मुंबई, 23 अक्टूबर । बम्बई उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि मीडिया का ‘‘अत्यधिक ध्रुवीकरण’’ हो गया है और समय के साथ बदल गया है जबकि पत्रकार अतीत में ‘‘तटस्थ’’ हुआ करते थे।
अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत मामले की रिपोर्टिंग में ‘‘मीडिया ट्रायल’’ का आरोप लगाने वाली जनहित याचिकाओं (पीआईएल) की सुनवाई करते हुए अदालत ने यह भी कहा कि यह नियंत्रण का नहीं बल्कि काम में संतुलन कायम करने का सवाल है।
सुनवाई के दौरान मामले की जांच कर रहे केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने उच्च न्यायालय को बताया कि उसने मामले से जुड़ी कोई भी जानकारी मीडिया में लीक नहीं की थी।
सीबीआई की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल अनिल सिंह ने कहा कि जून में अभिनेता की मौत से संबंधित मामलों की जांच कर रहे प्रवर्तन निदेशालय और स्वापक नियंत्रण ब्यूरो ने भी कोई सूचना लीक नहीं की थी।
उन्होंने कहा कि सभी तीनों केन्द्रीय एजेंसियों ने अदालत में हलफनामे दायर किये थे जिनमें कहा गया था कि उन्होंने जांच-संबंधी किसी भी जानकारी को लीक नहीं किया है।
सिंह ने कहा, ‘‘हम अपनी जिम्मेदारियों को जानते हैं और किसी भी एजेंसी द्वारा जानकारी लीक करने का कोई सवाल ही नहीं है।’’
मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति जी एस कुलकर्णी की पीठ जनहित याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। इन याचिकाओं में मीडिया को अभिनेता की मौत मामले की जांच से संबंधित कवरेज में संयम बरतने के निर्देश दिये जाने का अनुरोध किया गया है।
पीठ ने कहा, ‘‘मीडिया तब (अतीत में) तटस्थ था। मीडिया का अब अत्यधिक ‘‘ध्रुवीकरण’’ हो गया है…और नियंत्रण का नहीं बल्कि काम में संतुलन कायम करने का सवाल है। लोग भूल जाते हैं कि रेखाएं कहां खींचनी हैं। सीमाओं में रहकर इसे करें।’’
अदालत ने कहा, ‘‘आप सरकार की आलोचना करना चाहते हैं, करें। मुद्दा यह है कि किसी की मौत हो गई है और आरोप है कि आप हस्तक्षेप कर रहे हैं।’’
सुनवाई अगले सप्ताह भी जारी रहेगी।
इससे पूर्व की सुनवाई में याचिकाकर्ताओं ने दावा किया था कि समाचार चैनल संवेदनशील जानकारी प्रसारित कर रहे हैं। इन याचिकाकर्ताओं में सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारियों का एक समूह भी शामिल है।
याचिकाकर्ताओं ने पूछा था कि चैनलों को इस तरह की जानकारी कैसे मिल रही है। उन्होंने आरोप लगाया था कि जांच एजेंसियां उनकी स्रोत रही होंगी।
मामले में पक्षकार बनाये गये केन्द्र सरकार, राष्ट्रीय प्रसारण मानक प्राधिकरण और समाचार चैनलों ने उच्च न्यायालय को बताया कि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में एक स्व-नियामक तंत्र है।