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ब्रिटेन, बांग्लादेश और फ्रांस ने कहा- जम्मू-कश्मीर भारत का आंतरिक मामला , ब्रिटिश प्रधानमंत्री ने भारत विरोधी प्रदर्शन पर खेद जताया attacknews.in

नयी दिल्ली,/ ढाका/ पेरिस  21 अगस्त । ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से स्पष्ट कहा कि कश्मीर भारत एवं पाकिस्तान का द्विपक्षीय मामला है।

मोदी और जॉनसन के बीच मंगलवार को फोन पर हुई बातचीत में कश्मीर में मौजूदा हालात के अलावा भारत एवं पाकिस्तान के बीच साझीदारी की महत्ता पर चर्चा की गई। जॉनसन ने डाउनिंग स्ट्रीट में पिछले महीने पदभार ग्रहण करने के बाद से विश्व के कई नेताओं से फोन पर बात की है। मोदी और जॉनसन की बातचीत भी इसी श्रृंखला का हिस्सा थी।

ब्रिटिश प्रधानमंत्री कार्यालय 10 डाउनिंग स्ट्रीट के प्रवक्ता ने फोन कॉल की जानकारी देते हुए कहा, ‘‘प्रधानमंत्री ने स्पष्ट किया कि ब्रिटेन का मानना है कि कश्मीर एक ऐसा मामला है जिसे भारत और पाकिस्तान को द्विपक्षीय स्तर पर सुलझाना चाहिए। उन्होंने वार्ता के जरिए मामलों को सुलझाने की महत्ता पर जोर दिया।’’ 

उल्लेखनीय है कि भारत ने जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा हटा दिया है और उसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया है, जिसकी पृष्ठभूमि में जॉनसन ने मोदी के साथ बातचीत में कश्मीर का जिक्र किया।

जॉनसन और मोदी ने भारत और ब्रिटेन के बीच द्विपक्षीय साझीदारी की महत्ता पर बात की और विशेषकर व्यापार एवं आर्थिक संबंधों के जरिए उसे और मजबूत करने की आवश्यकता पर सहमति जताई। 

प्रवक्ता ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी ने कहा कि भारत और ब्रिटेन के बीच अपार संभावनाएं है जिनसे दोनों देशों की समृद्धि बढेगी।’’ 

यह बातचीत ऐसे समय में हुई है, जब सप्ताहांत में फ्रांस में जी7 बैठक होगी जहां जॉनसन के ब्रिटेन का प्रधानमंत्री बनने के बाद दोनों नेता पहली बार मुलाकात करेंगे। दोनों नेताओं ने इस सम्मेलन पर बात की।

प्रवक्ता ने कहा, ‘‘जी7 से पहले जॉनसन और मोदी ने पर्यावरण बदलाव और जैव विविधता के लिए अन्य खतरों से मिलकर निपटने की महत्ता पर सहमति जताई। वे सप्ताहांत में होने जा रही मुलाकात में इन मामलों पर बातचीत के लिए उत्सुक हैं।’’ 

हालांकि बातचीत की ब्रिटेन द्वारा मुहैया कराई गई जानकारी में किसी अन्य विषय का जिक्र नहीं किया गया लेकिन भारत में प्रधानमंत्री कार्यालय ने बताया कि आतंकवाद और हिंसा के खिलाफ लड़ाई पर भी बातचीत की गई।

प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से जारी बयान के अनुसार, मोदी ने जॉनसन का ध्यान निहित स्वार्थों के लिए प्रायोजित एजेंडा चला रहे लोगों की ओर खींचा, जो इसके लिए हिंसा का भी इस्तेमाल कर रहे हैं। 

इस संबंध में प्रधानमंत्री मोदी ने लदंन स्थित भारतीय उच्चायोग के सामने स्वतंत्रता दिवस मना रहे भारतीय समुदाय के लोगों के खिलाफ हुई हिंसा का जिक्र किया। 



बयान के मुताबिक, प्रधानमंत्री जॉनसन ने घटना के लिए खेद व्यक्त किया और भरोसा दिलाया कि भारतीय उच्चायोग, उसके कर्मियों और आगंतुकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए हरसंभव कदम उठाया जाएगा।

बयान में बताया गया कि बातचीत के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने आतंकवाद की तरफ भी ब्रिटिश प्रधानमंत्री का ध्यान दिलाया जिसने भारत और यूरोप समेत दुनिया के सभी हिस्सों को अपनी चपेट में लिया है। उन्होंने कट्टरपंथ, हिंसा और असहिष्णुता के खतरे को दूर करने के लिये प्रभावी कदमों की आवश्यकता पर भी बल दिया।


बांग्लादेश ने जम्मू-कश्मीर मसले को भारत का आंतरिक मामला बताया-



बांग्लादेश ने कहा है कि जम्मू-कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा हटाया जाना भारत का आंतरिक मामला है और क्षेत्रीय शांति एवं स्थिरता बनाए रखना सभी देशों की प्राथमिकता होनी चाहिए।

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बांग्लादेश की यात्रा की थी और प्रधानमंत्री शेख हसीना समेत शीर्ष नेतृत्व से बात की थी जिसके एक दिन बाद मंगलवार को इस मामले पर इस पड़ोसी देश की प्रतिक्रिया आई ।

बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘‘बांग्लादेश यह मानता है कि अनुच्छेद 370 हटाने का भारत सरकार का फैसला भारत का आंतरिक मामला है।’’ 

उसने कहा कि बांग्लादेश ने हमेशा वकालत की है कि क्षेत्रीय शांति एवं स्थिरता बनाए रखना और विकास करना सभी देशों की प्राथमिकता होनी चाहिए।

नरेंद्र मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त कर दिया है और उसे दो केंद्रशासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया है जिसके बाद से भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ गया है।

नयी दिल्ली ने अमेरिका को स्पष्ट कर दिया है कि कश्मीर भारत और पाकिस्तान का द्विपक्षीय मामला है और इसमें तीसरे पक्ष की कोई भूमिका नहीं है।



फ्रांस ने कश्मीर को भारत- पाकिस्तान का द्विपक्षीय मामला बताया-



फ्रांस ने कहा कि कश्मीर भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय मामला है और दोनों ही पक्षों को राजनीतिक वार्ता से मतभेदों को सुलझाना चाहिए और तनाव बढ़ाने वाला कोई भी कदम उठाने से बचना चाहिए।

फ्रांस के विदेश मंत्री ज्यां येव्स ले द्रियां की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब पाकिस्तान के उनके समकक्ष शाह महमूद कुरैशी ने जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त करने के भारत के कदम के बाद कश्मीर के हालात पर उनसे मंगलवार को चर्चा की।

फ्रांस के विदेश मंत्रालय ने मंगलवार को एक बयान में बताया कि द्रियां ने कहा कि इस मामले में फ्रांस का रुख यही रहा है कि यह दो देशों के बीच का मामला है और राजनीतिक वार्ता से इसको सुलझाया जाए ताकि शांति स्थापित हो सके।

फ्रांस ने संबंधित पक्षों से तनाव कम करने की अपील की है।

इस महीने की शुरुआत में भारत ने जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के ज्यादातर प्रावधानों को खत्म कर दिया, जिसके बाद से भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ गया।

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Dr.Sushil Sharma Admin/Editor

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