ओटावा, 22 अक्टूबर (एएफपी) कनाडा में सोमवार को संसदीय चुनाव में लिबरल पार्टी और कन्जर्वेटिव पार्टी के बीच कड़ी टक्कर के बाद प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के फिर से सत्ता पर काबिज होने की संभावना है।
कनाडा के प्रसारणकर्ताओं टीवीए, सीटीवी और सीबीसी ने यह अनुमान जताया है।
इन प्रसारणकर्ताओं ने घोषणा की कि ‘लिबरल पार्टी ऑफ कनाडा’ अल्पमत की सरकार बनाएगी क्योंकि पार्टी 338 चुनावी जिलों में से 156 में विजयी रही है या आगे चल रही है जबकि उनके प्रतिद्वंद्वी एंड्रयू शीर और उनकी कन्जर्वेटिव पार्टी 122 सीटों पर जीती है या आगे चल रही है।
अपने पहले कार्यकाल के चार वर्ष में ट्रूडो कनाडाई राजनीति में छाए रहे लेकिन 40 दिवसीय चुनाव प्रचार मुहिम में उन्हें काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। इस बार की चुनाव प्रचार मुहिम को कनाडा के इतिहास की सबसे निचले दर्जे की मुहिम बताया जा रहा है।
ट्रूडो (47) ने अपने उदारवादी पिता एवं दिवंगत प्रधानमंत्री पियर ट्रूडो की अपार लोकप्रियता को आगे बढ़ाते हुए 2015 का चुनाव जीता था, लेकिन घोटाले और लोगों की भारी उम्मीदों ने उनकी जीत की संभावनाओं को नुकसान पहुंचाया है।
पिछले 84 वर्षों में ऐसा कभी नहीं हुआ है कि पूर्ण बहुमत के साथ पहली बार कनाडा का प्रधानमंत्री बना कोई व्यक्ति अगले चुनाव में हार गया हो।
ट्रुडो ने कनाडा में करीब 10 साल तक चले कंजर्वेटिव पार्टी के शासन के बाद 2015 में उदारवादी सरकार बनाई थी और वह दुनिया के चुनिंदा उदारवादी नेताओं में एक हैं।
कनाडा में सोमवार को संसदीय चुनाव में लिबरल पार्टी और कन्जर्वेटिव पार्टी के बीच कड़ी टक्कर के बाद प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो फिर सरकार बनाने की तैयारी में हैं। कनाडा में हाल ही में संपन्न हुए संसदीय चुनावों के नतीजे लगभग सामने आ चुके हैं और मौजूदा प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की लिबरल ऑफ़ कनाडा ने 338 चुनावी जिलों में से 156 में विजय हासिल की जबकि उनके प्रतिद्वंद्वी एंड्रयू शीर और उनकी कन्जर्वेटिव पार्टी 122 सीटों पर जीती है या आगे चल रही है।
कनाडा चुनाव आयुक्त के अनुसार 338 सीटों पर हुए चुनाव में लिबरल पार्टी को 33.6 फीसदी वोट मिले हैं
जबकि मुख्य विपक्षी कन्जर्वेटिव पार्टी ऑफ़ कनाडा को 34.1 वोट प्राप्त हुए है।
कनाडा में किसी भी पार्टी को सरकार बनाने के लिए 170 सीटों का आकड़ा चाहिए,लेकिन फिलहाल किसी भी पार्टी को बहुमत मिलती दिखाई नहीं दे रही है और इसकी उम्मीद भी कम है।
कन्जर्वेटिव पार्टी फिलहाल 122 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है जबकि लिबरल पार्टी का आकड़ा 155 है।
नतीजों से पहले हुए सर्वेक्षणों ‘एग्जिट पोल’ में भी दोनों पाटिर्यों को बराबर 33 प्रतिशत मत आने की रिपोर्ट दिखाई गई थी।
जीतने के बाद जस्टिन ट्रूडो का कहा कि मतदाताओं ने ‘प्रगतिशील एजेंडा’ चुना । ट्रुडो ने कनाडा में करीब 10 साल तक चले कंजर्वेटिव पार्टी के शासन के बाद 2015 में उदारवादी सरकार बनाई थी और वह दुनिया के चुनिंदा उदारवादी नेताओं में एक हैं। ट्रूडो को इस साल हुए एक घोटाले से भी जूझना पड़ रहा है, जिसमें उनकी पूर्व अटॉर्नी जनरल ने कहा था कि उन्होंने क्यूबेक कंपनी के मुकदमे को रोकने के लिए उन पर दबाव डाला। इस बारे में ट्रूडो ने अपनी सफाई में कहा कि वह नौकरियां बचाना चाहते थे, फिर भी इस घटना से उन्हें नुकसान हुआ और एंड्रयू शीयर के नेतृत्व वाली कंजर्वेटिव पार्टी को बढ़त मिली।
ट्रूडो के लिए थी परीक्षा की घड़ी
ये चुनाव ट्रूडो के लिए परीक्षा की घड़ी मानी जा रही थी। चुनावों से पहले संकेत मिल रहे थो कि ट्रूडो की लिबरल पार्टी प्रतिद्वंद्वी कंजर्वेटिव पार्टी से हार सकती है, या शायद जीत भी जाए तो भी संसद में बहुमत पाने में नाकाम रह सकती है। ऐसे में उन्हें सत्ता में बने रहने के लिए विपक्षी पार्टी पर निर्भर रहना पड़ेगा। पिछले 84 वर्षों में ऐसा कभी नहीं हुआ है कि पूर्ण बहुमत के साथ पहली बार कनाडा का प्रधानमंत्री बना कोई व्यक्ति अगले चुनाव में हार गया हो। लिबरल पार्टी को बढ़त देखकर ट्रूडो बेहद खुश नजर आए ।
सिख नेता जगमीत सिंह की NDP लिबरल पार्टी के साथ
सिख नेता जगमीत सिंह की पार्टी NDP चौथे नंबर रही। जगमीत सिंह पहले हीकह चुके हैं कि अगर किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला तो वो लिबरल पार्टी को समर्थन देंगे। ” जगमीत सिंह सिख समुदाय से आते हैं और इस समुदाय का एक बड़ा तबक़ा ट्रुडो को पसंद करता रहा है। बताते हैं, “कनाडा में भारतीय समुदाय के 15 से 16 लाख लोग हैं और उनमें क़रीब 5 लाख सिख हैं। उनके लिए ट्रूडो लोकप्रिय नेता हैं। वो उनको प्यार से जस्टिन सिंह कहते हैं।
ट्रूडो की जीत से भारतीयों को मिलेगी राहत की सांस:
माना जा रहा था कि अगर ट्रूडो हारे तो भारतीयों की मुश्किलें बढ़ जाएगी। क्योंकि कनाडा फर्स्ट का नारा लेकर आई कंजरवेटिव पार्टी अगर जीती तो भारतीयों को वीजा लेने में भारी परेशानी आ सकती थी। कंजरवेटिव पार्टी आने से स्टूडेंट वीजा मिलना मुश्किल हो जाता। कंजरवेटिव पार्टी इमीग्रेशन नियमों को इतना सख्त करती कि कि वीजा लेना मुश्किल हो जाता।
बता दें कि 2015 में जस्टिन ट्रूडो के प्रधानमंत्री बनने के बाद पहले साल 80 हजार छात्रों को स्टूडेंट वीजा दिया गया जो बढ़ते बढ़ते 2019 तक प्रति वर्ष डेढ़ लाख तक पहुंच चुका है। लिबरल पार्टी को हमेशा इमीग्रेंटस के लिए नरम रवैया रखने वाला माना जाता है।इस समय पंजाब के ज्यादातर छात्र पढ़ने के लिए कनाडा का रुख कर रहे हैं। लोगों का मानना है कि जस्टिन ट्रूडो चुनाव जीतना पंजाबियों के लिए सबसे बड़ी राहत है।
ट्रंप ने दी जस्टिन को बधाई
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जस्टिन को चुनाव में अच्छा प्रदर्शन करने पर बधाई देते हुए ट्वीट कर कहा, ‘‘शानदार और कांटे की टक्कर में जीत हासिल करने के लिए शुभकामनाएं। दोनों देशों के विकास के लिए मैं आपके साथ काम करने के लिए तत्पर हूँ।’ बता दे कि जस्टिन ट्रूडो और ट्रंप के बीच मधुर संबंध नहीं रहे हैं ।लेकिन ट्रंप ने ट्रूडो को जीत पर बधाई देकर दरियादिली दिखाई है। इससे पहले ट्रंप ने जी 7 की क्यूबेक में बैठक में ट्रूडो को “बेईमान” बताया था।