झाबुआ एसडीएम विशा माधवानी निलंबित;तालाब निर्माण के मुआवज़े में अनियमितता का आरोप में पुलिस प्रकरण दर्ज होने के बाद से हैं फरार attacknews.in

इंदौर, 29 जून । मध्यप्रदेश के इंदौर के संभागायुक्त डॉक्टर पवन शर्मा ने सहायक (डिप्टी) कलेक्टर विशा माधवानी को निलंबित कर दिया है।

आधिकारिक जानकारी के अनुसार सुश्री माधवानी वर्तमान में झाबुआ में पदस्थ एसडीएम है।

सुश्री माधवानी के खिलाफ बुरहानपुर जिले के नेपानगर में पदस्थापना के दौरान तालाब निर्माण के मुआवज़े में अनियमितता का आरोप सामने आये है। इस प्रकरण में पुलिस में प्रथम दृष्टया रिपोर्ट (एफ़आइआर) भी दर्ज की गई है।

केंद्र सरकार ने अटॉर्नी जनरल वेणुगोपाल का कार्यकाल एक साल बढ़ाने का फैसला किया attacknews.in

नयी दिल्ली, 28 जून ।केंद्र सरकार ने अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल का कार्यकाल एक साल बढ़ाने का फैसला किया है। सूत्रों ने सोमवार को इस बारे में बताया।

अटॉर्नी जनरल का कार्यकाल आम तौर पर तीन साल का होता है। अटॉर्नी जनरल के रूप में वेणुगोपाल का पहला कार्यकाल पिछले साल समाप्त होना था, तब उन्होंने सरकार से अनुरोध किया था कि उनकी उम्र को ध्यान में रखते हुए उन्हें एक साल का कार्यकाल दिया जाए। उनकी उम्र 90 साल है।

सूत्रों ने बताया कि उच्चतम न्यायालय में कई महत्वपूर्ण मामलों में चल रही सुनवाई और बार में वेणुगोपाल के अनुभवों पर विचार करते हुए सरकार ने उनका कार्यकाल एक साल बढ़ाने का फैसला किया है। वेणुगोपाल का मौजूदा कार्यकाल अगले कुछ दिनों में खत्म हो रहा है। सूत्रों ने बताया कि वेणुगोपाल के नए कार्यकाल के विस्तार के संबंध में औपचारिक आदेश जल्द ही जारी किए जाएंगे।

वेणुगोपाल ने एक जुलाई, 2017 को अटॉर्नी जनरल के रूप में पदभार संभाला। केंद्र सरकार के शीर्ष कानून अधिकारी के रूप उन्होंने मुकुल रोहतगी की जगह ली थी।

उत्तर प्रदेश के देवरिया में ड्यूटी से फरार चल रहे तीन सिपाहियों को पुलिस अधीक्षक ने बर्खास्त किया attacknews.in

देवरिया,11 जून । उत्तर प्रदेश के देवरिया में अनाधिकृत रूप से ड्यूटी से फरार (अनुपस्थित ) चल रहे तीन सिपाहियों को शुक्रवार की देर शाम पुलिस अधीक्षक डा.श्रीपति मिश्र ने बर्खास्त कर दिया।

पुलिस प्रवक्ता ने यहां बताया कि जिले में रिक्रूट आरक्षी शिवनाथ मौर्य एक सितंबर 2016 से, अनिल कुमार वर्मा 19 दिसंबर 2016 से और सिपाही मोहम्मद सुहेल सिद्दीकी 25 मार्च 2012 से अनधिकृत रुप से लगातार अनुपस्थित चल रहे थे।

उनके विरुद्ध प्रचलित विभागीय कार्रवाई में दोषी पाये जाने के बाद तीनों सिपाहियों को आज पुलिस अधीक्षक ने पुलिस सेवा से बर्खास्त कर दिया है।

गोरखपुर के बाद देवरिया के पुलिस कप्‍तान भी एक्‍शन में, ड्यूटी से गायब कांस्‍टेबल को किया बर्खास्‍त

इसी तरह 5 दिसम्बर 2020 की रिपोर्ट है कि, गोरखपुर में पुलिस कप्‍तान द्वारा 50 की उम्र पार कर चुके 44 पुलिसकर्मियों को जबरन रिटायर किए जाने के बाद देवरिया के पुलिस कप्‍तान श्रीपति मिश्र ने देवरिया में ड्यूटी से फरार चल रहे एक कांस्टेबल को पुलिस अधीक्षक ने बर्खास्त कर दिया था । पिछले पांच साल से पुलिस लाइन में तैनात कांस्टेबल अक्सर अपनी ड्यूटी से गायब रहता था। पिछले वर्ष उसे निलम्बित भी किया गया था।

संतकबीरनगर जिले का रहने वाला सुग्रीव कन्नौजिया 1995 में कांस्टेबल के पद पर भर्ती हुआ था। करीब पांच वर्ष पूर्व वह जिले में तबादला होकर आया। पूर्व में तैनात एसपी ने उसकी तैनाती थानों पर किया था, लेकिन वह तैनाती स्थल पर नहीं पहुंचा। इसके बाद उसे पुलिस लाइन में तैनात कर दिया गया। इसके बावजूद वह ड्यूटी से गायब रहने लगा। इस पर कई बार उसका वेतन भी बाधित किया गया।

पिछले वर्ष आरआई ने लाइन से बिना सूचना के अनुपस्थित होने का पत्र उच्चाधिकारियों को भेजा था। उस पर एसपी ने उसे निलंबित कर दिया था। कुछ माह बाद उसकी बहाली कर दी गई। इसके बावजूद उसकी आदत में सुधार नहीं हुआ। बार-बार विभागीय कार्रवाई के चलते उसे विभागीय प्रमोशन भी नहीं मिल सका था। वह नियुक्ति से लेकर अभी तक कांस्टेबल ही था। उसके ड्यूटी से फरार होने की बावत आरआई ने उच्चाधिकारियों से एक बार फिर पत्राचार किया। जिसे गंभीरता से लेते हुए एसपी डॉ. श्रीपति मिश्र ने शुक्रवार को सुग्रीव कन्नौजिया को सेवा से बर्खास्त कर दिया।

करीब एक वर्ष पूर्व निलम्बित होने के बाद भी वह वर्दी पहन कर एसपी कार्यालय पहुंच गया था। इसकी जानकारी होने पर तब एसपी ने उसे सख्त कार्रवाई की चेतावनी देते हुए फटकार लगाई थी।

करीब ढाई साल पूर्व सुग्रीव कन्नौजिया डीएम कार्यालय पहुंच गया था। वहां पर वह अपने को डीएम बताकर कार्यभार ग्रहण की बात करते हुए जिलाधिकारी की कुर्सी पर बैठ गया था। ड्यूटी पर तैनात पुलिस कर्मियों ने सुग्रीव को पहचान कर इसकी जानकारी विभाग के अधिकारियों को दी थी। इसके बाद पुलिस उसे अपने साथ ले गई थी।

उत्तर प्रदेश सरकार नहीं देगी अमिताभ ठाकुर को अनिवार्य सेवानिवृति अभिलेख attacknews.in

लखनऊ 09 जून । उत्तर प्रदेश सरकार ने पूर्व आईपीएस अफसर अमिताभ ठाकुर को उनके अनिवार्य सेवानिवृति विषयक अभिलेख देने से मना कर दिया है।

अमिताभ ठाकुर को गृह मंत्रालय के निर्णय के पालन में 23 मार्च 2021 को अनिवार्य सेवानिवृति दी गयी थी। अमिताभ ने सरकार के इस निर्णय से संबंधित अभिलेख मांगे थे।

उत्तर प्रदेश सरकार ने पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर को उन्हें दी गई अनिवार्य सेवानिवृति से संबंधित दस्तावेज देने से मना कर दिया है। ठाकुर को गृह मंत्रालय के निर्णय के अनुपालन में गत 23 मार्च को अनिवार्य सेवानिवृति दी गयी थी। उन्होंने शासन के इस निर्णय से संबंधित अभिलेख मांगे थे।

अमिताभ ठाकुर की पत्नी और सामाजिक कार्यकर्ता नूतन ठाकुर ने बुधवार को बताया कि गृह विभाग के विशेष सचिव कुमार प्रशांत के हस्ताक्षर से निर्गत आदेश के अनुसार अमिताभ को उनकी अनिवार्य सेवानिवृति से संबंधित पत्रावली के नोटशीट, पत्राचार, कार्यवृत वगैरह की प्रति नहीं दी जा सकती क्योंकि ये सभी अभिलेख ‘अत्यंत गोपनीय’ प्रकृति के हैं जो उच्चतम स्तर के अधिकारियों के विचार-विमर्श तथा अनुमोदन से संबंधित हैं।

अमिताभ ठाकुर ने कहा है कि सरकार द्वारा मनमाने ढंग से उन्हें सेवा से निकाला जाना तथा अब उनकी जीविका से संबंधित सूचना भी नहीं देना अत्यंत दुखद है तथा सरकार की गलत मंशा को दिखाता है।

नूतन ने बताया कि इससे पहले केंद्रीय गृह मंत्रालय ने भी इसी सिलसिले में सूचना का अधिकार कानून के तहत मांगी गई जानकारी देने से मना कर दिया था।खराब शासन के आरोप में गृह मंत्रालय ने उन्हें अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी थी।

छत्तीसगढ़ में सबसे बड़ी प्रशासनिक सर्जरी: नौ जिलों के कलेक्टरो सहित 29 आईएएस अफसरों के तबादले attacknews.in

रायपुर 06 जून। छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्य में बड़ा प्रशासनिक फेरबदल करते हुए नौ जिलों के कलेक्टरों समेत भारतीय प्रशासनिक सेवा(आईएएस) के 29 अफसरों का तबादला कर दिया है।

सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा कल रात जारी आदेश के अनुसार इस फेरबदल में रायपुर,कोरिया, धमतरी,मुंगेली,जांजगीर,कोरबा,बेमेतरा,बलरामपुर एवं राजनांदगांव के कलेक्टर बदल दिए गए है।

आदेश के अनुसार अमृत कुमार खलखो को सचिव, श्रम विभाग के पद पर पदस्थ करते हुए सचिव राज्यपाल का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है जबकि कलेक्टर राजनांदगांव टोपेश्वर वर्मा को सचिव खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग के पद पर पदस्थ करते हुए सचिव, परिवहन विभाग, परिवहन आयुक्त एवं आयुक्त, खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है।

रायपुर के कलेक्टर एस भारतीदासन को विशेष सचिव, मुख्यमंत्री के पद पर पदस्थ करते हुए विशेष सचिव, कृषि विभाग (उद्यानिकी, मत्स्यपालन, दुग्ध पालन, गोठान का स्वतंत्र प्रभार) नोडल अधिकारी, नरवा, गरूवा, घुरूवा बाड़ी एवं छत्तीसगढ़ गोधन न्याय योजना तथा आयुक्त सह संचालक, जनसंपर्क (पदेन मुख्य कार्यपालन अधिकारी संवाद) का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है।

हिमशिखर गुप्ता विशेष सचिव प्रबंध संचालक छग राज्य कृषि विपणन (मंडी) बोर्ड, रायपुर के अतिरिक्त प्रभार से मुक्त करते हुए प्रबंध संचालक छग राज्य सड़क विकास निगम का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है।

जांजगीर के कलेक्टर यशवंत कुमार को संचालक, कृषि के पद पर पदस्थ करते हुए प्रबंध संचालक छग पर्यटन बोर्ड एवं गन्ना आयुक्त का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है,जबकि कोरिया के कलेक्टर सत्यनारायण राठौर को पंजीयक, फर्म एवं संस्थाएं के पद पर पदस्थ करते हुए मिशन संचालक, स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है।

बलरामपुर के कलेक्टर श्याम लाल धावड़े को कलेक्टर कोरिया के पद पर पदस्थ किया गया है।

कोरबा की कलेक्टर सुश्री किरण कौशल को संचालक, खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण के पद पर पदस्थ करते हुए प्रबंध संचालक छग राज्य सहकारी विपणन संघ मार्कफेड रायपुर को अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है,जबकि समीर विश्रोई मुख्य कार्यपालन अधिकारी, चिप्स आयुक्त वाणिज्यिक कर का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है।

आयुक्त नगर पालिक निगम, रायपुर सौंरभ कुमार को कलेक्टर रायपुर के पद पर पदस्थ किया गया हैं।

धमतरी के कलेक्टर जय प्रकाश मौर्य को संचालक, भौमिकी एवं खनिकर्म के पद पर पदस्थ करते हुए प्रबंध संचालक, छग राज्य खनिज विकास निगम तथा संचालक, नगर एवं ग्राम निवेश का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है,जबकि सुश्री रानू साहू आयुक्त वाणिज्यिक कर को कलेक्टर कोरबा के पद पर पदस्थ किया गया हैं।कलेक्टर मुंगेली पदुम सिंह एल्मा को धमतरी के कलेक्टर के पद पदस्थ किया गया हैं।भोसकर विलास संदिपान प्रबंध संचालक राज्य सड़क विकास निगम को कलेक्टर बेमेतरा के पद पर पदस्थ किया गया हैं।

संचालक लोक शिक्षण जितेन्द्र कुमार शुक्ला को कलेक्टर जांजगीर चांपा के पद पदस्थ किया गया हैं जबकि शिव अनंत तायल कलेक्टर बेमेतरा को संयुक्त सचिव कृषि विभाग के पद पर पदस्थ करते हुए प्रबंध संचालक छग राज्य कृषि विपणन (मंडी) बोर्ड रायपुर का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है।संयुक्त सचिव मुख्यमंत्री तारन प्रकाश सिन्हा को कलेक्टर राजनांदगांव के पद पर पदस्थ किया गया हैं।

मध्यप्रदेश में स्नातक एवं स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम में नीट से चयनित विद्यार्थियों को मेडिकल कॉलेज की सीट छोड़ने पर शैक्षणिक शुल्क करना होगा जमा attacknews.in

 

भोपाल, 04 जून । राज्य के चिकित्सा शिक्षा आयुक्त निशांत वरवड़े ने बताया कि स्नातक एवं स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम में नीट से चयनित विद्यार्थियों को चिकित्सा एवं दंत चिकित्सा महाविद्यालयों में मेरिट के आधार पर प्रवेश के लिये शासन द्वारा ‘मध्यप्रदेश चिकित्सा शिक्षा प्रवेश नियम-2018 एवं संशोधन 19 जून, 2019” के अनुसार पाठ्यक्रम संचालित किये जाते हैं।

श्री वरवड़े ने बताया कि उपरोक्त नियम की कण्डिका-15 (1) (ख) के अनुसार निर्धारित समय-सीमा के बाद अभ्यर्थी के द्वारा त्याग-पत्र दिये जाने की दशा में उस पर सीट छोड़ने संबंधी बँधपत्र की शर्तें लागू होंगी। इसके अधीन शासकीय चिकित्सा एवं शासकीय दंत चिकित्सा महाविद्यालय की प्रवेशित सीट से त्याग-पत्र देने पर अभ्यर्थी द्वारा बँधपत्र की राशि 10 लाख रुपये (प्रवेश वर्ष 2018 एवं 2019)/30 लाख रुपये (प्रवेश वर्ष 2020) स्वशासी संस्था को देय होगी।

निजी चिकित्सा एवं निजी दंत चिकित्सा महाविद्यालय की प्रवेशित सीट से त्याग-पत्र देने पर संबंधित निजी संस्था में संचालित पाठ्यक्रम में सम्पूर्ण अवधि का शैक्षणिक शुल्क शासन को देय होगा।

नौसेना बेस पर अधिकारी प्रशिक्षुओं की पासिंग आउट;99वें एकीकृत अधिकारी प्रशिक्षु पाठ्यक्रम के तैरते जहाजों पर दिए गए प्रशिक्षण attacknews.in

 

नईदिल्ली 4 जून । 99वें एकीकृत अधिकारी प्रशिक्षु पाठ्यक्रम के तैरते जहाजों पर दिए गए प्रशिक्षण के सफलतापूर्वक पूर्ण होने के अवसर पर, 04 जून 21 को पहले प्रशिक्षण स्क्वाड्रन के जहाजों पर छोटे लेकिन प्रेरक समारोह में एक पासिंग आउट डिवीजन आयोजित किए गए, जिसपर अभी तक कोविड-19 के मद्देनज़र प्रतिबंध लगा हुआ था।

इस पाठ्यक्रम में भारतीय नौसेना की कार्यकारी शाखा के 104 अधिकारी प्रशिक्षुओं ने भाग लिया। दक्षिणी नौसेना कमान के चीफ ऑफ स्टाफ रियर एडमिरल एंटनी जॉर्ज, वीएसएम, एनएम, ने जहाजों पर आयोजित पासिंग आउट डिवीजनों के दौरान मेधावी अधिकारी प्रशिक्षुओं को ट्राफियां प्रदान कीं।

कोच्चि स्थित पहले प्रशिक्षण स्क्वाड्रन में भारतीय नौसेना के जहाज तीर, मगर,  शार्दुल, सुजाता,  तरंगिनी, सुदर्शनी और तटरक्षक जहाज सारथी शामिल हैं। स्क्वाड्रन का नेतृत्व वर्तमान में कैप्टन आफताब अहमद खान कर रहे हैं, जो आईएनएस तीर के कमांडिंग ऑफिसर भी हैं।

24 सप्ताह का समुद्री प्रशिक्षण 28 दिसंबर 2020 को शुरू हुआ। इस चरण के दौरान, समुद्री प्रशिक्षुओं के व्यावहारिक प्रशिक्षण पर जोर देने के साथ नाविक, नौवहन, जहाज संचालन और तकनीकी पहलुओं पर निर्देश दिए गए। यह गहन प्रशिक्षण प्रशिक्षुओं को समुद्र में अपना शारीरिक और मानसिक संतुलन कायम करने में सक्षम बनाने के लिए डिज़ाइन किया गया है और यह एक अनुकूल प्रशिक्षण वातावरण में समुद्र में जीवन की कठोरता और जोखिम का सामना करना सिखाता है और युवा अधिकारियों को युद्ध के समय के साथ-साथ ‘शांतिकाल में भी  कार्य को प्रभावी ढंग से करने के लिए तैयार करता है। इन समुद्री प्रशिक्षुओं ने 67 दिन तक लगभग 14000 एनएम समुद्री नौकायन किया और भारत के पश्चिमी और पूर्वी तटों के साथ-साथ मॉरीशस (पोर्ट लुइस), सेशेल्स (पोर्ट विक्टोरिया), मेडागास्कर (एंट्सिरानाना) और मालदीव (माले) के विदेशी बंदरगाहों का दौरा किया।  प्रशिक्षुओं को पाल प्रशिक्षण जहाज, आईएनएसवी सुदर्शनी पर जहाज चलाने संबंधी प्रशिक्षण भी दिया गया। ‘स्वर्णिम विजय वर्ष’ के हिस्से के रूप में, प्रशिक्षु विजय ज्वाला को कोच्चि से लक्षद्वीप और मिनिकॉय द्वीप समूह ले जाए जाने के कार्यक्रम का हिस्सा भी बने।

सब-लेफ्टिनेंट भारत भूषण सेंगर को सर्वश्रेष्ठ ऑल राउंड सी ट्रेनी चुना गया और उन्हें प्रतिष्ठित चीफ ऑफ नेवल स्टाफ ट्रॉफी और टेलीस्कोप से सम्मानित किया गया। सब-लेफ्टिनेंट निशांत के. विश्वकर्मा को मेरिट सूची में प्रथम स्थान पर रहने के लिए चीफ ऑफ नेवल स्टाफ ट्रॉफी और दूरबीन से सम्मानित किया गया। अपने प्रशिक्षण काल के दौरान पेशेवर विषयों में अधिकतम प्रगति दिखाने के लिए एफओसी-आईएन-सी ईस्ट रोलिंग ट्रॉफी सब लेफ्टिनेंट अयान अली को प्रदान की गई। खेल और पाठ्येतर गतिविधियों के लिए एफओसी-इन-सी साउथ रोलिंग ट्रॉफी, साथ ही पेशेवर विषयों में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए सब-लेफ्टिनेंट ओजस तोहरा को प्रदान की गई।

अधिकारी अपना आगे का प्रशिक्षण पश्चिमी और पूर्वी समुद्री बोर्ड पर विभिन्न फ्रंटलाइन भारतीय नौसेना युद्धपोतों जारी रखेंगे।

सोशल मीडिया पर पुलिसकर्मी भी नहीं डाल सकेंगे हथियारों के साथ फोटो;अपलोड करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने का आदेश attacknews.in

झुंझुनूं, 02 जून । राजस्थान में पुलिसकर्मियों सहित लोग अब हथियारों के साथ सोशल मीडिया पर अपना फोटो अपलोड नहीं कर पाएंगे।इसके लिए पुलिस महकमे ने आदेश जारी किए हैं।

जिला पुलिस अधीक्षक मनीष त्रिपाठी ने आदेश जारी कर सोशल मीडिया फेसबुक, व्हाट्सअप या अन्य सोशल मीडिया मंच पर हथियार समेत फोटो अपलोड करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने को कहा है।

श्री त्रिपाठी ने बताया कि कोई भी पुलिस अधिकारी कर्मचारी सोशल मीडिया पर वर्दी या सादा वस्त्रों में हथियार समेत फोटो अपलोड कर रखी है वे अविलंब हटाने को कहा गया है।

यदि फिर भी कोई पुलिस अधिकारी कर्मचारी अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर हथियार समेत फोटो मिलने पर उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।

पुलिस ने सोशल मीडिया पर निगरानी शुरू कर दी है।

इसको लेकर साइबर सैल का गठन किया गया है।

जनता में भय न हो इसको लेकर पुलिस महकमे ने ऐसे लोगों पर कार्रवाई की तैयारी शुरु कर दी है।

अब कोई भी युवा या व्यक्ति सोशल मीडिया पर आपराधिक गैंग के सदस्यता लेने या शेयर करने पोस्ट डालते है तो उसके खिलाफ भी सख्त कार्रवाई की जाएगी।

अकड़ में रहकर प्रधानमंत्री का अपमान करने वाली ममता बनर्जी ने नरेन्द्र मोदी से अच्छी भावना से काम करने की अपील करके मुख्य सचिव को रिलीव करने से मना करके दिल्ली बुलाने का आदेश रद्द करने का अनुरोध किया attacknews.in

नयी दिल्ली, 31 मई । पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव अलपन बंदोपाध्याय को दिल्ली बुलाने के केंद्र के आदेश को ‘असंवैधानिक’ करार देते हुए राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर यह आदेश वापस लेने का अनुरोध किया है। बनर्जी ने यह भी कहा कि उनकी सरकार बंदोपाध्याय को कार्यमुक्त नहीं कर रही है।

बनर्जी ने प्रधानमंत्री को भेजे पांच पन्नों के पत्र में , मुख्य सचिव को तीन माह का सेवा विस्तार दिए जाने के बाद, उन्हें वापस बुलाने के केंद्र सरकार के फैसले पर पुन:विचार करने का अनुरोध किया है।

उन्होंने पत्र में कहा है ‘‘पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव को दिल्ली बुलाने के एकतरफा आदेश से स्तब्ध और हैरान हूं। यह एकतरफा आदेश कानून की कसौटी पर खरा नहीं उतरने वाला, ऐतिहासिक रूप से अभूतपूर्व तथा पूरी तरह से असंवैधानिक है।’’

पांच पन्नों के पत्र में बनर्जी ने लिखा, ‘‘पश्चिम बंगाल सरकार इस गंभीर समय में मुख्य सचिव को कार्यमुक्त नहीं कर सकती, ना ही उन्हें कार्यमुक्त कर रही है।’’

मुख्यमंत्री ने पत्र में यह अनुरोध भी किया कहा कि केंद्र ने राज्य सरकार के साथ विचार विमर्श के बाद मुख्य सचिव का कार्यकाल एक जून से अगले तीन महीने के लिए बढ़ाने जो आदेश दिया था उसे ही प्रभावी माना जाए।

उन्होंने प्रधानमंत्री से कहा, ‘‘मैं आपसे विनम्र अनुरोध करती हूं कि अपने फैसले को वापस लें और पुनर्विचार करें। व्यापक जनहित में तथाकथित आदेश को रद्द करें। मैं पश्चिम बंगाल की जनता की ओर से आप से अंतरात्मा से तथा अच्छी भावना से काम करने की अपील करती हूं।’’

उन्होंने कहा कि संघीय सहयोग, अखिल भारतीय सेवा तथा इसके लिए बनाए गए कानूनों के वैधानिक ढांचे का आधार स्तंभ है।

बनर्जी ने प्रधानमंत्री को भेजे पत्र में लिखा, ‘‘मुख्य सचिव को 24 मई को सेवा विस्तार की अनुमति देने और चार दिन बाद के आपके एकपक्षीय आदेश के बीच आखिर क्या हुआ, यह बात समझ में नहीं आई।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मुझे आशा है कि नवीनतम आदेश (मुख्य सचिव का तबादला दिल्ली करने का) और कलईकुंडा में आपके साथ हुई मेरी मुलाकात का कोई लेना-देना नहीं है।’’

बनर्जी ने कहा, ‘‘मैं सिर्फ आपसे बात करना चाहती थी, प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के बीच आमतौर पर जिस तरह से बैठक होती है उसी तरह से। लेकिन आपने अपने दल के एक स्थानीय विधायक को भी इस दौरान बुला लिया जबकि प्रधानमंत्री-मुख्यमंत्री की बैठक में उपस्थित रहने का उनका कोई मतलब नहीं है।’’

बनर्जी ने कहा कि केंद्र का आदेश राज्य के हितों के विरुद्ध है और इसकी वजह से मुख्य सचिव ने हाल ही में निजी तौर पर पीड़ा सही है लेकिन फिर भी वह अपनी ड्यूटी कर रहे हैं।

केंद्र ने एक आकस्मिक फैसले में 28 मई को बंदोपाध्याय की सेवाएं मांगी थीं और राज्य सरकार को प्रदेश के शीर्ष नौकरशाह को तत्काल कार्यमुक्त करने को कहा था।

1987 बैच के, पश्चिम बंगाल कैडर के आईएएस अधिकारी बंदोपाध्याय साठ साल की उम्र पूरी होने के बाद सोमवार को सेवानिवृत्त होने वाले थे। बहरहाल, उन्हें केंद्र से मंजूरी मिलने के बाद तीन माह का सेवा विस्तार दिया गया।

त्रिपुरा मुख्यमंत्री विप्लव कुमार देव के खिलाफ सोशल मीडिया पर अपमानजनक पोस्ट करने वाला  पुलिसकर्मी निलंबित attacknews.in

 

अगरतला 30 मई । त्रिपुरा में मुख्यमंत्री विप्लव कुमार देव को संबोधित करते हुए एक सोशल मीडिया पोस्ट पर कथित रूप से अपमानजनक टिप्पणी करना एक पुलिसकर्मी के लिए महंगा सौदा साबित हुआ क्योंकि उसे इसी आधार पर निलंबित कर दिया गया।

पुलिस अधीक्षक (संचार) ने शनिवार को उनाकोटि जिले के कैलाशहार संचार स्टेशन के पर्यवेक्षक दीपक चक्रवर्ती को निलंबित करने का आदेश जारी किया। उसे तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है और उस पर विभागीय अनुशासनात्मक कार्रवाई भी शुरू की गयी है।

आदेश में यह भी निर्देश दिया गया है कि निलंबन की अवधि के दौरान वह त्रिपुरा पुलिस संचार मुख्यालय में रहेंगे और सक्षम प्राधिकारी की पूर्व अनुमति प्राप्त किए बिना उसे छुट्टी पर जाने की अनुमति नहीं दी जाएगी।

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि सोशल मीडिया में उनके द्वारा की गई टिप्पणियां बेहद आपत्तिजनक थीं और किसी भी लोक सेवक से इसकी उम्मीद नहीं की जा सकती है।

रिपोर्ट के अनुसार, आरोपी दीपक चक्रवर्ती पिछले कुछ महीनों से सोशल मीडिया पर अपमानजनक टिप्पणी और पोस्ट कर रहे हैं और उन्हें इस तरह की गतिविधियों से बचने के लिए पहले चेतावनी दी गई थी, क्योंकि किसी भी पुलिसकर्मी की ओर से मुख्यमंत्री के खिलाफ की गई कोई भी टिप्पणी या पोस्ट अनुशासनहीनता मानी जाती है जिसका कानून व्यवस्था पर भी सीधा असर पड़ता है।

इस बीच इस पुलिसकर्मी ने कहा कि उसने मुख्यमंत्री के खिलाफ कोई अपमानजनक टिप्पणी नहीं की, लेकिन केवल कुछ मुद्दों पर अपने विचार व्यक्त किए, जो सेवा आचरण नियमों का उल्लंघन नहीं करते और ना ही यह सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश की अवमानना ​​है।

दिल्ली उच्च न्यायालय ने अस्पतालों में रेजिडेंट डॉक्टरों की जरूरत के कारण उनकी प्रशिक्षण की अवधि बढ़ाने के अधिकारियों के फैसले को मनमाना नहीं माना attacknews.in

नयी दिल्ली, 30 मई । दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा कि कोविड-19 वैश्विक महामारी के कारण उत्पन्न मौजूदा स्थितियों में अस्पतालों के ठीक से काम करने के लिए रेजिडेंट डॉक्टरों की सेवाएं अनिवार्य हैं और उनकी प्रशिक्षण की अवधि निर्धारित समय से अधिक बढ़ाने का अधिकारियों का फैसला प्रथम दृष्टया मनमाना या अनुचित नहीं हो सकता।

उच्च न्यायालय डीएनबी सुपर स्पेशिएलिटी पाठ्यक्रमों के कई चिकित्सकों की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई कर रहा था जिसमें चार मई, 2021 की अधिसूचना को चुनौती दी गई है। इस अधिसूचना के माध्यम से राष्ट्रीय शिक्षा बोर्ड (एनबीई) ने उनकी प्रशिक्षण की अवधि इसके समाप्त होने की निर्धारित तिथि से आगे बढ़ा दी थी।

चिकित्सकों की दलील है कि डीएनबी पाठ्यक्रम तीन साल का है और तीन महीने का अनिवार्य विस्तार स्वीकार्य है, जो उन्होंने पहले ही पूरा कर लिया है और दावा किया कि अधिकारियों के पास इस अवधि से ज्यादा पाठ्यक्रम को विस्तार देने का अधिकार नहीं है।

न्यायमूर्ति प्रतीक जालान ने कहा, “कोविड-19 वैश्विक महामारी के कारण पैदा हुई परिस्थितियों को देखते हुए और जैसा कि राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) के 27 अप्रैल, 2021 के परामर्श में रेजिडेंसी बढ़ाने की जरूरत का उल्लेख किया गया है- जिसे याचिका में चुनौती नहीं दी गई है- इसे देखते हुए मैं अधिवक्ता सिद्धार्थ यादव के अंतरिम आदेश के अनुरोध को स्वीकार करने में असमर्थ हूं।”

अदालत ने एनएमसी के वकील टी सिंहदेव और एनबीई के वकील कीर्तिमान सिंह की दलीलों से सहमति जताई कि रेजिडेंट डॉक्टरों की उपलब्धता अस्पतालों के सही ढंग से काम करने के लिए अनिवार्य है।

अदालत ने कहा, “मौजूदा स्थिति में, प्रतिवादियों के फैसले को प्रथम दृष्टया मनमाना या अनुचित नहीं कहा जा सकता है।”

मुख्यमंत्री कोविड-19 अनुकम्पा नियुक्ति योजना का आदेश जारी; नियुक्ति देने की प्रक्रिया, पात्रता और पदों की प्राथमिकता इस तरह होगी attacknews.in

 

उज्जैन 29 मई। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की घोषणा अनुसार राज्य शासन ने उसके नियोजन में कार्यरत समस्त नियमित/स्थाईकर्मी/कार्यभारित एवं आकस्मिकता से वेतन पाने वाले/दैनिक वेतनभोगी/तदर्थ/ संविदा/कलेक्टर दर/आउटसोर्स/मानदेय के रूप में कार्यरत शासकीय सेवक/सेवायुक्तों के लिये मुख्यमंत्री कोविड-19 अनुकम्पा नियुक्ति योजना लागू कर दी है।

सेवायुक्तों की कोविड संक्रमण से मृत्यु होने पर उनके परिवार के पात्र एक सदस्य को योजना में विहित प्रावधान के अनुसार उसी प्रकार के नियोजन में अनुकम्पा नियुक्ति दी जायेगी, जिसमें मृत सेवक नियोजित था।

पात्र कर्मी

राज्य के समस्त नियमित/स्थाईकर्मी/कार्यभारित एवं आकस्मिकता से वेतन पाने वाले/दैनिक वेतन भोगी/तदर्थ/संविदा/कलेक्टर दर पर कार्यरत सेवक, जिनका वेतन/मानदेय/पारिश्रमिक का भुगतान राज्य की संचित निधि से विकलनीय हो। विभागों द्वारा सक्षम स्वीकृति एवं निर्धारित प्रक्रिया के तहत ली गई आउटसोर्स सेवाओं पर कार्यरत सेवायुक्त, जिनका पारिश्रमिक/मानदेय आदि का भुगतान राज्य की संचित निधि से विकलनीय हो। विधि द्वारा स्थापित आयोग, ऐसी संस्थाएँ, जिनका शत-प्रतिशत स्थापना व्यय राज्य के नियमित स्थापना मद से विकलनीय होता है अथवा इसके लिये स्थापना अनुदान दिया जाता है, उनमें कार्यरत सेवायुक्त पात्र होंगे।

पात्रता की शर्तें

मृतक सेवायुक्त मान्य चिकित्सीय जाँच में (RAT/RTPCR) कोविड-19 पॉजिटिव पाया गया हो तथा उसकी मृत्यु उपचार के दौरान हुई हो अथवा स्वस्थ होने के बाद पॉजिटिव होने के साठ दिन के भीतर किसी भी बीमारी से मृत्यु हो गयी हो। मृत्यु की तिथि पर वह शासन के नियोजन/शासकीय कार्य में कार्यरत हो। मृतक सेवायुक्त शासकीय कार्य में पूर्णकालिक रूप से नियोजित होना चाहिये।

योजना में अनुकम्पा नियुक्ति के लिये परिवार के सदस्य की पात्रता का निर्धारण सामान्य प्रशासन विभाग के परिपत्र 29 सितम्बर, 2014 की कण्डिका-2 के अनुसार होगा। मृतक शासकीय सेवक/सेवायुक्त के पात्र आश्रित को अनुकम्पा नियुक्ति देने में आयु का बंधन नहीं होगा। दिवंगत शासकीय सेवक/सेवायुक्त के परिवार का कोई भी सदस्य यदि पूर्व से शासकीय सेवा अथवा निगम, मण्डल, परिषद, आयोग आदि में नियमित सेवा में नियोजित हो, तो वह अनुकम्पा नियुक्ति के लिये अपात्र होगा। यदि किसी शासकीय सेवक/सेवायुक्त की मृत्यु अधिवार्षिकी आयु पूर्ण करने के बाद सेवावृद्धि, पुनर्नियुक्ति/संविदा नियुक्ति के दौरान होती है, तो अनुकम्पा नियुक्ति के लिये अपात्र होगा। जिन परिवार को मुख्यमंत्री कोरोना योद्धा योजना के अंतर्गत 50 लाख रुपये प्राप्त करने की पात्रता है, उन्हें इस योजना का लाभ नहीं दिया जायेगा।

योजना की अवधि

योजना एक मार्च 2021 से लागू होगी और 30 जून 2021 तक लागू रहेगी। अगर सेवायुक्त योजनावधि में कोविड-19 पॉजिटिव था, लेकिन उसकी मृत्यु योजनावधि समाप्त होने के पश्चात परंतु कोविड-19 पॉजिटिव होने के साठ दिन के भीतर हो जाती है तब भी अनुकम्पा नियुक्ति की पात्रता होगी।

अनुकम्पा नियुक्ति के पद

योजना में कार्यरत सेवक की मृत्यु होने पर उसके परिवार के पात्र सदस्य को उसके द्वारा धारित योग्यता एवं अर्हता के आधार पर वर्ग-3 (गैर कार्यपालिक पद) अथवा वर्ग-4 अथवा इसके समतुल्य पदों पर उसी प्रकार के नियोजन में अनुकम्पा नियुक्ति दी जायेगी, जिस प्रकार के नियोजन में मृतक सेवक नियोजित था।

अनुकम्पा नियुक्ति की प्रक्रिया

अनुकम्पा नियुक्ति के लिये आवेदन-पत्र उस कार्यालय प्रमुख/विभाग प्रमुख, जिसमें दिवंगत सेवायुक्त अपनी मृत्यु के पूर्व कार्यरत था, को प्रस्तुत किया जायेगा। आवेदन मृत्यु दिनांक से 4 माह के भीतर प्रस्तुत करना आवश्यक होगा। अपरिहार्य स्थिति में विलम्ब के कारणों से संतुष्ट होने पर दावा स्वीकृति के लिये सक्षम प्राधिकारी अधिकतम तीन माह तक का विलम्ब माफ कर सकेंगे। अनुकम्पा नियुक्ति के आवेदनों के निपटारे के लिये ऐसे आवेदकों की एक सूची संबंधित कार्यालय/विभाग में बनाई जायेगी एवं इसका क्रम दिवंगत सेवायुक्त की मृत्यु के दिनांक से निर्धारित किया जायेगा, अर्थात जो सेवायुक्त पहले दिवंगत हुआ है, उसके आश्रितों को पहले अनुकम्पा नियुक्ति आरक्षण नियमों का पालन करते हुए दी जायेगी। अनुकम्पा नियुक्ति यथासंभव उसी कार्यालय या विभाग में दी जायेगी, जिसमें दिवंगत सेवायुक्त निधन के पूर्व नियोजित था। यदि विभाग की स्थापना में ऐसा पद रिक्त नहीं है, जिस पर परिवार के सदस्यों को अनुकम्पा नियुक्ति दी जा सकती है, तो इसके लिये सांख्येत्तर पद निर्मित किया जा सकेगा। ऐसे सांख्येत्तर पद पर की गई नियुक्ति भविष्य में नियमित पद की रिक्ति के विरुद्ध समायोजित की जायेगी एवं पात्र आश्रित की पदोन्नति एवं अन्य कारणों से सांख्येत्तर पद रिक्त होने पर स्वत: समाप्त समझा जायेगा।

सांख्येत्तर पद निर्मित करने की अनुमति शासन द्वारा गठित समिति द्वारा दी जायेगी। समिति के अध्यक्ष मुख्य सचिव होंगे। समिति में प्रमुख सचिव, वित्त और विभागीय प्रमुख सचिव/सचिव सदस्य होंगे। अपर मुख्य सचिव, सामान्य प्रशासन विभाग सदस्य सचिव होंगे।

दिवंगत सेवायुक्त के परिवार को शपथ-पत्र पर उस सदस्य का नाम देना होगा, जिसको अनुकम्पा नियुक्ति दी जाना है। दिवंगत सेवायुक्त के पात्र आश्रित को अनुकम्पा नियुक्ति देने की स्थिति में उस पात्र अभ्यर्थी से नियुक्ति के पूर्व इस आशय का शपथ-पत्र लिया जायेगा कि वह दिवंगत सेवायुक्त के परिवार के अन्य सदस्यों का समुचित भरण-पोषण करेगा। आउटसोर्स के रूप में पात्र आश्रित को उसकी शैक्षणिक योग्यता के आधार पर सक्षम प्राधिकारी द्वारा आउटसोर्स एजेंसी के माध्यम से नियोजित कराया जायेगा।

प्रकरण स्वीकृति के लिये सक्षम अधिकारी

जिलों में कार्यरत सेवायुक्त की मृत्यु के समय उनके नियुक्ति स्थल के कार्यालय प्रमुख द्वारा निर्धारित प्रारूप में अपने अभिमत सहित प्रकरण संबंधित जिले के कलेक्टर के पूर्व अनुमोदन के बाद नियुक्ति आदेश विभाग के सक्षम अधिकारी द्वारा किया जायेगा।

जिला कलेक्टर अनुमोदन देने से पूर्व, जिले में इस योजना के अंतर्गत प्राप्त अनुकम्पा नियुक्ति के समस्त प्रकरणों की समीक्षा करेंगे, ताकि यथासंभव संबंधित जिले में ही पात्र आवेदक को अनुकम्पा नियुक्ति दी जा सके। यदि किसी विभाग में उपयुक्त पद रिक्त न हो, तो जिले के अन्य किसी ऐसे विभाग में पद रिक्त होने पर अनुकम्पा नियुक्ति अन्य ऐसे विभाग में दी जाने के निर्देश कलेक्टर संबंधित को दे सकेंगे। यह अनिवार्यता नहीं रहेगी कि जिले में अनुकम्पा नियुक्ति उसी विभाग में दी जाये, जिसमें मृत कर्मचारी कार्यरत था।

सचिवालय/विभागाध्यक्ष कार्यालयों में पदस्थ सेवायुक्तों के प्रकरणों में संबंधित विभाग प्रमुख सक्षम प्राधिकारी होंगे। दैनिक वेतनभोगी/कलेक्टर दर पर कार्यरत/आउससोर्स/मानदेय कर्मी की मृत्यु पर उसके परिवार के पात्र सदस्य को आउटसोर्स के माध्यम से नियोजित करने के लिये कलेक्टर/सक्षम विभागीय अधिकारी, सक्षम प्राधिकारी होंगे।

अर्द्धशासकीय/निगम/मण्डल/संस्थाओं में नियोजन

राज्य शासन के निगम/मण्डल/संस्थाओं/प्राधिकरण/विश्वविद्यालयों/स्थानीय निकाय में कार्यरत नियमित/स्थाईकर्मी/दैनिक वेतनभोगी/तदर्थ/संविदा/आउटसोर्स सेवायुक्तों को उनके शासी निकाय के अनुमोदन से इस योजना के अनुरूप उसी संस्था में अनुकम्पा नियुक्ति दी जा सकेगी। इन संस्थाओं को प्रकरण कलेक्टर को भेजने की आवश्यकता नहीं होगी। अनुकम्पा नियुक्ति के प्रकरणों में सक्षम प्राधिकारी द्वारा एक माह की समय-सीमा में कार्यवाही सुनिश्चित करने के निर्देश दिये गये हैं।

सुबोध कुमार जायसवाल ने सीबीआई प्रमुख का कार्यभार संभाला attacknews.in

नयी दिल्ली, 26 मई ।भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के 1985 बैच के अधिकारी सुबोध कुमार जायसवाल ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के निदेशक का कार्यभार बुधवार को संभाल लिया।

सीबीआई के अधिकारियों और कर्मचारियों ने जांच एजेंसी मुख्यालय पर कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करते हुए श्री जायसवाल का स्वागत किया।

कार्मिक, जन शिकायत और पेंशन मंत्रालय के कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग की ओर से मंगलवार को देर शाम जारी एक अधिसूचना के अनुसार, नियुक्ति संबंधी मंत्रिमंडलीय समिति ने महाराष्ट्र कैडर के 1985 बैच के आईपीएस अधिकारी श्री जायसवाल को देश की प्रमुख जांच एजेंसी सीबीआई का निदेशक नियुक्त करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी।

श्री जायसवाल इससे पहले केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीअीईएसएफ) के महानिदेशक पद पर कार्यरत थे। वह मुंबई के पुलिस आयुक्त और महाराष्ट्र के पुलिस महानिदेशक भी रह चुके हैं। श्री जायसवाल ने खुफिया ब्यूरो और रिसर्च एनालिसिस विंग (रॉ) में भी अपनी लंबी सेवाएं दी हैं।

सीबीआई के निदेशक का पद फरवरी के पहले सप्ताह से खाली था। तत्कालीन निदेशक ऋषि कुमार शुक्ला की सेवानिवृत्ति के बाद एजेंसी के कार्यकारी निदेशक प्रवीण सिन्हा अंतरिम प्रमुख के तौर पर कार्यभार संभाल रहे थे।

सूत्रों के अनुसार, सीबीआई के निदेशक के चयन के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में चयन समिति की बैठक हुई थी।

सुबोध कुमार जायसवाल CBI के निदेशक नियुक्त: 1985 बैच के IPS अधिकारी वर्तमान में सीआईएसएफ महानिदेशक पदस्थ हैं attacknews.in

नयी दिल्ली, 25 मई । भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के 1985 बैच के अधिकारी सुबोध कुमार जायसवाल को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) का निदेशक नियुक्त किया गया है।

कार्मिक, जन शिकायत और पेंशन मंत्रालय के कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग की ओर से मंगलवार को देर शाम जारी एक अधिसूचना के अनुसार, नियुक्ति संबंधी मंत्रिमंडलीय समिति ने महाराष्ट्र कैडर के 1985 बैच के आईपीएस अधिकारी श्री जायसवाल को देश की प्रमुख जांच एजेंसी सीबीआई का निदेशक नियुक्त करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है।

श्री जायसवाल फिलहाल सीअीईएसएफ के महानिदेशक पद पर कार्यरत हैं। वह मुंबई के पुलिस आयुक्त और महाराष्ट्र के पुलिस महानिदेशक भी रह चुके हैं।

श्री जायसवाल ने खुफिया ब्यूरो और रिसर्च एनालिसिस विंग (रॉ) में भी अपनी लंबी सेवाएं दी हैं।
सीबीआई के निदेशक का पद फरवरी के पहले सप्ताह से खाली था। तत्कालीन निदेशक ऋषि कुमार शुक्ला की सेवानिवृत्ति के बाद एजेंसी के कार्यकारी निदेशक प्रवीण सिन्हा अंतरिम प्रमुख के तौर पर कार्यभार संभाल रहे थे।

सूत्रों के अनुसार, सीबीआई के निदेशक के चयन के लिए कल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में चयन समिति की बैठक हुई थी।

मध्यप्रदेश के जनसम्पर्क विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों का आंदोलन समाप्त,खंडवा पीआरओ का निलंबन समाप्त करके इंदौर कार्यालय में पदस्थ किया attacknews.in

भोपाल, 24 मई । मध्यप्रदेश के खंडवा जिले के जनसंपर्क अधिकारी (पीआरओ) बृजेंद्र शर्मा का निलंबन समाप्त किया जाकर उन्हें इंदौर स्थित संभागीय संयुक्त संचालक, जनसंपर्क कार्यालय में पदस्थ करने के साथ ही जनसंपर्क अधिकारियों का आज प्रारंभ हुआ आंदोलन देर शाम समाप्त हो गया।

मध्यप्रदेश जनसंपर्क अधिकारी संघ के पदाधिकारियों के अनुसार उन्होंने आंदाेलन समाप्ति के बारे में राज्य के जनसंपर्क आयुक्त को सूचित कर दिया है।

पदाधिकारियों ने कहा कि वे जनसंपर्क अधिकारी का निलंबन समाप्त करने के लिए मुख्यमंत्री और जनसंपर्क आयुक्त के प्रति आभार व्यक्त करते हैं।

पदाधिकारियों ने उम्मीद जतायी है कि उनकी दूसरी मांग खंडवा कलेक्टर के खिलाफ कार्रवाई के संबंध में भी सरकार की ओर से शीघ्र कार्रवाई होगी।

इस बीच देर शाम इंदौर संभाग आयुक्त कार्यालय की ओर से जारी आदेश के अनुसार श्री बृजेंद्र शर्मा का निलंबन समाप्त कर दिया गया है और उन्हें इंदौर के संभागीय संयुक्त संचालक, जनसंपर्क कार्यालय में पदस्थ करने के आदेश दिए गए हैं।

खंडवा में पदस्थ पीआरआे को दो दिन पहले कलेक्टर कार्यालय से जारी एक आदेश में तत्काल कार्यमुक्त कर जनसंपर्क संचालनालय भोपाल में आमद देने के लिए कहा गया है।

इसके बाद कलेक्टर की रिपोर्ट के आधार पर श्री शर्मा को इंदौर संभाग आयुक्त ने निलंबित भी कर दिया था।

खंडवा पीआरओ मामले में विभाग के अधिकारी कर्मचारियों ने प्रारंभ किया आंदोलन

इससे पहले खंडवा जिला प्रशासन द्वारा वहां के जनसंपर्क अधिकारी (पीआरओ) बृजेंद्र शर्मा के तबादले और निलंबन के मामले में जनसंपर्क विभाग के अधिकारियों कर्मचारियों ने आज से संपूर्ण प्रदेश में ‘कामबंद’ आंदोलन प्रारंभ करते हुए इस संबंध में राज्य सरकार को ज्ञापन सौंपा ।

मध्यप्रदेश जनसंपर्क अधिकारी संघ के अध्यक्ष अरुण राठौर की अगुवायी में एक प्रतिनिधिमंडल ने यहां जनसंपर्क आयुक्त सुदाम पी खाड़े से मुलाकात कर मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन सौंपा। इसमें खंडवा कलेक्टर को निलंबित करने की मांग भी की गयी है।

ज्ञापन में खंडवा कलेक्टर द्वारा पीआरओ के तबादले और इंदौर संभाग आयुक्त द्वारा श्री शर्मा के निलंबन की कार्रवाई संबंधी आदेश को तत्काल वापस लेने की मांग की गयी है। इसके अलावा खंडवा कलेक्टर को तत्काल निलंबित करने की मांग भी की गयी है।