मुंबई, 23 फरवरी । बॉम्बे उच्च न्यायालय ने मंगलवार को आईएसआईएल के साथ आतंकवादी गतिविधियों में लिप्त होने के आरोप में आईएसआईएल के आतंकवादी अरीब मजीद की जमानत मंजूर कर ली।
छह साल से अधिक समय जेल में बिताने के बाद अरीब मजीद को न्यायाधीश संभाजी शिंदे और मनीष पितले की खंडपीठ द्वारा कड़ी शर्तों पर जमानत दी गई।
अदालत ने अपने आदेश में कहा कि जब मामले की सुनवाई बहुत धीमी गति से चल रही हो तोे ऐसे में मजीद को जेल में रखने की अनुमति नहीं दे सकते।
अदालत ने मजीद की जमानत रखी बरकरार
बंबई उच्च न्यायालय ने मंगलवार को 27 वर्षीय अरीब मजीद की जमानत का विशेष अदालत का आदेश बरकरार रखा।
मजीद पर आईएसआईएस से संबंध होने का आरोप है।
न्यायमूर्ति एसएस शिंडे और न्यायमूर्ति मनीष पिटले की एक खंडपीठ ने राष्ट्रीय अन्वेषण अिभकरण (एनआईए) की ओर से दायर उस याचिका का निपटारा किया, जिसमें उसने आईएसआईएस के कथित सदस्य मजीद को जमानत देने के फैसले को चुनौती दी थी।
पीठ ने कहा कि वह मुकदमा लंबित होने के आधार पर निचली अदालत के मजीद को जमानत देने का आदेश बरकरार रख रही है, ना कि मामले के गुण-दोष आधार पर।
उच्च न्यायालय ने मजीद को एक लाख रुपये बतौर मुचलका जमा कराने और ठाणे जिले के कल्याण से बाहर नही जाने का निर्देश भी दिया, जहां वह रहता है।
एनआईए के अनुसार, मजीद कथित तौर पर आतंकवादी संगठन आईएसआईएस में शामिल होने सीरिया गया था और आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए भारत लौटा है।
मजीद को एनआईए ने गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम और भादंवि के प्रावधानों के तहत 2014 में गिरफ्तार किया था। एनआईए की एक विशेष अदालत ने पिछले साल मार्च में मजीद को जमानत दे दी थी।