीटर हैंडल के जरिए यह जानकारी दी गयी । इसमें लिखा ‘मध्यप्रदेश विधानसभा सत्र शुरू होने से पहले सभी विधायकों की कोरोना जांच अनिवार्य रूप से करवाने की व्यवस्था की गई है। इसी व्यवस्था के अंतर्गत मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज प्रातः निवास पर कोरोना टेस्ट कराया, जिसकी रिपोर्ट नेगेटिव आई है।’

इसके पहले कल विधानसभा के प्रोटेम स्पीकर रामेश्वर शर्मा और प्रमुख सचिव ए पी सिंह ने भी कोरोना जांच करवायी। उनकी रिपोर्ट भी नेगेटिव आने की सूचना है।

सोमवार से शुरू होने वाले तीन दिवसीय सत्र के प्रारंभ होने के पहले ही 230 सदस्यीय विधानसभा में सभी विधायकों को बीते तीन दिनों के अंदर कोरोना जांच कराना आवश्यक किया गया है। रिपोर्ट नेगेटिव होने पर ही विधायकों को सदन में प्रवेश करने दिया जाएगा। विधानसभा के प्रत्येक कर्मचारियों की कोरोना जांच भी करवायी जा रही है, हालाकि इनमें से कुछ कर्मचारी कोरोना संक्रमित मिले हैं।

तीन दिवसीय सत्र में कोरोना संबंधी संक्रमण रोकने के लिए ऐहतियाती उपाय किए गए । विधानसभा भवन को भी पूरी तरह सेनेटाइज किया गया । इसके प्रमुख स्थानों को एक से अधिक बार सेनेटाइज करने की व्यवस्था भी की गयी ।

होशंगाबाद के बाद बालाघाट में नए कृषि कानूनों का उपयोग:राइस मिल द्वारा धान की फसल खरीदकर क्रय राशि का भुगतान नहीं करने के मामले में किसानों को मिला न्याय attacknews.in

भोपाल, 13 दिसंबर । मध्यप्रदेश के बालाघाट जिले के लांजी के किसानों से घोटी गांव स्थित पलक राइस मिल द्वारा धान की फसल खरीदकर अभी तक क्रय राशि का भुगतान नहीं करने के मामले का मुख्यमंत्री कार्यालय ने संज्ञान लेते हुए आज संबंधितों को आवश्यक कार्रवाई करने के लिए कहा है।

किसानों ने अनुविभागीय दण्डाधिकारी (एसडीएम) लाँजी को शिकायत की और नए कानून ‘कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य संवर्धन और सरलीकरण अधिनियम 2020’ के तहत कार्रवाई करने का आवेदन किया। एसडीएम द्वारा इस अधिनियम की धारा 8 के तहत प्रकरण पंजीबद्ध करने की कार्रवाई की गयी। मुख्यमंत्री कार्यालय ने इस प्रकरण में संज्ञान लेते हुए संबंधित अधिकारियों को आवश्यक कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं।

होशंगाबाद में हुई थी नए कृषि कानून के तहत दिल्ली की कंपनी के खिलाफ कार्रवाई,किसानों को मिला न्याय

हाेशंगाबाद में  11 दिसंबर को देश में जहां नए कृषि कानूनों के विरोध में आंदोलन चल रहा है, वहीं किसानों से अनुबंध के बावजूद दिल्ली की एक राइस मिल (फॉर्चून राइस लिमिटेड) द्वारा धान नहीं खरीदी जाने के प्रकरण में मध्यप्रदेश के हाेशंगाबाद जिला प्रशासन ने नए कृषि कानून ”किसान (सशक्तिकरण और संरक्षण) अनुबंध मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा अधिनियम 2020” के प्रावधानों के अनुसार कार्रवाई कर किसानों को न्याय दिलाया ।

होशंगाबाद जिले के पिपरिया के अनुविभागीय दंडाधिकारी (एसडीएम) नितिन टाले ने बताया कि किसानों से मंडी के उच्चतम मूल्य पर धान खरीदी के इसी वर्ष जून माह के अनुबंध के बावजूद फाॅर्चून राइस लिमिटेड कंपनी द्वारा नौ दिसंबर को मंडी में उच्च विक्रय मूल्य होने पर धान नहीं खरीदी गयी। इस प्रकरण में अगले दिन दस दिसंबर को ग्राम भौखेडी के किसान पुष्पराज पटेल एवं ब्रजेश पटेल द्वारा उनके (एसडीएम नितिन टाले) समक्ष शिकायत की गई।

कृषकों ने चर्चा में बताया कि कंपनी द्वारा इसी वर्ष जून माह में उच्चतम बाजार मूल्य पर धान खरीदी का अनुबंध किया था। कंपनी द्वारा लगातार अनुबंध अनुसार खरीदी की जाती रही, लेकिन तीन हजार रुपए प्रति क्विंटल धान के भाव होने पर कंपनी के कर्मचारियों ने खरीदी बंद कर फोन बंद कर लिये।

दिल्ली में मेट्रो सेवाएं सभी मार्गों पर बहाल,शनिवार से सभी लाइनों पर सेवाएं नियमित attacknews.in

नयी दिल्ली, 27 नवंबर । दिल्ली मेट्रो ने केन्द्र के नए कृषि कानूनों के विरोध में किसानों के ‘दिल्ली चलो’ मार्च के कारण कई स्थानों पर कुछ घंटे के लिए सेवाओं के बाधित रहने के बाद शुक्रवार की शाम को सभी मार्गों पर सेवाओं को फिर से बहाल कर दिया।

दिल्ली मेट्रो रेल निगम (डीएमआरसी) ने ट्वीट किया, ‘‘शाम पांच बजकर 35 मिनट पर सभी कॉरिडोर पर सेवाएं सामान्य हो गई।’’ उन्होंने बताया कि शनिवार को सभी लाइनों पर सेवाएं नियमित रहेंगी।

दिल्ली मेट्रो ने शुक्रवार की सुबह सुरक्षा कारणों से ‘ग्रीन लाइन’ पर छह मेट्रो स्टेशनों पर निकास और प्रवेश द्वार बंद करने की घोषणा की थी।

डीएमआरसी ने ट्वीट किया था, ‘‘ग्रीन लाइन पर ब्रिगेडियर होशियार सिंह, बहादुरगढ़ सिटी, पंडित श्री राम शर्मा, टीकरी बॉर्डर, टीकरी कलां और घेवरा स्टेशनों के प्रवेश और निकास द्वार अब बंद कर दिए गए हैं।”

दिल्ली मेट्रो अधिकारियों ने पहले घोषणा की थी कि पड़ोसी शहरों की सेवाएं शुक्रवार को निलंबित रहेंगी।

डीएमआरसी ने कहा था, ‘‘दिल्ली पुलिस के परामर्श के अनुसार, मेट्रो सेवाएं केवल दिल्ली से एनसीआर खंडों की ओर उपलब्ध होंगी। हालांकि अगली सूचना तक सुरक्षा कारणों से एनसीआर स्टेशनों से दिल्ली की ओर से सेवाएं उपलब्ध नहीं होंगी लेकिन दिल्ली से एनसीआर खंडों की ओर उपलब्ध होंगी।”

‘दिल्ली चलो’ मार्च के तहत सिंघू बॉर्डर पर पहुंचे किसानों के एक समूह को तितर-बितर करने के लिए दिल्ली पुलिस ने शुक्रवार को आंसू गैस के गोले दागे। दिल्ली और हरियाणा को जोड़ने वाली सीमा पर नरेला में किसानों पर आंसू गैस के गोले दागे गए।

सीमा पर सुरक्षा कड़ी कर दी गई और रेत से भरे ट्रक तथा पानी के टैंक भी वहां तैनात किये गये थे। प्रदर्शनकारियों को शहर में प्रवेश करने से रोकने के लिए सिंघू बॉर्डर पर बाड़ लगाने के वास्ते कांटेदार तार का भी उपयोग किया गया।

किसान नये कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि नये कानून से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की व्यवस्था समाप्त हो जाएगी।

चुनाव आयोग ने कोविड-19 का टीका मुफ्त देने का वादा चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन नहीं माना,भाजपा ने बिहार चुनाव में जारी घोषणा पत्र में  टीका मुफ्त देने का वादा किया है attacknews.in

नयी दिल्ली, 31 अक्टूबर । निर्वाचन आयोग ने कहा है कि बिहार विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा द्वारा जारी घोषणा पत्र में कोविड-19 का टीका मुफ्त देने का वादा करना आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन नहीं है।

आरटीआई कार्यकर्ता साकेत गोखले की शिकायत पर जवाब देते हुए आयोग ने कहा कि उसने पाया कि इस मामले में आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन नहीं हुआ है।

आयोग ने कहा, ‘‘ … आदर्श आचार संहिता के किसी भी प्रावधान का उल्लंघन नहीं पाया गया है।’’

उल्लेखनीय है कि गोखले ने दावा किया था कि मुफ्त टीके का वादा पक्षपातपूर्ण और चुनाव के दौरान केंद्र सरकार द्वारा सत्ता का दुरुपयोग है।

सूत्रों ने बताया कि आयोग ने आचार संहिता के आठवें खंड में चुनाव घोषणा पत्र को लेकर जारी दिशानिर्देशों का हवाला देते हुए निष्कर्ष निकाला कि मुफ्त टीके का वादा नियमों का उल्लंघन नहीं करता है।

निर्वाचन आयोग ने एक प्रावधान का उल्लेख करते हुए कहा, ‘‘संविधान में राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांतों में कहा गया है कि राज्य नागरिकों के कल्याण के लिए योजनाएं बनाएगा और ऐसे में चुनाव घोषणा पत्र में ऐसी कल्याणकारी योजना को लागू करने के वादे पर कोई आपत्ति नहीं हो सकती।’’

आयोग ने एक अन्य प्रावधान को रेखांकित करते हुए कहा कि मतदाताओं का भरोसा केवल उन्हीं वादों के भरोसे हासिल करने की कोशिश करनी चाहिए, जिन्हें पूरा किया जा सकता है।

निर्वाचन आयोग ने अपने जवाब में कहा, ‘‘यह साफ किया जाता है कि चुनावी घोषणा पत्र पार्टियों और उम्मीदवारों द्वारा किसी खास चुनाव के संदर्भ में जारी किए जाते हैं।’’

गोखले ने शुक्रवार को ट्वीट किया, ‘‘भारत के निर्वाचन आयोग ने इस तथ्य को आश्चर्यजनक रूप से नजरअंदाज किया कि केंद्र सरकार ने यह घोषणा एक राज्य विशेष के लिए की और उक्त कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब चुनावी माहौल बिगड़ रहा है।’’

उल्लेखनीय है कि इस महीने की शुरुआत में केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने बिहार विधानसभा चुनाव के लिए घोषणा पत्र जारी किया था, जिसमें भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) से टीके की मंजूरी मिलने के बाद बिहार के लोगों को मुफ्त टीका देने का वादा किया गया था।

मुंगेर गोलीकांड की रिपोर्ट आई सामने:पुलिस ने ही की थी दुर्गा प्रतिमा विसर्जन करने वाली भीड़ पर फायरिंग, गलत साबित हुआ SP लिपि सिंह का दावा attacknews.in

पटना 31 अक्टूबर ।बिहार के मुंगेर जिले में भीड़ पर हुई फ़ायरिंग मामले में घटनास्थल पर मौजूद सीआइएसएफ़ (CISF) ने बड़ा खुलासा किया है। रिपोर्ट में बेहद साफ़ तौर पर कहा गया है कि घटना में पुलिस की तरफ से बड़ी गलती हुई। इसके अलावा रिपोर्ट में यह बात भी कही गई है कि 26 अक्टूबर को गोली पुलिस द्वारा ही चलाई गई थी।

इस जानकारी के सामने आने के बाद मुंगेर की पूर्व एसपी लिपि सिंह किसी भी वक्त कार्रवाई के दायरे में आ सकती हैं। मुंगेर में भीड़ पर हुई फ़ायरिंग की घटना के बाद उन्होंने दावा किया था कि भीड़ द्वारा मचाए गए उपद्रव के बाद पुलिस ने गोली चलाई थी। पुलिस की इस कार्रवाई के चलते एक युवक की मौत हो गई थी।

सीआइएसएफ़ ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि 26 अक्टूबर की रात 11:20 पर CISF के 20 जवानों की टुकड़ी को मूर्ति विसर्जन की सुरक्षा ड्यूटी के लिए जिला स्कूल स्थित कैम्प से भेजा गया था। यहाँ बिहार पुलिस ने कुल 20 जवानों की टुकड़ी को 10-10 जवानों की दो टुकड़ियों में बाँट दिया था।

टुकड़ियों को बाँटने के बाद इसमें से एक टुकड़ी को एसएसबी और दूसरी टुकड़ी को बिहार पुलिस के जवानों के साथ दीनदयाल उपाध्याय चौक पर तैनात किया गया। इसके बाद रिपोर्ट में बताया गया है कि 26 अक्टूबर की रात 11:45 के आस-पास श्रद्धालुओं और पुलिसकर्मियों के बीच विवाद शुरू हुआ।

इसके बाद भीड़ में मौजूद कुछ लोगों ने पुलिस पर पत्थर फेंकना शुरू कर दिया और इस पथराव की जवाबी कार्रवाई में पुलिस ने हवाई गोलीबारी कर दी। पुलिस की तरफ से हुई इस कार्रवाई के बाद भीड़ और आक्रोशित हो गई, मौके पर पथराव भी तेज़ हो गया।

हालात अनियंत्रित होने के बाद सीआइएसएफ़ के हेड कॉन्स्टेबल एम गंगैया पर अपनी इंसास राइफल से 5.56 एमए की 13 गोलियाँ फायर करने का आरोप भी है। रिपोर्ट के मुताबिक़ इसके बाद आक्रोशित लोगों की भीड़ अव्यवस्थित हो गई। फिर स्थानीय पुलिस, एसएसबी और सीआइएसएफ़ के जवान अपने कैम्प में वापस लौटे।

बिहार के मुंगेर में दुर्गा पूजा के विसर्जन के दौरान पुलिस की बर्बरता के वीडियो सामने आए थे। इन वीडियो में पुलिस को श्रद्धालुओं पर लाठियाँ बरसाते हुए देखा जा सकता है। पुलिस और श्रद्धालुओं की इस भिड़ंत में 1 युवक की मौत हो गई थी, जबकि कई घायल हुए थे।

सोमवार (अक्टूबर 26, 2020) की रात माँ दुर्गा की प्रतिमा विसर्जन यात्रा पर मुंगेर पुलिस के लाठीचार्ज का वीडियो के वायरल होने के बाद जिला प्रशासन की खासी आलोचना भी हुई थी। इस घटना पर एसपी लिपि सिंह ने दावा किया था कि प्रतिमा विसर्जन के दौरान असामाजिक तत्वों ने पुलिस पर पथराव किया और गोलीबारी की, जिसके बाद अपने बचाव में पुलिस ने कार्रवाई की।

देशभर के मेडिकल कॉलेजों में अब ‘स्किल लैब’ और  दो नये शैक्षिक विभाग आपातकालीन चिकित्सा सेवा तथा फिजिकल मेडिसिन और पुनर्वास विभाग होना अनिर्वाय किया गया attacknews.in

नयी दिल्ली 31 अक्टूबर । राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग ने देश में मेडिकल शिक्षा को अधिक आसान और प्रभावी बनाने की दिशा में पूर्व के नियमों में कई परिवर्तन करते हुए आज नयी अधिसूचना जारी की है, जिसके तहत अब मेडिकल कॉलेजों में ‘स्किल लैब’ होना आवश्यक है और साथ ही दो नये शैक्षिक विभाग आपातकालीन चिकित्सा सेवा तथा फिजिकल मेडिसिन और पुनर्वास विभाग भी अनिर्वाय कर दिये गये हैं।

केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने बताया कि आज जारी अधिसूचना “वार्षिक एमबीबीएस प्रवेश विनियमन (2020) के लिए न्यूनतम आवश्यकताएं” ने तत्कालीन भारतीय चिकित्सा परिषद के “मेडिकल कॉलेजों के लिए न्यूनतम मानक आवश्यकताएं, 1999 (50/100/150/200/250 वार्षिक प्रवेश) का स्थान लिया है। यह नयी अधिसूचना उन सभी नये मेडिकल कॉलेजों पर लागू होगी, जिनकी स्थापना का प्रस्ताव है या जो पहले से स्थापित हैं तथा अकादमिक वर्ष 2021-22 से अपनी वार्षिक एमबीबीएस सीट में बढ़ोतरी के इच्छुक हैं। कुछ समय की अवधि के लिए, स्थापित मेडिकल कॉलेज इस अधिसूचना से पहले लागू प्रासंगिक नियमों द्वारा प्रशासित होंगे।

कमलनाथ तत्काल प्रभाव से कांग्रेस पार्टी के ‘स्टार प्रचारक’ नहीं रहे, निर्वाचन आयोग ने छीना “स्टेटस”, उनके प्रचार का खर्चा अब से उम्मीदवार के माथे attacknews.in

भोपाल, 30 अक्टूबर । निर्वाचन आयोग ने ग्वालियर जिले के डबरा से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) प्रत्याशी श्रीमती इमरतीदेवी को लेकर आइटम संबंधी आपत्तिजनक बयान और अन्य मामलों के चलते मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ का कांग्रेस के लिए ‘स्टार प्रचारक’ का स्टेटस आज तत्काल प्रभाव से समाप्त कर दिया।

भारत निर्वाचन आयोग के सचिव अरविंद आनंद की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि अब श्री कमलनाथ को स्टार प्रचारक के रूप में मध्यप्रदेश के उपचुनाव में प्रचार की अनुमति नहीं है। इसलिए कोई भी निर्वाचन अधिकारी इस संबंध में अनुमति प्रदान नहीं करें। अब यदि श्री कमलनाथ प्रचार अभियान में शामिल होंगे, तो उनकी यात्रा और रुकने आदि का संपूर्ण व्यय संबंधित विधानसभा क्षेत्र के उम्मीदवार के खाते में डाला जाएगा।

बिहार के DGP गुप्तेश्वर पांडेय ने बताई वीआरएस लेने की वजह, निष्पक्षता पर उठने लगे थे सवाल,चुनाव लडने के बारे में अभी कोई फैसला नहीं किया है attacknews.in

बक्सर/पटना 23 सितंबर । बिहार के पूर्व पुलिस महानिदेशक(डीजीपी) गुप्तेश्वर पांडे ने उनकी निष्पक्षता पर सवाल उठाए जाने को ऐच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) लेने की वजह बताई और कहा कि पिछले 34 साल की पुलिस सेवा में किसी भी चुनाव के दौरान पक्षपात का आरोप नहीं लगा लेकिन इस बार इस मुद्दे पर कई सवाल उठने लगे थे।

श्री पांडेय ने बुधवार को मोबाइल फोन कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पत्रकारों से बातचीत में कहा कि खबरें आ रही थी कि डीजीपी के पद से इस्तीफा देकर वह इस बार का विधानसभा चुनाव लड़ेंगे। इन खबरों से वह परेशान हो गये थे और उन्हें प्रतीत हो रहा था जैसे लोगों के दिमाग में यह भ्रांति घर कर गई है कि वह चुनाव में किसी दल विशेष को लाभ पहुंचाएंगे।

पूर्व डीजीपी ने कहा कि पिछले 34 सालों की पुलिस सेवा के दौरान उन्होंने कई निष्पक्ष चुनाव कराए है। किसी भी चुनाव के दौरान उन पर किसी दल अथवा व्यक्ति विशेष को लाभ पहुंचाने के आरोप नहीं लगे लेकिन अब उन्हें ऐसा लग रहा था कि इस चुनाव में उनकी निष्पक्षता पर सवाल उठ सकते हैं, जिसको लेकर वह बहुत परेशान थे इसीलिए उन्होंने वीआरएस ले लिया।

चुनाव लडने के बारे में कोई फैसला नहीं किया है: गुप्तेश्वर पांडेय

ऐच्छिक सेवानिवृति लेने के एक दिन बाद बिहार के पूर्व पुलिस महानिदेशक गुप्तेश्वर पांडेय ने कहा कि उन्होंने चुनाव लड़ने के बारे में अभी कोई फैसला नहीं किया है।

अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले में अपने सेवाकाल के दौरान अपनी मुखरता को उनकी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं जोड़ कर देखे जाने के बारे में उन्होंने कहा, ‘कोई कुछ भी बोल सकता है। सुशांत मामले से मेरे वीआरएस का कुछ भी लेना—देना नहीं है।’’

पांडेय ने दावा किया, ‘‘उस मामले में जो लडाई लडी़ वह बिहार की अस्मिता और सुशांत को न्याय दिलाने के लिए किया।’

उन्होंने दावा किया कि उन्होंने सेवा में तीन दशक से अधिक समय बिताया है और कोई भी मेरी पेशेवर अखंडता पर उंगली नहीं उठा सकता है।

चुनाव लड़ने के बारे में अपनी योजना के बारे में पूछे जाने पर पांडेय ने कहा, ‘मैं चुनाव लड़ुंगा, यह भी मैंने अभी कहां कहा है। बक्सर, बेगूसराय, जहानाबाद और वाल्मीकि नगर संसदीय क्षेत्र सहित कई जिलों के शुभचिंतकों का दबाव है।”

केसरिया रंग का गमछा कंधे पर डाले गुप्तेश्वर से पूछे जाने पर कि उन्होंने ‘भगवा’ रंग धारण कर लिया है इसका मतलब यह लगाया जाए कि वे भाजपा में शामिल होने वाले हैं, उन्होंने कहा कि इसे राजनीतिक ढंग से मत देखिए ।

उन्होंने कहा, ‘ मैं अभी किसी राजनीतिक दल में न शामिल हुआ हूं और न ही राजनीतिक व्यक्ति हूं। जब मैं तय करुंगा कि राजनीति में जाना और कौन दल में शामिल जाना है वह भी मैं बताउंगा।’

पांडेय ने कहा, “मैं सेवा के नियमों से बंधा हुआ नहीं, अब एक स्वतंत्र व्यक्ति हूं । मैं, यदि मैं चाहता हूं, तो देश के किसी भी अन्य नागरिक की तरह चुनाव लड़ सकता हूं। मैं वर्तमान में सैकड़ों लोगों से मिलने के लिए उत्सुक हूं।’’

ऐच्छिक सेवानिवृति ले चुके पूर्व पुलिस महानिदेशक ने कहा कि वह विभिन्न जिलों के अपने शुभचिंतकों से बात करेंगे। ‘‘उनसे बात करके तय करुंगा कि मुझे क्या करना है।’

नीतीश कुमार के बारे में पूछे जाने पर पांडेय ने कहा कि वह प्रशासन एवं पुलिसिंग के मामले में बिल्कुल सख्त हैं । उनका वीजन बहुत स्पष्ट है । पुलिसिंग के मामले में वह न किसी प्रकार का नाजायज राजनीतिक हस्तक्षेप करते हैं और न कोई सत्तारुढ दल का व्यक्ति करे, उसे बर्दाश्त करते हैं ।

बिहार के डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय ने ली स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति

बिहार के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) गुप्तेश्वर पांडेय ने मंगलवार को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) ले ली।

वर्ष 1987 बैच के भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के अधिकारी श्री पांडेय की स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति को मंगलवार को गृह विभाग ने मंजूरी प्रदान कर दी।

श्री पांडेय को 31 जनवरी 2019 को बिहार का पुलिस महानिदेशक बनाया गया था। उनका कार्यकाल 28 फरवरी 2021 को पूरा होने वाला था।