नयी दिल्ली, 22 अप्रैल। देश के कई हिस्सों में एटीएम और बैंकों में नकदी संकट इस हफ्ते काफी चर्चा में रहा। नकदी खत्म होने से आम ग्राहकों और नागरिकों को परेशानी की खबरों के बीच सरकार तथा भारतीय रिजर्व बैंक ने स्थिति सामान्य होने का आश्वासन दिया। इस बारे में दक्षिण भारत के प्रमुख निजी बैंक ईएसएएफ लघु वित्त बैंक के प्रबंध निदेशक के पॉल थामस से बात की।
ईएसएएफ उन चुनिंदा बैंकों में शामिल है जिन्हें 2016 में रिजर्व बैंक ने लघु वित्त बैंक का लाइसेंस दिया। बैंक ने मई 2016 में परिचालन शुरू किया।
थामस ने कहा कि इस नकदी संकट का नोटबंदी या राज्यों में चुनाव से सीधा कोई लेना देना नहीं है। अफवाहों के बीच आशंकाओं के चलते लोगों ने नकदी निकाली। पेश हैं उनसे ‘ पांच सवाल‘।
सवाल 1 : हाल ही में हुए नकदी संकट की क्या वजह हो सकती है?
जवाब: मेरा मानना है कि लोगों में कहीं न कहीं डर और आशंका के चलते शायद यह संकट खड़ा हुआ है। कहीं से खबरें आईं कि बैंकों, एटीएम में पैसा नहीं है और लोगों ने नकदी निकालनी शुरू कर दी। उन्होंने यह नकदी अपने पास रोक ली तो प्रणाली में एक अस्थायी कमी पैदा हो गई। वरना इस संकट का कोई विशेष कारण नहीं है। जहां तक दक्षिण भारत का सवाल है, तेलगांना व आंध्र प्रदेश को छोड़ दें तो हमें कहीं नकदी संकट देखने को नहीं मिला।
सवाल 2 : तो क्या केरल, कनार्टक जैसे दक्षिण भारतीय राज्यों में कोई नकदी संकट नहीं है ? जवाब : नहीं, हमें तो केरल, कनार्टक व तमिलनाडु में नकदी की कोई दिक्कत देखने को नहीं मिली। हालांकि आंध्र प्रदेश व तेलंगाना के कुछ हिस्सों में इस तरह के संकट की रपटें आईं। लेकिन वहां भी यह कमी मुख्य रूप से नकदी चक्र रुकने के कारण हुई। लोग बैंकों एटीएम से नकदी निकाल तो रहे थे लेकिन उसे वापस बैंकों में नहीं ला रहे हैं।
सवाल 3 : क्या आपको इस नकदी संकट का 2016 की नोटबंदी से कोई संबंध नजर आता है? जवाब : मुझे तो ऐसा कोई प्रत्यक्ष संबंध नजर नहीं आता। लेकिन बात वही लोगों की सोच व धारणा की है। लोगों ने इस संकट को नोटबंदी से जोड़कर देखा और नकदी निकाल कर पास रखना शुरू कर दिया। वरना मुझे तो नहीं लगता कि इस संकट का नोटबंदी से कोई लेना देना है। मैं नहीं मानता कि ऐसा कुछ है।
सवाल 4 : कर्नाटक सहित कई राज्यों में चुनाव होने हैं। क्या आपको लगता है कि मौजूदा नकदी संकट का इन चुनावों से कुछ संबंध है? जवाब: नहीं, मुझे ऐसा कुछ नहीं लगता। देखिए, कर्नाटक जहां विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं वहां नकदी का कोई संकट देखने को नहीं मिला। इसी तरह पहले भी कई बड़े राज्यों में चुनाव हुए लेकिन कहीं भी नकदी संकट देखने को नहीं मिला। हाल ही में पूर्वोत्तर के कई राज्यों में भी चुनाव हुए। यह भी नहीं कहा जा सकता कि इसका हाल ही में चर्चा में आए बैंक घोटाले से भी कोई संबंध है। पीएनबी घोटाले को चर्चा में आये तीन माह से अधिक समय बीत चुका है।
सवाल 5 : क्या आपको लगता है कि 2000 रुपये का नोट बंद होना चाहिए? जवाब : यह फैसला तो सरकार को करना है । यह सरकार का मामला है। 1000 रुपये का नोट पहले ही बंद किया जा चुका है । मुझे लगता है कि सरकार उचित समय पर उचित फैसला करेगी ।attacknews.in